प्रमास /PRAYAS · the monk who sold his ferrari the oath of vayuputras mr. vishal khare...

4
मास/PRAYAS MONTHLY LIBRARY NEWSLETTER OF KV CANTT KANPUR SHIFT - 2 ी आय.के .सॊह, उऩ-ाचामय (सभवमक) ी सुदीऩ फाजऩेई, ाचामय (सॊमोजक) आमुष ननगभ मायहवीॊ वाणिम शुबभ चौधयी मायहवीॊ वाणिम सऩादक भॊडर फार ददवस वशेषाॊक वषय 1 अॊक – 7 नवफय - 2017 भुम सॊयक ी ट.ऩी.गौ, सहामक आमुत रखनऊ सॊबाग (सॊयक) ऩूणियभा िऩाठी ऩुतकारमामा फच भ यचनाभक नतबा एवॊ कौशर वकास का डे - पन- डे कीम ववमारम सॊगठन के नदेशानुसाय अफ ाथसभक ववबाग के फच का शननवाय को अवकाश ना होकय उसे पन डे के ऱऩ भे यचनाभकता एवॊ कौशर वकास हेतु सभवऩयत ककमा गमा है | का I V तक के फच के सवागीि वकास हेतु मह कदभ उठामा गमा है | इसके अॊतगयत ववसबन किमा — कराऩ को शासभर कमा गमा है ाइॊग - ऩदटॊग, न म, गामन - वादन, वाद - ववाद, बाषि कौशर, यचनाभक रेखन, व वसबन खेरकूद आद शासभर है | पन डे की ववशेषता मह है की जो फचा जस ह नय भे रचच यखता है उसे उसी करा भे वीि कयने के सरए ेरयत ककमा जाएगा | इसके सरए द औय इछु क असबबावक सदहत आस ऩास के ह नयभॊद रोग की सहामता री जा सकती है | इस किमा का सफसे फा राब मह होगा की ायजबक अवथा भे ही वमाथी की ववशेष मोमता को ऩहचान कय उसके भाता वऩता को अवगत कयामा जा सके गा ताकक सशक औय असबबावक सभरकय वमाथी की बववम की ददशा को ऩट कय सक | पन डे के भूर भे वकास का जो तव सभादहत है वह है फच का तनाव यदहत वकास, फचे को ऩढ़ाई फोझ न रगे औय वह कताफ से दूयी न फनाए | ववमारम ने मेक पन डे को साथयक फनाने हेतु नजचचत सभम सारयिी तैमाय की है ताक ववध कामयिभ के फीच साभॊजम फैठाते ह ए फच की असबरच के अनुसाय कौशर ववकास कमा जा सके | कताफ ऐसी सशक ह जो फना कट ददए, फना आरोचना ककए औय फना ऩयीा सरए हभ सशा देती ह। इस अॊक भे फच भ यचनाभक नतबा एवॊ कौशर ववकास का डे - पन - डे 1 फार ददवस 2 ऩुतक सभीा 3 यारीम एकता ददवसऩय आमोजजत कामयिभ की झरक 4 ात:कारीन सबा भे क ीम ववमारम सॊगठन भुमारम से कासशत शारा वनन के वी एस मूजके फाये भे जानकायी देते ववमाथी।

Transcript of प्रमास /PRAYAS · the monk who sold his ferrari the oath of vayuputras mr. vishal khare...

  • APRIL 2017

    प्रमास/PRAYAS MONTHLY LIBRARY NEWSLETTER OF KV CANTT KANPUR

    SHIFT - 2

    श्री आय.के.ससॊह, उऩ-प्राचामय(सभन्वमक)

    श्री सुदीऩ फाजऩेई, प्राचामय(सॊमोजक)

    आमुष ननगभ ग्मायहवीॊ वाणिज्म

    शबुभ चौधयी ग्मायहवीॊ वाणिज्म

    सम्ऩादक भॊडर

    फार ददवस ववशषेाॊक वषय 1 अॊक – 7 नवम्फय - 2017

    भुख्म सॊयऺक

    श्री टी.ऩी.गौड़, सहामक आमुक्त रखनऊ सॊबाग (सॊयऺक)

    ऩूणियभा त्रिऩाठी ऩुस्तकारमाध्मऺा

    फच्चों भें यचनात्भक प्रनतबा एवॊ कौशर ववकास का ड-े पन- ड ेकें द्रीम ववद्मारम सॊगठन के ननदेशानुसाय अफ प्राथसभक ववबाग के फच्चों का शननवाय को अवकाश ना होकय उसे “पन ड”े के रूऩ भे यचनात्भकता एवॊ कौशर ववकास हेतु सभवऩयत ककमा गमा है | कऺा I –V तक के फच्चों के सवाांगीि ववकास हेत ुमह कदभ उठामा गमा है | इसके अॊतगयत ववसबन्न किमा — कराऩों को शासभर ककमा गमा है ड्राइॊग - ऩेंदटॊग, नतृ्म, गामन - वादन, वाद - वववाद, बाषि कौशर, यचनात्भक रेखन, व ववसबन्न खेरकूद आदद शासभर है | “पन ड”े की ववशेषता मह है की जो फच्चा जजस हुनय भे रुचच यखता है उस ेउसी करा भे प्रवीि कयन ेके सरए प्रेरयत ककमा जाएगा | इसके सरए दऺ औय इच्छुक असबबावकों सदहत आस ऩास के हुनयभॊद रोगों की सहामता री जा सकती है | इस प्रकिमा का सफसे फड़ा राब मह होगा की प्रायजम्बक अवस्था भे ही ववद्माथी की ववशेष मोग्मता को ऩहचान कय उसके भाता वऩता को अवगत कयामा जा सकेगा ताकक सशऺक औय असबबावक सभरकय ववद्माथी की बववष्म की ददशा को स्ऩष्ट कय सकें | पन ड ेके भूर भ ेववकास का जो तत्व सभादहत है वह है फच्चों का तनाव यदहत ववकास, फच्च ेको ऩढ़ाई फोझ न रगे औय वह ककताफों स ेदयूी न फनाए | ववद्मारम न ेप्रत्मेक “पन ड”े को साथयक फनान ेहेत ुननजचचत सभम सारयिी तैमाय की है ताकक ववववध कामयिभों के फीच साभॊजस्म फैठाते हुए फच्चों की असबरुचच के अनुसाय कौशर ववकास ककमा जा सके |

    ककताफें ऐसी सशऺक हैं जो त्रफना कष्ट ददए, त्रफना आरोचना ककए औय त्रफना ऩयीऺा सरए हभें सशऺा देती हैं।

    इस अॊक भे फच्चों भें यचनात्भक प्रनतबा एवॊ कौशर ववकास का ड े- पन - ड े

    1 फार ददवस 2

    ऩुस्तक सभीऺा 3

    “याष्रीम एकता ददवस” ऩय आमोजजत कामयिभों की झरक

    4

    प्रात:कारीन सबा भे कें द्रीम ववद्मारम सॊगठन भुख्मारम स ेप्रकासशत “शारा ध्वनन के वी एस न्मूज” के फाये भ ेजानकायी देते ववद्माथी।

  • वषय 1 अॊक 7 नवम्फय – 2017 ऩृष्ठ 2

    प्रात:कारीन सबा भे ऩुस्तक सभीऺा प्रस्तुत कयते हुमे छाि भोननस फगे

    कऺा - सातवीॊ

    फारददवसभहान नेता ऩॊ. जवाहय रार नेहरू के जन्भददवस 14 नवॊफय को भनामा जाता है। ऩॊ. नेहरू भहान स्वतॊिता सेनानी थे। उनका जन्भ 14 नवॊफय, 1889 को इराहाफाद भें हुआ था।15 अगस्त, 1947 को जफ बायत स्वतॊि हुआ तो नेहरू जी बायत के प्रथभ प्रधानभॊिी फने उन्होंने देश को उन्ननतशीर फनामा। उन्हें फच्चों से प्रगाढ़ रगाव था वे फच्चों भें देश का बववष्म देखते थे। फच्चे बी उनसे अऩाय स्नेह यखते थे। अत: उनके जन्भददवस 14 नवॊफय को फार ददवस के रूऩ भें भनामा जाने रगा। फार ददवस फच्चों का ऩवय है मह ऩवय देश के फच्चों को सभवऩयत है। फच्च ेदेश के बववष्म हैं, अत: इनके ववकास के फाये भें चच ॊतन कयना तथा कुछ ठोस प्रमास कयना देश की जजम्भेदायी है । देश का सभुचचत ववकास फच्चों के ववकास के त्रफना सॊबव नहीॊ है । फच्चों को सशक्षऺत फनाने, फार श्रभ ऩय अॊकुश रगाने, उनके ऩोषि का उचचत ध्मान यखने तथा उनके चारयत्रिक ववकास के सरए प्रमासयत यहने से फच्चों का बववष्म सॉवाया जा सकता है । फार ददवस फच्चों के कल्माि की ददशा भें उचचत प्रमास कयने का सुनहया अवसय प्रदान कयता है ।बायतीम प्रधानभॊिी के रुऩ भें अऩने व्मस्त जीवन के फावजदू बी वो फच्चों से फेहद रगाव यखते थे। वो उनके साथ यहना औय खेरना फहुत ऩसॊद कये थे। चाचा नेहरु को श्रद्धाॊजसर देने के सरमे 1956 से फार ददवस के रुऩ भें उनके जन्भददवस को भनामा जा यहा है। नेहरु जी कहते थे कक फच्चे देश का बववष्म है इससरमे मे जरुयी है कक उन्हें प्माय औय देख-बार ददमा जामे जजससे वो अऩने ऩयैों ऩय खड़ ेहो सकें । देश औय फच्चों के उज्जवर बववष्म को सुयक्षऺत कयने औय ककसी बी नकुसान से फचाने के सरमे फार ददवस सबी के सरमे एक आवाहन स्वरुऩ है। हभाये देश भें फच्चों को फहुत कभ आम ऩय कड़ा श्रभ कयने के सरमे भजफयू ककमा जाता है। उन्हें आधनुनक सशऺा नहीॊ सभर ऩाती इससरमे वो वऩछड़े ही यह जाते है। हभें उन्हें आगे फढ़ाने की जरुयत है जो भुभककन है जफ सबी बायतीम अऩनी जजम्भेदारयमों को सभझें। फच्चे देश का बववष्म है तथा फहुत ही कीभती है, मे हभाये कर की उम्भीद है। फार ददवस उत्सव उनके बववष्म के सॊदबय भें एक अच्छा कदभ है।

    भहान स्वतॊिता सॊग्राभ सेनानी भहायानी रक्ष्भीफाई के जन्भददन 19 नवम्फय ऩय ववशषे

    हभाये देश भें अनेक वीय नारयमाॊ हुई, जजन्होंने अऩन ेसाहस औय फसरदान स ेमह सात्रफत कय ददमा कक सॊकट का सभम आने ऩय वे बी यि-चॊडी का रूऩ धायि कय रेंगी ।देश औय आज़ादी ऩय भय सभटेंगी, ऩय ककसी धतूय,अत्माचायी के आगे सय नहीॊ झकुामेंगी ।झाॊसी की

    यानी रक्ष्भीफाई उन्हीॊ भे एक थीॊ।अॊगे्रजी पौजों से डटकय भुकाफरा ककमा । मुद्ध भें वह खदु कूदीॊ औय खूफ रड़ी । गागी त्रिऩाठी — VI

    READER OF THE MONTH

    INTEKHAB KHAN - VI

    NIKKI PANDEY - XII SCIENCE

    केतन, ग्मायहवीॊ वाणिज्म

    खूफ रड़ी भदायनी वह तो झाॊसी वारी यानी थी — इस कववता को ऩढ़कय रोग आज बी िाॊनत की उस देवी रक्ष्भीफाई को माद कय उठत े हैं, जजसकी तरवाय की टॊकाय ने त्रिदटश साम्राज्म के हौसरे ऩस्त कय ददमे थे। देश की स्वाधीनता औय सम्भान के सरमे उन्होंन ेकतयव्म की फसरवेदी ऩय अऩने प्रािों का फसरदान कय ददमा। आज बी वह देशवाससमों के सरमे गवय का ववषम औय प्रेयिा का स्रोत है ।

    स्ऩशय गपु्ता -VII

  • वषय 1 अॊक 7 नवम्फय- 2017 ऩृष्ठ 3

    ऩुस्तक का नाभ : वऩता के ऩि रेखक : जवाहयरार नेहरू ऩुस्तक सॊख्मा : 3805 भूल्म : 150 रु॰ इस ऩसु्तक भे उस सभम का वियन है जफ इॊददया गाॊधी दस सार की थीॊ, तफ गसभयमों भें वे भसूयी भें यही थीॊ, जफकक उनके वऩता जवाहयरार नेहरू इराहाफाद भें व्मस्त थे | उस दौयान नेहरू जी ने उन्हें कई ऩि सरखे, जजनभें उन्होने नन्हीॊ इॊददया को फतामा था कक ऩथृ्वी कफ औय कैसे फनी, इॊसान औय ऩशओुॊ का जीवन कैसे शुरु हुआ औय दनुनमाॊ बय भे सभ्मताएॊ औय सभाज कैसे अजस्तत्व भे आमे।1928 भे सरखे मे ऩि आज बी उतने ही ताजगी बये औय जीवॊत हैं। इनभे रोगों औय कुदयत के प्रनत नेहरू जी का पे्रभ भुखय हो उठा है, जजनकी कहानी उन्हें ककसी बी कहानी मा उऩन्मास से कहीॊ अचधक योचक रगती थी।

    THE OATH OF VAYUPUTRAS

    Mr. VISHAL KHARE (PGT COMM.)

    AUTHOR : AMISH

    ACC.NO. : 3542

    PUB. : WESTLAND Ltd. CHENNAI

    PRICE : 350/ Rs. AMISH IS FRESH NEW VOICE IN INDIAN WRITING STEEPED IN MYTH AND

    HISTORY,WITH A FINE EYE FOR DETAIL AND A COMPELLING NARRATIVE

    STYLE. SHIVA IS GATHERING HIS FORCES . HE REACHES THE NAGA CAPI-

    TAL, PANCHAVATI,AND EVIL IS FINALLY REVEALED. THE NEELKANTH

    PREPARES FOR A HOLY WAR AGAINST HIS TRUE ENEMY, A MAN WHOSE

    NAME INSTILS DREAD IN THE FOREST OF WARRIORS.INDIA CONVULSES

    UNDER THE ONSLAUGHTOF A SERIES OF BRUTAL BATTLES.ITS A WAR

    FOR THE VERY SOUL OF THE NATION.MANY WILL DIE. BUT SHIVA MUST

    NOT FAIL, NO MATTER WHAT THE COST. IN HIS DESPERATION, HE

    REACHES OUT TO THE ONES WHO HAVE NEVER OFFERED ANY HELP TO

    HIM THE VAYUPUTRAS.THE AUTHOR TAKES MYTH AND CONTEMPORIS-

    ES IT, RAISING QUESTIONS ABOUT ALL THAT WE HOLD TRUE AND FA-

    MILIAR. THE BOOK IS A MARVELLOUS ATTEMPT TO CREAT FICTION

    FROM FOLKLORE, RELIGION AND ARCHAEOLOGICAL FACTS.

    ऩुस्तक का नाभ : ऩॊडडत जवाहयरार नेहरू रेणखका : अनीता गौड़ ऩुस्तक सॊख्मा : 4270 भूल्म : 60 रु. प्रस्तुत ऩसु्तक जवाहयरार नेहरू का उद्देचम उनके देश व सभाज के सरए ककए गए कामो, उनके जीवन भूल्मों तथा आदशों को उजागय कयना साथयक हुआ है ऩसु्तक को सयस औय सुफोध शैरी भे ववसबन्न चचिों सदहत प्रकासशत ककमा गमा है जजससे ववषम वस्त ुप्रबावी फन ऩड़ी है ऩॊडडत जवाहयरार नेहरू रगाताय सिह वषों तक बायत के प्रधानभॊिी यहे | उन्होने देश के चहुॊभुखी ववकास के सरए बयऩयू प्रमास ककमा | स्वतन्िता आॊदोरन भे बी उन्होने बायत की जनता को कड़ी भेहनत कयने की पे्रयिा दी | देश के प्रनत उनके पे्रभ औय कामों को कबी बुरामा नहीॊ जा सकता है |

    ऩुस्तक सभीऺा THE MONK WHO SOLD HIS FERRARI

    Mrs. Sushma Tiwari (PGT Eco.)

    AUTHOR : ROBIN SHARMA

    ACC. NO. : 81

    PUB. : JAICO PUB.MUMBAI

    PRICE : 175/ Rs.

    This inspiring tale provides a step by step approach to living

    with greater courage, balance abundance and joy. A won-

    derfully crafted fable ,The Monk Who Sold his Ferrari tells

    the extraordinary story of Julian Mantle, a lawyer forced to

    confront the spiritual crisis of his out of balance life. On a

    life changing odyssey to an ancient culture, he discovers powerful, wise and practical lessons that teach us to devel-

    op joyful thoughts. Robin Sharma has created an enchant-

    ing tale that incorporates the classic tools of transfor-

    mation into a simple philosophy of living . A delightful book

    that will change your life.

    USE BOOK MARKS

    प्रशाॊत ससॊह चॊदेर ग्मायहवीॊ वाणिज्म

    अभन गुप्ता ग्मायहवीॊ वाणिज्म

  • पुस्तक का नाम: इंदिरा प्रियिर्शिनी ऱेखिका : अऱका शकंर पुस्तक संख्या: 117 मूल्य : 50 रु. मह ऩसु्तक इॊददया वप्रमदसशयनी की फाल्मावस्था से रेकय सम्ऩिूय जीवन के कामय-कराऩों ऩय प्रकाश डारती है। इॊददया फचऩन की सॊकोची, अकेरी, अऩने भे ससभटी हुई रड़की, जजसे अॊधेये से डय रगता था, ववचव के साभने एक असाधायि व्मजक्तत्व के रूऩ भें उबयीॊ। उनका रक्ष्म था - बायतवाससमों औय सॊसाय के कभजोय रोगों की सेवा कयना। बायत की भहानता, सुॊदयता औय एकता ऩय उन्हें गवय था। अखॊड तेज, ऩिूय सभऩयि, ननबीकता, सॊमभ औय तीव्र इच्छाशजक्त, इन बावनाओॊ ने उन्हें एक अद्ववतीम नेता औय भहान प्रधानभॊिी फना ददमा था। दृढ़ ननचचमी औय स्वासबभानी इॊददया, बायत औय ववचव की शाॊनत औय सुयऺा के सरमे ननयॊतय त्रफना डये, त्रफना झुके प्रमास कयती यहीॊ औय इन्हीॊ ससद्धाॊतों के सरमे उन्होंने अऩने प्रािों की आहुनत बी दे दी।

    असबषेक नतवायी (ग्मायहवीॊ वाणिज्म)

    वषय 1 अॊक 7 नवम्फय - 2017 ऩषृ्ठ 4

    LIBRARY NEWSLETTER

    PRYAAS/प्रमास

    इॊददया वप्रमदसशयनी के जन्भददन 19 नवम्फय ऩय ववशषे

    याष्रीम एकता ददवस ऩय आमोजजत कामयिभों की एक झरक

    KENDRIYA VIDYALAYA KANPUR,

    CANTT (SHIFT II)

    [email protected] [email protected] https://kanpurkvcantt.wordpress.com

    mailto:[email protected],%[email protected]:[email protected],%[email protected]