श्रवण मङ्गळ गौरी...

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    श्री नरस िंह प ूजा

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    श्री नरस िंह पूजा

    Check List

    1. Altar, Deity (statue/photo),

    2. Two big brass lamps (with wicks, oil/ghee)

    3. Matchbox, Agarbatti

    4. Karpoor, Gandha Powder, Kumkum, gopichandan, haldi

    5. Sri Mudra (for Sandhyaavandan), Vessel for Tirtha, Yajnopaviita

    6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks

    7. Flowers, Akshata (in a container), tulsi leaves, tulsi garland

    8. Decorated Copper or Silver Kalasha, Two pieces of cloth (new),

    9. Coconut, 1/2 kg. Rice, gold coin, gold chain

    10. Extra Kalasha, 3 trays, 3 vessels for Abhisheka

    11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25

    12. Dry Fruits, 5 bananas, 1 coconut - all for naivedya

    13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water

    14. Puja Books

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    १ At the regular altar

    ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः | ॐ सर्वेभ्यो देर्वेभ्यो नमः | ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः || प्रारंभ काय ंननर्र्विघ्नमस्तु | शुभं शोभनमस्तु | इष्ट देर्वता कुलदेर्वता सुप्रसन्ना र्वरदा भर्वतु || अनुज्ां देहि ||

    At the श्री नरससिं altar -----------------------------------------------------------------------------

    २ आचमनः (Sip one spoon of water after each mantra.

    Take a little water from the vessel for worship with an offering

    spoon onto the palm and sip it. This is called achaman.. Just as

    bathing causes external purification, partaking water in this

    way is responsible for internal purification. This act is

    repeated thrice. Thus physical, psychological and spiritual,

    internal purification is brought about.)

    द्र्र्वराचम्य

    ॐ केशर्वाय स्र्वािाः. ॐ नारायणाय स्र्वािाः. ॐ माधर्वाय स्र्वािाः. ॐ गोर्र्वदंाय नमः . ॐ र्र्वष्णर्वे नमः . ॐ मधसुूदनाय नमः . ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः . ॐ र्वामनाय नमः . ॐ श्रीधराय नमः . ॐ हृषीकेशाय नमः . ॐ पद्मनाभाय नमः . ॐ दामोदराय नमः . ॐ सङ्कषिणाय नमः . ॐ र्वासुदेर्वाय नमः . ॐ प्रद्युम्नाय नमः . ॐ अननरुद्धाय नमः . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः . ॐ अधोक्षजाय नमः . ॐ नारससिंाय नमः . ॐ अच्युताय नमः . ॐ जनादिनाय नमः .

    ॐ उपेंद्राय नमः . ॐ िरये नमः . श्री कृष्णाय नमः || -----------------------------------------------------------------------------

    ३ प्राणायामः (Due to pranayam, the rajas component decreases

    and the sattva component increases.)

    ॐ प्रणर्वस्य परब्रह्म ऋर्षः . परमात्मा देर्वता . दैर्वी गायिी छन्दः . प्राणायामे र्र्वननयोगः ||

    ॐ भूः . ॐ भुर्वः . ॐ स्र्वः . ॐ मिः . ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं . ॐ भूभुिर्वः स्र्वः | ॐ तत्सर्र्वतुर्विरेण्यं भगो देर्वस्य धीमिी धधयो यो नः प्रचोदयात ्|| पुनराचमन (Repeat Achamana 2 - given above) ॐ आपोज्योनत रसोमतृं ब्रह्म भूभुिर्वस्सुर्वरोम ्||

    (Apply water to eyes and understand that you are of

    the nature of Brahman)

    -----------------------------------------------------------------------------

    ४ सङ्कल्पः (Holding unbroken consecrated rice (akshata) and an offering

    spoon (pali) with water in the cup of one’s hand one should

    chant the mantra with the resolve, ‘I of the .....lineage (gotra),

    ..... am performing the .... ritual to obtain the benefit according

    to the Shrutis, Smrutis and Puranas in order to acquire ....

    result and then should offer the water from the hand into the

    circular, shelving metal dish (tamhan). Offering the water into

    the circular, shelving dish signifies the completion of an act.)

    सर्वि देर्वता प्रार्िना (Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)

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    ॐ श्रीमान ्मिागणाधधपतये नमः . श्री गुरुभ्यो नमः . श्री सरस्र्वत्यै नमः . श्री र्वेदाय नमः . श्री र्वेदपुरुषाय नमः . इष्टदेर्वताभ्यो नमः | (Prostrations to your favorite deity) कुलदेर्वताभ्यो नमः | (Prostrations to your family deity) स्र्ान देर्वताभ्यो नमः | (Prostrations to the deity of this house) ग्रामदेर्वताभ्यो नमः | (Prostrations to the deity of this place) र्वास्तुदेर्वताभ्यो नमः | (Prostrations to the deity of all the materials we have

    collected) शचीपुरंदराभ्यां नमः | (Prostrations to the Indra and shachii) उमामिेश्र्वराभ्यां नमः | (Prostrations to Shiva and pArvati) लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः | (Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and

    NArAyaNa) मातार्पतभृ्यां नमः | (Prostrations to our parents) सर्वेभ्यो देर्वेभ्यो नमो नमः | (Prostrations to all the Gods) सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः | (Prostrations to all Brahamanas - those who are in the religious

    path) एतद्कमि प्रधान देर्वताभ्यो नमो नमः | (Prostrations to Lord Satyanarayana, the main deity of this

    puja) || अर्र्वघ्नमस्तु ||

    सुमुखश्च एकदंतश्च कर्पलो गजकणिकः . लंबोदरश्च र्र्वकटो र्र्वघ्ननाशो गणाधधपः || धमू्रकेतुगिणाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः . द्र्वादशैतानन नामानन यः पठेत ्श्रणुुयादर्प ||

    र्र्वद्यारंभे र्र्वर्वािे च प्रर्वेश ेननगिमे तर्ा . संग्रामे संकटेचरै्व र्र्वघ्नः तस्य न जायते || (Whoever chants or hears these 12 names of Lord

    Ganesha will not have any obstacles in any of their

    endeavours) शुकलांबरधरं देर्वं शसशर्वण ंचतुभुिजम ्| प्रसन्नर्वदनं ध्यायेत ्सर्वि र्र्वघ्नोपशांतये ||

    सर्विमङ्गल माङ्गल्ये सशर्वे सर्वािर्ि साधधके | शरण्ये त्र्यंबके देर्वी नारायणी नमोऽस्तुते ||

    (We completely surrender ourselves to that Goddess

    who embodies auspiciousness, who is full of

    auspicious-ness and who brings auspicousness to us) सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ्| येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ्मङ्गलायतनो िररः ||

    (When Lord Hari, who brings auspiciousness is situated in our hearts, then there will be no more

    inauspiciousness in any of our undertakings) तदेर्व लग्नं सुहदनं तदेर्व ताराबलं चदं्रबलं तदेर्व . र्र्वद्याबलं दैर्वबलं तदेर्व लक्ष्मीपतेः तेंनयऽयुगं स्मरासम || (What is the best time to worship the Lord? When our

    hearts are at the feet of Lord Narayana, then the

    strength of the stars, the moon, the strength of

    knowledge and all the Gods will combine and make it

    the most auspicious time and day to worship the Lord) लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः . येषां इस्न्दर्वरश्यामो हृदयस्र्ो जनादिनः || (When the Lord is situated in a person's heart, he

    will always have profit in his work and victory in all

    that he takes up and there is no question of defeat

    for such a person)

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    र्र्वनायकं गुरंु भानुं ब्रह्मार्र्वष्णुमिेश्र्वरान ्| सरस्र्वतीं प्रणम्यादौ सर्वि कायािर्ि ससद्धये ||

    (To achieve success in our work and to find

    fulfillment we should first offer our prayers

    to Lord Vinayaka and then to our teacher, then

    to the Sun God and to the holy trinity of Brahma,

    ViShNu and Shiva) श्रीमद् भगर्वतो मिापुरुषस्य र्र्वष्णोराज्या प्रर्वतिमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्र्र्वतीय पराधे र्र्वष्णुपदे श्री श्र्वेतर्वराि कल्पे र्वैर्वस्र्वत मन्र्वन्तरे --------------- देश,े शासलर्वािन शके र्वतिमाने व्यर्विाररके ------------ नाम संर्वत्सरे ---------------- आयणे --------------ऋतौ ------------------ मासे -------------- पक्षे ----- नतर्ौ ----- नक्षि े----- र्वासरे सर्वि ग्रिेषु यर्ा रासश स्र्ान स्स्र्तेषु सत्सु एर्वं गुणर्र्वशषेेण र्र्वसशष्टायां शुभपुण्यनतर्ौ मम आत्मन श्रनुतस्मनृत पुराणोकत फलप्राप्यर् ंमम सकुटुम्बस्य क्षेम स्र्यैि आयुरारोग्य चतुर्र्विध पुरुषार्ि ससध्यर् ंअगंीकृत श्री नरससिं व्रतांगत्र्वेन संपाहदत सामग्रव्या गणेश र्वरुण ब्रह्मा सूयािहद नर्वग्रि इंद्राहद अष्टलोकपाल गणपनत चतुष्ट देर्वता पूजनपूर्विकं श्री नरससिं प्रीत्यर् ंयर्ा शकत्या यर्ा समसलता उपचार द्रव्यैः पुरुषसूकत, श्री सूकत पुराणोकत मन्िशै्च ध्यान आर्वािनाहद षोडशोपचारे श्री नरससिं पूजनं तर्ा व्रतोकत कर्ा श्रर्वण ंच कररष्ये || इदं फलं मया देर्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व | तेन मे सुफलार्वास्प्तर ्भर्वेत ्जन्मनन जन्मनन || (keep fruits in front of the Lord)

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    ५. षडङ्ग न्यास (Purifying the body)

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    ५.(१) षडङ्ग न्यास (Purifying hands and various parts of the body )

    ॐ यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ्। मुख ंककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।। ॐ ह्ा ंनरससिंाय नमः | अगंुष्ठाभ्यायां नमः | हृदयाय नमः || (touch the thumbs)

    ॐ ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ्बािू राजन्यः कृतः । उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।। ॐ ह्ी ंपुष्कराक्षाय नमः | तजिनीभ्यां नमः | सशरसे स्र्वािाः || (touch both fore fingers)

    ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत । मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।। ॐ हंु् करलाय नमः | मध्यमाभ्यां नमः | सशखायै र्वषट् || (touch middle fingers) ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम ्शीष्णो द्यौः समर्वतित । पदभ्यां भूसमहदिशः श्रोिात ्तर्ा लोकााँ अकल्पयन।्।

    ॐ ह्ैं र्र्वकृताय नमः | अनासमकाभ्यां नमः | कर्वचाय िुम ्|| (touch ring fingers)

    ॐ धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार शक्रः प्रर्र्वद्र्वान्प्रहदशश्चतस्रः । तमेर्वं र्र्वद्यानमतृ इि भर्वनत नान्यः पन्र्ा अयनाय र्र्वद्यते ।।

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    ॐ ह्ौं हिरण्यकसशपो र्वकृ्षोदारणाय नमः | कननस्ष्ठकाभ्यां नमः | नेिियाय र्वौषट् || (touch little fingers)

    यज्ेन यज्मयजन्त देर्वाः तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ्। ते ि नाकं महिमानः सचन्ते यि पूर्वे साध्याः सस्न्त देर्वाः ।। ॐ ह्ः प्रह्लादर्वरदाय नमः | करतलकरपषृ्ठाभ्यां नमः | अस्िाय फट् || (touch palms and over sleeve of hands)

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    ५.(२) हदग्बन्धन ( show mudras)

    ॐ भुभुिर्वस्र्वरोम ्इनत हदग्बन्धः | (snap fingers, circle head clockwise and clap hands) हदशो बद्नासम || (shut off all directions i.e. distractions so that we can

    concentrate on the Lord)

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    ६ गणपनत पूजा (To prevent any obstacle from disrupting an auspicious

    occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati.)

    आदौ ननर्र्विघ्नता ससध्यर् ंमिा गणपनत पूजनं कररष्ये .

    ॐ गणानां त्र्वा शौनको गतृ्समदो गणपनतजिगती गणपत्यार्वािने र्र्वननयोगः || (pour water) ॐ गणानां त्र्वा गणपनत ंिर्वामिे

    कर्र्व ंकर्वीनामुपम श्रर्वस्तमं | ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः शणृ्र्वन्नूनतसभः सीदसादनं || भूः गणपनत ंआर्वाियासम . भुर्वः गणपनत ंआर्वाियासम . स्र्वः गणपनत ंआर्वाियासम . ॐ भूभुिर्वस्र्वः सांगं सपररर्वारं सायुध ंसशस्कतकं मिागणपनत ंआर्वाियासम | (O great Ganapati come along with Riddhi, Buddhi,

    your entire family, all your weapons and might’) ॐ भूभुिर्वस्र्वः मिागणपतये नमः ध्यायासम. ध्यानम ्समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. आर्वािनं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. आसनं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. पाद्यं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. अघ्य ंसमपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. आचमनीयं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. स्नानं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. र्वस्ि ंसमपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. यज्ोपर्वीतं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. चदंनं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. पररमल द्रव्यं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. पुष्पाणण समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. धपूं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. दीपं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. नैर्वेद्यं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. ताम्बूलं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. फलं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. दक्षक्षणां समपियासम |

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    ॐ मिागणपतये नमः. आनतिकयं समपियासम | ॐ भूभुिर्वस्र्वः मिागणपतये नमः. मन्िपुष्पं समपियासम | ॐ भूभुिर्वस्र्वः मिागणपतये नमः | प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ्समपियासम | ॐ भूभुिर्वस्र्वः मिागणपतये नमः. छि ंसमपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. चामरं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. गीतं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. नतृ्यं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. र्वाद्यं समपियासम | ॐ मिागणपतये नमः. सर्वि राजोपचारान ्समपियासम||

    || अर् प्रार्िना ||

    ॐ र्वक्रतुण्ड मिाकाय कोहटसूरय् समप्रभ. ननर्र्विघ्नं कुरु मे देर्व सर्वि कायेषु सर्विदा ||

    ॐ भूभुिर्वस्र्वः मिागणपतये नमः. प्रार्िनां समपियासम| अनया पूजया र्र्वघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम ्||

    (Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the vanquisher

    of all obstacles be appeased with this worship of mine’,

    chanting thus water should be released.)

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    ७ दीप स्र्ापना

    अर् देर्वस्य र्वाम भागे दीप स्र्ापनं कररष्ये | अस्ग्ननािस्ग्नः ससमध्यते कर्र्वग्रििपनतयुिर्वा िव्यर्वात ्जुर्वास्यः || (light the lamps)

    -----------------------------------------------------------------------------

    ८ भूसम प्रार्िना (open palms and touch the ground.

    first the earth (ground) on the right hand side (since the host

    performing the religious ceremony is facing the east, the hand

    touching the ground is in the southern direction) and then the

    earth on the left hand side, in front of oneself (that is the

    northern direction) should be touched. Energies from the south

    are distressing. To prevent them from causing distress, one

    offers obeisance to them by touching the earth. The energies

    from the north are however saluted as they are pleasant.) मिीध्यौः पधृर्र्वीचन इमं यजं् समसमक्षतां र्पप्रतान्नो भरीमसभः || -----------------------------------------------------------------------------

    ९ धान्य रासश

    ॐ औषधाय संर्वदंते सोमेन सिराज् . यस्मै कृणेनत ब्राह्मणस्र् ंराजन ्पारयामसस || (Touch the grains/rice/wheat)

    -----------------------------------------------------------------------------

    १० कलश स्र्ापना (Two small heaps of rice should be made on the ground

    amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two pots

    of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots

    should be placed on these two heaps.)

    ॐ आ कलशषेु धार्वनत पर्र्वि ेपररससचं्यते उकतैयिजे्षु र्वधिते || (keep kalasha on top of rice pile) ॐ इमं मे गङ्गे यमुने सरस्र्वती शुतुहद्र स्तोमं सचता परुष्ण्या . अससकन्य मरुद्र्वधेृ र्र्वतस्तयाजीकीये श्रणुुह्या सुषोमया || (fill kalasha with water) ॐ गंधद्र्वारां दरुाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं . ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वयेधश्रयं || (sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha) ॐ या फसलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुस्ष्पणीः .

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    बिृस्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः || (put betel nut in kalasha) ॐ सहिरत्नानन दाशुषुसुर्वानत सर्र्वता भगः . तम्भागं धचिमीमिे || (put jewels / washed coin in kalasha) ॐ हिरण्यरूपः हिरण्य सस्न्द्रग्पान्न पात्स्येद ुहिरण्य र्वणिः . हिरण्ययात ्पररयोनेननिषद्या हिरण्यदा ददत््यन ्नमस्मै || (put gold / daxina in kalasha) ॐ काण्डात ्काण्डात ्प्ररोिंती परुषः परुषः परर एर्वानो दरू्वे प्रतनु सिस्रेण शतेन च || (put duurva / karika ) ॐ अश्र्वत्रे्र्वो ननशदनं पणणिर्वो र्वसनतश्कृत . गो भाज इस्त्कला सर्यत्स नर्वर् पूरुषं || (put five leaves in kalasha) ॐ या फसलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुस्ष्पणीः . बिृस्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः || (put coconut in kalasha)

    ॐ युर्वासुर्वासः परीर्वीतागात ्स उशे्रयान ्भर्वनत जायमानः. तं धीरासः कार्वयः उन्नयंनत स्र्वाद्ध्यो स्र्वाद्ध्यो मनसा देर्वयंतः|| (tie cloth for kalasha) ॐ पूणािदर्र्वि परापत सुपूणाि पुनरापत . र्वस्ने र्व र्र्वक्रीणार्वः इषमूज ंशतक्रतो || (decorate copper plate and ashhTadala with kuMkuM) इनत कलशं प्रनतष्ठापयासम ||

    सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

    ११ र्वरुण पूजन (On the second kalasha) तत्र्वायासम शुनः शपेोः र्वरुण त्रिष्टुप ्कलश े

    र्वरुणार्वािने र्र्वननयोगः ||

    ॐ तत्र्वायासम ब्रह्मणा र्वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो िर्र्वसभिः . आिेलमानो र्वरुणः बोध्युरुशं समान आयुः प्रमोर्षः ॐ भूभुिर्वःस्र्वः र्वरुणाय नमः .चदंनं समपियासम || (add to kalasha) ॐ भूभुिर्वःस्र्वः . र्वरुणाय नमः . अक्षतान ्समपियासम|| (add to kalasha) ॐ भूभुिर्वःस्र्वः . र्वरुणाय नमः . िररद्रा कंुकुमं समपियासम || ॐ भूभुिर्वःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. धपूं समपियासम || ॐ भूभुिर्वःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. दीपं समपियासम || ॐ भूभुिर्वःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. नैर्वेद्यं समपियासम || ॐ भूभुिर्वःस्र्वः . र्वरुणाय नमः . सकल राजोपचारारे् अक्षतान ्समपियासम ||

    अर्वते िेळो र्वरुण नमोसभररर्व यज्ेसभरीमिे िर्र्वसभिः . क्षयं नमस्मभ्यं सुरप्रचतेा राजन ्नेनांसस सशश्रर्ः कृतानन || र्वरुणाय नमः . मन्ि पुष्पं समपियासम || प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ्समपियासम ||

    अनया पूजया भगर्वान ्श्री मिा र्वरुण प्रीयताम ्|| सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ||

    -----------------------------------------------------------------------------

    १२ कलश पूजन (continue with second kalasha) कलशस्य मुखे र्र्वष्णुः कण्ठे रुद्रः समाधश्रतः . मूले ति स्स्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातगृणाः स्मतृाः ||

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    कुक्षौतु सागराः सर्वे सप्त द्र्वीपा र्वसुंधराः . ऋग्र्वेदोर् यजुर्वेदः सामर्वेदोह्यर्र्विणः || अगंैश्च सहिताः सर्वे कलशंतु समाधश्रताः . अि गायिी सार्र्विी शांनत पुस्ष्टकरी तर्ा ||

    आयान्तु देर्व पूजार् ंअसभषेकार्ि ससद्धये ||

    ॐ ससताससते सररते यि संगरे् तिाप्लुतासो हदर्वमुत्पतंनत . ये र्वैतन्र्वं र्र्वस्रजस्न्त धीरास्ते जनासो अमतृत्त्र्वं भजस्न्त || (Those who want to attain immortality take a

    dip in the confluence of the Ganges, yamuna and

    sarasvati rivers at the prayag. Let the water

    in this kalasha become like the water from the

    holy rivers) || कलशः प्रार्िनाः ||

    कलशः कीनतिमायुष्यं प्रज्ां मेधां धश्रयं बलम ्| योग्यतां पापिानन ंच पुण्यं र्वदृ्धध ंच साधयेत ्||

    (Let this kalasha increase our life span, presence

    of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy

    our sins and increase our merits or puNya) सर्वि तीर्िमयो यस्मात ्सर्वि देर्वमयो यतः . अतः िररर्प्रयोऽसस त्र्वं पूणिकंुभं नमोऽस्तुते || (All the holy waters, and all the Gods are now

    present in this kalasha. Our prostrations to this

    puurNakumbha which is hence dear to Lord Hari) कलशदेर्वताभ्यो नमः . सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ||

    || मुद्रा ||

    (Show mudras as you chant )

    ननर्वीषी करणारे् ताक्षि मुद्रा . (to remove poison) अमतृी करणारे् धेनु मुद्रा . (to provide nectar - amrit) पर्र्विी करणारे् शङ्ख मुद्रा . (to make auspicious) संरक्षणारे् चक्र मुद्रा . (to protect) र्र्वपुलमाया करणारे् मेरु मुद्रा . (to remove mAyA)

    -----------------------------------------------------------------------------

    १३ शङ्ख पूजन (pour water from kalasha to sha~Nkha

    add ga.ndha flower)

    शङ्ख ंचदं्राकि दैर्वतं मध्ये र्वरुण देर्वताम ्| पषृ्ठे प्रजापनत ंर्र्वदं्याद् अगे्र गंगा सरस्र्वतीम ्||

    त्र्वं पुरा सागरोत्पन्नो र्र्वष्णुना र्र्वधतृः करे | नसमतः सर्वि देर्वैश्च पा्चजन्य नमोऽस्तुते ||

    (This shaNkha has now become like the pAnchajanya,

    which has come out of the ocean and which is the

    hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the

    pAnchajanya) पा्चजन्याय र्र्वद्मिे . पार्वमानाय धीमहि . तन्नो शङ्खः प्रचोदयात ्||

    शङ्खाय नमः . सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

    १४ घंटाचिना (Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell

    apply ga.ndha, flower)

    आगमार्िन्तु देर्वानां गमनार्िन्तु राक्षसाम ्| कुर्वे घंटारर्वं ति देर्वताह्र्वा लक्षणम ्|| ज्ानर्ोऽज्ानतोर्वार्प कांस्य घंटान ्नर्वादयेत ्| राक्षसानां र्पशाचनां तद्देश ेर्वसनतभिर्वेत ्|

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    तस्मात ्सर्वि प्रयत्नेन घंटानादं प्रकारयेत ्|| (When the bell is rung, knowingly or unknowingly,

    all the good spirits are summoned and all the evil

    spirits are driven away) घंट देर्वताभ्यो नमः | सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ||

    (Ring the gha.nTA)

    --------------------------------------------------- १५ आत्मशुद्धध ( Sprinkle water from sha~Nkha on puja items and

    devotees) अपर्र्विः पर्र्विो र्वा सर्वािर्वस्र्ांगतोऽर्प र्वा | यः स्मरेत ्पुंडरीकाक्षं सः बाह्याभ्यंतरः शुधचः||

    -----------------------------------------------------------------------------

    १६ षट् पाि पूजा ( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)

    र्वायव्ये अघ्य ं| नैऋत्ये पाद्यं | ईशान्ये आचमनीयं | आग्नेये मधपुकं | पूर्वे स्नानीयं | पस्श्चमे पुनराचमनं |

    -----------------------------------------------------------------------------

    १७ प्चामतृ पूजा ( put tulasi leaves or axataas in vessels|

    Panchamrit is nectar of five ingredients -

    a mixture of milk, curds, clarified butter (ghee), honey and

    sugar|)

    क्षीरे नरससिंाय नमः | (keep milk in the centre) दधधनन व्योमरूपाय नमः | (curd facing east) घतृे र्र्वष्णर्व ेनमः | (Ghee to the south) मधनुन मिामूतिये नमः | (Honey to west) शकि रायां ज्र्वालमुख़ायनमः | (Sugar to north) -----------------------------------------------------------------------------

    १८ द्र्वारपालक पूजा पूर्विद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | रर्वये नमः || दक्षक्षणद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | यमाय नमः || पस्श्चमद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | र्वरुणाय नमः || उत्तरद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | कुबेराय नमः || मध्ये नर्व रत्नखधचत हदव्य ससिंासनस्योपरर श्री नरससिं स्र्वासमने नमः || द्र्वारपालक पूजां समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

    १९ पीठ पूजा पीठस्य अधोभागे आधार शकत्यै नमः || कूमािय नमः || दक्षक्षणे क्षीरोदधधये नमः | ससिंाय नमः || ससिंासनस्य आग्नेय कोणे र्वरािाय नमः || नैऋत्य कोणे ज्ानाय नमः || र्वायव्य कोणे र्वैराग्याय नमः || ईशान्य कोणे ऐश्र्वयािय नमः || पूर्वि हदश ेधमािय नमः || दक्षक्षण हदश ेज्ानाय नमः || पस्श्चम हदश ेर्वैराग्याय नमः || उत्तर हदश ेअनैश्चराय नमः ||

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    पीठ मध्ये मूलाय नमः || नालाय नमः || पिभे्यो नमः || केसरेभ्यो नमः || कणणिकायै नमः || कणणिका मध्ये सं सत्त्र्वाय नमः || रं रजसे नमः || तं तमसे नमः || सूयिमण्डलाय नमः || सूयिमण्डलाधधपतये ब्रह्मणे नमः || सोममण्डलाय नमः || सोममण्डलाधधपतये र्र्वष्णर्वे नमः || र्वस्ह्नमण्डलाय नमः || र्वस्ह्नमण्डलाधधपतये ईश्र्वराय नमः || श्री नरससिंाय नमः | पीठ पूजां समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

    २० हदग्पालक पूजा (start from east of kalasha or deity)

    इंद्राय नमः, अग्नये नमः, यमाय नमः, नैऋतये नमः, र्वरुणाय नमः, र्वायर्वे नमः, कुबेराय नमः, ईशानाय नमः,

    इनत हदग्पालक पूजां समपियासम -----------------------------------------------------------------------------

    २१ प्राण प्रनतष्ठा (hold flowers/axata in hand) ध्यायेत ्सत्यम ्गुणातीतं गुणिय समस्न्र्वतं लोकनार् ंत्रिलोकेशं कौस्तुभाभरणं िररम ्| नीलर्वण ंपीतर्वासं श्रीर्वत्सपदभूर्षतं गोकुलानन्दं ब्रह्माध्यैरर्प पूस्जतम ्||

    ॐ अस्य श्री प्राण प्रनतष्ठापन मिा मन्िस्य ब्रह्मा र्र्वष्णु मिेश्र्वरा ऋषयः | ऋग्यजुः सामार्र्वािणण छन्दांसस | सकलजगत्ससृ्ष्टस्स्र्नत संिारकाररणी प्राणशस्कतः परा देर्वता | आं बीजम ्| ह्ीं शस्कतः | क्रौम ्कीलकम ्| अस्यां मूतौ प्राण प्रनतष्ठापने र्र्वननयोगः ||

    || करन्यासः || आं अगंुष्ठाभ्यां नमः || ह्ी ंतजिनीभ्यां नमः || क्रौं मध्यमाभ्यां नमः || आं अनासमकाभ्यां नमः || ह्ीं कननस्ष्ठकाभ्यां नमः || क्रौं करतलकरपषृ्ठाभ्यां नमः ||

    || अङ्ग न्यासः || आं हृदयाय नमः || ह्ीं सशरसे स्र्वािाः || क्रौं सशखायै र्वषट् || आं कर्वचाय िंु ||

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    ह्ीं नेिियाय र्वौषट् || क्रौं अस्िाय फट् || भूभुिर्वस्र्वरोम ्इनत हदग्बन्धः || आं ह्ीं क्रौम ्क्रौम ्ह्ीं आं | य र ल र्व श ष स ि | ॐ अिं सः सोऽिं सोऽिं अिं सः || अस्यां मूते प्राणः नतष्ठंतुः | अस्यां मूते जीर्वः नतष्ठन्तु | अस्यां मूते सर्वेस्न्द्रयाणण मनस्त्र्वत ्चक्षुः श्रोि स्जह्र्वा याणैः र्वाकर्वाणण पादपायोपस्र्ानन प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य सुखेन धचरं नतष्ठन्तु स्र्वािाः | असुनीते पुनरस्मासु चक्षुर्वः पुनः प्राणसमिीनो देहिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयिमुच्चरन्तम ्अनुमते मडृयान स्र्वस्स्त अमतृं र्वै प्राणा अमतृमापः प्राणानेर्व यर्ा स्र्ानं उपह्र्वयेत ्||

    स्र्वासमन ्सर्वि जगन्नार् यार्वत्पूजार्वसानकं तार्वत्र्वम ्प्रीनतभार्वेन त्रबम्बेस्स्मन ्कलशसे्स्मन ् प्रनतमायां सस्न्नधध ंकुरु || इनत प्राणं प्रनतष्ठापयासम || सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

    २२ ध्यानं

    ॐ ॐ (repeat 15 times)

    ॐ शान्ताकारम ्भुजगशयनम ्पद्मनाभम ्सुरेशम।् र्र्वश्र्वाधारम ्गगनसदृशम ्मेघर्वणिम ्शुभाङ्गम॥् लक्ष्मीकान्तम ्कमलनयनम ्योधगहृद्धयानगम्यम।् र्वन्दे र्र्वष्णुम ्भर्वभयिरम ्सर्विलोकैकनार्म॥् (you can add more related shlokas)

    ॐ श्री नरससिंाय नमः । ध्यानात ्ध्यानं समपियासम -----------------------------------------------------------------------------

    २३ आर्वािनं ( hold flowers in hand)

    ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात ्। स भूसम ंर्र्वश्र्वतो र्वतृ्र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ्।। आगच्छ देर्वदेर्वेश तेजोराश ेजगत्पते । कक्रयमाणां मया पूजां गिृाण सुरसत्तमे ।। ॐ हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि ।। श्री लक्ष्मी सहित श्री नरससिंाय सांगाय सपररर्वाराय सायुधाय सशस्कतकाय नमः । श्री लक्ष्मी सहित श्रीनरससिंं सांगं सपररर्वारं सायुध ंसशस्कतकं आर्वाियासम ।। (offer flowers to Lord) आर्वाहितो भर्व । स्र्ार्पतो भर्व । सस्न्नहितो भर्व । सस्न्नरुद्धो भर्व । अर्वकुस्ण्ठतो भर्व । सुप्रीतो भर्व ।

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    सुप्रसन्नो भर्व । सुमुखो भर्व । र्वरदो भर्व । प्रसीद प्रसीद ।। (show mudras to Lord) -----------------------------------------------------------------------------

    २४ आसनं पुरुष एर्वेदगं सर्विम ्यद्भूतं यच्छ भव्यम ्। उतामतृत्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।। नाना रत्न समायुकतं कातिस्र्वर र्र्वभूर्षतम ्। आसनं देर्वदेर्वेश प्रीत्यर् ंप्रनतगहृ्यताम ्।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । आसनं समपियासम ।। (offer flowers/axathaas)

    तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ्। यस्यां हिरण्यं र्र्वन्देयं गामश्र्वं पुरुषानिम ्।। आसनं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २५ पाद्यं (offer water) एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः । पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामतृं हदर्र्व ।। गङ्गाहद सर्वि तीरे्भ्यो मया प्रार्िनया हृतम ्। तोयमे तत ्सुख स्पश ंपाद्यर् ंप्रनतगहृ्यताम ्।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । पादोयो पाद्यं समपियासम।। अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ्। धश्रयं देर्वीमुपह्र्वये श्रीमाि देर्वी जुषताम ्।।

    पादोयो पाद्यं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २६ अघ्य ं (offer water) त्रिपादधू्र्वि उदैत्पुरुषः पादोऽस्येिाभर्वात्पुनः । ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ्साशनानशने असभ ।। नमस्ते देर्वदेर्वेश नमस्ते धरणी धर । नमस्ते कमलाकांत गिृाणाघ्य ंनमोऽस्तुते ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । अघ्यिम ्समपियासम।। कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तपृ्तां तपियन्तीम ्। पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ्।। अघ्य ंसमपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २७ आचमनीयं (offer water or axathaa/ leave/flower) तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः । स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः ।। कपूिर र्वाससतं तोयं मन्दाककन्यः समाहृतम ्। आचम्यतां जगन्नार् मयाधत्त ंहि भस्कतर्ः ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । आचमनीयं समपियासम ।। चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके देर्वजुष्टामुदाराम ्।

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    तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां र्वणेृ ।। आचमनीयं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २८ मधपुकि म ् नमः श्री र्वासुदेर्वाय तत्र्वज्ान स्र्वरूर्पणे । मधपुकं ग्रुिाणेदं लक्ष्मीपतये नमः ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः . मधपुकं समपियासम -----------------------------------------------------------------------------

    २९ स्नानं यत्पुरुषेण िर्र्वषा देर्वा यज्मतन्र्वत । र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ्ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः ।। गङ्गाच यमुनाश्चरै्व नमिदाश्च सरस्र्वती । तार्प पयोस्ष्ण रेर्वच ताभ्यः स्नानार्िमाहृतं ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । मलापकशि स्नानं समपियासम ।। आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वकृ्षोऽर् त्रबल्र्वः । तस्य फलानन तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २९. १ प्चामतृ स्नानं २९.१. १ पय स्नानं (milk bath) ॐ आप्याय स्र्व स्र्वसमेतुते र्र्वश्र्वतः सोमर्वषृ्ण्यं भर्वार्वाजस्य संगरे् ।।

    सुरभेस्तु समुत्पन्नं देर्वानां अर्प दलुिभम ्। पयो दधासम देर्वेश स्नानार् ंप्रनतगहृ्यताम ्।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । पयः स्नानं समपियासम ।। पयः स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २९. १. २ दधध स्नानं (curd bath) ॐ दधधक्राव्णो अकाररषं स्जष्णोरश्र्वस्यर्वास्जनः । सुरसभनो मुखाकरत ्प्राण आयुंर्ष ताररषत ्।। चन्द्र मन्डल सम्काशं सर्वि देर्व र्प्रयं हि यत ्। दधध ददासम देर्वेश स्नानार् ंप्रनतगहृ्यताम ्।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । दधध स्नानं समपियासम ।। दधध स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २९. १. ३ घतृ स्नानं (ghee bath) ॐ घतृं समसमक्षे घतृमस्य योननघृिते धश्रतो घतृंर्वस्यधाम अनुष्ठधमार्वि मादयस्र्व स्र्वािाकृतं र्वषृभ र्वक्षक्षिव्यं।। आज्यं सुरानां आिारं आज्यं यज्े प्रनतस्ष्ठतम ्। आज्यं पर्र्वि ंपरमं स्नानार् ंप्रनतगहृ्यताम ्।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । घतृ स्नानं समपियासम ।। घतृ स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।

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    सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २९. १. ४ मध ुस्नानं (Honey bath)

    ॐ मधरु्वात ऋतायते मधकु्षरंनत ससन्धर्वः मास्ध्र्वनः संतोष्र्वधीः मधनुकता मुतोषसो मधमुत ्पाधर्िर्वं रजः मधदु्यौ रस्तुनः र्पता मधमुान्नो र्वनस्पनतर ्मधमुााँ अस्तु सूयिः माध्र्वीगािर्वो भर्वंतु नः || सर्वौषधध समुत्पन्नं पीयुष सदृशं मध ु। स्नानार् ंमया दत्त ंगिृाण परमेश्र्वर ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । मध ुस्नानं समपियासम ।। मध ुस्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २९. १. ५ शकि रा स्नानं (sugar bath) ॐ स्र्वाधःु पर्वस्य हदव्याय जन्मने स्र्वादरुरन्द्राय सुिर्वीतु नाम्ने स्र्वादसुमििाय र्वरुणाय र्वायर्वे बिृस्पतये मधमुााँ अदाभ्यः || इक्षु दण्डात ्समुत्पन्ना, रसस्स्नग्धतरा शुभा शकि रेयं मया दत्ता, स्नानात ंप्रनतगहृ्यताम ् ॐ श्री नरससिंाय नमः । शकि रा स्नानं समपियासम।। शकि रा स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    २९. २ गंधोदक स्नानं (Sandalwood water bath) ॐ गंधद्र्वारां दरुाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं | ईश्र्वरीं सर्वि भूतानां तासम िोप व्ियेधश्रयं || िरर चदंन संभूतं िरर प्रीतेश्च गौरर्वात ्। सुरसभ र्प्रय गोर्र्वन्द गंध स्नानाय गहृ्यतां ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । गंधोदक स्नानं समपियासम।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। ----------------------------------------------------------------------------- २९. ३ अभ्यंग स्नानं (Perfumed Oil bath) ॐ कननक्रदज्र्वनुशं प्रभ्रुर्वान। इयधर्र्वािचमररतेर्व नार्वं। सुमंगलश्च शकुने भर्वासस मात्र्वा काधचदसभभार्र्वश्व्या र्र्वदत ।। अभ्यंगार् ंमिीपाल तैलं पुष्पाहद संभर्वं । सुगंध द्रव्य संसमश्र ंसंगिृाण जगत्पते ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । अभ्यंग स्नानं समपियासम। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। ----------------------------------------------------------------------------- २९. ४ अगंोद्र्वतिनकं (To clean the body) अगंोद्र्वतिनकं देर्व कस्तूयािहद र्र्वसमधश्रतं । लेपनार् ंगिृाणेदं िररद्रा कंुकुमैयुितं ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । अगंोद्र्वतिनं समपियासम ।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

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    २९. ५ उष्णोदक स्नानं (Hot water bath) नाना तीर्ािदाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृतं । स्नानार् ंच प्रयच्छासम स्र्वीकुरुश्र्व दयाननधे ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । उष्णोदक स्नानं समपियासम।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। ----------------------------------------------------------------------------- २९. ६ शुद्धोदक स्नानं (Pure water bath) sprinkle water all around

    ॐ आपोहिष्टा मयो भुर्वः । ता न ऊजे दधातन । मिेरणाय चक्षसे । यो र्वः सशर्वतमो रसः तस्यभाजयते ि नः । उशतीररर्व मातरः । तस्मा अरंगमामर्वो । यस्य क्षयाय स्जन्र्वर् । आपो जनयर्ा च नः ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।। सकल पूजारे् अक्षतान ्समपियासम ।। (after sprinkling water around throw one tulasi leaf

    to the north) -----------------------------------------------------------------------------

    ३० मिा असभषेकः (Sound the bell pour water from kalasha) ३०.१ पुरुष सूकत ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात ्। स भूसम ंर्र्वश्र्वतो र्वतृ्र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ्।।१।। पुरुष एर्वेदगं सर्विम ्यद्भूतं यच्छ भव्यम ्। उतामतृत्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।। २।।

    एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः । पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामतृं हदर्र्व ।। ३।। त्रिपादधू्र्वि उदैत्पुरुषः पादोऽस्येिाभर्वात्पुनः । ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ्साशनानशने असभ ।। ४।। तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः । स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः ।। ५।। यत्पुरुषेण िर्र्वषा देर्वा यज्मतन्र्वत । र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ्ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः ।।६।। सप्तास्यासन ्पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः । देर्वा यद्यजं् तन्र्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम ्। तं यजं् बहििर्ष प्रौक्षन ्पुरुषं जातमग्रतः । तेन देर्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।। ७।। तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभतृं पषृदाज्यम ्। पशूगाँस्तागंश्चके्र र्वायव्यान ्आरण्यान ्ग्राम्याश्चये।।८।। तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे । छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ्यजुस्तस्मादजायत ।।९।। तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः । गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ्तस्माज्जाता अजार्वयः।।१०।। यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ्। मुख ंककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।। ११।। ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ्बािू राजन्यः कृतः । उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।। १२।। चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत । मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।। १३।। नाभ्या आसीदन्तररक्षम ्शीष्णो द्यौः समर्वतित ।

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    पदभ्यां भूसमहदिशः श्रोिात ्तर्ा लोकााँ अकल्पयन।्।१४।। र्वेदािमेतं पुरुषं मिान्तम ् आहदत्यर्वण ंतमसस्तु पारे । सर्वािणण रूपाणण र्र्वधचत्य धीरः नामानन कृत्र्वाऽसभर्वदन ्यदास्ते ।। १५।। धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार शक्रः प्रर्र्वद्र्वान्प्रहदशश्चतस्रः । तमेर्वं र्र्वद्यानमतृ इि भर्वनत नान्यः पन्र्ा अयनाय र्र्वद्यते ।। १६।। यज्ेन यज्मयजन्त देर्वाः तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ्। ते ि नाकं महिमानः सचन्ते यि पूर्वे साध्याः सस्न्त देर्वाः ।। १७।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । पुरुषसूकत स्नानं समपियासम। ।। ----------------------------------------------------------------------------- ३०.२ श्री सूकत हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ्| चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि || १|| तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ्| यस्यां हिरण्यं र्र्वन्देयं गामश्र्वं पुरुषानिम ्|| २ || अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ्| धश्रयं देर्वीमुपह्र्वये श्रीमाि देर्वी जुषताम ्|| ३ || कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तपृ्तां तपियन्तीम ्| पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ्|| ४ || चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके

    देर्वजुष्टामुदाराम ्| तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां र्वणेृ || ५ || आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वकृ्षोऽर् त्रबल्र्वः | तस्य फलानन तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।। ६ ।। उपैतु मां देर्वसखः कीनतिश्च मणणना सि | प्रादभुूितोऽस्स्म राष्रेस्स्मन्कीनतिमदृ्धध ंददातु मे || ७ || क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ्| अभूनतमसमदृ्धध ंच सर्वां ननणुिदमे गिृात ्|| ८ || गन्धद्र्वारां दरुाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीम ्| ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ्|| ९ || मनसः काममाकूनत ंर्वाचः सत्यमशीमहि | पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः || १० || कदिमेन प्रजाभूतामनय सम्भर्वकदिम | धश्रयं र्वासय मे कुले मातरं पद्ममासलनीम ्|| ११ || आपः सजृन्तु स्स्नग्धानन धचकलीतर्वसमे गिेृ | ननचदेर्वीं मातरं धश्रयं र्वासय मे कुले || १२ || आद्रां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िेममासलनीम ्| सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १३ || आद्रां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ्| चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १४ || तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ्| यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गार्वोदास्योश्र्वास्न्र्वन्देयं पुरुषानिम ्|| १५ || यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ्| सूकतं प्चदशच ंच श्रीकामः सततं जपेत ्|| १६ || पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भर्वे |

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    तन्मेभजसस पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यिम ्||१७|| अश्र्वदायी गोदायी धनदायी मिाधने | धनं मे जुषतां देर्र्व सर्विकामांश्च देहि मे || १८ || पद्मानने पद्मर्र्वपद्मपि ेपद्मर्प्रये पद्मदलायताक्षक्ष| र्र्वश्र्वर्प्रये र्र्वश्र्वमनोनुकूले त्र्वत्पादपद्मं मनय संननधत्स्र्व || १९ || पुिपौि ंधनं धान्यं िस्त्यश्र्वाहदगर्वेरर्म ्| प्रजानां भर्वसस माता आयुष्मन्तं करोतु मे || २० || धनमस्ग्नधिनं र्वायुधिनं सूयो धनं र्वसुः | धनसमन्द्रो बिृस्पनतर्विरुणं धनमस्तु ते || २१ || र्वैनतेय सोमं र्पब सोमं र्पबतु र्विृिा | सोमं धनस्य सोसमनो मह्यं ददातु सोसमनः || २३ || न क्रोधो न च मात्सय ंन लोभो नाशुभा मनतः । । भर्वस्न्त कृतपुण्यानां भकतानां श्रीसूकतं जपेत।्।२४ ।। सरससजननलये सरोजिस्ते धर्वलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे । भगर्वनत िररर्वल्लभे मनोजे् त्रिभुर्वनभूनतकरर प्रसीद मह्यम ्।। २५ ।। र्र्वष्णुपत्नीं क्षमादेर्वीं माधर्वीं माधर्वर्प्रयाम ्। लक्ष्मीं र्प्रयसखीं देर्वीं नमाम्यच्युतर्वल्लभाम ्।।२६ ।। मिालक्ष्मी च र्र्वद्मिे र्र्वष्णुपत्नी च धीमहि । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात ्।। २७ ।। श्रीर्वचिस्र्वमायुष्यमारोग्यमार्र्वधाच्छोभमानं मिीयते । धान्यं धनं पशुं बिुपुिलाभं शतसंर्वत्सरं दीघिमायुः।।२८।। ॐ श्री नरससिंाय नमः | श्री सूकत स्नानं समपियासम|| -----------------------------------------------------------------------------

    ३०. ३ र्र्वष्णु सूकत अतो देर्वा अर्वन्तु नो यतो र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे । पधर्िव्याः सप्त धामसभः ।। इदं र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे िधेा ननदधे पदं । समूढमस्यपााँसुरे ।। िीणण पदा र्र्वचक्रमे र्र्वष्णुगोपा अदाभ्यः । ततो धमािणण धारयन ्।। र्र्वष्णोः कमािणण पश्यत यतो व्रतानन पस्पश े। इन्द्रस्य युज्यः सखा ।। तद् र्र्वष्णोः परमं पदं सदा पश्यस्न्त सूरयः । हदर्वीर्व चक्षुराततम ्।। तद् र्र्वप्रासो र्र्वपन्यर्वो जागरृ्वााँसस्सममन्धते । र्र्वष्णोर ्यत ्परमं पदं ।। देर्वस्य त्र्वा सर्र्वतुः प्रसर्वऽेस्श्र्वनोबाििुभ्यां पूष्णो िस्ताभ्याम ्। अग्नेस्तेजसा सूयिश्च अचिसेन्द्रस्यं इस्न्द्रयेनासभसश्चासम ।। बलाय धश्रयै यशसेन्नाध्याय अम्रुतासभषेको अस्तु । शास्न्तः पुस्ष्टः तुस्ष्टः च अस्तु ।। ॐ श्री नरससिंाय नमः । मिा असभषेक स्नानं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३१ प्रनतष्ठापना ॐ श्री नरससिंाय नमः | (repeat 12 times)

    ॐ तदसु्तु समिा र्वरुणा तदग्ने शंयोरस्मभ्यसमदम स्तुशस्तम ्| अशीमहि गाधमुत प्रनतष्ठां नमो हदर्वे बिृते

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    साधनाय|| ॐ गिृार्वै प्रनतष्ठासूकतं तत ्प्रनतस्ष्टत तमया र्वाचा | शं स्तव्यं तस्माद्यद्यर्पदरू इर्व पशून ्लभते | ग्रिानेर्वै नानास्जगसमशनत गिृाहि पशूनां प्रनतष्ठा प्रनतष्ठा || ॐ श्री नरससिंाय सांगाय सपररर्वाराय सायुधाय सशस्कतकाय नमः । श्री नरससिंं सांगं सपररर्वारं सायुध ंसशस्कतकं आर्वाियासम ।। श्री लक्ष्मी सहित श्री नरससिंाय नमः ।। सुप्रनतष्ठमस्तु ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३२ र्वस्ि (offer two pieces of cloth for the Lord)

    ॐ तं यजं् बहििर्ष प्रौक्षन ्पुरुषं जातमग्रतः । तेन देर्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।। ॐ उपैतु मां देर्वसखः कीनतिश्च मणणना सि | प्रादभुूितोऽस्स्म राष्रेस्स्मन्कीनतिमदृ्धध ंददातु मे || तप्त कान्चन संकाशं पीताम्बरं इदं िरे संगिृाण जगन्नार् नारायण नमोऽस्तुते ॐ श्री नरससिंाय नमः | र्वस्ियुग्मं समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

    ३३ श्री मिा लक्ष्मी पूजा ३३. १ कंचकुी नर्वरत्नासभदिधां सौर्वणैश्चरै्व तंतुसभः ।

    ननसमितां कंचकुीं भकत्या गिृाण परमेश्र्वरी ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः। कंचकुीं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. २ कण्ठ सूि मांगल्य तंतुमणणसभः मुकतैश्चरै्व र्र्वरास्जतं । सौमंगल्ल्यासभर्वधृ्यर् ंकंठसूि ंददासमते ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । कंठसूि ंसमपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. ३ ताडपिाणण ताडपिाणण हदव्याणण र्र्वधचिाणण शुभानन च । कराभरणयुकतानन मातस्तत्प्रनतगहृ्यतां ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः ताडपिाणण समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. ४ िररद्रा िररद्रा रंस्जते देर्वी सुख सौभाग्य दानयनी । िररद्रांते प्रदास्यासम गिृाण परमेश्र्वरर ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । िररद्रा समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. ५ कंुकुम कंुकुमं कामदां हदव्यं कासमनी काम संभर्वं । कंुकुमाधचिते देर्वी सौभाग्यार् ंप्रनतगहृ्यतां ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । कंुकुमं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. ६ कज्जल सुनील भ्रमराभसं कज्जलं नेि मण्डनं ।

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    मयादत्तसमदं भकत्या कज्जलं प्रनतगहृ्यतां ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । कज्जलं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. ७ ससदंरू र्र्वद्युत ्कृशाणु संकाशं जपा कुसुमसस्न्नभं । ससन्दरंूते प्रदास्यासम सौभाग्यं देहि मे धचरं ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । ससन्दरंू समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. ८ नाना आभरणं स्र्वभार्वा सुन्दरांधग त्र्वं नाना रत्न युतानन च । भूषणानन र्र्वधचिाणण प्रीत्यर् ंप्रनतगहृ्यतां ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । नाना आभरणानन समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३३. ९ नाना पररमल द्रव्य नाना सुगस्न्धकं द्रव्यं चणूीकृत्य प्रयत्नतः । ददासम ते नमस्तुभ्यं प्रीत्यर् ंप्रनतगहृ्यतां ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । नाना पररमल द्रव्यं समपियासम ।। -----------------------------------------------------------------------------

    ३४ यज्ोपर्वीत तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभतृं पषृदाज्यम ्। पशूगाँस्तागंश्चके्र र्वायव्यान ्आरण्यान ्ग्राम्याश्चये।। क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ्| अभूनतमसमदृ्धध ंच सर्वां ननणुिदमे गिृात ्|| ब्रह्मा र्र्वष्णु मिेशश