Poem Maa Subhadra Devi Chauhan

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A poem by great Subhadra Kumari Chouhan, dedicated to all mothers and daughters... And a must read for all fathers, brothers, husbands and boyfriends! इइइइ इइइइ इइइ इइइइ इइ - इइइइइ इइइइ इइइइ इइइइ इइइइइइ इइ | इइइ इइइइ इइइ - इइ इइइइ इइ इइइइइ इइइ इइ इइइइ इइ || इइ इइइइ इइइ, इइ इइइइ इइ इइइ इइ इइइ इइइइइइइइ | इइइइ-इइइइ इइइइ इइ इइइइइइ इइ इइइइइइइइइ इइइइइइ || 1 || इइ इइइइइ इइ इइइइ इइ इइ इइइइइ-इइ इइइइइ

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Page 1: Poem Maa Subhadra Devi Chauhan

A poem by great Subhadra Kumari Chouhan, dedicated to all mothers and daughters... And a must read for all fathers, brothers, husbands and boyfriends! 

इसका� रो�ना� 

तुम काहतु� ह� - मझका� इसका� रो�ना� नाह� सह�तु� ह� | म� काहतु� हूँ� - इस रो�ना� स� अनापम सख छा� जा�तु� ह� || सच काहतु� हूँ�, इस रो�ना� का� छावि� का� जारो� विनाह�रो�गे� | बड़ी�-बड़ी� आँ�स! का� ब!�दों# परो मक्ता��ली� ��रो�गे� || 1 || 

ये� नान्ह� स� ह#ठ औरो येह लीम्ब�-स� सिससका� दों�ख� | येह छा�टा� स� गेली� औरो येह गेहरो�-स� विहचका� दों�ख� || का� स� कारुणा�-जानाका दृष्टि1 ह�, हृदोंये उमड़ी कारो आँये� ह� | सिछाप� हुए आँत्म�ये भा�� का� येह उभा�रो कारो ली�ये� ह� || 2 || 

ह�स� ब�हरो�, चहली-पहली का� ह� बहुधा� दोंरोस�तु� ह� | परो रो�ना� म9 अ:तुरो तुम तुका का� हलीचली मच जा�तु� ह� || जिजासस� स�ई हुई आँत्म� जा�गेतु� ह�, अका ली�तु� ह� | छा टा� हुए विकास� स�थी� का� अपना� प�स बली�तु� ह� || 3 || 

म� सनातु� हूँ� का�ई म�रो� मझका� अह� ! बली�तु� ह� | जिजासका� कारुणा�प!णा> च�ख स� म�रो� का� �ली ना�तु� ह� || म�रो� ऊपरो �ह विनाभा>रो ह� ख�ना�, प�ना�, स�ना� म9 | जा��ना का� प्रत्ये�का विAये� म9, ह�सना� म9 ज्ये# रो�ना� म9 || 4 || 

म� हूँ� उसका� प्रकाC वितु स:विगेना� उसका� जान्म-प्रदों�तु� हूँ� | �ह म�रो� प्ये�रो� विबटिटाये� ह� म� ह� उसका� प्ये�रो� म�तु� हूँ� || 

Page 2: Poem Maa Subhadra Devi Chauhan

तुमका� सना कारो सिचढ़ आँतु� ह� मझ का� ह�तु� ह� अभिभाम�ना | जा�स� भाक्ता# का� पका�रो सना गेर्वि�Iतु ह�तु� ह� भागे��ना || 5 |