Post on 21-Jun-2020
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[िद इंिडयन इं टी यूट आफ मनैजेमट िबल, 2015 का िह दी अनुवाद]
भारतीय प्रबधं सं थान िवधेयक, 2015 कितपय प्रबधं सं थान को प्रबंधन, प्रबधंन अनसुधंान और ज्ञान से
संबद्ध क्षते्र म उ कृ ता के विै वक मानक को प्रा त करने के िलए इन सं थान
को सशक् त बनाने की ि ट से रा ट्रीय मह व की सं थाएं घोिषत करन ेतथा ऐसी सं थाओ ंसे सबंंिधत या
उसके आनुषिंगक कितपय अ य िवषय का उपबंध करन ेके िलए िवधेयक
भारत गणरा य के िछयासठव वषर् म ससं द्वारा िन निलिखत प म यह अिधिनयिमत हो :--
अ याय 1 प्रारंिभक
1. (1) इस अिधिनयम का सिंक्ष त नाम भारतीय प्रबंध सं थान अिधिनयम, 2015 है ।
(2) यह उस तारीख को प्रवृ होगा, जो के द्रीय सरकार, राजपत्र म, अिधसचूना द्वारा, िनयत करे और इस अिधिनयम के िभ न-िभ न उपबधं के िलए िभ न-िभ न तारीख िनयत की जा सकगी ।
सिंक्ष नाम और प्रारंभ ।
कितपय सं थाओ ं को रा ीय मह व की सं थाएं घोिषत िकया जाना ।
2. अनुसचूी म विणर्त सं थान के उ े य ऐसे ह, जो उ ह रा ीय मह व की सं थाएं बनात ेह, अतः यह घोिषत िकया जाता है िक प्र येक ऐसा सं थान रा ीय मह व की सं था है ।
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पिरभाषाए ं। 3. इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अ यथा अपेिक्षत न हो,--
(क) “िवद्या पिरष ” से धारा 15 म िनिदर् ट िशक्षा पिरष अिभपे्रत है ;
(ख) “बोडर्” से, िकसी सं थान के सबंधं म, धारा 11 की उपधारा (1) म िनिदर् शासक बोडर् अिभपे्रत है ;
(ग) “अ यक्ष” से धारा 11 की उपधारा (2) के खडं (क) के अधीन िनयुक्त सं थान के शासक बोडर् का अ यक्ष अिभपे्रत है ;
(घ) “सम वय मचं” से धारा 30 के अधीन थािपत सम वय मचं अिभपे्रत है ;
(ङ) “त समान सं थान” से, अनसुचूी के तंभ (3) म विणर्त िकसी सं थान के सबंधं म, तंभ (5) म उक् त सं थान के सामने यथािविनिदर् सं थान अिभपे्रत है ;
(च) “िनदेशक” से धारा 17 की उपधारा (2) के अधीन िनयुक्त सं थान का िनदेशक अिभपे्रत है ;
(छ) “िवद्यमान सं थान” से अनुसचूी के तंभ (3) म विणर्त सं थान अिभपे्रत ह ;
(ज) “सं थान” से अनुसचूी के तंभ (5) म विणर्त सं थान म से कोई सं थान अिभपे्रत है ;
(झ) “अिधसचूना” से राजपत्र म प्रकािशत अिधसचूना अिभपे्रत है और “अिधसिूचत” पद का, उसके सजातीय अथ और याकरिणक पभेद सिहत, तदनुसार अथर् लगाया जाएगा ;
(ञ) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन कद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए िनयम द्वारा िविहत अिभपे्रत है ;
(ट) “िविनयम ” से बोडर् द्वारा, कद्रीय सरकार के अनुमोदन से बनाए गए िविनयम अिभप्रते ह ;
(ठ) “अ यादेश” से इस अिधिनयम के अधीन िवद्या पिरष द्वारा बनाए गए अ यादेश अिभप्रते ह ;
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(ड) “अनुसचूी” से इस अिधिनयम से उपाबद्ध अनुसचूी अिभपे्रत है ;
(ढ) “सोसाइटी” से सोसाइटी रिज ट्रीकरण अिधिनयम, 1860 अथवा मसैरू सोसाइटी रिज ट्रीकरण अिधिनयम, 1960 के अधीन रिज ट्रीकृत और अनसुचूी के तंभ (3) म विणर्त सोसाइिटय म से कोई सोसाइटी अिभप्रेत है ।
1860 का 21 1960 का 17
अ याय 2 सं थान
4. (1) इस अिधिनयम के प्रारंभ से ही प्र येक िवद्यमान सं थान अऩुसचूी के तंभ (5) म यथा विणर्त उसी नाम का एक िनगिमत िनकाय होगा ।
(2) अनुसचूी के तंभ (5) म िनिदर् प्र येक सं थान का शा त उ रािधकार और एक सामा य मदु्रा होगी और उसे जगंम और थावर दोन ही प्रकार की सपंि का अजर्न, धारण और ययन करने तथा सिंवदा करन ेकी शिक्त होगी तथा उक्त नाम से वह वाद लाएगा और उस पर वाद लाया जाएगा ।
सं थान का िनगमन ।
5. इस अिधिनयम के प्रारंभ से ही,-- (क) िकसी सिंवदा या अ य िलखत म िकसी िवद्यमान
सं थान के प्रित िनदश के बारे म यह समझा जाएगा िक वह त समान सं थान के प्रित िनदश है ;
(ख) प्र येक िवद्यमान सं थान की या उससे सबंंिधत जंगम और थावर सभी सपंि यां त समान सं थान म िनिहत हो जाएंगी ;
(ग) प्र येक िवद्यमान सं थान के सभी अिधकार और ऋण तथा अ य दािय व त समान सं थान को अ तिरत हो जाएगें और उसके अिधकार और दािय व हो जाएगें ;
सं थान के िनगमन का प्रभाव ।
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(घ) ऐसे प्रारंभ के ठीक पवूर् प्र येक िवद्यमान सं थान द्वारा िनयोिजत प्र येक यिक्त अपना पद और सेवा त समान सं थान म उसी सेवाधिृत के अऩुसार, उसी पािर िमक पर और उ हीं शत तथा िनबंधन पर और पशन, छुट्टी, भिव य िनिध और अ य िवषय के सबंंध म उ हीं अिधकार और िवशषेािधकार सिहत धारण करेगा जैसे वह उसे उस दशा म धारण करता यिद यह अिधिनयम पािरत नही ंिकया गया होता और तब तक ऐसा करता रहेगा जब तक िक उसका िनयोजन समा त नही ंकर िदया जाता या जब तक उसकी सेवाधिृत, उसका पािर िमक और िनबधंन तथा शत िविनयम द्वारा स यक् प से पिरवितर्त नही ंकर दी जाती ह :
पर तु यिद इस प्रकार िकया गया पिरवतर्न ऐसे कमर्चारी को वीकायर् नही ं है तो उसका िनयोजन सं थान द्वारा उस कमर्चारी के साथ की गई सिंवदा के िनबधंन के अनुसार समा त िकया जा सकेगा या यिद उसम इस िनिम कोई उपबंध नही ंिकया गया है तो थायी कमर्चािरय की दशा म तीन मास के पािर िमक और अ य कमर्चािरय की दशा म एक मास के पािर िमक के समतु य प्रितकर का उसको सदंाय करके समा त िकया जा सकेगा :
पर तु यह और िक त समय प्रवृ िकसी िविध अथवा िकसी िलखत या अ य द तावेज के अधीन िकसी िवद्यमान सं थान के िनदेशक, मखु्य प्रशासिनक अिधकारी और अ य अिधकािरय के प्रित िकसी िनदश का अथार् वयन, चाहे वह िकसी भी श द प म हो, त समान सं थान के िनदेशक, मखु् य प्रशासिनक अिधकारी और अ य अिधकािरय के प्रित िनदश के प म िकया जाएगा ;
(ङ) इस अिधिनयम के प्रारंभ के पूवर् प्र येक िवद्यमान सं थान म िकसी शकै्षिणक या अनुसधंान पा यक्रम का अ ययन करने वाले प्र येक यिक्त को ऐसे प्रारंभ पर सं थान के उसी तर के पा यक्रम म, िजस पर ऐसा यिक् त थानातंिरत हुआ हो, त समान सं थान म थानांतिरत और रिज ट्रीकृत कर
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िदया गया समझा जाएगा ; (च) इस अिधिनयम के प्रारंभ के ठीक पूवर्, िकसी िवद्यमान
सं थान द्वारा या उसके िव द्ध सिं थत या सिं थत िकए जा सकन ेवाले सभी वाद और अ य िविधक कायर्वािहयां त समान सं थान द्वारा या उसके िव द्ध जारी रखी जाएगंी या सिं थत की जाएंगी ।
सं थान के उ े य ।
6. प्र येक सं थान के िन निलिखत उ े य ह गे, अथार्त ्:-- (क) ऐसे अग्रग य को, जो विृ क प्रबधंक , उद्यिमय के
प म योगदान दे सकते ह, और प्राइवेट, सावर्जिनक और सामािजक के्षत्र म िवद्यमान तथा नए प्रकट होन ेवाले उद्यम के प्रबधंकतार्ओ ंको िशिक्षत करना और उ ह समथर्न देना ;
(ख) नई जानकारी और नई प्रिक्रया-पद्धित की अिभविृद्ध के िलए तथा प्रबंध िसद्धा त और पद्धित म विै वक अग्रणी व का उपबधं करने के िलए अनुसधंान, प्रकाशन, परामशर्कारी और सलाहकारी कायर् करना ;
(ग) उ च क्वािलटी के प्रबंध िशक्षण का उपबंध करना तथा ज्ञान के सबंिंधत के्षत्र तथा साथ ही अ तर-िवषयक अ ययन को प्रो नत करना ;
(घ) समाज के प्रित पूणर् ढंग से योगदान देने के िलए िन चायक, सा यापूणर् और पोषणीय रा ट्रीय िवकास ल य की क पना के प्रित प्रबंध िशक्षण को सगु्राही बनाना ;
(ङ) ऐसे शकै्षिणक कायर्क्रम और सकंाय का िवकास करना जो िवद्या की सभी शाखाओं म िशक्षा, अ यापन और िवद्याजर्न के प्रयोजन को अग्रसर कर ;
(च) प्रबधं अ ययन और सबंंिधत क्षते्र के िलए के द्र की थापना करना ;
(छ) भारत म प्रबंध सं थाओ ंऔर अ य िशक्षा सं थाओ ंका समथर्न करना और उनके साथ सहयोग करना ;
(ज) िव व के िकसी भी भाग म शैक्षिणक और प्रबंध
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सं थाओ ंके साथ सहकार और सहयोग करना । सं थान की शिक्तयां और कृ य ।
7. इस अिधिनयम के उपबधं के अधीन रहते हुए, प्र येक सं थान िन निलिखत शिक्तय का प्रयोग और िन निलिखत कृ य का पालन करेगा, अथार्त ्:--
(क) सं थान का प्रशासन तथा प्रबधं करना ; (ख) िविभ न पा यक्रम म, के द्रीय सरकार द्वारा इस
िनिम अऩुमोिदत नीित के अनु प, छात्र के प्रवेश के िलए िविनयम द्वारा उपबधं करना ;
(ग) प्रबधं तथा सबंंिधत िवषय म अ ययन, प्रिशक्षण और अनुसधंान के पा यक्रम िविनिदर् ट करना और उनका सचंालन करना तथा उसके ज्ञान का प्रलेखन और प्रसारण करना ;
(घ) प्रावैिगक वैि वक प्रबंधन पद्धितय के अनु प प्रबंध िशक्षण शा की नवाचार पद्धितय को िवकिसत करना ;
(ङ) ऋजु तथा पारदशर्क प्रणाली के मा यम से मू यांकन और कायर् कौशल के िनधार्रण के िलए परीक्षा का सचंालन करना और प्रिक्रयाएं थािपत करना ;
(च) िडिग्रयां, िड पोमे और अ य िवद्या सबंधंी िविश उपािधयां और उपािधया ं प्रदान करना, और अ येताविृ यां, छात्रविृ या,ं पुर कार और मडैल, स मािनक पुर कार और अ य िविश उपािधया ंसिं थत और प्रदान करना ;
(छ) सूचना और सचंार प्रौद्योिगकी का तथा अ य नवाचार पद्धितय का प्रयोग करके िशक्षा के खचर् को कम करना और िशक्षा तक पहंुच को बढ़ाना ;
(ज) ऐसी अवसरंचना की थापना और अनुरक्षण करना, जो आव यक हो ;
(झ) सं थान द्वारा उपल ध कराई गई िशक्षा और अ य सेवाओ ं के िलए, िजनके अ तगर्त प्रिशक्षण, परामशर्कारी और सलाहकारी सेवाएं भी ह, छात्र और िकसी अ य यिक्त, सं था, िनगिमत िनकाय से, कद्रीय सरकार को पूवर् सचूना देते हुए,
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ऐसी फीस और अ य प्रभार के सदंाय का, जो सं थान उिचत समझ,े अवधारण करना, उ ह िविनिदर् करना और प्रा करना ;
(ञ) सं थान से सबंद्ध या उसम िनिहत सपंि का, सं थान के उ े य के अग्रसरण के िलए, बोडर् के अनुमोदन से, के द्रीय सरकार को सिूचत करत े हुए इस शतर् के अधीन अजर्न करना, उसे धािरत करना और उसका यौहार करना िक ऐसी सपंि पूणर्तया या भािगक प से रा य सरकार अथवा के द्रीय सरकार की िनिधय से अिभप्रा त नहीं की गई है :
पर तु जहां िकसी रा य सरकार या के द्रीय सरकार द्वारा सं थान के िलए भिूम िनःशु क उपल ध कराई गई है, वहा ंऐसी भिूम का ययन केवल के द्रीय सरकार के पवूर् अनुमोदन से िकया जा सकेगा ;
(ट) सं थान के िनदेशक से िभ न सं थान के अधीन शैक्षिणक, प्रशासिनक, तकनीकी, अनुसिचवीय और अ य पद का सजृन तथा उन पर िनयुिक्तयां करना ;
(ठ) सं थान के िकसी कारबार का िनपटारा करने या सं थान से ता पियर्त िकसी िवषय म सलाह देन े के िलए सिमितया ंिनयुक्त करना ;
(ड) सं थान के यय , िजनके अ तगर्त उसकी शिक्तय का प्रयोग करत े हुए और उसके कृ य का पालन करत े हुए उपगत यय भी ह, को चकुाने के िलए अऩुदान और दान तथा अिभदाय प्रा करना और िनिधय को, िजनके अ तगर्त आतंिरक प से जिनत सं थान की िनिधयां भी ह, अिभरक्षा म रखना ;
(ढ) ऐसे अितिरक्त कृ य का पालन करना और सं थान के उ े य के अनकूुल ऐसे नीित िवषयक िनदेश का िक्रया वयन करना, जो के द्रीय सरकार द्वारा उसे समय-समय पर जारी िकए जाए ं;
(ण) भागीदारी, सबंंधन का और विृ क या स मािनत या तकनीकी सद यता या पद के ऐसे अ य वग का, जो सं थान
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आव यक समझे, सजृन करना ; (त) ऐसी अ य सभी बात और िक्रयाकलाप करना, जो
सं थान के सभी या उनम से िकसी उ े य की पूित र् के आनुषंिगक हो ।
सं थान का सभी मलूवशं , पंथ और वग के िलए खलुा होना ।
8. (1) प्र येक सं थान सभी ि त्रय और पु ष के िलए, चाहे वे िकसी भी मलूवंश, पंथ, जाित या वगर् के ह , खुला होगा और सद य , छात्र , िशक्षक या कमर्कार को प्रवशे देने या उनकी िनयुिक् त करने म या िकसी भी अ य बात के सबंंध म धािमर्क िव वास या मा यता का मानदंड या शतर् अिधरोिपत नही ंकी जाएगी ।
(2) कोई भी सं थान िकसी सपंि त की कोई ऐसी वसीयत, उसका सदंान या अतंरण वीकार नहीं करेगा, िजसम बोडर् की राय म इस धारा के भाव और उ े य के िव द्ध कोई शतर् या बा यता अतंग्रर् त है ।
(3) प्र येक सं थान म प्र येक शैक्षिणक पा यक्रम या कायर्क्रम म प्रवेश, ऐसे सं थान द्वारा प्रवेश की प्रिक्रया के प्रारंभ होने के पूवर् उसके प्रो पेक् टस के मा यम से प्रकिटत पारदशीर् और युिक् तयुक् त मानदंड के मा यम से िनधार्िरत योग्यता पर आधािरत होगा :
परंत ु इस धारा की िकसी बात के बारे म यह नहीं समझा जाएगा िक वह सं थान को ि त्रय , िन:शक् त यिक् तय या सामािजक प से या शैक्षिणक प से िपछड़ े वगर् के और िविशि टतया
अनुसिूचत जाित और अनुसिूचत जनजाित के यिक् तय के िनयोजन या प्रवशे के िलए िवशषे उपबंध बनाने से िनवािरत करती है :
पर तु यह और िक प्र येक सं थान के द्रीय िशक्षा सं था (प्रवेश म आरक्षण) अिधिनयम, 2006 के प्रयोजन के िलए के द्रीय िशक्षा सं था होगा ।
2007 का 5
सं थान का लाभ न कमाने वाली
9. (1) प्र येक सं थान लाभ न कमान ेवाली एक िविधक स ा होगी और ऐसे सं थान के राज व म के अिधशषे के, यिद कोई हो, िकसी भाग को, इस अिधिनयम के अधीन उसकी सिंक्रयाओ ंके बारे
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एक सिुभ न िविधक स ा होना ।
म सभी यय को चकुाने के प ात,् ऐसे सं थान की अिभविृद्ध और िवकास अथवा उसम अनुसधंान करने से िभ न िकसी प्रयोजन के िलए िविनिहत नही ंिकया जाएगा ।
(2) प्र येक सं थान अपनी वस प नता और पोषणीयता के िलए िनिधयां जुटाएगा ।
अ याय 3 सं थान के प्रािधकारी
कुला यक्ष । 10. (1) भारत का रा पित, प्र येक सं थान का कुला यक्ष होगा ।
(2) कुला यक्ष, िकसी सं थान के कायर् और प्रगित का पुनिवर्लोकन करन ेके िलए और उस पर िरपोटर्, ऐसी रीित से, जैसे कुला यक्ष िनदेश दे, देन ेके िलए एक या अिधक यिक्तय को िनयुक्त कर सकेगा ।
(3) कुला यक्ष, ऐसी कोई िरपोटर् प्रा होने पर, बोडर् के िवचार, जो तीस िदन के भीतर सिूचत िकए जाएगें, अिभप्रा करने के प ात,् ऐसी कारर्वाई कर सकेगा और ऐसे िनदेश जारी कर सकेगा, जो वह िरपोटर् म चिचर्त िक ही ंिवषय के सबंंध म आव यक समझ ेऔर सं थान ऐसे िनदेश का युिक्तयुक्त समय के भीतर पालन करने के िलए आबद्धकर होगा ।
11. (1) प्र येक सं थान का शासक बोडर्, उस सं थान का प्रधान कायर्पालक िनकाय होगा ।
(2) प्र येक सं थान का बोडर् िन निलिखत से िमलकर बनगेा,-- (क) िवख् यात उद्योगपितय या िशक्षािवद या वजै्ञािनक या
प्रौद्योगतंत्रवािदय म से एक अ यक्ष, िजसकी िनयुिक्त के द्रीय सरकार द्वारा ऐसी रीित म की जाएगी, जो िविहत की जाए ;
(ख) के द्रीय सरकार के दो नामिनदिशती या ऐसे नामिनदिशितय के प्रितिनिध, उनम से एक कद्रीय सरकार के िव सबंधंी कृ य को िन िपत करेगा ;
शासक बोडर् ।
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(ग) सबंंिधत रा य सरकार का एक नामिनदिशती या ऐसे नामिनदिशितय का प्रितिनिध, िजसकी रा यक्षेत्रीय अिधकािरता के भीतर सं थान अवि थत है ;
(घ) उद्योग या सामािजक क्षेत्र या िसिवल सोसाइटी सगंठन से चार िवख्यात यिक् त, िज ह बोडर् द्वारा नामिनिदर् िकया जाएगा और िजनम कम से कम एक मिहला होगी ;
(ङ) संबंिधत सं थान के सकंाय से दो सद य, िज ह अ यक्ष द्वारा नामिनिदर् ट िकया जाएगा ;
(च) अनुसिूचत जाितय या अनुसिूचत जनजाितय से एक यिक् त, जो िशक्षा या उद्योग या सामािजक सेवा या लोक सेवा के क्षते्र म प्रित ठाप्रा त हो, िजसे बोडर् द्वारा नामिनिदर् ट िकया जाएगा ;
(छ) िवद्यमान सं थान के पूवर् छात्र या समाज के सद य म से बोडर् द्वारा सहयोिजत िकए जान े वाले अिधकतम तीन सद य, िज ह ने प्रबंध के क्षेत्र म अपनी प्रित ठा को िसद्ध िकया हो ;
(ज) सं थान का िनदेशक, पदेन सद य । (3) बोडर्, उपधारा (2) के खंड (घ) और खंड (छ) म िनिदर् ट
िकसी सद य की अ थायी िरिक् त को भरन ेके िलए िकसी यिक् त को ऐसी अविध के िलए, जो तीन मास तक की हो सकेगी, नामिनिदर् ट कर सकेगा ।
(4) सं थान का मखु्य प्रशासिनक अिधकारी, बोडर् के सिचव के प म कायर् करेगा और मखु्य प्रशासिनक अिधकारी के न होन ेकी
दशा म, बोडर् सं थान के िकसी अिधकारी को बोडर् के सिचव के प म कायर् करने के िलए नामिनिदर् कर सकेगा ।
(5) अ यक्ष को िक ही ं यिक्तय को, जो बोडर् के सद य न ह , बोडर् की बैठक म भाग लेने के िलए आमिंत्रत करने की शिक्त होगी, िक त ुऐसे आमिंत्रती बठैक म मतदान करन ेके हकदार नहीं ह गे ।
बोडर् की 12. (1) इस अिधिनयम के उपबधं के अधीन रहते हुए, प्र येक
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शिक्तयां और कृ य ।
सं थान का बोडर् सं थान के कायर्कलाप के साधारण अधीक्षण, िनदेशन और िनयंत्रण के िलए उ रदायी होगा और उसे िविनिदर् ट सं थान के उ े य की पिूतर् के िलए िविनयम बनान ेया सं थान के काय को शािसत करन ेवाले िविनयम को सशंोिधत करने या उ ह उपांतिरत करन ेया िवखंिडत करने की शिक् त होगी ।
(2) उपधारा (1) के उपबंध पर प्रितकूल प्रभाव डाले िबना, बोडर् को िन निलिखत शिक् तयां प्रा त ह गी, अथार्त ्:--
(क) सं थान के प्रशासन और कायर्करण से सबंंिधत नीित के प्र न पर िविन चय करना ;
(ख) सं थान के वािषर्क बजट प्राक्कलन की परीक्षा और अनुमोदन करना ;
(ग) सं थान के िवकास के िलए योजना की परीक्षा और अनुमोदन करना तथा योजना के कायर् वयन के िलए िव के ोत का पता लगाना ;
(घ) अ ययन िवभाग , सकंाय या िवद्यालय की थापना करना और सं थान म अ ययन कायर्क्रम या पा यक्रम को आरंभ करना ;
(ङ) देश के भीतर, प्रबधं अ ययन और सबंिंधत क्षेत्र के के द्र, के द्रीय सरकार को सिूचत करते हुए, थािपत करना ;
(च) िडिग्रयां, िड लोम और िवद्या सबंधंी अ य िवशषे उपािधयां या उपािधयां देना और अ येताविृ तया,ं छात्रविृ तया,ं पुर कार और पदक सिं थत और प्रदान करना ;
(छ) स मािनक उपािधयां ऐसी रीित म देना, जो िविनयम द्वारा िविहत की जाए ;
(ज) स मािनक पुर कार और अ य िविश ट उपािधया ंदेना ;
(झ) शैक्षिणक, प्रशासिनक, तकनीकी और अ य पद का सजृन करना तथा उन पर िनयुिक् तयां करना :
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परंत ु ऐसे पद का काडर और वेतनमान का अवधारण कद्रीय सरकार द्वारा िकया जाएगा ;
(ञ) भारत के बाहर, के द्रीय सरकार के पवूर् अनुमोदन से और ऐसे िवदेश की िविधय के उपबधं के अनुसार प्रबंध अ ययन के द्र और सबंंिधत क्षेत्र थािपत करना ;
(ट) ऐसे पद की सखं् या और उपलि धय को िविनयम द्वारा अवधािरत करना तथा शैक्षिणक, प्रशासिनक, तकनीकी और अ य कमर्चािरवृंद के कतर् य और सेवा-शत को पिरभािषत करना ;
(ठ) सं थान के िनदेशक को, ऐसे कायर् प्रदशर्न के उ े य के आधार पर, जो अ यादेश द्वारा अिधकिथत िकए जाएं, पिरवतर्नीय वेतन का सदंाय करना ;
(ड) सं थान म अ ययन पा यक्रम और परीक्षाओ ंके िलए प्रभािरत की जान े वाली फीस को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(ढ) अ यापन िवभाग के बनाए जान ेकी रीित को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(ण) अ येताविृ तय , छात्रविृ तय , छात्र-सहायता विृ तय , पदक और पुर कार के सिं थत िकए जाने को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(त) सं थान के शैक्षिणक, प्रशासिनक, तकनीकी और अ य कमर्चािरवृदं की अहर्ताओ,ं वगीर्करण, पदाविध और िनयुिक् त की पद्धित को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(थ) शैक्षिणक, प्रशासिनक, तकनीकी और अ य कमर्चािरवृदं के फायदे के िलए पशन, बीमा और भिव य िनिधय के गठन को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(द) भवन की थापना और अनुरक्षण को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(ध) सं थान के छात्र के िनवास की शत तथा छात्र
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िनवास और छात्रावास म िनवास के िलए फीस तथा अ य प्रभार के उ ग्रहण को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(न) बोडर् के आदेश और िविन चय के अिधप्रमाणन की रीित को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(प) बोडर्, िवद्या पिरष और िकसी सिमित की बैठक के िलए गणपिूतर् को और उनके कायर्-सचंालन म अनुसरण की जाने वाली प्रिक्रया को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ;
(फ) सं थान की िव तीय जवाबदारी को िविनयम द्वारा िविनिदर् ट करना ; और
(ब) ऐसी अ य शिक्तय का प्रयोग करना और ऐसे अ य कतर् य का पालन करना, जो इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम द्वारा उसे प्रद की जाए या उस पर अिधरोिपत िकए जाए ं। (3) बोडर्, इस अिधिनयम के उपबधं के अधीन रहते हुए,
िविनयम द्वारा बोडर् की ऐसी शिक्तयां और कृ य, िनदेशक को प्र यायोिजत कर सकेगा, जो वह उिचत समझ े।
(4) बोडर्, िनदेशक के कायर् प्रदशर्न का, सं थान के उ े य की पूित र् के सदंभर् म, वािषर्क पुनिवर्लोकन करेगा ;
(5) बोडर्, सं थान के िनगमन के सात वषर् के भीतर, और उसके प चात ्प्र येक पांचव वषर् के अंत म, सं थान के कायर् प्रदशर्न का सि नयम के, जैसे दीघर्कािलक युिक् त और पचंवषीर्य सचंालन योजना के, आधार पर मू यांकन और पनुिवर्लोकन करेगा ।
(6) उपधारा (5) के अधीन मू याकंन और पनुिवर्लोकन की िरपोटर्, बोडर् द्वारा, कद्रीय सरकार को, उस पर की गई कारर्वाई की िरपोटर् के साथ, प्र ततु की जाएगी ।
(7) जहां अ यक्ष या िनदेशक की राय म ि थित इतनी आपाितक है िक सं थान के िहत म त काल िविन चय िकए जाने की आव यकता है, वहा ंअ यक्ष, िनदेशक के परामशर् से अपनी राय के आधार को लेखबद्ध करते हुए, ऐसे आदेश जारी कर सकेगा, जो वह
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आव यक समझ े: पर तु ऐसे आदेश बोडर् की अगली बैठक म अनुसमथर्न के िलए
प्र ततु िकए जाएगें । (8) बोडर्, इस अिधिनयम के अधीन अपनी शिक्तय के प्रयोग
और कृ य के िनवर्हन म के द्रीय सरकार के प्रित जवाबदार होगा । बोडर् के सद य की पदाविध, उनके बीच की िरिक्तयां और उनको सदेंय भ े ।
13. (1) इस धारा म जसैा अ यथा उपबंिधत है, उसके िसवाय, बोडर् के अ यक्ष या पदेन सद य से िभ न िकसी अ य सद य की पदाविध, उसकी िनयुिक्त या नामिनदशन की तारीख से चार वषर् की होगी :
पर तु अ यक्ष को दसूरे कायर्काल के िलए िनयुक्त िकया जा सकेगा ।
(2) िकसी पदेन सद य की पदाविध तब तक बनी रहेगी, जब तक वह ऐसा पद, िजसके आधार पर सद य है, धारण करता है ।
(3) धारा 11 की उपधारा (2) के खडं (ङ) के अधीन नामिनिदर् िकसी सद य की पदाविध उसके नामिनदशन की तारीख से दो वषर् की होगी :
पर तु ऐसे सद य को दसूरी अविध के िलए पुन:नामिनिदर् िकया जा सकेगा िक त ुऐसा दो से अिधक क्रमवतीर् अविधय के िलए नही ंिकया जाएगा ।
(4) बोडर् का, कद्रीय सरकार के या रा य सरकार के नामिनदिशितय से िभ न, ऐसा कोई सद य, जो अ यक्ष की अनुज्ञा के िबना लगातार तीन बठैक म अनपुि थत रहता है, बोडर् का सद य नही ंरह जाएगा ।
(5) िकसी सद य की आकि मक िरिक् त को धारा 11 के उपबंध के अनुसार भरा जाएगा ।
(6) ऐसे िकसी सद य की, िजसे िकसी आकि मक िरिक् त को भरने के िलए नामिनिदर् ट िकया गया है, पदाविध उस सद य की शषे अविध तक बनी रहेगी, िजसके थान पर उसे इस प्रकार
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नामिनिदर् ट िकया गया है । (7) बोडर् का सद य बोडर् की बैठक म भाग लेने के िलए ऐसे
भ का हकदार होगा, जो िविनयम द्वारा िविनिदर् िकए जाएं । (8) बोडर् की बैठक प्र येक तीन मास म कम से कम एक बार
अव य होगी । अ यक्ष का पद याग ।
14. अ यक्ष, कद्रीय सरकार को सबंोिधत और वह ताक्षिरत िलिखत सचूना द्वारा, अपना पद याग सकेगा ।
15. (1) िवद्या पिरष , प्र येक सं थान की प्रधान िवद्या िनकाय होगी, जो िन निलिखत यिक्तय से िमलकर बनगेी, अथार्त ्:--
(क) सं थान का िनदेशक, जो िवद्या पिरष का अ यक्ष होगा ;
(ख) सं थान के िवभागा यक्ष सकंाय या िवद्यालय या के द्र के अ यक्ष ;
(ग) सं थान की अकादमी, अनुसधंान, छात्र िक्रयाकलाप और ऐसे अ य कृ य के भारसाधक सकंाया यक्ष ;
(घ) सं थान के उतन ेपणूर्कािलक सकंाय िजतने बोडर् द्वारा अवधािरत िकए जाएं । (2) िकसी पदेन सद य की पदाविध तब तक बनी रहेगी, जब
तक वह ऐसा पद, िजसके आधार पर सद य है, धारण करता है । (3) उपधारा (1) के खडं (घ) के अधीन नामिनिदर् ट िकसी
सद य की पदाविध उसके नामिनदशन से दो वषर् की होगी ।
िवद्या पिरष ।
16. (1) िवद्या पिरष िन निलिखत कृ य का पालन करेगी, अथार्त ्:--
(क) सं थान द्वारा प्र थािपत अ ययन पा यक्रम या कायर्क्रम म प्रवेश के िलए मापदंड और प्रिक्रया िविनिदर् करना ;
(ख) अ ययन कायर्क्रम और पा यक्रम की शैक्षिणक
िवद्या पिरष की शिक्त और कृ य ।
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अतंवर् त ुिविनिदर् करना तथा उसम उपातंरण करना ; (ग) शैक्षिणक कैले डर, परीक्षाओ ं के सचंालन के िलए
मागर्दशर्क िसद्धांत िविनिदर् ट करना और िडिग्रयां, िड लोम और िवद्या सबंंधी स मान या उपािधयां प्रदान करन े की िसफािरश करना । (2) िवद्या पिरष ऐसी अ य शिक्तय का प्रयोग और ऐसे अ य
कृ य का िनवर्हन करेगी जो इस अिधिनयम या िविनयम द्वारा या बोडर् द्वारा उसे स प ेजाए ं।
17. (1) िनदेशक, सं थान का मखु्य कायर्पालक अिधकारी होगा और सं थान को नेतृ व प्रदान करेगा और बोडर् के िविन चय के कायार् वयन के िलए उ रदायी होगा ।
(2) िनदेशक की िनयुिक् त कद्रीय सरकार द्वारा कुला यक्ष के अनुमोदन से सेवा के ऐसे िनबंधन और शत पर की जाएगी, जो िविहत िकए जाए ं।
(3) िनदेशक की िनयुिक् त बोडर् द्वारा गिठत की जाने वाली खोजबीन-सह-चयन सिमित द्वारा िसफािरश िकए गए नाम के पैनल म से की जाएगी । यह सिमित िन निलिखत से िमलकर बनेगी,--
(i) बोडर् का अ यक्ष जो खोजबीन-सह-चयन सिमित का अ यक्ष होगा ;
(ii) िवख्यात प्रशासक , उद्योगपितय , िशक्षािवद , वैज्ञािनक , प्रौद्योगिवद और प्रबंध िवशषेज्ञ म से चनु ेगए तीन सद य ;
(iii) मानव ससंाधन िवकास मतं्रालय का नामिनदिशती : परंत ु जहा ं कुला यक्ष का खोजबीन-सह-चयन सिमित की
िसफािरश से समाधान नहीं होता है, वहा ं वह खोजबीन-सह-चयन सिमित से नए िसरे से िसफािरश करन ेकी अपके्षा कर सकेगा ।
(4) िनदेशक ऐसी शिक् तय का प्रयोग और ऐसे कतर् य का पालन करेगा, जो इस अिधिनयम या िविनयम के अधीन उसे स प ेजाए ंया जो बोडर् द्वारा उसे प्र यायोिजत िकए जाएं :
िनदेशक ।
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परंत ुबोडर्, िनदेशक द्वारा अपनी शिक् तय के प्रयोग और अपने कतर् य के पालन म अनुसरण िकए जान े वाले ऐसे मानदंड को अिधकिथत कर सकेगा, िजनका, बोडर् द्वारा प्रित वषर् मू यांकन िकया जाएगा और यिद बोडर् की यह राय है िक ऐसे मानदंड का अनुसरण नही ंिकया गया है तो, बोडर् िनदेशक को सनुवाई का अवसर देने के प चात,् कद्रीय सरकार को, उस िनदेशक को हटाए जाने के पवूर् जांच करान ेकी िसफािरश कर सकेगा ।
(5) िनदेशक, यागपत्र देन ेया पद से हटाए जान े के िसवाय, उस तारीख से, िजसको वह अपना पद ग्रहण करता है, पाचं वषर् की अविध तक पद धारण करेगा ।
(6) िनदेशक, के द्रीय सरकार को सबंोिधत और वह ताक्षिरत िलिखत सचूना द्वारा िकसी भी समय अपना पद याग सकेगा ।
(7) कद्रीय सरकार, ऐसे िनदेशक को पद से हटा सकेगी,-- (क) जो िदवािलया अिधिनणीर्त िकया गया है ; या (ख) िजसे ऐसे िकसी अपराध के िलए िसद्धदोष ठहराया
गया है िजसम कद्रीय सरकार की राय म निैतक अधमता अतंग्रर् त है ; या
(ग) जो िनदेशक के प म शारीिरक या मानिसक प से कायर् करन ेके िलए असमथर् हो गया है ; या
(घ) िजसन ेऐसा िव तीय या अ य िहत अिजर्त कर िलया है िजसके कारण िनदेशक के प म उसके कृ य पर प्रितकूल प्रभाव पड़न ेकी सभंावना है ; या
(ङ) अपने पद का इस प्रकार दु पयोग िकया है या वयं इस प्रकार आचरण िकया है िजसके कारण उसका पद पर बने रहना लोकिहत म हािनकारक है : पर तु िनदेशक को सिं थत की गई ऐसी िकसी जांच के प चात,्
िजसम िनदेशक को उसके िव द्ध लगाए गए आरोप की सचूना और उन आरोप के सबंंध म सनुवाई का युिक्तयुक्त अवसर िदया गया हो, कद्रीय सरकार द्वारा िकए गए िकसी आदेश के िसवाय, उसके पद स े
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नही ंहटाया जाएगा । (8) जहां िनदेशक का पद सेवा-अविध पूरी होने के कारण िरक्त
होन ेकी सभंावना है, वहां बोडर् ऐसी िरिक् त होन े के नौ मास पूवर् िनयुिक् त की प्रिक्रया आरंभ करेगा ।
(9) जहां िनदेशक का पद सेवा-अविध पूरी होने से िभ न िकसी कारणवश िरक्त होता है, वहां बोडर् द्वारा िनयुिक्त की प्रिक्रया ऐसी िरिक्त के एक मास के भीतर आरंभ की जाएगी और वह प्रिक्रया यथासंभव शीघ्र पूरी की जाएगी :
पर तु यिद बोडर् एक कैले डर मास के भीतर प्रिक्रया आरंभ करन े म असफल रहता है, तो के द्रीय सरकार, कुला यक्ष के अनुमोदन से खोजबीन-सह-चयन सिमित का गठन करेगी और कुला यक्ष को नाम के एक पैनल की िसफािरश करेगी ।
18. (1) प्र येक सं थान के मखु्य प्रशासिनक अिधकारी की िनयुिक्त ऐसे िनबंधन और शत पर की जाएगी, जो िविनयम द्वारा िविनिदर् ट िकए जाएं ।
(2) मखु्य प्रशासिनक अिधकारी सं थान के अिभलेख , उसकी सामा य मदु्रा, िनिधय और ऐसी अ य सपंि का अिभरक्षक होगा, जो बोडर् उसके भारसाधन म सपुुदर् करे ।
(3) मखु्य प्रशासिनक अिधकारी, बोडर् और ऐसी सिमितय के, जो िविनयम द्वारा िविनिदर् ट की जाए,ं सिचव के प म कायर् करेगा ।
(4) मखु्य प्रशासिनक अिधकारी अपने कृ य के उिचत िनवर्हन के िलए िनदेशक के प्रित उ रदायी होगा ।
(5) मखु्य प्रशासिनक अिधकारी ऐसी अ य शिक्तय का प्रयोग और ऐसे अ य कतर् य का पालन करेगा जो उसे इस अिधिनयम या िविनयम द्वारा या बोडर् द्वारा या िनदेशक द्वारा स पे जाए ं।
(6) मखु्य प्रशासिनक अिधकारी के न होन ेकी दशा म, बोडर् िकसी अिधकारी को, मखु्य प्रशासिनक अिधकारी के कुछ या सभी कृ य का पालन करन ेके िलए नामिनिदर् कर सकेगा ।
मखु्य प्रशासिनक अिधकारी ।
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19. अनुसचूी के तंभ (3) के अधीन क्रम सखं् यांक 1 और क्रम सखं् यांक 2 म िनिदर् ट सोसाइिटय के सद य को त थानी सं थान के सबंंिधत बोड द्वारा, उ ह सलाहकारी सहायता प्रदान करन ेके िलए, उस िनिम त एक सकं प पािरत करके काम पर लगाया जा सकेगा ।
सोसाइटी के सद य की भिूमका ।
20. (1) बोडर्, िविनयम द्वारा, सं थान की ऐसी सिमितय और अ य प्रािधकरण का गठन कर सकेगा और ऐसी प्र येक सिमित और प्रािधकरण के कतर् य और कृ य को िविनिदर् कर सकेगा ।
(2) बोडर् सं थान के काय के समिुचत प्रबंधन के िलए उतनी तदथर् सिमितय का गठन कर सकेगा, िजतनी वह उिचत समझ े।
सिमितयां और अ य प्रािधकरण ।
21. (1) इस अिधिनयम के पवूर्गामी उपबधं पर प्रितकूल प्रभाव डाले िबना, सं थान इस अिधिनयम के दक्षतापणूर् प्रशासन के िलए नीित िवषयक प्र न पर ऐसे िनदेश देने के िलए आबद्धकर होगा, जो कद्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर िलिखत म िदए जाए ं।
(2) इस बारे म िक कोई प्र न नीितिवषयक प्र न है या नहीं, कद्रीय सरकार का िविन चय अिंतम होगा ।
िनदेश देने की कद्रीय सरकार की शिक् त ।
अ याय 4 लेखा और सपंरीक्षा
कद्रीय सरकार द्वारा अनुदान ।
22. कद्रीय सरकार, इस अिधिनयम के अधीन सं थान को अपने कृ य का िनवर्हन करने म समथर् बनाने के प्रयोजन के िलए, ससं द्वारा इस िनिम िविध द्वारा िकए गए स यक् िविनयोग के प चात ्प्र येक सं थान को ऐसी धऩरािशय का सदंाय ऐसी रीित म कर सकेगी, जो वह ठीक समझ े।
सं थान की िनिध ।
23. (1) प्र येक सं थान एक िनिध बनाए रखेगा, िजसम िन निलिखत को जमा िकया जाएगा,--
(क) कद्रीय सरकार द्वारा उपल ध कराई गई सभी धनरािशयां ;
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(ख) सं थान द्वारा प्रा त सभी फीस और अ य प्रभार ; (ग) सं थान द्वारा अनुदान , दान , संदान , उपकृितय ,
वसीयत या अतंरण के प म प्रा सभी धऩरािशयां ; (घ) सं थान द्वारा िकए गए अनुसधंान से उद्भतू बौिद्धक
सपंदा के उपभोग से या उसके द्वारा सलाहकारी या परामशर्कारी सेवाएं प्रदान करन ेसे सं थान द्वारा प्रा सभी धनरािशयां ; और
(ङ) सं थान द्वारा िकसी अ य रीित से या िकसी अ य ोत से प्रा त सभी धनरािशयां । (2) प्र येक सं थान की िनिध म जमा की गई सभी धनरािशय
को ऐसे बक म जमा िकया जाएगा या ऐसी रीित से िविनिहत िकया जाएगा, जो सं थान, बोडर् के अनुमोदन से, िविनि चत करे ।
(3) प्र येक सं थान, सं थान की दीघर्कािलक पोषणीयता के िलए एक समग्र िनिध का सजृन करेगा, िजसम सं थान की शुद्ध आय और ऐसी समग्र िनिध के म ेिविनिदर् ट प से िकए गए सदंान के उतने प्रितशत को जमा िकया जाएगा, िजतना कद्रीय सरकार, आय-कर अिधिनयम, 1961 के उपबंध के अनुसार अिधसिूचत करे ।
(4) िकसी भी सं थान की िनिध का उपयोग सं थान के यय को, िजनके अतंगर्त इस अिधिनयम के अधीन अपनी शिक् तय के प्रयोग और अपन ेकृ य के िनवर्हन म उपगत यय भी ह, पूरा करन ेके िलए िकया जाएगा ।
1961 का 43
लेखे और सपंरीक्षा ।
24. (1) प्र येक सं थान उिचत लेखे, िजनके अंतगर्त आय और यय िववरण, आतंिरक सपंरीक्षा िरपोटर् और आतंिरक सपंरीक्षक द्वारा सपंरीिक्षत िववरण भी ह, िजनम िविनधान को िविनिदर् ट िकया गया हो और अ य ससुगंत अिभलेख बनाए रखेगा तथा लेखाओं का एक वािषर्क िववरण, िजसके अतंगर्त तलुनपत्र भी है, ऐसे प्र प म और ऐसे लेखांकन मानक म तैयार करेगा, जो कद्रीय सरकार द्वारा, भारत के िनयंत्रक-महालेखापरीक्षक के परामशर् से, अिधसूचना द्वारा िविनिदर् ट िकए जाएं ।
(2) जहां सं थान का आय- यय िववरण तथा तुलनपत्र लेखांकन
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मानक के अनुपालन म नही ं है, वहा ं सं थान अपन े आय- यय िववरण और तुलनपत्र म िन निलिखत का प्रकटन करेगा, अथार्त ्:--
(क) लेखांकन मानक से िवचलन ; (ख) ऐसे िवचलन के कारण ; और (ग) ऐसे िवचलन से उद्भतू होन ेवाला िव ीय प्रभाव, यिद
कोई हो । (3) प्र येक सं थान के लेखाओं की सपंरीक्षा भारत के िनयंत्रक-
महालेखापरीक्षक द्वारा की जाएगी और ऐसी सपंरीक्षा के संबंध म सपंरीक्षा दल द्वारा उपगत कोई यय सं थान द्वारा भारत के िनयंत्रक-महालेखापरीक्षक को सदेंय होगा ।
(4) भारत के िनयंत्रक-महालेखापरीक्षक को और सं थान के लेखाओ ंकी सपंरीक्षा के सबंंध म उसके द्वारा िनयुक् त िकसी यिक् त को वे ही अिधकार, िवशषेािधकार और प्रािधकार प्रा त ह गे जो भारत के िनयंत्रक-महालेखापरीक्षक को सरकारी लेखाओ ं की सपंरीक्षा के सबंंध म प्रा त ह और िविशि टतया बिहयां, लेखे, सबंिंधत वाउचर और अ य द तावेज तथा कागजपत्र पेश िकए जाने की मांग करने और सं थान के कायार्लय का िनरीक्षण करने का अिधकार होगा ।
(5) भारत के िनयंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा या उसके द्वारा इस िनिम त िनयुक् त िकसी अ य यिक् त द्वारा यथाप्रमािणत प्र येक सं थान के लेखे, उस पर सपंरीक्षा िरपोटर् के साथ, प्रित वषर् कद्रीय सरकार को अगे्रिषत िकए जाएंगे और वह सरकार उ ह ऐसी प्रिक्रया के अनुसार, जो कद्रीय सरकार द्वारा अिधकिथत की जाए, ससं के प्र येक सदन के समक्ष रखवाएगी ।
सं थान द्वारा लेखा बिहय को बनाए रखा जाना ।
25. प्र येक सं थान िन निलिखत के सबंधं म उिचत अद्यतन लेखा बिहयां रखेगा :--
(क) उसके द्वारा प्रा त तथा खचर् की गई सभी धनरािशयां और वे िवषय, िजनकी बाबत प्राि त तथा यय होता है ;
(ख) सं थान की आि तयां और दािय व ;
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(ग) सं थान की जगंम और थावर सपंि यां । प टीकरण—इस धारा के प्रयोजन के िलए, यिद लेखा बिहय
के कायर्कलाप का उसके सं यवहार का सही और ऋज ुिचत्रण िकया जाता है तो उ ह उसम िविनिदर् ट िवषय के सबंंध म उिचत लेखा बिहयां समझा जाएगा ।
1971 का 56
26. (1) प्र येक सं थान का बोडर् प्र येक िव ीय वषर् की समाि त के पूवर् और िनयंत्रक-महालेखापरीक्षक (कतर् य, शिक्तयां तथा सेवा की शत) अिधिनयम, 1971 म या सं थान द्वारा लेखाओं की सपंरीक्षा सबंंधी उपबंध अतंिवर् करन ेवाली त समय प्रवृ िकसी अ य िविध म अंतिवर् ट उपबधं पर प्रितकूल प्रभाव डाले िबना, ऐसे सं थान के तुलनपत्र तथा आय और यय िववरण की सवंीक्षा करने के िलए ऐसे सपंरीक्षक, िजनके अतंगर्त आतंिरक सपंरीक्षक भी ह, ऐसे पािर िमक पर, जो वह समिुचत समझे, िनयुक् त करेगा :
परंत ुबोडर्, प्र येक चार वष के प चात ्सपंरीक्षक को बदल देगा ।
(2) प्र येक सं थान का बोडर्, आतंिरक िनयंत्रण प्रणाली, जोिखम प्रबधंन तथा सपंरीक्षा िरपोटर् की प्रभावकािरता पर बोडर् को िवशषेज्ञ सलाह देन ेके िलए एक सपंरीक्षा सिमित का गठन करेगा ।
(3) उपधारा (1) के अधीन िनयुक् त सपंरीक्षक या उसके द्वारा िनयोिजत िकसी यिक्त का सं थान के प्रशासन या कृ य से सबंंिधत या सबंद्ध िकसी िवषय म कोई प्र यक्ष या अप्र यक्ष िहत, चाहे वह धनीय हो या अ यथा, नहीं होगा ।
सपंरीक्षक की िनयिुक्त ।
िनदेशक की वािषर्क िरपोटर् ।
27. (1) धारा 28 के अधीन प्र येक सं थान के बोडर् के समक्ष उसके िनदेशक द्वारा िन निलिखत के सबंधं म रखे गए प्र येक लेखा िववरण के साथ एक िरपोटर् सलंग्न की जाएगी,--
(क) ऐसे सं थान के कायर्कलाप की ि थित ; (ख) ऐसी रकम, यिद कोई ह , िजनको वह अपन ेतुलनपत्र
म की िक ही ंअिधशषे आरिक्षितय म जमा करने का प्र ताव करे ;
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(ग) वह सीमा, िजस तक सपंरीक्षक की िरपोटर् म यय पर आय के िकसी अिधशषे का िववरण म अ प कथन या अिधक कथन उपदिशर्त िकया गया है, तथा िववरण म ऐसे अ पकथन या अिधक कथन के कारण ;
(घ) सं थान द्वारा हाथ म ली गई अनुसधंान पिरयोजनाओ ंकी उ पादकता, िजसको िक ऐसे सि नयम के अनुसार, जो बोडर् द्वारा िविनिदर् िकए जाएं, मापा गया हो ;
(ङ) सं थान के अिधकािरय और सकंाय सद य की िनयुिक् तया ं;
(च) सं थान द्वारा िनधार्िरत कायर् प्रदशर्न सकेंतक और आतंिरक मानक, िजनम अ यापन, शोध और ज्ञान के उपयोजन म नवाचार की प्रकृित भी सि मिलत है । (2) िनदेशक की िरपोटर् म एक िववरण भी सि मिलत होगा,
िजसम सं थान के ऐसे पांच अिधकािरय के, िजसके अतंगर्त सकंाय के सद य और अ य कमर्चारी भी ह, नाम, िज ह न े िव ीय वषर् के दौरान अिधकतम पािर िमक (िजसके अतंगर्त भ े तथा ऐसे कमर्चारी को िकए गए अ य सदंाय भी ह) प्रा त िकया है तथा िव ीय वषर् के दौरान ऐसे कमर्चारी द्वारा िकए गए अिभदाय दिशर्त ह ।
(3) उपधारा (2) म िनिदर् ट िववरण म यह बात िक क्या ऐसा कोई कमर्चारी सं थान के बोडर् या िवद्या पिरष के िकसी सद य का नातेदार है और यिद ऐसा है तो ऐसे सद य का नाम तथा ऐसी अ य िविशि टयां, जो बोडर् द्वारा अवधािरत की जाए,ं उपदिशर्त की जाएंगी ।
(4) िनदेशक सपंरीक्षक की िरपोटर् म अतंिवर् ट प्र येक आरक्षण, अहर्ता या प्रितकूल िट पणी के सबंधं म उपधारा (1) म िनिदर् ट िरपोटर् म पूणर् जानकारी और प ीकरण देन ेके िलए आबद्धकर होगा ।
बोडर् द्वारा लेखा िववरण पर िवचार िकया
28. (1) ऐसा लेखा िववरण, िजसके अंतगर्त तलुनपत्र तथा आय और यय िववरण भी है, संपरीक्षक की ऐसी िरपोटर्, िनदेशक की ऐसी िरपोटर् और ऐसे अ य द तावजे, िज ह ऐसे िववरण के साथ उपाबद्ध
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जाना । या सलंग्न िकया जाना अपेिक्षत है, सबंद्ध सं थान के बोडर् के समक्ष उसकी बैठक म, िव ीय वषर् की समाि त से तीन मास के अपश ्चात,् लाए जाएगें ।
(2) उपधारा (1) म िनिदर् ट प्र येक लेखा िववरण की एक प्रित बैठक की तारीख से कम से कम इक्कीस िदन पूवर् बोडर् के प्र येक सद य को भेजी जाएगी ।
(3) उपधारा (1) म िनिदर् लेखाओ ंका िववरण बोडर् द्वारा उसका अनुमोदन िकए जान ेपर सं थान की वेबसाइट पर प्रकािशत िकया जाएगा ।
29. (1) प्र येक सं थान की वािषर्क िरपोटर्, िजसके अंतगर्त अ य िवषय के साथ-साथ, सं थान द्वारा अपन ेउ े य को पूरा करन ेके प्रित उठाए गए कदम तथा ऐसे सं थान म िकए जा रहे अनुसधंान का पिरणाम आधािरत िनधार्रण भी है, बोडर् के िनदेशाधीन तैयार की जाएगी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन तयैार की गई वािषर्क िरपोटर् बोडर् के समक्ष ऐसी तारीख को या उसके पूवर्, प्र ततु की जाएगी, जो िविनिदर् की जाए और बोडर् अपनी वािषर्क बैठक म उस िरपोटर् पर िवचार करेगा ।
(3) वािषर्क िरपोटर्, बोडर् द्वारा उसका अनुमोदन िकए जाने पर, सं थान की वेबसाइट पर प्रकािशत की जाएगी ।
(4) प्र येक सं थान की वािषर्क िरपोटर् कद्रीय सरकार को प्र ततु की जाएगी, जो प्रा त होने के प चात ्यथासभंव शीघ्र ससं के दोन सदन के समझ उसे रखवाएगी ।
सं थान की वािषर्क िरपोटर् ।
अ याय 5 सम वय मचं
30. (1) सभी सं थान के िलए, ऐसी तारीख से, जो कद्रीय सरकार, अिधसचूना द्वारा, इस िनिम िविनिदर् करे, एक सम वय मचं की थापना की जाएगी ।
(2) सम वय मचं िन निलिखत सद य से िमलकर बनेगा,
सम वय मचं की थापना ।
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अथार्त ्:-- (क) तकनीकी िशक्षा का प्रशासिनक िनयतं्रण रखने वाले
कद्रीय सरकार के मतं्रालय या िवभाग का भारसाधक मतं्री, पदेन अ यक्ष ;
(ख) तकनीकी िशक्षा का प्रशासिनक िनयंत्रण रखने वाले कद्रीय सरकार के मतं्रालय या िवभाग का भारसाधक रा य मतं्री, पदेन ;
(ग) चक्रानुक्रम से, प्र येक वषर्, ऐसी रा य सरकार के, िजनम सं थान अवि थत ह, तकनीकी िशक्षा के भारसाधक चार मतं्री, पदेन ;
(घ) तकनीकी िशक्षा का प्रशासिनक िनयंत्रण रखने वाले कद्रीय सरकार के मतं्रालय या िवभाग का भारसाधक सिचव, भारत सरकार, पदेन ;
(ङ) प्र येक सं थान के बोडर् का अ यक्ष, पदेन ; (च) प्र येक सं थान का िनदेशक, पदेन ; (छ) िशक्षा जगत तथा लोक सेवा से प्रिति ठत तीन
यिक् त, िजनम से कम स ेकम एक मिहला होगी और िज ह सम वय मचं द्वारा सं थाओ ंद्वारा िसफािरश िकए गए नाम के पैनल से नामिनदिशत िकया जाएगा :
परंत ुप्रथम सम वय मचं म नामिनदशन के िलए ऐसी कोई िसफािरश अपेिक्षत नहीं होगी ;
(ज) तकनीकी िशक्षा का प्रशासिनक िनयतं्रण रखने वाले कद्रीय सरकार के मतं्रालय या िवभाग म भारत सरकार के सयंुक् त सिचव से अिन न पंिक् त का एक अिधकारी, पदेन सद य-सिचव । (3) सम वय मचं से सबंंिधत सभी यय की पिूतर् कद्रीय
सरकार द्वारा की जाएगी ।
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(4) उपधारा (2) के खडं (छ) म िनिदर् ट सद य की पदाविध उसके नामिनदशन की तारीख से तीन वषर् की होगी ।
(5) सम वय मचं के सद य सम वय मचं की बठैक म भाग लेन े के िलए ऐसे यात्रा और अ य भ के िलए हकदार ह गे, जो िविहत िकए जाए ं।
सम वय मचं के कृ य ।
31. (1) सम वय मचं सभी सं थान के कायर् प्रदशर्न को बढ़ाने की ि ट से अनुभव , िवचार और प्रसगं को साझा करन ेको सकुर बनाएगा ।
(2) उपधारा (1) के उपबंध पर प्रितकूल प्रभाव डाले िबना, सम वय मचं िन निलिखत कृ य का पालन करेगा, अथार्त ्:--
(क) कद्रीय सरकार को छात्रविृ यां, िजनके अंतगर्त अनुसधंान के िलए तथा अनुसिूचत जाित और अनसुिूचत जनजाित के छात्र तथा अ य सामािजक प से तथा शिैक्षक ि ट से िपछड़ ेवग के नागिरक के फायदे के िलए छात्रविृ या ंभी ह, सिं थत िकए जान ेकी िसफािरश करना ;
(ख) सं थान के समान िहत के ऐसे िवषय पर िवचार िवमशर् करना, जो िकसी भी सं थान द्वारा उसे िनिदर् ट िकए जाए ं;
(ग) सं थान के कामकाज म आव यक सम वय और सहयोग का सवंधर्न करना ;
(घ) नीित िवषयक उ े य की पिूत र् का पुनिवर्लोकन करना ; और
(ङ) ऐसे अ य कृ य का पालन करना, जो कद्रीय सरकार द्वारा उसे िनिदर् िकए जाएं । (3) सम वय मचं उतनी सिमितय का गठन कर सकेगा,
िजतनी वह इस धारा के अधीन अपने कृ य के िनवर्हन के िलए आव यक समझ े।
(4) सम वय मचं का अ यक्ष साधारणतया सम वय मचं की बैठक म अ यक्षता करेगा और उसकी अनुपि थित म बठैक म
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उपि थत सद य द्वारा अपने म से चनुा गया कोई अ य सद य बैठक की अ यक्षता करेगा ।
(5) सम वय मचं उपधारा (2) के अधीन अपने कृ य की एक िरपोटर् कद्रीय सरकार को प्र तुत करेगा ।
(6) सम वय मचं एक कैलडर वषर् म कम से कम दो बार बैठक करेगा ।
अ याय 6
प्रकीणर्
32. इस अिधिनयम या िविनयम के अधीन गिठत िकसी सं थान या बोडर् या िवद्या पिरष या िकसी अ य िनकाय का कोई कायर् केवल इस कारण अिविधमा य नही ंहोगा िक,--
(क) उसम कोई िरिक् त है या उसके गठन म कोई त्रिुट है ; या
(ख) उसकी प्रिक्रया म कोई ऐसी अिनयिमतता है, जो मामले के गणुावगुण पर प्रभाव नहीं डालती है ; या
(ग) उसके सद य के प म कायर् करन ेवाले िकसी यिक् त के चयन, नामिनदशन या िनयुिक्त म कोई त्रिुट है ।
िरिक्तय , आिद से काय या कायर्वािहय का अिविधमा य न होना ।
33. प्र येक सं थान, कद्रीय सरकार को अपनी नीितय या िक्रया�