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media_centre_dvds.doc 1 वेद� क� मौ�खक परंपरा (�वशव क� ममत �वरा) �नद�शक : आर. भारथाद �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 2 घंटे 33 �मनट इं�दरा गांधी राष कला लंघ (.गाँ.रा..के .) क� ओर ले �न�मरत वं भारत लरकार के कला मंाल लवारा परला�सत वै�दक गीत (ऋचां) �वशव क� लसले पपरानी मौौ�क परंपरा सै ज काा� लक�प सय वै�दक गीत �वशाल लंसक त ला�सर ले �ले गे सय , िजनका लंकलन 5000 ले 1500 लाल� पसले स आ वै�दक मंरचार क� परंपरा गऔर �शष के जमाने क� परंपरा सै ज प�त और सम �त के माम ले पीस दर पीस सथानांततरत सती आी सै .गाँ .रा..के . ने इल �ालम क यनेसक (UNESCO) के �ल भारत लरकार के कला मंाल क� ओर ले सनाा सै ज �क वेद� क� मौौ�क परंपरा पर आधातरत सै साद म� यनेसक ने वै�दक मंरचार क मानवता के �ल लवएरतम मौौ�क और अमयतर �वरालत भी माना े �ालम जै�मनी शा�ा, लामवेद क� रानााणी शा�ा और अथवर वेद क� लौनका ंव �पपलाद का उलले� करती सै के रल के चयर, कनारटक के गकणर वं सहनाव, त�मलनाडप के ची, मसाराष के शलापपर और उड़ीला के पपर वं सालेशवर इलका अनपलरण सता सै �ालम वै�दक लंस� क ल म� गाने क� अनयअन कारपणाल का अनावरण करती सै िजलका उदेश शयद� म� सना �कली केड़ काड़ के वेदप�अन� लवारा इन लंस� का पचार-पलार करना सै े जटापथ और घनापथ शयद� के पपनराव रती उरचारण पर पकाश डालती सै , िजले आगे , पीके और व रती ढंग ले व�न प म� समरक के लाथ गाा जाता सै समारा कै मरा पालवीपी भारत के कत गपक ल� के श� क कै द करता सै जसां पर ढेर लार परंपरां क स लम म� ले�कन अलग-अलग प म� आज भी �वलमान सय कॉपीराइट इ.गाँ.रा..के . पतरसण लं. 01 ****

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    वेद� क� मौ�खक परंपरा (�वशव क� ममूत �वरारू)

    �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 2 घंटे 33 �मनट इं�दरा गांधी राष््् कला लंघ (इ.गाँ.रा.क.के.) क� ओर ले �न�मरत वं भारत लरकार के कला मंंाल् लवारा प्रला�सत

    वै�दक गीत (ऋचा ं) �वशव क� लसले पपरानी मौौ�क परंपरा सै ज् काा� ल्क�प् सय वै�दक गीत �वशाल लंसकक त ला�सर् ले �ल्े ग्े सय, िजनका लंकलन 5000 ले 1500 लाल� पसले सपआ वै�दक मंं्रचार क� परंपरा गप और �शष् के जमाने क� परंपरा सै ज् प�त और समक�त के माे्म ले पीस् दर पीस् सथानांततरत स्ती आ्ी सै इ.गाँ.रा.क.के. ने इल �ालम क् य्नेसक् (UNESCO) के �ल भारत लरकार के कला मंंाल् क� ओर ले सना्ा सै ज् �क वेद� क� मौौ�क परंपरा पर आधातरत सै साद म� य्नेसक् ने वै�दक मंं्रचार क् मानवता के �ल लवएरतम मौौ�क और अमयतर �वरालत भी माना

    ्े �ालम जै�मनी् शा�ा, लामवेद क� राना्ाणी् शा�ा और अथवर वेद क� लौनका ंव �पपपलाद का उलले� करती सै केरल के ंचयर, कनारटक के ग्कणर व ंस्हनावर, त�मलनाडप के ंची, मसाराष् के श्लापपर और उड़ीला के पपर् व ंसालेशवर इलका अनपलरण स्ता सै �ालम वै�दक लंंस� क् ल् म� गाने क� अनयअन का्रपणाल् का अनावरण करती सै िजलका उदेश् शयद� म� सना �कली केड़ काड़ के वेदप�अन� लवारा इन लंंस� का पचार-पलार करना सै ्े जटापथ और घनापथ शयद� के पपनरावकरती् उरचारण पर पकाश डालती सै, िजले आगे, पीके और वकरती् ढंग ले ेव�न प म� समरक के लाथ गा्ा जाता सै समारा कैमरा पा्लवीपी् भारत के कत गप कप ल� के ुश्� क् कैद करता सै जसां पर ढेर लार् परंपरा ं क स् लम् म� ले�कन अलग-अलग प म� आज भी �वल्मान सय

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    रामल�ला

    (रामायण का पारंप�रक पदरतश) भाग प्म मर र�वू�य

    �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 1 घंटा 57 �मनट इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    रामा्ण भारत का लसले पपराना ंंथ सै, िजलम� 24,000 काव्ारमक कंद� का लमावशे सै ज् भारती् अे्ािरमक परंपराओं के �ल मील के परथर ला सत सप लंसकक �त और जीवन क् चलाने वाले लंसकार� के लं््जन के प म� रामल्ला भगवान राम के कमम क् लम�परत सै िजहस्न� भि तम् पयजा के उदशे् क् पयरा �क्ा भगवान राम ने र्ाग, लौसादर, े्ान और परसपर भातचारा के �ल आदशर सथा�पत �क्ा उरतर् भारत क� रामल्ला �सदं् भाषा म� लंक�लत रामचतरत मानल पर आधातरत सै िजले तपललीदाल ने �ल�ा था इं�दरा गांधी राष््् कला लंघ ने इल डा य्म�टर् (वकरत�चं) क् भारत लरकार के कला मंंाल् के �ल सनवा्ा सै और इले य्नेसक् क् पसतपत �क्ा जा गा इल दसतावेज म� रामल्ला के माे्म ले मानवता क� मौौ�क और अमयतर �वरालत का उरकक षट उदासरण दशार्ा ग्ा सै ्स �ालम रामनगर (वाराणली) क� रामल्ला पर आधातरत सै लाथ स् अवध, बज और मधपसनी क� परंपराओं पर भी पकाश डालती सै

    रामल्ला उरलव के दौरान पयरा रामनगर कससा क तप्भय�म म� सदल जाती सै ज् कर्स 20,000 ल्ग� के �ल क मंच सन जाता सै ्सां पर ल्ग नाट् कलाकार� के लाथ �मल कर जरथे म� क लाथ पपप् नाटक दे�ने जात ेसै ज् �क 31 �दन� तक चलता सै रामल्ला के पसले �दन रामनगर के राजा साथी पर लवार स्कर नाटक का शपभारंभ करने के �ल आत ेसै भगवान राम का सालसव प �कली सपजपगर के कंधे पर आता सै दशरक अपने लाथ रामचतरतमानल क� प�त्ां लेकर आत ेसय और जस रामल्ला के पां अपने लंवाद स्लना शप करत ेसय त् ल्ग लाथ-लाथ रामचतरत मानल ले द्स� और चौपाइ्� क् द्सरात ेसय

    ्स �ालम अ््े्ा के रामल्ला क� पौराौणक और भाषा लंसंधी सार्�क्� का अहवेषण करती सै िजलम� बज, मधपसनी �ें और अवध क� स्�ल्� का �म ण सै ्स भारत क� अमयतर �वरालत क् नाटक के माे्म ले मौौ�क प म� पसतपत करती सै

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    शवकलेवरा – शया वूार

    �नद�शक : पकथवीराज �म ा अव�ध : 49 �मनट 10 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    उड़ीला के पपर् म� जगहनाथ मं�दर म� भगवान जगहनाथ और उनके ला�थ्� क� मय�तर् � क् नीम क� लकड़ी ले सना्ा जाता सै र्�त-तरवाज के मपता सक इन मय�तर् � क् 12/19 लाल� के अंतराल पर सना्ा जाता सै इल उरलव क् नवकालेवारा ्ा न्ा अवतार कसा जाता सै इल �ालम म� 29 माचर 1996 क् ज्ेषअ पयौणरमा के 65व� �दन ले पसले के उरलव वाले �दन क् दशार्ा ग्ा सै इले सम लनन पयौणरमा भी कसत ेसय

    ्े पाचीन उरलव सनजगा ्ांा के इदर-�गदर घयमता सै ज् मय�तर् ां सनाने के �ल्े प�वं लकड़ी क� तलाश म� क� जाती सै मं�दर के इल काम के �ल्े पौराौणक मयल के द�्त ्ा दैत जनजाती् ल्ग अ�धकक त स्त ेसै िजहसे �वलावालप जनजा�त्� का उरतरा�धकार् माना जाता सै

    अग्ा माला के �मलने के साद, दे�्ता ल्ग अपनी ट्�प्� क् पसन कर �नकल जात ेसय िजन पर गीता ग्�वदं के द्से मप�दत स्त ेसय लस् पकार क� नीम क� लक�ड्� क� तलाश ले पसले आशीवारद लेने के �ल्े रथ मांगल् गपाा क� और ससता सै नीम का पेड़ 15 ा�ट ऊँचा स्ना चा�स िजलम� प��्� के घ�लले (क्टर) न सने स् और उनम� लांप न रसत ेस� काटने ले पसले 2 �दन तक पेड़ क� पयजा क� जाती सै लट� क् अेले पर लादकर वा�पल भगवान जगहनाथ के मं�दर ला्ा जाता सै प�लर रथ ्ांा के 15 �दन पसले इन लक�ड़्� ले भगवान जगहनाथ जी और उनके ला�थ्� क� पावन मय�तर् ां सनात जाती सै पकक �त का लंतपलन सना्े र�ने के �ल िजल जगस ले पेड़ काटा जाता सै उल जगस पर नीम के पौधे का र्पण �क्ा जाता सै

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    गो�ूपुआ इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला

    �नद�शक : गपलससार �लसं अव�ध : 31 �मनट 58 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    भारत म� नकर् क� परंपरा जीवन शैल्, उरलव और पपप् आराधना का पालं�गक �म ण रस् सै लांसकक �तक, लातर् और क�करण परंपराओं का आधार रसा सै पप ष ग्�तपपआ नतरक और देवदा�ल्ां भगवान क् लम�परत स्ती सय और इहस�ने स् ओ�डली क् आकार �द्ा ्स नकर् अस मं�दर� ले लावरज�नक जगस� तक जा पसपंचा सै ग्िरतपपआ क ली�मत दा्रे म� स् �लमट कर रस ग सय ्स �ालम नकर् ले पसले के लेत प�श�ण के दौरान प्वा नतरक� क� शार्तरक और मान�लक तै्ातर्� क् लम�परत सै ्स �ालम भारत क� मसानतम अमयतर �वरालत क्

    राजं�ल सै िजलका लंसंध ग्�तपपआ ल्ग� के भारत क� नकर् कला परंपराओं म� ््गदान ले सै

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    केरल के �भितू �च �नद�शक : आर. लारथ अव�ध : 30 �मनट 28 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम केरल के म�दर� के कलारमक �भिरत�चं ले जपड़ े नकर्� क� घटती परंपरा और �वरालत पर पकाश डालती सै ्स कलाकार� क� धा�मरक आसथा क् दशारती सै ज् पावन प प्रल का �नमारण करत ेसै िजले धय�ल �चं कसा जाता सै इनक् सनाने के �ल केवल पाँच पाकक �तक रंग� जैले शवेत, श्ाम, पीले, लाल और सरे रंग� का इसतमेाल �क्ा जाता सै ्े �चं रंग� के माे्म ले कत पौराौणक कसा�न्� क् दशारते सय ्े द्भपजी् और तीन भपजी् रंगी और गस् सपत वासतप�शलपी् लतस� के लिपमलन क् दशारत ेसै

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    ्ांग-ूा म�णपुर क� मारतल आआत

    (इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला) �नद�शक : अतरसम श्ाम शमार अव�ध : 25 �मनट 24 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    मौणपपर् माशरल आटर (लामतरक कला) क् थांग ता (तलवार और सरकन) कसा जाता सै ्स कला लड़ात के गपर और पयजा क् लम�परत स्ती सै थांग ता का मेरतत लकजन पाचीन काल म� सपआ कसा जाता सै �क अ�शसा के �पता अतंगक्क �शतासा ने उहस� अपना �पद का लंलार सनाने क् कसा लकजन के �ल्े िजन सव प� का च्न �क्ा ग्ा उनम� ले क क् थ�गाऊ कसा जाता सै िजलका वणरन थांग ता म� �क्ा जाता सै आजकल ्स कला काक�पन ले जयझ रस् सै इल �ालम ने थांग ता कला के कप क अंश� का पता लगा्ा सै ज् माशरल आटर और अे्ारम के �म ण के �वपर्त मौणपपर् ल्ग� क� मान�लकता म� जी�वत सै

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    वांगला - (एक गारो महोतरव) (इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला)

    �नद�शक : सपपा रे अव�ध : 30 �मनट 46 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    पिशचमी मेघाल् म� गार� लमपदा् के वंशज �तयसत ग्े थे गार् क� पसा�ड़्ां अलम और सांगलादेश क� लीमाओं के मे् ाैले लमतल �ें ले जपड़ी सै गार् लमपदा् के ल्ग भगवान लय्र क् अपना इषटदेव मानत ेसॉ लय्र देव क् गार् अपने झयम का शालक मानत ेसय ज् उनक� �ेती साड़ी क� रसम� और जीवन ले पर्� प ले जपड़ा सै गार् लमपदा् का वागंला पवर भगवान लय्र क् लम�परत स्ता सै िजलका उदेश् उदारता और जन कल्ाण क� �प�श्� क् मनाना सै ्स व त उललाल मनाने का स्ता सै, दयलसा और दपलसन चपनने का स्ता सै और प्वा ल्ग� के �ल्े द्सती ससाने का �पशनपमा मौका स्ता सै ्स �ालम गार् लमपदा् के दशरनशासं, माह्ताओं और उलयल� क� पकषअभय�म म� ल्ग� के जीवन और व त के सारे म� �पद के नजतर्े ले सताती सै और ्स उनक� ल्च का आतना सै

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    लाई हरोबा इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला

    �नद�शक : अतरसम श्ाम शमार अव�ध : 27 �मनट 51 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    लात सर्सा क् लात साओ ल्सा शयद ले �ल्ा ग्ा सै इल अवधारणा का मपे् अथर ल्ग� पर देवता क� पयणर कक पा ले सै ्स मौणपपर का वा�षरक उरलव सै ज् अपलै ्ा मत मस्ने म� लगातार 7,9 ्ा �ार 13 �दन� तक मना्ा जाता सै ्स �ालम पकक �त के लकजन क� गवास् के प म� पारंपतरक नकर्, नाटक और पलंग� लवारा जीवन क� कत अवसथाओं क् दशारती सय िजलम� पेड़ पौधे भी शा�मल सय अंड ेके पीले और लाेद भाग क� तपलना नर और मादा के �लरांत के लाथ क� जाती सै प�वं जल भगवान गप �लदावा के ना�वक क् सपशर करता सै अ�त्ा गप �लदावा क� मदद ले मनपष्� पर उपकार सेतप �यसलयरत सजल् क� देवी क� मदद ले दानव सारवा क् सरात ेसय

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    महाकंुभ: " मशू क� खोज म�" (इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला)

    �नद�शक : सपपा रे अव�ध : 48 �मनट 1 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    प्ाग – आधप�नक इलासासाद िजले तीथरराज भी कसा जाता सै, प�वं न�द्� का लंगम सै और िजलके �कनारे पर तीन ला� दल सजार के कर्स तीथर सथान सै मसाकपं भ ज् 12 लाल� म� क सार स्ता सै इल �ालम का �वष् सै ्े �ालम 2001 के मसाकपं भ का वणरन करता सै जस ला�� ल्ग पावन नद् म� पपप् कमाने क� कामना म� डपसक� लगात ेसै ्स आंततरक अिगनस्ं के सथान क� मौौ�कता का वणरन करता सै िजलम� ल्ग शर्र और मन ले कप क धा�मरक का्र करते सै िजलका उदेश् े�मक �वशव और �पद ले तरशता सना्े र�ना सै इल तपस्ा का उदेश् अपने अंदर के जसर्ले ल्म क् जला कर ऊजार का अमकत सं्त सनाना स �वशव म� लौर ऊजार क् उकलाने के अलावा इल प�े्ा क् पानी के चे�् वकरत के लाथ ज्ड़ा जाता सै माना जाता सै �क मसाकपं भ म� नसा कर रालप अपने पाप� ले मपि त क� कामना करत ेसय

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    राजा द�श दयाल �नद�शक : ज् चंद्राम अव�ध : 20 �मनट 31 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम राजा द्नद्ाल के जीवन और उपलियध्� पर पकाश डालती सै िजहस�ने अपने कप शलता ले ा्ट्ंाा� क� दप�न्ा म� ेां�त ला्ी थी द्नद्ाल 20 लाल क� उम म� स् क ््ग् अ�भ्ंता सन ग्े थे वस ल्क�नमारण �वभाग म� मपे् अनपमानक और डारटमैन थे उलके साद उहस्ने कैमरे ले नाता ज्ड़ा उहस� राजा क� उपा�ध सैदरासाद के �नजाम� ने द् थी और रानी �व ट्तर्ा ले शास् �न प्ि त अ�धकार पं �मला था लन 1875 म� ब�टश ज�ट ने राजा द्नद्ाल क् वेलल के राजकप मार (�पलं) के भारत आगमन का भव् लमार्स कवर करने के �ल्े �न प् त �क्ा उहस�ने ा्ट्ंाा� म� सड़ े �चं, डालमे्र ल�ल, डात पलेटल, पी ओ पी (POP) पेपर का इसतमेाल �क्ा इलके साद �लकंदरासाद म� द्नद्ाल ने �ाल तौर पर म�सलाओं के �ल अपना सड़ा ा्ट् सटय �ड्् �्ला इल ामर म� 50 ल्ग काम करत ेथे िजलम� कप क जमरन परेटर भी थे उहस्ने पयरे देश का दौरा सैलगाड़ी और रेल म� �क्ा उहस�ने देश क� पपरातिरवक इमारत�, वासतप�शलपी् �वरालत�, मसल�, �यसलयरत जगस� और मं�दर� के ा्ट् �ींच ेऔर मे् भारत म� ब�टश ज�ट लर लेपेल �ं�ान के �ल्े वासतप�शलपी् ा्ट्ंाार भी रसे

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    ब�जापुर क� पुशरावशितू �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 52 �मनट 40 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    सीजापपर क� जमीन 16 ले 17वीं शतायद् म� आ�दल शास् के भव् वासतप�शलप के �ल्े जानी जाती सै आ�दल शास क् लांसकक �तक लंशलेषण के �ल्े प्ार ले जगत गप पदशास के नाम ले जाना जाता सै ्स �ालम उनके लवारा सना्े ग्े धमर�नरपे�, र�ा और धा�मरक वासतप�शलपी् इमारत� क् दशारती सै इलके अलावा 1892 म� सथा�पत भारत के पपरातिरवक �वभाग के लंंसाल् म� र�ी ड ेकन प��टगंल का �नर्�ण करती सै ्स प�तेव�न वाले ग्लगपंसज और िवससपर गैलर् (�चंशाला) क� तसवीर� �द�ाती सै और सताती सै �क कैले 45 �डंी के क्ण पर ्े ेव�न्ां 10 लतस� तक इल भवन म� पराव�तरत स्ती सय

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    हे�मर (इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला)

    �नद�शक : म. के. रैना अव�ध : 33 �मनट 15 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    17वी शतायद् म� राजा लेहग्ा नामग्ाल ने से�मल ग्पपा का �नमारण �क्ा था ज् दप पा वंश का मपे्ाल् था लदा� म� सै�मल ग्पपा का वा�षरक लमार्स ग्ालले तरनप्च ेने शप �क्ा िजलम� सौर धमर के कत माह्ताओं और परंपराओं का वसन �क्ा जाता सै गप प लंभव ने चमरकातरक ढंग ले कमल पर जहम �ल्ा था सै�मल उरलव �तयसती पंचांग के अनपलार पांचवे मस्ने 10व� और 11व� �दन मना्ा जाता सै िजलम� �तयसती ल्ग मप�ौटा पसनकर गप जी क� सपराइ्� के ौ�लाा जीत के पलंग क् नकर् और लंगीत के माे्म ले ल्ग� क् लपनात ेसै ्स उरलव धमर और �पशसाल् क् लम�परत सै

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    हमप� (�वशव �वरारू ्ल) भाग प्म रे षष्

    �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथम ले षषअ : 2 घंटे 27 �मनट 19 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम �वशव धर्सर सपपी क� भव्ता क् दशारती सै सपपी क् पाचीन काल म� पंपक�ें कसा जाता था सपपी 14वी और 16वी लद् म� �वज्नगर लामाज् क� राजधानी थी ज् कनारटक क� तपंगभदा नद् के द��ण �कनारे सला सै कैमरा आ�दकाल्न परथर� ले सने समारक, देसात का ुश्, �कलासहद्, नसर, �वराट ग्पपरा, �वशालका् �शलप, वीहल साथ और चंदश�ेर मं�दर, �व प� मं�दर, ल�मी नर�लसं ्ा कक षण मं�दर, सजारा राम मं�दर, �वठल और �त वेहगलनाथ मं�दर के ुश् �द�ाता सै ्स �ालम मौौ�क पलंग क� परंपरा, लमपद के �भरती् पदेश क� लंसकक �त क� क�व , �वलवान� क� �टपपणी और लंगीत सतंभ� ले उरपहन लंगीत क् �द�ाता सै

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  • media_centre_dvds.doc 14

    पंजाब के �मरार� गाशे के �लए जनमे

    भाग प्म मर र�वू�य �नद�शक : �श�ा झींगन अव�ध : 49 �मनट इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम पंजास के �वभाजन ले पसले के अनयअन �मराली परंपरा क् भी कैमरे म� कैद करती सै जसां पर मपिसलम औरत� जीवनचे उरलव� म� सेर्क-ट्क भाग लेती थी ं धमर क� लीमाओं ले �नकल कर �पद क� पसल ले लामािजक लांसकक �तक सतर पर भाग लेती थीं ्स �ालम समक�त म� डयसकर उल इ�तसाल क् ्ाद करती सै जस �मरालन मकर प् पर सेट्क र्ती थी, जहम और �ववास जैले �पशनपमा मौक� पर �प�श्ां मनाती थीं लस धमम के ल्ग� के मे् ्स व्वसार लेतप का काम करता था आजकल �मरालन के सरच ेअपनी आजी�वका के �ल्े घर-पतरवार क् क्ड़कर लावरज�नक जगस� पर लंघषर कर रसे सय

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  • media_centre_dvds.doc 15

    बादाम� क� बाू करू� मम�ूतया ं �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 51 �मनट 29 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम कनारटक के सीजापपर िजले के सादामी गपाा के शानदार मय�तर् � क् भी �द�ाती सै िजले 16वी लद् म� राजा मंगलेश ने पिशचमी चालप ् के अंदर सना्ा था 579 तला पयवर इल धर्सर क� लश त कार्गर्, अर्ाधपरकरम�वरा�लटम के �ल्े शास् उपा�ध �मल् थी उभ्�लगंी �शव अधरनार्शवर, सतरसर, �वषणप ं�वकमार, सौ�धलरव प पाौण, �वशालका् सतंभ कार्गर् का उरकक षट उदासरण पेश करत ेसै

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  • media_centre_dvds.doc 16

    आइहोल भारू�य वा ूुकला का पालशा

    �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 34 �मनट 12 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    आज का आइस्ल गांव कनारटक के भागलकट िजले का क पपराना और लमकर गांव सै इलका वासत�वक नाम अ्ाव्ला ्ा आ्रपपर सै 6वीं ले 8वीं लद् म� ्स चालप ् राजवंश क� राजधानी थी लपाट कत वाले लडै �ान मं�दर, लपाट कत वाले क्हटागपडी मं�दर, �शव क् लम�परत दपगार मं�दर, उरतर् भारत क� शैल् म� सने �श�र मं�दर सपचीमल् गपड़ी और सपचापा्ा, पसाड़ी पर सने मेगपती जैन मं�दर ्े लभी आतस्ल क� लांपदा�्क परंपरा और ल�द्रशासं के लंगम क् दशारत ेसय

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  • media_centre_dvds.doc 17

    वणबेलागोला भाग प्म रे ूशू �य

    �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथमथ 25 �मनट 55 लेकंड पकरण ( �पल्ड) ल�वती्थ 26 �मनट

    पकरण ( �पल्ड) Iल�वती्थ 24 �मनट 40 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    मैलयर ले 50 मील पयवएरतर म� िसथत �वंे ्�गर् और चंद�गर् पसा�ड़्� ले जपड़ता सपआ �ें ावण सेलाग्ला सै िजले जैन लमपदा् का काशी भी कसा जाता सै ्स �ें मं�दर�, जलाश्�, �वपपल मय�तर् � ले पतरपयणर सै िजनक् 10 और 12वीं लद् म� परथर� ले तराशकर सना्ा ग्ा सॉ ्साँ पर सासपसल् मसाराज क� 58.8 ाप ट सड़ी मय�तर सै िजहस� स�लदान और पतरर्ाग का पतीक माना जाता सै परथर� क् तराशकर ग्मतशेवर का �नमारण �क्ा ग्ा सै ज् जैन लमपदा् क� अह् आकाशवकरती् धर्सर� म� ले लसले �व�शषट सथान र�ती सै सासपसल् पसले तीथ कर के लंत पपं थे ्े मय�तर 10वीं लद् के पिशचमी गंगा का्र के नमयन� का उरकक षट उदासरण सै कैमरा चंद�गर् पसाड़ी के �यसलयरत ुश् भी पद�शरत करता सै ज् लंत और रालपओं के �ल्े आंततरक म्� क� जगस सै मसान राजा चंदगपपत मौ्र ्सां अपने जैन गप भदासासप के लाथ अपने अं�तम �दन� म� जैन लमपदा् क� लाले�ाना परंपरा का �नवरसन करने और म्� पािपत के �ल्े ्सां आ्े थे इल �ालम म� प�वं पकक त भाषा म� �लौ�त ले�, जैन दशरन शासं क� लंपयणर लमझ, लांके�तक अथर और र्�त तरवाज� का पता चलता सै

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  • media_centre_dvds.doc 18

    ऊम� - ि ूतव के �लए ल ाई (इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला)

    �नद�शक : माइकल �व�ल्पल अव�ध : 26 �मनट 5 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम लपपत धर्सर ऊम� (पपराने जमाने म� केरला के माशरल आटर कलातरप्ाटप का दपलरभ शसं) पर पकाश डालती सै इल शसं म� 12 ल्चशील धार स्ती थी ज् 12 ाप ट तक आराम ले घयम लकती थीं आज इल शसं का नाम� �नशान �मट ग्ा सै ्स �ालम इल शसं क� उरपिरत के सारे म� जानकार् देती सै और इलक� लांके�तक भाषा और �तरनाक पयवरलयचना क् लमझने का प्ाल करती सै माशरल आटर का �ववरण पौराौणक काल के धनपव�द क� ससतॉ�ल�प्� म� �मलता सै माना जाता सै �क भगवान परशपराम जी भी माशरल आटर म� �नपपण थे उहस� शसं और शासं का लप्क ााता भी कसा जाता सै ्स �ालम माशरल आटर म� ऊम� शसं क� मौौ�कता और कड़ ेप�श�ण के सारे म� सताती सै ज् गप ओं क� लेत �नगरानी म� स्ता था औरत� भी अपनी लपर�ा के �ल्े माशरल आटर का लसारा लेने म� पीके नस्ं रस्ं ्स �ालम ब�टश लामाज् के दौरान न ्र ल्ग� के लंघषर के �दन� म� ऊम� शसं के प््ग के सारे म� भी सताती सै

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  • media_centre_dvds.doc 19

    मुखौआे के प�छे भाग प्म मर र�वू�य

    �नद�शक : लंजीव भटाचा्र अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथमथ 28 �मनट 43 लेकंड

    पकरण ( �पल्ड) ल�वती्थ 38 �मनट 32 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    �ालम वैषणव, सौर मअ� के सारे म� और उनके लमपदा् के मौौ�क परंपराओं के पीके कप पे लंदेश क् सताने का प्ाल करती सै इन मप�ौट� के पीके के सव�सत ंव पतर�सत, जीवन और मकर प्, आदशर काल और आ�दकाल, व्ि तगत ले लेकर लामय�सक उदेश्� क् लमझाने का प्ाल करती सै इलके अलावा पयवएरतर भारत के ल्ग� के व्ि तगत पसचान के लंदभर म� लामािजक, लांके�तक, आे्ािरमक और कलारमक सदलाव� क् भी दशारती सै

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  • media_centre_dvds.doc 20

    डोकम -शाआक (डामा) (ूाशा भगू क� �वरारू) भाग प्म मर र�वू�य

    �नद�शक : लौरभ �कश्र अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथम : 29 �मनट 53 लेकंड

    पकरण ( �पल्ड) ल�वती् : 34 �मनट इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ताना भगत (1888-1918) तक आधप�नक झार�ंड राज् के जनजाती् लमपदा् क्टानागपपर का नेता था क लमाज लपधारक के तौर पर उहस�ने ल्ग� क् अंध�वशवाल और शरास�्र् जैली सपरात्� के प�त लचते �क्ा और देश और दप�न्ा के लाथ लमपदा् के ल्ग� क् अ�सलंा और शां�त के मागर पर चलने के �ल्े पेतरत �क्ा ्स मसारमा गांधी के काल ले काा� पसले क� सात सै ताना पं�डत� का मयल मंं भगवान क� आराधना और शां�तम् जीवन सै ्े ल्ग लादा जीवन, पकक �त और वन� ले प्ार और लािरवक भ्जन क् अपनात ेसय लाेद झंडा इल लमपदा् के ल्ग� का पतीक सै ब�टश लामाज् ले लंघषर के �दन� म� भी इहस्न� लर् और अ�सलंा का �नवरसन �क्ा

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  • media_centre_dvds.doc 21

    राू रुर (इ.गाँ.रा.क.के. क� ममूत �वरारू शखंला)

    भाग प्म मर र�वू�य �नद�शक : लंज् �हना अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथमथ 31 �मनट 15 लेकंड

    पकरण ( �पल्ड) ल�वती्थ 32 �मनट इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम पौराौणक और मसानतम ेव�न धर्सर नाद का वणरन करती सै िजले घराना परंपरा के राग और ताल क� �व�वधता ले जाना जाता सै इन घरान� म� गवा�ल्र का पाचीन घराना और वाल सरचा घराना शा�मल सै ्े �ालम घरान� क� मौौ�कता और उनक� लेवाओं के �वसतकत �ववरण का �चंण करती सै 13वीं और 14 वी ंलद् म� अमीर �पलर् के �्ाल क् पारली सवर और �सदंय राग� के दपलरभ लंंस क् पका�शत करती सै इल �ालम म� घरान� के नजतर्े ले मसान लंगीतकार� लवारा �्ाल क् द् गत अपनी आजीवन लेवाओं के सारे म� जानकार् द् गत सै इल �ालम म� भारत के �व�भहन लगंीत �वल्ाल्� के सवर के उरचारण म� �व�वधता जैले ती�ापन, मजसयती ्ा �ार कस्ं पर �मअाल और गतरमा पर पकाश डालती सै

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  • media_centre_dvds.doc 22

    �दवय रााया�भषेक (बाहुबल� के महाम ूका�भषेकम - करकाला)

    भाग प्म मर र�वू�य �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथमथ 22 �मनट 34 लेकंड

    पकरण ( �पल्ड) ल�वती्थ 24 �मनट 36 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम सासपसल् के मसामसतका�भषेकम क� रसम का वणरन करती सै ज् करकाला म� 12 लाल� के साद स्ती सै इलक� शप आत जैन धर्सर सलाद् के �नमारण ले सपत इल रसम म� सासपसल् क� 42 ाप ट ऊंची मय�तर क् 10 �दन� तक सनान करवा्ा जाता सै इल �ालम म� �ीर अ�भषेक, सवन क� प�े्ा और उरलव मय�तर क् सासर लेकर जाने के ुश् सय इलम� �द�ा्ा ग्ा सै �क �कल तरस ले कलश पयजा के �ल्े कलश� क् प�वं धागे ले सांधा जाता सै और उरलव के दलव� �दन 350 करच ेनातर्ल� के पानी ले सने �व�भहन रंग के पानी ले सासपसल् के मपौ�्ा का सनान करवा्ा जाता सै इलम� गहने का रल, 350 ल्टर दयध, 75 �कल् चावल का आटा �मला्ा जाता सै और ऊपर ले चंदन और सलद् का �कड़काव �क्ा जाता सै इल दसतावेज ले जैन लमपदा् के लामािजक और धा�मरक माह्ताओं क� गसरात का पता चलता सै

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  • media_centre_dvds.doc 23

    देव वारयशगल (केरल के मं�दर उपकरण) भाग प्म मर र�वू�य

    �नद�शक : आर लारथ अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथमथ 29 �मनट 11 लेकंड पकरण ( �पल्ड) ल�वती्थ 28 �मनट 36 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स �ालम मं�दर� के �व�भहन धा�मरक परंपराओं और तरवाज� क् लंपहन करने सैतप वाल् उपकरण� लवारा उरपहन ेव�न्� क� ज�टलताओं का वणरन करती सै जैले पंच वाल् के आधार पीनी का उप््ग भगवान क� मय�तर क् सासर �नकालने के �ल्े �क्ा जाता सै इलके अलावा �ालम म� केरला के कम ल्क�प् मं�दर के वाल् उपकरण मदलाम, र्ापसका क्पपय, कप झाल और पंच वाल्म जैले लपधा मदलाम, दाका, क्पपय और इलाथलम का उलले� भी �क्ा ग्ा सै इल �ालम म� गप व य्र परंपरा के सारे म� सता्ा ग्ा सै जसां पर ंावणक्र �वल्ाल् म� इन वाल् उपकरण� क् सजाने क� द्�ा द् जाती थी इन उपकरण� क् सजाने क� परंपरा के सारे म� लंगीतकार� ने अपने �वचार भी र�े सै

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  • media_centre_dvds.doc 24

    बशहदेशवर मं�दर ूंजावुर

    महाकंुभ �भषेकं (जमश 1997)

    �नद�शक : ज् चंद्राम अव�ध : 57 �मनट 37 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    �ालम सकसदेशवर मं�दर का वणरन भी करती सै िजले राजाराजा च्ला (985-1012 त.) म� भगवान �शव के लपमान सना्ा था िजलम� �शव नटराज के प म� नजर आत ेसै इल मं�दर के वासतप �शलप म� 500 ा�ट ऊंची द्वार पर आपक् भगवान �शव क� 108 नकर् क� मपदाओं के दशरन स�गे

    त�मलनाडप के थंजावपर के 1000 लाल पपराने च्ला म� बस�दसवरा मं�दर क् 12 लाल� के साद मसाकपं भ अ�भषेकम के �ल्े �ार ले प�वं �क्ा जाता सै इल �ालम म� अ�भषेकम परंपरा के दौरान लंकलप ले लेकर मं�दर पर प�वं पानी डालने के दपलरभ ुश् सय इल प�े्ा म� 132 ्ा आसय�त्ां द् जाती सय इल पयजा म� नवंस� क� शां�त के �ल्े घड़� के प�वंीकरण और पयजा क� लस् �व�ध पर ज्ादा े्ान �द्ा जाता सै इल दपलरभ दसतावेजी �ालम म� मसाकपं भ अ�भषेकम क� परंपरा और मौौ�क र्�त तरवाज� क� उरकक षट धर्सर का �चंण सै ज् भ�वष् के �नद�श� के �ल्े ससपत उप््गी ला सत स्गा

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  • media_centre_dvds.doc 25

    द��ण कनश - देव� माँ क� भम�म भाग प्म मर �ूु्त

    �नद�शक : ल. ल. राजेश अव�ध : पकरण ( �पल्ड) पथम-चतपथर -1 घंटा 54 �मनट इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    इल �ालम म� द��ण कनारटक के लभी लमपदा् और जा�त्� के लंदभर म� देवी माता क� पयजा क� परंपरा क� मसरता का उलले� �क्ा ग्ा सै ्े �ालम नार् देवी् शि त के पौराौणक मसरव के सारे म� सताती सै िजनका लंसंध मसापपराण� ले सै नार् देवी् शि त के लकजन, पजनन और �वेवंलक प� क् वणरन करती सै �ालम के दयलरे भाग म� देवी मां के �व�भहन प� का वणरन �क्ा ग्ा सै जैले मतर्म, मसाकाल्, ीदेवी, मसाअंसा इर्ा�द ्े मंगला देवी, नवरां� , मंगल्र क� धर्सर कादार् मं�दर, मकप आर� क� इषट देवी और भ त जन� क� लमा�ध के �चं� दशारती सै ्स �ालम पौराौणक कथाओं और अगर् माह्ताओं ले जपड़ ेपलंग� के सारे म� जानकार् देती सै ्स �ालम द��ण कहनड़ के अंसपदेशवर, मसा�लगेंशवर, अ�धल�मी और दपगार परमेशवर् मं�दर �चं� क् दशारती सै

    कॉपीराइट इ.गाँ.रा.क.के. पतरंसण लं. 25

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  • media_centre_dvds.doc 26

    पौरा�णक मर रं्ाल के ब्मांड �व ाश बशाम

    �नद�शक : सपपा रे अव�ध : 42 �मनट 57 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    लंथाल लमपदा् के ल्ग पकक �त के नजद्क रसत ेसय लमपदा् के प म� उनका लंसंध प्ारवरण, पतरिसथ�त �वाान और दैवी् शि त्� ले सै इल �ालम म� जै�वक और अजै�वक पदाथम के सीच के तारतप्, मानवी् और अमानवी् लमपदा् के ाकर और भौ�तकता के प�त उनक� ल्च के सारे म� सता्ा ग्ा सै

    लंगीत और नकर् लंथाल लमपदा् के ल्ग� के जीवन अ�भहन �ससला सै और उनका लसले ल्क�प् लंगीत उपकरण ‘सनाम’ सै िजलके सारे म� उनका मानना सै �क ्े उहस� वरदान के प म� �मला सै

    इल लंगीत ्ंं ले लंथाल लमपदा् क� पौराौणक कथा जपड़ी सै िजलम� पकक �त और मनपष् के तरशत ेके सारे म� सता्ा ग्ा सै लंथाल 'सनाम' क् अपने शर्र का क �ससला मानत ेसै ्े जपड़ाव शयद लंरचना और वण ले सै सालां�क सनाम लंगीत ्ंं क� लंरचना औरत के शर्र जैली सै ले�कन इले पप ष सजात ेसय लंथाल ल्ग सनाम क� सनावट करत ेलम् उलके कत भाग� क् मनपष् के शर्र क� तरस सनात ेसै इल�ल सनाम क� लंरचना �लर, कान, गदरन, काती और पेट म� �वभािजत स्ती सै सनाम के उपकरण पकथवी ्ा शर्र क� लंरचना ले पेतरत स्त ेसै स्स्क (�लर) आकाश क� तरस ऊपर लसले ऊपर स्ता सै स्ट्क (गदरन) और क्रम (लीना) शवाल लंसंधी अंग सै और लांके�तक प म� वा प् ले लंसं�धत सै पेट क् अिगन तरव ले ज्ड़ा जाता सै और व� सथल क् पानी ले तार क् शवाल क� उपमा द् जाती सै िजलले लंगीत और शर्र द्न� शि त्� म� जीवन का लंचार स्ता सै

    ्स �ालम 'सनाम लंथाल लमपदा् के पौराौणक और ब्मापड �वाान' पर आधातरत सै ज् सनाम के �नमारण के �व�भहन सतर� क� व्ाे्ा करती सै सनाम ्ंं गपलाजं ससा ्ा गपला �लन पेड़ के क स् लकड़ी के लटे ले सना्ा जाता सै इल पेड़ क� लक�ड्ां ससपत मपला्म और क्ट् स्ती सै लंथाल लमपदा् के ल्ग इल पेड़ क् ज्ादातर अपन घर� के आल-पाल लगात ेसै िजलम� मधपर लपगंध वाले ाय ल लगत ेसै इन ाय ल� का इसतमेाल लंथाल म�सला ं आभयषण सनाने म� करती सय इल पेड़ क� शा�ा ं ससपत पतल् और नाजपक स्ती सै िजलक� लकड़ी ससपत नमर, सलक� स्ती सै और इसतेमाल म� आलान स्ती सै

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    �वज़डम फोजश इश आाइम – प्म खंड

  • media_centre_dvds.doc 27

    (खजाशे क� खोज म�..... कोलकाूा मर गुवाहाआ�) �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 82 �मनट 46 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    कलकतूा �वशय�वरयालय ह ूलेख लं्ालय: कलकरता �वशव�वल्ाल् के ससतले� ंंथाल् म� कागज क� पापडप �ल�प्� का सड़ा लंंस सै इल लाइबेर् के र�वाले लम्-लम् पर आजमा ग �व�ध्� का प््ग करत ेसय ्स �ालम सताती सै �क �कल पकार ले ्े लंंस सना ग लाथ स् कप क ले�� पर भी पकाश डालती सै लपत ररन: सौर� के लात प�वं पतीक, अषट लसा��का पजन पर�मता, दवाओं पर �तयसत के ससतले�, चैतह् चतरतामकता पर 250 लाल पपराना उड़ी्ा ले�, 300 लाल पपराना व�दात ससतले� इर्ा�द

    ए�रया�आक रोराइआ�, कोलकाूा: �श्ा�टक ल्लाइट् क� सथापना 1783 म� लर �व�ल्म ज्हल ने क� थी आज इल ल्लाइट् म� 26 भाषाओं म� कर्स 47000 ससतले� सय इल लंंस क् इकटा करने म� राजा राज�द लाल �मं और सरा पलाद शासंी का असम ््गदान रसा सै �वलवान� के �ल �श्ा�टक ल्लाइट् ल्ने क� �ान क� तरस रस् सै आइन-त-अकसर, कप यजीकमाटम, तजपरमा- -मसाभारत, व य् ा कलकरता (कलकरता का ुश् 1848 इर्ा�द) �ालम म� �द�ा ग कप क ससतले� सय

    बं गया रा�हतय प�रषद: �ालम इलके साद सं�ग्ा ला�सर् पतरषद का िजे करती सै इलम� भार् लंे्ा म� लंसकक त और संगला के ससतले� सय ज् ससतले� �ालम म� �द�ा ग सय उनम� ले पमप� सय- पंदसवी लद् म� �ल�ा ग्ा पंचर�ा सौर ले�, नेवार् ससतले� और 600 लाल पपराना ीकक षण �कतारना ससतले�

    रं कश ू रा�हतय प�रषद: लंसकक त ला�सर् पतरषद समारा अगला पड़ाव था देश के �ल धर्सर माने जाने वाले ससतले�� क् लसैजकर र�ने के �ल कलकरता के मे्र के तौर पर नेताजी लपभाष चंद स्ल ने इलके �ल जमीन द् ताड़ के परत� और काल पर �ल�े ग मसाभारत और भागवत मसापपराण क� दपलरभ झल�क्ां भी समारे कैमरे म� कैद सप�

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    गुवाहाआ� �वशव�वरयालय पु ूकालय: �ालम गपवासाट् क� शि तपीअ के �वशेष लंदभर म� गपवासाट् के तमाम पसलपओं पर पकाश डालती सै और �चं� के माे्म ले लमझा ग 13वीं लद् के ससतले�� के �वशाल लंंस का लव��ण करती सै ्े कत तरस क� �ल�प्� म� अगा नामक पेड़ क� काल पर �ल�े ग सय इल काल क� �वशेषता ्स सै �क इलम� क�ड़ ेनस्ं लगत ेसय इल �ालम म� इ�तसालकार� का मत भी तरकॉडर �क्ा ग्ा सै (अंंेजी म� लाउंड साइट) लाथ स् इल �ालम म� पारंपतरक व्वसथा क� झलक दे�ने क् �मलती सै तथा 17वीं लद् म� �लौ�त �चं� के माे्म ले व्ाे्ा �क ग लव कप श प्र, उरव लंवाद (पिरत्� के रल, ग्-मयं का उप््ग रंग� के तौर पर �क्ा ग्ा सै) जलेै दपलरभ ससतले�� का वणरन भी �मलता सै लाथ स् 16वीं लद् म� �ल�े ग भागवत ्क् भी भी इल �ालम म� �द�ा्ा ग्ा सै

    कामरप शुरंंाश र�म�ू: इ.गाँ.रा.क.के. क� कैमरा ट्म ने काम प अनपलंधान ल�म�त का भी दौरा �क्ा िजलक� सथापना 1912 म� सपत थी इलम� कर्स 300 दपलरभ ससतले� लंभाल कर र�े ग सय �ालम म� ज् ससतले� �द�ा ग सय उनम� ले कप क पमप� सय- क�व सतरसर �वपरा क� लवकप श प्र, लांची पं पर �ल�ा ग्ा मसाभारत का आ�दपवर, अलमी �ल�प म� �ल�ा ग्ा गीत ग्�वदं, �चं� के माे्म ले लमझा ग अनंत आचा्र क� आनंद लसर् और 17वीं लद् म� �ल�ा ग्ा ससतले� ल�चं लपंदर कांड

    शारायण� हां�डक� ऐ�ूहा�रक रं ्ाश (शारायण� हां�डक� �ह आट�रकल इं आ�टयमआ): इल लंसथान म� अगा नामक पेड़ क� काल पर �ल�े ग ससतले� सय 17वीं लद् का ससतले� शलप पवर, ससती �वल्ारप्् (सा�थ्� के उपचार के सारे म� �ल�ा ग्ा ससतले�), तंं �वल्ा ले लसंं�धत ले� सटपक भैरव, अं�क्ा नाट और माधव कादंल् लवारा र�चत लंका कांड क् �ालम म� �द�ा्ा ग्ा सै

    कॉपीराइट इ.गाँ.रा.क.के. पतरंसण लं. 27

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    �वज़डम फोजश इश आाइम – र�वू�य खंड �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 88 �मनट 49 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत गवशतम�आ �रएंआल ममनयुि िसआ लाइबेर�, मदार यम�शव�रतआ�, �नेशईई राजक�् ओतर ंटल ससतले� पपसतकाल्, मदाल �वशव�वल्ाल्, चहेनत: ऐ�तसा�लक धर्सर सन चपक� इल ससतले� पपसतकाल् क� सथापना 1869 म� सपत थी इलम� कागज और ताड़ के परत� पर �ल�े ग कर्स 70,000 ससतले�� का �वशाल लंंस मौजयद सै �ाल सात ्स �क �ल�ावट म� वैाा�नक शैल् का प््ग सपआ सै ्स पपसतकाल् पाचीन भारत क� अ पत �वरालत क् लसैजे सप सय इलम� आ प्व�द, �लर, य्नानी �च�करला पर�त और औष�ध, वेद, शासं, भाषा, ज््�तष शासं, वासतप कला जैले गयस और मसरवपयणर �वष्� पर �ल�े ग ससतले� र�े ग सय �ालम म� समन� िजन ससतले�� क् �द�ा्ा सै व् सय- गणप�त मंं, ्ंं के आकार म� लय�लनी मंं, मानव शर्र रचना �वाान के सारे म� ससतले�, चदपरंग (शतरंज), 1695 म� �ल�ी गत नप दीन तेसरानी क� क�वता ं

    कसपम वाम� रा च� �रर�त इं आ�टयमआ, �नेशई (कसपम वाम� रा च� रों रं ्ाश): प्ाेलर ल कपपयसवामी शासंी क� समक�त म� इल लसंथान क� सथापना क� गत थी प्ाेलर कपपयसवामी क् द��ण भारती् लंसकक �त अनपलंधान के लंसथापक के तौर पर जाना जाता सै इल लंसथान म� जीवन के सर �ें ले जपड़ े सप �वष्� पर ससतले�� का �वशाल लंंस सै िजलम� पाचीन भारती् दशरन, औष�ध, ्ंं के रे�ा �चं� के माे्म ले लमझा ग तंं, वै�दक और शासंी् ला�सर् शा�मल सय भागवत, कक षण का जीवन, लामवेद के मंं ्रचार का ससतले�, ्ंं, औष�ध ले जपड़ ेससतले�� क् �ालम म� �द�ा्ा ग्ा सै

    �रएंआल �रर�त इं आ�टयमआ, ममरमर ( �रएंआल रों रं ्ाश, ममरमर): इल �ालम म� ओतर ंटल तरलचर इंसट्ट य्ट म� मौजयद ससत�े �वरालत के लाथ मैलयर शसर के पतरुश् क् �द�ाने का प्ाल �क्ा ग्ा सै 110 लाल पपराना ्े लंसथान पसले मैलयर का राजक�् पपसतकाल् था इल सैतरटेज पपसतकाल् म� कर्स 70,000 ससतले� सय इल लंसथान ने अपका�शत ससतलेे�� क् लेकर 201 पपसतक� का पकाशन करा्ा सै ्े पपसतक� वेद, ज््�तष, �ग्ल �वाान, नाट्शासं, रल �लरांत, ेव�न �लरांत और औष�ध्� इर्ा�द पर क� �दत सय ्स �ालम कप क अर्ंत दपलरभ ससतले�� पर पकाश डालती सै जैले �क 500 लाल पपराने कौ�टल् लवारा �लौ�त अथरशासं, 230 पिरत्� क� वलमी�क रामा्ण, वीरमासैशवर लंंस क�व नागनाथ, प�तपाद पं�चका और द्घर काल के �ल दवाओं क् लपर��त र�ने क� तकनीक के ऊपर ग्�वदंाचा्र का आ प्व��दक ससतले� आ�द

    एकाडमे� ऑफ रं कश ू �रर�त, मेलुकोआे (रं कश ू शुरंंाश कादम�, मेलुकोआे): कैडमी ा लंसकक त तरलचर का मपे् �ें �वाान तथा तकनीक� रसा 10 �भहन �ल�प्� के 10500 रचनाओं पर पकाश डाला ग्ा, िजनम� �तयसती �ल�प, आ प्व�द, चार वेद�, �श�ा, व्ाकरण, कंद लमेत वेदांग� क� पांडप �ल�प्ां शा�मल सय ऐली कप क पांडप �ल�प्ां सय: तलेपगप �ल�प म� उप�नषद, ंंथ �ल�प म� रामा्ण; कक षणकथालार लंंस 18वीं लद् के कहनड़ �ल�प म�; �सरण क� रवचा के पांडप �ल�प्� का इसतमेाल आ�धकातरक लंपकम म� �क्ा जाता था .

    कॉपीराइट इ.गाँ.रा.क.के. पतरंसण लं. 28

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    �वज़डम फोजश इश आाइम – ूशू �य खंड �नद�शक : आर. भारथाद् �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 72 �मनट 46 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ू�मल �वशव�वरयालय, ूंजावुर: त�मल �वशव�वल्ाल् म� ताड़ पं� पर �ल�े ग 8000 ससतले�� के लाथ राजसव तरकॉडर के 500 गटर उपलयध सय इल �ालम म� 700 परत� वाले क 300 लाल पपराने ससतले�, व्ि तगत मपसर वाले वं कसयतर के लवारा पसपंचा जाने वाले पं, प�ी शासं, 15वीं लद् के त�मल व्ाकरण, कां� लवारा �ल�े ग काग् के लाथ अंक ज््�तष के ससले�, �चं� के माे्म ले लमझा गत राल ल्ला इर्ा�द क् �द�ा्ा ग्ा सै

    रर वू� महल, ूंजावुर: ्स �ालम तंजावपर के राजली शसर का �दगदशरन कराती सै और उलका अहवेषण

    करती सै, क पपजार् क् �द�ाती सै ज् आज भी ताड़ के परत� पर �ल�ता सै और �ार ्स �ालम लरसवती मसल म� पवेश करती सै लरसवती मसल दपलरभ ससतले��, मान�चं�, प��टगं और �कतास� का अ पत �जाना सै इलम� ताड़ पं� पर �ल�े ग 30433 ससतले� और 6426 �कतास� सय ्स �ालम इन ससतले�� के पांतरण के कत म्ड़ पर पकाश डालती सै लंसकक त म� नाना�वधा �नघंटय , तलेगय शयदक्श, कंस रामा्ण, 1801 म� मसाराजा लाएजी लवारा ताड़ पं� पर सनात गत ससत�े� क� लयची क् भी इल �ालम म� �द�ा्ा ग्ा सै

    राजक�य रंलहालय, भुवशेशवर: ्स �ालम भयवनेशवर क� शानदार वासतपकला क� परे�ा क् लंसथा�पत करती सै और उड़ीला के ससतले�� क� अ पत �वरालत क् पसतपत करती सै उड़ीला का राजक�् लंंसाल् पसला पड़ाव सय जसां पर पमप� प ले ताड़ के परत� पर �ल�े ग कर्स 37,000 दपलरभ ससतले�� का लंंस दे�ने क् �मलता सै ्सां पर आप सौर �तयसती ले��, रनेट ता ंंक ले�� के लाथ ल�चं वैषणव ले�� के भी दशरन कर लकत ेसय ्स् नस्ं तलवार, त्ता, साथ के पं�े, सांल के परत,े चयसा इर्ा�द के सव प म� सना ग ससतले�� भी आपक� ्सां पर दे�ने क् �मल�गे समारे कैमरे ने 18वी ंलद् के क�व उप�द भजन लवारा र�चत �चं काव्, ज्देव लवारा र�चत गीत ग्�वदं लमेत लवा ग लपंदर् ट्का जलेै ससतले�� क� झल�क्ां कैद क�

    उतकल �वशव�वरयालय का पु ूकालय (उतकल यम�शव�रतआ� लाइबेर�): अगड़ा पड़ाव था उरकल �वशव�वल्ाल् का पतरजा पपसतकाल् इल ससतले� पपसतकाल् म� ताड़ के परत� पर �ल�े ग ससतले�� का �वशाल लंंस मौजयद सै ्े ससतले� मपे् प ले जगहनाथ मं�दर ले ला सय और इनम� तौन-तर्क�, परंपराओं और पशालन का वणरन सै कप क ससतले� दशावतार और देवी शासं के सारे म� सय

    केदारशा् गवेषण प�ूष्ाश, भुवशेशवर: भपवनेशवर म� अगला सटेशन केदारनाथ गवेषण प�तषअान था इल पपसकाल् म� ताड़ पं पर �ल�े ग कर्स 3000 दपलरभ ससतले� सय इनम� ले कप क ससतले� गौणत, गीत ग्�वदं वेद इर्ा�द पर सय

    कॉपीराइट इ.गाँ.रा.क.के. पतरंसण लं. 29

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    गंगा – मुखबा रे गंगोच� के �लए एक याचा �नद�शक : सी. ल. रावत �ल�प : डॉ. गौतम चटज� अव�ध : 46 �मनट 04 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    �ालम सार ले सक� �समाल् क� च्�ट्� क् �द�ाती सै और ग्मप� के गले�श्र क� झल�क्� क् कैमरे म� कैद करती सै ्स गंगा का उलगम सथल सय और ्स्ं ले गंगा लवारा �न�मरत जल लज्ता क� शप आत स्ती सै संगाल म� �ाड़ी म� जाकर �मलने ले पसले प�वं गंगा नद् कर्स 2500 �कल्मीटर क� दयर् त् करती सै ्स �ालम गंगा आइकन (पतीक) के द् सव प� का दशरन कराती सै पसला गम� के मौलम म� गंग्ंी का और दयलरा 25 �कल्मीटर नीच ेमपे् अधवा मप�ीमअ नामक सथान पर, जसां ले व् द्पावल् के साद क� ्ांा शप करती सै

    ्स �ालम गंगा क� ्ांा क् उलके आरंभ मपेसा ले स् कैद करती सै गंग्ंी मं�दर अ�् तकती्ा के शपभ �दन पर �पलता सै इ.गाँ.रा.क.के. क� कैमरा ट्म ने �भहन-�भहन र्�त-तरवाज�, मौौ�म �मथक� और ल�द्� ले पचलन म� रसै लामािजक धा�मरक लंसंध� का जा्जा लेने और उहस� कैमरे म� कैद करने के �ल 25 �कल्मीटर क� चसात (्े�कंग) क� �ालम इल सात पर पकाश डालती सै �क कैले ंाम देवता ल्मेशवर देव अपनी रा अ�परत करने के �ल मपेसा आत े सय और कैले गंगा आइकन मारकपडे् मप�न के आ म क� तप्भय�म म� अविसथक अहनपयणार मं�दर म� जाती सै इलके साद ड्ल् गंगा के दयलरे पड़ाव के �ल दपगार �लर पीअ क् जाती सै

    इलके साद व् परथर� के स्लडर�, पगड�ंड्� और रासत� ले गपजरत ेसप ITBP (भारत-�तयसत लीमा पप�लल) के कय प क्पांग पसपंचने ले पसले क पौराौणक सथल जांगला पसपंचती सै इलके साद क� ्ांा करके व् भैरव घाट् पसपंचती सय जसां पर रा ं �व ाम के �ल गंगाजी का सवागत करने के �ल मं�दर �पलता सै उलके साद अ�् तकती्ा के �दन गंगाजी क� ्ां गंग्ंी तक जाकर लमापत स्ती सै और वसां पर भव् उरलव क� शप आत स्ती सै इल पकार �ालम गंगाजी क� पद ्ांा क् तरकॉडर करती सै, लेमवाल� के मौौ�क परंपराओं का दशरन कराती सै, गंगा देवी के पपजातर्� क् �द�ाती सै, गंग्ंी के पलाद आशीवारद का पकक �त के लाथ लंसंध� पर पकाश डालती सै, कपाट के �पलने के दौरान के र्�त-तरवाज� क् कवर करती सै, गंग्ं� म� गंगा मं�दर के �पलने के ुश् क् �द�ाती सै गंगा क� पतीक (गंगा का प धारण करने वाल् लड़क�) सर लाल सलकप ल क स् तर्के ले द्पावल् के साद मप�सा क् लौट जाती सै

    कॉपीराइट इ.गाँ.रा.क.के.

    पतरंसण लं. 30 ****

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    शागमंडल – शाग पमजा �नद�शक : �शव पलाद अव�ध : 43 �मनट 12 लेकंड इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    नाग ्ा लांप पयजा पाचीन भारती् परंपरा सै नाग क� पयजा नागद्ष ले मपि त पाने के �ल और उवरर्ा और लमक�र के �ल क� जाती सै सजार� लाल ले रालप कप मारधारा नद् के �कनारे परशपराम क� धरती पर आत ेरसै सय ्स प�वं कप के ी लपबमप्म �ें के �ल तीथरसथल सै ्स �ालम मं�दर क� �े्ापर�त म� पारंपतरक ल्क और शासंी् �वचारधारा ्ा मत के लस-अिसतरव पर पकाश डालती सै ्स् नस्ं ्स �ालम कक �ष लंसंधी �लरांत� वं उनके अनपपालन और सौर परंपरा के कअे �वभाग म� उिललौ�त नाग� के सारे म� जानकार् देती सै लाथ स् ्स �ालम मं�दर� क� नगर् उ�दपी क् भी पद�शरत करती सै और आपक् ्स पारंपतरक चीट् क� पसाड़ी सटाइल म� सने गाव� का भी पतरभमण कराती सै जसां पर नागाओं क� पयजा क� जाती सै इन नाग� क् घड़� के सगल म� र�ा जाता सै और इन घड़� के उपर क� लजावट कपं डल्नपमा लांप� ले क� गत स्ती सै ्स �ालम नागा साना का भी उलले� करती सै जसां पर क पेड़ क� जड़ के पाल कक �ष लंसधी र्ौसार के �ससले के तौर पर नाग� क� लैकड़� प�तमा ं र�ी गत स्ती सय ्स �वपदा ले सचाने के �ल नागमंडला उरलव मनाती सै िजलम� रंग्ल् के उपर र�े ग 64 तरस के नाग� के पयवरज क� शां�त के �ल पयजा क� जाती सै ससपरंगी् रंग्ल् म� लपेटे ग्े लांप, �दनभर चलने वाला सवन और रात भर नाग और ना�गन का नकर् उवररता और लमक�र क् दशारत ेसय

    कॉपीराइट इ.गाँ.रा.क.के. पतरंसण लं. 31

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    ममरमर का लोक क्ा रंलहालय

    �नद�शक : म. �लगंराज अव�ध : 75 �मनट 12 लेकंड (3पकरण ( �पल्ड)) इ.गाँ.रा.क.के. लवारा पसतपत

    ्स डॉ प्म�टर् (वकरत�चं) कनारटक क� आ�दवाली दप�न्ा क� थास लेता सै और उनके औजार� के सारे म� सताता सै ्स ल्काचार क� वकसत �दशाओं के भीतर अल�वती् ल्कला�सर् के सारे म� सता सै ्स भयत-आराधना और लकड़ी क� मय�तर् � के �लरांत क� पर्�ण करता सै लाथ स् इल �ें के पारंपतरक लमाज पर देवी मा ं के पभाव क� भी जांच करता सै इलके साद �ालम क� �वष् वसतप वीरगाथा नकर् ेव�नक� और लंगीत वाल््ंं� पर सथांनांततरत स् जाती सै �ार स�