R(=B< B

9
( I M P E R I A L I S T A P P R O A C H O F H I S T O R Y ) . , , ( . .) ( . .II ) :

Transcript of R(=B< B

  • इ�तहास का सा�ा�यवाद� उपागम

    (IMPERIALIST APPROACH OF HISTORY)

    डॉ.�व�जीत �स�ह परमार

    �ाचीन भारतीय इ�तहास स�ंकृ�त एवं परुात�व अ�ययनशाला,�व�म �व��व�ालय, उ�ैन(म.�.)

    (एम.ए. II समेे�टर)

    ��तावना :

  • अतीत को जानने और समझने क�अ�भलाषा मनु�य मा�कानैस�ग�क �वभाव ह|ै इस �कार क� �ज�ासा से ही इ�तहास काज�म होता ह|ै इस �कार �ाचीन काल से ही �व� के सभीस�यता� म� अतीत को जानने तथा समझने क� �ज�ासा रहीहै तथा इसी �ज�ासा के कारण हम �ाचीनकाल से ही�वकासमान मानव समाज� म� इ�तहास का �ारंभ और �वकासपाते ह �| यगु क� ग�तशीलता के कारण सामा�जकआव�यकता�का �व�प या तो �वक�सत होता रहा अथवाप�रव�त �त| व�ततुः समाज क�आव�यकताएं इ�तहास क�अवधारणा का मु�यआधार होती है और इ�तहासकार �ाराइ�ह�सामा�जकआव�यकता� के प�रवेश म� इ�तहास �लखाजाता ह|ै

    अतः हम कह सकते ह � �कसामा�जकआव�यकताइ�तहासकार क� इ�तहास स�बधंी अवधारणा को �भा�वतकरती ह|ै इ�तहासकार अपने यगु के ���कोण तथा अपने���गत ���कोण से अतीत क� घटना�को देखता है औरचू�ंक इ�तहासकार का���गत ���कोण समय के साथबदलता रहता ह,ै इसी कारण उसके यगु-यगुीन इ�तहास के ��तभी �वचार� म� प�रवत�न �दखाई देता ह|ै �ारंभ म� �व�ान� नेइ�तहास के ��त धम�वाद� ���कोण को अपनाया परंतुकाला�तर म� सामा�जकआव�यकता� के अनु�प

  • इ�तहासकार� ने इ�तहास के ��त �ा�यवाद� एवं सा�ा�यवाद����कोण को अपनाया|

    इ�तहास के सा�ा�यवाद� उपागम(���कोण) के�ारभं क� प�ृभू�म :

    मानव स�यता के �ारंभ म� वै�ा�नक ���कोण के अभाव म�इ�तहास लखेन धम� से अ�य�धक �भा�वत था, �जसके कारणपथृक्-पथृक धा�म�कअवधारना�का �वकास �आऔर �ायःम�यकाल तक स�ूण� �व� म� इ�तहास लखेन म� धम� स�बधंीउपागम पर अ�धक बल �दया गया| इ�तहास क� ��यके घटना,उ�ान-पतन तथा जय-पराजय के मूल म� ई�रीय इ�ा को�वशषे�प से उ�रदायी माना गया| बात चाहे �ह��(भारतीय)धम�, ईसाई धम� या य�द� धम� क� हो अथवा पारसी, इ�लाम याकोई अ�य धम� क�, सभी धम� ने इ�तहास म� दैवी �वधान देखा�जसम����कोई ह�त�पे नह�कर सकता|

    जैसा �कलाड� मैकाले ने कहा था �क य�द �कसी देश को गुलामबनाना हो तो उस देश क� स�ंकृ�त एवं स�यता को �वकृत करवहां के जनमानस म� हीन भावना भर दो| इसी मान�सकता से

  • ��ेरत होकर ��टेन के उपयो�गतावाद� �वचारक� जे�स �मल,वी.बी मैकाल,े �शरोलआ�द ने इ�तहास के सा�ा�यवाद�उपागम को अपनाया ता�कभारत म� ���टश सा�ा�य क�जड़ेमज़बतू ह�और उसे�ा�य�व एवं �ढ़ता �दान क�जा सके|उनक� ��� म� समकालीन भारतीय समाज अ�य�धक �पछड़ा�आथा,अतः उसका क�याण एवं �हत अ�ेंज� के अधीन रहनेएवं प��मीकरण का माग� अपनाने म� ही ह|ै

    इ�तहास के सा�ा�यवाद� उपागम का �वकास:

    इ�तहास के सा�ा�यवाद� उपागम के �वकास म� �लासी एवंब�सर के य�ु� क� मह�वपणू� भू�मका रही| व�ततुः य�ु� केबाद भारत म� ���टश शासन क�जड़े मज़बतू होनी श�ु ��औरअ�ेंज� ने शासन सचंालन क� स�ुवधा एवं �चार-�सार क� ���से भारतीय इ�तहास क�ओर ���पात �कयाऔर अपनेसा�ा�यवाद� �हत�को �यान म� रखते �ए भारतीय इ�तहासलखेन को ��ेरत �कया|

    इस �कार सा�ा�यवाद� इ�तहास लखेन क� परंपरा का धीरे-

  • धीरे �वकास होता गया|

    इ�तहास का सा�ा�यवाद� उपागम :

    उ�ीसव� सद� म� यरूोपीय देश�क� बढ़ती �ई उप�नवेशवाद��वृ�� के फल�व�प इ�तहास के सा�ा�यवाद� उपागम कोबढ़ावा �मला| इं�ल �ड,�ासं, जम�नी आ�द उप�नवेशवाद� एवं�व�तार वाद� श��य� ने ए�शया,अ��का एवं अमे�रका के�व�भ� भाग� पर अपना राजनै�तक,आ�थ�क, स�ैनक एवंसा�ंकृ�तकआ�धप�य�ा�पत करने के �लए �व�भ� उपाय�कासहारा �लया| उ�ह� उपाय� म� से एक था इ�तहास केसा�ा�यवाद� ���कोण को बढ़ावा देना �जसक�झलक हमेलोएस �ड�क�सन, कूपल �डआ�द के �वचार� म� �मलती ह|ैलोएस �ड�क�सन ने कहा-“�ह�� इ�तहासकार नह� थे”|आर.कूपल �ड ने कहा �क-“ भारतीय रा�वाद तो अ�ेंजी राज क�ही सतं�त ह|ै 1884 ईसव� म� जॉन ��ेची ने क� ��ज�व��व�ालय के छा�� को सबंो�धत करते �ए कहा था �क-भारत के �वषय म� जानने यो�य सबसे पहली तथा �मुख बात

  • यह है �कभारत न एक ह,ै न एक था और न कभी एक होगा|व�ततुः जे�स �मल, लाड� मैकाल,े �ांट डफ तथा ए��फ ��टन जैसेअनेक सा�ा�यवाद� इ�तहासकार� ने भारत को एक देश नह�अ�पतु एक उपमहा��प माना तथा भारत म� रा� श�द का �योगनकारा�मक�प म� �कया| इस �कार सा�ा�यवाद�इ�तहासकार� ने अपने लखेन के �ारा �न�न�ल�खत दो बात�को�स�करने का �यास �कया-

    �थम तो यह �क यरूोप(अ�ेंज़)आ�द के लोग भारतीय� से��यके मामले म� ��े ह �, �सरी, भारत के �लए ��यके ��े म����टश शासन ई�रीय वरदान के समान ह|ै जॉन ��ेची,मालसेन, लाड� मैकाल,े �व�स �ट ��मथ जैसे अनेक सा�ा�यवाद�इ�तहासकार�का �वचार था �क ‘भारत एक रा�क�अप�ेाअलग-अलग धम�, जा�तय� एवं कबील� वाला देश है जहाँराजनी�तक फूट, छुआछूत,अधं�व�ास,��ढ़वा�दता काबोलबाला ह|ैअतः वह अपना �वयं का शासन सचंा�लत करनेम� असमथ� ह|ैअ��ेड लायल ने भी कहा �क ���टश शासनभारतीय�को �वयं के शासन के �लए तयैार कर रहा ह|ै

    व�ततुः 1857 ई.क��ा�ंतकारी घटना ���टश सा�ा�यवाद�मह�वका�ंा के �लए व�पात �स� �ई फ़ल�व�प, ���टश

  • �शासक तथा इ�तहासकार सजग हो उठे|अब उ�ह�ने ‘फूटडालो और शासन करो’क� नी�त अपनाई और इसी नी�त केतहत इ�तहास लखेन पर जोर देना श�ु �कया| इनसा�ा�यवाद� इ�तहासकार� ने 1857क� देश�ापी �ा�ंतकारीघटना को मा� ‘�सपाही �व�ोह’कह कर उसे सामा�य घटनाबताने का �यास �कयाऔर म�यकालीन भारतीय इ�तहास क�कुछ �खद सा�ंदा�यक घटना�को उ�धतृ करते �ए �ह��-मु��लम एकता को तोड़ने का �यास �कया ता�क उनकेसा�ा�यवाद� �हत�क� प�ूत � हो सके| सा�ा�यवाद�इ�तहासकार�का भारत के रा�ीय आदंोलन के ��त भीनकारा�मक ���कोण रहा ह|ै उनके अनुसार भारत केआदंोलनका�रय�का समूह व�ततुः ‘पढ़े-�लखे मु�� भर लोग� काएक �वाथ� एवं गैर-�ज़�मेदार समूह ह,ै

    जो ���टश सरकार �ारा उपल� करायी गयी स�ुवधा�का��पयोग करते �ए भारतीय जनता को ���टश शासन के �व��भड़काने का �यास करता ह’ै|

    �व�पन चदं ने ठ�क ही �लखा है �कसा�ा�यवाद� इ�तहासकारइस बात को �वीकार ही नह�करते �कभारत के सामा�जक,आ�थ�कऔर राजनी�तक �वकास म� ���टश शासन बाधक बना�आह|ै इस�लए ऐसे उप�नवेशवाद� शासन को समा�त करना

  • आव�यक था|

    उ�लखेनीय है �कसा�ा�यवाद� इ�तहासकार� ने �ायः उ�ह�सा�य�का अनु�योग �कया है जो उनक� सा�ा�यवाद����कोण के अनु�प ह�| उदाहरणाथ�, �व�स �ट ��मथ ने अपनीप�ुतक ‘अल� �ह���ऑफ़ इं�डया’(1924) म� भारतीय स�यताक� उ�त अव�ा एवं भारतीय कला के �वकास को यनूा�नय�क� देन बताया ह|ै ��मथ ने हष��रकालीन �वखं�डतराजनी�तक ���त के सदंभ� म� सा�ा�यवाद� पवूा��ह से य�ु�ट�पणी क� �क ‘भारत जब भी �कसी श��शाली स�ा के�नय�ंण से मु� �आ,अराजकता के भंवर म� फंस गया औरय�द वह स�ावनापणू� ���टश शासन से आज़ाद हो जायगेा तोपनुः अ�व�ा तथा अराजकता क� ���त म� प�चं जायगेा|इस �कार ��मथ एक �कार से क�र सा�ा�यवाद� इ�तहासकारजे�स �मल के इस कथन के साथ खड़े �दखाई देते ह � �क वा�तवम� �ह�� नपुसंक थे, जो गुलामी क� �वृ��य� से प�रपणू�, गुलामीके �लए ही बने थे| इस�लएआर.सी. मजूमदार जैसेइ�तहास�वद को कहना पड़ा �क यरूोपीय �व�ान अपनी जातीय��ेता के �रा�ह से मु� �ए �बना भारतीय इ�तहास के ��त�याय नह�कर सकत|े

    इ�तहास के सा�ा�यवाद� उपागम क�झलक हम� इ�लयट

  • एवं डाउसन क� प�ुतक ‘ए �ह���ऑफ़ इं�डया ऐज टो� बायइट्सओन �ह�टो�रयन’ म� भी �दखाई देती है �जसमे उ�ह�ने यह�स�करने का �यास �कया �क म�यकालीन भारत म� �ह���का दमन �कया गया एवं जो स�ुवधाय � उ�ह � म�य यगु म� मु��लमशासक�क� धा�म�कक�रता क� नी�त के कारण नह� �मल�,वह���टश शासन के अद�न उ�ह � �ा�त ह�गी|

    इस �कार हम कह सकते ह � �कसा�ा�यवाद� इ�तहासकार� केइ�तहास लखेन का उ�े�य भारतीय� के �लए �कसी भी �कार से���टश शासन क� उपयो�गता �स�करना था ता�कभारत म����टश शासन को �ढ़ता �दान क�जा सके|

    बीसव� सद� के उ�राध� म� इ�तहास के सा�ा�यवाद� उपागम केसदंभ� म� अ�नल सील एवं उनके अनुया�य�का नामउ�लखेनीय है �ज�ह�ने अनुदारवाद� ���कोण को अपनाते �एभारत के रा�ीय आदंोलन को जनआदंोलन नह�अ�पतुअ�भजन समूह�काआदंोलन कहा, �जसे उ�ह�ने अपने सकं�ण��वाथ� के �लए �कया था|