IBPS RRB PO 2015 Hindi Language Capsule/newstechcafe

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IBPS RRB PO/CLERK Online Exam 2015

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Hindi Sentences (ह िंदी वाक्य):-

वक्ता के कथन को परू्णत: व्यक्त करने वाले साथणक शब्द सम ू को वाक्य क त े ैं।

वाक्य में परू्णता तभी आती ै जब पद सनुनश्चित क्रम में ों और इन पदों में पारस्पररक अन्वय (समन्वय ) ववद्यमान ो।

वाक्य की शदु्धता भी पदक्रम एविं अन्वय से सम्बिंधधत ै।

वाक्य के भदे:-

1. रिना की दृश्टि से:- रिना की दृश्टि से वाक्य तीन प्रकार के ोत े ैं:

(अ) सरल वाक्य

(ब) सिंयकु्त वाक्य

(स) ममधित वाक्य

(अ) सरल वाक्य:- श्जन वाक्यों में एक मखु्य क्रक्रया ो, उन् ें सरल वाक्य क त े ैं। जैसे पानी बरस र ा ै।

(ब) सिंयकु्त वाक्य:- श्जन वाक्यों में साधारर् या ममि वाक्यों का मेल सिंयोजक अव्ययों द्वारा ोत े ै

उसे सिंयकु्त वाक्य क त े ैं, जैसे राम घर गया और खाना खाकर सो गया।

(स) ममधित वाक्य:- इनमें एक प्रधान उपवाक्य ोता ै और एक आधित उपवाक्य ोता ै जैसे राम ने

क ा क्रक मैं कल न ीिं आ सकूिं गा।

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2. अथण की दृश्टि से वाक्य भेद:- ये आठ प्रकार के ोत े ैं: -

(1) ववधानाथणक :- श्जसमें क्रकसी बात के ोने का बोध ो। जैसे मो न घर गया।

(2 ) ननषधेात्मक :- श्जसमें क्रकसी बात के न ोने का बोध ो। जैसे सीता ने गीत न ीिं गाया।

(3) आज्ञावािक :- श्जसमें आज्ञा दी गई ो। जैस ेय ािं बठैो।

(4) प्रचनवािक :- श्जसमें कोई प्रचन क्रकया गया ो। जैसे तमु क ााँ र त े ो?

(5) ववस्मयवािक :- श्जसमें क्रकसी भाव का बोध ो। जैसे ाय, व मर गया।

(6) सिंदे वािक :- श्जसमें सिंदे या सिंभावना व्यक्त की गई ो। जैसे व आ गया ोगा।

(7) इच्छावािक :- श्जसमें कोई इच्छा या कामना व्यक्त की जाए। जैसे ईचवर तमु् ारा भला करे।

(8) सिंकेतवािक :- ज ााँ एक वाक्य दसूरे वाक्य के ोने पर ननभणर ो। जैसे यहद गमी पड़ती तो पानी बरसता।

Visheshan (Adjectives) (ववशषेर्)

ववशषेर्

जो क्रकसी सिंज्ञा या सवणनाम की ववशषेता बताता ै उस ेववशषेर् क त े ैं।

जैसे: मोिा आदमी, नीला आसमान आहद।

ववशषेर् के िार भेद ोत े ैं:

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1. गरु्वािक ववशषेर् : जो शब्द क्रकसी व्यश्क्त या वस्त ु के गरु्, दोष, रिंग, आकार, अवस्था, श्स्तधथ,

स्वभाव,

दशा, हदशा, स्पशण, गिंध, स्वाद आहद का बोध कराये, गरु्वािक ववशषेर् क लात े ैं, जैसे काला, गोरा, अच्छा, सुिंदर,

ख़राब, गीला , रोगी, छोिा, कठोर, कोमल , खट्िा, नमकीन, बब ारी, सगुश्न्धत आहद।

2. पररमार्वािक ववशषेर्: व ववशषेर् जो अपने ववशटेयों की ननश्चित या अननश्चित मात्रा का बोध कराए।

इसके दो भेद ोत े ैं

1. ननश्चित पररमार्वािक ववशषेर्:- ज ााँ नाप, तोल या माप ननश्चित ो, जैसे एक क्रकलो िीनी, दो मीिर कपडा।

2. अननश्चित पररमार्वािक ववशषेर्: :- ज ााँ नाप, तोल या माप अननश्चित ो जैसे थोड़ी िीनी, कुछ लकड़ी।

3. सिंख्यावािक ववशषेर् :- सिंख्या सिंबिंधी ववशषेता बताने वाले शब्दों को सिंख्यावािक ववशषेर् क त े ैं।

ये दो प्रकार के ोत े ैं:

1. ननश्चित सिंख्यावािक ववशषेर्: ज ााँ सिंख्या ननश्चित ो, जैसे पािंि लड़के, दो छात्र।

2. अननश्चित सिंख्यावािक ववशषेर्: ज ााँ सिंख्या अननश्चित ो जैसे सैंकड़ों लोग, अनेक लडक्रकयािं।

4. सावणनाममक ववशषेर् :- वे सवणनाम शब्द जो सिंज्ञा शब्द से प ले आकर उसकी ववशषेता बतात े ैं, सावणनाममक

ववशषेर् क लात े ैं, जैसे कौन लोग आये ैं ?

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Kriya (Verb) (क्रक्रया)

क्रक्रया :-

श्जस शब्द से क्रकसी कायण का ोना या करना समझा जाय , उसे क्रक्रया क त े ैं ! जैसे - खाना , पीना ,

सोना , र ना , जाना आहद !

क्रक्रया के दो भेद ैं :-

1- सकमणक क्रक्रया :- जो क्रक्रया कमण के साथ आती ै , उसे सकमणक क्रक्रया क त े ैं !

जैसे - मो न फल खाता ै ! ( खाना क्रक्रया के साथ कमण फल ै )

2- अकमणक क्रक्रया :- अकमणक क्रक्रया के साथ कमण न ीिं ोता तथा उसका फल कताण पर पड़ता ै !

जैसे - राधा रोती ै ! ( कमण का अभाव ै तथा रोती ै क्रक्रया का फल राधा पर पड़ता ै )

- रिना के आधार पर क्रक्रया के पााँि भदे ै :-

1- सामान्य क्रक्रया :-वाक्य में केवल एक क्रक्रया का प्रयोग ! जैसे - तमु िलो , मो न पढा आहद !

2- सिंयकु्त क्रक्रया :- दो या दो से अधधक धातओुिं के मेल से बनी क्रक्रयाएाँ सिंयकु्त क्रक्रयाएाँ ोती ै ! जैसे - गीता स्कूल िली गई आहद !

3- नामधात ुक्रक्रयाएाँ :- क्रक्रया को छोड़कर दसुरे शब्दों ( सिंज्ञा , सवणनाम , एविं ववशषेर् ) से जो धात ुबनत े ै , उन् ें नामधात ुक्रक्रया क त े ै जैसे - अपना - अपनाना , गरम - गरमाना आहद !

4- प्रेरर्ाथणक क्रक्रया :- कताण स्वयिं कायण न करके क्रकसी अन्य को करने की प्रेरर्ा देता ै जैसे - मलखवाया , वपलवाती आहद !

5- पवूणकामलक क्रक्रया :- जब कोई कताण एक क्रक्रया समाप्त करके दसूरी क्रक्रया करता ै तब प ली क्रक्रया ' पवूणकामलक क्रक्रया क लाती ै जैसे - वे पढकर िले गये , मैं न ाकर जाउाँगा आहद !

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Kaal (Tenses) (काल)

काल

- क्रक्रया के करने या ोने के समय को काल क त े ैं काल के तीन भदे ैं -

1- भतूकाल - ' भतू का अथण ै - बीता ुआ । क्रक्रया के श्जस रूप से य पता िले क्रक क्रक्रया का व्यापार प ले समाप्त ो िकुा ै , व भतूकाल क लाता ै ; जैसे -

सीता ने खाना पकाया । इस वाक्य से क्रक्रया के समाप्त ोने बोध ोता ै । अत: य ािं भतूकाल क्रक्रया का प्रयोग ुआ ै !

2- वतणमान काल - वतणमान का अथण ै - उपश्स्थत अथाणत श्जस क्रक्रया से इस बात की सिूना ममले क्रक क्रक्रया का व्यापार अभी भी िल र ा ै , समाप्त न ीिं ुआ , उसे वतणमान काल क त े ैं ; जैसे - मो न गाता ै ।

3- भववटयत काल - भववटयत का अथण ै - आने वाला समय । अत: क्रक्रया के श्जस रूप से भववटयत में क्रक्रया ोने का बोध ो , उसे भववटयत काल की क्रक्रया क त े ैं;

जैसे - सीता कल हदल्ली जाएगी । ( गा , गे , गी भववटयत काल के पररिायक धिन् ैं !)

Hindi Proverbs (ह िंदी लोकोश्क्तयााँ)

ह िंदी की प्रमखु लोकोश्क्तयााँ :

1. अपनी करनी पार उतरनी = जैसा करना वसैा भरना

2. आधा तीतर आधा बिेर = बेतकुा मेल

3. अधजल गगरी छलकत जाए = थोड़ी ववद्या या थोड़ ेधन को पाकर वािाल ो जाना

4. अिंधों में काना राजा = अज्ञाननयों में अल्पज्ञ की मान्यता ोना

5. अपनी अपनी ढफली अपना अपना राग = अलग अलग वविार ोना

6. अक्ल बड़ी या भैंस = शारीररक शश्क्त की तलुना में बौद्धधक शश्क्त की िेटठता ोना

7. आम के आम गठुमलयों के दाम = दो रा लाभ ोना

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8. अपने म ुिं ममयााँ ममट्ठू बनना = स्वयिं की प्रशिंसा करना

9. आाँख का अाँधा गााँठ का परूा = धनी मखूण

10. अिंधेर नगरी िौपि राजा = मखूण के राजा के राज्य में अन्याय ोना

11. आ बलै मझुे मार = जान बझूकर लड़ाई मोल लेना

12. आगे नाथ न पीछे पग ा = परू्ण रूप से आजाद ोना

13. अपना ाथ जगन्नाथ = अपना क्रकया ुआ काम लाभदायक ोता ै

14. अब पछताए ोत क्या जब धिडड़या िुग गयी खेत = प ले सावधानी न बरतना और बाद में पछताना

15. आगे कुआाँ पीछे खाई = सभी और से ववपवि आना

16. ऊिं िी दकूान फीका पकवान = मात्र हदखावा

17. उल्िा िोर कोतवाल को डािंिे = अपना दोष दसूरे के सर लगाना

18. उिंगली पकड़कर प ुिंिा पकड़ना = धीरे धीरे सा स बढ जाना

19. उलिे बािंस बरेली को = ववपरीत कायण करना

20. उतर गयी लोई क्या करेगा कोई = इज्जत जाने पर डर कैसा

21. ऊधौ का लेना न माधो का देना = क्रकसी से कोई सम्बन्ध न रखना

22. ऊाँ ि की िोरी नन ुरे - नन ुरे = बड़ा काम लकु - नछप कर न ीिं ोता

23. एक पिंथ दो काज = एक काम से दसूरा काम

24. एक थैली के िट्िे बट्िे = समान प्रकृनत वाले

25. एक म्यान में दो तलवार = एक स्थान पर दो समान गरु्ों या शश्क्त वाले व्यश्क्त साथ न ीिं र सकत े

26. एक मछली सारे तालाब को गिंदा करती ै = एक खराब व्यश्क्त सारे समाज को बदनाम कर देता ै

27. एक ाथ से ताली न ीिं बजती = झगड़ा दोनों और से ोता ै

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28. एक तो करेला दजूे नीम िढा = दटुि व्यश्क्त में और भी दटुिता का समावेश ोना

29. एक अनार सौ बीमार = कम वस्त ु, िा ने वाले अधधक

30. एक बढेू बलै को कौन बााँध भसु देय = अकमणण्य को कोई भी न ीिं रखना िा ता

31. ओखली में सर हदया तो मसूलों से क्या डरना = जान बझूकर प्रार्ों की सिंकि में डालने वाले प्रार्ों की धििंता न ीिं करत े

32. अिंगरू खट्िे ैं = वस्त ुन ममलने पर उसमें दोष ननकालना

33. क ााँ राजा भोज क ााँ गिंग ू तलेी = बेमेल एकीकरर्

34. काला अक्षर भैंस बराबर = अनपढ व्यश्क्त

35. कोयले की दलाली में म ुिं काला = बरेु काम से बरुाई ममलना

36. काम का न काज का दचुमन अनाज का = बबना काम क्रकये बठेै बठेै खाना

37. काठ की िंडडया बार बार न ीिं िढती= कपिी व्यव ार मेशा न ीिं क्रकया जा सकता

38. का बरखा जब कृवष सखुाने = काम बबगड़ने पर स ायता व्यथण ोती ै

39. कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर = समय पड़ने पर एक दसुरे की मदद करना

40. खोदा प ाड़ ननकली िुह या = कहठन पररिम का तचु्छ पररर्ाम

41. खखमसयानी बबल्ली खम्भा नोिे = अपनी शमण नछपाने के मलए व्यथण का काम करना

42. खग जाने खग की ी भाषा = समान प्रवनृत वाले लोग एक दसुरे को समझ पात े ैं

43. गिंजेड़ी यार क्रकसके, दम लगाई खखसके = स्वाथण साधने के बाद साथ छोड़ देत े ैं

44. गडु़ खाए गलुगलुों से पर ेज = ढोंग रिना

45. घर की मगुी दाल बराबर = अपनी वस्त ुका कोई म त्व न ीिं

46. घर का भेदी लिंका ढावे = घर का शत्र ु अधधक खतरनाक ोता ै

47. घर खीर तो बा र भी खीर = अपना घर सिंपन्न ो तो बा र भी सम्मान ममलता ै

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48. धिराग तले अाँधेरा = अपना दोष स्वयिं हदखाई न ीिं देता

49. िोर की दाढी में नतनका = अपराधी व्यश्क्त सदा सशिंक्रकत र ता ै

50. िमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए = किं जूस ोना

51. िोर िोर मौसेरे भाई = एक से स्वभाव वाले व्यश्क्त

52. जल में र कर मगर से बरै = स्वामी से शत्रतुा न ीिं करनी िाह ए

53. जाके पााँव न फिी बबवाई सो क्या जाने पीर पराई = भकु्तभोगी ी दसूरों का दुुःख जान पाता ै

54. थोथा िना बाज ेघना = ओछा आदमी अपने म त्व का अधधक प्रदशणन करता ै

55. छाती पर मूिंग दलना = कोई ऐसा काम ोना श्जससे आपको और दसूरों को कटि प ुिंि े

56. दाल भात में मसूलििंद = व्यथण में दखल देना

57. धोबी का कुिा घर का न घाि का = क ीिं का न र ना

58. नेकी और पछू पछू = बबना क े ी भलाई करना

59. नीम कीम खतरा ए जान = थोडा ज्ञान खतरनाक ोता ै

60. दधू का दधू पानी का पानी = ठीक ठीक न्याय करना

61. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद = गरु् ीन गरु् को न ीिं प िानता

62. पर उपदेश कुशल ब ुतरेे = दसूरों को उपदेश देना सरल ै

63. नाम बड़ ेऔर दशणन छोिे = प्रमसद्धध के अनरुूप गरु् न ोना

64. भागत ेभतू की लिंगोिी स ी = जो ममल जाए व ी काफी ै

65. मान न मान मैं तरेा मे मान = जबरदस्ती गले पड़ना

66. सर मुिंडात े ी ओले पड़ना = कायण प्रारिंभ ोत े ी ववघ्न आना

67. ाथ किं गन को आरसी क्या = प्रत्यक्ष को प्रमार् की क्या जरूरत ै

68. ोन ार बबरवान के ोत धिकने पात = ोन ार व्यश्क्त का बिपन में ी पता िल जाता ै

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69. बद अच्छा बदनाम बरुा = बदनामी बरुी िीज ै

70. मन ििंगा तो कठौती में गिंगा = शदु्ध मन से भगवान प्राप्त ोत े ैं

71. आाँख का अाँधा, नाम ननैसखु = नाम के ववपरीत गरु् ोना

72. ईचवर की माया, क ीिं धपू क ीिं छाया = सिंसार में क ीिं सखु ै तो क ीिं दुुःख ै

73. उतावला सो बावला = मखूण व्यश्क्त जल्दबाजी में काम करत े ैं

74. ऊसर बरसे तनृ नह िं जाए = मखूण पर उपदेश का प्रभाव न ीिं पड़ता

75. ओछे की प्रीनत बाल ूकी भीनत = ओछे व्यश्क्त से ममत्रता हिकती न ीिं ै

76. क ीिं की ईंि क ीिं का रोड़ा भानमुती ने कुनबा जोड़ा = मसद्धािंत ीन गठबिंधन

77. कानी के ब्या में सौ जोखखम = कमी ोने पर अनेक बाधाएिं आती ैं

78. को उन्तप ोब ध्यह िंका ानी = पररवतणन का प्रभाव न पड़ना

79. खाल उठाए मसिं की स्यार मस िं नह िं ोय = बा री रूप बदलने से गरु् न ीिं बदलत े

80. गागर में सागर भरना = कम शब्दों में अधधक बात करना

81. घर में न ीिं दाने , अम्मा िली भनुाने = सामर्थयण से बा र कायण करना

82. िौबे गए छब्बे बनने दबेु बनकर आ गए = लाभ के बदले ानन

83. िन्दन ववष व्याप्त न ीिं मलपिे र त भजुिंग = सज्जन पर कुसिंग का प्रभाव न ीिं पड़ता

84. जैसे नागनाथ वसेै सािंपनाथ = दटुिों की प्रवनृत एक जैसी ोना

85. डढे पाव आिा पलु प ैरसोई = थोड़ी सम्पवि पर भारी हदखावा

86. तन पर न ीिं लिा पान खाए अलबिा = झठूी रईसी हदखाना

87. पराधीन सपने ुिं सखु ना ीिं = पराधीनता में सखु न ीिं ै

88. प्रभतुा पाह काह मद न ीिं = अधधकार पाकर व्यश्क्त घमिंडी ो जाता ै

89. मेंढकी को जुकाम = अपनी औकात से ज्यादा नखरे

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90. शौकीन बहुढया ििाई का ल िंगा = ववधित्र शौक

91. सरूदास खलकारी का या धिदै न दजूो रिंग = दटुि अपनी दटुिता न ीिं छोड़ता

92. नतररया तले मीर ठ िढे न दजूी बार = दृढ प्रनतज्ञ लोग अपनी बात पे डिे र त े ैं

93. सौ सनुार की, एक ल ुार की = ननबणल की सौ िोिों की तलुना में बलवान की एक िोि काफी ै

94. भई गनत सािंप छछूिंदर केरी = असमिंजस की श्स्थनत में पड़ना

95. पिुकारा कुि मसर िढे = ओछे लोग म ुिं लगाने पर अनधुित लाभ उठात े ैं

96. म ुिं में राम बगल में छुरी = कपिपरू्ण व्यव ार

97. जिंगल में मोर नािा क्रकसने देखा = गरु् की कदर गरु्वानों के बीि ी ोती ै

98. िि मिंगनी पि ब्या = शभु कायण तरुिंत सिंपन्न कर देना िाह ए

99. ऊिं ि बबलाई ल ैगई तौ ााँजी- ााँजी क ना = शश्क्तशाली की अनधुित बात का समथणन करना

100. तीन लोक से मथुरा न्यारी = सबसे अलग र ना

One Word Definitions (वाक्यािंश के मलए एक शब्द)

वाक्यािंश के मलए एक शब्द:

श्जसका जन्म न ीिं ोता - अजन्मा

पसु्तकों की समीक्षा करने वाला - समीक्षक , आलोिक

श्जसे धगना न जा सके - अगखर्त

जो कुछ भी न ीिं जानता ो - अज्ञ

जो ब ुत थोड़ा जानता ो - अल्पज्ञ

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श्जसकी आशा न की गई ो - अप्रत्यामशत

जो इश्न्ियों से परे ो - अगोिर

जो ववधान के ववपरीत ो - अवधैाननक

जो सिंववधान के प्रनतकूल ो - असिंवधैाननक

श्जसे भले -बरेु का ज्ञान न ो - अवववकेी

श्जसके समान कोई दसूरा न ो - अद्ववतीय

श्जसे वार्ी व्यक्त न कर सके - अननवणिनीय

जैसा प ले कभी न ुआ ो - अभतूपवूण

जो व्यथण का व्यय करता ो - अपव्ययी

ब ुत कम खिण करने वाला - ममतव्ययी

सरकारी गजि में छपी सिूना - अधधसिूना

श्जसके पास कुछ भी न ो - अक्रकिंिन

दोप र के बाद का समय - अपराह्न

श्जसका ननवारर् न ो सके - अननवायण

दे री पर रिंगों से बनाई गई धित्रकारी - अल्पना

आहद स ेअन्त तक - आघन्त

श्जसका परर ार करना सम्भव न ो - अपरर ायण

जो ग्र र् करने योग्य न ो - अग्राह्य

श्जसे प्राप्त न क्रकया जा सके - अप्राप्य

श्जसका उपिार सम्भव न ो - असाध्य

भगवान में ववचवास रखने वाला - आश्स्तक

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भगवान में ववचवास न रखने वाला- नाश्स्तक

आशा से अधधक - आशातीत

ऋवष की क ी गई बात - आषण

परै से मस्तक तक - आपादमस्तक

अत्यिंत लगन एविं पररिम वाला - अध्यवसायी

आतिंक फैलाने वाला - आिंतकवादी

देश के बा र से कोई वस्त ुमिंगाना - आयात

जो तरुिंत कववता बना सके - आशकुवव

नीले रिंग का फूल - इन्दीवर

उिर -पवूण का कोर् - ईशान

श्जसके ाथ में िक्र ो - िक्रपाखर्

श्जसके मस्तक पर िन्िमा ो - िन्िमौमल

जो दसूरों के दोष खोजे - नछिान्वेषी

जानने की इच्छा - श्जज्ञासा

जानने को इच्छुक - श्जज्ञास ु

जीववत र ने की इच्छा- श्जजीववषा

इश्न्ियों को जीतने वाला - श्जतशे्न्िय

जीतने की इच्छा वाला - श्जगीष ु

ज ााँ मसक्के ढाले जात े ैं - िकसाल

जो त्यागने योग्य ो - त्याज्य

श्जसे पार करना कहठन ो - दसु्तर

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जिंगल की आग - दावाश्ग्न

गोद मलया ुआ पतु्र - दिक

बबना पलक झपकाए ुए - ननननणमेष

श्जसमें कोई वववाद ी न ो - ननववणवाद

जो ननन्दा के योग्य ो - ननन्दनीय

मािंस रह त भोजन - ननराममष

राबत्र में वविरर् करने वाला - ननशािर

क्रकसी ववषय का परू्ण ज्ञाता - पारिंगत

परृ्थवी से सम्बश्न्धत - पाधथणव

राबत्र का प्रथम प्र र - प्रदोष

श्जसे तरुिंत उधित उिर सझू जाए - प्रत्यतु्पन्नमनत

मोक्ष का इच्छुक - ममुकु्षु

मतृ्य ुका इच्छुक - ममुषूुण

यदु्ध की इच्छा रखने वाला - ययुतु्स ु

जो ववधध के अनकूुल ै - वधै

जो ब ुत बोलता ो - वािाल

शरर् पाने का इच्छुक - शरर्ाथी

सौ वषण का समय - शताब्दी

मशव का उपासक - शवै

देवी का उपासक - शाक्त

समान रूप से ठिंडा और गमण - समशीतोटर्

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जो सदा से िला आ र ा ो - सनातन

समान दृश्टि स ेदेखने वाला - समदशी

जो क्षर् भर में नटि ो जाए - क्षर्भिंगरु

फूलों का गचु्छा - स्तवक

सिंगीत जानने वाला - सिंगीतज्ञ

श्जसने मकुदमा दायर क्रकया ै - वादी

श्जसके ववरुद्ध मकुदमा दायर क्रकया ै - प्रनतवादी

मधुर बोलने वाला - मधुरभाषी

धरती और आकाश के बीि का स्थान - अन्तररक्ष

ाथी के म ावत के ाथ का लो े का ुक - अिंकुश

जो बलुाया न गया ो - अना ूत

सीमा का अनधुित उल्लिंघन - अनतक्रमर्

श्जस नानयका का पनत परदेश िला गया ो - प्रोवषत पनतका

श्जसका पनत परदेश स ेवापस आ गया ो - आगत पनतका

श्जसका पनत परदेश जाने वाला ो - प्रवत्स्यत्पनतका

श्जसका मन दसूरी ओर ो - अन्यमनस्क

सिंध्या और राबत्र के बीिकी वेला - गोधुमल

माया करने वाला - मायावी

क्रकसी िूिी - फूिी इमारत का अिंश - भग्नावशषे

दोप र से प ले का समय - पवूाणह्न

कनक जैसी आभा वाला - कनकाय

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हृदय को ववदीर्ण कर देने वाला - हृदय ववदारक

ाथ से कायण करने का कौशल - स्तलाघव

अपने आप उत्पन्न ोने वाला - स्त्ररै्

जो लौिकर आया ै - प्रत्यागत

जो कायण कहठनता से ो सके - दटुकर

जो देखा न जा सके - अलक्ष्य

बाएाँ ाथ स ेतीर िला सकने वाला - सव्यसािी

व स्त्री श्जसे सयूण ने भी न देखा ो - असयुणम्पचया

यज्ञ में आ ुनत देने वाला - ौदा

श्जसे नापना सम्भव न ो - असाध्य

श्जसने क्रकसी दसूरे का स्थान अस्थाई रूप से ग्र र् क्रकया ो - स्थानापन ्

Words with Various Meanings (अनेकाथी शब्द)

अरुर् - लाल ,सयूण का सारधथ ,सयूण

अज - दशरथ के वपता ,बकरा ,ब्रह्मा

अर्णव - समुिंि ,सयूण ,इिंि

आम - आम का फल ,सवणसाधारर्

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इिंि - राजा ,देवताओिं का राजा

इिंद ु- िन्िमा ,कपरू

उमा - पावणती ,दगुाण , ल्दी

उिर - जवाब ,एक हदशा

काल - समय ,मतृ्य ु,यमराज

कोहि - करोड़ िेर्ी ,धनषु का मसरा

कवप - बिंदर , ाथी ,सयूण

केत ु- पताका ,एक अशभु ग्र

कुल - विंश ,सम्परू्ण

खर - दटुि ,गधा ,नतनका

ख - आकाश ,सयूण ,स्वर्ण

खत - पत्र ,मलखावि

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गनत - िाल , ालत ,मोक्ष

घन - घना ,बादल

घि - घड़ा ,शरीर ,हृदय

िचमा - ऐनक ,झरना

िूना - िपकना ,पतुाई करने वाला िूना

छत्र - छाता ,कुकुरमिुा ,छतरी

पास - उिीर्ण ,ननकि

बाग - उपवन ,लगाम

लाल - माखर्क्य ,पतु्र ,रक्तवर्ी

वर - िेटि ,दलू् ा ,वरदान

रस - काव्यानिंद ,भोज्यरस ,स्वाद

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ममत्र - सयूण ,दोस्त

मिंगल - कल्यार् ,एक ग्र

विंश - बााँस ,कुल

जरा - बढुापा ,थोड़ा -सा ,जला ुआ

तरखर् - सयूण ,नौका

दक्ष - ितरु ,ब्रह्मा के पतु्र

धनिंजय - अजुणन, अश्ग्न

पनत - स्वामी, शौ र

पोत - ज ाज , मोती , बच्िा

पत्र - धिट्ठी , पिा

पद - परै , पोस्ि , छिंद

परदा - आवरर् , पि, घूिंघि

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परी - अप्सरा ,लेिी ,घी मापने का पात्र

नाना - माता का वपता ,ववववध

मिुा - अिंगठूी ,मसक्का ,भावमिुा

भतू - भतू पे्रत ,भतूकाल

स्ने - प्रेम ,तले

स्ती - ाथी , ैमसयत

सैंधव - घोड़ा ,नमक

िी - शोभा ,लक्ष्मी ,सम्पवि

चयाम - कृटर् ,काला

रिंभा - एक अप्सरा ,केला ,वेचया

रसा - परृ्थवी ,जीभ ,शोरबा

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लय - लीन ोना ,ताल ,प्रवा

Words with Different Meanings and Same Pronunciation (िुनतसममभन्नाथणक शब्द)

िुनतसममभन्नाथणक शब्द :- ये शब्द िार शब्दों से ममलकर बना ै ,िुनत+सम +मभन्न +अथण , इसका अथण ै . सनुने में समान लगने वाले क्रकन्त ुमभन्न अथण वाले दो शब्द अथाणत वे शब्द जो सनुने और उच्िारर् करने में समान प्रतीत ों, क्रकन्त ुउनके अथण मभन्न -मभन्न ों , वे िुनतसममभन्नाथणक शब्द क लात े ैं .

ऐसे शब्द सनुने या उच्िारर् करने में समान भले प्रतीत ों ,क्रकन्त ुसमान ोत ेन ीिं ैं ,

इसमलए उनके अथण में भी परस्पर मभन्नता ोती ै ; जैसे - अवलम्ब और अववलम्ब . दोनों शब्द सनुने में समान लग र े ैं , क्रकन्त ुवास्तव में समान ैं न ीिं ,अत: दोनों शब्दों के अथण भी पयाणप्त मभन्न ैं ,

'अवलम्ब ' का अथण ै - स ारा , जबक्रक अववलम्ब का अथण ै - बबना ववलम्ब के अथाणत शीघ्र .

ये शब्द ननम्न इस प्रकार से ै -

अिंस - अिंश = किं धा - ह स्सा

अिंत - अत्य = समाप्त - नीि

अन्न -अन्य = अनाज -दसूरा

अमभराम -अववराम = सुिंदर -लगातार

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अम्बजु - अम्बधुध = कमल -सागर

अननल - अनल = वा -आग

अचव - अचम = घोड़ा -पत्थर

अननटि - अननटठ = ानन - िद्धा ीन

अिर - अनिुर = न िलने वाला - नौकर

अममत - अमीत = ब ुत - शत्र ु

अभय - उभय = ननभणय - दोनों

अस्त - अस्त्र = आाँस ू- धथयार

अमसत - अमशत = काला - भोथरा

अघण - अघ्यण = मलू्य - पजूा सामग्री

अली - अमल = सखी - भौंरा

अवधध - अवधी = समय - अवध की भाषा

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आरनत - आरती = दुुःख - धूप-दीप

आ ूत - आ ुनत = ननमिंबत्रत - ोम

आसन - आसन्न = बठैने की वस्त ु- ननकि

आवास - आभास = मकान - झलक

आभरर् - आमरर् = आभषूर् - मरर् तक

आिण - आिण = दखुी - गीला

ऋत - ऋत ु= सत्य - मौसम

कुल - कूल = विंश - क्रकनारा

किं गाल - किं काल = दररि - ड्डी का ढााँिा

कृनत - कृती = रिना - ननपरु्

काश्न्त - क्राश्न्त = िमक - उलिफेर

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कमल - कली = कलयगु - अधखखला फूल

कवपश - कपीश = मिमलैा - वानरों का राजा

कुि - कूि = स्तन - प्रस्थान

कहिबन्ध - कहिबद्ध = कमरबन्ध - तयैार / तत्पर

छात्र - क्षात्र = ववधाथी - क्षबत्रय

गर् - गण्य = सम ू - धगनने योग्य

िषक - िसक = प्याला - लत

िक्रवाक - िक्रवात = िकवा पक्षी - तफूान

जलद - जलज = बादल - कमल

तरर्ी - तरुर्ी = नाव - यवुती

तन ु- तन ू= दबुला - पतु्र

दारु - दारू = लकड़ी - शराब

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दीप - द्वीप = हदया - िाप ू

हदवा - दीवा = हदन - दीपक

देव - दैव = देवता - भाग्य

नत - ननत = झुका ुआ - प्रनतहदन

नीर - नीड़ = जल - घोंसला

ननयत - ननयाणत = ननश्चित - भाग्य

नगर - नागर = श र - श री

ननमशत - ननशीथ = तीक्ष्र् - आधी रात

नममत - ननममत = झकुा ुआ - ेत ु

नीरद - नीरज = बादल - कमल

नारी - नाड़ी = स्त्री - नब्ज

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ननसान - ननशान = झिंडा - धिन्

ननशाकर - ननशािर = िन्िमा - राक्षस

परुुष - परुष = आदमी - कठोर

प्रसाद - प्रासाद = कृपा - म ल

पररर्ाम - पररमार् = नतीजा - मात्रा

Sentence Errors Correction (वाक्य अशदु्धध शोधन)

वाक्य अशदु्धध शोधन

= साथणक एविं परू्ण वविार व्यक्त करने वाले शब्द सम ू को वाक्य क ा जाता ै ! प्रत्येक भाषा का मलू ढािंिा वाक्यों पर ी आधाररत ोता ै ! इसमलए य अननवायण ै क्रक वाक्य रिना में पद -क्रम और अन्वय का ववशषे ध्यान रखा जाए ! इनके प्रनत सावधान न र ने से वाक्य रिना में कई प्रकार की भलूें ो जाती ैं ! वाक्य रिना के मलए अभ्यास की परम आवचयकता ोती ै ! जैसे -

1 - सिंज्ञा सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- व आिंख से काना ै । व काना ै ।

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- आप शननवार के हदन िल ेजाएिं । आप शननवार को िले जाएिं ।

2 - परसगण सम्बन्धी अशदु्धधयााँ=

अशदु्ध शदु्ध

- आप भोजन क्रकया ? आपने भोजन क्रकया ।

- उसने न ाया । व न ाया ।

3 - मल िंग सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- मारी नाक में दम ै । मारे नाक में दम ै ।

- मझुे आदेश दी । मझुे आदेश हदया ।

4 - विन सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- उसे दो रोिी दे दो । उसे दो रोहियािं दे दो ।

- मेरा कान मत खाओ । मेरे कान मत खाओ ।

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5 - सवणनाम सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- तमु तमु् ारे रास्त ेलगो । तमु अपने रास्त ेलगो ।

- मको क्या ? में क्या ?

6 - ववशषेर् सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- मझुे नछलके वाला धान िाह ए । मझुे धान िाह ए ।

- एक गोपनीय र स्य । एक र स्य ।

7 - क्रक्रया सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- उसे रर को पिक डाला । उसने रर को पिक हदया ।

- व धिल्ला उठा । व धिल्ला पड़ा ।

8 - म ुावरे सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

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अशदु्ध शदु्ध

- व चयाम पर बरस गया । व चयाम पर बरस पड़ा ।

- उसकी अक्ल िक्कर खा गई । उसकी अक्ल िकरा गई ।

9 - क्रक्रया ववशषेर् सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- व लगभग रोने लगा । व रोने लगा ।

- उसका सर नीिे था । उसका सर नीिा था ।

10 - अव्यय सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- वे सिंतान को लेकर दखुी थे । वे सिंतान के कारर् दखुी थ े।

- व ािं अपार जनसम ू एकबत्रत था । व ािं अपार जन -सम ू एकत्र था ।

11 - वाक्यगत सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

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- तलवार की नोक पर - तलवार की धार पर -

- मेरी आय ुबीस की ै । मेरी अवस्था बीस वषण की ै ।

12 - पनुरुश्क्त सम्बन्धी अशदु्धधयााँ =

अशदु्ध शदु्ध

- मेरे वपता सज्जन परुुष ैं । मेरे वपता सज्जन ैं ।

- वे गनुगनेु गमण पानी से स्नान करत े ैं । वे गनुगनेु पानी से स्नान करत े ैं ।