शिव पुराण (Hindi Edition) · 2020. 12. 8. · ×तुत ‘ 3शव...

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Transcript of शिव पुराण (Hindi Edition) · 2020. 12. 8. · ×तुत ‘ 3शव...

  • काशक :मनोज प लकेश स

    761, मेन रोड, बुराड़ी, द ली-110084फोन : 27611116, 27611349, 27611546मोबाइल : 9868112194ईमेल : [email protected](For online shopping visit our website)वेबसाइट : www.manojpublications.com

    शो म :मनोज प लकेश स

    1583-84, दरीबा कलां, चांदनी चौक, द ली-110006फोन : 23262174, 23268216, मोबाइल : 9818753569

    ISBN : 978-81-310-0619-1

    छठा सं करण : 2016

    शव पुराण : संपादक—डॉ. मह म ल

    mailto:[email protected]://www.manojpublications.com

  • नवेदन

    ह सं कृ त म क याणकारी सदा शव का थान सभी देवता म सव प र है। भारत हीनह , अ पतु सम त व म शव क आराधना कसी न कसी प म क जाती है। सवा धक

    ाचीन देव म भगवान आशुतोष शव को इस सृ का नय ता, पालनकता और संहारकमाना गया है। उ ह क इ छा से इस सृ का आ वभाव होता है और उ ह क इ छा सेइसका वनाश होता है।

    तुत ‘ शव पुराण’ म भगवान शव के माहा य, लीला और उनके क याणकारी व पका व तृत वणन कया गया है। योगे र भगवान शव महामं डत महादेव ह। वे अना द सपरमे र और सभी देव म धान ह। वेद म भगवान शव को अज मा, अ , सबकाकारण, व ा और संहारक माना गया है। शव का अथ है क याण व प अथात सभीका भला करने वाला। वे देव-दानव, गंधव, क र, मनु य, ऋ ष-मु न, स , योगी, तप वी,सं यासी, भ और ना तक का भी क याण करने वाल ेह। व क याण के लए वे वयंगरल का पान करने वाले नीलकंठ ह और संसार म लय मचाने वाल ेनटराज। वे वयंभूभगवान ह और सभी देव-दानव के आरा य ह।

    इस महापुराण म शवत व का वशद ् ववेचन कया गया है। सरल ग -भाषा म शव केव वध अवतार , नाम , लीला , उनक पूजा व ध, पंचा र मं क मह ा, अनेकानेकान द आ यान, श ा द तथा उद ्दे यपरक कथा का अ यंत सुंदर आकलन कया

    गया है इस पुराण म। यास कया गया है क भाषा को सरल से सरल रखा जाए, ता कालु पाठक शव के क याणकारी व प और शवत व के मम को सहज प से

    दयंगम कर सक। हम व ास है क ालु और ज ासुजन इस महान पुराण काअनुशीलन करके अपने जीवन को उपकृत कर पाएगें य क शव ही एक ऐस ेपरम ह,जो अ छे-बुरे सभी के लए सहज सुलभ ह। यह उनक वल णता और अ तीयता ही हैक जहां अ य साधना म तमोगुण क उपे ा क जाती है, वह शव तमोगुण का प र कारकर उसे ‘स व’ के प म प रव तत कर देते ह। वष को व थ रखने क औष ध बनाने कयु -साधना शव के अलावा ओर कौन बताएगा। तभी तो महादेव ह ये। इसी लए उ हभोलेनाथ कहा जाता है। शव संक पम तु!

    आपके सुझाव का वागत है।वनीत

    —सावन गु ता

  • अनु म ी ा क

    शव पुराण माहा यपहला अ याय

    सूत जी ारा शव पुराण क म हमा का वणनसरा अ याय

    देवराज को शवलोक क ा त चंचुला का संसार से वैरा य देवराज ा ण क कथा

    तीसरा अ याय ब ग ा ण क कथा

    चौथा अ याय चंचुला क शव कथा सुनने म च और शवलोक गमन

    पांचवां अ याय ब ग का पशाच यो न से उ ार

    छठा अ याय शव पुराण के वण क व ध

    सातवां अ याय ोता ारा पालन कए जाने वाले नयम

    व े र-सं हतापहला अ याय

    पापनाशक साधन के वषय म सरा अ याय

    शव पुराण का प रचय और म हमातीसरा अ याय

    वण, क तन और मनन साधन क े ताचौथा अ याय

    सन कुमार- ास संवादपांचवां अ याय

    शव लग का रह य एवं मह वछठा अ याय

    ा- व णंु युसातवां अ याय

    शव नणयआठवां अ याय

    ा का अ भमान भंग

  • नवां अ याय लग पूजन का मह व

    दसवां अ याय णव एवं पंचा र मं क मह ा

    यारहवां अ याय शव लग क थापना और पूजन- व ध का वणन

    बारहवां अ याय मो दायक पु य े का वणन

    तेरहवां अ याय सदाचार, सं यावंदन, णव, गाय ी जाप एवं अ नहो क व ध तथा म हमा

    चौदहवां अ याय अ नय , देवय और य का वणन

    पं हवां अ याय देश, काल, पा और दान का वचार

    सोलहवां अ याय देव तमा का पूजन तथा शव लग के वै ा नक व प का ववेचन

    स हवां अ याय णव का माहा य व शवलोक के वैभव का वणन

    अठारहवां अ याय बंधन और मो का ववेचन शव के भ मधारण का रह य

    उ ीसवां अ याय पूजा का भेद

    बीसवां अ याय पा थव लग पूजन क व ध

    इ क सवां अ याय शव लग क सं या

    बाईसवां अ याय शव नैवे और ब व माहा य

    तेईसवां अ याय शव नाम क म हमा

    चौबीसवां अ याय भ मधारण क म हमा

    प चीसवां अ याय ा माहा य

    ी सं हता- थम खंडपहला अ याय

    ऋ षगण क वातासरा अ याय

    नारद जी क काम वासना

  • तीसरा अ याय नारद जी का भगवान व णु से उनका प मांगना

    चौथा अ याय नारद जी का भगवान व णु को शाप देना

    पांचवां अ याय नारद जी का शवतीथ म मण व ाजी से

    छठा अ याय ाजी ारा शवत व का वणन

    सातवां अ याय ववाद त ा- व णु के म य अ न- तंभ का कट होना

    आठवां अ याय ा- व णु को भगवान शव के दशन

    नवां अ याय देवी उमा एवं भगवान शव का ाकट् य एवं उपदेश देना

    दसवां अ याय ीह र को सृ क र ा का भार एवं देव को आयुबल देना

    यारहवां अ याय शव पूजन क व ध तथा फल ा त

    बारहवां अ याय देवता को उपदेश देना

    तेरहवां अ याय शव-पूजन क े व ध

    चौदहवां अ याय पु प ारा शव पूजा का माहा य

    पं हवां अ याय सृ का वणन

    सोलहवां अ याय सृ क उ प

    स हवां अ याय पापी गुण न ध क कथा

    अठारहवां अ याय गुण न ध को मो क ा त

    उ ीसवां अ याय गुण न ध को कुबेर पद क ा त

    बीसवां अ याय भगवान शव का कैलाश पवत पर गमन

    ी सं हता- तीय खंडपहला अ याय

    सती च रसरा अ याय

  • शव-पावती च रतीसरा अ याय

    कामदेव को ाजी ारा शाप देनाचौथा अ याय

    काम-र त ववाहपांचवां अ याय

    सं या का च रछठा अ याय

    सं या क तप यासातवां अ याय

    सं या क आ मा तआठवां अ याय

    काम क हारनवां अ याय

    ा का शव ववाह हेतु य नदसवां अ याय

    ा- व णु संवादयारहवां अ याय

    ाजी क काली देवी से ाथनाबारहवां अ याय

    द क तप यातेरहवां अ याय

    द ारा मैथुनी सृ का आरंभचौदहवां अ याय

    द क साठ क या का ववाहपं हवां अ याय

    सती क तप यासोलहवां अ याय

    देव का सती से ववाहस हवां अ याय

    सती को शव से वर क ा तअठारहवां अ याय

    शव और सती का ववाहउ ीसवां अ याय

    ा और व णु ारा शव क तु त करनाबीसवां अ याय

    शव-सती का वदा होकर कैलाश जानाइ क सवां अ याय

    शव-सती वहारबाईसवां अ याय

    शव-सती का हमालय गमनतेईसवां अ याय

  • शव ारा ान और मो का वणनचौबीसवां अ याय

    शव क आ ा से सती ारा ीराम क परी ाप चीसवां अ याय

    ीराम का सती के संदेह को र करनाछ बीसवां अ याय

    द का भगवान शव को शाप देनास ाहसवां अ याय

    द ारा महान य का आयोजनअ ाईसवां अ याय

    सती का द के य म आनाउ तीसवां अ याय

    य शाला म सती का अपमानतीसवां अ याय

    सती ारा योगा न से शरीर को भ म करनाइकतीसवां अ याय

    आकाशवाणीब ीसवां अ याय

    शवजी का ोधततीसवां अ याय

    वीरभ और महाकाली का य शाला क ओर थानच तीसवां अ याय

    य -म डप म भय और व णु से जीवन र ा क ाथनापतीसवां अ याय

    वीरभ का आगमनछ ीसवां अ याय

    ीह र और वीरभ का युसतीसवां अ याय

    द का सर काटकर य कंुड म डालनाअड़तीसवां अ याय

    दधी च- ुव ववादउ तालीसवां अ याय

    दधी च का शाप और ुव पर अनु हचालीसवां अ याय

    ाजी का कैलाश पर शवजी से मलनाइकतालीसवां अ याय

    शव ारा द को जी वत करनाबयालीसवां अ याय

    द का य को पूण करना

    ी सं हता-तृतीय खंड

  • पहला अ याय हमालय ववाह

    सरा अ याय पूव कथा

    तीसरा अ याय देवता का हमालय के पास जाना

    चौथा अ याय देवी जगदंबा के द व प का दशन

    पांचवां अ याय मैना- हमालय का तप व वरदान ा त

    छठा अ याय पावती ज म

    सातवां अ याय पावती का नामकरण

    आठवां अ याय मैना और हमालय क बातचीत

    नवां अ याय पावती का व

    दसवां अ याय भौम-ज म

    यारहवां अ याय भगवान शव क गंगावतरण तीथ म तप या

    बारहवां अ याय पावती को सेवा म रखने के लए हमालय का शव को मनाना

    तेरहवां अ याय पावती- शव का दाश नक संवाद

    चौदहवां अ याय व ांग का ज म एवं पु ा त का वर मांगना

    पं हवां अ याय तारकासुर का ज म व उसका तप

    सोलहवां अ याय तारक का वग याग

    स हवां अ याय कामदेव का शव को मोहने के लए थान

    अठारहवां अ याय कामदेव का भ म होना

    उ ीसवां अ याय शव ोधा न क शां त

    बीसवां अ याय शवजी के बछोह से पावती का शोक

    इ क सवां अ याय पावती क तप या

  • बाईसवां अ याय देवता का शवजी के पास जाना

    तेईसवां अ याय शव से ववाह करने का अनुरोध

    चौबीसवां अ याय स तऋ षय ारा पावती क परी ा

    प चीसवां अ याय शवजी ारा पावती जी क तप या क परी ा करना

    छ बीसवां अ याय पावती को शवजी से र रहने का आदेश

    स ाईसवां अ याय पावती जी का ोध से ा ण को फटकारना

    अ ाईसवां अ याय शव-पावती संवाद

    उनतीसवां अ याय शवजी ारा हमालय से पावती को मांगना

    तीसवां अ याय बा ण वेष म पावती के घर जाना

    इक ीसवां अ याय स तऋ षय का आगमन और हमालय को समझाना

    ब ीसवां अ याय व श मु न का उपदेश

    ततीसवां अ याय अनर य राजा क कथा

    च तीसवां अ याय पद ्मा- प पलाद क कथा

    पतीसवां अ याय हमालय का शवजी के साथ पावती के ववाह का न य करना

    छ ीसवां अ याय स तऋ षय का शव के पास आगमन

    सतीसवां अ याय हमालय का ल न प का भेजना

    अड़तीसवां अ याय व कमा ारा द मंडप क रचना

    उ तालीसवां अ याय शवजी का देवता को नमं ण

    चालीसवां अ याय भगवान शव क बारात का हमालयपुरी क ओर थान

    इकतालीसवां अ याय मंडप वणन व देवता का भय

    बयालीसवां अ याय बारात क अगवानी और अ भनंदन

  • ततालीसवां अ याय शवजी क अनुपम लीला

    चवालीसवां अ याय मैना का वलाप एवं हठ

    पतालीसवां अ याय शव का संुदर व द व प दशन

    छयालीसवां अ याय शव का प रछन व पावती का संुदर प देख स होना

    सतालीसवां अ याय वर-वधू ारा एक- सरे का पूजन

    अड़तालीसवां अ याय शव-पावती का ववाह आरंभ

    उनचासवां अ याय ाजी का मो हत होना

    पचासवां अ याय ववाह संप और शवजी से वनोद

    इ यानवां अ याय र त क ाथना पर कामदेव को जीवनदान

    बावनवां अ याय भगवान शव का आवासगृह म शयन

    तरेपनवां अ याय बारात का ठहरना और हमालय का बारात को वदा करना

    चौवनवां अ याय पावती को प त त धम का उपदेश

    पचपनवां अ याय बारात का वदा होना तथा शव-पावती का कैलाश पर नवास

    ी सं हता-चतुथ खंडपहला अ याय

    शव-पावती वहारसरा अ याय

    वामी का तकेय का ज मतीसरा अ याय

    वामी का तकेय और व ा मचौथा अ याय

    का तकेय क खोजपांचवां अ याय

    कुमार का अ भषेकछठवां अ याय

    का तकेय का अद ्भुत च रसातवां अ याय

  • भगवान शव ारा का तकेय को स पनाआठवां अ याय

    यु का आरंभनवां अ याय

    तारकासुर क वीरतादसवां अ याय

    तारकासुर-वधयारहवां अ याय

    बाणासुर और दै य लंब का वधबारहवां अ याय

    का तकेय का कैलाश-गमनतेरहवां अ याय

    पावती ारा गणेश क उ पचौदहवां अ याय

    शवगण का गणेश से ववादपं हवां अ याय

    शवगण से गणेश का युसोलहवां अ याय

    गणेशजी का शरो छेदनस हवां अ याय

    पावती का ोध एवं गणेश को जीवनदानअ ारहवां अ याय

    गणेश गौरवउ ीसवां अ याय

    गणेश चतुथ त का वणनबीसवां अ याय

    पृ वी प र मा का आदेश, गणेश ववाह व का तकेय का होना

    ी सं हता-पंचम खंडपहला अ याय

    तारकपु क तप या एवं वरदान ा तसरा अ याय

    देवता क ाथनातीसरा अ याय

    भगवान शव का देवता को व णु के पास भेजनाचौथा अ याय

    ना तक शा का ा भावपांचवां अ याय

    ना तक मत से पुर का मो हत होनाछठवां अ याय

    पुर स हत उनके वा मय के वध क ाथना

  • सातवां अ याय देवता ारा शव- तवन

    आठवां अ याय द रथ का नमाण

    नवां अ याय भगवान शव क या ा

    दसवां अ याय पुरासुर-वध

    यारहवां अ याय भगवान शव ारा देवता को वरदान

    बारहवां अ याय वर पाकर मय दानव का वतल लोक जाना

    तेरहवां अ याय इं को जीवनदान व बृह प त को ‘जीव’ नाम देना

    चौदहवां अ याय जलंधर क उ प

    पं हवां अ याय देव-जलंधर यु

    सोलहवां अ याय ी व णु का ल मी को जलंधर का वध न करने का वचन देना

    स हवां अ याय ी व णु-जलंधर यु

    अठारहवां अ याय नारद जी का कपट जाल

    उ ीसवां अ याय त-संवाद

    बीसवां अ याय शवगण का असुर से यु

    इ क सवां अ याय ं -यु

    बाईसवां अ याय शव-जलंधर यु

    तेईसवां अ याय वंृदा का प त त भंग

    चौबीसवां अ याय जलंधर का वध

    प चीसवां अ याय देवता ारा शव- तु त

    छ बीसवां अ याय धा ी, मालती और तुलसी का आ वभाव

    स ाईसवां अ याय शंखचूण क उ प

  • अ ाईसवां अ याय शंखचूड़ का ववाह

    उ तीसवां अ याय शंखचूड़ के रा य क शंसा

    तीसवां अ याय देवता का शवजी के पास जाना

    इक ीसवां अ याय शवजी ारा देवता को आ ासन

    ब ीसवां अ याय पु पदंत-शंखचूड़ वाता

    ततीसवां अ याय भगवान शव क यु या ा

    च तीसवां अ याय शंखचूड़ क यु या ा

    पतीसवां अ याय शंखचूड़ के त और शवजी क वाता

    छ ीसवां अ याय देव-दानव यु

    सतीसवां अ याय शंखचूड़ यु

    अड़तीसवां अ याय भ काली-शंखचूड़ यु

    उ तालीसवां अ याय शंखचूड़ क सेना का संहार

    चालीसवां अ याय शवजी ारा शंखचूड़ वध

    इकतालीसवां अ याय तुलसी ारा व णुजी को शाप

    बयालीसवां अ याय हर या -वध

    ततालीसवां अ याय हर यक शपु क तप या और नृ सह ारा उसका वध

    चवालीसवां अ याय अंधक क अंधता

    पतालीसवां अ याय यु आरंभ

    छयालीसवां अ याय यु क समा त

    सतालीसवां अ याय शव ारा शु ाचाय को नगलना

    अड़तालीसवां अ याय शु ाचाय क मु

  • उनचासवां अ याय अंधक को गण व क ा त

    पचासवां अ याय शु ाचाय को मृत संजीवनी क ा त

    इ यावनवां अ याय बाणासुर आ यान

    बावनवां अ याय बाणासुर को शाप व उषा च र

    तरेपनवां अ याय अ न को बाण ारा नागपाश म बांधना तथा गा क कृपा से उसका मु होना

    चौवनवां अ याय ीकृ ण ारा रा स सेना का संहार

    पचपनवां अ याय बाणासुर क भुजा का व वंस

    छ पनवां अ याय बाणासुर को गण पद क ा त

    स ानवां अ याय गजासुर क तप या एवं वध

    अ ावनवां अ याय ं भ न ाद का वध

    उनसठवां अ याय वदल और उ पल नामक दै य का वध

    ीशत सं हतापहला अ याय

    शव के पांच अवतारसरा अ याय

    शवजी क अ मू तय का वणनतीसरा अ याय

    अ नारी र शवचौथा अ याय

    ऋषभदेव अवतार का वणनपांचवां अ याय

    शवजी ारा योगे रावतार का वणनछठवां अ याय

    नंद के र अवतारसातवां अ याय

    नंद को वर ा त और ववाह वणनआठवां अ याय

    भैरव अवतारनवां अ याय

  • भैरव जी का अ भवादनदसवां अ याय

    नृ सह लीला वणनयारहवां अ याय

    शरभ-अवतारबारहवां अ याय

    शव ारा नृ सह के शरीर को कैलाश ले जानातेरहवां अ याय

    व ानर को वरदानचौदहवां अ याय

    गृहप त अवतारपं हवां अ याय

    गृहप त को शवजी से वर ा तसोलहवां अ याय

    य े र अवतारस हवां अ याय

    शव दशावतारअठारहवां अ याय

    एकादश क उ पउ ीसवां अ याय

    वासा च रबीसवां अ याय

    हनुमान अवतारइ क सवां अ याय

    महेश अवतार वणनबाईसवां अ याय

    वृषभावतार वणनतेईसवां अ याय

    वृषभावतार लीला वणनचौबीसवां अ याय

    प पलाद च रप चीसवां अ याय

    प पलाद-महादेव लीलाछ बीसवां अ याय

    वै यनाथ अवतार वणनस ाईसवां अ याय

    जे र-अवतारअ ाईसवां अ याय

    य तनाथ हंस प अवतारउ तीसवां अ याय

    ीकृ ण दशन अवतारतीसवां अ याय

  • भगवान शव का अवधूते रावतारइक ीसवां अ याय

    भ ुवय शव अवतार वणनब ीसवां अ याय

    सुरे र अवतारततीसवां अ याय

    चारी अवतारच तीसवां अ याय

    सुनट नतक अवतारपतीसवां अ याय

    शवजी का जअवतारछ ीसवां अ याय

    अ थामा का शव अवतारसतीसवां अ याय

    पा डव को शव-पूजन के लए ास जी का उपदेशअड़तीसवां अ याय

    अजुन ारा शवजी क तप या करनाउ तालीसवां अ याय

    शवजी का करात अवतारचालीसवां अ याय

    करात-अजुन ववादइकतालीसवां अ याय

    कराते र महादेव क कथाबयालीसवां अ याय

    ादश यो त लग

    ीको ट सं हताथम अ याय

    ादश यो त लग एवं उप लग क म हमासरा अ याय

    पूव दशा थत शव लगतीसरा अ याय

    अनुसूइया एवं अ मु न का तपचौथा अ याय

    अ र क म हमा वणनपांचवां अ याय

    नंदकेश क म हमा वणनछठवां अ याय

    ा णी क सद ्ग त व मुसातवां अ याय

    नं दके र लग क थापना

  • आठवां अ याय महाबली शव माहा य

    नवां अ याय चा डा लनी क मु

    दसवां अ याय लोक हतकारी शव-माहा य दशन

    यारहवां अ याय पशुप तनाथ शव लग माहा य

    बारहवां अ याय लग प का कारण

    तेरहवां अ याय बटुकनाथ क उ प

    चौदहवां अ याय सोमनाथे र क उ प

    पं हवां अ याय म लकाजुन क उ प

    सोलहवां अ याय महाकाले र का आ वभाव

    स हवां अ याय महाकाल माहा य

    अठारहवां अ याय कारे र माहा य

    उ ीसवां अ याय केदारे र माहा य

    बीसवां अ याय भीम उप व का वणन

    इ क सवां अ याय भीमशंकर यो त लग का माहा य

    बाईसवां अ याय काशीपुरी का माहा य

    तेईसवां अ याय ी व े र म हमा

    चौबीसवां अ याय गौतम- भाव

    प चीसवां अ याय मह ष गौतम को गौह या का दोष

    छ बीसवां अ याय गौतमी गंगा का ाकट् य

    स ाईसवां अ याय ीगंगाजी के दशन एवं गौतम ऋ ष का शाप

    अ ाईसवां अ याय वै नाथे र शव माहा य

  • उ तीसवां अ याय दा का रा सी एवं रा स का उप व

    तीसवां अ याय नागे र लग क उ प व माहा य

    इकतीसवां अ याय रामे र म हमा वणन

    ब ीसवां अ याय सुदेहा सुधमा क कथा

    ततीसवां अ याय घु मे र यो त लग क उ प व माहा य

    च तीसवां अ याय ी व णु को सुदशन च क ा त

    पतीसवां अ याय शव सह नाम- तो

    छ ीसवां अ याय शव सह नाम का फल

    सतीसवां अ याय शव-भ क कथा

    अड़तीसवां अ याय शवरा का त- वधान

    उनतालीसवां अ याय शवरा - त उ ापन क व ध

    चालीसवां अ याय नषाद च र

    इ ालीसवां अ याय मु वणन

    बयालीसवां अ याय ा, व णु, एवं शव के व प का वणन

    ततालीसवां अ याय ान न पण

    ीउमा सं हताथम अ याय

    ीकृ ण-उपम यु संवादसरा अ याय

    शव-भ का आ यानतीसरा अ याय

    शव माहा य वणनचौथा अ याय

    शव माया वणनपांचवां अ याय

  • नरक म गराने वाल ेपाप का वणनछठवां अ याय

    पाप-पु य वणनसातवां अ याय

    नरक-वणनआठवां अ याय

    नरक क अ ाईस को टयांनवां अ याय

    साधारण नरकग तदसवां अ याय

    नरक ग त भोग वणनयारहवां अ याय

    अ दान म हमाबारहवां अ याय

    जलदान एवं तप क म हमातेरहवां अ याय

    पुराण माहा यचौदहवां अ याय

    व भ दान का वणनपं हवां अ याय

    पाताल लोक का वणनसोलहवां अ याय

    शव मरण ारा नरक से मुस हवां अ याय

    जंबू प वष का वणनअठारहवां अ याय

    सात प का वणनउ ीसवां अ याय

    रा श, ह-म डल व लोक का वणनबीसवां अ याय

    तप या से मु ा तइ क सवां अ याय

    यु धम का वणनबाईसवां अ याय

    गभ म थत जीव, उसका ज म तथा वैरा यतेईसवां अ याय

    शरीर क अप व ता तथा बालकपन के खचौबीसवां अ याय

    ी वभावप चीसवां अ याय

    काल का ान वणनछ बीसवां अ याय

  • काल-च नवारण का उपायस ाईसवां अ याय

    अमर व ा त क साधनाएंअ ाईसवां अ याय

    छाया पु ष का वणनउनतीसवां अ याय

    आ द-सृ का वणनतीसवां अ याय

    सृ रचना मइकतीसवां अ याय

    मैथुनी सृ वणनब ीसवां अ याय

    क यप वंश का वणनततीसवां अ याय

    हवन सृ वणनच तीसवां अ याय

    म वंतर क उ पपतीसवां अ याय

    वैव वत म वंतर वणनछ ीसवां अ याय

    मनु पु का कुल वणनसतीसवां अ याय

    मनु वंश वणनअड़तीसवां अ याय

    सगर तक राजा का वणनउ तालीसवां अ याय

    वैव वत वंशीय राजा का वणनचालीसवां अ याय

    ा क प व पतर का भावइकतालीसवां अ याय

    सात ाध पुबयालीसवां अ याय

    पतर का भावततालीसवा अ याय

    आचाय पूजन का नयमचवालीसवां अ याय

    ास जी का ज मपतालीसवां अ याय

    मधुकैटभ-वध एवं महाकाली वणनछयालीसवां अ याय

    महाल मी अवतारसतालीसवां अ याय

  • धू लोचन, च ड-मु ड और र बीज का वधअड़तालीसवां अ याय

    सर वती का ाकट् यउनचासवां अ याय

    उमा क उ पपचासवां अ याय

    शता ी अवतार वणनइ यानवां अ याय

    या योग वणन

    ीकैलाश सं हताथम अ याय

    ासजी एवं शौनक जी क वातासरा अ याय

    पावती जी का शवजी से णव करनातीसरा अ याय

    णव प तचौथा अ याय

    सं यास का आचार- वहारपांचवां अ याय

    सं यास मंडल क व धछठा अ याय

    यास वणनसातवां अ याय

    शव यान एवं पूजनआठवां अ याय

    वण-पूजानवां अ याय

    शव के अनेक नाम और कारदसवां अ याय

    सूतोपदेश वणनयारहवां अ याय

    वामदेव ारा न पणबारहवां अ याय

    सा ात शव व प ही णव हैतेरहवां अ याय

    णव सब मं का बीज प हैचौदहवां अ याय

    शव प वणनपं हवां अ याय

    उपासना मू त

  • सोलहवां अ याय शव त व ववेचन

    स हवां अ याय शव ही कृ त के कारण प ह

    अ ारहवां अ याय श य धम

    उ ीसवां अ याय योगप वणन

    बीसवां अ याय ौर एवं नान व ध

    इ क सवां अ याय यो गय को उ रायण ा त

    बाईसवां अ याय एकादशी प त

    तेईसवां अ याय श य वग का वणन

    ी वायवीय सं हता (पूवा )थम अ याय

    पुराण और व ावतार का वणनसरा अ याय

    ाजी से मु नय का पूछनातीसरा अ याय

    नै मषार य कथाचौथा अ याय

    वायु आगमनपांचवां अ याय

    शवत व वणनछठवां अ याय

    शव त व ान वणनसातवां अ याय

    काल-म हमाआठवां अ याय

    देव क आयुनवां अ याय

    लयकता का वणनदसवां अ याय

    सृ रचना वणनयारहवां अ याय

    सृ आरंभ का वणनबारहवां अ याय

  • सृ वणनतेरहवां अ याय

    ा- व णु क सृ का वणनचौदहवां अ याय

    क उ पपं हवां अ याय

    शव- शवा क तु तसोलहवां अ याय

    मैथुनी सृ क उ पस हवां अ याय

    मनु क सृ का वणनअ ारहवां अ याय

    द का शापउ ीसवां अ याय

    वीरगण का य म जानाबीसवां अ याय

    द -य का वणनइ क सवां अ याय

    ीह र व णु एवं वीरभ का युबाईसवां अ याय

    देवता पर शव-कृपातेईसवां अ याय

    मंदराचल पर नवासचौबीसवां अ याय

    का लका उ पप चीसवां अ याय

    सह पर दयाछ बीसवां अ याय

    गौरी मलापस ाईसवां अ याय

    सोम अमृत अ न का ानअ ाईसवां अ याय

    छः माग का वणनउनतीसवां अ याय

    महे र के सगुण और नगुण भेदतीसवां अ याय

    ानोपदेशइकतीसवां अ याय

    अनु ान का वधानब ीसवां अ याय

    पाशुपत त का रह यततीसवां अ याय

  • उपम यु क भच तीसवां अ याय

    उपम यु क कथा

    ी वायवीय सं हता (उ रा )थम अ याय

    ीकृ ण को पु ा तसरा अ याय

    शवगुण का वणनतीसरा अ याय

    अ मू त वणनचौथा अ याय

    गौरी शंकर क वभू तपांचवां अ याय

    पशुप त ान योगछठा अ याय

    शव त व वणनसातवां अ याय

    शव-श वणनआठवां अ याय

    ासावतारनवां अ याय

    शव श य का वणनदसवां अ याय

    शवोपासना न पणयारहवां अ याय

    ा ण कम न पणबारहवां अ याय

    पंचा र मं क म हमातेरहवां अ याय

    क लनाशक मंचौदहवां अ याय

    त हण करने का वधानपं हवां अ याय

    द ा व धसोलहवां अ याय

    शव भ वणनस हवां अ याय

    शव-त व साधकअ ारहवां अ याय

    षड वशोधन व ध

  • उ ीसवां अ याय साधन भेद न पण

    बीसवां अ याय अ भषेक

    इ क सवां अ याय कम न पण

    बाईसवां अ याय पूजन का यास न पण

    तेईसवां अ याय मान सक पूजन

    चौबीसवां अ याय पूजन न पण

    प चीसवां अ याय न य कृ य व ध

    छ बीसवां अ याय सांगोपांग पूजन

    स ाईसवां अ याय अ न कृ य वधान

    अ ाईसवां अ याय नै म क पूजन व ध

    उ तीसवां अ याय का य कम न पण

    तीसवां अ याय आवरण पूजन वधान

    इकतीसवां अ याय शव- तो न पण

    ब ीसवां अ याय स कम का न पण

    ततीसवां अ याय लग थापना से फलागम

    च तीसवां अ याय लग थापना से शव ा त

    पतीसवां अ याय ा- व णु मोह

    छ ीसवां अ याय शव लग त ा व ध

    सतीसवां अ याय योग- न पण

    अड़तीसवां अ याय योग ग त म व न

    उ तालीसवां अ याय योग वणन

  • चालीसवां अ याय मु नय का नै मषार य गमन

    इकतालीसवां अ याय

    मु नय को मो शव चालीसा शव तु त ी शवा क शव सह नाम गुण शवजी क आरती

  • ी ा क

    नमामीशमीशान नवाण पम् । वभंु ापकं वेद व पम् ।।नजं नगुणं न वक पं नरीहम् । चदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।नराकारमोङ्कारमूलं तुरीयम् । गरा ान गोतीतमीशं गरीशम् ।।कराल ंमहाकाल काल ंकृपालं । गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ।।तुषारा संकाश गौरं गभीरम् । मनोभूत को ट भा ी शरीरम् ।।फुर मौ ल क लो लनी चा ग ा । लसद ्भालबाल क ठे भुज ा ।।

    चल कंु डलं ू सुने ं वशालम् । स ाननं नीलक ठं दयालम् ।।मृगाधीशच मा बरं मु डमालम् । यं शंकर सवनाथं भजा म ।।

    च डं कृ ं ग भं परेशम् । अख डं अजंभानुको ट काशम् ।।यः शूल नमूलनं शूलपा णम् । भजेऽहं भवानीप त भावग यम् ।।

    कलातीत क याण क पांतकारी । सदा स जनानंददाता पुरारी ।।चदानंद संदोह मोहापहारी । सीद सीद भो म मथारी ।।न यावद ्उमानाथ पादार वदम् । भजंतीह लोके परे वा नराणाम् ।।न ताव सुखं शां त संतापनाशम् । सीद भो सवभूता धवासम् ।।न जाना म योगं जपं नैव पूजाम् । नतोऽहं सदा सवदा शंभु तु यम् ।।जरा ज म ःखौघ तात यमानम् । भो पा ह आप मामीश शंभो ।।

    ा क मदं ो ं व ेण हरतोषये ।ये पठं त नरा भ या तेषां शंभु सीद त ।।

  • ।। ॐ नमः शवाय ।।

    शव पुराण का सरल भाषा म हद पांतर

    शव पुराण माहा य

  • पहला अ यायसूत जी ारा शव पुराण क म हमा का वणन

    ी शौनक जी ने पूछा—महा ानी सूत जी, आप संपूण स ांत के ाता ह। कृपयामुझसे पुराण के सार का वणन कर। ान और वैरा य स हत भ से ा त ववेक क वृकैस ेहोती है? तथा साधुपु ष कैस ेअपने काम, ोध आ द वकार का नवारण करते ह?इस क लयुग म सभी जीव आसुरी वभाव के हो गए ह। अतः कृपा करके मुझे ऐसा साधनबताइए, जो क याणकारी एवं मंगलकारी हो तथा प व ता लए हो। भु, वह ऐसा साधनहो, जसस ेमनु य क शु हो जाए और उस नमल दय वाले पु ष को सदैव के लए‘ शव’ क ा त हो जाए।

    ी सूत जी ने उ र दया—शौनक जी आप ध य ह, य क आपके मन म पुराण-कथाको सुनने के लए अपार ेम व लालसा है। इस लए म तु ह परम उ म शा क कथासुनाता ं। व स! संपूण स ांत स ेसंप भ को बढ़ाने वाला तथा शवजी को संतु करनेवाला अमृत के समान द शा है—‘ शव पुराण’। इसका पूव काल म शवजी ने ही

    वचन कया था। गु देव ास ने सन कुमार मु न का उपदेश पाकर आदरपूवक इस पुराणक रचना क है। यह पुराण क लयुग म मनु य के हत का परम साधन है।

    ‘ शव पुराण’ परम उ म शा है। इस पृ वीलोक म सभी मनु य को भगवान शव केवशाल व प को समझना चा हए। इस ेपढ़ना एवं सुनना सवसाधन है। यह मनोवां छतफल को देने वाला है। इससे मनु य न पाप हो जाता है तथा इस लोक म सभी सुख काउपभोग करके अंत म शवलोक को ा त करता है।

    ‘ शव पुराण’ म चौबीस हजार ोक ह, जसम सात सं हताए ंह। शव पुराण परपरमा मा के समान ग त दान करने वाला है। मनु य को पूरी भ एवं संयमपूवक इसेसुनना चा हए। जो मनु य ेमपूवक न य इसको बांचता है या इसका पाठ करता है, वहनःसंदेह पु या मा है।

    भगवान शव उस व ान पु ष पर स होकर उसे अपना धाम दान करते ह। त दनआदरपूवक शव पुराण का पूजन करने वाल े मनु य संसार म संपूण भोग को भोगकरभगवान शव के पद को ा त करते ह। वे सदा सुखी रहते ह।

    शव पुराण म भगवान शव का सव व है। इस लोक और परलोक म सुख क ा त केलए आदरपूवक इसका सेवन करना चा हए। यह नमल शव पुराण धम, अथ, काम औरमो प चार पु षाथ को देने वाला है। अतः सदा ेमपूवक इस ेसुनना एवं पढ़ना चा हए।

  • सरा अ यायदेवराज को शवलोक क ा त

    चंचुला का संसार से वैरा यी शौनक जी ने कहा—आप ध य ह। सूत जी! आप परमाथ त व के ाता ह। आपने

    हम पर कृपा करके हम यह अद ्भुत और द कथा सुनाई है। भूतल पर इस कथा के समानक याण का और कोई साधन नह है। आपक कृपा से यह बात हमने समझ ली है।

    सूत जी! इस कथा के ारा कौन से पापी शु होते ह? उ ह कृपापूवक बताकर इसजगत को कृताथ क जए।

    सूत जी बोल—ेमुने, जो मनु य पाप, राचार तथा काम- ोध, मद, लोभ म नरंतर डूबेरहते ह, वे भी शव पुराण पढ़ने अथवा सुनने से शु हो जाते ह तथा उनके पाप कापूणतया नाश हो जाता है। इस वषय म म तु ह एक कथा सुनाता ं।

    देवराज ा ण क कथाब त पहले क बात है— करात के नगर म देवराज नाम का एक ा ण रहता था। वह

    ान म बल, गरीब, रस बेचने वाला तथा वै दक धम से वमुख था। वह नान-सं या नहकरता था तथा उसम वै य-वृ बढ़ती ही जा रही थी। वह भ को ठगता था। उसने अनेकमनु य को मारकर उन सबका धन हड़प लया था। उस पापी ने थोड़ा-सा भी धन धम केकाम म नह लगाया था। वह वे यागामी तथा आचार- था।

    एक दन वह घूमता आ दैवयोग से त ानपुर (झूसी- याग) जा प ंचा। वहां उसनेएक शवालय देखा, जहां ब त से साधु-महा मा एक ए थे। देवराज वह ठहर गया। वहांरात म उसे वर आ गया और उसे बड़ी पीड़ा होने लगी। वह पर एक ा ण देवता शवपुराण क कथा सुना रहे थे। वर म पड़ा देवराज भी ा ण के मुख से शवकथा को नरंतरसुनता रहता था। एक मास बाद देवराज वर से पी ड़त अव था म चल बसा। यमराज के तउसे बांधकर यमपुरी ले गए। तभी वहां शवलोक स ेभगवान शव के पाषदगण आ गए। वेकपूर के समान उ वल थे। उनके हाथ म शूल, संपूण शरीर पर भ म और गले म ाक माला उनके शरीर क शोभा बढ़ा रही थी। उ ह ने यमराज के त को मार-पीटकरदेवराज को यम त के चंगुल से छुड़ा लया और वे उसे अपने अद ्भुत वमान म बठाकरजब कैलाश पवत पर ल ेजाने लगे तो यमपुरी म कोलाहल मच गया, जसे सुनकर यमराजअपने भवन स ेबाहर आए। सा ात के समान तीत होने वाल ेइन त का धमराज नेव धपूवक पूजन कर ान स ेसारा मामला जान लया। उ ह ने भय के कारण भगवानशव के त स ेकोई बात नह पूछ । त प ात शव त देवराज को लेकर कैलाश चल ेगए

  • और वहां प ंचकर उ ह ने ा ण को क णावतार भगवान शव के हाथ म स प दया।शौनक जी ने कहा—महाभाग सूत जी! आप सव ह। आपके कृपा साद से म कृताथ

    आ। इस इ तहास को सुनकर मेरा मन आनं दत हो गया है। अतः भगवान शव म ेमबढ़ाने वाली सरी कथा भी क हए।

  • तीसरा अ यायब ग ा ण क कथा

    ी सूत जी बोल—ेशौनक! सुनो, म तु हारे सामने एक अ य गोपनीय कथा का वणनक ं गा, य क तुम शव भ म अ ग य व वेदवे ा म े हो। समु के नकटवत

    देश म वा कल नामक गांव है, जहां वै दक धम से वमुख महापापी मनु य रहते ह। वे सभी ह एवं उनका मन षत वषय भोग म ही लगा रहता है। वे देवता एवं भा य पर

    व ास नह करते। वे सभी कु टल वृ वाल ेह। कसानी करते ह और व भ कार केअ -श रखते ह। वे भचारी ह। वे इस बात से पूणतः अनजान ह क ान, वैरा य तथासद ्धम ही मनु य के लए परम पु षाथ ह। वे सभी पशुबु ह। अ य समुदाय के लोग भीउ ह क तरह बुरे वचार रखने वाल,े धम से वमुख ह। वे न य कुकम म लगे रहते ह एवंसदा वषयभोग म डूबे रहते ह। वहां क यां भी बुरे वभाव क , वे छाचा रणी, पाप मडूबी, कु टल सोच वाली और भचा रणी ह। वे सभी सद् वहार तथा सदाचार से सवथाशू य ह। वहां सफ का नवास है।

    वा कल नामक गांव म ब ग नाम का एक ा ण रहता था। वह अधम , रा मा एवंमहापापी था। उसक ी ब त सुंदर थी। उसका नाम चंचुला था। वह सदा उ म धम कापालन करती थी परंतु ब ग वे यागामी था। इस तरह कुकम करते ए ब त समय तीतहो गया। उसक ी काम से पी ड़त होने पर भी वधमनाश के भय से लेश सहकर भीकाफ समय तक धम नह ई। परंतु आगे चलकर वह भी अपने राचारी प त केआचरण से भा वत होकर, राचा रणी और अपने धम से वमुख हो गई।

    इस तरह राचार म डूबे ए उन प त-प नी का ब त सा समय थ बीत गया।वे यागामी, षत बु वाला वह ा ण ब ग समयानुसार मृ यु को ा त हो, नरक मचला गया। ब त दन तक नरक के ख को भोगकर वह मूढ़ बु पापी व यपवत परभयंकर पशाच आ। इधर, उस राचारी ब ग के मर जाने पर वह चंचुला नामक ी ब तसमय तक पु के साथ अपने घर म रहती रही। प त क मृ यु के बाद वह भी अपने धम सेगरकर पर पु ष का संग करने लगी थी। स तयां वप म भी अपने धम का पालन करनानह छोड़त । यही तो तप है। तप क ठन तो होता है, ले कन इसका फल मीठा होता है।वषयी इस स य को नह जानता इसी लए वह वषय के वषफल का वाद लेते ए भोगकरता है।

    एक दन दैवयोग स े कसी पु य पव के आने पर वह अपने भाई-बंधु के साथ गोकणे म गई। उसने तीथ के जल म नान कया एवं बंधुजन के साथ य -त घूमने लगी।

    घूमते-घूमते वह एक देव मं दर म गई। वहां उसने एक ा ण के मुख से भगवान शव कपरम प व एवं मंगलकारी कथा सुनी। कथावाचक ा ण कह रहे थे क ‘जो यां

  • भचार करती ह, वे मरने के बाद जब यमलोक जाती ह, तब यमराज के त उ ह तरह-तरह से यं णा देते ह। वे उसके कामांग को त त लौह द ड से दागते ह। त त लौह के पु षसे उसका संसग कराते ह। ये सारे द ड इतनी वेदना देने वाल ेहोते ह क जीव पुकार-पुकारकर कहता है क अब वह ऐसा नह करेगा। ले कन यम त उसे छोड़ते नह । कम का फलतो सभी को भोगना पड़ता है। देव, ऋ ष, मनु य सभी इसस ेबंधे ए ह।’ ा ण के मुख सेयह वैरा य बढ़ाने वाली कथा सुनकर चंचुला भय से ाकुल हो गई। कथा समा त होने परसभी लोग वहां से चल े गए, तब कथा बांचने वाल े ा ण देवता से चंचुला ने कहा—हे

    ा ण! धम को न जानने के कारण मेरे ारा ब त बड़ा राचार आ है। वामी! मेरे ऊपरकृपा कर मेरा उ ार क जए। आपके वचन को सुनकर मुझ ेइस संसार से वैरा य हो गयाहै। मुझ मूढ़ च वाली पा पनी को ध कार है। म नदा के यो य ं। म बुरे वषय म फंसकरअपने धम से वमुख हो गई थी। कौन मुझ जैसी कुमाग म मन लगाने वाली पा पनी का साथदेगा? जब यम त मेरे गले म फंदा डालकर मुझे बांधकर ल ेजाएगें और नरक म मेरे शरीर केटुकड़े करगे, तब म कैसे उन महायातना को सहन कर पाऊंगी? म सब कार से न होगई ं, य क अभी तक म हर तरह से पाप म डूबी रही ।ं ह े ा ण! आप मेरे गु ह, आपही मेरे माता- पता ह। म आपक शरण म आई ं। मुझ अबला का अब आप ही उ ारक जए।

    सूत जी कहते ह—शौनक, इस कार वलाप करती ई चंचुला ा ण देवता के चरण मगर पड़ी। तब ा ण ने उसे कृपापूवक उठाया।

  • चौथा अ यायचंचुला क शव कथा सुनने म च और शवलोक गमन

    ा ण बोले—नारी तुम सौभा यशाली हो, जो भगवान शंकर क कृपा से तुमनेवैरा यपूण शव पुराण क कथा सुनकर समय से अपनी गलती का एहसास कर लया है।तुम डरो मत और भगवान शव क शरण म जाओ। उनक परम कृपा से तु हारे सभी पापन हो जाएगें। म तु ह भगवान शव क कथा स हत वह माग बताऊंगा जसके ारा तु हसुख देने वाली उ म ग त ा त होगी। शव कथा सुनने से तु हारी बु शु हो गई है औरतु ह प ाताप आ है तथा मन म वैरा य उ प आ है। प ाताप ही पाप करने वाले पा पयके लए सबस ेबड़ा ाय त है। प ाताप ही पाप का शोधक है। इससे ही पाप क शुहोती है। स पु ष के अनुसार, पाप क शु के लए ाय त, प ाताप स ेही संप होताहै। जो मनु य अपने कुकम के लए प ाताप नह करता वह उ म ग त ा त नह करतापरंतु जस ेअपने कुकृ य पर हा दक प ाताप होता है, वह अव य उ म ग त का भागीदारहोता है। इसम कोई शक नह है।

    शव पुराण क कथा सुनने से च क शु एवं मन नमल हो जाता है। शु च म हीभगवान शव व पावती का वास होता है। वह शु ा मा पु ष सदा शव के पद को ा त होताहै। इस कथा का वण सभी मनु य के लए क याणकारी है। अतः इसक आराधना व सेवाकरनी चा हए। यह कथा भवबंधन पी रोग का नाश करने वाली है। भगवान शव क कथासुनकर दय म उसका मनन करना चा हए। इससे च क शु होती है। च शु होने से

    ान और वैरा य के साथ महे र क भ न य ही कट होती है तथा उनके अनु ह सेद मु ा त होती है। जो मनु य माया के त आस है, वह इस संसार बंधन से मुनह हो पाता।

    हे ा ण प नी। तुम अ य वषय से अपने मन को हटाकर भगवान शंकर क इस परमपावन कथा को सुनो—इससे तु हारे च क शु होगी और तु ह मो क ा त होगी।जो मनु य नमल दय से भगवान शव के चरण का चतन करता है, उसक एक ही ज मम मु हो जाती है।

    सूत जी कहते ह—शौनक। यह कहकर वे ा ण चुप हो गए। उनका दय क णा से भरगया। वे यान म म न हो गए। ा ण का उ उपदेश सुनकर चंचुला के ने म आनंद केआंसू छलक आए। वह हष भरे दय से ा ण देवता के चरण म गर गई और हाथजोड़कर बोली—म कृताथ हो गई। हे ा ण! शवभ म े वा मन आप ध य ह। आपपरमाथदश ह और सदा परोपकार म लगे रहते ह। साधो! म नरक के समु म गर रही ं।कृपा कर मेरा उ ार क जए। जस पौरा णक व अमृत के समान सुंदर शव पुराण कथा कबात आपने क है उसे सुनकर ही मेरे मन म वैरा य उ प आ है। उस अमृतमयी शव

  • पुराण कथा को सुनने के लए मेरे मन म बड़ी ा हो रही है। कृपया आप मुझ े उसेसुनाइए।

    सूत जी कहते ह— शव पुराण क कथा सुनने क इ छा मन म लए ए चंचुला उना ण देवता क सेवा म वह रहने लगी। उस गोकण नामक महा े म उन ा ण देवता

    के मुख से चंचुला शव पुराण क भ , ान और वैरा य बढ़ाने वाली और मु देने वालीपरम उ म कथा सुनकर कृताथ ई। उसका च शु हो गया। वह अपने दय म शव केसगुण प का चतन करने लगी। वह सदैव शव के स चदानंदमय व प का मरण करतीथी। त प ात, अपना समय पूण होने पर चंचुला ने बना कसी क के अपना शरीर यागदया। उसे लेने के लए एक द वमान वहां प ंचा। यह वमान शोभा-साधन से सजा थाएवं शव गण स ेसुशो भत था।

    चंचुला वमान से शवपुरी प ंची। उसके सारे पाप धुल गए। वह द ांगना हो गई। वहगौरांगीदेवी म तक पर अधचं का मुकुट व अ य द आभूषण पहने शवपुरी प ंची। वहांउसने सनातन देवता ने धारी महादेव शव को देखा। सभी देवता उनक सेवा म भ भावसे उप थत थे। उनक अंग कां त करोड़ सूय के समान का शत हो रही थी। पांच मुखऔर हर मुख म तीन-तीन ने थे, म तक पर अ चं ाकार मुकुट शोभायमान हो रहा था।कंठ म नील च ह था। उनके साथ म देवी गौरी वराजमान थ , जो व ुत पंुज के समान

    का शत हो रही थ । महादेव जी क कां त कपूर के समान गौर थी। उनके शरीर पर ेतव थे तथा शरीर ेत भ म से यु था।

    इस कार भगवान शव के परम उ वल प के दशन कर चंचुला ब त स ई।उसने भगवान को बारंबार णाम कया और हाथ जोड़कर ेम, आनंद और संतोष से युहो वनीतभाव से खड़ी हो गई। उसके ने से आनंदा ु क धारा बहने लगी। भगवानशंकर व भगवती गौरी उमा ने क णा के साथ सौ य से देखकर चंचुला को अपने पासबुलाया। गौरी उमा ने उसे ेमपूवक अपनी सखी बना लया। चंचुला सुखपूवक भगवान शवके धाम म, उमा देवी क सखी के प म नवास करने लगी।

  • पांचवां अ यायब ग का पशाच यो न से उ ार

    सूत जी बोले—शौनक! एक दन चंचुला आनंद म म न उमा देवी के पास गई और दोनहाथ जोड़कर उनक तु त करने लगी।

    चंचुला बोली—हे ग रराजनं दनी! कंदमाता, उमा, आप सभी मनु य एवं देवता ारापू य तथा सम त सुख को देने वाली ह। आप शंभु या ह। आप ही सगुणा और नगुणा ह।हे स चदानंद व पणी! आप ही कृ त क पोषक ह। हे माता! आप ही संसार क सृ ,पालन और संहार करने वाली ह। आप ही ा, व णु और महेश को उ म त ा देने वालीपरम श ह।

    सूत जी कहते ह—शौनक! सद ्ग त ा त चंचुला इस कार देवी क तु त कर शांत होगई। उसक आंख म ेम के आंसू उमड़ आए। तब शंकर या भ व सला उमा देवी ने बड़े

    ेम से चंचुला को चुप कराते ए कहा—सखी चंचुला! म तु हारी तु त से स ं। बोलो,या वर मांगती हो?

    चंचुला बोली—हे ग रराज कुमारी। मेरे प त ब ग इस समय कहां ह? उनक कैसी ग तई है? मुझे बताइए और कुछ ऐसा उपाय क जए, ता क हम फर से मल सक। हे महादेवी!

    मेरे प त एक शू जा त वे या के त आस थे और पाप म ही डूबे रहते थे।ग रजा बोल —बेट ! तु हारा प त ब ग बड़ा पापी था। उसका अंत बड़ा भयानक आ।

    वे या का उपभोग करने के कारण वह मूख नरक म अनेक वष तक अनेक कार के खभोगकर अब शेष पाप को भोगने के लए व यपवत पर पशाच क यो न म रह रहा है। वह

    वह वायु पीकर रहता है और सब कार के क सहता है।सूत जी कहते ह—शौनक! गौरी देवी क यह बात सुनकर चंचुला अ यंत खी हो गई।

    फर मन को कसी तरह थर करती ई खी दय से मां गौरी से उसने एक बार फर पूछा।हे महादेवी! मुझ पर कृपा क जए और मेरे पापी प त का अब उ ार कर द जए। कृपा

    करके मुझे वह उपाय बताइए जससे मेरे प त को उ म ग त ा त हो सके।गौरी देवी ने कहा—य द तु हारा प त ब ग शव पुराण क पु यमयी उ म कथा सुने तो

    वह इस ग त को पार करके उ म ग त का भागी हो सकता है।अमृत के समान मधुर गौरी देवी का यह वचन सुनकर चंचुला ने दोन हाथ जोड़कर

    म तक झुकाकर उ ह बारंबार णाम कया तथा ाथना क क मेरे प त को शव पुराणसुनाने क व था क जए।

    ा ण प नी चंचुला के बार-बार ाथना करने पर शव या गौरी देवी ने भगवान शवक म हमा का गान करने वाले गंधवराज तु बुरो को बुलाकर कहा—तु बुरो! तु हारी भगवानशव म ी त है। तुम मेरे मन क सभी बात जानकर मेरे काय को स करते हो। तुम मेरी

  • इस सखी के साथ व य पर जाओ। वहां एक महाघोर और भयंकर पशाच रहता है। पूवज म म वह पशाच ब ग नामक ा ण मेरी इस सखी चंचुला का प त था। वह वे यागामीहो गया। उसने नान-सं या आ द न यकम छोड़ दए। ोध के कारण उसक बु होगई। जन से उसक म ता तथा स जन से ेष बढ़ गया था। वह अ -श से हसाकरता, लोग को सताता और उनके घर म आग लगा देता था। चा डाल से दो ती करता वरोज वे या के पास जाता था। प नी को यागकर लोग से दो ती कर उ ह के संपक मरहता था। वह मृ यु तक राचार म फंसा रहा। मृ यु के बाद उस े पा पय के भोग थानयमपुर ले जाया गया। वहां घोर नरक को सहकर इस समय वह व य पवत पर पशाचबनकर रह रहा है और पाप का फल भोग रहा है। तुम उसके सामने परम पु यमयी पाप कानाश करने वाली शव पुराण क द कथा का वचन करो। इस कथा को सुनने से उसका

    दय सभी पाप से मु होकर शु हो जाएगा और वह ेत यो न से मु हो जाएगा। ग तसे मु होने पर उस ब ग नामक पशाच को वमान पर बठाकर तुम भगवान शव के पासले आना।

    सूत जी कहते ह—शौनक! मां उमा का आदेश पाकर गंधवराज तु बुरो स तापूवकअपने भा य क सराहना करते ए चंचुला को साथ लेकर वमान स े पशाच के नवास थानव यपवत गया। वहां प ंचकर उसने उस वकराल आकृ त वाले पशाच को देखा। उसकाशरीर वशाल था। उसक ठोढ़ बड़ी थी। वह कभी हंसता, कभी रोता और कभी उछलताथा। महाबली तु बुरो ने ब ग नामक पशाच को पाश स ेबांध लया। उसके प ात तु बुरो नेशव पुराण क कथा बांचने के लए थान तलाश कर मंडप क रचना क ।

    शी ही इस बात का पता लोग को चल गया क एक पशाच के उ ार हेतु देवी पावतीक आ ा स ेतु बुरो शव पुराण क अमृत कथा सुनाने व यपवत पर आया है।

    उस कथा को सुनने के लोभ से ब त स ेदेव ष वहां प ंच गए। सभी को आदरपूवक थानदया गया। पशाच ब ग को पाश म बांधकर आसन पर बठाया गया और तब तु बुरो नेपरम उ म शव पुराण क अमृत कथा का गान शु कया। उसने पहली व े र सं हता सेलेकर सातव वायुसं हता तक शव पुराण क कथा का प वणन कया।

    सात सं हता स हत शव पुराण को सुनकर सभी ोता कृताथ हो गए। परम पु यमयशव पुराण को सुनकर पशाच सभी पाप से मु हो गया और उसने पशाच शरीर का यागकर दया। शी ही उसका प द हो गया। उसका शरीर गौर वण का हो गया। शरीर पर

    ेत व एवं पु ष के आभूषण आ गए।इस कार द देहधारी होकर ब ग अपनी प नी चंचुला के साथ वयं भी भगवान शव

    का गुणगान करने लगा। उसे इस द प म देखकर सभी को ब त आ य आ। उसकामन परम आनंद से प रपूण हो गया।

    सभी भगवान महे र के अद ्भुत च र को सुनकर कृताथ हो, उनका यशोगान करते एअपने-अपने धाम को चले गए। ब ग अपनी प नी चंचुला के साथ वमान म बैठकरशवपुरी क ओर चल दया।

  • महे र के गुण का गान करता आ ब ग अपनी प नी चंचुला व तु बुरो के साथ शी हीशवधाम प ंच गया। भगवान शव व देवी पावती ने उसे अपना पाषद बना लया। दोनप त-प नी सुखपूवक भगवान महे र एवं देवी गौरी के ीचरण म अ वचल नवास पाकरध य हो गए।

  • छठा अ यायशव पुराण के वण क व ध

    शौनक जी कहते ह—महा ा सूत जी! आप ध य एवं शवभ म े ह। हम पर कृपाकर हम क याणमय शव पुराण के वण क व ध बताइए, जससे सभी ोता कोसंपूण उ म फल क ा त हो।

    सूत जी ने कहा—मुने शौनक! तु ह संपूण फल क ा त के लए म शव पुराण कव ध स व तार बताता ं। सव थम, कसी यो तषी को बुलाकर दान से संतु कर उससेकथा का शुभ मु त नकलवाना चा हए और उसक सूचना का संदेश सभी लोग तकप ंचाना चा हए क हमारे यहां शव पुराण क कथा होने वाली है। अपने क याण क इ छारखने वाल को इस ेसुनने अव य पधारना चा हए। देश-देश म जो भी भगवान शव के भह तथा शव कथा के क तन और वण के उ सुक ह , उन सभी को आदरपूवक बुलानाचा हए और उनका आदर-स कार करना चा हए। शव पुराण सुनने के लए मं दर, तीथ,वन ांत अथवा घर म ही उ म थान का नमाण करना चा हए। केले के खंभ स ेसुशो भतकथाम डप तैयार कराए।ं उसे सब ओर फल-पु प, सुंदर चंदोवे स ेअलंकृत करना चा हए।चार कोन पर वज लगाकर उसे व भ साम ी स ेसुशो भत कर। भगवान शंकर के लएभ पूवक द आसन का नमाण करना चा हए तथा कथा वाचक के लए भी दआसन का नमाण करना चा हए। नयमपूवक कथा सुनने वाल के लए भी सुयो य आसनक व था कर तथा अ य लोग के बैठने क भी व था कर। कथा बांचने वाले व ान के

    त कभी बुरी भावना न रख।संसार म ज म तथा गुण के कारण ब त से गु होते ह परंतु उन सबम पुराण का ाता

    ही परम गु माना जाता है। पुराणवे ा प व , शांत, साधु, ई या पर वजय ा त करने वालाऔर दयालु होना चा हए। ऐसे गुणी मनु य को इस पु यमयी कथा को बांचना चा हए।सूय दय स ेसाढ़े तीन पहर तक इसे बांचने का उपयु समय है। म याह ्नकाल म दो घड़ीतक कथा बंद रखनी चा हए ता क लोग मल-मू का याग कर सक।

    जस दन स ेकथा शु हो रही है उससे एक दन पहले त हण कर। कथा के दन मातःकाल का न यकम सं ेप म कर लेना चा हए। व ा के पास उसक सहायता हेतु एक

    व ान को बैठाना चा हए जो क सब कार के संशय को र कर लोग को समझानेम कुशल हो। कथा म आने वाले व न को र करने के लए सव थम गणेश जी का पूजनकरना चा हए। भगवान शव व शव पुर�