HINDI LANGUAGE PRACTICE SET · 2019-10-15 · HINDI LANGUAGE PRACTICE SET Directions (1-10):...

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HINDI LANGUAGE PRACTICE SET Directions (1-10): नीचे ᳰदए गए गयिश को यनपूवक पᳰिए और स पर धयᳯरत के र दीजजए। कुछ शद को मोटे र म मुᳰित ᳰकयय गय है, जजससे पको कुछ के र देने म सहययतय जमलेगी। गयिश के नुसयर, ᳰदए गए जकप म से सबसे पयु कय चयन कᳱजजए। मनुय जो भी करतय है सके पीछे सके मन थय मजततक कय मयगवदशवन होतय है। मन शयरीᳯरक छय और यकतय कᳱ पूᳶत के जलए ेᳯरत करतय है , तथय सम जचतयनुजचत पर ᳲचतन करने कᳱ सयमयव नह होती। मनुय के मजतक म सके भूतकयल के नुभ कᳱ तमृजतयया तथय नके पयोग कᳱ सयमयव होती है जजससे ह जचतयनुजचत पर ᳲचतन कर पने कययव करतय है। जचतयनुजचत के ᳲचतन कᳱ सयमयव ही मनुय कय जेक कहलयतय है। शरीर से कयय हेतु सिचयलन कᳱ सयमयव भी मजततक म ही होती है ती कययव चयहे मन के मयगवदशवन म हो थय मजततक के , मजततक शरीर के सिचयलन हेतु सदै सᳰिय रहतय है। स कयर कहय जय सकतय है ᳰक मनुय कय मन भी मजततक के मययम से कयव करतय है जसम मनुय के जेक कय सᳰिय होनयक नह होतय। ᳰकसी कययव म जेक कᳱ जनजियतय कय एक बडय कयरण यह होतय है ᳰक जेक कᳱ ᳰियशीलतय म कुछ समय लगनय पेजत होतय है। सजलए शरीर को जब ᳰकसी ᳰियय कᳱ तुरित यकतय होती है तो ह जेक कᳱ ᳰियशीलतय कᳱ तीय ᳰकये जबनही शरीर को सᳰिय कर देतय है। मन के मयगवदशवन के नुसयर कययव करने कय एक य कयरण शरीर कᳱ छय कᳱ बलतय होती है। स जतथजत म भी मनुय कय जेक सᳰिय नह होतय। चतन करनय मनुय के ययस पर भी जनभवर करतय है। जो मनुय जधकयाश समय ᳲचतन करते ह नकमजततक ययी सᳰिय रहतय है जो मन पर पनय जनयिण बनयए रखतय है। स कयरण से बुजिजीी पने सभी कययव जेक के नुसयर करते ह , जब ᳰक मजीी जेक कय यदय-कदय ही पयोग करते ह। न दो ग के मयती लोग कभी मन के तो कभी जेक के मयगवदशवन म कययव करते ह। सके कयरण नके मन और मजततक म ययी सिघव कᳱ जतथजत बनी रहती है। मनुय के शरीर कᳱ यकतयएि यथय भूख, यस, कयम, ᳰद यकृत होती ह ह समय नह ᳰकय जय सकतय ᳰकतु नकᳱ पूᳶत के मययम जभ हो सकते ह। ये यकतयएि सभी जीधयᳯरय म होती ह और यही नके जीन कय लय भी होती ह। यᳰद मनुय पनय जीन ही कᳱ पूᳶत तक सीजमत कर देतय है तो पशुतुय ही होतय है। मनुयतय पशुतय से बत गे है - पनी ᳲचतन शज, बुजि और सितकयर के कयरण ज के सितकयर सके हयर को सिचयजलत करते ह जो छे थय बुरे दोन कयर के हो सकते ह। सकᳱ ᳲचतन शज सके जीन कᳱ समतयय के जनयरण के जलए महपूणव होती है तथय सकᳱ बुजि मयन सयतय को और गे ले जयने म पयोग कᳱ जयती है। ज यरय पनी बुजि और ᳲचतन शज के सदुपयोग के जतᳯर ज नकय दुऱपयोग भी कर सकतय है. मनुय कय मजततक बत जधक जकजसत होतय है जजसम थयह तमृजत, चतन शज और बुजि कय समयेश होतय है , सके सयपे य जी के मजततक नके मन को समथवन दयन करने के जलए ही होते ह और जधकयाश म बुजि और ᳲचतन शज कय भय होतय है। सके कयरण मनुय ही पृी कय सवे जी है , और सकᳱ जजश पहचयन है - मन और मजततक कय सतत सिघव , जसम मजततक ययी जजयी रहतहै। यही मयन सयतय के जकयस कय मयगव है।

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HINDI LANGUAGE PRACTICE SET

Directions (1-10): नीच े ददए गए गद्यांश को ध्ययनपरू्वक पदिए और ाईस पर ाअधयररत प्रश्नों के ाईत्तर

दीजजए। कुछ शब्दों को मोटे ाऄक्षरों में मदुित दकयय गयय ह,ै जजसस े ाअपको कुछ प्रश्नों के ाईत्तर दने े में

सहययतय जमलगेी। गद्यांश के ाऄनसुयर, ददए गए जर्कल्पों में स ेसबस ेाईपयकु्त कय चयन कीजजए।

मनुष्य जो भी करतय ह ै ाईसके पीछे ाईसके मन ाऄथर्य मजततष्क कय मयगवदशवन होतय ह।ै मन शयरीररक

ाआच्छयओं और ाअर्श्यकतयओं की पूर्तत के जलए ाईत्प्पे्रररत करतय है, तथय ाआसमें ाईजचतयनुजचत पर चचतन करन े

की सयमर्थयव नहीं होती। मनुष्य के मजततष्क में ाईसके भूतकयल के ाऄनुभर्ों की तमृजतययाँ तथय ाईनके ाईपयोग

की सयमर्थयव होती ह ैजजससे र्ह ाईजचतयनुजचत पर चचतन कर ाऄपने कययव करतय ह।ै ाईजचतयनुजचत के चचतन

की सयमर्थयव ही मनुष्य कय जर्रे्क कहलयतय ह।ै शरीर से कययों हते ुसांचयलन की सयमर्थयव भी मजततष्क में ही

होती ह ैाऄताः कययव चयह ेमन के मयगवदशवन में हो ाऄथर्य मजततष्क के, मजततष्क शरीर के सांचयलन हतेु सदरै्

सदिय रहतय ह।ै ाआस प्रकयर कहय जय सकतय ह ैदक मनुष्य कय मन भी मजततष्क के मयध्यम से कययव करतय ह ै

जजसमें मनुष्य के जर्रे्क कय सदिय होनय ाअर्श्यक नहीं होतय। दकसी कययव में जर्रे्क की जनजष्ियतय कय एक

बडय कयरण यह होतय ह ैदक जर्रे्क की दिययशीलतय में कुछ समय लगनय ाऄपेजक्षत होतय ह।ै ाआसजलए शरीर

को जब दकसी दियय की तुरांत ाअर्श्यकतय होती ह ैतो र्ह जर्रे्क की दिययशीलतय की प्रतीक्षय दकये जबनय

ही शरीर को सदिय कर दतेय ह।ै मन के मयगवदशवन के ाऄनुसयर कययव करन ेकय एक ाऄन्य कयरण शरीर की

ाआच्छय की प्रबलतय होती ह।ै ाआस जतथजत में भी मनुष्य कय जर्रे्क सदिय नहीं होतय।

चचतन करनय मनुष्य के ाऄभ्ययस पर भी जनभवर करतय ह।ै जो मनुष्य ाऄजधकयाँश समय चचतन करत ेहैं ाईनकय

मजततष्क प्रययाः सदिय रहतय ह ैजो मन पर ाऄपनय जनयांत्रण बनयए रखतय ह।ै ाआस कयरण से बुजिजीर्ी ाऄपन े

सभी कययव जर्रे्क के ाऄनुसयर करते हैं, जब दक श्रमजीर्ी जर्रे्क कय यदय-कदय ही ाईपयोग करते हैं। ाआन दो

र्गों के मध्यर्ती लोग कभी मन के तो कभी जर्रे्क के मयगवदशवन में कययव करते हैं। ाआसके कयरण ाईनके मन

और मजततष्क में प्रययाः सांघर्व की जतथजत बनी रहती ह।ै

मनुष्य के शरीर की ाअर्श्यकतयएां यथय भूख, प्ययस, कयम, ाअदद प्रयकृत होती हैं ाईन्हें समयप्त नहीं दकयय जय

सकतय दकन्तु ाआनकी ाअपूर्तत के मयध्यम जभ्न हो सकते हैं। ये ाअर्श्यकतयएां सभी जीर्धयररयों में होती हैं और

यही ाईनके जीर्न कय लक्ष्य भी होती हैं। यदद मनुष्य ाऄपनय जीर्न ाआन्ही की ाअपूर्तत तक सीजमत कर दतेय ह ै

तो पशुतुल्य ही होतय ह।ै मनुष्यतय पशुतय से बहुत ाअगे ह ै - ाऄपनी चचतन शजक्त, बुजि और सांतकयरों के

कयरण व्यजक्त के सांतकयर ाईसके व्यर्हयर को सांचयजलत करते हैं जो ाऄच्छे ाऄथर्य बुरे दोनों प्रकयर के हो सकत े

हैं। ाईसकी चचतन शजक्त ाईसके जीर्न की समतययओं के जनर्यरण के जलए महत्प्र्पूणव होती ह ैतथय ाईसकी बुजि

मयनर् सभ्यतय को और ाअगे ले जयन ेमें ाईपयोग की जयती ह।ै व्यजक्त वारयरय ाऄपनी बुजि और चचतन शजक्त के

ाईक्त सदपुयोगों के ाऄजतररक्त व्यजक्त ाआनकय दरुूपयोग भी कर सकतय ह.ै

मनुष्य कय मजततष्क बहुत ाऄजधक जर्कजसत होतय ह ै जजसमें ाऄथयह तमृजत, चचतन शजक्त और बुजि कय

समयर्ेश होतय ह,ै ाआसके सयपके्ष ाऄन्य जीर्ों के मजततष्क ाईनके मन को समथवन प्रदयन करने के जलए ही होते हैं

और ाऄजधकयाँश में बुजि और चचतन शजक्त कय ाऄभयर् होतय ह।ै ाआसके कयरण मनुष्य ही पृर्थर्ी कय सर्वशे्रष्ठ जीर्

ह,ै और ाआसकी जर्जशष्ट पहचयन ह ै- मन और मजततष्क कय सतत सांघर्व, जजसमें मजततष्क प्रययाः जर्जयी रहतय

ह।ै यही मयनर् सभ्यतय के जर्कयस कय मयगव ह।ै

Q1. गद्यांश के ाऄनसुयर मन और मजततष्क दकसकय मयगवदशवन करत ेहैं?

(a) शयरीररक ाआच्छयओं र् ाअर्श्कतयओं कय

(b) जचन्तन कय

(c) मनुष्य के सभी कययों कय

(d) केर्ल (a) और (b)

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q2. गद्यांश के ाऄनसुयर मनुष्य के जर्रे्क को दकस प्रकयर पररभयजर्त दकयय जय सकतय ह?ै

(a) मन और मजततष्क के समन्र्य के रूप में

(b) मन और मजततष्क के मयगवदशवन के रूप में

(c) ाऄनुभर्ों की तमृजतयों के रूप में

(d) ाईजचतयनुजचत के चचतन की सयमर्थयवतय के रूप में

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q3. लेखक न ेमन के दिययन्र्न के जलए मजततष्क को मयध्यम क्यों कहय ह?ै

(a) क्योंदक मन जनजष्िय होतय ह ै

(b) क्योंदक मन में चचतन करने कय सयमर्थयव नहीं होतय ह ै

(c) क्योंदक शरीर कय सांचयलन मजततष्क से ही होतय ह ै

(d) ाईपयुवक्त सभी

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q4. मजततष्क सिीय कब रहतय ह?ै

(a) जब र्ह चेतन ाऄर्तथय में हो

(b) जब र्ह ाऄनुभर्ों स ेपूणव हो

(c) ाआनमें से कोाइ नहीं

(d) जब जचन्तन ाऄभ्ययस में शयजमल हो

(e) जब मन जनयांजत्रत और मजततष्क चचतनशील हो

Q5. श्रमजीर्ी व्यजक्त, बुजिजीर्ी व्यजक्त से दकस प्रकयर जभ्न होतय ह?ै

(a) श्रमजीर्ी व्यजक्त केर्ल श्रम पर ाअजश्रत होतय ह ैजबदक बुजिजीर्ी बुजि पर

(b) श्रमजीर्ी मन को प्रयथजमकतय दतेय ह ैजबदक बुजिजीर्ी मजततष्क को

(c) श्रमजीर्ी व्यजक्त मन और मजततष्क के वारांवार में सांघर्वशील होतय ह ै

(d) यह मन और मजततष्क के मध्यमयगव को ाऄपनयतय ह ै

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q6. गद्यांश के ाऄनसुयर मनुष्यतय दकससे सबांजधत ह?ै

(a) मनुष्य के मन और मजततष्क से

(b) प्रयकृजतक ाअर्श्यकतयएां

(c) चचतन शजक्त, बुजि और सांतकयरों स े

(d) सदिय मजततष्क

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q7. मयनर् सभ्यतय के जर्कयस कय मयगव क्यय ह?ै

(a) तमृजत, चचतन शजक्त और बुजि

(b) बुजि और चचतन शजक्त कय ाईपयोग

(c) मन और मजततष्क कय सतत सांघर्व

(d) मजततष्क

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q8. ाईपयवक्त गद्यांश कय शीर्वक क्यय हो सकतय ह?ै

(a) मन और मजततष्क

(b) मन और मजततष्क कय सांघर्व

(c) मनुष्य जीर्न कय ाअधयर- मजततष्क

(d) मन से ाईपयोगी मजततष्क

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q9. जनम्न में से कौन सय शब्द गद्यांश में ददए गए शब्द ‘सयमर्थयव’ से सुमेजलत नहीं ह?ै

(a) शजक्त

(b) सांभयर्नय

(c) योग्यतय

(d) क्षमतय

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q10. गद्यांश में प्रयुक्त ‘सयपेक्ष’ शब्द से जनम्न में से कौन सय सबांजधत नहीं ह?ै

(a) जनरपेक्ष

(b) सांबांजधत

(c) ाऄपेजक्षत

(d) समयन

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Directions (11-15): नीच े ददए गए प्रत्प्येक प्रश्न में दो ररक्त तथयन छूटे हुए हैं और ाईसके पयांच जर्कल्प

सुझयए गए हैं। ाआनमें से कोाइ दो ाईन ररक्त तथयनों पर रख दनेे से र्ह र्यक्य एक ाऄथवपूणव र्यक्य बन जयतय ह।ै

सही शब्द ज्ञयत कर ाईसके जर्कल्प को ाईत्तर के रूप में ाऄांदकत कीजजए, ददए गए शब्दों में से सर्यवजधक ाईपयुक्त

शब्दों कय चयन कीजजए।

Q11. रयष्ट्र भयर्य को________ होनय चयजहए जजससे ाआसे ाअसयनी से सीखय जय सके, चहदी में यह गुण

________ मयत्रय में ह।ै

(a) करिन, ाऄपययवप्त

(b) सयथवक, ाऄलौदकक

(c) सरल, पययवप्त

(d) सयमर्थयव, ाऄनांत

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q12. र्नों स ेहमें जर्जभ्न प्रकयर की _________ जमलती हैं, गोंद तथय शहद जमलतय ह ैतथय जर्जभ्न प्रकयर

की _________जमलती ह।ै

(a) शयांजत, तृजप्त

(b) ाअत्प्मीयतय, सांदियय

(c) सयमग्री, प्रकृजत

(d) लकजडययां, और्जध

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q13. ाऄन्धजर्श्वयस बहुत ही बुरी चीज होती ह ैक्योंदक ाआसकी जडें _______ में फैली होती हैं, यह हमयरे

भय, जनरयशय, ाऄसहययतय र् ज्ञयन की ________को दशयवतय ह।ै

(a) ाइश्वर, परयकयष्ठय

(b) ाऄशयांजत, मांशय

(c) ाऄांधकयर, मांशय

(d) ाआनमें से कोाइ नहीं

(e) ाऄज्ञयनतय, कमी

Q14. जचजडयों र् बेजुबयन जयनर्रों को _______भी ाऄच्छय ाअचरण नहीं कहलयतय, ाआसी प्रकयर पेड-पौधों

से __________रूप से पजत्तययाँ र् फूलों को तोडनय भी ाऄच्छय ाअचरण नहीं ह।ै

(a) चरयनय, ाऄनेक

(b) नकयरनय, भौजतक

(c) पकडनय, जर्शेर्

(d) ाआनमें से कोाइ नहीं

(e) मयरनय, ाऄनयर्श्यक

Q15. ाऄब्दलु कलयम कय नयम भयरत के शीर्व ________ के सयथ जलयय जयतय ह,ै प्रक्षपयस्त्र और ाऄांतररक्ष के

क्षेत्र में भयरत कय नयम रौशन करन ेकय_________ डॉ कलयम को ही जयतय ह।ै

(a) दयशवजनक, ाऄजभप्रयय

(b) ाआजतहयसकयरों, चमत्प्कयर

(c) र्ैज्ञयजनकों, शे्रय

(d) ाईदयरर्यददयों, औजचत्प्य

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Directions (16-20): नीचे ददयय गयय प्रत्प्येक र्यक्य चयर भयगों में बयांटय गयय ह ैजजन्हें (A), (B), (C),

(D) जर्कल्प ददए गए हैं। ाअपको यह दखेनय ह ैदक र्यक्य के दकसी भयग में व्ययकरण, भयर्य, र्तवनी, शब्दों के

गलत प्रयोग यय ाआसी तरह की कोाइ त्रुटी तो नहीं ह।ै त्रटुी ाऄगर होगी तो र्यक्य के दकसी एक भयग में ही

होगी। ाईस भयग कय िमयांक ही ाईत्तर ह।ै यदद र्यक्य त्रुटी रजहत ह ैतो ाईत्तर (E) ाऄथयवत ‘त्रुटीरजहत’ दीजजए।

Q16. ईईईई ईई ईईईई ईईई ईई ईईईईईईईई (A)/ ईई ईईई ईईई ईईईईईई

ईईईई (B)/ ईई ईई ईईईई ईईईईईईईई ईईईईई(c)/ ईई ईईईई ईईईई ईईई

(D)/ ईईईईईईईईईई(E)

(a) A

(b) B

(c) C

(d) D

(e) E

Q17. ईईईईई ईई ईईई ईईईईईई ईई(A)/ ईई ईईईईईईईई ईई ईईईईईईई

ईईईईई ईई (B)/ ईईईई ईईईई ईई ईई ईईई ईईईई ईईईई ईईई ईईईईईईईईई

(c)/ईईईईईई ईईई ईईई ईईई ईई ईई ईईईईई ईई ईईईई ईईई (D)/

ईईईईईईईईईई(E)

(a) A

(b) B

(c) C

(d) D

(e) E

Q18. ईईई ईईईईईई ईईईईईई ईई ईईईईई(A)/ ईईईईई ईई ईईई ईईईई ईईईई

ईईईई (B) ईई ईई ईईईई ईईई ईई ईई ईईई ईई ईईईईई (c)/ईई ईईईई ईईई

ईईईई ईईईईईईई ईईई(D)/ ईईईईईईईईईई(E)

(a) A

(b) B

(c) C

(d) D

(e) E

Q19. ईईईईईई ईईईईईईईई ईई ईईईईईई ईई ईईईई ईई (A)/ ईईईई ईईईई

ईईईईई ईईई ईईईईईईईई, ईईईईईई,(B)/ ईईईई, ईईईईईईईईईईईईईईई,

ईईईईई ईईईईईईई (c)/ईईईईई ईई ईईईईई ईईईईई ईईई ईईईई (D)/

ईईईईईईईईईई(E)

(a) A

(b) B

(c) C

(d) D

(e) E

Q20. ईईई ईईईईईईईई ईई ईईईईईईईईईईईई (A)/ ईईईईई ईई ईईईई ईई

ईईईईई ईई (B) ईईईईई ईई ईईईईईईई ईई ईईईईईईईईई(c)/ ईईईईई ईईईई

ईईई ईईईईई ईईई (D)/ ईईईईईईईईईई(E)

(a) A

(b) B

(c) C

(d) D

(e) E

Directions (21-25): जनम्नजलजखत प्रश्नों में ददए गए ाऄनुच्छेदों के पहले और ाऄजन्तम र्यक्यों को िमशाः (1)

और (6) की सांज्ञय दी गाइ ह।ै ाआनके मध्यर्ती र्यक्यों को चयर भयगों में बयाँटकर य, र, ल, र् की सांज्ञय दी गाइ ह।ै य े

चयरों र्यक्य व्यर्जतथत िम में नहीं ह।ै ाआन्हें ध्ययन स ेपिकर ददए गए जर्कल्पों में स ेाईजचत िम चुजनए, जजसस े

सही ाऄनुच्छेद कय जनमयवण हो।

Q21. (1). 1947 में तर्तांत्रतय के बयद सांजर्धयन सभय ने भजर्ष्य के सुशयसन के जलए शपथ ली।

(य) नौकरी के समयन ाऄर्सर, जर्चयरों की तर्तांत्रतय, ाऄजभव्यजक्त, जर्श्वयस, सांघ, व्यर्सयय और कयनून

(र) ाऄल्पसांख्यकों, जपछड ेर्गों और ाऄनुसूजचत जयजत के लोगों के जलए

(ल) तथय सयर्वजजनक नैजतकतय के ाऄधीन कयरवर्याइ की गयरांटी दतेय ह।ै ाआसके सयथ ही

(र्) ाआसने एक सांजर्धयन की मयांग की जो भयरत के सभी लोगों को - न्ययय, सयमयजजक, ाअर्तथक और

रयजनीजतक समयनतय,

(6). जर्शेर् सुजर्धयओं की गयरांटी भी दी गाइ।

(a) ल र य र् (b) य ल र र् (c) र् य ल र

(d) र् र ल य (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q22. (1). जैसय दक हम सभी जयनत ेहैं दक जल हमें और दसूरे जीर्-जन्तुओं

(य) धरती पर जीर्न को जयरी रखनय बहुत जरूरी ह।ै

(र) जबनय पयनी के, दकसी भी ग्रह पर जीर्न की कल्पनय भी नहीं की जय सकती ह।ै

(ल) को धरती पर जीर्न प्रदयन करतय ह।ै

(र्) पृर्थर्ी पूरे ब्रह्मयण्ड कय एकमयत्र ऐसय ग्रह ह ै

(6) जहयाँ पयनी और जीर्न ाअज की तयरीख तक मौजूद ह।ै

(a) र् य र ल (b) ल य र र् (c) य ल र् र

(d) र य र् ल (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q23. (1) रयष्ट्र स ेाअतांकर्यद और ाअतांक के प्रभयर् को

(य) होती ह ैयय बन जयती ह ैजैसे सयमयजजक कययविम, रयष्ट्रीय कययविम

(र) जैसे गणतांत्र ददर्स, तर्तांत्रतय ददर्स, मांददर ाअदद

(ल) र्ो सभी जगह जो दकसी भी र्जह से भीड-भयड र्यली जगह

(र्) खत्प्म करने के जलय,े सरकयर के ाअदशे पर कडी सुरक्षय कय प्रबांध दकयय गयय ह।ै

(6) को मजबूत सरुक्षय घरेे में रखय जयतय ह।ै

(a)ल र र् य (b) य र् र ल (c) ल र य र्

(d) र् ल य र (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q24. (1) र्ैसे दखेय जयए तो

(य) प्रकृजत तर्यां ाईस शजक्त कय जनमयवण करती ह,ै जो

(र) नयनय प्रकयर के दयहक और पयचक रसों के रूप में

(ल) ाईदर के भीतर कोाइ ाऄजि की ज्र्यलय नहीं ह,ै दकन्तु

(र्) नयनय भयाँती के खयद् पदयथों ाऄथयवत भोज्य को

(6) पचय सकती ह।ै

(a) ल य र र् (b) य र र् ल (c) ल र य र्

(d) र य र् ल (e)ाआनमें से कोाइ नहीं

Q25. (1) ाऄब र्ह समय दफर से ाअयय ह ैदक

(य) भयरतीय लोक सांतकृजत के ाअधयरभतू पे्रम को,

(र) भयरत के नतेय, महयत्प्मयगण दफर एक बयर जर्श्व में भ्रमण करके

(ल) जजससे र्तवमयन जर्ग्रह-ाऄशयांजत कय शमन होकर शयांजत कय सुाऄर्सर ाअए

(र्) ाऄध्ययत्प्मर्यद के वारयरय, दजुनयय को समझययें

(6) और सांसयर में सुख-शयांजत कय सयम्रयज्य तथयजपत हो।

(a) य र र् ल (b) य र ल र् (c) र र् ल य

(d) र य र् ल (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q26.जनम्नजलजखत में से दकस मुहयर्रे कय ाऄथव ‘जनलवज्ज हो जयनय’ ह?ै

(a) तेली कय बैल होनय

(b) ाअाँख कय नीर ढल जयनय

(c) ाअकयश से बयते करनय

(d) पौ बयरह होनय

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q27. ‘परोक्ष’ शब्द कय जर्लोम शब्द ह-ै

(a) जर्ज्ञ

(b) रुक्ष

(c) सांक्षेप

(d) प्रत्प्यक्ष

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q28. ‘दसूरों के दोर्ों को ढूांढने र्यलय’ ाआस र्यक्ययांश के जलए ाईपयुक्त शब्द है-

(a) दयशवजनक

(b) तयर्ककक

(c) क्षुधयतुर

(d) ाआनमें से कोाइ नहीं

(e) जछियन्र्ेर्ी

Q29. जनम्नजलजखत में से दकस जर्कल्प के सभी शब्द शुि हैं?

(a) ाऄनुगृहीत, कर्जयत्री, ज्योत्प्नय

(b) ाऄनुग्रजहत, कर्जयजत्र, ज्योत्प्सनय

(c) ाऄनुग्रहीत, कजर्जयत्री, जयोत्प्सनय

(d) ाऄनुग्रीहीत, कजर्यत्री, ज्योत्प्सनय

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q30. जनम्नजलजखत में से दकस जर्कल्प में ददये गये शब्द परतपर पययवयर्यची हैं?

(a) भुजांग, कुां जर

(b) चपलय, रजनी

(c) सजलल, तोय

(d) कयनन, जर्भयर्री

(e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Directions (31-40): नीचे ददए गए प्रत्प्येक पररच्छेद में कुछ ररक्त तथयन छोड ददए गए हैं तथय ाईन्हें प्रश्न

सांख्यय स ेदशयवयय गयय ह।ै य ेसांख्ययएाँ पररच्छेद के नीच ेमुदित हैं, और प्रत्प्येक के सयमने (A), (B), (C), (D)

और (E) जर्कल्प ददए गए हैं। ाआन पयाँचों में से कोाइ एक ाआस ररक्त तथयन को पूरे पररच्छेद के सांदभव में ाईपयुक्त

ढांग से पूरय कर दतेय ह।ै ाअपको र्ह जर्कल्प ज्ञयत करनय ह ैऔर ाईसकय िमयांक ही ाईत्तर के रूप में दशयवनय ह।ै

ाअपको ददए गए जर्कल्पों में से सबसे ाईपयुक्त कय चयन करनय ह।ै

Q31. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घडे से पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) ाऄल्प (b) मांद (c) प्रज्जर्जलत

(d) ाआनमें से कोाइ नहीं (e) घनघोर

Q32. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी से बहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घड ेसे पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) सयमयन्य (b) जर्लक्षण (c) जर्कृत

(d) तीक्ष्ण (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q33. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घड ेसे पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) ाईद्दयर (b) प्रकयशन (c) सृजन

(d) ाअत्प्मोत्प्सगव (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q34. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घडे से पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) मोह (b) ाअर्रण (c) ाऄलगयर्

(d) सम्मयन (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q35. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घड ेसे पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) ाईलट-पलट (b) जलप्त (c)लहलुहयन

(d) लथपथ (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q36. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घड ेसे पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) बयदल (b) तयरे (c)ददन

(d) चयाँद (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q37. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घडे से पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) बदसूरत (b) प्रस्न (c) ाअत्प्मसयत

(d) चयरु (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q38. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी से बहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घड ेसे पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) मनोरथ (b) सयमर्थयव (c) कयरनयमे

(d) ाईद्दशे्य (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q39. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घड ेसे पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) प्ययस (b) तपतयय (c) जजज्ञयसय

(d) ाअग (e) ाआनमें से कोाइ नहीं

Q40. महयकजर् कयजलदयस हमयरे भयरत की एक ाऄमूल्य धरोहर हैं। कयजलदयस जी ाईस दीये की तरह हैं जो

..(31).. ाऄाँधेरे में भी ाऄपने प्रकयश से ाईजयलय कर दतेय ह।ै महयकजर् कयजलदयस ने ाऄपनी ..(32).. प्रजतभय स े

काइ सयरे प्रजसि ग्रन्थ जलखे हैं ाआसजलए ाईन्हें भयरत के सके्सजपयर के नयम से भी जयनय जयतय ह।ै कयजलदयस

जी कय जन्म चौथी शतयब्दी ाइसय पूर्व मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी ब्रयह्मण कुल में जन्मे थे। मयनय जयतय ह ै

दक कयजलदयस जी पिे जलख े नहीं थे लेदकन कयजलदयस जी शयस्त्रीय सांतकृत के लेखक थ े और ाईन्होंन े काइ

नयटक और कजर्तयओं कय भी..(33).. दकयय ह।ै कयजलदयस जी को प्रतयपी रयजय जर्िमयददत्प्य के समकयलीन

मयनय जयतय ह।ै कयजलदयस जी को ाऄपनी पत्नी स ेबहुत ाऄजधक पे्रम थय लेदकन एक घटनय के कयरण ाईनकय

..(34).. ाआस सांसयर से टूट गयय। ाआसके बयद ाईन्होंने ाऄपनय पूरय जीर्न शयस्त्रीय सांतकृत को ाअगे बियने में

जबतययय। कयजलदयस जी के जीर्न की एक छोटी सी पे्ररक घटनय ह ै – महयकजर् कयजलदयस जी, रयजय

जर्िमयददत्प्य के दरबयर में मुख्य कजर् थे। एक ददन ऐस ेही सभी लोग दरबयर मैं बैि हुए थे। गर्तमयों कय समय

थय ाईन ददनों जबजली और कूलर तो थे नहीं, तो सयरे लोग पसीने से ..(35).. हुए बैिे थे। रयजय जर्िमयददत्प्य

ददखने में बहुत सुन्दर थ,े बजलष्ठ भुजयएां और चौडय सीनय ाईनकी खूबसूरती में चयर ..(36).. लगय दतेय थय।

जर्िमयददत्प्य के मयथ ेस ेछलकतय पसीनय भी एक मोती जैसय ददखयाइ दतेय थय। र्हीं कयजलदयस जी एकदम

कुरूप थ ेऔर पसीन ेकी र्जह स ेाईनकी दशय बुरी बनी हुाइ थी। कयजलदयस को दखेकर जर्िमयददत्प्य को तेज

हांसी ाअ गाइ और र्ो कयजलदयस से बोले – महयकजर् ाअप दकतने कुरूप हैं, और ाआस गमी में पसीने से लथपथ

होकर ाअप और भी …(37).. ददखयाइ द ेरह ेहैं। कयजलदयस जी को रयजय जर्िमयददत्प्य की बयत बहुत बुरी

लगी, ाईन्होंने पयस खडी दयसी से दो घड ेमांगयए – एक घडय सोने कय और दसूरय जमटटी कय, ाआसके बयद

कयजलदयस ने ाईन दोनों घडों में पयनी भरकर रख ददयय। रयजय जर्िमयददत्प्य बड ेाअश्चयव से कयजलदयस के

..(38).. दखे रह ेथे। कयजलदयस जी ने कहय – महयरयज, दजेखये ये जमटटी कय घडय दकतनय कुरूप ददखतय है,

और ये सोने कय घडय दजेखये कैसय चमक रहय ह।ै चजलए मैं ाअपको सोने के घड े से पयनी जपलयतय हाँ।

जर्िमयददत्प्य ने सोने के घड े कय पयनी जपयय, पयनी घड े में रखय रखय ाईबल जैसय गयय थय। ाआसके बयद

कयजलदयस जी न ेजमटटी के घड ेसे पयनी लकेर रयजय को ददयय। र्यह! जमटटी के घड ेकय पयनी एकदम शीतल

थय। तब कहीं जयके रयजय जर्िमयददत्प्य की ..(39).. बुझी। कयजलदयस ने धीरे से मुतकुरयते हुए कहय – दखेय

महयरयज, रूप और सुांदरतय दकसी कयम की नहीं ह,ै कमव ही ाअपको सुन्दर और शीतल बनयत ेहैं। सोने कय

घडय ददखने में चयह े जजतनय सुन्दर हो लेदकन शीतल जल केर्ल जमटटी कय घडय ही द ेसकतय ह।ै रयजय

जर्िमयददत्प्य भी हल्की ..(40).. के सयथ कयजलदयस जी की बयतों से सहमत नजर ाअये।

(a) स्न यहट (b) चचतय (c) थकयन

(d) ाआनमें से कोाइ नहीं (e) मुतकयन