MP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE MODEL PAPER 4 WITH …€¦ · प्रश्न 4. ी...

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http://www.mpboardonline.com MP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE MODEL PAPER 4 WITH ANSWER :: खड - :: वत नठ न- 1. सही ववकऩ च नकय लरखखए () हथथमाय की दौ को सफध है - (i) गयीफी से (ii) फेयोजगायी से (iii) आतॊकवाद से (iv) अलिा से () ाचीन बायत को कहा जाता था - (i) सोने का घा (ii) सोने की थचडमा ( iii) सोने का देि (iv) सोने का घय () जैसे -जैसे अथथमवथा ववकलसत होती है , यारीम आम भ त तीमक े का अॊि - (i) फता जाता है। ( ii) घटता जाता है। ( iii) फता है तऩचात घटता है। ( iv) घटता है तऩचात फता है। () उऩादक वत की ग णवा एवॊ कीभत के सफध भ भनभानी कय सकते ह - (i) नतमोगी फाजाय भ (ii) एकाथधकाय भ (iii) वि उऩाद भ (iv) कोई नहीॊ () जीवाद. भ आथथक िततम का सॊचारक होता है - (i) रोकत (ii) म त (iii) यामत (iv) मे सबी 2. रयतत थान की ऩ नतथ कीजए : (1) नाना साहफ का नवास ............. भ था। (2) डॉ. फी. आय. अफेडकय सॊववधान की ............ के अम थे। (3) चीन भ ................. के ऩरयवाय को आदिथ भाना गमा है। (4) अथथमवथा का ................... े भ ववबाजन ककमा गमा है। (5) बफजरी के उऩकयण ऩय .............. का थचह यहता 3. सम/असम फताइए () उऩबोतता सॊयण अथधननमभ , 1986 भ राग कमा गमा था। () सेवा े अथथमवथा का त तीमक े होता है। () ऩॊचामत का कामथकार 7 विथ का होता है। () आऩदाओॊ के कायण होने वारे न कसान को आऩदाफॊधन के वाया कभ कमा जा सकता है। () काॊेस का ववबाजन स यत अथधवेिन भ ह आ था।

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    MP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE MODEL PAPER 4 WITH ANSWER

    :: खण्ड - अ :: वस्तुननष्ठ प्रश्न- प्रश्न 1. सही ववकल्ऩ चुनकय लरखखए् (अ) हथथमायों की दौड़ को सम्फन्ध है- (i) गयीफी से (ii) फेयोजगायी से (iii) आतॊकवाद से (iv) अलिऺा से (फ) प्राचीन बायत को कहा जाता था- (i) सोने का घड़ा (ii) सोने की थचडड़मा (iii) सोने का देि (iv) सोने का घय (स) जैसे-जैसे अथथव्मवस्था ववकलसत होती है , याष्रीम आम भें ततृीमक ऺेत्र का अॊि- (i) फढ़ता जाता है। ( ii) घटता जाता है। ( iii) फढ़ता है तत्ऩश्चात घटता है। ( iv) घटता है तत्ऩश्चात फढ़ता है। (द) उत्ऩादक वस्तु की गुणवत्ता एवॊ कीभत के सम्फन्ध भें भनभानी कय सकते हैं - (i) प्रनतमोगी फाजाय भें (ii) एकाथधकाय भें (iii) कृवि उत्ऩादों भें (iv) कोई नहीॊ (इ) ऩ ॉजीवाद. भें आथथथक िक्ततमों का सॊचारक होता है - (i) रोकतन्त्र (ii) भ ल्म तन्त्र (iii) याज्मतन्त्र (iv) मे सबी प्रश्न 2. रयतत स्थानों की ऩ नत थ कीक्जए : (1) नाना साहफ का ननवास ............. भें था। (2) डॉ. फी. आय. अम्फेडकय सॊववधान की ............ के अध्मऺ थे। (3) चीन भें ................. के ऩरयवाय को आदिथ भाना गमा है। (4) अथथव्मवस्था का ................... ऺेत्रों भें ववबाजन ककमा गमा है। (5) बफजरी के उऩकयणों ऩय .............. का थचन्ह यहता प्रश्न 3. सत्म/असत्म फताइए् (अ) उऩबोतता सॊयऺण अथधननमभ, 1986 भें राग ककमा गमा था। (फ) सेवा ऺेत्र अथथव्मवस्था का ततृीमक ऺेत्र होता है। (स) ऩॊचामत का कामथकार 7 विथ का होता है। (द) आऩदाओॊ के कायण होने वारे नुकसान को आऩदाप्रफॊधन के द्वाया कभ ककमा जा सकता है। (इ) काॊगे्रस का ववबाजन स यत अथधवेिन भें हुआ था।

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    प्रश्न 4. सही जोड़ी फनाइमे। (अ) आन्र प्रदेि (1) द्ववतीमक ऺेत्र (फ) अभत्मथ सेन (2) तेरॊगाना (स) सीभेण्ट कायखाना (3) जीवन स्तय भें वदृ्थध (द) डडक्जटर चाटथस (4) आथथथक कल्माण (इ) उऩबोतता जागरूकता (5) भारदीव्स। प्रश्न 5. प्रत्मेक का एक वातम/िब्द भें उत्तय दीक्जए:5 (अ) जम्भ -कश्भीय को ककस अनुच्छेद के अन्तगथत वविेि याज्म का दजाथ ददमा गमा है? (फ) कौन-से सॊिोधन द्वाया सॊववधान भें “भ र कत्तथव्म ’ जोड़ा गमा है ? (स) रोकसबा की सदस्मता के लरए न्म नतभ आमु तमा (द) ववश्व की कुर जनसॊख्मा का ककतना प्रनतित बाग बायत भें ननवास कयता है ? (इ) बायतीम मोजना आमोग का गठन कफ ककमा गमा था?

    :: खण्ड - फ : प्रश्न 6. बायतीम वन प्रफन्ध सॊस्थान की स्थाऩना तमों की गई है?

    अथवा भदृा ऩरयच्छेददका का नाभाॊककत थचत्र फनाइएगई प्रश्न 7. उग्रयाष्रवादी ववचायधाया के प्रभुख नेताओॊ के नाभ फताइए।

    अथवा काॊगे्रस की स्थाऩना कफ औय ककसने की थी? प्रश्न 8. भानव ववकास स चकाॊक की गणना ककसके आधाय ऩय की जाती है? लरखखए।

    अथवा इक्ण्डमा-ववजन-2020 तमा है? लरखखए। प्रश्न 9. द यसॊवेदी इकाई से तमा आिम है?

    अथवा अथथव्मवस्था के प्राथलभक एवॊ द्ववतीमक ऺेत्र को उदाहयण की सहामता से सभझाइए। प्रश्न 10. आई.एस.आई. तमा है?

    अथवा उऩबोतता के कोई ऩाॉच कतथव्म लरखखए। प्रश्न 11. खननज ऩदाथथ का तमा भहत्व है?

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    अथवा औिधीम उद्मान ववथध के अन्तगथत कौन-कौनसी पसरों का उत्ऩादन सम्बव है ? (कोई तीन लरखखए) प्रश्न 12. ताय व पैतस भें तमा अन्तय है?

    अथवा बायतीम अथथव्मवस्था भें कृवि के मोगदान को स्ऩष्ट कीक्जए। प्रश्न 13. सन ्1857 की क्राक्न्त के साभाक्जक कायण फताइए।

    अथवा अॊगे्रजों के आथथथक िोिण की नीनत ने बायतीम कुटीय उद्मोग को कैसे प्रबाववत ककमा ? प्रश्न 14. सन ्1857 की क्राक्न्त के आथथथक कायण लरखखए।

    अथवा याष्रीम जागनृत ववकास भें ककन बायतीम सभाचाय-ऩत्रों ने अऩनी ब लभका ननबाई थी? लरखखए। प्रश्न 15. आकाय के आधाय ऩय उद्मोगों के ककतने प्रकाय हैं? ककन्हीॊ दो का वणथन कीक्जए।

    अथवा प्रद िण से भानव जीवन ऩय तमा प्रबाव ऩड़ता है? प्रश्न 16. येरभागों का ववतयण बायत भें असभान है, स्ऩष्ट कीक्जए।

    अथवा बायत के प्रभुख फॊदयगाहों की सॊक्षऺप्त जानकायी दीक्जए। प्रश्न 17. स खा एवॊ फाढ़ ककसे कहते हैं? लरखखए।

    अथवा ब स्खरन ककसे कहते हैं, ब स्खरन के कायण बी फताए। प्रश्न 18. क्राॊनतकायी आन्दोरनों का बायत के इनतहास भें भहत्व स्ऩष्ट कीक्जए।

    अथवा साइभन कभीिन कफ औय तमों बेजा गमा था ? बायतीमों द्वाया इसका ववयोध तमों ककमा गमा?" प्रश्न 19.1965 के बायत-ऩाककस्तान मुद्ध के ऩरयणाभ लरखखए।

    अथवा 1971 के बायत-ऩाक मुद्ध भें ऩाककस्तान की ऩयाजम के तमा कायण थे?

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    प्रश्न 20. बायतीम सॊववधान भें कठोय एवॊ रचीरेऩन का सक्म्भश्रण है। इस कथन को स्ऩष्ट कीक्जए।

    अथवा बायत एक धभथ-ननयऩेऺ याष्र है, सभझाइए। प्रश्न 21. ऩ ॉजीवाद के गुण की व्माख्मा कीक्जए।

    अथवा ववकलसत एवॊ ववकासिीर देिों के भध्म लबन्नता के कोई चाय भाऩदण्ड लरखखए। प्रश्न 22. बायत के भानथचत्र ऩय ननम्नलरखखत को ‘दिाथइए- (1) ज ट उत्ऩादक ऺेत्र, (2) गन्ना उत्ऩादक ऺेत्र, (3) कारी लभट्टी का ऺेत्र मा कऩास उत्ऩादक ऺेत्र , (4) घाम उत्ऩादक ऺेत्र, (5) यफय उत्ऩादक ऺेत्र।

    अथवा भौसभ भानथचत्रों का भहत्व/वविेिताएॉ फताइए। प्रश्न 23. 'अॊग-बॊग' का याष्रीम आन्दोरन ऩय तमा प्रबाव ऩड़ा?

    अथवा क्राॊनतकारयमों के फाये भें आऩ तमा जानते हैं ? बिदटि िासन के ववरूद्ध उन्होंने कौन से तयीके अऩनाए? http://www.mpboardonline.com प्रश्न 24. फाॊग्रादेि का उदम ककस प्रकाय हुआ तथा बायत ने उसभें तमा सहमोग प्रदान ककमा?

    अथवा तािकन्द सभझौते की िते लरखखए? प्रश्न 25. व्मवस्थावऩका के प्रभुख कामथ फतराइए।

    अथवा भुख्मभॊत्री के कामथ एवॊ िक्ततमाॉ फताइमे अथवा भुख्मभॊत्री के कोई ऩाॉच कामथ लरखखए। प्रश्न 26. बायत भें फेयोजगायी द य के कायणों का वणथन कीक्जए।

    अथवा साम्प्रदानमकता को द य कयने के उऩाम फतराइए।

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    उत्तयभारा : GBI/SAM4 ANSWER

    :: खण्ड (अ) :: उत्तय-1. (अ)-(iii), (फ)-(ii), (स)-(i), (द)-(ii), (इ)-(ii)। उत्तय-2.1. बफठ य, 2, प्रारूऩ सलभनत, 3. एक फच्चे, 4. तीन, 5. आई.एस.आई.।। उत्तय-3. (अ) सत्म, (फ) सत्म, (स) असत्म, (द) सत्म, (इ) सत्म। उत्तय-4. (अ) 2, (फ) 4, (स) 1, (द) 5, (इ) 3 उत्तय-5. (अ) 370, (फ) 42वें सॊिोधन (1976) के द्वाया, (स) 25 विथ, (द) 16.87, (इ) 15 भाचथ, 1950।

    :: खण्ड (फ) :: प्रश्न 6. बायतीम वन प्रफन्ध सॊस्थान की स्थाऩना तमों की गई है? उत्तय- वन सॊसाधन व प्रफन्धन व्मवसाम की नवीन फातों की जानकायी देने हेतु 1978 भें स्वीडडि कम्ऩनी की सहामता से अहभदाफाद भें इस सॊस्थान की स्थाऩना की गई। केन्र सयकाय ने बोऩार भें बी बायतीम वन प्रफन्ध सॊस्थान की स्थाऩना की है। महाॉ स्नातकोत्तय व डॉतटयेट की उऩाथध प्रदान की जाती है।

    अथवा भदृा ऩरयच्छेददका का नाभाॊककत थचत्र फनाइए। उत्तय-

    भदृा ऩरयच्छेददका प्रश्न 7. उग्रयाष्रवादी ववचायधाया के प्रभुख नेताओॊ के नाभ फताइए।

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    उत्तय- रारा राजऩत याम , फार गॊगाधय नतरक , वववऩनचन्र ऩार आदद उग्र याष्रवादी ववचायधाया के प्रभुख नेता थे।

    अथवा काॊगे्रस की स्थाऩना कफ औय ककसने की थी? उत्तय- बायतीम याष्रीम काॊगे्रस की स्थाऩना िासक औय िालसत वगथ के भध्म खाई को बयने के उद्देश्म से छ भ ने 1885 भें की थी। प्रश्न 8. भानव ववकास स चकाॊक की गणना ककसके आधाय ऩय की जाती है? लरखखए। उत्तय- भानव ववकास सॊकेतकों की गणना बौनतक तथा अबौनतक दोनों घटकों के आधाय ऩय की जाती है। इनभें बौनतक घटक के रूऩ भें सकर घयेर उत्ऩाद औय अबौनतक घटक के रूऩ भें लििु भतृ्मु दय, जीवन की सॊबाव्मता औय िैऺखणक प्राक्प्तमाॉ आदद को लरमा गमा है।

    अथवा इक्ण्डमा-ववजन-2020 तमा है? लरखखए। उत्तय- बायतीम मोजना आमोग ने जनवयी , 2003 ई. भें इक्ण्डमा-ववजन- 2020 के नाभ से एक भहत्त्वऩ णथ दस्तावेज जायी ककमा है। इसभें बायत सन ् 2020 ई. तक ववकलसत देिों की शे्रणी भें सक्म्भलरत हो जाएगा , क्जसके परस्वरूऩ देि भें फेयोजगायी , गयीफी, ननयऺयता, ऩ णथत् द य हो जाएगी। मोजना आमोग का अनुभान है कक सन ् 2020 ई. तक देि की 135 कयोड़ जनसॊख्मा फेहतय ऩोवित , अच्छे यहन-सहन के स्तय वारी , ऩ णथत् स्वस्थ औय अथधक औसत आमु वारी होगी। प्रश्न 9. द यसॊवेदी इकाई से तमा आिम है? उत्तय- उऩग्रहों के भाध्मभ से सॊचालरत सॊचाय सेवाएॉ , ब जर स्तय भाऩना , खननज व ऩेरोलरमभ ऩदाथों का ऩता रगाना , नतिा तैमाय कयना , गुप्त जानकारयमाॉ आदद सेवाओॊ का कक्रमान्वमन द यसॊवेदी इकाई के द्वाया होता है।

    अथवा अथथव्मवस्था के प्राथलभक एवॊ द्ववतीमक ऺेत्र को उदाहयण की सहामता से सभझाइए। उत्तय- प्राथलभक ऺेत्र- प्राकृनतक सॊसाधनों ऩय प्रत्मऺ रूऩ से आधारयत गनतववथधमों को प्राथलभक ऺेत्र कहा जाता उदाहयण- कृवि उऩज- पसरों को उऩजाने के लरए भुख्मत् प्राकृनतक कायकों जैसे लभट्टी, विाथ, स मथ का प्रकाि, वामु आदद ऩय ननबथय यहना ऩड़ता है, अत् कृवि उऩज एक प्राकृनतक उत्ऩाद है। इसी प्रकाय वन , ऩिुऩारन, भछरी ऩारन , खननज आदद को बी प्राथलभक ऺेत्र के अन्तगथत लरमा गमा है। द्ववतीमक ऺेत्र-: इस ऺेत्र की गनतववथधमों के अन्र्तगत प्राकृनतक उत्ऩादों को ववननभाथण प्रणारी के भाध्मभ से अन्म रूऩों भें ऩरयवनत थत ककमा जाता है। उदाहयण- रोहे से भिीन फनाना तथा कऩास से कऩड़ा फनाना आदद।

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    प्रश्न 10. आई.एस.आई. तमा है? उत्तय- आई.एस.आई. (I.S.I.)- बायत सयकाय द्वाया स्थावऩत सॊस्था द्वाया औद्मोथगक एवॊ उऩबोतता वस्तुओॊ की गुणवत्ता को प्रभाखणत कयने वारा थचन्ह आई.एस.आई. भाकथ कहराता है।

    अथवा उऩबोतता के कोई ऩाॉच कतथव्म लरखखए। उत्तय- उऩबोतता के कतथव्म- उऩबोतता के ननम्नलरखखत कतथव्म हैं - 1. उऩबोतता सॊयऺक ननमभों की जानकायी यखना। 2. कारा फाजायी एवॊ तस्कयी को ननक्ष्क्रम कयना। 3. बफर, यसीद, गायण्टी काडथ आदद रेना एवॊ उन्हें सॊबार कय यखना। 4. वास्तववक सभस्मा की लिकामत कयना आवश्मक है , चाहे वस्तु ककतनी ही कभ भ ल्म की तमों न हो, इससे ववक्रताओॊ भें ठगी की प्रववृत्त भें कभी आएगी। 5. वस्तु की ऩ नत थ के अनुसाय ही उऩबोग भें वदृ्थध मा कभी कयना। प्रश्न 11. खननज ऩदाथथ का तमा भहत्व है? http://www.mpboardonline.com उत्तय- खननज ऩदाथथ हभाये लरए भहत्वऩ णथ हैं , तमोंकक आधुननक औद्मोथगक उन्ननत का आधाय खननज ऩदाथथ ही हैं। कायखानों भें रगी भिीनें , ऩानी ऩय तैयते वविार जहाज , ऊॉ ची इभायतें , ववलबन्न प्रकाय की धातुओॊ से फनी वस्तुएॉ खननज ऩदाथों की देन हैं। देि की औद्मोथगक ववकास का आधाय खननज ऩदाथथ है। मदद भनुष्म के ऩास धातुएॉ औय खननज ऩदाथथ नहीॊ होते तो, आज औद्मोथगक उत्ऩादन औय ववकास फहुत कभ होता।

    अथवा औिधीम उद्मान ववथध के अन्तगथत कौन-कौनसी पसरों का उत्ऩादन सम्बव है ? (कोई तीन लरखखए) उत्तय- औिधीम उद्मान ववथध के अन्तगथत ननम्नलरखखत पसरों का उत्ऩादन सम्बव है - (1) पर- बायत भें उष्ण कदटफन्धीम परों के अन्तगथत आभ , केरा, नीॊफ , अनन्नास, ऩऩीता, अभरूद, चीक , रीची, अॊग य तथा िीतोष्ण कदटफन्धीम परों भें सेफ , आड , नािऩाती, ख फानी, फादाभ, अखयोट औय िुष्क ऺेत्र के परों भें आॉवरा, फेय, अनाय, अॊजीय का उत्ऩादन होता है। (2) सक्ब्जमाॉ- सक्ब्जमों की ऩैदावाय भें चीन के फाद द सया स्थान बायत का है। बायत भें उगाई जाने वारी प्रभुख सक्ब्जमाॉ टभाटय, प्माज, फैंगन, ऩत्तागोबी, प रगोबी, भटय, आर , खीया आदद हैं।

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    (3) प र-गुराफ, ग्रैडडमोरस, ट्म फयोज, कोसारा प्रभुख प र हैं। इनकी खेती बायत भें ऩयम्ऩयागत ढॊग से हो यही है। प्रश्न 12. ताय व पैतस भें तमा अन्तय है? उत्तय- ताय व पैतस भें अन्तय- ताय पैतस 1. इसके लरए खम्बों ऩय टेरीग्राभ के ताय स्थाई रूऩ से फाॉधना जरूयी होता है।

    1. इसभें पैतस भिीन का प्रमोग ककमा जाता है, क्जसे टेरीपोन नम्फय से जोड़ा जाता है।

    2. ताय सेवा भें साॊकेनतक बािा मा कोड को उऩमोग ककमा जाता है।

    2. इसभें साॊकेनतक बािा का प्रमोग नहीॊ ककमा जाता है।

    अथवा बायतीम अथथव्मवस्था भें कृवि के मोगदान को स्ऩष्ट कीक्जए। उत्तय- वतथभान सभम भें कृवि िब्द व्माऩक अथथ भें प्रमुतत होने रगा है। इसके अन्तगथत कृवि के साथ वन , भछरीऩारन, ऩिुऩारन, दगु्ध उत्ऩादन को सक्म्भलरत ककमे जाने रगा है। बायत एक कृवि प्रधान देि है। इसका अनुभान इसी आधाय ऩय रगामा जा सकता है कक जहाॉ सॊसाय के कुर ऺेत्रपर के 11 प्रनतित बाग ऩय कृवि की जाती है , वहीॊ बायत के 51 प्रनतित ऺेत्रपर ऩय कृवि की जाती है। कृवि हभाया प्राथलभक व्मवसाम है। इसभें पसरों की खेती तथा ऩिुऩारन दोनों ही सक्म्भलरत हैं। बायतीम अथथव्मवस्था भें कृवि का भहत्वऩ णथ स्थान व मोगदान ननम्न रूऩों भें देखा जा सकता है - (1) बायतीम कृवि से सॊसाय की रगबग 17 प्रनतित जनसॊख्मा का ऩोिण हो यहा है। कृवि हभायी 2/3 जनसॊख्मा का बयण-ऩोिण कयती है। http://www.mpboardonline.com (2) बायतीम कृवि भें देि की रगबग दो-नतहाई श्रभिक्तत रगी हुई है। इसके द्वाया अप्रत्मऺ रूऩ भें बी अनेक रोगों को योजगाय लभरा है। रोग मा तो दस्तकायी भें रगे हैं मा गाॊवों भें कृवि उत्ऩादों ऩय आधारयत छोटे-भोटे उद्मोग-धॊधो भें रगे हैं। (3) देि भें वस्त्रों की जरूयतों को ऩ या कयने के लरए कच्चे भार कृवि से ही लभरते हैं। कऩास, ज ट, येिभ, ऊन एवॊ रकड़ी की रुग्दी से ही वस्त्रों का ननभाथण होता है। चभड़ा उद्मोग बी कृवि ऺेत्र की ही देन है। कृवि उत्ऩादों को कच्चे भार के रूऩ भें उऩमोग कयने वारे उद्मोगों का आधाय बी मही है। वस्त्र उद्मोग , ज ट उद्मोग , खाद्म तेर उद्मोग , चीनी एवॊ तम्फाक उद्मोग सबी कृवि उत्ऩादों ऩय आधारयत हैं। कृवि उत्ऩादों ऩय आधारयत आम भें कृवि का मोगदान रगबग 34 प्रनतित है। प्रश्न 13. सन ्1857 की क्राक्न्त के साभाक्जक कायण फताइए।

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    उत्तय- साभाक्जक कायण- बिदटि िासन द्वाया सभाज सुधाय के कुछ कान न फनामे गमे थे। इन कान नों को बायतीमों ने बायतीम सभाज भें हस्तऺेऩ भाना। सती प्रथा ऩय प्रनतफन्ध रगाना, धभथ ऩरयवतथन को प्रोत्सादहत कयना , ऩयम्ऩयागत उत्तयाथधकाय के ननमभों भें सॊिोधन कयके बायतीमों की साभाक्जक-धालभथक बावनाओॊ को ठेस ऩहुॉचाई। इससे बायतीमों भें ववयोध की बावना ऩैदा हुई।

    अथवा अॊगे्रजों के आथथथक िोिण की नीनत ने बायतीम कुटीय उद्मोग को कैसे प्रबाववत ककमा ? उत्तय- अॊगे्रजी साम्राज्म की स्थाऩना औय बिटेन की औद्मोथगक क्राॊनत के परस्वरूऩ बायतीम उद्मोग धॊधों को गहया धतका रॊगा। बायत से ननमाथत होने वारे भार ऩय चुॊगी की देय ववदेिों भें फढ़ा दी गमी औय इॊग्रैण्ड की ननलभथत वस्तुओॊ के आमात ऩय चुॊगी की छ ट देकय , उन्हें बायतीम फाजायों भें फेचा जाने रगा , क्जससे बायतीम भार भॉहगा हो गमा व उनकी भाॉगे धीये-धीये घटती गमी तथा बायतीम कुटीय उद्मोग धीये-धीये सभाप्त होने रगे। प्रश्न 14. सन ्1857 की क्राक्न्त के आथथथक कायण लरखखए। उत्तय- आथथथक कायण- बायत भें बिदटि िासन की आथथथक नीनतमों के ऩरयणाभस्वरूऩ बायतीम उद्मोग व व्माऩाय नष्ट हो गमे। लिल्ऩकाय एवॊ दस्तकाय फफाथद हो गमे , कय प्रणारी ने बायतीम ककसानों को फफाथद कय ददमा , बायतीमों को उच्च ऩदों से द य यखा जाता था। बायतीम धन हय तयीके से देि से फाहय जा यहा था। इन प्रकक्रमाओॊ के ववरुद्ध बायतीमों भें असन्तोि व्माप्त था।

    अथवा याष्रीम जागनृत के ववकास भें ककन बायतीम सभाचाय- ऩत्रों ने अऩनी ब लभका ननबाई थी ? लरखखए। उत्तय- याष्रीम जागनृत के ववकास भें ‘सॊवाद कौभुदी ', अभतृ फाजाय ऩबत्रका , “फम्फई सभाचाय ', 'केसयी, भयाठा, दहन्द ऩैदरमट , स्वदेिी लभत्रभ ् , आमथ दिथन आदद सभाचायऩत्रों ने भहत्वऩ णथ ब लभका ननबाई। प्रश्न 15. आकाय के आधाय ऩय उद्मोगों के ककतने प्रकाय हैं? ककन्हीॊ दो का वणथन कीक्जए। . उत्तय- आकाय के आधाय ऩय उद्मोग चाय प्रकाय के होते हैं - (अ) वहृद् उद्मोग- औद्मोथगक इकाइमाॉ क्जनभें ऩ ॉजी ननवेि 10 कयोड़ रुऩमे मा उससे अथधक है, जैसे-टाटा आमयन स्टीर कम्ऩनी। (फ) भध्मभ उद्मोग- क्जनभें कुर ऩ ॉजी ननवेि 5 से 10 कयोड़ रुऩमे के भध्म है , जैसे- चभड़ा उद्मोग। (स) रघु उद्मोग- क्जनभें कुर ऩ ॉजी ननवेि 2 से 5 कयोड़ रुऩए तक है, जैसे- राख उद्मोग।

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    (द) कुटीय उद्मोग- क्जनभें ऩ ॉजी ननवेि नाभ भात्र का होता है तथा जो ऩरयवाय के सदस्मों की सहामता से चराए जाते हैं। ग्राभ भें क्स्थत होने ऩय मह ग्राभीण उद्मोग तथा नगय भें क्स्थत होने ऩय नगयीम कुटीय उद्मोग कहे जाते हैं।

    अथवा प्रद िण से भानव जीवन ऩय तमा प्रबाव ऩड़ता है? फताइए। उत्तय- प्रद िण से भानव जीवन ऩय ननम्नाॊककत दषु्प्रबाव ऩड़ता है- (i) प्रद वित वामु भानव की श्वसन कक्रमा को ऺनत ऩहुॉचाती है। इससे दभा , ननभोननमा, गरे भें ददथ, खाॉसी के साथ ही कैं सय , भधुभेह औय रृदम योग जैसे घातक योग होते हैं तथा हाननकायक गैसों का वामुभण्डर भें अथधकॊ लभश्रण बीिण हादसों को जन्भ देता है , क्जससे भनुष्म भौत के लिकाय हो जाते हैं। (ii) प्रद वित ऩेम जर अनेक योगों के कीटाणु , वविाणु भनुष्म के ियीय भें ऩहुॉचाकय योगों को उत्ऩन्न कय देता है। प्रद वित जर के सेवन से ऩेथचि , हैजा, अनतसाय, टामपाइड, चभथयोग, खाॉसी, जुकाभ, रकवा, अन्धाऩन, ऩीलरमा व ऩेट के योग हो जाते हैं। (iii) गॊदगी के ऺेत्रों एवॊ प्रद वित चीजों ऩय भतखी , भच्छय, कीड़.े आदद ऩनऩते हैं। गन्दगी मुतत वातावयण भें अनेक कीटाणु ऩैदा होते हैं , जो भनुष्म के लरए ऩेथचि , तऩेददक, हैजा, आॉतों के योग, आॉखों भें जरन आदद योगों हेतु उत्तयदामी होते हैं। (iv) ध्वनन प्रद िण का सवाथथधक प्रबाव सुनने की िक्तत ऩय ऩड़ता है। अत्मथधक िोय से व्मक्तत फहया हो जाता है। इसके अनतरयतत इससे यततचाऩ , लसयददथ, घफयाहट आदद योग बी भनुष्म भें ऩनऩ जाते हैं। http://www.mpboardonline.com प्रश्न 16. येरभागों का ववतयण बायत भें असभान है, स्ऩष्ट कीक्जए। उत्तय- बायत भें येरभागों का ववकास उन्हीॊ ऺेत्रों भें हुआ है , जो आथथथक दृक्ष्ट से अथधक ववकलसत है। मह ववतयण अत्मथधक असभान है। अथधक सघन येरभागथ ऺेत्र- मह ऺेत्र उत्तय बायत के सतरज-गॊगा के भैदान भें ऩॊजाफ से रेकय ऩक्श्चभ फॊगार तक ववस्तारयत है। इस येर ऺेत्र के प्रभुख स्टेिन रुथधमाना , ददल्री, कानऩुय, रखनऊ, इराहाफाद, वायाणसी, आसनभोर, हावड़ा आदद है। भध्म सघन येरभागथ ऺेत्र- इस येर ऺेत्र भें प्रामद्वीऩीम भैदान एवॊ दक्षऺण के ऩठाय सक्म्भलरत हैं। अहभदाफाद , फड़ोदया, चैन्नई भुख्म स्टेिन हैं। कभ सघन येरभागथ ऺेत्र- देि के ऩवथतीम , ऩठायी, भरुस्थरीम, दरदरी, जॊगरी तथा वऩछड़ी अथथव्मवस्था एवॊ ववयर जनसॊख्मा वारे ब बाग जहाॉ ऩरयवहन की सुववधाएॉ नगण्म हैं , येरभागों का ववकास नहीॊ हो ऩामा है। इनभें कश्भीय, दहभाचर प्रदेि , लसक्तकभ, अरुणाचर प्रदेि , भखणऩुय, नागारैण्ड, लभजोयभ, बत्रऩुया, भेघारम, छत्तीसगढ़ का फस्तय एवॊ उड़ीसा के अथधकाॊि बाग सक्म्भलरत हैं। बायतविथ के ऩ वी

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    एवॊ ऩक्श्चभी तटीम बागों भें सभुर तट के कटा-पटा व सॊकये होने तथा ऩहाडड़मों के ककनाये के कायण येरभागथ ऩमाथप्त ववकलसत नहीॊ हो सके हैं। ऩ वी तट ऩय सभुर तट के कन्माकुभायी से हावड़ा तक येरभागथ ववकलसत है। ऩक्श्चभी तटीम ऺेत्र भें कोंकण येर ननगभ की स्थाऩना के साथ 837 कक.भी. का येरभागथ ववकलसत हुआ है।

    अथवा बायत के प्रभुख फॊदयगाहों की सॊक्षऺप्त जानकायी दीक्जए। उत्तय- बायत के प्रभुख फॊदयगाह ननम्नलरखखत हैं- (i) भुम्फई- कोरकाता के फाद भुम्फई बायत का द सया भहत्वऩ णथ एवॊ सफसे फड़ा प्राकृनतक फॊदयगाह है। मह फॊदयगाह स्वेज तथा उत्तभािा अॊतयीऩ जरभागथ ऩय क्स्थत है। (ii) कोरकाता- मह बायत का ही नहीॊ सम्ऩ णथ एलिमा का भुतत व्माऩाय ऺेत्र है। इसके ऩषृ्ठप्रदेि भें ऩक्श्चभ फॊगार, उड़ीसा, झायखण्ड, छत्तीसगढ़, असभ, बफहाय एवॊ उत्तयप्रदेि आते हैं। (iii) हक्ल्दमा- ऩक्श्चभ फॊगार भें कोरकाता से रगबग 128 कक.भी. द य हक्ल्दमा फॊदयगाह है। इसे कोरकाता फॊदयगाह की बीड़-बाड़ को कभ कयने हेतु ववकलसत ककमा गमा है। (iv) न्हावािेवा- नई भुम्फई के ऩक्श्चभी तट ऩय न्हावािेवा फॊदयगाह ववकलसत ककमा गमा है। मह भुम्फई फॊदयगाह के दफाव को कभ कयने के लरए ववकलसत ककमा गमा है। (v) काॊडरा- कच्छ की खाड़ी भें क्स्थत मह गुजयात का सफसे भहत्वऩ णथ फॊदयगाह है। इसका ऩषृ्ठ प्रदेि कश्भीय , दहभाचरप्रदेि, ऩॊजाफ, हरयमाणा, याजस्थान व गुजयात है। मह भुतत व्माऩाय ऺेत्र के रूऩ भें ववकलसत है। (vi) कोक्च्च- मह फॊदयगाह केयर भें भराफाय तट ऩय ऩारघाट के ऩास प्राकृनतक एवॊ साभरयक भहत्व का है। प्रश्न 17. स खा एवॊ फाढ़ ककसे कहते हैं? लरखखए। उत्तय- स खा- ककसी बी ऺेत्र भें होने वारी साभान्म विाथ भें 25 प्रनतित मा उससे अथधक कभी होने ऩय उसे स खे की क्स्थनत कहा जाता है तथा 50 प्रनतित से अथधक कभी होने ऩय गॊबीय स खे की क्स्थनत होती है। फाढ़- ककसी फड़ ेब -बाग भें ककन्हीॊ बी कायणों से हुआ जर बयाव , क्जससे जन-धन की अऩाय ऺनत हो , फाढ़ कहराती है। जरािमों भें ऩानी की वदृ्थध होने अथवा बायी विाथ के कायण नदी के अऩने ककनायों को राॊघने अथवा तेज हवाओॊ अथवा चक्रवातों के कायण फाॉधों के पटने से वविार ऺेत्रों भें अस्थामी रूऩ से ऩानी बयने से फाढ़ आती है।

    अथवा ब स्खरन ककसे कहते हैं, ब स्खरन के कायण बी फताइए। http://www.mpboardonline.com

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    उत्तय- चट्टानों , लभट्टी अथवा भरफे के ऐसे ढेय जो स्वमॊ अऩने बाय के जोय से ऩहाड़ों की ढरानों अथवा नददमों के ककनायों ऩय आ जाते हैं , ब स्खरन कहराता है। ब स्खरन के कायण- मद्मवऩ ब स्खरन धीये-धीये होते हैं , कपय बी आकक्स्भक स्खरन बफना चेतावनी के बी हो सकते हैं। ब स्खरन होने के फाये भें कोई ऩतकी चेतावनी भौज द नहीॊ है। अत् ब स्खरन की आऩदा घटने का ऩ वथनुभान रगाना कदठन है। ब ववऻान , जरववऻान, वनस्ऩनत आच्छादन , ऺेत्र का ऩ वथ इनतहास औय प्रबाव सम्फन्धी जानकायी का प्रमोग कयके ब स्खरन की उच्च जोखखभ वारे ऺेत्रों का ऩता रगामा जा सकता है। ब स्खरन के लरए प्रभुखतमा ब कम्ऩ , फाढ़ औय चक्रवात की क्स्थनतमाॉ उत्तयदामी होती हैं। भानव द्वाया यास्तों के ननभाथण कयने अथवा कृवि के लरए खड़ी ढार वारे ऺेत्र फनाना बी ब स्खरन को जन्भ देता है। ऩवथतीम ऺेत्रों भें जफ ब कम्ऩ के तीव्र झटके आते हैं , तो ढ़ारों की चट्टानें एवॊ लभट्टी खखसकने रगती है। मह अत्मथधक खतयनाक होती है। फाढ़ के प्रकोऩ के कायण कगायों की लभट्टी कभजोय हो जाती है, क्जससे लभट्टी चट्टानों के साथ खखसकने रगती है। तीव्र चक्रवातों एवॊ झॊझावतों का आना बी ब स्खरन को जन्भ देता है। प्रश्न 18. क्राॊनतकायी आन्दोरनों का बायत के इनतहास भें भहत्व स्ऩष्ट कीक्जए। उत्तय- क्राॊनतकायी आन्दोरनों का बायत के इनतहास भें फहुत भहत्व है। क्राॊनतकायी ववचायधाया के अनुमानममों का ववश्वास था कक अदहॊसा औय वैधाननक साधनों द्वाया याजनैनतक अथधकाय प्राप्त नहीॊ ककए जा सकते हैं। क्राॊनतकारयमों का भानना था कक दहॊसा औय बम ददखाकय स्वयाज व स्विासन प्राप्त ककमा जा सकता है। श्माभजी , कृष्ण वभाथ , वासुदेव फरवॊत पड़के , चापेकय फन्धु , सावयकय फन्धु , खुदीयाभ फोस , यास बफहायी फोस , बगतलसॊह, चन्रिेखय आजाद , याभप्रसाद बफक्स्भर , फटुकेश्वय दत्त , याजगुरू आदद क्राॊनतकारयमों ने बिदटि सयकाय की सैन्म अथवा आथथथक िक्तत को फहुत नुकसान ऩहुॉचामा। इन क्राॊनतकारयमों ने नवमुवकों भें त्माग औय फलरदान की बावना उत्ऩन्न कय , उन्हें भातबृ लभ को ववदेिी फॊधनों से भुक्तत ददराने हेतु पे्ररयत ककमा।

    अथवा साइभन कभीिन कफ औय तमों बेजा गमा था ? बायतीमों द्वाया इसका ववयोध तमों ककमा गमा? उत्तय- 8 नवम्फय को बायत के वामसयाम रॉडथ इयववन ने एक कभीिन ,ननमुतत ककमा था , क्जसके अध्मऺ सय जॉन साइभन थे , क्जनके नाभ ऩय इसे साइभन कभीिन कहा गमा। सन ्1919 के बायतीम िासन अथधननमभ के अनुसाय अगरे विों भें सॊवैधाननक ऩरयवथतनों के प्रश्न ऩय ऩुनववथचाय के लरए तथा आवश्मक सुझाव के लरए कभीिन बेजा गमा था। इस आमोग से क्जस फातों कों ववचाय कयने को कहा गमा था , इससे बायतीम जनता द्वाया स्वतन्त्रता ऩाने की जया बी आिा नहीॊ की जा सकती थी। इस कभीिन भें एक बी बायतीम नहीॊ था , इसलरए बायतीमों द्वाया साइभन कभीिन का फदहष्काय ककमा गमा।

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    प्रश्न 19. 1965 के बायत-ऩाककस्तान मुद्ध के ऩरयणाभ लरखखए। उत्तय- 1965 के बायत-ऩाककस्तान मुद्ध के ननम्नलरखखत ऩरयणाभ हुए- (अ) ऩाककस्तान कश्भीय सभस्मा का सभाधान िस्त्र द्वाया कयना चाहता था। उसने मुद्ध का भागथ अऩनामा ऩयन्तु उसकी इच्छा ऩ यी नहीॊ हुई। (फ) ऩाककस्तान का ववश्वास था कक कश्भीय की भुक्स्रभ जनता उसका साथ देगी ऩयन्तु ऐसा नहीॊ हुआ। बायत ने मह लसद्ध ककमा कक बायतीम धभथननयऩेऺता का आधाय अत्मन्त ठोस है। (स) मुद्ध के दौयान बायतीम नागरयकों , तथा सैननकों का भनोफर ऊॉ चा यहा। बायतीम सेना के अथधकाॊि हथथमाय स्वदेिी थे। (द) ऩाककस्तानॊ को ववश्वास था कक सॊकट के अवसय ऩय चीन उसका साथ देगा ऩयन्तु उसका मह भ्रभ ट ट गमा। (ङ) बायत-ऩाककस्तान के मुद्ध भें सॊमुतत याष्र सॊघ की ब लभका भहत्वऩ णथ थी। सॊमुतत याष्र सॊघ को सपरता इसलरए लभरी तमोंकक सोववमत सॊघ औय सॊमुतत याज्म अभेरयका ने अऩ वथ सहमोग ददमा था। (ई) ऩाककस्तान के लरए मह मुद्ध घातक लसद्ध हुआ। मुद्ध भें ऩयाजम ने उसकी सैननक तानािाही के खोखरेऩन को लसद्ध कय ददमा।

    अथवा 1971 के बायत-ऩाक मुद्ध भें ऩाककस्तान की ऩयाजम के तमा कायण थे? उत्तय- 1971 के बायत-ऩाक मुद्ध भें ऩाककस्तान की ऩयाजम के ननम्नलरखखत कायण थे - 1. ऩाककस्तान सैननक दृक्ष्ट से बायत से कभजोय था। 2. ऩाककस्तान को नैनतक ऩऺ दफुथर था। ऩाककस्तान ने ऩ वी ऩाककस्तान के साथ जो बेदबावऩ णथ नीनत अऩनामी थी , उसके ऩरयणाभस्वरूऩ वहाॉ जन-आॊदोर न आयॊब हुआ। फॊगरादेि के ननभाथण भें फॊगारी जनता प्राण-ऩण से अऩनी स्वतॊत्रता के लरए रड़ यही थी। 3. ऩाककस्तान की सैननक तानािाही प्रजातॊत्रीकयण की प्रकक्रमा की उऩेऺा कय यही थी। मह उऩेऺा उसे बायी ऩड़ी। 4. ऩ वी औय ऩक्श्चभी ऩाककस्तान के भध्म द यी के कायण ऩाककस्तान ऩ वी ऩाककस्तान तक सहजता से नहीॊ ऩहुॉच सकता था। सभुरी भागथ की बायतीम नौसेना ने घेयाफॊदी कय री थी , अत् उसकी सेना को आऩ नत थ फॊद हो गमी। 5. ऩाककस्तान के अत्माचायों से ऩीडड़त होकय राखों की सॊख्मा भें ियणाथी बायत आमे। इस कायण बायत को ऩाककस्तान के भाभरे भें हस्तऺेऩ का भौका लभरा। प्रश्न 20. बायतीम सॊववधान भें कठोय एवॊ रचीरेऩन का सक्म्भश्रण है। इस कथन को स्ऩष्ट कीक्जए। http://www.mpboardonline.com

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    उत्तय- 1. सॊववधान भें सॊिोधन की प्रकक्रमा के आधाय ऩय सॊववधान का वगीकयण कठोय अथवा रचीरे रूऩ भें ककमा जाता है। 2. सॊववधान भें सॊिोधन की तीन प्रकक्रमाओॊ का उल्रेख है , क्जनके अनुसाय सॊववधान के कुछ प्रावधान सॊसद के साधायण फहुभत के कुछ प्रावधानों को फदरे जा सकते हैं। 3. ववलिष्ट फहुभत से तथा भहत्त्वऩ णथ िेि प्रावधानों भें सॊसद के ववलिष्ट फहुभत के साथ-साथ आधे याज्मों के अनुसभथथन से फदरे जा सकते हैं। इस दृक्ष्ट से बायतीम सॊववधान रचीरा औय कठोय है। बायतीम सॊववधान केवर एक याजनीनतक प्ररेख ही नहीॊ, अवऩतु फहुत अथधक है।

    अथवा बायत एक धभथ-ननयऩेऺ याष्र है, सभझाइए। उत्तय- बायतविथ भें ववलबन्न धभों को भानने वारे रोग ननवास कयते हैं। बायतीम याजनीनत ककसी धभथ से प्रबाववत नहीॊ है औय न ही बायत के आन्तरयक , वैदेलिक भाभरे धभथ से प्रबाववत होते हैं। याष्र सबी को सभान भानता है , ककसी धभथ वविेि को अन्म धभों की तुरना भें अथधक भहत्व नहीॊ ददमा जा सकता। ककसी बी नागरयक को ककसी बी धभथ को भानकय उसका प्रचाय कयने का अथधकाय है। याष्रीम स्क रों भें धालभथक लिऺा की व्मवस्था नहीॊ होती। इस प्रकाय ककसी एक धभथ को फढ़ावा नहीॊ लभर ऩाता जो मह स्ऩष्ट कयता है। कक बायत एक धभथ-ननयेऩऺ याष्र है। प्रश्न 21. ऩ ॉजीवाद के गुण की व्माख्मा कीक्जए। उत्तय-ऩ ॉजीवादी प्रणारी के गुण- ऩ ॉजीवादी प्रणारी भें ऩाए जाने वारे प्रभुख गुण ननम्नलरखखत हैं- 1. स्व सॊचालरत प्रणारी- इस प्रणारी भें सयकायी हस्तऺेऩ नहीॊ होता। सबी आथथथक गनतववथधमों का सॊचारन ‘भ ल्म तॊत्र' अथवा फाजाय िक्ततमों के आधाय ऩय होता है। अत् इस प्रणारी को स्वसॊचालरत प्रणारी कहा जाता है। 2. उत्ऩादन एवॊ आम भें वदृ्थध-ऩ ॉजीवादी प्रणारी के द्वाया ऩक्श्चभी देिों भें तेजी से प्रगनत हुई है। इन देिों भें राब की बावना एवॊ ननजी सम्ऩवत्त के रारच भें तेजी से ववकास हुआ है। इस प्रणारी भें प्रनतमोथगता की बावना से तकनीकी के स्तय भें सुधाय होता है। परत् ऩ ॉजीवादी व्मवस्था भें उत्ऩादन तथा आम भें तेजी से वदृ्थध होती है। 3. ऩरयवतथनिीर-ऩ ॉजीवाद भें ऩरयक्स्थनतमों के अनुसाय कामथ कयने का गुण है। ऩरयक्स्थनतमों के अनुसाय सयकाय की नीनतमों एवॊ कामथक्रभों भें ऩरयवतथन होते हैं। औद्मोथगक नीनत , कृवि नीनत, व्माऩाय नीनत , श्रभ नीनत आदद भें देि की ऩरयक्स्थनतमों के अनुसाय फदराव होता यहता है , ककन्तु ऩ ॉजीवादी प्रणारी अऩने भ र दिथन मथा राब कभाना के अनुसाय सॊचालरत होती यहती है। http://www.mpboardonline.com

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    4. व्मक्ततगत स्वतॊत्रता-इस प्रणारी भें व्मक्तत अऩनी इच्छानुसाय व्मवसाम का चुनाव कय सकता है। उऩबोतता बी अऩनी ऩसॊद के अनुसाय वस्तुएॉ चुन सकता है। धन कभाने औय उसे खचथ कयने की बी ऩ णथ स्वतॊत्रता यहती है। ऩ ॉजीवाद के अॊतगथत आथथथक कक्रमाओॊ के सॊफॊध भें ऩ णथ स्वतॊत्रता होती है।

    अथवा ववकलसत एवॊ ववकासिीर देिों के भध्म लबन्नता के कोई चाय भाऩदण्ड लरखखए। उत्तय- ववकलसत एवॊ ववकासिीर देिों भें अन्तय- ववकलसत देि ववकासिीर देि 1. इन देिों भें कृवि की प्रधानता नहीॊ होती। 1. महाॉ ऩय कृवि की प्रधानता होती हैं। 2. महाॉ ऩय प्राकृनतक साधनों का ऩ णथ उऩमोग ककमा जाता

    2. महाॉ ऩय प्राकृनतक साधनों का अल्ऩ उऩमोग ककमा जाता है।

    3. महाॉ उद्मोगों की प्रधानता हैं। 3. महाॉ ऩय उद्मोग अऩेऺाकृत कभ हैं। 4. तकनीकी लिऺा भें मे व्माऩक रूऩ से ववकलसत हैं।

    14. मह देि तकनीकी लिऺा भें ऩमाथप्त रूऩ से ववकलसत नहीॊ हैं।

    5. महाॉ ऩय साऺयता का प्रनतित ित-प्रनतित हैं।

    5. महाॉ ऩय साऺयता , का प्रनतित अऩेऺाकृत कभ हैं।

    प्रश्न 22. भौसभ भानथचत्रों का भहत्व/वविेिताएॉ फताइए। उत्तय- भौसभ भानथचत्र का भहत्व- (i) भौसभ भानथचत्रों की सहामता से भौसभ का ऩ वाथनुभान रगामा जाता है। इसे सभाचाय-ऩत्रों एवॊ आकािवाणी के भाध्मभ से प्रसारयत कय , अनतवकृ्ष्ट, अनावकृ्ष्ट, ब कम्ऩ, ओरावकृ्ष्ट, त पान एवॊ दहभऩात जैसी प्राकृनतक आऩदाओॊ से जन साभान्म को सुयक्षऺत कयने का प्रमास ककमा जाता है। (ii) भौसभ भानथचत्र से प्राप्त ऩ वाथनुभान नौ-सॊचारन , वामुमान की सुयक्षऺत उड़ान , अकार के दषु्प्रबावों एवॊ कृवि की सही देखबार भें भदद कयते हैं।

    अथवा बायत के भानथचत्र ऩय ननम्नलरखखत को दिाथइए- (1) ज ट उत्ऩादक ऺेत्र (2) गन्ना उत्ऩादक ऺेत्र (3) कारी लभट्टी का ऺेत्र मा कऩास उत्ऩादक ऺेत्र (4) चाम उत्ऩादक ऺेत्र

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    (5) यफय उत्ऩादक ऺेत्र।

    उत्तय-

    प्रश्न 23. 'फॊग-बॊग' का याष्रीम आन्दोरन ऩय तमा प्रबाव ऩड़ा? उत्तय- फॊग-बॊग का याष्रीम आन्दोरन ऩय प्रबाव 1905 के फॊगार ववबाजन के द यगाभी ऩरयणाभ साभने आमे क्जनके कायण बायतीम स्वतन्त्रता आन्दोरन को एक नई ददिा लभरी। इसके प्रभुख प्रबाव ननम्न प्रकाय थे- (1) बायतीम जनता ने फॊगार के ववबाजन के ववयोध भें देि बय भें अनेक सबाओॊ का आमोजन ककमा।

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    (2) फॊगार ववबाजन से न केवर फॊगालरमों भें योि उत्ऩन्न हुआ वयन ्सम्ऩ णथ याष्र ने इसे अऩना अऩभान सभझा। 16 अतट फय , 1905 ई. भें फॊगार का ववबाजन जफ सयकायी रूऩ भें भनामा गमा तो याष्रीम नेताओॊ भें सितत िब्दों भें इसका ववयोध ककमा। (3) फॊगार ववयोधी आन्दोरन ने लिऺा सॊस्थाओॊ के अनतरयतत स्वदेिी उद्मोगों की स्थाऩना के बी प्रमत्न ककमे क्जससे व्माऩारयक जनता तथा श्रलभकों भें बी याष्रीमता की बावना का ववकास हुआ। (4) याष्रीम लिऺा के भहत्त्व ऩय प्रकाि डारा गमा तथा सयकायी लिऺा सॊस्थाओॊ का फदहष्काय ककमा गमा। इसके अनतरयतत स्वतन्त्र याष्रीम लिऺा सॊस्थाओॊ की स्थाऩना की गमी। (5) फॊगार-ववबाजन के ववरुद्ध तीव्र प्रनतकक्रमा होने के कायण बिदटि सयकाय को इसे 1911 ई. भें यद्द कयना ऩड़ा। क्जससे काॊगे्रस के उग्रवाददमों की प्रनतष्ठा फढ़ी।

    अथवा क्राॊनतकारयमों के फाये भें आऩ तमा जानते हैं ? बिदटि िासन के ववरूद्ध उन्होंने कौन से तयीके अऩनाए? उत्तय- बिदटि सयकाय की प्रनतकक्रमावादी नीनत के ऩरयणाभस्वरूऩ 19वीॊ िताब्दी के अॊनतभ दिक भें बायत भें क्राॊनतकायी याष्रीमता का अभ्मुदम हुआ। फॊगार ववबाजन के फाद बायतीमों भें क्राॊनतकायी बावना का तेजी से प्रसाय हुआ। क्राॊनतकायी ववचायधाया के अनुमानममों का ववश्वास था कक अदहॊसा औय वैधाननक साधनों द्वाया याजनीनतक अथधकाय प्राप्त नहीॊ ककमे जा सकते हैं। क्राॊनतकायी भानते थे कक दहॊसा औय बम ददखाकय स्वयाज व स्विासन प्राप्त ककमा जा सकता है। वे भातबृ लभ को तत्कार ववदेिी फॊधन से भुतत कयना चाहते थे। अऩने उद्देश्म को प्राप्त कयने के लरए क्राॊनतकारयमों ने गुप्त सलभनतमों का गठन ककमा , मुवकों को सैननक प्रलिऺण ददमा , अस्त्र-सस्त्र एकत्र ककमे तथा सभाचाय-ऩत्रों औय अन्म भाध्मभों से क्राॊनतकारयमों ववचायों का प्रसाय ककमा। अऩने उद्देश्म की प्राक्प्त के लरए क्राॊनतकारयमों ने फॊगार भें अनुिीरन सलभनतमों की स्थाऩना की। मह सलभनतमाॉ मुवकों को बायतीम इनतहास औय सॊस्कृनत से अवगत कयाती थी तथा उसभें स्वतॊत्रता की बावना जगाती थी। सलभनतमाॉ मुवकों भें त्माग औय फलरदान की बावना उत्ऩन्न कय , उन्हें भातबृ लभ को ववदेिी फॊधनों से भुक्तत प्राप्त कयने के लरए तैमाय कयती थी। इस कामथ के लरए क्राॊनतकारयमों ने वऩस्तौर , फॊद क औय गोरा-फारूद का यास्ता चुना। प्रश्न 24. फाॊग्रा देि का उदम ककस प्रकाय हुआ तथा बायत ने उसभें तमा सहमोग प्रदान ककमा? उत्तय- 1971 के बायत-ऩाककस्तान मुद्ध की ऩरयणनत के रूऩ भें फाॊग्रादेि का उदम हुआ। जफ ऩ वी फॊगार औय ऩाककस्तानी िासक के ववरुद्ध-ववरोह हुआ , तफ बायत की सहानुब नत फॊगरा स्वतॊत्रता सेनाननमों के प्रनत यही। ऩाककस्तान के सैननक तानािाह ने जफ इन ववरोदहमों का

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    क्र यता के साथ दभन ककमा , तफ बायत ने इसका कड़ा ववयोध ककमा। ऩाककस्तान द्वाया ककमे गमे नयसॊहाय से बमबीत होकय ऩ वी फॊगार के अनेक ियणाथी बायत भें आ गए। बायत ने इनके बोजन-आवास की व्मवस्था की औय साथ ही फॊगरादेि की भुक्तत वादहनी के जवानों को प्रलिक्षऺत ककमा। इससे फॊगरा ियणाथथथमों का आजादी प्राप्त कयने के लरए उत्साह फढ़ा। 26 भाचथ 1971 को िेख भुजीफ के नेततृ्व भें स्वतॊत्र फाॊग्रादेि की घोिणा गुप्त येडडमो से की गई। इसके साथ ही ऩक्श्चभी ऩाककस्तान का दभनचक्र िुरु हुआ। अॊतत् 17 अप्रैर 1971 को फॊग्रादेि भें स्वतॊत्र प्रबुसत्ता सम्ऩन्न गणतॊत्र की घोिणा की गई औय ववश्व की सयकायों से भान्मता प्रदान कयने का आग्रह ककमा गमा। भुक्तत सॊघिथ के चरते रगबग एक कयोड़ फाॊग्रादेि को सभस्मा के िाॊनतऩ णथ सभाधान के लरए बायत की तत्कारीन प्रधानभॊत्री श्रीभती इॊददया गाॊधी ने कई ऩक्श्चभी देिों की मात्रा की ककन्तु उन्हें ऩ णथत् सपरता नहीॊ लभरी। अॊतत् 3 ददसम्फय 1971 को बायत-ऩाककस्तान के फीच मुद्ध िुरु हो गमा। फाॊग्रादेि के तत्कारीन ववदेि भॊत्री के अनुयोध ऩय बायत ने 6 ददसम्फय 1971 को फाॊग्रादेि को भान्मता प्रदान कय दी। 8 ददसम्फय 1971 को ही फाॊग्रादेि ने हुसैन अरी को बायत भें अऩना प्रथभ याजद त ननमुतत कय ददमा।

    अथवा तािकन्द सभझौते की िते लरखखए? उत्तय- तािकन्द सभझौते की िते ननम्नलरखखत हैं- 1. दोनों ऩऺों ने अच्छे ऩड़ोलसमों जैसे सॊफॊध ननभाथण कयने ऩय सहभनत व्मतत की। 2. दोनों ऩऺों ने मह सहभनत व्मतत की कक वे 5 अगस्त 1965 के ऩ वथ क्जस क्स्थनत भें थे वहाॉ अऩनी सेनाओॊ को वाऩस फुरा रेंगे। दोनों ऩऺ मुद्ध ववयाभ येखा ऩय मुद्ध ववयाभ की ितों का ऩारन कयेंगे। 3. दोनों ऩऺों ने एक-द सये के आॊतरयक भाभरों भें हस्तऺेऩ न कयने , एक-द सये के ववरुद्ध प्रचाय को ननरुत्सादहत कयने तथा ऩुन् याजननमक सॊफॊधों की स्थाऩना कयने का ननणथम लरमा। इसके अनतरयतत आथथथक , व्माऩारयक, साॊस्कृनतक सॊफॊधों को भधुय फनाने ऩय बी सहभनत व्मतत की गमी। प्रश्न 25. व्मवस्थावऩका के प्रभुख कामथ फतराइए। http://www.mpboardonline.com उत्तय- व्मवस्थावऩका के प्रभुख कामथ ननम्नलरखखत हैं- 1. कान न का ननभाथण- देि के िासन को सॊचालरत कयने के लरए कान नों के ननभाथण का कामथ व्मवस्थावऩका कयती है। 2. सॊववधान सॊिोधन- आवश्मकतानुसाय सॊववधान भें अगय ऩरयवतथन कयना आवश्मक होता है , तो मह कामथ सॊववधान द्वाया व्मवस्थावऩका को ददमा गमा है। व्मवस्थावऩका आवश्मक सॊिोधन कयने का कामथ कयती है।

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    3. प्रिासननक कामथ- व्मवस्थावऩका कामथऩालरका ऩय ननमॊत्रण कयने का भहत्वऩ णथ कामथ कयती है। सॊसदात्भक, िासन व्मवस्था भें कामथऩालरका व्मवस्थावऩका के प्रनत उत्तयदामी यहती है। इस तयह व्मवस्थावऩका प्रिासननक ननमॊत्रण का कामथ कयती है। 4. याज्म व िासन की नीनत का ननधाथयण- याज्म को ददिा देने एवॊ नीनत ननधाथयण का कामथ व्मवस्थावऩका कयती है। कामथऩालरका द्वाया ननधाथरयत नीनत को व्मवस्थावऩका ही स्वीकृनत प्रदान कयती है। 5. ववत्त सॊफॊधी कामथ- सयकाय द्वाया ननधाथरयत कयों को रगाने औय कयों को कभ अथवा सभाप्त कयने तथा िासन के व्ममों को स्वीकृनत प्रदान कयने का कामथ व्मवस्थावऩका द्वाया ककमा जाता है। इस तयह वह जनता से प्राप्त धन (ववत्त) ऩय ननमॊत्रण यखती है।

    अथवा भुख्मभॊत्री के कामथ एवॊ िक्ततमाॉ फताइमे अथवा भुख्मभॊत्री के कोई ऩाॉच कामथ लरखखए। उत्तय- भुख्मभॊत्री के कामथ एवॊ िक्ततमाॉ ननम्नलरखखत- 1. भॊबत्रभण्डर का गठन- भुख्मभॊत्री अऩने भॊबत्रमों का चमन कयके नाभों की स ची याज्मऩार को सौंऩता है। याज्मऩार उन्हें ही भॊत्री ननमुतत कयता है। भुख्मभॊत्री की लसपारयि ऩय ही याज्मऩार भॊबत्रमों के भध्म ववबागों का फॊटवाया कयता है। भुख्मभॊत्री आवश्मकता ऩड़ने ऩय भॊबत्रमों से त्माग-ऩत्र भाॊग सकता है। भुख्मभॊत्री ही भॊबत्रऩरयिद् की फैठकों की अध्मऺता कयता है। वह आवश्मकता ऩड़ने ऩय भॊबत्रमों को उनके ववबाग से सॊफॊथधत कामथ के ननदेि दे सकता है। जफ कोई प्रकयण दो भॊबत्रमों से सॊफॊथधत हो तो भुख्मभॊत्री आवश्मक ननदेि-भागथदिथन सॊफॊथधत भॊबत्रमों को दे सकती है। 2. ववधानसबा एवॊ याज्म का नेततृ्व- भुख्मभॊत्री ववधानसबा का नेता होता है। वह िासन की नीनतमों की घोिणा सदन भें कयता है। आवश्मकता ऩड़ने ऩय भॊबत्रमों के वततव्मों का स्ऩष्टीकयण देता है। याष्रीम एवॊ अन्म स्थानों ऩय वह याज्म का प्रनतननथधत्व कयता है। वह याज्म का प्रधान प्रवतता होता है। 3. भॊत्रीऩरयिद् याज्मऩार के फीच की कड़ी- भुख्मभॊत्री , भॊबत्रऩरयिद् एवॊ याज्मऩार के फीच कड़ी का काभ कयता है। वह भॊबत्रऩरयिद् के ननणथमों के सॊफॊध भें याज्मऩार को स चना देता है। 4. याज्म का प्रिासननक नेततृ्व भुख्मभॊत्री याज्म के प्रिासन का प्रभुख होता है , उसी के ननदेिानुसाय प्रिासननक कामथ होते हैं। 5. ववधानसबा का नेततृ्व- फहुभत दर का नेता होने के कायण भुख्मभॊत्री ववधानसबा का नेततृ्व कयता है। प्रश्न 26. बायत भें फेयोजगायी के कायणों का वणथन कीक्जए। उत्तय- बायत के फेयोजगायी के कायण ननम्नलरखखत हैं-

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    1. जनसॊख्मा भें तीव्र वदृ्थध- काभ कयने वारों की सॊख्मा तो फढ़ यही है , ऩयन्तु तुरनात्भक रूऩ भें कामथ के अवसय नहीॊ फढ़ ऩा यहे हैं। 2. कृवि ऩय फढ़ता दफाव- जनसॊख्मा वदृ्थध से कृवि ब लभ ऩय जनबाय फढ़ा है। इसके कायण उऩरब्ध ब लभ ऩय नछऩी हुई फेयोजगायी भें वदृ्थध हुई है। परत् ऩरयवाय का जीवन-स्तय कभ हुआ है औय प्रनत व्मक्तत आम कभ हुई है। http://www.mpboardonline.com 3. दोिऩ णथ लिऺा प्रणारी- लिऺा प्रणारी व्मावसानमक नहीॊ है। इससे राखों फी.ए. , एभ.ए. कयने वारे रोग फेयोजगाय यहते हैं। 4. दोिऩ णथ ननमोजन- हभाये देि भें ननमोजन नीनत योजगायभ रक नहीॊ है। योजगाय के अवसय अथधक उऩरब्ध हो सकें , इस ऩय ध्मान कभ ददमा गमा है।