Persian fot Sanskritists

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  वषयन  मवक  सी  मल   समय य  समत पद  

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Persian grammar in Hindi.

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 वषयनु मवक  

१–सी ण मल  

२– य ए ंसमय य  

३–समत पद  

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 पसीकण मल  

 पसीकली  

अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ

औ  

 उ सं बधी ै व –  

१ –अक क उ वृ तत होत ह।ैइस वृ तत क झु क आ क ओ न

 होक ए क ओ होत ह।ै 

२– आ क उ औ क तह होत है। सी म औ उ अ एम् 

 (लघुयत) ओ के सवमवलत उ जै स होत ह।ै उदह के वलय ेनम

 क उ नओम क तह होत ह ै। 

३–इ एम ्ई क उ वबकुल दे नगी क तह ही होत ह ै। 

४–उ एम ्ऊ क उ भी वबकुल दे नगी क तह ही होत ह ै। 

५– आधु वनक   सी म ए क उ दीघण ई क तह कय जत है1।

 उदहरण े  क उ ी कय जये ग।2 

1  त ुतः  सी वलवप म ई एम् ए के वलय ेएक ही िवन है। पत ुे इसक ए क उ नह कते।

2 यत ह ैक अ फगनी सी (=दी) एम् पपक वहदु तनी फ +k सी दोन म ए उ िवलत है| उदहरण एक

 ही द को ईनी नीद एम् अफगनी न ेद पढग े। 

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६– कसी जन के बद यद उय ह 3 आत ह ैतो ह क उ दीघण ए क तह

 होत ह4ै।जै स,े दीनः = दीन े । पनः=पने । 

६– ऐ क उ ए एम्  इ के सवमवलत उ क तह होत है ।

 उदहरण म ैक उ मे इ क तह कय जत ह।ै 

७–  आधु वनक सी म ओ क उ दीघण ऊ क तह कय जत है5।

 दे नगी क ओ वन क यहा वनतत अभ है। उदहरण ु कोह क

 उ ु कूह कय जये ग।6 

८– औ क उ ओ एम ् उ के सवमवलत उ क तह होत है ।

 उदहरण गौह क उ गोउह क तह कय जत है। 

 न – वमण

 क     ग   

3  यह सं कृत के वसगण क तह मन ज सकत ह।ै 

4 अफगनी फसी (=दी) एम् पपक वहदु तनी फ +k सी म इसक उ आ होत ह ै– दीन , पन

5  त ुतः  फसी वलवप म ओ एम् ऊ के वलये एक ही िवन है। पतु  ेइसक ओ क उ नह कत।े

6 यत ह ैक अफगनी फसी (=दी) एम् पपक वहदु तनी फसी दोन म ऊ उ िवलत है| उदहरण एक ही

द को ईनी अदू  ह एम् अफगनी अदोह पढ ग े। उदू   ण म इन द क उ भी अफगनी दी क ही भ ंवत कय जत ह।ै 

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ि  ज ज ज  

 त द न  

 प ब म  

 य ल   

 स ह  

 वे ष–  

 सी म गय न म स ेवतीय एं ितरुण (=मह ) वनयं नह

 ह।पञम अनु नवसक वनय म स ेभी केल दो – न एं म क ही स है। 

१– क क उ कुछ महत वलय ेए होत है। यह दे नगी क तह ु 

अप नह होत । इसक उ दे नगी के क एम् ख दोन वनय के

 वम जै स होत ह।ै उदहरण–  

 कबू  त , कम । 

 यद क कसी द म भ म न होक के बद हो तो उसक उ

 कुछ कुछ ि एम ्छ क ओ झ ुक होत ह7ै ।उदहरण–

अकब , अकनू  न , लक । 

7 अरण त ्यह  ु क न हक तल ज ैस हो जत है। 

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२–सी म क के अवत वन भी होती है8 । पतु इसक उ ग क

 तह कय जत ह ै।जै से–  

 ी = ी, औत=औत , =  ३– सी म हम पण सं घष   वन उपलध होती ह ै।दे नगी क ख यह ं

अनु पवरत ह।ै दे नगी ख क उ यद इस तह कय जय ेक उ के

 दौन भी मुख स ेह क ह हो (= अरण त ्पण के सर संघषण क भी वरवत

 हो ) तो इस वन क उ सभं होत ह।ैउदह –  

 ज, आव,   ४–इसी तह सी म पण ग 9 के अवत पण संघष भी होत ह।ैपतु 

 इसक उ क तह कत ेह।अरण त ्समय क क अपे अवधक िनी ेस े

 तर पृ त । उदह–  

 क)गु ल , 

 ख) जल= जल , ़ ब= ुब, मब=मब, ि=ि  

५– सी म ज (पण) के अवत (पण सं घष) भी वमन ह1ै0। 

६–सी म एक वव ज है जो तल न होक मू धण य तर सं घष है11 

।उदह–  

8  यह वन मू  लतः अबी स ेआयी ई ह।ै फलतः इससे घत द मू  लतः अबी के ह ।

9  यह वन अबी म नही ह।ै 

10  यह भत आयण वन नह है तर सी अबी एं दोन म मू  लतः वमन है। अबी मि  वभ वभ वनयं ह।उ के असमयण के

 क ईनी सबको ही बोलते ह। वे ष ििण वलवप के सग म होगी द॰े प॰ृ।

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  जल े, मु द े, वमजगन  

५–त क उ कुछ कुछ र क ओ मु होत है।उदह –  

 ती , सती , सतत  

६– इसी क प 12 क उ फ 13 क ओ होत है । 

 प , वसपस ,

७– सी म पण संघष भी ह ैवजस ेआधु वनक वहदी म  वलख जत है14। 

 ण ,त ,क  

८–सक के वलय ेयवप अबी वलवप म कुल तीन िवन ह15 पत ुसी म 

 उन सभी क उ एक जै स होत ह ै।

11  यह वन भी अबी म नह है। इसक उ अ ंे जी के Vision के अतगण त  sio (इस अं) के उ क तह होत है। 

12  यह वन अबी म नह ह।ै 

13  पृ  फ क ओ न क स ंघष फ क ओ। 

14  मू  ल स ंकृत एं अवधकत अणि ीन भतीय भष यह वन नह है। सी एम् अ ंगेजी के भ के क

आजकल वहदी म बत ही िवलत हो गय है।

15  इनक पिय वलवप क म दय जये ग। 

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  खड २– या रा

 

 सी भष म येक य के दो मूल होते ह–  

१–तण मनकवलक मलू  

२–भू  तकवलक मलू  

१– तणमानकावलक मलू

 इस ेहम मूल धत ुभी कह सकते ह। य के तण मनकवलक मू  ल के योग स े

 तण मन कल , ववध , आदे, इचछ आद ृ वय ंतर अने क कृदत क वनपदन कय जत ह।ै 

 उदह–  

 द(हं सन),बीन्(दे खन) 

२–भतूकावलक मलू

 

भू  तकवलक मलू यः तण मनकवलक मलू स ेवनप होत ह ैतर कई ब उससे 

 वभ भी होत ह।ै भूतकवलक मूल क योग कक ेभू  तकल के अने क लक तर

भवयकल के अवत अने क कृदत क भी वनपदन कय जत ह।ै

 उदह–  

 दीद(हं सन), दीद (दे खन) 

याप क वषेताय–

 

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१– सभी भष क तह सी य से भी कल तर  ृव दोन ोवतत

 होत ेह। 

२– सी य म केल एकिन तर बिन होते ह। विन लु  हो िु क ह।ै 

३– भवषक वलग कसी भी तह य को भवत नह कते। अतः य

 के वतङत य कृदत कोई भी प वलग के आध प पतत नह होत।े 

४– पु ष भतः तीन ह – रम, मयम तर उम। 

४– सी ै यक के अनु स तण मन कल के वलय ेएक, भवयकल के वलय े

 एक तर भू  तकल के वलय ेपिं  य प िवलत ह।

५– ववध, वनषेध, आदे, इचछ, रण न आद ृ वय क बोध यरसं ग एक ही

 यप स ेहोत ह।ै आशयकतनु स इसी म कुछ अय क योग कके

अरण ै िवय उप क वलय जत ह।ै 

६– हे तु हे तु म ली ृव को भू  तकवलक मलू के योग स े कय जत

 है।

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  फासी या तावलका–१ 

अरण  तणमानकावलक मलू  भतूकावलक मलू 

 हं सन    द ्  द द  

आम कन   आम ् आम  द  

 पिं न    स ्  सीद ्

 ख दन     ्   द ्

 िबन     ्  त  

 पढन    खन ्  द् 

 कं पन    ल    लदन ्

 सृ व कन   आीन्  आीद ्

 जन     ्  त् 

आन   आय ् आमद ्

ि मकन    तप ्  तप द ्

ि ु न    दु द    दु द द् 

ि ू  मन    बू  स    बू  सीद ्

(स)होन    हत    बू  द  

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(घत) होन    ् ु द  

दाली 

द  अरण  द  अरण  द  अरण 

 ़ द       बद   भ     मद मत  

 पद    पत    ह    बहन    कुज    कह ं

ि      य    कस   ि त     कब    कइ  

 क    क न   ि     क न( नज  ), 

य  

 कुदम    क न स  

 मन ्  म म    हम सब    त    तु म  

 न ्  यह    ह    य ेसब   न    य ेसब  

 हत , नीत    है, नह ह ै  सु द    ब    स    ़हल  

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  याप म लगन ेाल ेयय– 

 तीन पु ष तर दो िन के आध प सी य म लगन ेल ेकुल छः

 यय ह। सभी क के कल तर ृ वय क बोध कन ेके वलय ेयः इह छः यय क योग कय जत ह।ै य ेवनत् ह –  

पुष  एकिन  बिन 

रम पुष

  अद ् अद ्

मयम पुष

   द् 

उम पुष 

अम ्  म ्

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पाठ –१

 

तणमानकाल,विाक सणनाम, वनषधेामक ाय)

 

 ध अपसम कल को तण मन कल कहत ेह ।

 उपयु  ण  यय को उदह प तणमनकवलक मलूधत ुद ्के सर

 जोक दे ख। यन हे –  

१.१.१– तण मनकल को ोवतत कन ेके वलय ेवनप यप स ेपहल ेमी

 द

 उपसगण क भंवत अशय लगत है16। 

१.१.२–वनप द समय तर सतत दोन क के तण मनकवलक य

 क बोधक होत ह।ै 

पुष

 

एकिन

 

बिन

 

रम पुष 

(म ) दद्  (म ) दद ्

मयम पुष 

(म ) द   (म )द द ्

उम पुष 

(मी) दम्  (मी)दीम ्

16  तण मनकवलक मू  ल स ेवनप होने ली वतङत य म पू  ण सगण (उपसगण) अशय लगत है। 

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 इस क मी खदद्   एक पू  ण लघ ुय आ वजसक अरण ह ै– िह हसता है  

अरहस रहा है  

आद.....। 

१.१.३–हत धत ुके रम पुष एकिन को ोवतत कन ेक ेवलय ेकोई यय नह लगत। अकेल ेहत द क अरण भी  ह ै    होत ह।ै े ष िन म यरववहत

 यय लगत ेही ह। 

१.१.४–हत धत ुस ेपहल ेकभी भीमी

 नह लगत। 

१.२ विाक सणनाम– 

पुष

 

एकिन

 

बिन

 

रम पुष

   ईन ्17/आन1्8/ ऊ 19   ईह / आह / ईन ्

मयम पुष

   त   ु म 20 

उम पुष 

 मन ्  म  

 उपयु  ण  विक सण नम के सर तण मनकल के यप को जोडन े

 प प तर पू  ण य इस क बन जय गे–  

17  वनकत वनज, सजी दोन तह क तु के वलय ेयु  (यह) सण नम । 

18  दू  त वनज तु के वलये यु  (ह) सण नम । 

19  दू  त सजी त ुके वलये यु  (ह) सण नम। 

20 ु म क योग कसी एक समननीय व के वलय ेभी हो सकत है । वहदी म इसक अन ुद आप होग। 

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पुष

 

एकिन

 

बिन

 

रम पुष

   ऊ मी दद ् न ्मी दद ्

मयम पुष 

 त म   द   ु म म द  द् 

उम पुष 

 मन ्म दम्   म म द म ्

अय उदाह–

 

 ़ द मी आीनद ्– ई सृ व कत ह।ै 

आतब ्मी तपद ् – सू  ज िमकत ह ै। 

 ईन ्मी दद – े पत ेह । 

 मन ्मी सम ् – म पिं त ।ं  म मी आयीम ् – हम सब आत ेह। 

 तो मी ी – तु म खीदत ेहो । 

ु म मी ीद ् – तु म सब बिे त ेहो। 

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१.३ वनषधेामक ाय– 

१.३.१–

 समय य को वनषेधपक बनन ेक ेवलय ेमी  स ेपहल ेने  21  

अय जोड दे त ेह–  

 मन ्ने मी म ्– म नह जत ं । 

 बी तू  बस् ने मी द ्– तु हे वबन बस नह होत। 

१.३.२–न

 े क योग य से पहल ेकत ेह । यद य स ेपहल ेकोई सहयक

अय 22 हो तोने

 क योग उस अय से भी पहल ेहोत ह।ै

21 न ेम ए क उचरण एकमतक (व) है।

22  य ेअयय मी, बयद, शयद, खह... आद ह िजनक यथपसङग चचा क ियेगी। 

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  अयास– 

क  दु,  ्तरा लण धातओु क सभी सणनाम क सार प िलाक

बताय।

 

ख) वनो ाय का फासी म अनुाद कवजय–े 

१– म कह ंजत  ं। 

२– भई य क ंपत ह।ै 

३– मिं ू  मती ह।ै 

४– आप कैस ेआत ेह। 

५–  ेसब िु त ेह। 

६– म कौन  ं?

७– यह कैस ेहोत ह?ै 

८–वपतजी हं सत ेह । 

९– बहन सु द ह।ै 

१०–हम सब स ह। 

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ग) वहदी म अनुाद कवजय–े 

१– तू  ीब हती। 

२ि– ेमी द। 

३– ु म िे तो हतीद।् 

४– मन ्ने मी सम।् 

५– ़ द कुज नीत ?