|| Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह...

134
तावना

Transcript of || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह...

Page 1: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत

परसतावना

आज तक पजयशरी क समपकक म आकर असखय लोगो न अपन पतनोनमख जीवन को यौवन सरकषा क परयोगो दवारा ऊरधवकगामी बनाया ह वीयकनाश और सवपनदोष जसी बीमाररयो की चपट म आकर हतबल हए कई यवक-यवततयो क ललए अपन तनराशापरक जीवन म पजयशरी की सतज अनभवयकत वारी एव उनका पववतर मागकदशकन डबत को ततनक का ही नही बलकक नाव का सहारा बन जाता ह

समाज की तजलसवता का हरर करन वाला आज क ववलालसतापरक कलससत और वासनामय वातावरर म यौवन सरकषा क ललए पजयशरी जस महापरषो क ओजसवी मागकदशकन की असयत आवशयकता ह

उस आवशयकता की पतत क हत ही पजयशरी न जहाा अपन परवचनो म lsquoअमकय यौवन-धन की सरकषाrsquo ववषय को छआ ह उस सकललत करक पाठको क सममख रखन का यह अकप परयास ह

इस पसतक म सतरी-परष गहसथी-वानपरसथी ववदयाथी एव वदध सभी क ललए अनपम सामगरी ह सामानय दतनक जीवन को ककस परकार जीन स यौवन का ओज बना रहता ह और जीवन ददवय बनता ह उसकी भी रपरखा इसम सलननदहत ह और सबस परमख बात कक योग की गढ परकियाओ स सवय पररचचत होन क कारर पजयशरी की वारी म तज अनभव एव परमार का सामजसय ह जो अचधक परभावोसपादक लसदध होता ह

यौवन सरकषा का मागक आलोककत करन वाली यह छोटी सी पसतक ददवय जीवन की चाबी ह इसस सवय लाभ उठाय एव औरो तक पहाचाकर उनह भी लाभालनवत करन का पणयमय कायक कर

शरी योग वदानत सवा समितत अिदावाद आशरि

वीययवान बनो पालो बरहमचयक ववषय-वासनाएा सयाग ईशवर क भकत बनो जीवन जो पयारा ह

उदठए परभात काल रदहय परसननचचतत तजो शोक चचनताएा जो दःख का वपटारा ह

कीलजए वयायाम तनसय भरात शलकत अनसार नही इन तनयमो प ककसी का इजारा1 ह

दखखय सौ शरद औrsquoकीलजए सकमक वपरय सदा सवसथ रहना ही कततकवय तमहारा ह

लााघ गया पवनसत बरहमचयक स ही लसध मघनाद मार कीततक लखन कमायी ह

लका बीच अगद न जााघ जब रोप दई हटा नही सका लजस कोई बलदायी ह

पाला वरत बरहमचयक राममतत क गामा न भी दश और ववदशो म नामवरी2 पायी ह

भारत क वीरो तम ऐस वीयकवान बनो बरहमचयक मदहमा तो वदन म गायी ह

1- एकाचधकार 2- परलसदचध

ॐॐॐॐॐॐ

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

अनकरि

यौवन सरकषा

परसतावना

वीयकवान बनो

बरहमचयक रकषा हत मतर

परमपजय बाप जी की कपा-परसाद स लाभालनवत हदयो क उदगार

महामसयजय मतर

मगली बाधा तनवारक मतर

1 ववदयाचथकयो माता-वपता-अलभभावको व राषटर क करकधारो क नाम बरहमतनषटठ सत शरी आसारामजी बाप का सदश

2 यौवन-सरकषा

बरहमचयक कया ह

बरहमचयक उसकषटट तप ह

वीयकरकषर ही जीवन ह

आधतनक चचककससको का मत

वीयक कस बनता ह

आकषकक वयलकतसव का कारर

माली की कहानी

सलषटट िम क ललए मथन एक पराकततक वयवसथा

सहजता की आड़ म भरलमत न होव

अपन को तोल

मनोतनगरह की मदहमा

आसमघाती तकक

सतरी परसग ककतनी बार

राजा ययातत का अनभव

राजा मचकनद का परसग

गलत अभयास का दषटपररराम

वीयकरकषर सदव सतसय

अजकन और अगारपरक गधवक

बरहमचयक का तालववक अथक

3 वीयकरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय

उपयकत आहार

लशशनलनिय सनान

उचचत आसन एव वयायाम करो

बरहममहतक म उठो

दवयकसनो स दर रहो

सससग करो

शभ सककप करो

तरतरबनधयकत परारायाम और योगाभयास करो

नीम का पड चला

सतरी-जातत क परतत मातभाव परबल करो

लशवाजी का परसग

अजकन और उवकशी

वीयकसचय क चमसकार

भीषटम वपतामह और वीर अलभमनय

पथवीराज चौहान कयो हारा

सवामी रामतीथक का अनभव

यवा वगक स दो बात

हसतमथन का दषटपररराम

अमररका म ककया गया परयोग

कामशलकत का दमन या ऊरधवकगमन

एक साधक का अनभव

दसर साधक का अनभव

योगी का सककपबल

कया यह चमसकार ह

हसतमथन व सवपनदोष स कस बच

सदव परसनन रहो

वीयक का ऊरधवकगमन कया ह

वीयकरकषा का महववपरक परयोग

दसरा परयोग

वीयकरकषक चरक

गोद का परयोग

बरहमचयक रकषा हत मतर

पादपलशचमोततानासन

पादागषटठानासन

बदचधशलकतवधकक परयोगः

हमार अनभव

महापरष क दशकन का चमसकार

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह

बरहमचयक ही जीवन ह

शासतरवचन

भसमासर िोध स बचो

बरहमाचयक-रकषा का मतर

सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही बाप जी का अवतरर हआ ह

हर वयलकत जो तनराश ह उस आसाराम जी की जररत ह

बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहमजञान का ददवय सससग

बाप जी का सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

भगवननाम का जाद

पजयशरी क सससग म परधानमतरी शरी अटल तरबहारी वाजपयीजी क उदगार

प बापः राषटरसख क सवधकक

राषटर उनका ऋरी ह

गरीबो व वपछड़ो को ऊपर उठान क कायक चाल रह

सराहनीय परयासो की सफलता क ललए बधाई

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आप समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह

योग व उचच ससकार लशकषा हत भारतवषक आपका चचर-आभारी रहगा

आपन जो कहा ह हम उसका पालन करग

जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

बापजी सवकतर ससकार धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह

आपक दशकनमातर स मझ अदभत शलकत लमलती ह

हम सभी का कतकवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल

आपका मतर हः आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए

सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा

ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

पणयोदय पर सत समागम

बापजी जहाा नही होत वहाा क लोगो क ललए भी बहत कछ करत ह

जीवन की सचची लशकषा तो पजय बापजी ही द सकत ह

आपकी कपा स योग की अरशलकत पदा हो रही ह

धरती तो बाप जस सतो क कारर दटकी ह

म कमनसीब हा जो इतन समय तक गरवारी स वचचत रहा

इतनी मधर वारी इतना अदभत जञान

सससग शरवर स मर हदय की सफाई हो गयी

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहाा आ गयी

बाप जी क सससग स ववशवभर क लोग लाभालनवत

परी डडकशनरी याद कर ववशव ररकॉडक बनाया

मतरदीकषा व यौचगक परयोगो स बदचध का अपरततम ववकास

सससग व मतरदीकषा न कहाा स कहाा पहाचा ददया

5 वषक क बालक न चलायी जोखखम भरी सड़को पर कार

ऐस सतो का लजतना आदर ककया जाय कम ह

मझ तनवयकसनी बना ददया

गरजी की तसवीर न परार बचा ललय

सदगर लशषटय का साथ कभी नही छोड़त

गरकपा स अधापन दर हआ

और डकत घबराकर भाग गय

मतर दवारा मतदह म परार-सचार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस लमली

बड़दादा की लमटटी व जल स जीवनदान

पजय बाप न फ का कपा-परसाद

बटी न मनौती मानी और गरकपा हई

और गरदव की कपा बरसी

गरदव न भजा अकषयपातर

सवपन म ददय हए वरदान स पतरपरालपत

शरी आसारामायर क पाठ स जीवनदान

गरवारी पर ववशवास स अवरीय लाभ

सवफल क दो टकड़ो स दो सतान

साइककल स गरधाम जान पर खराब टााग ठीक हो गयी

अदभत रही मौनमददर की साधना

असारधय रोग स मलकत

कसट का चमसकार

पजयशरी की तसवीर स लमली परररा

नतरतरबद का चमसकार

मतर स लाभ

काम िोध पर ववजय पायी

जला हआ कागज पवक रप म

नदी की धारा मड़ गयी

सदगर-मदहमा

लडी मादटकन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान म परकट लशवजी

सखपवकक परसवकारक मतर

सवाागीर ववकास की कलजयाा

ॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

िहाितयजय ितर

ॐ हौ ज सः ॐ भ भयवः सवः ॐ तरयमबक यजािह सगध पषटिव यनि उवायरकमिव

बन नानितयोियकषकषय िाितात सवः भवः भ ः ॐ सः ज हौ ॐ

भगवान लशव का यह महामसयजय मतर जपन स अकाल मसय तो टलती ही ह आरोगयता की भी परालपत होती ह सनान करत समय शरीर पर लोट स पानी डालत वकत इस मतर का जप करन स सवासथय लाभ होता ह दध म तनहारत हए इस मतर का जप करक दध पी ललया जाय तो यौवन की सरकषा म भी सहायता लमलती ह आजकल की तज रफतार वाली लजदगी क कहाा उपिव दघकटना हो जाय कहना मलशकल ह घर स तनकलत समय एक बार यह मतर जपन वाला उपिवो स सरकषकषत

रहता ह और सरकषकषत लौटता ह (इस मतर क अनषटठान की परक जानकारी क ललए आशरम की आरोगयतनध पसतक पढ

शरीिदभागवत क आठव सक ि तीसर अधयाय क शलोक 1 स 33 तक ि वरणयत गजनर िोकष सतोतर का पाठ करन स तिाि षवघन द र होत ह

िगली बा ा तनवारक ितर

अ रा अ इस मतर को 108 बार जपन स िोध दर होता ह जनमकणडली म मगली दोष होन स लजनक वववाह न हो रह हो व 27 मगलवार इसका 108 बार जप करत हए वरत रख क हनमान जी पर लसदर का चोला चढाय तो मगल बाधा का कषय होता ह

1 षवदयाधथययो िाता-षपता-अमभभावको व राटर क कणय ारो क नाि बरहितनटठ सत शरी आसारािजी बाप का सदश

हमार दश का भववषटय हमारी यवा पीढी पर तनभकर ह ककनत उचचत मागकदशकन क अभाव म वह

आज गमराह हो रही ह |

पाशचासय भोगवादी सभयता क दषटपरभाव स उसक यौवन का हरास होता जा रहा ह | ववदशी चनल

चलचचतर अशलील सादहसय आदद परचार मारधयमो क दवारा यवक-यवततयो को गमराह ककया जा रहा ह

| ववलभनन सामतयको और समाचार-पतरो म भी तथाकचथत पाशचासय मनोववजञान स परभाववत मनोचचककससक और lsquoसकसोलॉलजसटrsquo यवा छातर-छातराओ को चररतर सयम और नततकता स भरषटट करन पर तल हए ह |

तरबरतानी औपतनवलशक ससकतत की दन इस वततकमान लशकषा-परराली म जीवन क नततक मकयो क परतत उदासीनता बरती गई ह | फलतः आज क ववदयाथी का जीवन कौमायकवसथा स ही ववलासी और असयमी हो जाता ह |

पाशचासय आचार-वयवहार क अधानकरर स यवानो म जो फशनपरसती अशदध आहार-ववहार क

सवन की परववतत कसग अभिता चलचचतर-परम आदद बढ रह ह उसस ददनोददन उनका पतन होता जा रहा ह | व तनबकल और कामी बनत जा रह ह | उनकी इस अवदशा को दखकर ऐसा लगता ह कक व बरहमचयक की मदहमा स सवकथा अनलभजञ ह |

लाखो नही करोड़ो-करोड़ो छातर-छातराएा अजञानतावश अपन तन-मन क मल ऊजाक-सरोत का वयथक म अपकषय कर परा जीवन दीनता-हीनता-दबकलता म तबाह कर दत ह और सामालजक अपयश क भय

स मन-ही-मन कषटट झलत रहत ह | इसस उनका शारीररक-मानलसक सवासथय चौपट हो जाता ह

सामानय शारीररक-मानलसक ववकास भी नही हो पाता | ऐस यवान रकताकपता ववसमरर तथा दबकलता स पीडड़त होत ह |

यही वजह ह कक हमार दश म औषधालयो चचककससालयो हजारो परकार की एलोपचथक दवाइयो इनजकशनो आदद की लगातार वदचध होती जा रही ह | असखय डॉकटरो न अपनी-अपनी दकान खोल

रखी ह कफर भी रोग एव रोचगयो की सखया बढती ही जा रही ह |

इसका मल कारर कया ह दवयकसन तथा अनततक अपराकततक एव अमयाकददत मथन दवारा वीयक की कषतत ही इसका मल कारर ह | इसकी कमी स रोगपरततकारक शलकत घटती ह जीवनशलकत का हरास होता ह |

इस दश को यदद जगदगर क पद पर आसीन होना ह ववशव-सभयता एव ववशव-ससकतत का लसरमौर बनना ह उननत सथान कफर स परापत करना ह तो यहाा की सनतानो को चादहए कक व बरहमचयक क महसव को समझ और सतत सावधान रहकर सखती स इसका पालन कर |

बरहमचयक क दवारा ही हमारी यवा पीढी अपन वयलकतसव का सतललत एव शरषटठतर ववकास कर सकती ह | बरहमचयक क पालन स बदचध कशागर बनती ह रोगपरततकारक शलकत बढती ह तथा महान-

स-महान लकषय तनधाकररत करन एव उस समपाददत करन का उससाह उभरता ह सककप म दढता आती ह मनोबल पषटट होता ह |

आरधयालसमक ववकास का मल भी बरहमचयक ही ह | हमारा दश औदयोचगक तकनीकी और आचथकक

कषतर म चाह ककतना भी ववकास कर ल समदचध परापत कर ल कफर भी यदद यवाधन की सरकषा न हो पाई तो यह भौततक ववकास अत म महाववनाश की ओर ही ल जायगा कयोकक सयम सदाचार

आदद क पररपालन स ही कोई भी सामालजक वयवसथा सचार रप स चल सकती ह | भारत का सवाागीर ववकास सचचररतर एव सयमी यवाधन पर ही आधाररत ह |

अतः हमार यवाधन छातर-छातराओ को बरहमचयक म परलशकषकषत करन क ललए उनह यौन-सवासथय

आरोगयशासतर दीघाकय-परालपत क उपाय तथा कामवासना तनयतरतरत करन की ववचध का सपषटट जञान परदान करना हम सबका अतनवायक कततकवय ह | इसकी अवहलना करना हमार दश व समाज क दहत म नही ह | यौवन सरकषा स ही सदढ राषटर का तनमाकर हो सकता ह |

(अनिम)

2 यौवन-सरकषा शरीरिादय खल ियसा नि |

धमक का साधन शरीर ह | शरीर स ही सारी साधनाएा समपनन होती ह | यदद शरीर कमजोर ह तो उसका परभाव मन पर पड़ता ह मन कमजोर पड़ जाता ह |

कोई भी कायक यदद सफलतापवकक करना हो तो तन और मन दोनो सवसथ होन चादहए | इसीललय

कई बढ लोग साधना की दहममत नही जटा पात कयोकक वषतयक भोगो स उनक शरीर का सारा ओज-तज नषटट हो चका होता ह | यदद मन मजबत हो तो भी उनका जजकर शरीर परा साथ नही द पाता | दसरी ओर यवक वगक साधना करन की कषमता होत हए भी ससार की चकाचौध स परभाववत

होकर वषतयक सखो म बह जाता ह | अपनी वीयकशलकत का महसव न समझन क कारर बरी आदतो म पड़कर उस खचक कर दता ह कफर लजनदगी भर पछताता रहता ह |

मर पास कई ऐस यवक आत ह जो भीतर-ही भीतर परशान रहत ह | ककसीको व अपना दःख-ददक सना नही पात कयोकक बरी आदतो म पड़कर उनहोन अपनी वीयकशलकत को खो ददया ह | अब मन

और शरीर कमजोर हो गय गय ससार उनक ललय दःखालय हो गया ईशवरपरालपत उनक ललए असभव हो गई | अब ससार म रोत-रोत जीवन घसीटना ही रहा |

इसीललए हर यग म महापरष लोग बरहमचयक पर जोर दत ह | लजस वयलकत क जीवन म सयम

नही ह वह न तो सवय की ठीक स उननतत कर पाता ह और न ही समाज म कोई महान कायक कर पाता ह | ऐस वयलकतयो स बना हआ समाज और दश भी भौततक उननतत व आरधयालसमक उननतत म वपछड़ जाता ह | उस दश का शीघर पतन हो जाता ह |

(अनिम)

बरहिचयय कया ह

पहल बरहमचयक कया ह- यह समझना चादहए | lsquoयाजञवककय सदहताrsquo म आया ह

कियणा िनसा वाचा सवायसथास सवयदा |

सवयतर िथनतआगो बरहिचय परचकषत ||

lsquoसवक अवसथाओ म मन वचन और कमक तीनो स मथन का सदव सयाग हो उस बरहमचयक कहत ह |rsquo

भगवान वदवयासजी न कहा ह

बरहिचय गपतषनरसयोपसथसय सयिः |

lsquoववषय-इलनियो दवारा परापत होन वाल सख का सयमपवकक सयाग करना बरहमचयक ह |rsquo

भगवान शकर कहत ह

मसद बबनदौ िहादषव कक न मसद यतत भ तल |

lsquoह पावकती तरबनद अथाकत वीयकरकषर लसदध होन क बाद कौन-सी लसदचध ह जो साधक को परापत नही हो सकती rsquo

साधना दवारा जो साधक अपन वीयक को ऊरधवकगामी बनाकर योगमागक म आग बढत ह व कई

परकार की लसदचधयो क माललक बन जात ह | ऊरधवकरता योगी परष क चररो म समसत लसदचधयाा दासी बनकर रहती ह | ऐसा ऊरधवकरता परष परमाननद को जकदी पा सकता ह अथाकत आसम-साकषासकार जकदी कर सकता ह |

दवताओ को दवसव भी इसी बरहमचयक क दवारा परापत हआ ह

बरहिचयण तपसा दवा ितयिपाघनत |

इनरो ह बरहिचयण दवभयः सवराभरत ||

lsquoबरहमचयकरपी तप स दवो न मसय को जीत ललया ह | दवराज इनि न भी बरहमचयक क परताप स ही दवताओ स अचधक सख व उचच पद को परापत ककया ह |rsquo

(अथवकवद 1519)

बरहमचयक बड़ा गर ह | वह ऐसा गर ह लजसस मनषटय को तनसय मदद लमलती ह और जीवन क सब

परकार क खतरो म सहायता लमलती ह |

(अनिम)

बरहिचयय उतकटि तप ह

ऐस तो तपसवी लोग कई परकार क तप करत ह परनत बरहमचयक क बार म भगवान शकर कहत ह

न तपसतप इतयाहबरयहिचय तपोततिि |

ऊधवयरता भवदयसत स दवो न त िानिः ||

lsquoबरहमचयक ही उसकषटट तप ह | इसस बढकर तपशचयाक तीनो लोको म दसरी नही हो सकती | ऊरधवकरता परष इस लोक म मनषटयरप म परसयकष दवता ही ह |rsquo

जन शासतरो म भी इस उसकषटट तप बताया गया ह |

तवस वा उतति बभचरि |

lsquoबरहमचयक सब तपो म उततम तप ह |rsquo

वीययरकषण ही जीवन ह

वीयक इस शरीररपी नगर का एक तरह स राजा ही ह | यह वीयकरपी राजा यदद पषटट ह बलवान ह

तो रोगरपी शतर कभी शरीररपी नगर पर आिमर नही करत | लजसका वीयकरपी राजा तनबकल ह उस

शरीररपी नगर को कई रोगरपी शतर आकर घर लत ह | इसीललए कहा गया ह

िरण बबनदोपातन जीवन बबनद ारणात |

lsquoतरबनदनाश (वीयकनाश) ही मसय ह और तरबनदरकषर ही जीवन ह |rsquo

जन गरथो म अबरहमचयक को पाप बताया गया ह

अबभचररय घोर पिाय दरहहठहठयि |

lsquoअबरहमचयक घोर परमादरप पाप ह |rsquo (दश वकाललक सतर 617)

lsquoअथवदrsquo म इस उसकषटट वरत की सजञा दी गई ह

वरति व व बरहिचययि |

वदयकशासतर म इसको परम बल कहा गया ह

बरहिचय पर बलि | lsquoबरहमचयक परम बल ह |rsquo

वीयकरकषर की मदहमा सभी न गायी ह | योगीराज गोरखनाथ न कहा ह

कत गया क कामिनी झ र | बबनद गया क जोगी ||

lsquoपतत क ववयोग म कालमनी तड़पती ह और वीयकपतन स योगी पशचाताप करता ह |rsquo

भगवान शकर न तो यहाा तक कह ददया कक इस बरहमचयक क परताप स ही मरी ऐसी महान मदहमा हई ह

यसय परसादानिहहिा ििापयतादशो भवत |

(अनिम)

आ तनक धचककतसको का ित

यरोप क परततलषटठत चचककससक भी भारतीय योचगयो क कथन का समथकन करत ह | डॉ तनकोल

कहत ह

ldquoयह एक भषलजक और ददहक तथय ह कक शरीर क सवोततम रकत स सतरी तथा परष दोनो ही जाततयो म परजनन तवव बनत ह | शदध तथा वयवलसथत जीवन म यह तवव पनः अवशोवषत हो जाता ह | यह सकषमतम मलसतषटक सनाय तथा मासपलशय ऊततको (Tissue) का तनमाकर करन क ललय तयार

होकर पनः पररसचारर म जाता ह | मनषटय का यह वीयक वापस ऊपर जाकर शरीर म ववकलसत होन पर उस तनभीक बलवान साहसी तथा वीर बनाता ह | यदद इसका अपवयय ककया गया तो यह उसको सतरर दबकल कशकलवर एव कामोततजनशील बनाता ह तथा उसक शरीर क अगो क कायकवयापार को ववकत एव सनायततर को लशचथल (दबकल) करता ह और उस लमगी (मगी) एव अनय अनक रोगो और

मसय का लशकार बना दता ह | जननलनिय क वयवहार की तनवतत स शारीररक मानलसक तथा अरधयालसमक बल म असाधारर वदचध होती ह |rdquo

परम धीर तथा अरधयवसायी वजञातनक अनसधानो स पता चला ह कक जब कभी भी रतःसराव को सरकषकषत रखा जाता तथा इस परकार शरीर म उसका पनवकशोषर ककया जाता ह तो वह रकत को समदध तथा मलसतषटक को बलवान बनाता ह |

डॉ डडओ लई कहत ह ldquoशारीररक बल मानलसक ओज तथा बौदचधक कशागरता क ललय इस तवव

का सरकषर परम आवशयक ह |rdquo

एक अनय लखक डॉ ई पी लमलर ललखत ह ldquoशिसराव का सवलचछक अथवा अनलचछक अपवयय

जीवनशलकत का परसयकष अपवयय ह | यह परायः सभी सवीकार करत ह कक रकत क सवोततम तवव

शिसराव की सरचना म परवश कर जात ह | यदद यह तनषटकषक ठीक ह तो इसका अथक यह हआ कक

वयलकत क ककयार क ललय जीवन म बरहमचयक परम आवशयक ह |rdquo

पलशचम क परखयात चचककससक कहत ह कक वीयककषय स ववशषकर तररावसथा म वीयककषय स ववववध परकार क रोग उसपनन होत ह | व ह शरीर म वरर चहर पर माहास अथवा ववसफोट नतरो क चतददकक नीली रखाय दाढी का अभाव धास हए नतर रकतकषीरता स पीला चहरा समततनाश दलषटट की कषीरता मतर क साथ वीयकसखलन अणडकोश की वदचध अणडकोशो म पीड़ा दबकलता तनिालता आलसय उदासी हदय-कमप शवासावरोध या कषटटशवास यकषमा पषटठशल कदटवात शोरोवदना सचध-पीड़ा दबकल वकक तनिा म मतर तनकल जाना मानलसक अलसथरता ववचारशलकत का अभाव दःसवपन

सवपन दोष तथा मानलसक अशातत |

उपरोकत रोग को लमटान का एकमातर ईलाज बरहमचयक ह | दवाइयो स या अनय उपचारो स य रोग सथायी रप स ठीक नही होत |

(अनिम)

वीयय कस बनता ह

वीयक शरीर की बहत मकयवान धात ह | भोजन स वीयक बनन की परकिया बड़ी लमबी ह | शरी सशरताचायक न ललखा ह

रसारकत ततो िास िासानिदः परजायत |

िदसयाषसथः ततो िजजा िजजाया शकरसभवः ||

जो भोजन पचता ह उसका पहल रस बनता ह | पााच ददन तक उसका पाचन होकर रकत बनता ह | पााच ददन बाद रकत म स मास उसम स 5-5 ददन क अतर स मद मद स हडडी हडडी स मजजा और मजजा स अत म वीयक बनता ह | सतरी म जो यह धात बनती ह उस lsquoरजrsquo कहत ह |

वीयक ककस परकार छः-सात मलजलो स गजरकर अपना यह अततम रप धारर करता ह यह सशरत क इस कथन स जञात हो जाता ह | कहत ह कक इस परकार वीयक बनन म करीब 30 ददन व 4 घणट लग जात ह | वजञतनक लोग कहत ह कक 32 ककलोगराम भोजन स 700 गराम रकत बनता ह और 700

गराम रकत स लगभग 20 गराम वीयक बनता ह |

(अनिम)

आकियक वयषकततव का कारण

इस वीयक क सयम स शरीर म एक अदभत आकषकक शलकत उसपनन होती ह लजस पराचीन वदय धनवतरर न lsquoओजrsquo नाम ददया ह | यही ओज मनषटय को अपन परम-लाभ lsquoआसमदशकनrsquo करान म सहायक बनता ह | आप जहाा-जहाा भी ककसी वयलकत क जीवन म कछ ववशषता चहर पर तज वारी म बल कायक म उससाह पायग वहाा समझो इस वीयक रकषर का ही चमसकार ह |

यदद एक साधारर सवसथ मनषटय एक ददन म 700 गराम भोजन क दहसाब स चालीस ददन म 32

ककलो भोजन कर तो समझो उसकी 40 ददन की कमाई लगभग 20 गराम वीयक होगी | 30 ददन अथाकत

महीन की करीब 15 गराम हई और 15 गराम या इसस कछ अचधक वीयक एक बार क मथन म परष

दवारा खचक होता ह |

िाली की कहानी

एक था माली | उसन अपना तन मन धन लगाकर कई ददनो तक पररशरम करक एक सनदर बगीचा तयार ककया | उस बगीच म भाातत-भाातत क मधर सगध यकत पषटप खखल | उन पषटपो को चनकर

उसन इकठठा ककया और उनका बदढया इतर तयार ककया | कफर उसन कया ककया समझ आप hellip उस

इतर को एक गदी नाली ( मोरी ) म बहा ददया |

अर इतन ददनो क पररशरम स तयार ककय गय इतर को लजसकी सगनध स सारा घर महकन वाला था उस नाली म बहा ददया आप कहग कक lsquoवह माली बड़ा मखक था पागल था helliprsquo मगर अपन आपम ही झााककर दख | वह माली कही और ढाढन की जररत नही ह | हमम स कई लोग ऐस ही माली ह |

वीयक बचपन स लकर आज तक यानी 15-20 वषो म तयार होकर ओजरप म शरीर म ववदयमान

रहकर तज बल और सफततक दता रहा | अभी भी जो करीब 30 ददन क पररशरम की कमाई थी उस या ही सामानय आवग म आकर अवववकपवकक खचक कर दना कहाा की बदचधमानी ह

कया यह उस माली जसा ही कमक नही ह वह माली तो दो-चार बार यह भल करन क बाद ककसी क समझान पर साभल भी गया होगा कफर वही-की-वही भल नही दोहराई होगी परनत आज तो कई लोग वही भल दोहरात रहत ह | अत म पशचाताप ही हाथ लगता ह |

कषखरक सख क ललय वयलकत कामानध होकर बड़ उससाह स इस मथनरपी कसय म पड़ता ह परनत कसय परा होत ही वह मद जसा हो जाता ह | होगा ही | उस पता ही नही कक सख तो नही लमला कवल सखाभास हआ परनत उसम उसन 30-40 ददन की अपनी कमाई खो दी |

यवावसथा आन तक वीयकसचय होता ह वह शरीर म ओज क रप म लसथत रहता ह | वह तो वीयककषय स नषटट होता ही ह अतत मथन स तो हडडडयो म स भी कछ सफद अश तनकलन लगता ह

लजसस असयचधक कमजोर होकर लोग नपसक भी बन जात ह | कफर व ककसी क सममख आाख

उठाकर भी नही दख पात | उनका जीवन नारकीय बन जाता ह |

वीयकरकषर का इतना महसव होन क कारर ही कब मथन करना ककसस मथन करना जीवन म ककतनी बार करना आदद तनदशन हमार ॠवष-मतनयो न शासतरो म द रख ह |

(अनिम)

सषटि करि क मलए िथन एक पराकततक वयवसथा

शरीर स वीयक-वयय यह कोई कषखरक सख क ललय परकतत की वयवसथा नही ह | सनतानोसपवतत क ललय इसका वासतववक उपयोग ह | यह परकतत की वयवसथा ह |

यह सलषटट चलती रह इसक ललए सनतानोसपवतत होना जररी ह | परकतत म हर परकार की वनसपतत व परारीवगक म यह काम-परववतत सवभावतः पाई जाती ह | इस काम- परववतत क वशीभत होकर हर परारी मथन करता ह और उसका रततसख भी उस लमलता ह | ककनत इस पराकततक वयवसथा को ही बार-बार कषखरक सख का आधार बना लना कहाा की बदचधमानी ह पश भी अपनी ॠत क अनसार ही इस

कामवतत म परवत होत ह और सवसथ रहत ह तो कया मनषटय पश वगक स भी गया बीता ह पशओ म तो बदचधतसव ववकलसत नही होता परनत मनषटय म तो उसका परक ववकास होता ह |

आहारतनराभयिथन च सािानयिततपशमभनयराणाि |

भोजन करना भयभीत होना मथन करना और सो जाना यह तो पश भी करत ह | पश शरीर म रहकर हम यह सब करत आए ह | अब यह मनषटय शरीर लमला ह | अब भी यदद बदचध और

वववकपरक अपन जीवन को नही चलाया और कषखरक सखो क पीछ ही दौड़त रह तो कस अपन मल

लकषय पर पहाच पायग

(अनिम)

सहजता की आड़ ि भरमित न होव कई लोग तकक दन लग जात ह ldquoशासतरो म पढन को लमलता ह और जञानी महापरषो क

मखारववनद स भी सनन म आता ह कक सहज जीवन जीना चादहए | काम करन की इचछा हई तो काम ककया भख लगी तो भोजन ककया नीद आई तो सो गय | जीवन म कोई lsquoटनशनrsquo कोई तनाव

नही होना चादहए | आजकल क तमाम रोग इसी तनाव क ही फल ह hellip ऐसा मनोवजञातनक कहत ह | अतः जीवन सहज और सरल होना चादहए | कबीरदास जी न भी कहा ह सा ो सहज सिाध भली |rdquo

ऐसा तकक दकर भी कई लोग अपन काम-ववकार की तलपत को सहमतत द दत ह | परनत यह अपन आपको धोखा दन जसा ह | ऐस लोगो को खबर ही नही ह कक ऐसा सहज जीवन तो महापरषो का होता ह लजनक मन और बदचध अपन अचधकार म होत ह लजनको अब ससार म अपन ललय पान को कछ भी शष नही बचा ह लजनह मान-अपमान की चचनता नही होती ह | व उस आसमतवव म लसथत हो जात ह जहाा न पतन ह न उसथान | उनको सदव लमलत रहन वाल आननद म अब ससार क ववषय न तो वदचध कर सकत ह न अभाव | ववषय-भोग उन महान परषो को आकवषकत करक अब बहका या भटका नही सकत | इसललए अब उनक सममख भल ही ववषय-सामचगरयो का ढर लग जाय ककनत उनकी चतना इतनी जागत होती ह कक व चाह तो उनका उपयोग कर और चाह तो ठकरा द |

बाहरी ववषयो की बात छोड़ो अपन शरीर स भी उनका ममसव टट चका होता ह | शरीर रह अथवा न रह- इसम भी उनका आगरह नही रहता | ऐस आननदसवरप म व अपन-आपको हर समय अनभव

करत रहत ह | ऐसी अवसथावालो क ललय कबीर जी न कहा ह

सा ो सहज सिाध भली |

(अनिम)

अपन को तोल हम यदद ऐसी अवसथा म ह तब तो ठीक ह | अनयथा रधयान रह ऐस तकक की आड़ म हम अपन को धोखा दकर अपना ही पतन कर डालग | जरा अपनी अवसथा की तलना उनकी अवसथा स कर | हम तो कोई हमारा अपमान कर द तो िोचधत हो उठत ह बदला तक लन को तयार हो जात ह | हम

लाभ-हातन म सम नही रहत ह | राग-दवष हमारा जीवन ह | lsquoमरा-तराrsquo भी वसा ही बना हआ ह | lsquoमरा धन hellip मरा मकान hellip मरी पसनी hellip मरा पसा hellip मरा लमतर hellip मरा बटा hellip मरी इजजत hellip मरा पद helliprsquo

य सब ससय भासत ह कक नही यही तो दहभाव ह जीवभाव ह | हम इसस ऊपर उठ कर वयवहार कर सकत ह कया यह जरा सोच |

कई साध लोग भी इस दहभाव स छटकारा नही पा सक सामानय जन की तो बात ही कया कई

साध भी lsquoम लसतरयो की तरफ दखता ही नही हा hellip म पस को छता ही नही हा helliprsquo इस परकार की अपनी-अपनी मन और बदचध की पकड़ो म उलझ हए ह | व भी अपना जीवन अभी सहज नही कर पाए ह और हम hellip

हम अपन साधारर जीवन को ही सहज जीवन का नाम दकर ववषयो म पड़ रहना चाहत ह | कही लमठाई दखी तो माह म पानी भर आया | अपन सबधी और ररशतदारो को कोई दःख हआ तो भीतर स हम भी दःखी होन लग गय | वयापार म घाटा हआ तो माह छोटा हो गया | कही अपन घर स जयादा ददन दर रह तो बार-बार अपन घरवालो की पसनी और पतरो की याद सतान लगी | य कोई सहज जीवन क लकषर ह लजसकी ओर जञानी महापरषो का सकत ह नही |

(अनिम)

िनोतनगरह की िहहिा आज कल क नौजवानो क साथ बड़ा अनयाय हो रहा ह | उन पर चारो ओर स ववकारो को भड़कान वाल आिमर होत रहत ह |

एक तो वस ही अपनी पाशवी ववततयाा यौन उचछखलता की ओर परोससादहत करती ह और दसर

सामालजक पररलसथततयाा भी उसी ओर आकषकर बढाती ह hellip इस पर उन परववततयो को वौजञातनक

समथकन लमलन लग और सयम को हातनकारक बताया जान लग hellip कछ तथाकचथत आचायक भी फरायड जस नालसतक एव अधर मनोवजञातनक क वयलभचारशासतर को आधार बनाकर lsquoसभोग स सिाध rsquo का उपदश दन लग तब तो ईशवर ही बरहमचयक और दामपसय जीवन की पववतरता का रकषक ह |

16 लसतमबर 1977 क lsquoनययॉकक टाइमस म छपा था

ldquoअमररकन पनल कहती ह कक अमररका म दो करोड़ स अचधक लोगो को मानलसक चचककससा की आवशयकता ह |rdquo

उपरोकत परररामो को दखत हए अमररका क एक महान लखक समपादक और लशकषा ववशारद शरी मादटकन गरोस अपनी पसतक lsquoThe Psychological Societyrsquo म ललखत ह ldquoहम लजतना समझत ह उसस कही जयादा फरायड क मानलसक रोगो न हमार मानस और समाज म गहरा परवश पा ललया ह |

यदद हम इतना जान ल कक उसकी बात परायः उसक ववकत मानस क ही परतततरबमब ह और उसकी मानलसक ववकततयो वाल वयलकतसव को पहचान ल तो उसक ववकत परभाव स बचन म सहायता लमल

सकती ह | अब हम डॉ फरायड की छाया म तरबककल नही रहना चादहए |rdquo

आधतनक मनोववजञान का मानलसक ववशलषर मनोरोग शासतर और मानलसक रोग की चचककससा hellip

य फरायड क रगर मन क परतततरबमब ह | फरायड सवय सफदटक कोलोन परायः सदा रहन वाला मानलसक

अवसाद सनायववक रोग सजातीय समबनध ववकत सवभाव माईगरन कबज परवास मसय और धननाश भय साईनोसाइदटस घरा और खनी ववचारो क दौर आदद रोगो स पीडडत था |

परोफसर एडलर और परोफसर सी जी जग जस मधकनय मनोवजञातनको न फरायड क

लसदधातो का खडन कर ददया ह कफर भी यह खद की बात ह कक भारत म अभी भी कई मानलसक

रोग ववशषजञ और सकसोलॉलजसट फरायड जस पागल वयलकत क लसदधातो को आधार लकर इस दश क जवानो को अनततक और अपराकततक मथन (Sex) का सभोग का उपदश वततकमान पतरो और

सामयोको क दवारा दत रहत ह | फरायड न तो मसय क पहल अपन पागलपन को सवीकार ककया था लककन उसक लककन उसक सवय सवीकार न भी कर तो भी अनयायी तो पागल क ही मान जायग | अब व इस दश क लोगो को चररतरभरषटट करन का और गमराह करन का पागलपन छोड़ द ऐसी हमारी नमर पराथकना ह | यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पााच बार पढ और पढाएा- इसी म सभी का ककयार तनदहत ह |

आाकड़ बतात ह कक आज पाशचासय दशो म यौन सदाचार की ककतनी दगकतत हई ह इस दगकतत

क परररामसवरप वहाा क तनवालसयो क वयलकतगत जीवन म रोग इतन बढ गय ह कक भारत स 10

गनी जयादा दवाइयाा अमररका म खचक होती ह जबकक भारत की आबादी अमररका स तीन गनी जयादा ह | मानलसक रोग इतन बढ ह कक हर दस अमररकन म स एक को मानलसक रोग होता ह | दवाकसनाएा इतनी बढी ह कक हर छः सकणड म एक बलासकार होता ह और हर वषक लगभग 20 लाख कनयाएा वववाह क पवक ही गभकवती हो जाती ह | मकत साहचयक (free sex) का दहमायती होन क कारर शादी क पहल वहाा का परायः हर वयलकत जातीय सबध बनान लगता ह | इसी वजह स लगभग 65 शाददयाा तलाक म बदल जाती ह | मनषटय क ललय परकतत दवारा तनधाकररत ककय गय सयम का उपहास करन क कारर परकतत न उन लोगो को जातीय रोगो का लशकार बना रखा ह | उनम मखयतः एडस (AIDS) की बीमारी ददन दनी रात चौगनी फलती जा रही ह | वहाा क पाररवाररक व सामालजक जीवन म िोध

कलह असतोष सताप उचछखलता उदयडता और शतरता का महा भयानक वातावरर छा गया ह |

ववशव की लगभग 4 जनसखया अमररका म ह | उसक उपभोग क ललय ववशव की लगभग 40

साधन-सामगरी (जस कक कार टी वी वातानकललत मकान आदद) मौजद ह कफर भी वहाा अपराधवतत

इतनी बढी ह की हर 10 सकणड म एक सधमारी होती ह हर लाख वयलकतयो म स 425 वयलकत

कारागार म सजा भोग रह ह जबकक भारत म हर लाख वयलकत म स कवल 23 वयलकत ही जल की सजा काट रह ह |

कामकता क समथकक फरायड जस दाशकतनको की ही यह दन ह कक लजनहोन पशचासय दशो को मनोववजञान क नाम पर बहत परभाववत ककया ह और वही स यह आाधी अब इस दश म भी फलती जा रही ह | अतः इस दश की भी अमररका जसी अवदशा हो उसक पहल हम सावधान रहना पड़गा | यहाा क कछ अववचारी दाशकतनक भी फरायड क मनोववजञान क आधार पर यवानो को बलगाम सभोग की तरफ उससादहत कर रह ह लजसस हमारी यवापीढी गमराह हो रही ह | फरायड न तो कवल मनोवजञातनक

मानयताओ क आधार पर वयलभचार शासतर बनाया लककन तथाकचथत दाशकतनक न तो lsquoसभोग स सिाध rsquo की पररककपना दवारा वयलभचार को आरधयालसमक जामा पहनाकर धालमकक लोगो को भी भरषटट ककया ह | सभोग स सिाध नही होती सतयानाश होता ह | lsquoसयम स ही समाचध होती ह helliprsquo इस भारतीय मनोववजञान को अब पाशचासय मनोववजञानी भी ससय मानन लग ह |

जब पलशचम क दशो म जञान-ववजञान का ववकास परारमभ भी नही हआ था और मानव न ससकतत क कषतर म परवश भी नही ककया था उस समय भारतवषक क दाशकतनक और योगी मानव मनोववजञान क ववलभनन पहलओ और समसयाओ पर गमभीरता पवकक ववचार कर रह थ | कफर भी पाशचासय ववजञान की छतरछाया म पल हए और उसक परकाश स चकाचौध वततकमान भारत क मनोवजञातनक भारतीय

मनोववजञान का अलसतवव तक मानन को तयार नही ह | यह खद की बात ह | भारतीय मनोवजञातनको न चतना क चार सतर मान ह जागरत सवपन सषलपत और तरीय | पाशचासय मनोवजञातनक परथम तीन सतर को ही जानत ह | पाशचासय मनोववजञान नालसतक ह | भारतीय मनोववजञान ही आसमववकास

और चररतर तनमाकर म सबस अचधक उपयोगी लसदध हआ ह कयोकक यह धमक स असयचधक परभाववत ह | भारतीय मनोववजञान आसमजञान और आसम सधार म सबस अचधक सहायक लसदध होता ह | इसम बरी आदतो को छोड़न और अचछी आदतो को अपनान तथा मन की परकियाओ को समझन तथा उसका तनयतरर करन क महसवपरक उपाय बताय गय ह | इसकी सहायता स मनषटय सखी सवसथ और

सममातनत जीवन जी सकता ह |

पलशचम की मनोवजञातनक मानयताओ क आधार पर ववशवशातत का भवन खड़ा करना बाल की नीव पर भवन-तनमाकर करन क समान ह | पाशचासय मनोववजञान का पररराम वपछल दो ववशवयदधो क रप म ददखलायी पड़ता ह | यह दोष आज पलशचम क मनोवजञातनको की समझ म आ रहा ह | जबकक

भारतीय मनोववजञान मनषटय का दवी रपानतरर करक उसक ववकास को आग बढाना चाहता ह | उसक

lsquoअनकता म एकताrsquo क लसदधात पर ही ससार क ववलभनन राषटरो सामालजक वगो धमो और परजाततयो

म सदहषटरता ही नही सकिय सहयोग उसपनन ककया जा सकता ह | भारतीय मनोववजञान म शरीर और

मन पर भोजन का कया परभाव पड़ता ह इस ववषय स लकर शरीर म ववलभनन चिो की लसथतत

कणडललनी की लसथतत वीयक को ऊरधवकगामी बनान की परकिया आदद ववषयो पर ववसतारपवकक चचाक की गई ह | पाशचासय मनोववजञान मानव-वयवहार का ववजञान ह | भारतीय मनोववजञान मानस ववजञान क साथ-साथ आसमववजञान ह | भारतीय मनोववजञान इलनियतनयतरर पर ववशष बल दता ह जबकक पाशचासय मनोववजञान कवल मानलसक कियाओ या मलसतषटक-सगठन पर बल दता ह | उसम मन दवारा मानलसक जगत का ही अरधययन ककया जाता ह | उसम भी परायड का मनोववजञान तो एक रगर मन क दवारा अनय रगर मनो का ही अरधययन ह जबकक भारतीय मनोववजञान म इलनिय-तनरोध स मनोतनरोध और मनोतनरोध स आसमलसदचध का ही लकषय मानकर अरधययन ककया जाता ह | पाशचासय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत का कोई समचचत साधन पररलकषकषत नही होता जो उसक वयलकतसव म तनदहत तनषधासमक पररवशो क ललए सथायी तनदान परसतत कर सक | इसललए परायड क लाखो बदचधमान अनयायी भी पागल हो गय | सभोग क मागक पर चलकर कोई भी वयलकत योगलसदध महापरष नही हआ | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह |

ऐस कई नमन हमन दख ह | इसक ववपरीत भारतीय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत क ववलभनन उपाय बताय गय ह यथा योगमागक साधन-चतषटटय शभ-ससकार सससगतत अभयास

वरागय जञान भलकत तनषटकाम कमक आदद | इन साधनो क तनयलमत अभयास स सगदठत एव समायोलजत वयलकतसव का तनमाकर सभव ह | इसललय भारतीय मनोववजञान क अनयायी पाखरतन और महाकवव काललदास जस परारमभ म अकपबदचध होन पर भी महान ववदवान हो गय | भारतीय मनोववजञान न इस ववशव को हजारो महान भकत समथक योगी तथा बरहमजञानी महापरष ददय ह |

अतः पाशचासय मनोववजञान को छोड़कर भारतीय मनोववजञान का आशरय लन म ही वयलकत कटमब समाज राषटर और ववशव का ककयार तनदहत ह |

भारतीय मनोववजञान पतजलल क लसदधातो पर चलनवाल हजारो योगालसदध महापरष इस दश म हए ह अभी भी ह और आग भी होत रहग जबकक सभोग क मागक पर चलकर कोई योगलसदध महापरष हआ हो ऐसा हमन तो नही सना बलकक दबकल हए रोगी हए एड़स क लशकार हए अकाल मसय क लशकार हए खखनन मानस हए अशात हए | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह ऐस कई नमन हमन दख ह |

फरायड न अपनी मनःलसथतत की तराज पर सारी दतनया क लोगो को तौलन की गलती की ह | उसका अपना जीवन-िम कछ बतक ढग स ववकलसत हआ ह | उसकी माता अमललया बड़ी खबसरत थी | उसन योकोव नामक एक अनय परष क साथ अपना दसरा वववाह ककया था | जब फरायड जनमा तब वह २१ वषक की थी | बचच को वह बहत पयार करती थी |

य घटनाएा फरायड न सवय ललखी ह | इन घटनाओ क अधार पर फरायड कहता ह ldquoपरष बचपन स ही ईडडपस कॉमपलकस (Oedipus Complex) अथाकत अवचतन मन म अपनी माा क परतत यौन-आकाकषा स आकवषकत होता ह तथा अपन वपता क परतत यौन-ईषटयाक स गरलसत रहता ह | ऐस ही लड़की अपन बाप क परतत आकवषकत होती ह तथा अपनी माा स ईषटयाक करती ह | इस इलकरा कोऊमपलकस (Electra Complex) कहत ह | तीन वषक की आय स ही बचचा अपनी माा क साथ यौन-समबनध सथावपत करन क ललय लालातयत रहता ह | एकाध साल क बाद जब उस पता चलता ह कक उसकी माा क साथ तो बाप का वसा सबध पहल स ही ह तो उसक मन म बाप क परतत ईषटयाक और घरा जाग पड़ती ह | यह ववदवष उसक अवचतन मन म आजीवन बना रहता ह | इसी परकार लड़की अपन बाप क परतत सोचती ह और माा स ईषटयाक करती ह |

फरायड आग कहता ह इस मानलसक अवरोध क कारर मनषटय की गतत रक जाती ह |

ईडडपस कोऊमपलकस उसक सामन तरह-तरह क अवरोध खड़ करता ह | यह लसथतत कोई अपवाद नही ह वरन साधाररतया यही होता ह |

यह ककतना घखरत और हासयासपद परततपादन ह छोटा बचचा यौनाकाकषा स पीडडत होगा सो भी अपनी माा क परतत पश-पकषकषयो क बचच क शरीर म भी वासना तब उठती ह जब उनक शरीर परजनन क योगय सदढ हो जात ह | तो मनषटय क बालक म यह ववतत इतनी छोटी आय म कस पदा हो सकती ह और माा क साथ वसी तलपत करन कक उसकी शाररररक-मानलसक लसथतत भी नही होती | कफर तीन वषक क बालक को काम-किया और माा-बाप क रत रहन की जानकारी उस कहाा स हो जाती ह कफर वह यह कस समझ लता ह कक उस बाप स ईषटयाक करनी चादहए

बचच दवारा माा का दध पीन की किया को ऐस मनोववजञातनयो न रततसख क समककष बतलाया ह | यदद इस सतनपान को रततसख माना जाय तब तो आय बढन क साथ-साथ यह उसकठा भी परबलतर होती जानी चादहए और वयसक होन तक बालक को माता का दध ही पीत रहना चादहए | ककनत यह ककस परकार सभव ह

तो य ऐस बतक परततपादन ह कक लजनकी भससकना ही की जानी चादहए | फरायड न अपनी मानलसक ववकततयो को जनसाधारर पर थोपकर मनोववजञान को ववकत बना ददया |

जो लोग मानव समाज को पशता म चगरान स बचाना चाहत ह भावी पीढी का जीवन वपशाच होन स बचाना चाहत ह यवानो का शारीररक सवासथय मानलसक परसननता और बौदचधक सामथयक बनाय रखना चाहत ह इस दश क नागररको को एडस (AIDS) जसी घातक बीमाररयो स गरसत होन स रोकना चाहत ह सवसथ समाज का तनमाकर करना चाहत ह उन सबका यह नततक कववयक ह कक व हमारी गमराह यवा पीढी को यौवन सरकषा जसी पसतक पढाय |

यदद काम-ववकार उठा और हमन यह ठीक नही ह इसस मर बल-बदचध और तज का नाश होगा ऐसा समझकर उसको टाला नही और उसकी पतत क म लमपट होकर लग गय तो हमम और पशओ म अतर ही कया रहा पश तो जब उनकी कोई ववशष ऋत होती ह तभी मथन करत ह बाकी ऋतओ म नही | इस दलषटट स उनका जीवन सहज व पराकततक ढग का होता ह | परत मनषटय

मनषटय तो बारहो महीन काम-किया की छट लकर बठा ह और ऊपर स यह भी कहता ह कक यदद काम-वासना की पतत क करक सख नही ललया तो कफर ईशवर न मनषटय म जो इसकी रचना की ह उसका कया मतलब आप अपन को वववकपरक रोक नही पात हो छोट-छोट सखो म उलझ जात हो- इसका तो कभी खयाल ही नही करत और ऊपर स भगवान तक को अपन पापकमो म भागीदार बनाना चाहत हो

(अनिम)

आतिघाती तकय अभी कछ समय पवक मर पास एक पतर आया | उसम एक वयलकत न पछा था ldquoआपन सससग म कहा और एक पलसतका म भी परकालशत हआ कक lsquoबीड़ी लसगरट तमबाक आदद मत वपयो | ऐस वयसनो स बचो कयोकक य तमहार बल और तज का हरर करत ह helliprsquo यदद ऐसा ही ह तो भगवान न तमबाक आदद पदा ही कयो ककया rdquo

अब उन सजजन स य वयसन तो छोड़ नही जात और लग ह भगवान क पीछ | भगवान न गलाब क साथ कााट भी पदा ककय ह | आप फल छोड़कर कााट तो नही तोड़त भगवान न आग भी पदा की ह | आप उसम भोजन पकात हो अपना घर तो नही जलात भगवान न आक (मदार) धतर बबल आदद भी बनाय ह मगर उनकी तो आप सबजी नही बनात इन सब म तो आप अपनी बदचध का उपयोग करक वयवहार करत हो और जहाा आप हार जात हो जब आपका मन आपक कहन म नही होता तो आप लगत हो भगवान को दोष दन अर भगवान न तो बादाम-वपसत भी पदा ककय ह दध भी पदा ककया ह | उपयोग करना ह तो इनका करो जो आपक बल और बदचध की वदचध कर | पसा ही खचकना ह तो इनम खचो | यह तो होता नही और लग ह तमबाक क पीछ | यह बदचध का सदपयोग नही ह दरपयोग ह | तमबाक पीन स तो बदचध और भी कमजोर हो जायगी |

शरीर क बल बदचध की सरकषा क ललय वीयकरकषर बहत आवशयक ह | योगदशकन क lsquoसाधपादrsquo म बरहमचयक की महतता इन शबदो म बतायी गयी ह

बरहिचययपरततटठाया वीययलाभः ||37||

बरहमचयक की दढ लसथतत हो जान पर सामथयक का लाभ होता ह |

(अनिम)

सतरी परसग ककतनी बार

कफर भी यदद कोई जान-बझकर अपन सामथयक को खोकर शरीहीन बनना चाहता हो तो यह यनान

क परलसदध दाशकतनक सकरात क इन परलसदध वचनो को सदव याद रख | सकरात स एक वयलकत न पछा

ldquoपरष क ललए ककतनी बार सतरी-परसग करना उचचत ह rdquo

ldquoजीवन भर म कवल एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस तलपत न हो सक तो rdquo

ldquoतो वषक म एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस भी सतोष न हो तो rdquo

ldquoकफर महीन म एक बार |rdquo

इसस भी मन न भर तो rdquo

ldquoतो महीन म दो बार कर परनत मसय शीघर आ जायगी |rdquo

ldquoइतन पर भी इचछा बनी रह तो कया कर rdquo

इस पर सकरात न कहा

ldquoतो ऐसा कर कक पहल कबर खदवा ल कफर कफन और लकड़ी घर म लाकर तयार रख | उसक

पशचात जो इचछा हो सो कर |rdquo

सकरात क य वचन सचमच बड़ परररापरद ह | वीयककषय क दवारा लजस-लजसन भी सख लन का परयास ककया ह उनह घोर तनराशा हाथ लगी ह और अनत म शरीहीन होकर मसय का गरास बनना पड़ा

ह | कामभोग दवारा कभी तलपत नही होती और अपना अमकय जीवन वयथक चला जाता ह | राजा ययातत की कथा तो आपन सनी होगी |

(अनिम)

राजा ययातत का अनभव

शिाचायक क शाप स राजा ययातत यवावसथा म ही वदध हो गय थ | परनत बाद म ययातत क पराथकना करन पर शिाचायक न दयावश उनको यह शलकत द दी कक व चाह तो अपन पतरो स यवावसथा लकर अपना वाधककय उनह द सकत थ | तब ययातत न अपन पतर यद तवकस िहय और अन स उनकी जवानी माागी मगर व राजी न हए | अत म छोट पतर पर न अपन वपता को अपना यौवन दकर उनका बढापा ल ललया |

पनः यवा होकर ययातत न कफर स भोग भोगना शर ककया | व ननदनवन म ववशवाची नामक अपसरा क साथ रमर करन लग | इस परकार एक हजार वषक तक भोग भोगन क बाद भी भोगो स

जब व सतषटट नही हए तो उनहोन अपना बचा हआ यौवन अपन पतर पर को लौटात हए कहा

न जात कािः कािानािपभोगन शामयतत |

हषविा कटणवतिव भ य एवामभव यत ||

ldquoपतर मन तमहारी जवानी लकर अपनी रचच उससाह और समय क अनसार ववषटयो का सवन ककया लककन ववषयो की कामना उनक उपभोग स कभी शात नही होती अवपत घी की आहतत पड़न पर अलगन की भाातत वह अचधकाचधक बढती ही जाती ह |

रसनो स जड़ी हई सारी पथवी ससार का सारा सवरक पश और सनदर लसतरयाा व सब एक परष को लमल जाय तो भी व सबक सब उसक ललय पयाकपत नही होग | अतः तषटरा का सयाग कर दना चादहए |

छोटी बदचधवाल लोगो क ललए लजसका सयाग करना असयत कदठन ह जो मनषटय क बढ होन पर

भी सवय बढी नही होती तथा जो एक परारानतक रोग ह उस तषटरा को सयाग दनवाल परष को ही सख लमलता ह |rdquo (महाभारत आददपवाकखर सभवपवक 12)

ययातत का अनभव वसततः बड़ा मालमकक और मनषटय जातत ल ललय दहतकारी ह | ययातत आग कहत ह

ldquoपतर दखो मर एक हजार वषक ववषयो को भोगन म बीत गय तो भी तषटरा शात नही होती और आज भी परततददन उन ववषयो क ललय ही तषटरा पदा होती ह |

प ण वियसहसर ि षवियासकतचतसः |

तथापयनहदन तटणा िितटवमभजायत ||

इसललए पतर अब म ववषयो को छोड़कर बरहमाभयास म मन लगाऊा गा | तनदकवनदव तथा ममतारदहत होकर वन म मगो क साथ ववचरा गा | ह पतर तमहारा भला हो | तम पर म परसनन हा | अब तम अपनी जवानी पनः परापत करो और म यह राजय भी तमह ही अपकर करता हा |

इस परकार अपन पतर पर को राजय दकर ययातत न तपसया हत वनगमन ककया | उसी राजा पर स पौरव वश चला | उसी वश म परीकषकषत का पतर राजा जनमजय पदा हआ था |

(अनिम)

राजा िचकनद का परसग

राजा मचकनद गगाकचायक क दशकन-सससग क फलसवरप भगवान का दशकन पात ह | भगवान स सततत करत हए व कहत ह

ldquoपरभो मझ आपकी दढ भलकत दो |rdquo

तब भगवान कहत ह ldquoतन जवानी म खब भोग भोग ह ववकारो म खब डबा ह | ववकारी जीवन

जीनवाल को दढ भलकत नही लमलती | मचकनद दढ भलकत क ललए जीवन म सयम बहत जररी ह |

तरा यह कषतरतरय शरीर समापत होगा तब दसर जनम म तझ दढ भलकत परापत होगी |rdquo

वही राजा मचकनद कललयग म नरलसह महता हए |

जो लोग अपन जीवन म वीयकरकषा को महसव नही दत व जरा सोच कक कही व भी राजा ययातत का तो अनसरर नही कर रह ह यदद कर रह हो तो जस ययातत सावधान हो गय वस आप भी सावधान हो जाओ भया दहममत करो | सयान हो जाओ | दया करो | हम पर दया न करो तो अपन-आप पर तो दया करो भया दहममत करो भया सयान हो जाओ मर पयार जो हो गया उसकी चचनता न करो | आज स नवजीवन का परारभ करो | बरहमचयकरकषा क आसन पराकततक औषचधयाा इसयादद जानकर वीर बनो | ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

(अनिम)

गलत अभयास का दटपररणाि

आज ससार म ककतन ही ऐस अभाग लोग ह जो शगार रस की पसतक पढकर लसनमाओ क कपरभाव क लशकार होकर सवपनावसथा या जागरतावसथा म अथवा तो हसतमथन दवारा सपताह म ककतनी बार वीयकनाश कर लत ह | शरीर और मन को ऐसी आदत डालन स वीयाकशय बार-बार खाली होता रहता ह | उस वीयाकशय को भरन म ही शारीररक शलकत का अचधकतर भाग वयय होन लगता ह

लजसस शरीर को काततमान बनान वाला ओज सचचत ही नही हो पाता और वयलकत शलकतहीन

ओजहीन और उससाहशनय बन जाता ह | ऐस वयलकत का वीयक पतला पड़ता जाता ह | यदद वह समय पर अपन को साभाल नही सक तो शीघर ही वह लसथतत आ जाती ह कक उसक अणडकोश वीयक बनान म असमथक हो जात ह | कफर भी यदद थोड़ा बहत वीयक बनता ह तो वह भी पानी जसा ही बनता ह

लजसम सनतानोसपवतत की ताकत नही होती | उसका जीवन जीवन नही रहता | ऐस वयलकत की हालत मतक परष जसी हो जाती ह | सब परकार क रोग उस घर लत ह | कोई दवा उस पर असर नही कर पाती | वह वयलकत जीत जी नकक का दःख भोगता रहता ह | शासतरकारो न ललखा ह

आयसतजोबल वीय परजञा शरीशच िहदयशः |

पणय च परीततितव च हनयतऽबरहिचयाय ||

lsquoआय तज बल वीयक बदचध लकषमी कीततक यश तथा पणय और परीतत य सब बरहमचयक का पालन न करन स नषटट हो जात ह |rsquo

(अनिम)

वीययरकषण सदव सततय

इसीललए वीयकरकषा सतसय ह | lsquoअथवकवद म कहा गया ह

अतत सटिो अपा विभोऽततसटिा अगनयो हदवया ||1||

इद तितत सजामि त िाऽभयवतनकषकष ||2||

अथाकत lsquoशरीर म वयापत वीयक रपी जल को बाहर ल जान वाल शरीर स अलग कर दन वाल काम

को मन पर हटा ददया ह | अब म इस काम को अपन स सवकथा दर फ कता हा | म इस आरोगयता बल-बदचधनाशक काम का कभी लशकार नही होऊा गा |rsquo

hellip और इस परकार क सककप स अपन जीवन का तनमाकर न करक जो वयलकत वीयकनाश करता रहता ह उसकी कया गतत होगी इसका भी lsquoअथवकवदrsquo म उकलख आता ह

रजन परररजन िणन पररिणन |

मरोको िनोहा खनो तनदायह आतिद षिसतन द षिः ||

यह काम रोगी बनान वाला ह बहत बरी तरह रोगी करन वाला ह | मरन यानी मार दन वाला ह |

पररमरन यानी बहत बरी तरह मारन वाला ह |यह टढी चाल चलता ह मानलसक शलकतयो को नषटट कर दता ह | शरीर म स सवासथय बल आरोगयता आदद को खोद-खोदकर बाहर फ क दता ह | शरीर की सब धातओ को जला दता ह | आसमा को मललन कर दता ह | शरीर क वात वपतत कफ को दवषत करक उस तजोहीन बना दता ह |

बरहमचयक क बल स ही अगारपरक जस बलशाली गधवकराज को अजकन न परालजत कर ददया था |

(अनिम)

अजयन और अगारपणय ग वय अजकन अपन भाईयो सदहत िौपदी क सवयवर-सथल पाचाल दश की ओर जा रहा था तब बीच म गगा तट पर बस सोमाशरयार तीथक म गधवकराज अगारपरक (चचतररथ) न उसका रासता रोक ददया | वह गगा म अपनी लसतरयो क साथ जलकिड़ा कर रहा था | उसन पााचो पाडवो को कहा ldquoमर यहाा रहत हए

राकषस यकष दवता अथवा मनषटय कोई भी इस मागक स नही जा सकता | तम लोग जान की खर चाहत हो तो लौट जाओ |rdquo

तब अजकन कहता ह

ldquoम जानता हा कक समपरक गधवक मनषटयो स अचधक शलकतशाली होत ह कफर भी मर आग तमहारी दाल नही गलगी | तमह जो करना हो सो करो हम तो इधर स ही जायग |rdquo

अजकन क इस परततवाद स गधवक बहत िोचधत हआ और उसन पाडवो पर तीकषर बार छोड़ | अजकन

न अपन हाथ म जो जलती हई मशाल पकड़ी थी उसीस उसक सभी बारो को तनषटफल कर ददया | कफर गधवक पर आगनय असतर चला ददया | असतर क तज स गधवक का रथ जलकर भसम हो गया और

वह सवय घायल एव अचत होकर माह क बल चगर पड़ा | यह दखकर उस गधवक की पसनी कममीनसी बहत घबराई और अपन पतत की रकषाथक यचधलषटठर स पराथकना करन लगी | तब यचधलषटठर न अजकन स उस गधवक को अभयदान ददलवाया |

जब वह अगारपरक होश म आया तब बोला

ldquoअजकन म परासत हो गया इसललए अपन पवक नाम अगारपरक को छोड़ दता हा | म अपन ववचचतर

रथ क कारर चचतररथ कहलाता था | वह रथ भी आपन अपन परािम स दगध कर ददया ह | अतः अब

म दगधरथ कहलाऊा गा |

मर पास चाकषषी नामक ववदया ह लजस मन न सोम को सोम न ववशवावस को और ववशवावस न मझ परदान की ह | यह गर की ववदया यदद ककसी कायर को लमल जाय तो नषटट हो जाती ह | जो छः महीन तक एक पर पर खड़ा रहकर तपसया कर वही इस ववदया को पा सकता ह | परनत अजकन म आपको ऐसी तपसया क तरबना ही यह ववदया परदान करता हा |

इस ववदया की ववशषता यह ह कक तीनो लोको म कही भी लसथत ककसी वसत को आाख स दखन की इचछा हो तो उस उसी रप म इस ववदया क परभाव स कोई भी वयलकत दख सकता ह | अजकन

इस ववदया क बल पर हम लोग मनषटयो स शरषटठ मान जात ह और दवताओ क तकय परभाव ददखा सकत ह |rdquo

इस परकार अगारपरक न अजकन को चाकषषी ववदया ददवय घोड़ एव अनय वसतएा भट की |

अजकन न गधवक स पछा गधवक तमन हम पर एकाएक आिमर कयो ककया और कफर हार कयो गय rdquo

तब गधवक न बड़ा ममकभरा उततर ददया | उसन कहा

ldquoशतरओ को सताप दनवाल वीर यदद कोई कामासकत कषतरतरय रात म मझस यदध करन आता तो ककसी भी परकार जीववत नही बच सकता था कयोकक रात म हम लोगो का बल और भी बढ जाता ह |

अपन बाहबल का भरोसा रखन वाला कोई भी परष जब अपनी सतरी क सममख ककसीक दवारा अपना ततरसकार होत दखता ह तो सहन नही कर पाता | म जब अपनी सतरी क साथ जलिीड़ा कर

रहा था तभी आपन मझ ललकारा इसीललय म िोधाववषटट हआ और आप पर बारवषाक की | लककन यदद आप यह पछो कक म आपस परालजत कयो हआ तो उसका उततर ह

बरहिचय परो ियः स चाषप तनयतसवततय |

यसिात तसिादह पाथय रणऽषसि षवषजतसतवया ||

ldquoबरहमचयक सबस बड़ा धमक ह और वह आपम तनलशचत रप स ववदयमान ह | ह कनतीनदन

इसीललय यदध म म आपस हार गया हा |rdquo (महाभारत आददपवकखर चतररथ पवक 71)

हम समझ गय कक वीयकरकषर अतत आवशयक ह | अब वह कस हो इसकी चचाक करन स पवक एक बार

बरहमचयक का तालववक अथक ठीक स समझ ल |

(अनिम)

बरहिचयय का ताषततवक अथय lsquoबरहमचयकrsquo शबद बड़ा चचतताकषकक और पववतर शबद ह | इसका सथल अथक तो यही परलसदध ह कक

लजसन शादी नही की ह जो काम-भोग नही करता ह जो लसतरयो स दर रहता ह आदद-आदद | परनत यह बहत सतही और सीलमत अथक ह | इस अथक म कवल वीयकरकषर ही बरहमचयक ह | परनत रधयान रह

कवल वीयकरकषर मातर साधना ह मलजल नही | मनषटय जीवन का लकषय ह अपन-आपको जानना अथाकत

आसम-साकषासकार करना | लजसन आसम-साकषासकार कर ललया वह जीवनमकत हो गया | वह आसमा क

आननद म बरहमाननद म ववचरर करता ह | उस अब ससार स कछ पाना शष नही रहा | उसन आननद का सरोत अपन भीतर ही पा ललया | अब वह आननद क ललय ककसी भी बाहरी ववषय पर

तनभकर नही ह | वह परक सवततर ह | उसकी कियाएा सहज होती ह | ससार क ववषय उसकी आननदमय आलसमक लसथतत को डोलायमान नही कर सकत | वह ससार क तचछ ववषयो की पोल को समझकर अपन आननद म मसत हो इस भतल पर ववचरर करता ह | वह चाह लागोटी म हो चाह बहत स कपड़ो म घर म रहता हो चाह झोपड़ म गहसथी चलाता हो चाह एकानत जगल म ववचरता हो ऐसा महापरष ऊपर स भल कगाल नजर आता हो परनत भीतर स शहशाह होता ह कयोकक उसकी सब

वासनाएा सब कततकवय पर हो चक ह | ऐस वयलकत को ऐस महापरष को वीयकरकषर करना नही पड़ता सहज ही होता ह | सब वयवहार करत हए भी उनकी हर समय समाचध रहती ह | उनकी समाचध सहज

होती ह अखणड होती ह | ऐसा महापरष ही सचचा बरहमचारी होता ह कयोकक वह सदव अपन बरहमाननद म अवलसथत रहता ह |

सथल अथक म बरहमचयक का अथक जो वीयकरकषर समझा जाता ह उस अथक म बरहमचयक शरषटठ वरत ह

शरषटठ तप ह शरषटठ साधना ह और इस साधना का फल ह आसमजञान आसम-साकषासकार | इस

फलपरालपत क साथ ही बरहमचयक का परक अथक परकट हो जाता ह |

जब तक ककसी भी परकार की वासना शष ह तब तक कोई परक बरहमचयक को उपलबध नही हो सकता | जब तक आसमजञान नही होता तब तक परक रप स वासना तनवतत नही होती | इस वासना की तनववतत क ललय अतःकरर की शदचध क ललय ईशवर की परालपत क ललय सखी जीवन जीन क ललय

अपन मनषटय जीवन क सवोचच लकषय को परापत करन क ललय या कहो परमाननद की परालपत क ललयhellip कछ भी हो वीयकरकषररपी साधना सदव अब अवसथाओ म उततम ह शरषटठ ह और आवशयक ह

|

वीयकरकषर कस हो इसक ललय यहाा हम कछ सथल और सकषम उपायो की चचाक करग |

(अनिम)

3 वीययरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय काफी लोगो को यह भरम ह कक जीवन तड़क-भड़कवाला बनान स व समाज म ववशष मान जात ह | वसततः ऐसी बात नही ह | इसस तो कवल अपन अहकार का ही परदशकन होता ह | लाल रग क भड़कील एव रशमी कपड़ नही पहनो | तल-फलल और भाातत-भाातत क इतरो का परयोग करन स बचो | जीवन म लजतनी तड़क-भड़क बढगी इलनियाा उतनी चचल हो उठगी कफर वीयकरकषा तो दर की बात ह |

इततहास पर भी हम दलषटट डाल तो महापरष हम ऐस ही लमलग लजनका जीवन परारभ स ही सादगीपरक था | सादा रहन-सहन तो बडपपन का दयोतक ह | दसरो को दख कर उनकी अपराकततक व

अचधक आवशयकताओवाली जीवन-शली का अनसरर नही करो |

उपयकत आहार

ईरान क बादशाह वहमन न एक शरषटठ वदय स पछा

ldquoददन म मनषटय को ककतना खाना चादहएrdquo

ldquoसौ ददराम (अथाकत 31 तोला) | ldquoवदय बोला |

ldquoइतन स कया होगाrdquo बादशाह न कफर पछा |

वदय न कहा ldquoशरीर क पोषर क ललय इसस अचधक नही चादहए | इसस अचधक जो कछ खाया जाता ह वह कवल बोझा ढोना ह और आयषटय खोना ह |rdquo

लोग सवाद क ललय अपन पट क साथ बहत अनयाय करत ह ठास-ठासकर खात ह | यरोप का एक बादशाह सवाददषटट पदाथक खब खाता था | बाद म औषचधयो दवारा उलटी करक कफर स सवाद लन क

ललय भोजन करता रहता था | वह जकदी मर गया |

आप सवादलोलप नही बनो | लजहवा को तनयतरर म रखो | कया खाय कब खाय कस खाय और

ककतना खाय इसका वववक नही रखा तो पट खराब होगा शरीर को रोग घर लग वीयकनाश को परोससाहन लमलगा और अपन को पतन क रासत जान स नही रोक सकोग |

परमपवकक शात मन स पववतर सथान पर बठ कर भोजन करो | लजस समय नालसका का दादहना सवर (सयक नाड़ी) चाल हो उस समय ककया भोजन शीघर पच जाता ह कयोकक उस समय जठरालगन बड़ी परबल होती ह | भोजन क समय यदद दादहना सवर चाल नही हो तो उसको चाल कर दो | उसकी ववचध यह ह वाम ककषकष म अपन दादहन हाथ की मठठी रखकर ककषकष को जोर स दबाओ या बाायी (वाम) करवट लट जाओ | थोड़ी ही दर म दादहना यान सयक सवर चाल हो जायगा |

रातरतर को बाायी करवट लटकर ही सोना चादहए | ददन म सोना उचचत नही ककनत यदद सोना आवशयक हो तो दादहनी करवट ही लटना चादहए |

एक बात का खब खयाल रखो | यदद पय पदाथक लना हो तो जब चनि (बााया) सवर चाल हो तभी लो | यदद सयक (दादहना) सवर चाल हो और आपन दध काफी चाय पानी या कोई भी पय पदाथक ललया तो वीयकनाश होकर रहगा | खबरदार सयक सवर चल रहा हो तब कोई भी पय पदाथक न वपयो | उस

समय यदद पय पदाथक पीना पड़ तो दादहना नथना बनद करक बााय नथन स शवास लत हए ही वपयो |

रातरतर को भोजन कम करो | भोजन हकका-सपाचय हो | बहत गमक-गमक और दर स पचन वाला गररषटठ भोजन रोग पदा करता ह | अचधक पकाया हआ तल म तला हआ लमचक-मसालयकत तीखा खटटा चटपटदार भोजन वीयकनाडड़यो को कषबध करता ह | अचधक गमक भोजन और गमक चाय स दाात कमजोर होत ह | वीयक भी पतला पड़ता ह |

भोजन खब चबा-चबाकर करो | थक हए हो तो तसकाल भोजन न करो | भोजन क तरत बाद

पररशरम न करो |

भोजन क पहल पानी न वपयो | भोजन क बीच म तथा भोजन क एकाध घट क बाद पानी पीना दहतकर होता ह |

रातरतर को सभव हो तो फलाहार लो | अगर भोजन लना पड़ तो अकपाहार ही करो | बहत रात गय भोजन या फलाहार करना दहतावह नही ह | कबज की लशकायत हो तो 50 गराम लाल कफटकरी तव पर

फलाकर कटकर कपड़ स छानकर बोतल म भर लो | रातरतर म 15 गराम सौफ एक चगलास पानी म लभगो दो | सबह उस उबाल कर छान लो और ड़ढ गराम कफटकरी का पाउडर लमलाकर पी लो | इसस कबज व बखार भी दर होता ह | कबज तमाम तरबमाररयो की जड़ ह | इस दर करना आवशयक ह |

भोजन म पालक परवल मथी बथआ आदद हरी तरकाररयाा दध घी छाछ मकखन पक हए फल

आदद ववशष रप स लो | इसस जीवन म सालववकता बढगी | काम िोध मोह आदद ववकार घटग | हर कायक म परसननता और उससाह बना रहगा |

रातरतर म सोन स पवक गमक-गमक दध नही पीना चादहए | इसस रात को सवपनदोष हो जाता ह |

कभी भी मल-मतर की लशकायत हो तो उस रोको नही | रोक हए मल स भीतर की नाडड़याा कषबध होकर वीयकनाश कराती ह |

पट म कबज होन स ही अचधकाशतः रातरतर को वीयकपात हआ करता ह | पट म रका हआ मल

वीयकनाडड़यो पर दबाव डालता ह तथा कबज की गमी स ही नाडड़याा कषलभत होकर वीयक को बाहर

धकलती ह | इसललय पट को साफ रखो | इसक ललय कभी-कभी तरतरफला चरक या lsquoसतकपा चरकrsquo या lsquoइसबगलrsquo पानी क साथ ललया करो | अचधक ततकत खटटी चरपरी और बाजार औषचधयाा उततजक होती ह उनस बचो | कभी-कभी उपवास करो | पट को आराम दन क ललय कभी-कभी तनराहार भी रह सकत हो तो अचछा ह |

आहार पचतत मशखी दोिान आहारवषजयतः |

अथाकत पट की अलगन आहार को पचाती ह और उपवास दोषो को पचाता ह | उपवास स

पाचनशलकत बढती ह |

उपवास अपनी शलकत क अनसार ही करो | ऐसा न हो कक एक ददन तो उपवास ककया और दसर ददन लमषटठानन-लडड आदद पट म ठास-ठास कर उपवास की सारी कसर तनकाल दी | बहत अचधक

भखा रहना भी ठीक नही |

वस उपवास का सही अथक तो होता ह बरहम क परमासमा क तनकट रहना | उप यानी समीप और

वास यानी रहना | तनराहार रहन स भगवदभजन और आसमचचतन म मदद लमलती ह | ववतत अनतमकख

होन स काम-ववकार को पनपन का मौका ही नही लमल पाता |

मदयपान पयाज लहसन और मासाहार ndash य वीयककषय म मदद करत ह अतः इनस अवशय बचो |

(अनिम)

मशशनषनरय सनान

शौच क समय एव लघशका क समय साथ म चगलास अथवा लोट म ठड़ा जल लकर जाओ और उसस लशशनलनिय को धोया करो | कभी-कभी उस पर ठड़ पानी की धार ककया करो | इसस कामववतत का शमन होता ह और सवपनदोष नही होता |

उधचत आसन एव वयायाि करो

सवसथ शरीर म सवसथ मन का तनवास होता ह | अगरजी म कहत ह A healthy mind

resides in a healthy body

लजसका शरीर सवसथ नही रहता उसका मन अचधक ववकारगरसत होता ह | इसललय रोज परातः वयायाम एव आसन करन का तनयम बना लो |

रोज परातः काल 3-4 लमनट दौड़न और तजी स टहलन स भी शरीर को अचछा वयायाम लमल

जाता ह |

सयकनमसकार 13 अथवा उसस अचधक ककया करो तो उततम ह | इसम आसन व वयायाम दोनो का समावश होता ह |

lsquoवयायामrsquo का अथक पहलवानो की तरह मासपलशयाा बढाना नही ह | शरीर को योगय कसरत लमल जाय ताकक उसम रोग परवश न कर और शरीर तथा मन सवसथ रह ndash इतना ही उसम हत ह |

वयायाम स भी अचधक उपयोगी आसन ह | आसन शरीर क समचचत ववकास एव बरहमचयक-साधना क ललय असयत उपयोगी लसदध होत ह | इनस नाडड़याा शदध होकर सववगर की वदचध होती ह | वस तो शरीर क अलग-अलग अगो की पलषटट क ललय अलग-अलग आसन होत ह परनत वीयकरकषा की दलषटट स मयरासन पादपलशचमोततानासन सवाागासन थोड़ी बहत सावधानी रखकर हर कोई कर सकता ह |

इनम स पादपलशचमोततानासन तो बहत ही उपयोगी ह | आशरम म आनवाल कई साधको का यह तनजी अनभव ह |

ककसी कशल योग-परलशकषक स य आसन सीख लो और परातःकाल खाली पट शदध हवा म ककया करो | शौच सनान वयायाम आदद क पशचात ही आसन करन चादहए |

सनान स पवक सख तौललय अथवा हाथो स सार शरीर को खब रगड़ो | इस परकार क घषकर स शरीर

म एक परकार की ववदयत शलकत पदा होती ह जो शरीर क रोगो को नषटट करती ह | शवास तीवर गतत

स चलन पर शरीर म रकत ठीक सचरर करता ह और अग-परसयग क मल को तनकालकर फफड़ो म लाता ह | फफड़ो म परववषटट शदध वाय रकत को साफ कर मल को अपन साथ बाहर तनकाल ल जाती ह | बचा-खचा मल पसीन क रप म सवचा क तछिो दवारा बाहर तनकल आता ह | इस परकार शरीर पर घषकर करन क बाद सनान करना अचधक उपयोगी ह कयोकक पसीन दवारा बाहर तनकला हआ मल उसस धल जाता ह सवचा क तछि खल जात ह और बदन म सफततक का सचार होता ह |

(अनिम)

बरहििह तय ि उठो

सवपनदोष अचधकाशतः रातरतर क अततम परहर म हआ करता ह | इसललय परातः चार-साढ चार बज यानी बरहममहतक म ही शया का सयाग कर दो | जो लोग परातः काल दरी तक सोत रहत ह उनका जीवन तनसतज हो जाता ह |

दवययसनो स द र रहो

शराब एव बीड़ी-लसगरट-तमबाक का सवन मनषटय की कामवासना को उदयीपत करता ह |

करान शरीफ क अकलाहपाक तरतरकोल रोशल क लसपारा म ललखा ह कक शतान का भड़काया हआ

मनषटय ऐसी नशायकत चीजो का उपयोग करता ह | ऐस वयलकत स अकलाह दर रहता ह कयोकक यह काम शतान का ह और शतान उस आदमी को जहननम म ल जाता ह |

नशीली वसतओ क सवन स फफड़ और हदय कमजोर हो जात ह सहनशलकत घट जाती ह और

आयषटय भी कम हो जाता ह | अमरीकी डॉकटरो न खोज करक बतलाया ह कक नशीली वसतओ क सवन स कामभाव उततलजत होन पर वीयक पतला और कमजोर पड़ जाता ह |

(अनिम)

सतसग करो

आप सससग नही करोग तो कसग अवशय होगा | इसललय मन वचन कमक स सदव सससग का ही सवन करो | जब-जब चचतत म पततत ववचार डरा जमान लग तब-तब तरत सचत हो जाओ और वह सथान छोड़कर पहाच जाओ ककसी सससग क वातावरर म ककसी सलनमतर या ससपरष क सालननरधय म | वहाा व कामी ववचार तरबखर जायग और आपका तन-मन पववतर हो जायगा | यदद ऐसा नही ककया तो व पततत ववचार आपका पतन ककय तरबना नही छोड़ग कयोकक जो मन म होता ह दर-सबर उसीक अनसार बाहर की किया होती ह | कफर तम पछताओग कक हाय यह मझस कया हो गया

पानी का सवभाव ह नीच की ओर बहना | वस ही मन का सवभाव ह पतन की ओर सगमता स बढना | मन हमशा धोखा दता ह | वह ववषयो की ओर खीचता ह कसगतत म सार ददखता ह लककन

वह पतन का रासता ह | कसगतत म ककतना ही आकषकर हो मगरhellip

षजसक पीछ हो गि की कतार भ लकर उस खशी स न खलो |

अभी तक गत जीवन म आपका ककतना भी पतन हो चका हो कफर भी सससगतत करो | आपक उसथान की अभी भी गजाइश ह | बड़-बड़ दजकन भी सससग स सजजन बन गय ह |

शठ स रहह सतसगतत पाई |

सससग स वचचत रहना अपन पतन को आमतरतरत करना ह | इसललय अपन नतर करक सवचा आदद सभी को सससगरपी गगा म सनान करात रहो लजसस कामववकार आप पर हावी न हो सक |

(अनिम)

शभ सकलप करो

lsquoहम बरहमचयक का पालन कस कर सकत ह बड़-बड़ ॠवष-मतन भी इस रासत पर कफसल पड़त हhelliprsquo ndash इस परकार क हीन ववचारो को ततलाजलल द दो और अपन सककपबल को बढाओ | शभ सककप करो | जसा आप सोचत हो वस ही आप हो जात हो | यह सारी सलषटट ही सककपमय ह |

दढ सककप करन स वीयकरकषर म मदद होती ह और वीयकरकषर स सककपबल बढता ह | षवशवासो फलदायकः | जसा ववशवास और जसी शरदधा होगी वसा ही फल परापत होगा | बरहमजञानी महापरषो म यह सककपबल असीम होता ह | वसततः बरहमचयक की तो व जीती-जागती मततक ही होत ह |

(अनिम)

बतरबन यकत पराणायाि और योगाभयास करो

तरतरबनध करक परारायाम करन स ववकारी जीवन सहज भाव स तनववककाररता म परवश करन लगता ह | मलबनध स ववकारो पर ववजय पान का सामथयक आता ह | उडडडयानबनध स आदमी उननतत म ववलकषर उड़ान ल सकता ह | जालनधरबनध स बदचध ववकलसत होती ह |

अगर कोई वयलकत अनभवी महापरष क सालननरधय म तरतरबनध क साथ परततददन 12 परारायाम कर तो परसयाहार लसदध होन लगगा | 12 परसयाहार स धाररा लसदध होन लगगी | धाररा-शलकत बढत ही परकतत क रहसय खलन लगग | सवभाव की लमठास बदचध की ववलकषरता सवासथय की सौरभ आन लगगी | 12 धाररा लसदध होन पर रधयान लगगा सववककप समाचध होन लगगी | सववककप समाचध का 12 गना समय पकन पर तनववकककप समाचध लगगी |

इस परकार छः महीन अभयास करनवाला साधक लसदध योगी बन सकता ह | ररदचध-लसदचधयाा उसक आग हाथ जोड़कर खड़ी रहती ह | यकष गधवक ककननर उसकी सवा क ललए उससक होत ह | उस

पववतर परष क तनकट ससारी लोग मनौती मानकर अपनी मनोकामना परक कर सकत ह | साधन करत समय रग-रग म इस महान लकषय की परालपत क ललए धन लग जाय|

बरहमचयक-वरत पालन वाला साधक पववतर जीवन जीनवाला वयलकत महान लकषय की परालपत म सफल हो सकता ह |

ह लमतर बार-बार असफल होन पर भी तम तनराश मत हो | अपनी असफलताओ को याद करक हार हए जआरी की तरह बार-बार चगरो मत | बरहमचयक की इस पसतक को कफर-कफर स पढो | परातः तनिा स उठत समय तरबसतर पर ही बठ रहो और दढ भावना करो

ldquoमरा जीवन परकतत की थपपड़ खाकर पशओ की तरह नषटट करन क ललए नही ह | म अवशय

परषाथक करा गा आग बढागा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

मर भीतर परबरहम परमासमा का अनपम बल ह | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

तचछ एव ववकारी जीवन जीनवाल वयलकतयो क परभाव स म अपनको ववतनमककत करता जाऊा गा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

सबह म इस परकार का परयोग करन स चमसकाररक लाभ परापत कर सकत हो | सवकतनयनता सवशवर को कभी पयार करो hellip कभी पराथकना करो hellip कभी भाव स ववहवलता स आतकनाद करो | व अनतयाकमी परमासमा हम अवशय मागकदशकन दत ह | बल-बदचध बढात ह | साधक तचछ ववकारी जीवन पर ववजयी होता जाता ह | ईशवर का असीम बल तमहार साथ ह | तनराश मत हो भया हताश मत हो | बार-बार कफसलन पर भी सफल होन की आशा और उससाह मत छोड़ो |

शाबाश वीर hellip शाबाश hellip दहममत करो दहममत करो | बरहमचयक-सरकषा क उपायो को बार-बार पढो सकषमता स ववचार करो | उननतत क हर कषतर म तम आसानी स ववजता हो सकत हो |

करोग न दहममत

अतत खाना अतत सोना अतत बोलना अतत यातरा करना अतत मथन करना अपनी सषपत

योगयताओ को धराशायी कर दता ह जबकक सयम और परषाथक सषपत योगयताओ को जगाकर

जगदीशवर स मलाकात करा दता ह |

(अनिम)

नीि का पड चला

हमार सदगरदव परम पजय लीलाशाहजी महाराज क जीवन की एक घटना बताता हा

लसध म उन ददनो ककसी जमीन की बात म दहनद और मसलमानो का झगड़ा चल रहा था | उस जमीन पर नीम का एक पड़ खड़ा था लजसस उस जमीन की सीमा-तनधाकरर क बार म कछ

वववाद था | दहनद और मसलमान कोटक-कचहरी क धकक खा-खाकर थक | आखखर दोनो पकषो न यह तय ककया कक यह धालमकक सथान ह | दोनो पकषो म स लजस पकष का कोई पीर-फकीर उस सथान पर

अपना कोई ववशष तज बल या चमसकार ददखा द वह जमीन उसी पकष की हो जायगी |

पजय लीलाशाहजी बाप का नाम पहल lsquoलीलारामrsquo था | लोग पजय लीलारामजी क पास पहाच और बोल ldquoहमार तो आप ही एकमातर सत ह | हमस जो हो सकता था वह हमन ककया परनत

असफल रह | अब समगर दहनद समाज की परततषटठा आपशरी क चररो म ह |

इसा की अजि स जब द र ककनारा होता ह |

त फा ि ि िी ककशती का एक भगवान ककनारा होता ह ||

अब सत कहो या भगवान कहो आप ही हमारा सहारा ह | आप ही कछ करग तो यह धमकसथान

दहनदओ का हो सकगा |rdquo

सत तो मौजी होत ह | जो अहकार लकर ककसी सत क पास जाता ह वह खाली हाथ लौटता ह

और जो ववनमर होकर शररागतत क भाव स उनक सममख जाता ह वह सब कछ पा लता ह | ववनमर और शरदधायकत लोगो पर सत की कररा कछ दन को जकदी उमड़ पड़ती ह |

पजय लीलारामजी उनकी बात मानकर उस सथान पर जाकर भलम पर दोनो घटनो क बीच लसर नीचा ककय हए शात भाव स बठ गय |

ववपकष क लोगो न उनह ऐसी सरल और सहज अवसथा म बठ हए दखा तो समझ ललया कक य

लोग इस साध को वयथक म ही लाय ह | यह साध कया करगा hellip जीत हमारी होगी |

पहल मलसलम लोगो दवारा आमतरतरत पीर-फकीरो न जाद-मतर टोन-टोटक आदद ककय | lsquoअला बााधा बला बााधाhellip पथवी बााधाhellip तज बााधाhellip वाय बााधाhellip आकाश बााधाhellip फऽऽऽlsquo आदद-आदद ककया | कफर पजय लीलाराम जी की बारी आई |

पजय लीलारामजी भल ही साधारर स लग रह थ परनत उनक भीतर आसमाननद दहलोर ल रहा था | lsquoपथवी आकाश कया समगर बरहमाणड म मरा ही पसारा हhellip मरी सतता क तरबना एक पतता भी नही दहल सकताhellip य चााद-लसतार मरी आजञा म ही चल रह हhellip सवकतर म ही इन सब ववलभनन रपो म ववलास कर रहा हाhelliprsquo ऐस बरहमाननद म डब हए व बठ थ |

ऐसी आसममसती म बठा हआ ककनत बाहर स कगाल जसा ददखन वाला सत जो बोल द उस घदटत होन स कौन रोक सकता ह

वलशषटठ जी कहत ह ldquoह रामजी तरतरलोकी म ऐसा कौन ह जो सत की आजञा का उकलघन कर

सक rdquo

जब लोगो न पजय लीलारामजी स आगरह ककया तो उनहोन धीर स अपना लसर ऊपर की ओर

उठाया | सामन ही नीम का पड़ खड़ा था | उस पर दलषटट डालकर गजकना करत हए आदशासमक भाव स बोल उठ

ldquoऐ नीम इधर कया खड़ा ह जा उधर हटकर खड़ा रह |rdquo

बस उनका कहना ही था कक नीम का पड lsquoसरकरकhellip सरकरकhelliprsquo करता हआ दर जाकर पवकवत खड़ा हो गया |

लोग तो यह दखकर आवाक रह गय आज तक ककसी न ऐसा चमसकार नही दखा था | अब

ववपकषी लोग भी उनक परो पड़न लग | व भी समझ गय कक य कोई लसदध महापरष ह |

व दहनदओ स बोल ldquoय आपक ही पीर नही ह बलकक आपक और हमार सबक पीर ह | अब स य

lsquoलीलारामrsquo नही ककत lsquoलीलाशाहrsquo ह |

तब स लोग उनका lsquoलीलारामrsquo नाम भल ही गय और उनह lsquoलीलाशाहrsquo नाम स ही पकारन लग | लोगो न उनक जीवन म ऐस-ऐस और भी कई चमसकार दख |

व 93 वषक की उमर पार करक बरहमलीन हए | इतन वदध होन पर भी उनक सार दाात सरकषकषत थ

वारी म तज और बल था | व तनयलमत रप स आसन एव परारायाम करत थ | मीलो पदल यातरा करत थ | व आजनम बरहमचारी रह | उनक कपा-परसाद दवारा कई पतरहीनो को पतर लमल गरीबो को धन लमला तनरससादहयो को उससाह लमला और लजजञासओ का साधना-मागक परशसत हआ | और भी कया-कया हआ

यह बतान जाऊा गा तो ववषयानतर होगा और समय भी अचधक नही ह | म यह बताना चाहता हा कक

उनक दवारा इतन चमसकार होत हए भी उनकी महानता चमसकारो म तनदहत नही ह | उनकी महानता तो उनकी बरहमतनषटठता म तनदहत थी |

छोट-मोट चमसकार तो थोड़ बहत अभयास क दवारा हर कोई कर लता ह मगर बरहमतनषटठा तो चीज ही कछ और ह | वह तो सभी साधनाओ की अततम तनषटपतत ह | ऐसा बरहमतनषटठ होना ही तो वासतववक बरहमचारी होना ह | मन पहल भी कहा ह कक कवल वीयकरकषा बरहमचयक नही ह | यह तो बरहमचयक की साधना ह | यदद शरीर दवारा वीयकरकषा हो और मन-बदचध म ववषयो का चचतन चलता रह

तो बरहमतनषटठा कहाा हई कफर भी वीयकरकषा दवारा ही उस बरहमाननद का दवार खोलना शीघर सभव होता ह | वीयकरकषर हो और कोई समथक बरहमतनषटठ गर लमल जाय तो बस कफर और कछ करना शष नही रहता | कफर वीयकरकषर करन म पररशरम नही करना पड़ता वह सहज होता ह | साधक लसदध बन जाता ह | कफर तो उसकी दलषटट मातर स कामक भी सयमी बन जाता ह |

सत जञानशवर महाराज लजस चबतर पर बठ थ उसीको कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा | ऐस ही पजयपाद लीलाशाहजी बाप न नीम क पड़ को कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा और जाकर दसरी जगह खड़ा हो गया | यह सब सककप बल का चमसकार ह | ऐसा सककप बल आप भी बढा सकत ह |

वववकाननद कहा करत थ कक भारतीय लोग अपन सककप बल को भल गय ह इसीललय गलामी का दःख भोग रह ह | lsquoहम कया कर सकत हhelliprsquo ऐस नकारासमक चचतन दवारा व सककपहीन हो गय ह जबकक अगरज का बचचा भी अपन को बड़ा उससाही समझता ह और कायक म सफल हो जाता ह

कयोकक व ऐसा ववचार करता ह lsquoम अगरज हा | दतनया क बड़ भाग पर हमारी जातत का शासन रहा ह | ऐसी गौरवपरक जातत का अग होत हए मझ कौन रोक सकता ह सफल होन स म कया नही कर

सकता rsquo lsquoबस ऐसा ववचार ही उस सफलता द दता ह |

जब अगरज का बचचा भी अपनी जातत क गौरव का समरर कर दढ सककपवान बन सकता ह तो आप कयो नही बन सकत

ldquoम ॠवष-मतनयो की सतान हा | भीषटम जस दढपरततजञ परषो की परमपरा म मरा जनम हआ ह |

गगा को पथवी पर उतारनवाल राजा भगीरथ जस दढतनशचयी महापरष का रकत मझम बह रहा ह |

समि को भी पी जानवाल अगससय ॠवष का म वशज हा | शरी राम और शरीकषटर की अवतार-भलम

भारत म जहाा दवता भी जनम लन को तरसत ह वहाा मरा जनम हआ ह कफर म ऐसा दीन-हीन

कयो म जो चाहा सो कर सकता हा | आसमा की अमरता का ददवय जञान का परम तनभकयता का सदश सार ससार को लजन ॠवषयो न ददया उनका वशज होकर म दीन-हीन नही रह सकता | म अपन रकत क तनभकयता क ससकारो को जगाकर रहागा | म वीयकवान बनकर रहागा |rdquo ऐसा दढ सककप हरक भारतीय बालक को करना चादहए |

(अनिम)

सतरी-जातत क परतत िातभाव परबल करो शरी रामकषटर परमहस कहा करत थ ldquo ककसी सदर सतरी पर नजर पड़ जाए तो उसम माा जगदमबा क दशकन करो | ऐसा ववचार करो कक यह अवशय दवी का अवतार ह तभी तो इसम इतना सौदयक ह | माा परसनन होकर इस रप म दशकन द रही ह ऐसा समझकर सामन खड़ी सतरी को मन-ही-मन परराम करो | इसस तमहार भीतर काम ववकार नही उठ सकगा |

िातवत परदारि पररवयि लोटिवत |

पराई सतरी को माता क समान और पराए धन को लमटटी क ढल क समान समझो |

(अनिम)

मशवाजी का परसग

लशवाजी क पास ककयार क सबदार की लसतरयो को लाया गया था तो उस समय उनहोन यही आदशक उपलसथत ककया था | उनहोन उन लसतरयो को lsquoमााrsquo कहकर पकारा तथा उनह कई उपहार दकर

सममान सदहत उनक घर वापस भज ददया | लशवाजी परम गर समथक रामदास क लशषटय थ |

भारतीय सभयता और ससकतत म माता को इतना पववतर सथान ददया गया ह कक यह मातभाव मनषटय को पततत होत-होत बचा लता ह | शरी रामकषटर एव अनय पववतर सतो क समकष जब कोई सतरी कचषटटा करना चाहती तब व सजजन साधक सत यह पववतर मातभाव मन म लाकर ववकार क फद स बच जात | यह मातभाव मन को ववकारी होन स बहत हद तक रोक रखता ह | जब भी ककसी सतरी को दखन पर मन म ववकार उठन लग उस समय सचत रहकर इस मातभाव का परयोग कर ही लना चादहए |

(अनिम)

अजयन और उवयशी

अजकन सशरीर इनि सभा म गया तो उसक सवागत म उवकशी रमभा आदद अपसराओ न नसय ककय | अजकन क रप सौनदयक पर मोदहत हो उवकशी रातरतर क समय उसक तनवास सथान पर गई और

पररय-तनवदन ककया तथा साथ ही इसम कोई दोष नही लगता इसक पकष म अनक दलील भी की | ककनत अजकन न अपन दढ इलनियसयम का पररचय दत हए कह

गचछ मरधनाक परपननोऽलसम पादौ त वरवखरकनी | सव दह म मातवत पजया रकषयोऽह पतरवत सवया ||

( महाभारत वनपवकखर इनिलोकालभगमनपवक ४६४७)

मरी दलषटट म कनती मािी और शची का जो सथान ह वही तमहारा भी ह | तम मर ललए माता क समान पजया हो | म तमहार चररो म परराम करता हा | तम अपना दरागरह छोड़कर लौट जाओ

| इस पर उवकशी न िोचधत होकर उस नपसक होन का शाप द ददया | अजकन न उवकशी स शावपत होना सवीकार ककया परनत सयम नही तोड़ा | जो अपन आदशक स नही हटता धयक और सहनशीलता को अपन चररतर का भषर बनाता ह उसक ललय शाप भी वरदान बन जाता ह | अजकन क ललय भी ऐसा ही हआ | जब इनि तक यह बात पहाची तो उनहोन अजकन को कहा तमन इलनिय सयम क दवारा ऋवषयो को भी परालजत कर ददया | तम जस पतर को पाकर कनती वासतव म शरषटठ पतरवाली ह |

उवकशी का शाप तमह वरदान लसदध होगा | भतल पर वनवास क १३व वषक म अजञातवास करना पड़गा उस समय यह सहायक होगा | उसक बाद तम अपना परषसव कफर स परापत कर लोग | इनि क

कथनानसार अजञातवास क समय अजकन न ववराट क महल म नतकक वश म रहकर ववराट की

राजकमारी को सगीत और नसय ववदया लसखाई थी और इस परकार वह शाप स मकत हआ था | परसतरी क परतत मातभाव रखन का यह एक सदर उदाहरर ह | ऐसा ही एक उदाहरर वाकमीकककत

रामायर म भी आता ह | भगवान शरीराम क छोट भाई लकषमर को जब सीताजी क गहन पहचानन को कहा गया तो लकषमर जी बोल ह तात म तो सीता माता क परो क गहन और नपर ही पहचानता हा जो मझ उनकी चररवनदना क समय दलषटटगोचर होत रहत थ | कयर-कणडल आदद दसर

गहनो को म नही जानता | यह मातभाववाली दलषटट ही इस बात का एक बहत बड़ा कारर था कक

लकषमरजी इतन काल तक बरहमचयक का पालन ककय रह सक | तभी रावरपतर मघनाद को लजस इनि भी नही हरा सका था लकषमरजी हरा पाय | पववतर मातभाव दवारा वीयकरकषर का यह अनपम उदाहरर ह जो बरहमचयक की महतता भी परकट करता ह |

(अनिम)

सतसाहहतय पढ़ो

जसा सादहसय हम पढत ह वस ही ववचार मन क भीतर चलत रहत ह और उनहीस हमारा सारा वयवहार परभाववत होता ह | जो लोग कलससत ववकारी और कामोततजक सादहसय पढत ह व कभी ऊपर नही उठ सकत | उनका मन सदव काम-ववषय क चचतन म ही उलझा रहता ह और इसस व अपनी वीयकरकषा करन म असमथक रहत ह | गनद सादहसय कामकता का भाव पदा करत ह | सना गया ह कक पाशचासय जगत स परभाववत कछ नराधम चोरी-तछप गनदी कफकमो का परदशकन करत ह जो अपना और अपन सपकक म आनवालो का ववनाश करत ह | ऐस लोग मदहलाओ कोमल वय की कनयाओ तथा ककशोर एव यवावसथा म पहाच हए बचचो क साथ बड़ा अनयाय करत ह | बकय कफकम दखन-ददखानवाल महा अधम कामानध लोग मरन क बाद शकर ककर आदद योतनयो म जनम लकर अथवा गनदी नाललयो क कीड़ बनकर छटपटात हए दख भोगग ही | तनदोष कोमलवय क नवयवक उन दषटटो क लशकार न बन इसक ललए सरकार और समाज को सावधान रहना चादहए |

बालक दश की सपवतत ह | बरहमचयक क नाश स उनका ववनाश हो जाता ह | अतः नवयवको को मादक िवयो गनद सादहसयो व गनदी कफकमो क दवारा बबाकद होन स बचाया जाय | व ही तो राषटर क भावी करकधार ह | यवक-यवततयाा तजसवी हो बरहमचयक की मदहमा समझ इसक ललए हम सब लोगो का कततकवय ह कक सकलो-कालजो म ववदयाचथकयो तक बरहमचयक पर ललखा गया सादहसय पहाचाय | सरकार का यह नततक कततकवय ह कक वह लशकषा परदान कर बरहमचयक ववशय पर ववदयाचथकयो को

सावधान कर ताकक व तजसवी बन | लजतन भी महापरष हए ह उनक जीवन पर दलषटटपात करो तो उन पर ककसी-न-ककसी सससादहसय की छाप लमलगी | अमररका क परलसदध लखक इमसकन क गर थोरो बरहमचयक का पालन करत थ | उनहो न ललखा ह म परततददन गीता क पववतर जल स सनान करता हा | यदयवप इस पसतक को ललखनवाल दवताओ को अनक वषक वयतीत हो गय लककन इसक बराबर की कोई पसतक अभी तक नही तनकली ह |

योगशवरी माता गीता क ललए दसर एक ववदशी ववदवान इगलणड क एफ एच मोलम कहत ह बाइतरबल का मन यथाथक अभयास ककया ह | जो जञान गीता म ह वह ईसाई या यदही बाइतरबलो म नही ह | मझ यही आशचयक होता ह कक भारतीय नवयवक यहाा इगलणड तक पदाथक ववजञान सीखन कयो आत ह तनसदह पाशचासयो क परतत उनका मोह ही इसका कारर ह | उनक भोलभाल हदयो न तनदकय और अववनमर पलशचमवालसयो क ददल अभी पहचान नही ह | इसीललए उनकी लशकषा स लमलनवाल पदो की लालच स व उन सवाचथकयो क इनिजाल म फसत ह | अनयथा तो लजस दश या समाज को गलामी स छटना हो उसक ललए तो यह अधोगतत का ही मागक ह |

म ईसाई होत हए भी गीता क परतत इतना आदर-मान इसललए रखता हा कक लजन गढ परशनो का हल पाशचासय वजञातनक अभी तक नही कर पाय उनका हल इस गीता गरथ न शदध और सरल

रीतत स द ददया ह | गीता म ककतन ही सतर आलौककक उपदशो स भरपर दख इसी कारर गीताजी मर ललए साकषात योगशवरी माता बन गई ह | ववशव भर म सार धन स भी न लमल सक भारतवषक का यह ऐसा अमकय खजाना ह |

सपरलसदध पतरकार पॉल तरबरलनटन सनातन धमक की ऐसी धालमकक पसतक पढकर जब परभाववत हआ तभी वह दहनदसतान आया था और यहाा क रमर महवषक जस महासमाओ क दशकन करक धनय हआ था | दशभलकतपरक सादहसय पढकर ही चनिशखर आजाद भगतलसह वीर सावरकर जस रसन अपन जीवन को दशादहत म लगा पाय |

इसललय सससादहसय की तो लजतनी मदहमा गाई जाय उतनी कम ह | शरीयोगवलशषटठ

महारामायर उपतनषद दासबोध सखमतन वववकचड़ामखर शरी रामकषटर सादहसय सवामी रामतीथक क

परवचन आदद भारतीय ससकतत की ऐसी कई पसतक ह लजनह पढो और उनह अपन दतनक जीवन का अग बना लो | ऐसी-वसी ववकारी और कलससत पसतक-पलसतकाएा हो तो उनह उठाकर कचर ल ढर पर फ क दो या चकह म डालकर आग तापो मगर न तो सवय पढो और न दसर क हाथ लगन दो |

इस परकार क आरधयालसमक सदहसय-सवन म बरहमचयक मजबत करन की अथाह शलकत होती ह |

परातःकाल सनानादद क पशचात ददन क वयवसाय म लगन स पवक एव रातरतर को सोन स पवक कोई-न-कोई आरधयालसमक पसतक पढना चादहए | इसस व ही सतोगरी ववचार मन म घमत रहग जो पसतक म होग और हमारा मन ववकारगरसत होन स बचा रहगा |

कौपीन (लगोटी) पहनन का भी आगरह रखो | इसस अणडकोष सवसथ रहग और वीयकरकषर म मदद लमलगी |

वासना को भड़कान वाल नगन व अशलील पोसटरो एव चचतरो को दखन का आकषकर छोड़ो | अशलील शायरी और गान भी जहाा गाय जात हो वहाा न रको |

(अनिम)

वीययसचय क चितकार

वीयक क एक-एक अर म बहत महान शलकतयाा तछपी ह | इसीक दवारा शकराचायक महावीर कबीर

नानक जस महापरष धरती पर अवतीरक हए ह | बड़-बड़ वीर योदधा वजञातनक सादहसयकार- य सब वीयक की एक बाद म तछप थ hellip और अभी आग भी पदा होत रहग | इतन बहमकय वीयक का सदपयोग जो वयलकत नही कर पाता वह अपना पतन आप आमतरतरत करता ह |

वीय व भगयः | (शतपथ बराहिण )

वीयक ही तज ह आभा ह परकाश ह |

जीवन को ऊरधवकगामी बनान वाली ऐसी बहमकय वीयकशलकत को लजसन भी खोया उसको ककतनी हातन उठानी पड़ी यह कछ उदाहररो क दवारा हम समझ सकत ह |

(अनिम)

भीटि षपतािह और वीर अमभिनय महाभारत म बरहमचयक स सबचधत दो परसग आत ह एक भीषटम वपतामह का और दसरा वीर अलभमनय का | भीषटम वपतामह बाल बरहमचारी थ इसललय उनम अथाह सामथयक था | भगवान शरी कषटर का यह वरत था कक lsquoम यदध म शसतर नही उठाऊा गा |rsquo ककनत यह भीषटम की बरहमचयक शलकत का ही चमसकार था कक उनहोन शरी कषटर को अपना वरत भग करन क ललए मजबर कर ददया | उनहोन अजकन पर ऐसी बार वषाक की कक ददवयासतरो स ससलजजत अजकन जसा धरनधर धनधाकरी भी उसका परततकार

करन म असमथक हो गया लजसस उसकी रकषाथक भगवान शरी कषटर को रथ का पदहया लकर भीषटम की ओर दौड़ना पड़ा |

यह बरहमचयक का ही परताप था कक भीषटम मौत पर भी ववजय परापत कर सक | उनहोन ही यह सवय तय ककया कक उनह कब शरीर छोड़ना ह | अनयथा शरीर म परारो का दटक रहना असभव था परनत भीषटम की तरबना आजञा क मौत भी उनस परार कस छीन सकती थी भीषटम न सवचछा स शभ महतक म अपना शरीर छोड़ा |

दसरी ओर अलभमनय का परसग आता ह | महाभारत क यदध म अजकन का वीर पतर अलभमनय चिवयह का भदन करन क ललए अकला ही तनकल पड़ा था | भीम भी पीछ रह गया था | उसन जो शौयक ददखाया वह परशसनीय था | बड़-बड़ महारचथयो स तघर होन पर भी वह रथ का पदहया लकर

अकला यदध करता रहा परनत आखखर म मारा गया | उसका कारर यह था कक यदध म जान स पवक वह अपना बरहमचयक खलणडत कर चका था | वह उततरा क गभक म पाणडव वश का बीज डालकर आया था | मातर इतनी छोटी सी कमजोरी क कारर वह वपतामह भीषटम की तरह अपनी मसय का आप

माललक नही बन सका |

(अनिम)

पथवीराज चौहान कयो हारा

भारात म पथवीराज चौहान न मोहममद गोरी को सोलह बार हराया ककनत सतरहव यदध म वह खद हार गया और उस पकड़ ललया गया | गोरी न बाद म उसकी आाख लोह की गमक सलाखो स

फड़वा दी | अब यह एक बड़ा आशचयक ह कक सोलह बार जीतन वाला वीर योदधा हार कस गया

इततहास बताता ह कक लजस ददन वह हारा था उस ददन वह अपनी पसनी स अपनी कमर कसवाकर

अथाकत अपन वीयक का ससयानाश करक यदधभलम म आया था | यह ह वीयकशलकत क वयय का दषटपररराम |

रामायर महाकावय क पातर रामभकत हनमान क कई अदभत परािम तो हम सबन सन ही ह जस- आकाश म उड़ना समि लााघना रावर की भरी सभा म स छटकर लौटना लका जलाना यदध म रावर को मकका मार कर मतछकत कर दना सजीवनी बटी क ललय परा पहाड़ उठा लाना आदद | य सब बरहमचयक की शलकत का ही परताप था |

फरास का समराट नपोललयन कहा करता था असभव शबद ही मर शबदकोष म नही ह |

परनत वह भी हार गया | हारन क मल काररो म एक कारर यह भी था कक यदध स पवक ही उसन सतरी क आकषकर म अपन वीयक का कषय कर ददया था |

समसन भी शरवीरता क कषतर म बहत परलसदध था | बाइतरबल म उसका उकलख आता ह | वह

भी सतरी क मोहक आकषकर स नही बच सका और उसका भी पतन हो गया |

(अनिम)

सवािी राितीथय का अनभव

सवामी रामतीथक जब परोफसर थ तब उनहोन एक परयोग ककया और बाद म तनषटकषकरप म बताया कक जो ववदयाथी परीकषा क ददनो म या परीकषा क कछ ददन पहल ववषयो म फस जात ह व

परीकषा म परायः असफल हो जात ह चाह वषक भर अपनी ककषा म अचछ ववदयाथी कयो न रह हो | लजन ववदयाचथकयो का चचतत परीकषा क ददनो म एकागर और शदध रहा करता ह व ही सफल होत ह | काम ववकार को रोकना वसततः बड़ा दःसारधय ह |

यही कारर ह कक मन महाराज न यहा तक कह ददया ह

माा बहन और पतरी क साथ भी वयलकत को एकानत म नही बठना चादहय कयोकक मनषटय की इलनियाा बहत बलवान होती ह | व ववदवानो क मन को भी समान रप स अपन वग म खीच ल जाती ह |

(अनिम)

यवा वगय स दो बात

म यवक वगक स ववशषरप स दो बात कहना चाहता ह कयोकक यही वह वगक ह जो अपन दश क सदढ भववषटय का आधार ह | भारत का यही यवक वगक जो पहल दशोसथान एव आरधयालसमक

रहसयो की खोज म लगा रहता था वही अब कालमतनयो क रग-रप क पीछ पागल होकर अपना अमकय जीवन वयथक म खोता जा रहा ह | यह कामशलकत मनषटय क ललए अलभशाप नही बलकक

वरदान सवरप ह | यह जब यवक म खखलन लगती ह तो उस उस समय इतन उससाह स भर दती ह

कक वह ससार म सब कछ कर सकन की लसथतत म अपन को समथक अनभव करन लगता ह लककन आज क अचधकाश यवक दवयकसनो म फा सकर हसतमथन एव सवपनदोष क लशकार बन जात ह |

(अनिम)

हसतिथन का दटपररणाि

इन दवयकसनो स यवक अपनी वीयकधारर की शलकत खो बठता ह और वह तीवरता स नपसकता की ओर अगरसर होन लगता ह | उसकी आाख और चहरा तनसतज और कमजोर हो जाता ह |

थोड़ पररशरम स ही वह हााफन लगता ह उसकी आखो क आग अधरा छान लगता ह | अचधक कमजोरी स मचछाक भी आ जाती ह | उसकी सककपशलकत कमजोर हो जाती ह |

अिररका ि ककया गया परयोग

अमररका म एक ववजञानशाला म ३० ववदयाचथकयो को भखा रखा गया | इसस उतन समय क

ललय तो उनका काम ववकार दबा रहा परनत भोजन करन क बाद उनम कफर स काम-वासना जोर पकड़न लगी | लोह की लगोट पहन कर भी कछ लोग कामदमन की चषटटा करत पाए जात ह | उनको लसकडडया बाबा कहत ह | व लोह या पीतल की लगोट पहन कर उसम ताला लगा दत ह | कछ ऐस भी लोग हए ह लजनहोन इस काम-ववकार स छटटी पान क ललय अपनी जननलनिय ही काट दी और

बाद म बहत पछताय | उनह मालम नही था कक जननलनिय तो काम ववकार परकट होन का एक साधन ह | फल-पसतत तोड़न स पड़ नषटट नही होता | मागकदशकन क अभाव म लोग कसी-कसी भल करत ह ऐसा ही यह एक उदाहरर ह |

जो यवक १७ स २४ वषक की आय तक सयम रख लता ह उसका मानलसक बल एव बदचध बहत तजसवी हो जाती ह | जीवनभर उसका उससाह एव सफततक बनी रहती ह | जो यवक बीस वषक की आय परी होन स पवक ही अपन वीयक का नाश करना शर कर दता ह उसकी सफततक और होसला पसत हो जाता ह तथा सार जीवनभर क ललय उसकी बदचध कलणठत हो जाती ह | म चाहता हा कक यवावगक वीयक क सरकषर क कछ ठोस परयोग सीख ल | छोट-मोट परयोग उपवास भोजन म सधार आदद तो ठीक ह परनत व असथाई लाभ ही द पात ह | कई परयोगो स यह बात लसदध हई ह |

(अनिम)

कािशषकत का दिन या ऊधवयगिन

कामशलकत का दमन सही हल नही ह | सही हल ह इस शलकत को ऊरधवकमखी बनाकर शरीर म ही इसका उपयोग करक परम सख को परापत करना | यह यलकत लजसको आ गई उस सब आ गया

और लजस यह नही आई वह समाज म ककतना भी सततावान धनवान परततशठावान बन जाय अनत म मरन पर अनाथ ही रह जायगा अपन-आप को नही लमल पायगा | गौतम बदध यह यलकत जानत थ

तभी अगलीमाल जसा तनदकयी हसयारा भी सार दषटकसय छोड़कर उनक आग लभकषक बन गया | ऐस महापरषो म वह शलकत होती ह लजसक परयोग स साधक क ललए बरहमचयक की साधना एकदम सरल हो जाती ह | कफर काम-ववकार स लड़ना नही पड़ता ह बलकक जीवन म बरहमचयक सहज ही फललत होन लगता ह |

मन ऐस लोगो को दखा ह जो थोड़ा सा जप करत ह और बहत पज जात ह | और ऐस लोगो को भी दखा ह जो बहत जप-तप करत ह कफर भी समाज पर उनका कोई परभाव नही उनम आकषकर नही | जान-अनजान हो-न-हो जागत अथवा तनिावसथा म या अनय ककसी परकार स उनकी वीयक शलकत अवशय नषटट होती रहती ह |

(अनिम)

एक सा क का अनभव

एक साधक न यहाा उसका नाम नही लागा मझ सवय ही बताया सवामीजी यहाा आन स पवक म महीन म एक ददन भी पसनी क तरबना नही रह सकता था इतना अचधक काम-ववकार म फा सा हआ था परनत अब ६-६ महीन बीत जात ह पसनी क तरबना और काम-ववकार भी पहल की भाातत नही सताता |

द सर सा क का अनभव

दसर एक और सजजन यहाा आत ह उनकी पसनी की लशकायत मझ सनन को लमली ह | वह

सवय तो यहाा आती नही मगर लोगो स कहा ह कक ककसी परकार मर पतत को समझाय कक व आशरम म नही जाया कर |

वस तो आशरम म जान क ललए कोई कयो मना करगा मगर उसक इस परकार मना करन का कारर जो उसन लोगो को बताया और लोगो न मझ बताया वह इस परकार ह वह कहती ह इन बाबा न मर पतत पर न जान कया जाद ककया ह कक पहल तो व रात म मझ पास म सलात थ परनत अब मझस दर सोत ह | इसस तो व लसनमा म जात थ जस-तस दोसतो क साथ घमत रहत थ वही ठीक था | उस समय कम स कम मर कहन म तो चलत थ परनत अब तो

कसा दभाकगय ह मनषटय का वयलकत भल ही पतन क रासत चल उसक जीवन का भल ही ससयानाश होता रह परनत वह मर कहन म चल यही ससारी परम का ढााचा ह | इसम परम दो-पाच परततशत हो सकता ह बाकी ९५ परततशत तो मोह ही होता ह वासना ही होती ह | मगर मोह भी परम का चोला ओढकर कफरता रहता ह और हम पता नही चलता कक हम पतन की ओर जा रह ह या उसथान की ओर |

(अनिम)

योगी का सकलपबल

बरहमचयक उसथान का मागक ह | बाबाजी न कछ जाद-वाद नही ककया| कवल उनक दवारा उनकी यौचगक शलकत का सहारा उस वयलकत को लमला लजसस उसकी कामशलकत ऊरधवकगामी हो गई | इस कारर उसका मन ससारी काम सख स ऊपर उठ गया | जब असली रस लमल गया तो गदी नाली दवारा लमलन वाल रस की ओर कोई कयो ताकगा ऐसा कौन मखक होगा जो बरहमचयक का पववतर और

असली रस छोड़कर घखरत और पतनोनमख करन वाल ससारी कामसख की ओर दौड़गा

कया यह चितकार ह

सामानय लोगो क ललय तो यह मानो एक बहत बड़ा चमसकार ह परनत इसम चमसकार जसी कोई बात नही ह | जो महापरष योगमागक स पररचचत ह और अपनी आसममसती म मसत रहत ह

उनक ललय तो यह एक खल मातर ह | योग का भी अपना एक ववजञान ह जो सथल ववजञान स भी सकषम और अचधक परभावी होता ह | जो लोग ऐस ककसी योगी महापरष क सालननरधय का लाभ लत ह उनक ललय तो बरहमचयक का पालन सहज हो जाता ह | उनह अलग स कोई महनत नही करनी पड़ती |

(अनिम)

हसतिथन व सवपनदोि स कस बच

यदद कोई हसत मथन या सवपनदोष की समसया स गरसत ह और वह इस रोग स छटकारा पान को वसततः इचछक ह तो सबस पहल तो म यह कहागा कक अब वह यह चचता छोड़ द कक मझ

यह रोग ह और अब मरा कया होगा कया म कफर स सवासथय लाभ कर सका गा इस परकार क

तनराशावादी ववचारो को वह जड़मल स उखाड़ फ क |

सदव परसनन रहो

जो हो चका वह बीत गया | बीती सो बीती बीती ताही बबसार द आग की सध लय | एक तो रोग कफर उसका चचतन और भी रगर बना दता ह | इसललय पहला काम तो यह करो कक दीनता क

ववचारो को ततलाजलल दकर परसनन और परफलकलत रहना परारभ कर दो |

पीछ ककतना वीयकनाश हो चका ह उसकी चचता छोड़कर अब कस वीयकरकषर हो सक उसक ललय उपाय करन हत कमर कस लो |

धयान रह वीयकशलकत का दमन नही करना ह उस ऊरधवकगामी बनाना ह | वीयकशलकत का उपयोग हम ठीक ढग स नही कर पात | इसललय इस शलकत क ऊरधवकगमन क कछ परयोग हम समझ ल |

(अनिम)

वीयय का ऊधवयगिन कया ह

वीयक क ऊरधवकगमन का अथक यह नही ह कक वीयक सथल रप स ऊपर सहसरार की ओर जाता ह

| इस ववषय म कई लोग भरलमत ह | वीयक तो वही रहता ह मगर उस सचाललत करनवाली जो कामशलकत ह उसका ऊरधवकगमन होता ह | वीयक को ऊपर चढान की नाड़ी शरीर क भीतर नही ह |

इसललय शिार ऊपर नही जात बलकक हमार भीतर एक वदयततक चमबकीय शलकत होती ह जो नीच की ओर बहती ह तब शिार सकिय होत ह |

इसललय जब परष की दलशट भड़कील वसतरो पर पड़ती ह या उसका मन सतरी का चचतन करता ह

तब यही शलकत उसक चचतनमातर स नीच मलाधार कनि क नीच जो कामकनि ह उसको सकिय कर

वीयक को बाहर धकलती ह | वीयक सखललत होत ही उसक जीवन की उतनी कामशलकत वयथक म खचक हो जाती ह | योगी और तातरतरक लोग इस सकषम बात स पररचचत थ | सथल ववजञानवाल जीवशासतरी और डॉकटर लोग इस बात को ठीक स समझ नही पाय इसललय आधतनकतम औजार होत हए भी कई गभीर रोगो को व ठीक नही कर पात जबकक योगी क दलषटटपात मातर या आशीवाकद स ही रोग ठीक होन क चमसकार हम परायः दखा-सना करत ह |

आप बहत योगसाधना करक ऊरधवकरता योगी न भी बनो कफर भी वीयकरकषर क ललय इतना छोटा-सा परयोग तो कर ही सकत हो

(अनिम)

वीययरकषा का िहततवप णय परयोग

अपना जो lsquoकाम-ससथानrsquo ह वह जब सकिय होता ह तभी वीयक को बाहर धकलता ह | ककनत तनमन परयोग दवारा उसको सकिय होन स बचाना ह |

जयो ही ककसी सतरी क दशकन स या कामक ववचार स आपका रधयान अपनी जननलनिय की तरफ खखचन लग तभी आप सतकक हो जाओ | आप तरनत जननलनिय को भीतर पट की तरफ़ खीचो | जस पप का वपसटन खीचत ह उस परकार की किया मन को जननलनिय म कलनित करक करनी ह | योग की भाषा म इस योतनमिा कहत ह |

अब आाख बनद करो | कफर ऐसी भावना करो कक म अपन जननलनिय-ससथान स ऊपर लसर म लसथत सहसरार चि की तरफ दख रहा हा | लजधर हमारा मन लगता ह उधर ही यह शलकत बहन लगती ह | सहसरार की ओर ववतत लगान स जो शलकत मलाधार म सकिय होकर वीयक को सखललत

करनवाली थी वही शलकत ऊरधवकगामी बनकर आपको वीयकपतन स बचा लगी | लककन रधयान रह यदद आपका मन काम-ववकार का मजा लन म अटक गया तो आप सफल नही हो पायग | थोड़ सककप और वववक का सहारा ललया तो कछ ही ददनो क परयोग स महववपरक फायदा होन लगगा | आप सपषटट

महसस करग कक एक आाधी की तरह काम का आवग आया और इस परयोग स वह कछ ही कषरो म शात हो गया |

(अनिम)

द सरा परयोग

जब भी काम का वग उठ फफड़ो म भरी वाय को जोर स बाहर फ को | लजतना अचधक बाहर फ क सको उतना उततम | कफर नालभ और पट को भीतर की ओर खीचो | दो-तीन बार क परयोग स ही काम-ववकार शात हो जायगा और आप वीयकपतन स बच जाओग |

यह परयोग ददखता छोटा-सा ह मगर बड़ा महववपरक यौचगक परयोग ह | भीतर का शवास कामशलकत को नीच की ओर धकलता ह | उस जोर स और अचधक मातरा म बाहर फ कन स वह मलाधार चि म कामकनि को सकिय नही कर पायगा | कफर पट व नालभ को भीतर सकोचन स वहाा खाली जगह बन जाती ह | उस खाली जगह को भरन क ललय कामकनि क आसपास की सारी शलकत जो वीयकपतन म

सहयोगी बनती ह खखचकर नालभ की तरफ चली जाती ह और इस परकार आप वीयकपतन स बच जायग |

इस परयोग को करन म न कोई खचक ह न कोई ववशष सथान ढाढन की जररत ह | कही भी बठकर कर सकत ह | काम-ववकार न भी उठ तब भी यह परयोग करक आप अनपम लाभ उठा सकत ह | इसस जठरालगन परदीपत होती ह पट की बीमाररयाा लमटती ह जीवन तजसवी बनता ह और वीयकरकषर

सहज म होन लगता ह |

(अनिम)

वीययरकषक च णय

बहत कम खचक म आप यह चरक बना सकत ह | कछ सख आावलो स बीज अलग करक उनक तछलको को कटकर उसका चरक बना लो | आजकल बाजार म आावलो का तयार चरक भी लमलता ह |

लजतना चरक हो उसस दगनी मातरा म लमशरी का चरक उसम लमला दो | यह चरक उनक ललए भी दहतकर

ह लजनह सवपनदोष नही होता हो |

रोज रातरतर को सोन स आधा घटा पवक पानी क साथ एक चममच यह चरक ल ललया करो | यह

चरक वीयक को गाढा करता ह कबज दर करता ह वात-वपतत-कफ क दोष लमटाता ह और सयम को मजबत करता ह |

(अनिम)

गोद का परयोग

6 गराम खरी गोद रातरतर को पानी म लभगो दो | इस सबह खाली पट ल लो | इस परयोग क दौरान अगर भख कम लगती हो तो दोपहर को भोजन क पहल अदरक व नीब का रस लमलाकर लना चादहए |

तलसी एक अदभत औषचध

परनच डॉकटर ववकटर रसीन न कहा ह ldquoतलसी एक अदभत औषचध ह | तलसी पर ककय गय

परयोगो न यह लसदध कर ददया ह कक रकतचाप और पाचनततर क तनयमन म तथा मानलसक रोगो म तलसी असयत लाभकारी ह | इसस रकतकरो की वदचध होती ह | मलररया तथा अनय परकार क बखारो म तलसी असयत उपयोगी लसदध हई ह |

तलसी रोगो को तो दर करती ही ह इसक अततररकत बरहमचयक की रकषा करन एव यादशलकत बढान म भी अनपम सहायता करती ह | तलसीदल एक उसकषटट रसायन ह | यह तरतरदोषनाशक ह | रकतववकार

वाय खाासी कलम आदद की तनवारक ह तथा हदय क ललय बहत दहतकारी ह |

(अनिम)

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

पादपषशचिोततानासन

षवध जमीन पर आसन तरबछाकर दोनो पर सीध करक बठ जाओ | कफर दोनो हाथो स परो क

अगाठ पकड़कर झकत हए लसर को दोनो घटनो स लमलान का परयास करो | घटन जमीन पर सीध रह | परारभ म घटन जमीन पर न दटक तो कोई हजक नही | सतत अभयास स यह आसन लसदध हो जायगा | यह आसन करन क 15 लमनट बाद एक-दो कचची लभणडी खानी चादहए | सवफल का सवन भी फायदा करता ह |

लाभ इस आसन स नाडड़यो की ववशष शदचध होकर हमारी कायककषमता बढती ह और शरीर की बीमाररयाा दर होती ह | बदहजमी कबज जस पट क सभी रोग सदी-जकाम कफ चगरना कमर का ददक दहचकी सफद कोढ पशाब की बीमाररयाा सवपनदोष वीयक-ववकार अपलनडकस साईदटका नलो की सजन पाणडरोग (पीललया) अतनिा दमा खटटी डकार जञानततओ की कमजोरी गभाकशय क रोग

मालसकधमक की अतनयलमतता व अनय तकलीफ नपसकता रकत-ववकार दठगनापन व अनय कई

परकार की बीमाररयाा यह आसन करन स दर होती ह |

परारभ म यह आसन आधा लमनट स शर करक परततददन थोड़ा बढात हए 15 लमनट तक कर सकत ह | पहल 2-3 ददन तकलीफ होती ह कफर सरल हो जाता ह |

इस आसन स शरीर का कद लमबा होता ह | यदद शरीर म मोटापन ह तो वह दर होता ह और यदद दबलापन ह तो वह दर होकर शरीर सडौल तनदरसत अवसथा म आ जाता ह | बरहमचयक पालनवालो क ललए यह आसन भगवान लशव का परसाद ह | इसका परचार पहल लशवजी न और बाद म जोगी गोरखनाथ न ककया था |

(अनिम)

पादागटठानासन

इसम शरीर का भार कवल पााव क अागठ पर आन स इस पादाागषटठानासन कहत ह वीयक की रकषा व ऊरधवकगमन हत महववपरक होन स सभी को ववशषतः बचचो व यवाओ को यह आसन अवशय करना चादहए

लाभः अखणड बरहमचयक की लसदचध वजरनाड़ी (वीयकनाड़ी) व मन पर तनयतरर तथा वीयकशलकत को ओज म रपातररत करन म उततम ह मलसतषटक सवसथ रहता ह व बदचध की लसथरता व परखरता शीघर परापत होती ह रोगी-नीरोगी सभी क ललए लाभपरद ह

रोगो ि लाभः सवपनदोष मधमह नपसकता व समसत वीयोदोषो म लाभपरद ह

षवध ः पजो क बल बठ जाय बाय पर की एड़ी लसवनी (गदा व जननलनिय क बीच का सथान) पर

लगाय दोनो हाथो की उगललयाा जमीन पर रखकर दायाा पर बायी जघा पर रख सारा भार बाय पज पर (ववशषतः अागठ

पर) सतललत करक हाथ कमर पर या नमसकार की मिा म रख परारमभ म

कछ ददन आधार लकर कर सकत ह कमर सीधी व शरीर लसथर रह शवास सामानय दलषटट आग ककसी तरबद पर एकागर व रधयान सतलन रखन म हो यही किया पर बदल कर भी कर

सियः परारभ म दोनो परो स आधा-एक लमनट दोनो परो को एक समान समय दकर

यथासभव बढा सकत ह

साव ानीः अततम लसथती म आन की शीघरता न कर िमशः अभयास बढाय इस ददन भर म दो-तीन बार कभी भी कर सकत ह ककनत भोजन क तरनत बाद न कर

बदध शषकतव यक परयोगः लाभः इसक तनयलमत अभयास स जञानतनत पषटट होत

ह चोटी क सथान क नीच गाय क खर क आकार वाला बदचधमडल ह लजस पर इस परयोग का ववशष परभाव पड़ता ह और बदचध ब धारराशलकत का ववकास होता ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख लसर पीछ की तरफ ल जाय दलषटट आसमान की ओर हो इस लसथतत म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ि ाशषकतव यक परयोगः

लाभः इसक तनयलमत अभयास स मधाशलकत बढती ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख

आाख बद करक लसर को नीच की तरफ इस तरफ झकाय कक ठोढी कठकप स लगी रह और कठकप पर हलका-सा दबाव पड़ इस लसथती म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ववशषः शवास लत समय मन म ॐ का जप कर व छोड़त समय

उसकी चगनती कर

रधयान द- परसयक परयोग सबह खाली पट 15 बार कर कफर धीर-धीर बढात हए 25 बार तक कर सकत ह

(अनिम)

हिार अनभव

िहापरि क दशयन का चितकार

ldquoपहल म कामतलपत म ही जीवन का आननद मानता था | मरी दो शाददयाा हई परनत दोनो पलसनयो क दहानत क कारर अब तीसरी शादी 17 वषक की लड़की स करन को तयार हो गया | शादी स पवक म परम पजय सवामी शरी लीलाशाहजी महारज का आशीवाकद लन डीसा आशरम म जा पहाचा |

आशरम म व तो नही लमल मगर जो महापरष लमल उनक दशकनमातर स न जान कया हआ कक मरा सारा भववषटय ही बदल गया | उनक योगयकत ववशाल नतरो म न जान कसा तज चमक रहा था कक म अचधक दर तक उनकी ओर दख नही सका और मरी नजर उनक चररो की ओर झक गई | मरी कामवासना ततरोदहत हो गई | घर पहाचत ही शादी स इनकार कर ददया | भाईयो न एक कमर म उस 17 वषक की लड़की क साथ मझ बनद कर ददया |

मन कामववकार को जगान क कई उपाय ककय परनत सब तनरथकक लसदध हआ hellip जस कामसख

की चाबी उन महापरष क पास ही रह गई हो एकानत कमर म आग और परोल जसा सयोग था कफर भी

मन तनशचय ककया कक अब म उनकी छतरछाया को नही छोड़ागा भल ककतना ही ववरोध सहन

करना पड़ | उन महापरष को मन अपना मागकदशकक बनाया | उनक सालननरधय म रहकर कछ यौचगक

कियाएा सीखी | उनहोन मझस ऐसी साधना करवाई कक लजसस शरीर की सारी परानी वयाचधयाा जस मोटापन दमा टीबी कबज और छोट-मोट कई रोग आदद तनवत हो गय |

उन महापरष का नाम ह परम पजय सत शरी आसारामजी बाप | उनहीक सालननरधय म म अपना जीवन धनय कर रहा हा | उनका जो अनपम उपकार मर ऊपर हआ ह उसका बदला तो म अपना समपरक लौककक वभव समपकर करक भी चकान म असमथक हा |rdquo

-महनत चदीराम ( भतपवक चदीराम कपालदास )

सत शरी आसारामजी आशरम साबरमतत अमदावाद |

मरी वासना उपासना म बदली

ldquoआशरम दवारा परकालशत ldquoयौवन सरकषाrdquo पसतक पढन स मरी दलषटट अमीदलषटट हो गई | पहल परसतरी को एव हम उमर की लड़ककयो को दखकर मर मन म वासना और कदलषटट का भाव पदा होता था लककन यह पसतक पढकर मझ जानन को लमला कक lsquoसतरी एक वासनापतत क की वसत नही ह परनत शदध परम

और शदध भावपवकक जीवनभर साथ रहनवाली एक शलकत ह |rsquo सचमच इस lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक को पढकर मर अनदर की वासना उपासना म बदल गयी ह |rdquo

-मकवारा रवीनि रततभाई

एम क जमोड हाईसकल भावनगर (गज)

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगय क मलय एक अि लय भि ह

ldquoसवकपरथम म पजय बाप का एव शरी योग वदानत सवा सलमतत का आभार परकट करता हा |

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय अमकय भट ह | यह पसतक यवानो क ललय सही ददशा ददखानवाली ह |

आज क यग म यवानो क ललय वीयकरकषर अतत कदठन ह | परनत इस पसतक को पढन क बाद

ऐसा लगता ह कक वीयकरकषर करना सरल ह | lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक को सही यवान

बनन की परररा दती ह | इस पसतक म मन lsquoअनभव-अमतrsquo नामक पाठ पढा | उसक बाद ऐसा लगा कक सत दशकन करन स वीयकरकषर की परररा लमलती ह | यह बात तनतात ससय ह | म हररजन जातत का हा | पहल मास मछली लहसन पयाज आदद सब खाता था लककन lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पढन क बाद मझ मासाहार स सखत नफरत हो गई ह | उसक बाद मन इस पसतक को दो-तीन बार पढा ह |

अब म मास नही खा सकता हा | मझ मास स नफरत सी हो गई ह | इस पसतक को पढन स मर मन पर काफी परभाव पड़ा ह | यह पसतक मनषटय क जीवन को समदध बनानवाली ह और वीयकरकषर की शलकत परदान करन वाली ह |

यह पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह | आज क यवान जो कक 16 वषक स 17

वषक की उमर तक ही वीयकशलकत का वयय कर दत ह और दीन-हीन कषीरसककप कषीरजीवन होकर अपन ललए व औरो क ललए भी खब दःखद हो जात ह उनक ललए यह पसतक सचमच परररादायक ह

| वीयक ही शरीर का तज ह शलकत ह लजस आज का यवा वगक नषटट कर दता ह | उसक ललए जीवन म ववकास करन का उततम मागक तथा ददगदशकक यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक ह | तमाम यवक-यवततयो को यह पसतक पजय बाप की आजञानसार पााच बार अवशय पढनी चादहए | इसस बहत लाभ होता ह |rdquo

-राठौड तनलश ददनशभाई

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अषपत एक मशकषा गरनथ ह

ldquoयह lsquoयौवन सरकषाrsquo एक पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह लजसस हम ववदयाचथकयो को सयमी जीवन जीन की परररा लमलती ह | सचमच इस अनमोल गरनथ को पढकर एक अदभत परररा तथा उससाह लमलता ह | मन इस पसतक म कई ऐसी बात पढी जो शायद ही कोई हम बालको को बता व समझा सक | ऐसी लशकषा मझ आज तक ककसी दसरी पसतक स नही लमली | म इस पसतक को जनसाधारर तक पहाचान वालो को परराम करता हा तथा उन महापरष महामानव को शत-शत परराम करता हा लजनकी परररा तथा आशीवाकद स इस पसतक की रचना हई |rdquo

हरपरीत लसह अवतार लसह

ककषा-7 राजकीय हाईसकल सकटर-24 चणडीगढ

बरहिचयय ही जीवन ह

बरहमचयक क तरबना जगत म नही ककसीन यश पाया |

बरहमचयक स परशराम न इककीस बार धररी जीती |

बरहमचयक स वाकमीकी न रच दी रामायर नीकी |

बरहमचयक क तरबना जगत म ककसन जीवन रस पाया

बरहमचयक स रामचनि न सागर-पल बनवाया था |

बरहमचयक स लकषमरजी न मघनाद मरवाया था |

बरहमचयक क तरबना जगत म सब ही को परवश पाया |

बरहमचयक स महावीर न सारी लका जलाई थी |

बरहमचयक स अगदजी न अपनी पज जमाई थी |

बरहमचयक क तरबना जगत म सबन ही अपयश पाया |

बरहमचयक स आकहा-उदल न बावन ककल चगराए थ |

पथवीराज ददकलीशवर को भी रर म मार भगाए थ |

बरहमचयक क तरबना जगत म कवल ववष ही ववष पाया |

बरहमचयक स भीषटम वपतामह शरशया पर सोय थ |

बरहमचारी वर लशवा वीर स यवनो क दल रोय थ |

बरहमचयक क रस क भीतर हमन तो षटरस पाया |

बरहमचयक स राममतत क न छाती पर पसथर तोड़ा |

लोह की जजीर तोड़ दी रोका मोटर का जोड़ा |

बरहमचयक ह सरस जगत म बाकी को करकश पाया |

(अनिम)

शासतरवचन

राजा जनक शकदवजी स बोल

ldquoबाकयावसथा म ववदयाथी को तपसया गर की सवा बरहमचयक का पालन एव वदारधययन करना चादहए |rdquo

तपसा गरवततया च बरहिचयण वा षवभो |

- िहाभारत ि िोकष िय पवय

सकलपाजजायत कािः सवयिानो षवव यत |

यदा पराजञो षवरित तदा सदयः परणशयतत ||

ldquoकाम सककप स उसपनन होता ह | उसका सवन ककया जाय तो बढता ह और जब बदचधमान परष

उसस ववरकत हो जाता ह तब वह काम तसकाल नषटट हो जाता ह |rdquo

-िहाभारत ि आपद िय पवय

ldquoराजन (यचधलषटठर) जो मनषटय आजनम परक बरहमचारी रहता ह उसक ललय इस ससार म कोई भी ऐसा पदाथक नही ह जो वह परापत न कर सक | एक मनषटय चारो वदो को जाननवाला हो और दसरा परक बरहमचारी हो तो इन दोनो म बरहमचारी ही शरषटठ ह |rdquo

-भीटि षपतािह

ldquoमथन सबधी य परवततयाा सवकपरथम तो तरगो की भाातत ही परतीत होती ह परनत आग चलकर य

कसगतत क कारर एक ववशाल समि का रप धारर कर लती ह | कामसबधी वाताकलाप कभी शरवर न कर |rdquo

-नारदजी

ldquoजब कभी भी आपक मन म अशदध ववचारो क साथ ककसी सतरी क सवरप की ककपना उठ तो आप

lsquoॐ दगाय दवय निःrsquo मतर का बार-बार उचचारर कर और मानलसक परराम कर |rdquo

-मशवानदजी

ldquoजो ववदयाथी बरहमचयक क दवारा भगवान क लोक को परापत कर लत ह कफर उनक ललय ही वह सवगक ह | व ककसी भी लोक म कयो न हो मकत ह |rdquo

-छानदोगय उपतनिद

ldquoबदचधमान मनषटय को चादहए कक वह वववाह न कर | वववादहत जीवन को एक परकार का दहकत हए

अगारो स भरा हआ खडडा समझ | सयोग या ससगक स इलनियजतनत जञान की उसपवतत होती ह

इलनिजतनत जञान स तससबधी सख को परापत करन की अलभलाषा दढ होती ह ससगक स दर रहन पर जीवासमा सब परकार क पापमय जीवन स मकत रहता ह |rdquo

-िहातिा बद

भगवशी ॠवष जनकवश क राजकमार स कहत ह

िनोऽपरततक लातन परतय चह च वाछमस |

भ ताना परततक लभयो तनवतयसव यतषनरयः ||

ldquoयदद तम इस लोक और परलोक म अपन मन क अनकल वसतएा पाना चाहत हो तो अपनी इलनियो को सयम म रखकर समसत पराखरयो क परततकल आचररो स दर हट जाओ |rdquo

ndashिहाभारत ि िोकष िय पवय 3094

(अनिम)

भसिासर करो स बचो काम िोध लोभ मोह अहकार- य सब ववकार आसमानदरपी धन को हर लनवाल शतर ह |

उनम भी िोध सबस अचधक हातनकतताक ह | घर म चोरी हो जाए तो कछ-न-कछ सामान बच जाता ह

लककन घर म यदद आग लग जाय तो सब भसमीभत हो जाता ह | भसम क लसवा कछ नही बचता |

इसी परकार हमार अतःकरर म लोभ मोहरपी चोर आय तो कछ पणय कषीर होत ह लककन िोधरपी आग लग तो हमारा तमाम जप तप पणयरपी धन भसम हो जाता ह | अतः सावधान होकर

िोधरपी भसमासर स बचो | िोध का अलभनय करक फफकारना ठीक ह लककन िोधालगन तमहार

अतःकरर को जलान न लग इसका रधयान रखो |

25 लमनट तक चबा-चबाकर भोजन करो | सालववक आहर लो | लहसन लाल लमचक और तली हई चीजो स दर रहो | िोध आव तब हाथ की अागललयो क नाखन हाथ की गददी पर दब इस परकार

मठठी बद करो |

एक महीन तक ककय हए जप-तप स चचतत की जो योगयता बनती ह वह एक बार िोध करन स नषटट हो जाती ह | अतः मर पयार भया सावधान रहो | अमकय मानव दह ऐस ही वयथक न खो दना |

दस गराम शहद एक चगलास पानी तलसी क पतत और सतकपा चरक लमलाकर बनाया हआ

शबकत यदद हररोज सबह म ललया जाए तो चचतत की परसननता बढती ह | चरक और तलसी नही लमल तो कवल शहद ही लाभदायक ह | डायतरबदटज क रोचगयो को शहद नही लना चादहए |

हरर ॐ

बरहिाचयय-रकषा का ितर

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय िनोमभलाित िनः सतभ कर कर सवाहा

रोज दध म तनहार कर 21 बार इस मतर का जप कर और दध पी ल इसस बरहमचयक की रकषा होती ह सवभाव म आसमसात कर लन जसा यह तनयम ह

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

पावन उदगार

पावन उदगार

सख-शातत व सवासथय का परसाद बािन क मलए ही बाप जी का अवतरण हआ ह

मर असयनत वपरय लमतर शरी आसाराम जी बाप स म पवककाल स हदयपवकक पररचचत हा ससार म सखी रहन क ललए समसत जनता को शारीररक सवासथय और मानलसक शातत दोनो आवशयक ह सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही इन सत का महापरष का अवतरर हआ ह आज क सतो-महापरषो म परमख मर वपरय लमतर बापजी हमार भारत दश क दहनद जनता क आम जनता क ववशववालसयो क उदधार क ललए रात-ददन घम-घमकर सससग

भजन कीतकन आदद दवारा सभी ववषयो पर मागकदशकन द रह ह अभी म गल म थोड़ी तकलीफ ह तो उनहोन तरनत मझ दवा बताई इस परकार सबक सवासथय और मानलसक शातत दोनो क ललए उनका जीवन समवपकत ह व धनभागी ह जो लोगो को बापजी क सससग व सालननरधय म लान का दवी कायक करत ह

काची कािकोहि पीठ क शकराचायय जगदगर शरी जयनर सरसवती जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

हर वयषकत जो तनराश ह उस आसाराि जी की जररत ह शरदधय-वदनीय लजनक दशकन स कोदट-कोदट जनो क आसमा को शातत लमली ह व हदय

उननत हआ ह ऐस महामनीवष सत शरी आसारामजी क दशकन करक आज म कताथक हआ लजस महापरष न लजस महामानव न लजस ददवय चतना स सपनन परष न इस धरा पर धमक ससकतत अरधयासम और भारत की उदातत परपराओ को परी ऊजाक (शलकत) स सथावपत ककया ह

उस महापरष क म दशकन न करा ऐसा तो हो ही नही सकता इसललए म सवय यहाा आकर अपन-आपको धनय और कताथक महसस कर रहा हा मर परतत इनका जो सनह ह यह तो मझ पर इनका आशीवाकद ह और बड़ो का सनह तो हमशा रहता ही ह छोटो क परतत यहाा पर म आशीवाकद लन क ललए आया हा

म समझता हा कक जीवन म लगभग हर वयलकत तनराश ह और उसको आसारामजी की जररत ह दश यदद ऊा चा उठगा समदध बनगा ववकलसत होगा तो अपनी पराचीन परपराओ नततक मकयो और आदशो स ही होगा और वह आदशो नततक मकयो पराचीन सभयता धमक-दशकन

और ससकतत का जो जागरर ह वह आशाओ क राम बनन स ही होगा इसललए शरदधय वदनीय महाराज शरी आसाराम जी की सारी दतनया को जररत ह बाप जी क चररो म पराथकना करत हए कक आप ददशा दत रहना राह ददखात रहना हम भी आपक पीछ-पीछ चलत रहग और एक ददन मलजल लमलगी ही पनः आपक चररो म वदन

परमसद योगाचायय शरी रािदव जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

बाप तनतय नवीन तनतय व यनीय आनदसवरप ह परम पजय बाप क दशकन करक म पहल भी आ चका हा दशकन करक हदन-हदन नव-नव

परततकषण व यनाि अथाकत बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह ऐसा अनभव हो रहा ह और यह सवाभाववक ही ह पजय बाप जी को परराम

सपरमसद कथाकार सत शरी िोरारी बाप

(अनिम) पावन उदगार

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहिजञान का हदवय सतसग

ईशवर की कपा होती ह तो मनषटय जनम लमलता ह ईशवर की अततशय कपा होती ह तो ममकषसव का उदय होता ह परनत जब अपन पवकजनमो क पणय इकटठ होत ह और ईशवर की परम कपा होती ह तब ऐसा बरहमजञान का ददवय सससग सनन को लमलता ह जसा पजयपाद बापजी क शरीमख स आपको यहाा सनन को लमल रहा ह

परमसद कथाकार सशरी कनकशवरी दवी

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी का साषननधय गगा क पावन परवाह जसा ह कल-कल करती इस भागीरथी की धवल धारा क ककनार पर पजय बाप जी क सालननरधय

म बठकर म बड़ा ही आहलाददत व परमददत हा आनददत हा रोमााचचत हा

गगा भारत की सषमना नाड़ी ह गगा भारत की सजीवनी ह शरी ववषटरजी क चररो स तनकलकर बरहमाजी क कमणडल व जटाधर क माथ पर शोभायमान गगा तरयोगलसदचधकारक ह ववषटरजी क चररो स तनकली गगा भलकतयोग की परतीतत कराती ह और लशवजी क मसतक पर लसथत गगा जञानयोग की उचचतर भलमका पर आरढ होन की खबर दती ह मझ ऐसा लग रहा ह कक आज बापजी क परवचनो को सनकर म गगा म गोता लगा रहा हा कयोकक उनका परवचन

उनका सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

व अलमसत फकीर ह व बड़ सरल और सहज ह व लजतन ही ऊपर स सरल ह उतन ही अतर म गढ ह उनम दहमालय जसी उचचता पववतरता शरषटठता ह और सागरतल जसी गमभीरता ह व राषटर की अमकय धरोहर ह उनह दखकर ऋवष-परमपरा का बोध होता ह गौतम कराद जलमतन कवपल दाद मीरा कबीर रदास आदद सब कभी-कभी उनम ददखत ह

र भाई कोई सतगर सत कहाव जो ननन अलख लखाव

रती उखाड़ आकाश उखाड़ अ र िड़इया ाव

श नय मशखर क पार मशला पर आसन अचल जिाव

र भाई कोई सतगर सत कहाव

ऐस पावन सालननरधय म हम बठ ह जो बड़ा दलकभ व सहज योगसवरप ह ऐस महापरष क ललए पलकतयाा याद आ रही ह- ति चलो तो चल रती चल अबर चल दतनया

ऐस महापरष चलत ह तो उनक ललए सयक चि तार गरह नकषतर आदद सब अनकल हो जात ह ऐस इलनियातीत गरातीत भावातीत शबदातीत और सब अवसथाओ स पर ककनही महापरष क शरीचररो म जब बठत ह तो भागवत कहता हः सा ना दशयन लोक सवयमसदध कर परि साधओ क दशकनमातर स ववचार ववभतत ववदवता शलकत सहजता तनववकषयता परसननता लसदचधयाा व आसमानद की परालपत होती ह

दश क महान सत यहाा सहज ही आत ह भारत क सभी शकराचायक भी आत ह मर मन म भी ववचार आया कक जहाा सब आत ह वहाा जाना चादहए कयोकक यही वह ठौर-दठकाना ह जहाा मन का अलभमान लमटाया जा सकता ह ऐस महापरषो क दशकन स कवल आनद व मसती ही नही बलकक वह सब कछ लमल जाता ह जो अलभलवषत ह आकाकषकषत ह लकषकषत ह यहाा म कररा कमकठता वववक-वरागय व जञान क दशकन कर रहा हा वरागय और भलकत क रकषर पोषर व सवधकन क ललए यह सपतऋवषयो का उततम जञान जाना जाता ह आज गगा अगर कफर स साकार ददख रही ह तो व बाप जी क ववचार व वारी म ददख रही ह अलमसतता सहजता उचचता शरषटठता पववतरता तीथक-सी शचचता लशश-सी सरलता तररो-सा जोश वदधो-सा गाभीयक और ऋवषयो जसा जञानावबोध मझ जहाा हो रहा ह वह पडाल ह इस आनदगर कहा या परमनगर कररा का सागर कहा या ववचारो का समनदर लककन इतना जरर कहागा कक मर मन का कोना-कोना आहलाददत हो रहा ह आपलोग बड़भागी ह जो ऐस महापरष क शरीचररो म बठ ह जहाा भागय का ददवय वयलकतसव का तनमाकर होता ह जीवन की कतकसयता जहाा परापत हो सकती ह वह यही दर ह

मिल ति मिली िषजल मिला िकसद और िददा भी

न मिल ति तो रह गया िददा िकसद और िषजल भी

आपका यह भावराजय व परमराजय दखकर म चककत भी हा और आनद का भी अनभव कर रहा हा मझ लगता ह कक बाप जी सबक आसमसयक ह आपक परतत मरा ववशवास व अटट तनषटठा बढ इस हत मरा नमन सवीकार कर

सवािी अव शानदजी िहाराज हररदवार

(अनिम) पावन उदगार

भगवननाि का जाद सतशरी आसारामजी बाप क यहाा सबस अचधक जनता आती ह कारर कक इनक पास भगवननाम-सकीतकन का जाद सरल वयवहार परमरसभरी वारी तथा जीवन क मल परशनो का उततर भी ह

षवरकतमशरोिरण शरी वािदवजी िहाराज

सवामी आसारामजी क पास भरातत तोड़न की दलषटट लमलती ह

यगपरि सवािी शरी परिानदजी िहाराज

आसारामजी महाराज ऐसी शलकत क धनी ह कक दलषटटपातमातर स लाखो लोगो क जञानचकष खोलन का मागक परशसत करत ह

लोकलाडल सवािी शरी बरहिानदधगरीजी िहाराज

हमार पजय आसारामजी बाप बहत ही कम समय म ससकतत का जतन और उसथान करन वाल सत ह आचायय शरी धगरीराज ककशोरजी षवशवहहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी क सतसग ि पर ानितरी शरी अिल बबहारी वाजपयीजी क उदगार

पजय बापजी क भलकतरस म डब हए शरोता भाई-बहनो म यहाा पर पजय बापजी का अलभनदन करन आया हा उनका आशीवकचन सनन आया हा भाषर दन य बकबक करन नही आया हा बकबक तो हम करत रहत ह बाप जी का जसा परवचन ह कथा-अमत ह उस

तक पहाचन क ललए बड़ा पररशरम करना पड़ता ह मन पहल उनक दशकन पानीपत म ककय थ वहाा पर रात को पानीपत म पणय परवचन समापत होत ही बापजी कटीर म जा रह थ तब उनहोन मझ बलाया म भी उनक दशकन और आशीवाकद क ललए लालातयत था सत-महासमाओ क दशकन तभी होत ह उनका सालननरधय तभी लमलता ह जब कोई पणय जागत होता ह

इस जनम म मन कोई पणय ककया हो इसका मर पास कोई दहसाब तो नही ह ककत जरर यह पवक जनम क पणयो का फल ह जो बाप जी क दशकन हए उस ददन बापजी न जो कहा वह अभी तक मर हदय-पटल पर अककत ह दशभर की पररिमा करत हए जन-जन क मन म अचछ ससकार जगाना यह एक ऐसा परम राषटरीय कतकवय ह लजसन हमार दश को आज तक जीववत रखा ह और इसक बल पर हम उजजवल भववषटय का सपना दख रह ह उस सपन को साकार करन की शलकत-भलकत एकतर कर रह ह

पजय बापजी सार दश म भरमर करक जागरर का शखनाद कर रह ह सवकधमक-समभाव की लशकषा द रह ह ससकार द रह ह तथा अचछ और बर म भद करना लसखा रह ह

हमारी जो पराचीन धरोहर थी और हम लजस लगभग भलन का पाप कर बठ थ बाप जी हमारी आाखो म जञान का अजन लगाकर उसको कफर स हमार सामन रख रह ह बापजी न कहा कक ईशवर की कपा स कर-कर म वयापत एक महान शलकत क परभाव स जो कछ घदटत होता ह उसकी छानबीन और उस पर अनसधान करना चादहए

पजय बापजी न कहा कक जीवन क वयापार म स थोड़ा समय तनकाल कर सससग म आना चादहए पजय बापजी उजजन म थ तब मरी जान की बहत इचछा थी लककन कहत ह न

कक दान-दान पर खान वाल की मोहर होती ह वस ही सत-दशकन क ललए भी कोई महतक होता ह आज यह महतक आ गया ह यह मरा कषतर ह पजय बाप जी न चनाव जीतन का तरीका भी बता ददया ह

आज दश की दशा ठीक नही ह बाप जी का परवचन सनकर बड़ा बल लमला ह हाल म हए लोकसभा अचधवशन क कारर थोड़ी-बहत तनराशा हई थी ककनत रात को लखनऊ म पणय परवचन सनत ही वह तनराशा भी आज दर हो गयी बाप जी न मानव जीवन क चरम लकषय मलकत-शलकत की परालपत क ललए परषाथक चतषटटय भलकत क ललए समपकर की भावना तथा जञान

भलकत और कमक तीनो का उकलख ककया ह भलकत म अहकार का कोई सथान नही ह जञान अलभमान पदा करता ह भलकत म परक समपकर होता ह 13 ददन क शासनकाल क बाद मन कहाः मरा जो कछ ह तरा ह यह तो बाप जी की कपा ह कक शरोता को वकता बना ददया और वकता को नीच स ऊपर चढा ददया जहाा तक ऊपर चढाया ह वहाा तक ऊपर बना रहा इसकी चचता भी बाप जी को करनी पड़गी

राजनीतत की राह बड़ी रपटीली ह जब नता चगरता ह तो यह नही कहता कक म चगर गया बलकक कहता हः हर हर गग बाप जी का परवचन सनकर बड़ा आनद आया म लोकसभा

का सदसय होन क नात अपनी ओर स एव लखनऊ की जनता की ओर स बाप जी क चररो म ववनमर होकर नमन करना चाहता हा

उनका आशीवाकद हम लमलता रह उनक आशीवाकद स परररा पाकर बल परापत करक हम कतकवय क पथ पर तनरनतर चलत हए परम वभव को परापत कर यही परभ स पराथकना ह

शरी अिल बबहारी वाजपयी पर ानितरी भारत सरकार

परि प जय बाप सत शरी आसारािजी बाप क कपा-परसाद स पररपलाषवत हदयो क उदगार

(अनिम) पावन उदगार

प बाप ः राटरसख क सव यक

पजय बाप दवारा ददया जान वाला नततकता का सदश दश क कोन-कोन म लजतना अचधक परसाररत होगा लजतना अचधक बढगा उतनी ही मातरा म राषटरसख का सवधकन होगा राषटर की परगतत होगी जीवन क हर कषतर म इस परकार क सदश की जररत ह

(शरी लालकटण आडवाणी उपपर ानितरी एव कनरीय गहितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

राटर उनका ऋणी ह भारत क भतपवक परधानमतरी शरी चनिशखर ददकली क सवरक जयनती पाकक म 25 जलाई

1999 को बाप जी की अमतवारी का रसासवादन करन क पशचात बोलः

आज पजय बाप जी की ददवय वारी का लाभ लकर म धनय हो गया सतो की वारी न हर यग म नया सदश ददया ह नयी परररा जगायी ह कलह वविोह और दवष स गरसत वतकमान वातावरर म बाप लजस तरह ससय कररा और सवदनशीलता क सदश का परसार कर रह ह इसक ललए राषटर उनका ऋरी ह (शरी चनरशखर भ तप वय पर ानितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

गरीबो व षपछड़ो को ऊपर उठान क कायय चाल रह गरीबो और वपछड़ो को ऊपर उठान का कायक आशरम दवारा चलाय जा रह ह मझ

परसननता ह मानव-ककयार क ललए ववशषतः परम व भाईचार क सदश क मारधयम स ककय जा रह ववलभनन आरधयालसमक एव मानवीय परयास समाज की उननतत क ललए सराहनीय ह

डॉ एपीजअबदल कलाि राटरपतत भारत गणततर

(अनिम) पावन उदगार

सराहनीय परयासो की सफलता क मलए ब ाई मझ यह जानकर बड़ी परसननता हई ह कक सत शरी आसारामजी आशरम नयास जन-जन

म शातत अदहसा और भरातसव का सदश पहाचान क ललए दश भर म सससग का आयोजन कर रहा ह उसक सराहनीय परयासो की सफलता क ललए म बधाई दता हा

शरी क आर नारायणन ततकालीन राटरपतत भारत गणततर नई हदलली

(अनिम) पावन उदगार

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आरधयालसमक चतना जागत और ववकलसत करन हत भारतीय एव वलशवक समाज म ददवय जञान का जो परकाशपज आपन परसफदटत ककया ह सपरक मानवता उसस आलोककत ह मढता जड़ता दवदव और तरतरतापो स गरसत इस समाज म वयापत अनासथा तथा नालसतकता का ततलमर समापत कर आसथा सयम सतोष और समाधान का जो आलोक आपन तरबखरा ह सपरक

समाज उसक ललए कतजञ ह शरी किलनाथ वारणजय एव उदयोग ितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आप सिाज की सवागीण उननतत कर रह ह आज क भागदौड़ भर सपधाकसमक यग म लपतपराय-सी हो रही आलसमक शातत का आपशरी

मानवमातर को सहज म अनभव करा रह ह आप आरधयालसमक जञान दवारा समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह व उसम धालमकक एव नततक आसथा को सदढ कर रह ह

शरी कषपल मसबबल षवजञान व परौदयोधगकी तथा िहासागर षवकास राजयितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

योग व उचच ससकार मशकषा हत भारतविय आपका धचर-आभारी रहगा

दश ववदश म भारतीय ससकतत की जञानगगाधारा बचच-बचच क ददल-ददमाग म बाप जी क तनदश पर पररचाललत होना शभकर ह ववदयाचथकयो म ससकार लसचन दवारा हमारी ससकतत और नततक लशकषा सदढ बन जायगी दश को ससकाररत बनान क ललए चलाय जान वाल योग व उचच ससकार लशकषा कायकिम हत भारतवषक आप जस महासमाओ का चचरआभारी रहगा

शरी चनरशखर साह गरािीण षवकास राजयिनतरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आपन जो कहा ह हि उसका पालन करग

आज तक कवल सना था कक तरा साई तझि ह लककन आज पजय बाप जी क सससग सनकर आज लगा - िरा साई िझि ह बापजी आपको दखकर ही शलकत आ गयी

आपको सनकर भलकत परकट हो गयी और आपक दशकन और आशीवाकद स मलकत अब सतनलशचत हो गयी पराथकना करता हा कक यही बस जाओ हम बार-बार आपक दशकन करत रह और भलकत

शलकत परापत करत हए मलकत की ओर बढत रह अब हरदय स कभी तनकल न पाओग बाप जी जो भलकत रस की सररता और जञान की गगा आपन बहायी ह वह मरधय परदश वालसयो को हमशा परररा दती रहगी हम तो भकत ह लशषटय ह आपन जो कछ बात कही ह हम उनका पालन करग हम ववशषरप स रधयान रखग कक आपन जो आजञा की ह नीम पीपल आावला जगह-जगह लग और तलसी मया का पौधा हर घर म लहराय उस आजञा का पालन हो कफर मरधय-परदश नदनवन की तरह महकगा

तीन चीज आपस माागता हा ndash सत बदचध सत मागक और सामथयक दना ताकक जनता की सचार रप स सवा कर सका शरी मशवराजमसह चौहान िखयितरी िधयपरदश

(अनिम) पावन उदगार

जब गर क साकषात दशयन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

राजमाता की वजह स महाराज बापजी स हमारा बहत पराना ररशता ह आज रामनवमी क ददन म तो मानती हा कक म तो धनय हो गयी कयोकक सबह स लकर दशकन हो रह ह महाराज आपका आशीवाकद बना रह कयोकक म राज करन क ललए नही आयी धमक और कमक को एक साथ जोड़कर म सवा करन क ललए आयी हा और वह म करती रहागी आप आत रहोग आशीवाकद दत रहोग तो हमम ऊजाक भी पदा होगी आप रासता बतात रहो और इस राजयरपी पररवार की सवा करन की शलकत दत रहो

म माफी चाहती हा कक आपक चररो म इतनी दर स पहाची लककन म मानती हा कक जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा राजय की समसयाएा हल होगी व हम लोग जनसवा क काम कर सक ग वसन राराज मसध या िखयितरी राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी सवयतर ससकार रोहर को पहचान क मलए अथक तपशचयाय कर रह ह

पजय बाप जी आप दश और दतनया ndash सवकतर ऋवष-परमपरा की ससकार-धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह अनक यगो स चलत आय मानव-ककयार क इस तपशचयाक-यजञ म आप अपन पल-पल की आहतत दत रह ह उसम स जो ससकार की ददवय जयोतत परकट हई ह उसक परकाश म म और जनता ndash सब चलत रह ह म सतो क आशीवाकद स जी रहा हा म यहाा इसललए आया हा कक लासनस ररनय हो जाय जस नवला अपन घर म जाकर औषचध साघकर ताकत लकर आता ह वस ही म समय तनकाल कर ऐसा अवसर खोज लता हा

शरी नरनर िोदी िखयितरी गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपक दशयनिातर स िझ अदभत शषकत मिलती ह पजय बाप जी क ललए मर ददल म जो शरदधा ह उसको बयान करन क ललए मर पास

कोई शबद नही ह आज क भटक समाज म भी यदद कछ लोग सनमागक पर चल रह ह तो यह इन महापरषो क अमतवचनो का ही परभाव ह बापजी की अमतवारी का ववशषकर मझ पर तो बहत परभाव पड़ता ह मरा तो मन करता ह कक बाप जी जहाा कही भी हो वही पर उड़कर उनक दशकन करन क ललए पहाच जाऊा व कछ पल ही सही उनक सालननरधय का लाभ ला आपक दशकनमातर स ही मझ एक अदभत शलकत लमलती ह शरी परकाश मसह बादल िखयितरी पजाब

(अनिम) पावन उदगार

हि सभी का कतयवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल हम सबका परम सौभागय ह कक बाप जी क दशकन हए कल आपस मलाकात हई

आशीवाकद लमला मागकदशकन भी लमला और इशारो-इशारो म आपन वह सब कछ जो सदगरदव एक लशषटय को बता सकत ह मर जस एक लशषटय को आशीवाकद रप म परदान ककया आपक आशीवाकद

व कपादलषटट स छततीसगढ म सख-शातत व समदचध रह यहाा क एक-एक वयलकत क घर म ववकास की ककरर आय

आपन जो जञानोपदश ददया ह हम सभी का कतकवय होगा कक उस रासत पर चल बापजी स खासतौर स पीपल नीम आावला व तलसी क वकष लगान क बार म कहा ह हम इस पर ववशषरप स रधयान रखग डॉ रिन मसह िखयितरी छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

आपका ितर हः आओ सरल रासता हदखाऊ राि को पान क मलए

पजय बाबा आसारामजी बाप आपका नाम आसारामजी बाप इसललए तनकला ह कयोकक आपका यही मतर ह कक आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए आज हम धनय ह कक सससग म आय सससग उस कहत ह लजसक सग म हम सत हो जाय पजय बाप जी न हम भगवान को पान का सरल रासता ददखाया ह इसललए म जनता की ओर स बापजी का धनयवाद करता हा शरी ईएसएल नरमसमहन राजयपाल छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

सतो क िागयदशयन ि दश चलगा तो आबाद होगा पजय बाप जी म कमकयोग भलकतयोग तथा जञानयोग तीनो का ही समावश ह आप

आज करोड़ो-करोड़ो भकतो का मागकदशकन कर रह ह सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा म तो बड़-बड़ नताओ स यही कहता हा कक आप सतो का आशीवाकद जरर लो इनक चररो म अगर रहग तो सतता रहगी दटकगी तथा उसी स धमक की सथापना होगी

शरी अशोक मसघल अधयकष षवशव हहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

सतय का िागय कभी न छ ि ऐसा आशीवायद दो

हम आपक मागकदशकन की जररत ह वह सतत लमलता रह आपन हमार कधो पर जो जवाबदारी दी ह उस हम भली परकार तनभाय बर मागक पर न जाय ससय क मागक पर चल लोगो की अचछ ढग स सवा कर ससकतत की सवा कर ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

शरी उद व ठाकर काययकारी अधयकष मशवसना

(अनिम) पावन उदगार

पणयोदय पर सत सिागि

जीवन की दौड़-धप स कया लमलता ह यह हम सब जानत ह कफर भी भौततकवादी ससार म हम उस छोड़ नही पात सत शरी आसारामजी जस ददवय शलकतसमपनन सत पधार और हमको आरधयालसमक शातत का पान कराकर जीवन की अधी दौड़ स छड़ाय ऐस परसग कभी-कभी ही परापत होत ह य पजनीय सतशरी ससार म रहत हए भी परकतः ववशवककयार क ललए चचनतन करत ह कायक करत ह लोगो को आनदपवकक जीवन वयतीत करन की कलाएा और योगसाधना की यलकतयाा बतात ह

आज उनक समकष थोड़ी ही दर बठन स एव सससग सनन स हमलोग और सब भल गय ह तथा भीतर शातत व आनद का अनभव कर रह ह ऐस सतो क दरबार म पहाचना पणयोदय का फल ह उनह सनकर हमको लगता ह कक परततददन हम ऐस सससग क ललए कछ समय अवशय तनकालना चादहए पजय बाप जी जस महान सत व महापरष क सामन म अचधक कया कहा चाह कछ भी कहा वह सब सयक क सामन चचराग ददखान जसा ह

शरी िोतीलाल वोरा अरखल भारतीय कागरस कोिाधयकष प वय िखयितरी (िपर) प वय राजयपाल (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी जहा नही होत वहा क लोगो क मलए भी बहत कछ करत ह

सार दश क लोग पजय बापजी क आशीवकचनो की पावन गगा म नहा कर धनय हो रह ह आज बापजी यहाा उड़ीसा म सससग-अमत वपलान क ललए उपलसथत ह व जब यहाा नही होत

ह तब भी उड़ीसा क लोगो क बहत कछ करत ह उनको सब समय याद करत ह उड़ीसा क दररिनारायरो की तन-मन-धन स सवा दर-दराज म भी चलात ह

शरी जानकीवललभ पिनायक िखयितरी उड़ीसा

(अनिम) पावन उदगार

जीवन की सचची मशकषा तो प जय बाप जी ही द सकत ह बापजी ककतन परमदाता ह कक कोई भी वयलकत समाज म दःखी न रह इसललए सतत

परयसन करत रहत ह म हमशा ससकार चनल चाल करक आपक आशीवाकद लन क बाद ही सोती हा जीवन की सचची लशकषा तो हम भी नही द पा रह ह ऐसी लशकषा तो पजय सत शरी आसारामजी बाप जस सत लशरोलमरी ही द सकत ह

आनदीबहन पिल मशकषाितरी (प वय) राजसव एव िागय व िकान ितरी (वतयिान) गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपकी कपा स योग की अणशषकत पदा हो रही ह अनक परकार की ववकततयाा मानव क मन पर सामालजक जीवन पर ससकार और

ससकतत पर आिमर कर रही ह वसततः इस समय ससकतत और ववकतत क बीच एक महासघषक चल रहा ह जो ककसी सरहद क ललए नही बलकक ससकारो क ललए लड़ा जा रहा ह इसम ससकतत को लजतान का बम ह योगशलकत ह गरदव आपकी कपा स इस योग की ददवय अरशलकत लाखो लोगो म पदा हो रही ह य ससकतत क सतनक बन रह ह

गरदव म आपस पराथकना करता हा कक शासन क अदर भी धमक और वरागय क ससकार उसपनन हो आपस आशीवाकद परापत करन क ललए म आपक चररो म आया हा

(शरी अशोकभाई भटि कान नितरी गजरात राजय)

(अनिम) पावन उदगार

रती तो बाप जस सतो क कारण हिकी ह

मझ सससग म आन का मौका पहली बार लमला ह और पजय बापजी स एक अदभत बात मझ और आप सब को सनन को लमली ह वह ह परम की बात इस सलषटट का जो मल तवव ह वह ह परम यह परम नाम का तवव यदद न हो तो सलषटट नषटट हो जाएगी लककन ससार म कोई परम करना नही जानता या तो भगवान पयार करना जानत ह या सत पयार करना जानत ह लजसको ससारी लोग अपनी भाषा म परम कहत ह उसम तो कही-न-कही सवाथक जड़ा होता ह लककन भगवान सत और गर का परम ऐसा होता ह लजसको हम सचमच परम की पररभाषा म बााध सकत ह म यह कह सकती हा कक साध सतो को दश की सीमाएा नही बााधती जस नददयो की धाराएा दश और जातत की सीमाओ म नही बााधती उसी परकार परमासमा का परम और सतो का आशीवाकद भी कभी दश जातत और सपरदाय की सीमाओ म नही बधता कललयग म हदय की तनषटकपटता तनःसवाथक परम सयाग और तपसया का कषय होन लगा ह कफर भी धरती दटकी ह तो बाप इसललए कक आप जस सत भारतभलम पर ववचरर करत ह बाप की कथा म ही मन यह ववशषता दखी ह कक गरीब और अमीर दोनो को अमत क घाट एक जस पीन को लमलत ह यहाा कोई भदभाव नही ह

(सशरी उिा भारती िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

ि किनसीब ह जो इतन सिय तक गरवाणी स वधचत रहा परम पजय गरदव क शरी चररो म सादर परराम मन अभी तक महाराजशरी का नाम

भर सना था आज दशकन करन का अवसर लमला ह लककन म अपन-आपको कमनसीब मानता हा कयोकक दर स आन क कारर इतन समय तक गरदव की वारी सनन स वचचत रहा अब मरी कोलशश रहगी कक म महाराजशरी की अमतवारी सनन का हर अवसर यथासमभव पा सका म ईशवर स यही पराथकना करता हा कक व हम ऐसा मौका द कक हम गर की वारी को सनकर अपन-आपको सधार सक गर जी क शरी चररो म सादर समवपकत होत हए मरधयपरदश की जनता की ओर स पराथकना करता हा कक गरदव आप इस मरधयपरदश म बार-बार पधार और हम लोगो को आशीवाकद दत रह ताकक परमाथक क उस कायक म जो आपन पर दश म ही नही दश क बाहर भी फलाया ह मरधयपरदश क लोगो को भी जड़न का जयादा-स-जयादा अवसर लमल

(शरी हदषगवजय मसह ततकालीन िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

इतनी ि र वाणी इतना अदभत जञान म अपनी ओर स तथा यहाा उपलसथत सभी महानभावो की ओर स परम शरदधय

सतलशरोमखर बाप जी का हाददकक सवागत करता हा मन कई बार टीवी पर आपको दखा सना ह और ददकली म एक बार आपका परवचन भी सना ह इतनी मधर वारी इतना मधर जञान अगर आपक परवचन पर गहराई स ववचार करक अमल ककया जाय तो इनसान को लजदगी म सही रासता लमल सकता ह व लोग धन भागी ह जो इस यग म ऐस महापरष क दशकन व सससग स अपन जीवन-समन खखलात ह

(शरी भजनलाल ततकालीन िखयितरी हररयाणा)

(अनिम) पावन उदगार

सतसग शरवण स िर हदय की सफाई हो गयी पजयशरी क दशकन करन व आशीवाकद लन हत आय हए उततरपरदश क तसकालीन राजयपाल

शरी सरजभान न कहाः समशानभलम स आन क बाद हम लोग शरीर की शदचध क ललए सनान कर लत ह ऐस ही ववदशो म जान क कारर मझ पर दवषत परमार लग जात थ परत वहाा स लौटन क बाद यह मरा परम सौभागय ह कक यहाा महाराज शरी क दशकन व पावन सससग-शरवर करन स मर चचतत की सफाई हो गयी ववदशो म रह रह अनको भारतवासी पजय बाप क परवचनो को परसयकष या परोकष रप स सन रह ह मरा यह सौभागय ह कक मझ यहाा महाराजशरी को सनन का सअवसर परापत हआ

(शरी स रजभान ततकालीन राजयपाल उततरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी उततराचल राजय का सौभागय ह कक इस दवभमी म दवता सवरप पजय बापजी का आशरम बन रहा ह | आप ऐसा आशरम बनाय जसा कही भी न हो | यह हम लोगो का सौभागय ह कक अब पजय बापजी की जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी ह | अब गगा जाकर दशकन करन व सनान करन की उतनी आवशयकता नही ह लजतनी सत शरी आसारामजी बाप क चररो म बठकर

उनक आशीवाकद लन की ह |

-शरी तनतयानद सवािीजी

ततकालीन िखयितरी उततराचल

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी क सतसग स षवशवभर क लोग लाभाषनवत भारतभलम सदव स ही ऋवष-मतनयो तथा सत-महासमाओ की भलम रही ह लजनहोन ववशव

को शातत एव अरधयासम का सदश ददया ह आज क यग म पजय सत शरी आसारामजी अपनी अमतवारी दवारा ददवय आरधयालसमक सदश द रह ह लजसस न कवल भारत वरन ववशवभर म लोग लाभालनवत हो रह ह

(शरी सरजीत मसह बरनाला राजयपाल आनरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

प री डडकशनरी याद कर षवशव ररकॉडय बनाया ऑकसफोडक एडवास लनकसक डडकशनरी (अगरजी छठा ससकरर) क 80000 शबदो को उनकी

पषटठ सखया सदहत मन याद कर ललया जो कक समसत ववशव क ललए ककसी चमसकार स कम नही ह फलसवरप मरा नाम ललमका बक ऑफ वकडक ररकॉडकस म दजक हो गया यही नही जी टीवी पर ददखाय जान वाल ररयाललटी शो म शाबाश इडडया म भी मन ववशव ररकॉडक बनाया द वीक पतरतरका क एक सवकषर म भी मरा नाम 25 अदभत वयलकतयो की सची म ह

मझ पजय गरदव स मतरदीकषा परापत होना भरामरी परारायाम सीखन को लमलना तथा अपनी कमजोरी को ही महानता परापत करन का साधन बनान की परररा कला बल एव उससाह परापत होना ndash यह सब तो गरदव की अहतकी कपा का ही चमसकार ह गरकपा ही कवल मशटयसय पर िगलि

षवरनर िहता अजयन नगर रोहतक (हरर)

(अनिम) पावन उदगार

ितरदीकषा व यौधगक परयोगो स बदध का अपरतति षवकास

पहल म एक साधारर छातर था मझ लगभग 50-55 परततशत अक ही लमलत थ 11वी ककषा म तो ऐसी लसथतत हई कक सकल का नाम खराब न हो इसललए परधानारधयापक न मर अलभभावको को बलाकर मझ सकल स तनकाल दन तक की बात कही थी बाद म मझ पजय बाप जी स सारसवसय मतर की दीकषा लमली इस मतर क जप व बापजी दवारा बताय गय परयोगो क अभयास स कछ ही समय म मरी बदचधशलकत का अपरततम ववकास हआ तसपशचात नोककया मोबाइल कपनी म गलोबल सववकसस परोडकट मनजर क पद पर मरी तनयलकत हई और मन एक पसतक ललखी जो अतराकषटरीय कपतनयो को सकयलर नटवकक की डडजाईन बनान म उपयोगी हो रही ह एक ववदशी परकाशन दवारा परकालशत इस पसतक की कीमत 110 डॉलर (करीब 4500 रपय) ह इसक परकाशन क बाद मरी पदोननती हई और अब ववशव क कई दशो म मोबाइल क कषतर म परलशकषर दन हत मझ बलात ह कफर मन एक और पसतक ललखी लजसकी 150 डॉलर (करीब 6000 रपय) ह यह पजयशरी स परापत सारसवसय मतरदीकषा का ही पररराम ह

अजय रजन मिशरा जनकपरी हदलली

(अनिम) पावन उदगार

सतसग व ितरदीकषा न कहा स कहा पहचा हदया पहल म भस चराता था रोज सबह रात की रखी रोटी पयाज नमक और मोतरबल ऑयल

क डडबब म पानी लकर तनकालता व दोपहर को वही खाता था आचथकक लसथतत ठीक न होन स टायर की ढाई रपय वाली चपपल पहनता था

12वी म मझ कवल 60 परततशत अक परापत हए थ उसक बाद मन इलाहाबाद म इजीतनयररग म परवश ललया तब म अजञानवश सतो का ववरोध करता था सतो क ललए जहर उगलन वाल मखो क सग म आकर म कछ-का-कछ बकता था लककन इलाहाबाद म पजय बाप जी का सससग आयोलजत हआ तो सोचा 5 लमनट बठत ह वहाा बठा तो बठ ही गया कफर मझ बापजी दवारा सारसवसय मतर लमला मरी सझबझ म सदगर की कपा का सचार हआ मन सववचध मतर-अनषटठान ककया छठ ददन मर आजञाचि म कमपन होन लगा था म एक साल तक

एकादशी क तनजकल वरत व जागरर करत हए शरी आसारामायर शरी ववषटर सहसरनाम गजनिमोकष का पाठ व सारसवसय मतर का जप करता था रात भर म यही पराथकना करता था बस परभ मझ गर जी स लमला दो

परभकपा स अब मरा उददशय परा हो गया ह इस समय म गो एयर (हवाई जहाज कमपनी) म इजीतनयर हा महीन भर का करीब एक लाख 80 हजार पाता हा कछ ददनो म तनखवाह ढाई लाख हो जायगी गर जी न भस चरान वाल एक गरीब लड़क को आज लसथतत म पहाचा ददया ह

कषकषततज सोनी (एयरकराफि इजीतनयर) हदलली

(अनिम) पावन उदगार

5 विय क बालक न चलायी जोरखि भरी सड़को पर कार

मन पजय बापजी स सारसवसय मतर की दीकषा ली ह जब म पजा करता हा बापजी मरी तरफ पलक झपकात ह म बापजी स बात करता हा म रोज दस माला करता हा म बापजी स जो माागता हा वह मझ लमल जाता ह मझ हमशा ऐसा एहसास होता ह कक बापजी मर साथ ह

5 जलाई 2005 को म अपन दोसतो क साथ खल रहा था मरा छोटा भाई छत स नीच चगर गया उस समय हमार घर म कोई बड़ा नही था इसललए हम सब बचच डर गय इतन म पजय बापजी की आवाज आयी कक ताश इस वन म तरबठा और वन चलाकर हॉलसपटल ल जा उसक बाद मन अपनी दीददयो की मदद स दहमाश को वन म ललटाया गाड़ी कसी चली और असपताल कस पहाची मझ नही पता मझ रासत भर ऐसा एहसास रहा कक बापजी मर साथ बठ ह और गाड़ी चलवा रह ह (घर स असपताल का 5 ककमी स अचधक ह)

ताश बसोया राजवीर कॉलोनी हदलली ndash 16

(अनिम) पावन उदगार

ऐस सतो का षजतना आदर ककया जाय कि ह

ककसी न मझस कहा थाः रधयान की कसट लगाकर सोयग तो सवपन म गरदव क दशकन होगrsquo

मन उसी रात रधयान की कसट लगायी और सनत-सनत सो गया उस वकत रातरतर क बारह-साढ बारह बज होग वकत का पता नही चला ऐसा लगा मानो ककसी न मझ उठा ददया म गहरी नीद स उठा एव गर जी की लपवाल फोटो की तरफ टकटकी लगाकर एक-दो लमनट तक दखता रहा इतन म आशचयक टप अपन-आप चल पड़ी और कवल य तीन वाकय सनन को लमलः lsquoआसमा चतनय ह शरीर जड़ ह शरीर पर अलभमान मत करोrsquo

टप सवतः बद हो गयी और पर कमर म यह आवाज गाज उठी दसर कमर म मरी पसनी की भी आाख खल गयी और उसन तो यहाा तक महसस ककया जस कोई चल रहा ह व गरजी क लसवाय और कोई नही हो सकत

मन कमर की लाइट जलायी और दौड़ता हआ पसनी क पास गया मन पछाः lsquoसनाrsquo वह बोलीः lsquoहााrsquo

उस समय सबह क ठीक चार बज थ सनान करक म रधयान म बठा तो डढ घणट तक बठा रहा इतना लबा रधयान तो मरा कभी नही लगा इस घटना क बाद तो ऐसा लगता ह कक गरजी साकषात बरहमसवरप ह उनको जो लजस रप म दखता ह वस व ददखत ह

मरा लमतर पाशचासय ववचारधारावाला ह उसन गरजी का परवचन सना और बोलाः lsquoमझ तो य एक बहत अचछ लकचरर लगत हrsquo

मन कहाः lsquoआज जरर इस पर गरजी कछ कहगrsquo

यह सरत आशरम म मनायी जा रही जनमाषटटमी क समय की बात ह हम कथा म बठ गरजी न कथा क बीच म ही कहाः lsquoकछ लोगो को म लकचरर ददखता हा कछ को lsquoपरोफसरrsquo ददखता हा कछ को lsquoगरrsquo ददखता हा और वसा ही वह मझ पाता हrsquo

मर लमतर का लसर शमक स झक गया कफर भी वह नालसतक तो था ही उसन हमार तनवास पर मजाक म गरजी क ललए कछ कहा तब मन कहाः यह ठीक नही ह अबकी बार मान जा नही तो गर जी तझ सजा दग

15 लमनट म ही उसक घर स फोन आ गया कक बचच की तबीयत बहत खराब ह उस असपताल म दाखखल करना पड़ रहा ह

तब मर लमतर की सरत दखन लायक थी वह बोलाः गकती हो गयी अब म गर जी क ललए कछ नही कहागा मझ चाह ववशवास हो या न हो

अखबारो म गर जी की तनदा ललखनवाल अजञानी लोग नही जानत कक जो महापरष भारतीय ससकतत को एक नया रप द रह ह कई सतो की वाखरयो को पनजीववत कर रह ह लोगो क शराब-कबाब छड़वा रह ह लजनस समाज का ककयार हो रहा ह उनक ही बार म हम हलकी बात ललख रह ह यह हमार दश क ललए बहत ही शमकजनक बात ह ऐस सतो का तो लजतना आदर ककया जाय वह कम ह गरजी क बार म कछ भी बखान करन क ललए मर पास शबद नही ह

(डॉ सतवीर मसह छाबड़ा बीबीईएि आकाशवाणी इनदौर)

(अनिम) पावन उदगार

िझ तनवययसनी बना हदया म वपछल कई वषो स तमबाक का वयसनी था और इस दगकर को छोड़न क ललए मन

ककतन ही परयसन ककय पर म तनषटफल रहा जनवरी 1995 म पजय बाप जब परकाशा आशरम (महा) पधार तो म भी उनक दशकनाथक वहाा पहाचा और उनस अनऱोध ककयाः

बाप ववगत 32 वषो स तमबाक का सवन कर रहा हा अनक परयसनो क बाद भी इस दगकर स म मकत न हो सका अब आप ही कपा कीलजएrsquo

पजय बाप न कहाः lsquoलाओ तमबाक की डडबबी और तीन बार थककर कहो कक आज स म तमबाक नही खाऊा गाrsquo

मन पजय बाप जी क तनदशानसार वही ककया और महान आशचयक उसी ददन स मरा तमबाक खान का वयसन छट गया पजय बाप की ऐसी कपादलषटट हई कक वषक परा होन पर भी मझ कभी तमबाक खान की तलब नही लगी

म ककन शबदो म पजय बाप का आभार वयकत करा मर पास शबद ही नही ह मझ आननद ह कक इन राषटरसत न बरबाद व नषटट होत हए मर जीवन को बचाकर मझ तनवयकसनी ददया

(शरी लखन भिवाल षज मलया िहाराटर)

(अनिम) पावन उदगार

गरजी की तसवीर न पराण बचा मलय

कछ ही ददनो पहल मरा दसरा बटा एम ए पास करक नौकरी क ललय बहत जगह घमा बहत जगह आवदन-पतर भजा ककनत उस नौकरी नही लमली | कफर उसन बापजी स दीकषा ली | मन आशरम का कछ सामान कसट सतसादहसय लाकर उसको दत हए कहा शहर म जहाा मददर ह जहाा मल लगत ह तथा जहाा हनमानजी का परलसदध दकषकषरमखी मददर ह वहा सटाल लगाओ | बट न सटाल लगाना शर ककया | ऐस ही एक सटाल पर जलगाव क एक परलसदध वयापारी अगरवालजी आय बापजी की कछ कसट खरीदी और ईशवर की ओर नामक पसतक भी साथ म ल गय पसतक पढी और कसट सनी | दसर ददन व कफर आय और कछ सतसादहसय खरीद कर ल गय व पान क थोक वविता ह | उनको पान खान की आदत ह | पसतक पढकर उनह लगा म पान छोड़ दा | उनकी दकान पर एक आदमी आया | पाचसौ रपयो का सामान खरीदा और उनका फोन नमबर ल गया | एक घट क बाद उसन दकान पर फोन ककया सठ अगरवालजी मझ आपका खन करन का काम सौपा गया था | काफी पस (सपारी) भी ददय गय थ और म तयार भी हो गया था पर जब म आपकी दकान पर पहचा तो परम पजय सत शरी आसारामजी बाप क चचतर पर मरी नजर पड़ी | मझ ऐसा लगा मानो साकषात बाप बठ हो और मझ नक इनसान बनन की परररा द रह हो गरजी की तसवीर न (तसवीर क रप म साकषात गरदव न आकर) आपक परार बचा ललय | अदभत चमसकार ह ममबई की पाटी न उसको पस भी ददय थ और वह आया भी था खन करन क इराद स परनत जाको राख साइयाा चचतर क दवार भी अपनी कपा बरसान वाल ऐस गरदव क परसयकष दशकन करन क ललय वह यहाा भी आया ह |

-बालकटण अगरवाल

जलगाव िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

सदगर मशटय का साथ कभी नही छोड़त एक रात म दकान स सकटर दवारा अपन घर जा रहा था | सकटर की डडककी म काफी

रपय रख हए थ | जयो ही घर क पास पहचा तो गली म तीन बदमाश लमल | उनहोन मझ घर ललया और वपसतौल ददखायी | सकटर रकवाकर मर लसर पर तमच का बट मार ददया और धकक मार कर मझ एक तरफ चगरा ददया | उनहोन सोचा होगा कक म अकला ह पर लशषटय जब सदगर स मतर लता ह शरदधा-ववशवास रखकर उसका जप करता ह तब सदगर उसका साथ नही छोड़त |

मन सोचा डडककी म बहत रपय ह और य बदमाश तो सकटर ल जा रह ह | मन गरदव स पराथकना की | इतन म व तीनो बदमाश सकटर छोड़कर थला ल भाग | घर जाकर खोला होगा तो सबजी और खाली दटकफ़न दखकर लसर कटा पता नही पर बड़ा मजा आया होगा | मर पस बच गयउनका सबजी का खचक बच गया |

-गोकलचनर गोयल

आगरा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स अ ापन द र हआ

मझ गलकोमा हो गया था | लगभग पतीस साल स यह तकलीफ़ थी | करीब छः साल तक तो म अधा रहा | कोलकाता चननई आदद सब जगहो पर गया शकर नतरालय म भी गया ककनत वहा भी तनराशा हाथ लगी | कोलकाता क सबस बड़ नतर-ववशषजञ क पास गया | उसन भी मना कर ददया और कहा | धरती पर ऐसा कोई इनसान नही जो तमह ठीक कर सक | लककन सरत आशरम म मझ गरदव स मतर लमला | वह मतर मन खब शरदधा-ववशवासपवकक जपा कयोकक सकषात बरहमसवरप गरदव स वह मतर लमला था | करीब छः-सात महीन ही जप हआ था कक मझ थोड़ा-थोड़ा ददखायी दन लगा | डॉकटर कहत थ कक तमको भरातत हो गयी ह पर मझ तो अब भी अचछी तरह ददखता ह | एक बार एक अनय भयकर दघकटना स भी गरदव न मझ बचाया था |

ऐस गरदव का ॠर हम जनमो-जनमो तक नही चका सकत |

-शकरलाल िहशवरी कोलकाता

(अनिम) पावन उदगार

और डकत घबराकर भाग गय

१४ जलाई ९९ को करीब साढ तीन बज मर मकान म छः डकत घस आय और उस समय दभाकगय स बाहर का दरवाजा खला हआ था | दो डकत बाहर मारतत चाल रखकर खड़ थ |

एक डकत न धकका दकर मरी माा का माह बद कर ददया और अलमारी की चाबी माागन लगा |

इस घटना क दौरान म दकान पर था | मरी पसनी को भी डकत धमकान लग और आवाज न करन को कहा | मरी पसनी न पजय बापजी क चचतर क सामन हाथ जोड़कर पराथकना की अब आप ही रकषा करो इतना ही कहा तो आशचयक आशचयक परम आशचयक व सब डकत घबराकर भागन लग | उनकी हड़बड़ाहट दखकर ऐसा लग रहा था मानो उनह कछ ददखायी नही द रहा था | व भाग गय | मरा पररवार गरदव का ॠरी ह | बापजी क आशीवाकद स सब सकशल ह |

हमन १५ नवमबर ९८ को वारारसी म मतरदीकषा ली थी |

-िनोहरलाल तलरजा

४ झललाल नगर मशवाजी नगर

वाराणसी

(अनिम) पावन उदगार

ितर दवारा ितदह ि पराण-सचार

म शरी योग वदानत सवा सलमतत आमट स जीप दवारा रवाना हआ था | ११ जलाई १९९४ को मरधयानह बारह बज हमारी जीप ककसी तकनीकी तरदट क कारर तनयतरर स बाहर होकर तीन पलकटयाा खा गयी | मरा परा शरीर जीप क नीच दब गया | ककसी तरह मझ बाहर तनकाला गया |

एक तो दबला पतला शरीर और ऊपर स परी जीप का वजन ऊपर आ जान क कारर मर शरीर क परसयक दहसस म असहय ददक होन लगा | मझ पहल तो कसररयाजी असपताल म दाखखल कराया गया | जयो-जयो उपचार ककया गया कषटट बढता ही गया कयोकक चोट बाहर नही शरीर क भीतरी दहससो म लगी थी और भीतर तक डॉकटरो का कोई उपचार काम नही कर रहा था | जीप क नीच दबन स मरा सीना व पट ववशष परभाववत हए थ और हाथ-पर म कााच क टकड़ घस गय थ | ददक क मार मझ साास लन म भी तकलीफ हो रही थी | ऑकसीजन ददय जान क बाद भी दम घट रहा था और मसय की घडडयाा नजदीक ददखायी पड़न लगी | म मररासनन लसथतत म

पहाच गया | मरा मसय-परमारपतर बनान की तयाररयाा कक जान लगी व मझ घर ल जान को कहा गया | इसक पवक मरा लमतर पजय बाप स फ़ोन पर मरी लसथतत क समबनध म बात कर चका था | परारीमातर क परम दहतषी दयाल सवभाव क सत पजय बाप न उस एक गपत मतर परदान करत हए कहा था कक पानी म तनहारत हए इस मतर का एक सौ आठ बार (एक माला) जप करक वह पानी मनोज को एव दघकटना म घायल अनय लोगो को भी वपला दना | जस ही वह अलभमतरतरत जल मर माह म डाला गया मर शरीर म हलचल होन क साथ ही वमन हआ | इस अदभत चमसकार स ववलसमत होकर डॉकटरो न मझ तरत ही ववशष मशीनो क नीच ल जाकर ललटाया |

गहन चचककससकीय परीकषर क बाद डॉकटरो को पता चला कक जीप क नीच दबन स मरा परा खन काला पड़ गया था तथा नाड़ी-चालन (पकस) हदयगतत व रकत परवाह भी बद हो चक थ |

मर शरीर का समपरक रकत बदल ददया गया तथा आपरशन भी हआ | उसक ७२ घट बाद मझ होश आया | बहोशी म मझ कवल इतना ही याद था की मर भीतर पजय बाप दवारा परदतत गरमतर का जप चल रहा ह | होश म आन पर डॉकटरो न पछा तम आपरशन क समय बापबाप पकार रह थ | य बाप कौन ह मन बताया व मर गरदव परातः समररीय परम पजय सत शरी असारामजी बाप ह | डॉकटरो न पनः मझस परशन ककया कया तम कोई वयायाम करत हो मन कहा म अपन गरदव दवारा लसखायी गयी ववचध स आसन व परारायाम करता हा | व बोल इसीललय तमहार इस दबल-पतल शरीर न यह सब सहन कर ललया और तम मरकर भी पनः लजनदा हो उठ दसरा कोई होता तो तरत घटनासथल पर ही उसकी हडडडयाा बाहर तनकल जाती और वह मर जाता | मर शरीर म आठ-आठ नललयाा लगी हई थी | ककसीस खन चढ रहा था तो ककसी स कतरतरम ऑकसीजन ददया जा रहा था | यदयवप मर शरीर क कछ दहससो म अभी-भी कााच क टकड़ मौजद ह लककन गरकपा स आज म परक सवसथ होकर अपना वयवसाय व गरसवा दोनो कायक कर रह हा | मरा जीवन तो गरदव का ही ददया हआ ह | इन मतरदषटटा महवषक न उस ददन मर लमतर को मतर न ददया होता तो मरा पनजीवन तो समभव नही था | पजय बाप मानव-दह म ददखत हए भी अतत असाधारर महापरष ह | टललफ़ोन पर ददय हए उनक एक मतर स ही मर मत शरीर म पनः परारो का सचार हो गया तो लजन पर बाप की परसयकष दलषटट पड़ती होगी व लोग ककतन भागयशाली होत होग ऐस दयाल जीवनदाता सदगर क शरीचररो म कोदट-कोदट दडवत परराम

-िनोज किार सोनी

जयोतत िलसय लकषिी बाजार आिि राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस मिली मरी दादहनी आाख स कम ददखायी दता था तथा उसम तकलीफ़ भी थी | रधयानयोग

लशववर ददकली म पजय गरदव मवा बााट रह थ तब एक मवा मरी दादहनी आाख पर आ लगा |

आाख स पानी तनकलन लगा | पर आशचयक दसर ही ददन स आाख की तकलीफ लमट गयी और अचछी तरह ददखायी दन लगा | -राजकली दवी

असनापर लालगज अजारा षज परतापगढ़ उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

बड़दादा की मिटिी व जल स जीवनदान

अगसत ९८ म मझ मलररया हआ | उसक बाद पीललया हो गया | मर बड़ भाई न आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म स पीललया का मतर पढकर पीललया तो उतार ददया परत कछ ही ददनो बाद अगरजी दवाओ क ररएकषन स दोनो ककडतनयाा फल (तनलषटिय) हो गई | मरा हाटक (हदय) और लीवर (यकत) भी फल होन लग | डॉकटरो न तो कह ददया यह लड़का बच नही सकता | कफर मझ गोददया स नागपर हॉलसपटल म ल जाया गया लककन वहाा भी डॉकटरो न जवाब द ददया कक अब कछ नही हो सकता | मर भाई मझ वही छोड़कर सरत आशरम आय

वदयजी स लमल और बड़दादा की पररिमा करक पराथकना की तथा वहाा की लमटटी और जल ललया | ८ तारीख को डॉकटर मरी ककडनी बदलन वाल थ | जब मर भाई बड़दादा को पराथकना कर रह थ तभी स मझ आराम लमलना शर हो गया था | भाई न ७ तारीख को आकर मझ बड़दादा कक लमटटी लगाई और जल वपलाया तो मरी दोनो ककडनीयाा सवसथ हो गयी | मझ जीवनदान लमल गया | अब म तरबककल सवसथ हा |

-परवीण पिल

गोहदया िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप न फ का कपा-परसाद

कछ वषक पवक पजय बाप राजकोट आशरम म पधार थ | मझ उन ददनो तनकट स दशकन करन का सौभागय लमला | उस समय मझ छाती म एनजायना पकसटोररस क कारर ददक रहता था | सससग परा होन क बाद कछ लोग पजय बाप क पास एक-एक करक जा रह थ | म कछ फल-फल नही लाया था इसललए शरदधा क फल ललय बठा था | पजय बाप कपा-परसाद फ क रह थ कक इतन म एक चीक मरी छाती पर आ लगा और छाती का वह ददक हमशा क ललए लमट गया |

-अरषवदभाई वसावड़ा

राजकोि

(अनिम) पावन उदगार

बिी न िनौती िानी और गरकपा हई

मरी बटी को शादी ककय आठ साल हो गय थ | पहली बार जब वह गभकवती हई तब बचचा पट म ही मर गया | दसरी बार बचची जनमी पर छः महीन म वह भी चल बसी | कफर मरी पसनी न बटी स कहा अगर त सककप कर कक जब तीसरी बार परसती होगी तब तम बालक की जीभ पर बापजी क बतान क मतातरबक lsquoॐrsquo ललखोगी तो तरा बालक जीववत रहगा ऐसा मझ ववशवास ह कयोकक ॐकार मतर म परमानदसवरप परभ ववराजमान ह | मरी बटी न इस परकार मनौती मानी और समय पाकर वह गभकवती हई | सोनोगराफ़ी करवायी गयी तो डॉकटरो न बताया गभक म बचची ह और उसक ददमाग म पानी भरा हआ ह | वह लजदा नही रह सकगी |

गभकपात करवा दो | मरी बटी न अपनी माा स सलाह की | उसकी माा न कहा गभकपात का महापाप नही करवाना ह | जो होगा दखा जायगा | गरदव कपा करग | जब परसती हई तो तरबककल पराकततक ढग स हई और उस बचची की जीभ पर शहद एव लमशरी स ॐ ललखा गया | आज वह तरबककल ठीक ह | जब उसकी डॉकटरी जााच करवायी गयी तो डॉकटर आशचयक म पड़ गय सोनोगराफ़ी म जो बीमाररयाा ददख रही थी व कहाा चली गयी ददमाग का पानी कहाा चला गया

दहनदजा हॉलसपटलवाल यह कररशमा दखकर दग रह गय अब घर म जब कोई दसरी कोई कसट चलती ह तो वह बचची इशारा करक कहती ह ॐवाली कसट चलाओ | वपछली पनम को हम मबई स टाटा समो म आ रह थ | बाढ क पानी क कारर रासता बद था | हम सोच म पड़ गय कक पनम का तनयम टटगा | हमन गरदव का समरर ककया | इतन म हमार डराइवर न हमस पछा जान दा हमन भी गरदव का समरर करक कहा जान दो और हरर हरर ॐ कीतकन की कसट लगा दो | गाड़ी आग चली | इतना पानी कक हम जहाा बठ थ वहाा तक पानी आ गया |

कफर भी हम गरदव क पास सकशल पहाच गय और उनक दशकन ककय|

-िरारीलाल अगरवाल

साताकर ज िबई

(अनिम) पावन उदगार

और गरदव की कपा बरसी जबस सरत आशरम की सथापना हई तबस म गरदव क दशकन करत आ रहा हा उनकी

अमतवारी सनता आ रहा हा | मझ पजयशरी स मतरदीकषा भी लमली ह | परारबधवश एक ददन मर साथ एक भयकर दघकटना घटी | डॉकटर कहत थ आपका एक हाथ अब काम नही करगा | म अपना मानलसक जप मनोबल स करता रहा | अब हाथ तरबककल ठीक ह | उसस म ७० ककगरा वजन उठा सकता हा | मरी समसया थी कक शादी होन क बाद मझ कोई सतान नही थी | डॉकटर कहत थ कक सतान नही हो सकती | हम लोगो न गरकपा एव गरमतर का सहारा ललया रधयानयोग लशववर म आय और गरदव की कपा बरसी | अब हमारी तीन सतान ह दो पतरतरयाा और एक पतर | गरदव न ही बड़ी बटी का नाम गोपी और बट का नाम हररककशन रखा ह | जय हो सदगरदव की

-हसिख काततलाल िोदी

५७ अपना घर सोसायिी सदर रोड़ स रत

(अनिम) पावन उदगार

गरदव न भजा अकषयपातर

हम परचारयातरा क दौरान गरकपा का जो अदभत अनभव हआ वह अवरकनीय ह | यातरा की शरआत स पहल ददनाक ८-११-९९ को हम पजय गरदव क आशीवाकद लन गय | गरदव न कायकिम क ववषय म पछा और कहा पचड़ आशरम (रतलाम) म भडारा था | उसम बहत सामान बच गया ह | गाड़ी भजकर मागवा लना गरीबो म बााटना | हम झाबआ लजल क आस-पास क

गरीब आददवासी इलाको म जानवाल थ | वहाा स रतलाम क ललए गाड़ी भजी | चगनकर सामान भरा गया | दो ददन चल उतना सामान था | एक ददन म दो भडार होत थ | अतः चार भडार का सामान था | सबन खकल हाथो बतकन कपड़ साडड़याा धोती आदद सामान छः ददनो तक बााटा कफर भी सामान बचा रहा | सबको आशचयक हआ हम लोग सामान कफर स चगनन लग परत गरदव की लीला क ववषय म कया कह कवल दो ददन चल उतना सामान छः ददनो तक खकल हाथो बााटा कफर भी अत म तीन बोर बतकन बच गय मानो गरदव न अकषयपातर भजा हो एक ददन शाम को भडारा परा हआ तब दखा कक एक पतीला चावल बच गया ह | करीब १००-१२५ लोग खा सक उतन चावल थ | हमन सोचा चावल गााव म बाट दत ह | परत गरदव की लीला दखो एक गााव क बदल पााच गाावो म बााट कफर भी चावल बच रह | आखखर रातरतर म ९ बज क बाद सवाधाररयो न थककर गरदव स पराथकना की कक गरदव अब जगल का ववसतार ह हम पर कपा करो | और चावल खसम हए | कफर सवाधारी तनवास पर पहाच |

-सत शरी आसारािजी भकतिडल

कतारगाि स रत

(अनिम) पावन उदगार

सवपन ि हदय हए वरदान स पतरपराषपत

मर गरहसथ जीवन म एक-एक करक तीन कनयाएा जनमी | पतरपरालपत क ललए मरी धमकपसनी न गरदव स आशीवाकद परापत ककया था | चौथी परसतत होन क पहल जब उसन वलसाड़ म सोनोगराफ़ी करवायी तो ररपोटक म लड़की बताया गया | यह सनकर हम तनराश हो गय | एक रात पसनी को सवपन म गरदव न दशकन ददय और कहा बटी चचता मत कर | घबराना मत धीरज रख | लड़का ही होगा | हमन सरत आशरम म बड़दादा की पररिमा करक मनौती मानी थी वह भी फ़लीभत हई और गरदव का बरहमवाकय भी ससय सातरबत हआ जब परसतत होन पर लड़का हआ | सभी गरदव की जय-जयकार करन लग |

-सनील किार रा शयाि चौरमसया

दीपकवाड़ी ककलला पारड़ी षज वलसाड़

(अनिम) पावन उदगार

शरी आसारािायण क पाठ स जीवनदान

मरा दस वषीय पतर एक रात अचानक बीमार हो गया | साास भी मलशकल स ल रहा था |

जब उस हॉलसपटल म भती ककया तब डॉकटर बोल | बचचा गभीर हालत म ह | ऑपरशन करना पड़गा | म बचच को हॉलसपटल म ही छोड़कर पस लन क ललए घर गया और घर म सभी को कहा ldquoआप लोग शरी आसारामायर का पाठ शर करो |rdquo पाठ होन लगा | थोड़ी दर बाद म हॉलसपटल पहाचा | वहाा दखा तो बचचा हास-खल रहा था | यह दख मरी और घरवालो की खशी का दठकाना न रहा यह सब बापजी की असीम कपा गर-गोववनद की कपा और शरी आसारामायर-पाठ का फल ह |

-सनील चाडक

अिरावती िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

गरवाणी पर षवशवास स अवणीय लाभ

शादी होन पर एक पतरी क बाद सात साल तक कोई सतान नही हई | हमार मन म पतरपरालपत की इचछा थी | १९९९ क लशववर म हम सतानपरालपत का आशीवाकद लनवालो की पलकत म बठ | बापजी आशीवाकद दन क ललए साधको क बीच आय तो कछ साधक नासमझी स कछ ऐस परशन कर बठ जो उनह नही करन चादहए थ | गरदव नाराज होकर यह कहकर चल गय कक तमको सतवारी पर ववशवास नही ह तो तम लोग यहाा कयो आय तमह डॉकटर क पास जाना चादहए था | कफर गरदव हमार पास नही आय | सभी पराथकना करत रह पर गरदव वयासपीठ स बोल दबारा तीन लशववर भरना | म मन म सोच रहा था कक कछ साधको क कारर मझ आशीवाकद नही लमल पाया परत वजरादषप कठोरारण िदतन कसिादषप बाहर स वजर स भी कठोर ददखन वाल सदगर भीतर स फल स भी कोमल होत ह | तरत गरदव ववनोद करत हए बोल दखो य लोग सतानपरालपत का आशीवाकद लन आय ह | कस ठनठनपाल-स बठ ह अब जाओ झला-झनझना लकर घर जाओ | मन और मरी पसनी न आपस म ववचार ककया दयाल गरदव न आखखर आशीवाकद द ही ददया | अब गरदव न कहा ह कक झला-झनझना ल जाओ |

तो मन गरवचन मानकर रलव सटशन स एक झनझना खरीद ललया और गवाललयर आकर गरदव क चचतर क पास रख ददया | मझ वहाा स आन क १५ ददन बाद डॉकटर दवारा मालम हआ

कक पसनी गभकवती ह | मन गरदव को मन-ही-मन परराम ककया | इस बीच डॉकटरो न सलाह दी कक लड़का ह या लड़की इसकी जााच करा लो | मन बड़ ववशवास स कहा कक लड़का ही होगा |

अगर लड़की भी हई तो मझ कोई आपवतत नही ह | मझ गभकपात का पाप अपन लसर पर नही लना ह | नौ माह तक मरी पसनी भी सवसथ रही | हररदवार लशववर म भी हम लोग गय | समय आन पर गरदव दवारा बताय गय इलाज क मतातरबक गाय क गोबर का रस पसनी को ददया और ददनाक २७ अकतबर १९९९ को एक सवसथ बालक का जनम हआ |

-राजनर किार वाजपयी अचयना वाजपयी

बलवत नगर ढाढीपर िरारा गवामलयर

(अनिम) पावन उदगार

सवफल क दो िकड़ो स दो सतान मन सन १९९१ म चटीचड लशववर अमदावाद म पजय बापजी स मतरदीकषा ली थी | मरी

शादी क १० वषक तक मख कोई सतान नही हई | बहत इलाज करवाय लककन सभी डॉकटरो न बताया कक बालक होन की कोई सभावना नही ह | तब मन पजय बापजी क पनम दशकन का वरत ललया और बाासवाड़ा म पनम दशकन क ललए गया | पजय बापजी सबको परसाद द रह थ | मन मन म सोचा | कया म इतना पापी हा कक बापजी मरी तरफ दखत तक नही इतन म पजय बापजी कक दलषटट मझ पर पड़ी और उनहोन मझ दो लमनट तक दखा | कफर उनहोन एक सवफल लकर मझ पर फ का जो मर दाय कध पर लगकर दो टकड़ो म बाट गया | घर जाकर मन उस सवफल क दोनो भाग अपनी पसनी को खखला ददय | पजयशरी का कपापरक परसाद खान स मरी पसनी गभकवती हो गयी | तनरीकषर करान पर पता चला कक उसको दो लसर वाला बालक उसपनन होगा |

डॉकटरो न बताया उसका लसजररयन करना पड़गा अनयथा आपकी पसनी क बचन की समभावना नही ह | लसजररयन म लगभग बीस हजार रपयो का खचक आयगा | मन पजय बापजी स पराथकना की ह बापजी आपन ही फल ददया था | अब आप ही इस सकट का तनवारर कीलजय | कफर मन बड़ बादशाह क सामन भी पराथकना की जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी की परसती सकशल हो जाय | उसक बाद जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी एक पतर और एक पतरी को जनम द चकी थी | पजयशरी क दवारा ददय गय फल स मझ एक की जगह दो सतानो की परालपत हई |

-िकशभाई सोलकी

शारदा िहदर सक ल क पीछ

बावन चाल वड़ोदरा

(अनिम) पावन उदगार

साइककल स गर ाि जान पर खराब िाग ठीक हो गयी

मरी बाायी टााग घटन स उपर पतली हो गयी थी | ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट

ददकली म म छः ददन तक रहा | वहाा जााच क बाद बतलाया गया कक तमहारी रीढ की हडडी क पास कछ नस मर गयी ह लजसस यह टााग पतली हो गयी ह | यह ठीक तो हो ही नही सकती |

हम तमह ववटालमन ई क कपसल द रह ह | तम इनह खात रहना | इसस टाग और जयादा पतली नही होगी | मन एक साल तक कपसल खाय | उसक बाद २२ जन १९९७ को मजफ़फ़रनगर म मन गरजी स मतरदीकषा ली और दवाई खाना बद कर दी | जब एक साधक भाई राहल गपता न कहा कक सहारनपर स साइककल दवारा उततरायर लशववर अमदावाद जान का कायकिम बन रहा ह

तब मन टााग क बार म सोच तरबना साइककल यातरा म भाग लन क ललए अपनी सहमतत द दी |

जब मर घर पर पता चला कक मन साइककल स गरधाम अमदावाद जान का ववचार बनाया ह

अतः तम ११५० ककमी तक साइककल नही चला पाओग | लककन मन कहा म साइककल स ही गरधाम जाऊा गा चाह ककतनी भी दरी कयो न हो और हम आठ साधक भाई सहारनपर स २६ ददसमबर ९७ को साइककलो स रवाना हए | मागक म चढाई पर मझ जब भी कोइ ददककत होती तो ऐसा लगता जस मरी साइककल को कोई पीछ स धकल रहा ह | म मड़कर पीछ दखता तो कोई ददखायी नही पड़ता | ९ जनवरी को जब हम अमदावाद गरआशरम म पहाच और मन सबह अपनी टााग दखी तो म दग रह गय जो टााग पतली हो गयी थी और डॉकटरो न उस ठीक होन स मना कर ददया था वह टााग तरबककल ठीक हो गयी थी | इस कपा को दखकर म चककत रह गया मर साथी भी दग रह गय यह सब गरकपा क परसाद का चमसकार था | मर आठो साथी मरी पसनी तथा ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट ददकली दवारा जााच क परमारपतर इस बात क साकषी ह |

-तनरकार अगरवाल

षवटणपरी नय िा ोनगर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

अदभत रही िौनिहदर की सा ना परम पजय सदगरदव की कपा स मझ ददनाक १८ स २४ मई १९९९ तक अमदावाद

आशरम क मौनमददर म साधना करन का सअवसर लमला | मौनमददर म साधना क पााचव ददन यानी २२ मई की रातरतर को लगभग २ बज नीद म ही मझ एक झटका लगा | लट रहन कक लसथतत म ही मझ महसस हआ कक कोई अदशय शलकत मझ ऊपर बहत ऊपर उड़य ल जा रही ह | ऊपर उड़त हए जब मन नीच झााककर दखा तो अपन शरीर को उसी मौनमददर म चचतत लटा हआ बखबर सोता हआ पाया | ऊपर जहाा मझ ल जाया गया वहाा अलग ही छटा थी अजीब और अवरीय आकाश को भी भदकर मझ ऐस सथान पर पहाचाया गया था जहाा चारो तरफ कोहरा-ही-कोहरा था जस शीश की छत पर ओस फली हो इतन म दखता हा कक एक सभा लगी ह तरबना शरीर की कवल आकततयो की | जस रखाओ स मनषटयरपी आकततयाा बनी हो | यह सब कया चल रहा था समझ स पर था | कछ पल क बाद व आकततयाा सपषटट होन लगी | दवी-दवताओ क पज क मरधय शीषक म एक उचच आसन पर साकषात बापजी शकर भगवान बन हए कलास पवकत पर ववराजमान थ और दवी-दवता कतार म हाथ बााध खड़ थ | म मक-सा होकर अपलक नतरो स उनह दखता ही रहा कफर मतरमगध हो उनक चररो म चगर पड़ा | परातः क ४ बज थ | अहा मन और शरीर हकका-फ़कका लग रहा था यही लसथतत २४ मई की मरधयरातरतर म भी दोहरायी गयी | दसर ददन सबह पता चला कक आज तो बाहर तनकलन का ददन ह यानी रवववार २५ मई की सबह | बाहर तनकलन पर भावभरा हदय गदगद कठ और आखो म आास यो लग रहा था कक जस तनजधाम स बघर ककया जा रहा हा | धनय ह वह भलम मौनमददर म साधना की वह वयवसथा जहा स परम आनद क सागर म डबन की कजी लमलती ह जी करता ह भगवान ऐसा अवसर कफर स लाय लजसस कक उसी मौनमददर म पनः आतररक आनद का रसपान कर पाऊा |

-इनरनारायण शाह

१०३ रतनदीप-२ तनराला नगर कानपर

(अनिम) पावन उदगार

असाधय रोग स िषकत

सन १९९४ म मरी पतरी दहरल को शरद पखरकमा क ददन बखार आया | डॉकटरो को ददखाया तो ककसीन मलररया कहकर दवाइयाा दी तो ककसीन टायफायड कहकर इलाज शर ककया तो ककसीन टायफायड और मलररया दोनो कहा | दवाई की एक खराक लन स शरीर नीला पड़ गया और सज गया | शरीर म खन की कमी स उस छः बोतल खन चढाया गया | इजकषन दन स पर शरीर को लकवा मार गया | पीठ क पीछ शयावरर जसा हो गया | पीठ और पर का एकस-र ललया गया | पर पर वजन बााधकर रखा गया | डॉकटरो न उस वाय का बखार तथा रकत का क सर बताया और कहा कक उसक हदय तो वाकव चौड़ा हो गया ह | अब हम दहममत हार गय |

अब पजयशरी क लसवाय और कोई सहारा नही था | उस समय दहरल न कहा मममी मझ पजय बाप क पास ल चलो | वहाा ठीक हो जाऊगी | पााच ददन तक दहरल पजयशरी की रट लगाती रही |

हम उस अमदावाद आशरम म बाप क पास ल गय | बाप न कहा इस कछ नही हआ ह | उनहोन मझ और दहरल को मतर ददया एव बड़दादा की परदकषकषरा करन को कहा | हमन परदकषकषरा की और दहरल पनिह ददन म चलन-कफ़रन लगी | हम बाप की इस कररा-कपा का ॠर कस चकाय अभी तो हम आशरम म पजयशरी क शरीचररो म सपररवार रहकर धनय हो रह ह |

-परफलल वयास

भावनगर

वतयिान ि अिदावाद आशरि ि सपररवार सिषपयत

(अनिम) पावन उदगार

कसि का चितकार

वयापार उधारी म चल जान स म हताश हो गया था एव अपनी लजदगी स तग आकर आसमहसया करन की बात सोचन लगा था | मझ साध-महासमाओ व समाज क लोगो स घरा-सी हो गयी थी धमक व समाज स मरा ववशवास उठ चका था | एक ददन मरी साली बापजी क सससग कक दो कसट ववचध का ववधान एव आखखर कब तक ल आयी और उसन मझ सनन क ललए कहा | उसक कई परयास क बाद भी मन व कसट नही सनी एव मन-ही-मन उनह ढोग

कहकर कसटो क डडबब म दाल ददया | मन इतना परशान था कक रात को नीद आना बद हो गया था | एक रात कफ़कमी गाना सनन का मन हआ | अाधरा होन की वजह स कसट पहचान न सका और गलती स बापजी क सससग की कसट हाथ म आ गयी | मन उसीको सनना शर ककया | कफर कया था मरी आशा बाधन लगी | मन शाात होन लगा | धीर-धीर सारी पीड़ाएा दर

होती चली गयी | मर जीवन म रोशनी-ही-रोशनी हो गयी | कफर तो मन पजय बापजी क सससग की कई कसट सनी और सबको सनायी | तदनतर मन गालजयाबाद म बापजी स दीकषा भी गरहर की | वयापार की उधारी भी चकता हो गयी | बापजी की कपा स अब मझ कोई दःख नही ह | ह गरदव बस एक आप ही मर होकर रह और म आपका ही होकर रहा |

-ओिपरकाश बजाज

हदलली रोड़ सहारनपर उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

िझ पर बरसी सत की कपा

सन १९९५ क जन माह म म अपन लड़क और भतीज क साथ हररदवार रधयानयोग लशववर म भाग लन गया | एक ददन जब म हर की पौड़ी पर सनान करन गया तो पानी क तज बहाव क कारर पर कफसलन स मरा लड़का और भतीजा दोनो अपना सतलन खो बठ और गगा म बह गय | ऐसी सकट की घड़ी म म अपना होश खो बठा | कया करा म फट-फटकर रोन लगा और बापजी स पराथकना करन लगा कक ह नाथ ह गरदव रकषा कीलजय मर बचचो को बचा लीलजय | अब आपका ही सहारा ह | पजयशरी न मर सचच हदय स तनकली पकार सन ली और उसी समय मरा लड़का मझ ददखायी ददया | मन झपटकर उसको बाहर खीच ललया लककन मरा भतीजा तो पता नही कहाा बह गया म तनरतर रो रहा था और मन म बार-बार ववचार उठ रहा था कक बापजी मरा लड़का बह जाता तो कोई बात नही थी लककन अपन भाई की अमानत क तरबना म घर कया माह लकर जाऊा गा बापजी आपही इस भकत की लाज बचाओ | तभी गगाजी की एक तज लहर उस बचच को भी बाहर छोड़ गयी | मन लपककर उस पकड़ ललया |

आज भी उस हादस को समरर करता हा तो अपन-आपको साभाल नही पाता हा और मरी आाखो स तनरतर परम की अशरधारा बहन लगती ह | धनय हआ म ऐस गरदव को पाकर ऐस सदगरदव क शरीचररो म मर बार-बार शत-शत परराम

-सिालखा

पानीपत हररयाणा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स जीवनदान

ददनाक १५-१-९६ की घटना ह | मन धात क तार पर सखन क ललए कपड़ फला रख थ |

बाररश होन क कारर उस तार म करट आ गया था | मरा छोटा पतर ववशाल जो कक ११ वी ककषा म पढता ह आकर उस तार स छ गया और तरबजली का करट लगत ही वह बहोश हो गया शव क समान हो गया | हमन उस तरत बड़ असपताल म दाखखल करवाया | डॉकटर न बचच की हालत गभीर बतायी | ऐसी पररलसथतत दखकर मरी आाखो स अशरधाराएा बह तनकली | म तनजानद की मसती म मसत रहन वाल पजय सदगरदव को मन-ही-मन याद ककया और पराथकना कक ह गरदव अब तो इस बचच का जीवन आपक ही हाथो म ह | ह मर परभ आप जो चाह सो कर सकत ह | और आखखर मरी पराथकना सफल हई | बचच म एक नवीन चतना का सचार हआ एव धीर-धीर बचच क सवासथय म सधार होन लगा | कछ ही ददनो म वह परकतः सवसथ हो गया |

डॉकटर न तो उपचार ककया लककन जो जीवनदान उस पयार परभ की कपा स सदगरदव की कपा स लमला उसका वरकन करन क ललए मर पास शबद नही ह | बस ईशवर स म यही पराथकना करता हा कक ऐस बरहमतनषटठ सत-महापरषो क परतत हमारी शरदधा म वदचध होती रह | -

डॉ वाय पी कालरा

शािलदास कॉलज भावनगर गजरात

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप जस सत दतनया को सवगय ि बदल सकत ह

मई १९९८ क अततम ददनो म पजयशरी क इदौर परवास क दौरान ईरान क ववखयात कफ़लजलशयन शरी बबाक अगरानी भारत म अरधयालसमक अनभवो की परालपत आय हए थ | पजयशरी क दशकन पाकर जब उनहोन अरधयालसमक अनभवो को फलीभत होत दखा तो व पचड़ आशरम म आयोलजत रधयानयोग लशववर म भी पहाच गय | शरी अगरानी जो दो ददन रककर वापस लौटन वाल थ व पर गयारह ददन तक पचड़ आशरम म रक रह | उनहोन ववधाथी लशववर म सारसवसय मतर की दीकषा ली एव ववलशषटट रधयानयोग साधना लशववर (४ -१० जन १९९८) का भी लाभ ललया | लशववर क दौरान शरी अगरानी न पजयशरी स मतरदीकषा भी ल ली | पजयशरी क सालननरधय म सपरापत अनभततयो क बार म कषतरतरय समाचार पतर चतना को दी हई भटवाताक म शरी अगरानी कहत ह यदद पजय बाप जस सत हर दश म हो जाय तो यह दतनया सवगक बन सकती ह | ऐस शातत स बठ पाना हमार ललए कदठन ह लककन जब पजय बापजी जस महापरषो क शरीचररो म बठकर

सससग सनत ह तो ऐसा आनद आता ह कक समय का कछ पता ही नही चलता | सचमच पजय बाप कोई साधारर सत नही ह |

-शरी बबाक अगरानी

षवशवषवखयात किषजमशयन ईरान

(अनिम) पावन उदगार

भौततक यग क अ कार ि जञान की जयोतत प जय बाप

मादक तनयतरर बयरो भारत सरकार क महातनदशक शरी एचपी कमार ९ मई को अमदावाद आशरम म सससग-कायकिम क दौरान पजय बाप स आशीवाकद लन पहाच | बड़ी ववनमरता एव शरदधा क साथ उनहोन पजय बाप क परतत अपन उदगार म कहा लजस वयलकत क पास वववक नही ह वह अपन लकषय तक नही पहाच सकता ह और वववक को परापत करन का साधन पजय आसारामजी बाप जस महान सतो का सससग ह | पजय बाप स मरा परथम पररचय टीवी क मारधयम स हआ | तसपशचात मझ आशरम दवार परकालशत ॠवष परसाद मालसक परापत हआ | उस समय मझ लगा कक एक ओर जहाा इस भौततक यग क अधकार म मानव भटक रहा ह वही दसरी ओर शातत की मद-मद सगचधत वाय भी चल रही ह | यह पजय बाप क सससग का ही परभाव ह | पजयशरी क दशकन करन का जो सौभागय मझ परापत हआ ह इसस म अपन को कतकसय मानता हा | पजय बाप क शरीमख स जो अमत वषाक होती ह तथा इनक सससग स करोड़ो हदयो म जो जयोतत जगती ह व इसी परकार स जगती रह और आन वाल लब समय तक पजयशरी हम सब का मागकदशकन करत रह यही मरी कामना ह | पजय बाप क शरीचररो म मर परराम

-शरी एचपी किार

िहातनदशक िादक तनयतरण बय रो भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

िषसलि िहहला को पराणदान

२७ लसतमबर २००० को जयपर म मर तनवास पर पजय बाप का आसम-साकषासकार ददवस

मनाया गया लजसम मर पड़ोस की मलसलम मदहला नाथी बहन क पतत शरी मााग खाा न भी पजय बाप की आरती की और चररामत ललया | ३-४ ददन बाद ही व मलसलम दपतत खवाजा सादहब क उसक म अजमर चल गय | ददनाक ४ अकटबर २००० को अजमर क उसक म असामालजक तसवो न परसाद म जहर बााट ददया लजसस उसक मल म आय कई दशकनाथी असवसथ हो गय और कई मर भी गय | मर पड़ोस की नाथी बहन न भी वह परसाद खाया और थोड़ी दर म ही वह बहोश हो गयी | अजमर म उसका उपचार ककया गया ककत उस होश न आया | दसर ददन ही उसका पतत उस अपन घर ल आया | कॉलोनी क सभी तनवासी उसकी हालत दखकर कह रह थ कक अब इसका बचना मलशकल ह | म भी उस दखन गया | वह बहोश पड़ी थी | म जोर-जोर स हरर ॐ हरर ॐ का उचचारर ककया तो वह थोड़ा दहलन लगी | मझ परररा हई और म पनः घर गया | पजय बाप स पराथकना की | ३-४ घट बाद ही वह मदहला ऐस उठकर खड़ी हो गयी मानो सोकर उठी हो | उस मदहला न बताया कक मर चाचा ससर पीर ह और उनहोन मर पतत क माह स बोलकर बताया कक तमन २७ लसतमबर २००० को लजनक सससग म पानी वपया था उनही सफद दाढीवाल बाबा न तमह बचाया ह कसी कररा ह गरदव की

-जएल परोहहत

८७ सलतान नगर जयपर (राज)

उस िहहला का पता ह -शरीिती नाथी

पतनी शरी िाग खा

१०० सलतान नगर

गजयर की ड़ी

नय सागानर रोड़

जयप र (राज)

(अनिम) पावन उदगार

हररनाि की पयाली न छड़ायी शराब की बोतल

सौभागयवश गत २६ ददसमबर १९९८ को पजयशरी क १६ लशषटयो की एक टोली ददकली स हमार गााव म हररनाम का परचार-परसार करन पहाची | म बचपन स ही मददरापान धमरपान व लशकार करन का शौकीन था | पजय बाप क लशषटयो दवारा हमार गााव म जगह-जगह पर तीन ददन तक लगातार हररनाम का कीतकन करन स मझ भी हररनाम का रग लगता जा रहा था |

उनक जान क एक ददन क पशचात शाम क समय रोज की भातत मन शराब की बोतल तनकाली | जस ही बोतल खोलन क ललए ढककन घमाया तो उस ढककन क घमन स मझ हरर ॐ हरर ॐ की रधवतन सनायी दी | इस परकार मन दो-तीन बार ढककन घमाया और हर बार मझ हरर ॐ

की रधवतन सनायी दी | कछ दर बाद म उठा तथा पजयशरी क एक लशषटय क घर गया | उनहोन थोड़ी दर मझ पजयशरी की अमतवारी सनायी | अमतवारी सनन क बाद मरा हदय पकारन लगा कक इन दवयकसनो को सयाग दा | मन तरत बोतल उठायी तथा जोर-स दर खत म फ क दी | ऐस समथक व परम कपाल सदगरदव को म हदय स परराम करता हा लजनकी कपा स यह अनोखी घटना मर जीवन म घटी लजसस मरा जीवन पररवततकत हआ |

-िोहन मसह बबटि

मभखयासन अलिोड़ा (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

प र गाव की कायापलि

पजयशरी स ददनाक २७६९१ को दीकषा लन क बाद मन वयवसनमलकत क परचार-परसार का लकषय बना ललया | म एक बार कौशलपर (लज शाजापर) पहाचा | वहाा क लोगो क वयवसनी और लड़ाई-झगड़ यकत जीवन को दखकर मन कहा आप लोग मनषटय-जीवन सही अथक ही नही समझत ह | एक बार आप लोग पजय बापजी क दशकन कर ल तो आपको सही जीवन जीन की कजी लमल जायगी | गााव वालो न मरी बात मान ली और दस वयलकत मर गााव ताजपर आय |

मन एक साधक को उनक साथ जनमाषटटमी महोससव म सरत भजा | पजय बापजी की उन पर कपा बरसी और सबको गरदीकषा लमल गयी | जब व लोग अपन गााव पहाच तो सभी गााववालसयो को बड़ा कौतहल था कक पजय बापजी कस ह बापजी की लीलाएा सनकर गााव क अनय लोगो म भी पजय बापजी क परतत शरदधा जगी | उन दीकषकषत साधको न सभी गााववालो को सववधानसार पजय बापजी क अलग-अलग आशरमो म भजकर दीकषा ददलवा दी | गााव क सभी वयलकत अपन

पर पररवार सदहत दीकषकषत हो चक ह | परसयक गरवार को पर गााव म एक समय भोजन बनता ह | सभी लोग गरवार का वरत रखत ह | कौशलपर गााव क परभाव स आस-पास क गााववाल एव उनक ररशतदारो सदहत १००० वयलकतयो शराब छोड़कर दीकषा ल ली ह | गााव क इततहास म तीन-तीन पीढी स कोई मददर नही था | गााववालो न ५ लाख रपय लगाकर दो मददर बनवाय ह | परा गााव वयवसनमकत एव भगवतभकत बन गया ह यह पजय बापजी की कपा नही तो और कया ह सबक ताररहार पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-शयाि परजापतत (सपरवाइजर ततलहन सघ) ताजपर

उजजन (िपर)

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी की तसवीर स मिली पररणा सवकसमथक परम पजय शरी बापजी क चररकमलो म मरा कोदट-कोदट नमन १९८४ क

भकप स समपरक उततर तरबहार म काफी नकसान हआ था लजसकी चपट म हमारा घर भी था |

पररलसथततवश मझ नौवी ककषा म पढायी छोड़ दनी पड़ी | ककसी लमतर की सलाह स म नौकरी ढाढन क ललए ददकली गया लककन वहाा भी तनराशा ही हाथ लगी | म दो ददन स भखा तो था ही ऊपर स नौकरी की चचता | अतः आसमहसया का ववचार करक रलव सटशन की ओर चल पड़ा | रानीबाग बाजार म एक दकान पर पजयशरी का सससादहसय कसट आदद रखा हआ था एव पजयशरी की बड़ आकार की तसवीर भी टागी थी | पजयशरी की हासमख एव आशीवाकद की मिावाली उस तसवीर पर मरी नजर पड़ी तो १० लमनट तक म वही सड़क पर स ही खड़-खड़ उस दखता रहा | उस वकत न जान मझ कया लमल गया म काम भल मजदरी का ही करता हा लककन तबस लकर आज तक मर चचतत म बड़ी परसननता बनी हई ह | न जान मरी लजनदगी की कया दशा होती अगर पजय बापजी की यवाधन सरकषा ईशवर की ओर तनलशचनत जीवन पसतक और ॠवष परसाद पतरतरका हाथ न लगती पजयशरी की तसवीर स लमली परररा एव उनक सससादहसय न मरी डबती नया को मानो मझदार स बचा ललया | धनभागी ह सादहसय की सवा करन वाल लजनहोन मझ आसमहसया क पाप स बचाया |

-िहश शाह

नारायणपर दिरा षज सीतािढ़ी (बबहार)

(अनिम) पावन उदगार

नतरबबद का चितकार

मरा सौभागय ह कक मझ सतकपा नतरतरबद (आई डरॉपस) का चमसकार दखन को लमला |

एक सत बाबा लशवरामदास उमर ८० वषक गीता कदटर तपोवन झाड़ी सपतसरोवर हररदवार म रहत ह | उनकी दादहनी आाख क सफद मोततय का ऑपरशन शााततकज हररदवार आयोलजत कमप म हआ | कस तरबगड़ गया और काल मोततया बन गया | ददक रहन लगा और रोशनी घटन लगी |

दोबारा भमाननद नतर चचककससालय म ऑपरशन हआ | एबसकयट गलकोमा बतात हए कहा कक ऑपरशन स लसरददक ठीक हो जायगा पर रोशनी जाती रहगी | परत अब व बाबा सत शरी आसारामजी आशरम दवार तनलमकत सतकपा नतरतरबद सबह-शाम डाल रह ह | मन उनक नतरो का परीकषर ककया | उनकी दादहनी आाख म उागली चगनन लायक रोशनी वापस आ गयी ह | काल मोततय का परशर नॉमकल ह | कोतनकया म सजन नही ह | व काफी सतषटट ह | व बतात ह आाख पहल लाल रहती थी परत अब नही ह | आशरम क नतरतरबद स ककपनातीत लाभ हआ | बायी आाख म भी उनह सफद मोततया बताया गया था और सशय था कक शायद काला मोततया भी ह |

पर आज बायी आाख भी ठीक ह और दोनो आाखो का परशर भी नॉमकल ह | सफद मोततया नही ह और रोशनी काफी अचछी ह | यह सतकपा नतरबद का ववलकषर परभाव दखकर म भी अपन मरीजो को इसका उपयोग करन की सलाह दागा |

-डॉ अननत किार अगरवाल (नतररोग षवशिजञ)

एिबीबीएस एिएस (नतर) डीओएिएस (आई)

सीतापर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

ितर स लाभ

मरी माा की हालत अचानक पागल जसी हो गयी थी मानो कोई भत-परत-डाककनी या आसरी तसव उनम घस गया | म बहत चचततत हो गया एव एक साचधका बहन को फोन ककया |

उनहोन भत-परत भगान का मतर बताया लजसका वरकन आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म भी ह | वह मतर इस परकार ह

ॐ निो भगवत रर भरवाय भ तपरत कषय कर कर ह फि सवाहा |

इस मतर का पानी म तनहारकर १०८ बार जप ककया और वही पानी माा को वपला ददया |

तरत ही माा शातत स सो गयी | दसर ददन भी इस मतर की पााच माला करक माा को वह जल वपलाया तो माा तरबककल ठीक हो गयी | ह मर साधक भाई-बहनो भत-परत भगान क ललए अला बााधा बला बााधा ऐसा करक झाड़-फ़ा क करनवालो क चककर म पड़न की जररत नही ह |

इसक ललए तो पजय बापजी का मतर ही ताररहार ह | पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-चपकभाई एन पिल (अिररका)

(अनिम) पावन उदगार

काि करो पर षवजय पायी एक ददन मबई मल म दटकट चककग करत हए म वातानकललत बोगी म पहाचा | दखा तो

मखमल की गददी पर टाट का आसन तरबछाकर सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज समाचधसथ ह |

मझ आशचयक हआ कक लजन परथम शररी की वातानकललत बोचगयो म राजा-महाराजा यातरा करत ह ऐसी बोगी और तीसरी शररी की बोगी क बीच इन सत को कोई भद नही लगता | ऐसी बोचगयो म भी व समाचधसथ होत ह यह दखकर लसर झक जाता ह | मन पजय महाराजशरी को परराम करक कहा आप जस सतो क ललए तो सब एक समान ह | हर हाल म एकरस रहकर आप मलकत का आनद ल सकत ह | लककन हमार जस गरहसथो को कया करना चादहए ताकक हम भी आप जसी समता बनाय रखकर जीवन जी सक पजय महाराजजी न कहा काम और िोध को त छोड़ द तो त भी जीवनमकत हो सकता ह | जहाा राम तहा नही काम जहाा काम तहा नही राम | और िोध तो भाई भसमासर ह | वह तमाम पणय को जलाकर भसम कर दता ह

अतःकरर को मललन कर दता ह | मन कहा परभ अगर आपकी कपा होगी तो म काम-िोध को छोड़ पाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा भाई कपा ऐस थोड़ ही की जाती ह सतकपा क साथ तरा परषाथक और दढता भी चादहए | पहल त परततजञा कर कक त जीवनपयकनत काम और िोध स दर रहगा तो म तझ आशीवाकद दा | मन कहा महाराजजी म जीवनभर क ललए परततजञा तो करा लककन उसका पालन न कर पाऊा तो झठा माना जाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा अचछा पहल त मर समकष आठ ददन क ललए परततजञा कर | कफर परततजञा को एक-एक ददन बढत जाना | इस परकार त उन बलाओ स बच सकगा | ह कबल मन हाथ

जोड़कर कबल ककया | पजय महाराजजी न आशीवाकद दकर दो-चार फल परसाद म ददय | पजय महाराजजी न मरी जो दो कमजोररयाा थी उन पर ही सीधा हमला ककया था | मझ आशचयक हआ कक अनय कोई भी दगकर छोड़न का न कहकर इन दो दगकरो क ललए ही उनहोन परततजञा कयो करवायी बाद म म इस राज स अवगत हआ |

दसर ददन म पसनजर रन म कानपर स आग जा रहा था | सबह क करीब नौ बज थ |

तीसरी शररी की बोगी म जाकर मन यातरतरयो क दटकट जााचन का कायक शर ककया | सबस पहल बथक पर सोय हए एक यातरी क पास जाकर मन एक यातरी क पास जाकर मन दटकट ददखान को कहा तो वह गससा होकर मझ कहन लगा अधा ह दखता नही कक म सो गया हा मझ नीद स जगान का तझ कया अचधकार ह यह कोई रीत ह दटकट क बार म पछन की ऐसी ही अकल ह तरी ऐसा कछ-का-कछ वह बोलता ही गया बोलता ही गया | म भी िोधाववषटट होन लगा ककत पजय महाराजजी क समकष ली हई परततजञा मझ याद थी अतः िोध को ऐस पी गया मानो ववष की पडड़या मन उस कहा महाशय आप ठीक ही कहत ह कक मझ बोलन की अकल नही ह भान नही ह | दखो मर य बाल धप म सफद हो गय ह | आपम बोलन की अकल अचधक ह नमरता ह तो कपा करक लसखाओ कक दटकट क ललए मझ ककस परकार आपस पछना चादहए | म लाचार हा कक डयटी क कारर मझ दटकट चक करना पड़ रहा ह इसललए म आपको कषटट द रहा हा| और कफ़र मन खब परम स हाथ जोड़कर ववनती की भया कपा करक कषटट क ललए मझ कषमा करो | मझ अपना दटकट ददखायग मरी नमरता दखकर वह ललजजत हो गया एव तरत उठ बठा | जकदी-जकदी नीच उतरकर मझस कषमा माागत हए कहन लगा मझ माफ करना | म नीद म था | मन आपको पहचाना नही था | अब आप अपन माह स मझ कह कक आपन मझ माफ़ ककया यह दखकर मझ आनद और सतोष हआ | म सोचन लगा कक सतो की आजञा मानन म ककतनी शलकत और दहत तनदहत ह सतो की कररा कसा चमसकाररक पररराम लाती ह वह वयलकत क पराकततक सवभाव को भी जड़-मल स बदल सकती ह | अनयथा मझम िोध को तनयतरर म रखन की कोई शलकत नही थी | म परकतया असहाय था कफर भी मझ महाराजजी की कपा न ही समथक बनाया | ऐस सतो क शरीचररो म कोदट-कोदट नमसकार

-शरी रीजिल

ररिायडय िीिी आई कानपर

(अनिम) पावन उदगार

जला हआ कागज प वय रप ि पवक रप म एक बार परमहस ववशदधानदजी स आनदमयी माा की तनकटता पानवाल

सपरलसदध पडडत गोपीनाथ कववराज न तनवदन ककया तररीकानत ठाकर को अलौककक लसदचध परापत हई ह | व तरबना दख या तरबना छए ही कागज म ललखी हई बात पढ लत ह | गरदव बोल तम एक कागज पर कछ ललखो और उसम आग लगाकर जला दो | कववराजजी न कागज पर कछ ललखा और परी तरह कागज जलाकर हवा म उड़ा ददया | उसक बाद गरदव न अपन तककय क नीच स वही कागज तनकालकर कववराजजी क आग रख ददया | यह दखकर उनह बड़ा आशचयक हआ कक यह कागज वही था एव जो उनहोन ललखा था वह भी उस पर उनही क सलख म ललखा था और साथ ही उसका उततर भी ललखा हआ दखा |

जड़ता पशता और ईशवरता का मल हमारा शरीर ह | जड़ शरीर को म-मरा मानन की ववतत लजतनी लमटती ह पाशवी वासनाओ की गलामी उतनी हटती ह और हमारा ईशवरीय अश लजतना अचधक ववकलसत होता ह उतना ही योग-सामथयक ईशवरीय सामथयक परकट होता ह | भारत क ऐस कई भकतो सतो और योचगयो क जीवन म ईशवरीय सामथयक दखा गया ह अनभव ककया गया ह उसक ववषय म सना गया ह | धनय ह भारतभलम म रहनवाल भारतीय ससकतत म शरदधा-ववशवास रखनवाल अपन ईशवरीय अश को जगान की सवा-साधना करनवाल सवामी ववशदधानदजी वषो की एकात साधना और वषो-वषो की गरसवा स अपना दहारधयास और पाशवी वासनाएा लमटाकर अपन ईशवरीय अश को ववकलसत करनवाल भारत क अनक महापरषो म स थ | उनक जीवन की और भी अलौककक घटनाओ का वरकन आता ह | ऐस ससपरषो क जीवन-चररतर और उनक जीवन म घदटत घटनाएा पढन-सनन स हम लोग भी अपनी जड़ता एव पशता स ऊपर उठकर ईशवरीय अश को उभारन म उससादहत होत ह | बहत ऊा चा काम ह बड़ी शरदधा बड़ी समझ बड़ा धयक चादहए ईशवरीय सामथयक को परक रप स ववकलसत करन म |

(अनिम) पावन उदगार

नदी की ारा िड़ गयी आदय शकराचायक की माता ववलशषटटा दवी अपन कलदवता कशव की पजा करन जाती थी

| व पहल नदी म सनान करती और कफ़र मददर म जाकर पजन करती | एक ददन व परातःकाल ही पजन-सामगरी लकर मददर की ओर गयी ककत सायकाल तक घर नही लौटी | शकराचायक की आय अभी सात-आठ वषक क मरधय म ही थी | व ईशवर क परम भकत और तनषटठावान थ | सायकाल

तक माता क वापस न लौटन पर आचायक को बड़ी चचनता हई और व उनह खोजन क ललए तनकल पड़ | मददर क तनकट पहाचकर उनहोन माता को मागक म ही मलचछकत पड़ दखा | उनहोन बहत दर तक माता का उपचार ककया तब व होश म आ सकी | नदी अचधक दर थी | वहाा तक पहाचन म माता को बड़ा कषटट होता था | आचायक न भगवान स मन-ही-मन पराथकना की कक परभो ककसी परकार नदी की धारा को मोड़ दो लजसस कक माता तनकट ही सनान कर सक | व इस परकार की पराथकना तनसय करन लग | एक ददन उनहोन दखा कक नदी की धारा ककनार की धरती को काटती-काटती मड़न लगी ह तथा कछ ददनो म ही वह आचायक शकर क घर क पास बहन लगी | इस घटना न आचायक का अलौककक शलकतसमपनन होना परलसदध कर ददया |

(अनिम) पावन उदगार

सदगर-िहहिा गर बबन भव तनध तर न कोई |

जौ बरधच सकर सि होई ||

-सत तलसीदासजी

हररहर आहदक जगत ि प जयदव जो कोय |

सदगर की प जा ककय सबकी प जा होय ||

-तनशचलदासजी महाराज

सहजो कारज ससार को गर बबन होत नाही |

हरर तो गर बबन कया मिल सिझ ल िन िाही ||

-सत कबीरजी सत

सरतन जो जन पर सो जन उ रनहार |

सत की तनदा नानका बहरर बहरर अवतार ||

-गर नानक दवजी

गरसवा सब भागयो की जनमभलम ह और वह शोकाकल लोगो को बरहममय कर दती ह | गररपी सयक अववदयारपी रातरतर का नाश करता ह और जञानाजञान रपी लसतारो का लोप करक बदचधमानो को आसमबोध का सददन ददखाता ह |

-सत जञानशवर महाराज

ससय क कटकमय मागक म आपको गर क लसवाय और कोई मागकदशकन नही द सकता |

- सवामी लशवानद सरसवती

ककतन ही राजा-महाराजा हो गय और होग सायजय मलकत कोई नही द सकता | सचच राजा-महाराज तो सत ही ह | जो उनकी शरर जाता ह वही सचचा सख और सायजय मलकत पाता ह |

-समथक शरी रामदास सवामी

मनषटय चाह ककतना भी जप-तप कर यम-तनयमो का पालन कर परत जब तक सदगर की कपादलषटट नही लमलती तब तक सब वयथक ह |

-सवामी रामतीथक

पलटो कहत ह कक सकरात जस गर पाकर म धनय हआ |

इमसकन न अपन गर थोरो स जो परापत ककया उसक मदहमागान म व भावववभोर हो जात थ |

शरी रामकषटर परमहस परकता का अनभव करानवाल अपन सदगरदव की परशसा करत नही अघात थ |

पजयपाद सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज भी अपन सदगरदव की याद म सनह क आास बहाकर गदगद कठ हो जात थ |

पजय बापजी भी अपन सदगरदव की याद म कस हो जात ह यह तो दखत ही बनता ह | अब हम उनकी याद म कस होत ह यह परशन ह | बदहमकख तनगर लोग कछ भी कह साधक को अपन सदगर स कया लमलता ह इस तो साधक ही जानत ह |

(अनिम) पावन उदगार

लडी िाहियन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान ि परकि मशवजी

सा सग ससार ि दलयभ िनटय शरीर |

सतसग सषवत ततव ह बतरषव ताप की पीर ||

मानव-दह लमलना दलकभ ह और लमल भी जाय तो आचधदववक आचधभौततक और आरधयालसमक य तीन ताप मनषटय को तपात रहत ह | ककत मनषटय-दह म भी पववतरता हो सचचाई हो शदधता हो और साध-सग लमल जाय तो य तरतरववध ताप लमट जात ह |

सन १८७९ की बात ह | भारत म तरबरदटश शासन था उनही ददनो अगरजो न अफगातनसतान पर आिमर कर ददया | इस यदध का सचालन आगर मालवा तरबरदटश छावनी क ललफ़टनट कनकल मादटकन को सौपा गया था | कनकल मादटकन समय-समय पर यदध-कषतर स अपनी पसनी को कशलता क समाचार भजता रहता था | यदध लबा चला और अब तो सदश आन भी बद हो गय | लडी मादटकन को चचता सतान लगी कक कही कछ अनथक न हो गया हो अफगानी सतनको न मर पतत को मार न डाला हो | कदाचचत पतत यदध म शहीद हो गय तो म जीकर कया करा गी -यह सोचकर वह अनक शका-कशकाओ स तघरी रहती थी | चचनतातर बनी वह एक ददन घोड़ पर बठकर घमन जा रही थी | मागक म ककसी मददर स आती हई शख व मतर रधवतन न उस आकवषकत ककया | वह एक पड़ स अपना घोड़ा बााधकर मददर म गयी | बजनाथ महादव क इस मददर म लशवपजन म तनमगन पडडतो स उसन पछा आप लोग कया कर रह ह एक वरदध बराहमर न कहा हम भगवान लशव का पजन कर रह ह | लडी मादटकन लशवपजन की कया महतता ह

बराहमर बटी भगवान लशव तो औढरदानी ह भोलनाथ ह | अपन भकतो क सकट-तनवारर करन म व ततनक भी दर नही करत ह | भकत उनक दरबार म जो भी मनोकामना लकर क आता ह उस व शीघर परी करत ह ककत बटी तम बहत चचलनतत और उदास नजर आ रही हो कया बात ह लडी मादटकन मर पततदव यदध म गय ह और ववगत कई ददनो स उनका कोई समाचार नही आया ह | व यदध म फा स गय ह या मार गय ह कछ पता नही चल रहा | म उनकी ओर स बहत चचलनतत हा | इतना कहत हए लडी मादटकन की आाख नम हो गयी | बराहमर तम चचनता मत करो बटी लशवजी का पजन करो उनस पराथकना करो लघरिी करवाओ |

भगवान लशव तमहार पतत का रकषर अवशय करग |

पडडतो की सलाह पर उसन वहाा गयारह ददन का ॐ नमः लशवाय मतर स लघरिी अनषटठान परारभ ककया तथा परततददन भगवान लशव स अपन पतत की रकषा क ललए पराथकना करन लगी कक ह भगवान लशव ह बजनाथ महादव यदद मर पतत यदध स सकशल लौट आय तो म आपका लशखरबद मददर बनवाऊा गी | लघरिी की पराकहतत क ददन भागता हआ एक सदशवाहक लशवमददर म आया और लडी मादटकन को एक ललफाफा ददया | उसन घबरात-घबरात वह ललफाफा खोला और पढन लगी |

पतर म उसक पतत न ललखा था हम यदध म रत थ और तम तक सदश भी भजत रह लककन

आक पठानी सना न घर ललया | तरबरदटश सना कट मरती और म भी मर जाता | ऐसी ववकट पररलसथतत म हम तघर गय थ कक परार बचाकर भागना भी असयाचधक कदठन था | इतन म मन दखा कक यदधभलम म भारत क कोई एक योगी लजनकी बड़ी लमबी जटाएा ह हाथ म तीन नोकवाला एक हचथयार (तरतरशल) इतनी तीवर गतत स घम रहा था कक पठान सतनक उनह दखकर भागन लग | उनकी कपा स घर स हम तनकलकर पठानो पर वार करन का मौका लमल गया और हमारी हार की घडड़याा अचानक जीत म बदल गयी | यह सब भारत क उन बाघामबरधारी एव तीन नोकवाला हचथयार धारर ककय हए (तरतरशलधारी) योगी क कारर ही समभव हआ | उनक महातजसवी वयलकतसव क परभाव स दखत-ही-दखत अफगातनसतान की पठानी सना भाग खड़ी हई और व परम योगी मझ दहममत दत हए कहन लग | घबराओ नही | म भगवान लशव हा तथा तमहारी पसनी की पजा स परसनन होकर तमहारी रकषा करन आया हा उसक सहाग की रकषा करन आया हा |

पतर पढत हए लडी मादटकन की आाखो स अववरत अशरधारा बहती जा रही थी उसका हदय अहोभाव स भर गया और वह भगवान लशव की परततमा क सममख लसर रखकर पराथकना करत-करत रो पड़ी | कछ सपताह बाद उसका पतत कनकल मादटकन आगर छावनी लौटा | पसनी न उस सारी बात सनात हए कहा आपक सदश क अभाव म म चचलनतत हो उठी थी लककन बराहमरो की सलाह स लशवपजा म लग गयी और आपकी रकषा क ललए भगवान लशव स पराथकना करन लगी | उन दःखभजक महादव न मरी पराथकना सनी और आपको सकशल लौटा ददया | अब तो पतत-पसनी दोनो ही तनयलमत रप स बजनाथ महादव क मददर म पजा-अचकना करन लग | अपनी पसनी की इचछा पर कनकल मादटकन म सन १८८३ म पिह हजार रपय दकर बजनाथ महादव मददर का जीरोदवार करवाया लजसका लशलालख आज भी आगर मालवा क इस मददर म लगा ह | पर भारतभर म अगरजो दवार तनलमकत यह एकमातर दहनद मददर ह |

यरोप जान स पवक लडी मादटकन न पडड़तो स कहा हम अपन घर म भी भगवान लशव का मददर बनायग तथा इन दःख-तनवारक दव की आजीवन पजा करत रहग |

भगवान लशव म भगवान कषटर म माा अमबा म आसमवतता सदगर म सतता तो एक ही ह | आवशयकता ह अटल ववशवास की | एकलवय न गरमतत क म ववशवास कर वह परापत कर ललया जो

अजकन को कदठन लगा | आरखर उपमनय धरव परहलाद आदद अनय सकड़ो उदारहर हमार सामन परसयकष ह | आज भी इस परकार का सहयोग हजारो भकतो को साधको को भगवान व आसमवतता सदगरओ क दवारा तनरनतर परापत होता रहता ह | आवशयकता ह तो बस कवल ववशवास की |

(अनिम) पावन उदगार

सखप वयक परसवकारक ितर

पहला उपाय

ए ही भगवतत भगिामलतन चल चल भरािय भरािय पटप षवकासय षवकासय सवाहा |

इस मतर दवारा अलभमतरतरत दध गलभकरी सतरी को वपलाय तो सखपवकक परसव होगा |

द सरा उपाय

गलभकरी सतरी सवय परसव क समय जमभला-जमभला जप कर |

तीसरा उपाय

दशी गाय क गोबर का १२ स १५ लमली रस ॐ नमो नारायराय मतर का २१ बार जप करक पीन स भी परसव-बाधाएा दर होगी और तरबना ऑपरशन क परसव होगा |

परसतत क समय अमगल की आशका हो तो तनमन मतर का जप कर

सवयिगल िागलय मशव सवायथय साध क |

शरणय तरयमबक गौरी नारायणी निोSसतत ||

(दगायसपतशती)

(अनिम) पावन उदगार

सवागीण षवकास की कषजया यादशषकत बढ़ान हतः परततददन 15 स 20 लमली तलसी रस व एक चममच चयवनपराश

का थोड़ा सा घोल बना क सारसवसय मतर अथवा गरमतर जप कर पीय 40 ददन म चमसकाररक लाभ होगा

भोजन क बाद एक लडड चबा-चबाकर खाय

100 गराम सौफ 100 गराम बादाम 200 गराम लमशरी तीनो को कटकर लमला ल सबह यह लमशरर 3 स 5 गराम चबा-चबाकर खाय ऊपर स दध पी ल (दध क साथ भी ल सकत ह) इसस भी यादशलकत बढगी

पढ़ा हआ पाठ याद रह इस हतः अरधययन क समय पवक या उततर की ओर माह करक सीध बठ

सारसवसय मतर का जप करक कफर जीभ की नोक को ताल म लगाकर पढ

अरधययन क बीच-बीच म अत म शात हो और पढ हए का मनन कर ॐ शातत रामराम या गरमतर का समरर करक शात हो

कद बढ़ान हतः परातःकाल दौड़ लगाय पल-अपस व ताड़ासन कर तथा 2 काली लमचक क टकड़ करक मकखन म लमलाकर तनगल जाय दशी गाय का दध कदवदचध म ववशष सहायक ह

शरीरपषटि हतः भोजन क पहल हरड़ चस व भोजन क साथ भी खाय

रातरतर म एक चगलास पानी म एक नीब तनचोड़कर उसम दो ककशलमश लभगो द सबह पानी छानकर पी जाय व ककशलमश चबाकर खा ल

नतरजयोतत बढ़ान हतः सौफ व लमशरी 1-1 चममच लमलाकर रात को सोत समय खाय यह परयोग तनयलमत रप स 5-6 माह तक कर

नतररोगो स रकषा हतः परो क तलवो व अागठो की सरसो क तल स माललश कर ॐ अरणाय ह फट सवाहा इस जपत हए आाख धोन स अथाकत आाखो म धीर-धीर पानी छााटन स आाखो की असहय पीड़ा लमटती ह

डरावन बर सवपनो स बचाव हतः ॐ हरय निः मतर जपत हए सोय लसरहान आशरम की तनःशकक परसादी गरहदोष-बाधा तनवारक यतर रख द

दःख िसीबत एव गरहबा ा तनवारण हतः जनमददवस क अवसर पर महामसयञजय मतर का जप करत हए घी दध शहद और दवाक घास क लमशरर की आहततयाा डालत हए हवन कर इसस जीवन म दःख आदद का परभाव शात हो जायगा व नया उससाह परापत होगा

घर ि सख सवासथय व शातत हतः रोज परातः व साय दशी गाय क गोबर स बन कणड का एक छोटा टकड़ा जला ल उस पर दशी गौघत लमचशरत चावल क कछ दान डाल द ताकक व जल जाय इसस घर म सवासथय व शातत बनी रहती ह तथा वासतदोषो का तनवारर होता ह

आधयाषतिक उननतत हतः चलत कफरत दतनक कायक करत हए भगवननाम का जप सब म भगवननाम हर दो कायो क बीच थोड़ा शात होना सबकी भलाई म अपना भला मानना मन क ववचारो पर तनगरानी रखना आदरपवकक सससग व सवारधयाय करना आदद शीघर आरधयालसमक उननतत क उपाय ह

(अनिम) पावन उदगार

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Page 2: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत

आज तक पजयशरी क समपकक म आकर असखय लोगो न अपन पतनोनमख जीवन को यौवन सरकषा क परयोगो दवारा ऊरधवकगामी बनाया ह वीयकनाश और सवपनदोष जसी बीमाररयो की चपट म आकर हतबल हए कई यवक-यवततयो क ललए अपन तनराशापरक जीवन म पजयशरी की सतज अनभवयकत वारी एव उनका पववतर मागकदशकन डबत को ततनक का ही नही बलकक नाव का सहारा बन जाता ह

समाज की तजलसवता का हरर करन वाला आज क ववलालसतापरक कलससत और वासनामय वातावरर म यौवन सरकषा क ललए पजयशरी जस महापरषो क ओजसवी मागकदशकन की असयत आवशयकता ह

उस आवशयकता की पतत क हत ही पजयशरी न जहाा अपन परवचनो म lsquoअमकय यौवन-धन की सरकषाrsquo ववषय को छआ ह उस सकललत करक पाठको क सममख रखन का यह अकप परयास ह

इस पसतक म सतरी-परष गहसथी-वानपरसथी ववदयाथी एव वदध सभी क ललए अनपम सामगरी ह सामानय दतनक जीवन को ककस परकार जीन स यौवन का ओज बना रहता ह और जीवन ददवय बनता ह उसकी भी रपरखा इसम सलननदहत ह और सबस परमख बात कक योग की गढ परकियाओ स सवय पररचचत होन क कारर पजयशरी की वारी म तज अनभव एव परमार का सामजसय ह जो अचधक परभावोसपादक लसदध होता ह

यौवन सरकषा का मागक आलोककत करन वाली यह छोटी सी पसतक ददवय जीवन की चाबी ह इसस सवय लाभ उठाय एव औरो तक पहाचाकर उनह भी लाभालनवत करन का पणयमय कायक कर

शरी योग वदानत सवा समितत अिदावाद आशरि

वीययवान बनो पालो बरहमचयक ववषय-वासनाएा सयाग ईशवर क भकत बनो जीवन जो पयारा ह

उदठए परभात काल रदहय परसननचचतत तजो शोक चचनताएा जो दःख का वपटारा ह

कीलजए वयायाम तनसय भरात शलकत अनसार नही इन तनयमो प ककसी का इजारा1 ह

दखखय सौ शरद औrsquoकीलजए सकमक वपरय सदा सवसथ रहना ही कततकवय तमहारा ह

लााघ गया पवनसत बरहमचयक स ही लसध मघनाद मार कीततक लखन कमायी ह

लका बीच अगद न जााघ जब रोप दई हटा नही सका लजस कोई बलदायी ह

पाला वरत बरहमचयक राममतत क गामा न भी दश और ववदशो म नामवरी2 पायी ह

भारत क वीरो तम ऐस वीयकवान बनो बरहमचयक मदहमा तो वदन म गायी ह

1- एकाचधकार 2- परलसदचध

ॐॐॐॐॐॐ

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

अनकरि

यौवन सरकषा

परसतावना

वीयकवान बनो

बरहमचयक रकषा हत मतर

परमपजय बाप जी की कपा-परसाद स लाभालनवत हदयो क उदगार

महामसयजय मतर

मगली बाधा तनवारक मतर

1 ववदयाचथकयो माता-वपता-अलभभावको व राषटर क करकधारो क नाम बरहमतनषटठ सत शरी आसारामजी बाप का सदश

2 यौवन-सरकषा

बरहमचयक कया ह

बरहमचयक उसकषटट तप ह

वीयकरकषर ही जीवन ह

आधतनक चचककससको का मत

वीयक कस बनता ह

आकषकक वयलकतसव का कारर

माली की कहानी

सलषटट िम क ललए मथन एक पराकततक वयवसथा

सहजता की आड़ म भरलमत न होव

अपन को तोल

मनोतनगरह की मदहमा

आसमघाती तकक

सतरी परसग ककतनी बार

राजा ययातत का अनभव

राजा मचकनद का परसग

गलत अभयास का दषटपररराम

वीयकरकषर सदव सतसय

अजकन और अगारपरक गधवक

बरहमचयक का तालववक अथक

3 वीयकरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय

उपयकत आहार

लशशनलनिय सनान

उचचत आसन एव वयायाम करो

बरहममहतक म उठो

दवयकसनो स दर रहो

सससग करो

शभ सककप करो

तरतरबनधयकत परारायाम और योगाभयास करो

नीम का पड चला

सतरी-जातत क परतत मातभाव परबल करो

लशवाजी का परसग

अजकन और उवकशी

वीयकसचय क चमसकार

भीषटम वपतामह और वीर अलभमनय

पथवीराज चौहान कयो हारा

सवामी रामतीथक का अनभव

यवा वगक स दो बात

हसतमथन का दषटपररराम

अमररका म ककया गया परयोग

कामशलकत का दमन या ऊरधवकगमन

एक साधक का अनभव

दसर साधक का अनभव

योगी का सककपबल

कया यह चमसकार ह

हसतमथन व सवपनदोष स कस बच

सदव परसनन रहो

वीयक का ऊरधवकगमन कया ह

वीयकरकषा का महववपरक परयोग

दसरा परयोग

वीयकरकषक चरक

गोद का परयोग

बरहमचयक रकषा हत मतर

पादपलशचमोततानासन

पादागषटठानासन

बदचधशलकतवधकक परयोगः

हमार अनभव

महापरष क दशकन का चमसकार

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह

बरहमचयक ही जीवन ह

शासतरवचन

भसमासर िोध स बचो

बरहमाचयक-रकषा का मतर

सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही बाप जी का अवतरर हआ ह

हर वयलकत जो तनराश ह उस आसाराम जी की जररत ह

बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहमजञान का ददवय सससग

बाप जी का सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

भगवननाम का जाद

पजयशरी क सससग म परधानमतरी शरी अटल तरबहारी वाजपयीजी क उदगार

प बापः राषटरसख क सवधकक

राषटर उनका ऋरी ह

गरीबो व वपछड़ो को ऊपर उठान क कायक चाल रह

सराहनीय परयासो की सफलता क ललए बधाई

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आप समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह

योग व उचच ससकार लशकषा हत भारतवषक आपका चचर-आभारी रहगा

आपन जो कहा ह हम उसका पालन करग

जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

बापजी सवकतर ससकार धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह

आपक दशकनमातर स मझ अदभत शलकत लमलती ह

हम सभी का कतकवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल

आपका मतर हः आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए

सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा

ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

पणयोदय पर सत समागम

बापजी जहाा नही होत वहाा क लोगो क ललए भी बहत कछ करत ह

जीवन की सचची लशकषा तो पजय बापजी ही द सकत ह

आपकी कपा स योग की अरशलकत पदा हो रही ह

धरती तो बाप जस सतो क कारर दटकी ह

म कमनसीब हा जो इतन समय तक गरवारी स वचचत रहा

इतनी मधर वारी इतना अदभत जञान

सससग शरवर स मर हदय की सफाई हो गयी

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहाा आ गयी

बाप जी क सससग स ववशवभर क लोग लाभालनवत

परी डडकशनरी याद कर ववशव ररकॉडक बनाया

मतरदीकषा व यौचगक परयोगो स बदचध का अपरततम ववकास

सससग व मतरदीकषा न कहाा स कहाा पहाचा ददया

5 वषक क बालक न चलायी जोखखम भरी सड़को पर कार

ऐस सतो का लजतना आदर ककया जाय कम ह

मझ तनवयकसनी बना ददया

गरजी की तसवीर न परार बचा ललय

सदगर लशषटय का साथ कभी नही छोड़त

गरकपा स अधापन दर हआ

और डकत घबराकर भाग गय

मतर दवारा मतदह म परार-सचार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस लमली

बड़दादा की लमटटी व जल स जीवनदान

पजय बाप न फ का कपा-परसाद

बटी न मनौती मानी और गरकपा हई

और गरदव की कपा बरसी

गरदव न भजा अकषयपातर

सवपन म ददय हए वरदान स पतरपरालपत

शरी आसारामायर क पाठ स जीवनदान

गरवारी पर ववशवास स अवरीय लाभ

सवफल क दो टकड़ो स दो सतान

साइककल स गरधाम जान पर खराब टााग ठीक हो गयी

अदभत रही मौनमददर की साधना

असारधय रोग स मलकत

कसट का चमसकार

पजयशरी की तसवीर स लमली परररा

नतरतरबद का चमसकार

मतर स लाभ

काम िोध पर ववजय पायी

जला हआ कागज पवक रप म

नदी की धारा मड़ गयी

सदगर-मदहमा

लडी मादटकन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान म परकट लशवजी

सखपवकक परसवकारक मतर

सवाागीर ववकास की कलजयाा

ॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

िहाितयजय ितर

ॐ हौ ज सः ॐ भ भयवः सवः ॐ तरयमबक यजािह सगध पषटिव यनि उवायरकमिव

बन नानितयोियकषकषय िाितात सवः भवः भ ः ॐ सः ज हौ ॐ

भगवान लशव का यह महामसयजय मतर जपन स अकाल मसय तो टलती ही ह आरोगयता की भी परालपत होती ह सनान करत समय शरीर पर लोट स पानी डालत वकत इस मतर का जप करन स सवासथय लाभ होता ह दध म तनहारत हए इस मतर का जप करक दध पी ललया जाय तो यौवन की सरकषा म भी सहायता लमलती ह आजकल की तज रफतार वाली लजदगी क कहाा उपिव दघकटना हो जाय कहना मलशकल ह घर स तनकलत समय एक बार यह मतर जपन वाला उपिवो स सरकषकषत

रहता ह और सरकषकषत लौटता ह (इस मतर क अनषटठान की परक जानकारी क ललए आशरम की आरोगयतनध पसतक पढ

शरीिदभागवत क आठव सक ि तीसर अधयाय क शलोक 1 स 33 तक ि वरणयत गजनर िोकष सतोतर का पाठ करन स तिाि षवघन द र होत ह

िगली बा ा तनवारक ितर

अ रा अ इस मतर को 108 बार जपन स िोध दर होता ह जनमकणडली म मगली दोष होन स लजनक वववाह न हो रह हो व 27 मगलवार इसका 108 बार जप करत हए वरत रख क हनमान जी पर लसदर का चोला चढाय तो मगल बाधा का कषय होता ह

1 षवदयाधथययो िाता-षपता-अमभभावको व राटर क कणय ारो क नाि बरहितनटठ सत शरी आसारािजी बाप का सदश

हमार दश का भववषटय हमारी यवा पीढी पर तनभकर ह ककनत उचचत मागकदशकन क अभाव म वह

आज गमराह हो रही ह |

पाशचासय भोगवादी सभयता क दषटपरभाव स उसक यौवन का हरास होता जा रहा ह | ववदशी चनल

चलचचतर अशलील सादहसय आदद परचार मारधयमो क दवारा यवक-यवततयो को गमराह ककया जा रहा ह

| ववलभनन सामतयको और समाचार-पतरो म भी तथाकचथत पाशचासय मनोववजञान स परभाववत मनोचचककससक और lsquoसकसोलॉलजसटrsquo यवा छातर-छातराओ को चररतर सयम और नततकता स भरषटट करन पर तल हए ह |

तरबरतानी औपतनवलशक ससकतत की दन इस वततकमान लशकषा-परराली म जीवन क नततक मकयो क परतत उदासीनता बरती गई ह | फलतः आज क ववदयाथी का जीवन कौमायकवसथा स ही ववलासी और असयमी हो जाता ह |

पाशचासय आचार-वयवहार क अधानकरर स यवानो म जो फशनपरसती अशदध आहार-ववहार क

सवन की परववतत कसग अभिता चलचचतर-परम आदद बढ रह ह उसस ददनोददन उनका पतन होता जा रहा ह | व तनबकल और कामी बनत जा रह ह | उनकी इस अवदशा को दखकर ऐसा लगता ह कक व बरहमचयक की मदहमा स सवकथा अनलभजञ ह |

लाखो नही करोड़ो-करोड़ो छातर-छातराएा अजञानतावश अपन तन-मन क मल ऊजाक-सरोत का वयथक म अपकषय कर परा जीवन दीनता-हीनता-दबकलता म तबाह कर दत ह और सामालजक अपयश क भय

स मन-ही-मन कषटट झलत रहत ह | इसस उनका शारीररक-मानलसक सवासथय चौपट हो जाता ह

सामानय शारीररक-मानलसक ववकास भी नही हो पाता | ऐस यवान रकताकपता ववसमरर तथा दबकलता स पीडड़त होत ह |

यही वजह ह कक हमार दश म औषधालयो चचककससालयो हजारो परकार की एलोपचथक दवाइयो इनजकशनो आदद की लगातार वदचध होती जा रही ह | असखय डॉकटरो न अपनी-अपनी दकान खोल

रखी ह कफर भी रोग एव रोचगयो की सखया बढती ही जा रही ह |

इसका मल कारर कया ह दवयकसन तथा अनततक अपराकततक एव अमयाकददत मथन दवारा वीयक की कषतत ही इसका मल कारर ह | इसकी कमी स रोगपरततकारक शलकत घटती ह जीवनशलकत का हरास होता ह |

इस दश को यदद जगदगर क पद पर आसीन होना ह ववशव-सभयता एव ववशव-ससकतत का लसरमौर बनना ह उननत सथान कफर स परापत करना ह तो यहाा की सनतानो को चादहए कक व बरहमचयक क महसव को समझ और सतत सावधान रहकर सखती स इसका पालन कर |

बरहमचयक क दवारा ही हमारी यवा पीढी अपन वयलकतसव का सतललत एव शरषटठतर ववकास कर सकती ह | बरहमचयक क पालन स बदचध कशागर बनती ह रोगपरततकारक शलकत बढती ह तथा महान-

स-महान लकषय तनधाकररत करन एव उस समपाददत करन का उससाह उभरता ह सककप म दढता आती ह मनोबल पषटट होता ह |

आरधयालसमक ववकास का मल भी बरहमचयक ही ह | हमारा दश औदयोचगक तकनीकी और आचथकक

कषतर म चाह ककतना भी ववकास कर ल समदचध परापत कर ल कफर भी यदद यवाधन की सरकषा न हो पाई तो यह भौततक ववकास अत म महाववनाश की ओर ही ल जायगा कयोकक सयम सदाचार

आदद क पररपालन स ही कोई भी सामालजक वयवसथा सचार रप स चल सकती ह | भारत का सवाागीर ववकास सचचररतर एव सयमी यवाधन पर ही आधाररत ह |

अतः हमार यवाधन छातर-छातराओ को बरहमचयक म परलशकषकषत करन क ललए उनह यौन-सवासथय

आरोगयशासतर दीघाकय-परालपत क उपाय तथा कामवासना तनयतरतरत करन की ववचध का सपषटट जञान परदान करना हम सबका अतनवायक कततकवय ह | इसकी अवहलना करना हमार दश व समाज क दहत म नही ह | यौवन सरकषा स ही सदढ राषटर का तनमाकर हो सकता ह |

(अनिम)

2 यौवन-सरकषा शरीरिादय खल ियसा नि |

धमक का साधन शरीर ह | शरीर स ही सारी साधनाएा समपनन होती ह | यदद शरीर कमजोर ह तो उसका परभाव मन पर पड़ता ह मन कमजोर पड़ जाता ह |

कोई भी कायक यदद सफलतापवकक करना हो तो तन और मन दोनो सवसथ होन चादहए | इसीललय

कई बढ लोग साधना की दहममत नही जटा पात कयोकक वषतयक भोगो स उनक शरीर का सारा ओज-तज नषटट हो चका होता ह | यदद मन मजबत हो तो भी उनका जजकर शरीर परा साथ नही द पाता | दसरी ओर यवक वगक साधना करन की कषमता होत हए भी ससार की चकाचौध स परभाववत

होकर वषतयक सखो म बह जाता ह | अपनी वीयकशलकत का महसव न समझन क कारर बरी आदतो म पड़कर उस खचक कर दता ह कफर लजनदगी भर पछताता रहता ह |

मर पास कई ऐस यवक आत ह जो भीतर-ही भीतर परशान रहत ह | ककसीको व अपना दःख-ददक सना नही पात कयोकक बरी आदतो म पड़कर उनहोन अपनी वीयकशलकत को खो ददया ह | अब मन

और शरीर कमजोर हो गय गय ससार उनक ललय दःखालय हो गया ईशवरपरालपत उनक ललए असभव हो गई | अब ससार म रोत-रोत जीवन घसीटना ही रहा |

इसीललए हर यग म महापरष लोग बरहमचयक पर जोर दत ह | लजस वयलकत क जीवन म सयम

नही ह वह न तो सवय की ठीक स उननतत कर पाता ह और न ही समाज म कोई महान कायक कर पाता ह | ऐस वयलकतयो स बना हआ समाज और दश भी भौततक उननतत व आरधयालसमक उननतत म वपछड़ जाता ह | उस दश का शीघर पतन हो जाता ह |

(अनिम)

बरहिचयय कया ह

पहल बरहमचयक कया ह- यह समझना चादहए | lsquoयाजञवककय सदहताrsquo म आया ह

कियणा िनसा वाचा सवायसथास सवयदा |

सवयतर िथनतआगो बरहिचय परचकषत ||

lsquoसवक अवसथाओ म मन वचन और कमक तीनो स मथन का सदव सयाग हो उस बरहमचयक कहत ह |rsquo

भगवान वदवयासजी न कहा ह

बरहिचय गपतषनरसयोपसथसय सयिः |

lsquoववषय-इलनियो दवारा परापत होन वाल सख का सयमपवकक सयाग करना बरहमचयक ह |rsquo

भगवान शकर कहत ह

मसद बबनदौ िहादषव कक न मसद यतत भ तल |

lsquoह पावकती तरबनद अथाकत वीयकरकषर लसदध होन क बाद कौन-सी लसदचध ह जो साधक को परापत नही हो सकती rsquo

साधना दवारा जो साधक अपन वीयक को ऊरधवकगामी बनाकर योगमागक म आग बढत ह व कई

परकार की लसदचधयो क माललक बन जात ह | ऊरधवकरता योगी परष क चररो म समसत लसदचधयाा दासी बनकर रहती ह | ऐसा ऊरधवकरता परष परमाननद को जकदी पा सकता ह अथाकत आसम-साकषासकार जकदी कर सकता ह |

दवताओ को दवसव भी इसी बरहमचयक क दवारा परापत हआ ह

बरहिचयण तपसा दवा ितयिपाघनत |

इनरो ह बरहिचयण दवभयः सवराभरत ||

lsquoबरहमचयकरपी तप स दवो न मसय को जीत ललया ह | दवराज इनि न भी बरहमचयक क परताप स ही दवताओ स अचधक सख व उचच पद को परापत ककया ह |rsquo

(अथवकवद 1519)

बरहमचयक बड़ा गर ह | वह ऐसा गर ह लजसस मनषटय को तनसय मदद लमलती ह और जीवन क सब

परकार क खतरो म सहायता लमलती ह |

(अनिम)

बरहिचयय उतकटि तप ह

ऐस तो तपसवी लोग कई परकार क तप करत ह परनत बरहमचयक क बार म भगवान शकर कहत ह

न तपसतप इतयाहबरयहिचय तपोततिि |

ऊधवयरता भवदयसत स दवो न त िानिः ||

lsquoबरहमचयक ही उसकषटट तप ह | इसस बढकर तपशचयाक तीनो लोको म दसरी नही हो सकती | ऊरधवकरता परष इस लोक म मनषटयरप म परसयकष दवता ही ह |rsquo

जन शासतरो म भी इस उसकषटट तप बताया गया ह |

तवस वा उतति बभचरि |

lsquoबरहमचयक सब तपो म उततम तप ह |rsquo

वीययरकषण ही जीवन ह

वीयक इस शरीररपी नगर का एक तरह स राजा ही ह | यह वीयकरपी राजा यदद पषटट ह बलवान ह

तो रोगरपी शतर कभी शरीररपी नगर पर आिमर नही करत | लजसका वीयकरपी राजा तनबकल ह उस

शरीररपी नगर को कई रोगरपी शतर आकर घर लत ह | इसीललए कहा गया ह

िरण बबनदोपातन जीवन बबनद ारणात |

lsquoतरबनदनाश (वीयकनाश) ही मसय ह और तरबनदरकषर ही जीवन ह |rsquo

जन गरथो म अबरहमचयक को पाप बताया गया ह

अबभचररय घोर पिाय दरहहठहठयि |

lsquoअबरहमचयक घोर परमादरप पाप ह |rsquo (दश वकाललक सतर 617)

lsquoअथवदrsquo म इस उसकषटट वरत की सजञा दी गई ह

वरति व व बरहिचययि |

वदयकशासतर म इसको परम बल कहा गया ह

बरहिचय पर बलि | lsquoबरहमचयक परम बल ह |rsquo

वीयकरकषर की मदहमा सभी न गायी ह | योगीराज गोरखनाथ न कहा ह

कत गया क कामिनी झ र | बबनद गया क जोगी ||

lsquoपतत क ववयोग म कालमनी तड़पती ह और वीयकपतन स योगी पशचाताप करता ह |rsquo

भगवान शकर न तो यहाा तक कह ददया कक इस बरहमचयक क परताप स ही मरी ऐसी महान मदहमा हई ह

यसय परसादानिहहिा ििापयतादशो भवत |

(अनिम)

आ तनक धचककतसको का ित

यरोप क परततलषटठत चचककससक भी भारतीय योचगयो क कथन का समथकन करत ह | डॉ तनकोल

कहत ह

ldquoयह एक भषलजक और ददहक तथय ह कक शरीर क सवोततम रकत स सतरी तथा परष दोनो ही जाततयो म परजनन तवव बनत ह | शदध तथा वयवलसथत जीवन म यह तवव पनः अवशोवषत हो जाता ह | यह सकषमतम मलसतषटक सनाय तथा मासपलशय ऊततको (Tissue) का तनमाकर करन क ललय तयार

होकर पनः पररसचारर म जाता ह | मनषटय का यह वीयक वापस ऊपर जाकर शरीर म ववकलसत होन पर उस तनभीक बलवान साहसी तथा वीर बनाता ह | यदद इसका अपवयय ककया गया तो यह उसको सतरर दबकल कशकलवर एव कामोततजनशील बनाता ह तथा उसक शरीर क अगो क कायकवयापार को ववकत एव सनायततर को लशचथल (दबकल) करता ह और उस लमगी (मगी) एव अनय अनक रोगो और

मसय का लशकार बना दता ह | जननलनिय क वयवहार की तनवतत स शारीररक मानलसक तथा अरधयालसमक बल म असाधारर वदचध होती ह |rdquo

परम धीर तथा अरधयवसायी वजञातनक अनसधानो स पता चला ह कक जब कभी भी रतःसराव को सरकषकषत रखा जाता तथा इस परकार शरीर म उसका पनवकशोषर ककया जाता ह तो वह रकत को समदध तथा मलसतषटक को बलवान बनाता ह |

डॉ डडओ लई कहत ह ldquoशारीररक बल मानलसक ओज तथा बौदचधक कशागरता क ललय इस तवव

का सरकषर परम आवशयक ह |rdquo

एक अनय लखक डॉ ई पी लमलर ललखत ह ldquoशिसराव का सवलचछक अथवा अनलचछक अपवयय

जीवनशलकत का परसयकष अपवयय ह | यह परायः सभी सवीकार करत ह कक रकत क सवोततम तवव

शिसराव की सरचना म परवश कर जात ह | यदद यह तनषटकषक ठीक ह तो इसका अथक यह हआ कक

वयलकत क ककयार क ललय जीवन म बरहमचयक परम आवशयक ह |rdquo

पलशचम क परखयात चचककससक कहत ह कक वीयककषय स ववशषकर तररावसथा म वीयककषय स ववववध परकार क रोग उसपनन होत ह | व ह शरीर म वरर चहर पर माहास अथवा ववसफोट नतरो क चतददकक नीली रखाय दाढी का अभाव धास हए नतर रकतकषीरता स पीला चहरा समततनाश दलषटट की कषीरता मतर क साथ वीयकसखलन अणडकोश की वदचध अणडकोशो म पीड़ा दबकलता तनिालता आलसय उदासी हदय-कमप शवासावरोध या कषटटशवास यकषमा पषटठशल कदटवात शोरोवदना सचध-पीड़ा दबकल वकक तनिा म मतर तनकल जाना मानलसक अलसथरता ववचारशलकत का अभाव दःसवपन

सवपन दोष तथा मानलसक अशातत |

उपरोकत रोग को लमटान का एकमातर ईलाज बरहमचयक ह | दवाइयो स या अनय उपचारो स य रोग सथायी रप स ठीक नही होत |

(अनिम)

वीयय कस बनता ह

वीयक शरीर की बहत मकयवान धात ह | भोजन स वीयक बनन की परकिया बड़ी लमबी ह | शरी सशरताचायक न ललखा ह

रसारकत ततो िास िासानिदः परजायत |

िदसयाषसथः ततो िजजा िजजाया शकरसभवः ||

जो भोजन पचता ह उसका पहल रस बनता ह | पााच ददन तक उसका पाचन होकर रकत बनता ह | पााच ददन बाद रकत म स मास उसम स 5-5 ददन क अतर स मद मद स हडडी हडडी स मजजा और मजजा स अत म वीयक बनता ह | सतरी म जो यह धात बनती ह उस lsquoरजrsquo कहत ह |

वीयक ककस परकार छः-सात मलजलो स गजरकर अपना यह अततम रप धारर करता ह यह सशरत क इस कथन स जञात हो जाता ह | कहत ह कक इस परकार वीयक बनन म करीब 30 ददन व 4 घणट लग जात ह | वजञतनक लोग कहत ह कक 32 ककलोगराम भोजन स 700 गराम रकत बनता ह और 700

गराम रकत स लगभग 20 गराम वीयक बनता ह |

(अनिम)

आकियक वयषकततव का कारण

इस वीयक क सयम स शरीर म एक अदभत आकषकक शलकत उसपनन होती ह लजस पराचीन वदय धनवतरर न lsquoओजrsquo नाम ददया ह | यही ओज मनषटय को अपन परम-लाभ lsquoआसमदशकनrsquo करान म सहायक बनता ह | आप जहाा-जहाा भी ककसी वयलकत क जीवन म कछ ववशषता चहर पर तज वारी म बल कायक म उससाह पायग वहाा समझो इस वीयक रकषर का ही चमसकार ह |

यदद एक साधारर सवसथ मनषटय एक ददन म 700 गराम भोजन क दहसाब स चालीस ददन म 32

ककलो भोजन कर तो समझो उसकी 40 ददन की कमाई लगभग 20 गराम वीयक होगी | 30 ददन अथाकत

महीन की करीब 15 गराम हई और 15 गराम या इसस कछ अचधक वीयक एक बार क मथन म परष

दवारा खचक होता ह |

िाली की कहानी

एक था माली | उसन अपना तन मन धन लगाकर कई ददनो तक पररशरम करक एक सनदर बगीचा तयार ककया | उस बगीच म भाातत-भाातत क मधर सगध यकत पषटप खखल | उन पषटपो को चनकर

उसन इकठठा ककया और उनका बदढया इतर तयार ककया | कफर उसन कया ककया समझ आप hellip उस

इतर को एक गदी नाली ( मोरी ) म बहा ददया |

अर इतन ददनो क पररशरम स तयार ककय गय इतर को लजसकी सगनध स सारा घर महकन वाला था उस नाली म बहा ददया आप कहग कक lsquoवह माली बड़ा मखक था पागल था helliprsquo मगर अपन आपम ही झााककर दख | वह माली कही और ढाढन की जररत नही ह | हमम स कई लोग ऐस ही माली ह |

वीयक बचपन स लकर आज तक यानी 15-20 वषो म तयार होकर ओजरप म शरीर म ववदयमान

रहकर तज बल और सफततक दता रहा | अभी भी जो करीब 30 ददन क पररशरम की कमाई थी उस या ही सामानय आवग म आकर अवववकपवकक खचक कर दना कहाा की बदचधमानी ह

कया यह उस माली जसा ही कमक नही ह वह माली तो दो-चार बार यह भल करन क बाद ककसी क समझान पर साभल भी गया होगा कफर वही-की-वही भल नही दोहराई होगी परनत आज तो कई लोग वही भल दोहरात रहत ह | अत म पशचाताप ही हाथ लगता ह |

कषखरक सख क ललय वयलकत कामानध होकर बड़ उससाह स इस मथनरपी कसय म पड़ता ह परनत कसय परा होत ही वह मद जसा हो जाता ह | होगा ही | उस पता ही नही कक सख तो नही लमला कवल सखाभास हआ परनत उसम उसन 30-40 ददन की अपनी कमाई खो दी |

यवावसथा आन तक वीयकसचय होता ह वह शरीर म ओज क रप म लसथत रहता ह | वह तो वीयककषय स नषटट होता ही ह अतत मथन स तो हडडडयो म स भी कछ सफद अश तनकलन लगता ह

लजसस असयचधक कमजोर होकर लोग नपसक भी बन जात ह | कफर व ककसी क सममख आाख

उठाकर भी नही दख पात | उनका जीवन नारकीय बन जाता ह |

वीयकरकषर का इतना महसव होन क कारर ही कब मथन करना ककसस मथन करना जीवन म ककतनी बार करना आदद तनदशन हमार ॠवष-मतनयो न शासतरो म द रख ह |

(अनिम)

सषटि करि क मलए िथन एक पराकततक वयवसथा

शरीर स वीयक-वयय यह कोई कषखरक सख क ललय परकतत की वयवसथा नही ह | सनतानोसपवतत क ललय इसका वासतववक उपयोग ह | यह परकतत की वयवसथा ह |

यह सलषटट चलती रह इसक ललए सनतानोसपवतत होना जररी ह | परकतत म हर परकार की वनसपतत व परारीवगक म यह काम-परववतत सवभावतः पाई जाती ह | इस काम- परववतत क वशीभत होकर हर परारी मथन करता ह और उसका रततसख भी उस लमलता ह | ककनत इस पराकततक वयवसथा को ही बार-बार कषखरक सख का आधार बना लना कहाा की बदचधमानी ह पश भी अपनी ॠत क अनसार ही इस

कामवतत म परवत होत ह और सवसथ रहत ह तो कया मनषटय पश वगक स भी गया बीता ह पशओ म तो बदचधतसव ववकलसत नही होता परनत मनषटय म तो उसका परक ववकास होता ह |

आहारतनराभयिथन च सािानयिततपशमभनयराणाि |

भोजन करना भयभीत होना मथन करना और सो जाना यह तो पश भी करत ह | पश शरीर म रहकर हम यह सब करत आए ह | अब यह मनषटय शरीर लमला ह | अब भी यदद बदचध और

वववकपरक अपन जीवन को नही चलाया और कषखरक सखो क पीछ ही दौड़त रह तो कस अपन मल

लकषय पर पहाच पायग

(अनिम)

सहजता की आड़ ि भरमित न होव कई लोग तकक दन लग जात ह ldquoशासतरो म पढन को लमलता ह और जञानी महापरषो क

मखारववनद स भी सनन म आता ह कक सहज जीवन जीना चादहए | काम करन की इचछा हई तो काम ककया भख लगी तो भोजन ककया नीद आई तो सो गय | जीवन म कोई lsquoटनशनrsquo कोई तनाव

नही होना चादहए | आजकल क तमाम रोग इसी तनाव क ही फल ह hellip ऐसा मनोवजञातनक कहत ह | अतः जीवन सहज और सरल होना चादहए | कबीरदास जी न भी कहा ह सा ो सहज सिाध भली |rdquo

ऐसा तकक दकर भी कई लोग अपन काम-ववकार की तलपत को सहमतत द दत ह | परनत यह अपन आपको धोखा दन जसा ह | ऐस लोगो को खबर ही नही ह कक ऐसा सहज जीवन तो महापरषो का होता ह लजनक मन और बदचध अपन अचधकार म होत ह लजनको अब ससार म अपन ललय पान को कछ भी शष नही बचा ह लजनह मान-अपमान की चचनता नही होती ह | व उस आसमतवव म लसथत हो जात ह जहाा न पतन ह न उसथान | उनको सदव लमलत रहन वाल आननद म अब ससार क ववषय न तो वदचध कर सकत ह न अभाव | ववषय-भोग उन महान परषो को आकवषकत करक अब बहका या भटका नही सकत | इसललए अब उनक सममख भल ही ववषय-सामचगरयो का ढर लग जाय ककनत उनकी चतना इतनी जागत होती ह कक व चाह तो उनका उपयोग कर और चाह तो ठकरा द |

बाहरी ववषयो की बात छोड़ो अपन शरीर स भी उनका ममसव टट चका होता ह | शरीर रह अथवा न रह- इसम भी उनका आगरह नही रहता | ऐस आननदसवरप म व अपन-आपको हर समय अनभव

करत रहत ह | ऐसी अवसथावालो क ललय कबीर जी न कहा ह

सा ो सहज सिाध भली |

(अनिम)

अपन को तोल हम यदद ऐसी अवसथा म ह तब तो ठीक ह | अनयथा रधयान रह ऐस तकक की आड़ म हम अपन को धोखा दकर अपना ही पतन कर डालग | जरा अपनी अवसथा की तलना उनकी अवसथा स कर | हम तो कोई हमारा अपमान कर द तो िोचधत हो उठत ह बदला तक लन को तयार हो जात ह | हम

लाभ-हातन म सम नही रहत ह | राग-दवष हमारा जीवन ह | lsquoमरा-तराrsquo भी वसा ही बना हआ ह | lsquoमरा धन hellip मरा मकान hellip मरी पसनी hellip मरा पसा hellip मरा लमतर hellip मरा बटा hellip मरी इजजत hellip मरा पद helliprsquo

य सब ससय भासत ह कक नही यही तो दहभाव ह जीवभाव ह | हम इसस ऊपर उठ कर वयवहार कर सकत ह कया यह जरा सोच |

कई साध लोग भी इस दहभाव स छटकारा नही पा सक सामानय जन की तो बात ही कया कई

साध भी lsquoम लसतरयो की तरफ दखता ही नही हा hellip म पस को छता ही नही हा helliprsquo इस परकार की अपनी-अपनी मन और बदचध की पकड़ो म उलझ हए ह | व भी अपना जीवन अभी सहज नही कर पाए ह और हम hellip

हम अपन साधारर जीवन को ही सहज जीवन का नाम दकर ववषयो म पड़ रहना चाहत ह | कही लमठाई दखी तो माह म पानी भर आया | अपन सबधी और ररशतदारो को कोई दःख हआ तो भीतर स हम भी दःखी होन लग गय | वयापार म घाटा हआ तो माह छोटा हो गया | कही अपन घर स जयादा ददन दर रह तो बार-बार अपन घरवालो की पसनी और पतरो की याद सतान लगी | य कोई सहज जीवन क लकषर ह लजसकी ओर जञानी महापरषो का सकत ह नही |

(अनिम)

िनोतनगरह की िहहिा आज कल क नौजवानो क साथ बड़ा अनयाय हो रहा ह | उन पर चारो ओर स ववकारो को भड़कान वाल आिमर होत रहत ह |

एक तो वस ही अपनी पाशवी ववततयाा यौन उचछखलता की ओर परोससादहत करती ह और दसर

सामालजक पररलसथततयाा भी उसी ओर आकषकर बढाती ह hellip इस पर उन परववततयो को वौजञातनक

समथकन लमलन लग और सयम को हातनकारक बताया जान लग hellip कछ तथाकचथत आचायक भी फरायड जस नालसतक एव अधर मनोवजञातनक क वयलभचारशासतर को आधार बनाकर lsquoसभोग स सिाध rsquo का उपदश दन लग तब तो ईशवर ही बरहमचयक और दामपसय जीवन की पववतरता का रकषक ह |

16 लसतमबर 1977 क lsquoनययॉकक टाइमस म छपा था

ldquoअमररकन पनल कहती ह कक अमररका म दो करोड़ स अचधक लोगो को मानलसक चचककससा की आवशयकता ह |rdquo

उपरोकत परररामो को दखत हए अमररका क एक महान लखक समपादक और लशकषा ववशारद शरी मादटकन गरोस अपनी पसतक lsquoThe Psychological Societyrsquo म ललखत ह ldquoहम लजतना समझत ह उसस कही जयादा फरायड क मानलसक रोगो न हमार मानस और समाज म गहरा परवश पा ललया ह |

यदद हम इतना जान ल कक उसकी बात परायः उसक ववकत मानस क ही परतततरबमब ह और उसकी मानलसक ववकततयो वाल वयलकतसव को पहचान ल तो उसक ववकत परभाव स बचन म सहायता लमल

सकती ह | अब हम डॉ फरायड की छाया म तरबककल नही रहना चादहए |rdquo

आधतनक मनोववजञान का मानलसक ववशलषर मनोरोग शासतर और मानलसक रोग की चचककससा hellip

य फरायड क रगर मन क परतततरबमब ह | फरायड सवय सफदटक कोलोन परायः सदा रहन वाला मानलसक

अवसाद सनायववक रोग सजातीय समबनध ववकत सवभाव माईगरन कबज परवास मसय और धननाश भय साईनोसाइदटस घरा और खनी ववचारो क दौर आदद रोगो स पीडडत था |

परोफसर एडलर और परोफसर सी जी जग जस मधकनय मनोवजञातनको न फरायड क

लसदधातो का खडन कर ददया ह कफर भी यह खद की बात ह कक भारत म अभी भी कई मानलसक

रोग ववशषजञ और सकसोलॉलजसट फरायड जस पागल वयलकत क लसदधातो को आधार लकर इस दश क जवानो को अनततक और अपराकततक मथन (Sex) का सभोग का उपदश वततकमान पतरो और

सामयोको क दवारा दत रहत ह | फरायड न तो मसय क पहल अपन पागलपन को सवीकार ककया था लककन उसक लककन उसक सवय सवीकार न भी कर तो भी अनयायी तो पागल क ही मान जायग | अब व इस दश क लोगो को चररतरभरषटट करन का और गमराह करन का पागलपन छोड़ द ऐसी हमारी नमर पराथकना ह | यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पााच बार पढ और पढाएा- इसी म सभी का ककयार तनदहत ह |

आाकड़ बतात ह कक आज पाशचासय दशो म यौन सदाचार की ककतनी दगकतत हई ह इस दगकतत

क परररामसवरप वहाा क तनवालसयो क वयलकतगत जीवन म रोग इतन बढ गय ह कक भारत स 10

गनी जयादा दवाइयाा अमररका म खचक होती ह जबकक भारत की आबादी अमररका स तीन गनी जयादा ह | मानलसक रोग इतन बढ ह कक हर दस अमररकन म स एक को मानलसक रोग होता ह | दवाकसनाएा इतनी बढी ह कक हर छः सकणड म एक बलासकार होता ह और हर वषक लगभग 20 लाख कनयाएा वववाह क पवक ही गभकवती हो जाती ह | मकत साहचयक (free sex) का दहमायती होन क कारर शादी क पहल वहाा का परायः हर वयलकत जातीय सबध बनान लगता ह | इसी वजह स लगभग 65 शाददयाा तलाक म बदल जाती ह | मनषटय क ललय परकतत दवारा तनधाकररत ककय गय सयम का उपहास करन क कारर परकतत न उन लोगो को जातीय रोगो का लशकार बना रखा ह | उनम मखयतः एडस (AIDS) की बीमारी ददन दनी रात चौगनी फलती जा रही ह | वहाा क पाररवाररक व सामालजक जीवन म िोध

कलह असतोष सताप उचछखलता उदयडता और शतरता का महा भयानक वातावरर छा गया ह |

ववशव की लगभग 4 जनसखया अमररका म ह | उसक उपभोग क ललय ववशव की लगभग 40

साधन-सामगरी (जस कक कार टी वी वातानकललत मकान आदद) मौजद ह कफर भी वहाा अपराधवतत

इतनी बढी ह की हर 10 सकणड म एक सधमारी होती ह हर लाख वयलकतयो म स 425 वयलकत

कारागार म सजा भोग रह ह जबकक भारत म हर लाख वयलकत म स कवल 23 वयलकत ही जल की सजा काट रह ह |

कामकता क समथकक फरायड जस दाशकतनको की ही यह दन ह कक लजनहोन पशचासय दशो को मनोववजञान क नाम पर बहत परभाववत ककया ह और वही स यह आाधी अब इस दश म भी फलती जा रही ह | अतः इस दश की भी अमररका जसी अवदशा हो उसक पहल हम सावधान रहना पड़गा | यहाा क कछ अववचारी दाशकतनक भी फरायड क मनोववजञान क आधार पर यवानो को बलगाम सभोग की तरफ उससादहत कर रह ह लजसस हमारी यवापीढी गमराह हो रही ह | फरायड न तो कवल मनोवजञातनक

मानयताओ क आधार पर वयलभचार शासतर बनाया लककन तथाकचथत दाशकतनक न तो lsquoसभोग स सिाध rsquo की पररककपना दवारा वयलभचार को आरधयालसमक जामा पहनाकर धालमकक लोगो को भी भरषटट ककया ह | सभोग स सिाध नही होती सतयानाश होता ह | lsquoसयम स ही समाचध होती ह helliprsquo इस भारतीय मनोववजञान को अब पाशचासय मनोववजञानी भी ससय मानन लग ह |

जब पलशचम क दशो म जञान-ववजञान का ववकास परारमभ भी नही हआ था और मानव न ससकतत क कषतर म परवश भी नही ककया था उस समय भारतवषक क दाशकतनक और योगी मानव मनोववजञान क ववलभनन पहलओ और समसयाओ पर गमभीरता पवकक ववचार कर रह थ | कफर भी पाशचासय ववजञान की छतरछाया म पल हए और उसक परकाश स चकाचौध वततकमान भारत क मनोवजञातनक भारतीय

मनोववजञान का अलसतवव तक मानन को तयार नही ह | यह खद की बात ह | भारतीय मनोवजञातनको न चतना क चार सतर मान ह जागरत सवपन सषलपत और तरीय | पाशचासय मनोवजञातनक परथम तीन सतर को ही जानत ह | पाशचासय मनोववजञान नालसतक ह | भारतीय मनोववजञान ही आसमववकास

और चररतर तनमाकर म सबस अचधक उपयोगी लसदध हआ ह कयोकक यह धमक स असयचधक परभाववत ह | भारतीय मनोववजञान आसमजञान और आसम सधार म सबस अचधक सहायक लसदध होता ह | इसम बरी आदतो को छोड़न और अचछी आदतो को अपनान तथा मन की परकियाओ को समझन तथा उसका तनयतरर करन क महसवपरक उपाय बताय गय ह | इसकी सहायता स मनषटय सखी सवसथ और

सममातनत जीवन जी सकता ह |

पलशचम की मनोवजञातनक मानयताओ क आधार पर ववशवशातत का भवन खड़ा करना बाल की नीव पर भवन-तनमाकर करन क समान ह | पाशचासय मनोववजञान का पररराम वपछल दो ववशवयदधो क रप म ददखलायी पड़ता ह | यह दोष आज पलशचम क मनोवजञातनको की समझ म आ रहा ह | जबकक

भारतीय मनोववजञान मनषटय का दवी रपानतरर करक उसक ववकास को आग बढाना चाहता ह | उसक

lsquoअनकता म एकताrsquo क लसदधात पर ही ससार क ववलभनन राषटरो सामालजक वगो धमो और परजाततयो

म सदहषटरता ही नही सकिय सहयोग उसपनन ककया जा सकता ह | भारतीय मनोववजञान म शरीर और

मन पर भोजन का कया परभाव पड़ता ह इस ववषय स लकर शरीर म ववलभनन चिो की लसथतत

कणडललनी की लसथतत वीयक को ऊरधवकगामी बनान की परकिया आदद ववषयो पर ववसतारपवकक चचाक की गई ह | पाशचासय मनोववजञान मानव-वयवहार का ववजञान ह | भारतीय मनोववजञान मानस ववजञान क साथ-साथ आसमववजञान ह | भारतीय मनोववजञान इलनियतनयतरर पर ववशष बल दता ह जबकक पाशचासय मनोववजञान कवल मानलसक कियाओ या मलसतषटक-सगठन पर बल दता ह | उसम मन दवारा मानलसक जगत का ही अरधययन ककया जाता ह | उसम भी परायड का मनोववजञान तो एक रगर मन क दवारा अनय रगर मनो का ही अरधययन ह जबकक भारतीय मनोववजञान म इलनिय-तनरोध स मनोतनरोध और मनोतनरोध स आसमलसदचध का ही लकषय मानकर अरधययन ककया जाता ह | पाशचासय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत का कोई समचचत साधन पररलकषकषत नही होता जो उसक वयलकतसव म तनदहत तनषधासमक पररवशो क ललए सथायी तनदान परसतत कर सक | इसललए परायड क लाखो बदचधमान अनयायी भी पागल हो गय | सभोग क मागक पर चलकर कोई भी वयलकत योगलसदध महापरष नही हआ | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह |

ऐस कई नमन हमन दख ह | इसक ववपरीत भारतीय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत क ववलभनन उपाय बताय गय ह यथा योगमागक साधन-चतषटटय शभ-ससकार सससगतत अभयास

वरागय जञान भलकत तनषटकाम कमक आदद | इन साधनो क तनयलमत अभयास स सगदठत एव समायोलजत वयलकतसव का तनमाकर सभव ह | इसललय भारतीय मनोववजञान क अनयायी पाखरतन और महाकवव काललदास जस परारमभ म अकपबदचध होन पर भी महान ववदवान हो गय | भारतीय मनोववजञान न इस ववशव को हजारो महान भकत समथक योगी तथा बरहमजञानी महापरष ददय ह |

अतः पाशचासय मनोववजञान को छोड़कर भारतीय मनोववजञान का आशरय लन म ही वयलकत कटमब समाज राषटर और ववशव का ककयार तनदहत ह |

भारतीय मनोववजञान पतजलल क लसदधातो पर चलनवाल हजारो योगालसदध महापरष इस दश म हए ह अभी भी ह और आग भी होत रहग जबकक सभोग क मागक पर चलकर कोई योगलसदध महापरष हआ हो ऐसा हमन तो नही सना बलकक दबकल हए रोगी हए एड़स क लशकार हए अकाल मसय क लशकार हए खखनन मानस हए अशात हए | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह ऐस कई नमन हमन दख ह |

फरायड न अपनी मनःलसथतत की तराज पर सारी दतनया क लोगो को तौलन की गलती की ह | उसका अपना जीवन-िम कछ बतक ढग स ववकलसत हआ ह | उसकी माता अमललया बड़ी खबसरत थी | उसन योकोव नामक एक अनय परष क साथ अपना दसरा वववाह ककया था | जब फरायड जनमा तब वह २१ वषक की थी | बचच को वह बहत पयार करती थी |

य घटनाएा फरायड न सवय ललखी ह | इन घटनाओ क अधार पर फरायड कहता ह ldquoपरष बचपन स ही ईडडपस कॉमपलकस (Oedipus Complex) अथाकत अवचतन मन म अपनी माा क परतत यौन-आकाकषा स आकवषकत होता ह तथा अपन वपता क परतत यौन-ईषटयाक स गरलसत रहता ह | ऐस ही लड़की अपन बाप क परतत आकवषकत होती ह तथा अपनी माा स ईषटयाक करती ह | इस इलकरा कोऊमपलकस (Electra Complex) कहत ह | तीन वषक की आय स ही बचचा अपनी माा क साथ यौन-समबनध सथावपत करन क ललय लालातयत रहता ह | एकाध साल क बाद जब उस पता चलता ह कक उसकी माा क साथ तो बाप का वसा सबध पहल स ही ह तो उसक मन म बाप क परतत ईषटयाक और घरा जाग पड़ती ह | यह ववदवष उसक अवचतन मन म आजीवन बना रहता ह | इसी परकार लड़की अपन बाप क परतत सोचती ह और माा स ईषटयाक करती ह |

फरायड आग कहता ह इस मानलसक अवरोध क कारर मनषटय की गतत रक जाती ह |

ईडडपस कोऊमपलकस उसक सामन तरह-तरह क अवरोध खड़ करता ह | यह लसथतत कोई अपवाद नही ह वरन साधाररतया यही होता ह |

यह ककतना घखरत और हासयासपद परततपादन ह छोटा बचचा यौनाकाकषा स पीडडत होगा सो भी अपनी माा क परतत पश-पकषकषयो क बचच क शरीर म भी वासना तब उठती ह जब उनक शरीर परजनन क योगय सदढ हो जात ह | तो मनषटय क बालक म यह ववतत इतनी छोटी आय म कस पदा हो सकती ह और माा क साथ वसी तलपत करन कक उसकी शाररररक-मानलसक लसथतत भी नही होती | कफर तीन वषक क बालक को काम-किया और माा-बाप क रत रहन की जानकारी उस कहाा स हो जाती ह कफर वह यह कस समझ लता ह कक उस बाप स ईषटयाक करनी चादहए

बचच दवारा माा का दध पीन की किया को ऐस मनोववजञातनयो न रततसख क समककष बतलाया ह | यदद इस सतनपान को रततसख माना जाय तब तो आय बढन क साथ-साथ यह उसकठा भी परबलतर होती जानी चादहए और वयसक होन तक बालक को माता का दध ही पीत रहना चादहए | ककनत यह ककस परकार सभव ह

तो य ऐस बतक परततपादन ह कक लजनकी भससकना ही की जानी चादहए | फरायड न अपनी मानलसक ववकततयो को जनसाधारर पर थोपकर मनोववजञान को ववकत बना ददया |

जो लोग मानव समाज को पशता म चगरान स बचाना चाहत ह भावी पीढी का जीवन वपशाच होन स बचाना चाहत ह यवानो का शारीररक सवासथय मानलसक परसननता और बौदचधक सामथयक बनाय रखना चाहत ह इस दश क नागररको को एडस (AIDS) जसी घातक बीमाररयो स गरसत होन स रोकना चाहत ह सवसथ समाज का तनमाकर करना चाहत ह उन सबका यह नततक कववयक ह कक व हमारी गमराह यवा पीढी को यौवन सरकषा जसी पसतक पढाय |

यदद काम-ववकार उठा और हमन यह ठीक नही ह इसस मर बल-बदचध और तज का नाश होगा ऐसा समझकर उसको टाला नही और उसकी पतत क म लमपट होकर लग गय तो हमम और पशओ म अतर ही कया रहा पश तो जब उनकी कोई ववशष ऋत होती ह तभी मथन करत ह बाकी ऋतओ म नही | इस दलषटट स उनका जीवन सहज व पराकततक ढग का होता ह | परत मनषटय

मनषटय तो बारहो महीन काम-किया की छट लकर बठा ह और ऊपर स यह भी कहता ह कक यदद काम-वासना की पतत क करक सख नही ललया तो कफर ईशवर न मनषटय म जो इसकी रचना की ह उसका कया मतलब आप अपन को वववकपरक रोक नही पात हो छोट-छोट सखो म उलझ जात हो- इसका तो कभी खयाल ही नही करत और ऊपर स भगवान तक को अपन पापकमो म भागीदार बनाना चाहत हो

(अनिम)

आतिघाती तकय अभी कछ समय पवक मर पास एक पतर आया | उसम एक वयलकत न पछा था ldquoआपन सससग म कहा और एक पलसतका म भी परकालशत हआ कक lsquoबीड़ी लसगरट तमबाक आदद मत वपयो | ऐस वयसनो स बचो कयोकक य तमहार बल और तज का हरर करत ह helliprsquo यदद ऐसा ही ह तो भगवान न तमबाक आदद पदा ही कयो ककया rdquo

अब उन सजजन स य वयसन तो छोड़ नही जात और लग ह भगवान क पीछ | भगवान न गलाब क साथ कााट भी पदा ककय ह | आप फल छोड़कर कााट तो नही तोड़त भगवान न आग भी पदा की ह | आप उसम भोजन पकात हो अपना घर तो नही जलात भगवान न आक (मदार) धतर बबल आदद भी बनाय ह मगर उनकी तो आप सबजी नही बनात इन सब म तो आप अपनी बदचध का उपयोग करक वयवहार करत हो और जहाा आप हार जात हो जब आपका मन आपक कहन म नही होता तो आप लगत हो भगवान को दोष दन अर भगवान न तो बादाम-वपसत भी पदा ककय ह दध भी पदा ककया ह | उपयोग करना ह तो इनका करो जो आपक बल और बदचध की वदचध कर | पसा ही खचकना ह तो इनम खचो | यह तो होता नही और लग ह तमबाक क पीछ | यह बदचध का सदपयोग नही ह दरपयोग ह | तमबाक पीन स तो बदचध और भी कमजोर हो जायगी |

शरीर क बल बदचध की सरकषा क ललय वीयकरकषर बहत आवशयक ह | योगदशकन क lsquoसाधपादrsquo म बरहमचयक की महतता इन शबदो म बतायी गयी ह

बरहिचययपरततटठाया वीययलाभः ||37||

बरहमचयक की दढ लसथतत हो जान पर सामथयक का लाभ होता ह |

(अनिम)

सतरी परसग ककतनी बार

कफर भी यदद कोई जान-बझकर अपन सामथयक को खोकर शरीहीन बनना चाहता हो तो यह यनान

क परलसदध दाशकतनक सकरात क इन परलसदध वचनो को सदव याद रख | सकरात स एक वयलकत न पछा

ldquoपरष क ललए ककतनी बार सतरी-परसग करना उचचत ह rdquo

ldquoजीवन भर म कवल एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस तलपत न हो सक तो rdquo

ldquoतो वषक म एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस भी सतोष न हो तो rdquo

ldquoकफर महीन म एक बार |rdquo

इसस भी मन न भर तो rdquo

ldquoतो महीन म दो बार कर परनत मसय शीघर आ जायगी |rdquo

ldquoइतन पर भी इचछा बनी रह तो कया कर rdquo

इस पर सकरात न कहा

ldquoतो ऐसा कर कक पहल कबर खदवा ल कफर कफन और लकड़ी घर म लाकर तयार रख | उसक

पशचात जो इचछा हो सो कर |rdquo

सकरात क य वचन सचमच बड़ परररापरद ह | वीयककषय क दवारा लजस-लजसन भी सख लन का परयास ककया ह उनह घोर तनराशा हाथ लगी ह और अनत म शरीहीन होकर मसय का गरास बनना पड़ा

ह | कामभोग दवारा कभी तलपत नही होती और अपना अमकय जीवन वयथक चला जाता ह | राजा ययातत की कथा तो आपन सनी होगी |

(अनिम)

राजा ययातत का अनभव

शिाचायक क शाप स राजा ययातत यवावसथा म ही वदध हो गय थ | परनत बाद म ययातत क पराथकना करन पर शिाचायक न दयावश उनको यह शलकत द दी कक व चाह तो अपन पतरो स यवावसथा लकर अपना वाधककय उनह द सकत थ | तब ययातत न अपन पतर यद तवकस िहय और अन स उनकी जवानी माागी मगर व राजी न हए | अत म छोट पतर पर न अपन वपता को अपना यौवन दकर उनका बढापा ल ललया |

पनः यवा होकर ययातत न कफर स भोग भोगना शर ककया | व ननदनवन म ववशवाची नामक अपसरा क साथ रमर करन लग | इस परकार एक हजार वषक तक भोग भोगन क बाद भी भोगो स

जब व सतषटट नही हए तो उनहोन अपना बचा हआ यौवन अपन पतर पर को लौटात हए कहा

न जात कािः कािानािपभोगन शामयतत |

हषविा कटणवतिव भ य एवामभव यत ||

ldquoपतर मन तमहारी जवानी लकर अपनी रचच उससाह और समय क अनसार ववषटयो का सवन ककया लककन ववषयो की कामना उनक उपभोग स कभी शात नही होती अवपत घी की आहतत पड़न पर अलगन की भाातत वह अचधकाचधक बढती ही जाती ह |

रसनो स जड़ी हई सारी पथवी ससार का सारा सवरक पश और सनदर लसतरयाा व सब एक परष को लमल जाय तो भी व सबक सब उसक ललय पयाकपत नही होग | अतः तषटरा का सयाग कर दना चादहए |

छोटी बदचधवाल लोगो क ललए लजसका सयाग करना असयत कदठन ह जो मनषटय क बढ होन पर

भी सवय बढी नही होती तथा जो एक परारानतक रोग ह उस तषटरा को सयाग दनवाल परष को ही सख लमलता ह |rdquo (महाभारत आददपवाकखर सभवपवक 12)

ययातत का अनभव वसततः बड़ा मालमकक और मनषटय जातत ल ललय दहतकारी ह | ययातत आग कहत ह

ldquoपतर दखो मर एक हजार वषक ववषयो को भोगन म बीत गय तो भी तषटरा शात नही होती और आज भी परततददन उन ववषयो क ललय ही तषटरा पदा होती ह |

प ण वियसहसर ि षवियासकतचतसः |

तथापयनहदन तटणा िितटवमभजायत ||

इसललए पतर अब म ववषयो को छोड़कर बरहमाभयास म मन लगाऊा गा | तनदकवनदव तथा ममतारदहत होकर वन म मगो क साथ ववचरा गा | ह पतर तमहारा भला हो | तम पर म परसनन हा | अब तम अपनी जवानी पनः परापत करो और म यह राजय भी तमह ही अपकर करता हा |

इस परकार अपन पतर पर को राजय दकर ययातत न तपसया हत वनगमन ककया | उसी राजा पर स पौरव वश चला | उसी वश म परीकषकषत का पतर राजा जनमजय पदा हआ था |

(अनिम)

राजा िचकनद का परसग

राजा मचकनद गगाकचायक क दशकन-सससग क फलसवरप भगवान का दशकन पात ह | भगवान स सततत करत हए व कहत ह

ldquoपरभो मझ आपकी दढ भलकत दो |rdquo

तब भगवान कहत ह ldquoतन जवानी म खब भोग भोग ह ववकारो म खब डबा ह | ववकारी जीवन

जीनवाल को दढ भलकत नही लमलती | मचकनद दढ भलकत क ललए जीवन म सयम बहत जररी ह |

तरा यह कषतरतरय शरीर समापत होगा तब दसर जनम म तझ दढ भलकत परापत होगी |rdquo

वही राजा मचकनद कललयग म नरलसह महता हए |

जो लोग अपन जीवन म वीयकरकषा को महसव नही दत व जरा सोच कक कही व भी राजा ययातत का तो अनसरर नही कर रह ह यदद कर रह हो तो जस ययातत सावधान हो गय वस आप भी सावधान हो जाओ भया दहममत करो | सयान हो जाओ | दया करो | हम पर दया न करो तो अपन-आप पर तो दया करो भया दहममत करो भया सयान हो जाओ मर पयार जो हो गया उसकी चचनता न करो | आज स नवजीवन का परारभ करो | बरहमचयकरकषा क आसन पराकततक औषचधयाा इसयादद जानकर वीर बनो | ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

(अनिम)

गलत अभयास का दटपररणाि

आज ससार म ककतन ही ऐस अभाग लोग ह जो शगार रस की पसतक पढकर लसनमाओ क कपरभाव क लशकार होकर सवपनावसथा या जागरतावसथा म अथवा तो हसतमथन दवारा सपताह म ककतनी बार वीयकनाश कर लत ह | शरीर और मन को ऐसी आदत डालन स वीयाकशय बार-बार खाली होता रहता ह | उस वीयाकशय को भरन म ही शारीररक शलकत का अचधकतर भाग वयय होन लगता ह

लजसस शरीर को काततमान बनान वाला ओज सचचत ही नही हो पाता और वयलकत शलकतहीन

ओजहीन और उससाहशनय बन जाता ह | ऐस वयलकत का वीयक पतला पड़ता जाता ह | यदद वह समय पर अपन को साभाल नही सक तो शीघर ही वह लसथतत आ जाती ह कक उसक अणडकोश वीयक बनान म असमथक हो जात ह | कफर भी यदद थोड़ा बहत वीयक बनता ह तो वह भी पानी जसा ही बनता ह

लजसम सनतानोसपवतत की ताकत नही होती | उसका जीवन जीवन नही रहता | ऐस वयलकत की हालत मतक परष जसी हो जाती ह | सब परकार क रोग उस घर लत ह | कोई दवा उस पर असर नही कर पाती | वह वयलकत जीत जी नकक का दःख भोगता रहता ह | शासतरकारो न ललखा ह

आयसतजोबल वीय परजञा शरीशच िहदयशः |

पणय च परीततितव च हनयतऽबरहिचयाय ||

lsquoआय तज बल वीयक बदचध लकषमी कीततक यश तथा पणय और परीतत य सब बरहमचयक का पालन न करन स नषटट हो जात ह |rsquo

(अनिम)

वीययरकषण सदव सततय

इसीललए वीयकरकषा सतसय ह | lsquoअथवकवद म कहा गया ह

अतत सटिो अपा विभोऽततसटिा अगनयो हदवया ||1||

इद तितत सजामि त िाऽभयवतनकषकष ||2||

अथाकत lsquoशरीर म वयापत वीयक रपी जल को बाहर ल जान वाल शरीर स अलग कर दन वाल काम

को मन पर हटा ददया ह | अब म इस काम को अपन स सवकथा दर फ कता हा | म इस आरोगयता बल-बदचधनाशक काम का कभी लशकार नही होऊा गा |rsquo

hellip और इस परकार क सककप स अपन जीवन का तनमाकर न करक जो वयलकत वीयकनाश करता रहता ह उसकी कया गतत होगी इसका भी lsquoअथवकवदrsquo म उकलख आता ह

रजन परररजन िणन पररिणन |

मरोको िनोहा खनो तनदायह आतिद षिसतन द षिः ||

यह काम रोगी बनान वाला ह बहत बरी तरह रोगी करन वाला ह | मरन यानी मार दन वाला ह |

पररमरन यानी बहत बरी तरह मारन वाला ह |यह टढी चाल चलता ह मानलसक शलकतयो को नषटट कर दता ह | शरीर म स सवासथय बल आरोगयता आदद को खोद-खोदकर बाहर फ क दता ह | शरीर की सब धातओ को जला दता ह | आसमा को मललन कर दता ह | शरीर क वात वपतत कफ को दवषत करक उस तजोहीन बना दता ह |

बरहमचयक क बल स ही अगारपरक जस बलशाली गधवकराज को अजकन न परालजत कर ददया था |

(अनिम)

अजयन और अगारपणय ग वय अजकन अपन भाईयो सदहत िौपदी क सवयवर-सथल पाचाल दश की ओर जा रहा था तब बीच म गगा तट पर बस सोमाशरयार तीथक म गधवकराज अगारपरक (चचतररथ) न उसका रासता रोक ददया | वह गगा म अपनी लसतरयो क साथ जलकिड़ा कर रहा था | उसन पााचो पाडवो को कहा ldquoमर यहाा रहत हए

राकषस यकष दवता अथवा मनषटय कोई भी इस मागक स नही जा सकता | तम लोग जान की खर चाहत हो तो लौट जाओ |rdquo

तब अजकन कहता ह

ldquoम जानता हा कक समपरक गधवक मनषटयो स अचधक शलकतशाली होत ह कफर भी मर आग तमहारी दाल नही गलगी | तमह जो करना हो सो करो हम तो इधर स ही जायग |rdquo

अजकन क इस परततवाद स गधवक बहत िोचधत हआ और उसन पाडवो पर तीकषर बार छोड़ | अजकन

न अपन हाथ म जो जलती हई मशाल पकड़ी थी उसीस उसक सभी बारो को तनषटफल कर ददया | कफर गधवक पर आगनय असतर चला ददया | असतर क तज स गधवक का रथ जलकर भसम हो गया और

वह सवय घायल एव अचत होकर माह क बल चगर पड़ा | यह दखकर उस गधवक की पसनी कममीनसी बहत घबराई और अपन पतत की रकषाथक यचधलषटठर स पराथकना करन लगी | तब यचधलषटठर न अजकन स उस गधवक को अभयदान ददलवाया |

जब वह अगारपरक होश म आया तब बोला

ldquoअजकन म परासत हो गया इसललए अपन पवक नाम अगारपरक को छोड़ दता हा | म अपन ववचचतर

रथ क कारर चचतररथ कहलाता था | वह रथ भी आपन अपन परािम स दगध कर ददया ह | अतः अब

म दगधरथ कहलाऊा गा |

मर पास चाकषषी नामक ववदया ह लजस मन न सोम को सोम न ववशवावस को और ववशवावस न मझ परदान की ह | यह गर की ववदया यदद ककसी कायर को लमल जाय तो नषटट हो जाती ह | जो छः महीन तक एक पर पर खड़ा रहकर तपसया कर वही इस ववदया को पा सकता ह | परनत अजकन म आपको ऐसी तपसया क तरबना ही यह ववदया परदान करता हा |

इस ववदया की ववशषता यह ह कक तीनो लोको म कही भी लसथत ककसी वसत को आाख स दखन की इचछा हो तो उस उसी रप म इस ववदया क परभाव स कोई भी वयलकत दख सकता ह | अजकन

इस ववदया क बल पर हम लोग मनषटयो स शरषटठ मान जात ह और दवताओ क तकय परभाव ददखा सकत ह |rdquo

इस परकार अगारपरक न अजकन को चाकषषी ववदया ददवय घोड़ एव अनय वसतएा भट की |

अजकन न गधवक स पछा गधवक तमन हम पर एकाएक आिमर कयो ककया और कफर हार कयो गय rdquo

तब गधवक न बड़ा ममकभरा उततर ददया | उसन कहा

ldquoशतरओ को सताप दनवाल वीर यदद कोई कामासकत कषतरतरय रात म मझस यदध करन आता तो ककसी भी परकार जीववत नही बच सकता था कयोकक रात म हम लोगो का बल और भी बढ जाता ह |

अपन बाहबल का भरोसा रखन वाला कोई भी परष जब अपनी सतरी क सममख ककसीक दवारा अपना ततरसकार होत दखता ह तो सहन नही कर पाता | म जब अपनी सतरी क साथ जलिीड़ा कर

रहा था तभी आपन मझ ललकारा इसीललय म िोधाववषटट हआ और आप पर बारवषाक की | लककन यदद आप यह पछो कक म आपस परालजत कयो हआ तो उसका उततर ह

बरहिचय परो ियः स चाषप तनयतसवततय |

यसिात तसिादह पाथय रणऽषसि षवषजतसतवया ||

ldquoबरहमचयक सबस बड़ा धमक ह और वह आपम तनलशचत रप स ववदयमान ह | ह कनतीनदन

इसीललय यदध म म आपस हार गया हा |rdquo (महाभारत आददपवकखर चतररथ पवक 71)

हम समझ गय कक वीयकरकषर अतत आवशयक ह | अब वह कस हो इसकी चचाक करन स पवक एक बार

बरहमचयक का तालववक अथक ठीक स समझ ल |

(अनिम)

बरहिचयय का ताषततवक अथय lsquoबरहमचयकrsquo शबद बड़ा चचतताकषकक और पववतर शबद ह | इसका सथल अथक तो यही परलसदध ह कक

लजसन शादी नही की ह जो काम-भोग नही करता ह जो लसतरयो स दर रहता ह आदद-आदद | परनत यह बहत सतही और सीलमत अथक ह | इस अथक म कवल वीयकरकषर ही बरहमचयक ह | परनत रधयान रह

कवल वीयकरकषर मातर साधना ह मलजल नही | मनषटय जीवन का लकषय ह अपन-आपको जानना अथाकत

आसम-साकषासकार करना | लजसन आसम-साकषासकार कर ललया वह जीवनमकत हो गया | वह आसमा क

आननद म बरहमाननद म ववचरर करता ह | उस अब ससार स कछ पाना शष नही रहा | उसन आननद का सरोत अपन भीतर ही पा ललया | अब वह आननद क ललय ककसी भी बाहरी ववषय पर

तनभकर नही ह | वह परक सवततर ह | उसकी कियाएा सहज होती ह | ससार क ववषय उसकी आननदमय आलसमक लसथतत को डोलायमान नही कर सकत | वह ससार क तचछ ववषयो की पोल को समझकर अपन आननद म मसत हो इस भतल पर ववचरर करता ह | वह चाह लागोटी म हो चाह बहत स कपड़ो म घर म रहता हो चाह झोपड़ म गहसथी चलाता हो चाह एकानत जगल म ववचरता हो ऐसा महापरष ऊपर स भल कगाल नजर आता हो परनत भीतर स शहशाह होता ह कयोकक उसकी सब

वासनाएा सब कततकवय पर हो चक ह | ऐस वयलकत को ऐस महापरष को वीयकरकषर करना नही पड़ता सहज ही होता ह | सब वयवहार करत हए भी उनकी हर समय समाचध रहती ह | उनकी समाचध सहज

होती ह अखणड होती ह | ऐसा महापरष ही सचचा बरहमचारी होता ह कयोकक वह सदव अपन बरहमाननद म अवलसथत रहता ह |

सथल अथक म बरहमचयक का अथक जो वीयकरकषर समझा जाता ह उस अथक म बरहमचयक शरषटठ वरत ह

शरषटठ तप ह शरषटठ साधना ह और इस साधना का फल ह आसमजञान आसम-साकषासकार | इस

फलपरालपत क साथ ही बरहमचयक का परक अथक परकट हो जाता ह |

जब तक ककसी भी परकार की वासना शष ह तब तक कोई परक बरहमचयक को उपलबध नही हो सकता | जब तक आसमजञान नही होता तब तक परक रप स वासना तनवतत नही होती | इस वासना की तनववतत क ललय अतःकरर की शदचध क ललय ईशवर की परालपत क ललय सखी जीवन जीन क ललय

अपन मनषटय जीवन क सवोचच लकषय को परापत करन क ललय या कहो परमाननद की परालपत क ललयhellip कछ भी हो वीयकरकषररपी साधना सदव अब अवसथाओ म उततम ह शरषटठ ह और आवशयक ह

|

वीयकरकषर कस हो इसक ललय यहाा हम कछ सथल और सकषम उपायो की चचाक करग |

(अनिम)

3 वीययरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय काफी लोगो को यह भरम ह कक जीवन तड़क-भड़कवाला बनान स व समाज म ववशष मान जात ह | वसततः ऐसी बात नही ह | इसस तो कवल अपन अहकार का ही परदशकन होता ह | लाल रग क भड़कील एव रशमी कपड़ नही पहनो | तल-फलल और भाातत-भाातत क इतरो का परयोग करन स बचो | जीवन म लजतनी तड़क-भड़क बढगी इलनियाा उतनी चचल हो उठगी कफर वीयकरकषा तो दर की बात ह |

इततहास पर भी हम दलषटट डाल तो महापरष हम ऐस ही लमलग लजनका जीवन परारभ स ही सादगीपरक था | सादा रहन-सहन तो बडपपन का दयोतक ह | दसरो को दख कर उनकी अपराकततक व

अचधक आवशयकताओवाली जीवन-शली का अनसरर नही करो |

उपयकत आहार

ईरान क बादशाह वहमन न एक शरषटठ वदय स पछा

ldquoददन म मनषटय को ककतना खाना चादहएrdquo

ldquoसौ ददराम (अथाकत 31 तोला) | ldquoवदय बोला |

ldquoइतन स कया होगाrdquo बादशाह न कफर पछा |

वदय न कहा ldquoशरीर क पोषर क ललय इसस अचधक नही चादहए | इसस अचधक जो कछ खाया जाता ह वह कवल बोझा ढोना ह और आयषटय खोना ह |rdquo

लोग सवाद क ललय अपन पट क साथ बहत अनयाय करत ह ठास-ठासकर खात ह | यरोप का एक बादशाह सवाददषटट पदाथक खब खाता था | बाद म औषचधयो दवारा उलटी करक कफर स सवाद लन क

ललय भोजन करता रहता था | वह जकदी मर गया |

आप सवादलोलप नही बनो | लजहवा को तनयतरर म रखो | कया खाय कब खाय कस खाय और

ककतना खाय इसका वववक नही रखा तो पट खराब होगा शरीर को रोग घर लग वीयकनाश को परोससाहन लमलगा और अपन को पतन क रासत जान स नही रोक सकोग |

परमपवकक शात मन स पववतर सथान पर बठ कर भोजन करो | लजस समय नालसका का दादहना सवर (सयक नाड़ी) चाल हो उस समय ककया भोजन शीघर पच जाता ह कयोकक उस समय जठरालगन बड़ी परबल होती ह | भोजन क समय यदद दादहना सवर चाल नही हो तो उसको चाल कर दो | उसकी ववचध यह ह वाम ककषकष म अपन दादहन हाथ की मठठी रखकर ककषकष को जोर स दबाओ या बाायी (वाम) करवट लट जाओ | थोड़ी ही दर म दादहना यान सयक सवर चाल हो जायगा |

रातरतर को बाायी करवट लटकर ही सोना चादहए | ददन म सोना उचचत नही ककनत यदद सोना आवशयक हो तो दादहनी करवट ही लटना चादहए |

एक बात का खब खयाल रखो | यदद पय पदाथक लना हो तो जब चनि (बााया) सवर चाल हो तभी लो | यदद सयक (दादहना) सवर चाल हो और आपन दध काफी चाय पानी या कोई भी पय पदाथक ललया तो वीयकनाश होकर रहगा | खबरदार सयक सवर चल रहा हो तब कोई भी पय पदाथक न वपयो | उस

समय यदद पय पदाथक पीना पड़ तो दादहना नथना बनद करक बााय नथन स शवास लत हए ही वपयो |

रातरतर को भोजन कम करो | भोजन हकका-सपाचय हो | बहत गमक-गमक और दर स पचन वाला गररषटठ भोजन रोग पदा करता ह | अचधक पकाया हआ तल म तला हआ लमचक-मसालयकत तीखा खटटा चटपटदार भोजन वीयकनाडड़यो को कषबध करता ह | अचधक गमक भोजन और गमक चाय स दाात कमजोर होत ह | वीयक भी पतला पड़ता ह |

भोजन खब चबा-चबाकर करो | थक हए हो तो तसकाल भोजन न करो | भोजन क तरत बाद

पररशरम न करो |

भोजन क पहल पानी न वपयो | भोजन क बीच म तथा भोजन क एकाध घट क बाद पानी पीना दहतकर होता ह |

रातरतर को सभव हो तो फलाहार लो | अगर भोजन लना पड़ तो अकपाहार ही करो | बहत रात गय भोजन या फलाहार करना दहतावह नही ह | कबज की लशकायत हो तो 50 गराम लाल कफटकरी तव पर

फलाकर कटकर कपड़ स छानकर बोतल म भर लो | रातरतर म 15 गराम सौफ एक चगलास पानी म लभगो दो | सबह उस उबाल कर छान लो और ड़ढ गराम कफटकरी का पाउडर लमलाकर पी लो | इसस कबज व बखार भी दर होता ह | कबज तमाम तरबमाररयो की जड़ ह | इस दर करना आवशयक ह |

भोजन म पालक परवल मथी बथआ आदद हरी तरकाररयाा दध घी छाछ मकखन पक हए फल

आदद ववशष रप स लो | इसस जीवन म सालववकता बढगी | काम िोध मोह आदद ववकार घटग | हर कायक म परसननता और उससाह बना रहगा |

रातरतर म सोन स पवक गमक-गमक दध नही पीना चादहए | इसस रात को सवपनदोष हो जाता ह |

कभी भी मल-मतर की लशकायत हो तो उस रोको नही | रोक हए मल स भीतर की नाडड़याा कषबध होकर वीयकनाश कराती ह |

पट म कबज होन स ही अचधकाशतः रातरतर को वीयकपात हआ करता ह | पट म रका हआ मल

वीयकनाडड़यो पर दबाव डालता ह तथा कबज की गमी स ही नाडड़याा कषलभत होकर वीयक को बाहर

धकलती ह | इसललय पट को साफ रखो | इसक ललय कभी-कभी तरतरफला चरक या lsquoसतकपा चरकrsquo या lsquoइसबगलrsquo पानी क साथ ललया करो | अचधक ततकत खटटी चरपरी और बाजार औषचधयाा उततजक होती ह उनस बचो | कभी-कभी उपवास करो | पट को आराम दन क ललय कभी-कभी तनराहार भी रह सकत हो तो अचछा ह |

आहार पचतत मशखी दोिान आहारवषजयतः |

अथाकत पट की अलगन आहार को पचाती ह और उपवास दोषो को पचाता ह | उपवास स

पाचनशलकत बढती ह |

उपवास अपनी शलकत क अनसार ही करो | ऐसा न हो कक एक ददन तो उपवास ककया और दसर ददन लमषटठानन-लडड आदद पट म ठास-ठास कर उपवास की सारी कसर तनकाल दी | बहत अचधक

भखा रहना भी ठीक नही |

वस उपवास का सही अथक तो होता ह बरहम क परमासमा क तनकट रहना | उप यानी समीप और

वास यानी रहना | तनराहार रहन स भगवदभजन और आसमचचतन म मदद लमलती ह | ववतत अनतमकख

होन स काम-ववकार को पनपन का मौका ही नही लमल पाता |

मदयपान पयाज लहसन और मासाहार ndash य वीयककषय म मदद करत ह अतः इनस अवशय बचो |

(अनिम)

मशशनषनरय सनान

शौच क समय एव लघशका क समय साथ म चगलास अथवा लोट म ठड़ा जल लकर जाओ और उसस लशशनलनिय को धोया करो | कभी-कभी उस पर ठड़ पानी की धार ककया करो | इसस कामववतत का शमन होता ह और सवपनदोष नही होता |

उधचत आसन एव वयायाि करो

सवसथ शरीर म सवसथ मन का तनवास होता ह | अगरजी म कहत ह A healthy mind

resides in a healthy body

लजसका शरीर सवसथ नही रहता उसका मन अचधक ववकारगरसत होता ह | इसललय रोज परातः वयायाम एव आसन करन का तनयम बना लो |

रोज परातः काल 3-4 लमनट दौड़न और तजी स टहलन स भी शरीर को अचछा वयायाम लमल

जाता ह |

सयकनमसकार 13 अथवा उसस अचधक ककया करो तो उततम ह | इसम आसन व वयायाम दोनो का समावश होता ह |

lsquoवयायामrsquo का अथक पहलवानो की तरह मासपलशयाा बढाना नही ह | शरीर को योगय कसरत लमल जाय ताकक उसम रोग परवश न कर और शरीर तथा मन सवसथ रह ndash इतना ही उसम हत ह |

वयायाम स भी अचधक उपयोगी आसन ह | आसन शरीर क समचचत ववकास एव बरहमचयक-साधना क ललय असयत उपयोगी लसदध होत ह | इनस नाडड़याा शदध होकर सववगर की वदचध होती ह | वस तो शरीर क अलग-अलग अगो की पलषटट क ललय अलग-अलग आसन होत ह परनत वीयकरकषा की दलषटट स मयरासन पादपलशचमोततानासन सवाागासन थोड़ी बहत सावधानी रखकर हर कोई कर सकता ह |

इनम स पादपलशचमोततानासन तो बहत ही उपयोगी ह | आशरम म आनवाल कई साधको का यह तनजी अनभव ह |

ककसी कशल योग-परलशकषक स य आसन सीख लो और परातःकाल खाली पट शदध हवा म ककया करो | शौच सनान वयायाम आदद क पशचात ही आसन करन चादहए |

सनान स पवक सख तौललय अथवा हाथो स सार शरीर को खब रगड़ो | इस परकार क घषकर स शरीर

म एक परकार की ववदयत शलकत पदा होती ह जो शरीर क रोगो को नषटट करती ह | शवास तीवर गतत

स चलन पर शरीर म रकत ठीक सचरर करता ह और अग-परसयग क मल को तनकालकर फफड़ो म लाता ह | फफड़ो म परववषटट शदध वाय रकत को साफ कर मल को अपन साथ बाहर तनकाल ल जाती ह | बचा-खचा मल पसीन क रप म सवचा क तछिो दवारा बाहर तनकल आता ह | इस परकार शरीर पर घषकर करन क बाद सनान करना अचधक उपयोगी ह कयोकक पसीन दवारा बाहर तनकला हआ मल उसस धल जाता ह सवचा क तछि खल जात ह और बदन म सफततक का सचार होता ह |

(अनिम)

बरहििह तय ि उठो

सवपनदोष अचधकाशतः रातरतर क अततम परहर म हआ करता ह | इसललय परातः चार-साढ चार बज यानी बरहममहतक म ही शया का सयाग कर दो | जो लोग परातः काल दरी तक सोत रहत ह उनका जीवन तनसतज हो जाता ह |

दवययसनो स द र रहो

शराब एव बीड़ी-लसगरट-तमबाक का सवन मनषटय की कामवासना को उदयीपत करता ह |

करान शरीफ क अकलाहपाक तरतरकोल रोशल क लसपारा म ललखा ह कक शतान का भड़काया हआ

मनषटय ऐसी नशायकत चीजो का उपयोग करता ह | ऐस वयलकत स अकलाह दर रहता ह कयोकक यह काम शतान का ह और शतान उस आदमी को जहननम म ल जाता ह |

नशीली वसतओ क सवन स फफड़ और हदय कमजोर हो जात ह सहनशलकत घट जाती ह और

आयषटय भी कम हो जाता ह | अमरीकी डॉकटरो न खोज करक बतलाया ह कक नशीली वसतओ क सवन स कामभाव उततलजत होन पर वीयक पतला और कमजोर पड़ जाता ह |

(अनिम)

सतसग करो

आप सससग नही करोग तो कसग अवशय होगा | इसललय मन वचन कमक स सदव सससग का ही सवन करो | जब-जब चचतत म पततत ववचार डरा जमान लग तब-तब तरत सचत हो जाओ और वह सथान छोड़कर पहाच जाओ ककसी सससग क वातावरर म ककसी सलनमतर या ससपरष क सालननरधय म | वहाा व कामी ववचार तरबखर जायग और आपका तन-मन पववतर हो जायगा | यदद ऐसा नही ककया तो व पततत ववचार आपका पतन ककय तरबना नही छोड़ग कयोकक जो मन म होता ह दर-सबर उसीक अनसार बाहर की किया होती ह | कफर तम पछताओग कक हाय यह मझस कया हो गया

पानी का सवभाव ह नीच की ओर बहना | वस ही मन का सवभाव ह पतन की ओर सगमता स बढना | मन हमशा धोखा दता ह | वह ववषयो की ओर खीचता ह कसगतत म सार ददखता ह लककन

वह पतन का रासता ह | कसगतत म ककतना ही आकषकर हो मगरhellip

षजसक पीछ हो गि की कतार भ लकर उस खशी स न खलो |

अभी तक गत जीवन म आपका ककतना भी पतन हो चका हो कफर भी सससगतत करो | आपक उसथान की अभी भी गजाइश ह | बड़-बड़ दजकन भी सससग स सजजन बन गय ह |

शठ स रहह सतसगतत पाई |

सससग स वचचत रहना अपन पतन को आमतरतरत करना ह | इसललय अपन नतर करक सवचा आदद सभी को सससगरपी गगा म सनान करात रहो लजसस कामववकार आप पर हावी न हो सक |

(अनिम)

शभ सकलप करो

lsquoहम बरहमचयक का पालन कस कर सकत ह बड़-बड़ ॠवष-मतन भी इस रासत पर कफसल पड़त हhelliprsquo ndash इस परकार क हीन ववचारो को ततलाजलल द दो और अपन सककपबल को बढाओ | शभ सककप करो | जसा आप सोचत हो वस ही आप हो जात हो | यह सारी सलषटट ही सककपमय ह |

दढ सककप करन स वीयकरकषर म मदद होती ह और वीयकरकषर स सककपबल बढता ह | षवशवासो फलदायकः | जसा ववशवास और जसी शरदधा होगी वसा ही फल परापत होगा | बरहमजञानी महापरषो म यह सककपबल असीम होता ह | वसततः बरहमचयक की तो व जीती-जागती मततक ही होत ह |

(अनिम)

बतरबन यकत पराणायाि और योगाभयास करो

तरतरबनध करक परारायाम करन स ववकारी जीवन सहज भाव स तनववककाररता म परवश करन लगता ह | मलबनध स ववकारो पर ववजय पान का सामथयक आता ह | उडडडयानबनध स आदमी उननतत म ववलकषर उड़ान ल सकता ह | जालनधरबनध स बदचध ववकलसत होती ह |

अगर कोई वयलकत अनभवी महापरष क सालननरधय म तरतरबनध क साथ परततददन 12 परारायाम कर तो परसयाहार लसदध होन लगगा | 12 परसयाहार स धाररा लसदध होन लगगी | धाररा-शलकत बढत ही परकतत क रहसय खलन लगग | सवभाव की लमठास बदचध की ववलकषरता सवासथय की सौरभ आन लगगी | 12 धाररा लसदध होन पर रधयान लगगा सववककप समाचध होन लगगी | सववककप समाचध का 12 गना समय पकन पर तनववकककप समाचध लगगी |

इस परकार छः महीन अभयास करनवाला साधक लसदध योगी बन सकता ह | ररदचध-लसदचधयाा उसक आग हाथ जोड़कर खड़ी रहती ह | यकष गधवक ककननर उसकी सवा क ललए उससक होत ह | उस

पववतर परष क तनकट ससारी लोग मनौती मानकर अपनी मनोकामना परक कर सकत ह | साधन करत समय रग-रग म इस महान लकषय की परालपत क ललए धन लग जाय|

बरहमचयक-वरत पालन वाला साधक पववतर जीवन जीनवाला वयलकत महान लकषय की परालपत म सफल हो सकता ह |

ह लमतर बार-बार असफल होन पर भी तम तनराश मत हो | अपनी असफलताओ को याद करक हार हए जआरी की तरह बार-बार चगरो मत | बरहमचयक की इस पसतक को कफर-कफर स पढो | परातः तनिा स उठत समय तरबसतर पर ही बठ रहो और दढ भावना करो

ldquoमरा जीवन परकतत की थपपड़ खाकर पशओ की तरह नषटट करन क ललए नही ह | म अवशय

परषाथक करा गा आग बढागा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

मर भीतर परबरहम परमासमा का अनपम बल ह | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

तचछ एव ववकारी जीवन जीनवाल वयलकतयो क परभाव स म अपनको ववतनमककत करता जाऊा गा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

सबह म इस परकार का परयोग करन स चमसकाररक लाभ परापत कर सकत हो | सवकतनयनता सवशवर को कभी पयार करो hellip कभी पराथकना करो hellip कभी भाव स ववहवलता स आतकनाद करो | व अनतयाकमी परमासमा हम अवशय मागकदशकन दत ह | बल-बदचध बढात ह | साधक तचछ ववकारी जीवन पर ववजयी होता जाता ह | ईशवर का असीम बल तमहार साथ ह | तनराश मत हो भया हताश मत हो | बार-बार कफसलन पर भी सफल होन की आशा और उससाह मत छोड़ो |

शाबाश वीर hellip शाबाश hellip दहममत करो दहममत करो | बरहमचयक-सरकषा क उपायो को बार-बार पढो सकषमता स ववचार करो | उननतत क हर कषतर म तम आसानी स ववजता हो सकत हो |

करोग न दहममत

अतत खाना अतत सोना अतत बोलना अतत यातरा करना अतत मथन करना अपनी सषपत

योगयताओ को धराशायी कर दता ह जबकक सयम और परषाथक सषपत योगयताओ को जगाकर

जगदीशवर स मलाकात करा दता ह |

(अनिम)

नीि का पड चला

हमार सदगरदव परम पजय लीलाशाहजी महाराज क जीवन की एक घटना बताता हा

लसध म उन ददनो ककसी जमीन की बात म दहनद और मसलमानो का झगड़ा चल रहा था | उस जमीन पर नीम का एक पड़ खड़ा था लजसस उस जमीन की सीमा-तनधाकरर क बार म कछ

वववाद था | दहनद और मसलमान कोटक-कचहरी क धकक खा-खाकर थक | आखखर दोनो पकषो न यह तय ककया कक यह धालमकक सथान ह | दोनो पकषो म स लजस पकष का कोई पीर-फकीर उस सथान पर

अपना कोई ववशष तज बल या चमसकार ददखा द वह जमीन उसी पकष की हो जायगी |

पजय लीलाशाहजी बाप का नाम पहल lsquoलीलारामrsquo था | लोग पजय लीलारामजी क पास पहाच और बोल ldquoहमार तो आप ही एकमातर सत ह | हमस जो हो सकता था वह हमन ककया परनत

असफल रह | अब समगर दहनद समाज की परततषटठा आपशरी क चररो म ह |

इसा की अजि स जब द र ककनारा होता ह |

त फा ि ि िी ककशती का एक भगवान ककनारा होता ह ||

अब सत कहो या भगवान कहो आप ही हमारा सहारा ह | आप ही कछ करग तो यह धमकसथान

दहनदओ का हो सकगा |rdquo

सत तो मौजी होत ह | जो अहकार लकर ककसी सत क पास जाता ह वह खाली हाथ लौटता ह

और जो ववनमर होकर शररागतत क भाव स उनक सममख जाता ह वह सब कछ पा लता ह | ववनमर और शरदधायकत लोगो पर सत की कररा कछ दन को जकदी उमड़ पड़ती ह |

पजय लीलारामजी उनकी बात मानकर उस सथान पर जाकर भलम पर दोनो घटनो क बीच लसर नीचा ककय हए शात भाव स बठ गय |

ववपकष क लोगो न उनह ऐसी सरल और सहज अवसथा म बठ हए दखा तो समझ ललया कक य

लोग इस साध को वयथक म ही लाय ह | यह साध कया करगा hellip जीत हमारी होगी |

पहल मलसलम लोगो दवारा आमतरतरत पीर-फकीरो न जाद-मतर टोन-टोटक आदद ककय | lsquoअला बााधा बला बााधाhellip पथवी बााधाhellip तज बााधाhellip वाय बााधाhellip आकाश बााधाhellip फऽऽऽlsquo आदद-आदद ककया | कफर पजय लीलाराम जी की बारी आई |

पजय लीलारामजी भल ही साधारर स लग रह थ परनत उनक भीतर आसमाननद दहलोर ल रहा था | lsquoपथवी आकाश कया समगर बरहमाणड म मरा ही पसारा हhellip मरी सतता क तरबना एक पतता भी नही दहल सकताhellip य चााद-लसतार मरी आजञा म ही चल रह हhellip सवकतर म ही इन सब ववलभनन रपो म ववलास कर रहा हाhelliprsquo ऐस बरहमाननद म डब हए व बठ थ |

ऐसी आसममसती म बठा हआ ककनत बाहर स कगाल जसा ददखन वाला सत जो बोल द उस घदटत होन स कौन रोक सकता ह

वलशषटठ जी कहत ह ldquoह रामजी तरतरलोकी म ऐसा कौन ह जो सत की आजञा का उकलघन कर

सक rdquo

जब लोगो न पजय लीलारामजी स आगरह ककया तो उनहोन धीर स अपना लसर ऊपर की ओर

उठाया | सामन ही नीम का पड़ खड़ा था | उस पर दलषटट डालकर गजकना करत हए आदशासमक भाव स बोल उठ

ldquoऐ नीम इधर कया खड़ा ह जा उधर हटकर खड़ा रह |rdquo

बस उनका कहना ही था कक नीम का पड lsquoसरकरकhellip सरकरकhelliprsquo करता हआ दर जाकर पवकवत खड़ा हो गया |

लोग तो यह दखकर आवाक रह गय आज तक ककसी न ऐसा चमसकार नही दखा था | अब

ववपकषी लोग भी उनक परो पड़न लग | व भी समझ गय कक य कोई लसदध महापरष ह |

व दहनदओ स बोल ldquoय आपक ही पीर नही ह बलकक आपक और हमार सबक पीर ह | अब स य

lsquoलीलारामrsquo नही ककत lsquoलीलाशाहrsquo ह |

तब स लोग उनका lsquoलीलारामrsquo नाम भल ही गय और उनह lsquoलीलाशाहrsquo नाम स ही पकारन लग | लोगो न उनक जीवन म ऐस-ऐस और भी कई चमसकार दख |

व 93 वषक की उमर पार करक बरहमलीन हए | इतन वदध होन पर भी उनक सार दाात सरकषकषत थ

वारी म तज और बल था | व तनयलमत रप स आसन एव परारायाम करत थ | मीलो पदल यातरा करत थ | व आजनम बरहमचारी रह | उनक कपा-परसाद दवारा कई पतरहीनो को पतर लमल गरीबो को धन लमला तनरससादहयो को उससाह लमला और लजजञासओ का साधना-मागक परशसत हआ | और भी कया-कया हआ

यह बतान जाऊा गा तो ववषयानतर होगा और समय भी अचधक नही ह | म यह बताना चाहता हा कक

उनक दवारा इतन चमसकार होत हए भी उनकी महानता चमसकारो म तनदहत नही ह | उनकी महानता तो उनकी बरहमतनषटठता म तनदहत थी |

छोट-मोट चमसकार तो थोड़ बहत अभयास क दवारा हर कोई कर लता ह मगर बरहमतनषटठा तो चीज ही कछ और ह | वह तो सभी साधनाओ की अततम तनषटपतत ह | ऐसा बरहमतनषटठ होना ही तो वासतववक बरहमचारी होना ह | मन पहल भी कहा ह कक कवल वीयकरकषा बरहमचयक नही ह | यह तो बरहमचयक की साधना ह | यदद शरीर दवारा वीयकरकषा हो और मन-बदचध म ववषयो का चचतन चलता रह

तो बरहमतनषटठा कहाा हई कफर भी वीयकरकषा दवारा ही उस बरहमाननद का दवार खोलना शीघर सभव होता ह | वीयकरकषर हो और कोई समथक बरहमतनषटठ गर लमल जाय तो बस कफर और कछ करना शष नही रहता | कफर वीयकरकषर करन म पररशरम नही करना पड़ता वह सहज होता ह | साधक लसदध बन जाता ह | कफर तो उसकी दलषटट मातर स कामक भी सयमी बन जाता ह |

सत जञानशवर महाराज लजस चबतर पर बठ थ उसीको कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा | ऐस ही पजयपाद लीलाशाहजी बाप न नीम क पड़ को कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा और जाकर दसरी जगह खड़ा हो गया | यह सब सककप बल का चमसकार ह | ऐसा सककप बल आप भी बढा सकत ह |

वववकाननद कहा करत थ कक भारतीय लोग अपन सककप बल को भल गय ह इसीललय गलामी का दःख भोग रह ह | lsquoहम कया कर सकत हhelliprsquo ऐस नकारासमक चचतन दवारा व सककपहीन हो गय ह जबकक अगरज का बचचा भी अपन को बड़ा उससाही समझता ह और कायक म सफल हो जाता ह

कयोकक व ऐसा ववचार करता ह lsquoम अगरज हा | दतनया क बड़ भाग पर हमारी जातत का शासन रहा ह | ऐसी गौरवपरक जातत का अग होत हए मझ कौन रोक सकता ह सफल होन स म कया नही कर

सकता rsquo lsquoबस ऐसा ववचार ही उस सफलता द दता ह |

जब अगरज का बचचा भी अपनी जातत क गौरव का समरर कर दढ सककपवान बन सकता ह तो आप कयो नही बन सकत

ldquoम ॠवष-मतनयो की सतान हा | भीषटम जस दढपरततजञ परषो की परमपरा म मरा जनम हआ ह |

गगा को पथवी पर उतारनवाल राजा भगीरथ जस दढतनशचयी महापरष का रकत मझम बह रहा ह |

समि को भी पी जानवाल अगससय ॠवष का म वशज हा | शरी राम और शरीकषटर की अवतार-भलम

भारत म जहाा दवता भी जनम लन को तरसत ह वहाा मरा जनम हआ ह कफर म ऐसा दीन-हीन

कयो म जो चाहा सो कर सकता हा | आसमा की अमरता का ददवय जञान का परम तनभकयता का सदश सार ससार को लजन ॠवषयो न ददया उनका वशज होकर म दीन-हीन नही रह सकता | म अपन रकत क तनभकयता क ससकारो को जगाकर रहागा | म वीयकवान बनकर रहागा |rdquo ऐसा दढ सककप हरक भारतीय बालक को करना चादहए |

(अनिम)

सतरी-जातत क परतत िातभाव परबल करो शरी रामकषटर परमहस कहा करत थ ldquo ककसी सदर सतरी पर नजर पड़ जाए तो उसम माा जगदमबा क दशकन करो | ऐसा ववचार करो कक यह अवशय दवी का अवतार ह तभी तो इसम इतना सौदयक ह | माा परसनन होकर इस रप म दशकन द रही ह ऐसा समझकर सामन खड़ी सतरी को मन-ही-मन परराम करो | इसस तमहार भीतर काम ववकार नही उठ सकगा |

िातवत परदारि पररवयि लोटिवत |

पराई सतरी को माता क समान और पराए धन को लमटटी क ढल क समान समझो |

(अनिम)

मशवाजी का परसग

लशवाजी क पास ककयार क सबदार की लसतरयो को लाया गया था तो उस समय उनहोन यही आदशक उपलसथत ककया था | उनहोन उन लसतरयो को lsquoमााrsquo कहकर पकारा तथा उनह कई उपहार दकर

सममान सदहत उनक घर वापस भज ददया | लशवाजी परम गर समथक रामदास क लशषटय थ |

भारतीय सभयता और ससकतत म माता को इतना पववतर सथान ददया गया ह कक यह मातभाव मनषटय को पततत होत-होत बचा लता ह | शरी रामकषटर एव अनय पववतर सतो क समकष जब कोई सतरी कचषटटा करना चाहती तब व सजजन साधक सत यह पववतर मातभाव मन म लाकर ववकार क फद स बच जात | यह मातभाव मन को ववकारी होन स बहत हद तक रोक रखता ह | जब भी ककसी सतरी को दखन पर मन म ववकार उठन लग उस समय सचत रहकर इस मातभाव का परयोग कर ही लना चादहए |

(अनिम)

अजयन और उवयशी

अजकन सशरीर इनि सभा म गया तो उसक सवागत म उवकशी रमभा आदद अपसराओ न नसय ककय | अजकन क रप सौनदयक पर मोदहत हो उवकशी रातरतर क समय उसक तनवास सथान पर गई और

पररय-तनवदन ककया तथा साथ ही इसम कोई दोष नही लगता इसक पकष म अनक दलील भी की | ककनत अजकन न अपन दढ इलनियसयम का पररचय दत हए कह

गचछ मरधनाक परपननोऽलसम पादौ त वरवखरकनी | सव दह म मातवत पजया रकषयोऽह पतरवत सवया ||

( महाभारत वनपवकखर इनिलोकालभगमनपवक ४६४७)

मरी दलषटट म कनती मािी और शची का जो सथान ह वही तमहारा भी ह | तम मर ललए माता क समान पजया हो | म तमहार चररो म परराम करता हा | तम अपना दरागरह छोड़कर लौट जाओ

| इस पर उवकशी न िोचधत होकर उस नपसक होन का शाप द ददया | अजकन न उवकशी स शावपत होना सवीकार ककया परनत सयम नही तोड़ा | जो अपन आदशक स नही हटता धयक और सहनशीलता को अपन चररतर का भषर बनाता ह उसक ललय शाप भी वरदान बन जाता ह | अजकन क ललय भी ऐसा ही हआ | जब इनि तक यह बात पहाची तो उनहोन अजकन को कहा तमन इलनिय सयम क दवारा ऋवषयो को भी परालजत कर ददया | तम जस पतर को पाकर कनती वासतव म शरषटठ पतरवाली ह |

उवकशी का शाप तमह वरदान लसदध होगा | भतल पर वनवास क १३व वषक म अजञातवास करना पड़गा उस समय यह सहायक होगा | उसक बाद तम अपना परषसव कफर स परापत कर लोग | इनि क

कथनानसार अजञातवास क समय अजकन न ववराट क महल म नतकक वश म रहकर ववराट की

राजकमारी को सगीत और नसय ववदया लसखाई थी और इस परकार वह शाप स मकत हआ था | परसतरी क परतत मातभाव रखन का यह एक सदर उदाहरर ह | ऐसा ही एक उदाहरर वाकमीकककत

रामायर म भी आता ह | भगवान शरीराम क छोट भाई लकषमर को जब सीताजी क गहन पहचानन को कहा गया तो लकषमर जी बोल ह तात म तो सीता माता क परो क गहन और नपर ही पहचानता हा जो मझ उनकी चररवनदना क समय दलषटटगोचर होत रहत थ | कयर-कणडल आदद दसर

गहनो को म नही जानता | यह मातभाववाली दलषटट ही इस बात का एक बहत बड़ा कारर था कक

लकषमरजी इतन काल तक बरहमचयक का पालन ककय रह सक | तभी रावरपतर मघनाद को लजस इनि भी नही हरा सका था लकषमरजी हरा पाय | पववतर मातभाव दवारा वीयकरकषर का यह अनपम उदाहरर ह जो बरहमचयक की महतता भी परकट करता ह |

(अनिम)

सतसाहहतय पढ़ो

जसा सादहसय हम पढत ह वस ही ववचार मन क भीतर चलत रहत ह और उनहीस हमारा सारा वयवहार परभाववत होता ह | जो लोग कलससत ववकारी और कामोततजक सादहसय पढत ह व कभी ऊपर नही उठ सकत | उनका मन सदव काम-ववषय क चचतन म ही उलझा रहता ह और इसस व अपनी वीयकरकषा करन म असमथक रहत ह | गनद सादहसय कामकता का भाव पदा करत ह | सना गया ह कक पाशचासय जगत स परभाववत कछ नराधम चोरी-तछप गनदी कफकमो का परदशकन करत ह जो अपना और अपन सपकक म आनवालो का ववनाश करत ह | ऐस लोग मदहलाओ कोमल वय की कनयाओ तथा ककशोर एव यवावसथा म पहाच हए बचचो क साथ बड़ा अनयाय करत ह | बकय कफकम दखन-ददखानवाल महा अधम कामानध लोग मरन क बाद शकर ककर आदद योतनयो म जनम लकर अथवा गनदी नाललयो क कीड़ बनकर छटपटात हए दख भोगग ही | तनदोष कोमलवय क नवयवक उन दषटटो क लशकार न बन इसक ललए सरकार और समाज को सावधान रहना चादहए |

बालक दश की सपवतत ह | बरहमचयक क नाश स उनका ववनाश हो जाता ह | अतः नवयवको को मादक िवयो गनद सादहसयो व गनदी कफकमो क दवारा बबाकद होन स बचाया जाय | व ही तो राषटर क भावी करकधार ह | यवक-यवततयाा तजसवी हो बरहमचयक की मदहमा समझ इसक ललए हम सब लोगो का कततकवय ह कक सकलो-कालजो म ववदयाचथकयो तक बरहमचयक पर ललखा गया सादहसय पहाचाय | सरकार का यह नततक कततकवय ह कक वह लशकषा परदान कर बरहमचयक ववशय पर ववदयाचथकयो को

सावधान कर ताकक व तजसवी बन | लजतन भी महापरष हए ह उनक जीवन पर दलषटटपात करो तो उन पर ककसी-न-ककसी सससादहसय की छाप लमलगी | अमररका क परलसदध लखक इमसकन क गर थोरो बरहमचयक का पालन करत थ | उनहो न ललखा ह म परततददन गीता क पववतर जल स सनान करता हा | यदयवप इस पसतक को ललखनवाल दवताओ को अनक वषक वयतीत हो गय लककन इसक बराबर की कोई पसतक अभी तक नही तनकली ह |

योगशवरी माता गीता क ललए दसर एक ववदशी ववदवान इगलणड क एफ एच मोलम कहत ह बाइतरबल का मन यथाथक अभयास ककया ह | जो जञान गीता म ह वह ईसाई या यदही बाइतरबलो म नही ह | मझ यही आशचयक होता ह कक भारतीय नवयवक यहाा इगलणड तक पदाथक ववजञान सीखन कयो आत ह तनसदह पाशचासयो क परतत उनका मोह ही इसका कारर ह | उनक भोलभाल हदयो न तनदकय और अववनमर पलशचमवालसयो क ददल अभी पहचान नही ह | इसीललए उनकी लशकषा स लमलनवाल पदो की लालच स व उन सवाचथकयो क इनिजाल म फसत ह | अनयथा तो लजस दश या समाज को गलामी स छटना हो उसक ललए तो यह अधोगतत का ही मागक ह |

म ईसाई होत हए भी गीता क परतत इतना आदर-मान इसललए रखता हा कक लजन गढ परशनो का हल पाशचासय वजञातनक अभी तक नही कर पाय उनका हल इस गीता गरथ न शदध और सरल

रीतत स द ददया ह | गीता म ककतन ही सतर आलौककक उपदशो स भरपर दख इसी कारर गीताजी मर ललए साकषात योगशवरी माता बन गई ह | ववशव भर म सार धन स भी न लमल सक भारतवषक का यह ऐसा अमकय खजाना ह |

सपरलसदध पतरकार पॉल तरबरलनटन सनातन धमक की ऐसी धालमकक पसतक पढकर जब परभाववत हआ तभी वह दहनदसतान आया था और यहाा क रमर महवषक जस महासमाओ क दशकन करक धनय हआ था | दशभलकतपरक सादहसय पढकर ही चनिशखर आजाद भगतलसह वीर सावरकर जस रसन अपन जीवन को दशादहत म लगा पाय |

इसललय सससादहसय की तो लजतनी मदहमा गाई जाय उतनी कम ह | शरीयोगवलशषटठ

महारामायर उपतनषद दासबोध सखमतन वववकचड़ामखर शरी रामकषटर सादहसय सवामी रामतीथक क

परवचन आदद भारतीय ससकतत की ऐसी कई पसतक ह लजनह पढो और उनह अपन दतनक जीवन का अग बना लो | ऐसी-वसी ववकारी और कलससत पसतक-पलसतकाएा हो तो उनह उठाकर कचर ल ढर पर फ क दो या चकह म डालकर आग तापो मगर न तो सवय पढो और न दसर क हाथ लगन दो |

इस परकार क आरधयालसमक सदहसय-सवन म बरहमचयक मजबत करन की अथाह शलकत होती ह |

परातःकाल सनानादद क पशचात ददन क वयवसाय म लगन स पवक एव रातरतर को सोन स पवक कोई-न-कोई आरधयालसमक पसतक पढना चादहए | इसस व ही सतोगरी ववचार मन म घमत रहग जो पसतक म होग और हमारा मन ववकारगरसत होन स बचा रहगा |

कौपीन (लगोटी) पहनन का भी आगरह रखो | इसस अणडकोष सवसथ रहग और वीयकरकषर म मदद लमलगी |

वासना को भड़कान वाल नगन व अशलील पोसटरो एव चचतरो को दखन का आकषकर छोड़ो | अशलील शायरी और गान भी जहाा गाय जात हो वहाा न रको |

(अनिम)

वीययसचय क चितकार

वीयक क एक-एक अर म बहत महान शलकतयाा तछपी ह | इसीक दवारा शकराचायक महावीर कबीर

नानक जस महापरष धरती पर अवतीरक हए ह | बड़-बड़ वीर योदधा वजञातनक सादहसयकार- य सब वीयक की एक बाद म तछप थ hellip और अभी आग भी पदा होत रहग | इतन बहमकय वीयक का सदपयोग जो वयलकत नही कर पाता वह अपना पतन आप आमतरतरत करता ह |

वीय व भगयः | (शतपथ बराहिण )

वीयक ही तज ह आभा ह परकाश ह |

जीवन को ऊरधवकगामी बनान वाली ऐसी बहमकय वीयकशलकत को लजसन भी खोया उसको ककतनी हातन उठानी पड़ी यह कछ उदाहररो क दवारा हम समझ सकत ह |

(अनिम)

भीटि षपतािह और वीर अमभिनय महाभारत म बरहमचयक स सबचधत दो परसग आत ह एक भीषटम वपतामह का और दसरा वीर अलभमनय का | भीषटम वपतामह बाल बरहमचारी थ इसललय उनम अथाह सामथयक था | भगवान शरी कषटर का यह वरत था कक lsquoम यदध म शसतर नही उठाऊा गा |rsquo ककनत यह भीषटम की बरहमचयक शलकत का ही चमसकार था कक उनहोन शरी कषटर को अपना वरत भग करन क ललए मजबर कर ददया | उनहोन अजकन पर ऐसी बार वषाक की कक ददवयासतरो स ससलजजत अजकन जसा धरनधर धनधाकरी भी उसका परततकार

करन म असमथक हो गया लजसस उसकी रकषाथक भगवान शरी कषटर को रथ का पदहया लकर भीषटम की ओर दौड़ना पड़ा |

यह बरहमचयक का ही परताप था कक भीषटम मौत पर भी ववजय परापत कर सक | उनहोन ही यह सवय तय ककया कक उनह कब शरीर छोड़ना ह | अनयथा शरीर म परारो का दटक रहना असभव था परनत भीषटम की तरबना आजञा क मौत भी उनस परार कस छीन सकती थी भीषटम न सवचछा स शभ महतक म अपना शरीर छोड़ा |

दसरी ओर अलभमनय का परसग आता ह | महाभारत क यदध म अजकन का वीर पतर अलभमनय चिवयह का भदन करन क ललए अकला ही तनकल पड़ा था | भीम भी पीछ रह गया था | उसन जो शौयक ददखाया वह परशसनीय था | बड़-बड़ महारचथयो स तघर होन पर भी वह रथ का पदहया लकर

अकला यदध करता रहा परनत आखखर म मारा गया | उसका कारर यह था कक यदध म जान स पवक वह अपना बरहमचयक खलणडत कर चका था | वह उततरा क गभक म पाणडव वश का बीज डालकर आया था | मातर इतनी छोटी सी कमजोरी क कारर वह वपतामह भीषटम की तरह अपनी मसय का आप

माललक नही बन सका |

(अनिम)

पथवीराज चौहान कयो हारा

भारात म पथवीराज चौहान न मोहममद गोरी को सोलह बार हराया ककनत सतरहव यदध म वह खद हार गया और उस पकड़ ललया गया | गोरी न बाद म उसकी आाख लोह की गमक सलाखो स

फड़वा दी | अब यह एक बड़ा आशचयक ह कक सोलह बार जीतन वाला वीर योदधा हार कस गया

इततहास बताता ह कक लजस ददन वह हारा था उस ददन वह अपनी पसनी स अपनी कमर कसवाकर

अथाकत अपन वीयक का ससयानाश करक यदधभलम म आया था | यह ह वीयकशलकत क वयय का दषटपररराम |

रामायर महाकावय क पातर रामभकत हनमान क कई अदभत परािम तो हम सबन सन ही ह जस- आकाश म उड़ना समि लााघना रावर की भरी सभा म स छटकर लौटना लका जलाना यदध म रावर को मकका मार कर मतछकत कर दना सजीवनी बटी क ललय परा पहाड़ उठा लाना आदद | य सब बरहमचयक की शलकत का ही परताप था |

फरास का समराट नपोललयन कहा करता था असभव शबद ही मर शबदकोष म नही ह |

परनत वह भी हार गया | हारन क मल काररो म एक कारर यह भी था कक यदध स पवक ही उसन सतरी क आकषकर म अपन वीयक का कषय कर ददया था |

समसन भी शरवीरता क कषतर म बहत परलसदध था | बाइतरबल म उसका उकलख आता ह | वह

भी सतरी क मोहक आकषकर स नही बच सका और उसका भी पतन हो गया |

(अनिम)

सवािी राितीथय का अनभव

सवामी रामतीथक जब परोफसर थ तब उनहोन एक परयोग ककया और बाद म तनषटकषकरप म बताया कक जो ववदयाथी परीकषा क ददनो म या परीकषा क कछ ददन पहल ववषयो म फस जात ह व

परीकषा म परायः असफल हो जात ह चाह वषक भर अपनी ककषा म अचछ ववदयाथी कयो न रह हो | लजन ववदयाचथकयो का चचतत परीकषा क ददनो म एकागर और शदध रहा करता ह व ही सफल होत ह | काम ववकार को रोकना वसततः बड़ा दःसारधय ह |

यही कारर ह कक मन महाराज न यहा तक कह ददया ह

माा बहन और पतरी क साथ भी वयलकत को एकानत म नही बठना चादहय कयोकक मनषटय की इलनियाा बहत बलवान होती ह | व ववदवानो क मन को भी समान रप स अपन वग म खीच ल जाती ह |

(अनिम)

यवा वगय स दो बात

म यवक वगक स ववशषरप स दो बात कहना चाहता ह कयोकक यही वह वगक ह जो अपन दश क सदढ भववषटय का आधार ह | भारत का यही यवक वगक जो पहल दशोसथान एव आरधयालसमक

रहसयो की खोज म लगा रहता था वही अब कालमतनयो क रग-रप क पीछ पागल होकर अपना अमकय जीवन वयथक म खोता जा रहा ह | यह कामशलकत मनषटय क ललए अलभशाप नही बलकक

वरदान सवरप ह | यह जब यवक म खखलन लगती ह तो उस उस समय इतन उससाह स भर दती ह

कक वह ससार म सब कछ कर सकन की लसथतत म अपन को समथक अनभव करन लगता ह लककन आज क अचधकाश यवक दवयकसनो म फा सकर हसतमथन एव सवपनदोष क लशकार बन जात ह |

(अनिम)

हसतिथन का दटपररणाि

इन दवयकसनो स यवक अपनी वीयकधारर की शलकत खो बठता ह और वह तीवरता स नपसकता की ओर अगरसर होन लगता ह | उसकी आाख और चहरा तनसतज और कमजोर हो जाता ह |

थोड़ पररशरम स ही वह हााफन लगता ह उसकी आखो क आग अधरा छान लगता ह | अचधक कमजोरी स मचछाक भी आ जाती ह | उसकी सककपशलकत कमजोर हो जाती ह |

अिररका ि ककया गया परयोग

अमररका म एक ववजञानशाला म ३० ववदयाचथकयो को भखा रखा गया | इसस उतन समय क

ललय तो उनका काम ववकार दबा रहा परनत भोजन करन क बाद उनम कफर स काम-वासना जोर पकड़न लगी | लोह की लगोट पहन कर भी कछ लोग कामदमन की चषटटा करत पाए जात ह | उनको लसकडडया बाबा कहत ह | व लोह या पीतल की लगोट पहन कर उसम ताला लगा दत ह | कछ ऐस भी लोग हए ह लजनहोन इस काम-ववकार स छटटी पान क ललय अपनी जननलनिय ही काट दी और

बाद म बहत पछताय | उनह मालम नही था कक जननलनिय तो काम ववकार परकट होन का एक साधन ह | फल-पसतत तोड़न स पड़ नषटट नही होता | मागकदशकन क अभाव म लोग कसी-कसी भल करत ह ऐसा ही यह एक उदाहरर ह |

जो यवक १७ स २४ वषक की आय तक सयम रख लता ह उसका मानलसक बल एव बदचध बहत तजसवी हो जाती ह | जीवनभर उसका उससाह एव सफततक बनी रहती ह | जो यवक बीस वषक की आय परी होन स पवक ही अपन वीयक का नाश करना शर कर दता ह उसकी सफततक और होसला पसत हो जाता ह तथा सार जीवनभर क ललय उसकी बदचध कलणठत हो जाती ह | म चाहता हा कक यवावगक वीयक क सरकषर क कछ ठोस परयोग सीख ल | छोट-मोट परयोग उपवास भोजन म सधार आदद तो ठीक ह परनत व असथाई लाभ ही द पात ह | कई परयोगो स यह बात लसदध हई ह |

(अनिम)

कािशषकत का दिन या ऊधवयगिन

कामशलकत का दमन सही हल नही ह | सही हल ह इस शलकत को ऊरधवकमखी बनाकर शरीर म ही इसका उपयोग करक परम सख को परापत करना | यह यलकत लजसको आ गई उस सब आ गया

और लजस यह नही आई वह समाज म ककतना भी सततावान धनवान परततशठावान बन जाय अनत म मरन पर अनाथ ही रह जायगा अपन-आप को नही लमल पायगा | गौतम बदध यह यलकत जानत थ

तभी अगलीमाल जसा तनदकयी हसयारा भी सार दषटकसय छोड़कर उनक आग लभकषक बन गया | ऐस महापरषो म वह शलकत होती ह लजसक परयोग स साधक क ललए बरहमचयक की साधना एकदम सरल हो जाती ह | कफर काम-ववकार स लड़ना नही पड़ता ह बलकक जीवन म बरहमचयक सहज ही फललत होन लगता ह |

मन ऐस लोगो को दखा ह जो थोड़ा सा जप करत ह और बहत पज जात ह | और ऐस लोगो को भी दखा ह जो बहत जप-तप करत ह कफर भी समाज पर उनका कोई परभाव नही उनम आकषकर नही | जान-अनजान हो-न-हो जागत अथवा तनिावसथा म या अनय ककसी परकार स उनकी वीयक शलकत अवशय नषटट होती रहती ह |

(अनिम)

एक सा क का अनभव

एक साधक न यहाा उसका नाम नही लागा मझ सवय ही बताया सवामीजी यहाा आन स पवक म महीन म एक ददन भी पसनी क तरबना नही रह सकता था इतना अचधक काम-ववकार म फा सा हआ था परनत अब ६-६ महीन बीत जात ह पसनी क तरबना और काम-ववकार भी पहल की भाातत नही सताता |

द सर सा क का अनभव

दसर एक और सजजन यहाा आत ह उनकी पसनी की लशकायत मझ सनन को लमली ह | वह

सवय तो यहाा आती नही मगर लोगो स कहा ह कक ककसी परकार मर पतत को समझाय कक व आशरम म नही जाया कर |

वस तो आशरम म जान क ललए कोई कयो मना करगा मगर उसक इस परकार मना करन का कारर जो उसन लोगो को बताया और लोगो न मझ बताया वह इस परकार ह वह कहती ह इन बाबा न मर पतत पर न जान कया जाद ककया ह कक पहल तो व रात म मझ पास म सलात थ परनत अब मझस दर सोत ह | इसस तो व लसनमा म जात थ जस-तस दोसतो क साथ घमत रहत थ वही ठीक था | उस समय कम स कम मर कहन म तो चलत थ परनत अब तो

कसा दभाकगय ह मनषटय का वयलकत भल ही पतन क रासत चल उसक जीवन का भल ही ससयानाश होता रह परनत वह मर कहन म चल यही ससारी परम का ढााचा ह | इसम परम दो-पाच परततशत हो सकता ह बाकी ९५ परततशत तो मोह ही होता ह वासना ही होती ह | मगर मोह भी परम का चोला ओढकर कफरता रहता ह और हम पता नही चलता कक हम पतन की ओर जा रह ह या उसथान की ओर |

(अनिम)

योगी का सकलपबल

बरहमचयक उसथान का मागक ह | बाबाजी न कछ जाद-वाद नही ककया| कवल उनक दवारा उनकी यौचगक शलकत का सहारा उस वयलकत को लमला लजसस उसकी कामशलकत ऊरधवकगामी हो गई | इस कारर उसका मन ससारी काम सख स ऊपर उठ गया | जब असली रस लमल गया तो गदी नाली दवारा लमलन वाल रस की ओर कोई कयो ताकगा ऐसा कौन मखक होगा जो बरहमचयक का पववतर और

असली रस छोड़कर घखरत और पतनोनमख करन वाल ससारी कामसख की ओर दौड़गा

कया यह चितकार ह

सामानय लोगो क ललय तो यह मानो एक बहत बड़ा चमसकार ह परनत इसम चमसकार जसी कोई बात नही ह | जो महापरष योगमागक स पररचचत ह और अपनी आसममसती म मसत रहत ह

उनक ललय तो यह एक खल मातर ह | योग का भी अपना एक ववजञान ह जो सथल ववजञान स भी सकषम और अचधक परभावी होता ह | जो लोग ऐस ककसी योगी महापरष क सालननरधय का लाभ लत ह उनक ललय तो बरहमचयक का पालन सहज हो जाता ह | उनह अलग स कोई महनत नही करनी पड़ती |

(अनिम)

हसतिथन व सवपनदोि स कस बच

यदद कोई हसत मथन या सवपनदोष की समसया स गरसत ह और वह इस रोग स छटकारा पान को वसततः इचछक ह तो सबस पहल तो म यह कहागा कक अब वह यह चचता छोड़ द कक मझ

यह रोग ह और अब मरा कया होगा कया म कफर स सवासथय लाभ कर सका गा इस परकार क

तनराशावादी ववचारो को वह जड़मल स उखाड़ फ क |

सदव परसनन रहो

जो हो चका वह बीत गया | बीती सो बीती बीती ताही बबसार द आग की सध लय | एक तो रोग कफर उसका चचतन और भी रगर बना दता ह | इसललय पहला काम तो यह करो कक दीनता क

ववचारो को ततलाजलल दकर परसनन और परफलकलत रहना परारभ कर दो |

पीछ ककतना वीयकनाश हो चका ह उसकी चचता छोड़कर अब कस वीयकरकषर हो सक उसक ललय उपाय करन हत कमर कस लो |

धयान रह वीयकशलकत का दमन नही करना ह उस ऊरधवकगामी बनाना ह | वीयकशलकत का उपयोग हम ठीक ढग स नही कर पात | इसललय इस शलकत क ऊरधवकगमन क कछ परयोग हम समझ ल |

(अनिम)

वीयय का ऊधवयगिन कया ह

वीयक क ऊरधवकगमन का अथक यह नही ह कक वीयक सथल रप स ऊपर सहसरार की ओर जाता ह

| इस ववषय म कई लोग भरलमत ह | वीयक तो वही रहता ह मगर उस सचाललत करनवाली जो कामशलकत ह उसका ऊरधवकगमन होता ह | वीयक को ऊपर चढान की नाड़ी शरीर क भीतर नही ह |

इसललय शिार ऊपर नही जात बलकक हमार भीतर एक वदयततक चमबकीय शलकत होती ह जो नीच की ओर बहती ह तब शिार सकिय होत ह |

इसललय जब परष की दलशट भड़कील वसतरो पर पड़ती ह या उसका मन सतरी का चचतन करता ह

तब यही शलकत उसक चचतनमातर स नीच मलाधार कनि क नीच जो कामकनि ह उसको सकिय कर

वीयक को बाहर धकलती ह | वीयक सखललत होत ही उसक जीवन की उतनी कामशलकत वयथक म खचक हो जाती ह | योगी और तातरतरक लोग इस सकषम बात स पररचचत थ | सथल ववजञानवाल जीवशासतरी और डॉकटर लोग इस बात को ठीक स समझ नही पाय इसललय आधतनकतम औजार होत हए भी कई गभीर रोगो को व ठीक नही कर पात जबकक योगी क दलषटटपात मातर या आशीवाकद स ही रोग ठीक होन क चमसकार हम परायः दखा-सना करत ह |

आप बहत योगसाधना करक ऊरधवकरता योगी न भी बनो कफर भी वीयकरकषर क ललय इतना छोटा-सा परयोग तो कर ही सकत हो

(अनिम)

वीययरकषा का िहततवप णय परयोग

अपना जो lsquoकाम-ससथानrsquo ह वह जब सकिय होता ह तभी वीयक को बाहर धकलता ह | ककनत तनमन परयोग दवारा उसको सकिय होन स बचाना ह |

जयो ही ककसी सतरी क दशकन स या कामक ववचार स आपका रधयान अपनी जननलनिय की तरफ खखचन लग तभी आप सतकक हो जाओ | आप तरनत जननलनिय को भीतर पट की तरफ़ खीचो | जस पप का वपसटन खीचत ह उस परकार की किया मन को जननलनिय म कलनित करक करनी ह | योग की भाषा म इस योतनमिा कहत ह |

अब आाख बनद करो | कफर ऐसी भावना करो कक म अपन जननलनिय-ससथान स ऊपर लसर म लसथत सहसरार चि की तरफ दख रहा हा | लजधर हमारा मन लगता ह उधर ही यह शलकत बहन लगती ह | सहसरार की ओर ववतत लगान स जो शलकत मलाधार म सकिय होकर वीयक को सखललत

करनवाली थी वही शलकत ऊरधवकगामी बनकर आपको वीयकपतन स बचा लगी | लककन रधयान रह यदद आपका मन काम-ववकार का मजा लन म अटक गया तो आप सफल नही हो पायग | थोड़ सककप और वववक का सहारा ललया तो कछ ही ददनो क परयोग स महववपरक फायदा होन लगगा | आप सपषटट

महसस करग कक एक आाधी की तरह काम का आवग आया और इस परयोग स वह कछ ही कषरो म शात हो गया |

(अनिम)

द सरा परयोग

जब भी काम का वग उठ फफड़ो म भरी वाय को जोर स बाहर फ को | लजतना अचधक बाहर फ क सको उतना उततम | कफर नालभ और पट को भीतर की ओर खीचो | दो-तीन बार क परयोग स ही काम-ववकार शात हो जायगा और आप वीयकपतन स बच जाओग |

यह परयोग ददखता छोटा-सा ह मगर बड़ा महववपरक यौचगक परयोग ह | भीतर का शवास कामशलकत को नीच की ओर धकलता ह | उस जोर स और अचधक मातरा म बाहर फ कन स वह मलाधार चि म कामकनि को सकिय नही कर पायगा | कफर पट व नालभ को भीतर सकोचन स वहाा खाली जगह बन जाती ह | उस खाली जगह को भरन क ललय कामकनि क आसपास की सारी शलकत जो वीयकपतन म

सहयोगी बनती ह खखचकर नालभ की तरफ चली जाती ह और इस परकार आप वीयकपतन स बच जायग |

इस परयोग को करन म न कोई खचक ह न कोई ववशष सथान ढाढन की जररत ह | कही भी बठकर कर सकत ह | काम-ववकार न भी उठ तब भी यह परयोग करक आप अनपम लाभ उठा सकत ह | इसस जठरालगन परदीपत होती ह पट की बीमाररयाा लमटती ह जीवन तजसवी बनता ह और वीयकरकषर

सहज म होन लगता ह |

(अनिम)

वीययरकषक च णय

बहत कम खचक म आप यह चरक बना सकत ह | कछ सख आावलो स बीज अलग करक उनक तछलको को कटकर उसका चरक बना लो | आजकल बाजार म आावलो का तयार चरक भी लमलता ह |

लजतना चरक हो उसस दगनी मातरा म लमशरी का चरक उसम लमला दो | यह चरक उनक ललए भी दहतकर

ह लजनह सवपनदोष नही होता हो |

रोज रातरतर को सोन स आधा घटा पवक पानी क साथ एक चममच यह चरक ल ललया करो | यह

चरक वीयक को गाढा करता ह कबज दर करता ह वात-वपतत-कफ क दोष लमटाता ह और सयम को मजबत करता ह |

(अनिम)

गोद का परयोग

6 गराम खरी गोद रातरतर को पानी म लभगो दो | इस सबह खाली पट ल लो | इस परयोग क दौरान अगर भख कम लगती हो तो दोपहर को भोजन क पहल अदरक व नीब का रस लमलाकर लना चादहए |

तलसी एक अदभत औषचध

परनच डॉकटर ववकटर रसीन न कहा ह ldquoतलसी एक अदभत औषचध ह | तलसी पर ककय गय

परयोगो न यह लसदध कर ददया ह कक रकतचाप और पाचनततर क तनयमन म तथा मानलसक रोगो म तलसी असयत लाभकारी ह | इसस रकतकरो की वदचध होती ह | मलररया तथा अनय परकार क बखारो म तलसी असयत उपयोगी लसदध हई ह |

तलसी रोगो को तो दर करती ही ह इसक अततररकत बरहमचयक की रकषा करन एव यादशलकत बढान म भी अनपम सहायता करती ह | तलसीदल एक उसकषटट रसायन ह | यह तरतरदोषनाशक ह | रकतववकार

वाय खाासी कलम आदद की तनवारक ह तथा हदय क ललय बहत दहतकारी ह |

(अनिम)

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

पादपषशचिोततानासन

षवध जमीन पर आसन तरबछाकर दोनो पर सीध करक बठ जाओ | कफर दोनो हाथो स परो क

अगाठ पकड़कर झकत हए लसर को दोनो घटनो स लमलान का परयास करो | घटन जमीन पर सीध रह | परारभ म घटन जमीन पर न दटक तो कोई हजक नही | सतत अभयास स यह आसन लसदध हो जायगा | यह आसन करन क 15 लमनट बाद एक-दो कचची लभणडी खानी चादहए | सवफल का सवन भी फायदा करता ह |

लाभ इस आसन स नाडड़यो की ववशष शदचध होकर हमारी कायककषमता बढती ह और शरीर की बीमाररयाा दर होती ह | बदहजमी कबज जस पट क सभी रोग सदी-जकाम कफ चगरना कमर का ददक दहचकी सफद कोढ पशाब की बीमाररयाा सवपनदोष वीयक-ववकार अपलनडकस साईदटका नलो की सजन पाणडरोग (पीललया) अतनिा दमा खटटी डकार जञानततओ की कमजोरी गभाकशय क रोग

मालसकधमक की अतनयलमतता व अनय तकलीफ नपसकता रकत-ववकार दठगनापन व अनय कई

परकार की बीमाररयाा यह आसन करन स दर होती ह |

परारभ म यह आसन आधा लमनट स शर करक परततददन थोड़ा बढात हए 15 लमनट तक कर सकत ह | पहल 2-3 ददन तकलीफ होती ह कफर सरल हो जाता ह |

इस आसन स शरीर का कद लमबा होता ह | यदद शरीर म मोटापन ह तो वह दर होता ह और यदद दबलापन ह तो वह दर होकर शरीर सडौल तनदरसत अवसथा म आ जाता ह | बरहमचयक पालनवालो क ललए यह आसन भगवान लशव का परसाद ह | इसका परचार पहल लशवजी न और बाद म जोगी गोरखनाथ न ककया था |

(अनिम)

पादागटठानासन

इसम शरीर का भार कवल पााव क अागठ पर आन स इस पादाागषटठानासन कहत ह वीयक की रकषा व ऊरधवकगमन हत महववपरक होन स सभी को ववशषतः बचचो व यवाओ को यह आसन अवशय करना चादहए

लाभः अखणड बरहमचयक की लसदचध वजरनाड़ी (वीयकनाड़ी) व मन पर तनयतरर तथा वीयकशलकत को ओज म रपातररत करन म उततम ह मलसतषटक सवसथ रहता ह व बदचध की लसथरता व परखरता शीघर परापत होती ह रोगी-नीरोगी सभी क ललए लाभपरद ह

रोगो ि लाभः सवपनदोष मधमह नपसकता व समसत वीयोदोषो म लाभपरद ह

षवध ः पजो क बल बठ जाय बाय पर की एड़ी लसवनी (गदा व जननलनिय क बीच का सथान) पर

लगाय दोनो हाथो की उगललयाा जमीन पर रखकर दायाा पर बायी जघा पर रख सारा भार बाय पज पर (ववशषतः अागठ

पर) सतललत करक हाथ कमर पर या नमसकार की मिा म रख परारमभ म

कछ ददन आधार लकर कर सकत ह कमर सीधी व शरीर लसथर रह शवास सामानय दलषटट आग ककसी तरबद पर एकागर व रधयान सतलन रखन म हो यही किया पर बदल कर भी कर

सियः परारभ म दोनो परो स आधा-एक लमनट दोनो परो को एक समान समय दकर

यथासभव बढा सकत ह

साव ानीः अततम लसथती म आन की शीघरता न कर िमशः अभयास बढाय इस ददन भर म दो-तीन बार कभी भी कर सकत ह ककनत भोजन क तरनत बाद न कर

बदध शषकतव यक परयोगः लाभः इसक तनयलमत अभयास स जञानतनत पषटट होत

ह चोटी क सथान क नीच गाय क खर क आकार वाला बदचधमडल ह लजस पर इस परयोग का ववशष परभाव पड़ता ह और बदचध ब धारराशलकत का ववकास होता ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख लसर पीछ की तरफ ल जाय दलषटट आसमान की ओर हो इस लसथतत म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ि ाशषकतव यक परयोगः

लाभः इसक तनयलमत अभयास स मधाशलकत बढती ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख

आाख बद करक लसर को नीच की तरफ इस तरफ झकाय कक ठोढी कठकप स लगी रह और कठकप पर हलका-सा दबाव पड़ इस लसथती म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ववशषः शवास लत समय मन म ॐ का जप कर व छोड़त समय

उसकी चगनती कर

रधयान द- परसयक परयोग सबह खाली पट 15 बार कर कफर धीर-धीर बढात हए 25 बार तक कर सकत ह

(अनिम)

हिार अनभव

िहापरि क दशयन का चितकार

ldquoपहल म कामतलपत म ही जीवन का आननद मानता था | मरी दो शाददयाा हई परनत दोनो पलसनयो क दहानत क कारर अब तीसरी शादी 17 वषक की लड़की स करन को तयार हो गया | शादी स पवक म परम पजय सवामी शरी लीलाशाहजी महारज का आशीवाकद लन डीसा आशरम म जा पहाचा |

आशरम म व तो नही लमल मगर जो महापरष लमल उनक दशकनमातर स न जान कया हआ कक मरा सारा भववषटय ही बदल गया | उनक योगयकत ववशाल नतरो म न जान कसा तज चमक रहा था कक म अचधक दर तक उनकी ओर दख नही सका और मरी नजर उनक चररो की ओर झक गई | मरी कामवासना ततरोदहत हो गई | घर पहाचत ही शादी स इनकार कर ददया | भाईयो न एक कमर म उस 17 वषक की लड़की क साथ मझ बनद कर ददया |

मन कामववकार को जगान क कई उपाय ककय परनत सब तनरथकक लसदध हआ hellip जस कामसख

की चाबी उन महापरष क पास ही रह गई हो एकानत कमर म आग और परोल जसा सयोग था कफर भी

मन तनशचय ककया कक अब म उनकी छतरछाया को नही छोड़ागा भल ककतना ही ववरोध सहन

करना पड़ | उन महापरष को मन अपना मागकदशकक बनाया | उनक सालननरधय म रहकर कछ यौचगक

कियाएा सीखी | उनहोन मझस ऐसी साधना करवाई कक लजसस शरीर की सारी परानी वयाचधयाा जस मोटापन दमा टीबी कबज और छोट-मोट कई रोग आदद तनवत हो गय |

उन महापरष का नाम ह परम पजय सत शरी आसारामजी बाप | उनहीक सालननरधय म म अपना जीवन धनय कर रहा हा | उनका जो अनपम उपकार मर ऊपर हआ ह उसका बदला तो म अपना समपरक लौककक वभव समपकर करक भी चकान म असमथक हा |rdquo

-महनत चदीराम ( भतपवक चदीराम कपालदास )

सत शरी आसारामजी आशरम साबरमतत अमदावाद |

मरी वासना उपासना म बदली

ldquoआशरम दवारा परकालशत ldquoयौवन सरकषाrdquo पसतक पढन स मरी दलषटट अमीदलषटट हो गई | पहल परसतरी को एव हम उमर की लड़ककयो को दखकर मर मन म वासना और कदलषटट का भाव पदा होता था लककन यह पसतक पढकर मझ जानन को लमला कक lsquoसतरी एक वासनापतत क की वसत नही ह परनत शदध परम

और शदध भावपवकक जीवनभर साथ रहनवाली एक शलकत ह |rsquo सचमच इस lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक को पढकर मर अनदर की वासना उपासना म बदल गयी ह |rdquo

-मकवारा रवीनि रततभाई

एम क जमोड हाईसकल भावनगर (गज)

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगय क मलय एक अि लय भि ह

ldquoसवकपरथम म पजय बाप का एव शरी योग वदानत सवा सलमतत का आभार परकट करता हा |

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय अमकय भट ह | यह पसतक यवानो क ललय सही ददशा ददखानवाली ह |

आज क यग म यवानो क ललय वीयकरकषर अतत कदठन ह | परनत इस पसतक को पढन क बाद

ऐसा लगता ह कक वीयकरकषर करना सरल ह | lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक को सही यवान

बनन की परररा दती ह | इस पसतक म मन lsquoअनभव-अमतrsquo नामक पाठ पढा | उसक बाद ऐसा लगा कक सत दशकन करन स वीयकरकषर की परररा लमलती ह | यह बात तनतात ससय ह | म हररजन जातत का हा | पहल मास मछली लहसन पयाज आदद सब खाता था लककन lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पढन क बाद मझ मासाहार स सखत नफरत हो गई ह | उसक बाद मन इस पसतक को दो-तीन बार पढा ह |

अब म मास नही खा सकता हा | मझ मास स नफरत सी हो गई ह | इस पसतक को पढन स मर मन पर काफी परभाव पड़ा ह | यह पसतक मनषटय क जीवन को समदध बनानवाली ह और वीयकरकषर की शलकत परदान करन वाली ह |

यह पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह | आज क यवान जो कक 16 वषक स 17

वषक की उमर तक ही वीयकशलकत का वयय कर दत ह और दीन-हीन कषीरसककप कषीरजीवन होकर अपन ललए व औरो क ललए भी खब दःखद हो जात ह उनक ललए यह पसतक सचमच परररादायक ह

| वीयक ही शरीर का तज ह शलकत ह लजस आज का यवा वगक नषटट कर दता ह | उसक ललए जीवन म ववकास करन का उततम मागक तथा ददगदशकक यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक ह | तमाम यवक-यवततयो को यह पसतक पजय बाप की आजञानसार पााच बार अवशय पढनी चादहए | इसस बहत लाभ होता ह |rdquo

-राठौड तनलश ददनशभाई

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अषपत एक मशकषा गरनथ ह

ldquoयह lsquoयौवन सरकषाrsquo एक पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह लजसस हम ववदयाचथकयो को सयमी जीवन जीन की परररा लमलती ह | सचमच इस अनमोल गरनथ को पढकर एक अदभत परररा तथा उससाह लमलता ह | मन इस पसतक म कई ऐसी बात पढी जो शायद ही कोई हम बालको को बता व समझा सक | ऐसी लशकषा मझ आज तक ककसी दसरी पसतक स नही लमली | म इस पसतक को जनसाधारर तक पहाचान वालो को परराम करता हा तथा उन महापरष महामानव को शत-शत परराम करता हा लजनकी परररा तथा आशीवाकद स इस पसतक की रचना हई |rdquo

हरपरीत लसह अवतार लसह

ककषा-7 राजकीय हाईसकल सकटर-24 चणडीगढ

बरहिचयय ही जीवन ह

बरहमचयक क तरबना जगत म नही ककसीन यश पाया |

बरहमचयक स परशराम न इककीस बार धररी जीती |

बरहमचयक स वाकमीकी न रच दी रामायर नीकी |

बरहमचयक क तरबना जगत म ककसन जीवन रस पाया

बरहमचयक स रामचनि न सागर-पल बनवाया था |

बरहमचयक स लकषमरजी न मघनाद मरवाया था |

बरहमचयक क तरबना जगत म सब ही को परवश पाया |

बरहमचयक स महावीर न सारी लका जलाई थी |

बरहमचयक स अगदजी न अपनी पज जमाई थी |

बरहमचयक क तरबना जगत म सबन ही अपयश पाया |

बरहमचयक स आकहा-उदल न बावन ककल चगराए थ |

पथवीराज ददकलीशवर को भी रर म मार भगाए थ |

बरहमचयक क तरबना जगत म कवल ववष ही ववष पाया |

बरहमचयक स भीषटम वपतामह शरशया पर सोय थ |

बरहमचारी वर लशवा वीर स यवनो क दल रोय थ |

बरहमचयक क रस क भीतर हमन तो षटरस पाया |

बरहमचयक स राममतत क न छाती पर पसथर तोड़ा |

लोह की जजीर तोड़ दी रोका मोटर का जोड़ा |

बरहमचयक ह सरस जगत म बाकी को करकश पाया |

(अनिम)

शासतरवचन

राजा जनक शकदवजी स बोल

ldquoबाकयावसथा म ववदयाथी को तपसया गर की सवा बरहमचयक का पालन एव वदारधययन करना चादहए |rdquo

तपसा गरवततया च बरहिचयण वा षवभो |

- िहाभारत ि िोकष िय पवय

सकलपाजजायत कािः सवयिानो षवव यत |

यदा पराजञो षवरित तदा सदयः परणशयतत ||

ldquoकाम सककप स उसपनन होता ह | उसका सवन ककया जाय तो बढता ह और जब बदचधमान परष

उसस ववरकत हो जाता ह तब वह काम तसकाल नषटट हो जाता ह |rdquo

-िहाभारत ि आपद िय पवय

ldquoराजन (यचधलषटठर) जो मनषटय आजनम परक बरहमचारी रहता ह उसक ललय इस ससार म कोई भी ऐसा पदाथक नही ह जो वह परापत न कर सक | एक मनषटय चारो वदो को जाननवाला हो और दसरा परक बरहमचारी हो तो इन दोनो म बरहमचारी ही शरषटठ ह |rdquo

-भीटि षपतािह

ldquoमथन सबधी य परवततयाा सवकपरथम तो तरगो की भाातत ही परतीत होती ह परनत आग चलकर य

कसगतत क कारर एक ववशाल समि का रप धारर कर लती ह | कामसबधी वाताकलाप कभी शरवर न कर |rdquo

-नारदजी

ldquoजब कभी भी आपक मन म अशदध ववचारो क साथ ककसी सतरी क सवरप की ककपना उठ तो आप

lsquoॐ दगाय दवय निःrsquo मतर का बार-बार उचचारर कर और मानलसक परराम कर |rdquo

-मशवानदजी

ldquoजो ववदयाथी बरहमचयक क दवारा भगवान क लोक को परापत कर लत ह कफर उनक ललय ही वह सवगक ह | व ककसी भी लोक म कयो न हो मकत ह |rdquo

-छानदोगय उपतनिद

ldquoबदचधमान मनषटय को चादहए कक वह वववाह न कर | वववादहत जीवन को एक परकार का दहकत हए

अगारो स भरा हआ खडडा समझ | सयोग या ससगक स इलनियजतनत जञान की उसपवतत होती ह

इलनिजतनत जञान स तससबधी सख को परापत करन की अलभलाषा दढ होती ह ससगक स दर रहन पर जीवासमा सब परकार क पापमय जीवन स मकत रहता ह |rdquo

-िहातिा बद

भगवशी ॠवष जनकवश क राजकमार स कहत ह

िनोऽपरततक लातन परतय चह च वाछमस |

भ ताना परततक लभयो तनवतयसव यतषनरयः ||

ldquoयदद तम इस लोक और परलोक म अपन मन क अनकल वसतएा पाना चाहत हो तो अपनी इलनियो को सयम म रखकर समसत पराखरयो क परततकल आचररो स दर हट जाओ |rdquo

ndashिहाभारत ि िोकष िय पवय 3094

(अनिम)

भसिासर करो स बचो काम िोध लोभ मोह अहकार- य सब ववकार आसमानदरपी धन को हर लनवाल शतर ह |

उनम भी िोध सबस अचधक हातनकतताक ह | घर म चोरी हो जाए तो कछ-न-कछ सामान बच जाता ह

लककन घर म यदद आग लग जाय तो सब भसमीभत हो जाता ह | भसम क लसवा कछ नही बचता |

इसी परकार हमार अतःकरर म लोभ मोहरपी चोर आय तो कछ पणय कषीर होत ह लककन िोधरपी आग लग तो हमारा तमाम जप तप पणयरपी धन भसम हो जाता ह | अतः सावधान होकर

िोधरपी भसमासर स बचो | िोध का अलभनय करक फफकारना ठीक ह लककन िोधालगन तमहार

अतःकरर को जलान न लग इसका रधयान रखो |

25 लमनट तक चबा-चबाकर भोजन करो | सालववक आहर लो | लहसन लाल लमचक और तली हई चीजो स दर रहो | िोध आव तब हाथ की अागललयो क नाखन हाथ की गददी पर दब इस परकार

मठठी बद करो |

एक महीन तक ककय हए जप-तप स चचतत की जो योगयता बनती ह वह एक बार िोध करन स नषटट हो जाती ह | अतः मर पयार भया सावधान रहो | अमकय मानव दह ऐस ही वयथक न खो दना |

दस गराम शहद एक चगलास पानी तलसी क पतत और सतकपा चरक लमलाकर बनाया हआ

शबकत यदद हररोज सबह म ललया जाए तो चचतत की परसननता बढती ह | चरक और तलसी नही लमल तो कवल शहद ही लाभदायक ह | डायतरबदटज क रोचगयो को शहद नही लना चादहए |

हरर ॐ

बरहिाचयय-रकषा का ितर

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय िनोमभलाित िनः सतभ कर कर सवाहा

रोज दध म तनहार कर 21 बार इस मतर का जप कर और दध पी ल इसस बरहमचयक की रकषा होती ह सवभाव म आसमसात कर लन जसा यह तनयम ह

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

पावन उदगार

पावन उदगार

सख-शातत व सवासथय का परसाद बािन क मलए ही बाप जी का अवतरण हआ ह

मर असयनत वपरय लमतर शरी आसाराम जी बाप स म पवककाल स हदयपवकक पररचचत हा ससार म सखी रहन क ललए समसत जनता को शारीररक सवासथय और मानलसक शातत दोनो आवशयक ह सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही इन सत का महापरष का अवतरर हआ ह आज क सतो-महापरषो म परमख मर वपरय लमतर बापजी हमार भारत दश क दहनद जनता क आम जनता क ववशववालसयो क उदधार क ललए रात-ददन घम-घमकर सससग

भजन कीतकन आदद दवारा सभी ववषयो पर मागकदशकन द रह ह अभी म गल म थोड़ी तकलीफ ह तो उनहोन तरनत मझ दवा बताई इस परकार सबक सवासथय और मानलसक शातत दोनो क ललए उनका जीवन समवपकत ह व धनभागी ह जो लोगो को बापजी क सससग व सालननरधय म लान का दवी कायक करत ह

काची कािकोहि पीठ क शकराचायय जगदगर शरी जयनर सरसवती जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

हर वयषकत जो तनराश ह उस आसाराि जी की जररत ह शरदधय-वदनीय लजनक दशकन स कोदट-कोदट जनो क आसमा को शातत लमली ह व हदय

उननत हआ ह ऐस महामनीवष सत शरी आसारामजी क दशकन करक आज म कताथक हआ लजस महापरष न लजस महामानव न लजस ददवय चतना स सपनन परष न इस धरा पर धमक ससकतत अरधयासम और भारत की उदातत परपराओ को परी ऊजाक (शलकत) स सथावपत ककया ह

उस महापरष क म दशकन न करा ऐसा तो हो ही नही सकता इसललए म सवय यहाा आकर अपन-आपको धनय और कताथक महसस कर रहा हा मर परतत इनका जो सनह ह यह तो मझ पर इनका आशीवाकद ह और बड़ो का सनह तो हमशा रहता ही ह छोटो क परतत यहाा पर म आशीवाकद लन क ललए आया हा

म समझता हा कक जीवन म लगभग हर वयलकत तनराश ह और उसको आसारामजी की जररत ह दश यदद ऊा चा उठगा समदध बनगा ववकलसत होगा तो अपनी पराचीन परपराओ नततक मकयो और आदशो स ही होगा और वह आदशो नततक मकयो पराचीन सभयता धमक-दशकन

और ससकतत का जो जागरर ह वह आशाओ क राम बनन स ही होगा इसललए शरदधय वदनीय महाराज शरी आसाराम जी की सारी दतनया को जररत ह बाप जी क चररो म पराथकना करत हए कक आप ददशा दत रहना राह ददखात रहना हम भी आपक पीछ-पीछ चलत रहग और एक ददन मलजल लमलगी ही पनः आपक चररो म वदन

परमसद योगाचायय शरी रािदव जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

बाप तनतय नवीन तनतय व यनीय आनदसवरप ह परम पजय बाप क दशकन करक म पहल भी आ चका हा दशकन करक हदन-हदन नव-नव

परततकषण व यनाि अथाकत बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह ऐसा अनभव हो रहा ह और यह सवाभाववक ही ह पजय बाप जी को परराम

सपरमसद कथाकार सत शरी िोरारी बाप

(अनिम) पावन उदगार

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहिजञान का हदवय सतसग

ईशवर की कपा होती ह तो मनषटय जनम लमलता ह ईशवर की अततशय कपा होती ह तो ममकषसव का उदय होता ह परनत जब अपन पवकजनमो क पणय इकटठ होत ह और ईशवर की परम कपा होती ह तब ऐसा बरहमजञान का ददवय सससग सनन को लमलता ह जसा पजयपाद बापजी क शरीमख स आपको यहाा सनन को लमल रहा ह

परमसद कथाकार सशरी कनकशवरी दवी

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी का साषननधय गगा क पावन परवाह जसा ह कल-कल करती इस भागीरथी की धवल धारा क ककनार पर पजय बाप जी क सालननरधय

म बठकर म बड़ा ही आहलाददत व परमददत हा आनददत हा रोमााचचत हा

गगा भारत की सषमना नाड़ी ह गगा भारत की सजीवनी ह शरी ववषटरजी क चररो स तनकलकर बरहमाजी क कमणडल व जटाधर क माथ पर शोभायमान गगा तरयोगलसदचधकारक ह ववषटरजी क चररो स तनकली गगा भलकतयोग की परतीतत कराती ह और लशवजी क मसतक पर लसथत गगा जञानयोग की उचचतर भलमका पर आरढ होन की खबर दती ह मझ ऐसा लग रहा ह कक आज बापजी क परवचनो को सनकर म गगा म गोता लगा रहा हा कयोकक उनका परवचन

उनका सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

व अलमसत फकीर ह व बड़ सरल और सहज ह व लजतन ही ऊपर स सरल ह उतन ही अतर म गढ ह उनम दहमालय जसी उचचता पववतरता शरषटठता ह और सागरतल जसी गमभीरता ह व राषटर की अमकय धरोहर ह उनह दखकर ऋवष-परमपरा का बोध होता ह गौतम कराद जलमतन कवपल दाद मीरा कबीर रदास आदद सब कभी-कभी उनम ददखत ह

र भाई कोई सतगर सत कहाव जो ननन अलख लखाव

रती उखाड़ आकाश उखाड़ अ र िड़इया ाव

श नय मशखर क पार मशला पर आसन अचल जिाव

र भाई कोई सतगर सत कहाव

ऐस पावन सालननरधय म हम बठ ह जो बड़ा दलकभ व सहज योगसवरप ह ऐस महापरष क ललए पलकतयाा याद आ रही ह- ति चलो तो चल रती चल अबर चल दतनया

ऐस महापरष चलत ह तो उनक ललए सयक चि तार गरह नकषतर आदद सब अनकल हो जात ह ऐस इलनियातीत गरातीत भावातीत शबदातीत और सब अवसथाओ स पर ककनही महापरष क शरीचररो म जब बठत ह तो भागवत कहता हः सा ना दशयन लोक सवयमसदध कर परि साधओ क दशकनमातर स ववचार ववभतत ववदवता शलकत सहजता तनववकषयता परसननता लसदचधयाा व आसमानद की परालपत होती ह

दश क महान सत यहाा सहज ही आत ह भारत क सभी शकराचायक भी आत ह मर मन म भी ववचार आया कक जहाा सब आत ह वहाा जाना चादहए कयोकक यही वह ठौर-दठकाना ह जहाा मन का अलभमान लमटाया जा सकता ह ऐस महापरषो क दशकन स कवल आनद व मसती ही नही बलकक वह सब कछ लमल जाता ह जो अलभलवषत ह आकाकषकषत ह लकषकषत ह यहाा म कररा कमकठता वववक-वरागय व जञान क दशकन कर रहा हा वरागय और भलकत क रकषर पोषर व सवधकन क ललए यह सपतऋवषयो का उततम जञान जाना जाता ह आज गगा अगर कफर स साकार ददख रही ह तो व बाप जी क ववचार व वारी म ददख रही ह अलमसतता सहजता उचचता शरषटठता पववतरता तीथक-सी शचचता लशश-सी सरलता तररो-सा जोश वदधो-सा गाभीयक और ऋवषयो जसा जञानावबोध मझ जहाा हो रहा ह वह पडाल ह इस आनदगर कहा या परमनगर कररा का सागर कहा या ववचारो का समनदर लककन इतना जरर कहागा कक मर मन का कोना-कोना आहलाददत हो रहा ह आपलोग बड़भागी ह जो ऐस महापरष क शरीचररो म बठ ह जहाा भागय का ददवय वयलकतसव का तनमाकर होता ह जीवन की कतकसयता जहाा परापत हो सकती ह वह यही दर ह

मिल ति मिली िषजल मिला िकसद और िददा भी

न मिल ति तो रह गया िददा िकसद और िषजल भी

आपका यह भावराजय व परमराजय दखकर म चककत भी हा और आनद का भी अनभव कर रहा हा मझ लगता ह कक बाप जी सबक आसमसयक ह आपक परतत मरा ववशवास व अटट तनषटठा बढ इस हत मरा नमन सवीकार कर

सवािी अव शानदजी िहाराज हररदवार

(अनिम) पावन उदगार

भगवननाि का जाद सतशरी आसारामजी बाप क यहाा सबस अचधक जनता आती ह कारर कक इनक पास भगवननाम-सकीतकन का जाद सरल वयवहार परमरसभरी वारी तथा जीवन क मल परशनो का उततर भी ह

षवरकतमशरोिरण शरी वािदवजी िहाराज

सवामी आसारामजी क पास भरातत तोड़न की दलषटट लमलती ह

यगपरि सवािी शरी परिानदजी िहाराज

आसारामजी महाराज ऐसी शलकत क धनी ह कक दलषटटपातमातर स लाखो लोगो क जञानचकष खोलन का मागक परशसत करत ह

लोकलाडल सवािी शरी बरहिानदधगरीजी िहाराज

हमार पजय आसारामजी बाप बहत ही कम समय म ससकतत का जतन और उसथान करन वाल सत ह आचायय शरी धगरीराज ककशोरजी षवशवहहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी क सतसग ि पर ानितरी शरी अिल बबहारी वाजपयीजी क उदगार

पजय बापजी क भलकतरस म डब हए शरोता भाई-बहनो म यहाा पर पजय बापजी का अलभनदन करन आया हा उनका आशीवकचन सनन आया हा भाषर दन य बकबक करन नही आया हा बकबक तो हम करत रहत ह बाप जी का जसा परवचन ह कथा-अमत ह उस

तक पहाचन क ललए बड़ा पररशरम करना पड़ता ह मन पहल उनक दशकन पानीपत म ककय थ वहाा पर रात को पानीपत म पणय परवचन समापत होत ही बापजी कटीर म जा रह थ तब उनहोन मझ बलाया म भी उनक दशकन और आशीवाकद क ललए लालातयत था सत-महासमाओ क दशकन तभी होत ह उनका सालननरधय तभी लमलता ह जब कोई पणय जागत होता ह

इस जनम म मन कोई पणय ककया हो इसका मर पास कोई दहसाब तो नही ह ककत जरर यह पवक जनम क पणयो का फल ह जो बाप जी क दशकन हए उस ददन बापजी न जो कहा वह अभी तक मर हदय-पटल पर अककत ह दशभर की पररिमा करत हए जन-जन क मन म अचछ ससकार जगाना यह एक ऐसा परम राषटरीय कतकवय ह लजसन हमार दश को आज तक जीववत रखा ह और इसक बल पर हम उजजवल भववषटय का सपना दख रह ह उस सपन को साकार करन की शलकत-भलकत एकतर कर रह ह

पजय बापजी सार दश म भरमर करक जागरर का शखनाद कर रह ह सवकधमक-समभाव की लशकषा द रह ह ससकार द रह ह तथा अचछ और बर म भद करना लसखा रह ह

हमारी जो पराचीन धरोहर थी और हम लजस लगभग भलन का पाप कर बठ थ बाप जी हमारी आाखो म जञान का अजन लगाकर उसको कफर स हमार सामन रख रह ह बापजी न कहा कक ईशवर की कपा स कर-कर म वयापत एक महान शलकत क परभाव स जो कछ घदटत होता ह उसकी छानबीन और उस पर अनसधान करना चादहए

पजय बापजी न कहा कक जीवन क वयापार म स थोड़ा समय तनकाल कर सससग म आना चादहए पजय बापजी उजजन म थ तब मरी जान की बहत इचछा थी लककन कहत ह न

कक दान-दान पर खान वाल की मोहर होती ह वस ही सत-दशकन क ललए भी कोई महतक होता ह आज यह महतक आ गया ह यह मरा कषतर ह पजय बाप जी न चनाव जीतन का तरीका भी बता ददया ह

आज दश की दशा ठीक नही ह बाप जी का परवचन सनकर बड़ा बल लमला ह हाल म हए लोकसभा अचधवशन क कारर थोड़ी-बहत तनराशा हई थी ककनत रात को लखनऊ म पणय परवचन सनत ही वह तनराशा भी आज दर हो गयी बाप जी न मानव जीवन क चरम लकषय मलकत-शलकत की परालपत क ललए परषाथक चतषटटय भलकत क ललए समपकर की भावना तथा जञान

भलकत और कमक तीनो का उकलख ककया ह भलकत म अहकार का कोई सथान नही ह जञान अलभमान पदा करता ह भलकत म परक समपकर होता ह 13 ददन क शासनकाल क बाद मन कहाः मरा जो कछ ह तरा ह यह तो बाप जी की कपा ह कक शरोता को वकता बना ददया और वकता को नीच स ऊपर चढा ददया जहाा तक ऊपर चढाया ह वहाा तक ऊपर बना रहा इसकी चचता भी बाप जी को करनी पड़गी

राजनीतत की राह बड़ी रपटीली ह जब नता चगरता ह तो यह नही कहता कक म चगर गया बलकक कहता हः हर हर गग बाप जी का परवचन सनकर बड़ा आनद आया म लोकसभा

का सदसय होन क नात अपनी ओर स एव लखनऊ की जनता की ओर स बाप जी क चररो म ववनमर होकर नमन करना चाहता हा

उनका आशीवाकद हम लमलता रह उनक आशीवाकद स परररा पाकर बल परापत करक हम कतकवय क पथ पर तनरनतर चलत हए परम वभव को परापत कर यही परभ स पराथकना ह

शरी अिल बबहारी वाजपयी पर ानितरी भारत सरकार

परि प जय बाप सत शरी आसारािजी बाप क कपा-परसाद स पररपलाषवत हदयो क उदगार

(अनिम) पावन उदगार

प बाप ः राटरसख क सव यक

पजय बाप दवारा ददया जान वाला नततकता का सदश दश क कोन-कोन म लजतना अचधक परसाररत होगा लजतना अचधक बढगा उतनी ही मातरा म राषटरसख का सवधकन होगा राषटर की परगतत होगी जीवन क हर कषतर म इस परकार क सदश की जररत ह

(शरी लालकटण आडवाणी उपपर ानितरी एव कनरीय गहितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

राटर उनका ऋणी ह भारत क भतपवक परधानमतरी शरी चनिशखर ददकली क सवरक जयनती पाकक म 25 जलाई

1999 को बाप जी की अमतवारी का रसासवादन करन क पशचात बोलः

आज पजय बाप जी की ददवय वारी का लाभ लकर म धनय हो गया सतो की वारी न हर यग म नया सदश ददया ह नयी परररा जगायी ह कलह वविोह और दवष स गरसत वतकमान वातावरर म बाप लजस तरह ससय कररा और सवदनशीलता क सदश का परसार कर रह ह इसक ललए राषटर उनका ऋरी ह (शरी चनरशखर भ तप वय पर ानितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

गरीबो व षपछड़ो को ऊपर उठान क कायय चाल रह गरीबो और वपछड़ो को ऊपर उठान का कायक आशरम दवारा चलाय जा रह ह मझ

परसननता ह मानव-ककयार क ललए ववशषतः परम व भाईचार क सदश क मारधयम स ककय जा रह ववलभनन आरधयालसमक एव मानवीय परयास समाज की उननतत क ललए सराहनीय ह

डॉ एपीजअबदल कलाि राटरपतत भारत गणततर

(अनिम) पावन उदगार

सराहनीय परयासो की सफलता क मलए ब ाई मझ यह जानकर बड़ी परसननता हई ह कक सत शरी आसारामजी आशरम नयास जन-जन

म शातत अदहसा और भरातसव का सदश पहाचान क ललए दश भर म सससग का आयोजन कर रहा ह उसक सराहनीय परयासो की सफलता क ललए म बधाई दता हा

शरी क आर नारायणन ततकालीन राटरपतत भारत गणततर नई हदलली

(अनिम) पावन उदगार

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आरधयालसमक चतना जागत और ववकलसत करन हत भारतीय एव वलशवक समाज म ददवय जञान का जो परकाशपज आपन परसफदटत ककया ह सपरक मानवता उसस आलोककत ह मढता जड़ता दवदव और तरतरतापो स गरसत इस समाज म वयापत अनासथा तथा नालसतकता का ततलमर समापत कर आसथा सयम सतोष और समाधान का जो आलोक आपन तरबखरा ह सपरक

समाज उसक ललए कतजञ ह शरी किलनाथ वारणजय एव उदयोग ितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आप सिाज की सवागीण उननतत कर रह ह आज क भागदौड़ भर सपधाकसमक यग म लपतपराय-सी हो रही आलसमक शातत का आपशरी

मानवमातर को सहज म अनभव करा रह ह आप आरधयालसमक जञान दवारा समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह व उसम धालमकक एव नततक आसथा को सदढ कर रह ह

शरी कषपल मसबबल षवजञान व परौदयोधगकी तथा िहासागर षवकास राजयितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

योग व उचच ससकार मशकषा हत भारतविय आपका धचर-आभारी रहगा

दश ववदश म भारतीय ससकतत की जञानगगाधारा बचच-बचच क ददल-ददमाग म बाप जी क तनदश पर पररचाललत होना शभकर ह ववदयाचथकयो म ससकार लसचन दवारा हमारी ससकतत और नततक लशकषा सदढ बन जायगी दश को ससकाररत बनान क ललए चलाय जान वाल योग व उचच ससकार लशकषा कायकिम हत भारतवषक आप जस महासमाओ का चचरआभारी रहगा

शरी चनरशखर साह गरािीण षवकास राजयिनतरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आपन जो कहा ह हि उसका पालन करग

आज तक कवल सना था कक तरा साई तझि ह लककन आज पजय बाप जी क सससग सनकर आज लगा - िरा साई िझि ह बापजी आपको दखकर ही शलकत आ गयी

आपको सनकर भलकत परकट हो गयी और आपक दशकन और आशीवाकद स मलकत अब सतनलशचत हो गयी पराथकना करता हा कक यही बस जाओ हम बार-बार आपक दशकन करत रह और भलकत

शलकत परापत करत हए मलकत की ओर बढत रह अब हरदय स कभी तनकल न पाओग बाप जी जो भलकत रस की सररता और जञान की गगा आपन बहायी ह वह मरधय परदश वालसयो को हमशा परररा दती रहगी हम तो भकत ह लशषटय ह आपन जो कछ बात कही ह हम उनका पालन करग हम ववशषरप स रधयान रखग कक आपन जो आजञा की ह नीम पीपल आावला जगह-जगह लग और तलसी मया का पौधा हर घर म लहराय उस आजञा का पालन हो कफर मरधय-परदश नदनवन की तरह महकगा

तीन चीज आपस माागता हा ndash सत बदचध सत मागक और सामथयक दना ताकक जनता की सचार रप स सवा कर सका शरी मशवराजमसह चौहान िखयितरी िधयपरदश

(अनिम) पावन उदगार

जब गर क साकषात दशयन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

राजमाता की वजह स महाराज बापजी स हमारा बहत पराना ररशता ह आज रामनवमी क ददन म तो मानती हा कक म तो धनय हो गयी कयोकक सबह स लकर दशकन हो रह ह महाराज आपका आशीवाकद बना रह कयोकक म राज करन क ललए नही आयी धमक और कमक को एक साथ जोड़कर म सवा करन क ललए आयी हा और वह म करती रहागी आप आत रहोग आशीवाकद दत रहोग तो हमम ऊजाक भी पदा होगी आप रासता बतात रहो और इस राजयरपी पररवार की सवा करन की शलकत दत रहो

म माफी चाहती हा कक आपक चररो म इतनी दर स पहाची लककन म मानती हा कक जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा राजय की समसयाएा हल होगी व हम लोग जनसवा क काम कर सक ग वसन राराज मसध या िखयितरी राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी सवयतर ससकार रोहर को पहचान क मलए अथक तपशचयाय कर रह ह

पजय बाप जी आप दश और दतनया ndash सवकतर ऋवष-परमपरा की ससकार-धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह अनक यगो स चलत आय मानव-ककयार क इस तपशचयाक-यजञ म आप अपन पल-पल की आहतत दत रह ह उसम स जो ससकार की ददवय जयोतत परकट हई ह उसक परकाश म म और जनता ndash सब चलत रह ह म सतो क आशीवाकद स जी रहा हा म यहाा इसललए आया हा कक लासनस ररनय हो जाय जस नवला अपन घर म जाकर औषचध साघकर ताकत लकर आता ह वस ही म समय तनकाल कर ऐसा अवसर खोज लता हा

शरी नरनर िोदी िखयितरी गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपक दशयनिातर स िझ अदभत शषकत मिलती ह पजय बाप जी क ललए मर ददल म जो शरदधा ह उसको बयान करन क ललए मर पास

कोई शबद नही ह आज क भटक समाज म भी यदद कछ लोग सनमागक पर चल रह ह तो यह इन महापरषो क अमतवचनो का ही परभाव ह बापजी की अमतवारी का ववशषकर मझ पर तो बहत परभाव पड़ता ह मरा तो मन करता ह कक बाप जी जहाा कही भी हो वही पर उड़कर उनक दशकन करन क ललए पहाच जाऊा व कछ पल ही सही उनक सालननरधय का लाभ ला आपक दशकनमातर स ही मझ एक अदभत शलकत लमलती ह शरी परकाश मसह बादल िखयितरी पजाब

(अनिम) पावन उदगार

हि सभी का कतयवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल हम सबका परम सौभागय ह कक बाप जी क दशकन हए कल आपस मलाकात हई

आशीवाकद लमला मागकदशकन भी लमला और इशारो-इशारो म आपन वह सब कछ जो सदगरदव एक लशषटय को बता सकत ह मर जस एक लशषटय को आशीवाकद रप म परदान ककया आपक आशीवाकद

व कपादलषटट स छततीसगढ म सख-शातत व समदचध रह यहाा क एक-एक वयलकत क घर म ववकास की ककरर आय

आपन जो जञानोपदश ददया ह हम सभी का कतकवय होगा कक उस रासत पर चल बापजी स खासतौर स पीपल नीम आावला व तलसी क वकष लगान क बार म कहा ह हम इस पर ववशषरप स रधयान रखग डॉ रिन मसह िखयितरी छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

आपका ितर हः आओ सरल रासता हदखाऊ राि को पान क मलए

पजय बाबा आसारामजी बाप आपका नाम आसारामजी बाप इसललए तनकला ह कयोकक आपका यही मतर ह कक आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए आज हम धनय ह कक सससग म आय सससग उस कहत ह लजसक सग म हम सत हो जाय पजय बाप जी न हम भगवान को पान का सरल रासता ददखाया ह इसललए म जनता की ओर स बापजी का धनयवाद करता हा शरी ईएसएल नरमसमहन राजयपाल छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

सतो क िागयदशयन ि दश चलगा तो आबाद होगा पजय बाप जी म कमकयोग भलकतयोग तथा जञानयोग तीनो का ही समावश ह आप

आज करोड़ो-करोड़ो भकतो का मागकदशकन कर रह ह सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा म तो बड़-बड़ नताओ स यही कहता हा कक आप सतो का आशीवाकद जरर लो इनक चररो म अगर रहग तो सतता रहगी दटकगी तथा उसी स धमक की सथापना होगी

शरी अशोक मसघल अधयकष षवशव हहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

सतय का िागय कभी न छ ि ऐसा आशीवायद दो

हम आपक मागकदशकन की जररत ह वह सतत लमलता रह आपन हमार कधो पर जो जवाबदारी दी ह उस हम भली परकार तनभाय बर मागक पर न जाय ससय क मागक पर चल लोगो की अचछ ढग स सवा कर ससकतत की सवा कर ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

शरी उद व ठाकर काययकारी अधयकष मशवसना

(अनिम) पावन उदगार

पणयोदय पर सत सिागि

जीवन की दौड़-धप स कया लमलता ह यह हम सब जानत ह कफर भी भौततकवादी ससार म हम उस छोड़ नही पात सत शरी आसारामजी जस ददवय शलकतसमपनन सत पधार और हमको आरधयालसमक शातत का पान कराकर जीवन की अधी दौड़ स छड़ाय ऐस परसग कभी-कभी ही परापत होत ह य पजनीय सतशरी ससार म रहत हए भी परकतः ववशवककयार क ललए चचनतन करत ह कायक करत ह लोगो को आनदपवकक जीवन वयतीत करन की कलाएा और योगसाधना की यलकतयाा बतात ह

आज उनक समकष थोड़ी ही दर बठन स एव सससग सनन स हमलोग और सब भल गय ह तथा भीतर शातत व आनद का अनभव कर रह ह ऐस सतो क दरबार म पहाचना पणयोदय का फल ह उनह सनकर हमको लगता ह कक परततददन हम ऐस सससग क ललए कछ समय अवशय तनकालना चादहए पजय बाप जी जस महान सत व महापरष क सामन म अचधक कया कहा चाह कछ भी कहा वह सब सयक क सामन चचराग ददखान जसा ह

शरी िोतीलाल वोरा अरखल भारतीय कागरस कोिाधयकष प वय िखयितरी (िपर) प वय राजयपाल (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी जहा नही होत वहा क लोगो क मलए भी बहत कछ करत ह

सार दश क लोग पजय बापजी क आशीवकचनो की पावन गगा म नहा कर धनय हो रह ह आज बापजी यहाा उड़ीसा म सससग-अमत वपलान क ललए उपलसथत ह व जब यहाा नही होत

ह तब भी उड़ीसा क लोगो क बहत कछ करत ह उनको सब समय याद करत ह उड़ीसा क दररिनारायरो की तन-मन-धन स सवा दर-दराज म भी चलात ह

शरी जानकीवललभ पिनायक िखयितरी उड़ीसा

(अनिम) पावन उदगार

जीवन की सचची मशकषा तो प जय बाप जी ही द सकत ह बापजी ककतन परमदाता ह कक कोई भी वयलकत समाज म दःखी न रह इसललए सतत

परयसन करत रहत ह म हमशा ससकार चनल चाल करक आपक आशीवाकद लन क बाद ही सोती हा जीवन की सचची लशकषा तो हम भी नही द पा रह ह ऐसी लशकषा तो पजय सत शरी आसारामजी बाप जस सत लशरोलमरी ही द सकत ह

आनदीबहन पिल मशकषाितरी (प वय) राजसव एव िागय व िकान ितरी (वतयिान) गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपकी कपा स योग की अणशषकत पदा हो रही ह अनक परकार की ववकततयाा मानव क मन पर सामालजक जीवन पर ससकार और

ससकतत पर आिमर कर रही ह वसततः इस समय ससकतत और ववकतत क बीच एक महासघषक चल रहा ह जो ककसी सरहद क ललए नही बलकक ससकारो क ललए लड़ा जा रहा ह इसम ससकतत को लजतान का बम ह योगशलकत ह गरदव आपकी कपा स इस योग की ददवय अरशलकत लाखो लोगो म पदा हो रही ह य ससकतत क सतनक बन रह ह

गरदव म आपस पराथकना करता हा कक शासन क अदर भी धमक और वरागय क ससकार उसपनन हो आपस आशीवाकद परापत करन क ललए म आपक चररो म आया हा

(शरी अशोकभाई भटि कान नितरी गजरात राजय)

(अनिम) पावन उदगार

रती तो बाप जस सतो क कारण हिकी ह

मझ सससग म आन का मौका पहली बार लमला ह और पजय बापजी स एक अदभत बात मझ और आप सब को सनन को लमली ह वह ह परम की बात इस सलषटट का जो मल तवव ह वह ह परम यह परम नाम का तवव यदद न हो तो सलषटट नषटट हो जाएगी लककन ससार म कोई परम करना नही जानता या तो भगवान पयार करना जानत ह या सत पयार करना जानत ह लजसको ससारी लोग अपनी भाषा म परम कहत ह उसम तो कही-न-कही सवाथक जड़ा होता ह लककन भगवान सत और गर का परम ऐसा होता ह लजसको हम सचमच परम की पररभाषा म बााध सकत ह म यह कह सकती हा कक साध सतो को दश की सीमाएा नही बााधती जस नददयो की धाराएा दश और जातत की सीमाओ म नही बााधती उसी परकार परमासमा का परम और सतो का आशीवाकद भी कभी दश जातत और सपरदाय की सीमाओ म नही बधता कललयग म हदय की तनषटकपटता तनःसवाथक परम सयाग और तपसया का कषय होन लगा ह कफर भी धरती दटकी ह तो बाप इसललए कक आप जस सत भारतभलम पर ववचरर करत ह बाप की कथा म ही मन यह ववशषता दखी ह कक गरीब और अमीर दोनो को अमत क घाट एक जस पीन को लमलत ह यहाा कोई भदभाव नही ह

(सशरी उिा भारती िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

ि किनसीब ह जो इतन सिय तक गरवाणी स वधचत रहा परम पजय गरदव क शरी चररो म सादर परराम मन अभी तक महाराजशरी का नाम

भर सना था आज दशकन करन का अवसर लमला ह लककन म अपन-आपको कमनसीब मानता हा कयोकक दर स आन क कारर इतन समय तक गरदव की वारी सनन स वचचत रहा अब मरी कोलशश रहगी कक म महाराजशरी की अमतवारी सनन का हर अवसर यथासमभव पा सका म ईशवर स यही पराथकना करता हा कक व हम ऐसा मौका द कक हम गर की वारी को सनकर अपन-आपको सधार सक गर जी क शरी चररो म सादर समवपकत होत हए मरधयपरदश की जनता की ओर स पराथकना करता हा कक गरदव आप इस मरधयपरदश म बार-बार पधार और हम लोगो को आशीवाकद दत रह ताकक परमाथक क उस कायक म जो आपन पर दश म ही नही दश क बाहर भी फलाया ह मरधयपरदश क लोगो को भी जड़न का जयादा-स-जयादा अवसर लमल

(शरी हदषगवजय मसह ततकालीन िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

इतनी ि र वाणी इतना अदभत जञान म अपनी ओर स तथा यहाा उपलसथत सभी महानभावो की ओर स परम शरदधय

सतलशरोमखर बाप जी का हाददकक सवागत करता हा मन कई बार टीवी पर आपको दखा सना ह और ददकली म एक बार आपका परवचन भी सना ह इतनी मधर वारी इतना मधर जञान अगर आपक परवचन पर गहराई स ववचार करक अमल ककया जाय तो इनसान को लजदगी म सही रासता लमल सकता ह व लोग धन भागी ह जो इस यग म ऐस महापरष क दशकन व सससग स अपन जीवन-समन खखलात ह

(शरी भजनलाल ततकालीन िखयितरी हररयाणा)

(अनिम) पावन उदगार

सतसग शरवण स िर हदय की सफाई हो गयी पजयशरी क दशकन करन व आशीवाकद लन हत आय हए उततरपरदश क तसकालीन राजयपाल

शरी सरजभान न कहाः समशानभलम स आन क बाद हम लोग शरीर की शदचध क ललए सनान कर लत ह ऐस ही ववदशो म जान क कारर मझ पर दवषत परमार लग जात थ परत वहाा स लौटन क बाद यह मरा परम सौभागय ह कक यहाा महाराज शरी क दशकन व पावन सससग-शरवर करन स मर चचतत की सफाई हो गयी ववदशो म रह रह अनको भारतवासी पजय बाप क परवचनो को परसयकष या परोकष रप स सन रह ह मरा यह सौभागय ह कक मझ यहाा महाराजशरी को सनन का सअवसर परापत हआ

(शरी स रजभान ततकालीन राजयपाल उततरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी उततराचल राजय का सौभागय ह कक इस दवभमी म दवता सवरप पजय बापजी का आशरम बन रहा ह | आप ऐसा आशरम बनाय जसा कही भी न हो | यह हम लोगो का सौभागय ह कक अब पजय बापजी की जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी ह | अब गगा जाकर दशकन करन व सनान करन की उतनी आवशयकता नही ह लजतनी सत शरी आसारामजी बाप क चररो म बठकर

उनक आशीवाकद लन की ह |

-शरी तनतयानद सवािीजी

ततकालीन िखयितरी उततराचल

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी क सतसग स षवशवभर क लोग लाभाषनवत भारतभलम सदव स ही ऋवष-मतनयो तथा सत-महासमाओ की भलम रही ह लजनहोन ववशव

को शातत एव अरधयासम का सदश ददया ह आज क यग म पजय सत शरी आसारामजी अपनी अमतवारी दवारा ददवय आरधयालसमक सदश द रह ह लजसस न कवल भारत वरन ववशवभर म लोग लाभालनवत हो रह ह

(शरी सरजीत मसह बरनाला राजयपाल आनरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

प री डडकशनरी याद कर षवशव ररकॉडय बनाया ऑकसफोडक एडवास लनकसक डडकशनरी (अगरजी छठा ससकरर) क 80000 शबदो को उनकी

पषटठ सखया सदहत मन याद कर ललया जो कक समसत ववशव क ललए ककसी चमसकार स कम नही ह फलसवरप मरा नाम ललमका बक ऑफ वकडक ररकॉडकस म दजक हो गया यही नही जी टीवी पर ददखाय जान वाल ररयाललटी शो म शाबाश इडडया म भी मन ववशव ररकॉडक बनाया द वीक पतरतरका क एक सवकषर म भी मरा नाम 25 अदभत वयलकतयो की सची म ह

मझ पजय गरदव स मतरदीकषा परापत होना भरामरी परारायाम सीखन को लमलना तथा अपनी कमजोरी को ही महानता परापत करन का साधन बनान की परररा कला बल एव उससाह परापत होना ndash यह सब तो गरदव की अहतकी कपा का ही चमसकार ह गरकपा ही कवल मशटयसय पर िगलि

षवरनर िहता अजयन नगर रोहतक (हरर)

(अनिम) पावन उदगार

ितरदीकषा व यौधगक परयोगो स बदध का अपरतति षवकास

पहल म एक साधारर छातर था मझ लगभग 50-55 परततशत अक ही लमलत थ 11वी ककषा म तो ऐसी लसथतत हई कक सकल का नाम खराब न हो इसललए परधानारधयापक न मर अलभभावको को बलाकर मझ सकल स तनकाल दन तक की बात कही थी बाद म मझ पजय बाप जी स सारसवसय मतर की दीकषा लमली इस मतर क जप व बापजी दवारा बताय गय परयोगो क अभयास स कछ ही समय म मरी बदचधशलकत का अपरततम ववकास हआ तसपशचात नोककया मोबाइल कपनी म गलोबल सववकसस परोडकट मनजर क पद पर मरी तनयलकत हई और मन एक पसतक ललखी जो अतराकषटरीय कपतनयो को सकयलर नटवकक की डडजाईन बनान म उपयोगी हो रही ह एक ववदशी परकाशन दवारा परकालशत इस पसतक की कीमत 110 डॉलर (करीब 4500 रपय) ह इसक परकाशन क बाद मरी पदोननती हई और अब ववशव क कई दशो म मोबाइल क कषतर म परलशकषर दन हत मझ बलात ह कफर मन एक और पसतक ललखी लजसकी 150 डॉलर (करीब 6000 रपय) ह यह पजयशरी स परापत सारसवसय मतरदीकषा का ही पररराम ह

अजय रजन मिशरा जनकपरी हदलली

(अनिम) पावन उदगार

सतसग व ितरदीकषा न कहा स कहा पहचा हदया पहल म भस चराता था रोज सबह रात की रखी रोटी पयाज नमक और मोतरबल ऑयल

क डडबब म पानी लकर तनकालता व दोपहर को वही खाता था आचथकक लसथतत ठीक न होन स टायर की ढाई रपय वाली चपपल पहनता था

12वी म मझ कवल 60 परततशत अक परापत हए थ उसक बाद मन इलाहाबाद म इजीतनयररग म परवश ललया तब म अजञानवश सतो का ववरोध करता था सतो क ललए जहर उगलन वाल मखो क सग म आकर म कछ-का-कछ बकता था लककन इलाहाबाद म पजय बाप जी का सससग आयोलजत हआ तो सोचा 5 लमनट बठत ह वहाा बठा तो बठ ही गया कफर मझ बापजी दवारा सारसवसय मतर लमला मरी सझबझ म सदगर की कपा का सचार हआ मन सववचध मतर-अनषटठान ककया छठ ददन मर आजञाचि म कमपन होन लगा था म एक साल तक

एकादशी क तनजकल वरत व जागरर करत हए शरी आसारामायर शरी ववषटर सहसरनाम गजनिमोकष का पाठ व सारसवसय मतर का जप करता था रात भर म यही पराथकना करता था बस परभ मझ गर जी स लमला दो

परभकपा स अब मरा उददशय परा हो गया ह इस समय म गो एयर (हवाई जहाज कमपनी) म इजीतनयर हा महीन भर का करीब एक लाख 80 हजार पाता हा कछ ददनो म तनखवाह ढाई लाख हो जायगी गर जी न भस चरान वाल एक गरीब लड़क को आज लसथतत म पहाचा ददया ह

कषकषततज सोनी (एयरकराफि इजीतनयर) हदलली

(अनिम) पावन उदगार

5 विय क बालक न चलायी जोरखि भरी सड़को पर कार

मन पजय बापजी स सारसवसय मतर की दीकषा ली ह जब म पजा करता हा बापजी मरी तरफ पलक झपकात ह म बापजी स बात करता हा म रोज दस माला करता हा म बापजी स जो माागता हा वह मझ लमल जाता ह मझ हमशा ऐसा एहसास होता ह कक बापजी मर साथ ह

5 जलाई 2005 को म अपन दोसतो क साथ खल रहा था मरा छोटा भाई छत स नीच चगर गया उस समय हमार घर म कोई बड़ा नही था इसललए हम सब बचच डर गय इतन म पजय बापजी की आवाज आयी कक ताश इस वन म तरबठा और वन चलाकर हॉलसपटल ल जा उसक बाद मन अपनी दीददयो की मदद स दहमाश को वन म ललटाया गाड़ी कसी चली और असपताल कस पहाची मझ नही पता मझ रासत भर ऐसा एहसास रहा कक बापजी मर साथ बठ ह और गाड़ी चलवा रह ह (घर स असपताल का 5 ककमी स अचधक ह)

ताश बसोया राजवीर कॉलोनी हदलली ndash 16

(अनिम) पावन उदगार

ऐस सतो का षजतना आदर ककया जाय कि ह

ककसी न मझस कहा थाः रधयान की कसट लगाकर सोयग तो सवपन म गरदव क दशकन होगrsquo

मन उसी रात रधयान की कसट लगायी और सनत-सनत सो गया उस वकत रातरतर क बारह-साढ बारह बज होग वकत का पता नही चला ऐसा लगा मानो ककसी न मझ उठा ददया म गहरी नीद स उठा एव गर जी की लपवाल फोटो की तरफ टकटकी लगाकर एक-दो लमनट तक दखता रहा इतन म आशचयक टप अपन-आप चल पड़ी और कवल य तीन वाकय सनन को लमलः lsquoआसमा चतनय ह शरीर जड़ ह शरीर पर अलभमान मत करोrsquo

टप सवतः बद हो गयी और पर कमर म यह आवाज गाज उठी दसर कमर म मरी पसनी की भी आाख खल गयी और उसन तो यहाा तक महसस ककया जस कोई चल रहा ह व गरजी क लसवाय और कोई नही हो सकत

मन कमर की लाइट जलायी और दौड़ता हआ पसनी क पास गया मन पछाः lsquoसनाrsquo वह बोलीः lsquoहााrsquo

उस समय सबह क ठीक चार बज थ सनान करक म रधयान म बठा तो डढ घणट तक बठा रहा इतना लबा रधयान तो मरा कभी नही लगा इस घटना क बाद तो ऐसा लगता ह कक गरजी साकषात बरहमसवरप ह उनको जो लजस रप म दखता ह वस व ददखत ह

मरा लमतर पाशचासय ववचारधारावाला ह उसन गरजी का परवचन सना और बोलाः lsquoमझ तो य एक बहत अचछ लकचरर लगत हrsquo

मन कहाः lsquoआज जरर इस पर गरजी कछ कहगrsquo

यह सरत आशरम म मनायी जा रही जनमाषटटमी क समय की बात ह हम कथा म बठ गरजी न कथा क बीच म ही कहाः lsquoकछ लोगो को म लकचरर ददखता हा कछ को lsquoपरोफसरrsquo ददखता हा कछ को lsquoगरrsquo ददखता हा और वसा ही वह मझ पाता हrsquo

मर लमतर का लसर शमक स झक गया कफर भी वह नालसतक तो था ही उसन हमार तनवास पर मजाक म गरजी क ललए कछ कहा तब मन कहाः यह ठीक नही ह अबकी बार मान जा नही तो गर जी तझ सजा दग

15 लमनट म ही उसक घर स फोन आ गया कक बचच की तबीयत बहत खराब ह उस असपताल म दाखखल करना पड़ रहा ह

तब मर लमतर की सरत दखन लायक थी वह बोलाः गकती हो गयी अब म गर जी क ललए कछ नही कहागा मझ चाह ववशवास हो या न हो

अखबारो म गर जी की तनदा ललखनवाल अजञानी लोग नही जानत कक जो महापरष भारतीय ससकतत को एक नया रप द रह ह कई सतो की वाखरयो को पनजीववत कर रह ह लोगो क शराब-कबाब छड़वा रह ह लजनस समाज का ककयार हो रहा ह उनक ही बार म हम हलकी बात ललख रह ह यह हमार दश क ललए बहत ही शमकजनक बात ह ऐस सतो का तो लजतना आदर ककया जाय वह कम ह गरजी क बार म कछ भी बखान करन क ललए मर पास शबद नही ह

(डॉ सतवीर मसह छाबड़ा बीबीईएि आकाशवाणी इनदौर)

(अनिम) पावन उदगार

िझ तनवययसनी बना हदया म वपछल कई वषो स तमबाक का वयसनी था और इस दगकर को छोड़न क ललए मन

ककतन ही परयसन ककय पर म तनषटफल रहा जनवरी 1995 म पजय बाप जब परकाशा आशरम (महा) पधार तो म भी उनक दशकनाथक वहाा पहाचा और उनस अनऱोध ककयाः

बाप ववगत 32 वषो स तमबाक का सवन कर रहा हा अनक परयसनो क बाद भी इस दगकर स म मकत न हो सका अब आप ही कपा कीलजएrsquo

पजय बाप न कहाः lsquoलाओ तमबाक की डडबबी और तीन बार थककर कहो कक आज स म तमबाक नही खाऊा गाrsquo

मन पजय बाप जी क तनदशानसार वही ककया और महान आशचयक उसी ददन स मरा तमबाक खान का वयसन छट गया पजय बाप की ऐसी कपादलषटट हई कक वषक परा होन पर भी मझ कभी तमबाक खान की तलब नही लगी

म ककन शबदो म पजय बाप का आभार वयकत करा मर पास शबद ही नही ह मझ आननद ह कक इन राषटरसत न बरबाद व नषटट होत हए मर जीवन को बचाकर मझ तनवयकसनी ददया

(शरी लखन भिवाल षज मलया िहाराटर)

(अनिम) पावन उदगार

गरजी की तसवीर न पराण बचा मलय

कछ ही ददनो पहल मरा दसरा बटा एम ए पास करक नौकरी क ललय बहत जगह घमा बहत जगह आवदन-पतर भजा ककनत उस नौकरी नही लमली | कफर उसन बापजी स दीकषा ली | मन आशरम का कछ सामान कसट सतसादहसय लाकर उसको दत हए कहा शहर म जहाा मददर ह जहाा मल लगत ह तथा जहाा हनमानजी का परलसदध दकषकषरमखी मददर ह वहा सटाल लगाओ | बट न सटाल लगाना शर ककया | ऐस ही एक सटाल पर जलगाव क एक परलसदध वयापारी अगरवालजी आय बापजी की कछ कसट खरीदी और ईशवर की ओर नामक पसतक भी साथ म ल गय पसतक पढी और कसट सनी | दसर ददन व कफर आय और कछ सतसादहसय खरीद कर ल गय व पान क थोक वविता ह | उनको पान खान की आदत ह | पसतक पढकर उनह लगा म पान छोड़ दा | उनकी दकान पर एक आदमी आया | पाचसौ रपयो का सामान खरीदा और उनका फोन नमबर ल गया | एक घट क बाद उसन दकान पर फोन ककया सठ अगरवालजी मझ आपका खन करन का काम सौपा गया था | काफी पस (सपारी) भी ददय गय थ और म तयार भी हो गया था पर जब म आपकी दकान पर पहचा तो परम पजय सत शरी आसारामजी बाप क चचतर पर मरी नजर पड़ी | मझ ऐसा लगा मानो साकषात बाप बठ हो और मझ नक इनसान बनन की परररा द रह हो गरजी की तसवीर न (तसवीर क रप म साकषात गरदव न आकर) आपक परार बचा ललय | अदभत चमसकार ह ममबई की पाटी न उसको पस भी ददय थ और वह आया भी था खन करन क इराद स परनत जाको राख साइयाा चचतर क दवार भी अपनी कपा बरसान वाल ऐस गरदव क परसयकष दशकन करन क ललय वह यहाा भी आया ह |

-बालकटण अगरवाल

जलगाव िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

सदगर मशटय का साथ कभी नही छोड़त एक रात म दकान स सकटर दवारा अपन घर जा रहा था | सकटर की डडककी म काफी

रपय रख हए थ | जयो ही घर क पास पहचा तो गली म तीन बदमाश लमल | उनहोन मझ घर ललया और वपसतौल ददखायी | सकटर रकवाकर मर लसर पर तमच का बट मार ददया और धकक मार कर मझ एक तरफ चगरा ददया | उनहोन सोचा होगा कक म अकला ह पर लशषटय जब सदगर स मतर लता ह शरदधा-ववशवास रखकर उसका जप करता ह तब सदगर उसका साथ नही छोड़त |

मन सोचा डडककी म बहत रपय ह और य बदमाश तो सकटर ल जा रह ह | मन गरदव स पराथकना की | इतन म व तीनो बदमाश सकटर छोड़कर थला ल भाग | घर जाकर खोला होगा तो सबजी और खाली दटकफ़न दखकर लसर कटा पता नही पर बड़ा मजा आया होगा | मर पस बच गयउनका सबजी का खचक बच गया |

-गोकलचनर गोयल

आगरा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स अ ापन द र हआ

मझ गलकोमा हो गया था | लगभग पतीस साल स यह तकलीफ़ थी | करीब छः साल तक तो म अधा रहा | कोलकाता चननई आदद सब जगहो पर गया शकर नतरालय म भी गया ककनत वहा भी तनराशा हाथ लगी | कोलकाता क सबस बड़ नतर-ववशषजञ क पास गया | उसन भी मना कर ददया और कहा | धरती पर ऐसा कोई इनसान नही जो तमह ठीक कर सक | लककन सरत आशरम म मझ गरदव स मतर लमला | वह मतर मन खब शरदधा-ववशवासपवकक जपा कयोकक सकषात बरहमसवरप गरदव स वह मतर लमला था | करीब छः-सात महीन ही जप हआ था कक मझ थोड़ा-थोड़ा ददखायी दन लगा | डॉकटर कहत थ कक तमको भरातत हो गयी ह पर मझ तो अब भी अचछी तरह ददखता ह | एक बार एक अनय भयकर दघकटना स भी गरदव न मझ बचाया था |

ऐस गरदव का ॠर हम जनमो-जनमो तक नही चका सकत |

-शकरलाल िहशवरी कोलकाता

(अनिम) पावन उदगार

और डकत घबराकर भाग गय

१४ जलाई ९९ को करीब साढ तीन बज मर मकान म छः डकत घस आय और उस समय दभाकगय स बाहर का दरवाजा खला हआ था | दो डकत बाहर मारतत चाल रखकर खड़ थ |

एक डकत न धकका दकर मरी माा का माह बद कर ददया और अलमारी की चाबी माागन लगा |

इस घटना क दौरान म दकान पर था | मरी पसनी को भी डकत धमकान लग और आवाज न करन को कहा | मरी पसनी न पजय बापजी क चचतर क सामन हाथ जोड़कर पराथकना की अब आप ही रकषा करो इतना ही कहा तो आशचयक आशचयक परम आशचयक व सब डकत घबराकर भागन लग | उनकी हड़बड़ाहट दखकर ऐसा लग रहा था मानो उनह कछ ददखायी नही द रहा था | व भाग गय | मरा पररवार गरदव का ॠरी ह | बापजी क आशीवाकद स सब सकशल ह |

हमन १५ नवमबर ९८ को वारारसी म मतरदीकषा ली थी |

-िनोहरलाल तलरजा

४ झललाल नगर मशवाजी नगर

वाराणसी

(अनिम) पावन उदगार

ितर दवारा ितदह ि पराण-सचार

म शरी योग वदानत सवा सलमतत आमट स जीप दवारा रवाना हआ था | ११ जलाई १९९४ को मरधयानह बारह बज हमारी जीप ककसी तकनीकी तरदट क कारर तनयतरर स बाहर होकर तीन पलकटयाा खा गयी | मरा परा शरीर जीप क नीच दब गया | ककसी तरह मझ बाहर तनकाला गया |

एक तो दबला पतला शरीर और ऊपर स परी जीप का वजन ऊपर आ जान क कारर मर शरीर क परसयक दहसस म असहय ददक होन लगा | मझ पहल तो कसररयाजी असपताल म दाखखल कराया गया | जयो-जयो उपचार ककया गया कषटट बढता ही गया कयोकक चोट बाहर नही शरीर क भीतरी दहससो म लगी थी और भीतर तक डॉकटरो का कोई उपचार काम नही कर रहा था | जीप क नीच दबन स मरा सीना व पट ववशष परभाववत हए थ और हाथ-पर म कााच क टकड़ घस गय थ | ददक क मार मझ साास लन म भी तकलीफ हो रही थी | ऑकसीजन ददय जान क बाद भी दम घट रहा था और मसय की घडडयाा नजदीक ददखायी पड़न लगी | म मररासनन लसथतत म

पहाच गया | मरा मसय-परमारपतर बनान की तयाररयाा कक जान लगी व मझ घर ल जान को कहा गया | इसक पवक मरा लमतर पजय बाप स फ़ोन पर मरी लसथतत क समबनध म बात कर चका था | परारीमातर क परम दहतषी दयाल सवभाव क सत पजय बाप न उस एक गपत मतर परदान करत हए कहा था कक पानी म तनहारत हए इस मतर का एक सौ आठ बार (एक माला) जप करक वह पानी मनोज को एव दघकटना म घायल अनय लोगो को भी वपला दना | जस ही वह अलभमतरतरत जल मर माह म डाला गया मर शरीर म हलचल होन क साथ ही वमन हआ | इस अदभत चमसकार स ववलसमत होकर डॉकटरो न मझ तरत ही ववशष मशीनो क नीच ल जाकर ललटाया |

गहन चचककससकीय परीकषर क बाद डॉकटरो को पता चला कक जीप क नीच दबन स मरा परा खन काला पड़ गया था तथा नाड़ी-चालन (पकस) हदयगतत व रकत परवाह भी बद हो चक थ |

मर शरीर का समपरक रकत बदल ददया गया तथा आपरशन भी हआ | उसक ७२ घट बाद मझ होश आया | बहोशी म मझ कवल इतना ही याद था की मर भीतर पजय बाप दवारा परदतत गरमतर का जप चल रहा ह | होश म आन पर डॉकटरो न पछा तम आपरशन क समय बापबाप पकार रह थ | य बाप कौन ह मन बताया व मर गरदव परातः समररीय परम पजय सत शरी असारामजी बाप ह | डॉकटरो न पनः मझस परशन ककया कया तम कोई वयायाम करत हो मन कहा म अपन गरदव दवारा लसखायी गयी ववचध स आसन व परारायाम करता हा | व बोल इसीललय तमहार इस दबल-पतल शरीर न यह सब सहन कर ललया और तम मरकर भी पनः लजनदा हो उठ दसरा कोई होता तो तरत घटनासथल पर ही उसकी हडडडयाा बाहर तनकल जाती और वह मर जाता | मर शरीर म आठ-आठ नललयाा लगी हई थी | ककसीस खन चढ रहा था तो ककसी स कतरतरम ऑकसीजन ददया जा रहा था | यदयवप मर शरीर क कछ दहससो म अभी-भी कााच क टकड़ मौजद ह लककन गरकपा स आज म परक सवसथ होकर अपना वयवसाय व गरसवा दोनो कायक कर रह हा | मरा जीवन तो गरदव का ही ददया हआ ह | इन मतरदषटटा महवषक न उस ददन मर लमतर को मतर न ददया होता तो मरा पनजीवन तो समभव नही था | पजय बाप मानव-दह म ददखत हए भी अतत असाधारर महापरष ह | टललफ़ोन पर ददय हए उनक एक मतर स ही मर मत शरीर म पनः परारो का सचार हो गया तो लजन पर बाप की परसयकष दलषटट पड़ती होगी व लोग ककतन भागयशाली होत होग ऐस दयाल जीवनदाता सदगर क शरीचररो म कोदट-कोदट दडवत परराम

-िनोज किार सोनी

जयोतत िलसय लकषिी बाजार आिि राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस मिली मरी दादहनी आाख स कम ददखायी दता था तथा उसम तकलीफ़ भी थी | रधयानयोग

लशववर ददकली म पजय गरदव मवा बााट रह थ तब एक मवा मरी दादहनी आाख पर आ लगा |

आाख स पानी तनकलन लगा | पर आशचयक दसर ही ददन स आाख की तकलीफ लमट गयी और अचछी तरह ददखायी दन लगा | -राजकली दवी

असनापर लालगज अजारा षज परतापगढ़ उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

बड़दादा की मिटिी व जल स जीवनदान

अगसत ९८ म मझ मलररया हआ | उसक बाद पीललया हो गया | मर बड़ भाई न आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म स पीललया का मतर पढकर पीललया तो उतार ददया परत कछ ही ददनो बाद अगरजी दवाओ क ररएकषन स दोनो ककडतनयाा फल (तनलषटिय) हो गई | मरा हाटक (हदय) और लीवर (यकत) भी फल होन लग | डॉकटरो न तो कह ददया यह लड़का बच नही सकता | कफर मझ गोददया स नागपर हॉलसपटल म ल जाया गया लककन वहाा भी डॉकटरो न जवाब द ददया कक अब कछ नही हो सकता | मर भाई मझ वही छोड़कर सरत आशरम आय

वदयजी स लमल और बड़दादा की पररिमा करक पराथकना की तथा वहाा की लमटटी और जल ललया | ८ तारीख को डॉकटर मरी ककडनी बदलन वाल थ | जब मर भाई बड़दादा को पराथकना कर रह थ तभी स मझ आराम लमलना शर हो गया था | भाई न ७ तारीख को आकर मझ बड़दादा कक लमटटी लगाई और जल वपलाया तो मरी दोनो ककडनीयाा सवसथ हो गयी | मझ जीवनदान लमल गया | अब म तरबककल सवसथ हा |

-परवीण पिल

गोहदया िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप न फ का कपा-परसाद

कछ वषक पवक पजय बाप राजकोट आशरम म पधार थ | मझ उन ददनो तनकट स दशकन करन का सौभागय लमला | उस समय मझ छाती म एनजायना पकसटोररस क कारर ददक रहता था | सससग परा होन क बाद कछ लोग पजय बाप क पास एक-एक करक जा रह थ | म कछ फल-फल नही लाया था इसललए शरदधा क फल ललय बठा था | पजय बाप कपा-परसाद फ क रह थ कक इतन म एक चीक मरी छाती पर आ लगा और छाती का वह ददक हमशा क ललए लमट गया |

-अरषवदभाई वसावड़ा

राजकोि

(अनिम) पावन उदगार

बिी न िनौती िानी और गरकपा हई

मरी बटी को शादी ककय आठ साल हो गय थ | पहली बार जब वह गभकवती हई तब बचचा पट म ही मर गया | दसरी बार बचची जनमी पर छः महीन म वह भी चल बसी | कफर मरी पसनी न बटी स कहा अगर त सककप कर कक जब तीसरी बार परसती होगी तब तम बालक की जीभ पर बापजी क बतान क मतातरबक lsquoॐrsquo ललखोगी तो तरा बालक जीववत रहगा ऐसा मझ ववशवास ह कयोकक ॐकार मतर म परमानदसवरप परभ ववराजमान ह | मरी बटी न इस परकार मनौती मानी और समय पाकर वह गभकवती हई | सोनोगराफ़ी करवायी गयी तो डॉकटरो न बताया गभक म बचची ह और उसक ददमाग म पानी भरा हआ ह | वह लजदा नही रह सकगी |

गभकपात करवा दो | मरी बटी न अपनी माा स सलाह की | उसकी माा न कहा गभकपात का महापाप नही करवाना ह | जो होगा दखा जायगा | गरदव कपा करग | जब परसती हई तो तरबककल पराकततक ढग स हई और उस बचची की जीभ पर शहद एव लमशरी स ॐ ललखा गया | आज वह तरबककल ठीक ह | जब उसकी डॉकटरी जााच करवायी गयी तो डॉकटर आशचयक म पड़ गय सोनोगराफ़ी म जो बीमाररयाा ददख रही थी व कहाा चली गयी ददमाग का पानी कहाा चला गया

दहनदजा हॉलसपटलवाल यह कररशमा दखकर दग रह गय अब घर म जब कोई दसरी कोई कसट चलती ह तो वह बचची इशारा करक कहती ह ॐवाली कसट चलाओ | वपछली पनम को हम मबई स टाटा समो म आ रह थ | बाढ क पानी क कारर रासता बद था | हम सोच म पड़ गय कक पनम का तनयम टटगा | हमन गरदव का समरर ककया | इतन म हमार डराइवर न हमस पछा जान दा हमन भी गरदव का समरर करक कहा जान दो और हरर हरर ॐ कीतकन की कसट लगा दो | गाड़ी आग चली | इतना पानी कक हम जहाा बठ थ वहाा तक पानी आ गया |

कफर भी हम गरदव क पास सकशल पहाच गय और उनक दशकन ककय|

-िरारीलाल अगरवाल

साताकर ज िबई

(अनिम) पावन उदगार

और गरदव की कपा बरसी जबस सरत आशरम की सथापना हई तबस म गरदव क दशकन करत आ रहा हा उनकी

अमतवारी सनता आ रहा हा | मझ पजयशरी स मतरदीकषा भी लमली ह | परारबधवश एक ददन मर साथ एक भयकर दघकटना घटी | डॉकटर कहत थ आपका एक हाथ अब काम नही करगा | म अपना मानलसक जप मनोबल स करता रहा | अब हाथ तरबककल ठीक ह | उसस म ७० ककगरा वजन उठा सकता हा | मरी समसया थी कक शादी होन क बाद मझ कोई सतान नही थी | डॉकटर कहत थ कक सतान नही हो सकती | हम लोगो न गरकपा एव गरमतर का सहारा ललया रधयानयोग लशववर म आय और गरदव की कपा बरसी | अब हमारी तीन सतान ह दो पतरतरयाा और एक पतर | गरदव न ही बड़ी बटी का नाम गोपी और बट का नाम हररककशन रखा ह | जय हो सदगरदव की

-हसिख काततलाल िोदी

५७ अपना घर सोसायिी सदर रोड़ स रत

(अनिम) पावन उदगार

गरदव न भजा अकषयपातर

हम परचारयातरा क दौरान गरकपा का जो अदभत अनभव हआ वह अवरकनीय ह | यातरा की शरआत स पहल ददनाक ८-११-९९ को हम पजय गरदव क आशीवाकद लन गय | गरदव न कायकिम क ववषय म पछा और कहा पचड़ आशरम (रतलाम) म भडारा था | उसम बहत सामान बच गया ह | गाड़ी भजकर मागवा लना गरीबो म बााटना | हम झाबआ लजल क आस-पास क

गरीब आददवासी इलाको म जानवाल थ | वहाा स रतलाम क ललए गाड़ी भजी | चगनकर सामान भरा गया | दो ददन चल उतना सामान था | एक ददन म दो भडार होत थ | अतः चार भडार का सामान था | सबन खकल हाथो बतकन कपड़ साडड़याा धोती आदद सामान छः ददनो तक बााटा कफर भी सामान बचा रहा | सबको आशचयक हआ हम लोग सामान कफर स चगनन लग परत गरदव की लीला क ववषय म कया कह कवल दो ददन चल उतना सामान छः ददनो तक खकल हाथो बााटा कफर भी अत म तीन बोर बतकन बच गय मानो गरदव न अकषयपातर भजा हो एक ददन शाम को भडारा परा हआ तब दखा कक एक पतीला चावल बच गया ह | करीब १००-१२५ लोग खा सक उतन चावल थ | हमन सोचा चावल गााव म बाट दत ह | परत गरदव की लीला दखो एक गााव क बदल पााच गाावो म बााट कफर भी चावल बच रह | आखखर रातरतर म ९ बज क बाद सवाधाररयो न थककर गरदव स पराथकना की कक गरदव अब जगल का ववसतार ह हम पर कपा करो | और चावल खसम हए | कफर सवाधारी तनवास पर पहाच |

-सत शरी आसारािजी भकतिडल

कतारगाि स रत

(अनिम) पावन उदगार

सवपन ि हदय हए वरदान स पतरपराषपत

मर गरहसथ जीवन म एक-एक करक तीन कनयाएा जनमी | पतरपरालपत क ललए मरी धमकपसनी न गरदव स आशीवाकद परापत ककया था | चौथी परसतत होन क पहल जब उसन वलसाड़ म सोनोगराफ़ी करवायी तो ररपोटक म लड़की बताया गया | यह सनकर हम तनराश हो गय | एक रात पसनी को सवपन म गरदव न दशकन ददय और कहा बटी चचता मत कर | घबराना मत धीरज रख | लड़का ही होगा | हमन सरत आशरम म बड़दादा की पररिमा करक मनौती मानी थी वह भी फ़लीभत हई और गरदव का बरहमवाकय भी ससय सातरबत हआ जब परसतत होन पर लड़का हआ | सभी गरदव की जय-जयकार करन लग |

-सनील किार रा शयाि चौरमसया

दीपकवाड़ी ककलला पारड़ी षज वलसाड़

(अनिम) पावन उदगार

शरी आसारािायण क पाठ स जीवनदान

मरा दस वषीय पतर एक रात अचानक बीमार हो गया | साास भी मलशकल स ल रहा था |

जब उस हॉलसपटल म भती ककया तब डॉकटर बोल | बचचा गभीर हालत म ह | ऑपरशन करना पड़गा | म बचच को हॉलसपटल म ही छोड़कर पस लन क ललए घर गया और घर म सभी को कहा ldquoआप लोग शरी आसारामायर का पाठ शर करो |rdquo पाठ होन लगा | थोड़ी दर बाद म हॉलसपटल पहाचा | वहाा दखा तो बचचा हास-खल रहा था | यह दख मरी और घरवालो की खशी का दठकाना न रहा यह सब बापजी की असीम कपा गर-गोववनद की कपा और शरी आसारामायर-पाठ का फल ह |

-सनील चाडक

अिरावती िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

गरवाणी पर षवशवास स अवणीय लाभ

शादी होन पर एक पतरी क बाद सात साल तक कोई सतान नही हई | हमार मन म पतरपरालपत की इचछा थी | १९९९ क लशववर म हम सतानपरालपत का आशीवाकद लनवालो की पलकत म बठ | बापजी आशीवाकद दन क ललए साधको क बीच आय तो कछ साधक नासमझी स कछ ऐस परशन कर बठ जो उनह नही करन चादहए थ | गरदव नाराज होकर यह कहकर चल गय कक तमको सतवारी पर ववशवास नही ह तो तम लोग यहाा कयो आय तमह डॉकटर क पास जाना चादहए था | कफर गरदव हमार पास नही आय | सभी पराथकना करत रह पर गरदव वयासपीठ स बोल दबारा तीन लशववर भरना | म मन म सोच रहा था कक कछ साधको क कारर मझ आशीवाकद नही लमल पाया परत वजरादषप कठोरारण िदतन कसिादषप बाहर स वजर स भी कठोर ददखन वाल सदगर भीतर स फल स भी कोमल होत ह | तरत गरदव ववनोद करत हए बोल दखो य लोग सतानपरालपत का आशीवाकद लन आय ह | कस ठनठनपाल-स बठ ह अब जाओ झला-झनझना लकर घर जाओ | मन और मरी पसनी न आपस म ववचार ककया दयाल गरदव न आखखर आशीवाकद द ही ददया | अब गरदव न कहा ह कक झला-झनझना ल जाओ |

तो मन गरवचन मानकर रलव सटशन स एक झनझना खरीद ललया और गवाललयर आकर गरदव क चचतर क पास रख ददया | मझ वहाा स आन क १५ ददन बाद डॉकटर दवारा मालम हआ

कक पसनी गभकवती ह | मन गरदव को मन-ही-मन परराम ककया | इस बीच डॉकटरो न सलाह दी कक लड़का ह या लड़की इसकी जााच करा लो | मन बड़ ववशवास स कहा कक लड़का ही होगा |

अगर लड़की भी हई तो मझ कोई आपवतत नही ह | मझ गभकपात का पाप अपन लसर पर नही लना ह | नौ माह तक मरी पसनी भी सवसथ रही | हररदवार लशववर म भी हम लोग गय | समय आन पर गरदव दवारा बताय गय इलाज क मतातरबक गाय क गोबर का रस पसनी को ददया और ददनाक २७ अकतबर १९९९ को एक सवसथ बालक का जनम हआ |

-राजनर किार वाजपयी अचयना वाजपयी

बलवत नगर ढाढीपर िरारा गवामलयर

(अनिम) पावन उदगार

सवफल क दो िकड़ो स दो सतान मन सन १९९१ म चटीचड लशववर अमदावाद म पजय बापजी स मतरदीकषा ली थी | मरी

शादी क १० वषक तक मख कोई सतान नही हई | बहत इलाज करवाय लककन सभी डॉकटरो न बताया कक बालक होन की कोई सभावना नही ह | तब मन पजय बापजी क पनम दशकन का वरत ललया और बाासवाड़ा म पनम दशकन क ललए गया | पजय बापजी सबको परसाद द रह थ | मन मन म सोचा | कया म इतना पापी हा कक बापजी मरी तरफ दखत तक नही इतन म पजय बापजी कक दलषटट मझ पर पड़ी और उनहोन मझ दो लमनट तक दखा | कफर उनहोन एक सवफल लकर मझ पर फ का जो मर दाय कध पर लगकर दो टकड़ो म बाट गया | घर जाकर मन उस सवफल क दोनो भाग अपनी पसनी को खखला ददय | पजयशरी का कपापरक परसाद खान स मरी पसनी गभकवती हो गयी | तनरीकषर करान पर पता चला कक उसको दो लसर वाला बालक उसपनन होगा |

डॉकटरो न बताया उसका लसजररयन करना पड़गा अनयथा आपकी पसनी क बचन की समभावना नही ह | लसजररयन म लगभग बीस हजार रपयो का खचक आयगा | मन पजय बापजी स पराथकना की ह बापजी आपन ही फल ददया था | अब आप ही इस सकट का तनवारर कीलजय | कफर मन बड़ बादशाह क सामन भी पराथकना की जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी की परसती सकशल हो जाय | उसक बाद जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी एक पतर और एक पतरी को जनम द चकी थी | पजयशरी क दवारा ददय गय फल स मझ एक की जगह दो सतानो की परालपत हई |

-िकशभाई सोलकी

शारदा िहदर सक ल क पीछ

बावन चाल वड़ोदरा

(अनिम) पावन उदगार

साइककल स गर ाि जान पर खराब िाग ठीक हो गयी

मरी बाायी टााग घटन स उपर पतली हो गयी थी | ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट

ददकली म म छः ददन तक रहा | वहाा जााच क बाद बतलाया गया कक तमहारी रीढ की हडडी क पास कछ नस मर गयी ह लजसस यह टााग पतली हो गयी ह | यह ठीक तो हो ही नही सकती |

हम तमह ववटालमन ई क कपसल द रह ह | तम इनह खात रहना | इसस टाग और जयादा पतली नही होगी | मन एक साल तक कपसल खाय | उसक बाद २२ जन १९९७ को मजफ़फ़रनगर म मन गरजी स मतरदीकषा ली और दवाई खाना बद कर दी | जब एक साधक भाई राहल गपता न कहा कक सहारनपर स साइककल दवारा उततरायर लशववर अमदावाद जान का कायकिम बन रहा ह

तब मन टााग क बार म सोच तरबना साइककल यातरा म भाग लन क ललए अपनी सहमतत द दी |

जब मर घर पर पता चला कक मन साइककल स गरधाम अमदावाद जान का ववचार बनाया ह

अतः तम ११५० ककमी तक साइककल नही चला पाओग | लककन मन कहा म साइककल स ही गरधाम जाऊा गा चाह ककतनी भी दरी कयो न हो और हम आठ साधक भाई सहारनपर स २६ ददसमबर ९७ को साइककलो स रवाना हए | मागक म चढाई पर मझ जब भी कोइ ददककत होती तो ऐसा लगता जस मरी साइककल को कोई पीछ स धकल रहा ह | म मड़कर पीछ दखता तो कोई ददखायी नही पड़ता | ९ जनवरी को जब हम अमदावाद गरआशरम म पहाच और मन सबह अपनी टााग दखी तो म दग रह गय जो टााग पतली हो गयी थी और डॉकटरो न उस ठीक होन स मना कर ददया था वह टााग तरबककल ठीक हो गयी थी | इस कपा को दखकर म चककत रह गया मर साथी भी दग रह गय यह सब गरकपा क परसाद का चमसकार था | मर आठो साथी मरी पसनी तथा ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट ददकली दवारा जााच क परमारपतर इस बात क साकषी ह |

-तनरकार अगरवाल

षवटणपरी नय िा ोनगर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

अदभत रही िौनिहदर की सा ना परम पजय सदगरदव की कपा स मझ ददनाक १८ स २४ मई १९९९ तक अमदावाद

आशरम क मौनमददर म साधना करन का सअवसर लमला | मौनमददर म साधना क पााचव ददन यानी २२ मई की रातरतर को लगभग २ बज नीद म ही मझ एक झटका लगा | लट रहन कक लसथतत म ही मझ महसस हआ कक कोई अदशय शलकत मझ ऊपर बहत ऊपर उड़य ल जा रही ह | ऊपर उड़त हए जब मन नीच झााककर दखा तो अपन शरीर को उसी मौनमददर म चचतत लटा हआ बखबर सोता हआ पाया | ऊपर जहाा मझ ल जाया गया वहाा अलग ही छटा थी अजीब और अवरीय आकाश को भी भदकर मझ ऐस सथान पर पहाचाया गया था जहाा चारो तरफ कोहरा-ही-कोहरा था जस शीश की छत पर ओस फली हो इतन म दखता हा कक एक सभा लगी ह तरबना शरीर की कवल आकततयो की | जस रखाओ स मनषटयरपी आकततयाा बनी हो | यह सब कया चल रहा था समझ स पर था | कछ पल क बाद व आकततयाा सपषटट होन लगी | दवी-दवताओ क पज क मरधय शीषक म एक उचच आसन पर साकषात बापजी शकर भगवान बन हए कलास पवकत पर ववराजमान थ और दवी-दवता कतार म हाथ बााध खड़ थ | म मक-सा होकर अपलक नतरो स उनह दखता ही रहा कफर मतरमगध हो उनक चररो म चगर पड़ा | परातः क ४ बज थ | अहा मन और शरीर हकका-फ़कका लग रहा था यही लसथतत २४ मई की मरधयरातरतर म भी दोहरायी गयी | दसर ददन सबह पता चला कक आज तो बाहर तनकलन का ददन ह यानी रवववार २५ मई की सबह | बाहर तनकलन पर भावभरा हदय गदगद कठ और आखो म आास यो लग रहा था कक जस तनजधाम स बघर ककया जा रहा हा | धनय ह वह भलम मौनमददर म साधना की वह वयवसथा जहा स परम आनद क सागर म डबन की कजी लमलती ह जी करता ह भगवान ऐसा अवसर कफर स लाय लजसस कक उसी मौनमददर म पनः आतररक आनद का रसपान कर पाऊा |

-इनरनारायण शाह

१०३ रतनदीप-२ तनराला नगर कानपर

(अनिम) पावन उदगार

असाधय रोग स िषकत

सन १९९४ म मरी पतरी दहरल को शरद पखरकमा क ददन बखार आया | डॉकटरो को ददखाया तो ककसीन मलररया कहकर दवाइयाा दी तो ककसीन टायफायड कहकर इलाज शर ककया तो ककसीन टायफायड और मलररया दोनो कहा | दवाई की एक खराक लन स शरीर नीला पड़ गया और सज गया | शरीर म खन की कमी स उस छः बोतल खन चढाया गया | इजकषन दन स पर शरीर को लकवा मार गया | पीठ क पीछ शयावरर जसा हो गया | पीठ और पर का एकस-र ललया गया | पर पर वजन बााधकर रखा गया | डॉकटरो न उस वाय का बखार तथा रकत का क सर बताया और कहा कक उसक हदय तो वाकव चौड़ा हो गया ह | अब हम दहममत हार गय |

अब पजयशरी क लसवाय और कोई सहारा नही था | उस समय दहरल न कहा मममी मझ पजय बाप क पास ल चलो | वहाा ठीक हो जाऊगी | पााच ददन तक दहरल पजयशरी की रट लगाती रही |

हम उस अमदावाद आशरम म बाप क पास ल गय | बाप न कहा इस कछ नही हआ ह | उनहोन मझ और दहरल को मतर ददया एव बड़दादा की परदकषकषरा करन को कहा | हमन परदकषकषरा की और दहरल पनिह ददन म चलन-कफ़रन लगी | हम बाप की इस कररा-कपा का ॠर कस चकाय अभी तो हम आशरम म पजयशरी क शरीचररो म सपररवार रहकर धनय हो रह ह |

-परफलल वयास

भावनगर

वतयिान ि अिदावाद आशरि ि सपररवार सिषपयत

(अनिम) पावन उदगार

कसि का चितकार

वयापार उधारी म चल जान स म हताश हो गया था एव अपनी लजदगी स तग आकर आसमहसया करन की बात सोचन लगा था | मझ साध-महासमाओ व समाज क लोगो स घरा-सी हो गयी थी धमक व समाज स मरा ववशवास उठ चका था | एक ददन मरी साली बापजी क सससग कक दो कसट ववचध का ववधान एव आखखर कब तक ल आयी और उसन मझ सनन क ललए कहा | उसक कई परयास क बाद भी मन व कसट नही सनी एव मन-ही-मन उनह ढोग

कहकर कसटो क डडबब म दाल ददया | मन इतना परशान था कक रात को नीद आना बद हो गया था | एक रात कफ़कमी गाना सनन का मन हआ | अाधरा होन की वजह स कसट पहचान न सका और गलती स बापजी क सससग की कसट हाथ म आ गयी | मन उसीको सनना शर ककया | कफर कया था मरी आशा बाधन लगी | मन शाात होन लगा | धीर-धीर सारी पीड़ाएा दर

होती चली गयी | मर जीवन म रोशनी-ही-रोशनी हो गयी | कफर तो मन पजय बापजी क सससग की कई कसट सनी और सबको सनायी | तदनतर मन गालजयाबाद म बापजी स दीकषा भी गरहर की | वयापार की उधारी भी चकता हो गयी | बापजी की कपा स अब मझ कोई दःख नही ह | ह गरदव बस एक आप ही मर होकर रह और म आपका ही होकर रहा |

-ओिपरकाश बजाज

हदलली रोड़ सहारनपर उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

िझ पर बरसी सत की कपा

सन १९९५ क जन माह म म अपन लड़क और भतीज क साथ हररदवार रधयानयोग लशववर म भाग लन गया | एक ददन जब म हर की पौड़ी पर सनान करन गया तो पानी क तज बहाव क कारर पर कफसलन स मरा लड़का और भतीजा दोनो अपना सतलन खो बठ और गगा म बह गय | ऐसी सकट की घड़ी म म अपना होश खो बठा | कया करा म फट-फटकर रोन लगा और बापजी स पराथकना करन लगा कक ह नाथ ह गरदव रकषा कीलजय मर बचचो को बचा लीलजय | अब आपका ही सहारा ह | पजयशरी न मर सचच हदय स तनकली पकार सन ली और उसी समय मरा लड़का मझ ददखायी ददया | मन झपटकर उसको बाहर खीच ललया लककन मरा भतीजा तो पता नही कहाा बह गया म तनरतर रो रहा था और मन म बार-बार ववचार उठ रहा था कक बापजी मरा लड़का बह जाता तो कोई बात नही थी लककन अपन भाई की अमानत क तरबना म घर कया माह लकर जाऊा गा बापजी आपही इस भकत की लाज बचाओ | तभी गगाजी की एक तज लहर उस बचच को भी बाहर छोड़ गयी | मन लपककर उस पकड़ ललया |

आज भी उस हादस को समरर करता हा तो अपन-आपको साभाल नही पाता हा और मरी आाखो स तनरतर परम की अशरधारा बहन लगती ह | धनय हआ म ऐस गरदव को पाकर ऐस सदगरदव क शरीचररो म मर बार-बार शत-शत परराम

-सिालखा

पानीपत हररयाणा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स जीवनदान

ददनाक १५-१-९६ की घटना ह | मन धात क तार पर सखन क ललए कपड़ फला रख थ |

बाररश होन क कारर उस तार म करट आ गया था | मरा छोटा पतर ववशाल जो कक ११ वी ककषा म पढता ह आकर उस तार स छ गया और तरबजली का करट लगत ही वह बहोश हो गया शव क समान हो गया | हमन उस तरत बड़ असपताल म दाखखल करवाया | डॉकटर न बचच की हालत गभीर बतायी | ऐसी पररलसथतत दखकर मरी आाखो स अशरधाराएा बह तनकली | म तनजानद की मसती म मसत रहन वाल पजय सदगरदव को मन-ही-मन याद ककया और पराथकना कक ह गरदव अब तो इस बचच का जीवन आपक ही हाथो म ह | ह मर परभ आप जो चाह सो कर सकत ह | और आखखर मरी पराथकना सफल हई | बचच म एक नवीन चतना का सचार हआ एव धीर-धीर बचच क सवासथय म सधार होन लगा | कछ ही ददनो म वह परकतः सवसथ हो गया |

डॉकटर न तो उपचार ककया लककन जो जीवनदान उस पयार परभ की कपा स सदगरदव की कपा स लमला उसका वरकन करन क ललए मर पास शबद नही ह | बस ईशवर स म यही पराथकना करता हा कक ऐस बरहमतनषटठ सत-महापरषो क परतत हमारी शरदधा म वदचध होती रह | -

डॉ वाय पी कालरा

शािलदास कॉलज भावनगर गजरात

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप जस सत दतनया को सवगय ि बदल सकत ह

मई १९९८ क अततम ददनो म पजयशरी क इदौर परवास क दौरान ईरान क ववखयात कफ़लजलशयन शरी बबाक अगरानी भारत म अरधयालसमक अनभवो की परालपत आय हए थ | पजयशरी क दशकन पाकर जब उनहोन अरधयालसमक अनभवो को फलीभत होत दखा तो व पचड़ आशरम म आयोलजत रधयानयोग लशववर म भी पहाच गय | शरी अगरानी जो दो ददन रककर वापस लौटन वाल थ व पर गयारह ददन तक पचड़ आशरम म रक रह | उनहोन ववधाथी लशववर म सारसवसय मतर की दीकषा ली एव ववलशषटट रधयानयोग साधना लशववर (४ -१० जन १९९८) का भी लाभ ललया | लशववर क दौरान शरी अगरानी न पजयशरी स मतरदीकषा भी ल ली | पजयशरी क सालननरधय म सपरापत अनभततयो क बार म कषतरतरय समाचार पतर चतना को दी हई भटवाताक म शरी अगरानी कहत ह यदद पजय बाप जस सत हर दश म हो जाय तो यह दतनया सवगक बन सकती ह | ऐस शातत स बठ पाना हमार ललए कदठन ह लककन जब पजय बापजी जस महापरषो क शरीचररो म बठकर

सससग सनत ह तो ऐसा आनद आता ह कक समय का कछ पता ही नही चलता | सचमच पजय बाप कोई साधारर सत नही ह |

-शरी बबाक अगरानी

षवशवषवखयात किषजमशयन ईरान

(अनिम) पावन उदगार

भौततक यग क अ कार ि जञान की जयोतत प जय बाप

मादक तनयतरर बयरो भारत सरकार क महातनदशक शरी एचपी कमार ९ मई को अमदावाद आशरम म सससग-कायकिम क दौरान पजय बाप स आशीवाकद लन पहाच | बड़ी ववनमरता एव शरदधा क साथ उनहोन पजय बाप क परतत अपन उदगार म कहा लजस वयलकत क पास वववक नही ह वह अपन लकषय तक नही पहाच सकता ह और वववक को परापत करन का साधन पजय आसारामजी बाप जस महान सतो का सससग ह | पजय बाप स मरा परथम पररचय टीवी क मारधयम स हआ | तसपशचात मझ आशरम दवार परकालशत ॠवष परसाद मालसक परापत हआ | उस समय मझ लगा कक एक ओर जहाा इस भौततक यग क अधकार म मानव भटक रहा ह वही दसरी ओर शातत की मद-मद सगचधत वाय भी चल रही ह | यह पजय बाप क सससग का ही परभाव ह | पजयशरी क दशकन करन का जो सौभागय मझ परापत हआ ह इसस म अपन को कतकसय मानता हा | पजय बाप क शरीमख स जो अमत वषाक होती ह तथा इनक सससग स करोड़ो हदयो म जो जयोतत जगती ह व इसी परकार स जगती रह और आन वाल लब समय तक पजयशरी हम सब का मागकदशकन करत रह यही मरी कामना ह | पजय बाप क शरीचररो म मर परराम

-शरी एचपी किार

िहातनदशक िादक तनयतरण बय रो भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

िषसलि िहहला को पराणदान

२७ लसतमबर २००० को जयपर म मर तनवास पर पजय बाप का आसम-साकषासकार ददवस

मनाया गया लजसम मर पड़ोस की मलसलम मदहला नाथी बहन क पतत शरी मााग खाा न भी पजय बाप की आरती की और चररामत ललया | ३-४ ददन बाद ही व मलसलम दपतत खवाजा सादहब क उसक म अजमर चल गय | ददनाक ४ अकटबर २००० को अजमर क उसक म असामालजक तसवो न परसाद म जहर बााट ददया लजसस उसक मल म आय कई दशकनाथी असवसथ हो गय और कई मर भी गय | मर पड़ोस की नाथी बहन न भी वह परसाद खाया और थोड़ी दर म ही वह बहोश हो गयी | अजमर म उसका उपचार ककया गया ककत उस होश न आया | दसर ददन ही उसका पतत उस अपन घर ल आया | कॉलोनी क सभी तनवासी उसकी हालत दखकर कह रह थ कक अब इसका बचना मलशकल ह | म भी उस दखन गया | वह बहोश पड़ी थी | म जोर-जोर स हरर ॐ हरर ॐ का उचचारर ककया तो वह थोड़ा दहलन लगी | मझ परररा हई और म पनः घर गया | पजय बाप स पराथकना की | ३-४ घट बाद ही वह मदहला ऐस उठकर खड़ी हो गयी मानो सोकर उठी हो | उस मदहला न बताया कक मर चाचा ससर पीर ह और उनहोन मर पतत क माह स बोलकर बताया कक तमन २७ लसतमबर २००० को लजनक सससग म पानी वपया था उनही सफद दाढीवाल बाबा न तमह बचाया ह कसी कररा ह गरदव की

-जएल परोहहत

८७ सलतान नगर जयपर (राज)

उस िहहला का पता ह -शरीिती नाथी

पतनी शरी िाग खा

१०० सलतान नगर

गजयर की ड़ी

नय सागानर रोड़

जयप र (राज)

(अनिम) पावन उदगार

हररनाि की पयाली न छड़ायी शराब की बोतल

सौभागयवश गत २६ ददसमबर १९९८ को पजयशरी क १६ लशषटयो की एक टोली ददकली स हमार गााव म हररनाम का परचार-परसार करन पहाची | म बचपन स ही मददरापान धमरपान व लशकार करन का शौकीन था | पजय बाप क लशषटयो दवारा हमार गााव म जगह-जगह पर तीन ददन तक लगातार हररनाम का कीतकन करन स मझ भी हररनाम का रग लगता जा रहा था |

उनक जान क एक ददन क पशचात शाम क समय रोज की भातत मन शराब की बोतल तनकाली | जस ही बोतल खोलन क ललए ढककन घमाया तो उस ढककन क घमन स मझ हरर ॐ हरर ॐ की रधवतन सनायी दी | इस परकार मन दो-तीन बार ढककन घमाया और हर बार मझ हरर ॐ

की रधवतन सनायी दी | कछ दर बाद म उठा तथा पजयशरी क एक लशषटय क घर गया | उनहोन थोड़ी दर मझ पजयशरी की अमतवारी सनायी | अमतवारी सनन क बाद मरा हदय पकारन लगा कक इन दवयकसनो को सयाग दा | मन तरत बोतल उठायी तथा जोर-स दर खत म फ क दी | ऐस समथक व परम कपाल सदगरदव को म हदय स परराम करता हा लजनकी कपा स यह अनोखी घटना मर जीवन म घटी लजसस मरा जीवन पररवततकत हआ |

-िोहन मसह बबटि

मभखयासन अलिोड़ा (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

प र गाव की कायापलि

पजयशरी स ददनाक २७६९१ को दीकषा लन क बाद मन वयवसनमलकत क परचार-परसार का लकषय बना ललया | म एक बार कौशलपर (लज शाजापर) पहाचा | वहाा क लोगो क वयवसनी और लड़ाई-झगड़ यकत जीवन को दखकर मन कहा आप लोग मनषटय-जीवन सही अथक ही नही समझत ह | एक बार आप लोग पजय बापजी क दशकन कर ल तो आपको सही जीवन जीन की कजी लमल जायगी | गााव वालो न मरी बात मान ली और दस वयलकत मर गााव ताजपर आय |

मन एक साधक को उनक साथ जनमाषटटमी महोससव म सरत भजा | पजय बापजी की उन पर कपा बरसी और सबको गरदीकषा लमल गयी | जब व लोग अपन गााव पहाच तो सभी गााववालसयो को बड़ा कौतहल था कक पजय बापजी कस ह बापजी की लीलाएा सनकर गााव क अनय लोगो म भी पजय बापजी क परतत शरदधा जगी | उन दीकषकषत साधको न सभी गााववालो को सववधानसार पजय बापजी क अलग-अलग आशरमो म भजकर दीकषा ददलवा दी | गााव क सभी वयलकत अपन

पर पररवार सदहत दीकषकषत हो चक ह | परसयक गरवार को पर गााव म एक समय भोजन बनता ह | सभी लोग गरवार का वरत रखत ह | कौशलपर गााव क परभाव स आस-पास क गााववाल एव उनक ररशतदारो सदहत १००० वयलकतयो शराब छोड़कर दीकषा ल ली ह | गााव क इततहास म तीन-तीन पीढी स कोई मददर नही था | गााववालो न ५ लाख रपय लगाकर दो मददर बनवाय ह | परा गााव वयवसनमकत एव भगवतभकत बन गया ह यह पजय बापजी की कपा नही तो और कया ह सबक ताररहार पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-शयाि परजापतत (सपरवाइजर ततलहन सघ) ताजपर

उजजन (िपर)

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी की तसवीर स मिली पररणा सवकसमथक परम पजय शरी बापजी क चररकमलो म मरा कोदट-कोदट नमन १९८४ क

भकप स समपरक उततर तरबहार म काफी नकसान हआ था लजसकी चपट म हमारा घर भी था |

पररलसथततवश मझ नौवी ककषा म पढायी छोड़ दनी पड़ी | ककसी लमतर की सलाह स म नौकरी ढाढन क ललए ददकली गया लककन वहाा भी तनराशा ही हाथ लगी | म दो ददन स भखा तो था ही ऊपर स नौकरी की चचता | अतः आसमहसया का ववचार करक रलव सटशन की ओर चल पड़ा | रानीबाग बाजार म एक दकान पर पजयशरी का सससादहसय कसट आदद रखा हआ था एव पजयशरी की बड़ आकार की तसवीर भी टागी थी | पजयशरी की हासमख एव आशीवाकद की मिावाली उस तसवीर पर मरी नजर पड़ी तो १० लमनट तक म वही सड़क पर स ही खड़-खड़ उस दखता रहा | उस वकत न जान मझ कया लमल गया म काम भल मजदरी का ही करता हा लककन तबस लकर आज तक मर चचतत म बड़ी परसननता बनी हई ह | न जान मरी लजनदगी की कया दशा होती अगर पजय बापजी की यवाधन सरकषा ईशवर की ओर तनलशचनत जीवन पसतक और ॠवष परसाद पतरतरका हाथ न लगती पजयशरी की तसवीर स लमली परररा एव उनक सससादहसय न मरी डबती नया को मानो मझदार स बचा ललया | धनभागी ह सादहसय की सवा करन वाल लजनहोन मझ आसमहसया क पाप स बचाया |

-िहश शाह

नारायणपर दिरा षज सीतािढ़ी (बबहार)

(अनिम) पावन उदगार

नतरबबद का चितकार

मरा सौभागय ह कक मझ सतकपा नतरतरबद (आई डरॉपस) का चमसकार दखन को लमला |

एक सत बाबा लशवरामदास उमर ८० वषक गीता कदटर तपोवन झाड़ी सपतसरोवर हररदवार म रहत ह | उनकी दादहनी आाख क सफद मोततय का ऑपरशन शााततकज हररदवार आयोलजत कमप म हआ | कस तरबगड़ गया और काल मोततया बन गया | ददक रहन लगा और रोशनी घटन लगी |

दोबारा भमाननद नतर चचककससालय म ऑपरशन हआ | एबसकयट गलकोमा बतात हए कहा कक ऑपरशन स लसरददक ठीक हो जायगा पर रोशनी जाती रहगी | परत अब व बाबा सत शरी आसारामजी आशरम दवार तनलमकत सतकपा नतरतरबद सबह-शाम डाल रह ह | मन उनक नतरो का परीकषर ककया | उनकी दादहनी आाख म उागली चगनन लायक रोशनी वापस आ गयी ह | काल मोततय का परशर नॉमकल ह | कोतनकया म सजन नही ह | व काफी सतषटट ह | व बतात ह आाख पहल लाल रहती थी परत अब नही ह | आशरम क नतरतरबद स ककपनातीत लाभ हआ | बायी आाख म भी उनह सफद मोततया बताया गया था और सशय था कक शायद काला मोततया भी ह |

पर आज बायी आाख भी ठीक ह और दोनो आाखो का परशर भी नॉमकल ह | सफद मोततया नही ह और रोशनी काफी अचछी ह | यह सतकपा नतरबद का ववलकषर परभाव दखकर म भी अपन मरीजो को इसका उपयोग करन की सलाह दागा |

-डॉ अननत किार अगरवाल (नतररोग षवशिजञ)

एिबीबीएस एिएस (नतर) डीओएिएस (आई)

सीतापर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

ितर स लाभ

मरी माा की हालत अचानक पागल जसी हो गयी थी मानो कोई भत-परत-डाककनी या आसरी तसव उनम घस गया | म बहत चचततत हो गया एव एक साचधका बहन को फोन ककया |

उनहोन भत-परत भगान का मतर बताया लजसका वरकन आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म भी ह | वह मतर इस परकार ह

ॐ निो भगवत रर भरवाय भ तपरत कषय कर कर ह फि सवाहा |

इस मतर का पानी म तनहारकर १०८ बार जप ककया और वही पानी माा को वपला ददया |

तरत ही माा शातत स सो गयी | दसर ददन भी इस मतर की पााच माला करक माा को वह जल वपलाया तो माा तरबककल ठीक हो गयी | ह मर साधक भाई-बहनो भत-परत भगान क ललए अला बााधा बला बााधा ऐसा करक झाड़-फ़ा क करनवालो क चककर म पड़न की जररत नही ह |

इसक ललए तो पजय बापजी का मतर ही ताररहार ह | पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-चपकभाई एन पिल (अिररका)

(अनिम) पावन उदगार

काि करो पर षवजय पायी एक ददन मबई मल म दटकट चककग करत हए म वातानकललत बोगी म पहाचा | दखा तो

मखमल की गददी पर टाट का आसन तरबछाकर सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज समाचधसथ ह |

मझ आशचयक हआ कक लजन परथम शररी की वातानकललत बोचगयो म राजा-महाराजा यातरा करत ह ऐसी बोगी और तीसरी शररी की बोगी क बीच इन सत को कोई भद नही लगता | ऐसी बोचगयो म भी व समाचधसथ होत ह यह दखकर लसर झक जाता ह | मन पजय महाराजशरी को परराम करक कहा आप जस सतो क ललए तो सब एक समान ह | हर हाल म एकरस रहकर आप मलकत का आनद ल सकत ह | लककन हमार जस गरहसथो को कया करना चादहए ताकक हम भी आप जसी समता बनाय रखकर जीवन जी सक पजय महाराजजी न कहा काम और िोध को त छोड़ द तो त भी जीवनमकत हो सकता ह | जहाा राम तहा नही काम जहाा काम तहा नही राम | और िोध तो भाई भसमासर ह | वह तमाम पणय को जलाकर भसम कर दता ह

अतःकरर को मललन कर दता ह | मन कहा परभ अगर आपकी कपा होगी तो म काम-िोध को छोड़ पाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा भाई कपा ऐस थोड़ ही की जाती ह सतकपा क साथ तरा परषाथक और दढता भी चादहए | पहल त परततजञा कर कक त जीवनपयकनत काम और िोध स दर रहगा तो म तझ आशीवाकद दा | मन कहा महाराजजी म जीवनभर क ललए परततजञा तो करा लककन उसका पालन न कर पाऊा तो झठा माना जाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा अचछा पहल त मर समकष आठ ददन क ललए परततजञा कर | कफर परततजञा को एक-एक ददन बढत जाना | इस परकार त उन बलाओ स बच सकगा | ह कबल मन हाथ

जोड़कर कबल ककया | पजय महाराजजी न आशीवाकद दकर दो-चार फल परसाद म ददय | पजय महाराजजी न मरी जो दो कमजोररयाा थी उन पर ही सीधा हमला ककया था | मझ आशचयक हआ कक अनय कोई भी दगकर छोड़न का न कहकर इन दो दगकरो क ललए ही उनहोन परततजञा कयो करवायी बाद म म इस राज स अवगत हआ |

दसर ददन म पसनजर रन म कानपर स आग जा रहा था | सबह क करीब नौ बज थ |

तीसरी शररी की बोगी म जाकर मन यातरतरयो क दटकट जााचन का कायक शर ककया | सबस पहल बथक पर सोय हए एक यातरी क पास जाकर मन एक यातरी क पास जाकर मन दटकट ददखान को कहा तो वह गससा होकर मझ कहन लगा अधा ह दखता नही कक म सो गया हा मझ नीद स जगान का तझ कया अचधकार ह यह कोई रीत ह दटकट क बार म पछन की ऐसी ही अकल ह तरी ऐसा कछ-का-कछ वह बोलता ही गया बोलता ही गया | म भी िोधाववषटट होन लगा ककत पजय महाराजजी क समकष ली हई परततजञा मझ याद थी अतः िोध को ऐस पी गया मानो ववष की पडड़या मन उस कहा महाशय आप ठीक ही कहत ह कक मझ बोलन की अकल नही ह भान नही ह | दखो मर य बाल धप म सफद हो गय ह | आपम बोलन की अकल अचधक ह नमरता ह तो कपा करक लसखाओ कक दटकट क ललए मझ ककस परकार आपस पछना चादहए | म लाचार हा कक डयटी क कारर मझ दटकट चक करना पड़ रहा ह इसललए म आपको कषटट द रहा हा| और कफ़र मन खब परम स हाथ जोड़कर ववनती की भया कपा करक कषटट क ललए मझ कषमा करो | मझ अपना दटकट ददखायग मरी नमरता दखकर वह ललजजत हो गया एव तरत उठ बठा | जकदी-जकदी नीच उतरकर मझस कषमा माागत हए कहन लगा मझ माफ करना | म नीद म था | मन आपको पहचाना नही था | अब आप अपन माह स मझ कह कक आपन मझ माफ़ ककया यह दखकर मझ आनद और सतोष हआ | म सोचन लगा कक सतो की आजञा मानन म ककतनी शलकत और दहत तनदहत ह सतो की कररा कसा चमसकाररक पररराम लाती ह वह वयलकत क पराकततक सवभाव को भी जड़-मल स बदल सकती ह | अनयथा मझम िोध को तनयतरर म रखन की कोई शलकत नही थी | म परकतया असहाय था कफर भी मझ महाराजजी की कपा न ही समथक बनाया | ऐस सतो क शरीचररो म कोदट-कोदट नमसकार

-शरी रीजिल

ररिायडय िीिी आई कानपर

(अनिम) पावन उदगार

जला हआ कागज प वय रप ि पवक रप म एक बार परमहस ववशदधानदजी स आनदमयी माा की तनकटता पानवाल

सपरलसदध पडडत गोपीनाथ कववराज न तनवदन ककया तररीकानत ठाकर को अलौककक लसदचध परापत हई ह | व तरबना दख या तरबना छए ही कागज म ललखी हई बात पढ लत ह | गरदव बोल तम एक कागज पर कछ ललखो और उसम आग लगाकर जला दो | कववराजजी न कागज पर कछ ललखा और परी तरह कागज जलाकर हवा म उड़ा ददया | उसक बाद गरदव न अपन तककय क नीच स वही कागज तनकालकर कववराजजी क आग रख ददया | यह दखकर उनह बड़ा आशचयक हआ कक यह कागज वही था एव जो उनहोन ललखा था वह भी उस पर उनही क सलख म ललखा था और साथ ही उसका उततर भी ललखा हआ दखा |

जड़ता पशता और ईशवरता का मल हमारा शरीर ह | जड़ शरीर को म-मरा मानन की ववतत लजतनी लमटती ह पाशवी वासनाओ की गलामी उतनी हटती ह और हमारा ईशवरीय अश लजतना अचधक ववकलसत होता ह उतना ही योग-सामथयक ईशवरीय सामथयक परकट होता ह | भारत क ऐस कई भकतो सतो और योचगयो क जीवन म ईशवरीय सामथयक दखा गया ह अनभव ककया गया ह उसक ववषय म सना गया ह | धनय ह भारतभलम म रहनवाल भारतीय ससकतत म शरदधा-ववशवास रखनवाल अपन ईशवरीय अश को जगान की सवा-साधना करनवाल सवामी ववशदधानदजी वषो की एकात साधना और वषो-वषो की गरसवा स अपना दहारधयास और पाशवी वासनाएा लमटाकर अपन ईशवरीय अश को ववकलसत करनवाल भारत क अनक महापरषो म स थ | उनक जीवन की और भी अलौककक घटनाओ का वरकन आता ह | ऐस ससपरषो क जीवन-चररतर और उनक जीवन म घदटत घटनाएा पढन-सनन स हम लोग भी अपनी जड़ता एव पशता स ऊपर उठकर ईशवरीय अश को उभारन म उससादहत होत ह | बहत ऊा चा काम ह बड़ी शरदधा बड़ी समझ बड़ा धयक चादहए ईशवरीय सामथयक को परक रप स ववकलसत करन म |

(अनिम) पावन उदगार

नदी की ारा िड़ गयी आदय शकराचायक की माता ववलशषटटा दवी अपन कलदवता कशव की पजा करन जाती थी

| व पहल नदी म सनान करती और कफ़र मददर म जाकर पजन करती | एक ददन व परातःकाल ही पजन-सामगरी लकर मददर की ओर गयी ककत सायकाल तक घर नही लौटी | शकराचायक की आय अभी सात-आठ वषक क मरधय म ही थी | व ईशवर क परम भकत और तनषटठावान थ | सायकाल

तक माता क वापस न लौटन पर आचायक को बड़ी चचनता हई और व उनह खोजन क ललए तनकल पड़ | मददर क तनकट पहाचकर उनहोन माता को मागक म ही मलचछकत पड़ दखा | उनहोन बहत दर तक माता का उपचार ककया तब व होश म आ सकी | नदी अचधक दर थी | वहाा तक पहाचन म माता को बड़ा कषटट होता था | आचायक न भगवान स मन-ही-मन पराथकना की कक परभो ककसी परकार नदी की धारा को मोड़ दो लजसस कक माता तनकट ही सनान कर सक | व इस परकार की पराथकना तनसय करन लग | एक ददन उनहोन दखा कक नदी की धारा ककनार की धरती को काटती-काटती मड़न लगी ह तथा कछ ददनो म ही वह आचायक शकर क घर क पास बहन लगी | इस घटना न आचायक का अलौककक शलकतसमपनन होना परलसदध कर ददया |

(अनिम) पावन उदगार

सदगर-िहहिा गर बबन भव तनध तर न कोई |

जौ बरधच सकर सि होई ||

-सत तलसीदासजी

हररहर आहदक जगत ि प जयदव जो कोय |

सदगर की प जा ककय सबकी प जा होय ||

-तनशचलदासजी महाराज

सहजो कारज ससार को गर बबन होत नाही |

हरर तो गर बबन कया मिल सिझ ल िन िाही ||

-सत कबीरजी सत

सरतन जो जन पर सो जन उ रनहार |

सत की तनदा नानका बहरर बहरर अवतार ||

-गर नानक दवजी

गरसवा सब भागयो की जनमभलम ह और वह शोकाकल लोगो को बरहममय कर दती ह | गररपी सयक अववदयारपी रातरतर का नाश करता ह और जञानाजञान रपी लसतारो का लोप करक बदचधमानो को आसमबोध का सददन ददखाता ह |

-सत जञानशवर महाराज

ससय क कटकमय मागक म आपको गर क लसवाय और कोई मागकदशकन नही द सकता |

- सवामी लशवानद सरसवती

ककतन ही राजा-महाराजा हो गय और होग सायजय मलकत कोई नही द सकता | सचच राजा-महाराज तो सत ही ह | जो उनकी शरर जाता ह वही सचचा सख और सायजय मलकत पाता ह |

-समथक शरी रामदास सवामी

मनषटय चाह ककतना भी जप-तप कर यम-तनयमो का पालन कर परत जब तक सदगर की कपादलषटट नही लमलती तब तक सब वयथक ह |

-सवामी रामतीथक

पलटो कहत ह कक सकरात जस गर पाकर म धनय हआ |

इमसकन न अपन गर थोरो स जो परापत ककया उसक मदहमागान म व भावववभोर हो जात थ |

शरी रामकषटर परमहस परकता का अनभव करानवाल अपन सदगरदव की परशसा करत नही अघात थ |

पजयपाद सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज भी अपन सदगरदव की याद म सनह क आास बहाकर गदगद कठ हो जात थ |

पजय बापजी भी अपन सदगरदव की याद म कस हो जात ह यह तो दखत ही बनता ह | अब हम उनकी याद म कस होत ह यह परशन ह | बदहमकख तनगर लोग कछ भी कह साधक को अपन सदगर स कया लमलता ह इस तो साधक ही जानत ह |

(अनिम) पावन उदगार

लडी िाहियन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान ि परकि मशवजी

सा सग ससार ि दलयभ िनटय शरीर |

सतसग सषवत ततव ह बतरषव ताप की पीर ||

मानव-दह लमलना दलकभ ह और लमल भी जाय तो आचधदववक आचधभौततक और आरधयालसमक य तीन ताप मनषटय को तपात रहत ह | ककत मनषटय-दह म भी पववतरता हो सचचाई हो शदधता हो और साध-सग लमल जाय तो य तरतरववध ताप लमट जात ह |

सन १८७९ की बात ह | भारत म तरबरदटश शासन था उनही ददनो अगरजो न अफगातनसतान पर आिमर कर ददया | इस यदध का सचालन आगर मालवा तरबरदटश छावनी क ललफ़टनट कनकल मादटकन को सौपा गया था | कनकल मादटकन समय-समय पर यदध-कषतर स अपनी पसनी को कशलता क समाचार भजता रहता था | यदध लबा चला और अब तो सदश आन भी बद हो गय | लडी मादटकन को चचता सतान लगी कक कही कछ अनथक न हो गया हो अफगानी सतनको न मर पतत को मार न डाला हो | कदाचचत पतत यदध म शहीद हो गय तो म जीकर कया करा गी -यह सोचकर वह अनक शका-कशकाओ स तघरी रहती थी | चचनतातर बनी वह एक ददन घोड़ पर बठकर घमन जा रही थी | मागक म ककसी मददर स आती हई शख व मतर रधवतन न उस आकवषकत ककया | वह एक पड़ स अपना घोड़ा बााधकर मददर म गयी | बजनाथ महादव क इस मददर म लशवपजन म तनमगन पडडतो स उसन पछा आप लोग कया कर रह ह एक वरदध बराहमर न कहा हम भगवान लशव का पजन कर रह ह | लडी मादटकन लशवपजन की कया महतता ह

बराहमर बटी भगवान लशव तो औढरदानी ह भोलनाथ ह | अपन भकतो क सकट-तनवारर करन म व ततनक भी दर नही करत ह | भकत उनक दरबार म जो भी मनोकामना लकर क आता ह उस व शीघर परी करत ह ककत बटी तम बहत चचलनतत और उदास नजर आ रही हो कया बात ह लडी मादटकन मर पततदव यदध म गय ह और ववगत कई ददनो स उनका कोई समाचार नही आया ह | व यदध म फा स गय ह या मार गय ह कछ पता नही चल रहा | म उनकी ओर स बहत चचलनतत हा | इतना कहत हए लडी मादटकन की आाख नम हो गयी | बराहमर तम चचनता मत करो बटी लशवजी का पजन करो उनस पराथकना करो लघरिी करवाओ |

भगवान लशव तमहार पतत का रकषर अवशय करग |

पडडतो की सलाह पर उसन वहाा गयारह ददन का ॐ नमः लशवाय मतर स लघरिी अनषटठान परारभ ककया तथा परततददन भगवान लशव स अपन पतत की रकषा क ललए पराथकना करन लगी कक ह भगवान लशव ह बजनाथ महादव यदद मर पतत यदध स सकशल लौट आय तो म आपका लशखरबद मददर बनवाऊा गी | लघरिी की पराकहतत क ददन भागता हआ एक सदशवाहक लशवमददर म आया और लडी मादटकन को एक ललफाफा ददया | उसन घबरात-घबरात वह ललफाफा खोला और पढन लगी |

पतर म उसक पतत न ललखा था हम यदध म रत थ और तम तक सदश भी भजत रह लककन

आक पठानी सना न घर ललया | तरबरदटश सना कट मरती और म भी मर जाता | ऐसी ववकट पररलसथतत म हम तघर गय थ कक परार बचाकर भागना भी असयाचधक कदठन था | इतन म मन दखा कक यदधभलम म भारत क कोई एक योगी लजनकी बड़ी लमबी जटाएा ह हाथ म तीन नोकवाला एक हचथयार (तरतरशल) इतनी तीवर गतत स घम रहा था कक पठान सतनक उनह दखकर भागन लग | उनकी कपा स घर स हम तनकलकर पठानो पर वार करन का मौका लमल गया और हमारी हार की घडड़याा अचानक जीत म बदल गयी | यह सब भारत क उन बाघामबरधारी एव तीन नोकवाला हचथयार धारर ककय हए (तरतरशलधारी) योगी क कारर ही समभव हआ | उनक महातजसवी वयलकतसव क परभाव स दखत-ही-दखत अफगातनसतान की पठानी सना भाग खड़ी हई और व परम योगी मझ दहममत दत हए कहन लग | घबराओ नही | म भगवान लशव हा तथा तमहारी पसनी की पजा स परसनन होकर तमहारी रकषा करन आया हा उसक सहाग की रकषा करन आया हा |

पतर पढत हए लडी मादटकन की आाखो स अववरत अशरधारा बहती जा रही थी उसका हदय अहोभाव स भर गया और वह भगवान लशव की परततमा क सममख लसर रखकर पराथकना करत-करत रो पड़ी | कछ सपताह बाद उसका पतत कनकल मादटकन आगर छावनी लौटा | पसनी न उस सारी बात सनात हए कहा आपक सदश क अभाव म म चचलनतत हो उठी थी लककन बराहमरो की सलाह स लशवपजा म लग गयी और आपकी रकषा क ललए भगवान लशव स पराथकना करन लगी | उन दःखभजक महादव न मरी पराथकना सनी और आपको सकशल लौटा ददया | अब तो पतत-पसनी दोनो ही तनयलमत रप स बजनाथ महादव क मददर म पजा-अचकना करन लग | अपनी पसनी की इचछा पर कनकल मादटकन म सन १८८३ म पिह हजार रपय दकर बजनाथ महादव मददर का जीरोदवार करवाया लजसका लशलालख आज भी आगर मालवा क इस मददर म लगा ह | पर भारतभर म अगरजो दवार तनलमकत यह एकमातर दहनद मददर ह |

यरोप जान स पवक लडी मादटकन न पडड़तो स कहा हम अपन घर म भी भगवान लशव का मददर बनायग तथा इन दःख-तनवारक दव की आजीवन पजा करत रहग |

भगवान लशव म भगवान कषटर म माा अमबा म आसमवतता सदगर म सतता तो एक ही ह | आवशयकता ह अटल ववशवास की | एकलवय न गरमतत क म ववशवास कर वह परापत कर ललया जो

अजकन को कदठन लगा | आरखर उपमनय धरव परहलाद आदद अनय सकड़ो उदारहर हमार सामन परसयकष ह | आज भी इस परकार का सहयोग हजारो भकतो को साधको को भगवान व आसमवतता सदगरओ क दवारा तनरनतर परापत होता रहता ह | आवशयकता ह तो बस कवल ववशवास की |

(अनिम) पावन उदगार

सखप वयक परसवकारक ितर

पहला उपाय

ए ही भगवतत भगिामलतन चल चल भरािय भरािय पटप षवकासय षवकासय सवाहा |

इस मतर दवारा अलभमतरतरत दध गलभकरी सतरी को वपलाय तो सखपवकक परसव होगा |

द सरा उपाय

गलभकरी सतरी सवय परसव क समय जमभला-जमभला जप कर |

तीसरा उपाय

दशी गाय क गोबर का १२ स १५ लमली रस ॐ नमो नारायराय मतर का २१ बार जप करक पीन स भी परसव-बाधाएा दर होगी और तरबना ऑपरशन क परसव होगा |

परसतत क समय अमगल की आशका हो तो तनमन मतर का जप कर

सवयिगल िागलय मशव सवायथय साध क |

शरणय तरयमबक गौरी नारायणी निोSसतत ||

(दगायसपतशती)

(अनिम) पावन उदगार

सवागीण षवकास की कषजया यादशषकत बढ़ान हतः परततददन 15 स 20 लमली तलसी रस व एक चममच चयवनपराश

का थोड़ा सा घोल बना क सारसवसय मतर अथवा गरमतर जप कर पीय 40 ददन म चमसकाररक लाभ होगा

भोजन क बाद एक लडड चबा-चबाकर खाय

100 गराम सौफ 100 गराम बादाम 200 गराम लमशरी तीनो को कटकर लमला ल सबह यह लमशरर 3 स 5 गराम चबा-चबाकर खाय ऊपर स दध पी ल (दध क साथ भी ल सकत ह) इसस भी यादशलकत बढगी

पढ़ा हआ पाठ याद रह इस हतः अरधययन क समय पवक या उततर की ओर माह करक सीध बठ

सारसवसय मतर का जप करक कफर जीभ की नोक को ताल म लगाकर पढ

अरधययन क बीच-बीच म अत म शात हो और पढ हए का मनन कर ॐ शातत रामराम या गरमतर का समरर करक शात हो

कद बढ़ान हतः परातःकाल दौड़ लगाय पल-अपस व ताड़ासन कर तथा 2 काली लमचक क टकड़ करक मकखन म लमलाकर तनगल जाय दशी गाय का दध कदवदचध म ववशष सहायक ह

शरीरपषटि हतः भोजन क पहल हरड़ चस व भोजन क साथ भी खाय

रातरतर म एक चगलास पानी म एक नीब तनचोड़कर उसम दो ककशलमश लभगो द सबह पानी छानकर पी जाय व ककशलमश चबाकर खा ल

नतरजयोतत बढ़ान हतः सौफ व लमशरी 1-1 चममच लमलाकर रात को सोत समय खाय यह परयोग तनयलमत रप स 5-6 माह तक कर

नतररोगो स रकषा हतः परो क तलवो व अागठो की सरसो क तल स माललश कर ॐ अरणाय ह फट सवाहा इस जपत हए आाख धोन स अथाकत आाखो म धीर-धीर पानी छााटन स आाखो की असहय पीड़ा लमटती ह

डरावन बर सवपनो स बचाव हतः ॐ हरय निः मतर जपत हए सोय लसरहान आशरम की तनःशकक परसादी गरहदोष-बाधा तनवारक यतर रख द

दःख िसीबत एव गरहबा ा तनवारण हतः जनमददवस क अवसर पर महामसयञजय मतर का जप करत हए घी दध शहद और दवाक घास क लमशरर की आहततयाा डालत हए हवन कर इसस जीवन म दःख आदद का परभाव शात हो जायगा व नया उससाह परापत होगा

घर ि सख सवासथय व शातत हतः रोज परातः व साय दशी गाय क गोबर स बन कणड का एक छोटा टकड़ा जला ल उस पर दशी गौघत लमचशरत चावल क कछ दान डाल द ताकक व जल जाय इसस घर म सवासथय व शातत बनी रहती ह तथा वासतदोषो का तनवारर होता ह

आधयाषतिक उननतत हतः चलत कफरत दतनक कायक करत हए भगवननाम का जप सब म भगवननाम हर दो कायो क बीच थोड़ा शात होना सबकी भलाई म अपना भला मानना मन क ववचारो पर तनगरानी रखना आदरपवकक सससग व सवारधयाय करना आदद शीघर आरधयालसमक उननतत क उपाय ह

(अनिम) पावन उदगार

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Page 3: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत

दखखय सौ शरद औrsquoकीलजए सकमक वपरय सदा सवसथ रहना ही कततकवय तमहारा ह

लााघ गया पवनसत बरहमचयक स ही लसध मघनाद मार कीततक लखन कमायी ह

लका बीच अगद न जााघ जब रोप दई हटा नही सका लजस कोई बलदायी ह

पाला वरत बरहमचयक राममतत क गामा न भी दश और ववदशो म नामवरी2 पायी ह

भारत क वीरो तम ऐस वीयकवान बनो बरहमचयक मदहमा तो वदन म गायी ह

1- एकाचधकार 2- परलसदचध

ॐॐॐॐॐॐ

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

अनकरि

यौवन सरकषा

परसतावना

वीयकवान बनो

बरहमचयक रकषा हत मतर

परमपजय बाप जी की कपा-परसाद स लाभालनवत हदयो क उदगार

महामसयजय मतर

मगली बाधा तनवारक मतर

1 ववदयाचथकयो माता-वपता-अलभभावको व राषटर क करकधारो क नाम बरहमतनषटठ सत शरी आसारामजी बाप का सदश

2 यौवन-सरकषा

बरहमचयक कया ह

बरहमचयक उसकषटट तप ह

वीयकरकषर ही जीवन ह

आधतनक चचककससको का मत

वीयक कस बनता ह

आकषकक वयलकतसव का कारर

माली की कहानी

सलषटट िम क ललए मथन एक पराकततक वयवसथा

सहजता की आड़ म भरलमत न होव

अपन को तोल

मनोतनगरह की मदहमा

आसमघाती तकक

सतरी परसग ककतनी बार

राजा ययातत का अनभव

राजा मचकनद का परसग

गलत अभयास का दषटपररराम

वीयकरकषर सदव सतसय

अजकन और अगारपरक गधवक

बरहमचयक का तालववक अथक

3 वीयकरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय

उपयकत आहार

लशशनलनिय सनान

उचचत आसन एव वयायाम करो

बरहममहतक म उठो

दवयकसनो स दर रहो

सससग करो

शभ सककप करो

तरतरबनधयकत परारायाम और योगाभयास करो

नीम का पड चला

सतरी-जातत क परतत मातभाव परबल करो

लशवाजी का परसग

अजकन और उवकशी

वीयकसचय क चमसकार

भीषटम वपतामह और वीर अलभमनय

पथवीराज चौहान कयो हारा

सवामी रामतीथक का अनभव

यवा वगक स दो बात

हसतमथन का दषटपररराम

अमररका म ककया गया परयोग

कामशलकत का दमन या ऊरधवकगमन

एक साधक का अनभव

दसर साधक का अनभव

योगी का सककपबल

कया यह चमसकार ह

हसतमथन व सवपनदोष स कस बच

सदव परसनन रहो

वीयक का ऊरधवकगमन कया ह

वीयकरकषा का महववपरक परयोग

दसरा परयोग

वीयकरकषक चरक

गोद का परयोग

बरहमचयक रकषा हत मतर

पादपलशचमोततानासन

पादागषटठानासन

बदचधशलकतवधकक परयोगः

हमार अनभव

महापरष क दशकन का चमसकार

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह

बरहमचयक ही जीवन ह

शासतरवचन

भसमासर िोध स बचो

बरहमाचयक-रकषा का मतर

सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही बाप जी का अवतरर हआ ह

हर वयलकत जो तनराश ह उस आसाराम जी की जररत ह

बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहमजञान का ददवय सससग

बाप जी का सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

भगवननाम का जाद

पजयशरी क सससग म परधानमतरी शरी अटल तरबहारी वाजपयीजी क उदगार

प बापः राषटरसख क सवधकक

राषटर उनका ऋरी ह

गरीबो व वपछड़ो को ऊपर उठान क कायक चाल रह

सराहनीय परयासो की सफलता क ललए बधाई

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आप समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह

योग व उचच ससकार लशकषा हत भारतवषक आपका चचर-आभारी रहगा

आपन जो कहा ह हम उसका पालन करग

जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

बापजी सवकतर ससकार धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह

आपक दशकनमातर स मझ अदभत शलकत लमलती ह

हम सभी का कतकवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल

आपका मतर हः आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए

सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा

ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

पणयोदय पर सत समागम

बापजी जहाा नही होत वहाा क लोगो क ललए भी बहत कछ करत ह

जीवन की सचची लशकषा तो पजय बापजी ही द सकत ह

आपकी कपा स योग की अरशलकत पदा हो रही ह

धरती तो बाप जस सतो क कारर दटकी ह

म कमनसीब हा जो इतन समय तक गरवारी स वचचत रहा

इतनी मधर वारी इतना अदभत जञान

सससग शरवर स मर हदय की सफाई हो गयी

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहाा आ गयी

बाप जी क सससग स ववशवभर क लोग लाभालनवत

परी डडकशनरी याद कर ववशव ररकॉडक बनाया

मतरदीकषा व यौचगक परयोगो स बदचध का अपरततम ववकास

सससग व मतरदीकषा न कहाा स कहाा पहाचा ददया

5 वषक क बालक न चलायी जोखखम भरी सड़को पर कार

ऐस सतो का लजतना आदर ककया जाय कम ह

मझ तनवयकसनी बना ददया

गरजी की तसवीर न परार बचा ललय

सदगर लशषटय का साथ कभी नही छोड़त

गरकपा स अधापन दर हआ

और डकत घबराकर भाग गय

मतर दवारा मतदह म परार-सचार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस लमली

बड़दादा की लमटटी व जल स जीवनदान

पजय बाप न फ का कपा-परसाद

बटी न मनौती मानी और गरकपा हई

और गरदव की कपा बरसी

गरदव न भजा अकषयपातर

सवपन म ददय हए वरदान स पतरपरालपत

शरी आसारामायर क पाठ स जीवनदान

गरवारी पर ववशवास स अवरीय लाभ

सवफल क दो टकड़ो स दो सतान

साइककल स गरधाम जान पर खराब टााग ठीक हो गयी

अदभत रही मौनमददर की साधना

असारधय रोग स मलकत

कसट का चमसकार

पजयशरी की तसवीर स लमली परररा

नतरतरबद का चमसकार

मतर स लाभ

काम िोध पर ववजय पायी

जला हआ कागज पवक रप म

नदी की धारा मड़ गयी

सदगर-मदहमा

लडी मादटकन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान म परकट लशवजी

सखपवकक परसवकारक मतर

सवाागीर ववकास की कलजयाा

ॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

िहाितयजय ितर

ॐ हौ ज सः ॐ भ भयवः सवः ॐ तरयमबक यजािह सगध पषटिव यनि उवायरकमिव

बन नानितयोियकषकषय िाितात सवः भवः भ ः ॐ सः ज हौ ॐ

भगवान लशव का यह महामसयजय मतर जपन स अकाल मसय तो टलती ही ह आरोगयता की भी परालपत होती ह सनान करत समय शरीर पर लोट स पानी डालत वकत इस मतर का जप करन स सवासथय लाभ होता ह दध म तनहारत हए इस मतर का जप करक दध पी ललया जाय तो यौवन की सरकषा म भी सहायता लमलती ह आजकल की तज रफतार वाली लजदगी क कहाा उपिव दघकटना हो जाय कहना मलशकल ह घर स तनकलत समय एक बार यह मतर जपन वाला उपिवो स सरकषकषत

रहता ह और सरकषकषत लौटता ह (इस मतर क अनषटठान की परक जानकारी क ललए आशरम की आरोगयतनध पसतक पढ

शरीिदभागवत क आठव सक ि तीसर अधयाय क शलोक 1 स 33 तक ि वरणयत गजनर िोकष सतोतर का पाठ करन स तिाि षवघन द र होत ह

िगली बा ा तनवारक ितर

अ रा अ इस मतर को 108 बार जपन स िोध दर होता ह जनमकणडली म मगली दोष होन स लजनक वववाह न हो रह हो व 27 मगलवार इसका 108 बार जप करत हए वरत रख क हनमान जी पर लसदर का चोला चढाय तो मगल बाधा का कषय होता ह

1 षवदयाधथययो िाता-षपता-अमभभावको व राटर क कणय ारो क नाि बरहितनटठ सत शरी आसारािजी बाप का सदश

हमार दश का भववषटय हमारी यवा पीढी पर तनभकर ह ककनत उचचत मागकदशकन क अभाव म वह

आज गमराह हो रही ह |

पाशचासय भोगवादी सभयता क दषटपरभाव स उसक यौवन का हरास होता जा रहा ह | ववदशी चनल

चलचचतर अशलील सादहसय आदद परचार मारधयमो क दवारा यवक-यवततयो को गमराह ककया जा रहा ह

| ववलभनन सामतयको और समाचार-पतरो म भी तथाकचथत पाशचासय मनोववजञान स परभाववत मनोचचककससक और lsquoसकसोलॉलजसटrsquo यवा छातर-छातराओ को चररतर सयम और नततकता स भरषटट करन पर तल हए ह |

तरबरतानी औपतनवलशक ससकतत की दन इस वततकमान लशकषा-परराली म जीवन क नततक मकयो क परतत उदासीनता बरती गई ह | फलतः आज क ववदयाथी का जीवन कौमायकवसथा स ही ववलासी और असयमी हो जाता ह |

पाशचासय आचार-वयवहार क अधानकरर स यवानो म जो फशनपरसती अशदध आहार-ववहार क

सवन की परववतत कसग अभिता चलचचतर-परम आदद बढ रह ह उसस ददनोददन उनका पतन होता जा रहा ह | व तनबकल और कामी बनत जा रह ह | उनकी इस अवदशा को दखकर ऐसा लगता ह कक व बरहमचयक की मदहमा स सवकथा अनलभजञ ह |

लाखो नही करोड़ो-करोड़ो छातर-छातराएा अजञानतावश अपन तन-मन क मल ऊजाक-सरोत का वयथक म अपकषय कर परा जीवन दीनता-हीनता-दबकलता म तबाह कर दत ह और सामालजक अपयश क भय

स मन-ही-मन कषटट झलत रहत ह | इसस उनका शारीररक-मानलसक सवासथय चौपट हो जाता ह

सामानय शारीररक-मानलसक ववकास भी नही हो पाता | ऐस यवान रकताकपता ववसमरर तथा दबकलता स पीडड़त होत ह |

यही वजह ह कक हमार दश म औषधालयो चचककससालयो हजारो परकार की एलोपचथक दवाइयो इनजकशनो आदद की लगातार वदचध होती जा रही ह | असखय डॉकटरो न अपनी-अपनी दकान खोल

रखी ह कफर भी रोग एव रोचगयो की सखया बढती ही जा रही ह |

इसका मल कारर कया ह दवयकसन तथा अनततक अपराकततक एव अमयाकददत मथन दवारा वीयक की कषतत ही इसका मल कारर ह | इसकी कमी स रोगपरततकारक शलकत घटती ह जीवनशलकत का हरास होता ह |

इस दश को यदद जगदगर क पद पर आसीन होना ह ववशव-सभयता एव ववशव-ससकतत का लसरमौर बनना ह उननत सथान कफर स परापत करना ह तो यहाा की सनतानो को चादहए कक व बरहमचयक क महसव को समझ और सतत सावधान रहकर सखती स इसका पालन कर |

बरहमचयक क दवारा ही हमारी यवा पीढी अपन वयलकतसव का सतललत एव शरषटठतर ववकास कर सकती ह | बरहमचयक क पालन स बदचध कशागर बनती ह रोगपरततकारक शलकत बढती ह तथा महान-

स-महान लकषय तनधाकररत करन एव उस समपाददत करन का उससाह उभरता ह सककप म दढता आती ह मनोबल पषटट होता ह |

आरधयालसमक ववकास का मल भी बरहमचयक ही ह | हमारा दश औदयोचगक तकनीकी और आचथकक

कषतर म चाह ककतना भी ववकास कर ल समदचध परापत कर ल कफर भी यदद यवाधन की सरकषा न हो पाई तो यह भौततक ववकास अत म महाववनाश की ओर ही ल जायगा कयोकक सयम सदाचार

आदद क पररपालन स ही कोई भी सामालजक वयवसथा सचार रप स चल सकती ह | भारत का सवाागीर ववकास सचचररतर एव सयमी यवाधन पर ही आधाररत ह |

अतः हमार यवाधन छातर-छातराओ को बरहमचयक म परलशकषकषत करन क ललए उनह यौन-सवासथय

आरोगयशासतर दीघाकय-परालपत क उपाय तथा कामवासना तनयतरतरत करन की ववचध का सपषटट जञान परदान करना हम सबका अतनवायक कततकवय ह | इसकी अवहलना करना हमार दश व समाज क दहत म नही ह | यौवन सरकषा स ही सदढ राषटर का तनमाकर हो सकता ह |

(अनिम)

2 यौवन-सरकषा शरीरिादय खल ियसा नि |

धमक का साधन शरीर ह | शरीर स ही सारी साधनाएा समपनन होती ह | यदद शरीर कमजोर ह तो उसका परभाव मन पर पड़ता ह मन कमजोर पड़ जाता ह |

कोई भी कायक यदद सफलतापवकक करना हो तो तन और मन दोनो सवसथ होन चादहए | इसीललय

कई बढ लोग साधना की दहममत नही जटा पात कयोकक वषतयक भोगो स उनक शरीर का सारा ओज-तज नषटट हो चका होता ह | यदद मन मजबत हो तो भी उनका जजकर शरीर परा साथ नही द पाता | दसरी ओर यवक वगक साधना करन की कषमता होत हए भी ससार की चकाचौध स परभाववत

होकर वषतयक सखो म बह जाता ह | अपनी वीयकशलकत का महसव न समझन क कारर बरी आदतो म पड़कर उस खचक कर दता ह कफर लजनदगी भर पछताता रहता ह |

मर पास कई ऐस यवक आत ह जो भीतर-ही भीतर परशान रहत ह | ककसीको व अपना दःख-ददक सना नही पात कयोकक बरी आदतो म पड़कर उनहोन अपनी वीयकशलकत को खो ददया ह | अब मन

और शरीर कमजोर हो गय गय ससार उनक ललय दःखालय हो गया ईशवरपरालपत उनक ललए असभव हो गई | अब ससार म रोत-रोत जीवन घसीटना ही रहा |

इसीललए हर यग म महापरष लोग बरहमचयक पर जोर दत ह | लजस वयलकत क जीवन म सयम

नही ह वह न तो सवय की ठीक स उननतत कर पाता ह और न ही समाज म कोई महान कायक कर पाता ह | ऐस वयलकतयो स बना हआ समाज और दश भी भौततक उननतत व आरधयालसमक उननतत म वपछड़ जाता ह | उस दश का शीघर पतन हो जाता ह |

(अनिम)

बरहिचयय कया ह

पहल बरहमचयक कया ह- यह समझना चादहए | lsquoयाजञवककय सदहताrsquo म आया ह

कियणा िनसा वाचा सवायसथास सवयदा |

सवयतर िथनतआगो बरहिचय परचकषत ||

lsquoसवक अवसथाओ म मन वचन और कमक तीनो स मथन का सदव सयाग हो उस बरहमचयक कहत ह |rsquo

भगवान वदवयासजी न कहा ह

बरहिचय गपतषनरसयोपसथसय सयिः |

lsquoववषय-इलनियो दवारा परापत होन वाल सख का सयमपवकक सयाग करना बरहमचयक ह |rsquo

भगवान शकर कहत ह

मसद बबनदौ िहादषव कक न मसद यतत भ तल |

lsquoह पावकती तरबनद अथाकत वीयकरकषर लसदध होन क बाद कौन-सी लसदचध ह जो साधक को परापत नही हो सकती rsquo

साधना दवारा जो साधक अपन वीयक को ऊरधवकगामी बनाकर योगमागक म आग बढत ह व कई

परकार की लसदचधयो क माललक बन जात ह | ऊरधवकरता योगी परष क चररो म समसत लसदचधयाा दासी बनकर रहती ह | ऐसा ऊरधवकरता परष परमाननद को जकदी पा सकता ह अथाकत आसम-साकषासकार जकदी कर सकता ह |

दवताओ को दवसव भी इसी बरहमचयक क दवारा परापत हआ ह

बरहिचयण तपसा दवा ितयिपाघनत |

इनरो ह बरहिचयण दवभयः सवराभरत ||

lsquoबरहमचयकरपी तप स दवो न मसय को जीत ललया ह | दवराज इनि न भी बरहमचयक क परताप स ही दवताओ स अचधक सख व उचच पद को परापत ककया ह |rsquo

(अथवकवद 1519)

बरहमचयक बड़ा गर ह | वह ऐसा गर ह लजसस मनषटय को तनसय मदद लमलती ह और जीवन क सब

परकार क खतरो म सहायता लमलती ह |

(अनिम)

बरहिचयय उतकटि तप ह

ऐस तो तपसवी लोग कई परकार क तप करत ह परनत बरहमचयक क बार म भगवान शकर कहत ह

न तपसतप इतयाहबरयहिचय तपोततिि |

ऊधवयरता भवदयसत स दवो न त िानिः ||

lsquoबरहमचयक ही उसकषटट तप ह | इसस बढकर तपशचयाक तीनो लोको म दसरी नही हो सकती | ऊरधवकरता परष इस लोक म मनषटयरप म परसयकष दवता ही ह |rsquo

जन शासतरो म भी इस उसकषटट तप बताया गया ह |

तवस वा उतति बभचरि |

lsquoबरहमचयक सब तपो म उततम तप ह |rsquo

वीययरकषण ही जीवन ह

वीयक इस शरीररपी नगर का एक तरह स राजा ही ह | यह वीयकरपी राजा यदद पषटट ह बलवान ह

तो रोगरपी शतर कभी शरीररपी नगर पर आिमर नही करत | लजसका वीयकरपी राजा तनबकल ह उस

शरीररपी नगर को कई रोगरपी शतर आकर घर लत ह | इसीललए कहा गया ह

िरण बबनदोपातन जीवन बबनद ारणात |

lsquoतरबनदनाश (वीयकनाश) ही मसय ह और तरबनदरकषर ही जीवन ह |rsquo

जन गरथो म अबरहमचयक को पाप बताया गया ह

अबभचररय घोर पिाय दरहहठहठयि |

lsquoअबरहमचयक घोर परमादरप पाप ह |rsquo (दश वकाललक सतर 617)

lsquoअथवदrsquo म इस उसकषटट वरत की सजञा दी गई ह

वरति व व बरहिचययि |

वदयकशासतर म इसको परम बल कहा गया ह

बरहिचय पर बलि | lsquoबरहमचयक परम बल ह |rsquo

वीयकरकषर की मदहमा सभी न गायी ह | योगीराज गोरखनाथ न कहा ह

कत गया क कामिनी झ र | बबनद गया क जोगी ||

lsquoपतत क ववयोग म कालमनी तड़पती ह और वीयकपतन स योगी पशचाताप करता ह |rsquo

भगवान शकर न तो यहाा तक कह ददया कक इस बरहमचयक क परताप स ही मरी ऐसी महान मदहमा हई ह

यसय परसादानिहहिा ििापयतादशो भवत |

(अनिम)

आ तनक धचककतसको का ित

यरोप क परततलषटठत चचककससक भी भारतीय योचगयो क कथन का समथकन करत ह | डॉ तनकोल

कहत ह

ldquoयह एक भषलजक और ददहक तथय ह कक शरीर क सवोततम रकत स सतरी तथा परष दोनो ही जाततयो म परजनन तवव बनत ह | शदध तथा वयवलसथत जीवन म यह तवव पनः अवशोवषत हो जाता ह | यह सकषमतम मलसतषटक सनाय तथा मासपलशय ऊततको (Tissue) का तनमाकर करन क ललय तयार

होकर पनः पररसचारर म जाता ह | मनषटय का यह वीयक वापस ऊपर जाकर शरीर म ववकलसत होन पर उस तनभीक बलवान साहसी तथा वीर बनाता ह | यदद इसका अपवयय ककया गया तो यह उसको सतरर दबकल कशकलवर एव कामोततजनशील बनाता ह तथा उसक शरीर क अगो क कायकवयापार को ववकत एव सनायततर को लशचथल (दबकल) करता ह और उस लमगी (मगी) एव अनय अनक रोगो और

मसय का लशकार बना दता ह | जननलनिय क वयवहार की तनवतत स शारीररक मानलसक तथा अरधयालसमक बल म असाधारर वदचध होती ह |rdquo

परम धीर तथा अरधयवसायी वजञातनक अनसधानो स पता चला ह कक जब कभी भी रतःसराव को सरकषकषत रखा जाता तथा इस परकार शरीर म उसका पनवकशोषर ककया जाता ह तो वह रकत को समदध तथा मलसतषटक को बलवान बनाता ह |

डॉ डडओ लई कहत ह ldquoशारीररक बल मानलसक ओज तथा बौदचधक कशागरता क ललय इस तवव

का सरकषर परम आवशयक ह |rdquo

एक अनय लखक डॉ ई पी लमलर ललखत ह ldquoशिसराव का सवलचछक अथवा अनलचछक अपवयय

जीवनशलकत का परसयकष अपवयय ह | यह परायः सभी सवीकार करत ह कक रकत क सवोततम तवव

शिसराव की सरचना म परवश कर जात ह | यदद यह तनषटकषक ठीक ह तो इसका अथक यह हआ कक

वयलकत क ककयार क ललय जीवन म बरहमचयक परम आवशयक ह |rdquo

पलशचम क परखयात चचककससक कहत ह कक वीयककषय स ववशषकर तररावसथा म वीयककषय स ववववध परकार क रोग उसपनन होत ह | व ह शरीर म वरर चहर पर माहास अथवा ववसफोट नतरो क चतददकक नीली रखाय दाढी का अभाव धास हए नतर रकतकषीरता स पीला चहरा समततनाश दलषटट की कषीरता मतर क साथ वीयकसखलन अणडकोश की वदचध अणडकोशो म पीड़ा दबकलता तनिालता आलसय उदासी हदय-कमप शवासावरोध या कषटटशवास यकषमा पषटठशल कदटवात शोरोवदना सचध-पीड़ा दबकल वकक तनिा म मतर तनकल जाना मानलसक अलसथरता ववचारशलकत का अभाव दःसवपन

सवपन दोष तथा मानलसक अशातत |

उपरोकत रोग को लमटान का एकमातर ईलाज बरहमचयक ह | दवाइयो स या अनय उपचारो स य रोग सथायी रप स ठीक नही होत |

(अनिम)

वीयय कस बनता ह

वीयक शरीर की बहत मकयवान धात ह | भोजन स वीयक बनन की परकिया बड़ी लमबी ह | शरी सशरताचायक न ललखा ह

रसारकत ततो िास िासानिदः परजायत |

िदसयाषसथः ततो िजजा िजजाया शकरसभवः ||

जो भोजन पचता ह उसका पहल रस बनता ह | पााच ददन तक उसका पाचन होकर रकत बनता ह | पााच ददन बाद रकत म स मास उसम स 5-5 ददन क अतर स मद मद स हडडी हडडी स मजजा और मजजा स अत म वीयक बनता ह | सतरी म जो यह धात बनती ह उस lsquoरजrsquo कहत ह |

वीयक ककस परकार छः-सात मलजलो स गजरकर अपना यह अततम रप धारर करता ह यह सशरत क इस कथन स जञात हो जाता ह | कहत ह कक इस परकार वीयक बनन म करीब 30 ददन व 4 घणट लग जात ह | वजञतनक लोग कहत ह कक 32 ककलोगराम भोजन स 700 गराम रकत बनता ह और 700

गराम रकत स लगभग 20 गराम वीयक बनता ह |

(अनिम)

आकियक वयषकततव का कारण

इस वीयक क सयम स शरीर म एक अदभत आकषकक शलकत उसपनन होती ह लजस पराचीन वदय धनवतरर न lsquoओजrsquo नाम ददया ह | यही ओज मनषटय को अपन परम-लाभ lsquoआसमदशकनrsquo करान म सहायक बनता ह | आप जहाा-जहाा भी ककसी वयलकत क जीवन म कछ ववशषता चहर पर तज वारी म बल कायक म उससाह पायग वहाा समझो इस वीयक रकषर का ही चमसकार ह |

यदद एक साधारर सवसथ मनषटय एक ददन म 700 गराम भोजन क दहसाब स चालीस ददन म 32

ककलो भोजन कर तो समझो उसकी 40 ददन की कमाई लगभग 20 गराम वीयक होगी | 30 ददन अथाकत

महीन की करीब 15 गराम हई और 15 गराम या इसस कछ अचधक वीयक एक बार क मथन म परष

दवारा खचक होता ह |

िाली की कहानी

एक था माली | उसन अपना तन मन धन लगाकर कई ददनो तक पररशरम करक एक सनदर बगीचा तयार ककया | उस बगीच म भाातत-भाातत क मधर सगध यकत पषटप खखल | उन पषटपो को चनकर

उसन इकठठा ककया और उनका बदढया इतर तयार ककया | कफर उसन कया ककया समझ आप hellip उस

इतर को एक गदी नाली ( मोरी ) म बहा ददया |

अर इतन ददनो क पररशरम स तयार ककय गय इतर को लजसकी सगनध स सारा घर महकन वाला था उस नाली म बहा ददया आप कहग कक lsquoवह माली बड़ा मखक था पागल था helliprsquo मगर अपन आपम ही झााककर दख | वह माली कही और ढाढन की जररत नही ह | हमम स कई लोग ऐस ही माली ह |

वीयक बचपन स लकर आज तक यानी 15-20 वषो म तयार होकर ओजरप म शरीर म ववदयमान

रहकर तज बल और सफततक दता रहा | अभी भी जो करीब 30 ददन क पररशरम की कमाई थी उस या ही सामानय आवग म आकर अवववकपवकक खचक कर दना कहाा की बदचधमानी ह

कया यह उस माली जसा ही कमक नही ह वह माली तो दो-चार बार यह भल करन क बाद ककसी क समझान पर साभल भी गया होगा कफर वही-की-वही भल नही दोहराई होगी परनत आज तो कई लोग वही भल दोहरात रहत ह | अत म पशचाताप ही हाथ लगता ह |

कषखरक सख क ललय वयलकत कामानध होकर बड़ उससाह स इस मथनरपी कसय म पड़ता ह परनत कसय परा होत ही वह मद जसा हो जाता ह | होगा ही | उस पता ही नही कक सख तो नही लमला कवल सखाभास हआ परनत उसम उसन 30-40 ददन की अपनी कमाई खो दी |

यवावसथा आन तक वीयकसचय होता ह वह शरीर म ओज क रप म लसथत रहता ह | वह तो वीयककषय स नषटट होता ही ह अतत मथन स तो हडडडयो म स भी कछ सफद अश तनकलन लगता ह

लजसस असयचधक कमजोर होकर लोग नपसक भी बन जात ह | कफर व ककसी क सममख आाख

उठाकर भी नही दख पात | उनका जीवन नारकीय बन जाता ह |

वीयकरकषर का इतना महसव होन क कारर ही कब मथन करना ककसस मथन करना जीवन म ककतनी बार करना आदद तनदशन हमार ॠवष-मतनयो न शासतरो म द रख ह |

(अनिम)

सषटि करि क मलए िथन एक पराकततक वयवसथा

शरीर स वीयक-वयय यह कोई कषखरक सख क ललय परकतत की वयवसथा नही ह | सनतानोसपवतत क ललय इसका वासतववक उपयोग ह | यह परकतत की वयवसथा ह |

यह सलषटट चलती रह इसक ललए सनतानोसपवतत होना जररी ह | परकतत म हर परकार की वनसपतत व परारीवगक म यह काम-परववतत सवभावतः पाई जाती ह | इस काम- परववतत क वशीभत होकर हर परारी मथन करता ह और उसका रततसख भी उस लमलता ह | ककनत इस पराकततक वयवसथा को ही बार-बार कषखरक सख का आधार बना लना कहाा की बदचधमानी ह पश भी अपनी ॠत क अनसार ही इस

कामवतत म परवत होत ह और सवसथ रहत ह तो कया मनषटय पश वगक स भी गया बीता ह पशओ म तो बदचधतसव ववकलसत नही होता परनत मनषटय म तो उसका परक ववकास होता ह |

आहारतनराभयिथन च सािानयिततपशमभनयराणाि |

भोजन करना भयभीत होना मथन करना और सो जाना यह तो पश भी करत ह | पश शरीर म रहकर हम यह सब करत आए ह | अब यह मनषटय शरीर लमला ह | अब भी यदद बदचध और

वववकपरक अपन जीवन को नही चलाया और कषखरक सखो क पीछ ही दौड़त रह तो कस अपन मल

लकषय पर पहाच पायग

(अनिम)

सहजता की आड़ ि भरमित न होव कई लोग तकक दन लग जात ह ldquoशासतरो म पढन को लमलता ह और जञानी महापरषो क

मखारववनद स भी सनन म आता ह कक सहज जीवन जीना चादहए | काम करन की इचछा हई तो काम ककया भख लगी तो भोजन ककया नीद आई तो सो गय | जीवन म कोई lsquoटनशनrsquo कोई तनाव

नही होना चादहए | आजकल क तमाम रोग इसी तनाव क ही फल ह hellip ऐसा मनोवजञातनक कहत ह | अतः जीवन सहज और सरल होना चादहए | कबीरदास जी न भी कहा ह सा ो सहज सिाध भली |rdquo

ऐसा तकक दकर भी कई लोग अपन काम-ववकार की तलपत को सहमतत द दत ह | परनत यह अपन आपको धोखा दन जसा ह | ऐस लोगो को खबर ही नही ह कक ऐसा सहज जीवन तो महापरषो का होता ह लजनक मन और बदचध अपन अचधकार म होत ह लजनको अब ससार म अपन ललय पान को कछ भी शष नही बचा ह लजनह मान-अपमान की चचनता नही होती ह | व उस आसमतवव म लसथत हो जात ह जहाा न पतन ह न उसथान | उनको सदव लमलत रहन वाल आननद म अब ससार क ववषय न तो वदचध कर सकत ह न अभाव | ववषय-भोग उन महान परषो को आकवषकत करक अब बहका या भटका नही सकत | इसललए अब उनक सममख भल ही ववषय-सामचगरयो का ढर लग जाय ककनत उनकी चतना इतनी जागत होती ह कक व चाह तो उनका उपयोग कर और चाह तो ठकरा द |

बाहरी ववषयो की बात छोड़ो अपन शरीर स भी उनका ममसव टट चका होता ह | शरीर रह अथवा न रह- इसम भी उनका आगरह नही रहता | ऐस आननदसवरप म व अपन-आपको हर समय अनभव

करत रहत ह | ऐसी अवसथावालो क ललय कबीर जी न कहा ह

सा ो सहज सिाध भली |

(अनिम)

अपन को तोल हम यदद ऐसी अवसथा म ह तब तो ठीक ह | अनयथा रधयान रह ऐस तकक की आड़ म हम अपन को धोखा दकर अपना ही पतन कर डालग | जरा अपनी अवसथा की तलना उनकी अवसथा स कर | हम तो कोई हमारा अपमान कर द तो िोचधत हो उठत ह बदला तक लन को तयार हो जात ह | हम

लाभ-हातन म सम नही रहत ह | राग-दवष हमारा जीवन ह | lsquoमरा-तराrsquo भी वसा ही बना हआ ह | lsquoमरा धन hellip मरा मकान hellip मरी पसनी hellip मरा पसा hellip मरा लमतर hellip मरा बटा hellip मरी इजजत hellip मरा पद helliprsquo

य सब ससय भासत ह कक नही यही तो दहभाव ह जीवभाव ह | हम इसस ऊपर उठ कर वयवहार कर सकत ह कया यह जरा सोच |

कई साध लोग भी इस दहभाव स छटकारा नही पा सक सामानय जन की तो बात ही कया कई

साध भी lsquoम लसतरयो की तरफ दखता ही नही हा hellip म पस को छता ही नही हा helliprsquo इस परकार की अपनी-अपनी मन और बदचध की पकड़ो म उलझ हए ह | व भी अपना जीवन अभी सहज नही कर पाए ह और हम hellip

हम अपन साधारर जीवन को ही सहज जीवन का नाम दकर ववषयो म पड़ रहना चाहत ह | कही लमठाई दखी तो माह म पानी भर आया | अपन सबधी और ररशतदारो को कोई दःख हआ तो भीतर स हम भी दःखी होन लग गय | वयापार म घाटा हआ तो माह छोटा हो गया | कही अपन घर स जयादा ददन दर रह तो बार-बार अपन घरवालो की पसनी और पतरो की याद सतान लगी | य कोई सहज जीवन क लकषर ह लजसकी ओर जञानी महापरषो का सकत ह नही |

(अनिम)

िनोतनगरह की िहहिा आज कल क नौजवानो क साथ बड़ा अनयाय हो रहा ह | उन पर चारो ओर स ववकारो को भड़कान वाल आिमर होत रहत ह |

एक तो वस ही अपनी पाशवी ववततयाा यौन उचछखलता की ओर परोससादहत करती ह और दसर

सामालजक पररलसथततयाा भी उसी ओर आकषकर बढाती ह hellip इस पर उन परववततयो को वौजञातनक

समथकन लमलन लग और सयम को हातनकारक बताया जान लग hellip कछ तथाकचथत आचायक भी फरायड जस नालसतक एव अधर मनोवजञातनक क वयलभचारशासतर को आधार बनाकर lsquoसभोग स सिाध rsquo का उपदश दन लग तब तो ईशवर ही बरहमचयक और दामपसय जीवन की पववतरता का रकषक ह |

16 लसतमबर 1977 क lsquoनययॉकक टाइमस म छपा था

ldquoअमररकन पनल कहती ह कक अमररका म दो करोड़ स अचधक लोगो को मानलसक चचककससा की आवशयकता ह |rdquo

उपरोकत परररामो को दखत हए अमररका क एक महान लखक समपादक और लशकषा ववशारद शरी मादटकन गरोस अपनी पसतक lsquoThe Psychological Societyrsquo म ललखत ह ldquoहम लजतना समझत ह उसस कही जयादा फरायड क मानलसक रोगो न हमार मानस और समाज म गहरा परवश पा ललया ह |

यदद हम इतना जान ल कक उसकी बात परायः उसक ववकत मानस क ही परतततरबमब ह और उसकी मानलसक ववकततयो वाल वयलकतसव को पहचान ल तो उसक ववकत परभाव स बचन म सहायता लमल

सकती ह | अब हम डॉ फरायड की छाया म तरबककल नही रहना चादहए |rdquo

आधतनक मनोववजञान का मानलसक ववशलषर मनोरोग शासतर और मानलसक रोग की चचककससा hellip

य फरायड क रगर मन क परतततरबमब ह | फरायड सवय सफदटक कोलोन परायः सदा रहन वाला मानलसक

अवसाद सनायववक रोग सजातीय समबनध ववकत सवभाव माईगरन कबज परवास मसय और धननाश भय साईनोसाइदटस घरा और खनी ववचारो क दौर आदद रोगो स पीडडत था |

परोफसर एडलर और परोफसर सी जी जग जस मधकनय मनोवजञातनको न फरायड क

लसदधातो का खडन कर ददया ह कफर भी यह खद की बात ह कक भारत म अभी भी कई मानलसक

रोग ववशषजञ और सकसोलॉलजसट फरायड जस पागल वयलकत क लसदधातो को आधार लकर इस दश क जवानो को अनततक और अपराकततक मथन (Sex) का सभोग का उपदश वततकमान पतरो और

सामयोको क दवारा दत रहत ह | फरायड न तो मसय क पहल अपन पागलपन को सवीकार ककया था लककन उसक लककन उसक सवय सवीकार न भी कर तो भी अनयायी तो पागल क ही मान जायग | अब व इस दश क लोगो को चररतरभरषटट करन का और गमराह करन का पागलपन छोड़ द ऐसी हमारी नमर पराथकना ह | यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पााच बार पढ और पढाएा- इसी म सभी का ककयार तनदहत ह |

आाकड़ बतात ह कक आज पाशचासय दशो म यौन सदाचार की ककतनी दगकतत हई ह इस दगकतत

क परररामसवरप वहाा क तनवालसयो क वयलकतगत जीवन म रोग इतन बढ गय ह कक भारत स 10

गनी जयादा दवाइयाा अमररका म खचक होती ह जबकक भारत की आबादी अमररका स तीन गनी जयादा ह | मानलसक रोग इतन बढ ह कक हर दस अमररकन म स एक को मानलसक रोग होता ह | दवाकसनाएा इतनी बढी ह कक हर छः सकणड म एक बलासकार होता ह और हर वषक लगभग 20 लाख कनयाएा वववाह क पवक ही गभकवती हो जाती ह | मकत साहचयक (free sex) का दहमायती होन क कारर शादी क पहल वहाा का परायः हर वयलकत जातीय सबध बनान लगता ह | इसी वजह स लगभग 65 शाददयाा तलाक म बदल जाती ह | मनषटय क ललय परकतत दवारा तनधाकररत ककय गय सयम का उपहास करन क कारर परकतत न उन लोगो को जातीय रोगो का लशकार बना रखा ह | उनम मखयतः एडस (AIDS) की बीमारी ददन दनी रात चौगनी फलती जा रही ह | वहाा क पाररवाररक व सामालजक जीवन म िोध

कलह असतोष सताप उचछखलता उदयडता और शतरता का महा भयानक वातावरर छा गया ह |

ववशव की लगभग 4 जनसखया अमररका म ह | उसक उपभोग क ललय ववशव की लगभग 40

साधन-सामगरी (जस कक कार टी वी वातानकललत मकान आदद) मौजद ह कफर भी वहाा अपराधवतत

इतनी बढी ह की हर 10 सकणड म एक सधमारी होती ह हर लाख वयलकतयो म स 425 वयलकत

कारागार म सजा भोग रह ह जबकक भारत म हर लाख वयलकत म स कवल 23 वयलकत ही जल की सजा काट रह ह |

कामकता क समथकक फरायड जस दाशकतनको की ही यह दन ह कक लजनहोन पशचासय दशो को मनोववजञान क नाम पर बहत परभाववत ककया ह और वही स यह आाधी अब इस दश म भी फलती जा रही ह | अतः इस दश की भी अमररका जसी अवदशा हो उसक पहल हम सावधान रहना पड़गा | यहाा क कछ अववचारी दाशकतनक भी फरायड क मनोववजञान क आधार पर यवानो को बलगाम सभोग की तरफ उससादहत कर रह ह लजसस हमारी यवापीढी गमराह हो रही ह | फरायड न तो कवल मनोवजञातनक

मानयताओ क आधार पर वयलभचार शासतर बनाया लककन तथाकचथत दाशकतनक न तो lsquoसभोग स सिाध rsquo की पररककपना दवारा वयलभचार को आरधयालसमक जामा पहनाकर धालमकक लोगो को भी भरषटट ककया ह | सभोग स सिाध नही होती सतयानाश होता ह | lsquoसयम स ही समाचध होती ह helliprsquo इस भारतीय मनोववजञान को अब पाशचासय मनोववजञानी भी ससय मानन लग ह |

जब पलशचम क दशो म जञान-ववजञान का ववकास परारमभ भी नही हआ था और मानव न ससकतत क कषतर म परवश भी नही ककया था उस समय भारतवषक क दाशकतनक और योगी मानव मनोववजञान क ववलभनन पहलओ और समसयाओ पर गमभीरता पवकक ववचार कर रह थ | कफर भी पाशचासय ववजञान की छतरछाया म पल हए और उसक परकाश स चकाचौध वततकमान भारत क मनोवजञातनक भारतीय

मनोववजञान का अलसतवव तक मानन को तयार नही ह | यह खद की बात ह | भारतीय मनोवजञातनको न चतना क चार सतर मान ह जागरत सवपन सषलपत और तरीय | पाशचासय मनोवजञातनक परथम तीन सतर को ही जानत ह | पाशचासय मनोववजञान नालसतक ह | भारतीय मनोववजञान ही आसमववकास

और चररतर तनमाकर म सबस अचधक उपयोगी लसदध हआ ह कयोकक यह धमक स असयचधक परभाववत ह | भारतीय मनोववजञान आसमजञान और आसम सधार म सबस अचधक सहायक लसदध होता ह | इसम बरी आदतो को छोड़न और अचछी आदतो को अपनान तथा मन की परकियाओ को समझन तथा उसका तनयतरर करन क महसवपरक उपाय बताय गय ह | इसकी सहायता स मनषटय सखी सवसथ और

सममातनत जीवन जी सकता ह |

पलशचम की मनोवजञातनक मानयताओ क आधार पर ववशवशातत का भवन खड़ा करना बाल की नीव पर भवन-तनमाकर करन क समान ह | पाशचासय मनोववजञान का पररराम वपछल दो ववशवयदधो क रप म ददखलायी पड़ता ह | यह दोष आज पलशचम क मनोवजञातनको की समझ म आ रहा ह | जबकक

भारतीय मनोववजञान मनषटय का दवी रपानतरर करक उसक ववकास को आग बढाना चाहता ह | उसक

lsquoअनकता म एकताrsquo क लसदधात पर ही ससार क ववलभनन राषटरो सामालजक वगो धमो और परजाततयो

म सदहषटरता ही नही सकिय सहयोग उसपनन ककया जा सकता ह | भारतीय मनोववजञान म शरीर और

मन पर भोजन का कया परभाव पड़ता ह इस ववषय स लकर शरीर म ववलभनन चिो की लसथतत

कणडललनी की लसथतत वीयक को ऊरधवकगामी बनान की परकिया आदद ववषयो पर ववसतारपवकक चचाक की गई ह | पाशचासय मनोववजञान मानव-वयवहार का ववजञान ह | भारतीय मनोववजञान मानस ववजञान क साथ-साथ आसमववजञान ह | भारतीय मनोववजञान इलनियतनयतरर पर ववशष बल दता ह जबकक पाशचासय मनोववजञान कवल मानलसक कियाओ या मलसतषटक-सगठन पर बल दता ह | उसम मन दवारा मानलसक जगत का ही अरधययन ककया जाता ह | उसम भी परायड का मनोववजञान तो एक रगर मन क दवारा अनय रगर मनो का ही अरधययन ह जबकक भारतीय मनोववजञान म इलनिय-तनरोध स मनोतनरोध और मनोतनरोध स आसमलसदचध का ही लकषय मानकर अरधययन ककया जाता ह | पाशचासय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत का कोई समचचत साधन पररलकषकषत नही होता जो उसक वयलकतसव म तनदहत तनषधासमक पररवशो क ललए सथायी तनदान परसतत कर सक | इसललए परायड क लाखो बदचधमान अनयायी भी पागल हो गय | सभोग क मागक पर चलकर कोई भी वयलकत योगलसदध महापरष नही हआ | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह |

ऐस कई नमन हमन दख ह | इसक ववपरीत भारतीय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत क ववलभनन उपाय बताय गय ह यथा योगमागक साधन-चतषटटय शभ-ससकार सससगतत अभयास

वरागय जञान भलकत तनषटकाम कमक आदद | इन साधनो क तनयलमत अभयास स सगदठत एव समायोलजत वयलकतसव का तनमाकर सभव ह | इसललय भारतीय मनोववजञान क अनयायी पाखरतन और महाकवव काललदास जस परारमभ म अकपबदचध होन पर भी महान ववदवान हो गय | भारतीय मनोववजञान न इस ववशव को हजारो महान भकत समथक योगी तथा बरहमजञानी महापरष ददय ह |

अतः पाशचासय मनोववजञान को छोड़कर भारतीय मनोववजञान का आशरय लन म ही वयलकत कटमब समाज राषटर और ववशव का ककयार तनदहत ह |

भारतीय मनोववजञान पतजलल क लसदधातो पर चलनवाल हजारो योगालसदध महापरष इस दश म हए ह अभी भी ह और आग भी होत रहग जबकक सभोग क मागक पर चलकर कोई योगलसदध महापरष हआ हो ऐसा हमन तो नही सना बलकक दबकल हए रोगी हए एड़स क लशकार हए अकाल मसय क लशकार हए खखनन मानस हए अशात हए | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह ऐस कई नमन हमन दख ह |

फरायड न अपनी मनःलसथतत की तराज पर सारी दतनया क लोगो को तौलन की गलती की ह | उसका अपना जीवन-िम कछ बतक ढग स ववकलसत हआ ह | उसकी माता अमललया बड़ी खबसरत थी | उसन योकोव नामक एक अनय परष क साथ अपना दसरा वववाह ककया था | जब फरायड जनमा तब वह २१ वषक की थी | बचच को वह बहत पयार करती थी |

य घटनाएा फरायड न सवय ललखी ह | इन घटनाओ क अधार पर फरायड कहता ह ldquoपरष बचपन स ही ईडडपस कॉमपलकस (Oedipus Complex) अथाकत अवचतन मन म अपनी माा क परतत यौन-आकाकषा स आकवषकत होता ह तथा अपन वपता क परतत यौन-ईषटयाक स गरलसत रहता ह | ऐस ही लड़की अपन बाप क परतत आकवषकत होती ह तथा अपनी माा स ईषटयाक करती ह | इस इलकरा कोऊमपलकस (Electra Complex) कहत ह | तीन वषक की आय स ही बचचा अपनी माा क साथ यौन-समबनध सथावपत करन क ललय लालातयत रहता ह | एकाध साल क बाद जब उस पता चलता ह कक उसकी माा क साथ तो बाप का वसा सबध पहल स ही ह तो उसक मन म बाप क परतत ईषटयाक और घरा जाग पड़ती ह | यह ववदवष उसक अवचतन मन म आजीवन बना रहता ह | इसी परकार लड़की अपन बाप क परतत सोचती ह और माा स ईषटयाक करती ह |

फरायड आग कहता ह इस मानलसक अवरोध क कारर मनषटय की गतत रक जाती ह |

ईडडपस कोऊमपलकस उसक सामन तरह-तरह क अवरोध खड़ करता ह | यह लसथतत कोई अपवाद नही ह वरन साधाररतया यही होता ह |

यह ककतना घखरत और हासयासपद परततपादन ह छोटा बचचा यौनाकाकषा स पीडडत होगा सो भी अपनी माा क परतत पश-पकषकषयो क बचच क शरीर म भी वासना तब उठती ह जब उनक शरीर परजनन क योगय सदढ हो जात ह | तो मनषटय क बालक म यह ववतत इतनी छोटी आय म कस पदा हो सकती ह और माा क साथ वसी तलपत करन कक उसकी शाररररक-मानलसक लसथतत भी नही होती | कफर तीन वषक क बालक को काम-किया और माा-बाप क रत रहन की जानकारी उस कहाा स हो जाती ह कफर वह यह कस समझ लता ह कक उस बाप स ईषटयाक करनी चादहए

बचच दवारा माा का दध पीन की किया को ऐस मनोववजञातनयो न रततसख क समककष बतलाया ह | यदद इस सतनपान को रततसख माना जाय तब तो आय बढन क साथ-साथ यह उसकठा भी परबलतर होती जानी चादहए और वयसक होन तक बालक को माता का दध ही पीत रहना चादहए | ककनत यह ककस परकार सभव ह

तो य ऐस बतक परततपादन ह कक लजनकी भससकना ही की जानी चादहए | फरायड न अपनी मानलसक ववकततयो को जनसाधारर पर थोपकर मनोववजञान को ववकत बना ददया |

जो लोग मानव समाज को पशता म चगरान स बचाना चाहत ह भावी पीढी का जीवन वपशाच होन स बचाना चाहत ह यवानो का शारीररक सवासथय मानलसक परसननता और बौदचधक सामथयक बनाय रखना चाहत ह इस दश क नागररको को एडस (AIDS) जसी घातक बीमाररयो स गरसत होन स रोकना चाहत ह सवसथ समाज का तनमाकर करना चाहत ह उन सबका यह नततक कववयक ह कक व हमारी गमराह यवा पीढी को यौवन सरकषा जसी पसतक पढाय |

यदद काम-ववकार उठा और हमन यह ठीक नही ह इसस मर बल-बदचध और तज का नाश होगा ऐसा समझकर उसको टाला नही और उसकी पतत क म लमपट होकर लग गय तो हमम और पशओ म अतर ही कया रहा पश तो जब उनकी कोई ववशष ऋत होती ह तभी मथन करत ह बाकी ऋतओ म नही | इस दलषटट स उनका जीवन सहज व पराकततक ढग का होता ह | परत मनषटय

मनषटय तो बारहो महीन काम-किया की छट लकर बठा ह और ऊपर स यह भी कहता ह कक यदद काम-वासना की पतत क करक सख नही ललया तो कफर ईशवर न मनषटय म जो इसकी रचना की ह उसका कया मतलब आप अपन को वववकपरक रोक नही पात हो छोट-छोट सखो म उलझ जात हो- इसका तो कभी खयाल ही नही करत और ऊपर स भगवान तक को अपन पापकमो म भागीदार बनाना चाहत हो

(अनिम)

आतिघाती तकय अभी कछ समय पवक मर पास एक पतर आया | उसम एक वयलकत न पछा था ldquoआपन सससग म कहा और एक पलसतका म भी परकालशत हआ कक lsquoबीड़ी लसगरट तमबाक आदद मत वपयो | ऐस वयसनो स बचो कयोकक य तमहार बल और तज का हरर करत ह helliprsquo यदद ऐसा ही ह तो भगवान न तमबाक आदद पदा ही कयो ककया rdquo

अब उन सजजन स य वयसन तो छोड़ नही जात और लग ह भगवान क पीछ | भगवान न गलाब क साथ कााट भी पदा ककय ह | आप फल छोड़कर कााट तो नही तोड़त भगवान न आग भी पदा की ह | आप उसम भोजन पकात हो अपना घर तो नही जलात भगवान न आक (मदार) धतर बबल आदद भी बनाय ह मगर उनकी तो आप सबजी नही बनात इन सब म तो आप अपनी बदचध का उपयोग करक वयवहार करत हो और जहाा आप हार जात हो जब आपका मन आपक कहन म नही होता तो आप लगत हो भगवान को दोष दन अर भगवान न तो बादाम-वपसत भी पदा ककय ह दध भी पदा ककया ह | उपयोग करना ह तो इनका करो जो आपक बल और बदचध की वदचध कर | पसा ही खचकना ह तो इनम खचो | यह तो होता नही और लग ह तमबाक क पीछ | यह बदचध का सदपयोग नही ह दरपयोग ह | तमबाक पीन स तो बदचध और भी कमजोर हो जायगी |

शरीर क बल बदचध की सरकषा क ललय वीयकरकषर बहत आवशयक ह | योगदशकन क lsquoसाधपादrsquo म बरहमचयक की महतता इन शबदो म बतायी गयी ह

बरहिचययपरततटठाया वीययलाभः ||37||

बरहमचयक की दढ लसथतत हो जान पर सामथयक का लाभ होता ह |

(अनिम)

सतरी परसग ककतनी बार

कफर भी यदद कोई जान-बझकर अपन सामथयक को खोकर शरीहीन बनना चाहता हो तो यह यनान

क परलसदध दाशकतनक सकरात क इन परलसदध वचनो को सदव याद रख | सकरात स एक वयलकत न पछा

ldquoपरष क ललए ककतनी बार सतरी-परसग करना उचचत ह rdquo

ldquoजीवन भर म कवल एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस तलपत न हो सक तो rdquo

ldquoतो वषक म एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस भी सतोष न हो तो rdquo

ldquoकफर महीन म एक बार |rdquo

इसस भी मन न भर तो rdquo

ldquoतो महीन म दो बार कर परनत मसय शीघर आ जायगी |rdquo

ldquoइतन पर भी इचछा बनी रह तो कया कर rdquo

इस पर सकरात न कहा

ldquoतो ऐसा कर कक पहल कबर खदवा ल कफर कफन और लकड़ी घर म लाकर तयार रख | उसक

पशचात जो इचछा हो सो कर |rdquo

सकरात क य वचन सचमच बड़ परररापरद ह | वीयककषय क दवारा लजस-लजसन भी सख लन का परयास ककया ह उनह घोर तनराशा हाथ लगी ह और अनत म शरीहीन होकर मसय का गरास बनना पड़ा

ह | कामभोग दवारा कभी तलपत नही होती और अपना अमकय जीवन वयथक चला जाता ह | राजा ययातत की कथा तो आपन सनी होगी |

(अनिम)

राजा ययातत का अनभव

शिाचायक क शाप स राजा ययातत यवावसथा म ही वदध हो गय थ | परनत बाद म ययातत क पराथकना करन पर शिाचायक न दयावश उनको यह शलकत द दी कक व चाह तो अपन पतरो स यवावसथा लकर अपना वाधककय उनह द सकत थ | तब ययातत न अपन पतर यद तवकस िहय और अन स उनकी जवानी माागी मगर व राजी न हए | अत म छोट पतर पर न अपन वपता को अपना यौवन दकर उनका बढापा ल ललया |

पनः यवा होकर ययातत न कफर स भोग भोगना शर ककया | व ननदनवन म ववशवाची नामक अपसरा क साथ रमर करन लग | इस परकार एक हजार वषक तक भोग भोगन क बाद भी भोगो स

जब व सतषटट नही हए तो उनहोन अपना बचा हआ यौवन अपन पतर पर को लौटात हए कहा

न जात कािः कािानािपभोगन शामयतत |

हषविा कटणवतिव भ य एवामभव यत ||

ldquoपतर मन तमहारी जवानी लकर अपनी रचच उससाह और समय क अनसार ववषटयो का सवन ककया लककन ववषयो की कामना उनक उपभोग स कभी शात नही होती अवपत घी की आहतत पड़न पर अलगन की भाातत वह अचधकाचधक बढती ही जाती ह |

रसनो स जड़ी हई सारी पथवी ससार का सारा सवरक पश और सनदर लसतरयाा व सब एक परष को लमल जाय तो भी व सबक सब उसक ललय पयाकपत नही होग | अतः तषटरा का सयाग कर दना चादहए |

छोटी बदचधवाल लोगो क ललए लजसका सयाग करना असयत कदठन ह जो मनषटय क बढ होन पर

भी सवय बढी नही होती तथा जो एक परारानतक रोग ह उस तषटरा को सयाग दनवाल परष को ही सख लमलता ह |rdquo (महाभारत आददपवाकखर सभवपवक 12)

ययातत का अनभव वसततः बड़ा मालमकक और मनषटय जातत ल ललय दहतकारी ह | ययातत आग कहत ह

ldquoपतर दखो मर एक हजार वषक ववषयो को भोगन म बीत गय तो भी तषटरा शात नही होती और आज भी परततददन उन ववषयो क ललय ही तषटरा पदा होती ह |

प ण वियसहसर ि षवियासकतचतसः |

तथापयनहदन तटणा िितटवमभजायत ||

इसललए पतर अब म ववषयो को छोड़कर बरहमाभयास म मन लगाऊा गा | तनदकवनदव तथा ममतारदहत होकर वन म मगो क साथ ववचरा गा | ह पतर तमहारा भला हो | तम पर म परसनन हा | अब तम अपनी जवानी पनः परापत करो और म यह राजय भी तमह ही अपकर करता हा |

इस परकार अपन पतर पर को राजय दकर ययातत न तपसया हत वनगमन ककया | उसी राजा पर स पौरव वश चला | उसी वश म परीकषकषत का पतर राजा जनमजय पदा हआ था |

(अनिम)

राजा िचकनद का परसग

राजा मचकनद गगाकचायक क दशकन-सससग क फलसवरप भगवान का दशकन पात ह | भगवान स सततत करत हए व कहत ह

ldquoपरभो मझ आपकी दढ भलकत दो |rdquo

तब भगवान कहत ह ldquoतन जवानी म खब भोग भोग ह ववकारो म खब डबा ह | ववकारी जीवन

जीनवाल को दढ भलकत नही लमलती | मचकनद दढ भलकत क ललए जीवन म सयम बहत जररी ह |

तरा यह कषतरतरय शरीर समापत होगा तब दसर जनम म तझ दढ भलकत परापत होगी |rdquo

वही राजा मचकनद कललयग म नरलसह महता हए |

जो लोग अपन जीवन म वीयकरकषा को महसव नही दत व जरा सोच कक कही व भी राजा ययातत का तो अनसरर नही कर रह ह यदद कर रह हो तो जस ययातत सावधान हो गय वस आप भी सावधान हो जाओ भया दहममत करो | सयान हो जाओ | दया करो | हम पर दया न करो तो अपन-आप पर तो दया करो भया दहममत करो भया सयान हो जाओ मर पयार जो हो गया उसकी चचनता न करो | आज स नवजीवन का परारभ करो | बरहमचयकरकषा क आसन पराकततक औषचधयाा इसयादद जानकर वीर बनो | ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

(अनिम)

गलत अभयास का दटपररणाि

आज ससार म ककतन ही ऐस अभाग लोग ह जो शगार रस की पसतक पढकर लसनमाओ क कपरभाव क लशकार होकर सवपनावसथा या जागरतावसथा म अथवा तो हसतमथन दवारा सपताह म ककतनी बार वीयकनाश कर लत ह | शरीर और मन को ऐसी आदत डालन स वीयाकशय बार-बार खाली होता रहता ह | उस वीयाकशय को भरन म ही शारीररक शलकत का अचधकतर भाग वयय होन लगता ह

लजसस शरीर को काततमान बनान वाला ओज सचचत ही नही हो पाता और वयलकत शलकतहीन

ओजहीन और उससाहशनय बन जाता ह | ऐस वयलकत का वीयक पतला पड़ता जाता ह | यदद वह समय पर अपन को साभाल नही सक तो शीघर ही वह लसथतत आ जाती ह कक उसक अणडकोश वीयक बनान म असमथक हो जात ह | कफर भी यदद थोड़ा बहत वीयक बनता ह तो वह भी पानी जसा ही बनता ह

लजसम सनतानोसपवतत की ताकत नही होती | उसका जीवन जीवन नही रहता | ऐस वयलकत की हालत मतक परष जसी हो जाती ह | सब परकार क रोग उस घर लत ह | कोई दवा उस पर असर नही कर पाती | वह वयलकत जीत जी नकक का दःख भोगता रहता ह | शासतरकारो न ललखा ह

आयसतजोबल वीय परजञा शरीशच िहदयशः |

पणय च परीततितव च हनयतऽबरहिचयाय ||

lsquoआय तज बल वीयक बदचध लकषमी कीततक यश तथा पणय और परीतत य सब बरहमचयक का पालन न करन स नषटट हो जात ह |rsquo

(अनिम)

वीययरकषण सदव सततय

इसीललए वीयकरकषा सतसय ह | lsquoअथवकवद म कहा गया ह

अतत सटिो अपा विभोऽततसटिा अगनयो हदवया ||1||

इद तितत सजामि त िाऽभयवतनकषकष ||2||

अथाकत lsquoशरीर म वयापत वीयक रपी जल को बाहर ल जान वाल शरीर स अलग कर दन वाल काम

को मन पर हटा ददया ह | अब म इस काम को अपन स सवकथा दर फ कता हा | म इस आरोगयता बल-बदचधनाशक काम का कभी लशकार नही होऊा गा |rsquo

hellip और इस परकार क सककप स अपन जीवन का तनमाकर न करक जो वयलकत वीयकनाश करता रहता ह उसकी कया गतत होगी इसका भी lsquoअथवकवदrsquo म उकलख आता ह

रजन परररजन िणन पररिणन |

मरोको िनोहा खनो तनदायह आतिद षिसतन द षिः ||

यह काम रोगी बनान वाला ह बहत बरी तरह रोगी करन वाला ह | मरन यानी मार दन वाला ह |

पररमरन यानी बहत बरी तरह मारन वाला ह |यह टढी चाल चलता ह मानलसक शलकतयो को नषटट कर दता ह | शरीर म स सवासथय बल आरोगयता आदद को खोद-खोदकर बाहर फ क दता ह | शरीर की सब धातओ को जला दता ह | आसमा को मललन कर दता ह | शरीर क वात वपतत कफ को दवषत करक उस तजोहीन बना दता ह |

बरहमचयक क बल स ही अगारपरक जस बलशाली गधवकराज को अजकन न परालजत कर ददया था |

(अनिम)

अजयन और अगारपणय ग वय अजकन अपन भाईयो सदहत िौपदी क सवयवर-सथल पाचाल दश की ओर जा रहा था तब बीच म गगा तट पर बस सोमाशरयार तीथक म गधवकराज अगारपरक (चचतररथ) न उसका रासता रोक ददया | वह गगा म अपनी लसतरयो क साथ जलकिड़ा कर रहा था | उसन पााचो पाडवो को कहा ldquoमर यहाा रहत हए

राकषस यकष दवता अथवा मनषटय कोई भी इस मागक स नही जा सकता | तम लोग जान की खर चाहत हो तो लौट जाओ |rdquo

तब अजकन कहता ह

ldquoम जानता हा कक समपरक गधवक मनषटयो स अचधक शलकतशाली होत ह कफर भी मर आग तमहारी दाल नही गलगी | तमह जो करना हो सो करो हम तो इधर स ही जायग |rdquo

अजकन क इस परततवाद स गधवक बहत िोचधत हआ और उसन पाडवो पर तीकषर बार छोड़ | अजकन

न अपन हाथ म जो जलती हई मशाल पकड़ी थी उसीस उसक सभी बारो को तनषटफल कर ददया | कफर गधवक पर आगनय असतर चला ददया | असतर क तज स गधवक का रथ जलकर भसम हो गया और

वह सवय घायल एव अचत होकर माह क बल चगर पड़ा | यह दखकर उस गधवक की पसनी कममीनसी बहत घबराई और अपन पतत की रकषाथक यचधलषटठर स पराथकना करन लगी | तब यचधलषटठर न अजकन स उस गधवक को अभयदान ददलवाया |

जब वह अगारपरक होश म आया तब बोला

ldquoअजकन म परासत हो गया इसललए अपन पवक नाम अगारपरक को छोड़ दता हा | म अपन ववचचतर

रथ क कारर चचतररथ कहलाता था | वह रथ भी आपन अपन परािम स दगध कर ददया ह | अतः अब

म दगधरथ कहलाऊा गा |

मर पास चाकषषी नामक ववदया ह लजस मन न सोम को सोम न ववशवावस को और ववशवावस न मझ परदान की ह | यह गर की ववदया यदद ककसी कायर को लमल जाय तो नषटट हो जाती ह | जो छः महीन तक एक पर पर खड़ा रहकर तपसया कर वही इस ववदया को पा सकता ह | परनत अजकन म आपको ऐसी तपसया क तरबना ही यह ववदया परदान करता हा |

इस ववदया की ववशषता यह ह कक तीनो लोको म कही भी लसथत ककसी वसत को आाख स दखन की इचछा हो तो उस उसी रप म इस ववदया क परभाव स कोई भी वयलकत दख सकता ह | अजकन

इस ववदया क बल पर हम लोग मनषटयो स शरषटठ मान जात ह और दवताओ क तकय परभाव ददखा सकत ह |rdquo

इस परकार अगारपरक न अजकन को चाकषषी ववदया ददवय घोड़ एव अनय वसतएा भट की |

अजकन न गधवक स पछा गधवक तमन हम पर एकाएक आिमर कयो ककया और कफर हार कयो गय rdquo

तब गधवक न बड़ा ममकभरा उततर ददया | उसन कहा

ldquoशतरओ को सताप दनवाल वीर यदद कोई कामासकत कषतरतरय रात म मझस यदध करन आता तो ककसी भी परकार जीववत नही बच सकता था कयोकक रात म हम लोगो का बल और भी बढ जाता ह |

अपन बाहबल का भरोसा रखन वाला कोई भी परष जब अपनी सतरी क सममख ककसीक दवारा अपना ततरसकार होत दखता ह तो सहन नही कर पाता | म जब अपनी सतरी क साथ जलिीड़ा कर

रहा था तभी आपन मझ ललकारा इसीललय म िोधाववषटट हआ और आप पर बारवषाक की | लककन यदद आप यह पछो कक म आपस परालजत कयो हआ तो उसका उततर ह

बरहिचय परो ियः स चाषप तनयतसवततय |

यसिात तसिादह पाथय रणऽषसि षवषजतसतवया ||

ldquoबरहमचयक सबस बड़ा धमक ह और वह आपम तनलशचत रप स ववदयमान ह | ह कनतीनदन

इसीललय यदध म म आपस हार गया हा |rdquo (महाभारत आददपवकखर चतररथ पवक 71)

हम समझ गय कक वीयकरकषर अतत आवशयक ह | अब वह कस हो इसकी चचाक करन स पवक एक बार

बरहमचयक का तालववक अथक ठीक स समझ ल |

(अनिम)

बरहिचयय का ताषततवक अथय lsquoबरहमचयकrsquo शबद बड़ा चचतताकषकक और पववतर शबद ह | इसका सथल अथक तो यही परलसदध ह कक

लजसन शादी नही की ह जो काम-भोग नही करता ह जो लसतरयो स दर रहता ह आदद-आदद | परनत यह बहत सतही और सीलमत अथक ह | इस अथक म कवल वीयकरकषर ही बरहमचयक ह | परनत रधयान रह

कवल वीयकरकषर मातर साधना ह मलजल नही | मनषटय जीवन का लकषय ह अपन-आपको जानना अथाकत

आसम-साकषासकार करना | लजसन आसम-साकषासकार कर ललया वह जीवनमकत हो गया | वह आसमा क

आननद म बरहमाननद म ववचरर करता ह | उस अब ससार स कछ पाना शष नही रहा | उसन आननद का सरोत अपन भीतर ही पा ललया | अब वह आननद क ललय ककसी भी बाहरी ववषय पर

तनभकर नही ह | वह परक सवततर ह | उसकी कियाएा सहज होती ह | ससार क ववषय उसकी आननदमय आलसमक लसथतत को डोलायमान नही कर सकत | वह ससार क तचछ ववषयो की पोल को समझकर अपन आननद म मसत हो इस भतल पर ववचरर करता ह | वह चाह लागोटी म हो चाह बहत स कपड़ो म घर म रहता हो चाह झोपड़ म गहसथी चलाता हो चाह एकानत जगल म ववचरता हो ऐसा महापरष ऊपर स भल कगाल नजर आता हो परनत भीतर स शहशाह होता ह कयोकक उसकी सब

वासनाएा सब कततकवय पर हो चक ह | ऐस वयलकत को ऐस महापरष को वीयकरकषर करना नही पड़ता सहज ही होता ह | सब वयवहार करत हए भी उनकी हर समय समाचध रहती ह | उनकी समाचध सहज

होती ह अखणड होती ह | ऐसा महापरष ही सचचा बरहमचारी होता ह कयोकक वह सदव अपन बरहमाननद म अवलसथत रहता ह |

सथल अथक म बरहमचयक का अथक जो वीयकरकषर समझा जाता ह उस अथक म बरहमचयक शरषटठ वरत ह

शरषटठ तप ह शरषटठ साधना ह और इस साधना का फल ह आसमजञान आसम-साकषासकार | इस

फलपरालपत क साथ ही बरहमचयक का परक अथक परकट हो जाता ह |

जब तक ककसी भी परकार की वासना शष ह तब तक कोई परक बरहमचयक को उपलबध नही हो सकता | जब तक आसमजञान नही होता तब तक परक रप स वासना तनवतत नही होती | इस वासना की तनववतत क ललय अतःकरर की शदचध क ललय ईशवर की परालपत क ललय सखी जीवन जीन क ललय

अपन मनषटय जीवन क सवोचच लकषय को परापत करन क ललय या कहो परमाननद की परालपत क ललयhellip कछ भी हो वीयकरकषररपी साधना सदव अब अवसथाओ म उततम ह शरषटठ ह और आवशयक ह

|

वीयकरकषर कस हो इसक ललय यहाा हम कछ सथल और सकषम उपायो की चचाक करग |

(अनिम)

3 वीययरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय काफी लोगो को यह भरम ह कक जीवन तड़क-भड़कवाला बनान स व समाज म ववशष मान जात ह | वसततः ऐसी बात नही ह | इसस तो कवल अपन अहकार का ही परदशकन होता ह | लाल रग क भड़कील एव रशमी कपड़ नही पहनो | तल-फलल और भाातत-भाातत क इतरो का परयोग करन स बचो | जीवन म लजतनी तड़क-भड़क बढगी इलनियाा उतनी चचल हो उठगी कफर वीयकरकषा तो दर की बात ह |

इततहास पर भी हम दलषटट डाल तो महापरष हम ऐस ही लमलग लजनका जीवन परारभ स ही सादगीपरक था | सादा रहन-सहन तो बडपपन का दयोतक ह | दसरो को दख कर उनकी अपराकततक व

अचधक आवशयकताओवाली जीवन-शली का अनसरर नही करो |

उपयकत आहार

ईरान क बादशाह वहमन न एक शरषटठ वदय स पछा

ldquoददन म मनषटय को ककतना खाना चादहएrdquo

ldquoसौ ददराम (अथाकत 31 तोला) | ldquoवदय बोला |

ldquoइतन स कया होगाrdquo बादशाह न कफर पछा |

वदय न कहा ldquoशरीर क पोषर क ललय इसस अचधक नही चादहए | इसस अचधक जो कछ खाया जाता ह वह कवल बोझा ढोना ह और आयषटय खोना ह |rdquo

लोग सवाद क ललय अपन पट क साथ बहत अनयाय करत ह ठास-ठासकर खात ह | यरोप का एक बादशाह सवाददषटट पदाथक खब खाता था | बाद म औषचधयो दवारा उलटी करक कफर स सवाद लन क

ललय भोजन करता रहता था | वह जकदी मर गया |

आप सवादलोलप नही बनो | लजहवा को तनयतरर म रखो | कया खाय कब खाय कस खाय और

ककतना खाय इसका वववक नही रखा तो पट खराब होगा शरीर को रोग घर लग वीयकनाश को परोससाहन लमलगा और अपन को पतन क रासत जान स नही रोक सकोग |

परमपवकक शात मन स पववतर सथान पर बठ कर भोजन करो | लजस समय नालसका का दादहना सवर (सयक नाड़ी) चाल हो उस समय ककया भोजन शीघर पच जाता ह कयोकक उस समय जठरालगन बड़ी परबल होती ह | भोजन क समय यदद दादहना सवर चाल नही हो तो उसको चाल कर दो | उसकी ववचध यह ह वाम ककषकष म अपन दादहन हाथ की मठठी रखकर ककषकष को जोर स दबाओ या बाायी (वाम) करवट लट जाओ | थोड़ी ही दर म दादहना यान सयक सवर चाल हो जायगा |

रातरतर को बाायी करवट लटकर ही सोना चादहए | ददन म सोना उचचत नही ककनत यदद सोना आवशयक हो तो दादहनी करवट ही लटना चादहए |

एक बात का खब खयाल रखो | यदद पय पदाथक लना हो तो जब चनि (बााया) सवर चाल हो तभी लो | यदद सयक (दादहना) सवर चाल हो और आपन दध काफी चाय पानी या कोई भी पय पदाथक ललया तो वीयकनाश होकर रहगा | खबरदार सयक सवर चल रहा हो तब कोई भी पय पदाथक न वपयो | उस

समय यदद पय पदाथक पीना पड़ तो दादहना नथना बनद करक बााय नथन स शवास लत हए ही वपयो |

रातरतर को भोजन कम करो | भोजन हकका-सपाचय हो | बहत गमक-गमक और दर स पचन वाला गररषटठ भोजन रोग पदा करता ह | अचधक पकाया हआ तल म तला हआ लमचक-मसालयकत तीखा खटटा चटपटदार भोजन वीयकनाडड़यो को कषबध करता ह | अचधक गमक भोजन और गमक चाय स दाात कमजोर होत ह | वीयक भी पतला पड़ता ह |

भोजन खब चबा-चबाकर करो | थक हए हो तो तसकाल भोजन न करो | भोजन क तरत बाद

पररशरम न करो |

भोजन क पहल पानी न वपयो | भोजन क बीच म तथा भोजन क एकाध घट क बाद पानी पीना दहतकर होता ह |

रातरतर को सभव हो तो फलाहार लो | अगर भोजन लना पड़ तो अकपाहार ही करो | बहत रात गय भोजन या फलाहार करना दहतावह नही ह | कबज की लशकायत हो तो 50 गराम लाल कफटकरी तव पर

फलाकर कटकर कपड़ स छानकर बोतल म भर लो | रातरतर म 15 गराम सौफ एक चगलास पानी म लभगो दो | सबह उस उबाल कर छान लो और ड़ढ गराम कफटकरी का पाउडर लमलाकर पी लो | इसस कबज व बखार भी दर होता ह | कबज तमाम तरबमाररयो की जड़ ह | इस दर करना आवशयक ह |

भोजन म पालक परवल मथी बथआ आदद हरी तरकाररयाा दध घी छाछ मकखन पक हए फल

आदद ववशष रप स लो | इसस जीवन म सालववकता बढगी | काम िोध मोह आदद ववकार घटग | हर कायक म परसननता और उससाह बना रहगा |

रातरतर म सोन स पवक गमक-गमक दध नही पीना चादहए | इसस रात को सवपनदोष हो जाता ह |

कभी भी मल-मतर की लशकायत हो तो उस रोको नही | रोक हए मल स भीतर की नाडड़याा कषबध होकर वीयकनाश कराती ह |

पट म कबज होन स ही अचधकाशतः रातरतर को वीयकपात हआ करता ह | पट म रका हआ मल

वीयकनाडड़यो पर दबाव डालता ह तथा कबज की गमी स ही नाडड़याा कषलभत होकर वीयक को बाहर

धकलती ह | इसललय पट को साफ रखो | इसक ललय कभी-कभी तरतरफला चरक या lsquoसतकपा चरकrsquo या lsquoइसबगलrsquo पानी क साथ ललया करो | अचधक ततकत खटटी चरपरी और बाजार औषचधयाा उततजक होती ह उनस बचो | कभी-कभी उपवास करो | पट को आराम दन क ललय कभी-कभी तनराहार भी रह सकत हो तो अचछा ह |

आहार पचतत मशखी दोिान आहारवषजयतः |

अथाकत पट की अलगन आहार को पचाती ह और उपवास दोषो को पचाता ह | उपवास स

पाचनशलकत बढती ह |

उपवास अपनी शलकत क अनसार ही करो | ऐसा न हो कक एक ददन तो उपवास ककया और दसर ददन लमषटठानन-लडड आदद पट म ठास-ठास कर उपवास की सारी कसर तनकाल दी | बहत अचधक

भखा रहना भी ठीक नही |

वस उपवास का सही अथक तो होता ह बरहम क परमासमा क तनकट रहना | उप यानी समीप और

वास यानी रहना | तनराहार रहन स भगवदभजन और आसमचचतन म मदद लमलती ह | ववतत अनतमकख

होन स काम-ववकार को पनपन का मौका ही नही लमल पाता |

मदयपान पयाज लहसन और मासाहार ndash य वीयककषय म मदद करत ह अतः इनस अवशय बचो |

(अनिम)

मशशनषनरय सनान

शौच क समय एव लघशका क समय साथ म चगलास अथवा लोट म ठड़ा जल लकर जाओ और उसस लशशनलनिय को धोया करो | कभी-कभी उस पर ठड़ पानी की धार ककया करो | इसस कामववतत का शमन होता ह और सवपनदोष नही होता |

उधचत आसन एव वयायाि करो

सवसथ शरीर म सवसथ मन का तनवास होता ह | अगरजी म कहत ह A healthy mind

resides in a healthy body

लजसका शरीर सवसथ नही रहता उसका मन अचधक ववकारगरसत होता ह | इसललय रोज परातः वयायाम एव आसन करन का तनयम बना लो |

रोज परातः काल 3-4 लमनट दौड़न और तजी स टहलन स भी शरीर को अचछा वयायाम लमल

जाता ह |

सयकनमसकार 13 अथवा उसस अचधक ककया करो तो उततम ह | इसम आसन व वयायाम दोनो का समावश होता ह |

lsquoवयायामrsquo का अथक पहलवानो की तरह मासपलशयाा बढाना नही ह | शरीर को योगय कसरत लमल जाय ताकक उसम रोग परवश न कर और शरीर तथा मन सवसथ रह ndash इतना ही उसम हत ह |

वयायाम स भी अचधक उपयोगी आसन ह | आसन शरीर क समचचत ववकास एव बरहमचयक-साधना क ललय असयत उपयोगी लसदध होत ह | इनस नाडड़याा शदध होकर सववगर की वदचध होती ह | वस तो शरीर क अलग-अलग अगो की पलषटट क ललय अलग-अलग आसन होत ह परनत वीयकरकषा की दलषटट स मयरासन पादपलशचमोततानासन सवाागासन थोड़ी बहत सावधानी रखकर हर कोई कर सकता ह |

इनम स पादपलशचमोततानासन तो बहत ही उपयोगी ह | आशरम म आनवाल कई साधको का यह तनजी अनभव ह |

ककसी कशल योग-परलशकषक स य आसन सीख लो और परातःकाल खाली पट शदध हवा म ककया करो | शौच सनान वयायाम आदद क पशचात ही आसन करन चादहए |

सनान स पवक सख तौललय अथवा हाथो स सार शरीर को खब रगड़ो | इस परकार क घषकर स शरीर

म एक परकार की ववदयत शलकत पदा होती ह जो शरीर क रोगो को नषटट करती ह | शवास तीवर गतत

स चलन पर शरीर म रकत ठीक सचरर करता ह और अग-परसयग क मल को तनकालकर फफड़ो म लाता ह | फफड़ो म परववषटट शदध वाय रकत को साफ कर मल को अपन साथ बाहर तनकाल ल जाती ह | बचा-खचा मल पसीन क रप म सवचा क तछिो दवारा बाहर तनकल आता ह | इस परकार शरीर पर घषकर करन क बाद सनान करना अचधक उपयोगी ह कयोकक पसीन दवारा बाहर तनकला हआ मल उसस धल जाता ह सवचा क तछि खल जात ह और बदन म सफततक का सचार होता ह |

(अनिम)

बरहििह तय ि उठो

सवपनदोष अचधकाशतः रातरतर क अततम परहर म हआ करता ह | इसललय परातः चार-साढ चार बज यानी बरहममहतक म ही शया का सयाग कर दो | जो लोग परातः काल दरी तक सोत रहत ह उनका जीवन तनसतज हो जाता ह |

दवययसनो स द र रहो

शराब एव बीड़ी-लसगरट-तमबाक का सवन मनषटय की कामवासना को उदयीपत करता ह |

करान शरीफ क अकलाहपाक तरतरकोल रोशल क लसपारा म ललखा ह कक शतान का भड़काया हआ

मनषटय ऐसी नशायकत चीजो का उपयोग करता ह | ऐस वयलकत स अकलाह दर रहता ह कयोकक यह काम शतान का ह और शतान उस आदमी को जहननम म ल जाता ह |

नशीली वसतओ क सवन स फफड़ और हदय कमजोर हो जात ह सहनशलकत घट जाती ह और

आयषटय भी कम हो जाता ह | अमरीकी डॉकटरो न खोज करक बतलाया ह कक नशीली वसतओ क सवन स कामभाव उततलजत होन पर वीयक पतला और कमजोर पड़ जाता ह |

(अनिम)

सतसग करो

आप सससग नही करोग तो कसग अवशय होगा | इसललय मन वचन कमक स सदव सससग का ही सवन करो | जब-जब चचतत म पततत ववचार डरा जमान लग तब-तब तरत सचत हो जाओ और वह सथान छोड़कर पहाच जाओ ककसी सससग क वातावरर म ककसी सलनमतर या ससपरष क सालननरधय म | वहाा व कामी ववचार तरबखर जायग और आपका तन-मन पववतर हो जायगा | यदद ऐसा नही ककया तो व पततत ववचार आपका पतन ककय तरबना नही छोड़ग कयोकक जो मन म होता ह दर-सबर उसीक अनसार बाहर की किया होती ह | कफर तम पछताओग कक हाय यह मझस कया हो गया

पानी का सवभाव ह नीच की ओर बहना | वस ही मन का सवभाव ह पतन की ओर सगमता स बढना | मन हमशा धोखा दता ह | वह ववषयो की ओर खीचता ह कसगतत म सार ददखता ह लककन

वह पतन का रासता ह | कसगतत म ककतना ही आकषकर हो मगरhellip

षजसक पीछ हो गि की कतार भ लकर उस खशी स न खलो |

अभी तक गत जीवन म आपका ककतना भी पतन हो चका हो कफर भी सससगतत करो | आपक उसथान की अभी भी गजाइश ह | बड़-बड़ दजकन भी सससग स सजजन बन गय ह |

शठ स रहह सतसगतत पाई |

सससग स वचचत रहना अपन पतन को आमतरतरत करना ह | इसललय अपन नतर करक सवचा आदद सभी को सससगरपी गगा म सनान करात रहो लजसस कामववकार आप पर हावी न हो सक |

(अनिम)

शभ सकलप करो

lsquoहम बरहमचयक का पालन कस कर सकत ह बड़-बड़ ॠवष-मतन भी इस रासत पर कफसल पड़त हhelliprsquo ndash इस परकार क हीन ववचारो को ततलाजलल द दो और अपन सककपबल को बढाओ | शभ सककप करो | जसा आप सोचत हो वस ही आप हो जात हो | यह सारी सलषटट ही सककपमय ह |

दढ सककप करन स वीयकरकषर म मदद होती ह और वीयकरकषर स सककपबल बढता ह | षवशवासो फलदायकः | जसा ववशवास और जसी शरदधा होगी वसा ही फल परापत होगा | बरहमजञानी महापरषो म यह सककपबल असीम होता ह | वसततः बरहमचयक की तो व जीती-जागती मततक ही होत ह |

(अनिम)

बतरबन यकत पराणायाि और योगाभयास करो

तरतरबनध करक परारायाम करन स ववकारी जीवन सहज भाव स तनववककाररता म परवश करन लगता ह | मलबनध स ववकारो पर ववजय पान का सामथयक आता ह | उडडडयानबनध स आदमी उननतत म ववलकषर उड़ान ल सकता ह | जालनधरबनध स बदचध ववकलसत होती ह |

अगर कोई वयलकत अनभवी महापरष क सालननरधय म तरतरबनध क साथ परततददन 12 परारायाम कर तो परसयाहार लसदध होन लगगा | 12 परसयाहार स धाररा लसदध होन लगगी | धाररा-शलकत बढत ही परकतत क रहसय खलन लगग | सवभाव की लमठास बदचध की ववलकषरता सवासथय की सौरभ आन लगगी | 12 धाररा लसदध होन पर रधयान लगगा सववककप समाचध होन लगगी | सववककप समाचध का 12 गना समय पकन पर तनववकककप समाचध लगगी |

इस परकार छः महीन अभयास करनवाला साधक लसदध योगी बन सकता ह | ररदचध-लसदचधयाा उसक आग हाथ जोड़कर खड़ी रहती ह | यकष गधवक ककननर उसकी सवा क ललए उससक होत ह | उस

पववतर परष क तनकट ससारी लोग मनौती मानकर अपनी मनोकामना परक कर सकत ह | साधन करत समय रग-रग म इस महान लकषय की परालपत क ललए धन लग जाय|

बरहमचयक-वरत पालन वाला साधक पववतर जीवन जीनवाला वयलकत महान लकषय की परालपत म सफल हो सकता ह |

ह लमतर बार-बार असफल होन पर भी तम तनराश मत हो | अपनी असफलताओ को याद करक हार हए जआरी की तरह बार-बार चगरो मत | बरहमचयक की इस पसतक को कफर-कफर स पढो | परातः तनिा स उठत समय तरबसतर पर ही बठ रहो और दढ भावना करो

ldquoमरा जीवन परकतत की थपपड़ खाकर पशओ की तरह नषटट करन क ललए नही ह | म अवशय

परषाथक करा गा आग बढागा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

मर भीतर परबरहम परमासमा का अनपम बल ह | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

तचछ एव ववकारी जीवन जीनवाल वयलकतयो क परभाव स म अपनको ववतनमककत करता जाऊा गा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

सबह म इस परकार का परयोग करन स चमसकाररक लाभ परापत कर सकत हो | सवकतनयनता सवशवर को कभी पयार करो hellip कभी पराथकना करो hellip कभी भाव स ववहवलता स आतकनाद करो | व अनतयाकमी परमासमा हम अवशय मागकदशकन दत ह | बल-बदचध बढात ह | साधक तचछ ववकारी जीवन पर ववजयी होता जाता ह | ईशवर का असीम बल तमहार साथ ह | तनराश मत हो भया हताश मत हो | बार-बार कफसलन पर भी सफल होन की आशा और उससाह मत छोड़ो |

शाबाश वीर hellip शाबाश hellip दहममत करो दहममत करो | बरहमचयक-सरकषा क उपायो को बार-बार पढो सकषमता स ववचार करो | उननतत क हर कषतर म तम आसानी स ववजता हो सकत हो |

करोग न दहममत

अतत खाना अतत सोना अतत बोलना अतत यातरा करना अतत मथन करना अपनी सषपत

योगयताओ को धराशायी कर दता ह जबकक सयम और परषाथक सषपत योगयताओ को जगाकर

जगदीशवर स मलाकात करा दता ह |

(अनिम)

नीि का पड चला

हमार सदगरदव परम पजय लीलाशाहजी महाराज क जीवन की एक घटना बताता हा

लसध म उन ददनो ककसी जमीन की बात म दहनद और मसलमानो का झगड़ा चल रहा था | उस जमीन पर नीम का एक पड़ खड़ा था लजसस उस जमीन की सीमा-तनधाकरर क बार म कछ

वववाद था | दहनद और मसलमान कोटक-कचहरी क धकक खा-खाकर थक | आखखर दोनो पकषो न यह तय ककया कक यह धालमकक सथान ह | दोनो पकषो म स लजस पकष का कोई पीर-फकीर उस सथान पर

अपना कोई ववशष तज बल या चमसकार ददखा द वह जमीन उसी पकष की हो जायगी |

पजय लीलाशाहजी बाप का नाम पहल lsquoलीलारामrsquo था | लोग पजय लीलारामजी क पास पहाच और बोल ldquoहमार तो आप ही एकमातर सत ह | हमस जो हो सकता था वह हमन ककया परनत

असफल रह | अब समगर दहनद समाज की परततषटठा आपशरी क चररो म ह |

इसा की अजि स जब द र ककनारा होता ह |

त फा ि ि िी ककशती का एक भगवान ककनारा होता ह ||

अब सत कहो या भगवान कहो आप ही हमारा सहारा ह | आप ही कछ करग तो यह धमकसथान

दहनदओ का हो सकगा |rdquo

सत तो मौजी होत ह | जो अहकार लकर ककसी सत क पास जाता ह वह खाली हाथ लौटता ह

और जो ववनमर होकर शररागतत क भाव स उनक सममख जाता ह वह सब कछ पा लता ह | ववनमर और शरदधायकत लोगो पर सत की कररा कछ दन को जकदी उमड़ पड़ती ह |

पजय लीलारामजी उनकी बात मानकर उस सथान पर जाकर भलम पर दोनो घटनो क बीच लसर नीचा ककय हए शात भाव स बठ गय |

ववपकष क लोगो न उनह ऐसी सरल और सहज अवसथा म बठ हए दखा तो समझ ललया कक य

लोग इस साध को वयथक म ही लाय ह | यह साध कया करगा hellip जीत हमारी होगी |

पहल मलसलम लोगो दवारा आमतरतरत पीर-फकीरो न जाद-मतर टोन-टोटक आदद ककय | lsquoअला बााधा बला बााधाhellip पथवी बााधाhellip तज बााधाhellip वाय बााधाhellip आकाश बााधाhellip फऽऽऽlsquo आदद-आदद ककया | कफर पजय लीलाराम जी की बारी आई |

पजय लीलारामजी भल ही साधारर स लग रह थ परनत उनक भीतर आसमाननद दहलोर ल रहा था | lsquoपथवी आकाश कया समगर बरहमाणड म मरा ही पसारा हhellip मरी सतता क तरबना एक पतता भी नही दहल सकताhellip य चााद-लसतार मरी आजञा म ही चल रह हhellip सवकतर म ही इन सब ववलभनन रपो म ववलास कर रहा हाhelliprsquo ऐस बरहमाननद म डब हए व बठ थ |

ऐसी आसममसती म बठा हआ ककनत बाहर स कगाल जसा ददखन वाला सत जो बोल द उस घदटत होन स कौन रोक सकता ह

वलशषटठ जी कहत ह ldquoह रामजी तरतरलोकी म ऐसा कौन ह जो सत की आजञा का उकलघन कर

सक rdquo

जब लोगो न पजय लीलारामजी स आगरह ककया तो उनहोन धीर स अपना लसर ऊपर की ओर

उठाया | सामन ही नीम का पड़ खड़ा था | उस पर दलषटट डालकर गजकना करत हए आदशासमक भाव स बोल उठ

ldquoऐ नीम इधर कया खड़ा ह जा उधर हटकर खड़ा रह |rdquo

बस उनका कहना ही था कक नीम का पड lsquoसरकरकhellip सरकरकhelliprsquo करता हआ दर जाकर पवकवत खड़ा हो गया |

लोग तो यह दखकर आवाक रह गय आज तक ककसी न ऐसा चमसकार नही दखा था | अब

ववपकषी लोग भी उनक परो पड़न लग | व भी समझ गय कक य कोई लसदध महापरष ह |

व दहनदओ स बोल ldquoय आपक ही पीर नही ह बलकक आपक और हमार सबक पीर ह | अब स य

lsquoलीलारामrsquo नही ककत lsquoलीलाशाहrsquo ह |

तब स लोग उनका lsquoलीलारामrsquo नाम भल ही गय और उनह lsquoलीलाशाहrsquo नाम स ही पकारन लग | लोगो न उनक जीवन म ऐस-ऐस और भी कई चमसकार दख |

व 93 वषक की उमर पार करक बरहमलीन हए | इतन वदध होन पर भी उनक सार दाात सरकषकषत थ

वारी म तज और बल था | व तनयलमत रप स आसन एव परारायाम करत थ | मीलो पदल यातरा करत थ | व आजनम बरहमचारी रह | उनक कपा-परसाद दवारा कई पतरहीनो को पतर लमल गरीबो को धन लमला तनरससादहयो को उससाह लमला और लजजञासओ का साधना-मागक परशसत हआ | और भी कया-कया हआ

यह बतान जाऊा गा तो ववषयानतर होगा और समय भी अचधक नही ह | म यह बताना चाहता हा कक

उनक दवारा इतन चमसकार होत हए भी उनकी महानता चमसकारो म तनदहत नही ह | उनकी महानता तो उनकी बरहमतनषटठता म तनदहत थी |

छोट-मोट चमसकार तो थोड़ बहत अभयास क दवारा हर कोई कर लता ह मगर बरहमतनषटठा तो चीज ही कछ और ह | वह तो सभी साधनाओ की अततम तनषटपतत ह | ऐसा बरहमतनषटठ होना ही तो वासतववक बरहमचारी होना ह | मन पहल भी कहा ह कक कवल वीयकरकषा बरहमचयक नही ह | यह तो बरहमचयक की साधना ह | यदद शरीर दवारा वीयकरकषा हो और मन-बदचध म ववषयो का चचतन चलता रह

तो बरहमतनषटठा कहाा हई कफर भी वीयकरकषा दवारा ही उस बरहमाननद का दवार खोलना शीघर सभव होता ह | वीयकरकषर हो और कोई समथक बरहमतनषटठ गर लमल जाय तो बस कफर और कछ करना शष नही रहता | कफर वीयकरकषर करन म पररशरम नही करना पड़ता वह सहज होता ह | साधक लसदध बन जाता ह | कफर तो उसकी दलषटट मातर स कामक भी सयमी बन जाता ह |

सत जञानशवर महाराज लजस चबतर पर बठ थ उसीको कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा | ऐस ही पजयपाद लीलाशाहजी बाप न नीम क पड़ को कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा और जाकर दसरी जगह खड़ा हो गया | यह सब सककप बल का चमसकार ह | ऐसा सककप बल आप भी बढा सकत ह |

वववकाननद कहा करत थ कक भारतीय लोग अपन सककप बल को भल गय ह इसीललय गलामी का दःख भोग रह ह | lsquoहम कया कर सकत हhelliprsquo ऐस नकारासमक चचतन दवारा व सककपहीन हो गय ह जबकक अगरज का बचचा भी अपन को बड़ा उससाही समझता ह और कायक म सफल हो जाता ह

कयोकक व ऐसा ववचार करता ह lsquoम अगरज हा | दतनया क बड़ भाग पर हमारी जातत का शासन रहा ह | ऐसी गौरवपरक जातत का अग होत हए मझ कौन रोक सकता ह सफल होन स म कया नही कर

सकता rsquo lsquoबस ऐसा ववचार ही उस सफलता द दता ह |

जब अगरज का बचचा भी अपनी जातत क गौरव का समरर कर दढ सककपवान बन सकता ह तो आप कयो नही बन सकत

ldquoम ॠवष-मतनयो की सतान हा | भीषटम जस दढपरततजञ परषो की परमपरा म मरा जनम हआ ह |

गगा को पथवी पर उतारनवाल राजा भगीरथ जस दढतनशचयी महापरष का रकत मझम बह रहा ह |

समि को भी पी जानवाल अगससय ॠवष का म वशज हा | शरी राम और शरीकषटर की अवतार-भलम

भारत म जहाा दवता भी जनम लन को तरसत ह वहाा मरा जनम हआ ह कफर म ऐसा दीन-हीन

कयो म जो चाहा सो कर सकता हा | आसमा की अमरता का ददवय जञान का परम तनभकयता का सदश सार ससार को लजन ॠवषयो न ददया उनका वशज होकर म दीन-हीन नही रह सकता | म अपन रकत क तनभकयता क ससकारो को जगाकर रहागा | म वीयकवान बनकर रहागा |rdquo ऐसा दढ सककप हरक भारतीय बालक को करना चादहए |

(अनिम)

सतरी-जातत क परतत िातभाव परबल करो शरी रामकषटर परमहस कहा करत थ ldquo ककसी सदर सतरी पर नजर पड़ जाए तो उसम माा जगदमबा क दशकन करो | ऐसा ववचार करो कक यह अवशय दवी का अवतार ह तभी तो इसम इतना सौदयक ह | माा परसनन होकर इस रप म दशकन द रही ह ऐसा समझकर सामन खड़ी सतरी को मन-ही-मन परराम करो | इसस तमहार भीतर काम ववकार नही उठ सकगा |

िातवत परदारि पररवयि लोटिवत |

पराई सतरी को माता क समान और पराए धन को लमटटी क ढल क समान समझो |

(अनिम)

मशवाजी का परसग

लशवाजी क पास ककयार क सबदार की लसतरयो को लाया गया था तो उस समय उनहोन यही आदशक उपलसथत ककया था | उनहोन उन लसतरयो को lsquoमााrsquo कहकर पकारा तथा उनह कई उपहार दकर

सममान सदहत उनक घर वापस भज ददया | लशवाजी परम गर समथक रामदास क लशषटय थ |

भारतीय सभयता और ससकतत म माता को इतना पववतर सथान ददया गया ह कक यह मातभाव मनषटय को पततत होत-होत बचा लता ह | शरी रामकषटर एव अनय पववतर सतो क समकष जब कोई सतरी कचषटटा करना चाहती तब व सजजन साधक सत यह पववतर मातभाव मन म लाकर ववकार क फद स बच जात | यह मातभाव मन को ववकारी होन स बहत हद तक रोक रखता ह | जब भी ककसी सतरी को दखन पर मन म ववकार उठन लग उस समय सचत रहकर इस मातभाव का परयोग कर ही लना चादहए |

(अनिम)

अजयन और उवयशी

अजकन सशरीर इनि सभा म गया तो उसक सवागत म उवकशी रमभा आदद अपसराओ न नसय ककय | अजकन क रप सौनदयक पर मोदहत हो उवकशी रातरतर क समय उसक तनवास सथान पर गई और

पररय-तनवदन ककया तथा साथ ही इसम कोई दोष नही लगता इसक पकष म अनक दलील भी की | ककनत अजकन न अपन दढ इलनियसयम का पररचय दत हए कह

गचछ मरधनाक परपननोऽलसम पादौ त वरवखरकनी | सव दह म मातवत पजया रकषयोऽह पतरवत सवया ||

( महाभारत वनपवकखर इनिलोकालभगमनपवक ४६४७)

मरी दलषटट म कनती मािी और शची का जो सथान ह वही तमहारा भी ह | तम मर ललए माता क समान पजया हो | म तमहार चररो म परराम करता हा | तम अपना दरागरह छोड़कर लौट जाओ

| इस पर उवकशी न िोचधत होकर उस नपसक होन का शाप द ददया | अजकन न उवकशी स शावपत होना सवीकार ककया परनत सयम नही तोड़ा | जो अपन आदशक स नही हटता धयक और सहनशीलता को अपन चररतर का भषर बनाता ह उसक ललय शाप भी वरदान बन जाता ह | अजकन क ललय भी ऐसा ही हआ | जब इनि तक यह बात पहाची तो उनहोन अजकन को कहा तमन इलनिय सयम क दवारा ऋवषयो को भी परालजत कर ददया | तम जस पतर को पाकर कनती वासतव म शरषटठ पतरवाली ह |

उवकशी का शाप तमह वरदान लसदध होगा | भतल पर वनवास क १३व वषक म अजञातवास करना पड़गा उस समय यह सहायक होगा | उसक बाद तम अपना परषसव कफर स परापत कर लोग | इनि क

कथनानसार अजञातवास क समय अजकन न ववराट क महल म नतकक वश म रहकर ववराट की

राजकमारी को सगीत और नसय ववदया लसखाई थी और इस परकार वह शाप स मकत हआ था | परसतरी क परतत मातभाव रखन का यह एक सदर उदाहरर ह | ऐसा ही एक उदाहरर वाकमीकककत

रामायर म भी आता ह | भगवान शरीराम क छोट भाई लकषमर को जब सीताजी क गहन पहचानन को कहा गया तो लकषमर जी बोल ह तात म तो सीता माता क परो क गहन और नपर ही पहचानता हा जो मझ उनकी चररवनदना क समय दलषटटगोचर होत रहत थ | कयर-कणडल आदद दसर

गहनो को म नही जानता | यह मातभाववाली दलषटट ही इस बात का एक बहत बड़ा कारर था कक

लकषमरजी इतन काल तक बरहमचयक का पालन ककय रह सक | तभी रावरपतर मघनाद को लजस इनि भी नही हरा सका था लकषमरजी हरा पाय | पववतर मातभाव दवारा वीयकरकषर का यह अनपम उदाहरर ह जो बरहमचयक की महतता भी परकट करता ह |

(अनिम)

सतसाहहतय पढ़ो

जसा सादहसय हम पढत ह वस ही ववचार मन क भीतर चलत रहत ह और उनहीस हमारा सारा वयवहार परभाववत होता ह | जो लोग कलससत ववकारी और कामोततजक सादहसय पढत ह व कभी ऊपर नही उठ सकत | उनका मन सदव काम-ववषय क चचतन म ही उलझा रहता ह और इसस व अपनी वीयकरकषा करन म असमथक रहत ह | गनद सादहसय कामकता का भाव पदा करत ह | सना गया ह कक पाशचासय जगत स परभाववत कछ नराधम चोरी-तछप गनदी कफकमो का परदशकन करत ह जो अपना और अपन सपकक म आनवालो का ववनाश करत ह | ऐस लोग मदहलाओ कोमल वय की कनयाओ तथा ककशोर एव यवावसथा म पहाच हए बचचो क साथ बड़ा अनयाय करत ह | बकय कफकम दखन-ददखानवाल महा अधम कामानध लोग मरन क बाद शकर ककर आदद योतनयो म जनम लकर अथवा गनदी नाललयो क कीड़ बनकर छटपटात हए दख भोगग ही | तनदोष कोमलवय क नवयवक उन दषटटो क लशकार न बन इसक ललए सरकार और समाज को सावधान रहना चादहए |

बालक दश की सपवतत ह | बरहमचयक क नाश स उनका ववनाश हो जाता ह | अतः नवयवको को मादक िवयो गनद सादहसयो व गनदी कफकमो क दवारा बबाकद होन स बचाया जाय | व ही तो राषटर क भावी करकधार ह | यवक-यवततयाा तजसवी हो बरहमचयक की मदहमा समझ इसक ललए हम सब लोगो का कततकवय ह कक सकलो-कालजो म ववदयाचथकयो तक बरहमचयक पर ललखा गया सादहसय पहाचाय | सरकार का यह नततक कततकवय ह कक वह लशकषा परदान कर बरहमचयक ववशय पर ववदयाचथकयो को

सावधान कर ताकक व तजसवी बन | लजतन भी महापरष हए ह उनक जीवन पर दलषटटपात करो तो उन पर ककसी-न-ककसी सससादहसय की छाप लमलगी | अमररका क परलसदध लखक इमसकन क गर थोरो बरहमचयक का पालन करत थ | उनहो न ललखा ह म परततददन गीता क पववतर जल स सनान करता हा | यदयवप इस पसतक को ललखनवाल दवताओ को अनक वषक वयतीत हो गय लककन इसक बराबर की कोई पसतक अभी तक नही तनकली ह |

योगशवरी माता गीता क ललए दसर एक ववदशी ववदवान इगलणड क एफ एच मोलम कहत ह बाइतरबल का मन यथाथक अभयास ककया ह | जो जञान गीता म ह वह ईसाई या यदही बाइतरबलो म नही ह | मझ यही आशचयक होता ह कक भारतीय नवयवक यहाा इगलणड तक पदाथक ववजञान सीखन कयो आत ह तनसदह पाशचासयो क परतत उनका मोह ही इसका कारर ह | उनक भोलभाल हदयो न तनदकय और अववनमर पलशचमवालसयो क ददल अभी पहचान नही ह | इसीललए उनकी लशकषा स लमलनवाल पदो की लालच स व उन सवाचथकयो क इनिजाल म फसत ह | अनयथा तो लजस दश या समाज को गलामी स छटना हो उसक ललए तो यह अधोगतत का ही मागक ह |

म ईसाई होत हए भी गीता क परतत इतना आदर-मान इसललए रखता हा कक लजन गढ परशनो का हल पाशचासय वजञातनक अभी तक नही कर पाय उनका हल इस गीता गरथ न शदध और सरल

रीतत स द ददया ह | गीता म ककतन ही सतर आलौककक उपदशो स भरपर दख इसी कारर गीताजी मर ललए साकषात योगशवरी माता बन गई ह | ववशव भर म सार धन स भी न लमल सक भारतवषक का यह ऐसा अमकय खजाना ह |

सपरलसदध पतरकार पॉल तरबरलनटन सनातन धमक की ऐसी धालमकक पसतक पढकर जब परभाववत हआ तभी वह दहनदसतान आया था और यहाा क रमर महवषक जस महासमाओ क दशकन करक धनय हआ था | दशभलकतपरक सादहसय पढकर ही चनिशखर आजाद भगतलसह वीर सावरकर जस रसन अपन जीवन को दशादहत म लगा पाय |

इसललय सससादहसय की तो लजतनी मदहमा गाई जाय उतनी कम ह | शरीयोगवलशषटठ

महारामायर उपतनषद दासबोध सखमतन वववकचड़ामखर शरी रामकषटर सादहसय सवामी रामतीथक क

परवचन आदद भारतीय ससकतत की ऐसी कई पसतक ह लजनह पढो और उनह अपन दतनक जीवन का अग बना लो | ऐसी-वसी ववकारी और कलससत पसतक-पलसतकाएा हो तो उनह उठाकर कचर ल ढर पर फ क दो या चकह म डालकर आग तापो मगर न तो सवय पढो और न दसर क हाथ लगन दो |

इस परकार क आरधयालसमक सदहसय-सवन म बरहमचयक मजबत करन की अथाह शलकत होती ह |

परातःकाल सनानादद क पशचात ददन क वयवसाय म लगन स पवक एव रातरतर को सोन स पवक कोई-न-कोई आरधयालसमक पसतक पढना चादहए | इसस व ही सतोगरी ववचार मन म घमत रहग जो पसतक म होग और हमारा मन ववकारगरसत होन स बचा रहगा |

कौपीन (लगोटी) पहनन का भी आगरह रखो | इसस अणडकोष सवसथ रहग और वीयकरकषर म मदद लमलगी |

वासना को भड़कान वाल नगन व अशलील पोसटरो एव चचतरो को दखन का आकषकर छोड़ो | अशलील शायरी और गान भी जहाा गाय जात हो वहाा न रको |

(अनिम)

वीययसचय क चितकार

वीयक क एक-एक अर म बहत महान शलकतयाा तछपी ह | इसीक दवारा शकराचायक महावीर कबीर

नानक जस महापरष धरती पर अवतीरक हए ह | बड़-बड़ वीर योदधा वजञातनक सादहसयकार- य सब वीयक की एक बाद म तछप थ hellip और अभी आग भी पदा होत रहग | इतन बहमकय वीयक का सदपयोग जो वयलकत नही कर पाता वह अपना पतन आप आमतरतरत करता ह |

वीय व भगयः | (शतपथ बराहिण )

वीयक ही तज ह आभा ह परकाश ह |

जीवन को ऊरधवकगामी बनान वाली ऐसी बहमकय वीयकशलकत को लजसन भी खोया उसको ककतनी हातन उठानी पड़ी यह कछ उदाहररो क दवारा हम समझ सकत ह |

(अनिम)

भीटि षपतािह और वीर अमभिनय महाभारत म बरहमचयक स सबचधत दो परसग आत ह एक भीषटम वपतामह का और दसरा वीर अलभमनय का | भीषटम वपतामह बाल बरहमचारी थ इसललय उनम अथाह सामथयक था | भगवान शरी कषटर का यह वरत था कक lsquoम यदध म शसतर नही उठाऊा गा |rsquo ककनत यह भीषटम की बरहमचयक शलकत का ही चमसकार था कक उनहोन शरी कषटर को अपना वरत भग करन क ललए मजबर कर ददया | उनहोन अजकन पर ऐसी बार वषाक की कक ददवयासतरो स ससलजजत अजकन जसा धरनधर धनधाकरी भी उसका परततकार

करन म असमथक हो गया लजसस उसकी रकषाथक भगवान शरी कषटर को रथ का पदहया लकर भीषटम की ओर दौड़ना पड़ा |

यह बरहमचयक का ही परताप था कक भीषटम मौत पर भी ववजय परापत कर सक | उनहोन ही यह सवय तय ककया कक उनह कब शरीर छोड़ना ह | अनयथा शरीर म परारो का दटक रहना असभव था परनत भीषटम की तरबना आजञा क मौत भी उनस परार कस छीन सकती थी भीषटम न सवचछा स शभ महतक म अपना शरीर छोड़ा |

दसरी ओर अलभमनय का परसग आता ह | महाभारत क यदध म अजकन का वीर पतर अलभमनय चिवयह का भदन करन क ललए अकला ही तनकल पड़ा था | भीम भी पीछ रह गया था | उसन जो शौयक ददखाया वह परशसनीय था | बड़-बड़ महारचथयो स तघर होन पर भी वह रथ का पदहया लकर

अकला यदध करता रहा परनत आखखर म मारा गया | उसका कारर यह था कक यदध म जान स पवक वह अपना बरहमचयक खलणडत कर चका था | वह उततरा क गभक म पाणडव वश का बीज डालकर आया था | मातर इतनी छोटी सी कमजोरी क कारर वह वपतामह भीषटम की तरह अपनी मसय का आप

माललक नही बन सका |

(अनिम)

पथवीराज चौहान कयो हारा

भारात म पथवीराज चौहान न मोहममद गोरी को सोलह बार हराया ककनत सतरहव यदध म वह खद हार गया और उस पकड़ ललया गया | गोरी न बाद म उसकी आाख लोह की गमक सलाखो स

फड़वा दी | अब यह एक बड़ा आशचयक ह कक सोलह बार जीतन वाला वीर योदधा हार कस गया

इततहास बताता ह कक लजस ददन वह हारा था उस ददन वह अपनी पसनी स अपनी कमर कसवाकर

अथाकत अपन वीयक का ससयानाश करक यदधभलम म आया था | यह ह वीयकशलकत क वयय का दषटपररराम |

रामायर महाकावय क पातर रामभकत हनमान क कई अदभत परािम तो हम सबन सन ही ह जस- आकाश म उड़ना समि लााघना रावर की भरी सभा म स छटकर लौटना लका जलाना यदध म रावर को मकका मार कर मतछकत कर दना सजीवनी बटी क ललय परा पहाड़ उठा लाना आदद | य सब बरहमचयक की शलकत का ही परताप था |

फरास का समराट नपोललयन कहा करता था असभव शबद ही मर शबदकोष म नही ह |

परनत वह भी हार गया | हारन क मल काररो म एक कारर यह भी था कक यदध स पवक ही उसन सतरी क आकषकर म अपन वीयक का कषय कर ददया था |

समसन भी शरवीरता क कषतर म बहत परलसदध था | बाइतरबल म उसका उकलख आता ह | वह

भी सतरी क मोहक आकषकर स नही बच सका और उसका भी पतन हो गया |

(अनिम)

सवािी राितीथय का अनभव

सवामी रामतीथक जब परोफसर थ तब उनहोन एक परयोग ककया और बाद म तनषटकषकरप म बताया कक जो ववदयाथी परीकषा क ददनो म या परीकषा क कछ ददन पहल ववषयो म फस जात ह व

परीकषा म परायः असफल हो जात ह चाह वषक भर अपनी ककषा म अचछ ववदयाथी कयो न रह हो | लजन ववदयाचथकयो का चचतत परीकषा क ददनो म एकागर और शदध रहा करता ह व ही सफल होत ह | काम ववकार को रोकना वसततः बड़ा दःसारधय ह |

यही कारर ह कक मन महाराज न यहा तक कह ददया ह

माा बहन और पतरी क साथ भी वयलकत को एकानत म नही बठना चादहय कयोकक मनषटय की इलनियाा बहत बलवान होती ह | व ववदवानो क मन को भी समान रप स अपन वग म खीच ल जाती ह |

(अनिम)

यवा वगय स दो बात

म यवक वगक स ववशषरप स दो बात कहना चाहता ह कयोकक यही वह वगक ह जो अपन दश क सदढ भववषटय का आधार ह | भारत का यही यवक वगक जो पहल दशोसथान एव आरधयालसमक

रहसयो की खोज म लगा रहता था वही अब कालमतनयो क रग-रप क पीछ पागल होकर अपना अमकय जीवन वयथक म खोता जा रहा ह | यह कामशलकत मनषटय क ललए अलभशाप नही बलकक

वरदान सवरप ह | यह जब यवक म खखलन लगती ह तो उस उस समय इतन उससाह स भर दती ह

कक वह ससार म सब कछ कर सकन की लसथतत म अपन को समथक अनभव करन लगता ह लककन आज क अचधकाश यवक दवयकसनो म फा सकर हसतमथन एव सवपनदोष क लशकार बन जात ह |

(अनिम)

हसतिथन का दटपररणाि

इन दवयकसनो स यवक अपनी वीयकधारर की शलकत खो बठता ह और वह तीवरता स नपसकता की ओर अगरसर होन लगता ह | उसकी आाख और चहरा तनसतज और कमजोर हो जाता ह |

थोड़ पररशरम स ही वह हााफन लगता ह उसकी आखो क आग अधरा छान लगता ह | अचधक कमजोरी स मचछाक भी आ जाती ह | उसकी सककपशलकत कमजोर हो जाती ह |

अिररका ि ककया गया परयोग

अमररका म एक ववजञानशाला म ३० ववदयाचथकयो को भखा रखा गया | इसस उतन समय क

ललय तो उनका काम ववकार दबा रहा परनत भोजन करन क बाद उनम कफर स काम-वासना जोर पकड़न लगी | लोह की लगोट पहन कर भी कछ लोग कामदमन की चषटटा करत पाए जात ह | उनको लसकडडया बाबा कहत ह | व लोह या पीतल की लगोट पहन कर उसम ताला लगा दत ह | कछ ऐस भी लोग हए ह लजनहोन इस काम-ववकार स छटटी पान क ललय अपनी जननलनिय ही काट दी और

बाद म बहत पछताय | उनह मालम नही था कक जननलनिय तो काम ववकार परकट होन का एक साधन ह | फल-पसतत तोड़न स पड़ नषटट नही होता | मागकदशकन क अभाव म लोग कसी-कसी भल करत ह ऐसा ही यह एक उदाहरर ह |

जो यवक १७ स २४ वषक की आय तक सयम रख लता ह उसका मानलसक बल एव बदचध बहत तजसवी हो जाती ह | जीवनभर उसका उससाह एव सफततक बनी रहती ह | जो यवक बीस वषक की आय परी होन स पवक ही अपन वीयक का नाश करना शर कर दता ह उसकी सफततक और होसला पसत हो जाता ह तथा सार जीवनभर क ललय उसकी बदचध कलणठत हो जाती ह | म चाहता हा कक यवावगक वीयक क सरकषर क कछ ठोस परयोग सीख ल | छोट-मोट परयोग उपवास भोजन म सधार आदद तो ठीक ह परनत व असथाई लाभ ही द पात ह | कई परयोगो स यह बात लसदध हई ह |

(अनिम)

कािशषकत का दिन या ऊधवयगिन

कामशलकत का दमन सही हल नही ह | सही हल ह इस शलकत को ऊरधवकमखी बनाकर शरीर म ही इसका उपयोग करक परम सख को परापत करना | यह यलकत लजसको आ गई उस सब आ गया

और लजस यह नही आई वह समाज म ककतना भी सततावान धनवान परततशठावान बन जाय अनत म मरन पर अनाथ ही रह जायगा अपन-आप को नही लमल पायगा | गौतम बदध यह यलकत जानत थ

तभी अगलीमाल जसा तनदकयी हसयारा भी सार दषटकसय छोड़कर उनक आग लभकषक बन गया | ऐस महापरषो म वह शलकत होती ह लजसक परयोग स साधक क ललए बरहमचयक की साधना एकदम सरल हो जाती ह | कफर काम-ववकार स लड़ना नही पड़ता ह बलकक जीवन म बरहमचयक सहज ही फललत होन लगता ह |

मन ऐस लोगो को दखा ह जो थोड़ा सा जप करत ह और बहत पज जात ह | और ऐस लोगो को भी दखा ह जो बहत जप-तप करत ह कफर भी समाज पर उनका कोई परभाव नही उनम आकषकर नही | जान-अनजान हो-न-हो जागत अथवा तनिावसथा म या अनय ककसी परकार स उनकी वीयक शलकत अवशय नषटट होती रहती ह |

(अनिम)

एक सा क का अनभव

एक साधक न यहाा उसका नाम नही लागा मझ सवय ही बताया सवामीजी यहाा आन स पवक म महीन म एक ददन भी पसनी क तरबना नही रह सकता था इतना अचधक काम-ववकार म फा सा हआ था परनत अब ६-६ महीन बीत जात ह पसनी क तरबना और काम-ववकार भी पहल की भाातत नही सताता |

द सर सा क का अनभव

दसर एक और सजजन यहाा आत ह उनकी पसनी की लशकायत मझ सनन को लमली ह | वह

सवय तो यहाा आती नही मगर लोगो स कहा ह कक ककसी परकार मर पतत को समझाय कक व आशरम म नही जाया कर |

वस तो आशरम म जान क ललए कोई कयो मना करगा मगर उसक इस परकार मना करन का कारर जो उसन लोगो को बताया और लोगो न मझ बताया वह इस परकार ह वह कहती ह इन बाबा न मर पतत पर न जान कया जाद ककया ह कक पहल तो व रात म मझ पास म सलात थ परनत अब मझस दर सोत ह | इसस तो व लसनमा म जात थ जस-तस दोसतो क साथ घमत रहत थ वही ठीक था | उस समय कम स कम मर कहन म तो चलत थ परनत अब तो

कसा दभाकगय ह मनषटय का वयलकत भल ही पतन क रासत चल उसक जीवन का भल ही ससयानाश होता रह परनत वह मर कहन म चल यही ससारी परम का ढााचा ह | इसम परम दो-पाच परततशत हो सकता ह बाकी ९५ परततशत तो मोह ही होता ह वासना ही होती ह | मगर मोह भी परम का चोला ओढकर कफरता रहता ह और हम पता नही चलता कक हम पतन की ओर जा रह ह या उसथान की ओर |

(अनिम)

योगी का सकलपबल

बरहमचयक उसथान का मागक ह | बाबाजी न कछ जाद-वाद नही ककया| कवल उनक दवारा उनकी यौचगक शलकत का सहारा उस वयलकत को लमला लजसस उसकी कामशलकत ऊरधवकगामी हो गई | इस कारर उसका मन ससारी काम सख स ऊपर उठ गया | जब असली रस लमल गया तो गदी नाली दवारा लमलन वाल रस की ओर कोई कयो ताकगा ऐसा कौन मखक होगा जो बरहमचयक का पववतर और

असली रस छोड़कर घखरत और पतनोनमख करन वाल ससारी कामसख की ओर दौड़गा

कया यह चितकार ह

सामानय लोगो क ललय तो यह मानो एक बहत बड़ा चमसकार ह परनत इसम चमसकार जसी कोई बात नही ह | जो महापरष योगमागक स पररचचत ह और अपनी आसममसती म मसत रहत ह

उनक ललय तो यह एक खल मातर ह | योग का भी अपना एक ववजञान ह जो सथल ववजञान स भी सकषम और अचधक परभावी होता ह | जो लोग ऐस ककसी योगी महापरष क सालननरधय का लाभ लत ह उनक ललय तो बरहमचयक का पालन सहज हो जाता ह | उनह अलग स कोई महनत नही करनी पड़ती |

(अनिम)

हसतिथन व सवपनदोि स कस बच

यदद कोई हसत मथन या सवपनदोष की समसया स गरसत ह और वह इस रोग स छटकारा पान को वसततः इचछक ह तो सबस पहल तो म यह कहागा कक अब वह यह चचता छोड़ द कक मझ

यह रोग ह और अब मरा कया होगा कया म कफर स सवासथय लाभ कर सका गा इस परकार क

तनराशावादी ववचारो को वह जड़मल स उखाड़ फ क |

सदव परसनन रहो

जो हो चका वह बीत गया | बीती सो बीती बीती ताही बबसार द आग की सध लय | एक तो रोग कफर उसका चचतन और भी रगर बना दता ह | इसललय पहला काम तो यह करो कक दीनता क

ववचारो को ततलाजलल दकर परसनन और परफलकलत रहना परारभ कर दो |

पीछ ककतना वीयकनाश हो चका ह उसकी चचता छोड़कर अब कस वीयकरकषर हो सक उसक ललय उपाय करन हत कमर कस लो |

धयान रह वीयकशलकत का दमन नही करना ह उस ऊरधवकगामी बनाना ह | वीयकशलकत का उपयोग हम ठीक ढग स नही कर पात | इसललय इस शलकत क ऊरधवकगमन क कछ परयोग हम समझ ल |

(अनिम)

वीयय का ऊधवयगिन कया ह

वीयक क ऊरधवकगमन का अथक यह नही ह कक वीयक सथल रप स ऊपर सहसरार की ओर जाता ह

| इस ववषय म कई लोग भरलमत ह | वीयक तो वही रहता ह मगर उस सचाललत करनवाली जो कामशलकत ह उसका ऊरधवकगमन होता ह | वीयक को ऊपर चढान की नाड़ी शरीर क भीतर नही ह |

इसललय शिार ऊपर नही जात बलकक हमार भीतर एक वदयततक चमबकीय शलकत होती ह जो नीच की ओर बहती ह तब शिार सकिय होत ह |

इसललय जब परष की दलशट भड़कील वसतरो पर पड़ती ह या उसका मन सतरी का चचतन करता ह

तब यही शलकत उसक चचतनमातर स नीच मलाधार कनि क नीच जो कामकनि ह उसको सकिय कर

वीयक को बाहर धकलती ह | वीयक सखललत होत ही उसक जीवन की उतनी कामशलकत वयथक म खचक हो जाती ह | योगी और तातरतरक लोग इस सकषम बात स पररचचत थ | सथल ववजञानवाल जीवशासतरी और डॉकटर लोग इस बात को ठीक स समझ नही पाय इसललय आधतनकतम औजार होत हए भी कई गभीर रोगो को व ठीक नही कर पात जबकक योगी क दलषटटपात मातर या आशीवाकद स ही रोग ठीक होन क चमसकार हम परायः दखा-सना करत ह |

आप बहत योगसाधना करक ऊरधवकरता योगी न भी बनो कफर भी वीयकरकषर क ललय इतना छोटा-सा परयोग तो कर ही सकत हो

(अनिम)

वीययरकषा का िहततवप णय परयोग

अपना जो lsquoकाम-ससथानrsquo ह वह जब सकिय होता ह तभी वीयक को बाहर धकलता ह | ककनत तनमन परयोग दवारा उसको सकिय होन स बचाना ह |

जयो ही ककसी सतरी क दशकन स या कामक ववचार स आपका रधयान अपनी जननलनिय की तरफ खखचन लग तभी आप सतकक हो जाओ | आप तरनत जननलनिय को भीतर पट की तरफ़ खीचो | जस पप का वपसटन खीचत ह उस परकार की किया मन को जननलनिय म कलनित करक करनी ह | योग की भाषा म इस योतनमिा कहत ह |

अब आाख बनद करो | कफर ऐसी भावना करो कक म अपन जननलनिय-ससथान स ऊपर लसर म लसथत सहसरार चि की तरफ दख रहा हा | लजधर हमारा मन लगता ह उधर ही यह शलकत बहन लगती ह | सहसरार की ओर ववतत लगान स जो शलकत मलाधार म सकिय होकर वीयक को सखललत

करनवाली थी वही शलकत ऊरधवकगामी बनकर आपको वीयकपतन स बचा लगी | लककन रधयान रह यदद आपका मन काम-ववकार का मजा लन म अटक गया तो आप सफल नही हो पायग | थोड़ सककप और वववक का सहारा ललया तो कछ ही ददनो क परयोग स महववपरक फायदा होन लगगा | आप सपषटट

महसस करग कक एक आाधी की तरह काम का आवग आया और इस परयोग स वह कछ ही कषरो म शात हो गया |

(अनिम)

द सरा परयोग

जब भी काम का वग उठ फफड़ो म भरी वाय को जोर स बाहर फ को | लजतना अचधक बाहर फ क सको उतना उततम | कफर नालभ और पट को भीतर की ओर खीचो | दो-तीन बार क परयोग स ही काम-ववकार शात हो जायगा और आप वीयकपतन स बच जाओग |

यह परयोग ददखता छोटा-सा ह मगर बड़ा महववपरक यौचगक परयोग ह | भीतर का शवास कामशलकत को नीच की ओर धकलता ह | उस जोर स और अचधक मातरा म बाहर फ कन स वह मलाधार चि म कामकनि को सकिय नही कर पायगा | कफर पट व नालभ को भीतर सकोचन स वहाा खाली जगह बन जाती ह | उस खाली जगह को भरन क ललय कामकनि क आसपास की सारी शलकत जो वीयकपतन म

सहयोगी बनती ह खखचकर नालभ की तरफ चली जाती ह और इस परकार आप वीयकपतन स बच जायग |

इस परयोग को करन म न कोई खचक ह न कोई ववशष सथान ढाढन की जररत ह | कही भी बठकर कर सकत ह | काम-ववकार न भी उठ तब भी यह परयोग करक आप अनपम लाभ उठा सकत ह | इसस जठरालगन परदीपत होती ह पट की बीमाररयाा लमटती ह जीवन तजसवी बनता ह और वीयकरकषर

सहज म होन लगता ह |

(अनिम)

वीययरकषक च णय

बहत कम खचक म आप यह चरक बना सकत ह | कछ सख आावलो स बीज अलग करक उनक तछलको को कटकर उसका चरक बना लो | आजकल बाजार म आावलो का तयार चरक भी लमलता ह |

लजतना चरक हो उसस दगनी मातरा म लमशरी का चरक उसम लमला दो | यह चरक उनक ललए भी दहतकर

ह लजनह सवपनदोष नही होता हो |

रोज रातरतर को सोन स आधा घटा पवक पानी क साथ एक चममच यह चरक ल ललया करो | यह

चरक वीयक को गाढा करता ह कबज दर करता ह वात-वपतत-कफ क दोष लमटाता ह और सयम को मजबत करता ह |

(अनिम)

गोद का परयोग

6 गराम खरी गोद रातरतर को पानी म लभगो दो | इस सबह खाली पट ल लो | इस परयोग क दौरान अगर भख कम लगती हो तो दोपहर को भोजन क पहल अदरक व नीब का रस लमलाकर लना चादहए |

तलसी एक अदभत औषचध

परनच डॉकटर ववकटर रसीन न कहा ह ldquoतलसी एक अदभत औषचध ह | तलसी पर ककय गय

परयोगो न यह लसदध कर ददया ह कक रकतचाप और पाचनततर क तनयमन म तथा मानलसक रोगो म तलसी असयत लाभकारी ह | इसस रकतकरो की वदचध होती ह | मलररया तथा अनय परकार क बखारो म तलसी असयत उपयोगी लसदध हई ह |

तलसी रोगो को तो दर करती ही ह इसक अततररकत बरहमचयक की रकषा करन एव यादशलकत बढान म भी अनपम सहायता करती ह | तलसीदल एक उसकषटट रसायन ह | यह तरतरदोषनाशक ह | रकतववकार

वाय खाासी कलम आदद की तनवारक ह तथा हदय क ललय बहत दहतकारी ह |

(अनिम)

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

पादपषशचिोततानासन

षवध जमीन पर आसन तरबछाकर दोनो पर सीध करक बठ जाओ | कफर दोनो हाथो स परो क

अगाठ पकड़कर झकत हए लसर को दोनो घटनो स लमलान का परयास करो | घटन जमीन पर सीध रह | परारभ म घटन जमीन पर न दटक तो कोई हजक नही | सतत अभयास स यह आसन लसदध हो जायगा | यह आसन करन क 15 लमनट बाद एक-दो कचची लभणडी खानी चादहए | सवफल का सवन भी फायदा करता ह |

लाभ इस आसन स नाडड़यो की ववशष शदचध होकर हमारी कायककषमता बढती ह और शरीर की बीमाररयाा दर होती ह | बदहजमी कबज जस पट क सभी रोग सदी-जकाम कफ चगरना कमर का ददक दहचकी सफद कोढ पशाब की बीमाररयाा सवपनदोष वीयक-ववकार अपलनडकस साईदटका नलो की सजन पाणडरोग (पीललया) अतनिा दमा खटटी डकार जञानततओ की कमजोरी गभाकशय क रोग

मालसकधमक की अतनयलमतता व अनय तकलीफ नपसकता रकत-ववकार दठगनापन व अनय कई

परकार की बीमाररयाा यह आसन करन स दर होती ह |

परारभ म यह आसन आधा लमनट स शर करक परततददन थोड़ा बढात हए 15 लमनट तक कर सकत ह | पहल 2-3 ददन तकलीफ होती ह कफर सरल हो जाता ह |

इस आसन स शरीर का कद लमबा होता ह | यदद शरीर म मोटापन ह तो वह दर होता ह और यदद दबलापन ह तो वह दर होकर शरीर सडौल तनदरसत अवसथा म आ जाता ह | बरहमचयक पालनवालो क ललए यह आसन भगवान लशव का परसाद ह | इसका परचार पहल लशवजी न और बाद म जोगी गोरखनाथ न ककया था |

(अनिम)

पादागटठानासन

इसम शरीर का भार कवल पााव क अागठ पर आन स इस पादाागषटठानासन कहत ह वीयक की रकषा व ऊरधवकगमन हत महववपरक होन स सभी को ववशषतः बचचो व यवाओ को यह आसन अवशय करना चादहए

लाभः अखणड बरहमचयक की लसदचध वजरनाड़ी (वीयकनाड़ी) व मन पर तनयतरर तथा वीयकशलकत को ओज म रपातररत करन म उततम ह मलसतषटक सवसथ रहता ह व बदचध की लसथरता व परखरता शीघर परापत होती ह रोगी-नीरोगी सभी क ललए लाभपरद ह

रोगो ि लाभः सवपनदोष मधमह नपसकता व समसत वीयोदोषो म लाभपरद ह

षवध ः पजो क बल बठ जाय बाय पर की एड़ी लसवनी (गदा व जननलनिय क बीच का सथान) पर

लगाय दोनो हाथो की उगललयाा जमीन पर रखकर दायाा पर बायी जघा पर रख सारा भार बाय पज पर (ववशषतः अागठ

पर) सतललत करक हाथ कमर पर या नमसकार की मिा म रख परारमभ म

कछ ददन आधार लकर कर सकत ह कमर सीधी व शरीर लसथर रह शवास सामानय दलषटट आग ककसी तरबद पर एकागर व रधयान सतलन रखन म हो यही किया पर बदल कर भी कर

सियः परारभ म दोनो परो स आधा-एक लमनट दोनो परो को एक समान समय दकर

यथासभव बढा सकत ह

साव ानीः अततम लसथती म आन की शीघरता न कर िमशः अभयास बढाय इस ददन भर म दो-तीन बार कभी भी कर सकत ह ककनत भोजन क तरनत बाद न कर

बदध शषकतव यक परयोगः लाभः इसक तनयलमत अभयास स जञानतनत पषटट होत

ह चोटी क सथान क नीच गाय क खर क आकार वाला बदचधमडल ह लजस पर इस परयोग का ववशष परभाव पड़ता ह और बदचध ब धारराशलकत का ववकास होता ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख लसर पीछ की तरफ ल जाय दलषटट आसमान की ओर हो इस लसथतत म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ि ाशषकतव यक परयोगः

लाभः इसक तनयलमत अभयास स मधाशलकत बढती ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख

आाख बद करक लसर को नीच की तरफ इस तरफ झकाय कक ठोढी कठकप स लगी रह और कठकप पर हलका-सा दबाव पड़ इस लसथती म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ववशषः शवास लत समय मन म ॐ का जप कर व छोड़त समय

उसकी चगनती कर

रधयान द- परसयक परयोग सबह खाली पट 15 बार कर कफर धीर-धीर बढात हए 25 बार तक कर सकत ह

(अनिम)

हिार अनभव

िहापरि क दशयन का चितकार

ldquoपहल म कामतलपत म ही जीवन का आननद मानता था | मरी दो शाददयाा हई परनत दोनो पलसनयो क दहानत क कारर अब तीसरी शादी 17 वषक की लड़की स करन को तयार हो गया | शादी स पवक म परम पजय सवामी शरी लीलाशाहजी महारज का आशीवाकद लन डीसा आशरम म जा पहाचा |

आशरम म व तो नही लमल मगर जो महापरष लमल उनक दशकनमातर स न जान कया हआ कक मरा सारा भववषटय ही बदल गया | उनक योगयकत ववशाल नतरो म न जान कसा तज चमक रहा था कक म अचधक दर तक उनकी ओर दख नही सका और मरी नजर उनक चररो की ओर झक गई | मरी कामवासना ततरोदहत हो गई | घर पहाचत ही शादी स इनकार कर ददया | भाईयो न एक कमर म उस 17 वषक की लड़की क साथ मझ बनद कर ददया |

मन कामववकार को जगान क कई उपाय ककय परनत सब तनरथकक लसदध हआ hellip जस कामसख

की चाबी उन महापरष क पास ही रह गई हो एकानत कमर म आग और परोल जसा सयोग था कफर भी

मन तनशचय ककया कक अब म उनकी छतरछाया को नही छोड़ागा भल ककतना ही ववरोध सहन

करना पड़ | उन महापरष को मन अपना मागकदशकक बनाया | उनक सालननरधय म रहकर कछ यौचगक

कियाएा सीखी | उनहोन मझस ऐसी साधना करवाई कक लजसस शरीर की सारी परानी वयाचधयाा जस मोटापन दमा टीबी कबज और छोट-मोट कई रोग आदद तनवत हो गय |

उन महापरष का नाम ह परम पजय सत शरी आसारामजी बाप | उनहीक सालननरधय म म अपना जीवन धनय कर रहा हा | उनका जो अनपम उपकार मर ऊपर हआ ह उसका बदला तो म अपना समपरक लौककक वभव समपकर करक भी चकान म असमथक हा |rdquo

-महनत चदीराम ( भतपवक चदीराम कपालदास )

सत शरी आसारामजी आशरम साबरमतत अमदावाद |

मरी वासना उपासना म बदली

ldquoआशरम दवारा परकालशत ldquoयौवन सरकषाrdquo पसतक पढन स मरी दलषटट अमीदलषटट हो गई | पहल परसतरी को एव हम उमर की लड़ककयो को दखकर मर मन म वासना और कदलषटट का भाव पदा होता था लककन यह पसतक पढकर मझ जानन को लमला कक lsquoसतरी एक वासनापतत क की वसत नही ह परनत शदध परम

और शदध भावपवकक जीवनभर साथ रहनवाली एक शलकत ह |rsquo सचमच इस lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक को पढकर मर अनदर की वासना उपासना म बदल गयी ह |rdquo

-मकवारा रवीनि रततभाई

एम क जमोड हाईसकल भावनगर (गज)

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगय क मलय एक अि लय भि ह

ldquoसवकपरथम म पजय बाप का एव शरी योग वदानत सवा सलमतत का आभार परकट करता हा |

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय अमकय भट ह | यह पसतक यवानो क ललय सही ददशा ददखानवाली ह |

आज क यग म यवानो क ललय वीयकरकषर अतत कदठन ह | परनत इस पसतक को पढन क बाद

ऐसा लगता ह कक वीयकरकषर करना सरल ह | lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक को सही यवान

बनन की परररा दती ह | इस पसतक म मन lsquoअनभव-अमतrsquo नामक पाठ पढा | उसक बाद ऐसा लगा कक सत दशकन करन स वीयकरकषर की परररा लमलती ह | यह बात तनतात ससय ह | म हररजन जातत का हा | पहल मास मछली लहसन पयाज आदद सब खाता था लककन lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पढन क बाद मझ मासाहार स सखत नफरत हो गई ह | उसक बाद मन इस पसतक को दो-तीन बार पढा ह |

अब म मास नही खा सकता हा | मझ मास स नफरत सी हो गई ह | इस पसतक को पढन स मर मन पर काफी परभाव पड़ा ह | यह पसतक मनषटय क जीवन को समदध बनानवाली ह और वीयकरकषर की शलकत परदान करन वाली ह |

यह पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह | आज क यवान जो कक 16 वषक स 17

वषक की उमर तक ही वीयकशलकत का वयय कर दत ह और दीन-हीन कषीरसककप कषीरजीवन होकर अपन ललए व औरो क ललए भी खब दःखद हो जात ह उनक ललए यह पसतक सचमच परररादायक ह

| वीयक ही शरीर का तज ह शलकत ह लजस आज का यवा वगक नषटट कर दता ह | उसक ललए जीवन म ववकास करन का उततम मागक तथा ददगदशकक यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक ह | तमाम यवक-यवततयो को यह पसतक पजय बाप की आजञानसार पााच बार अवशय पढनी चादहए | इसस बहत लाभ होता ह |rdquo

-राठौड तनलश ददनशभाई

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अषपत एक मशकषा गरनथ ह

ldquoयह lsquoयौवन सरकषाrsquo एक पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह लजसस हम ववदयाचथकयो को सयमी जीवन जीन की परररा लमलती ह | सचमच इस अनमोल गरनथ को पढकर एक अदभत परररा तथा उससाह लमलता ह | मन इस पसतक म कई ऐसी बात पढी जो शायद ही कोई हम बालको को बता व समझा सक | ऐसी लशकषा मझ आज तक ककसी दसरी पसतक स नही लमली | म इस पसतक को जनसाधारर तक पहाचान वालो को परराम करता हा तथा उन महापरष महामानव को शत-शत परराम करता हा लजनकी परररा तथा आशीवाकद स इस पसतक की रचना हई |rdquo

हरपरीत लसह अवतार लसह

ककषा-7 राजकीय हाईसकल सकटर-24 चणडीगढ

बरहिचयय ही जीवन ह

बरहमचयक क तरबना जगत म नही ककसीन यश पाया |

बरहमचयक स परशराम न इककीस बार धररी जीती |

बरहमचयक स वाकमीकी न रच दी रामायर नीकी |

बरहमचयक क तरबना जगत म ककसन जीवन रस पाया

बरहमचयक स रामचनि न सागर-पल बनवाया था |

बरहमचयक स लकषमरजी न मघनाद मरवाया था |

बरहमचयक क तरबना जगत म सब ही को परवश पाया |

बरहमचयक स महावीर न सारी लका जलाई थी |

बरहमचयक स अगदजी न अपनी पज जमाई थी |

बरहमचयक क तरबना जगत म सबन ही अपयश पाया |

बरहमचयक स आकहा-उदल न बावन ककल चगराए थ |

पथवीराज ददकलीशवर को भी रर म मार भगाए थ |

बरहमचयक क तरबना जगत म कवल ववष ही ववष पाया |

बरहमचयक स भीषटम वपतामह शरशया पर सोय थ |

बरहमचारी वर लशवा वीर स यवनो क दल रोय थ |

बरहमचयक क रस क भीतर हमन तो षटरस पाया |

बरहमचयक स राममतत क न छाती पर पसथर तोड़ा |

लोह की जजीर तोड़ दी रोका मोटर का जोड़ा |

बरहमचयक ह सरस जगत म बाकी को करकश पाया |

(अनिम)

शासतरवचन

राजा जनक शकदवजी स बोल

ldquoबाकयावसथा म ववदयाथी को तपसया गर की सवा बरहमचयक का पालन एव वदारधययन करना चादहए |rdquo

तपसा गरवततया च बरहिचयण वा षवभो |

- िहाभारत ि िोकष िय पवय

सकलपाजजायत कािः सवयिानो षवव यत |

यदा पराजञो षवरित तदा सदयः परणशयतत ||

ldquoकाम सककप स उसपनन होता ह | उसका सवन ककया जाय तो बढता ह और जब बदचधमान परष

उसस ववरकत हो जाता ह तब वह काम तसकाल नषटट हो जाता ह |rdquo

-िहाभारत ि आपद िय पवय

ldquoराजन (यचधलषटठर) जो मनषटय आजनम परक बरहमचारी रहता ह उसक ललय इस ससार म कोई भी ऐसा पदाथक नही ह जो वह परापत न कर सक | एक मनषटय चारो वदो को जाननवाला हो और दसरा परक बरहमचारी हो तो इन दोनो म बरहमचारी ही शरषटठ ह |rdquo

-भीटि षपतािह

ldquoमथन सबधी य परवततयाा सवकपरथम तो तरगो की भाातत ही परतीत होती ह परनत आग चलकर य

कसगतत क कारर एक ववशाल समि का रप धारर कर लती ह | कामसबधी वाताकलाप कभी शरवर न कर |rdquo

-नारदजी

ldquoजब कभी भी आपक मन म अशदध ववचारो क साथ ककसी सतरी क सवरप की ककपना उठ तो आप

lsquoॐ दगाय दवय निःrsquo मतर का बार-बार उचचारर कर और मानलसक परराम कर |rdquo

-मशवानदजी

ldquoजो ववदयाथी बरहमचयक क दवारा भगवान क लोक को परापत कर लत ह कफर उनक ललय ही वह सवगक ह | व ककसी भी लोक म कयो न हो मकत ह |rdquo

-छानदोगय उपतनिद

ldquoबदचधमान मनषटय को चादहए कक वह वववाह न कर | वववादहत जीवन को एक परकार का दहकत हए

अगारो स भरा हआ खडडा समझ | सयोग या ससगक स इलनियजतनत जञान की उसपवतत होती ह

इलनिजतनत जञान स तससबधी सख को परापत करन की अलभलाषा दढ होती ह ससगक स दर रहन पर जीवासमा सब परकार क पापमय जीवन स मकत रहता ह |rdquo

-िहातिा बद

भगवशी ॠवष जनकवश क राजकमार स कहत ह

िनोऽपरततक लातन परतय चह च वाछमस |

भ ताना परततक लभयो तनवतयसव यतषनरयः ||

ldquoयदद तम इस लोक और परलोक म अपन मन क अनकल वसतएा पाना चाहत हो तो अपनी इलनियो को सयम म रखकर समसत पराखरयो क परततकल आचररो स दर हट जाओ |rdquo

ndashिहाभारत ि िोकष िय पवय 3094

(अनिम)

भसिासर करो स बचो काम िोध लोभ मोह अहकार- य सब ववकार आसमानदरपी धन को हर लनवाल शतर ह |

उनम भी िोध सबस अचधक हातनकतताक ह | घर म चोरी हो जाए तो कछ-न-कछ सामान बच जाता ह

लककन घर म यदद आग लग जाय तो सब भसमीभत हो जाता ह | भसम क लसवा कछ नही बचता |

इसी परकार हमार अतःकरर म लोभ मोहरपी चोर आय तो कछ पणय कषीर होत ह लककन िोधरपी आग लग तो हमारा तमाम जप तप पणयरपी धन भसम हो जाता ह | अतः सावधान होकर

िोधरपी भसमासर स बचो | िोध का अलभनय करक फफकारना ठीक ह लककन िोधालगन तमहार

अतःकरर को जलान न लग इसका रधयान रखो |

25 लमनट तक चबा-चबाकर भोजन करो | सालववक आहर लो | लहसन लाल लमचक और तली हई चीजो स दर रहो | िोध आव तब हाथ की अागललयो क नाखन हाथ की गददी पर दब इस परकार

मठठी बद करो |

एक महीन तक ककय हए जप-तप स चचतत की जो योगयता बनती ह वह एक बार िोध करन स नषटट हो जाती ह | अतः मर पयार भया सावधान रहो | अमकय मानव दह ऐस ही वयथक न खो दना |

दस गराम शहद एक चगलास पानी तलसी क पतत और सतकपा चरक लमलाकर बनाया हआ

शबकत यदद हररोज सबह म ललया जाए तो चचतत की परसननता बढती ह | चरक और तलसी नही लमल तो कवल शहद ही लाभदायक ह | डायतरबदटज क रोचगयो को शहद नही लना चादहए |

हरर ॐ

बरहिाचयय-रकषा का ितर

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय िनोमभलाित िनः सतभ कर कर सवाहा

रोज दध म तनहार कर 21 बार इस मतर का जप कर और दध पी ल इसस बरहमचयक की रकषा होती ह सवभाव म आसमसात कर लन जसा यह तनयम ह

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

पावन उदगार

पावन उदगार

सख-शातत व सवासथय का परसाद बािन क मलए ही बाप जी का अवतरण हआ ह

मर असयनत वपरय लमतर शरी आसाराम जी बाप स म पवककाल स हदयपवकक पररचचत हा ससार म सखी रहन क ललए समसत जनता को शारीररक सवासथय और मानलसक शातत दोनो आवशयक ह सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही इन सत का महापरष का अवतरर हआ ह आज क सतो-महापरषो म परमख मर वपरय लमतर बापजी हमार भारत दश क दहनद जनता क आम जनता क ववशववालसयो क उदधार क ललए रात-ददन घम-घमकर सससग

भजन कीतकन आदद दवारा सभी ववषयो पर मागकदशकन द रह ह अभी म गल म थोड़ी तकलीफ ह तो उनहोन तरनत मझ दवा बताई इस परकार सबक सवासथय और मानलसक शातत दोनो क ललए उनका जीवन समवपकत ह व धनभागी ह जो लोगो को बापजी क सससग व सालननरधय म लान का दवी कायक करत ह

काची कािकोहि पीठ क शकराचायय जगदगर शरी जयनर सरसवती जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

हर वयषकत जो तनराश ह उस आसाराि जी की जररत ह शरदधय-वदनीय लजनक दशकन स कोदट-कोदट जनो क आसमा को शातत लमली ह व हदय

उननत हआ ह ऐस महामनीवष सत शरी आसारामजी क दशकन करक आज म कताथक हआ लजस महापरष न लजस महामानव न लजस ददवय चतना स सपनन परष न इस धरा पर धमक ससकतत अरधयासम और भारत की उदातत परपराओ को परी ऊजाक (शलकत) स सथावपत ककया ह

उस महापरष क म दशकन न करा ऐसा तो हो ही नही सकता इसललए म सवय यहाा आकर अपन-आपको धनय और कताथक महसस कर रहा हा मर परतत इनका जो सनह ह यह तो मझ पर इनका आशीवाकद ह और बड़ो का सनह तो हमशा रहता ही ह छोटो क परतत यहाा पर म आशीवाकद लन क ललए आया हा

म समझता हा कक जीवन म लगभग हर वयलकत तनराश ह और उसको आसारामजी की जररत ह दश यदद ऊा चा उठगा समदध बनगा ववकलसत होगा तो अपनी पराचीन परपराओ नततक मकयो और आदशो स ही होगा और वह आदशो नततक मकयो पराचीन सभयता धमक-दशकन

और ससकतत का जो जागरर ह वह आशाओ क राम बनन स ही होगा इसललए शरदधय वदनीय महाराज शरी आसाराम जी की सारी दतनया को जररत ह बाप जी क चररो म पराथकना करत हए कक आप ददशा दत रहना राह ददखात रहना हम भी आपक पीछ-पीछ चलत रहग और एक ददन मलजल लमलगी ही पनः आपक चररो म वदन

परमसद योगाचायय शरी रािदव जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

बाप तनतय नवीन तनतय व यनीय आनदसवरप ह परम पजय बाप क दशकन करक म पहल भी आ चका हा दशकन करक हदन-हदन नव-नव

परततकषण व यनाि अथाकत बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह ऐसा अनभव हो रहा ह और यह सवाभाववक ही ह पजय बाप जी को परराम

सपरमसद कथाकार सत शरी िोरारी बाप

(अनिम) पावन उदगार

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहिजञान का हदवय सतसग

ईशवर की कपा होती ह तो मनषटय जनम लमलता ह ईशवर की अततशय कपा होती ह तो ममकषसव का उदय होता ह परनत जब अपन पवकजनमो क पणय इकटठ होत ह और ईशवर की परम कपा होती ह तब ऐसा बरहमजञान का ददवय सससग सनन को लमलता ह जसा पजयपाद बापजी क शरीमख स आपको यहाा सनन को लमल रहा ह

परमसद कथाकार सशरी कनकशवरी दवी

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी का साषननधय गगा क पावन परवाह जसा ह कल-कल करती इस भागीरथी की धवल धारा क ककनार पर पजय बाप जी क सालननरधय

म बठकर म बड़ा ही आहलाददत व परमददत हा आनददत हा रोमााचचत हा

गगा भारत की सषमना नाड़ी ह गगा भारत की सजीवनी ह शरी ववषटरजी क चररो स तनकलकर बरहमाजी क कमणडल व जटाधर क माथ पर शोभायमान गगा तरयोगलसदचधकारक ह ववषटरजी क चररो स तनकली गगा भलकतयोग की परतीतत कराती ह और लशवजी क मसतक पर लसथत गगा जञानयोग की उचचतर भलमका पर आरढ होन की खबर दती ह मझ ऐसा लग रहा ह कक आज बापजी क परवचनो को सनकर म गगा म गोता लगा रहा हा कयोकक उनका परवचन

उनका सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

व अलमसत फकीर ह व बड़ सरल और सहज ह व लजतन ही ऊपर स सरल ह उतन ही अतर म गढ ह उनम दहमालय जसी उचचता पववतरता शरषटठता ह और सागरतल जसी गमभीरता ह व राषटर की अमकय धरोहर ह उनह दखकर ऋवष-परमपरा का बोध होता ह गौतम कराद जलमतन कवपल दाद मीरा कबीर रदास आदद सब कभी-कभी उनम ददखत ह

र भाई कोई सतगर सत कहाव जो ननन अलख लखाव

रती उखाड़ आकाश उखाड़ अ र िड़इया ाव

श नय मशखर क पार मशला पर आसन अचल जिाव

र भाई कोई सतगर सत कहाव

ऐस पावन सालननरधय म हम बठ ह जो बड़ा दलकभ व सहज योगसवरप ह ऐस महापरष क ललए पलकतयाा याद आ रही ह- ति चलो तो चल रती चल अबर चल दतनया

ऐस महापरष चलत ह तो उनक ललए सयक चि तार गरह नकषतर आदद सब अनकल हो जात ह ऐस इलनियातीत गरातीत भावातीत शबदातीत और सब अवसथाओ स पर ककनही महापरष क शरीचररो म जब बठत ह तो भागवत कहता हः सा ना दशयन लोक सवयमसदध कर परि साधओ क दशकनमातर स ववचार ववभतत ववदवता शलकत सहजता तनववकषयता परसननता लसदचधयाा व आसमानद की परालपत होती ह

दश क महान सत यहाा सहज ही आत ह भारत क सभी शकराचायक भी आत ह मर मन म भी ववचार आया कक जहाा सब आत ह वहाा जाना चादहए कयोकक यही वह ठौर-दठकाना ह जहाा मन का अलभमान लमटाया जा सकता ह ऐस महापरषो क दशकन स कवल आनद व मसती ही नही बलकक वह सब कछ लमल जाता ह जो अलभलवषत ह आकाकषकषत ह लकषकषत ह यहाा म कररा कमकठता वववक-वरागय व जञान क दशकन कर रहा हा वरागय और भलकत क रकषर पोषर व सवधकन क ललए यह सपतऋवषयो का उततम जञान जाना जाता ह आज गगा अगर कफर स साकार ददख रही ह तो व बाप जी क ववचार व वारी म ददख रही ह अलमसतता सहजता उचचता शरषटठता पववतरता तीथक-सी शचचता लशश-सी सरलता तररो-सा जोश वदधो-सा गाभीयक और ऋवषयो जसा जञानावबोध मझ जहाा हो रहा ह वह पडाल ह इस आनदगर कहा या परमनगर कररा का सागर कहा या ववचारो का समनदर लककन इतना जरर कहागा कक मर मन का कोना-कोना आहलाददत हो रहा ह आपलोग बड़भागी ह जो ऐस महापरष क शरीचररो म बठ ह जहाा भागय का ददवय वयलकतसव का तनमाकर होता ह जीवन की कतकसयता जहाा परापत हो सकती ह वह यही दर ह

मिल ति मिली िषजल मिला िकसद और िददा भी

न मिल ति तो रह गया िददा िकसद और िषजल भी

आपका यह भावराजय व परमराजय दखकर म चककत भी हा और आनद का भी अनभव कर रहा हा मझ लगता ह कक बाप जी सबक आसमसयक ह आपक परतत मरा ववशवास व अटट तनषटठा बढ इस हत मरा नमन सवीकार कर

सवािी अव शानदजी िहाराज हररदवार

(अनिम) पावन उदगार

भगवननाि का जाद सतशरी आसारामजी बाप क यहाा सबस अचधक जनता आती ह कारर कक इनक पास भगवननाम-सकीतकन का जाद सरल वयवहार परमरसभरी वारी तथा जीवन क मल परशनो का उततर भी ह

षवरकतमशरोिरण शरी वािदवजी िहाराज

सवामी आसारामजी क पास भरातत तोड़न की दलषटट लमलती ह

यगपरि सवािी शरी परिानदजी िहाराज

आसारामजी महाराज ऐसी शलकत क धनी ह कक दलषटटपातमातर स लाखो लोगो क जञानचकष खोलन का मागक परशसत करत ह

लोकलाडल सवािी शरी बरहिानदधगरीजी िहाराज

हमार पजय आसारामजी बाप बहत ही कम समय म ससकतत का जतन और उसथान करन वाल सत ह आचायय शरी धगरीराज ककशोरजी षवशवहहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी क सतसग ि पर ानितरी शरी अिल बबहारी वाजपयीजी क उदगार

पजय बापजी क भलकतरस म डब हए शरोता भाई-बहनो म यहाा पर पजय बापजी का अलभनदन करन आया हा उनका आशीवकचन सनन आया हा भाषर दन य बकबक करन नही आया हा बकबक तो हम करत रहत ह बाप जी का जसा परवचन ह कथा-अमत ह उस

तक पहाचन क ललए बड़ा पररशरम करना पड़ता ह मन पहल उनक दशकन पानीपत म ककय थ वहाा पर रात को पानीपत म पणय परवचन समापत होत ही बापजी कटीर म जा रह थ तब उनहोन मझ बलाया म भी उनक दशकन और आशीवाकद क ललए लालातयत था सत-महासमाओ क दशकन तभी होत ह उनका सालननरधय तभी लमलता ह जब कोई पणय जागत होता ह

इस जनम म मन कोई पणय ककया हो इसका मर पास कोई दहसाब तो नही ह ककत जरर यह पवक जनम क पणयो का फल ह जो बाप जी क दशकन हए उस ददन बापजी न जो कहा वह अभी तक मर हदय-पटल पर अककत ह दशभर की पररिमा करत हए जन-जन क मन म अचछ ससकार जगाना यह एक ऐसा परम राषटरीय कतकवय ह लजसन हमार दश को आज तक जीववत रखा ह और इसक बल पर हम उजजवल भववषटय का सपना दख रह ह उस सपन को साकार करन की शलकत-भलकत एकतर कर रह ह

पजय बापजी सार दश म भरमर करक जागरर का शखनाद कर रह ह सवकधमक-समभाव की लशकषा द रह ह ससकार द रह ह तथा अचछ और बर म भद करना लसखा रह ह

हमारी जो पराचीन धरोहर थी और हम लजस लगभग भलन का पाप कर बठ थ बाप जी हमारी आाखो म जञान का अजन लगाकर उसको कफर स हमार सामन रख रह ह बापजी न कहा कक ईशवर की कपा स कर-कर म वयापत एक महान शलकत क परभाव स जो कछ घदटत होता ह उसकी छानबीन और उस पर अनसधान करना चादहए

पजय बापजी न कहा कक जीवन क वयापार म स थोड़ा समय तनकाल कर सससग म आना चादहए पजय बापजी उजजन म थ तब मरी जान की बहत इचछा थी लककन कहत ह न

कक दान-दान पर खान वाल की मोहर होती ह वस ही सत-दशकन क ललए भी कोई महतक होता ह आज यह महतक आ गया ह यह मरा कषतर ह पजय बाप जी न चनाव जीतन का तरीका भी बता ददया ह

आज दश की दशा ठीक नही ह बाप जी का परवचन सनकर बड़ा बल लमला ह हाल म हए लोकसभा अचधवशन क कारर थोड़ी-बहत तनराशा हई थी ककनत रात को लखनऊ म पणय परवचन सनत ही वह तनराशा भी आज दर हो गयी बाप जी न मानव जीवन क चरम लकषय मलकत-शलकत की परालपत क ललए परषाथक चतषटटय भलकत क ललए समपकर की भावना तथा जञान

भलकत और कमक तीनो का उकलख ककया ह भलकत म अहकार का कोई सथान नही ह जञान अलभमान पदा करता ह भलकत म परक समपकर होता ह 13 ददन क शासनकाल क बाद मन कहाः मरा जो कछ ह तरा ह यह तो बाप जी की कपा ह कक शरोता को वकता बना ददया और वकता को नीच स ऊपर चढा ददया जहाा तक ऊपर चढाया ह वहाा तक ऊपर बना रहा इसकी चचता भी बाप जी को करनी पड़गी

राजनीतत की राह बड़ी रपटीली ह जब नता चगरता ह तो यह नही कहता कक म चगर गया बलकक कहता हः हर हर गग बाप जी का परवचन सनकर बड़ा आनद आया म लोकसभा

का सदसय होन क नात अपनी ओर स एव लखनऊ की जनता की ओर स बाप जी क चररो म ववनमर होकर नमन करना चाहता हा

उनका आशीवाकद हम लमलता रह उनक आशीवाकद स परररा पाकर बल परापत करक हम कतकवय क पथ पर तनरनतर चलत हए परम वभव को परापत कर यही परभ स पराथकना ह

शरी अिल बबहारी वाजपयी पर ानितरी भारत सरकार

परि प जय बाप सत शरी आसारािजी बाप क कपा-परसाद स पररपलाषवत हदयो क उदगार

(अनिम) पावन उदगार

प बाप ः राटरसख क सव यक

पजय बाप दवारा ददया जान वाला नततकता का सदश दश क कोन-कोन म लजतना अचधक परसाररत होगा लजतना अचधक बढगा उतनी ही मातरा म राषटरसख का सवधकन होगा राषटर की परगतत होगी जीवन क हर कषतर म इस परकार क सदश की जररत ह

(शरी लालकटण आडवाणी उपपर ानितरी एव कनरीय गहितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

राटर उनका ऋणी ह भारत क भतपवक परधानमतरी शरी चनिशखर ददकली क सवरक जयनती पाकक म 25 जलाई

1999 को बाप जी की अमतवारी का रसासवादन करन क पशचात बोलः

आज पजय बाप जी की ददवय वारी का लाभ लकर म धनय हो गया सतो की वारी न हर यग म नया सदश ददया ह नयी परररा जगायी ह कलह वविोह और दवष स गरसत वतकमान वातावरर म बाप लजस तरह ससय कररा और सवदनशीलता क सदश का परसार कर रह ह इसक ललए राषटर उनका ऋरी ह (शरी चनरशखर भ तप वय पर ानितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

गरीबो व षपछड़ो को ऊपर उठान क कायय चाल रह गरीबो और वपछड़ो को ऊपर उठान का कायक आशरम दवारा चलाय जा रह ह मझ

परसननता ह मानव-ककयार क ललए ववशषतः परम व भाईचार क सदश क मारधयम स ककय जा रह ववलभनन आरधयालसमक एव मानवीय परयास समाज की उननतत क ललए सराहनीय ह

डॉ एपीजअबदल कलाि राटरपतत भारत गणततर

(अनिम) पावन उदगार

सराहनीय परयासो की सफलता क मलए ब ाई मझ यह जानकर बड़ी परसननता हई ह कक सत शरी आसारामजी आशरम नयास जन-जन

म शातत अदहसा और भरातसव का सदश पहाचान क ललए दश भर म सससग का आयोजन कर रहा ह उसक सराहनीय परयासो की सफलता क ललए म बधाई दता हा

शरी क आर नारायणन ततकालीन राटरपतत भारत गणततर नई हदलली

(अनिम) पावन उदगार

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आरधयालसमक चतना जागत और ववकलसत करन हत भारतीय एव वलशवक समाज म ददवय जञान का जो परकाशपज आपन परसफदटत ककया ह सपरक मानवता उसस आलोककत ह मढता जड़ता दवदव और तरतरतापो स गरसत इस समाज म वयापत अनासथा तथा नालसतकता का ततलमर समापत कर आसथा सयम सतोष और समाधान का जो आलोक आपन तरबखरा ह सपरक

समाज उसक ललए कतजञ ह शरी किलनाथ वारणजय एव उदयोग ितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आप सिाज की सवागीण उननतत कर रह ह आज क भागदौड़ भर सपधाकसमक यग म लपतपराय-सी हो रही आलसमक शातत का आपशरी

मानवमातर को सहज म अनभव करा रह ह आप आरधयालसमक जञान दवारा समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह व उसम धालमकक एव नततक आसथा को सदढ कर रह ह

शरी कषपल मसबबल षवजञान व परौदयोधगकी तथा िहासागर षवकास राजयितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

योग व उचच ससकार मशकषा हत भारतविय आपका धचर-आभारी रहगा

दश ववदश म भारतीय ससकतत की जञानगगाधारा बचच-बचच क ददल-ददमाग म बाप जी क तनदश पर पररचाललत होना शभकर ह ववदयाचथकयो म ससकार लसचन दवारा हमारी ससकतत और नततक लशकषा सदढ बन जायगी दश को ससकाररत बनान क ललए चलाय जान वाल योग व उचच ससकार लशकषा कायकिम हत भारतवषक आप जस महासमाओ का चचरआभारी रहगा

शरी चनरशखर साह गरािीण षवकास राजयिनतरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आपन जो कहा ह हि उसका पालन करग

आज तक कवल सना था कक तरा साई तझि ह लककन आज पजय बाप जी क सससग सनकर आज लगा - िरा साई िझि ह बापजी आपको दखकर ही शलकत आ गयी

आपको सनकर भलकत परकट हो गयी और आपक दशकन और आशीवाकद स मलकत अब सतनलशचत हो गयी पराथकना करता हा कक यही बस जाओ हम बार-बार आपक दशकन करत रह और भलकत

शलकत परापत करत हए मलकत की ओर बढत रह अब हरदय स कभी तनकल न पाओग बाप जी जो भलकत रस की सररता और जञान की गगा आपन बहायी ह वह मरधय परदश वालसयो को हमशा परररा दती रहगी हम तो भकत ह लशषटय ह आपन जो कछ बात कही ह हम उनका पालन करग हम ववशषरप स रधयान रखग कक आपन जो आजञा की ह नीम पीपल आावला जगह-जगह लग और तलसी मया का पौधा हर घर म लहराय उस आजञा का पालन हो कफर मरधय-परदश नदनवन की तरह महकगा

तीन चीज आपस माागता हा ndash सत बदचध सत मागक और सामथयक दना ताकक जनता की सचार रप स सवा कर सका शरी मशवराजमसह चौहान िखयितरी िधयपरदश

(अनिम) पावन उदगार

जब गर क साकषात दशयन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

राजमाता की वजह स महाराज बापजी स हमारा बहत पराना ररशता ह आज रामनवमी क ददन म तो मानती हा कक म तो धनय हो गयी कयोकक सबह स लकर दशकन हो रह ह महाराज आपका आशीवाकद बना रह कयोकक म राज करन क ललए नही आयी धमक और कमक को एक साथ जोड़कर म सवा करन क ललए आयी हा और वह म करती रहागी आप आत रहोग आशीवाकद दत रहोग तो हमम ऊजाक भी पदा होगी आप रासता बतात रहो और इस राजयरपी पररवार की सवा करन की शलकत दत रहो

म माफी चाहती हा कक आपक चररो म इतनी दर स पहाची लककन म मानती हा कक जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा राजय की समसयाएा हल होगी व हम लोग जनसवा क काम कर सक ग वसन राराज मसध या िखयितरी राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी सवयतर ससकार रोहर को पहचान क मलए अथक तपशचयाय कर रह ह

पजय बाप जी आप दश और दतनया ndash सवकतर ऋवष-परमपरा की ससकार-धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह अनक यगो स चलत आय मानव-ककयार क इस तपशचयाक-यजञ म आप अपन पल-पल की आहतत दत रह ह उसम स जो ससकार की ददवय जयोतत परकट हई ह उसक परकाश म म और जनता ndash सब चलत रह ह म सतो क आशीवाकद स जी रहा हा म यहाा इसललए आया हा कक लासनस ररनय हो जाय जस नवला अपन घर म जाकर औषचध साघकर ताकत लकर आता ह वस ही म समय तनकाल कर ऐसा अवसर खोज लता हा

शरी नरनर िोदी िखयितरी गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपक दशयनिातर स िझ अदभत शषकत मिलती ह पजय बाप जी क ललए मर ददल म जो शरदधा ह उसको बयान करन क ललए मर पास

कोई शबद नही ह आज क भटक समाज म भी यदद कछ लोग सनमागक पर चल रह ह तो यह इन महापरषो क अमतवचनो का ही परभाव ह बापजी की अमतवारी का ववशषकर मझ पर तो बहत परभाव पड़ता ह मरा तो मन करता ह कक बाप जी जहाा कही भी हो वही पर उड़कर उनक दशकन करन क ललए पहाच जाऊा व कछ पल ही सही उनक सालननरधय का लाभ ला आपक दशकनमातर स ही मझ एक अदभत शलकत लमलती ह शरी परकाश मसह बादल िखयितरी पजाब

(अनिम) पावन उदगार

हि सभी का कतयवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल हम सबका परम सौभागय ह कक बाप जी क दशकन हए कल आपस मलाकात हई

आशीवाकद लमला मागकदशकन भी लमला और इशारो-इशारो म आपन वह सब कछ जो सदगरदव एक लशषटय को बता सकत ह मर जस एक लशषटय को आशीवाकद रप म परदान ककया आपक आशीवाकद

व कपादलषटट स छततीसगढ म सख-शातत व समदचध रह यहाा क एक-एक वयलकत क घर म ववकास की ककरर आय

आपन जो जञानोपदश ददया ह हम सभी का कतकवय होगा कक उस रासत पर चल बापजी स खासतौर स पीपल नीम आावला व तलसी क वकष लगान क बार म कहा ह हम इस पर ववशषरप स रधयान रखग डॉ रिन मसह िखयितरी छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

आपका ितर हः आओ सरल रासता हदखाऊ राि को पान क मलए

पजय बाबा आसारामजी बाप आपका नाम आसारामजी बाप इसललए तनकला ह कयोकक आपका यही मतर ह कक आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए आज हम धनय ह कक सससग म आय सससग उस कहत ह लजसक सग म हम सत हो जाय पजय बाप जी न हम भगवान को पान का सरल रासता ददखाया ह इसललए म जनता की ओर स बापजी का धनयवाद करता हा शरी ईएसएल नरमसमहन राजयपाल छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

सतो क िागयदशयन ि दश चलगा तो आबाद होगा पजय बाप जी म कमकयोग भलकतयोग तथा जञानयोग तीनो का ही समावश ह आप

आज करोड़ो-करोड़ो भकतो का मागकदशकन कर रह ह सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा म तो बड़-बड़ नताओ स यही कहता हा कक आप सतो का आशीवाकद जरर लो इनक चररो म अगर रहग तो सतता रहगी दटकगी तथा उसी स धमक की सथापना होगी

शरी अशोक मसघल अधयकष षवशव हहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

सतय का िागय कभी न छ ि ऐसा आशीवायद दो

हम आपक मागकदशकन की जररत ह वह सतत लमलता रह आपन हमार कधो पर जो जवाबदारी दी ह उस हम भली परकार तनभाय बर मागक पर न जाय ससय क मागक पर चल लोगो की अचछ ढग स सवा कर ससकतत की सवा कर ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

शरी उद व ठाकर काययकारी अधयकष मशवसना

(अनिम) पावन उदगार

पणयोदय पर सत सिागि

जीवन की दौड़-धप स कया लमलता ह यह हम सब जानत ह कफर भी भौततकवादी ससार म हम उस छोड़ नही पात सत शरी आसारामजी जस ददवय शलकतसमपनन सत पधार और हमको आरधयालसमक शातत का पान कराकर जीवन की अधी दौड़ स छड़ाय ऐस परसग कभी-कभी ही परापत होत ह य पजनीय सतशरी ससार म रहत हए भी परकतः ववशवककयार क ललए चचनतन करत ह कायक करत ह लोगो को आनदपवकक जीवन वयतीत करन की कलाएा और योगसाधना की यलकतयाा बतात ह

आज उनक समकष थोड़ी ही दर बठन स एव सससग सनन स हमलोग और सब भल गय ह तथा भीतर शातत व आनद का अनभव कर रह ह ऐस सतो क दरबार म पहाचना पणयोदय का फल ह उनह सनकर हमको लगता ह कक परततददन हम ऐस सससग क ललए कछ समय अवशय तनकालना चादहए पजय बाप जी जस महान सत व महापरष क सामन म अचधक कया कहा चाह कछ भी कहा वह सब सयक क सामन चचराग ददखान जसा ह

शरी िोतीलाल वोरा अरखल भारतीय कागरस कोिाधयकष प वय िखयितरी (िपर) प वय राजयपाल (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी जहा नही होत वहा क लोगो क मलए भी बहत कछ करत ह

सार दश क लोग पजय बापजी क आशीवकचनो की पावन गगा म नहा कर धनय हो रह ह आज बापजी यहाा उड़ीसा म सससग-अमत वपलान क ललए उपलसथत ह व जब यहाा नही होत

ह तब भी उड़ीसा क लोगो क बहत कछ करत ह उनको सब समय याद करत ह उड़ीसा क दररिनारायरो की तन-मन-धन स सवा दर-दराज म भी चलात ह

शरी जानकीवललभ पिनायक िखयितरी उड़ीसा

(अनिम) पावन उदगार

जीवन की सचची मशकषा तो प जय बाप जी ही द सकत ह बापजी ककतन परमदाता ह कक कोई भी वयलकत समाज म दःखी न रह इसललए सतत

परयसन करत रहत ह म हमशा ससकार चनल चाल करक आपक आशीवाकद लन क बाद ही सोती हा जीवन की सचची लशकषा तो हम भी नही द पा रह ह ऐसी लशकषा तो पजय सत शरी आसारामजी बाप जस सत लशरोलमरी ही द सकत ह

आनदीबहन पिल मशकषाितरी (प वय) राजसव एव िागय व िकान ितरी (वतयिान) गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपकी कपा स योग की अणशषकत पदा हो रही ह अनक परकार की ववकततयाा मानव क मन पर सामालजक जीवन पर ससकार और

ससकतत पर आिमर कर रही ह वसततः इस समय ससकतत और ववकतत क बीच एक महासघषक चल रहा ह जो ककसी सरहद क ललए नही बलकक ससकारो क ललए लड़ा जा रहा ह इसम ससकतत को लजतान का बम ह योगशलकत ह गरदव आपकी कपा स इस योग की ददवय अरशलकत लाखो लोगो म पदा हो रही ह य ससकतत क सतनक बन रह ह

गरदव म आपस पराथकना करता हा कक शासन क अदर भी धमक और वरागय क ससकार उसपनन हो आपस आशीवाकद परापत करन क ललए म आपक चररो म आया हा

(शरी अशोकभाई भटि कान नितरी गजरात राजय)

(अनिम) पावन उदगार

रती तो बाप जस सतो क कारण हिकी ह

मझ सससग म आन का मौका पहली बार लमला ह और पजय बापजी स एक अदभत बात मझ और आप सब को सनन को लमली ह वह ह परम की बात इस सलषटट का जो मल तवव ह वह ह परम यह परम नाम का तवव यदद न हो तो सलषटट नषटट हो जाएगी लककन ससार म कोई परम करना नही जानता या तो भगवान पयार करना जानत ह या सत पयार करना जानत ह लजसको ससारी लोग अपनी भाषा म परम कहत ह उसम तो कही-न-कही सवाथक जड़ा होता ह लककन भगवान सत और गर का परम ऐसा होता ह लजसको हम सचमच परम की पररभाषा म बााध सकत ह म यह कह सकती हा कक साध सतो को दश की सीमाएा नही बााधती जस नददयो की धाराएा दश और जातत की सीमाओ म नही बााधती उसी परकार परमासमा का परम और सतो का आशीवाकद भी कभी दश जातत और सपरदाय की सीमाओ म नही बधता कललयग म हदय की तनषटकपटता तनःसवाथक परम सयाग और तपसया का कषय होन लगा ह कफर भी धरती दटकी ह तो बाप इसललए कक आप जस सत भारतभलम पर ववचरर करत ह बाप की कथा म ही मन यह ववशषता दखी ह कक गरीब और अमीर दोनो को अमत क घाट एक जस पीन को लमलत ह यहाा कोई भदभाव नही ह

(सशरी उिा भारती िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

ि किनसीब ह जो इतन सिय तक गरवाणी स वधचत रहा परम पजय गरदव क शरी चररो म सादर परराम मन अभी तक महाराजशरी का नाम

भर सना था आज दशकन करन का अवसर लमला ह लककन म अपन-आपको कमनसीब मानता हा कयोकक दर स आन क कारर इतन समय तक गरदव की वारी सनन स वचचत रहा अब मरी कोलशश रहगी कक म महाराजशरी की अमतवारी सनन का हर अवसर यथासमभव पा सका म ईशवर स यही पराथकना करता हा कक व हम ऐसा मौका द कक हम गर की वारी को सनकर अपन-आपको सधार सक गर जी क शरी चररो म सादर समवपकत होत हए मरधयपरदश की जनता की ओर स पराथकना करता हा कक गरदव आप इस मरधयपरदश म बार-बार पधार और हम लोगो को आशीवाकद दत रह ताकक परमाथक क उस कायक म जो आपन पर दश म ही नही दश क बाहर भी फलाया ह मरधयपरदश क लोगो को भी जड़न का जयादा-स-जयादा अवसर लमल

(शरी हदषगवजय मसह ततकालीन िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

इतनी ि र वाणी इतना अदभत जञान म अपनी ओर स तथा यहाा उपलसथत सभी महानभावो की ओर स परम शरदधय

सतलशरोमखर बाप जी का हाददकक सवागत करता हा मन कई बार टीवी पर आपको दखा सना ह और ददकली म एक बार आपका परवचन भी सना ह इतनी मधर वारी इतना मधर जञान अगर आपक परवचन पर गहराई स ववचार करक अमल ककया जाय तो इनसान को लजदगी म सही रासता लमल सकता ह व लोग धन भागी ह जो इस यग म ऐस महापरष क दशकन व सससग स अपन जीवन-समन खखलात ह

(शरी भजनलाल ततकालीन िखयितरी हररयाणा)

(अनिम) पावन उदगार

सतसग शरवण स िर हदय की सफाई हो गयी पजयशरी क दशकन करन व आशीवाकद लन हत आय हए उततरपरदश क तसकालीन राजयपाल

शरी सरजभान न कहाः समशानभलम स आन क बाद हम लोग शरीर की शदचध क ललए सनान कर लत ह ऐस ही ववदशो म जान क कारर मझ पर दवषत परमार लग जात थ परत वहाा स लौटन क बाद यह मरा परम सौभागय ह कक यहाा महाराज शरी क दशकन व पावन सससग-शरवर करन स मर चचतत की सफाई हो गयी ववदशो म रह रह अनको भारतवासी पजय बाप क परवचनो को परसयकष या परोकष रप स सन रह ह मरा यह सौभागय ह कक मझ यहाा महाराजशरी को सनन का सअवसर परापत हआ

(शरी स रजभान ततकालीन राजयपाल उततरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी उततराचल राजय का सौभागय ह कक इस दवभमी म दवता सवरप पजय बापजी का आशरम बन रहा ह | आप ऐसा आशरम बनाय जसा कही भी न हो | यह हम लोगो का सौभागय ह कक अब पजय बापजी की जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी ह | अब गगा जाकर दशकन करन व सनान करन की उतनी आवशयकता नही ह लजतनी सत शरी आसारामजी बाप क चररो म बठकर

उनक आशीवाकद लन की ह |

-शरी तनतयानद सवािीजी

ततकालीन िखयितरी उततराचल

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी क सतसग स षवशवभर क लोग लाभाषनवत भारतभलम सदव स ही ऋवष-मतनयो तथा सत-महासमाओ की भलम रही ह लजनहोन ववशव

को शातत एव अरधयासम का सदश ददया ह आज क यग म पजय सत शरी आसारामजी अपनी अमतवारी दवारा ददवय आरधयालसमक सदश द रह ह लजसस न कवल भारत वरन ववशवभर म लोग लाभालनवत हो रह ह

(शरी सरजीत मसह बरनाला राजयपाल आनरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

प री डडकशनरी याद कर षवशव ररकॉडय बनाया ऑकसफोडक एडवास लनकसक डडकशनरी (अगरजी छठा ससकरर) क 80000 शबदो को उनकी

पषटठ सखया सदहत मन याद कर ललया जो कक समसत ववशव क ललए ककसी चमसकार स कम नही ह फलसवरप मरा नाम ललमका बक ऑफ वकडक ररकॉडकस म दजक हो गया यही नही जी टीवी पर ददखाय जान वाल ररयाललटी शो म शाबाश इडडया म भी मन ववशव ररकॉडक बनाया द वीक पतरतरका क एक सवकषर म भी मरा नाम 25 अदभत वयलकतयो की सची म ह

मझ पजय गरदव स मतरदीकषा परापत होना भरामरी परारायाम सीखन को लमलना तथा अपनी कमजोरी को ही महानता परापत करन का साधन बनान की परररा कला बल एव उससाह परापत होना ndash यह सब तो गरदव की अहतकी कपा का ही चमसकार ह गरकपा ही कवल मशटयसय पर िगलि

षवरनर िहता अजयन नगर रोहतक (हरर)

(अनिम) पावन उदगार

ितरदीकषा व यौधगक परयोगो स बदध का अपरतति षवकास

पहल म एक साधारर छातर था मझ लगभग 50-55 परततशत अक ही लमलत थ 11वी ककषा म तो ऐसी लसथतत हई कक सकल का नाम खराब न हो इसललए परधानारधयापक न मर अलभभावको को बलाकर मझ सकल स तनकाल दन तक की बात कही थी बाद म मझ पजय बाप जी स सारसवसय मतर की दीकषा लमली इस मतर क जप व बापजी दवारा बताय गय परयोगो क अभयास स कछ ही समय म मरी बदचधशलकत का अपरततम ववकास हआ तसपशचात नोककया मोबाइल कपनी म गलोबल सववकसस परोडकट मनजर क पद पर मरी तनयलकत हई और मन एक पसतक ललखी जो अतराकषटरीय कपतनयो को सकयलर नटवकक की डडजाईन बनान म उपयोगी हो रही ह एक ववदशी परकाशन दवारा परकालशत इस पसतक की कीमत 110 डॉलर (करीब 4500 रपय) ह इसक परकाशन क बाद मरी पदोननती हई और अब ववशव क कई दशो म मोबाइल क कषतर म परलशकषर दन हत मझ बलात ह कफर मन एक और पसतक ललखी लजसकी 150 डॉलर (करीब 6000 रपय) ह यह पजयशरी स परापत सारसवसय मतरदीकषा का ही पररराम ह

अजय रजन मिशरा जनकपरी हदलली

(अनिम) पावन उदगार

सतसग व ितरदीकषा न कहा स कहा पहचा हदया पहल म भस चराता था रोज सबह रात की रखी रोटी पयाज नमक और मोतरबल ऑयल

क डडबब म पानी लकर तनकालता व दोपहर को वही खाता था आचथकक लसथतत ठीक न होन स टायर की ढाई रपय वाली चपपल पहनता था

12वी म मझ कवल 60 परततशत अक परापत हए थ उसक बाद मन इलाहाबाद म इजीतनयररग म परवश ललया तब म अजञानवश सतो का ववरोध करता था सतो क ललए जहर उगलन वाल मखो क सग म आकर म कछ-का-कछ बकता था लककन इलाहाबाद म पजय बाप जी का सससग आयोलजत हआ तो सोचा 5 लमनट बठत ह वहाा बठा तो बठ ही गया कफर मझ बापजी दवारा सारसवसय मतर लमला मरी सझबझ म सदगर की कपा का सचार हआ मन सववचध मतर-अनषटठान ककया छठ ददन मर आजञाचि म कमपन होन लगा था म एक साल तक

एकादशी क तनजकल वरत व जागरर करत हए शरी आसारामायर शरी ववषटर सहसरनाम गजनिमोकष का पाठ व सारसवसय मतर का जप करता था रात भर म यही पराथकना करता था बस परभ मझ गर जी स लमला दो

परभकपा स अब मरा उददशय परा हो गया ह इस समय म गो एयर (हवाई जहाज कमपनी) म इजीतनयर हा महीन भर का करीब एक लाख 80 हजार पाता हा कछ ददनो म तनखवाह ढाई लाख हो जायगी गर जी न भस चरान वाल एक गरीब लड़क को आज लसथतत म पहाचा ददया ह

कषकषततज सोनी (एयरकराफि इजीतनयर) हदलली

(अनिम) पावन उदगार

5 विय क बालक न चलायी जोरखि भरी सड़को पर कार

मन पजय बापजी स सारसवसय मतर की दीकषा ली ह जब म पजा करता हा बापजी मरी तरफ पलक झपकात ह म बापजी स बात करता हा म रोज दस माला करता हा म बापजी स जो माागता हा वह मझ लमल जाता ह मझ हमशा ऐसा एहसास होता ह कक बापजी मर साथ ह

5 जलाई 2005 को म अपन दोसतो क साथ खल रहा था मरा छोटा भाई छत स नीच चगर गया उस समय हमार घर म कोई बड़ा नही था इसललए हम सब बचच डर गय इतन म पजय बापजी की आवाज आयी कक ताश इस वन म तरबठा और वन चलाकर हॉलसपटल ल जा उसक बाद मन अपनी दीददयो की मदद स दहमाश को वन म ललटाया गाड़ी कसी चली और असपताल कस पहाची मझ नही पता मझ रासत भर ऐसा एहसास रहा कक बापजी मर साथ बठ ह और गाड़ी चलवा रह ह (घर स असपताल का 5 ककमी स अचधक ह)

ताश बसोया राजवीर कॉलोनी हदलली ndash 16

(अनिम) पावन उदगार

ऐस सतो का षजतना आदर ककया जाय कि ह

ककसी न मझस कहा थाः रधयान की कसट लगाकर सोयग तो सवपन म गरदव क दशकन होगrsquo

मन उसी रात रधयान की कसट लगायी और सनत-सनत सो गया उस वकत रातरतर क बारह-साढ बारह बज होग वकत का पता नही चला ऐसा लगा मानो ककसी न मझ उठा ददया म गहरी नीद स उठा एव गर जी की लपवाल फोटो की तरफ टकटकी लगाकर एक-दो लमनट तक दखता रहा इतन म आशचयक टप अपन-आप चल पड़ी और कवल य तीन वाकय सनन को लमलः lsquoआसमा चतनय ह शरीर जड़ ह शरीर पर अलभमान मत करोrsquo

टप सवतः बद हो गयी और पर कमर म यह आवाज गाज उठी दसर कमर म मरी पसनी की भी आाख खल गयी और उसन तो यहाा तक महसस ककया जस कोई चल रहा ह व गरजी क लसवाय और कोई नही हो सकत

मन कमर की लाइट जलायी और दौड़ता हआ पसनी क पास गया मन पछाः lsquoसनाrsquo वह बोलीः lsquoहााrsquo

उस समय सबह क ठीक चार बज थ सनान करक म रधयान म बठा तो डढ घणट तक बठा रहा इतना लबा रधयान तो मरा कभी नही लगा इस घटना क बाद तो ऐसा लगता ह कक गरजी साकषात बरहमसवरप ह उनको जो लजस रप म दखता ह वस व ददखत ह

मरा लमतर पाशचासय ववचारधारावाला ह उसन गरजी का परवचन सना और बोलाः lsquoमझ तो य एक बहत अचछ लकचरर लगत हrsquo

मन कहाः lsquoआज जरर इस पर गरजी कछ कहगrsquo

यह सरत आशरम म मनायी जा रही जनमाषटटमी क समय की बात ह हम कथा म बठ गरजी न कथा क बीच म ही कहाः lsquoकछ लोगो को म लकचरर ददखता हा कछ को lsquoपरोफसरrsquo ददखता हा कछ को lsquoगरrsquo ददखता हा और वसा ही वह मझ पाता हrsquo

मर लमतर का लसर शमक स झक गया कफर भी वह नालसतक तो था ही उसन हमार तनवास पर मजाक म गरजी क ललए कछ कहा तब मन कहाः यह ठीक नही ह अबकी बार मान जा नही तो गर जी तझ सजा दग

15 लमनट म ही उसक घर स फोन आ गया कक बचच की तबीयत बहत खराब ह उस असपताल म दाखखल करना पड़ रहा ह

तब मर लमतर की सरत दखन लायक थी वह बोलाः गकती हो गयी अब म गर जी क ललए कछ नही कहागा मझ चाह ववशवास हो या न हो

अखबारो म गर जी की तनदा ललखनवाल अजञानी लोग नही जानत कक जो महापरष भारतीय ससकतत को एक नया रप द रह ह कई सतो की वाखरयो को पनजीववत कर रह ह लोगो क शराब-कबाब छड़वा रह ह लजनस समाज का ककयार हो रहा ह उनक ही बार म हम हलकी बात ललख रह ह यह हमार दश क ललए बहत ही शमकजनक बात ह ऐस सतो का तो लजतना आदर ककया जाय वह कम ह गरजी क बार म कछ भी बखान करन क ललए मर पास शबद नही ह

(डॉ सतवीर मसह छाबड़ा बीबीईएि आकाशवाणी इनदौर)

(अनिम) पावन उदगार

िझ तनवययसनी बना हदया म वपछल कई वषो स तमबाक का वयसनी था और इस दगकर को छोड़न क ललए मन

ककतन ही परयसन ककय पर म तनषटफल रहा जनवरी 1995 म पजय बाप जब परकाशा आशरम (महा) पधार तो म भी उनक दशकनाथक वहाा पहाचा और उनस अनऱोध ककयाः

बाप ववगत 32 वषो स तमबाक का सवन कर रहा हा अनक परयसनो क बाद भी इस दगकर स म मकत न हो सका अब आप ही कपा कीलजएrsquo

पजय बाप न कहाः lsquoलाओ तमबाक की डडबबी और तीन बार थककर कहो कक आज स म तमबाक नही खाऊा गाrsquo

मन पजय बाप जी क तनदशानसार वही ककया और महान आशचयक उसी ददन स मरा तमबाक खान का वयसन छट गया पजय बाप की ऐसी कपादलषटट हई कक वषक परा होन पर भी मझ कभी तमबाक खान की तलब नही लगी

म ककन शबदो म पजय बाप का आभार वयकत करा मर पास शबद ही नही ह मझ आननद ह कक इन राषटरसत न बरबाद व नषटट होत हए मर जीवन को बचाकर मझ तनवयकसनी ददया

(शरी लखन भिवाल षज मलया िहाराटर)

(अनिम) पावन उदगार

गरजी की तसवीर न पराण बचा मलय

कछ ही ददनो पहल मरा दसरा बटा एम ए पास करक नौकरी क ललय बहत जगह घमा बहत जगह आवदन-पतर भजा ककनत उस नौकरी नही लमली | कफर उसन बापजी स दीकषा ली | मन आशरम का कछ सामान कसट सतसादहसय लाकर उसको दत हए कहा शहर म जहाा मददर ह जहाा मल लगत ह तथा जहाा हनमानजी का परलसदध दकषकषरमखी मददर ह वहा सटाल लगाओ | बट न सटाल लगाना शर ककया | ऐस ही एक सटाल पर जलगाव क एक परलसदध वयापारी अगरवालजी आय बापजी की कछ कसट खरीदी और ईशवर की ओर नामक पसतक भी साथ म ल गय पसतक पढी और कसट सनी | दसर ददन व कफर आय और कछ सतसादहसय खरीद कर ल गय व पान क थोक वविता ह | उनको पान खान की आदत ह | पसतक पढकर उनह लगा म पान छोड़ दा | उनकी दकान पर एक आदमी आया | पाचसौ रपयो का सामान खरीदा और उनका फोन नमबर ल गया | एक घट क बाद उसन दकान पर फोन ककया सठ अगरवालजी मझ आपका खन करन का काम सौपा गया था | काफी पस (सपारी) भी ददय गय थ और म तयार भी हो गया था पर जब म आपकी दकान पर पहचा तो परम पजय सत शरी आसारामजी बाप क चचतर पर मरी नजर पड़ी | मझ ऐसा लगा मानो साकषात बाप बठ हो और मझ नक इनसान बनन की परररा द रह हो गरजी की तसवीर न (तसवीर क रप म साकषात गरदव न आकर) आपक परार बचा ललय | अदभत चमसकार ह ममबई की पाटी न उसको पस भी ददय थ और वह आया भी था खन करन क इराद स परनत जाको राख साइयाा चचतर क दवार भी अपनी कपा बरसान वाल ऐस गरदव क परसयकष दशकन करन क ललय वह यहाा भी आया ह |

-बालकटण अगरवाल

जलगाव िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

सदगर मशटय का साथ कभी नही छोड़त एक रात म दकान स सकटर दवारा अपन घर जा रहा था | सकटर की डडककी म काफी

रपय रख हए थ | जयो ही घर क पास पहचा तो गली म तीन बदमाश लमल | उनहोन मझ घर ललया और वपसतौल ददखायी | सकटर रकवाकर मर लसर पर तमच का बट मार ददया और धकक मार कर मझ एक तरफ चगरा ददया | उनहोन सोचा होगा कक म अकला ह पर लशषटय जब सदगर स मतर लता ह शरदधा-ववशवास रखकर उसका जप करता ह तब सदगर उसका साथ नही छोड़त |

मन सोचा डडककी म बहत रपय ह और य बदमाश तो सकटर ल जा रह ह | मन गरदव स पराथकना की | इतन म व तीनो बदमाश सकटर छोड़कर थला ल भाग | घर जाकर खोला होगा तो सबजी और खाली दटकफ़न दखकर लसर कटा पता नही पर बड़ा मजा आया होगा | मर पस बच गयउनका सबजी का खचक बच गया |

-गोकलचनर गोयल

आगरा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स अ ापन द र हआ

मझ गलकोमा हो गया था | लगभग पतीस साल स यह तकलीफ़ थी | करीब छः साल तक तो म अधा रहा | कोलकाता चननई आदद सब जगहो पर गया शकर नतरालय म भी गया ककनत वहा भी तनराशा हाथ लगी | कोलकाता क सबस बड़ नतर-ववशषजञ क पास गया | उसन भी मना कर ददया और कहा | धरती पर ऐसा कोई इनसान नही जो तमह ठीक कर सक | लककन सरत आशरम म मझ गरदव स मतर लमला | वह मतर मन खब शरदधा-ववशवासपवकक जपा कयोकक सकषात बरहमसवरप गरदव स वह मतर लमला था | करीब छः-सात महीन ही जप हआ था कक मझ थोड़ा-थोड़ा ददखायी दन लगा | डॉकटर कहत थ कक तमको भरातत हो गयी ह पर मझ तो अब भी अचछी तरह ददखता ह | एक बार एक अनय भयकर दघकटना स भी गरदव न मझ बचाया था |

ऐस गरदव का ॠर हम जनमो-जनमो तक नही चका सकत |

-शकरलाल िहशवरी कोलकाता

(अनिम) पावन उदगार

और डकत घबराकर भाग गय

१४ जलाई ९९ को करीब साढ तीन बज मर मकान म छः डकत घस आय और उस समय दभाकगय स बाहर का दरवाजा खला हआ था | दो डकत बाहर मारतत चाल रखकर खड़ थ |

एक डकत न धकका दकर मरी माा का माह बद कर ददया और अलमारी की चाबी माागन लगा |

इस घटना क दौरान म दकान पर था | मरी पसनी को भी डकत धमकान लग और आवाज न करन को कहा | मरी पसनी न पजय बापजी क चचतर क सामन हाथ जोड़कर पराथकना की अब आप ही रकषा करो इतना ही कहा तो आशचयक आशचयक परम आशचयक व सब डकत घबराकर भागन लग | उनकी हड़बड़ाहट दखकर ऐसा लग रहा था मानो उनह कछ ददखायी नही द रहा था | व भाग गय | मरा पररवार गरदव का ॠरी ह | बापजी क आशीवाकद स सब सकशल ह |

हमन १५ नवमबर ९८ को वारारसी म मतरदीकषा ली थी |

-िनोहरलाल तलरजा

४ झललाल नगर मशवाजी नगर

वाराणसी

(अनिम) पावन उदगार

ितर दवारा ितदह ि पराण-सचार

म शरी योग वदानत सवा सलमतत आमट स जीप दवारा रवाना हआ था | ११ जलाई १९९४ को मरधयानह बारह बज हमारी जीप ककसी तकनीकी तरदट क कारर तनयतरर स बाहर होकर तीन पलकटयाा खा गयी | मरा परा शरीर जीप क नीच दब गया | ककसी तरह मझ बाहर तनकाला गया |

एक तो दबला पतला शरीर और ऊपर स परी जीप का वजन ऊपर आ जान क कारर मर शरीर क परसयक दहसस म असहय ददक होन लगा | मझ पहल तो कसररयाजी असपताल म दाखखल कराया गया | जयो-जयो उपचार ककया गया कषटट बढता ही गया कयोकक चोट बाहर नही शरीर क भीतरी दहससो म लगी थी और भीतर तक डॉकटरो का कोई उपचार काम नही कर रहा था | जीप क नीच दबन स मरा सीना व पट ववशष परभाववत हए थ और हाथ-पर म कााच क टकड़ घस गय थ | ददक क मार मझ साास लन म भी तकलीफ हो रही थी | ऑकसीजन ददय जान क बाद भी दम घट रहा था और मसय की घडडयाा नजदीक ददखायी पड़न लगी | म मररासनन लसथतत म

पहाच गया | मरा मसय-परमारपतर बनान की तयाररयाा कक जान लगी व मझ घर ल जान को कहा गया | इसक पवक मरा लमतर पजय बाप स फ़ोन पर मरी लसथतत क समबनध म बात कर चका था | परारीमातर क परम दहतषी दयाल सवभाव क सत पजय बाप न उस एक गपत मतर परदान करत हए कहा था कक पानी म तनहारत हए इस मतर का एक सौ आठ बार (एक माला) जप करक वह पानी मनोज को एव दघकटना म घायल अनय लोगो को भी वपला दना | जस ही वह अलभमतरतरत जल मर माह म डाला गया मर शरीर म हलचल होन क साथ ही वमन हआ | इस अदभत चमसकार स ववलसमत होकर डॉकटरो न मझ तरत ही ववशष मशीनो क नीच ल जाकर ललटाया |

गहन चचककससकीय परीकषर क बाद डॉकटरो को पता चला कक जीप क नीच दबन स मरा परा खन काला पड़ गया था तथा नाड़ी-चालन (पकस) हदयगतत व रकत परवाह भी बद हो चक थ |

मर शरीर का समपरक रकत बदल ददया गया तथा आपरशन भी हआ | उसक ७२ घट बाद मझ होश आया | बहोशी म मझ कवल इतना ही याद था की मर भीतर पजय बाप दवारा परदतत गरमतर का जप चल रहा ह | होश म आन पर डॉकटरो न पछा तम आपरशन क समय बापबाप पकार रह थ | य बाप कौन ह मन बताया व मर गरदव परातः समररीय परम पजय सत शरी असारामजी बाप ह | डॉकटरो न पनः मझस परशन ककया कया तम कोई वयायाम करत हो मन कहा म अपन गरदव दवारा लसखायी गयी ववचध स आसन व परारायाम करता हा | व बोल इसीललय तमहार इस दबल-पतल शरीर न यह सब सहन कर ललया और तम मरकर भी पनः लजनदा हो उठ दसरा कोई होता तो तरत घटनासथल पर ही उसकी हडडडयाा बाहर तनकल जाती और वह मर जाता | मर शरीर म आठ-आठ नललयाा लगी हई थी | ककसीस खन चढ रहा था तो ककसी स कतरतरम ऑकसीजन ददया जा रहा था | यदयवप मर शरीर क कछ दहससो म अभी-भी कााच क टकड़ मौजद ह लककन गरकपा स आज म परक सवसथ होकर अपना वयवसाय व गरसवा दोनो कायक कर रह हा | मरा जीवन तो गरदव का ही ददया हआ ह | इन मतरदषटटा महवषक न उस ददन मर लमतर को मतर न ददया होता तो मरा पनजीवन तो समभव नही था | पजय बाप मानव-दह म ददखत हए भी अतत असाधारर महापरष ह | टललफ़ोन पर ददय हए उनक एक मतर स ही मर मत शरीर म पनः परारो का सचार हो गया तो लजन पर बाप की परसयकष दलषटट पड़ती होगी व लोग ककतन भागयशाली होत होग ऐस दयाल जीवनदाता सदगर क शरीचररो म कोदट-कोदट दडवत परराम

-िनोज किार सोनी

जयोतत िलसय लकषिी बाजार आिि राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस मिली मरी दादहनी आाख स कम ददखायी दता था तथा उसम तकलीफ़ भी थी | रधयानयोग

लशववर ददकली म पजय गरदव मवा बााट रह थ तब एक मवा मरी दादहनी आाख पर आ लगा |

आाख स पानी तनकलन लगा | पर आशचयक दसर ही ददन स आाख की तकलीफ लमट गयी और अचछी तरह ददखायी दन लगा | -राजकली दवी

असनापर लालगज अजारा षज परतापगढ़ उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

बड़दादा की मिटिी व जल स जीवनदान

अगसत ९८ म मझ मलररया हआ | उसक बाद पीललया हो गया | मर बड़ भाई न आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म स पीललया का मतर पढकर पीललया तो उतार ददया परत कछ ही ददनो बाद अगरजी दवाओ क ररएकषन स दोनो ककडतनयाा फल (तनलषटिय) हो गई | मरा हाटक (हदय) और लीवर (यकत) भी फल होन लग | डॉकटरो न तो कह ददया यह लड़का बच नही सकता | कफर मझ गोददया स नागपर हॉलसपटल म ल जाया गया लककन वहाा भी डॉकटरो न जवाब द ददया कक अब कछ नही हो सकता | मर भाई मझ वही छोड़कर सरत आशरम आय

वदयजी स लमल और बड़दादा की पररिमा करक पराथकना की तथा वहाा की लमटटी और जल ललया | ८ तारीख को डॉकटर मरी ककडनी बदलन वाल थ | जब मर भाई बड़दादा को पराथकना कर रह थ तभी स मझ आराम लमलना शर हो गया था | भाई न ७ तारीख को आकर मझ बड़दादा कक लमटटी लगाई और जल वपलाया तो मरी दोनो ककडनीयाा सवसथ हो गयी | मझ जीवनदान लमल गया | अब म तरबककल सवसथ हा |

-परवीण पिल

गोहदया िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप न फ का कपा-परसाद

कछ वषक पवक पजय बाप राजकोट आशरम म पधार थ | मझ उन ददनो तनकट स दशकन करन का सौभागय लमला | उस समय मझ छाती म एनजायना पकसटोररस क कारर ददक रहता था | सससग परा होन क बाद कछ लोग पजय बाप क पास एक-एक करक जा रह थ | म कछ फल-फल नही लाया था इसललए शरदधा क फल ललय बठा था | पजय बाप कपा-परसाद फ क रह थ कक इतन म एक चीक मरी छाती पर आ लगा और छाती का वह ददक हमशा क ललए लमट गया |

-अरषवदभाई वसावड़ा

राजकोि

(अनिम) पावन उदगार

बिी न िनौती िानी और गरकपा हई

मरी बटी को शादी ककय आठ साल हो गय थ | पहली बार जब वह गभकवती हई तब बचचा पट म ही मर गया | दसरी बार बचची जनमी पर छः महीन म वह भी चल बसी | कफर मरी पसनी न बटी स कहा अगर त सककप कर कक जब तीसरी बार परसती होगी तब तम बालक की जीभ पर बापजी क बतान क मतातरबक lsquoॐrsquo ललखोगी तो तरा बालक जीववत रहगा ऐसा मझ ववशवास ह कयोकक ॐकार मतर म परमानदसवरप परभ ववराजमान ह | मरी बटी न इस परकार मनौती मानी और समय पाकर वह गभकवती हई | सोनोगराफ़ी करवायी गयी तो डॉकटरो न बताया गभक म बचची ह और उसक ददमाग म पानी भरा हआ ह | वह लजदा नही रह सकगी |

गभकपात करवा दो | मरी बटी न अपनी माा स सलाह की | उसकी माा न कहा गभकपात का महापाप नही करवाना ह | जो होगा दखा जायगा | गरदव कपा करग | जब परसती हई तो तरबककल पराकततक ढग स हई और उस बचची की जीभ पर शहद एव लमशरी स ॐ ललखा गया | आज वह तरबककल ठीक ह | जब उसकी डॉकटरी जााच करवायी गयी तो डॉकटर आशचयक म पड़ गय सोनोगराफ़ी म जो बीमाररयाा ददख रही थी व कहाा चली गयी ददमाग का पानी कहाा चला गया

दहनदजा हॉलसपटलवाल यह कररशमा दखकर दग रह गय अब घर म जब कोई दसरी कोई कसट चलती ह तो वह बचची इशारा करक कहती ह ॐवाली कसट चलाओ | वपछली पनम को हम मबई स टाटा समो म आ रह थ | बाढ क पानी क कारर रासता बद था | हम सोच म पड़ गय कक पनम का तनयम टटगा | हमन गरदव का समरर ककया | इतन म हमार डराइवर न हमस पछा जान दा हमन भी गरदव का समरर करक कहा जान दो और हरर हरर ॐ कीतकन की कसट लगा दो | गाड़ी आग चली | इतना पानी कक हम जहाा बठ थ वहाा तक पानी आ गया |

कफर भी हम गरदव क पास सकशल पहाच गय और उनक दशकन ककय|

-िरारीलाल अगरवाल

साताकर ज िबई

(अनिम) पावन उदगार

और गरदव की कपा बरसी जबस सरत आशरम की सथापना हई तबस म गरदव क दशकन करत आ रहा हा उनकी

अमतवारी सनता आ रहा हा | मझ पजयशरी स मतरदीकषा भी लमली ह | परारबधवश एक ददन मर साथ एक भयकर दघकटना घटी | डॉकटर कहत थ आपका एक हाथ अब काम नही करगा | म अपना मानलसक जप मनोबल स करता रहा | अब हाथ तरबककल ठीक ह | उसस म ७० ककगरा वजन उठा सकता हा | मरी समसया थी कक शादी होन क बाद मझ कोई सतान नही थी | डॉकटर कहत थ कक सतान नही हो सकती | हम लोगो न गरकपा एव गरमतर का सहारा ललया रधयानयोग लशववर म आय और गरदव की कपा बरसी | अब हमारी तीन सतान ह दो पतरतरयाा और एक पतर | गरदव न ही बड़ी बटी का नाम गोपी और बट का नाम हररककशन रखा ह | जय हो सदगरदव की

-हसिख काततलाल िोदी

५७ अपना घर सोसायिी सदर रोड़ स रत

(अनिम) पावन उदगार

गरदव न भजा अकषयपातर

हम परचारयातरा क दौरान गरकपा का जो अदभत अनभव हआ वह अवरकनीय ह | यातरा की शरआत स पहल ददनाक ८-११-९९ को हम पजय गरदव क आशीवाकद लन गय | गरदव न कायकिम क ववषय म पछा और कहा पचड़ आशरम (रतलाम) म भडारा था | उसम बहत सामान बच गया ह | गाड़ी भजकर मागवा लना गरीबो म बााटना | हम झाबआ लजल क आस-पास क

गरीब आददवासी इलाको म जानवाल थ | वहाा स रतलाम क ललए गाड़ी भजी | चगनकर सामान भरा गया | दो ददन चल उतना सामान था | एक ददन म दो भडार होत थ | अतः चार भडार का सामान था | सबन खकल हाथो बतकन कपड़ साडड़याा धोती आदद सामान छः ददनो तक बााटा कफर भी सामान बचा रहा | सबको आशचयक हआ हम लोग सामान कफर स चगनन लग परत गरदव की लीला क ववषय म कया कह कवल दो ददन चल उतना सामान छः ददनो तक खकल हाथो बााटा कफर भी अत म तीन बोर बतकन बच गय मानो गरदव न अकषयपातर भजा हो एक ददन शाम को भडारा परा हआ तब दखा कक एक पतीला चावल बच गया ह | करीब १००-१२५ लोग खा सक उतन चावल थ | हमन सोचा चावल गााव म बाट दत ह | परत गरदव की लीला दखो एक गााव क बदल पााच गाावो म बााट कफर भी चावल बच रह | आखखर रातरतर म ९ बज क बाद सवाधाररयो न थककर गरदव स पराथकना की कक गरदव अब जगल का ववसतार ह हम पर कपा करो | और चावल खसम हए | कफर सवाधारी तनवास पर पहाच |

-सत शरी आसारािजी भकतिडल

कतारगाि स रत

(अनिम) पावन उदगार

सवपन ि हदय हए वरदान स पतरपराषपत

मर गरहसथ जीवन म एक-एक करक तीन कनयाएा जनमी | पतरपरालपत क ललए मरी धमकपसनी न गरदव स आशीवाकद परापत ककया था | चौथी परसतत होन क पहल जब उसन वलसाड़ म सोनोगराफ़ी करवायी तो ररपोटक म लड़की बताया गया | यह सनकर हम तनराश हो गय | एक रात पसनी को सवपन म गरदव न दशकन ददय और कहा बटी चचता मत कर | घबराना मत धीरज रख | लड़का ही होगा | हमन सरत आशरम म बड़दादा की पररिमा करक मनौती मानी थी वह भी फ़लीभत हई और गरदव का बरहमवाकय भी ससय सातरबत हआ जब परसतत होन पर लड़का हआ | सभी गरदव की जय-जयकार करन लग |

-सनील किार रा शयाि चौरमसया

दीपकवाड़ी ककलला पारड़ी षज वलसाड़

(अनिम) पावन उदगार

शरी आसारािायण क पाठ स जीवनदान

मरा दस वषीय पतर एक रात अचानक बीमार हो गया | साास भी मलशकल स ल रहा था |

जब उस हॉलसपटल म भती ककया तब डॉकटर बोल | बचचा गभीर हालत म ह | ऑपरशन करना पड़गा | म बचच को हॉलसपटल म ही छोड़कर पस लन क ललए घर गया और घर म सभी को कहा ldquoआप लोग शरी आसारामायर का पाठ शर करो |rdquo पाठ होन लगा | थोड़ी दर बाद म हॉलसपटल पहाचा | वहाा दखा तो बचचा हास-खल रहा था | यह दख मरी और घरवालो की खशी का दठकाना न रहा यह सब बापजी की असीम कपा गर-गोववनद की कपा और शरी आसारामायर-पाठ का फल ह |

-सनील चाडक

अिरावती िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

गरवाणी पर षवशवास स अवणीय लाभ

शादी होन पर एक पतरी क बाद सात साल तक कोई सतान नही हई | हमार मन म पतरपरालपत की इचछा थी | १९९९ क लशववर म हम सतानपरालपत का आशीवाकद लनवालो की पलकत म बठ | बापजी आशीवाकद दन क ललए साधको क बीच आय तो कछ साधक नासमझी स कछ ऐस परशन कर बठ जो उनह नही करन चादहए थ | गरदव नाराज होकर यह कहकर चल गय कक तमको सतवारी पर ववशवास नही ह तो तम लोग यहाा कयो आय तमह डॉकटर क पास जाना चादहए था | कफर गरदव हमार पास नही आय | सभी पराथकना करत रह पर गरदव वयासपीठ स बोल दबारा तीन लशववर भरना | म मन म सोच रहा था कक कछ साधको क कारर मझ आशीवाकद नही लमल पाया परत वजरादषप कठोरारण िदतन कसिादषप बाहर स वजर स भी कठोर ददखन वाल सदगर भीतर स फल स भी कोमल होत ह | तरत गरदव ववनोद करत हए बोल दखो य लोग सतानपरालपत का आशीवाकद लन आय ह | कस ठनठनपाल-स बठ ह अब जाओ झला-झनझना लकर घर जाओ | मन और मरी पसनी न आपस म ववचार ककया दयाल गरदव न आखखर आशीवाकद द ही ददया | अब गरदव न कहा ह कक झला-झनझना ल जाओ |

तो मन गरवचन मानकर रलव सटशन स एक झनझना खरीद ललया और गवाललयर आकर गरदव क चचतर क पास रख ददया | मझ वहाा स आन क १५ ददन बाद डॉकटर दवारा मालम हआ

कक पसनी गभकवती ह | मन गरदव को मन-ही-मन परराम ककया | इस बीच डॉकटरो न सलाह दी कक लड़का ह या लड़की इसकी जााच करा लो | मन बड़ ववशवास स कहा कक लड़का ही होगा |

अगर लड़की भी हई तो मझ कोई आपवतत नही ह | मझ गभकपात का पाप अपन लसर पर नही लना ह | नौ माह तक मरी पसनी भी सवसथ रही | हररदवार लशववर म भी हम लोग गय | समय आन पर गरदव दवारा बताय गय इलाज क मतातरबक गाय क गोबर का रस पसनी को ददया और ददनाक २७ अकतबर १९९९ को एक सवसथ बालक का जनम हआ |

-राजनर किार वाजपयी अचयना वाजपयी

बलवत नगर ढाढीपर िरारा गवामलयर

(अनिम) पावन उदगार

सवफल क दो िकड़ो स दो सतान मन सन १९९१ म चटीचड लशववर अमदावाद म पजय बापजी स मतरदीकषा ली थी | मरी

शादी क १० वषक तक मख कोई सतान नही हई | बहत इलाज करवाय लककन सभी डॉकटरो न बताया कक बालक होन की कोई सभावना नही ह | तब मन पजय बापजी क पनम दशकन का वरत ललया और बाासवाड़ा म पनम दशकन क ललए गया | पजय बापजी सबको परसाद द रह थ | मन मन म सोचा | कया म इतना पापी हा कक बापजी मरी तरफ दखत तक नही इतन म पजय बापजी कक दलषटट मझ पर पड़ी और उनहोन मझ दो लमनट तक दखा | कफर उनहोन एक सवफल लकर मझ पर फ का जो मर दाय कध पर लगकर दो टकड़ो म बाट गया | घर जाकर मन उस सवफल क दोनो भाग अपनी पसनी को खखला ददय | पजयशरी का कपापरक परसाद खान स मरी पसनी गभकवती हो गयी | तनरीकषर करान पर पता चला कक उसको दो लसर वाला बालक उसपनन होगा |

डॉकटरो न बताया उसका लसजररयन करना पड़गा अनयथा आपकी पसनी क बचन की समभावना नही ह | लसजररयन म लगभग बीस हजार रपयो का खचक आयगा | मन पजय बापजी स पराथकना की ह बापजी आपन ही फल ददया था | अब आप ही इस सकट का तनवारर कीलजय | कफर मन बड़ बादशाह क सामन भी पराथकना की जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी की परसती सकशल हो जाय | उसक बाद जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी एक पतर और एक पतरी को जनम द चकी थी | पजयशरी क दवारा ददय गय फल स मझ एक की जगह दो सतानो की परालपत हई |

-िकशभाई सोलकी

शारदा िहदर सक ल क पीछ

बावन चाल वड़ोदरा

(अनिम) पावन उदगार

साइककल स गर ाि जान पर खराब िाग ठीक हो गयी

मरी बाायी टााग घटन स उपर पतली हो गयी थी | ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट

ददकली म म छः ददन तक रहा | वहाा जााच क बाद बतलाया गया कक तमहारी रीढ की हडडी क पास कछ नस मर गयी ह लजसस यह टााग पतली हो गयी ह | यह ठीक तो हो ही नही सकती |

हम तमह ववटालमन ई क कपसल द रह ह | तम इनह खात रहना | इसस टाग और जयादा पतली नही होगी | मन एक साल तक कपसल खाय | उसक बाद २२ जन १९९७ को मजफ़फ़रनगर म मन गरजी स मतरदीकषा ली और दवाई खाना बद कर दी | जब एक साधक भाई राहल गपता न कहा कक सहारनपर स साइककल दवारा उततरायर लशववर अमदावाद जान का कायकिम बन रहा ह

तब मन टााग क बार म सोच तरबना साइककल यातरा म भाग लन क ललए अपनी सहमतत द दी |

जब मर घर पर पता चला कक मन साइककल स गरधाम अमदावाद जान का ववचार बनाया ह

अतः तम ११५० ककमी तक साइककल नही चला पाओग | लककन मन कहा म साइककल स ही गरधाम जाऊा गा चाह ककतनी भी दरी कयो न हो और हम आठ साधक भाई सहारनपर स २६ ददसमबर ९७ को साइककलो स रवाना हए | मागक म चढाई पर मझ जब भी कोइ ददककत होती तो ऐसा लगता जस मरी साइककल को कोई पीछ स धकल रहा ह | म मड़कर पीछ दखता तो कोई ददखायी नही पड़ता | ९ जनवरी को जब हम अमदावाद गरआशरम म पहाच और मन सबह अपनी टााग दखी तो म दग रह गय जो टााग पतली हो गयी थी और डॉकटरो न उस ठीक होन स मना कर ददया था वह टााग तरबककल ठीक हो गयी थी | इस कपा को दखकर म चककत रह गया मर साथी भी दग रह गय यह सब गरकपा क परसाद का चमसकार था | मर आठो साथी मरी पसनी तथा ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट ददकली दवारा जााच क परमारपतर इस बात क साकषी ह |

-तनरकार अगरवाल

षवटणपरी नय िा ोनगर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

अदभत रही िौनिहदर की सा ना परम पजय सदगरदव की कपा स मझ ददनाक १८ स २४ मई १९९९ तक अमदावाद

आशरम क मौनमददर म साधना करन का सअवसर लमला | मौनमददर म साधना क पााचव ददन यानी २२ मई की रातरतर को लगभग २ बज नीद म ही मझ एक झटका लगा | लट रहन कक लसथतत म ही मझ महसस हआ कक कोई अदशय शलकत मझ ऊपर बहत ऊपर उड़य ल जा रही ह | ऊपर उड़त हए जब मन नीच झााककर दखा तो अपन शरीर को उसी मौनमददर म चचतत लटा हआ बखबर सोता हआ पाया | ऊपर जहाा मझ ल जाया गया वहाा अलग ही छटा थी अजीब और अवरीय आकाश को भी भदकर मझ ऐस सथान पर पहाचाया गया था जहाा चारो तरफ कोहरा-ही-कोहरा था जस शीश की छत पर ओस फली हो इतन म दखता हा कक एक सभा लगी ह तरबना शरीर की कवल आकततयो की | जस रखाओ स मनषटयरपी आकततयाा बनी हो | यह सब कया चल रहा था समझ स पर था | कछ पल क बाद व आकततयाा सपषटट होन लगी | दवी-दवताओ क पज क मरधय शीषक म एक उचच आसन पर साकषात बापजी शकर भगवान बन हए कलास पवकत पर ववराजमान थ और दवी-दवता कतार म हाथ बााध खड़ थ | म मक-सा होकर अपलक नतरो स उनह दखता ही रहा कफर मतरमगध हो उनक चररो म चगर पड़ा | परातः क ४ बज थ | अहा मन और शरीर हकका-फ़कका लग रहा था यही लसथतत २४ मई की मरधयरातरतर म भी दोहरायी गयी | दसर ददन सबह पता चला कक आज तो बाहर तनकलन का ददन ह यानी रवववार २५ मई की सबह | बाहर तनकलन पर भावभरा हदय गदगद कठ और आखो म आास यो लग रहा था कक जस तनजधाम स बघर ककया जा रहा हा | धनय ह वह भलम मौनमददर म साधना की वह वयवसथा जहा स परम आनद क सागर म डबन की कजी लमलती ह जी करता ह भगवान ऐसा अवसर कफर स लाय लजसस कक उसी मौनमददर म पनः आतररक आनद का रसपान कर पाऊा |

-इनरनारायण शाह

१०३ रतनदीप-२ तनराला नगर कानपर

(अनिम) पावन उदगार

असाधय रोग स िषकत

सन १९९४ म मरी पतरी दहरल को शरद पखरकमा क ददन बखार आया | डॉकटरो को ददखाया तो ककसीन मलररया कहकर दवाइयाा दी तो ककसीन टायफायड कहकर इलाज शर ककया तो ककसीन टायफायड और मलररया दोनो कहा | दवाई की एक खराक लन स शरीर नीला पड़ गया और सज गया | शरीर म खन की कमी स उस छः बोतल खन चढाया गया | इजकषन दन स पर शरीर को लकवा मार गया | पीठ क पीछ शयावरर जसा हो गया | पीठ और पर का एकस-र ललया गया | पर पर वजन बााधकर रखा गया | डॉकटरो न उस वाय का बखार तथा रकत का क सर बताया और कहा कक उसक हदय तो वाकव चौड़ा हो गया ह | अब हम दहममत हार गय |

अब पजयशरी क लसवाय और कोई सहारा नही था | उस समय दहरल न कहा मममी मझ पजय बाप क पास ल चलो | वहाा ठीक हो जाऊगी | पााच ददन तक दहरल पजयशरी की रट लगाती रही |

हम उस अमदावाद आशरम म बाप क पास ल गय | बाप न कहा इस कछ नही हआ ह | उनहोन मझ और दहरल को मतर ददया एव बड़दादा की परदकषकषरा करन को कहा | हमन परदकषकषरा की और दहरल पनिह ददन म चलन-कफ़रन लगी | हम बाप की इस कररा-कपा का ॠर कस चकाय अभी तो हम आशरम म पजयशरी क शरीचररो म सपररवार रहकर धनय हो रह ह |

-परफलल वयास

भावनगर

वतयिान ि अिदावाद आशरि ि सपररवार सिषपयत

(अनिम) पावन उदगार

कसि का चितकार

वयापार उधारी म चल जान स म हताश हो गया था एव अपनी लजदगी स तग आकर आसमहसया करन की बात सोचन लगा था | मझ साध-महासमाओ व समाज क लोगो स घरा-सी हो गयी थी धमक व समाज स मरा ववशवास उठ चका था | एक ददन मरी साली बापजी क सससग कक दो कसट ववचध का ववधान एव आखखर कब तक ल आयी और उसन मझ सनन क ललए कहा | उसक कई परयास क बाद भी मन व कसट नही सनी एव मन-ही-मन उनह ढोग

कहकर कसटो क डडबब म दाल ददया | मन इतना परशान था कक रात को नीद आना बद हो गया था | एक रात कफ़कमी गाना सनन का मन हआ | अाधरा होन की वजह स कसट पहचान न सका और गलती स बापजी क सससग की कसट हाथ म आ गयी | मन उसीको सनना शर ककया | कफर कया था मरी आशा बाधन लगी | मन शाात होन लगा | धीर-धीर सारी पीड़ाएा दर

होती चली गयी | मर जीवन म रोशनी-ही-रोशनी हो गयी | कफर तो मन पजय बापजी क सससग की कई कसट सनी और सबको सनायी | तदनतर मन गालजयाबाद म बापजी स दीकषा भी गरहर की | वयापार की उधारी भी चकता हो गयी | बापजी की कपा स अब मझ कोई दःख नही ह | ह गरदव बस एक आप ही मर होकर रह और म आपका ही होकर रहा |

-ओिपरकाश बजाज

हदलली रोड़ सहारनपर उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

िझ पर बरसी सत की कपा

सन १९९५ क जन माह म म अपन लड़क और भतीज क साथ हररदवार रधयानयोग लशववर म भाग लन गया | एक ददन जब म हर की पौड़ी पर सनान करन गया तो पानी क तज बहाव क कारर पर कफसलन स मरा लड़का और भतीजा दोनो अपना सतलन खो बठ और गगा म बह गय | ऐसी सकट की घड़ी म म अपना होश खो बठा | कया करा म फट-फटकर रोन लगा और बापजी स पराथकना करन लगा कक ह नाथ ह गरदव रकषा कीलजय मर बचचो को बचा लीलजय | अब आपका ही सहारा ह | पजयशरी न मर सचच हदय स तनकली पकार सन ली और उसी समय मरा लड़का मझ ददखायी ददया | मन झपटकर उसको बाहर खीच ललया लककन मरा भतीजा तो पता नही कहाा बह गया म तनरतर रो रहा था और मन म बार-बार ववचार उठ रहा था कक बापजी मरा लड़का बह जाता तो कोई बात नही थी लककन अपन भाई की अमानत क तरबना म घर कया माह लकर जाऊा गा बापजी आपही इस भकत की लाज बचाओ | तभी गगाजी की एक तज लहर उस बचच को भी बाहर छोड़ गयी | मन लपककर उस पकड़ ललया |

आज भी उस हादस को समरर करता हा तो अपन-आपको साभाल नही पाता हा और मरी आाखो स तनरतर परम की अशरधारा बहन लगती ह | धनय हआ म ऐस गरदव को पाकर ऐस सदगरदव क शरीचररो म मर बार-बार शत-शत परराम

-सिालखा

पानीपत हररयाणा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स जीवनदान

ददनाक १५-१-९६ की घटना ह | मन धात क तार पर सखन क ललए कपड़ फला रख थ |

बाररश होन क कारर उस तार म करट आ गया था | मरा छोटा पतर ववशाल जो कक ११ वी ककषा म पढता ह आकर उस तार स छ गया और तरबजली का करट लगत ही वह बहोश हो गया शव क समान हो गया | हमन उस तरत बड़ असपताल म दाखखल करवाया | डॉकटर न बचच की हालत गभीर बतायी | ऐसी पररलसथतत दखकर मरी आाखो स अशरधाराएा बह तनकली | म तनजानद की मसती म मसत रहन वाल पजय सदगरदव को मन-ही-मन याद ककया और पराथकना कक ह गरदव अब तो इस बचच का जीवन आपक ही हाथो म ह | ह मर परभ आप जो चाह सो कर सकत ह | और आखखर मरी पराथकना सफल हई | बचच म एक नवीन चतना का सचार हआ एव धीर-धीर बचच क सवासथय म सधार होन लगा | कछ ही ददनो म वह परकतः सवसथ हो गया |

डॉकटर न तो उपचार ककया लककन जो जीवनदान उस पयार परभ की कपा स सदगरदव की कपा स लमला उसका वरकन करन क ललए मर पास शबद नही ह | बस ईशवर स म यही पराथकना करता हा कक ऐस बरहमतनषटठ सत-महापरषो क परतत हमारी शरदधा म वदचध होती रह | -

डॉ वाय पी कालरा

शािलदास कॉलज भावनगर गजरात

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप जस सत दतनया को सवगय ि बदल सकत ह

मई १९९८ क अततम ददनो म पजयशरी क इदौर परवास क दौरान ईरान क ववखयात कफ़लजलशयन शरी बबाक अगरानी भारत म अरधयालसमक अनभवो की परालपत आय हए थ | पजयशरी क दशकन पाकर जब उनहोन अरधयालसमक अनभवो को फलीभत होत दखा तो व पचड़ आशरम म आयोलजत रधयानयोग लशववर म भी पहाच गय | शरी अगरानी जो दो ददन रककर वापस लौटन वाल थ व पर गयारह ददन तक पचड़ आशरम म रक रह | उनहोन ववधाथी लशववर म सारसवसय मतर की दीकषा ली एव ववलशषटट रधयानयोग साधना लशववर (४ -१० जन १९९८) का भी लाभ ललया | लशववर क दौरान शरी अगरानी न पजयशरी स मतरदीकषा भी ल ली | पजयशरी क सालननरधय म सपरापत अनभततयो क बार म कषतरतरय समाचार पतर चतना को दी हई भटवाताक म शरी अगरानी कहत ह यदद पजय बाप जस सत हर दश म हो जाय तो यह दतनया सवगक बन सकती ह | ऐस शातत स बठ पाना हमार ललए कदठन ह लककन जब पजय बापजी जस महापरषो क शरीचररो म बठकर

सससग सनत ह तो ऐसा आनद आता ह कक समय का कछ पता ही नही चलता | सचमच पजय बाप कोई साधारर सत नही ह |

-शरी बबाक अगरानी

षवशवषवखयात किषजमशयन ईरान

(अनिम) पावन उदगार

भौततक यग क अ कार ि जञान की जयोतत प जय बाप

मादक तनयतरर बयरो भारत सरकार क महातनदशक शरी एचपी कमार ९ मई को अमदावाद आशरम म सससग-कायकिम क दौरान पजय बाप स आशीवाकद लन पहाच | बड़ी ववनमरता एव शरदधा क साथ उनहोन पजय बाप क परतत अपन उदगार म कहा लजस वयलकत क पास वववक नही ह वह अपन लकषय तक नही पहाच सकता ह और वववक को परापत करन का साधन पजय आसारामजी बाप जस महान सतो का सससग ह | पजय बाप स मरा परथम पररचय टीवी क मारधयम स हआ | तसपशचात मझ आशरम दवार परकालशत ॠवष परसाद मालसक परापत हआ | उस समय मझ लगा कक एक ओर जहाा इस भौततक यग क अधकार म मानव भटक रहा ह वही दसरी ओर शातत की मद-मद सगचधत वाय भी चल रही ह | यह पजय बाप क सससग का ही परभाव ह | पजयशरी क दशकन करन का जो सौभागय मझ परापत हआ ह इसस म अपन को कतकसय मानता हा | पजय बाप क शरीमख स जो अमत वषाक होती ह तथा इनक सससग स करोड़ो हदयो म जो जयोतत जगती ह व इसी परकार स जगती रह और आन वाल लब समय तक पजयशरी हम सब का मागकदशकन करत रह यही मरी कामना ह | पजय बाप क शरीचररो म मर परराम

-शरी एचपी किार

िहातनदशक िादक तनयतरण बय रो भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

िषसलि िहहला को पराणदान

२७ लसतमबर २००० को जयपर म मर तनवास पर पजय बाप का आसम-साकषासकार ददवस

मनाया गया लजसम मर पड़ोस की मलसलम मदहला नाथी बहन क पतत शरी मााग खाा न भी पजय बाप की आरती की और चररामत ललया | ३-४ ददन बाद ही व मलसलम दपतत खवाजा सादहब क उसक म अजमर चल गय | ददनाक ४ अकटबर २००० को अजमर क उसक म असामालजक तसवो न परसाद म जहर बााट ददया लजसस उसक मल म आय कई दशकनाथी असवसथ हो गय और कई मर भी गय | मर पड़ोस की नाथी बहन न भी वह परसाद खाया और थोड़ी दर म ही वह बहोश हो गयी | अजमर म उसका उपचार ककया गया ककत उस होश न आया | दसर ददन ही उसका पतत उस अपन घर ल आया | कॉलोनी क सभी तनवासी उसकी हालत दखकर कह रह थ कक अब इसका बचना मलशकल ह | म भी उस दखन गया | वह बहोश पड़ी थी | म जोर-जोर स हरर ॐ हरर ॐ का उचचारर ककया तो वह थोड़ा दहलन लगी | मझ परररा हई और म पनः घर गया | पजय बाप स पराथकना की | ३-४ घट बाद ही वह मदहला ऐस उठकर खड़ी हो गयी मानो सोकर उठी हो | उस मदहला न बताया कक मर चाचा ससर पीर ह और उनहोन मर पतत क माह स बोलकर बताया कक तमन २७ लसतमबर २००० को लजनक सससग म पानी वपया था उनही सफद दाढीवाल बाबा न तमह बचाया ह कसी कररा ह गरदव की

-जएल परोहहत

८७ सलतान नगर जयपर (राज)

उस िहहला का पता ह -शरीिती नाथी

पतनी शरी िाग खा

१०० सलतान नगर

गजयर की ड़ी

नय सागानर रोड़

जयप र (राज)

(अनिम) पावन उदगार

हररनाि की पयाली न छड़ायी शराब की बोतल

सौभागयवश गत २६ ददसमबर १९९८ को पजयशरी क १६ लशषटयो की एक टोली ददकली स हमार गााव म हररनाम का परचार-परसार करन पहाची | म बचपन स ही मददरापान धमरपान व लशकार करन का शौकीन था | पजय बाप क लशषटयो दवारा हमार गााव म जगह-जगह पर तीन ददन तक लगातार हररनाम का कीतकन करन स मझ भी हररनाम का रग लगता जा रहा था |

उनक जान क एक ददन क पशचात शाम क समय रोज की भातत मन शराब की बोतल तनकाली | जस ही बोतल खोलन क ललए ढककन घमाया तो उस ढककन क घमन स मझ हरर ॐ हरर ॐ की रधवतन सनायी दी | इस परकार मन दो-तीन बार ढककन घमाया और हर बार मझ हरर ॐ

की रधवतन सनायी दी | कछ दर बाद म उठा तथा पजयशरी क एक लशषटय क घर गया | उनहोन थोड़ी दर मझ पजयशरी की अमतवारी सनायी | अमतवारी सनन क बाद मरा हदय पकारन लगा कक इन दवयकसनो को सयाग दा | मन तरत बोतल उठायी तथा जोर-स दर खत म फ क दी | ऐस समथक व परम कपाल सदगरदव को म हदय स परराम करता हा लजनकी कपा स यह अनोखी घटना मर जीवन म घटी लजसस मरा जीवन पररवततकत हआ |

-िोहन मसह बबटि

मभखयासन अलिोड़ा (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

प र गाव की कायापलि

पजयशरी स ददनाक २७६९१ को दीकषा लन क बाद मन वयवसनमलकत क परचार-परसार का लकषय बना ललया | म एक बार कौशलपर (लज शाजापर) पहाचा | वहाा क लोगो क वयवसनी और लड़ाई-झगड़ यकत जीवन को दखकर मन कहा आप लोग मनषटय-जीवन सही अथक ही नही समझत ह | एक बार आप लोग पजय बापजी क दशकन कर ल तो आपको सही जीवन जीन की कजी लमल जायगी | गााव वालो न मरी बात मान ली और दस वयलकत मर गााव ताजपर आय |

मन एक साधक को उनक साथ जनमाषटटमी महोससव म सरत भजा | पजय बापजी की उन पर कपा बरसी और सबको गरदीकषा लमल गयी | जब व लोग अपन गााव पहाच तो सभी गााववालसयो को बड़ा कौतहल था कक पजय बापजी कस ह बापजी की लीलाएा सनकर गााव क अनय लोगो म भी पजय बापजी क परतत शरदधा जगी | उन दीकषकषत साधको न सभी गााववालो को सववधानसार पजय बापजी क अलग-अलग आशरमो म भजकर दीकषा ददलवा दी | गााव क सभी वयलकत अपन

पर पररवार सदहत दीकषकषत हो चक ह | परसयक गरवार को पर गााव म एक समय भोजन बनता ह | सभी लोग गरवार का वरत रखत ह | कौशलपर गााव क परभाव स आस-पास क गााववाल एव उनक ररशतदारो सदहत १००० वयलकतयो शराब छोड़कर दीकषा ल ली ह | गााव क इततहास म तीन-तीन पीढी स कोई मददर नही था | गााववालो न ५ लाख रपय लगाकर दो मददर बनवाय ह | परा गााव वयवसनमकत एव भगवतभकत बन गया ह यह पजय बापजी की कपा नही तो और कया ह सबक ताररहार पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-शयाि परजापतत (सपरवाइजर ततलहन सघ) ताजपर

उजजन (िपर)

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी की तसवीर स मिली पररणा सवकसमथक परम पजय शरी बापजी क चररकमलो म मरा कोदट-कोदट नमन १९८४ क

भकप स समपरक उततर तरबहार म काफी नकसान हआ था लजसकी चपट म हमारा घर भी था |

पररलसथततवश मझ नौवी ककषा म पढायी छोड़ दनी पड़ी | ककसी लमतर की सलाह स म नौकरी ढाढन क ललए ददकली गया लककन वहाा भी तनराशा ही हाथ लगी | म दो ददन स भखा तो था ही ऊपर स नौकरी की चचता | अतः आसमहसया का ववचार करक रलव सटशन की ओर चल पड़ा | रानीबाग बाजार म एक दकान पर पजयशरी का सससादहसय कसट आदद रखा हआ था एव पजयशरी की बड़ आकार की तसवीर भी टागी थी | पजयशरी की हासमख एव आशीवाकद की मिावाली उस तसवीर पर मरी नजर पड़ी तो १० लमनट तक म वही सड़क पर स ही खड़-खड़ उस दखता रहा | उस वकत न जान मझ कया लमल गया म काम भल मजदरी का ही करता हा लककन तबस लकर आज तक मर चचतत म बड़ी परसननता बनी हई ह | न जान मरी लजनदगी की कया दशा होती अगर पजय बापजी की यवाधन सरकषा ईशवर की ओर तनलशचनत जीवन पसतक और ॠवष परसाद पतरतरका हाथ न लगती पजयशरी की तसवीर स लमली परररा एव उनक सससादहसय न मरी डबती नया को मानो मझदार स बचा ललया | धनभागी ह सादहसय की सवा करन वाल लजनहोन मझ आसमहसया क पाप स बचाया |

-िहश शाह

नारायणपर दिरा षज सीतािढ़ी (बबहार)

(अनिम) पावन उदगार

नतरबबद का चितकार

मरा सौभागय ह कक मझ सतकपा नतरतरबद (आई डरॉपस) का चमसकार दखन को लमला |

एक सत बाबा लशवरामदास उमर ८० वषक गीता कदटर तपोवन झाड़ी सपतसरोवर हररदवार म रहत ह | उनकी दादहनी आाख क सफद मोततय का ऑपरशन शााततकज हररदवार आयोलजत कमप म हआ | कस तरबगड़ गया और काल मोततया बन गया | ददक रहन लगा और रोशनी घटन लगी |

दोबारा भमाननद नतर चचककससालय म ऑपरशन हआ | एबसकयट गलकोमा बतात हए कहा कक ऑपरशन स लसरददक ठीक हो जायगा पर रोशनी जाती रहगी | परत अब व बाबा सत शरी आसारामजी आशरम दवार तनलमकत सतकपा नतरतरबद सबह-शाम डाल रह ह | मन उनक नतरो का परीकषर ककया | उनकी दादहनी आाख म उागली चगनन लायक रोशनी वापस आ गयी ह | काल मोततय का परशर नॉमकल ह | कोतनकया म सजन नही ह | व काफी सतषटट ह | व बतात ह आाख पहल लाल रहती थी परत अब नही ह | आशरम क नतरतरबद स ककपनातीत लाभ हआ | बायी आाख म भी उनह सफद मोततया बताया गया था और सशय था कक शायद काला मोततया भी ह |

पर आज बायी आाख भी ठीक ह और दोनो आाखो का परशर भी नॉमकल ह | सफद मोततया नही ह और रोशनी काफी अचछी ह | यह सतकपा नतरबद का ववलकषर परभाव दखकर म भी अपन मरीजो को इसका उपयोग करन की सलाह दागा |

-डॉ अननत किार अगरवाल (नतररोग षवशिजञ)

एिबीबीएस एिएस (नतर) डीओएिएस (आई)

सीतापर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

ितर स लाभ

मरी माा की हालत अचानक पागल जसी हो गयी थी मानो कोई भत-परत-डाककनी या आसरी तसव उनम घस गया | म बहत चचततत हो गया एव एक साचधका बहन को फोन ककया |

उनहोन भत-परत भगान का मतर बताया लजसका वरकन आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म भी ह | वह मतर इस परकार ह

ॐ निो भगवत रर भरवाय भ तपरत कषय कर कर ह फि सवाहा |

इस मतर का पानी म तनहारकर १०८ बार जप ककया और वही पानी माा को वपला ददया |

तरत ही माा शातत स सो गयी | दसर ददन भी इस मतर की पााच माला करक माा को वह जल वपलाया तो माा तरबककल ठीक हो गयी | ह मर साधक भाई-बहनो भत-परत भगान क ललए अला बााधा बला बााधा ऐसा करक झाड़-फ़ा क करनवालो क चककर म पड़न की जररत नही ह |

इसक ललए तो पजय बापजी का मतर ही ताररहार ह | पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-चपकभाई एन पिल (अिररका)

(अनिम) पावन उदगार

काि करो पर षवजय पायी एक ददन मबई मल म दटकट चककग करत हए म वातानकललत बोगी म पहाचा | दखा तो

मखमल की गददी पर टाट का आसन तरबछाकर सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज समाचधसथ ह |

मझ आशचयक हआ कक लजन परथम शररी की वातानकललत बोचगयो म राजा-महाराजा यातरा करत ह ऐसी बोगी और तीसरी शररी की बोगी क बीच इन सत को कोई भद नही लगता | ऐसी बोचगयो म भी व समाचधसथ होत ह यह दखकर लसर झक जाता ह | मन पजय महाराजशरी को परराम करक कहा आप जस सतो क ललए तो सब एक समान ह | हर हाल म एकरस रहकर आप मलकत का आनद ल सकत ह | लककन हमार जस गरहसथो को कया करना चादहए ताकक हम भी आप जसी समता बनाय रखकर जीवन जी सक पजय महाराजजी न कहा काम और िोध को त छोड़ द तो त भी जीवनमकत हो सकता ह | जहाा राम तहा नही काम जहाा काम तहा नही राम | और िोध तो भाई भसमासर ह | वह तमाम पणय को जलाकर भसम कर दता ह

अतःकरर को मललन कर दता ह | मन कहा परभ अगर आपकी कपा होगी तो म काम-िोध को छोड़ पाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा भाई कपा ऐस थोड़ ही की जाती ह सतकपा क साथ तरा परषाथक और दढता भी चादहए | पहल त परततजञा कर कक त जीवनपयकनत काम और िोध स दर रहगा तो म तझ आशीवाकद दा | मन कहा महाराजजी म जीवनभर क ललए परततजञा तो करा लककन उसका पालन न कर पाऊा तो झठा माना जाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा अचछा पहल त मर समकष आठ ददन क ललए परततजञा कर | कफर परततजञा को एक-एक ददन बढत जाना | इस परकार त उन बलाओ स बच सकगा | ह कबल मन हाथ

जोड़कर कबल ककया | पजय महाराजजी न आशीवाकद दकर दो-चार फल परसाद म ददय | पजय महाराजजी न मरी जो दो कमजोररयाा थी उन पर ही सीधा हमला ककया था | मझ आशचयक हआ कक अनय कोई भी दगकर छोड़न का न कहकर इन दो दगकरो क ललए ही उनहोन परततजञा कयो करवायी बाद म म इस राज स अवगत हआ |

दसर ददन म पसनजर रन म कानपर स आग जा रहा था | सबह क करीब नौ बज थ |

तीसरी शररी की बोगी म जाकर मन यातरतरयो क दटकट जााचन का कायक शर ककया | सबस पहल बथक पर सोय हए एक यातरी क पास जाकर मन एक यातरी क पास जाकर मन दटकट ददखान को कहा तो वह गससा होकर मझ कहन लगा अधा ह दखता नही कक म सो गया हा मझ नीद स जगान का तझ कया अचधकार ह यह कोई रीत ह दटकट क बार म पछन की ऐसी ही अकल ह तरी ऐसा कछ-का-कछ वह बोलता ही गया बोलता ही गया | म भी िोधाववषटट होन लगा ककत पजय महाराजजी क समकष ली हई परततजञा मझ याद थी अतः िोध को ऐस पी गया मानो ववष की पडड़या मन उस कहा महाशय आप ठीक ही कहत ह कक मझ बोलन की अकल नही ह भान नही ह | दखो मर य बाल धप म सफद हो गय ह | आपम बोलन की अकल अचधक ह नमरता ह तो कपा करक लसखाओ कक दटकट क ललए मझ ककस परकार आपस पछना चादहए | म लाचार हा कक डयटी क कारर मझ दटकट चक करना पड़ रहा ह इसललए म आपको कषटट द रहा हा| और कफ़र मन खब परम स हाथ जोड़कर ववनती की भया कपा करक कषटट क ललए मझ कषमा करो | मझ अपना दटकट ददखायग मरी नमरता दखकर वह ललजजत हो गया एव तरत उठ बठा | जकदी-जकदी नीच उतरकर मझस कषमा माागत हए कहन लगा मझ माफ करना | म नीद म था | मन आपको पहचाना नही था | अब आप अपन माह स मझ कह कक आपन मझ माफ़ ककया यह दखकर मझ आनद और सतोष हआ | म सोचन लगा कक सतो की आजञा मानन म ककतनी शलकत और दहत तनदहत ह सतो की कररा कसा चमसकाररक पररराम लाती ह वह वयलकत क पराकततक सवभाव को भी जड़-मल स बदल सकती ह | अनयथा मझम िोध को तनयतरर म रखन की कोई शलकत नही थी | म परकतया असहाय था कफर भी मझ महाराजजी की कपा न ही समथक बनाया | ऐस सतो क शरीचररो म कोदट-कोदट नमसकार

-शरी रीजिल

ररिायडय िीिी आई कानपर

(अनिम) पावन उदगार

जला हआ कागज प वय रप ि पवक रप म एक बार परमहस ववशदधानदजी स आनदमयी माा की तनकटता पानवाल

सपरलसदध पडडत गोपीनाथ कववराज न तनवदन ककया तररीकानत ठाकर को अलौककक लसदचध परापत हई ह | व तरबना दख या तरबना छए ही कागज म ललखी हई बात पढ लत ह | गरदव बोल तम एक कागज पर कछ ललखो और उसम आग लगाकर जला दो | कववराजजी न कागज पर कछ ललखा और परी तरह कागज जलाकर हवा म उड़ा ददया | उसक बाद गरदव न अपन तककय क नीच स वही कागज तनकालकर कववराजजी क आग रख ददया | यह दखकर उनह बड़ा आशचयक हआ कक यह कागज वही था एव जो उनहोन ललखा था वह भी उस पर उनही क सलख म ललखा था और साथ ही उसका उततर भी ललखा हआ दखा |

जड़ता पशता और ईशवरता का मल हमारा शरीर ह | जड़ शरीर को म-मरा मानन की ववतत लजतनी लमटती ह पाशवी वासनाओ की गलामी उतनी हटती ह और हमारा ईशवरीय अश लजतना अचधक ववकलसत होता ह उतना ही योग-सामथयक ईशवरीय सामथयक परकट होता ह | भारत क ऐस कई भकतो सतो और योचगयो क जीवन म ईशवरीय सामथयक दखा गया ह अनभव ककया गया ह उसक ववषय म सना गया ह | धनय ह भारतभलम म रहनवाल भारतीय ससकतत म शरदधा-ववशवास रखनवाल अपन ईशवरीय अश को जगान की सवा-साधना करनवाल सवामी ववशदधानदजी वषो की एकात साधना और वषो-वषो की गरसवा स अपना दहारधयास और पाशवी वासनाएा लमटाकर अपन ईशवरीय अश को ववकलसत करनवाल भारत क अनक महापरषो म स थ | उनक जीवन की और भी अलौककक घटनाओ का वरकन आता ह | ऐस ससपरषो क जीवन-चररतर और उनक जीवन म घदटत घटनाएा पढन-सनन स हम लोग भी अपनी जड़ता एव पशता स ऊपर उठकर ईशवरीय अश को उभारन म उससादहत होत ह | बहत ऊा चा काम ह बड़ी शरदधा बड़ी समझ बड़ा धयक चादहए ईशवरीय सामथयक को परक रप स ववकलसत करन म |

(अनिम) पावन उदगार

नदी की ारा िड़ गयी आदय शकराचायक की माता ववलशषटटा दवी अपन कलदवता कशव की पजा करन जाती थी

| व पहल नदी म सनान करती और कफ़र मददर म जाकर पजन करती | एक ददन व परातःकाल ही पजन-सामगरी लकर मददर की ओर गयी ककत सायकाल तक घर नही लौटी | शकराचायक की आय अभी सात-आठ वषक क मरधय म ही थी | व ईशवर क परम भकत और तनषटठावान थ | सायकाल

तक माता क वापस न लौटन पर आचायक को बड़ी चचनता हई और व उनह खोजन क ललए तनकल पड़ | मददर क तनकट पहाचकर उनहोन माता को मागक म ही मलचछकत पड़ दखा | उनहोन बहत दर तक माता का उपचार ककया तब व होश म आ सकी | नदी अचधक दर थी | वहाा तक पहाचन म माता को बड़ा कषटट होता था | आचायक न भगवान स मन-ही-मन पराथकना की कक परभो ककसी परकार नदी की धारा को मोड़ दो लजसस कक माता तनकट ही सनान कर सक | व इस परकार की पराथकना तनसय करन लग | एक ददन उनहोन दखा कक नदी की धारा ककनार की धरती को काटती-काटती मड़न लगी ह तथा कछ ददनो म ही वह आचायक शकर क घर क पास बहन लगी | इस घटना न आचायक का अलौककक शलकतसमपनन होना परलसदध कर ददया |

(अनिम) पावन उदगार

सदगर-िहहिा गर बबन भव तनध तर न कोई |

जौ बरधच सकर सि होई ||

-सत तलसीदासजी

हररहर आहदक जगत ि प जयदव जो कोय |

सदगर की प जा ककय सबकी प जा होय ||

-तनशचलदासजी महाराज

सहजो कारज ससार को गर बबन होत नाही |

हरर तो गर बबन कया मिल सिझ ल िन िाही ||

-सत कबीरजी सत

सरतन जो जन पर सो जन उ रनहार |

सत की तनदा नानका बहरर बहरर अवतार ||

-गर नानक दवजी

गरसवा सब भागयो की जनमभलम ह और वह शोकाकल लोगो को बरहममय कर दती ह | गररपी सयक अववदयारपी रातरतर का नाश करता ह और जञानाजञान रपी लसतारो का लोप करक बदचधमानो को आसमबोध का सददन ददखाता ह |

-सत जञानशवर महाराज

ससय क कटकमय मागक म आपको गर क लसवाय और कोई मागकदशकन नही द सकता |

- सवामी लशवानद सरसवती

ककतन ही राजा-महाराजा हो गय और होग सायजय मलकत कोई नही द सकता | सचच राजा-महाराज तो सत ही ह | जो उनकी शरर जाता ह वही सचचा सख और सायजय मलकत पाता ह |

-समथक शरी रामदास सवामी

मनषटय चाह ककतना भी जप-तप कर यम-तनयमो का पालन कर परत जब तक सदगर की कपादलषटट नही लमलती तब तक सब वयथक ह |

-सवामी रामतीथक

पलटो कहत ह कक सकरात जस गर पाकर म धनय हआ |

इमसकन न अपन गर थोरो स जो परापत ककया उसक मदहमागान म व भावववभोर हो जात थ |

शरी रामकषटर परमहस परकता का अनभव करानवाल अपन सदगरदव की परशसा करत नही अघात थ |

पजयपाद सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज भी अपन सदगरदव की याद म सनह क आास बहाकर गदगद कठ हो जात थ |

पजय बापजी भी अपन सदगरदव की याद म कस हो जात ह यह तो दखत ही बनता ह | अब हम उनकी याद म कस होत ह यह परशन ह | बदहमकख तनगर लोग कछ भी कह साधक को अपन सदगर स कया लमलता ह इस तो साधक ही जानत ह |

(अनिम) पावन उदगार

लडी िाहियन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान ि परकि मशवजी

सा सग ससार ि दलयभ िनटय शरीर |

सतसग सषवत ततव ह बतरषव ताप की पीर ||

मानव-दह लमलना दलकभ ह और लमल भी जाय तो आचधदववक आचधभौततक और आरधयालसमक य तीन ताप मनषटय को तपात रहत ह | ककत मनषटय-दह म भी पववतरता हो सचचाई हो शदधता हो और साध-सग लमल जाय तो य तरतरववध ताप लमट जात ह |

सन १८७९ की बात ह | भारत म तरबरदटश शासन था उनही ददनो अगरजो न अफगातनसतान पर आिमर कर ददया | इस यदध का सचालन आगर मालवा तरबरदटश छावनी क ललफ़टनट कनकल मादटकन को सौपा गया था | कनकल मादटकन समय-समय पर यदध-कषतर स अपनी पसनी को कशलता क समाचार भजता रहता था | यदध लबा चला और अब तो सदश आन भी बद हो गय | लडी मादटकन को चचता सतान लगी कक कही कछ अनथक न हो गया हो अफगानी सतनको न मर पतत को मार न डाला हो | कदाचचत पतत यदध म शहीद हो गय तो म जीकर कया करा गी -यह सोचकर वह अनक शका-कशकाओ स तघरी रहती थी | चचनतातर बनी वह एक ददन घोड़ पर बठकर घमन जा रही थी | मागक म ककसी मददर स आती हई शख व मतर रधवतन न उस आकवषकत ककया | वह एक पड़ स अपना घोड़ा बााधकर मददर म गयी | बजनाथ महादव क इस मददर म लशवपजन म तनमगन पडडतो स उसन पछा आप लोग कया कर रह ह एक वरदध बराहमर न कहा हम भगवान लशव का पजन कर रह ह | लडी मादटकन लशवपजन की कया महतता ह

बराहमर बटी भगवान लशव तो औढरदानी ह भोलनाथ ह | अपन भकतो क सकट-तनवारर करन म व ततनक भी दर नही करत ह | भकत उनक दरबार म जो भी मनोकामना लकर क आता ह उस व शीघर परी करत ह ककत बटी तम बहत चचलनतत और उदास नजर आ रही हो कया बात ह लडी मादटकन मर पततदव यदध म गय ह और ववगत कई ददनो स उनका कोई समाचार नही आया ह | व यदध म फा स गय ह या मार गय ह कछ पता नही चल रहा | म उनकी ओर स बहत चचलनतत हा | इतना कहत हए लडी मादटकन की आाख नम हो गयी | बराहमर तम चचनता मत करो बटी लशवजी का पजन करो उनस पराथकना करो लघरिी करवाओ |

भगवान लशव तमहार पतत का रकषर अवशय करग |

पडडतो की सलाह पर उसन वहाा गयारह ददन का ॐ नमः लशवाय मतर स लघरिी अनषटठान परारभ ककया तथा परततददन भगवान लशव स अपन पतत की रकषा क ललए पराथकना करन लगी कक ह भगवान लशव ह बजनाथ महादव यदद मर पतत यदध स सकशल लौट आय तो म आपका लशखरबद मददर बनवाऊा गी | लघरिी की पराकहतत क ददन भागता हआ एक सदशवाहक लशवमददर म आया और लडी मादटकन को एक ललफाफा ददया | उसन घबरात-घबरात वह ललफाफा खोला और पढन लगी |

पतर म उसक पतत न ललखा था हम यदध म रत थ और तम तक सदश भी भजत रह लककन

आक पठानी सना न घर ललया | तरबरदटश सना कट मरती और म भी मर जाता | ऐसी ववकट पररलसथतत म हम तघर गय थ कक परार बचाकर भागना भी असयाचधक कदठन था | इतन म मन दखा कक यदधभलम म भारत क कोई एक योगी लजनकी बड़ी लमबी जटाएा ह हाथ म तीन नोकवाला एक हचथयार (तरतरशल) इतनी तीवर गतत स घम रहा था कक पठान सतनक उनह दखकर भागन लग | उनकी कपा स घर स हम तनकलकर पठानो पर वार करन का मौका लमल गया और हमारी हार की घडड़याा अचानक जीत म बदल गयी | यह सब भारत क उन बाघामबरधारी एव तीन नोकवाला हचथयार धारर ककय हए (तरतरशलधारी) योगी क कारर ही समभव हआ | उनक महातजसवी वयलकतसव क परभाव स दखत-ही-दखत अफगातनसतान की पठानी सना भाग खड़ी हई और व परम योगी मझ दहममत दत हए कहन लग | घबराओ नही | म भगवान लशव हा तथा तमहारी पसनी की पजा स परसनन होकर तमहारी रकषा करन आया हा उसक सहाग की रकषा करन आया हा |

पतर पढत हए लडी मादटकन की आाखो स अववरत अशरधारा बहती जा रही थी उसका हदय अहोभाव स भर गया और वह भगवान लशव की परततमा क सममख लसर रखकर पराथकना करत-करत रो पड़ी | कछ सपताह बाद उसका पतत कनकल मादटकन आगर छावनी लौटा | पसनी न उस सारी बात सनात हए कहा आपक सदश क अभाव म म चचलनतत हो उठी थी लककन बराहमरो की सलाह स लशवपजा म लग गयी और आपकी रकषा क ललए भगवान लशव स पराथकना करन लगी | उन दःखभजक महादव न मरी पराथकना सनी और आपको सकशल लौटा ददया | अब तो पतत-पसनी दोनो ही तनयलमत रप स बजनाथ महादव क मददर म पजा-अचकना करन लग | अपनी पसनी की इचछा पर कनकल मादटकन म सन १८८३ म पिह हजार रपय दकर बजनाथ महादव मददर का जीरोदवार करवाया लजसका लशलालख आज भी आगर मालवा क इस मददर म लगा ह | पर भारतभर म अगरजो दवार तनलमकत यह एकमातर दहनद मददर ह |

यरोप जान स पवक लडी मादटकन न पडड़तो स कहा हम अपन घर म भी भगवान लशव का मददर बनायग तथा इन दःख-तनवारक दव की आजीवन पजा करत रहग |

भगवान लशव म भगवान कषटर म माा अमबा म आसमवतता सदगर म सतता तो एक ही ह | आवशयकता ह अटल ववशवास की | एकलवय न गरमतत क म ववशवास कर वह परापत कर ललया जो

अजकन को कदठन लगा | आरखर उपमनय धरव परहलाद आदद अनय सकड़ो उदारहर हमार सामन परसयकष ह | आज भी इस परकार का सहयोग हजारो भकतो को साधको को भगवान व आसमवतता सदगरओ क दवारा तनरनतर परापत होता रहता ह | आवशयकता ह तो बस कवल ववशवास की |

(अनिम) पावन उदगार

सखप वयक परसवकारक ितर

पहला उपाय

ए ही भगवतत भगिामलतन चल चल भरािय भरािय पटप षवकासय षवकासय सवाहा |

इस मतर दवारा अलभमतरतरत दध गलभकरी सतरी को वपलाय तो सखपवकक परसव होगा |

द सरा उपाय

गलभकरी सतरी सवय परसव क समय जमभला-जमभला जप कर |

तीसरा उपाय

दशी गाय क गोबर का १२ स १५ लमली रस ॐ नमो नारायराय मतर का २१ बार जप करक पीन स भी परसव-बाधाएा दर होगी और तरबना ऑपरशन क परसव होगा |

परसतत क समय अमगल की आशका हो तो तनमन मतर का जप कर

सवयिगल िागलय मशव सवायथय साध क |

शरणय तरयमबक गौरी नारायणी निोSसतत ||

(दगायसपतशती)

(अनिम) पावन उदगार

सवागीण षवकास की कषजया यादशषकत बढ़ान हतः परततददन 15 स 20 लमली तलसी रस व एक चममच चयवनपराश

का थोड़ा सा घोल बना क सारसवसय मतर अथवा गरमतर जप कर पीय 40 ददन म चमसकाररक लाभ होगा

भोजन क बाद एक लडड चबा-चबाकर खाय

100 गराम सौफ 100 गराम बादाम 200 गराम लमशरी तीनो को कटकर लमला ल सबह यह लमशरर 3 स 5 गराम चबा-चबाकर खाय ऊपर स दध पी ल (दध क साथ भी ल सकत ह) इसस भी यादशलकत बढगी

पढ़ा हआ पाठ याद रह इस हतः अरधययन क समय पवक या उततर की ओर माह करक सीध बठ

सारसवसय मतर का जप करक कफर जीभ की नोक को ताल म लगाकर पढ

अरधययन क बीच-बीच म अत म शात हो और पढ हए का मनन कर ॐ शातत रामराम या गरमतर का समरर करक शात हो

कद बढ़ान हतः परातःकाल दौड़ लगाय पल-अपस व ताड़ासन कर तथा 2 काली लमचक क टकड़ करक मकखन म लमलाकर तनगल जाय दशी गाय का दध कदवदचध म ववशष सहायक ह

शरीरपषटि हतः भोजन क पहल हरड़ चस व भोजन क साथ भी खाय

रातरतर म एक चगलास पानी म एक नीब तनचोड़कर उसम दो ककशलमश लभगो द सबह पानी छानकर पी जाय व ककशलमश चबाकर खा ल

नतरजयोतत बढ़ान हतः सौफ व लमशरी 1-1 चममच लमलाकर रात को सोत समय खाय यह परयोग तनयलमत रप स 5-6 माह तक कर

नतररोगो स रकषा हतः परो क तलवो व अागठो की सरसो क तल स माललश कर ॐ अरणाय ह फट सवाहा इस जपत हए आाख धोन स अथाकत आाखो म धीर-धीर पानी छााटन स आाखो की असहय पीड़ा लमटती ह

डरावन बर सवपनो स बचाव हतः ॐ हरय निः मतर जपत हए सोय लसरहान आशरम की तनःशकक परसादी गरहदोष-बाधा तनवारक यतर रख द

दःख िसीबत एव गरहबा ा तनवारण हतः जनमददवस क अवसर पर महामसयञजय मतर का जप करत हए घी दध शहद और दवाक घास क लमशरर की आहततयाा डालत हए हवन कर इसस जीवन म दःख आदद का परभाव शात हो जायगा व नया उससाह परापत होगा

घर ि सख सवासथय व शातत हतः रोज परातः व साय दशी गाय क गोबर स बन कणड का एक छोटा टकड़ा जला ल उस पर दशी गौघत लमचशरत चावल क कछ दान डाल द ताकक व जल जाय इसस घर म सवासथय व शातत बनी रहती ह तथा वासतदोषो का तनवारर होता ह

आधयाषतिक उननतत हतः चलत कफरत दतनक कायक करत हए भगवननाम का जप सब म भगवननाम हर दो कायो क बीच थोड़ा शात होना सबकी भलाई म अपना भला मानना मन क ववचारो पर तनगरानी रखना आदरपवकक सससग व सवारधयाय करना आदद शीघर आरधयालसमक उननतत क उपाय ह

(अनिम) पावन उदगार

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Page 4: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत

परमपजय बाप जी की कपा-परसाद स लाभालनवत हदयो क उदगार

महामसयजय मतर

मगली बाधा तनवारक मतर

1 ववदयाचथकयो माता-वपता-अलभभावको व राषटर क करकधारो क नाम बरहमतनषटठ सत शरी आसारामजी बाप का सदश

2 यौवन-सरकषा

बरहमचयक कया ह

बरहमचयक उसकषटट तप ह

वीयकरकषर ही जीवन ह

आधतनक चचककससको का मत

वीयक कस बनता ह

आकषकक वयलकतसव का कारर

माली की कहानी

सलषटट िम क ललए मथन एक पराकततक वयवसथा

सहजता की आड़ म भरलमत न होव

अपन को तोल

मनोतनगरह की मदहमा

आसमघाती तकक

सतरी परसग ककतनी बार

राजा ययातत का अनभव

राजा मचकनद का परसग

गलत अभयास का दषटपररराम

वीयकरकषर सदव सतसय

अजकन और अगारपरक गधवक

बरहमचयक का तालववक अथक

3 वीयकरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय

उपयकत आहार

लशशनलनिय सनान

उचचत आसन एव वयायाम करो

बरहममहतक म उठो

दवयकसनो स दर रहो

सससग करो

शभ सककप करो

तरतरबनधयकत परारायाम और योगाभयास करो

नीम का पड चला

सतरी-जातत क परतत मातभाव परबल करो

लशवाजी का परसग

अजकन और उवकशी

वीयकसचय क चमसकार

भीषटम वपतामह और वीर अलभमनय

पथवीराज चौहान कयो हारा

सवामी रामतीथक का अनभव

यवा वगक स दो बात

हसतमथन का दषटपररराम

अमररका म ककया गया परयोग

कामशलकत का दमन या ऊरधवकगमन

एक साधक का अनभव

दसर साधक का अनभव

योगी का सककपबल

कया यह चमसकार ह

हसतमथन व सवपनदोष स कस बच

सदव परसनन रहो

वीयक का ऊरधवकगमन कया ह

वीयकरकषा का महववपरक परयोग

दसरा परयोग

वीयकरकषक चरक

गोद का परयोग

बरहमचयक रकषा हत मतर

पादपलशचमोततानासन

पादागषटठानासन

बदचधशलकतवधकक परयोगः

हमार अनभव

महापरष क दशकन का चमसकार

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह

बरहमचयक ही जीवन ह

शासतरवचन

भसमासर िोध स बचो

बरहमाचयक-रकषा का मतर

सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही बाप जी का अवतरर हआ ह

हर वयलकत जो तनराश ह उस आसाराम जी की जररत ह

बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहमजञान का ददवय सससग

बाप जी का सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

भगवननाम का जाद

पजयशरी क सससग म परधानमतरी शरी अटल तरबहारी वाजपयीजी क उदगार

प बापः राषटरसख क सवधकक

राषटर उनका ऋरी ह

गरीबो व वपछड़ो को ऊपर उठान क कायक चाल रह

सराहनीय परयासो की सफलता क ललए बधाई

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आप समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह

योग व उचच ससकार लशकषा हत भारतवषक आपका चचर-आभारी रहगा

आपन जो कहा ह हम उसका पालन करग

जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

बापजी सवकतर ससकार धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह

आपक दशकनमातर स मझ अदभत शलकत लमलती ह

हम सभी का कतकवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल

आपका मतर हः आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए

सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा

ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

पणयोदय पर सत समागम

बापजी जहाा नही होत वहाा क लोगो क ललए भी बहत कछ करत ह

जीवन की सचची लशकषा तो पजय बापजी ही द सकत ह

आपकी कपा स योग की अरशलकत पदा हो रही ह

धरती तो बाप जस सतो क कारर दटकी ह

म कमनसीब हा जो इतन समय तक गरवारी स वचचत रहा

इतनी मधर वारी इतना अदभत जञान

सससग शरवर स मर हदय की सफाई हो गयी

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहाा आ गयी

बाप जी क सससग स ववशवभर क लोग लाभालनवत

परी डडकशनरी याद कर ववशव ररकॉडक बनाया

मतरदीकषा व यौचगक परयोगो स बदचध का अपरततम ववकास

सससग व मतरदीकषा न कहाा स कहाा पहाचा ददया

5 वषक क बालक न चलायी जोखखम भरी सड़को पर कार

ऐस सतो का लजतना आदर ककया जाय कम ह

मझ तनवयकसनी बना ददया

गरजी की तसवीर न परार बचा ललय

सदगर लशषटय का साथ कभी नही छोड़त

गरकपा स अधापन दर हआ

और डकत घबराकर भाग गय

मतर दवारा मतदह म परार-सचार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस लमली

बड़दादा की लमटटी व जल स जीवनदान

पजय बाप न फ का कपा-परसाद

बटी न मनौती मानी और गरकपा हई

और गरदव की कपा बरसी

गरदव न भजा अकषयपातर

सवपन म ददय हए वरदान स पतरपरालपत

शरी आसारामायर क पाठ स जीवनदान

गरवारी पर ववशवास स अवरीय लाभ

सवफल क दो टकड़ो स दो सतान

साइककल स गरधाम जान पर खराब टााग ठीक हो गयी

अदभत रही मौनमददर की साधना

असारधय रोग स मलकत

कसट का चमसकार

पजयशरी की तसवीर स लमली परररा

नतरतरबद का चमसकार

मतर स लाभ

काम िोध पर ववजय पायी

जला हआ कागज पवक रप म

नदी की धारा मड़ गयी

सदगर-मदहमा

लडी मादटकन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान म परकट लशवजी

सखपवकक परसवकारक मतर

सवाागीर ववकास की कलजयाा

ॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

िहाितयजय ितर

ॐ हौ ज सः ॐ भ भयवः सवः ॐ तरयमबक यजािह सगध पषटिव यनि उवायरकमिव

बन नानितयोियकषकषय िाितात सवः भवः भ ः ॐ सः ज हौ ॐ

भगवान लशव का यह महामसयजय मतर जपन स अकाल मसय तो टलती ही ह आरोगयता की भी परालपत होती ह सनान करत समय शरीर पर लोट स पानी डालत वकत इस मतर का जप करन स सवासथय लाभ होता ह दध म तनहारत हए इस मतर का जप करक दध पी ललया जाय तो यौवन की सरकषा म भी सहायता लमलती ह आजकल की तज रफतार वाली लजदगी क कहाा उपिव दघकटना हो जाय कहना मलशकल ह घर स तनकलत समय एक बार यह मतर जपन वाला उपिवो स सरकषकषत

रहता ह और सरकषकषत लौटता ह (इस मतर क अनषटठान की परक जानकारी क ललए आशरम की आरोगयतनध पसतक पढ

शरीिदभागवत क आठव सक ि तीसर अधयाय क शलोक 1 स 33 तक ि वरणयत गजनर िोकष सतोतर का पाठ करन स तिाि षवघन द र होत ह

िगली बा ा तनवारक ितर

अ रा अ इस मतर को 108 बार जपन स िोध दर होता ह जनमकणडली म मगली दोष होन स लजनक वववाह न हो रह हो व 27 मगलवार इसका 108 बार जप करत हए वरत रख क हनमान जी पर लसदर का चोला चढाय तो मगल बाधा का कषय होता ह

1 षवदयाधथययो िाता-षपता-अमभभावको व राटर क कणय ारो क नाि बरहितनटठ सत शरी आसारािजी बाप का सदश

हमार दश का भववषटय हमारी यवा पीढी पर तनभकर ह ककनत उचचत मागकदशकन क अभाव म वह

आज गमराह हो रही ह |

पाशचासय भोगवादी सभयता क दषटपरभाव स उसक यौवन का हरास होता जा रहा ह | ववदशी चनल

चलचचतर अशलील सादहसय आदद परचार मारधयमो क दवारा यवक-यवततयो को गमराह ककया जा रहा ह

| ववलभनन सामतयको और समाचार-पतरो म भी तथाकचथत पाशचासय मनोववजञान स परभाववत मनोचचककससक और lsquoसकसोलॉलजसटrsquo यवा छातर-छातराओ को चररतर सयम और नततकता स भरषटट करन पर तल हए ह |

तरबरतानी औपतनवलशक ससकतत की दन इस वततकमान लशकषा-परराली म जीवन क नततक मकयो क परतत उदासीनता बरती गई ह | फलतः आज क ववदयाथी का जीवन कौमायकवसथा स ही ववलासी और असयमी हो जाता ह |

पाशचासय आचार-वयवहार क अधानकरर स यवानो म जो फशनपरसती अशदध आहार-ववहार क

सवन की परववतत कसग अभिता चलचचतर-परम आदद बढ रह ह उसस ददनोददन उनका पतन होता जा रहा ह | व तनबकल और कामी बनत जा रह ह | उनकी इस अवदशा को दखकर ऐसा लगता ह कक व बरहमचयक की मदहमा स सवकथा अनलभजञ ह |

लाखो नही करोड़ो-करोड़ो छातर-छातराएा अजञानतावश अपन तन-मन क मल ऊजाक-सरोत का वयथक म अपकषय कर परा जीवन दीनता-हीनता-दबकलता म तबाह कर दत ह और सामालजक अपयश क भय

स मन-ही-मन कषटट झलत रहत ह | इसस उनका शारीररक-मानलसक सवासथय चौपट हो जाता ह

सामानय शारीररक-मानलसक ववकास भी नही हो पाता | ऐस यवान रकताकपता ववसमरर तथा दबकलता स पीडड़त होत ह |

यही वजह ह कक हमार दश म औषधालयो चचककससालयो हजारो परकार की एलोपचथक दवाइयो इनजकशनो आदद की लगातार वदचध होती जा रही ह | असखय डॉकटरो न अपनी-अपनी दकान खोल

रखी ह कफर भी रोग एव रोचगयो की सखया बढती ही जा रही ह |

इसका मल कारर कया ह दवयकसन तथा अनततक अपराकततक एव अमयाकददत मथन दवारा वीयक की कषतत ही इसका मल कारर ह | इसकी कमी स रोगपरततकारक शलकत घटती ह जीवनशलकत का हरास होता ह |

इस दश को यदद जगदगर क पद पर आसीन होना ह ववशव-सभयता एव ववशव-ससकतत का लसरमौर बनना ह उननत सथान कफर स परापत करना ह तो यहाा की सनतानो को चादहए कक व बरहमचयक क महसव को समझ और सतत सावधान रहकर सखती स इसका पालन कर |

बरहमचयक क दवारा ही हमारी यवा पीढी अपन वयलकतसव का सतललत एव शरषटठतर ववकास कर सकती ह | बरहमचयक क पालन स बदचध कशागर बनती ह रोगपरततकारक शलकत बढती ह तथा महान-

स-महान लकषय तनधाकररत करन एव उस समपाददत करन का उससाह उभरता ह सककप म दढता आती ह मनोबल पषटट होता ह |

आरधयालसमक ववकास का मल भी बरहमचयक ही ह | हमारा दश औदयोचगक तकनीकी और आचथकक

कषतर म चाह ककतना भी ववकास कर ल समदचध परापत कर ल कफर भी यदद यवाधन की सरकषा न हो पाई तो यह भौततक ववकास अत म महाववनाश की ओर ही ल जायगा कयोकक सयम सदाचार

आदद क पररपालन स ही कोई भी सामालजक वयवसथा सचार रप स चल सकती ह | भारत का सवाागीर ववकास सचचररतर एव सयमी यवाधन पर ही आधाररत ह |

अतः हमार यवाधन छातर-छातराओ को बरहमचयक म परलशकषकषत करन क ललए उनह यौन-सवासथय

आरोगयशासतर दीघाकय-परालपत क उपाय तथा कामवासना तनयतरतरत करन की ववचध का सपषटट जञान परदान करना हम सबका अतनवायक कततकवय ह | इसकी अवहलना करना हमार दश व समाज क दहत म नही ह | यौवन सरकषा स ही सदढ राषटर का तनमाकर हो सकता ह |

(अनिम)

2 यौवन-सरकषा शरीरिादय खल ियसा नि |

धमक का साधन शरीर ह | शरीर स ही सारी साधनाएा समपनन होती ह | यदद शरीर कमजोर ह तो उसका परभाव मन पर पड़ता ह मन कमजोर पड़ जाता ह |

कोई भी कायक यदद सफलतापवकक करना हो तो तन और मन दोनो सवसथ होन चादहए | इसीललय

कई बढ लोग साधना की दहममत नही जटा पात कयोकक वषतयक भोगो स उनक शरीर का सारा ओज-तज नषटट हो चका होता ह | यदद मन मजबत हो तो भी उनका जजकर शरीर परा साथ नही द पाता | दसरी ओर यवक वगक साधना करन की कषमता होत हए भी ससार की चकाचौध स परभाववत

होकर वषतयक सखो म बह जाता ह | अपनी वीयकशलकत का महसव न समझन क कारर बरी आदतो म पड़कर उस खचक कर दता ह कफर लजनदगी भर पछताता रहता ह |

मर पास कई ऐस यवक आत ह जो भीतर-ही भीतर परशान रहत ह | ककसीको व अपना दःख-ददक सना नही पात कयोकक बरी आदतो म पड़कर उनहोन अपनी वीयकशलकत को खो ददया ह | अब मन

और शरीर कमजोर हो गय गय ससार उनक ललय दःखालय हो गया ईशवरपरालपत उनक ललए असभव हो गई | अब ससार म रोत-रोत जीवन घसीटना ही रहा |

इसीललए हर यग म महापरष लोग बरहमचयक पर जोर दत ह | लजस वयलकत क जीवन म सयम

नही ह वह न तो सवय की ठीक स उननतत कर पाता ह और न ही समाज म कोई महान कायक कर पाता ह | ऐस वयलकतयो स बना हआ समाज और दश भी भौततक उननतत व आरधयालसमक उननतत म वपछड़ जाता ह | उस दश का शीघर पतन हो जाता ह |

(अनिम)

बरहिचयय कया ह

पहल बरहमचयक कया ह- यह समझना चादहए | lsquoयाजञवककय सदहताrsquo म आया ह

कियणा िनसा वाचा सवायसथास सवयदा |

सवयतर िथनतआगो बरहिचय परचकषत ||

lsquoसवक अवसथाओ म मन वचन और कमक तीनो स मथन का सदव सयाग हो उस बरहमचयक कहत ह |rsquo

भगवान वदवयासजी न कहा ह

बरहिचय गपतषनरसयोपसथसय सयिः |

lsquoववषय-इलनियो दवारा परापत होन वाल सख का सयमपवकक सयाग करना बरहमचयक ह |rsquo

भगवान शकर कहत ह

मसद बबनदौ िहादषव कक न मसद यतत भ तल |

lsquoह पावकती तरबनद अथाकत वीयकरकषर लसदध होन क बाद कौन-सी लसदचध ह जो साधक को परापत नही हो सकती rsquo

साधना दवारा जो साधक अपन वीयक को ऊरधवकगामी बनाकर योगमागक म आग बढत ह व कई

परकार की लसदचधयो क माललक बन जात ह | ऊरधवकरता योगी परष क चररो म समसत लसदचधयाा दासी बनकर रहती ह | ऐसा ऊरधवकरता परष परमाननद को जकदी पा सकता ह अथाकत आसम-साकषासकार जकदी कर सकता ह |

दवताओ को दवसव भी इसी बरहमचयक क दवारा परापत हआ ह

बरहिचयण तपसा दवा ितयिपाघनत |

इनरो ह बरहिचयण दवभयः सवराभरत ||

lsquoबरहमचयकरपी तप स दवो न मसय को जीत ललया ह | दवराज इनि न भी बरहमचयक क परताप स ही दवताओ स अचधक सख व उचच पद को परापत ककया ह |rsquo

(अथवकवद 1519)

बरहमचयक बड़ा गर ह | वह ऐसा गर ह लजसस मनषटय को तनसय मदद लमलती ह और जीवन क सब

परकार क खतरो म सहायता लमलती ह |

(अनिम)

बरहिचयय उतकटि तप ह

ऐस तो तपसवी लोग कई परकार क तप करत ह परनत बरहमचयक क बार म भगवान शकर कहत ह

न तपसतप इतयाहबरयहिचय तपोततिि |

ऊधवयरता भवदयसत स दवो न त िानिः ||

lsquoबरहमचयक ही उसकषटट तप ह | इसस बढकर तपशचयाक तीनो लोको म दसरी नही हो सकती | ऊरधवकरता परष इस लोक म मनषटयरप म परसयकष दवता ही ह |rsquo

जन शासतरो म भी इस उसकषटट तप बताया गया ह |

तवस वा उतति बभचरि |

lsquoबरहमचयक सब तपो म उततम तप ह |rsquo

वीययरकषण ही जीवन ह

वीयक इस शरीररपी नगर का एक तरह स राजा ही ह | यह वीयकरपी राजा यदद पषटट ह बलवान ह

तो रोगरपी शतर कभी शरीररपी नगर पर आिमर नही करत | लजसका वीयकरपी राजा तनबकल ह उस

शरीररपी नगर को कई रोगरपी शतर आकर घर लत ह | इसीललए कहा गया ह

िरण बबनदोपातन जीवन बबनद ारणात |

lsquoतरबनदनाश (वीयकनाश) ही मसय ह और तरबनदरकषर ही जीवन ह |rsquo

जन गरथो म अबरहमचयक को पाप बताया गया ह

अबभचररय घोर पिाय दरहहठहठयि |

lsquoअबरहमचयक घोर परमादरप पाप ह |rsquo (दश वकाललक सतर 617)

lsquoअथवदrsquo म इस उसकषटट वरत की सजञा दी गई ह

वरति व व बरहिचययि |

वदयकशासतर म इसको परम बल कहा गया ह

बरहिचय पर बलि | lsquoबरहमचयक परम बल ह |rsquo

वीयकरकषर की मदहमा सभी न गायी ह | योगीराज गोरखनाथ न कहा ह

कत गया क कामिनी झ र | बबनद गया क जोगी ||

lsquoपतत क ववयोग म कालमनी तड़पती ह और वीयकपतन स योगी पशचाताप करता ह |rsquo

भगवान शकर न तो यहाा तक कह ददया कक इस बरहमचयक क परताप स ही मरी ऐसी महान मदहमा हई ह

यसय परसादानिहहिा ििापयतादशो भवत |

(अनिम)

आ तनक धचककतसको का ित

यरोप क परततलषटठत चचककससक भी भारतीय योचगयो क कथन का समथकन करत ह | डॉ तनकोल

कहत ह

ldquoयह एक भषलजक और ददहक तथय ह कक शरीर क सवोततम रकत स सतरी तथा परष दोनो ही जाततयो म परजनन तवव बनत ह | शदध तथा वयवलसथत जीवन म यह तवव पनः अवशोवषत हो जाता ह | यह सकषमतम मलसतषटक सनाय तथा मासपलशय ऊततको (Tissue) का तनमाकर करन क ललय तयार

होकर पनः पररसचारर म जाता ह | मनषटय का यह वीयक वापस ऊपर जाकर शरीर म ववकलसत होन पर उस तनभीक बलवान साहसी तथा वीर बनाता ह | यदद इसका अपवयय ककया गया तो यह उसको सतरर दबकल कशकलवर एव कामोततजनशील बनाता ह तथा उसक शरीर क अगो क कायकवयापार को ववकत एव सनायततर को लशचथल (दबकल) करता ह और उस लमगी (मगी) एव अनय अनक रोगो और

मसय का लशकार बना दता ह | जननलनिय क वयवहार की तनवतत स शारीररक मानलसक तथा अरधयालसमक बल म असाधारर वदचध होती ह |rdquo

परम धीर तथा अरधयवसायी वजञातनक अनसधानो स पता चला ह कक जब कभी भी रतःसराव को सरकषकषत रखा जाता तथा इस परकार शरीर म उसका पनवकशोषर ककया जाता ह तो वह रकत को समदध तथा मलसतषटक को बलवान बनाता ह |

डॉ डडओ लई कहत ह ldquoशारीररक बल मानलसक ओज तथा बौदचधक कशागरता क ललय इस तवव

का सरकषर परम आवशयक ह |rdquo

एक अनय लखक डॉ ई पी लमलर ललखत ह ldquoशिसराव का सवलचछक अथवा अनलचछक अपवयय

जीवनशलकत का परसयकष अपवयय ह | यह परायः सभी सवीकार करत ह कक रकत क सवोततम तवव

शिसराव की सरचना म परवश कर जात ह | यदद यह तनषटकषक ठीक ह तो इसका अथक यह हआ कक

वयलकत क ककयार क ललय जीवन म बरहमचयक परम आवशयक ह |rdquo

पलशचम क परखयात चचककससक कहत ह कक वीयककषय स ववशषकर तररावसथा म वीयककषय स ववववध परकार क रोग उसपनन होत ह | व ह शरीर म वरर चहर पर माहास अथवा ववसफोट नतरो क चतददकक नीली रखाय दाढी का अभाव धास हए नतर रकतकषीरता स पीला चहरा समततनाश दलषटट की कषीरता मतर क साथ वीयकसखलन अणडकोश की वदचध अणडकोशो म पीड़ा दबकलता तनिालता आलसय उदासी हदय-कमप शवासावरोध या कषटटशवास यकषमा पषटठशल कदटवात शोरोवदना सचध-पीड़ा दबकल वकक तनिा म मतर तनकल जाना मानलसक अलसथरता ववचारशलकत का अभाव दःसवपन

सवपन दोष तथा मानलसक अशातत |

उपरोकत रोग को लमटान का एकमातर ईलाज बरहमचयक ह | दवाइयो स या अनय उपचारो स य रोग सथायी रप स ठीक नही होत |

(अनिम)

वीयय कस बनता ह

वीयक शरीर की बहत मकयवान धात ह | भोजन स वीयक बनन की परकिया बड़ी लमबी ह | शरी सशरताचायक न ललखा ह

रसारकत ततो िास िासानिदः परजायत |

िदसयाषसथः ततो िजजा िजजाया शकरसभवः ||

जो भोजन पचता ह उसका पहल रस बनता ह | पााच ददन तक उसका पाचन होकर रकत बनता ह | पााच ददन बाद रकत म स मास उसम स 5-5 ददन क अतर स मद मद स हडडी हडडी स मजजा और मजजा स अत म वीयक बनता ह | सतरी म जो यह धात बनती ह उस lsquoरजrsquo कहत ह |

वीयक ककस परकार छः-सात मलजलो स गजरकर अपना यह अततम रप धारर करता ह यह सशरत क इस कथन स जञात हो जाता ह | कहत ह कक इस परकार वीयक बनन म करीब 30 ददन व 4 घणट लग जात ह | वजञतनक लोग कहत ह कक 32 ककलोगराम भोजन स 700 गराम रकत बनता ह और 700

गराम रकत स लगभग 20 गराम वीयक बनता ह |

(अनिम)

आकियक वयषकततव का कारण

इस वीयक क सयम स शरीर म एक अदभत आकषकक शलकत उसपनन होती ह लजस पराचीन वदय धनवतरर न lsquoओजrsquo नाम ददया ह | यही ओज मनषटय को अपन परम-लाभ lsquoआसमदशकनrsquo करान म सहायक बनता ह | आप जहाा-जहाा भी ककसी वयलकत क जीवन म कछ ववशषता चहर पर तज वारी म बल कायक म उससाह पायग वहाा समझो इस वीयक रकषर का ही चमसकार ह |

यदद एक साधारर सवसथ मनषटय एक ददन म 700 गराम भोजन क दहसाब स चालीस ददन म 32

ककलो भोजन कर तो समझो उसकी 40 ददन की कमाई लगभग 20 गराम वीयक होगी | 30 ददन अथाकत

महीन की करीब 15 गराम हई और 15 गराम या इसस कछ अचधक वीयक एक बार क मथन म परष

दवारा खचक होता ह |

िाली की कहानी

एक था माली | उसन अपना तन मन धन लगाकर कई ददनो तक पररशरम करक एक सनदर बगीचा तयार ककया | उस बगीच म भाातत-भाातत क मधर सगध यकत पषटप खखल | उन पषटपो को चनकर

उसन इकठठा ककया और उनका बदढया इतर तयार ककया | कफर उसन कया ककया समझ आप hellip उस

इतर को एक गदी नाली ( मोरी ) म बहा ददया |

अर इतन ददनो क पररशरम स तयार ककय गय इतर को लजसकी सगनध स सारा घर महकन वाला था उस नाली म बहा ददया आप कहग कक lsquoवह माली बड़ा मखक था पागल था helliprsquo मगर अपन आपम ही झााककर दख | वह माली कही और ढाढन की जररत नही ह | हमम स कई लोग ऐस ही माली ह |

वीयक बचपन स लकर आज तक यानी 15-20 वषो म तयार होकर ओजरप म शरीर म ववदयमान

रहकर तज बल और सफततक दता रहा | अभी भी जो करीब 30 ददन क पररशरम की कमाई थी उस या ही सामानय आवग म आकर अवववकपवकक खचक कर दना कहाा की बदचधमानी ह

कया यह उस माली जसा ही कमक नही ह वह माली तो दो-चार बार यह भल करन क बाद ककसी क समझान पर साभल भी गया होगा कफर वही-की-वही भल नही दोहराई होगी परनत आज तो कई लोग वही भल दोहरात रहत ह | अत म पशचाताप ही हाथ लगता ह |

कषखरक सख क ललय वयलकत कामानध होकर बड़ उससाह स इस मथनरपी कसय म पड़ता ह परनत कसय परा होत ही वह मद जसा हो जाता ह | होगा ही | उस पता ही नही कक सख तो नही लमला कवल सखाभास हआ परनत उसम उसन 30-40 ददन की अपनी कमाई खो दी |

यवावसथा आन तक वीयकसचय होता ह वह शरीर म ओज क रप म लसथत रहता ह | वह तो वीयककषय स नषटट होता ही ह अतत मथन स तो हडडडयो म स भी कछ सफद अश तनकलन लगता ह

लजसस असयचधक कमजोर होकर लोग नपसक भी बन जात ह | कफर व ककसी क सममख आाख

उठाकर भी नही दख पात | उनका जीवन नारकीय बन जाता ह |

वीयकरकषर का इतना महसव होन क कारर ही कब मथन करना ककसस मथन करना जीवन म ककतनी बार करना आदद तनदशन हमार ॠवष-मतनयो न शासतरो म द रख ह |

(अनिम)

सषटि करि क मलए िथन एक पराकततक वयवसथा

शरीर स वीयक-वयय यह कोई कषखरक सख क ललय परकतत की वयवसथा नही ह | सनतानोसपवतत क ललय इसका वासतववक उपयोग ह | यह परकतत की वयवसथा ह |

यह सलषटट चलती रह इसक ललए सनतानोसपवतत होना जररी ह | परकतत म हर परकार की वनसपतत व परारीवगक म यह काम-परववतत सवभावतः पाई जाती ह | इस काम- परववतत क वशीभत होकर हर परारी मथन करता ह और उसका रततसख भी उस लमलता ह | ककनत इस पराकततक वयवसथा को ही बार-बार कषखरक सख का आधार बना लना कहाा की बदचधमानी ह पश भी अपनी ॠत क अनसार ही इस

कामवतत म परवत होत ह और सवसथ रहत ह तो कया मनषटय पश वगक स भी गया बीता ह पशओ म तो बदचधतसव ववकलसत नही होता परनत मनषटय म तो उसका परक ववकास होता ह |

आहारतनराभयिथन च सािानयिततपशमभनयराणाि |

भोजन करना भयभीत होना मथन करना और सो जाना यह तो पश भी करत ह | पश शरीर म रहकर हम यह सब करत आए ह | अब यह मनषटय शरीर लमला ह | अब भी यदद बदचध और

वववकपरक अपन जीवन को नही चलाया और कषखरक सखो क पीछ ही दौड़त रह तो कस अपन मल

लकषय पर पहाच पायग

(अनिम)

सहजता की आड़ ि भरमित न होव कई लोग तकक दन लग जात ह ldquoशासतरो म पढन को लमलता ह और जञानी महापरषो क

मखारववनद स भी सनन म आता ह कक सहज जीवन जीना चादहए | काम करन की इचछा हई तो काम ककया भख लगी तो भोजन ककया नीद आई तो सो गय | जीवन म कोई lsquoटनशनrsquo कोई तनाव

नही होना चादहए | आजकल क तमाम रोग इसी तनाव क ही फल ह hellip ऐसा मनोवजञातनक कहत ह | अतः जीवन सहज और सरल होना चादहए | कबीरदास जी न भी कहा ह सा ो सहज सिाध भली |rdquo

ऐसा तकक दकर भी कई लोग अपन काम-ववकार की तलपत को सहमतत द दत ह | परनत यह अपन आपको धोखा दन जसा ह | ऐस लोगो को खबर ही नही ह कक ऐसा सहज जीवन तो महापरषो का होता ह लजनक मन और बदचध अपन अचधकार म होत ह लजनको अब ससार म अपन ललय पान को कछ भी शष नही बचा ह लजनह मान-अपमान की चचनता नही होती ह | व उस आसमतवव म लसथत हो जात ह जहाा न पतन ह न उसथान | उनको सदव लमलत रहन वाल आननद म अब ससार क ववषय न तो वदचध कर सकत ह न अभाव | ववषय-भोग उन महान परषो को आकवषकत करक अब बहका या भटका नही सकत | इसललए अब उनक सममख भल ही ववषय-सामचगरयो का ढर लग जाय ककनत उनकी चतना इतनी जागत होती ह कक व चाह तो उनका उपयोग कर और चाह तो ठकरा द |

बाहरी ववषयो की बात छोड़ो अपन शरीर स भी उनका ममसव टट चका होता ह | शरीर रह अथवा न रह- इसम भी उनका आगरह नही रहता | ऐस आननदसवरप म व अपन-आपको हर समय अनभव

करत रहत ह | ऐसी अवसथावालो क ललय कबीर जी न कहा ह

सा ो सहज सिाध भली |

(अनिम)

अपन को तोल हम यदद ऐसी अवसथा म ह तब तो ठीक ह | अनयथा रधयान रह ऐस तकक की आड़ म हम अपन को धोखा दकर अपना ही पतन कर डालग | जरा अपनी अवसथा की तलना उनकी अवसथा स कर | हम तो कोई हमारा अपमान कर द तो िोचधत हो उठत ह बदला तक लन को तयार हो जात ह | हम

लाभ-हातन म सम नही रहत ह | राग-दवष हमारा जीवन ह | lsquoमरा-तराrsquo भी वसा ही बना हआ ह | lsquoमरा धन hellip मरा मकान hellip मरी पसनी hellip मरा पसा hellip मरा लमतर hellip मरा बटा hellip मरी इजजत hellip मरा पद helliprsquo

य सब ससय भासत ह कक नही यही तो दहभाव ह जीवभाव ह | हम इसस ऊपर उठ कर वयवहार कर सकत ह कया यह जरा सोच |

कई साध लोग भी इस दहभाव स छटकारा नही पा सक सामानय जन की तो बात ही कया कई

साध भी lsquoम लसतरयो की तरफ दखता ही नही हा hellip म पस को छता ही नही हा helliprsquo इस परकार की अपनी-अपनी मन और बदचध की पकड़ो म उलझ हए ह | व भी अपना जीवन अभी सहज नही कर पाए ह और हम hellip

हम अपन साधारर जीवन को ही सहज जीवन का नाम दकर ववषयो म पड़ रहना चाहत ह | कही लमठाई दखी तो माह म पानी भर आया | अपन सबधी और ररशतदारो को कोई दःख हआ तो भीतर स हम भी दःखी होन लग गय | वयापार म घाटा हआ तो माह छोटा हो गया | कही अपन घर स जयादा ददन दर रह तो बार-बार अपन घरवालो की पसनी और पतरो की याद सतान लगी | य कोई सहज जीवन क लकषर ह लजसकी ओर जञानी महापरषो का सकत ह नही |

(अनिम)

िनोतनगरह की िहहिा आज कल क नौजवानो क साथ बड़ा अनयाय हो रहा ह | उन पर चारो ओर स ववकारो को भड़कान वाल आिमर होत रहत ह |

एक तो वस ही अपनी पाशवी ववततयाा यौन उचछखलता की ओर परोससादहत करती ह और दसर

सामालजक पररलसथततयाा भी उसी ओर आकषकर बढाती ह hellip इस पर उन परववततयो को वौजञातनक

समथकन लमलन लग और सयम को हातनकारक बताया जान लग hellip कछ तथाकचथत आचायक भी फरायड जस नालसतक एव अधर मनोवजञातनक क वयलभचारशासतर को आधार बनाकर lsquoसभोग स सिाध rsquo का उपदश दन लग तब तो ईशवर ही बरहमचयक और दामपसय जीवन की पववतरता का रकषक ह |

16 लसतमबर 1977 क lsquoनययॉकक टाइमस म छपा था

ldquoअमररकन पनल कहती ह कक अमररका म दो करोड़ स अचधक लोगो को मानलसक चचककससा की आवशयकता ह |rdquo

उपरोकत परररामो को दखत हए अमररका क एक महान लखक समपादक और लशकषा ववशारद शरी मादटकन गरोस अपनी पसतक lsquoThe Psychological Societyrsquo म ललखत ह ldquoहम लजतना समझत ह उसस कही जयादा फरायड क मानलसक रोगो न हमार मानस और समाज म गहरा परवश पा ललया ह |

यदद हम इतना जान ल कक उसकी बात परायः उसक ववकत मानस क ही परतततरबमब ह और उसकी मानलसक ववकततयो वाल वयलकतसव को पहचान ल तो उसक ववकत परभाव स बचन म सहायता लमल

सकती ह | अब हम डॉ फरायड की छाया म तरबककल नही रहना चादहए |rdquo

आधतनक मनोववजञान का मानलसक ववशलषर मनोरोग शासतर और मानलसक रोग की चचककससा hellip

य फरायड क रगर मन क परतततरबमब ह | फरायड सवय सफदटक कोलोन परायः सदा रहन वाला मानलसक

अवसाद सनायववक रोग सजातीय समबनध ववकत सवभाव माईगरन कबज परवास मसय और धननाश भय साईनोसाइदटस घरा और खनी ववचारो क दौर आदद रोगो स पीडडत था |

परोफसर एडलर और परोफसर सी जी जग जस मधकनय मनोवजञातनको न फरायड क

लसदधातो का खडन कर ददया ह कफर भी यह खद की बात ह कक भारत म अभी भी कई मानलसक

रोग ववशषजञ और सकसोलॉलजसट फरायड जस पागल वयलकत क लसदधातो को आधार लकर इस दश क जवानो को अनततक और अपराकततक मथन (Sex) का सभोग का उपदश वततकमान पतरो और

सामयोको क दवारा दत रहत ह | फरायड न तो मसय क पहल अपन पागलपन को सवीकार ककया था लककन उसक लककन उसक सवय सवीकार न भी कर तो भी अनयायी तो पागल क ही मान जायग | अब व इस दश क लोगो को चररतरभरषटट करन का और गमराह करन का पागलपन छोड़ द ऐसी हमारी नमर पराथकना ह | यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पााच बार पढ और पढाएा- इसी म सभी का ककयार तनदहत ह |

आाकड़ बतात ह कक आज पाशचासय दशो म यौन सदाचार की ककतनी दगकतत हई ह इस दगकतत

क परररामसवरप वहाा क तनवालसयो क वयलकतगत जीवन म रोग इतन बढ गय ह कक भारत स 10

गनी जयादा दवाइयाा अमररका म खचक होती ह जबकक भारत की आबादी अमररका स तीन गनी जयादा ह | मानलसक रोग इतन बढ ह कक हर दस अमररकन म स एक को मानलसक रोग होता ह | दवाकसनाएा इतनी बढी ह कक हर छः सकणड म एक बलासकार होता ह और हर वषक लगभग 20 लाख कनयाएा वववाह क पवक ही गभकवती हो जाती ह | मकत साहचयक (free sex) का दहमायती होन क कारर शादी क पहल वहाा का परायः हर वयलकत जातीय सबध बनान लगता ह | इसी वजह स लगभग 65 शाददयाा तलाक म बदल जाती ह | मनषटय क ललय परकतत दवारा तनधाकररत ककय गय सयम का उपहास करन क कारर परकतत न उन लोगो को जातीय रोगो का लशकार बना रखा ह | उनम मखयतः एडस (AIDS) की बीमारी ददन दनी रात चौगनी फलती जा रही ह | वहाा क पाररवाररक व सामालजक जीवन म िोध

कलह असतोष सताप उचछखलता उदयडता और शतरता का महा भयानक वातावरर छा गया ह |

ववशव की लगभग 4 जनसखया अमररका म ह | उसक उपभोग क ललय ववशव की लगभग 40

साधन-सामगरी (जस कक कार टी वी वातानकललत मकान आदद) मौजद ह कफर भी वहाा अपराधवतत

इतनी बढी ह की हर 10 सकणड म एक सधमारी होती ह हर लाख वयलकतयो म स 425 वयलकत

कारागार म सजा भोग रह ह जबकक भारत म हर लाख वयलकत म स कवल 23 वयलकत ही जल की सजा काट रह ह |

कामकता क समथकक फरायड जस दाशकतनको की ही यह दन ह कक लजनहोन पशचासय दशो को मनोववजञान क नाम पर बहत परभाववत ककया ह और वही स यह आाधी अब इस दश म भी फलती जा रही ह | अतः इस दश की भी अमररका जसी अवदशा हो उसक पहल हम सावधान रहना पड़गा | यहाा क कछ अववचारी दाशकतनक भी फरायड क मनोववजञान क आधार पर यवानो को बलगाम सभोग की तरफ उससादहत कर रह ह लजसस हमारी यवापीढी गमराह हो रही ह | फरायड न तो कवल मनोवजञातनक

मानयताओ क आधार पर वयलभचार शासतर बनाया लककन तथाकचथत दाशकतनक न तो lsquoसभोग स सिाध rsquo की पररककपना दवारा वयलभचार को आरधयालसमक जामा पहनाकर धालमकक लोगो को भी भरषटट ककया ह | सभोग स सिाध नही होती सतयानाश होता ह | lsquoसयम स ही समाचध होती ह helliprsquo इस भारतीय मनोववजञान को अब पाशचासय मनोववजञानी भी ससय मानन लग ह |

जब पलशचम क दशो म जञान-ववजञान का ववकास परारमभ भी नही हआ था और मानव न ससकतत क कषतर म परवश भी नही ककया था उस समय भारतवषक क दाशकतनक और योगी मानव मनोववजञान क ववलभनन पहलओ और समसयाओ पर गमभीरता पवकक ववचार कर रह थ | कफर भी पाशचासय ववजञान की छतरछाया म पल हए और उसक परकाश स चकाचौध वततकमान भारत क मनोवजञातनक भारतीय

मनोववजञान का अलसतवव तक मानन को तयार नही ह | यह खद की बात ह | भारतीय मनोवजञातनको न चतना क चार सतर मान ह जागरत सवपन सषलपत और तरीय | पाशचासय मनोवजञातनक परथम तीन सतर को ही जानत ह | पाशचासय मनोववजञान नालसतक ह | भारतीय मनोववजञान ही आसमववकास

और चररतर तनमाकर म सबस अचधक उपयोगी लसदध हआ ह कयोकक यह धमक स असयचधक परभाववत ह | भारतीय मनोववजञान आसमजञान और आसम सधार म सबस अचधक सहायक लसदध होता ह | इसम बरी आदतो को छोड़न और अचछी आदतो को अपनान तथा मन की परकियाओ को समझन तथा उसका तनयतरर करन क महसवपरक उपाय बताय गय ह | इसकी सहायता स मनषटय सखी सवसथ और

सममातनत जीवन जी सकता ह |

पलशचम की मनोवजञातनक मानयताओ क आधार पर ववशवशातत का भवन खड़ा करना बाल की नीव पर भवन-तनमाकर करन क समान ह | पाशचासय मनोववजञान का पररराम वपछल दो ववशवयदधो क रप म ददखलायी पड़ता ह | यह दोष आज पलशचम क मनोवजञातनको की समझ म आ रहा ह | जबकक

भारतीय मनोववजञान मनषटय का दवी रपानतरर करक उसक ववकास को आग बढाना चाहता ह | उसक

lsquoअनकता म एकताrsquo क लसदधात पर ही ससार क ववलभनन राषटरो सामालजक वगो धमो और परजाततयो

म सदहषटरता ही नही सकिय सहयोग उसपनन ककया जा सकता ह | भारतीय मनोववजञान म शरीर और

मन पर भोजन का कया परभाव पड़ता ह इस ववषय स लकर शरीर म ववलभनन चिो की लसथतत

कणडललनी की लसथतत वीयक को ऊरधवकगामी बनान की परकिया आदद ववषयो पर ववसतारपवकक चचाक की गई ह | पाशचासय मनोववजञान मानव-वयवहार का ववजञान ह | भारतीय मनोववजञान मानस ववजञान क साथ-साथ आसमववजञान ह | भारतीय मनोववजञान इलनियतनयतरर पर ववशष बल दता ह जबकक पाशचासय मनोववजञान कवल मानलसक कियाओ या मलसतषटक-सगठन पर बल दता ह | उसम मन दवारा मानलसक जगत का ही अरधययन ककया जाता ह | उसम भी परायड का मनोववजञान तो एक रगर मन क दवारा अनय रगर मनो का ही अरधययन ह जबकक भारतीय मनोववजञान म इलनिय-तनरोध स मनोतनरोध और मनोतनरोध स आसमलसदचध का ही लकषय मानकर अरधययन ककया जाता ह | पाशचासय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत का कोई समचचत साधन पररलकषकषत नही होता जो उसक वयलकतसव म तनदहत तनषधासमक पररवशो क ललए सथायी तनदान परसतत कर सक | इसललए परायड क लाखो बदचधमान अनयायी भी पागल हो गय | सभोग क मागक पर चलकर कोई भी वयलकत योगलसदध महापरष नही हआ | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह |

ऐस कई नमन हमन दख ह | इसक ववपरीत भारतीय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत क ववलभनन उपाय बताय गय ह यथा योगमागक साधन-चतषटटय शभ-ससकार सससगतत अभयास

वरागय जञान भलकत तनषटकाम कमक आदद | इन साधनो क तनयलमत अभयास स सगदठत एव समायोलजत वयलकतसव का तनमाकर सभव ह | इसललय भारतीय मनोववजञान क अनयायी पाखरतन और महाकवव काललदास जस परारमभ म अकपबदचध होन पर भी महान ववदवान हो गय | भारतीय मनोववजञान न इस ववशव को हजारो महान भकत समथक योगी तथा बरहमजञानी महापरष ददय ह |

अतः पाशचासय मनोववजञान को छोड़कर भारतीय मनोववजञान का आशरय लन म ही वयलकत कटमब समाज राषटर और ववशव का ककयार तनदहत ह |

भारतीय मनोववजञान पतजलल क लसदधातो पर चलनवाल हजारो योगालसदध महापरष इस दश म हए ह अभी भी ह और आग भी होत रहग जबकक सभोग क मागक पर चलकर कोई योगलसदध महापरष हआ हो ऐसा हमन तो नही सना बलकक दबकल हए रोगी हए एड़स क लशकार हए अकाल मसय क लशकार हए खखनन मानस हए अशात हए | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह ऐस कई नमन हमन दख ह |

फरायड न अपनी मनःलसथतत की तराज पर सारी दतनया क लोगो को तौलन की गलती की ह | उसका अपना जीवन-िम कछ बतक ढग स ववकलसत हआ ह | उसकी माता अमललया बड़ी खबसरत थी | उसन योकोव नामक एक अनय परष क साथ अपना दसरा वववाह ककया था | जब फरायड जनमा तब वह २१ वषक की थी | बचच को वह बहत पयार करती थी |

य घटनाएा फरायड न सवय ललखी ह | इन घटनाओ क अधार पर फरायड कहता ह ldquoपरष बचपन स ही ईडडपस कॉमपलकस (Oedipus Complex) अथाकत अवचतन मन म अपनी माा क परतत यौन-आकाकषा स आकवषकत होता ह तथा अपन वपता क परतत यौन-ईषटयाक स गरलसत रहता ह | ऐस ही लड़की अपन बाप क परतत आकवषकत होती ह तथा अपनी माा स ईषटयाक करती ह | इस इलकरा कोऊमपलकस (Electra Complex) कहत ह | तीन वषक की आय स ही बचचा अपनी माा क साथ यौन-समबनध सथावपत करन क ललय लालातयत रहता ह | एकाध साल क बाद जब उस पता चलता ह कक उसकी माा क साथ तो बाप का वसा सबध पहल स ही ह तो उसक मन म बाप क परतत ईषटयाक और घरा जाग पड़ती ह | यह ववदवष उसक अवचतन मन म आजीवन बना रहता ह | इसी परकार लड़की अपन बाप क परतत सोचती ह और माा स ईषटयाक करती ह |

फरायड आग कहता ह इस मानलसक अवरोध क कारर मनषटय की गतत रक जाती ह |

ईडडपस कोऊमपलकस उसक सामन तरह-तरह क अवरोध खड़ करता ह | यह लसथतत कोई अपवाद नही ह वरन साधाररतया यही होता ह |

यह ककतना घखरत और हासयासपद परततपादन ह छोटा बचचा यौनाकाकषा स पीडडत होगा सो भी अपनी माा क परतत पश-पकषकषयो क बचच क शरीर म भी वासना तब उठती ह जब उनक शरीर परजनन क योगय सदढ हो जात ह | तो मनषटय क बालक म यह ववतत इतनी छोटी आय म कस पदा हो सकती ह और माा क साथ वसी तलपत करन कक उसकी शाररररक-मानलसक लसथतत भी नही होती | कफर तीन वषक क बालक को काम-किया और माा-बाप क रत रहन की जानकारी उस कहाा स हो जाती ह कफर वह यह कस समझ लता ह कक उस बाप स ईषटयाक करनी चादहए

बचच दवारा माा का दध पीन की किया को ऐस मनोववजञातनयो न रततसख क समककष बतलाया ह | यदद इस सतनपान को रततसख माना जाय तब तो आय बढन क साथ-साथ यह उसकठा भी परबलतर होती जानी चादहए और वयसक होन तक बालक को माता का दध ही पीत रहना चादहए | ककनत यह ककस परकार सभव ह

तो य ऐस बतक परततपादन ह कक लजनकी भससकना ही की जानी चादहए | फरायड न अपनी मानलसक ववकततयो को जनसाधारर पर थोपकर मनोववजञान को ववकत बना ददया |

जो लोग मानव समाज को पशता म चगरान स बचाना चाहत ह भावी पीढी का जीवन वपशाच होन स बचाना चाहत ह यवानो का शारीररक सवासथय मानलसक परसननता और बौदचधक सामथयक बनाय रखना चाहत ह इस दश क नागररको को एडस (AIDS) जसी घातक बीमाररयो स गरसत होन स रोकना चाहत ह सवसथ समाज का तनमाकर करना चाहत ह उन सबका यह नततक कववयक ह कक व हमारी गमराह यवा पीढी को यौवन सरकषा जसी पसतक पढाय |

यदद काम-ववकार उठा और हमन यह ठीक नही ह इसस मर बल-बदचध और तज का नाश होगा ऐसा समझकर उसको टाला नही और उसकी पतत क म लमपट होकर लग गय तो हमम और पशओ म अतर ही कया रहा पश तो जब उनकी कोई ववशष ऋत होती ह तभी मथन करत ह बाकी ऋतओ म नही | इस दलषटट स उनका जीवन सहज व पराकततक ढग का होता ह | परत मनषटय

मनषटय तो बारहो महीन काम-किया की छट लकर बठा ह और ऊपर स यह भी कहता ह कक यदद काम-वासना की पतत क करक सख नही ललया तो कफर ईशवर न मनषटय म जो इसकी रचना की ह उसका कया मतलब आप अपन को वववकपरक रोक नही पात हो छोट-छोट सखो म उलझ जात हो- इसका तो कभी खयाल ही नही करत और ऊपर स भगवान तक को अपन पापकमो म भागीदार बनाना चाहत हो

(अनिम)

आतिघाती तकय अभी कछ समय पवक मर पास एक पतर आया | उसम एक वयलकत न पछा था ldquoआपन सससग म कहा और एक पलसतका म भी परकालशत हआ कक lsquoबीड़ी लसगरट तमबाक आदद मत वपयो | ऐस वयसनो स बचो कयोकक य तमहार बल और तज का हरर करत ह helliprsquo यदद ऐसा ही ह तो भगवान न तमबाक आदद पदा ही कयो ककया rdquo

अब उन सजजन स य वयसन तो छोड़ नही जात और लग ह भगवान क पीछ | भगवान न गलाब क साथ कााट भी पदा ककय ह | आप फल छोड़कर कााट तो नही तोड़त भगवान न आग भी पदा की ह | आप उसम भोजन पकात हो अपना घर तो नही जलात भगवान न आक (मदार) धतर बबल आदद भी बनाय ह मगर उनकी तो आप सबजी नही बनात इन सब म तो आप अपनी बदचध का उपयोग करक वयवहार करत हो और जहाा आप हार जात हो जब आपका मन आपक कहन म नही होता तो आप लगत हो भगवान को दोष दन अर भगवान न तो बादाम-वपसत भी पदा ककय ह दध भी पदा ककया ह | उपयोग करना ह तो इनका करो जो आपक बल और बदचध की वदचध कर | पसा ही खचकना ह तो इनम खचो | यह तो होता नही और लग ह तमबाक क पीछ | यह बदचध का सदपयोग नही ह दरपयोग ह | तमबाक पीन स तो बदचध और भी कमजोर हो जायगी |

शरीर क बल बदचध की सरकषा क ललय वीयकरकषर बहत आवशयक ह | योगदशकन क lsquoसाधपादrsquo म बरहमचयक की महतता इन शबदो म बतायी गयी ह

बरहिचययपरततटठाया वीययलाभः ||37||

बरहमचयक की दढ लसथतत हो जान पर सामथयक का लाभ होता ह |

(अनिम)

सतरी परसग ककतनी बार

कफर भी यदद कोई जान-बझकर अपन सामथयक को खोकर शरीहीन बनना चाहता हो तो यह यनान

क परलसदध दाशकतनक सकरात क इन परलसदध वचनो को सदव याद रख | सकरात स एक वयलकत न पछा

ldquoपरष क ललए ककतनी बार सतरी-परसग करना उचचत ह rdquo

ldquoजीवन भर म कवल एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस तलपत न हो सक तो rdquo

ldquoतो वषक म एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस भी सतोष न हो तो rdquo

ldquoकफर महीन म एक बार |rdquo

इसस भी मन न भर तो rdquo

ldquoतो महीन म दो बार कर परनत मसय शीघर आ जायगी |rdquo

ldquoइतन पर भी इचछा बनी रह तो कया कर rdquo

इस पर सकरात न कहा

ldquoतो ऐसा कर कक पहल कबर खदवा ल कफर कफन और लकड़ी घर म लाकर तयार रख | उसक

पशचात जो इचछा हो सो कर |rdquo

सकरात क य वचन सचमच बड़ परररापरद ह | वीयककषय क दवारा लजस-लजसन भी सख लन का परयास ककया ह उनह घोर तनराशा हाथ लगी ह और अनत म शरीहीन होकर मसय का गरास बनना पड़ा

ह | कामभोग दवारा कभी तलपत नही होती और अपना अमकय जीवन वयथक चला जाता ह | राजा ययातत की कथा तो आपन सनी होगी |

(अनिम)

राजा ययातत का अनभव

शिाचायक क शाप स राजा ययातत यवावसथा म ही वदध हो गय थ | परनत बाद म ययातत क पराथकना करन पर शिाचायक न दयावश उनको यह शलकत द दी कक व चाह तो अपन पतरो स यवावसथा लकर अपना वाधककय उनह द सकत थ | तब ययातत न अपन पतर यद तवकस िहय और अन स उनकी जवानी माागी मगर व राजी न हए | अत म छोट पतर पर न अपन वपता को अपना यौवन दकर उनका बढापा ल ललया |

पनः यवा होकर ययातत न कफर स भोग भोगना शर ककया | व ननदनवन म ववशवाची नामक अपसरा क साथ रमर करन लग | इस परकार एक हजार वषक तक भोग भोगन क बाद भी भोगो स

जब व सतषटट नही हए तो उनहोन अपना बचा हआ यौवन अपन पतर पर को लौटात हए कहा

न जात कािः कािानािपभोगन शामयतत |

हषविा कटणवतिव भ य एवामभव यत ||

ldquoपतर मन तमहारी जवानी लकर अपनी रचच उससाह और समय क अनसार ववषटयो का सवन ककया लककन ववषयो की कामना उनक उपभोग स कभी शात नही होती अवपत घी की आहतत पड़न पर अलगन की भाातत वह अचधकाचधक बढती ही जाती ह |

रसनो स जड़ी हई सारी पथवी ससार का सारा सवरक पश और सनदर लसतरयाा व सब एक परष को लमल जाय तो भी व सबक सब उसक ललय पयाकपत नही होग | अतः तषटरा का सयाग कर दना चादहए |

छोटी बदचधवाल लोगो क ललए लजसका सयाग करना असयत कदठन ह जो मनषटय क बढ होन पर

भी सवय बढी नही होती तथा जो एक परारानतक रोग ह उस तषटरा को सयाग दनवाल परष को ही सख लमलता ह |rdquo (महाभारत आददपवाकखर सभवपवक 12)

ययातत का अनभव वसततः बड़ा मालमकक और मनषटय जातत ल ललय दहतकारी ह | ययातत आग कहत ह

ldquoपतर दखो मर एक हजार वषक ववषयो को भोगन म बीत गय तो भी तषटरा शात नही होती और आज भी परततददन उन ववषयो क ललय ही तषटरा पदा होती ह |

प ण वियसहसर ि षवियासकतचतसः |

तथापयनहदन तटणा िितटवमभजायत ||

इसललए पतर अब म ववषयो को छोड़कर बरहमाभयास म मन लगाऊा गा | तनदकवनदव तथा ममतारदहत होकर वन म मगो क साथ ववचरा गा | ह पतर तमहारा भला हो | तम पर म परसनन हा | अब तम अपनी जवानी पनः परापत करो और म यह राजय भी तमह ही अपकर करता हा |

इस परकार अपन पतर पर को राजय दकर ययातत न तपसया हत वनगमन ककया | उसी राजा पर स पौरव वश चला | उसी वश म परीकषकषत का पतर राजा जनमजय पदा हआ था |

(अनिम)

राजा िचकनद का परसग

राजा मचकनद गगाकचायक क दशकन-सससग क फलसवरप भगवान का दशकन पात ह | भगवान स सततत करत हए व कहत ह

ldquoपरभो मझ आपकी दढ भलकत दो |rdquo

तब भगवान कहत ह ldquoतन जवानी म खब भोग भोग ह ववकारो म खब डबा ह | ववकारी जीवन

जीनवाल को दढ भलकत नही लमलती | मचकनद दढ भलकत क ललए जीवन म सयम बहत जररी ह |

तरा यह कषतरतरय शरीर समापत होगा तब दसर जनम म तझ दढ भलकत परापत होगी |rdquo

वही राजा मचकनद कललयग म नरलसह महता हए |

जो लोग अपन जीवन म वीयकरकषा को महसव नही दत व जरा सोच कक कही व भी राजा ययातत का तो अनसरर नही कर रह ह यदद कर रह हो तो जस ययातत सावधान हो गय वस आप भी सावधान हो जाओ भया दहममत करो | सयान हो जाओ | दया करो | हम पर दया न करो तो अपन-आप पर तो दया करो भया दहममत करो भया सयान हो जाओ मर पयार जो हो गया उसकी चचनता न करो | आज स नवजीवन का परारभ करो | बरहमचयकरकषा क आसन पराकततक औषचधयाा इसयादद जानकर वीर बनो | ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

(अनिम)

गलत अभयास का दटपररणाि

आज ससार म ककतन ही ऐस अभाग लोग ह जो शगार रस की पसतक पढकर लसनमाओ क कपरभाव क लशकार होकर सवपनावसथा या जागरतावसथा म अथवा तो हसतमथन दवारा सपताह म ककतनी बार वीयकनाश कर लत ह | शरीर और मन को ऐसी आदत डालन स वीयाकशय बार-बार खाली होता रहता ह | उस वीयाकशय को भरन म ही शारीररक शलकत का अचधकतर भाग वयय होन लगता ह

लजसस शरीर को काततमान बनान वाला ओज सचचत ही नही हो पाता और वयलकत शलकतहीन

ओजहीन और उससाहशनय बन जाता ह | ऐस वयलकत का वीयक पतला पड़ता जाता ह | यदद वह समय पर अपन को साभाल नही सक तो शीघर ही वह लसथतत आ जाती ह कक उसक अणडकोश वीयक बनान म असमथक हो जात ह | कफर भी यदद थोड़ा बहत वीयक बनता ह तो वह भी पानी जसा ही बनता ह

लजसम सनतानोसपवतत की ताकत नही होती | उसका जीवन जीवन नही रहता | ऐस वयलकत की हालत मतक परष जसी हो जाती ह | सब परकार क रोग उस घर लत ह | कोई दवा उस पर असर नही कर पाती | वह वयलकत जीत जी नकक का दःख भोगता रहता ह | शासतरकारो न ललखा ह

आयसतजोबल वीय परजञा शरीशच िहदयशः |

पणय च परीततितव च हनयतऽबरहिचयाय ||

lsquoआय तज बल वीयक बदचध लकषमी कीततक यश तथा पणय और परीतत य सब बरहमचयक का पालन न करन स नषटट हो जात ह |rsquo

(अनिम)

वीययरकषण सदव सततय

इसीललए वीयकरकषा सतसय ह | lsquoअथवकवद म कहा गया ह

अतत सटिो अपा विभोऽततसटिा अगनयो हदवया ||1||

इद तितत सजामि त िाऽभयवतनकषकष ||2||

अथाकत lsquoशरीर म वयापत वीयक रपी जल को बाहर ल जान वाल शरीर स अलग कर दन वाल काम

को मन पर हटा ददया ह | अब म इस काम को अपन स सवकथा दर फ कता हा | म इस आरोगयता बल-बदचधनाशक काम का कभी लशकार नही होऊा गा |rsquo

hellip और इस परकार क सककप स अपन जीवन का तनमाकर न करक जो वयलकत वीयकनाश करता रहता ह उसकी कया गतत होगी इसका भी lsquoअथवकवदrsquo म उकलख आता ह

रजन परररजन िणन पररिणन |

मरोको िनोहा खनो तनदायह आतिद षिसतन द षिः ||

यह काम रोगी बनान वाला ह बहत बरी तरह रोगी करन वाला ह | मरन यानी मार दन वाला ह |

पररमरन यानी बहत बरी तरह मारन वाला ह |यह टढी चाल चलता ह मानलसक शलकतयो को नषटट कर दता ह | शरीर म स सवासथय बल आरोगयता आदद को खोद-खोदकर बाहर फ क दता ह | शरीर की सब धातओ को जला दता ह | आसमा को मललन कर दता ह | शरीर क वात वपतत कफ को दवषत करक उस तजोहीन बना दता ह |

बरहमचयक क बल स ही अगारपरक जस बलशाली गधवकराज को अजकन न परालजत कर ददया था |

(अनिम)

अजयन और अगारपणय ग वय अजकन अपन भाईयो सदहत िौपदी क सवयवर-सथल पाचाल दश की ओर जा रहा था तब बीच म गगा तट पर बस सोमाशरयार तीथक म गधवकराज अगारपरक (चचतररथ) न उसका रासता रोक ददया | वह गगा म अपनी लसतरयो क साथ जलकिड़ा कर रहा था | उसन पााचो पाडवो को कहा ldquoमर यहाा रहत हए

राकषस यकष दवता अथवा मनषटय कोई भी इस मागक स नही जा सकता | तम लोग जान की खर चाहत हो तो लौट जाओ |rdquo

तब अजकन कहता ह

ldquoम जानता हा कक समपरक गधवक मनषटयो स अचधक शलकतशाली होत ह कफर भी मर आग तमहारी दाल नही गलगी | तमह जो करना हो सो करो हम तो इधर स ही जायग |rdquo

अजकन क इस परततवाद स गधवक बहत िोचधत हआ और उसन पाडवो पर तीकषर बार छोड़ | अजकन

न अपन हाथ म जो जलती हई मशाल पकड़ी थी उसीस उसक सभी बारो को तनषटफल कर ददया | कफर गधवक पर आगनय असतर चला ददया | असतर क तज स गधवक का रथ जलकर भसम हो गया और

वह सवय घायल एव अचत होकर माह क बल चगर पड़ा | यह दखकर उस गधवक की पसनी कममीनसी बहत घबराई और अपन पतत की रकषाथक यचधलषटठर स पराथकना करन लगी | तब यचधलषटठर न अजकन स उस गधवक को अभयदान ददलवाया |

जब वह अगारपरक होश म आया तब बोला

ldquoअजकन म परासत हो गया इसललए अपन पवक नाम अगारपरक को छोड़ दता हा | म अपन ववचचतर

रथ क कारर चचतररथ कहलाता था | वह रथ भी आपन अपन परािम स दगध कर ददया ह | अतः अब

म दगधरथ कहलाऊा गा |

मर पास चाकषषी नामक ववदया ह लजस मन न सोम को सोम न ववशवावस को और ववशवावस न मझ परदान की ह | यह गर की ववदया यदद ककसी कायर को लमल जाय तो नषटट हो जाती ह | जो छः महीन तक एक पर पर खड़ा रहकर तपसया कर वही इस ववदया को पा सकता ह | परनत अजकन म आपको ऐसी तपसया क तरबना ही यह ववदया परदान करता हा |

इस ववदया की ववशषता यह ह कक तीनो लोको म कही भी लसथत ककसी वसत को आाख स दखन की इचछा हो तो उस उसी रप म इस ववदया क परभाव स कोई भी वयलकत दख सकता ह | अजकन

इस ववदया क बल पर हम लोग मनषटयो स शरषटठ मान जात ह और दवताओ क तकय परभाव ददखा सकत ह |rdquo

इस परकार अगारपरक न अजकन को चाकषषी ववदया ददवय घोड़ एव अनय वसतएा भट की |

अजकन न गधवक स पछा गधवक तमन हम पर एकाएक आिमर कयो ककया और कफर हार कयो गय rdquo

तब गधवक न बड़ा ममकभरा उततर ददया | उसन कहा

ldquoशतरओ को सताप दनवाल वीर यदद कोई कामासकत कषतरतरय रात म मझस यदध करन आता तो ककसी भी परकार जीववत नही बच सकता था कयोकक रात म हम लोगो का बल और भी बढ जाता ह |

अपन बाहबल का भरोसा रखन वाला कोई भी परष जब अपनी सतरी क सममख ककसीक दवारा अपना ततरसकार होत दखता ह तो सहन नही कर पाता | म जब अपनी सतरी क साथ जलिीड़ा कर

रहा था तभी आपन मझ ललकारा इसीललय म िोधाववषटट हआ और आप पर बारवषाक की | लककन यदद आप यह पछो कक म आपस परालजत कयो हआ तो उसका उततर ह

बरहिचय परो ियः स चाषप तनयतसवततय |

यसिात तसिादह पाथय रणऽषसि षवषजतसतवया ||

ldquoबरहमचयक सबस बड़ा धमक ह और वह आपम तनलशचत रप स ववदयमान ह | ह कनतीनदन

इसीललय यदध म म आपस हार गया हा |rdquo (महाभारत आददपवकखर चतररथ पवक 71)

हम समझ गय कक वीयकरकषर अतत आवशयक ह | अब वह कस हो इसकी चचाक करन स पवक एक बार

बरहमचयक का तालववक अथक ठीक स समझ ल |

(अनिम)

बरहिचयय का ताषततवक अथय lsquoबरहमचयकrsquo शबद बड़ा चचतताकषकक और पववतर शबद ह | इसका सथल अथक तो यही परलसदध ह कक

लजसन शादी नही की ह जो काम-भोग नही करता ह जो लसतरयो स दर रहता ह आदद-आदद | परनत यह बहत सतही और सीलमत अथक ह | इस अथक म कवल वीयकरकषर ही बरहमचयक ह | परनत रधयान रह

कवल वीयकरकषर मातर साधना ह मलजल नही | मनषटय जीवन का लकषय ह अपन-आपको जानना अथाकत

आसम-साकषासकार करना | लजसन आसम-साकषासकार कर ललया वह जीवनमकत हो गया | वह आसमा क

आननद म बरहमाननद म ववचरर करता ह | उस अब ससार स कछ पाना शष नही रहा | उसन आननद का सरोत अपन भीतर ही पा ललया | अब वह आननद क ललय ककसी भी बाहरी ववषय पर

तनभकर नही ह | वह परक सवततर ह | उसकी कियाएा सहज होती ह | ससार क ववषय उसकी आननदमय आलसमक लसथतत को डोलायमान नही कर सकत | वह ससार क तचछ ववषयो की पोल को समझकर अपन आननद म मसत हो इस भतल पर ववचरर करता ह | वह चाह लागोटी म हो चाह बहत स कपड़ो म घर म रहता हो चाह झोपड़ म गहसथी चलाता हो चाह एकानत जगल म ववचरता हो ऐसा महापरष ऊपर स भल कगाल नजर आता हो परनत भीतर स शहशाह होता ह कयोकक उसकी सब

वासनाएा सब कततकवय पर हो चक ह | ऐस वयलकत को ऐस महापरष को वीयकरकषर करना नही पड़ता सहज ही होता ह | सब वयवहार करत हए भी उनकी हर समय समाचध रहती ह | उनकी समाचध सहज

होती ह अखणड होती ह | ऐसा महापरष ही सचचा बरहमचारी होता ह कयोकक वह सदव अपन बरहमाननद म अवलसथत रहता ह |

सथल अथक म बरहमचयक का अथक जो वीयकरकषर समझा जाता ह उस अथक म बरहमचयक शरषटठ वरत ह

शरषटठ तप ह शरषटठ साधना ह और इस साधना का फल ह आसमजञान आसम-साकषासकार | इस

फलपरालपत क साथ ही बरहमचयक का परक अथक परकट हो जाता ह |

जब तक ककसी भी परकार की वासना शष ह तब तक कोई परक बरहमचयक को उपलबध नही हो सकता | जब तक आसमजञान नही होता तब तक परक रप स वासना तनवतत नही होती | इस वासना की तनववतत क ललय अतःकरर की शदचध क ललय ईशवर की परालपत क ललय सखी जीवन जीन क ललय

अपन मनषटय जीवन क सवोचच लकषय को परापत करन क ललय या कहो परमाननद की परालपत क ललयhellip कछ भी हो वीयकरकषररपी साधना सदव अब अवसथाओ म उततम ह शरषटठ ह और आवशयक ह

|

वीयकरकषर कस हो इसक ललय यहाा हम कछ सथल और सकषम उपायो की चचाक करग |

(अनिम)

3 वीययरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय काफी लोगो को यह भरम ह कक जीवन तड़क-भड़कवाला बनान स व समाज म ववशष मान जात ह | वसततः ऐसी बात नही ह | इसस तो कवल अपन अहकार का ही परदशकन होता ह | लाल रग क भड़कील एव रशमी कपड़ नही पहनो | तल-फलल और भाातत-भाातत क इतरो का परयोग करन स बचो | जीवन म लजतनी तड़क-भड़क बढगी इलनियाा उतनी चचल हो उठगी कफर वीयकरकषा तो दर की बात ह |

इततहास पर भी हम दलषटट डाल तो महापरष हम ऐस ही लमलग लजनका जीवन परारभ स ही सादगीपरक था | सादा रहन-सहन तो बडपपन का दयोतक ह | दसरो को दख कर उनकी अपराकततक व

अचधक आवशयकताओवाली जीवन-शली का अनसरर नही करो |

उपयकत आहार

ईरान क बादशाह वहमन न एक शरषटठ वदय स पछा

ldquoददन म मनषटय को ककतना खाना चादहएrdquo

ldquoसौ ददराम (अथाकत 31 तोला) | ldquoवदय बोला |

ldquoइतन स कया होगाrdquo बादशाह न कफर पछा |

वदय न कहा ldquoशरीर क पोषर क ललय इसस अचधक नही चादहए | इसस अचधक जो कछ खाया जाता ह वह कवल बोझा ढोना ह और आयषटय खोना ह |rdquo

लोग सवाद क ललय अपन पट क साथ बहत अनयाय करत ह ठास-ठासकर खात ह | यरोप का एक बादशाह सवाददषटट पदाथक खब खाता था | बाद म औषचधयो दवारा उलटी करक कफर स सवाद लन क

ललय भोजन करता रहता था | वह जकदी मर गया |

आप सवादलोलप नही बनो | लजहवा को तनयतरर म रखो | कया खाय कब खाय कस खाय और

ककतना खाय इसका वववक नही रखा तो पट खराब होगा शरीर को रोग घर लग वीयकनाश को परोससाहन लमलगा और अपन को पतन क रासत जान स नही रोक सकोग |

परमपवकक शात मन स पववतर सथान पर बठ कर भोजन करो | लजस समय नालसका का दादहना सवर (सयक नाड़ी) चाल हो उस समय ककया भोजन शीघर पच जाता ह कयोकक उस समय जठरालगन बड़ी परबल होती ह | भोजन क समय यदद दादहना सवर चाल नही हो तो उसको चाल कर दो | उसकी ववचध यह ह वाम ककषकष म अपन दादहन हाथ की मठठी रखकर ककषकष को जोर स दबाओ या बाायी (वाम) करवट लट जाओ | थोड़ी ही दर म दादहना यान सयक सवर चाल हो जायगा |

रातरतर को बाायी करवट लटकर ही सोना चादहए | ददन म सोना उचचत नही ककनत यदद सोना आवशयक हो तो दादहनी करवट ही लटना चादहए |

एक बात का खब खयाल रखो | यदद पय पदाथक लना हो तो जब चनि (बााया) सवर चाल हो तभी लो | यदद सयक (दादहना) सवर चाल हो और आपन दध काफी चाय पानी या कोई भी पय पदाथक ललया तो वीयकनाश होकर रहगा | खबरदार सयक सवर चल रहा हो तब कोई भी पय पदाथक न वपयो | उस

समय यदद पय पदाथक पीना पड़ तो दादहना नथना बनद करक बााय नथन स शवास लत हए ही वपयो |

रातरतर को भोजन कम करो | भोजन हकका-सपाचय हो | बहत गमक-गमक और दर स पचन वाला गररषटठ भोजन रोग पदा करता ह | अचधक पकाया हआ तल म तला हआ लमचक-मसालयकत तीखा खटटा चटपटदार भोजन वीयकनाडड़यो को कषबध करता ह | अचधक गमक भोजन और गमक चाय स दाात कमजोर होत ह | वीयक भी पतला पड़ता ह |

भोजन खब चबा-चबाकर करो | थक हए हो तो तसकाल भोजन न करो | भोजन क तरत बाद

पररशरम न करो |

भोजन क पहल पानी न वपयो | भोजन क बीच म तथा भोजन क एकाध घट क बाद पानी पीना दहतकर होता ह |

रातरतर को सभव हो तो फलाहार लो | अगर भोजन लना पड़ तो अकपाहार ही करो | बहत रात गय भोजन या फलाहार करना दहतावह नही ह | कबज की लशकायत हो तो 50 गराम लाल कफटकरी तव पर

फलाकर कटकर कपड़ स छानकर बोतल म भर लो | रातरतर म 15 गराम सौफ एक चगलास पानी म लभगो दो | सबह उस उबाल कर छान लो और ड़ढ गराम कफटकरी का पाउडर लमलाकर पी लो | इसस कबज व बखार भी दर होता ह | कबज तमाम तरबमाररयो की जड़ ह | इस दर करना आवशयक ह |

भोजन म पालक परवल मथी बथआ आदद हरी तरकाररयाा दध घी छाछ मकखन पक हए फल

आदद ववशष रप स लो | इसस जीवन म सालववकता बढगी | काम िोध मोह आदद ववकार घटग | हर कायक म परसननता और उससाह बना रहगा |

रातरतर म सोन स पवक गमक-गमक दध नही पीना चादहए | इसस रात को सवपनदोष हो जाता ह |

कभी भी मल-मतर की लशकायत हो तो उस रोको नही | रोक हए मल स भीतर की नाडड़याा कषबध होकर वीयकनाश कराती ह |

पट म कबज होन स ही अचधकाशतः रातरतर को वीयकपात हआ करता ह | पट म रका हआ मल

वीयकनाडड़यो पर दबाव डालता ह तथा कबज की गमी स ही नाडड़याा कषलभत होकर वीयक को बाहर

धकलती ह | इसललय पट को साफ रखो | इसक ललय कभी-कभी तरतरफला चरक या lsquoसतकपा चरकrsquo या lsquoइसबगलrsquo पानी क साथ ललया करो | अचधक ततकत खटटी चरपरी और बाजार औषचधयाा उततजक होती ह उनस बचो | कभी-कभी उपवास करो | पट को आराम दन क ललय कभी-कभी तनराहार भी रह सकत हो तो अचछा ह |

आहार पचतत मशखी दोिान आहारवषजयतः |

अथाकत पट की अलगन आहार को पचाती ह और उपवास दोषो को पचाता ह | उपवास स

पाचनशलकत बढती ह |

उपवास अपनी शलकत क अनसार ही करो | ऐसा न हो कक एक ददन तो उपवास ककया और दसर ददन लमषटठानन-लडड आदद पट म ठास-ठास कर उपवास की सारी कसर तनकाल दी | बहत अचधक

भखा रहना भी ठीक नही |

वस उपवास का सही अथक तो होता ह बरहम क परमासमा क तनकट रहना | उप यानी समीप और

वास यानी रहना | तनराहार रहन स भगवदभजन और आसमचचतन म मदद लमलती ह | ववतत अनतमकख

होन स काम-ववकार को पनपन का मौका ही नही लमल पाता |

मदयपान पयाज लहसन और मासाहार ndash य वीयककषय म मदद करत ह अतः इनस अवशय बचो |

(अनिम)

मशशनषनरय सनान

शौच क समय एव लघशका क समय साथ म चगलास अथवा लोट म ठड़ा जल लकर जाओ और उसस लशशनलनिय को धोया करो | कभी-कभी उस पर ठड़ पानी की धार ककया करो | इसस कामववतत का शमन होता ह और सवपनदोष नही होता |

उधचत आसन एव वयायाि करो

सवसथ शरीर म सवसथ मन का तनवास होता ह | अगरजी म कहत ह A healthy mind

resides in a healthy body

लजसका शरीर सवसथ नही रहता उसका मन अचधक ववकारगरसत होता ह | इसललय रोज परातः वयायाम एव आसन करन का तनयम बना लो |

रोज परातः काल 3-4 लमनट दौड़न और तजी स टहलन स भी शरीर को अचछा वयायाम लमल

जाता ह |

सयकनमसकार 13 अथवा उसस अचधक ककया करो तो उततम ह | इसम आसन व वयायाम दोनो का समावश होता ह |

lsquoवयायामrsquo का अथक पहलवानो की तरह मासपलशयाा बढाना नही ह | शरीर को योगय कसरत लमल जाय ताकक उसम रोग परवश न कर और शरीर तथा मन सवसथ रह ndash इतना ही उसम हत ह |

वयायाम स भी अचधक उपयोगी आसन ह | आसन शरीर क समचचत ववकास एव बरहमचयक-साधना क ललय असयत उपयोगी लसदध होत ह | इनस नाडड़याा शदध होकर सववगर की वदचध होती ह | वस तो शरीर क अलग-अलग अगो की पलषटट क ललय अलग-अलग आसन होत ह परनत वीयकरकषा की दलषटट स मयरासन पादपलशचमोततानासन सवाागासन थोड़ी बहत सावधानी रखकर हर कोई कर सकता ह |

इनम स पादपलशचमोततानासन तो बहत ही उपयोगी ह | आशरम म आनवाल कई साधको का यह तनजी अनभव ह |

ककसी कशल योग-परलशकषक स य आसन सीख लो और परातःकाल खाली पट शदध हवा म ककया करो | शौच सनान वयायाम आदद क पशचात ही आसन करन चादहए |

सनान स पवक सख तौललय अथवा हाथो स सार शरीर को खब रगड़ो | इस परकार क घषकर स शरीर

म एक परकार की ववदयत शलकत पदा होती ह जो शरीर क रोगो को नषटट करती ह | शवास तीवर गतत

स चलन पर शरीर म रकत ठीक सचरर करता ह और अग-परसयग क मल को तनकालकर फफड़ो म लाता ह | फफड़ो म परववषटट शदध वाय रकत को साफ कर मल को अपन साथ बाहर तनकाल ल जाती ह | बचा-खचा मल पसीन क रप म सवचा क तछिो दवारा बाहर तनकल आता ह | इस परकार शरीर पर घषकर करन क बाद सनान करना अचधक उपयोगी ह कयोकक पसीन दवारा बाहर तनकला हआ मल उसस धल जाता ह सवचा क तछि खल जात ह और बदन म सफततक का सचार होता ह |

(अनिम)

बरहििह तय ि उठो

सवपनदोष अचधकाशतः रातरतर क अततम परहर म हआ करता ह | इसललय परातः चार-साढ चार बज यानी बरहममहतक म ही शया का सयाग कर दो | जो लोग परातः काल दरी तक सोत रहत ह उनका जीवन तनसतज हो जाता ह |

दवययसनो स द र रहो

शराब एव बीड़ी-लसगरट-तमबाक का सवन मनषटय की कामवासना को उदयीपत करता ह |

करान शरीफ क अकलाहपाक तरतरकोल रोशल क लसपारा म ललखा ह कक शतान का भड़काया हआ

मनषटय ऐसी नशायकत चीजो का उपयोग करता ह | ऐस वयलकत स अकलाह दर रहता ह कयोकक यह काम शतान का ह और शतान उस आदमी को जहननम म ल जाता ह |

नशीली वसतओ क सवन स फफड़ और हदय कमजोर हो जात ह सहनशलकत घट जाती ह और

आयषटय भी कम हो जाता ह | अमरीकी डॉकटरो न खोज करक बतलाया ह कक नशीली वसतओ क सवन स कामभाव उततलजत होन पर वीयक पतला और कमजोर पड़ जाता ह |

(अनिम)

सतसग करो

आप सससग नही करोग तो कसग अवशय होगा | इसललय मन वचन कमक स सदव सससग का ही सवन करो | जब-जब चचतत म पततत ववचार डरा जमान लग तब-तब तरत सचत हो जाओ और वह सथान छोड़कर पहाच जाओ ककसी सससग क वातावरर म ककसी सलनमतर या ससपरष क सालननरधय म | वहाा व कामी ववचार तरबखर जायग और आपका तन-मन पववतर हो जायगा | यदद ऐसा नही ककया तो व पततत ववचार आपका पतन ककय तरबना नही छोड़ग कयोकक जो मन म होता ह दर-सबर उसीक अनसार बाहर की किया होती ह | कफर तम पछताओग कक हाय यह मझस कया हो गया

पानी का सवभाव ह नीच की ओर बहना | वस ही मन का सवभाव ह पतन की ओर सगमता स बढना | मन हमशा धोखा दता ह | वह ववषयो की ओर खीचता ह कसगतत म सार ददखता ह लककन

वह पतन का रासता ह | कसगतत म ककतना ही आकषकर हो मगरhellip

षजसक पीछ हो गि की कतार भ लकर उस खशी स न खलो |

अभी तक गत जीवन म आपका ककतना भी पतन हो चका हो कफर भी सससगतत करो | आपक उसथान की अभी भी गजाइश ह | बड़-बड़ दजकन भी सससग स सजजन बन गय ह |

शठ स रहह सतसगतत पाई |

सससग स वचचत रहना अपन पतन को आमतरतरत करना ह | इसललय अपन नतर करक सवचा आदद सभी को सससगरपी गगा म सनान करात रहो लजसस कामववकार आप पर हावी न हो सक |

(अनिम)

शभ सकलप करो

lsquoहम बरहमचयक का पालन कस कर सकत ह बड़-बड़ ॠवष-मतन भी इस रासत पर कफसल पड़त हhelliprsquo ndash इस परकार क हीन ववचारो को ततलाजलल द दो और अपन सककपबल को बढाओ | शभ सककप करो | जसा आप सोचत हो वस ही आप हो जात हो | यह सारी सलषटट ही सककपमय ह |

दढ सककप करन स वीयकरकषर म मदद होती ह और वीयकरकषर स सककपबल बढता ह | षवशवासो फलदायकः | जसा ववशवास और जसी शरदधा होगी वसा ही फल परापत होगा | बरहमजञानी महापरषो म यह सककपबल असीम होता ह | वसततः बरहमचयक की तो व जीती-जागती मततक ही होत ह |

(अनिम)

बतरबन यकत पराणायाि और योगाभयास करो

तरतरबनध करक परारायाम करन स ववकारी जीवन सहज भाव स तनववककाररता म परवश करन लगता ह | मलबनध स ववकारो पर ववजय पान का सामथयक आता ह | उडडडयानबनध स आदमी उननतत म ववलकषर उड़ान ल सकता ह | जालनधरबनध स बदचध ववकलसत होती ह |

अगर कोई वयलकत अनभवी महापरष क सालननरधय म तरतरबनध क साथ परततददन 12 परारायाम कर तो परसयाहार लसदध होन लगगा | 12 परसयाहार स धाररा लसदध होन लगगी | धाररा-शलकत बढत ही परकतत क रहसय खलन लगग | सवभाव की लमठास बदचध की ववलकषरता सवासथय की सौरभ आन लगगी | 12 धाररा लसदध होन पर रधयान लगगा सववककप समाचध होन लगगी | सववककप समाचध का 12 गना समय पकन पर तनववकककप समाचध लगगी |

इस परकार छः महीन अभयास करनवाला साधक लसदध योगी बन सकता ह | ररदचध-लसदचधयाा उसक आग हाथ जोड़कर खड़ी रहती ह | यकष गधवक ककननर उसकी सवा क ललए उससक होत ह | उस

पववतर परष क तनकट ससारी लोग मनौती मानकर अपनी मनोकामना परक कर सकत ह | साधन करत समय रग-रग म इस महान लकषय की परालपत क ललए धन लग जाय|

बरहमचयक-वरत पालन वाला साधक पववतर जीवन जीनवाला वयलकत महान लकषय की परालपत म सफल हो सकता ह |

ह लमतर बार-बार असफल होन पर भी तम तनराश मत हो | अपनी असफलताओ को याद करक हार हए जआरी की तरह बार-बार चगरो मत | बरहमचयक की इस पसतक को कफर-कफर स पढो | परातः तनिा स उठत समय तरबसतर पर ही बठ रहो और दढ भावना करो

ldquoमरा जीवन परकतत की थपपड़ खाकर पशओ की तरह नषटट करन क ललए नही ह | म अवशय

परषाथक करा गा आग बढागा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

मर भीतर परबरहम परमासमा का अनपम बल ह | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

तचछ एव ववकारी जीवन जीनवाल वयलकतयो क परभाव स म अपनको ववतनमककत करता जाऊा गा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

सबह म इस परकार का परयोग करन स चमसकाररक लाभ परापत कर सकत हो | सवकतनयनता सवशवर को कभी पयार करो hellip कभी पराथकना करो hellip कभी भाव स ववहवलता स आतकनाद करो | व अनतयाकमी परमासमा हम अवशय मागकदशकन दत ह | बल-बदचध बढात ह | साधक तचछ ववकारी जीवन पर ववजयी होता जाता ह | ईशवर का असीम बल तमहार साथ ह | तनराश मत हो भया हताश मत हो | बार-बार कफसलन पर भी सफल होन की आशा और उससाह मत छोड़ो |

शाबाश वीर hellip शाबाश hellip दहममत करो दहममत करो | बरहमचयक-सरकषा क उपायो को बार-बार पढो सकषमता स ववचार करो | उननतत क हर कषतर म तम आसानी स ववजता हो सकत हो |

करोग न दहममत

अतत खाना अतत सोना अतत बोलना अतत यातरा करना अतत मथन करना अपनी सषपत

योगयताओ को धराशायी कर दता ह जबकक सयम और परषाथक सषपत योगयताओ को जगाकर

जगदीशवर स मलाकात करा दता ह |

(अनिम)

नीि का पड चला

हमार सदगरदव परम पजय लीलाशाहजी महाराज क जीवन की एक घटना बताता हा

लसध म उन ददनो ककसी जमीन की बात म दहनद और मसलमानो का झगड़ा चल रहा था | उस जमीन पर नीम का एक पड़ खड़ा था लजसस उस जमीन की सीमा-तनधाकरर क बार म कछ

वववाद था | दहनद और मसलमान कोटक-कचहरी क धकक खा-खाकर थक | आखखर दोनो पकषो न यह तय ककया कक यह धालमकक सथान ह | दोनो पकषो म स लजस पकष का कोई पीर-फकीर उस सथान पर

अपना कोई ववशष तज बल या चमसकार ददखा द वह जमीन उसी पकष की हो जायगी |

पजय लीलाशाहजी बाप का नाम पहल lsquoलीलारामrsquo था | लोग पजय लीलारामजी क पास पहाच और बोल ldquoहमार तो आप ही एकमातर सत ह | हमस जो हो सकता था वह हमन ककया परनत

असफल रह | अब समगर दहनद समाज की परततषटठा आपशरी क चररो म ह |

इसा की अजि स जब द र ककनारा होता ह |

त फा ि ि िी ककशती का एक भगवान ककनारा होता ह ||

अब सत कहो या भगवान कहो आप ही हमारा सहारा ह | आप ही कछ करग तो यह धमकसथान

दहनदओ का हो सकगा |rdquo

सत तो मौजी होत ह | जो अहकार लकर ककसी सत क पास जाता ह वह खाली हाथ लौटता ह

और जो ववनमर होकर शररागतत क भाव स उनक सममख जाता ह वह सब कछ पा लता ह | ववनमर और शरदधायकत लोगो पर सत की कररा कछ दन को जकदी उमड़ पड़ती ह |

पजय लीलारामजी उनकी बात मानकर उस सथान पर जाकर भलम पर दोनो घटनो क बीच लसर नीचा ककय हए शात भाव स बठ गय |

ववपकष क लोगो न उनह ऐसी सरल और सहज अवसथा म बठ हए दखा तो समझ ललया कक य

लोग इस साध को वयथक म ही लाय ह | यह साध कया करगा hellip जीत हमारी होगी |

पहल मलसलम लोगो दवारा आमतरतरत पीर-फकीरो न जाद-मतर टोन-टोटक आदद ककय | lsquoअला बााधा बला बााधाhellip पथवी बााधाhellip तज बााधाhellip वाय बााधाhellip आकाश बााधाhellip फऽऽऽlsquo आदद-आदद ककया | कफर पजय लीलाराम जी की बारी आई |

पजय लीलारामजी भल ही साधारर स लग रह थ परनत उनक भीतर आसमाननद दहलोर ल रहा था | lsquoपथवी आकाश कया समगर बरहमाणड म मरा ही पसारा हhellip मरी सतता क तरबना एक पतता भी नही दहल सकताhellip य चााद-लसतार मरी आजञा म ही चल रह हhellip सवकतर म ही इन सब ववलभनन रपो म ववलास कर रहा हाhelliprsquo ऐस बरहमाननद म डब हए व बठ थ |

ऐसी आसममसती म बठा हआ ककनत बाहर स कगाल जसा ददखन वाला सत जो बोल द उस घदटत होन स कौन रोक सकता ह

वलशषटठ जी कहत ह ldquoह रामजी तरतरलोकी म ऐसा कौन ह जो सत की आजञा का उकलघन कर

सक rdquo

जब लोगो न पजय लीलारामजी स आगरह ककया तो उनहोन धीर स अपना लसर ऊपर की ओर

उठाया | सामन ही नीम का पड़ खड़ा था | उस पर दलषटट डालकर गजकना करत हए आदशासमक भाव स बोल उठ

ldquoऐ नीम इधर कया खड़ा ह जा उधर हटकर खड़ा रह |rdquo

बस उनका कहना ही था कक नीम का पड lsquoसरकरकhellip सरकरकhelliprsquo करता हआ दर जाकर पवकवत खड़ा हो गया |

लोग तो यह दखकर आवाक रह गय आज तक ककसी न ऐसा चमसकार नही दखा था | अब

ववपकषी लोग भी उनक परो पड़न लग | व भी समझ गय कक य कोई लसदध महापरष ह |

व दहनदओ स बोल ldquoय आपक ही पीर नही ह बलकक आपक और हमार सबक पीर ह | अब स य

lsquoलीलारामrsquo नही ककत lsquoलीलाशाहrsquo ह |

तब स लोग उनका lsquoलीलारामrsquo नाम भल ही गय और उनह lsquoलीलाशाहrsquo नाम स ही पकारन लग | लोगो न उनक जीवन म ऐस-ऐस और भी कई चमसकार दख |

व 93 वषक की उमर पार करक बरहमलीन हए | इतन वदध होन पर भी उनक सार दाात सरकषकषत थ

वारी म तज और बल था | व तनयलमत रप स आसन एव परारायाम करत थ | मीलो पदल यातरा करत थ | व आजनम बरहमचारी रह | उनक कपा-परसाद दवारा कई पतरहीनो को पतर लमल गरीबो को धन लमला तनरससादहयो को उससाह लमला और लजजञासओ का साधना-मागक परशसत हआ | और भी कया-कया हआ

यह बतान जाऊा गा तो ववषयानतर होगा और समय भी अचधक नही ह | म यह बताना चाहता हा कक

उनक दवारा इतन चमसकार होत हए भी उनकी महानता चमसकारो म तनदहत नही ह | उनकी महानता तो उनकी बरहमतनषटठता म तनदहत थी |

छोट-मोट चमसकार तो थोड़ बहत अभयास क दवारा हर कोई कर लता ह मगर बरहमतनषटठा तो चीज ही कछ और ह | वह तो सभी साधनाओ की अततम तनषटपतत ह | ऐसा बरहमतनषटठ होना ही तो वासतववक बरहमचारी होना ह | मन पहल भी कहा ह कक कवल वीयकरकषा बरहमचयक नही ह | यह तो बरहमचयक की साधना ह | यदद शरीर दवारा वीयकरकषा हो और मन-बदचध म ववषयो का चचतन चलता रह

तो बरहमतनषटठा कहाा हई कफर भी वीयकरकषा दवारा ही उस बरहमाननद का दवार खोलना शीघर सभव होता ह | वीयकरकषर हो और कोई समथक बरहमतनषटठ गर लमल जाय तो बस कफर और कछ करना शष नही रहता | कफर वीयकरकषर करन म पररशरम नही करना पड़ता वह सहज होता ह | साधक लसदध बन जाता ह | कफर तो उसकी दलषटट मातर स कामक भी सयमी बन जाता ह |

सत जञानशवर महाराज लजस चबतर पर बठ थ उसीको कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा | ऐस ही पजयपाद लीलाशाहजी बाप न नीम क पड़ को कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा और जाकर दसरी जगह खड़ा हो गया | यह सब सककप बल का चमसकार ह | ऐसा सककप बल आप भी बढा सकत ह |

वववकाननद कहा करत थ कक भारतीय लोग अपन सककप बल को भल गय ह इसीललय गलामी का दःख भोग रह ह | lsquoहम कया कर सकत हhelliprsquo ऐस नकारासमक चचतन दवारा व सककपहीन हो गय ह जबकक अगरज का बचचा भी अपन को बड़ा उससाही समझता ह और कायक म सफल हो जाता ह

कयोकक व ऐसा ववचार करता ह lsquoम अगरज हा | दतनया क बड़ भाग पर हमारी जातत का शासन रहा ह | ऐसी गौरवपरक जातत का अग होत हए मझ कौन रोक सकता ह सफल होन स म कया नही कर

सकता rsquo lsquoबस ऐसा ववचार ही उस सफलता द दता ह |

जब अगरज का बचचा भी अपनी जातत क गौरव का समरर कर दढ सककपवान बन सकता ह तो आप कयो नही बन सकत

ldquoम ॠवष-मतनयो की सतान हा | भीषटम जस दढपरततजञ परषो की परमपरा म मरा जनम हआ ह |

गगा को पथवी पर उतारनवाल राजा भगीरथ जस दढतनशचयी महापरष का रकत मझम बह रहा ह |

समि को भी पी जानवाल अगससय ॠवष का म वशज हा | शरी राम और शरीकषटर की अवतार-भलम

भारत म जहाा दवता भी जनम लन को तरसत ह वहाा मरा जनम हआ ह कफर म ऐसा दीन-हीन

कयो म जो चाहा सो कर सकता हा | आसमा की अमरता का ददवय जञान का परम तनभकयता का सदश सार ससार को लजन ॠवषयो न ददया उनका वशज होकर म दीन-हीन नही रह सकता | म अपन रकत क तनभकयता क ससकारो को जगाकर रहागा | म वीयकवान बनकर रहागा |rdquo ऐसा दढ सककप हरक भारतीय बालक को करना चादहए |

(अनिम)

सतरी-जातत क परतत िातभाव परबल करो शरी रामकषटर परमहस कहा करत थ ldquo ककसी सदर सतरी पर नजर पड़ जाए तो उसम माा जगदमबा क दशकन करो | ऐसा ववचार करो कक यह अवशय दवी का अवतार ह तभी तो इसम इतना सौदयक ह | माा परसनन होकर इस रप म दशकन द रही ह ऐसा समझकर सामन खड़ी सतरी को मन-ही-मन परराम करो | इसस तमहार भीतर काम ववकार नही उठ सकगा |

िातवत परदारि पररवयि लोटिवत |

पराई सतरी को माता क समान और पराए धन को लमटटी क ढल क समान समझो |

(अनिम)

मशवाजी का परसग

लशवाजी क पास ककयार क सबदार की लसतरयो को लाया गया था तो उस समय उनहोन यही आदशक उपलसथत ककया था | उनहोन उन लसतरयो को lsquoमााrsquo कहकर पकारा तथा उनह कई उपहार दकर

सममान सदहत उनक घर वापस भज ददया | लशवाजी परम गर समथक रामदास क लशषटय थ |

भारतीय सभयता और ससकतत म माता को इतना पववतर सथान ददया गया ह कक यह मातभाव मनषटय को पततत होत-होत बचा लता ह | शरी रामकषटर एव अनय पववतर सतो क समकष जब कोई सतरी कचषटटा करना चाहती तब व सजजन साधक सत यह पववतर मातभाव मन म लाकर ववकार क फद स बच जात | यह मातभाव मन को ववकारी होन स बहत हद तक रोक रखता ह | जब भी ककसी सतरी को दखन पर मन म ववकार उठन लग उस समय सचत रहकर इस मातभाव का परयोग कर ही लना चादहए |

(अनिम)

अजयन और उवयशी

अजकन सशरीर इनि सभा म गया तो उसक सवागत म उवकशी रमभा आदद अपसराओ न नसय ककय | अजकन क रप सौनदयक पर मोदहत हो उवकशी रातरतर क समय उसक तनवास सथान पर गई और

पररय-तनवदन ककया तथा साथ ही इसम कोई दोष नही लगता इसक पकष म अनक दलील भी की | ककनत अजकन न अपन दढ इलनियसयम का पररचय दत हए कह

गचछ मरधनाक परपननोऽलसम पादौ त वरवखरकनी | सव दह म मातवत पजया रकषयोऽह पतरवत सवया ||

( महाभारत वनपवकखर इनिलोकालभगमनपवक ४६४७)

मरी दलषटट म कनती मािी और शची का जो सथान ह वही तमहारा भी ह | तम मर ललए माता क समान पजया हो | म तमहार चररो म परराम करता हा | तम अपना दरागरह छोड़कर लौट जाओ

| इस पर उवकशी न िोचधत होकर उस नपसक होन का शाप द ददया | अजकन न उवकशी स शावपत होना सवीकार ककया परनत सयम नही तोड़ा | जो अपन आदशक स नही हटता धयक और सहनशीलता को अपन चररतर का भषर बनाता ह उसक ललय शाप भी वरदान बन जाता ह | अजकन क ललय भी ऐसा ही हआ | जब इनि तक यह बात पहाची तो उनहोन अजकन को कहा तमन इलनिय सयम क दवारा ऋवषयो को भी परालजत कर ददया | तम जस पतर को पाकर कनती वासतव म शरषटठ पतरवाली ह |

उवकशी का शाप तमह वरदान लसदध होगा | भतल पर वनवास क १३व वषक म अजञातवास करना पड़गा उस समय यह सहायक होगा | उसक बाद तम अपना परषसव कफर स परापत कर लोग | इनि क

कथनानसार अजञातवास क समय अजकन न ववराट क महल म नतकक वश म रहकर ववराट की

राजकमारी को सगीत और नसय ववदया लसखाई थी और इस परकार वह शाप स मकत हआ था | परसतरी क परतत मातभाव रखन का यह एक सदर उदाहरर ह | ऐसा ही एक उदाहरर वाकमीकककत

रामायर म भी आता ह | भगवान शरीराम क छोट भाई लकषमर को जब सीताजी क गहन पहचानन को कहा गया तो लकषमर जी बोल ह तात म तो सीता माता क परो क गहन और नपर ही पहचानता हा जो मझ उनकी चररवनदना क समय दलषटटगोचर होत रहत थ | कयर-कणडल आदद दसर

गहनो को म नही जानता | यह मातभाववाली दलषटट ही इस बात का एक बहत बड़ा कारर था कक

लकषमरजी इतन काल तक बरहमचयक का पालन ककय रह सक | तभी रावरपतर मघनाद को लजस इनि भी नही हरा सका था लकषमरजी हरा पाय | पववतर मातभाव दवारा वीयकरकषर का यह अनपम उदाहरर ह जो बरहमचयक की महतता भी परकट करता ह |

(अनिम)

सतसाहहतय पढ़ो

जसा सादहसय हम पढत ह वस ही ववचार मन क भीतर चलत रहत ह और उनहीस हमारा सारा वयवहार परभाववत होता ह | जो लोग कलससत ववकारी और कामोततजक सादहसय पढत ह व कभी ऊपर नही उठ सकत | उनका मन सदव काम-ववषय क चचतन म ही उलझा रहता ह और इसस व अपनी वीयकरकषा करन म असमथक रहत ह | गनद सादहसय कामकता का भाव पदा करत ह | सना गया ह कक पाशचासय जगत स परभाववत कछ नराधम चोरी-तछप गनदी कफकमो का परदशकन करत ह जो अपना और अपन सपकक म आनवालो का ववनाश करत ह | ऐस लोग मदहलाओ कोमल वय की कनयाओ तथा ककशोर एव यवावसथा म पहाच हए बचचो क साथ बड़ा अनयाय करत ह | बकय कफकम दखन-ददखानवाल महा अधम कामानध लोग मरन क बाद शकर ककर आदद योतनयो म जनम लकर अथवा गनदी नाललयो क कीड़ बनकर छटपटात हए दख भोगग ही | तनदोष कोमलवय क नवयवक उन दषटटो क लशकार न बन इसक ललए सरकार और समाज को सावधान रहना चादहए |

बालक दश की सपवतत ह | बरहमचयक क नाश स उनका ववनाश हो जाता ह | अतः नवयवको को मादक िवयो गनद सादहसयो व गनदी कफकमो क दवारा बबाकद होन स बचाया जाय | व ही तो राषटर क भावी करकधार ह | यवक-यवततयाा तजसवी हो बरहमचयक की मदहमा समझ इसक ललए हम सब लोगो का कततकवय ह कक सकलो-कालजो म ववदयाचथकयो तक बरहमचयक पर ललखा गया सादहसय पहाचाय | सरकार का यह नततक कततकवय ह कक वह लशकषा परदान कर बरहमचयक ववशय पर ववदयाचथकयो को

सावधान कर ताकक व तजसवी बन | लजतन भी महापरष हए ह उनक जीवन पर दलषटटपात करो तो उन पर ककसी-न-ककसी सससादहसय की छाप लमलगी | अमररका क परलसदध लखक इमसकन क गर थोरो बरहमचयक का पालन करत थ | उनहो न ललखा ह म परततददन गीता क पववतर जल स सनान करता हा | यदयवप इस पसतक को ललखनवाल दवताओ को अनक वषक वयतीत हो गय लककन इसक बराबर की कोई पसतक अभी तक नही तनकली ह |

योगशवरी माता गीता क ललए दसर एक ववदशी ववदवान इगलणड क एफ एच मोलम कहत ह बाइतरबल का मन यथाथक अभयास ककया ह | जो जञान गीता म ह वह ईसाई या यदही बाइतरबलो म नही ह | मझ यही आशचयक होता ह कक भारतीय नवयवक यहाा इगलणड तक पदाथक ववजञान सीखन कयो आत ह तनसदह पाशचासयो क परतत उनका मोह ही इसका कारर ह | उनक भोलभाल हदयो न तनदकय और अववनमर पलशचमवालसयो क ददल अभी पहचान नही ह | इसीललए उनकी लशकषा स लमलनवाल पदो की लालच स व उन सवाचथकयो क इनिजाल म फसत ह | अनयथा तो लजस दश या समाज को गलामी स छटना हो उसक ललए तो यह अधोगतत का ही मागक ह |

म ईसाई होत हए भी गीता क परतत इतना आदर-मान इसललए रखता हा कक लजन गढ परशनो का हल पाशचासय वजञातनक अभी तक नही कर पाय उनका हल इस गीता गरथ न शदध और सरल

रीतत स द ददया ह | गीता म ककतन ही सतर आलौककक उपदशो स भरपर दख इसी कारर गीताजी मर ललए साकषात योगशवरी माता बन गई ह | ववशव भर म सार धन स भी न लमल सक भारतवषक का यह ऐसा अमकय खजाना ह |

सपरलसदध पतरकार पॉल तरबरलनटन सनातन धमक की ऐसी धालमकक पसतक पढकर जब परभाववत हआ तभी वह दहनदसतान आया था और यहाा क रमर महवषक जस महासमाओ क दशकन करक धनय हआ था | दशभलकतपरक सादहसय पढकर ही चनिशखर आजाद भगतलसह वीर सावरकर जस रसन अपन जीवन को दशादहत म लगा पाय |

इसललय सससादहसय की तो लजतनी मदहमा गाई जाय उतनी कम ह | शरीयोगवलशषटठ

महारामायर उपतनषद दासबोध सखमतन वववकचड़ामखर शरी रामकषटर सादहसय सवामी रामतीथक क

परवचन आदद भारतीय ससकतत की ऐसी कई पसतक ह लजनह पढो और उनह अपन दतनक जीवन का अग बना लो | ऐसी-वसी ववकारी और कलससत पसतक-पलसतकाएा हो तो उनह उठाकर कचर ल ढर पर फ क दो या चकह म डालकर आग तापो मगर न तो सवय पढो और न दसर क हाथ लगन दो |

इस परकार क आरधयालसमक सदहसय-सवन म बरहमचयक मजबत करन की अथाह शलकत होती ह |

परातःकाल सनानादद क पशचात ददन क वयवसाय म लगन स पवक एव रातरतर को सोन स पवक कोई-न-कोई आरधयालसमक पसतक पढना चादहए | इसस व ही सतोगरी ववचार मन म घमत रहग जो पसतक म होग और हमारा मन ववकारगरसत होन स बचा रहगा |

कौपीन (लगोटी) पहनन का भी आगरह रखो | इसस अणडकोष सवसथ रहग और वीयकरकषर म मदद लमलगी |

वासना को भड़कान वाल नगन व अशलील पोसटरो एव चचतरो को दखन का आकषकर छोड़ो | अशलील शायरी और गान भी जहाा गाय जात हो वहाा न रको |

(अनिम)

वीययसचय क चितकार

वीयक क एक-एक अर म बहत महान शलकतयाा तछपी ह | इसीक दवारा शकराचायक महावीर कबीर

नानक जस महापरष धरती पर अवतीरक हए ह | बड़-बड़ वीर योदधा वजञातनक सादहसयकार- य सब वीयक की एक बाद म तछप थ hellip और अभी आग भी पदा होत रहग | इतन बहमकय वीयक का सदपयोग जो वयलकत नही कर पाता वह अपना पतन आप आमतरतरत करता ह |

वीय व भगयः | (शतपथ बराहिण )

वीयक ही तज ह आभा ह परकाश ह |

जीवन को ऊरधवकगामी बनान वाली ऐसी बहमकय वीयकशलकत को लजसन भी खोया उसको ककतनी हातन उठानी पड़ी यह कछ उदाहररो क दवारा हम समझ सकत ह |

(अनिम)

भीटि षपतािह और वीर अमभिनय महाभारत म बरहमचयक स सबचधत दो परसग आत ह एक भीषटम वपतामह का और दसरा वीर अलभमनय का | भीषटम वपतामह बाल बरहमचारी थ इसललय उनम अथाह सामथयक था | भगवान शरी कषटर का यह वरत था कक lsquoम यदध म शसतर नही उठाऊा गा |rsquo ककनत यह भीषटम की बरहमचयक शलकत का ही चमसकार था कक उनहोन शरी कषटर को अपना वरत भग करन क ललए मजबर कर ददया | उनहोन अजकन पर ऐसी बार वषाक की कक ददवयासतरो स ससलजजत अजकन जसा धरनधर धनधाकरी भी उसका परततकार

करन म असमथक हो गया लजसस उसकी रकषाथक भगवान शरी कषटर को रथ का पदहया लकर भीषटम की ओर दौड़ना पड़ा |

यह बरहमचयक का ही परताप था कक भीषटम मौत पर भी ववजय परापत कर सक | उनहोन ही यह सवय तय ककया कक उनह कब शरीर छोड़ना ह | अनयथा शरीर म परारो का दटक रहना असभव था परनत भीषटम की तरबना आजञा क मौत भी उनस परार कस छीन सकती थी भीषटम न सवचछा स शभ महतक म अपना शरीर छोड़ा |

दसरी ओर अलभमनय का परसग आता ह | महाभारत क यदध म अजकन का वीर पतर अलभमनय चिवयह का भदन करन क ललए अकला ही तनकल पड़ा था | भीम भी पीछ रह गया था | उसन जो शौयक ददखाया वह परशसनीय था | बड़-बड़ महारचथयो स तघर होन पर भी वह रथ का पदहया लकर

अकला यदध करता रहा परनत आखखर म मारा गया | उसका कारर यह था कक यदध म जान स पवक वह अपना बरहमचयक खलणडत कर चका था | वह उततरा क गभक म पाणडव वश का बीज डालकर आया था | मातर इतनी छोटी सी कमजोरी क कारर वह वपतामह भीषटम की तरह अपनी मसय का आप

माललक नही बन सका |

(अनिम)

पथवीराज चौहान कयो हारा

भारात म पथवीराज चौहान न मोहममद गोरी को सोलह बार हराया ककनत सतरहव यदध म वह खद हार गया और उस पकड़ ललया गया | गोरी न बाद म उसकी आाख लोह की गमक सलाखो स

फड़वा दी | अब यह एक बड़ा आशचयक ह कक सोलह बार जीतन वाला वीर योदधा हार कस गया

इततहास बताता ह कक लजस ददन वह हारा था उस ददन वह अपनी पसनी स अपनी कमर कसवाकर

अथाकत अपन वीयक का ससयानाश करक यदधभलम म आया था | यह ह वीयकशलकत क वयय का दषटपररराम |

रामायर महाकावय क पातर रामभकत हनमान क कई अदभत परािम तो हम सबन सन ही ह जस- आकाश म उड़ना समि लााघना रावर की भरी सभा म स छटकर लौटना लका जलाना यदध म रावर को मकका मार कर मतछकत कर दना सजीवनी बटी क ललय परा पहाड़ उठा लाना आदद | य सब बरहमचयक की शलकत का ही परताप था |

फरास का समराट नपोललयन कहा करता था असभव शबद ही मर शबदकोष म नही ह |

परनत वह भी हार गया | हारन क मल काररो म एक कारर यह भी था कक यदध स पवक ही उसन सतरी क आकषकर म अपन वीयक का कषय कर ददया था |

समसन भी शरवीरता क कषतर म बहत परलसदध था | बाइतरबल म उसका उकलख आता ह | वह

भी सतरी क मोहक आकषकर स नही बच सका और उसका भी पतन हो गया |

(अनिम)

सवािी राितीथय का अनभव

सवामी रामतीथक जब परोफसर थ तब उनहोन एक परयोग ककया और बाद म तनषटकषकरप म बताया कक जो ववदयाथी परीकषा क ददनो म या परीकषा क कछ ददन पहल ववषयो म फस जात ह व

परीकषा म परायः असफल हो जात ह चाह वषक भर अपनी ककषा म अचछ ववदयाथी कयो न रह हो | लजन ववदयाचथकयो का चचतत परीकषा क ददनो म एकागर और शदध रहा करता ह व ही सफल होत ह | काम ववकार को रोकना वसततः बड़ा दःसारधय ह |

यही कारर ह कक मन महाराज न यहा तक कह ददया ह

माा बहन और पतरी क साथ भी वयलकत को एकानत म नही बठना चादहय कयोकक मनषटय की इलनियाा बहत बलवान होती ह | व ववदवानो क मन को भी समान रप स अपन वग म खीच ल जाती ह |

(अनिम)

यवा वगय स दो बात

म यवक वगक स ववशषरप स दो बात कहना चाहता ह कयोकक यही वह वगक ह जो अपन दश क सदढ भववषटय का आधार ह | भारत का यही यवक वगक जो पहल दशोसथान एव आरधयालसमक

रहसयो की खोज म लगा रहता था वही अब कालमतनयो क रग-रप क पीछ पागल होकर अपना अमकय जीवन वयथक म खोता जा रहा ह | यह कामशलकत मनषटय क ललए अलभशाप नही बलकक

वरदान सवरप ह | यह जब यवक म खखलन लगती ह तो उस उस समय इतन उससाह स भर दती ह

कक वह ससार म सब कछ कर सकन की लसथतत म अपन को समथक अनभव करन लगता ह लककन आज क अचधकाश यवक दवयकसनो म फा सकर हसतमथन एव सवपनदोष क लशकार बन जात ह |

(अनिम)

हसतिथन का दटपररणाि

इन दवयकसनो स यवक अपनी वीयकधारर की शलकत खो बठता ह और वह तीवरता स नपसकता की ओर अगरसर होन लगता ह | उसकी आाख और चहरा तनसतज और कमजोर हो जाता ह |

थोड़ पररशरम स ही वह हााफन लगता ह उसकी आखो क आग अधरा छान लगता ह | अचधक कमजोरी स मचछाक भी आ जाती ह | उसकी सककपशलकत कमजोर हो जाती ह |

अिररका ि ककया गया परयोग

अमररका म एक ववजञानशाला म ३० ववदयाचथकयो को भखा रखा गया | इसस उतन समय क

ललय तो उनका काम ववकार दबा रहा परनत भोजन करन क बाद उनम कफर स काम-वासना जोर पकड़न लगी | लोह की लगोट पहन कर भी कछ लोग कामदमन की चषटटा करत पाए जात ह | उनको लसकडडया बाबा कहत ह | व लोह या पीतल की लगोट पहन कर उसम ताला लगा दत ह | कछ ऐस भी लोग हए ह लजनहोन इस काम-ववकार स छटटी पान क ललय अपनी जननलनिय ही काट दी और

बाद म बहत पछताय | उनह मालम नही था कक जननलनिय तो काम ववकार परकट होन का एक साधन ह | फल-पसतत तोड़न स पड़ नषटट नही होता | मागकदशकन क अभाव म लोग कसी-कसी भल करत ह ऐसा ही यह एक उदाहरर ह |

जो यवक १७ स २४ वषक की आय तक सयम रख लता ह उसका मानलसक बल एव बदचध बहत तजसवी हो जाती ह | जीवनभर उसका उससाह एव सफततक बनी रहती ह | जो यवक बीस वषक की आय परी होन स पवक ही अपन वीयक का नाश करना शर कर दता ह उसकी सफततक और होसला पसत हो जाता ह तथा सार जीवनभर क ललय उसकी बदचध कलणठत हो जाती ह | म चाहता हा कक यवावगक वीयक क सरकषर क कछ ठोस परयोग सीख ल | छोट-मोट परयोग उपवास भोजन म सधार आदद तो ठीक ह परनत व असथाई लाभ ही द पात ह | कई परयोगो स यह बात लसदध हई ह |

(अनिम)

कािशषकत का दिन या ऊधवयगिन

कामशलकत का दमन सही हल नही ह | सही हल ह इस शलकत को ऊरधवकमखी बनाकर शरीर म ही इसका उपयोग करक परम सख को परापत करना | यह यलकत लजसको आ गई उस सब आ गया

और लजस यह नही आई वह समाज म ककतना भी सततावान धनवान परततशठावान बन जाय अनत म मरन पर अनाथ ही रह जायगा अपन-आप को नही लमल पायगा | गौतम बदध यह यलकत जानत थ

तभी अगलीमाल जसा तनदकयी हसयारा भी सार दषटकसय छोड़कर उनक आग लभकषक बन गया | ऐस महापरषो म वह शलकत होती ह लजसक परयोग स साधक क ललए बरहमचयक की साधना एकदम सरल हो जाती ह | कफर काम-ववकार स लड़ना नही पड़ता ह बलकक जीवन म बरहमचयक सहज ही फललत होन लगता ह |

मन ऐस लोगो को दखा ह जो थोड़ा सा जप करत ह और बहत पज जात ह | और ऐस लोगो को भी दखा ह जो बहत जप-तप करत ह कफर भी समाज पर उनका कोई परभाव नही उनम आकषकर नही | जान-अनजान हो-न-हो जागत अथवा तनिावसथा म या अनय ककसी परकार स उनकी वीयक शलकत अवशय नषटट होती रहती ह |

(अनिम)

एक सा क का अनभव

एक साधक न यहाा उसका नाम नही लागा मझ सवय ही बताया सवामीजी यहाा आन स पवक म महीन म एक ददन भी पसनी क तरबना नही रह सकता था इतना अचधक काम-ववकार म फा सा हआ था परनत अब ६-६ महीन बीत जात ह पसनी क तरबना और काम-ववकार भी पहल की भाातत नही सताता |

द सर सा क का अनभव

दसर एक और सजजन यहाा आत ह उनकी पसनी की लशकायत मझ सनन को लमली ह | वह

सवय तो यहाा आती नही मगर लोगो स कहा ह कक ककसी परकार मर पतत को समझाय कक व आशरम म नही जाया कर |

वस तो आशरम म जान क ललए कोई कयो मना करगा मगर उसक इस परकार मना करन का कारर जो उसन लोगो को बताया और लोगो न मझ बताया वह इस परकार ह वह कहती ह इन बाबा न मर पतत पर न जान कया जाद ककया ह कक पहल तो व रात म मझ पास म सलात थ परनत अब मझस दर सोत ह | इसस तो व लसनमा म जात थ जस-तस दोसतो क साथ घमत रहत थ वही ठीक था | उस समय कम स कम मर कहन म तो चलत थ परनत अब तो

कसा दभाकगय ह मनषटय का वयलकत भल ही पतन क रासत चल उसक जीवन का भल ही ससयानाश होता रह परनत वह मर कहन म चल यही ससारी परम का ढााचा ह | इसम परम दो-पाच परततशत हो सकता ह बाकी ९५ परततशत तो मोह ही होता ह वासना ही होती ह | मगर मोह भी परम का चोला ओढकर कफरता रहता ह और हम पता नही चलता कक हम पतन की ओर जा रह ह या उसथान की ओर |

(अनिम)

योगी का सकलपबल

बरहमचयक उसथान का मागक ह | बाबाजी न कछ जाद-वाद नही ककया| कवल उनक दवारा उनकी यौचगक शलकत का सहारा उस वयलकत को लमला लजसस उसकी कामशलकत ऊरधवकगामी हो गई | इस कारर उसका मन ससारी काम सख स ऊपर उठ गया | जब असली रस लमल गया तो गदी नाली दवारा लमलन वाल रस की ओर कोई कयो ताकगा ऐसा कौन मखक होगा जो बरहमचयक का पववतर और

असली रस छोड़कर घखरत और पतनोनमख करन वाल ससारी कामसख की ओर दौड़गा

कया यह चितकार ह

सामानय लोगो क ललय तो यह मानो एक बहत बड़ा चमसकार ह परनत इसम चमसकार जसी कोई बात नही ह | जो महापरष योगमागक स पररचचत ह और अपनी आसममसती म मसत रहत ह

उनक ललय तो यह एक खल मातर ह | योग का भी अपना एक ववजञान ह जो सथल ववजञान स भी सकषम और अचधक परभावी होता ह | जो लोग ऐस ककसी योगी महापरष क सालननरधय का लाभ लत ह उनक ललय तो बरहमचयक का पालन सहज हो जाता ह | उनह अलग स कोई महनत नही करनी पड़ती |

(अनिम)

हसतिथन व सवपनदोि स कस बच

यदद कोई हसत मथन या सवपनदोष की समसया स गरसत ह और वह इस रोग स छटकारा पान को वसततः इचछक ह तो सबस पहल तो म यह कहागा कक अब वह यह चचता छोड़ द कक मझ

यह रोग ह और अब मरा कया होगा कया म कफर स सवासथय लाभ कर सका गा इस परकार क

तनराशावादी ववचारो को वह जड़मल स उखाड़ फ क |

सदव परसनन रहो

जो हो चका वह बीत गया | बीती सो बीती बीती ताही बबसार द आग की सध लय | एक तो रोग कफर उसका चचतन और भी रगर बना दता ह | इसललय पहला काम तो यह करो कक दीनता क

ववचारो को ततलाजलल दकर परसनन और परफलकलत रहना परारभ कर दो |

पीछ ककतना वीयकनाश हो चका ह उसकी चचता छोड़कर अब कस वीयकरकषर हो सक उसक ललय उपाय करन हत कमर कस लो |

धयान रह वीयकशलकत का दमन नही करना ह उस ऊरधवकगामी बनाना ह | वीयकशलकत का उपयोग हम ठीक ढग स नही कर पात | इसललय इस शलकत क ऊरधवकगमन क कछ परयोग हम समझ ल |

(अनिम)

वीयय का ऊधवयगिन कया ह

वीयक क ऊरधवकगमन का अथक यह नही ह कक वीयक सथल रप स ऊपर सहसरार की ओर जाता ह

| इस ववषय म कई लोग भरलमत ह | वीयक तो वही रहता ह मगर उस सचाललत करनवाली जो कामशलकत ह उसका ऊरधवकगमन होता ह | वीयक को ऊपर चढान की नाड़ी शरीर क भीतर नही ह |

इसललय शिार ऊपर नही जात बलकक हमार भीतर एक वदयततक चमबकीय शलकत होती ह जो नीच की ओर बहती ह तब शिार सकिय होत ह |

इसललय जब परष की दलशट भड़कील वसतरो पर पड़ती ह या उसका मन सतरी का चचतन करता ह

तब यही शलकत उसक चचतनमातर स नीच मलाधार कनि क नीच जो कामकनि ह उसको सकिय कर

वीयक को बाहर धकलती ह | वीयक सखललत होत ही उसक जीवन की उतनी कामशलकत वयथक म खचक हो जाती ह | योगी और तातरतरक लोग इस सकषम बात स पररचचत थ | सथल ववजञानवाल जीवशासतरी और डॉकटर लोग इस बात को ठीक स समझ नही पाय इसललय आधतनकतम औजार होत हए भी कई गभीर रोगो को व ठीक नही कर पात जबकक योगी क दलषटटपात मातर या आशीवाकद स ही रोग ठीक होन क चमसकार हम परायः दखा-सना करत ह |

आप बहत योगसाधना करक ऊरधवकरता योगी न भी बनो कफर भी वीयकरकषर क ललय इतना छोटा-सा परयोग तो कर ही सकत हो

(अनिम)

वीययरकषा का िहततवप णय परयोग

अपना जो lsquoकाम-ससथानrsquo ह वह जब सकिय होता ह तभी वीयक को बाहर धकलता ह | ककनत तनमन परयोग दवारा उसको सकिय होन स बचाना ह |

जयो ही ककसी सतरी क दशकन स या कामक ववचार स आपका रधयान अपनी जननलनिय की तरफ खखचन लग तभी आप सतकक हो जाओ | आप तरनत जननलनिय को भीतर पट की तरफ़ खीचो | जस पप का वपसटन खीचत ह उस परकार की किया मन को जननलनिय म कलनित करक करनी ह | योग की भाषा म इस योतनमिा कहत ह |

अब आाख बनद करो | कफर ऐसी भावना करो कक म अपन जननलनिय-ससथान स ऊपर लसर म लसथत सहसरार चि की तरफ दख रहा हा | लजधर हमारा मन लगता ह उधर ही यह शलकत बहन लगती ह | सहसरार की ओर ववतत लगान स जो शलकत मलाधार म सकिय होकर वीयक को सखललत

करनवाली थी वही शलकत ऊरधवकगामी बनकर आपको वीयकपतन स बचा लगी | लककन रधयान रह यदद आपका मन काम-ववकार का मजा लन म अटक गया तो आप सफल नही हो पायग | थोड़ सककप और वववक का सहारा ललया तो कछ ही ददनो क परयोग स महववपरक फायदा होन लगगा | आप सपषटट

महसस करग कक एक आाधी की तरह काम का आवग आया और इस परयोग स वह कछ ही कषरो म शात हो गया |

(अनिम)

द सरा परयोग

जब भी काम का वग उठ फफड़ो म भरी वाय को जोर स बाहर फ को | लजतना अचधक बाहर फ क सको उतना उततम | कफर नालभ और पट को भीतर की ओर खीचो | दो-तीन बार क परयोग स ही काम-ववकार शात हो जायगा और आप वीयकपतन स बच जाओग |

यह परयोग ददखता छोटा-सा ह मगर बड़ा महववपरक यौचगक परयोग ह | भीतर का शवास कामशलकत को नीच की ओर धकलता ह | उस जोर स और अचधक मातरा म बाहर फ कन स वह मलाधार चि म कामकनि को सकिय नही कर पायगा | कफर पट व नालभ को भीतर सकोचन स वहाा खाली जगह बन जाती ह | उस खाली जगह को भरन क ललय कामकनि क आसपास की सारी शलकत जो वीयकपतन म

सहयोगी बनती ह खखचकर नालभ की तरफ चली जाती ह और इस परकार आप वीयकपतन स बच जायग |

इस परयोग को करन म न कोई खचक ह न कोई ववशष सथान ढाढन की जररत ह | कही भी बठकर कर सकत ह | काम-ववकार न भी उठ तब भी यह परयोग करक आप अनपम लाभ उठा सकत ह | इसस जठरालगन परदीपत होती ह पट की बीमाररयाा लमटती ह जीवन तजसवी बनता ह और वीयकरकषर

सहज म होन लगता ह |

(अनिम)

वीययरकषक च णय

बहत कम खचक म आप यह चरक बना सकत ह | कछ सख आावलो स बीज अलग करक उनक तछलको को कटकर उसका चरक बना लो | आजकल बाजार म आावलो का तयार चरक भी लमलता ह |

लजतना चरक हो उसस दगनी मातरा म लमशरी का चरक उसम लमला दो | यह चरक उनक ललए भी दहतकर

ह लजनह सवपनदोष नही होता हो |

रोज रातरतर को सोन स आधा घटा पवक पानी क साथ एक चममच यह चरक ल ललया करो | यह

चरक वीयक को गाढा करता ह कबज दर करता ह वात-वपतत-कफ क दोष लमटाता ह और सयम को मजबत करता ह |

(अनिम)

गोद का परयोग

6 गराम खरी गोद रातरतर को पानी म लभगो दो | इस सबह खाली पट ल लो | इस परयोग क दौरान अगर भख कम लगती हो तो दोपहर को भोजन क पहल अदरक व नीब का रस लमलाकर लना चादहए |

तलसी एक अदभत औषचध

परनच डॉकटर ववकटर रसीन न कहा ह ldquoतलसी एक अदभत औषचध ह | तलसी पर ककय गय

परयोगो न यह लसदध कर ददया ह कक रकतचाप और पाचनततर क तनयमन म तथा मानलसक रोगो म तलसी असयत लाभकारी ह | इसस रकतकरो की वदचध होती ह | मलररया तथा अनय परकार क बखारो म तलसी असयत उपयोगी लसदध हई ह |

तलसी रोगो को तो दर करती ही ह इसक अततररकत बरहमचयक की रकषा करन एव यादशलकत बढान म भी अनपम सहायता करती ह | तलसीदल एक उसकषटट रसायन ह | यह तरतरदोषनाशक ह | रकतववकार

वाय खाासी कलम आदद की तनवारक ह तथा हदय क ललय बहत दहतकारी ह |

(अनिम)

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

पादपषशचिोततानासन

षवध जमीन पर आसन तरबछाकर दोनो पर सीध करक बठ जाओ | कफर दोनो हाथो स परो क

अगाठ पकड़कर झकत हए लसर को दोनो घटनो स लमलान का परयास करो | घटन जमीन पर सीध रह | परारभ म घटन जमीन पर न दटक तो कोई हजक नही | सतत अभयास स यह आसन लसदध हो जायगा | यह आसन करन क 15 लमनट बाद एक-दो कचची लभणडी खानी चादहए | सवफल का सवन भी फायदा करता ह |

लाभ इस आसन स नाडड़यो की ववशष शदचध होकर हमारी कायककषमता बढती ह और शरीर की बीमाररयाा दर होती ह | बदहजमी कबज जस पट क सभी रोग सदी-जकाम कफ चगरना कमर का ददक दहचकी सफद कोढ पशाब की बीमाररयाा सवपनदोष वीयक-ववकार अपलनडकस साईदटका नलो की सजन पाणडरोग (पीललया) अतनिा दमा खटटी डकार जञानततओ की कमजोरी गभाकशय क रोग

मालसकधमक की अतनयलमतता व अनय तकलीफ नपसकता रकत-ववकार दठगनापन व अनय कई

परकार की बीमाररयाा यह आसन करन स दर होती ह |

परारभ म यह आसन आधा लमनट स शर करक परततददन थोड़ा बढात हए 15 लमनट तक कर सकत ह | पहल 2-3 ददन तकलीफ होती ह कफर सरल हो जाता ह |

इस आसन स शरीर का कद लमबा होता ह | यदद शरीर म मोटापन ह तो वह दर होता ह और यदद दबलापन ह तो वह दर होकर शरीर सडौल तनदरसत अवसथा म आ जाता ह | बरहमचयक पालनवालो क ललए यह आसन भगवान लशव का परसाद ह | इसका परचार पहल लशवजी न और बाद म जोगी गोरखनाथ न ककया था |

(अनिम)

पादागटठानासन

इसम शरीर का भार कवल पााव क अागठ पर आन स इस पादाागषटठानासन कहत ह वीयक की रकषा व ऊरधवकगमन हत महववपरक होन स सभी को ववशषतः बचचो व यवाओ को यह आसन अवशय करना चादहए

लाभः अखणड बरहमचयक की लसदचध वजरनाड़ी (वीयकनाड़ी) व मन पर तनयतरर तथा वीयकशलकत को ओज म रपातररत करन म उततम ह मलसतषटक सवसथ रहता ह व बदचध की लसथरता व परखरता शीघर परापत होती ह रोगी-नीरोगी सभी क ललए लाभपरद ह

रोगो ि लाभः सवपनदोष मधमह नपसकता व समसत वीयोदोषो म लाभपरद ह

षवध ः पजो क बल बठ जाय बाय पर की एड़ी लसवनी (गदा व जननलनिय क बीच का सथान) पर

लगाय दोनो हाथो की उगललयाा जमीन पर रखकर दायाा पर बायी जघा पर रख सारा भार बाय पज पर (ववशषतः अागठ

पर) सतललत करक हाथ कमर पर या नमसकार की मिा म रख परारमभ म

कछ ददन आधार लकर कर सकत ह कमर सीधी व शरीर लसथर रह शवास सामानय दलषटट आग ककसी तरबद पर एकागर व रधयान सतलन रखन म हो यही किया पर बदल कर भी कर

सियः परारभ म दोनो परो स आधा-एक लमनट दोनो परो को एक समान समय दकर

यथासभव बढा सकत ह

साव ानीः अततम लसथती म आन की शीघरता न कर िमशः अभयास बढाय इस ददन भर म दो-तीन बार कभी भी कर सकत ह ककनत भोजन क तरनत बाद न कर

बदध शषकतव यक परयोगः लाभः इसक तनयलमत अभयास स जञानतनत पषटट होत

ह चोटी क सथान क नीच गाय क खर क आकार वाला बदचधमडल ह लजस पर इस परयोग का ववशष परभाव पड़ता ह और बदचध ब धारराशलकत का ववकास होता ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख लसर पीछ की तरफ ल जाय दलषटट आसमान की ओर हो इस लसथतत म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ि ाशषकतव यक परयोगः

लाभः इसक तनयलमत अभयास स मधाशलकत बढती ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख

आाख बद करक लसर को नीच की तरफ इस तरफ झकाय कक ठोढी कठकप स लगी रह और कठकप पर हलका-सा दबाव पड़ इस लसथती म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ववशषः शवास लत समय मन म ॐ का जप कर व छोड़त समय

उसकी चगनती कर

रधयान द- परसयक परयोग सबह खाली पट 15 बार कर कफर धीर-धीर बढात हए 25 बार तक कर सकत ह

(अनिम)

हिार अनभव

िहापरि क दशयन का चितकार

ldquoपहल म कामतलपत म ही जीवन का आननद मानता था | मरी दो शाददयाा हई परनत दोनो पलसनयो क दहानत क कारर अब तीसरी शादी 17 वषक की लड़की स करन को तयार हो गया | शादी स पवक म परम पजय सवामी शरी लीलाशाहजी महारज का आशीवाकद लन डीसा आशरम म जा पहाचा |

आशरम म व तो नही लमल मगर जो महापरष लमल उनक दशकनमातर स न जान कया हआ कक मरा सारा भववषटय ही बदल गया | उनक योगयकत ववशाल नतरो म न जान कसा तज चमक रहा था कक म अचधक दर तक उनकी ओर दख नही सका और मरी नजर उनक चररो की ओर झक गई | मरी कामवासना ततरोदहत हो गई | घर पहाचत ही शादी स इनकार कर ददया | भाईयो न एक कमर म उस 17 वषक की लड़की क साथ मझ बनद कर ददया |

मन कामववकार को जगान क कई उपाय ककय परनत सब तनरथकक लसदध हआ hellip जस कामसख

की चाबी उन महापरष क पास ही रह गई हो एकानत कमर म आग और परोल जसा सयोग था कफर भी

मन तनशचय ककया कक अब म उनकी छतरछाया को नही छोड़ागा भल ककतना ही ववरोध सहन

करना पड़ | उन महापरष को मन अपना मागकदशकक बनाया | उनक सालननरधय म रहकर कछ यौचगक

कियाएा सीखी | उनहोन मझस ऐसी साधना करवाई कक लजसस शरीर की सारी परानी वयाचधयाा जस मोटापन दमा टीबी कबज और छोट-मोट कई रोग आदद तनवत हो गय |

उन महापरष का नाम ह परम पजय सत शरी आसारामजी बाप | उनहीक सालननरधय म म अपना जीवन धनय कर रहा हा | उनका जो अनपम उपकार मर ऊपर हआ ह उसका बदला तो म अपना समपरक लौककक वभव समपकर करक भी चकान म असमथक हा |rdquo

-महनत चदीराम ( भतपवक चदीराम कपालदास )

सत शरी आसारामजी आशरम साबरमतत अमदावाद |

मरी वासना उपासना म बदली

ldquoआशरम दवारा परकालशत ldquoयौवन सरकषाrdquo पसतक पढन स मरी दलषटट अमीदलषटट हो गई | पहल परसतरी को एव हम उमर की लड़ककयो को दखकर मर मन म वासना और कदलषटट का भाव पदा होता था लककन यह पसतक पढकर मझ जानन को लमला कक lsquoसतरी एक वासनापतत क की वसत नही ह परनत शदध परम

और शदध भावपवकक जीवनभर साथ रहनवाली एक शलकत ह |rsquo सचमच इस lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक को पढकर मर अनदर की वासना उपासना म बदल गयी ह |rdquo

-मकवारा रवीनि रततभाई

एम क जमोड हाईसकल भावनगर (गज)

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगय क मलय एक अि लय भि ह

ldquoसवकपरथम म पजय बाप का एव शरी योग वदानत सवा सलमतत का आभार परकट करता हा |

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय अमकय भट ह | यह पसतक यवानो क ललय सही ददशा ददखानवाली ह |

आज क यग म यवानो क ललय वीयकरकषर अतत कदठन ह | परनत इस पसतक को पढन क बाद

ऐसा लगता ह कक वीयकरकषर करना सरल ह | lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक को सही यवान

बनन की परररा दती ह | इस पसतक म मन lsquoअनभव-अमतrsquo नामक पाठ पढा | उसक बाद ऐसा लगा कक सत दशकन करन स वीयकरकषर की परररा लमलती ह | यह बात तनतात ससय ह | म हररजन जातत का हा | पहल मास मछली लहसन पयाज आदद सब खाता था लककन lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पढन क बाद मझ मासाहार स सखत नफरत हो गई ह | उसक बाद मन इस पसतक को दो-तीन बार पढा ह |

अब म मास नही खा सकता हा | मझ मास स नफरत सी हो गई ह | इस पसतक को पढन स मर मन पर काफी परभाव पड़ा ह | यह पसतक मनषटय क जीवन को समदध बनानवाली ह और वीयकरकषर की शलकत परदान करन वाली ह |

यह पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह | आज क यवान जो कक 16 वषक स 17

वषक की उमर तक ही वीयकशलकत का वयय कर दत ह और दीन-हीन कषीरसककप कषीरजीवन होकर अपन ललए व औरो क ललए भी खब दःखद हो जात ह उनक ललए यह पसतक सचमच परररादायक ह

| वीयक ही शरीर का तज ह शलकत ह लजस आज का यवा वगक नषटट कर दता ह | उसक ललए जीवन म ववकास करन का उततम मागक तथा ददगदशकक यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक ह | तमाम यवक-यवततयो को यह पसतक पजय बाप की आजञानसार पााच बार अवशय पढनी चादहए | इसस बहत लाभ होता ह |rdquo

-राठौड तनलश ददनशभाई

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अषपत एक मशकषा गरनथ ह

ldquoयह lsquoयौवन सरकषाrsquo एक पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह लजसस हम ववदयाचथकयो को सयमी जीवन जीन की परररा लमलती ह | सचमच इस अनमोल गरनथ को पढकर एक अदभत परररा तथा उससाह लमलता ह | मन इस पसतक म कई ऐसी बात पढी जो शायद ही कोई हम बालको को बता व समझा सक | ऐसी लशकषा मझ आज तक ककसी दसरी पसतक स नही लमली | म इस पसतक को जनसाधारर तक पहाचान वालो को परराम करता हा तथा उन महापरष महामानव को शत-शत परराम करता हा लजनकी परररा तथा आशीवाकद स इस पसतक की रचना हई |rdquo

हरपरीत लसह अवतार लसह

ककषा-7 राजकीय हाईसकल सकटर-24 चणडीगढ

बरहिचयय ही जीवन ह

बरहमचयक क तरबना जगत म नही ककसीन यश पाया |

बरहमचयक स परशराम न इककीस बार धररी जीती |

बरहमचयक स वाकमीकी न रच दी रामायर नीकी |

बरहमचयक क तरबना जगत म ककसन जीवन रस पाया

बरहमचयक स रामचनि न सागर-पल बनवाया था |

बरहमचयक स लकषमरजी न मघनाद मरवाया था |

बरहमचयक क तरबना जगत म सब ही को परवश पाया |

बरहमचयक स महावीर न सारी लका जलाई थी |

बरहमचयक स अगदजी न अपनी पज जमाई थी |

बरहमचयक क तरबना जगत म सबन ही अपयश पाया |

बरहमचयक स आकहा-उदल न बावन ककल चगराए थ |

पथवीराज ददकलीशवर को भी रर म मार भगाए थ |

बरहमचयक क तरबना जगत म कवल ववष ही ववष पाया |

बरहमचयक स भीषटम वपतामह शरशया पर सोय थ |

बरहमचारी वर लशवा वीर स यवनो क दल रोय थ |

बरहमचयक क रस क भीतर हमन तो षटरस पाया |

बरहमचयक स राममतत क न छाती पर पसथर तोड़ा |

लोह की जजीर तोड़ दी रोका मोटर का जोड़ा |

बरहमचयक ह सरस जगत म बाकी को करकश पाया |

(अनिम)

शासतरवचन

राजा जनक शकदवजी स बोल

ldquoबाकयावसथा म ववदयाथी को तपसया गर की सवा बरहमचयक का पालन एव वदारधययन करना चादहए |rdquo

तपसा गरवततया च बरहिचयण वा षवभो |

- िहाभारत ि िोकष िय पवय

सकलपाजजायत कािः सवयिानो षवव यत |

यदा पराजञो षवरित तदा सदयः परणशयतत ||

ldquoकाम सककप स उसपनन होता ह | उसका सवन ककया जाय तो बढता ह और जब बदचधमान परष

उसस ववरकत हो जाता ह तब वह काम तसकाल नषटट हो जाता ह |rdquo

-िहाभारत ि आपद िय पवय

ldquoराजन (यचधलषटठर) जो मनषटय आजनम परक बरहमचारी रहता ह उसक ललय इस ससार म कोई भी ऐसा पदाथक नही ह जो वह परापत न कर सक | एक मनषटय चारो वदो को जाननवाला हो और दसरा परक बरहमचारी हो तो इन दोनो म बरहमचारी ही शरषटठ ह |rdquo

-भीटि षपतािह

ldquoमथन सबधी य परवततयाा सवकपरथम तो तरगो की भाातत ही परतीत होती ह परनत आग चलकर य

कसगतत क कारर एक ववशाल समि का रप धारर कर लती ह | कामसबधी वाताकलाप कभी शरवर न कर |rdquo

-नारदजी

ldquoजब कभी भी आपक मन म अशदध ववचारो क साथ ककसी सतरी क सवरप की ककपना उठ तो आप

lsquoॐ दगाय दवय निःrsquo मतर का बार-बार उचचारर कर और मानलसक परराम कर |rdquo

-मशवानदजी

ldquoजो ववदयाथी बरहमचयक क दवारा भगवान क लोक को परापत कर लत ह कफर उनक ललय ही वह सवगक ह | व ककसी भी लोक म कयो न हो मकत ह |rdquo

-छानदोगय उपतनिद

ldquoबदचधमान मनषटय को चादहए कक वह वववाह न कर | वववादहत जीवन को एक परकार का दहकत हए

अगारो स भरा हआ खडडा समझ | सयोग या ससगक स इलनियजतनत जञान की उसपवतत होती ह

इलनिजतनत जञान स तससबधी सख को परापत करन की अलभलाषा दढ होती ह ससगक स दर रहन पर जीवासमा सब परकार क पापमय जीवन स मकत रहता ह |rdquo

-िहातिा बद

भगवशी ॠवष जनकवश क राजकमार स कहत ह

िनोऽपरततक लातन परतय चह च वाछमस |

भ ताना परततक लभयो तनवतयसव यतषनरयः ||

ldquoयदद तम इस लोक और परलोक म अपन मन क अनकल वसतएा पाना चाहत हो तो अपनी इलनियो को सयम म रखकर समसत पराखरयो क परततकल आचररो स दर हट जाओ |rdquo

ndashिहाभारत ि िोकष िय पवय 3094

(अनिम)

भसिासर करो स बचो काम िोध लोभ मोह अहकार- य सब ववकार आसमानदरपी धन को हर लनवाल शतर ह |

उनम भी िोध सबस अचधक हातनकतताक ह | घर म चोरी हो जाए तो कछ-न-कछ सामान बच जाता ह

लककन घर म यदद आग लग जाय तो सब भसमीभत हो जाता ह | भसम क लसवा कछ नही बचता |

इसी परकार हमार अतःकरर म लोभ मोहरपी चोर आय तो कछ पणय कषीर होत ह लककन िोधरपी आग लग तो हमारा तमाम जप तप पणयरपी धन भसम हो जाता ह | अतः सावधान होकर

िोधरपी भसमासर स बचो | िोध का अलभनय करक फफकारना ठीक ह लककन िोधालगन तमहार

अतःकरर को जलान न लग इसका रधयान रखो |

25 लमनट तक चबा-चबाकर भोजन करो | सालववक आहर लो | लहसन लाल लमचक और तली हई चीजो स दर रहो | िोध आव तब हाथ की अागललयो क नाखन हाथ की गददी पर दब इस परकार

मठठी बद करो |

एक महीन तक ककय हए जप-तप स चचतत की जो योगयता बनती ह वह एक बार िोध करन स नषटट हो जाती ह | अतः मर पयार भया सावधान रहो | अमकय मानव दह ऐस ही वयथक न खो दना |

दस गराम शहद एक चगलास पानी तलसी क पतत और सतकपा चरक लमलाकर बनाया हआ

शबकत यदद हररोज सबह म ललया जाए तो चचतत की परसननता बढती ह | चरक और तलसी नही लमल तो कवल शहद ही लाभदायक ह | डायतरबदटज क रोचगयो को शहद नही लना चादहए |

हरर ॐ

बरहिाचयय-रकषा का ितर

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय िनोमभलाित िनः सतभ कर कर सवाहा

रोज दध म तनहार कर 21 बार इस मतर का जप कर और दध पी ल इसस बरहमचयक की रकषा होती ह सवभाव म आसमसात कर लन जसा यह तनयम ह

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

पावन उदगार

पावन उदगार

सख-शातत व सवासथय का परसाद बािन क मलए ही बाप जी का अवतरण हआ ह

मर असयनत वपरय लमतर शरी आसाराम जी बाप स म पवककाल स हदयपवकक पररचचत हा ससार म सखी रहन क ललए समसत जनता को शारीररक सवासथय और मानलसक शातत दोनो आवशयक ह सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही इन सत का महापरष का अवतरर हआ ह आज क सतो-महापरषो म परमख मर वपरय लमतर बापजी हमार भारत दश क दहनद जनता क आम जनता क ववशववालसयो क उदधार क ललए रात-ददन घम-घमकर सससग

भजन कीतकन आदद दवारा सभी ववषयो पर मागकदशकन द रह ह अभी म गल म थोड़ी तकलीफ ह तो उनहोन तरनत मझ दवा बताई इस परकार सबक सवासथय और मानलसक शातत दोनो क ललए उनका जीवन समवपकत ह व धनभागी ह जो लोगो को बापजी क सससग व सालननरधय म लान का दवी कायक करत ह

काची कािकोहि पीठ क शकराचायय जगदगर शरी जयनर सरसवती जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

हर वयषकत जो तनराश ह उस आसाराि जी की जररत ह शरदधय-वदनीय लजनक दशकन स कोदट-कोदट जनो क आसमा को शातत लमली ह व हदय

उननत हआ ह ऐस महामनीवष सत शरी आसारामजी क दशकन करक आज म कताथक हआ लजस महापरष न लजस महामानव न लजस ददवय चतना स सपनन परष न इस धरा पर धमक ससकतत अरधयासम और भारत की उदातत परपराओ को परी ऊजाक (शलकत) स सथावपत ककया ह

उस महापरष क म दशकन न करा ऐसा तो हो ही नही सकता इसललए म सवय यहाा आकर अपन-आपको धनय और कताथक महसस कर रहा हा मर परतत इनका जो सनह ह यह तो मझ पर इनका आशीवाकद ह और बड़ो का सनह तो हमशा रहता ही ह छोटो क परतत यहाा पर म आशीवाकद लन क ललए आया हा

म समझता हा कक जीवन म लगभग हर वयलकत तनराश ह और उसको आसारामजी की जररत ह दश यदद ऊा चा उठगा समदध बनगा ववकलसत होगा तो अपनी पराचीन परपराओ नततक मकयो और आदशो स ही होगा और वह आदशो नततक मकयो पराचीन सभयता धमक-दशकन

और ससकतत का जो जागरर ह वह आशाओ क राम बनन स ही होगा इसललए शरदधय वदनीय महाराज शरी आसाराम जी की सारी दतनया को जररत ह बाप जी क चररो म पराथकना करत हए कक आप ददशा दत रहना राह ददखात रहना हम भी आपक पीछ-पीछ चलत रहग और एक ददन मलजल लमलगी ही पनः आपक चररो म वदन

परमसद योगाचायय शरी रािदव जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

बाप तनतय नवीन तनतय व यनीय आनदसवरप ह परम पजय बाप क दशकन करक म पहल भी आ चका हा दशकन करक हदन-हदन नव-नव

परततकषण व यनाि अथाकत बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह ऐसा अनभव हो रहा ह और यह सवाभाववक ही ह पजय बाप जी को परराम

सपरमसद कथाकार सत शरी िोरारी बाप

(अनिम) पावन उदगार

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहिजञान का हदवय सतसग

ईशवर की कपा होती ह तो मनषटय जनम लमलता ह ईशवर की अततशय कपा होती ह तो ममकषसव का उदय होता ह परनत जब अपन पवकजनमो क पणय इकटठ होत ह और ईशवर की परम कपा होती ह तब ऐसा बरहमजञान का ददवय सससग सनन को लमलता ह जसा पजयपाद बापजी क शरीमख स आपको यहाा सनन को लमल रहा ह

परमसद कथाकार सशरी कनकशवरी दवी

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी का साषननधय गगा क पावन परवाह जसा ह कल-कल करती इस भागीरथी की धवल धारा क ककनार पर पजय बाप जी क सालननरधय

म बठकर म बड़ा ही आहलाददत व परमददत हा आनददत हा रोमााचचत हा

गगा भारत की सषमना नाड़ी ह गगा भारत की सजीवनी ह शरी ववषटरजी क चररो स तनकलकर बरहमाजी क कमणडल व जटाधर क माथ पर शोभायमान गगा तरयोगलसदचधकारक ह ववषटरजी क चररो स तनकली गगा भलकतयोग की परतीतत कराती ह और लशवजी क मसतक पर लसथत गगा जञानयोग की उचचतर भलमका पर आरढ होन की खबर दती ह मझ ऐसा लग रहा ह कक आज बापजी क परवचनो को सनकर म गगा म गोता लगा रहा हा कयोकक उनका परवचन

उनका सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

व अलमसत फकीर ह व बड़ सरल और सहज ह व लजतन ही ऊपर स सरल ह उतन ही अतर म गढ ह उनम दहमालय जसी उचचता पववतरता शरषटठता ह और सागरतल जसी गमभीरता ह व राषटर की अमकय धरोहर ह उनह दखकर ऋवष-परमपरा का बोध होता ह गौतम कराद जलमतन कवपल दाद मीरा कबीर रदास आदद सब कभी-कभी उनम ददखत ह

र भाई कोई सतगर सत कहाव जो ननन अलख लखाव

रती उखाड़ आकाश उखाड़ अ र िड़इया ाव

श नय मशखर क पार मशला पर आसन अचल जिाव

र भाई कोई सतगर सत कहाव

ऐस पावन सालननरधय म हम बठ ह जो बड़ा दलकभ व सहज योगसवरप ह ऐस महापरष क ललए पलकतयाा याद आ रही ह- ति चलो तो चल रती चल अबर चल दतनया

ऐस महापरष चलत ह तो उनक ललए सयक चि तार गरह नकषतर आदद सब अनकल हो जात ह ऐस इलनियातीत गरातीत भावातीत शबदातीत और सब अवसथाओ स पर ककनही महापरष क शरीचररो म जब बठत ह तो भागवत कहता हः सा ना दशयन लोक सवयमसदध कर परि साधओ क दशकनमातर स ववचार ववभतत ववदवता शलकत सहजता तनववकषयता परसननता लसदचधयाा व आसमानद की परालपत होती ह

दश क महान सत यहाा सहज ही आत ह भारत क सभी शकराचायक भी आत ह मर मन म भी ववचार आया कक जहाा सब आत ह वहाा जाना चादहए कयोकक यही वह ठौर-दठकाना ह जहाा मन का अलभमान लमटाया जा सकता ह ऐस महापरषो क दशकन स कवल आनद व मसती ही नही बलकक वह सब कछ लमल जाता ह जो अलभलवषत ह आकाकषकषत ह लकषकषत ह यहाा म कररा कमकठता वववक-वरागय व जञान क दशकन कर रहा हा वरागय और भलकत क रकषर पोषर व सवधकन क ललए यह सपतऋवषयो का उततम जञान जाना जाता ह आज गगा अगर कफर स साकार ददख रही ह तो व बाप जी क ववचार व वारी म ददख रही ह अलमसतता सहजता उचचता शरषटठता पववतरता तीथक-सी शचचता लशश-सी सरलता तररो-सा जोश वदधो-सा गाभीयक और ऋवषयो जसा जञानावबोध मझ जहाा हो रहा ह वह पडाल ह इस आनदगर कहा या परमनगर कररा का सागर कहा या ववचारो का समनदर लककन इतना जरर कहागा कक मर मन का कोना-कोना आहलाददत हो रहा ह आपलोग बड़भागी ह जो ऐस महापरष क शरीचररो म बठ ह जहाा भागय का ददवय वयलकतसव का तनमाकर होता ह जीवन की कतकसयता जहाा परापत हो सकती ह वह यही दर ह

मिल ति मिली िषजल मिला िकसद और िददा भी

न मिल ति तो रह गया िददा िकसद और िषजल भी

आपका यह भावराजय व परमराजय दखकर म चककत भी हा और आनद का भी अनभव कर रहा हा मझ लगता ह कक बाप जी सबक आसमसयक ह आपक परतत मरा ववशवास व अटट तनषटठा बढ इस हत मरा नमन सवीकार कर

सवािी अव शानदजी िहाराज हररदवार

(अनिम) पावन उदगार

भगवननाि का जाद सतशरी आसारामजी बाप क यहाा सबस अचधक जनता आती ह कारर कक इनक पास भगवननाम-सकीतकन का जाद सरल वयवहार परमरसभरी वारी तथा जीवन क मल परशनो का उततर भी ह

षवरकतमशरोिरण शरी वािदवजी िहाराज

सवामी आसारामजी क पास भरातत तोड़न की दलषटट लमलती ह

यगपरि सवािी शरी परिानदजी िहाराज

आसारामजी महाराज ऐसी शलकत क धनी ह कक दलषटटपातमातर स लाखो लोगो क जञानचकष खोलन का मागक परशसत करत ह

लोकलाडल सवािी शरी बरहिानदधगरीजी िहाराज

हमार पजय आसारामजी बाप बहत ही कम समय म ससकतत का जतन और उसथान करन वाल सत ह आचायय शरी धगरीराज ककशोरजी षवशवहहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी क सतसग ि पर ानितरी शरी अिल बबहारी वाजपयीजी क उदगार

पजय बापजी क भलकतरस म डब हए शरोता भाई-बहनो म यहाा पर पजय बापजी का अलभनदन करन आया हा उनका आशीवकचन सनन आया हा भाषर दन य बकबक करन नही आया हा बकबक तो हम करत रहत ह बाप जी का जसा परवचन ह कथा-अमत ह उस

तक पहाचन क ललए बड़ा पररशरम करना पड़ता ह मन पहल उनक दशकन पानीपत म ककय थ वहाा पर रात को पानीपत म पणय परवचन समापत होत ही बापजी कटीर म जा रह थ तब उनहोन मझ बलाया म भी उनक दशकन और आशीवाकद क ललए लालातयत था सत-महासमाओ क दशकन तभी होत ह उनका सालननरधय तभी लमलता ह जब कोई पणय जागत होता ह

इस जनम म मन कोई पणय ककया हो इसका मर पास कोई दहसाब तो नही ह ककत जरर यह पवक जनम क पणयो का फल ह जो बाप जी क दशकन हए उस ददन बापजी न जो कहा वह अभी तक मर हदय-पटल पर अककत ह दशभर की पररिमा करत हए जन-जन क मन म अचछ ससकार जगाना यह एक ऐसा परम राषटरीय कतकवय ह लजसन हमार दश को आज तक जीववत रखा ह और इसक बल पर हम उजजवल भववषटय का सपना दख रह ह उस सपन को साकार करन की शलकत-भलकत एकतर कर रह ह

पजय बापजी सार दश म भरमर करक जागरर का शखनाद कर रह ह सवकधमक-समभाव की लशकषा द रह ह ससकार द रह ह तथा अचछ और बर म भद करना लसखा रह ह

हमारी जो पराचीन धरोहर थी और हम लजस लगभग भलन का पाप कर बठ थ बाप जी हमारी आाखो म जञान का अजन लगाकर उसको कफर स हमार सामन रख रह ह बापजी न कहा कक ईशवर की कपा स कर-कर म वयापत एक महान शलकत क परभाव स जो कछ घदटत होता ह उसकी छानबीन और उस पर अनसधान करना चादहए

पजय बापजी न कहा कक जीवन क वयापार म स थोड़ा समय तनकाल कर सससग म आना चादहए पजय बापजी उजजन म थ तब मरी जान की बहत इचछा थी लककन कहत ह न

कक दान-दान पर खान वाल की मोहर होती ह वस ही सत-दशकन क ललए भी कोई महतक होता ह आज यह महतक आ गया ह यह मरा कषतर ह पजय बाप जी न चनाव जीतन का तरीका भी बता ददया ह

आज दश की दशा ठीक नही ह बाप जी का परवचन सनकर बड़ा बल लमला ह हाल म हए लोकसभा अचधवशन क कारर थोड़ी-बहत तनराशा हई थी ककनत रात को लखनऊ म पणय परवचन सनत ही वह तनराशा भी आज दर हो गयी बाप जी न मानव जीवन क चरम लकषय मलकत-शलकत की परालपत क ललए परषाथक चतषटटय भलकत क ललए समपकर की भावना तथा जञान

भलकत और कमक तीनो का उकलख ककया ह भलकत म अहकार का कोई सथान नही ह जञान अलभमान पदा करता ह भलकत म परक समपकर होता ह 13 ददन क शासनकाल क बाद मन कहाः मरा जो कछ ह तरा ह यह तो बाप जी की कपा ह कक शरोता को वकता बना ददया और वकता को नीच स ऊपर चढा ददया जहाा तक ऊपर चढाया ह वहाा तक ऊपर बना रहा इसकी चचता भी बाप जी को करनी पड़गी

राजनीतत की राह बड़ी रपटीली ह जब नता चगरता ह तो यह नही कहता कक म चगर गया बलकक कहता हः हर हर गग बाप जी का परवचन सनकर बड़ा आनद आया म लोकसभा

का सदसय होन क नात अपनी ओर स एव लखनऊ की जनता की ओर स बाप जी क चररो म ववनमर होकर नमन करना चाहता हा

उनका आशीवाकद हम लमलता रह उनक आशीवाकद स परररा पाकर बल परापत करक हम कतकवय क पथ पर तनरनतर चलत हए परम वभव को परापत कर यही परभ स पराथकना ह

शरी अिल बबहारी वाजपयी पर ानितरी भारत सरकार

परि प जय बाप सत शरी आसारािजी बाप क कपा-परसाद स पररपलाषवत हदयो क उदगार

(अनिम) पावन उदगार

प बाप ः राटरसख क सव यक

पजय बाप दवारा ददया जान वाला नततकता का सदश दश क कोन-कोन म लजतना अचधक परसाररत होगा लजतना अचधक बढगा उतनी ही मातरा म राषटरसख का सवधकन होगा राषटर की परगतत होगी जीवन क हर कषतर म इस परकार क सदश की जररत ह

(शरी लालकटण आडवाणी उपपर ानितरी एव कनरीय गहितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

राटर उनका ऋणी ह भारत क भतपवक परधानमतरी शरी चनिशखर ददकली क सवरक जयनती पाकक म 25 जलाई

1999 को बाप जी की अमतवारी का रसासवादन करन क पशचात बोलः

आज पजय बाप जी की ददवय वारी का लाभ लकर म धनय हो गया सतो की वारी न हर यग म नया सदश ददया ह नयी परररा जगायी ह कलह वविोह और दवष स गरसत वतकमान वातावरर म बाप लजस तरह ससय कररा और सवदनशीलता क सदश का परसार कर रह ह इसक ललए राषटर उनका ऋरी ह (शरी चनरशखर भ तप वय पर ानितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

गरीबो व षपछड़ो को ऊपर उठान क कायय चाल रह गरीबो और वपछड़ो को ऊपर उठान का कायक आशरम दवारा चलाय जा रह ह मझ

परसननता ह मानव-ककयार क ललए ववशषतः परम व भाईचार क सदश क मारधयम स ककय जा रह ववलभनन आरधयालसमक एव मानवीय परयास समाज की उननतत क ललए सराहनीय ह

डॉ एपीजअबदल कलाि राटरपतत भारत गणततर

(अनिम) पावन उदगार

सराहनीय परयासो की सफलता क मलए ब ाई मझ यह जानकर बड़ी परसननता हई ह कक सत शरी आसारामजी आशरम नयास जन-जन

म शातत अदहसा और भरातसव का सदश पहाचान क ललए दश भर म सससग का आयोजन कर रहा ह उसक सराहनीय परयासो की सफलता क ललए म बधाई दता हा

शरी क आर नारायणन ततकालीन राटरपतत भारत गणततर नई हदलली

(अनिम) पावन उदगार

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आरधयालसमक चतना जागत और ववकलसत करन हत भारतीय एव वलशवक समाज म ददवय जञान का जो परकाशपज आपन परसफदटत ककया ह सपरक मानवता उसस आलोककत ह मढता जड़ता दवदव और तरतरतापो स गरसत इस समाज म वयापत अनासथा तथा नालसतकता का ततलमर समापत कर आसथा सयम सतोष और समाधान का जो आलोक आपन तरबखरा ह सपरक

समाज उसक ललए कतजञ ह शरी किलनाथ वारणजय एव उदयोग ितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आप सिाज की सवागीण उननतत कर रह ह आज क भागदौड़ भर सपधाकसमक यग म लपतपराय-सी हो रही आलसमक शातत का आपशरी

मानवमातर को सहज म अनभव करा रह ह आप आरधयालसमक जञान दवारा समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह व उसम धालमकक एव नततक आसथा को सदढ कर रह ह

शरी कषपल मसबबल षवजञान व परौदयोधगकी तथा िहासागर षवकास राजयितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

योग व उचच ससकार मशकषा हत भारतविय आपका धचर-आभारी रहगा

दश ववदश म भारतीय ससकतत की जञानगगाधारा बचच-बचच क ददल-ददमाग म बाप जी क तनदश पर पररचाललत होना शभकर ह ववदयाचथकयो म ससकार लसचन दवारा हमारी ससकतत और नततक लशकषा सदढ बन जायगी दश को ससकाररत बनान क ललए चलाय जान वाल योग व उचच ससकार लशकषा कायकिम हत भारतवषक आप जस महासमाओ का चचरआभारी रहगा

शरी चनरशखर साह गरािीण षवकास राजयिनतरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आपन जो कहा ह हि उसका पालन करग

आज तक कवल सना था कक तरा साई तझि ह लककन आज पजय बाप जी क सससग सनकर आज लगा - िरा साई िझि ह बापजी आपको दखकर ही शलकत आ गयी

आपको सनकर भलकत परकट हो गयी और आपक दशकन और आशीवाकद स मलकत अब सतनलशचत हो गयी पराथकना करता हा कक यही बस जाओ हम बार-बार आपक दशकन करत रह और भलकत

शलकत परापत करत हए मलकत की ओर बढत रह अब हरदय स कभी तनकल न पाओग बाप जी जो भलकत रस की सररता और जञान की गगा आपन बहायी ह वह मरधय परदश वालसयो को हमशा परररा दती रहगी हम तो भकत ह लशषटय ह आपन जो कछ बात कही ह हम उनका पालन करग हम ववशषरप स रधयान रखग कक आपन जो आजञा की ह नीम पीपल आावला जगह-जगह लग और तलसी मया का पौधा हर घर म लहराय उस आजञा का पालन हो कफर मरधय-परदश नदनवन की तरह महकगा

तीन चीज आपस माागता हा ndash सत बदचध सत मागक और सामथयक दना ताकक जनता की सचार रप स सवा कर सका शरी मशवराजमसह चौहान िखयितरी िधयपरदश

(अनिम) पावन उदगार

जब गर क साकषात दशयन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

राजमाता की वजह स महाराज बापजी स हमारा बहत पराना ररशता ह आज रामनवमी क ददन म तो मानती हा कक म तो धनय हो गयी कयोकक सबह स लकर दशकन हो रह ह महाराज आपका आशीवाकद बना रह कयोकक म राज करन क ललए नही आयी धमक और कमक को एक साथ जोड़कर म सवा करन क ललए आयी हा और वह म करती रहागी आप आत रहोग आशीवाकद दत रहोग तो हमम ऊजाक भी पदा होगी आप रासता बतात रहो और इस राजयरपी पररवार की सवा करन की शलकत दत रहो

म माफी चाहती हा कक आपक चररो म इतनी दर स पहाची लककन म मानती हा कक जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा राजय की समसयाएा हल होगी व हम लोग जनसवा क काम कर सक ग वसन राराज मसध या िखयितरी राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी सवयतर ससकार रोहर को पहचान क मलए अथक तपशचयाय कर रह ह

पजय बाप जी आप दश और दतनया ndash सवकतर ऋवष-परमपरा की ससकार-धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह अनक यगो स चलत आय मानव-ककयार क इस तपशचयाक-यजञ म आप अपन पल-पल की आहतत दत रह ह उसम स जो ससकार की ददवय जयोतत परकट हई ह उसक परकाश म म और जनता ndash सब चलत रह ह म सतो क आशीवाकद स जी रहा हा म यहाा इसललए आया हा कक लासनस ररनय हो जाय जस नवला अपन घर म जाकर औषचध साघकर ताकत लकर आता ह वस ही म समय तनकाल कर ऐसा अवसर खोज लता हा

शरी नरनर िोदी िखयितरी गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपक दशयनिातर स िझ अदभत शषकत मिलती ह पजय बाप जी क ललए मर ददल म जो शरदधा ह उसको बयान करन क ललए मर पास

कोई शबद नही ह आज क भटक समाज म भी यदद कछ लोग सनमागक पर चल रह ह तो यह इन महापरषो क अमतवचनो का ही परभाव ह बापजी की अमतवारी का ववशषकर मझ पर तो बहत परभाव पड़ता ह मरा तो मन करता ह कक बाप जी जहाा कही भी हो वही पर उड़कर उनक दशकन करन क ललए पहाच जाऊा व कछ पल ही सही उनक सालननरधय का लाभ ला आपक दशकनमातर स ही मझ एक अदभत शलकत लमलती ह शरी परकाश मसह बादल िखयितरी पजाब

(अनिम) पावन उदगार

हि सभी का कतयवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल हम सबका परम सौभागय ह कक बाप जी क दशकन हए कल आपस मलाकात हई

आशीवाकद लमला मागकदशकन भी लमला और इशारो-इशारो म आपन वह सब कछ जो सदगरदव एक लशषटय को बता सकत ह मर जस एक लशषटय को आशीवाकद रप म परदान ककया आपक आशीवाकद

व कपादलषटट स छततीसगढ म सख-शातत व समदचध रह यहाा क एक-एक वयलकत क घर म ववकास की ककरर आय

आपन जो जञानोपदश ददया ह हम सभी का कतकवय होगा कक उस रासत पर चल बापजी स खासतौर स पीपल नीम आावला व तलसी क वकष लगान क बार म कहा ह हम इस पर ववशषरप स रधयान रखग डॉ रिन मसह िखयितरी छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

आपका ितर हः आओ सरल रासता हदखाऊ राि को पान क मलए

पजय बाबा आसारामजी बाप आपका नाम आसारामजी बाप इसललए तनकला ह कयोकक आपका यही मतर ह कक आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए आज हम धनय ह कक सससग म आय सससग उस कहत ह लजसक सग म हम सत हो जाय पजय बाप जी न हम भगवान को पान का सरल रासता ददखाया ह इसललए म जनता की ओर स बापजी का धनयवाद करता हा शरी ईएसएल नरमसमहन राजयपाल छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

सतो क िागयदशयन ि दश चलगा तो आबाद होगा पजय बाप जी म कमकयोग भलकतयोग तथा जञानयोग तीनो का ही समावश ह आप

आज करोड़ो-करोड़ो भकतो का मागकदशकन कर रह ह सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा म तो बड़-बड़ नताओ स यही कहता हा कक आप सतो का आशीवाकद जरर लो इनक चररो म अगर रहग तो सतता रहगी दटकगी तथा उसी स धमक की सथापना होगी

शरी अशोक मसघल अधयकष षवशव हहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

सतय का िागय कभी न छ ि ऐसा आशीवायद दो

हम आपक मागकदशकन की जररत ह वह सतत लमलता रह आपन हमार कधो पर जो जवाबदारी दी ह उस हम भली परकार तनभाय बर मागक पर न जाय ससय क मागक पर चल लोगो की अचछ ढग स सवा कर ससकतत की सवा कर ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

शरी उद व ठाकर काययकारी अधयकष मशवसना

(अनिम) पावन उदगार

पणयोदय पर सत सिागि

जीवन की दौड़-धप स कया लमलता ह यह हम सब जानत ह कफर भी भौततकवादी ससार म हम उस छोड़ नही पात सत शरी आसारामजी जस ददवय शलकतसमपनन सत पधार और हमको आरधयालसमक शातत का पान कराकर जीवन की अधी दौड़ स छड़ाय ऐस परसग कभी-कभी ही परापत होत ह य पजनीय सतशरी ससार म रहत हए भी परकतः ववशवककयार क ललए चचनतन करत ह कायक करत ह लोगो को आनदपवकक जीवन वयतीत करन की कलाएा और योगसाधना की यलकतयाा बतात ह

आज उनक समकष थोड़ी ही दर बठन स एव सससग सनन स हमलोग और सब भल गय ह तथा भीतर शातत व आनद का अनभव कर रह ह ऐस सतो क दरबार म पहाचना पणयोदय का फल ह उनह सनकर हमको लगता ह कक परततददन हम ऐस सससग क ललए कछ समय अवशय तनकालना चादहए पजय बाप जी जस महान सत व महापरष क सामन म अचधक कया कहा चाह कछ भी कहा वह सब सयक क सामन चचराग ददखान जसा ह

शरी िोतीलाल वोरा अरखल भारतीय कागरस कोिाधयकष प वय िखयितरी (िपर) प वय राजयपाल (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी जहा नही होत वहा क लोगो क मलए भी बहत कछ करत ह

सार दश क लोग पजय बापजी क आशीवकचनो की पावन गगा म नहा कर धनय हो रह ह आज बापजी यहाा उड़ीसा म सससग-अमत वपलान क ललए उपलसथत ह व जब यहाा नही होत

ह तब भी उड़ीसा क लोगो क बहत कछ करत ह उनको सब समय याद करत ह उड़ीसा क दररिनारायरो की तन-मन-धन स सवा दर-दराज म भी चलात ह

शरी जानकीवललभ पिनायक िखयितरी उड़ीसा

(अनिम) पावन उदगार

जीवन की सचची मशकषा तो प जय बाप जी ही द सकत ह बापजी ककतन परमदाता ह कक कोई भी वयलकत समाज म दःखी न रह इसललए सतत

परयसन करत रहत ह म हमशा ससकार चनल चाल करक आपक आशीवाकद लन क बाद ही सोती हा जीवन की सचची लशकषा तो हम भी नही द पा रह ह ऐसी लशकषा तो पजय सत शरी आसारामजी बाप जस सत लशरोलमरी ही द सकत ह

आनदीबहन पिल मशकषाितरी (प वय) राजसव एव िागय व िकान ितरी (वतयिान) गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपकी कपा स योग की अणशषकत पदा हो रही ह अनक परकार की ववकततयाा मानव क मन पर सामालजक जीवन पर ससकार और

ससकतत पर आिमर कर रही ह वसततः इस समय ससकतत और ववकतत क बीच एक महासघषक चल रहा ह जो ककसी सरहद क ललए नही बलकक ससकारो क ललए लड़ा जा रहा ह इसम ससकतत को लजतान का बम ह योगशलकत ह गरदव आपकी कपा स इस योग की ददवय अरशलकत लाखो लोगो म पदा हो रही ह य ससकतत क सतनक बन रह ह

गरदव म आपस पराथकना करता हा कक शासन क अदर भी धमक और वरागय क ससकार उसपनन हो आपस आशीवाकद परापत करन क ललए म आपक चररो म आया हा

(शरी अशोकभाई भटि कान नितरी गजरात राजय)

(अनिम) पावन उदगार

रती तो बाप जस सतो क कारण हिकी ह

मझ सससग म आन का मौका पहली बार लमला ह और पजय बापजी स एक अदभत बात मझ और आप सब को सनन को लमली ह वह ह परम की बात इस सलषटट का जो मल तवव ह वह ह परम यह परम नाम का तवव यदद न हो तो सलषटट नषटट हो जाएगी लककन ससार म कोई परम करना नही जानता या तो भगवान पयार करना जानत ह या सत पयार करना जानत ह लजसको ससारी लोग अपनी भाषा म परम कहत ह उसम तो कही-न-कही सवाथक जड़ा होता ह लककन भगवान सत और गर का परम ऐसा होता ह लजसको हम सचमच परम की पररभाषा म बााध सकत ह म यह कह सकती हा कक साध सतो को दश की सीमाएा नही बााधती जस नददयो की धाराएा दश और जातत की सीमाओ म नही बााधती उसी परकार परमासमा का परम और सतो का आशीवाकद भी कभी दश जातत और सपरदाय की सीमाओ म नही बधता कललयग म हदय की तनषटकपटता तनःसवाथक परम सयाग और तपसया का कषय होन लगा ह कफर भी धरती दटकी ह तो बाप इसललए कक आप जस सत भारतभलम पर ववचरर करत ह बाप की कथा म ही मन यह ववशषता दखी ह कक गरीब और अमीर दोनो को अमत क घाट एक जस पीन को लमलत ह यहाा कोई भदभाव नही ह

(सशरी उिा भारती िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

ि किनसीब ह जो इतन सिय तक गरवाणी स वधचत रहा परम पजय गरदव क शरी चररो म सादर परराम मन अभी तक महाराजशरी का नाम

भर सना था आज दशकन करन का अवसर लमला ह लककन म अपन-आपको कमनसीब मानता हा कयोकक दर स आन क कारर इतन समय तक गरदव की वारी सनन स वचचत रहा अब मरी कोलशश रहगी कक म महाराजशरी की अमतवारी सनन का हर अवसर यथासमभव पा सका म ईशवर स यही पराथकना करता हा कक व हम ऐसा मौका द कक हम गर की वारी को सनकर अपन-आपको सधार सक गर जी क शरी चररो म सादर समवपकत होत हए मरधयपरदश की जनता की ओर स पराथकना करता हा कक गरदव आप इस मरधयपरदश म बार-बार पधार और हम लोगो को आशीवाकद दत रह ताकक परमाथक क उस कायक म जो आपन पर दश म ही नही दश क बाहर भी फलाया ह मरधयपरदश क लोगो को भी जड़न का जयादा-स-जयादा अवसर लमल

(शरी हदषगवजय मसह ततकालीन िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

इतनी ि र वाणी इतना अदभत जञान म अपनी ओर स तथा यहाा उपलसथत सभी महानभावो की ओर स परम शरदधय

सतलशरोमखर बाप जी का हाददकक सवागत करता हा मन कई बार टीवी पर आपको दखा सना ह और ददकली म एक बार आपका परवचन भी सना ह इतनी मधर वारी इतना मधर जञान अगर आपक परवचन पर गहराई स ववचार करक अमल ककया जाय तो इनसान को लजदगी म सही रासता लमल सकता ह व लोग धन भागी ह जो इस यग म ऐस महापरष क दशकन व सससग स अपन जीवन-समन खखलात ह

(शरी भजनलाल ततकालीन िखयितरी हररयाणा)

(अनिम) पावन उदगार

सतसग शरवण स िर हदय की सफाई हो गयी पजयशरी क दशकन करन व आशीवाकद लन हत आय हए उततरपरदश क तसकालीन राजयपाल

शरी सरजभान न कहाः समशानभलम स आन क बाद हम लोग शरीर की शदचध क ललए सनान कर लत ह ऐस ही ववदशो म जान क कारर मझ पर दवषत परमार लग जात थ परत वहाा स लौटन क बाद यह मरा परम सौभागय ह कक यहाा महाराज शरी क दशकन व पावन सससग-शरवर करन स मर चचतत की सफाई हो गयी ववदशो म रह रह अनको भारतवासी पजय बाप क परवचनो को परसयकष या परोकष रप स सन रह ह मरा यह सौभागय ह कक मझ यहाा महाराजशरी को सनन का सअवसर परापत हआ

(शरी स रजभान ततकालीन राजयपाल उततरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी उततराचल राजय का सौभागय ह कक इस दवभमी म दवता सवरप पजय बापजी का आशरम बन रहा ह | आप ऐसा आशरम बनाय जसा कही भी न हो | यह हम लोगो का सौभागय ह कक अब पजय बापजी की जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी ह | अब गगा जाकर दशकन करन व सनान करन की उतनी आवशयकता नही ह लजतनी सत शरी आसारामजी बाप क चररो म बठकर

उनक आशीवाकद लन की ह |

-शरी तनतयानद सवािीजी

ततकालीन िखयितरी उततराचल

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी क सतसग स षवशवभर क लोग लाभाषनवत भारतभलम सदव स ही ऋवष-मतनयो तथा सत-महासमाओ की भलम रही ह लजनहोन ववशव

को शातत एव अरधयासम का सदश ददया ह आज क यग म पजय सत शरी आसारामजी अपनी अमतवारी दवारा ददवय आरधयालसमक सदश द रह ह लजसस न कवल भारत वरन ववशवभर म लोग लाभालनवत हो रह ह

(शरी सरजीत मसह बरनाला राजयपाल आनरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

प री डडकशनरी याद कर षवशव ररकॉडय बनाया ऑकसफोडक एडवास लनकसक डडकशनरी (अगरजी छठा ससकरर) क 80000 शबदो को उनकी

पषटठ सखया सदहत मन याद कर ललया जो कक समसत ववशव क ललए ककसी चमसकार स कम नही ह फलसवरप मरा नाम ललमका बक ऑफ वकडक ररकॉडकस म दजक हो गया यही नही जी टीवी पर ददखाय जान वाल ररयाललटी शो म शाबाश इडडया म भी मन ववशव ररकॉडक बनाया द वीक पतरतरका क एक सवकषर म भी मरा नाम 25 अदभत वयलकतयो की सची म ह

मझ पजय गरदव स मतरदीकषा परापत होना भरामरी परारायाम सीखन को लमलना तथा अपनी कमजोरी को ही महानता परापत करन का साधन बनान की परररा कला बल एव उससाह परापत होना ndash यह सब तो गरदव की अहतकी कपा का ही चमसकार ह गरकपा ही कवल मशटयसय पर िगलि

षवरनर िहता अजयन नगर रोहतक (हरर)

(अनिम) पावन उदगार

ितरदीकषा व यौधगक परयोगो स बदध का अपरतति षवकास

पहल म एक साधारर छातर था मझ लगभग 50-55 परततशत अक ही लमलत थ 11वी ककषा म तो ऐसी लसथतत हई कक सकल का नाम खराब न हो इसललए परधानारधयापक न मर अलभभावको को बलाकर मझ सकल स तनकाल दन तक की बात कही थी बाद म मझ पजय बाप जी स सारसवसय मतर की दीकषा लमली इस मतर क जप व बापजी दवारा बताय गय परयोगो क अभयास स कछ ही समय म मरी बदचधशलकत का अपरततम ववकास हआ तसपशचात नोककया मोबाइल कपनी म गलोबल सववकसस परोडकट मनजर क पद पर मरी तनयलकत हई और मन एक पसतक ललखी जो अतराकषटरीय कपतनयो को सकयलर नटवकक की डडजाईन बनान म उपयोगी हो रही ह एक ववदशी परकाशन दवारा परकालशत इस पसतक की कीमत 110 डॉलर (करीब 4500 रपय) ह इसक परकाशन क बाद मरी पदोननती हई और अब ववशव क कई दशो म मोबाइल क कषतर म परलशकषर दन हत मझ बलात ह कफर मन एक और पसतक ललखी लजसकी 150 डॉलर (करीब 6000 रपय) ह यह पजयशरी स परापत सारसवसय मतरदीकषा का ही पररराम ह

अजय रजन मिशरा जनकपरी हदलली

(अनिम) पावन उदगार

सतसग व ितरदीकषा न कहा स कहा पहचा हदया पहल म भस चराता था रोज सबह रात की रखी रोटी पयाज नमक और मोतरबल ऑयल

क डडबब म पानी लकर तनकालता व दोपहर को वही खाता था आचथकक लसथतत ठीक न होन स टायर की ढाई रपय वाली चपपल पहनता था

12वी म मझ कवल 60 परततशत अक परापत हए थ उसक बाद मन इलाहाबाद म इजीतनयररग म परवश ललया तब म अजञानवश सतो का ववरोध करता था सतो क ललए जहर उगलन वाल मखो क सग म आकर म कछ-का-कछ बकता था लककन इलाहाबाद म पजय बाप जी का सससग आयोलजत हआ तो सोचा 5 लमनट बठत ह वहाा बठा तो बठ ही गया कफर मझ बापजी दवारा सारसवसय मतर लमला मरी सझबझ म सदगर की कपा का सचार हआ मन सववचध मतर-अनषटठान ककया छठ ददन मर आजञाचि म कमपन होन लगा था म एक साल तक

एकादशी क तनजकल वरत व जागरर करत हए शरी आसारामायर शरी ववषटर सहसरनाम गजनिमोकष का पाठ व सारसवसय मतर का जप करता था रात भर म यही पराथकना करता था बस परभ मझ गर जी स लमला दो

परभकपा स अब मरा उददशय परा हो गया ह इस समय म गो एयर (हवाई जहाज कमपनी) म इजीतनयर हा महीन भर का करीब एक लाख 80 हजार पाता हा कछ ददनो म तनखवाह ढाई लाख हो जायगी गर जी न भस चरान वाल एक गरीब लड़क को आज लसथतत म पहाचा ददया ह

कषकषततज सोनी (एयरकराफि इजीतनयर) हदलली

(अनिम) पावन उदगार

5 विय क बालक न चलायी जोरखि भरी सड़को पर कार

मन पजय बापजी स सारसवसय मतर की दीकषा ली ह जब म पजा करता हा बापजी मरी तरफ पलक झपकात ह म बापजी स बात करता हा म रोज दस माला करता हा म बापजी स जो माागता हा वह मझ लमल जाता ह मझ हमशा ऐसा एहसास होता ह कक बापजी मर साथ ह

5 जलाई 2005 को म अपन दोसतो क साथ खल रहा था मरा छोटा भाई छत स नीच चगर गया उस समय हमार घर म कोई बड़ा नही था इसललए हम सब बचच डर गय इतन म पजय बापजी की आवाज आयी कक ताश इस वन म तरबठा और वन चलाकर हॉलसपटल ल जा उसक बाद मन अपनी दीददयो की मदद स दहमाश को वन म ललटाया गाड़ी कसी चली और असपताल कस पहाची मझ नही पता मझ रासत भर ऐसा एहसास रहा कक बापजी मर साथ बठ ह और गाड़ी चलवा रह ह (घर स असपताल का 5 ककमी स अचधक ह)

ताश बसोया राजवीर कॉलोनी हदलली ndash 16

(अनिम) पावन उदगार

ऐस सतो का षजतना आदर ककया जाय कि ह

ककसी न मझस कहा थाः रधयान की कसट लगाकर सोयग तो सवपन म गरदव क दशकन होगrsquo

मन उसी रात रधयान की कसट लगायी और सनत-सनत सो गया उस वकत रातरतर क बारह-साढ बारह बज होग वकत का पता नही चला ऐसा लगा मानो ककसी न मझ उठा ददया म गहरी नीद स उठा एव गर जी की लपवाल फोटो की तरफ टकटकी लगाकर एक-दो लमनट तक दखता रहा इतन म आशचयक टप अपन-आप चल पड़ी और कवल य तीन वाकय सनन को लमलः lsquoआसमा चतनय ह शरीर जड़ ह शरीर पर अलभमान मत करोrsquo

टप सवतः बद हो गयी और पर कमर म यह आवाज गाज उठी दसर कमर म मरी पसनी की भी आाख खल गयी और उसन तो यहाा तक महसस ककया जस कोई चल रहा ह व गरजी क लसवाय और कोई नही हो सकत

मन कमर की लाइट जलायी और दौड़ता हआ पसनी क पास गया मन पछाः lsquoसनाrsquo वह बोलीः lsquoहााrsquo

उस समय सबह क ठीक चार बज थ सनान करक म रधयान म बठा तो डढ घणट तक बठा रहा इतना लबा रधयान तो मरा कभी नही लगा इस घटना क बाद तो ऐसा लगता ह कक गरजी साकषात बरहमसवरप ह उनको जो लजस रप म दखता ह वस व ददखत ह

मरा लमतर पाशचासय ववचारधारावाला ह उसन गरजी का परवचन सना और बोलाः lsquoमझ तो य एक बहत अचछ लकचरर लगत हrsquo

मन कहाः lsquoआज जरर इस पर गरजी कछ कहगrsquo

यह सरत आशरम म मनायी जा रही जनमाषटटमी क समय की बात ह हम कथा म बठ गरजी न कथा क बीच म ही कहाः lsquoकछ लोगो को म लकचरर ददखता हा कछ को lsquoपरोफसरrsquo ददखता हा कछ को lsquoगरrsquo ददखता हा और वसा ही वह मझ पाता हrsquo

मर लमतर का लसर शमक स झक गया कफर भी वह नालसतक तो था ही उसन हमार तनवास पर मजाक म गरजी क ललए कछ कहा तब मन कहाः यह ठीक नही ह अबकी बार मान जा नही तो गर जी तझ सजा दग

15 लमनट म ही उसक घर स फोन आ गया कक बचच की तबीयत बहत खराब ह उस असपताल म दाखखल करना पड़ रहा ह

तब मर लमतर की सरत दखन लायक थी वह बोलाः गकती हो गयी अब म गर जी क ललए कछ नही कहागा मझ चाह ववशवास हो या न हो

अखबारो म गर जी की तनदा ललखनवाल अजञानी लोग नही जानत कक जो महापरष भारतीय ससकतत को एक नया रप द रह ह कई सतो की वाखरयो को पनजीववत कर रह ह लोगो क शराब-कबाब छड़वा रह ह लजनस समाज का ककयार हो रहा ह उनक ही बार म हम हलकी बात ललख रह ह यह हमार दश क ललए बहत ही शमकजनक बात ह ऐस सतो का तो लजतना आदर ककया जाय वह कम ह गरजी क बार म कछ भी बखान करन क ललए मर पास शबद नही ह

(डॉ सतवीर मसह छाबड़ा बीबीईएि आकाशवाणी इनदौर)

(अनिम) पावन उदगार

िझ तनवययसनी बना हदया म वपछल कई वषो स तमबाक का वयसनी था और इस दगकर को छोड़न क ललए मन

ककतन ही परयसन ककय पर म तनषटफल रहा जनवरी 1995 म पजय बाप जब परकाशा आशरम (महा) पधार तो म भी उनक दशकनाथक वहाा पहाचा और उनस अनऱोध ककयाः

बाप ववगत 32 वषो स तमबाक का सवन कर रहा हा अनक परयसनो क बाद भी इस दगकर स म मकत न हो सका अब आप ही कपा कीलजएrsquo

पजय बाप न कहाः lsquoलाओ तमबाक की डडबबी और तीन बार थककर कहो कक आज स म तमबाक नही खाऊा गाrsquo

मन पजय बाप जी क तनदशानसार वही ककया और महान आशचयक उसी ददन स मरा तमबाक खान का वयसन छट गया पजय बाप की ऐसी कपादलषटट हई कक वषक परा होन पर भी मझ कभी तमबाक खान की तलब नही लगी

म ककन शबदो म पजय बाप का आभार वयकत करा मर पास शबद ही नही ह मझ आननद ह कक इन राषटरसत न बरबाद व नषटट होत हए मर जीवन को बचाकर मझ तनवयकसनी ददया

(शरी लखन भिवाल षज मलया िहाराटर)

(अनिम) पावन उदगार

गरजी की तसवीर न पराण बचा मलय

कछ ही ददनो पहल मरा दसरा बटा एम ए पास करक नौकरी क ललय बहत जगह घमा बहत जगह आवदन-पतर भजा ककनत उस नौकरी नही लमली | कफर उसन बापजी स दीकषा ली | मन आशरम का कछ सामान कसट सतसादहसय लाकर उसको दत हए कहा शहर म जहाा मददर ह जहाा मल लगत ह तथा जहाा हनमानजी का परलसदध दकषकषरमखी मददर ह वहा सटाल लगाओ | बट न सटाल लगाना शर ककया | ऐस ही एक सटाल पर जलगाव क एक परलसदध वयापारी अगरवालजी आय बापजी की कछ कसट खरीदी और ईशवर की ओर नामक पसतक भी साथ म ल गय पसतक पढी और कसट सनी | दसर ददन व कफर आय और कछ सतसादहसय खरीद कर ल गय व पान क थोक वविता ह | उनको पान खान की आदत ह | पसतक पढकर उनह लगा म पान छोड़ दा | उनकी दकान पर एक आदमी आया | पाचसौ रपयो का सामान खरीदा और उनका फोन नमबर ल गया | एक घट क बाद उसन दकान पर फोन ककया सठ अगरवालजी मझ आपका खन करन का काम सौपा गया था | काफी पस (सपारी) भी ददय गय थ और म तयार भी हो गया था पर जब म आपकी दकान पर पहचा तो परम पजय सत शरी आसारामजी बाप क चचतर पर मरी नजर पड़ी | मझ ऐसा लगा मानो साकषात बाप बठ हो और मझ नक इनसान बनन की परररा द रह हो गरजी की तसवीर न (तसवीर क रप म साकषात गरदव न आकर) आपक परार बचा ललय | अदभत चमसकार ह ममबई की पाटी न उसको पस भी ददय थ और वह आया भी था खन करन क इराद स परनत जाको राख साइयाा चचतर क दवार भी अपनी कपा बरसान वाल ऐस गरदव क परसयकष दशकन करन क ललय वह यहाा भी आया ह |

-बालकटण अगरवाल

जलगाव िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

सदगर मशटय का साथ कभी नही छोड़त एक रात म दकान स सकटर दवारा अपन घर जा रहा था | सकटर की डडककी म काफी

रपय रख हए थ | जयो ही घर क पास पहचा तो गली म तीन बदमाश लमल | उनहोन मझ घर ललया और वपसतौल ददखायी | सकटर रकवाकर मर लसर पर तमच का बट मार ददया और धकक मार कर मझ एक तरफ चगरा ददया | उनहोन सोचा होगा कक म अकला ह पर लशषटय जब सदगर स मतर लता ह शरदधा-ववशवास रखकर उसका जप करता ह तब सदगर उसका साथ नही छोड़त |

मन सोचा डडककी म बहत रपय ह और य बदमाश तो सकटर ल जा रह ह | मन गरदव स पराथकना की | इतन म व तीनो बदमाश सकटर छोड़कर थला ल भाग | घर जाकर खोला होगा तो सबजी और खाली दटकफ़न दखकर लसर कटा पता नही पर बड़ा मजा आया होगा | मर पस बच गयउनका सबजी का खचक बच गया |

-गोकलचनर गोयल

आगरा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स अ ापन द र हआ

मझ गलकोमा हो गया था | लगभग पतीस साल स यह तकलीफ़ थी | करीब छः साल तक तो म अधा रहा | कोलकाता चननई आदद सब जगहो पर गया शकर नतरालय म भी गया ककनत वहा भी तनराशा हाथ लगी | कोलकाता क सबस बड़ नतर-ववशषजञ क पास गया | उसन भी मना कर ददया और कहा | धरती पर ऐसा कोई इनसान नही जो तमह ठीक कर सक | लककन सरत आशरम म मझ गरदव स मतर लमला | वह मतर मन खब शरदधा-ववशवासपवकक जपा कयोकक सकषात बरहमसवरप गरदव स वह मतर लमला था | करीब छः-सात महीन ही जप हआ था कक मझ थोड़ा-थोड़ा ददखायी दन लगा | डॉकटर कहत थ कक तमको भरातत हो गयी ह पर मझ तो अब भी अचछी तरह ददखता ह | एक बार एक अनय भयकर दघकटना स भी गरदव न मझ बचाया था |

ऐस गरदव का ॠर हम जनमो-जनमो तक नही चका सकत |

-शकरलाल िहशवरी कोलकाता

(अनिम) पावन उदगार

और डकत घबराकर भाग गय

१४ जलाई ९९ को करीब साढ तीन बज मर मकान म छः डकत घस आय और उस समय दभाकगय स बाहर का दरवाजा खला हआ था | दो डकत बाहर मारतत चाल रखकर खड़ थ |

एक डकत न धकका दकर मरी माा का माह बद कर ददया और अलमारी की चाबी माागन लगा |

इस घटना क दौरान म दकान पर था | मरी पसनी को भी डकत धमकान लग और आवाज न करन को कहा | मरी पसनी न पजय बापजी क चचतर क सामन हाथ जोड़कर पराथकना की अब आप ही रकषा करो इतना ही कहा तो आशचयक आशचयक परम आशचयक व सब डकत घबराकर भागन लग | उनकी हड़बड़ाहट दखकर ऐसा लग रहा था मानो उनह कछ ददखायी नही द रहा था | व भाग गय | मरा पररवार गरदव का ॠरी ह | बापजी क आशीवाकद स सब सकशल ह |

हमन १५ नवमबर ९८ को वारारसी म मतरदीकषा ली थी |

-िनोहरलाल तलरजा

४ झललाल नगर मशवाजी नगर

वाराणसी

(अनिम) पावन उदगार

ितर दवारा ितदह ि पराण-सचार

म शरी योग वदानत सवा सलमतत आमट स जीप दवारा रवाना हआ था | ११ जलाई १९९४ को मरधयानह बारह बज हमारी जीप ककसी तकनीकी तरदट क कारर तनयतरर स बाहर होकर तीन पलकटयाा खा गयी | मरा परा शरीर जीप क नीच दब गया | ककसी तरह मझ बाहर तनकाला गया |

एक तो दबला पतला शरीर और ऊपर स परी जीप का वजन ऊपर आ जान क कारर मर शरीर क परसयक दहसस म असहय ददक होन लगा | मझ पहल तो कसररयाजी असपताल म दाखखल कराया गया | जयो-जयो उपचार ककया गया कषटट बढता ही गया कयोकक चोट बाहर नही शरीर क भीतरी दहससो म लगी थी और भीतर तक डॉकटरो का कोई उपचार काम नही कर रहा था | जीप क नीच दबन स मरा सीना व पट ववशष परभाववत हए थ और हाथ-पर म कााच क टकड़ घस गय थ | ददक क मार मझ साास लन म भी तकलीफ हो रही थी | ऑकसीजन ददय जान क बाद भी दम घट रहा था और मसय की घडडयाा नजदीक ददखायी पड़न लगी | म मररासनन लसथतत म

पहाच गया | मरा मसय-परमारपतर बनान की तयाररयाा कक जान लगी व मझ घर ल जान को कहा गया | इसक पवक मरा लमतर पजय बाप स फ़ोन पर मरी लसथतत क समबनध म बात कर चका था | परारीमातर क परम दहतषी दयाल सवभाव क सत पजय बाप न उस एक गपत मतर परदान करत हए कहा था कक पानी म तनहारत हए इस मतर का एक सौ आठ बार (एक माला) जप करक वह पानी मनोज को एव दघकटना म घायल अनय लोगो को भी वपला दना | जस ही वह अलभमतरतरत जल मर माह म डाला गया मर शरीर म हलचल होन क साथ ही वमन हआ | इस अदभत चमसकार स ववलसमत होकर डॉकटरो न मझ तरत ही ववशष मशीनो क नीच ल जाकर ललटाया |

गहन चचककससकीय परीकषर क बाद डॉकटरो को पता चला कक जीप क नीच दबन स मरा परा खन काला पड़ गया था तथा नाड़ी-चालन (पकस) हदयगतत व रकत परवाह भी बद हो चक थ |

मर शरीर का समपरक रकत बदल ददया गया तथा आपरशन भी हआ | उसक ७२ घट बाद मझ होश आया | बहोशी म मझ कवल इतना ही याद था की मर भीतर पजय बाप दवारा परदतत गरमतर का जप चल रहा ह | होश म आन पर डॉकटरो न पछा तम आपरशन क समय बापबाप पकार रह थ | य बाप कौन ह मन बताया व मर गरदव परातः समररीय परम पजय सत शरी असारामजी बाप ह | डॉकटरो न पनः मझस परशन ककया कया तम कोई वयायाम करत हो मन कहा म अपन गरदव दवारा लसखायी गयी ववचध स आसन व परारायाम करता हा | व बोल इसीललय तमहार इस दबल-पतल शरीर न यह सब सहन कर ललया और तम मरकर भी पनः लजनदा हो उठ दसरा कोई होता तो तरत घटनासथल पर ही उसकी हडडडयाा बाहर तनकल जाती और वह मर जाता | मर शरीर म आठ-आठ नललयाा लगी हई थी | ककसीस खन चढ रहा था तो ककसी स कतरतरम ऑकसीजन ददया जा रहा था | यदयवप मर शरीर क कछ दहससो म अभी-भी कााच क टकड़ मौजद ह लककन गरकपा स आज म परक सवसथ होकर अपना वयवसाय व गरसवा दोनो कायक कर रह हा | मरा जीवन तो गरदव का ही ददया हआ ह | इन मतरदषटटा महवषक न उस ददन मर लमतर को मतर न ददया होता तो मरा पनजीवन तो समभव नही था | पजय बाप मानव-दह म ददखत हए भी अतत असाधारर महापरष ह | टललफ़ोन पर ददय हए उनक एक मतर स ही मर मत शरीर म पनः परारो का सचार हो गया तो लजन पर बाप की परसयकष दलषटट पड़ती होगी व लोग ककतन भागयशाली होत होग ऐस दयाल जीवनदाता सदगर क शरीचररो म कोदट-कोदट दडवत परराम

-िनोज किार सोनी

जयोतत िलसय लकषिी बाजार आिि राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस मिली मरी दादहनी आाख स कम ददखायी दता था तथा उसम तकलीफ़ भी थी | रधयानयोग

लशववर ददकली म पजय गरदव मवा बााट रह थ तब एक मवा मरी दादहनी आाख पर आ लगा |

आाख स पानी तनकलन लगा | पर आशचयक दसर ही ददन स आाख की तकलीफ लमट गयी और अचछी तरह ददखायी दन लगा | -राजकली दवी

असनापर लालगज अजारा षज परतापगढ़ उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

बड़दादा की मिटिी व जल स जीवनदान

अगसत ९८ म मझ मलररया हआ | उसक बाद पीललया हो गया | मर बड़ भाई न आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म स पीललया का मतर पढकर पीललया तो उतार ददया परत कछ ही ददनो बाद अगरजी दवाओ क ररएकषन स दोनो ककडतनयाा फल (तनलषटिय) हो गई | मरा हाटक (हदय) और लीवर (यकत) भी फल होन लग | डॉकटरो न तो कह ददया यह लड़का बच नही सकता | कफर मझ गोददया स नागपर हॉलसपटल म ल जाया गया लककन वहाा भी डॉकटरो न जवाब द ददया कक अब कछ नही हो सकता | मर भाई मझ वही छोड़कर सरत आशरम आय

वदयजी स लमल और बड़दादा की पररिमा करक पराथकना की तथा वहाा की लमटटी और जल ललया | ८ तारीख को डॉकटर मरी ककडनी बदलन वाल थ | जब मर भाई बड़दादा को पराथकना कर रह थ तभी स मझ आराम लमलना शर हो गया था | भाई न ७ तारीख को आकर मझ बड़दादा कक लमटटी लगाई और जल वपलाया तो मरी दोनो ककडनीयाा सवसथ हो गयी | मझ जीवनदान लमल गया | अब म तरबककल सवसथ हा |

-परवीण पिल

गोहदया िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप न फ का कपा-परसाद

कछ वषक पवक पजय बाप राजकोट आशरम म पधार थ | मझ उन ददनो तनकट स दशकन करन का सौभागय लमला | उस समय मझ छाती म एनजायना पकसटोररस क कारर ददक रहता था | सससग परा होन क बाद कछ लोग पजय बाप क पास एक-एक करक जा रह थ | म कछ फल-फल नही लाया था इसललए शरदधा क फल ललय बठा था | पजय बाप कपा-परसाद फ क रह थ कक इतन म एक चीक मरी छाती पर आ लगा और छाती का वह ददक हमशा क ललए लमट गया |

-अरषवदभाई वसावड़ा

राजकोि

(अनिम) पावन उदगार

बिी न िनौती िानी और गरकपा हई

मरी बटी को शादी ककय आठ साल हो गय थ | पहली बार जब वह गभकवती हई तब बचचा पट म ही मर गया | दसरी बार बचची जनमी पर छः महीन म वह भी चल बसी | कफर मरी पसनी न बटी स कहा अगर त सककप कर कक जब तीसरी बार परसती होगी तब तम बालक की जीभ पर बापजी क बतान क मतातरबक lsquoॐrsquo ललखोगी तो तरा बालक जीववत रहगा ऐसा मझ ववशवास ह कयोकक ॐकार मतर म परमानदसवरप परभ ववराजमान ह | मरी बटी न इस परकार मनौती मानी और समय पाकर वह गभकवती हई | सोनोगराफ़ी करवायी गयी तो डॉकटरो न बताया गभक म बचची ह और उसक ददमाग म पानी भरा हआ ह | वह लजदा नही रह सकगी |

गभकपात करवा दो | मरी बटी न अपनी माा स सलाह की | उसकी माा न कहा गभकपात का महापाप नही करवाना ह | जो होगा दखा जायगा | गरदव कपा करग | जब परसती हई तो तरबककल पराकततक ढग स हई और उस बचची की जीभ पर शहद एव लमशरी स ॐ ललखा गया | आज वह तरबककल ठीक ह | जब उसकी डॉकटरी जााच करवायी गयी तो डॉकटर आशचयक म पड़ गय सोनोगराफ़ी म जो बीमाररयाा ददख रही थी व कहाा चली गयी ददमाग का पानी कहाा चला गया

दहनदजा हॉलसपटलवाल यह कररशमा दखकर दग रह गय अब घर म जब कोई दसरी कोई कसट चलती ह तो वह बचची इशारा करक कहती ह ॐवाली कसट चलाओ | वपछली पनम को हम मबई स टाटा समो म आ रह थ | बाढ क पानी क कारर रासता बद था | हम सोच म पड़ गय कक पनम का तनयम टटगा | हमन गरदव का समरर ककया | इतन म हमार डराइवर न हमस पछा जान दा हमन भी गरदव का समरर करक कहा जान दो और हरर हरर ॐ कीतकन की कसट लगा दो | गाड़ी आग चली | इतना पानी कक हम जहाा बठ थ वहाा तक पानी आ गया |

कफर भी हम गरदव क पास सकशल पहाच गय और उनक दशकन ककय|

-िरारीलाल अगरवाल

साताकर ज िबई

(अनिम) पावन उदगार

और गरदव की कपा बरसी जबस सरत आशरम की सथापना हई तबस म गरदव क दशकन करत आ रहा हा उनकी

अमतवारी सनता आ रहा हा | मझ पजयशरी स मतरदीकषा भी लमली ह | परारबधवश एक ददन मर साथ एक भयकर दघकटना घटी | डॉकटर कहत थ आपका एक हाथ अब काम नही करगा | म अपना मानलसक जप मनोबल स करता रहा | अब हाथ तरबककल ठीक ह | उसस म ७० ककगरा वजन उठा सकता हा | मरी समसया थी कक शादी होन क बाद मझ कोई सतान नही थी | डॉकटर कहत थ कक सतान नही हो सकती | हम लोगो न गरकपा एव गरमतर का सहारा ललया रधयानयोग लशववर म आय और गरदव की कपा बरसी | अब हमारी तीन सतान ह दो पतरतरयाा और एक पतर | गरदव न ही बड़ी बटी का नाम गोपी और बट का नाम हररककशन रखा ह | जय हो सदगरदव की

-हसिख काततलाल िोदी

५७ अपना घर सोसायिी सदर रोड़ स रत

(अनिम) पावन उदगार

गरदव न भजा अकषयपातर

हम परचारयातरा क दौरान गरकपा का जो अदभत अनभव हआ वह अवरकनीय ह | यातरा की शरआत स पहल ददनाक ८-११-९९ को हम पजय गरदव क आशीवाकद लन गय | गरदव न कायकिम क ववषय म पछा और कहा पचड़ आशरम (रतलाम) म भडारा था | उसम बहत सामान बच गया ह | गाड़ी भजकर मागवा लना गरीबो म बााटना | हम झाबआ लजल क आस-पास क

गरीब आददवासी इलाको म जानवाल थ | वहाा स रतलाम क ललए गाड़ी भजी | चगनकर सामान भरा गया | दो ददन चल उतना सामान था | एक ददन म दो भडार होत थ | अतः चार भडार का सामान था | सबन खकल हाथो बतकन कपड़ साडड़याा धोती आदद सामान छः ददनो तक बााटा कफर भी सामान बचा रहा | सबको आशचयक हआ हम लोग सामान कफर स चगनन लग परत गरदव की लीला क ववषय म कया कह कवल दो ददन चल उतना सामान छः ददनो तक खकल हाथो बााटा कफर भी अत म तीन बोर बतकन बच गय मानो गरदव न अकषयपातर भजा हो एक ददन शाम को भडारा परा हआ तब दखा कक एक पतीला चावल बच गया ह | करीब १००-१२५ लोग खा सक उतन चावल थ | हमन सोचा चावल गााव म बाट दत ह | परत गरदव की लीला दखो एक गााव क बदल पााच गाावो म बााट कफर भी चावल बच रह | आखखर रातरतर म ९ बज क बाद सवाधाररयो न थककर गरदव स पराथकना की कक गरदव अब जगल का ववसतार ह हम पर कपा करो | और चावल खसम हए | कफर सवाधारी तनवास पर पहाच |

-सत शरी आसारािजी भकतिडल

कतारगाि स रत

(अनिम) पावन उदगार

सवपन ि हदय हए वरदान स पतरपराषपत

मर गरहसथ जीवन म एक-एक करक तीन कनयाएा जनमी | पतरपरालपत क ललए मरी धमकपसनी न गरदव स आशीवाकद परापत ककया था | चौथी परसतत होन क पहल जब उसन वलसाड़ म सोनोगराफ़ी करवायी तो ररपोटक म लड़की बताया गया | यह सनकर हम तनराश हो गय | एक रात पसनी को सवपन म गरदव न दशकन ददय और कहा बटी चचता मत कर | घबराना मत धीरज रख | लड़का ही होगा | हमन सरत आशरम म बड़दादा की पररिमा करक मनौती मानी थी वह भी फ़लीभत हई और गरदव का बरहमवाकय भी ससय सातरबत हआ जब परसतत होन पर लड़का हआ | सभी गरदव की जय-जयकार करन लग |

-सनील किार रा शयाि चौरमसया

दीपकवाड़ी ककलला पारड़ी षज वलसाड़

(अनिम) पावन उदगार

शरी आसारािायण क पाठ स जीवनदान

मरा दस वषीय पतर एक रात अचानक बीमार हो गया | साास भी मलशकल स ल रहा था |

जब उस हॉलसपटल म भती ककया तब डॉकटर बोल | बचचा गभीर हालत म ह | ऑपरशन करना पड़गा | म बचच को हॉलसपटल म ही छोड़कर पस लन क ललए घर गया और घर म सभी को कहा ldquoआप लोग शरी आसारामायर का पाठ शर करो |rdquo पाठ होन लगा | थोड़ी दर बाद म हॉलसपटल पहाचा | वहाा दखा तो बचचा हास-खल रहा था | यह दख मरी और घरवालो की खशी का दठकाना न रहा यह सब बापजी की असीम कपा गर-गोववनद की कपा और शरी आसारामायर-पाठ का फल ह |

-सनील चाडक

अिरावती िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

गरवाणी पर षवशवास स अवणीय लाभ

शादी होन पर एक पतरी क बाद सात साल तक कोई सतान नही हई | हमार मन म पतरपरालपत की इचछा थी | १९९९ क लशववर म हम सतानपरालपत का आशीवाकद लनवालो की पलकत म बठ | बापजी आशीवाकद दन क ललए साधको क बीच आय तो कछ साधक नासमझी स कछ ऐस परशन कर बठ जो उनह नही करन चादहए थ | गरदव नाराज होकर यह कहकर चल गय कक तमको सतवारी पर ववशवास नही ह तो तम लोग यहाा कयो आय तमह डॉकटर क पास जाना चादहए था | कफर गरदव हमार पास नही आय | सभी पराथकना करत रह पर गरदव वयासपीठ स बोल दबारा तीन लशववर भरना | म मन म सोच रहा था कक कछ साधको क कारर मझ आशीवाकद नही लमल पाया परत वजरादषप कठोरारण िदतन कसिादषप बाहर स वजर स भी कठोर ददखन वाल सदगर भीतर स फल स भी कोमल होत ह | तरत गरदव ववनोद करत हए बोल दखो य लोग सतानपरालपत का आशीवाकद लन आय ह | कस ठनठनपाल-स बठ ह अब जाओ झला-झनझना लकर घर जाओ | मन और मरी पसनी न आपस म ववचार ककया दयाल गरदव न आखखर आशीवाकद द ही ददया | अब गरदव न कहा ह कक झला-झनझना ल जाओ |

तो मन गरवचन मानकर रलव सटशन स एक झनझना खरीद ललया और गवाललयर आकर गरदव क चचतर क पास रख ददया | मझ वहाा स आन क १५ ददन बाद डॉकटर दवारा मालम हआ

कक पसनी गभकवती ह | मन गरदव को मन-ही-मन परराम ककया | इस बीच डॉकटरो न सलाह दी कक लड़का ह या लड़की इसकी जााच करा लो | मन बड़ ववशवास स कहा कक लड़का ही होगा |

अगर लड़की भी हई तो मझ कोई आपवतत नही ह | मझ गभकपात का पाप अपन लसर पर नही लना ह | नौ माह तक मरी पसनी भी सवसथ रही | हररदवार लशववर म भी हम लोग गय | समय आन पर गरदव दवारा बताय गय इलाज क मतातरबक गाय क गोबर का रस पसनी को ददया और ददनाक २७ अकतबर १९९९ को एक सवसथ बालक का जनम हआ |

-राजनर किार वाजपयी अचयना वाजपयी

बलवत नगर ढाढीपर िरारा गवामलयर

(अनिम) पावन उदगार

सवफल क दो िकड़ो स दो सतान मन सन १९९१ म चटीचड लशववर अमदावाद म पजय बापजी स मतरदीकषा ली थी | मरी

शादी क १० वषक तक मख कोई सतान नही हई | बहत इलाज करवाय लककन सभी डॉकटरो न बताया कक बालक होन की कोई सभावना नही ह | तब मन पजय बापजी क पनम दशकन का वरत ललया और बाासवाड़ा म पनम दशकन क ललए गया | पजय बापजी सबको परसाद द रह थ | मन मन म सोचा | कया म इतना पापी हा कक बापजी मरी तरफ दखत तक नही इतन म पजय बापजी कक दलषटट मझ पर पड़ी और उनहोन मझ दो लमनट तक दखा | कफर उनहोन एक सवफल लकर मझ पर फ का जो मर दाय कध पर लगकर दो टकड़ो म बाट गया | घर जाकर मन उस सवफल क दोनो भाग अपनी पसनी को खखला ददय | पजयशरी का कपापरक परसाद खान स मरी पसनी गभकवती हो गयी | तनरीकषर करान पर पता चला कक उसको दो लसर वाला बालक उसपनन होगा |

डॉकटरो न बताया उसका लसजररयन करना पड़गा अनयथा आपकी पसनी क बचन की समभावना नही ह | लसजररयन म लगभग बीस हजार रपयो का खचक आयगा | मन पजय बापजी स पराथकना की ह बापजी आपन ही फल ददया था | अब आप ही इस सकट का तनवारर कीलजय | कफर मन बड़ बादशाह क सामन भी पराथकना की जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी की परसती सकशल हो जाय | उसक बाद जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी एक पतर और एक पतरी को जनम द चकी थी | पजयशरी क दवारा ददय गय फल स मझ एक की जगह दो सतानो की परालपत हई |

-िकशभाई सोलकी

शारदा िहदर सक ल क पीछ

बावन चाल वड़ोदरा

(अनिम) पावन उदगार

साइककल स गर ाि जान पर खराब िाग ठीक हो गयी

मरी बाायी टााग घटन स उपर पतली हो गयी थी | ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट

ददकली म म छः ददन तक रहा | वहाा जााच क बाद बतलाया गया कक तमहारी रीढ की हडडी क पास कछ नस मर गयी ह लजसस यह टााग पतली हो गयी ह | यह ठीक तो हो ही नही सकती |

हम तमह ववटालमन ई क कपसल द रह ह | तम इनह खात रहना | इसस टाग और जयादा पतली नही होगी | मन एक साल तक कपसल खाय | उसक बाद २२ जन १९९७ को मजफ़फ़रनगर म मन गरजी स मतरदीकषा ली और दवाई खाना बद कर दी | जब एक साधक भाई राहल गपता न कहा कक सहारनपर स साइककल दवारा उततरायर लशववर अमदावाद जान का कायकिम बन रहा ह

तब मन टााग क बार म सोच तरबना साइककल यातरा म भाग लन क ललए अपनी सहमतत द दी |

जब मर घर पर पता चला कक मन साइककल स गरधाम अमदावाद जान का ववचार बनाया ह

अतः तम ११५० ककमी तक साइककल नही चला पाओग | लककन मन कहा म साइककल स ही गरधाम जाऊा गा चाह ककतनी भी दरी कयो न हो और हम आठ साधक भाई सहारनपर स २६ ददसमबर ९७ को साइककलो स रवाना हए | मागक म चढाई पर मझ जब भी कोइ ददककत होती तो ऐसा लगता जस मरी साइककल को कोई पीछ स धकल रहा ह | म मड़कर पीछ दखता तो कोई ददखायी नही पड़ता | ९ जनवरी को जब हम अमदावाद गरआशरम म पहाच और मन सबह अपनी टााग दखी तो म दग रह गय जो टााग पतली हो गयी थी और डॉकटरो न उस ठीक होन स मना कर ददया था वह टााग तरबककल ठीक हो गयी थी | इस कपा को दखकर म चककत रह गया मर साथी भी दग रह गय यह सब गरकपा क परसाद का चमसकार था | मर आठो साथी मरी पसनी तथा ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट ददकली दवारा जााच क परमारपतर इस बात क साकषी ह |

-तनरकार अगरवाल

षवटणपरी नय िा ोनगर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

अदभत रही िौनिहदर की सा ना परम पजय सदगरदव की कपा स मझ ददनाक १८ स २४ मई १९९९ तक अमदावाद

आशरम क मौनमददर म साधना करन का सअवसर लमला | मौनमददर म साधना क पााचव ददन यानी २२ मई की रातरतर को लगभग २ बज नीद म ही मझ एक झटका लगा | लट रहन कक लसथतत म ही मझ महसस हआ कक कोई अदशय शलकत मझ ऊपर बहत ऊपर उड़य ल जा रही ह | ऊपर उड़त हए जब मन नीच झााककर दखा तो अपन शरीर को उसी मौनमददर म चचतत लटा हआ बखबर सोता हआ पाया | ऊपर जहाा मझ ल जाया गया वहाा अलग ही छटा थी अजीब और अवरीय आकाश को भी भदकर मझ ऐस सथान पर पहाचाया गया था जहाा चारो तरफ कोहरा-ही-कोहरा था जस शीश की छत पर ओस फली हो इतन म दखता हा कक एक सभा लगी ह तरबना शरीर की कवल आकततयो की | जस रखाओ स मनषटयरपी आकततयाा बनी हो | यह सब कया चल रहा था समझ स पर था | कछ पल क बाद व आकततयाा सपषटट होन लगी | दवी-दवताओ क पज क मरधय शीषक म एक उचच आसन पर साकषात बापजी शकर भगवान बन हए कलास पवकत पर ववराजमान थ और दवी-दवता कतार म हाथ बााध खड़ थ | म मक-सा होकर अपलक नतरो स उनह दखता ही रहा कफर मतरमगध हो उनक चररो म चगर पड़ा | परातः क ४ बज थ | अहा मन और शरीर हकका-फ़कका लग रहा था यही लसथतत २४ मई की मरधयरातरतर म भी दोहरायी गयी | दसर ददन सबह पता चला कक आज तो बाहर तनकलन का ददन ह यानी रवववार २५ मई की सबह | बाहर तनकलन पर भावभरा हदय गदगद कठ और आखो म आास यो लग रहा था कक जस तनजधाम स बघर ककया जा रहा हा | धनय ह वह भलम मौनमददर म साधना की वह वयवसथा जहा स परम आनद क सागर म डबन की कजी लमलती ह जी करता ह भगवान ऐसा अवसर कफर स लाय लजसस कक उसी मौनमददर म पनः आतररक आनद का रसपान कर पाऊा |

-इनरनारायण शाह

१०३ रतनदीप-२ तनराला नगर कानपर

(अनिम) पावन उदगार

असाधय रोग स िषकत

सन १९९४ म मरी पतरी दहरल को शरद पखरकमा क ददन बखार आया | डॉकटरो को ददखाया तो ककसीन मलररया कहकर दवाइयाा दी तो ककसीन टायफायड कहकर इलाज शर ककया तो ककसीन टायफायड और मलररया दोनो कहा | दवाई की एक खराक लन स शरीर नीला पड़ गया और सज गया | शरीर म खन की कमी स उस छः बोतल खन चढाया गया | इजकषन दन स पर शरीर को लकवा मार गया | पीठ क पीछ शयावरर जसा हो गया | पीठ और पर का एकस-र ललया गया | पर पर वजन बााधकर रखा गया | डॉकटरो न उस वाय का बखार तथा रकत का क सर बताया और कहा कक उसक हदय तो वाकव चौड़ा हो गया ह | अब हम दहममत हार गय |

अब पजयशरी क लसवाय और कोई सहारा नही था | उस समय दहरल न कहा मममी मझ पजय बाप क पास ल चलो | वहाा ठीक हो जाऊगी | पााच ददन तक दहरल पजयशरी की रट लगाती रही |

हम उस अमदावाद आशरम म बाप क पास ल गय | बाप न कहा इस कछ नही हआ ह | उनहोन मझ और दहरल को मतर ददया एव बड़दादा की परदकषकषरा करन को कहा | हमन परदकषकषरा की और दहरल पनिह ददन म चलन-कफ़रन लगी | हम बाप की इस कररा-कपा का ॠर कस चकाय अभी तो हम आशरम म पजयशरी क शरीचररो म सपररवार रहकर धनय हो रह ह |

-परफलल वयास

भावनगर

वतयिान ि अिदावाद आशरि ि सपररवार सिषपयत

(अनिम) पावन उदगार

कसि का चितकार

वयापार उधारी म चल जान स म हताश हो गया था एव अपनी लजदगी स तग आकर आसमहसया करन की बात सोचन लगा था | मझ साध-महासमाओ व समाज क लोगो स घरा-सी हो गयी थी धमक व समाज स मरा ववशवास उठ चका था | एक ददन मरी साली बापजी क सससग कक दो कसट ववचध का ववधान एव आखखर कब तक ल आयी और उसन मझ सनन क ललए कहा | उसक कई परयास क बाद भी मन व कसट नही सनी एव मन-ही-मन उनह ढोग

कहकर कसटो क डडबब म दाल ददया | मन इतना परशान था कक रात को नीद आना बद हो गया था | एक रात कफ़कमी गाना सनन का मन हआ | अाधरा होन की वजह स कसट पहचान न सका और गलती स बापजी क सससग की कसट हाथ म आ गयी | मन उसीको सनना शर ककया | कफर कया था मरी आशा बाधन लगी | मन शाात होन लगा | धीर-धीर सारी पीड़ाएा दर

होती चली गयी | मर जीवन म रोशनी-ही-रोशनी हो गयी | कफर तो मन पजय बापजी क सससग की कई कसट सनी और सबको सनायी | तदनतर मन गालजयाबाद म बापजी स दीकषा भी गरहर की | वयापार की उधारी भी चकता हो गयी | बापजी की कपा स अब मझ कोई दःख नही ह | ह गरदव बस एक आप ही मर होकर रह और म आपका ही होकर रहा |

-ओिपरकाश बजाज

हदलली रोड़ सहारनपर उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

िझ पर बरसी सत की कपा

सन १९९५ क जन माह म म अपन लड़क और भतीज क साथ हररदवार रधयानयोग लशववर म भाग लन गया | एक ददन जब म हर की पौड़ी पर सनान करन गया तो पानी क तज बहाव क कारर पर कफसलन स मरा लड़का और भतीजा दोनो अपना सतलन खो बठ और गगा म बह गय | ऐसी सकट की घड़ी म म अपना होश खो बठा | कया करा म फट-फटकर रोन लगा और बापजी स पराथकना करन लगा कक ह नाथ ह गरदव रकषा कीलजय मर बचचो को बचा लीलजय | अब आपका ही सहारा ह | पजयशरी न मर सचच हदय स तनकली पकार सन ली और उसी समय मरा लड़का मझ ददखायी ददया | मन झपटकर उसको बाहर खीच ललया लककन मरा भतीजा तो पता नही कहाा बह गया म तनरतर रो रहा था और मन म बार-बार ववचार उठ रहा था कक बापजी मरा लड़का बह जाता तो कोई बात नही थी लककन अपन भाई की अमानत क तरबना म घर कया माह लकर जाऊा गा बापजी आपही इस भकत की लाज बचाओ | तभी गगाजी की एक तज लहर उस बचच को भी बाहर छोड़ गयी | मन लपककर उस पकड़ ललया |

आज भी उस हादस को समरर करता हा तो अपन-आपको साभाल नही पाता हा और मरी आाखो स तनरतर परम की अशरधारा बहन लगती ह | धनय हआ म ऐस गरदव को पाकर ऐस सदगरदव क शरीचररो म मर बार-बार शत-शत परराम

-सिालखा

पानीपत हररयाणा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स जीवनदान

ददनाक १५-१-९६ की घटना ह | मन धात क तार पर सखन क ललए कपड़ फला रख थ |

बाररश होन क कारर उस तार म करट आ गया था | मरा छोटा पतर ववशाल जो कक ११ वी ककषा म पढता ह आकर उस तार स छ गया और तरबजली का करट लगत ही वह बहोश हो गया शव क समान हो गया | हमन उस तरत बड़ असपताल म दाखखल करवाया | डॉकटर न बचच की हालत गभीर बतायी | ऐसी पररलसथतत दखकर मरी आाखो स अशरधाराएा बह तनकली | म तनजानद की मसती म मसत रहन वाल पजय सदगरदव को मन-ही-मन याद ककया और पराथकना कक ह गरदव अब तो इस बचच का जीवन आपक ही हाथो म ह | ह मर परभ आप जो चाह सो कर सकत ह | और आखखर मरी पराथकना सफल हई | बचच म एक नवीन चतना का सचार हआ एव धीर-धीर बचच क सवासथय म सधार होन लगा | कछ ही ददनो म वह परकतः सवसथ हो गया |

डॉकटर न तो उपचार ककया लककन जो जीवनदान उस पयार परभ की कपा स सदगरदव की कपा स लमला उसका वरकन करन क ललए मर पास शबद नही ह | बस ईशवर स म यही पराथकना करता हा कक ऐस बरहमतनषटठ सत-महापरषो क परतत हमारी शरदधा म वदचध होती रह | -

डॉ वाय पी कालरा

शािलदास कॉलज भावनगर गजरात

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप जस सत दतनया को सवगय ि बदल सकत ह

मई १९९८ क अततम ददनो म पजयशरी क इदौर परवास क दौरान ईरान क ववखयात कफ़लजलशयन शरी बबाक अगरानी भारत म अरधयालसमक अनभवो की परालपत आय हए थ | पजयशरी क दशकन पाकर जब उनहोन अरधयालसमक अनभवो को फलीभत होत दखा तो व पचड़ आशरम म आयोलजत रधयानयोग लशववर म भी पहाच गय | शरी अगरानी जो दो ददन रककर वापस लौटन वाल थ व पर गयारह ददन तक पचड़ आशरम म रक रह | उनहोन ववधाथी लशववर म सारसवसय मतर की दीकषा ली एव ववलशषटट रधयानयोग साधना लशववर (४ -१० जन १९९८) का भी लाभ ललया | लशववर क दौरान शरी अगरानी न पजयशरी स मतरदीकषा भी ल ली | पजयशरी क सालननरधय म सपरापत अनभततयो क बार म कषतरतरय समाचार पतर चतना को दी हई भटवाताक म शरी अगरानी कहत ह यदद पजय बाप जस सत हर दश म हो जाय तो यह दतनया सवगक बन सकती ह | ऐस शातत स बठ पाना हमार ललए कदठन ह लककन जब पजय बापजी जस महापरषो क शरीचररो म बठकर

सससग सनत ह तो ऐसा आनद आता ह कक समय का कछ पता ही नही चलता | सचमच पजय बाप कोई साधारर सत नही ह |

-शरी बबाक अगरानी

षवशवषवखयात किषजमशयन ईरान

(अनिम) पावन उदगार

भौततक यग क अ कार ि जञान की जयोतत प जय बाप

मादक तनयतरर बयरो भारत सरकार क महातनदशक शरी एचपी कमार ९ मई को अमदावाद आशरम म सससग-कायकिम क दौरान पजय बाप स आशीवाकद लन पहाच | बड़ी ववनमरता एव शरदधा क साथ उनहोन पजय बाप क परतत अपन उदगार म कहा लजस वयलकत क पास वववक नही ह वह अपन लकषय तक नही पहाच सकता ह और वववक को परापत करन का साधन पजय आसारामजी बाप जस महान सतो का सससग ह | पजय बाप स मरा परथम पररचय टीवी क मारधयम स हआ | तसपशचात मझ आशरम दवार परकालशत ॠवष परसाद मालसक परापत हआ | उस समय मझ लगा कक एक ओर जहाा इस भौततक यग क अधकार म मानव भटक रहा ह वही दसरी ओर शातत की मद-मद सगचधत वाय भी चल रही ह | यह पजय बाप क सससग का ही परभाव ह | पजयशरी क दशकन करन का जो सौभागय मझ परापत हआ ह इसस म अपन को कतकसय मानता हा | पजय बाप क शरीमख स जो अमत वषाक होती ह तथा इनक सससग स करोड़ो हदयो म जो जयोतत जगती ह व इसी परकार स जगती रह और आन वाल लब समय तक पजयशरी हम सब का मागकदशकन करत रह यही मरी कामना ह | पजय बाप क शरीचररो म मर परराम

-शरी एचपी किार

िहातनदशक िादक तनयतरण बय रो भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

िषसलि िहहला को पराणदान

२७ लसतमबर २००० को जयपर म मर तनवास पर पजय बाप का आसम-साकषासकार ददवस

मनाया गया लजसम मर पड़ोस की मलसलम मदहला नाथी बहन क पतत शरी मााग खाा न भी पजय बाप की आरती की और चररामत ललया | ३-४ ददन बाद ही व मलसलम दपतत खवाजा सादहब क उसक म अजमर चल गय | ददनाक ४ अकटबर २००० को अजमर क उसक म असामालजक तसवो न परसाद म जहर बााट ददया लजसस उसक मल म आय कई दशकनाथी असवसथ हो गय और कई मर भी गय | मर पड़ोस की नाथी बहन न भी वह परसाद खाया और थोड़ी दर म ही वह बहोश हो गयी | अजमर म उसका उपचार ककया गया ककत उस होश न आया | दसर ददन ही उसका पतत उस अपन घर ल आया | कॉलोनी क सभी तनवासी उसकी हालत दखकर कह रह थ कक अब इसका बचना मलशकल ह | म भी उस दखन गया | वह बहोश पड़ी थी | म जोर-जोर स हरर ॐ हरर ॐ का उचचारर ककया तो वह थोड़ा दहलन लगी | मझ परररा हई और म पनः घर गया | पजय बाप स पराथकना की | ३-४ घट बाद ही वह मदहला ऐस उठकर खड़ी हो गयी मानो सोकर उठी हो | उस मदहला न बताया कक मर चाचा ससर पीर ह और उनहोन मर पतत क माह स बोलकर बताया कक तमन २७ लसतमबर २००० को लजनक सससग म पानी वपया था उनही सफद दाढीवाल बाबा न तमह बचाया ह कसी कररा ह गरदव की

-जएल परोहहत

८७ सलतान नगर जयपर (राज)

उस िहहला का पता ह -शरीिती नाथी

पतनी शरी िाग खा

१०० सलतान नगर

गजयर की ड़ी

नय सागानर रोड़

जयप र (राज)

(अनिम) पावन उदगार

हररनाि की पयाली न छड़ायी शराब की बोतल

सौभागयवश गत २६ ददसमबर १९९८ को पजयशरी क १६ लशषटयो की एक टोली ददकली स हमार गााव म हररनाम का परचार-परसार करन पहाची | म बचपन स ही मददरापान धमरपान व लशकार करन का शौकीन था | पजय बाप क लशषटयो दवारा हमार गााव म जगह-जगह पर तीन ददन तक लगातार हररनाम का कीतकन करन स मझ भी हररनाम का रग लगता जा रहा था |

उनक जान क एक ददन क पशचात शाम क समय रोज की भातत मन शराब की बोतल तनकाली | जस ही बोतल खोलन क ललए ढककन घमाया तो उस ढककन क घमन स मझ हरर ॐ हरर ॐ की रधवतन सनायी दी | इस परकार मन दो-तीन बार ढककन घमाया और हर बार मझ हरर ॐ

की रधवतन सनायी दी | कछ दर बाद म उठा तथा पजयशरी क एक लशषटय क घर गया | उनहोन थोड़ी दर मझ पजयशरी की अमतवारी सनायी | अमतवारी सनन क बाद मरा हदय पकारन लगा कक इन दवयकसनो को सयाग दा | मन तरत बोतल उठायी तथा जोर-स दर खत म फ क दी | ऐस समथक व परम कपाल सदगरदव को म हदय स परराम करता हा लजनकी कपा स यह अनोखी घटना मर जीवन म घटी लजसस मरा जीवन पररवततकत हआ |

-िोहन मसह बबटि

मभखयासन अलिोड़ा (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

प र गाव की कायापलि

पजयशरी स ददनाक २७६९१ को दीकषा लन क बाद मन वयवसनमलकत क परचार-परसार का लकषय बना ललया | म एक बार कौशलपर (लज शाजापर) पहाचा | वहाा क लोगो क वयवसनी और लड़ाई-झगड़ यकत जीवन को दखकर मन कहा आप लोग मनषटय-जीवन सही अथक ही नही समझत ह | एक बार आप लोग पजय बापजी क दशकन कर ल तो आपको सही जीवन जीन की कजी लमल जायगी | गााव वालो न मरी बात मान ली और दस वयलकत मर गााव ताजपर आय |

मन एक साधक को उनक साथ जनमाषटटमी महोससव म सरत भजा | पजय बापजी की उन पर कपा बरसी और सबको गरदीकषा लमल गयी | जब व लोग अपन गााव पहाच तो सभी गााववालसयो को बड़ा कौतहल था कक पजय बापजी कस ह बापजी की लीलाएा सनकर गााव क अनय लोगो म भी पजय बापजी क परतत शरदधा जगी | उन दीकषकषत साधको न सभी गााववालो को सववधानसार पजय बापजी क अलग-अलग आशरमो म भजकर दीकषा ददलवा दी | गााव क सभी वयलकत अपन

पर पररवार सदहत दीकषकषत हो चक ह | परसयक गरवार को पर गााव म एक समय भोजन बनता ह | सभी लोग गरवार का वरत रखत ह | कौशलपर गााव क परभाव स आस-पास क गााववाल एव उनक ररशतदारो सदहत १००० वयलकतयो शराब छोड़कर दीकषा ल ली ह | गााव क इततहास म तीन-तीन पीढी स कोई मददर नही था | गााववालो न ५ लाख रपय लगाकर दो मददर बनवाय ह | परा गााव वयवसनमकत एव भगवतभकत बन गया ह यह पजय बापजी की कपा नही तो और कया ह सबक ताररहार पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-शयाि परजापतत (सपरवाइजर ततलहन सघ) ताजपर

उजजन (िपर)

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी की तसवीर स मिली पररणा सवकसमथक परम पजय शरी बापजी क चररकमलो म मरा कोदट-कोदट नमन १९८४ क

भकप स समपरक उततर तरबहार म काफी नकसान हआ था लजसकी चपट म हमारा घर भी था |

पररलसथततवश मझ नौवी ककषा म पढायी छोड़ दनी पड़ी | ककसी लमतर की सलाह स म नौकरी ढाढन क ललए ददकली गया लककन वहाा भी तनराशा ही हाथ लगी | म दो ददन स भखा तो था ही ऊपर स नौकरी की चचता | अतः आसमहसया का ववचार करक रलव सटशन की ओर चल पड़ा | रानीबाग बाजार म एक दकान पर पजयशरी का सससादहसय कसट आदद रखा हआ था एव पजयशरी की बड़ आकार की तसवीर भी टागी थी | पजयशरी की हासमख एव आशीवाकद की मिावाली उस तसवीर पर मरी नजर पड़ी तो १० लमनट तक म वही सड़क पर स ही खड़-खड़ उस दखता रहा | उस वकत न जान मझ कया लमल गया म काम भल मजदरी का ही करता हा लककन तबस लकर आज तक मर चचतत म बड़ी परसननता बनी हई ह | न जान मरी लजनदगी की कया दशा होती अगर पजय बापजी की यवाधन सरकषा ईशवर की ओर तनलशचनत जीवन पसतक और ॠवष परसाद पतरतरका हाथ न लगती पजयशरी की तसवीर स लमली परररा एव उनक सससादहसय न मरी डबती नया को मानो मझदार स बचा ललया | धनभागी ह सादहसय की सवा करन वाल लजनहोन मझ आसमहसया क पाप स बचाया |

-िहश शाह

नारायणपर दिरा षज सीतािढ़ी (बबहार)

(अनिम) पावन उदगार

नतरबबद का चितकार

मरा सौभागय ह कक मझ सतकपा नतरतरबद (आई डरॉपस) का चमसकार दखन को लमला |

एक सत बाबा लशवरामदास उमर ८० वषक गीता कदटर तपोवन झाड़ी सपतसरोवर हररदवार म रहत ह | उनकी दादहनी आाख क सफद मोततय का ऑपरशन शााततकज हररदवार आयोलजत कमप म हआ | कस तरबगड़ गया और काल मोततया बन गया | ददक रहन लगा और रोशनी घटन लगी |

दोबारा भमाननद नतर चचककससालय म ऑपरशन हआ | एबसकयट गलकोमा बतात हए कहा कक ऑपरशन स लसरददक ठीक हो जायगा पर रोशनी जाती रहगी | परत अब व बाबा सत शरी आसारामजी आशरम दवार तनलमकत सतकपा नतरतरबद सबह-शाम डाल रह ह | मन उनक नतरो का परीकषर ककया | उनकी दादहनी आाख म उागली चगनन लायक रोशनी वापस आ गयी ह | काल मोततय का परशर नॉमकल ह | कोतनकया म सजन नही ह | व काफी सतषटट ह | व बतात ह आाख पहल लाल रहती थी परत अब नही ह | आशरम क नतरतरबद स ककपनातीत लाभ हआ | बायी आाख म भी उनह सफद मोततया बताया गया था और सशय था कक शायद काला मोततया भी ह |

पर आज बायी आाख भी ठीक ह और दोनो आाखो का परशर भी नॉमकल ह | सफद मोततया नही ह और रोशनी काफी अचछी ह | यह सतकपा नतरबद का ववलकषर परभाव दखकर म भी अपन मरीजो को इसका उपयोग करन की सलाह दागा |

-डॉ अननत किार अगरवाल (नतररोग षवशिजञ)

एिबीबीएस एिएस (नतर) डीओएिएस (आई)

सीतापर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

ितर स लाभ

मरी माा की हालत अचानक पागल जसी हो गयी थी मानो कोई भत-परत-डाककनी या आसरी तसव उनम घस गया | म बहत चचततत हो गया एव एक साचधका बहन को फोन ककया |

उनहोन भत-परत भगान का मतर बताया लजसका वरकन आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म भी ह | वह मतर इस परकार ह

ॐ निो भगवत रर भरवाय भ तपरत कषय कर कर ह फि सवाहा |

इस मतर का पानी म तनहारकर १०८ बार जप ककया और वही पानी माा को वपला ददया |

तरत ही माा शातत स सो गयी | दसर ददन भी इस मतर की पााच माला करक माा को वह जल वपलाया तो माा तरबककल ठीक हो गयी | ह मर साधक भाई-बहनो भत-परत भगान क ललए अला बााधा बला बााधा ऐसा करक झाड़-फ़ा क करनवालो क चककर म पड़न की जररत नही ह |

इसक ललए तो पजय बापजी का मतर ही ताररहार ह | पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-चपकभाई एन पिल (अिररका)

(अनिम) पावन उदगार

काि करो पर षवजय पायी एक ददन मबई मल म दटकट चककग करत हए म वातानकललत बोगी म पहाचा | दखा तो

मखमल की गददी पर टाट का आसन तरबछाकर सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज समाचधसथ ह |

मझ आशचयक हआ कक लजन परथम शररी की वातानकललत बोचगयो म राजा-महाराजा यातरा करत ह ऐसी बोगी और तीसरी शररी की बोगी क बीच इन सत को कोई भद नही लगता | ऐसी बोचगयो म भी व समाचधसथ होत ह यह दखकर लसर झक जाता ह | मन पजय महाराजशरी को परराम करक कहा आप जस सतो क ललए तो सब एक समान ह | हर हाल म एकरस रहकर आप मलकत का आनद ल सकत ह | लककन हमार जस गरहसथो को कया करना चादहए ताकक हम भी आप जसी समता बनाय रखकर जीवन जी सक पजय महाराजजी न कहा काम और िोध को त छोड़ द तो त भी जीवनमकत हो सकता ह | जहाा राम तहा नही काम जहाा काम तहा नही राम | और िोध तो भाई भसमासर ह | वह तमाम पणय को जलाकर भसम कर दता ह

अतःकरर को मललन कर दता ह | मन कहा परभ अगर आपकी कपा होगी तो म काम-िोध को छोड़ पाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा भाई कपा ऐस थोड़ ही की जाती ह सतकपा क साथ तरा परषाथक और दढता भी चादहए | पहल त परततजञा कर कक त जीवनपयकनत काम और िोध स दर रहगा तो म तझ आशीवाकद दा | मन कहा महाराजजी म जीवनभर क ललए परततजञा तो करा लककन उसका पालन न कर पाऊा तो झठा माना जाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा अचछा पहल त मर समकष आठ ददन क ललए परततजञा कर | कफर परततजञा को एक-एक ददन बढत जाना | इस परकार त उन बलाओ स बच सकगा | ह कबल मन हाथ

जोड़कर कबल ककया | पजय महाराजजी न आशीवाकद दकर दो-चार फल परसाद म ददय | पजय महाराजजी न मरी जो दो कमजोररयाा थी उन पर ही सीधा हमला ककया था | मझ आशचयक हआ कक अनय कोई भी दगकर छोड़न का न कहकर इन दो दगकरो क ललए ही उनहोन परततजञा कयो करवायी बाद म म इस राज स अवगत हआ |

दसर ददन म पसनजर रन म कानपर स आग जा रहा था | सबह क करीब नौ बज थ |

तीसरी शररी की बोगी म जाकर मन यातरतरयो क दटकट जााचन का कायक शर ककया | सबस पहल बथक पर सोय हए एक यातरी क पास जाकर मन एक यातरी क पास जाकर मन दटकट ददखान को कहा तो वह गससा होकर मझ कहन लगा अधा ह दखता नही कक म सो गया हा मझ नीद स जगान का तझ कया अचधकार ह यह कोई रीत ह दटकट क बार म पछन की ऐसी ही अकल ह तरी ऐसा कछ-का-कछ वह बोलता ही गया बोलता ही गया | म भी िोधाववषटट होन लगा ककत पजय महाराजजी क समकष ली हई परततजञा मझ याद थी अतः िोध को ऐस पी गया मानो ववष की पडड़या मन उस कहा महाशय आप ठीक ही कहत ह कक मझ बोलन की अकल नही ह भान नही ह | दखो मर य बाल धप म सफद हो गय ह | आपम बोलन की अकल अचधक ह नमरता ह तो कपा करक लसखाओ कक दटकट क ललए मझ ककस परकार आपस पछना चादहए | म लाचार हा कक डयटी क कारर मझ दटकट चक करना पड़ रहा ह इसललए म आपको कषटट द रहा हा| और कफ़र मन खब परम स हाथ जोड़कर ववनती की भया कपा करक कषटट क ललए मझ कषमा करो | मझ अपना दटकट ददखायग मरी नमरता दखकर वह ललजजत हो गया एव तरत उठ बठा | जकदी-जकदी नीच उतरकर मझस कषमा माागत हए कहन लगा मझ माफ करना | म नीद म था | मन आपको पहचाना नही था | अब आप अपन माह स मझ कह कक आपन मझ माफ़ ककया यह दखकर मझ आनद और सतोष हआ | म सोचन लगा कक सतो की आजञा मानन म ककतनी शलकत और दहत तनदहत ह सतो की कररा कसा चमसकाररक पररराम लाती ह वह वयलकत क पराकततक सवभाव को भी जड़-मल स बदल सकती ह | अनयथा मझम िोध को तनयतरर म रखन की कोई शलकत नही थी | म परकतया असहाय था कफर भी मझ महाराजजी की कपा न ही समथक बनाया | ऐस सतो क शरीचररो म कोदट-कोदट नमसकार

-शरी रीजिल

ररिायडय िीिी आई कानपर

(अनिम) पावन उदगार

जला हआ कागज प वय रप ि पवक रप म एक बार परमहस ववशदधानदजी स आनदमयी माा की तनकटता पानवाल

सपरलसदध पडडत गोपीनाथ कववराज न तनवदन ककया तररीकानत ठाकर को अलौककक लसदचध परापत हई ह | व तरबना दख या तरबना छए ही कागज म ललखी हई बात पढ लत ह | गरदव बोल तम एक कागज पर कछ ललखो और उसम आग लगाकर जला दो | कववराजजी न कागज पर कछ ललखा और परी तरह कागज जलाकर हवा म उड़ा ददया | उसक बाद गरदव न अपन तककय क नीच स वही कागज तनकालकर कववराजजी क आग रख ददया | यह दखकर उनह बड़ा आशचयक हआ कक यह कागज वही था एव जो उनहोन ललखा था वह भी उस पर उनही क सलख म ललखा था और साथ ही उसका उततर भी ललखा हआ दखा |

जड़ता पशता और ईशवरता का मल हमारा शरीर ह | जड़ शरीर को म-मरा मानन की ववतत लजतनी लमटती ह पाशवी वासनाओ की गलामी उतनी हटती ह और हमारा ईशवरीय अश लजतना अचधक ववकलसत होता ह उतना ही योग-सामथयक ईशवरीय सामथयक परकट होता ह | भारत क ऐस कई भकतो सतो और योचगयो क जीवन म ईशवरीय सामथयक दखा गया ह अनभव ककया गया ह उसक ववषय म सना गया ह | धनय ह भारतभलम म रहनवाल भारतीय ससकतत म शरदधा-ववशवास रखनवाल अपन ईशवरीय अश को जगान की सवा-साधना करनवाल सवामी ववशदधानदजी वषो की एकात साधना और वषो-वषो की गरसवा स अपना दहारधयास और पाशवी वासनाएा लमटाकर अपन ईशवरीय अश को ववकलसत करनवाल भारत क अनक महापरषो म स थ | उनक जीवन की और भी अलौककक घटनाओ का वरकन आता ह | ऐस ससपरषो क जीवन-चररतर और उनक जीवन म घदटत घटनाएा पढन-सनन स हम लोग भी अपनी जड़ता एव पशता स ऊपर उठकर ईशवरीय अश को उभारन म उससादहत होत ह | बहत ऊा चा काम ह बड़ी शरदधा बड़ी समझ बड़ा धयक चादहए ईशवरीय सामथयक को परक रप स ववकलसत करन म |

(अनिम) पावन उदगार

नदी की ारा िड़ गयी आदय शकराचायक की माता ववलशषटटा दवी अपन कलदवता कशव की पजा करन जाती थी

| व पहल नदी म सनान करती और कफ़र मददर म जाकर पजन करती | एक ददन व परातःकाल ही पजन-सामगरी लकर मददर की ओर गयी ककत सायकाल तक घर नही लौटी | शकराचायक की आय अभी सात-आठ वषक क मरधय म ही थी | व ईशवर क परम भकत और तनषटठावान थ | सायकाल

तक माता क वापस न लौटन पर आचायक को बड़ी चचनता हई और व उनह खोजन क ललए तनकल पड़ | मददर क तनकट पहाचकर उनहोन माता को मागक म ही मलचछकत पड़ दखा | उनहोन बहत दर तक माता का उपचार ककया तब व होश म आ सकी | नदी अचधक दर थी | वहाा तक पहाचन म माता को बड़ा कषटट होता था | आचायक न भगवान स मन-ही-मन पराथकना की कक परभो ककसी परकार नदी की धारा को मोड़ दो लजसस कक माता तनकट ही सनान कर सक | व इस परकार की पराथकना तनसय करन लग | एक ददन उनहोन दखा कक नदी की धारा ककनार की धरती को काटती-काटती मड़न लगी ह तथा कछ ददनो म ही वह आचायक शकर क घर क पास बहन लगी | इस घटना न आचायक का अलौककक शलकतसमपनन होना परलसदध कर ददया |

(अनिम) पावन उदगार

सदगर-िहहिा गर बबन भव तनध तर न कोई |

जौ बरधच सकर सि होई ||

-सत तलसीदासजी

हररहर आहदक जगत ि प जयदव जो कोय |

सदगर की प जा ककय सबकी प जा होय ||

-तनशचलदासजी महाराज

सहजो कारज ससार को गर बबन होत नाही |

हरर तो गर बबन कया मिल सिझ ल िन िाही ||

-सत कबीरजी सत

सरतन जो जन पर सो जन उ रनहार |

सत की तनदा नानका बहरर बहरर अवतार ||

-गर नानक दवजी

गरसवा सब भागयो की जनमभलम ह और वह शोकाकल लोगो को बरहममय कर दती ह | गररपी सयक अववदयारपी रातरतर का नाश करता ह और जञानाजञान रपी लसतारो का लोप करक बदचधमानो को आसमबोध का सददन ददखाता ह |

-सत जञानशवर महाराज

ससय क कटकमय मागक म आपको गर क लसवाय और कोई मागकदशकन नही द सकता |

- सवामी लशवानद सरसवती

ककतन ही राजा-महाराजा हो गय और होग सायजय मलकत कोई नही द सकता | सचच राजा-महाराज तो सत ही ह | जो उनकी शरर जाता ह वही सचचा सख और सायजय मलकत पाता ह |

-समथक शरी रामदास सवामी

मनषटय चाह ककतना भी जप-तप कर यम-तनयमो का पालन कर परत जब तक सदगर की कपादलषटट नही लमलती तब तक सब वयथक ह |

-सवामी रामतीथक

पलटो कहत ह कक सकरात जस गर पाकर म धनय हआ |

इमसकन न अपन गर थोरो स जो परापत ककया उसक मदहमागान म व भावववभोर हो जात थ |

शरी रामकषटर परमहस परकता का अनभव करानवाल अपन सदगरदव की परशसा करत नही अघात थ |

पजयपाद सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज भी अपन सदगरदव की याद म सनह क आास बहाकर गदगद कठ हो जात थ |

पजय बापजी भी अपन सदगरदव की याद म कस हो जात ह यह तो दखत ही बनता ह | अब हम उनकी याद म कस होत ह यह परशन ह | बदहमकख तनगर लोग कछ भी कह साधक को अपन सदगर स कया लमलता ह इस तो साधक ही जानत ह |

(अनिम) पावन उदगार

लडी िाहियन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान ि परकि मशवजी

सा सग ससार ि दलयभ िनटय शरीर |

सतसग सषवत ततव ह बतरषव ताप की पीर ||

मानव-दह लमलना दलकभ ह और लमल भी जाय तो आचधदववक आचधभौततक और आरधयालसमक य तीन ताप मनषटय को तपात रहत ह | ककत मनषटय-दह म भी पववतरता हो सचचाई हो शदधता हो और साध-सग लमल जाय तो य तरतरववध ताप लमट जात ह |

सन १८७९ की बात ह | भारत म तरबरदटश शासन था उनही ददनो अगरजो न अफगातनसतान पर आिमर कर ददया | इस यदध का सचालन आगर मालवा तरबरदटश छावनी क ललफ़टनट कनकल मादटकन को सौपा गया था | कनकल मादटकन समय-समय पर यदध-कषतर स अपनी पसनी को कशलता क समाचार भजता रहता था | यदध लबा चला और अब तो सदश आन भी बद हो गय | लडी मादटकन को चचता सतान लगी कक कही कछ अनथक न हो गया हो अफगानी सतनको न मर पतत को मार न डाला हो | कदाचचत पतत यदध म शहीद हो गय तो म जीकर कया करा गी -यह सोचकर वह अनक शका-कशकाओ स तघरी रहती थी | चचनतातर बनी वह एक ददन घोड़ पर बठकर घमन जा रही थी | मागक म ककसी मददर स आती हई शख व मतर रधवतन न उस आकवषकत ककया | वह एक पड़ स अपना घोड़ा बााधकर मददर म गयी | बजनाथ महादव क इस मददर म लशवपजन म तनमगन पडडतो स उसन पछा आप लोग कया कर रह ह एक वरदध बराहमर न कहा हम भगवान लशव का पजन कर रह ह | लडी मादटकन लशवपजन की कया महतता ह

बराहमर बटी भगवान लशव तो औढरदानी ह भोलनाथ ह | अपन भकतो क सकट-तनवारर करन म व ततनक भी दर नही करत ह | भकत उनक दरबार म जो भी मनोकामना लकर क आता ह उस व शीघर परी करत ह ककत बटी तम बहत चचलनतत और उदास नजर आ रही हो कया बात ह लडी मादटकन मर पततदव यदध म गय ह और ववगत कई ददनो स उनका कोई समाचार नही आया ह | व यदध म फा स गय ह या मार गय ह कछ पता नही चल रहा | म उनकी ओर स बहत चचलनतत हा | इतना कहत हए लडी मादटकन की आाख नम हो गयी | बराहमर तम चचनता मत करो बटी लशवजी का पजन करो उनस पराथकना करो लघरिी करवाओ |

भगवान लशव तमहार पतत का रकषर अवशय करग |

पडडतो की सलाह पर उसन वहाा गयारह ददन का ॐ नमः लशवाय मतर स लघरिी अनषटठान परारभ ककया तथा परततददन भगवान लशव स अपन पतत की रकषा क ललए पराथकना करन लगी कक ह भगवान लशव ह बजनाथ महादव यदद मर पतत यदध स सकशल लौट आय तो म आपका लशखरबद मददर बनवाऊा गी | लघरिी की पराकहतत क ददन भागता हआ एक सदशवाहक लशवमददर म आया और लडी मादटकन को एक ललफाफा ददया | उसन घबरात-घबरात वह ललफाफा खोला और पढन लगी |

पतर म उसक पतत न ललखा था हम यदध म रत थ और तम तक सदश भी भजत रह लककन

आक पठानी सना न घर ललया | तरबरदटश सना कट मरती और म भी मर जाता | ऐसी ववकट पररलसथतत म हम तघर गय थ कक परार बचाकर भागना भी असयाचधक कदठन था | इतन म मन दखा कक यदधभलम म भारत क कोई एक योगी लजनकी बड़ी लमबी जटाएा ह हाथ म तीन नोकवाला एक हचथयार (तरतरशल) इतनी तीवर गतत स घम रहा था कक पठान सतनक उनह दखकर भागन लग | उनकी कपा स घर स हम तनकलकर पठानो पर वार करन का मौका लमल गया और हमारी हार की घडड़याा अचानक जीत म बदल गयी | यह सब भारत क उन बाघामबरधारी एव तीन नोकवाला हचथयार धारर ककय हए (तरतरशलधारी) योगी क कारर ही समभव हआ | उनक महातजसवी वयलकतसव क परभाव स दखत-ही-दखत अफगातनसतान की पठानी सना भाग खड़ी हई और व परम योगी मझ दहममत दत हए कहन लग | घबराओ नही | म भगवान लशव हा तथा तमहारी पसनी की पजा स परसनन होकर तमहारी रकषा करन आया हा उसक सहाग की रकषा करन आया हा |

पतर पढत हए लडी मादटकन की आाखो स अववरत अशरधारा बहती जा रही थी उसका हदय अहोभाव स भर गया और वह भगवान लशव की परततमा क सममख लसर रखकर पराथकना करत-करत रो पड़ी | कछ सपताह बाद उसका पतत कनकल मादटकन आगर छावनी लौटा | पसनी न उस सारी बात सनात हए कहा आपक सदश क अभाव म म चचलनतत हो उठी थी लककन बराहमरो की सलाह स लशवपजा म लग गयी और आपकी रकषा क ललए भगवान लशव स पराथकना करन लगी | उन दःखभजक महादव न मरी पराथकना सनी और आपको सकशल लौटा ददया | अब तो पतत-पसनी दोनो ही तनयलमत रप स बजनाथ महादव क मददर म पजा-अचकना करन लग | अपनी पसनी की इचछा पर कनकल मादटकन म सन १८८३ म पिह हजार रपय दकर बजनाथ महादव मददर का जीरोदवार करवाया लजसका लशलालख आज भी आगर मालवा क इस मददर म लगा ह | पर भारतभर म अगरजो दवार तनलमकत यह एकमातर दहनद मददर ह |

यरोप जान स पवक लडी मादटकन न पडड़तो स कहा हम अपन घर म भी भगवान लशव का मददर बनायग तथा इन दःख-तनवारक दव की आजीवन पजा करत रहग |

भगवान लशव म भगवान कषटर म माा अमबा म आसमवतता सदगर म सतता तो एक ही ह | आवशयकता ह अटल ववशवास की | एकलवय न गरमतत क म ववशवास कर वह परापत कर ललया जो

अजकन को कदठन लगा | आरखर उपमनय धरव परहलाद आदद अनय सकड़ो उदारहर हमार सामन परसयकष ह | आज भी इस परकार का सहयोग हजारो भकतो को साधको को भगवान व आसमवतता सदगरओ क दवारा तनरनतर परापत होता रहता ह | आवशयकता ह तो बस कवल ववशवास की |

(अनिम) पावन उदगार

सखप वयक परसवकारक ितर

पहला उपाय

ए ही भगवतत भगिामलतन चल चल भरािय भरािय पटप षवकासय षवकासय सवाहा |

इस मतर दवारा अलभमतरतरत दध गलभकरी सतरी को वपलाय तो सखपवकक परसव होगा |

द सरा उपाय

गलभकरी सतरी सवय परसव क समय जमभला-जमभला जप कर |

तीसरा उपाय

दशी गाय क गोबर का १२ स १५ लमली रस ॐ नमो नारायराय मतर का २१ बार जप करक पीन स भी परसव-बाधाएा दर होगी और तरबना ऑपरशन क परसव होगा |

परसतत क समय अमगल की आशका हो तो तनमन मतर का जप कर

सवयिगल िागलय मशव सवायथय साध क |

शरणय तरयमबक गौरी नारायणी निोSसतत ||

(दगायसपतशती)

(अनिम) पावन उदगार

सवागीण षवकास की कषजया यादशषकत बढ़ान हतः परततददन 15 स 20 लमली तलसी रस व एक चममच चयवनपराश

का थोड़ा सा घोल बना क सारसवसय मतर अथवा गरमतर जप कर पीय 40 ददन म चमसकाररक लाभ होगा

भोजन क बाद एक लडड चबा-चबाकर खाय

100 गराम सौफ 100 गराम बादाम 200 गराम लमशरी तीनो को कटकर लमला ल सबह यह लमशरर 3 स 5 गराम चबा-चबाकर खाय ऊपर स दध पी ल (दध क साथ भी ल सकत ह) इसस भी यादशलकत बढगी

पढ़ा हआ पाठ याद रह इस हतः अरधययन क समय पवक या उततर की ओर माह करक सीध बठ

सारसवसय मतर का जप करक कफर जीभ की नोक को ताल म लगाकर पढ

अरधययन क बीच-बीच म अत म शात हो और पढ हए का मनन कर ॐ शातत रामराम या गरमतर का समरर करक शात हो

कद बढ़ान हतः परातःकाल दौड़ लगाय पल-अपस व ताड़ासन कर तथा 2 काली लमचक क टकड़ करक मकखन म लमलाकर तनगल जाय दशी गाय का दध कदवदचध म ववशष सहायक ह

शरीरपषटि हतः भोजन क पहल हरड़ चस व भोजन क साथ भी खाय

रातरतर म एक चगलास पानी म एक नीब तनचोड़कर उसम दो ककशलमश लभगो द सबह पानी छानकर पी जाय व ककशलमश चबाकर खा ल

नतरजयोतत बढ़ान हतः सौफ व लमशरी 1-1 चममच लमलाकर रात को सोत समय खाय यह परयोग तनयलमत रप स 5-6 माह तक कर

नतररोगो स रकषा हतः परो क तलवो व अागठो की सरसो क तल स माललश कर ॐ अरणाय ह फट सवाहा इस जपत हए आाख धोन स अथाकत आाखो म धीर-धीर पानी छााटन स आाखो की असहय पीड़ा लमटती ह

डरावन बर सवपनो स बचाव हतः ॐ हरय निः मतर जपत हए सोय लसरहान आशरम की तनःशकक परसादी गरहदोष-बाधा तनवारक यतर रख द

दःख िसीबत एव गरहबा ा तनवारण हतः जनमददवस क अवसर पर महामसयञजय मतर का जप करत हए घी दध शहद और दवाक घास क लमशरर की आहततयाा डालत हए हवन कर इसस जीवन म दःख आदद का परभाव शात हो जायगा व नया उससाह परापत होगा

घर ि सख सवासथय व शातत हतः रोज परातः व साय दशी गाय क गोबर स बन कणड का एक छोटा टकड़ा जला ल उस पर दशी गौघत लमचशरत चावल क कछ दान डाल द ताकक व जल जाय इसस घर म सवासथय व शातत बनी रहती ह तथा वासतदोषो का तनवारर होता ह

आधयाषतिक उननतत हतः चलत कफरत दतनक कायक करत हए भगवननाम का जप सब म भगवननाम हर दो कायो क बीच थोड़ा शात होना सबकी भलाई म अपना भला मानना मन क ववचारो पर तनगरानी रखना आदरपवकक सससग व सवारधयाय करना आदद शीघर आरधयालसमक उननतत क उपाय ह

(अनिम) पावन उदगार

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Page 5: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत

राजा ययातत का अनभव

राजा मचकनद का परसग

गलत अभयास का दषटपररराम

वीयकरकषर सदव सतसय

अजकन और अगारपरक गधवक

बरहमचयक का तालववक अथक

3 वीयकरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय

उपयकत आहार

लशशनलनिय सनान

उचचत आसन एव वयायाम करो

बरहममहतक म उठो

दवयकसनो स दर रहो

सससग करो

शभ सककप करो

तरतरबनधयकत परारायाम और योगाभयास करो

नीम का पड चला

सतरी-जातत क परतत मातभाव परबल करो

लशवाजी का परसग

अजकन और उवकशी

वीयकसचय क चमसकार

भीषटम वपतामह और वीर अलभमनय

पथवीराज चौहान कयो हारा

सवामी रामतीथक का अनभव

यवा वगक स दो बात

हसतमथन का दषटपररराम

अमररका म ककया गया परयोग

कामशलकत का दमन या ऊरधवकगमन

एक साधक का अनभव

दसर साधक का अनभव

योगी का सककपबल

कया यह चमसकार ह

हसतमथन व सवपनदोष स कस बच

सदव परसनन रहो

वीयक का ऊरधवकगमन कया ह

वीयकरकषा का महववपरक परयोग

दसरा परयोग

वीयकरकषक चरक

गोद का परयोग

बरहमचयक रकषा हत मतर

पादपलशचमोततानासन

पादागषटठानासन

बदचधशलकतवधकक परयोगः

हमार अनभव

महापरष क दशकन का चमसकार

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह

बरहमचयक ही जीवन ह

शासतरवचन

भसमासर िोध स बचो

बरहमाचयक-रकषा का मतर

सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही बाप जी का अवतरर हआ ह

हर वयलकत जो तनराश ह उस आसाराम जी की जररत ह

बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहमजञान का ददवय सससग

बाप जी का सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

भगवननाम का जाद

पजयशरी क सससग म परधानमतरी शरी अटल तरबहारी वाजपयीजी क उदगार

प बापः राषटरसख क सवधकक

राषटर उनका ऋरी ह

गरीबो व वपछड़ो को ऊपर उठान क कायक चाल रह

सराहनीय परयासो की सफलता क ललए बधाई

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आप समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह

योग व उचच ससकार लशकषा हत भारतवषक आपका चचर-आभारी रहगा

आपन जो कहा ह हम उसका पालन करग

जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

बापजी सवकतर ससकार धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह

आपक दशकनमातर स मझ अदभत शलकत लमलती ह

हम सभी का कतकवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल

आपका मतर हः आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए

सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा

ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

पणयोदय पर सत समागम

बापजी जहाा नही होत वहाा क लोगो क ललए भी बहत कछ करत ह

जीवन की सचची लशकषा तो पजय बापजी ही द सकत ह

आपकी कपा स योग की अरशलकत पदा हो रही ह

धरती तो बाप जस सतो क कारर दटकी ह

म कमनसीब हा जो इतन समय तक गरवारी स वचचत रहा

इतनी मधर वारी इतना अदभत जञान

सससग शरवर स मर हदय की सफाई हो गयी

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहाा आ गयी

बाप जी क सससग स ववशवभर क लोग लाभालनवत

परी डडकशनरी याद कर ववशव ररकॉडक बनाया

मतरदीकषा व यौचगक परयोगो स बदचध का अपरततम ववकास

सससग व मतरदीकषा न कहाा स कहाा पहाचा ददया

5 वषक क बालक न चलायी जोखखम भरी सड़को पर कार

ऐस सतो का लजतना आदर ककया जाय कम ह

मझ तनवयकसनी बना ददया

गरजी की तसवीर न परार बचा ललय

सदगर लशषटय का साथ कभी नही छोड़त

गरकपा स अधापन दर हआ

और डकत घबराकर भाग गय

मतर दवारा मतदह म परार-सचार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस लमली

बड़दादा की लमटटी व जल स जीवनदान

पजय बाप न फ का कपा-परसाद

बटी न मनौती मानी और गरकपा हई

और गरदव की कपा बरसी

गरदव न भजा अकषयपातर

सवपन म ददय हए वरदान स पतरपरालपत

शरी आसारामायर क पाठ स जीवनदान

गरवारी पर ववशवास स अवरीय लाभ

सवफल क दो टकड़ो स दो सतान

साइककल स गरधाम जान पर खराब टााग ठीक हो गयी

अदभत रही मौनमददर की साधना

असारधय रोग स मलकत

कसट का चमसकार

पजयशरी की तसवीर स लमली परररा

नतरतरबद का चमसकार

मतर स लाभ

काम िोध पर ववजय पायी

जला हआ कागज पवक रप म

नदी की धारा मड़ गयी

सदगर-मदहमा

लडी मादटकन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान म परकट लशवजी

सखपवकक परसवकारक मतर

सवाागीर ववकास की कलजयाा

ॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

िहाितयजय ितर

ॐ हौ ज सः ॐ भ भयवः सवः ॐ तरयमबक यजािह सगध पषटिव यनि उवायरकमिव

बन नानितयोियकषकषय िाितात सवः भवः भ ः ॐ सः ज हौ ॐ

भगवान लशव का यह महामसयजय मतर जपन स अकाल मसय तो टलती ही ह आरोगयता की भी परालपत होती ह सनान करत समय शरीर पर लोट स पानी डालत वकत इस मतर का जप करन स सवासथय लाभ होता ह दध म तनहारत हए इस मतर का जप करक दध पी ललया जाय तो यौवन की सरकषा म भी सहायता लमलती ह आजकल की तज रफतार वाली लजदगी क कहाा उपिव दघकटना हो जाय कहना मलशकल ह घर स तनकलत समय एक बार यह मतर जपन वाला उपिवो स सरकषकषत

रहता ह और सरकषकषत लौटता ह (इस मतर क अनषटठान की परक जानकारी क ललए आशरम की आरोगयतनध पसतक पढ

शरीिदभागवत क आठव सक ि तीसर अधयाय क शलोक 1 स 33 तक ि वरणयत गजनर िोकष सतोतर का पाठ करन स तिाि षवघन द र होत ह

िगली बा ा तनवारक ितर

अ रा अ इस मतर को 108 बार जपन स िोध दर होता ह जनमकणडली म मगली दोष होन स लजनक वववाह न हो रह हो व 27 मगलवार इसका 108 बार जप करत हए वरत रख क हनमान जी पर लसदर का चोला चढाय तो मगल बाधा का कषय होता ह

1 षवदयाधथययो िाता-षपता-अमभभावको व राटर क कणय ारो क नाि बरहितनटठ सत शरी आसारािजी बाप का सदश

हमार दश का भववषटय हमारी यवा पीढी पर तनभकर ह ककनत उचचत मागकदशकन क अभाव म वह

आज गमराह हो रही ह |

पाशचासय भोगवादी सभयता क दषटपरभाव स उसक यौवन का हरास होता जा रहा ह | ववदशी चनल

चलचचतर अशलील सादहसय आदद परचार मारधयमो क दवारा यवक-यवततयो को गमराह ककया जा रहा ह

| ववलभनन सामतयको और समाचार-पतरो म भी तथाकचथत पाशचासय मनोववजञान स परभाववत मनोचचककससक और lsquoसकसोलॉलजसटrsquo यवा छातर-छातराओ को चररतर सयम और नततकता स भरषटट करन पर तल हए ह |

तरबरतानी औपतनवलशक ससकतत की दन इस वततकमान लशकषा-परराली म जीवन क नततक मकयो क परतत उदासीनता बरती गई ह | फलतः आज क ववदयाथी का जीवन कौमायकवसथा स ही ववलासी और असयमी हो जाता ह |

पाशचासय आचार-वयवहार क अधानकरर स यवानो म जो फशनपरसती अशदध आहार-ववहार क

सवन की परववतत कसग अभिता चलचचतर-परम आदद बढ रह ह उसस ददनोददन उनका पतन होता जा रहा ह | व तनबकल और कामी बनत जा रह ह | उनकी इस अवदशा को दखकर ऐसा लगता ह कक व बरहमचयक की मदहमा स सवकथा अनलभजञ ह |

लाखो नही करोड़ो-करोड़ो छातर-छातराएा अजञानतावश अपन तन-मन क मल ऊजाक-सरोत का वयथक म अपकषय कर परा जीवन दीनता-हीनता-दबकलता म तबाह कर दत ह और सामालजक अपयश क भय

स मन-ही-मन कषटट झलत रहत ह | इसस उनका शारीररक-मानलसक सवासथय चौपट हो जाता ह

सामानय शारीररक-मानलसक ववकास भी नही हो पाता | ऐस यवान रकताकपता ववसमरर तथा दबकलता स पीडड़त होत ह |

यही वजह ह कक हमार दश म औषधालयो चचककससालयो हजारो परकार की एलोपचथक दवाइयो इनजकशनो आदद की लगातार वदचध होती जा रही ह | असखय डॉकटरो न अपनी-अपनी दकान खोल

रखी ह कफर भी रोग एव रोचगयो की सखया बढती ही जा रही ह |

इसका मल कारर कया ह दवयकसन तथा अनततक अपराकततक एव अमयाकददत मथन दवारा वीयक की कषतत ही इसका मल कारर ह | इसकी कमी स रोगपरततकारक शलकत घटती ह जीवनशलकत का हरास होता ह |

इस दश को यदद जगदगर क पद पर आसीन होना ह ववशव-सभयता एव ववशव-ससकतत का लसरमौर बनना ह उननत सथान कफर स परापत करना ह तो यहाा की सनतानो को चादहए कक व बरहमचयक क महसव को समझ और सतत सावधान रहकर सखती स इसका पालन कर |

बरहमचयक क दवारा ही हमारी यवा पीढी अपन वयलकतसव का सतललत एव शरषटठतर ववकास कर सकती ह | बरहमचयक क पालन स बदचध कशागर बनती ह रोगपरततकारक शलकत बढती ह तथा महान-

स-महान लकषय तनधाकररत करन एव उस समपाददत करन का उससाह उभरता ह सककप म दढता आती ह मनोबल पषटट होता ह |

आरधयालसमक ववकास का मल भी बरहमचयक ही ह | हमारा दश औदयोचगक तकनीकी और आचथकक

कषतर म चाह ककतना भी ववकास कर ल समदचध परापत कर ल कफर भी यदद यवाधन की सरकषा न हो पाई तो यह भौततक ववकास अत म महाववनाश की ओर ही ल जायगा कयोकक सयम सदाचार

आदद क पररपालन स ही कोई भी सामालजक वयवसथा सचार रप स चल सकती ह | भारत का सवाागीर ववकास सचचररतर एव सयमी यवाधन पर ही आधाररत ह |

अतः हमार यवाधन छातर-छातराओ को बरहमचयक म परलशकषकषत करन क ललए उनह यौन-सवासथय

आरोगयशासतर दीघाकय-परालपत क उपाय तथा कामवासना तनयतरतरत करन की ववचध का सपषटट जञान परदान करना हम सबका अतनवायक कततकवय ह | इसकी अवहलना करना हमार दश व समाज क दहत म नही ह | यौवन सरकषा स ही सदढ राषटर का तनमाकर हो सकता ह |

(अनिम)

2 यौवन-सरकषा शरीरिादय खल ियसा नि |

धमक का साधन शरीर ह | शरीर स ही सारी साधनाएा समपनन होती ह | यदद शरीर कमजोर ह तो उसका परभाव मन पर पड़ता ह मन कमजोर पड़ जाता ह |

कोई भी कायक यदद सफलतापवकक करना हो तो तन और मन दोनो सवसथ होन चादहए | इसीललय

कई बढ लोग साधना की दहममत नही जटा पात कयोकक वषतयक भोगो स उनक शरीर का सारा ओज-तज नषटट हो चका होता ह | यदद मन मजबत हो तो भी उनका जजकर शरीर परा साथ नही द पाता | दसरी ओर यवक वगक साधना करन की कषमता होत हए भी ससार की चकाचौध स परभाववत

होकर वषतयक सखो म बह जाता ह | अपनी वीयकशलकत का महसव न समझन क कारर बरी आदतो म पड़कर उस खचक कर दता ह कफर लजनदगी भर पछताता रहता ह |

मर पास कई ऐस यवक आत ह जो भीतर-ही भीतर परशान रहत ह | ककसीको व अपना दःख-ददक सना नही पात कयोकक बरी आदतो म पड़कर उनहोन अपनी वीयकशलकत को खो ददया ह | अब मन

और शरीर कमजोर हो गय गय ससार उनक ललय दःखालय हो गया ईशवरपरालपत उनक ललए असभव हो गई | अब ससार म रोत-रोत जीवन घसीटना ही रहा |

इसीललए हर यग म महापरष लोग बरहमचयक पर जोर दत ह | लजस वयलकत क जीवन म सयम

नही ह वह न तो सवय की ठीक स उननतत कर पाता ह और न ही समाज म कोई महान कायक कर पाता ह | ऐस वयलकतयो स बना हआ समाज और दश भी भौततक उननतत व आरधयालसमक उननतत म वपछड़ जाता ह | उस दश का शीघर पतन हो जाता ह |

(अनिम)

बरहिचयय कया ह

पहल बरहमचयक कया ह- यह समझना चादहए | lsquoयाजञवककय सदहताrsquo म आया ह

कियणा िनसा वाचा सवायसथास सवयदा |

सवयतर िथनतआगो बरहिचय परचकषत ||

lsquoसवक अवसथाओ म मन वचन और कमक तीनो स मथन का सदव सयाग हो उस बरहमचयक कहत ह |rsquo

भगवान वदवयासजी न कहा ह

बरहिचय गपतषनरसयोपसथसय सयिः |

lsquoववषय-इलनियो दवारा परापत होन वाल सख का सयमपवकक सयाग करना बरहमचयक ह |rsquo

भगवान शकर कहत ह

मसद बबनदौ िहादषव कक न मसद यतत भ तल |

lsquoह पावकती तरबनद अथाकत वीयकरकषर लसदध होन क बाद कौन-सी लसदचध ह जो साधक को परापत नही हो सकती rsquo

साधना दवारा जो साधक अपन वीयक को ऊरधवकगामी बनाकर योगमागक म आग बढत ह व कई

परकार की लसदचधयो क माललक बन जात ह | ऊरधवकरता योगी परष क चररो म समसत लसदचधयाा दासी बनकर रहती ह | ऐसा ऊरधवकरता परष परमाननद को जकदी पा सकता ह अथाकत आसम-साकषासकार जकदी कर सकता ह |

दवताओ को दवसव भी इसी बरहमचयक क दवारा परापत हआ ह

बरहिचयण तपसा दवा ितयिपाघनत |

इनरो ह बरहिचयण दवभयः सवराभरत ||

lsquoबरहमचयकरपी तप स दवो न मसय को जीत ललया ह | दवराज इनि न भी बरहमचयक क परताप स ही दवताओ स अचधक सख व उचच पद को परापत ककया ह |rsquo

(अथवकवद 1519)

बरहमचयक बड़ा गर ह | वह ऐसा गर ह लजसस मनषटय को तनसय मदद लमलती ह और जीवन क सब

परकार क खतरो म सहायता लमलती ह |

(अनिम)

बरहिचयय उतकटि तप ह

ऐस तो तपसवी लोग कई परकार क तप करत ह परनत बरहमचयक क बार म भगवान शकर कहत ह

न तपसतप इतयाहबरयहिचय तपोततिि |

ऊधवयरता भवदयसत स दवो न त िानिः ||

lsquoबरहमचयक ही उसकषटट तप ह | इसस बढकर तपशचयाक तीनो लोको म दसरी नही हो सकती | ऊरधवकरता परष इस लोक म मनषटयरप म परसयकष दवता ही ह |rsquo

जन शासतरो म भी इस उसकषटट तप बताया गया ह |

तवस वा उतति बभचरि |

lsquoबरहमचयक सब तपो म उततम तप ह |rsquo

वीययरकषण ही जीवन ह

वीयक इस शरीररपी नगर का एक तरह स राजा ही ह | यह वीयकरपी राजा यदद पषटट ह बलवान ह

तो रोगरपी शतर कभी शरीररपी नगर पर आिमर नही करत | लजसका वीयकरपी राजा तनबकल ह उस

शरीररपी नगर को कई रोगरपी शतर आकर घर लत ह | इसीललए कहा गया ह

िरण बबनदोपातन जीवन बबनद ारणात |

lsquoतरबनदनाश (वीयकनाश) ही मसय ह और तरबनदरकषर ही जीवन ह |rsquo

जन गरथो म अबरहमचयक को पाप बताया गया ह

अबभचररय घोर पिाय दरहहठहठयि |

lsquoअबरहमचयक घोर परमादरप पाप ह |rsquo (दश वकाललक सतर 617)

lsquoअथवदrsquo म इस उसकषटट वरत की सजञा दी गई ह

वरति व व बरहिचययि |

वदयकशासतर म इसको परम बल कहा गया ह

बरहिचय पर बलि | lsquoबरहमचयक परम बल ह |rsquo

वीयकरकषर की मदहमा सभी न गायी ह | योगीराज गोरखनाथ न कहा ह

कत गया क कामिनी झ र | बबनद गया क जोगी ||

lsquoपतत क ववयोग म कालमनी तड़पती ह और वीयकपतन स योगी पशचाताप करता ह |rsquo

भगवान शकर न तो यहाा तक कह ददया कक इस बरहमचयक क परताप स ही मरी ऐसी महान मदहमा हई ह

यसय परसादानिहहिा ििापयतादशो भवत |

(अनिम)

आ तनक धचककतसको का ित

यरोप क परततलषटठत चचककससक भी भारतीय योचगयो क कथन का समथकन करत ह | डॉ तनकोल

कहत ह

ldquoयह एक भषलजक और ददहक तथय ह कक शरीर क सवोततम रकत स सतरी तथा परष दोनो ही जाततयो म परजनन तवव बनत ह | शदध तथा वयवलसथत जीवन म यह तवव पनः अवशोवषत हो जाता ह | यह सकषमतम मलसतषटक सनाय तथा मासपलशय ऊततको (Tissue) का तनमाकर करन क ललय तयार

होकर पनः पररसचारर म जाता ह | मनषटय का यह वीयक वापस ऊपर जाकर शरीर म ववकलसत होन पर उस तनभीक बलवान साहसी तथा वीर बनाता ह | यदद इसका अपवयय ककया गया तो यह उसको सतरर दबकल कशकलवर एव कामोततजनशील बनाता ह तथा उसक शरीर क अगो क कायकवयापार को ववकत एव सनायततर को लशचथल (दबकल) करता ह और उस लमगी (मगी) एव अनय अनक रोगो और

मसय का लशकार बना दता ह | जननलनिय क वयवहार की तनवतत स शारीररक मानलसक तथा अरधयालसमक बल म असाधारर वदचध होती ह |rdquo

परम धीर तथा अरधयवसायी वजञातनक अनसधानो स पता चला ह कक जब कभी भी रतःसराव को सरकषकषत रखा जाता तथा इस परकार शरीर म उसका पनवकशोषर ककया जाता ह तो वह रकत को समदध तथा मलसतषटक को बलवान बनाता ह |

डॉ डडओ लई कहत ह ldquoशारीररक बल मानलसक ओज तथा बौदचधक कशागरता क ललय इस तवव

का सरकषर परम आवशयक ह |rdquo

एक अनय लखक डॉ ई पी लमलर ललखत ह ldquoशिसराव का सवलचछक अथवा अनलचछक अपवयय

जीवनशलकत का परसयकष अपवयय ह | यह परायः सभी सवीकार करत ह कक रकत क सवोततम तवव

शिसराव की सरचना म परवश कर जात ह | यदद यह तनषटकषक ठीक ह तो इसका अथक यह हआ कक

वयलकत क ककयार क ललय जीवन म बरहमचयक परम आवशयक ह |rdquo

पलशचम क परखयात चचककससक कहत ह कक वीयककषय स ववशषकर तररावसथा म वीयककषय स ववववध परकार क रोग उसपनन होत ह | व ह शरीर म वरर चहर पर माहास अथवा ववसफोट नतरो क चतददकक नीली रखाय दाढी का अभाव धास हए नतर रकतकषीरता स पीला चहरा समततनाश दलषटट की कषीरता मतर क साथ वीयकसखलन अणडकोश की वदचध अणडकोशो म पीड़ा दबकलता तनिालता आलसय उदासी हदय-कमप शवासावरोध या कषटटशवास यकषमा पषटठशल कदटवात शोरोवदना सचध-पीड़ा दबकल वकक तनिा म मतर तनकल जाना मानलसक अलसथरता ववचारशलकत का अभाव दःसवपन

सवपन दोष तथा मानलसक अशातत |

उपरोकत रोग को लमटान का एकमातर ईलाज बरहमचयक ह | दवाइयो स या अनय उपचारो स य रोग सथायी रप स ठीक नही होत |

(अनिम)

वीयय कस बनता ह

वीयक शरीर की बहत मकयवान धात ह | भोजन स वीयक बनन की परकिया बड़ी लमबी ह | शरी सशरताचायक न ललखा ह

रसारकत ततो िास िासानिदः परजायत |

िदसयाषसथः ततो िजजा िजजाया शकरसभवः ||

जो भोजन पचता ह उसका पहल रस बनता ह | पााच ददन तक उसका पाचन होकर रकत बनता ह | पााच ददन बाद रकत म स मास उसम स 5-5 ददन क अतर स मद मद स हडडी हडडी स मजजा और मजजा स अत म वीयक बनता ह | सतरी म जो यह धात बनती ह उस lsquoरजrsquo कहत ह |

वीयक ककस परकार छः-सात मलजलो स गजरकर अपना यह अततम रप धारर करता ह यह सशरत क इस कथन स जञात हो जाता ह | कहत ह कक इस परकार वीयक बनन म करीब 30 ददन व 4 घणट लग जात ह | वजञतनक लोग कहत ह कक 32 ककलोगराम भोजन स 700 गराम रकत बनता ह और 700

गराम रकत स लगभग 20 गराम वीयक बनता ह |

(अनिम)

आकियक वयषकततव का कारण

इस वीयक क सयम स शरीर म एक अदभत आकषकक शलकत उसपनन होती ह लजस पराचीन वदय धनवतरर न lsquoओजrsquo नाम ददया ह | यही ओज मनषटय को अपन परम-लाभ lsquoआसमदशकनrsquo करान म सहायक बनता ह | आप जहाा-जहाा भी ककसी वयलकत क जीवन म कछ ववशषता चहर पर तज वारी म बल कायक म उससाह पायग वहाा समझो इस वीयक रकषर का ही चमसकार ह |

यदद एक साधारर सवसथ मनषटय एक ददन म 700 गराम भोजन क दहसाब स चालीस ददन म 32

ककलो भोजन कर तो समझो उसकी 40 ददन की कमाई लगभग 20 गराम वीयक होगी | 30 ददन अथाकत

महीन की करीब 15 गराम हई और 15 गराम या इसस कछ अचधक वीयक एक बार क मथन म परष

दवारा खचक होता ह |

िाली की कहानी

एक था माली | उसन अपना तन मन धन लगाकर कई ददनो तक पररशरम करक एक सनदर बगीचा तयार ककया | उस बगीच म भाातत-भाातत क मधर सगध यकत पषटप खखल | उन पषटपो को चनकर

उसन इकठठा ककया और उनका बदढया इतर तयार ककया | कफर उसन कया ककया समझ आप hellip उस

इतर को एक गदी नाली ( मोरी ) म बहा ददया |

अर इतन ददनो क पररशरम स तयार ककय गय इतर को लजसकी सगनध स सारा घर महकन वाला था उस नाली म बहा ददया आप कहग कक lsquoवह माली बड़ा मखक था पागल था helliprsquo मगर अपन आपम ही झााककर दख | वह माली कही और ढाढन की जररत नही ह | हमम स कई लोग ऐस ही माली ह |

वीयक बचपन स लकर आज तक यानी 15-20 वषो म तयार होकर ओजरप म शरीर म ववदयमान

रहकर तज बल और सफततक दता रहा | अभी भी जो करीब 30 ददन क पररशरम की कमाई थी उस या ही सामानय आवग म आकर अवववकपवकक खचक कर दना कहाा की बदचधमानी ह

कया यह उस माली जसा ही कमक नही ह वह माली तो दो-चार बार यह भल करन क बाद ककसी क समझान पर साभल भी गया होगा कफर वही-की-वही भल नही दोहराई होगी परनत आज तो कई लोग वही भल दोहरात रहत ह | अत म पशचाताप ही हाथ लगता ह |

कषखरक सख क ललय वयलकत कामानध होकर बड़ उससाह स इस मथनरपी कसय म पड़ता ह परनत कसय परा होत ही वह मद जसा हो जाता ह | होगा ही | उस पता ही नही कक सख तो नही लमला कवल सखाभास हआ परनत उसम उसन 30-40 ददन की अपनी कमाई खो दी |

यवावसथा आन तक वीयकसचय होता ह वह शरीर म ओज क रप म लसथत रहता ह | वह तो वीयककषय स नषटट होता ही ह अतत मथन स तो हडडडयो म स भी कछ सफद अश तनकलन लगता ह

लजसस असयचधक कमजोर होकर लोग नपसक भी बन जात ह | कफर व ककसी क सममख आाख

उठाकर भी नही दख पात | उनका जीवन नारकीय बन जाता ह |

वीयकरकषर का इतना महसव होन क कारर ही कब मथन करना ककसस मथन करना जीवन म ककतनी बार करना आदद तनदशन हमार ॠवष-मतनयो न शासतरो म द रख ह |

(अनिम)

सषटि करि क मलए िथन एक पराकततक वयवसथा

शरीर स वीयक-वयय यह कोई कषखरक सख क ललय परकतत की वयवसथा नही ह | सनतानोसपवतत क ललय इसका वासतववक उपयोग ह | यह परकतत की वयवसथा ह |

यह सलषटट चलती रह इसक ललए सनतानोसपवतत होना जररी ह | परकतत म हर परकार की वनसपतत व परारीवगक म यह काम-परववतत सवभावतः पाई जाती ह | इस काम- परववतत क वशीभत होकर हर परारी मथन करता ह और उसका रततसख भी उस लमलता ह | ककनत इस पराकततक वयवसथा को ही बार-बार कषखरक सख का आधार बना लना कहाा की बदचधमानी ह पश भी अपनी ॠत क अनसार ही इस

कामवतत म परवत होत ह और सवसथ रहत ह तो कया मनषटय पश वगक स भी गया बीता ह पशओ म तो बदचधतसव ववकलसत नही होता परनत मनषटय म तो उसका परक ववकास होता ह |

आहारतनराभयिथन च सािानयिततपशमभनयराणाि |

भोजन करना भयभीत होना मथन करना और सो जाना यह तो पश भी करत ह | पश शरीर म रहकर हम यह सब करत आए ह | अब यह मनषटय शरीर लमला ह | अब भी यदद बदचध और

वववकपरक अपन जीवन को नही चलाया और कषखरक सखो क पीछ ही दौड़त रह तो कस अपन मल

लकषय पर पहाच पायग

(अनिम)

सहजता की आड़ ि भरमित न होव कई लोग तकक दन लग जात ह ldquoशासतरो म पढन को लमलता ह और जञानी महापरषो क

मखारववनद स भी सनन म आता ह कक सहज जीवन जीना चादहए | काम करन की इचछा हई तो काम ककया भख लगी तो भोजन ककया नीद आई तो सो गय | जीवन म कोई lsquoटनशनrsquo कोई तनाव

नही होना चादहए | आजकल क तमाम रोग इसी तनाव क ही फल ह hellip ऐसा मनोवजञातनक कहत ह | अतः जीवन सहज और सरल होना चादहए | कबीरदास जी न भी कहा ह सा ो सहज सिाध भली |rdquo

ऐसा तकक दकर भी कई लोग अपन काम-ववकार की तलपत को सहमतत द दत ह | परनत यह अपन आपको धोखा दन जसा ह | ऐस लोगो को खबर ही नही ह कक ऐसा सहज जीवन तो महापरषो का होता ह लजनक मन और बदचध अपन अचधकार म होत ह लजनको अब ससार म अपन ललय पान को कछ भी शष नही बचा ह लजनह मान-अपमान की चचनता नही होती ह | व उस आसमतवव म लसथत हो जात ह जहाा न पतन ह न उसथान | उनको सदव लमलत रहन वाल आननद म अब ससार क ववषय न तो वदचध कर सकत ह न अभाव | ववषय-भोग उन महान परषो को आकवषकत करक अब बहका या भटका नही सकत | इसललए अब उनक सममख भल ही ववषय-सामचगरयो का ढर लग जाय ककनत उनकी चतना इतनी जागत होती ह कक व चाह तो उनका उपयोग कर और चाह तो ठकरा द |

बाहरी ववषयो की बात छोड़ो अपन शरीर स भी उनका ममसव टट चका होता ह | शरीर रह अथवा न रह- इसम भी उनका आगरह नही रहता | ऐस आननदसवरप म व अपन-आपको हर समय अनभव

करत रहत ह | ऐसी अवसथावालो क ललय कबीर जी न कहा ह

सा ो सहज सिाध भली |

(अनिम)

अपन को तोल हम यदद ऐसी अवसथा म ह तब तो ठीक ह | अनयथा रधयान रह ऐस तकक की आड़ म हम अपन को धोखा दकर अपना ही पतन कर डालग | जरा अपनी अवसथा की तलना उनकी अवसथा स कर | हम तो कोई हमारा अपमान कर द तो िोचधत हो उठत ह बदला तक लन को तयार हो जात ह | हम

लाभ-हातन म सम नही रहत ह | राग-दवष हमारा जीवन ह | lsquoमरा-तराrsquo भी वसा ही बना हआ ह | lsquoमरा धन hellip मरा मकान hellip मरी पसनी hellip मरा पसा hellip मरा लमतर hellip मरा बटा hellip मरी इजजत hellip मरा पद helliprsquo

य सब ससय भासत ह कक नही यही तो दहभाव ह जीवभाव ह | हम इसस ऊपर उठ कर वयवहार कर सकत ह कया यह जरा सोच |

कई साध लोग भी इस दहभाव स छटकारा नही पा सक सामानय जन की तो बात ही कया कई

साध भी lsquoम लसतरयो की तरफ दखता ही नही हा hellip म पस को छता ही नही हा helliprsquo इस परकार की अपनी-अपनी मन और बदचध की पकड़ो म उलझ हए ह | व भी अपना जीवन अभी सहज नही कर पाए ह और हम hellip

हम अपन साधारर जीवन को ही सहज जीवन का नाम दकर ववषयो म पड़ रहना चाहत ह | कही लमठाई दखी तो माह म पानी भर आया | अपन सबधी और ररशतदारो को कोई दःख हआ तो भीतर स हम भी दःखी होन लग गय | वयापार म घाटा हआ तो माह छोटा हो गया | कही अपन घर स जयादा ददन दर रह तो बार-बार अपन घरवालो की पसनी और पतरो की याद सतान लगी | य कोई सहज जीवन क लकषर ह लजसकी ओर जञानी महापरषो का सकत ह नही |

(अनिम)

िनोतनगरह की िहहिा आज कल क नौजवानो क साथ बड़ा अनयाय हो रहा ह | उन पर चारो ओर स ववकारो को भड़कान वाल आिमर होत रहत ह |

एक तो वस ही अपनी पाशवी ववततयाा यौन उचछखलता की ओर परोससादहत करती ह और दसर

सामालजक पररलसथततयाा भी उसी ओर आकषकर बढाती ह hellip इस पर उन परववततयो को वौजञातनक

समथकन लमलन लग और सयम को हातनकारक बताया जान लग hellip कछ तथाकचथत आचायक भी फरायड जस नालसतक एव अधर मनोवजञातनक क वयलभचारशासतर को आधार बनाकर lsquoसभोग स सिाध rsquo का उपदश दन लग तब तो ईशवर ही बरहमचयक और दामपसय जीवन की पववतरता का रकषक ह |

16 लसतमबर 1977 क lsquoनययॉकक टाइमस म छपा था

ldquoअमररकन पनल कहती ह कक अमररका म दो करोड़ स अचधक लोगो को मानलसक चचककससा की आवशयकता ह |rdquo

उपरोकत परररामो को दखत हए अमररका क एक महान लखक समपादक और लशकषा ववशारद शरी मादटकन गरोस अपनी पसतक lsquoThe Psychological Societyrsquo म ललखत ह ldquoहम लजतना समझत ह उसस कही जयादा फरायड क मानलसक रोगो न हमार मानस और समाज म गहरा परवश पा ललया ह |

यदद हम इतना जान ल कक उसकी बात परायः उसक ववकत मानस क ही परतततरबमब ह और उसकी मानलसक ववकततयो वाल वयलकतसव को पहचान ल तो उसक ववकत परभाव स बचन म सहायता लमल

सकती ह | अब हम डॉ फरायड की छाया म तरबककल नही रहना चादहए |rdquo

आधतनक मनोववजञान का मानलसक ववशलषर मनोरोग शासतर और मानलसक रोग की चचककससा hellip

य फरायड क रगर मन क परतततरबमब ह | फरायड सवय सफदटक कोलोन परायः सदा रहन वाला मानलसक

अवसाद सनायववक रोग सजातीय समबनध ववकत सवभाव माईगरन कबज परवास मसय और धननाश भय साईनोसाइदटस घरा और खनी ववचारो क दौर आदद रोगो स पीडडत था |

परोफसर एडलर और परोफसर सी जी जग जस मधकनय मनोवजञातनको न फरायड क

लसदधातो का खडन कर ददया ह कफर भी यह खद की बात ह कक भारत म अभी भी कई मानलसक

रोग ववशषजञ और सकसोलॉलजसट फरायड जस पागल वयलकत क लसदधातो को आधार लकर इस दश क जवानो को अनततक और अपराकततक मथन (Sex) का सभोग का उपदश वततकमान पतरो और

सामयोको क दवारा दत रहत ह | फरायड न तो मसय क पहल अपन पागलपन को सवीकार ककया था लककन उसक लककन उसक सवय सवीकार न भी कर तो भी अनयायी तो पागल क ही मान जायग | अब व इस दश क लोगो को चररतरभरषटट करन का और गमराह करन का पागलपन छोड़ द ऐसी हमारी नमर पराथकना ह | यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पााच बार पढ और पढाएा- इसी म सभी का ककयार तनदहत ह |

आाकड़ बतात ह कक आज पाशचासय दशो म यौन सदाचार की ककतनी दगकतत हई ह इस दगकतत

क परररामसवरप वहाा क तनवालसयो क वयलकतगत जीवन म रोग इतन बढ गय ह कक भारत स 10

गनी जयादा दवाइयाा अमररका म खचक होती ह जबकक भारत की आबादी अमररका स तीन गनी जयादा ह | मानलसक रोग इतन बढ ह कक हर दस अमररकन म स एक को मानलसक रोग होता ह | दवाकसनाएा इतनी बढी ह कक हर छः सकणड म एक बलासकार होता ह और हर वषक लगभग 20 लाख कनयाएा वववाह क पवक ही गभकवती हो जाती ह | मकत साहचयक (free sex) का दहमायती होन क कारर शादी क पहल वहाा का परायः हर वयलकत जातीय सबध बनान लगता ह | इसी वजह स लगभग 65 शाददयाा तलाक म बदल जाती ह | मनषटय क ललय परकतत दवारा तनधाकररत ककय गय सयम का उपहास करन क कारर परकतत न उन लोगो को जातीय रोगो का लशकार बना रखा ह | उनम मखयतः एडस (AIDS) की बीमारी ददन दनी रात चौगनी फलती जा रही ह | वहाा क पाररवाररक व सामालजक जीवन म िोध

कलह असतोष सताप उचछखलता उदयडता और शतरता का महा भयानक वातावरर छा गया ह |

ववशव की लगभग 4 जनसखया अमररका म ह | उसक उपभोग क ललय ववशव की लगभग 40

साधन-सामगरी (जस कक कार टी वी वातानकललत मकान आदद) मौजद ह कफर भी वहाा अपराधवतत

इतनी बढी ह की हर 10 सकणड म एक सधमारी होती ह हर लाख वयलकतयो म स 425 वयलकत

कारागार म सजा भोग रह ह जबकक भारत म हर लाख वयलकत म स कवल 23 वयलकत ही जल की सजा काट रह ह |

कामकता क समथकक फरायड जस दाशकतनको की ही यह दन ह कक लजनहोन पशचासय दशो को मनोववजञान क नाम पर बहत परभाववत ककया ह और वही स यह आाधी अब इस दश म भी फलती जा रही ह | अतः इस दश की भी अमररका जसी अवदशा हो उसक पहल हम सावधान रहना पड़गा | यहाा क कछ अववचारी दाशकतनक भी फरायड क मनोववजञान क आधार पर यवानो को बलगाम सभोग की तरफ उससादहत कर रह ह लजसस हमारी यवापीढी गमराह हो रही ह | फरायड न तो कवल मनोवजञातनक

मानयताओ क आधार पर वयलभचार शासतर बनाया लककन तथाकचथत दाशकतनक न तो lsquoसभोग स सिाध rsquo की पररककपना दवारा वयलभचार को आरधयालसमक जामा पहनाकर धालमकक लोगो को भी भरषटट ककया ह | सभोग स सिाध नही होती सतयानाश होता ह | lsquoसयम स ही समाचध होती ह helliprsquo इस भारतीय मनोववजञान को अब पाशचासय मनोववजञानी भी ससय मानन लग ह |

जब पलशचम क दशो म जञान-ववजञान का ववकास परारमभ भी नही हआ था और मानव न ससकतत क कषतर म परवश भी नही ककया था उस समय भारतवषक क दाशकतनक और योगी मानव मनोववजञान क ववलभनन पहलओ और समसयाओ पर गमभीरता पवकक ववचार कर रह थ | कफर भी पाशचासय ववजञान की छतरछाया म पल हए और उसक परकाश स चकाचौध वततकमान भारत क मनोवजञातनक भारतीय

मनोववजञान का अलसतवव तक मानन को तयार नही ह | यह खद की बात ह | भारतीय मनोवजञातनको न चतना क चार सतर मान ह जागरत सवपन सषलपत और तरीय | पाशचासय मनोवजञातनक परथम तीन सतर को ही जानत ह | पाशचासय मनोववजञान नालसतक ह | भारतीय मनोववजञान ही आसमववकास

और चररतर तनमाकर म सबस अचधक उपयोगी लसदध हआ ह कयोकक यह धमक स असयचधक परभाववत ह | भारतीय मनोववजञान आसमजञान और आसम सधार म सबस अचधक सहायक लसदध होता ह | इसम बरी आदतो को छोड़न और अचछी आदतो को अपनान तथा मन की परकियाओ को समझन तथा उसका तनयतरर करन क महसवपरक उपाय बताय गय ह | इसकी सहायता स मनषटय सखी सवसथ और

सममातनत जीवन जी सकता ह |

पलशचम की मनोवजञातनक मानयताओ क आधार पर ववशवशातत का भवन खड़ा करना बाल की नीव पर भवन-तनमाकर करन क समान ह | पाशचासय मनोववजञान का पररराम वपछल दो ववशवयदधो क रप म ददखलायी पड़ता ह | यह दोष आज पलशचम क मनोवजञातनको की समझ म आ रहा ह | जबकक

भारतीय मनोववजञान मनषटय का दवी रपानतरर करक उसक ववकास को आग बढाना चाहता ह | उसक

lsquoअनकता म एकताrsquo क लसदधात पर ही ससार क ववलभनन राषटरो सामालजक वगो धमो और परजाततयो

म सदहषटरता ही नही सकिय सहयोग उसपनन ककया जा सकता ह | भारतीय मनोववजञान म शरीर और

मन पर भोजन का कया परभाव पड़ता ह इस ववषय स लकर शरीर म ववलभनन चिो की लसथतत

कणडललनी की लसथतत वीयक को ऊरधवकगामी बनान की परकिया आदद ववषयो पर ववसतारपवकक चचाक की गई ह | पाशचासय मनोववजञान मानव-वयवहार का ववजञान ह | भारतीय मनोववजञान मानस ववजञान क साथ-साथ आसमववजञान ह | भारतीय मनोववजञान इलनियतनयतरर पर ववशष बल दता ह जबकक पाशचासय मनोववजञान कवल मानलसक कियाओ या मलसतषटक-सगठन पर बल दता ह | उसम मन दवारा मानलसक जगत का ही अरधययन ककया जाता ह | उसम भी परायड का मनोववजञान तो एक रगर मन क दवारा अनय रगर मनो का ही अरधययन ह जबकक भारतीय मनोववजञान म इलनिय-तनरोध स मनोतनरोध और मनोतनरोध स आसमलसदचध का ही लकषय मानकर अरधययन ककया जाता ह | पाशचासय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत का कोई समचचत साधन पररलकषकषत नही होता जो उसक वयलकतसव म तनदहत तनषधासमक पररवशो क ललए सथायी तनदान परसतत कर सक | इसललए परायड क लाखो बदचधमान अनयायी भी पागल हो गय | सभोग क मागक पर चलकर कोई भी वयलकत योगलसदध महापरष नही हआ | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह |

ऐस कई नमन हमन दख ह | इसक ववपरीत भारतीय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत क ववलभनन उपाय बताय गय ह यथा योगमागक साधन-चतषटटय शभ-ससकार सससगतत अभयास

वरागय जञान भलकत तनषटकाम कमक आदद | इन साधनो क तनयलमत अभयास स सगदठत एव समायोलजत वयलकतसव का तनमाकर सभव ह | इसललय भारतीय मनोववजञान क अनयायी पाखरतन और महाकवव काललदास जस परारमभ म अकपबदचध होन पर भी महान ववदवान हो गय | भारतीय मनोववजञान न इस ववशव को हजारो महान भकत समथक योगी तथा बरहमजञानी महापरष ददय ह |

अतः पाशचासय मनोववजञान को छोड़कर भारतीय मनोववजञान का आशरय लन म ही वयलकत कटमब समाज राषटर और ववशव का ककयार तनदहत ह |

भारतीय मनोववजञान पतजलल क लसदधातो पर चलनवाल हजारो योगालसदध महापरष इस दश म हए ह अभी भी ह और आग भी होत रहग जबकक सभोग क मागक पर चलकर कोई योगलसदध महापरष हआ हो ऐसा हमन तो नही सना बलकक दबकल हए रोगी हए एड़स क लशकार हए अकाल मसय क लशकार हए खखनन मानस हए अशात हए | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह ऐस कई नमन हमन दख ह |

फरायड न अपनी मनःलसथतत की तराज पर सारी दतनया क लोगो को तौलन की गलती की ह | उसका अपना जीवन-िम कछ बतक ढग स ववकलसत हआ ह | उसकी माता अमललया बड़ी खबसरत थी | उसन योकोव नामक एक अनय परष क साथ अपना दसरा वववाह ककया था | जब फरायड जनमा तब वह २१ वषक की थी | बचच को वह बहत पयार करती थी |

य घटनाएा फरायड न सवय ललखी ह | इन घटनाओ क अधार पर फरायड कहता ह ldquoपरष बचपन स ही ईडडपस कॉमपलकस (Oedipus Complex) अथाकत अवचतन मन म अपनी माा क परतत यौन-आकाकषा स आकवषकत होता ह तथा अपन वपता क परतत यौन-ईषटयाक स गरलसत रहता ह | ऐस ही लड़की अपन बाप क परतत आकवषकत होती ह तथा अपनी माा स ईषटयाक करती ह | इस इलकरा कोऊमपलकस (Electra Complex) कहत ह | तीन वषक की आय स ही बचचा अपनी माा क साथ यौन-समबनध सथावपत करन क ललय लालातयत रहता ह | एकाध साल क बाद जब उस पता चलता ह कक उसकी माा क साथ तो बाप का वसा सबध पहल स ही ह तो उसक मन म बाप क परतत ईषटयाक और घरा जाग पड़ती ह | यह ववदवष उसक अवचतन मन म आजीवन बना रहता ह | इसी परकार लड़की अपन बाप क परतत सोचती ह और माा स ईषटयाक करती ह |

फरायड आग कहता ह इस मानलसक अवरोध क कारर मनषटय की गतत रक जाती ह |

ईडडपस कोऊमपलकस उसक सामन तरह-तरह क अवरोध खड़ करता ह | यह लसथतत कोई अपवाद नही ह वरन साधाररतया यही होता ह |

यह ककतना घखरत और हासयासपद परततपादन ह छोटा बचचा यौनाकाकषा स पीडडत होगा सो भी अपनी माा क परतत पश-पकषकषयो क बचच क शरीर म भी वासना तब उठती ह जब उनक शरीर परजनन क योगय सदढ हो जात ह | तो मनषटय क बालक म यह ववतत इतनी छोटी आय म कस पदा हो सकती ह और माा क साथ वसी तलपत करन कक उसकी शाररररक-मानलसक लसथतत भी नही होती | कफर तीन वषक क बालक को काम-किया और माा-बाप क रत रहन की जानकारी उस कहाा स हो जाती ह कफर वह यह कस समझ लता ह कक उस बाप स ईषटयाक करनी चादहए

बचच दवारा माा का दध पीन की किया को ऐस मनोववजञातनयो न रततसख क समककष बतलाया ह | यदद इस सतनपान को रततसख माना जाय तब तो आय बढन क साथ-साथ यह उसकठा भी परबलतर होती जानी चादहए और वयसक होन तक बालक को माता का दध ही पीत रहना चादहए | ककनत यह ककस परकार सभव ह

तो य ऐस बतक परततपादन ह कक लजनकी भससकना ही की जानी चादहए | फरायड न अपनी मानलसक ववकततयो को जनसाधारर पर थोपकर मनोववजञान को ववकत बना ददया |

जो लोग मानव समाज को पशता म चगरान स बचाना चाहत ह भावी पीढी का जीवन वपशाच होन स बचाना चाहत ह यवानो का शारीररक सवासथय मानलसक परसननता और बौदचधक सामथयक बनाय रखना चाहत ह इस दश क नागररको को एडस (AIDS) जसी घातक बीमाररयो स गरसत होन स रोकना चाहत ह सवसथ समाज का तनमाकर करना चाहत ह उन सबका यह नततक कववयक ह कक व हमारी गमराह यवा पीढी को यौवन सरकषा जसी पसतक पढाय |

यदद काम-ववकार उठा और हमन यह ठीक नही ह इसस मर बल-बदचध और तज का नाश होगा ऐसा समझकर उसको टाला नही और उसकी पतत क म लमपट होकर लग गय तो हमम और पशओ म अतर ही कया रहा पश तो जब उनकी कोई ववशष ऋत होती ह तभी मथन करत ह बाकी ऋतओ म नही | इस दलषटट स उनका जीवन सहज व पराकततक ढग का होता ह | परत मनषटय

मनषटय तो बारहो महीन काम-किया की छट लकर बठा ह और ऊपर स यह भी कहता ह कक यदद काम-वासना की पतत क करक सख नही ललया तो कफर ईशवर न मनषटय म जो इसकी रचना की ह उसका कया मतलब आप अपन को वववकपरक रोक नही पात हो छोट-छोट सखो म उलझ जात हो- इसका तो कभी खयाल ही नही करत और ऊपर स भगवान तक को अपन पापकमो म भागीदार बनाना चाहत हो

(अनिम)

आतिघाती तकय अभी कछ समय पवक मर पास एक पतर आया | उसम एक वयलकत न पछा था ldquoआपन सससग म कहा और एक पलसतका म भी परकालशत हआ कक lsquoबीड़ी लसगरट तमबाक आदद मत वपयो | ऐस वयसनो स बचो कयोकक य तमहार बल और तज का हरर करत ह helliprsquo यदद ऐसा ही ह तो भगवान न तमबाक आदद पदा ही कयो ककया rdquo

अब उन सजजन स य वयसन तो छोड़ नही जात और लग ह भगवान क पीछ | भगवान न गलाब क साथ कााट भी पदा ककय ह | आप फल छोड़कर कााट तो नही तोड़त भगवान न आग भी पदा की ह | आप उसम भोजन पकात हो अपना घर तो नही जलात भगवान न आक (मदार) धतर बबल आदद भी बनाय ह मगर उनकी तो आप सबजी नही बनात इन सब म तो आप अपनी बदचध का उपयोग करक वयवहार करत हो और जहाा आप हार जात हो जब आपका मन आपक कहन म नही होता तो आप लगत हो भगवान को दोष दन अर भगवान न तो बादाम-वपसत भी पदा ककय ह दध भी पदा ककया ह | उपयोग करना ह तो इनका करो जो आपक बल और बदचध की वदचध कर | पसा ही खचकना ह तो इनम खचो | यह तो होता नही और लग ह तमबाक क पीछ | यह बदचध का सदपयोग नही ह दरपयोग ह | तमबाक पीन स तो बदचध और भी कमजोर हो जायगी |

शरीर क बल बदचध की सरकषा क ललय वीयकरकषर बहत आवशयक ह | योगदशकन क lsquoसाधपादrsquo म बरहमचयक की महतता इन शबदो म बतायी गयी ह

बरहिचययपरततटठाया वीययलाभः ||37||

बरहमचयक की दढ लसथतत हो जान पर सामथयक का लाभ होता ह |

(अनिम)

सतरी परसग ककतनी बार

कफर भी यदद कोई जान-बझकर अपन सामथयक को खोकर शरीहीन बनना चाहता हो तो यह यनान

क परलसदध दाशकतनक सकरात क इन परलसदध वचनो को सदव याद रख | सकरात स एक वयलकत न पछा

ldquoपरष क ललए ककतनी बार सतरी-परसग करना उचचत ह rdquo

ldquoजीवन भर म कवल एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस तलपत न हो सक तो rdquo

ldquoतो वषक म एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस भी सतोष न हो तो rdquo

ldquoकफर महीन म एक बार |rdquo

इसस भी मन न भर तो rdquo

ldquoतो महीन म दो बार कर परनत मसय शीघर आ जायगी |rdquo

ldquoइतन पर भी इचछा बनी रह तो कया कर rdquo

इस पर सकरात न कहा

ldquoतो ऐसा कर कक पहल कबर खदवा ल कफर कफन और लकड़ी घर म लाकर तयार रख | उसक

पशचात जो इचछा हो सो कर |rdquo

सकरात क य वचन सचमच बड़ परररापरद ह | वीयककषय क दवारा लजस-लजसन भी सख लन का परयास ककया ह उनह घोर तनराशा हाथ लगी ह और अनत म शरीहीन होकर मसय का गरास बनना पड़ा

ह | कामभोग दवारा कभी तलपत नही होती और अपना अमकय जीवन वयथक चला जाता ह | राजा ययातत की कथा तो आपन सनी होगी |

(अनिम)

राजा ययातत का अनभव

शिाचायक क शाप स राजा ययातत यवावसथा म ही वदध हो गय थ | परनत बाद म ययातत क पराथकना करन पर शिाचायक न दयावश उनको यह शलकत द दी कक व चाह तो अपन पतरो स यवावसथा लकर अपना वाधककय उनह द सकत थ | तब ययातत न अपन पतर यद तवकस िहय और अन स उनकी जवानी माागी मगर व राजी न हए | अत म छोट पतर पर न अपन वपता को अपना यौवन दकर उनका बढापा ल ललया |

पनः यवा होकर ययातत न कफर स भोग भोगना शर ककया | व ननदनवन म ववशवाची नामक अपसरा क साथ रमर करन लग | इस परकार एक हजार वषक तक भोग भोगन क बाद भी भोगो स

जब व सतषटट नही हए तो उनहोन अपना बचा हआ यौवन अपन पतर पर को लौटात हए कहा

न जात कािः कािानािपभोगन शामयतत |

हषविा कटणवतिव भ य एवामभव यत ||

ldquoपतर मन तमहारी जवानी लकर अपनी रचच उससाह और समय क अनसार ववषटयो का सवन ककया लककन ववषयो की कामना उनक उपभोग स कभी शात नही होती अवपत घी की आहतत पड़न पर अलगन की भाातत वह अचधकाचधक बढती ही जाती ह |

रसनो स जड़ी हई सारी पथवी ससार का सारा सवरक पश और सनदर लसतरयाा व सब एक परष को लमल जाय तो भी व सबक सब उसक ललय पयाकपत नही होग | अतः तषटरा का सयाग कर दना चादहए |

छोटी बदचधवाल लोगो क ललए लजसका सयाग करना असयत कदठन ह जो मनषटय क बढ होन पर

भी सवय बढी नही होती तथा जो एक परारानतक रोग ह उस तषटरा को सयाग दनवाल परष को ही सख लमलता ह |rdquo (महाभारत आददपवाकखर सभवपवक 12)

ययातत का अनभव वसततः बड़ा मालमकक और मनषटय जातत ल ललय दहतकारी ह | ययातत आग कहत ह

ldquoपतर दखो मर एक हजार वषक ववषयो को भोगन म बीत गय तो भी तषटरा शात नही होती और आज भी परततददन उन ववषयो क ललय ही तषटरा पदा होती ह |

प ण वियसहसर ि षवियासकतचतसः |

तथापयनहदन तटणा िितटवमभजायत ||

इसललए पतर अब म ववषयो को छोड़कर बरहमाभयास म मन लगाऊा गा | तनदकवनदव तथा ममतारदहत होकर वन म मगो क साथ ववचरा गा | ह पतर तमहारा भला हो | तम पर म परसनन हा | अब तम अपनी जवानी पनः परापत करो और म यह राजय भी तमह ही अपकर करता हा |

इस परकार अपन पतर पर को राजय दकर ययातत न तपसया हत वनगमन ककया | उसी राजा पर स पौरव वश चला | उसी वश म परीकषकषत का पतर राजा जनमजय पदा हआ था |

(अनिम)

राजा िचकनद का परसग

राजा मचकनद गगाकचायक क दशकन-सससग क फलसवरप भगवान का दशकन पात ह | भगवान स सततत करत हए व कहत ह

ldquoपरभो मझ आपकी दढ भलकत दो |rdquo

तब भगवान कहत ह ldquoतन जवानी म खब भोग भोग ह ववकारो म खब डबा ह | ववकारी जीवन

जीनवाल को दढ भलकत नही लमलती | मचकनद दढ भलकत क ललए जीवन म सयम बहत जररी ह |

तरा यह कषतरतरय शरीर समापत होगा तब दसर जनम म तझ दढ भलकत परापत होगी |rdquo

वही राजा मचकनद कललयग म नरलसह महता हए |

जो लोग अपन जीवन म वीयकरकषा को महसव नही दत व जरा सोच कक कही व भी राजा ययातत का तो अनसरर नही कर रह ह यदद कर रह हो तो जस ययातत सावधान हो गय वस आप भी सावधान हो जाओ भया दहममत करो | सयान हो जाओ | दया करो | हम पर दया न करो तो अपन-आप पर तो दया करो भया दहममत करो भया सयान हो जाओ मर पयार जो हो गया उसकी चचनता न करो | आज स नवजीवन का परारभ करो | बरहमचयकरकषा क आसन पराकततक औषचधयाा इसयादद जानकर वीर बनो | ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

(अनिम)

गलत अभयास का दटपररणाि

आज ससार म ककतन ही ऐस अभाग लोग ह जो शगार रस की पसतक पढकर लसनमाओ क कपरभाव क लशकार होकर सवपनावसथा या जागरतावसथा म अथवा तो हसतमथन दवारा सपताह म ककतनी बार वीयकनाश कर लत ह | शरीर और मन को ऐसी आदत डालन स वीयाकशय बार-बार खाली होता रहता ह | उस वीयाकशय को भरन म ही शारीररक शलकत का अचधकतर भाग वयय होन लगता ह

लजसस शरीर को काततमान बनान वाला ओज सचचत ही नही हो पाता और वयलकत शलकतहीन

ओजहीन और उससाहशनय बन जाता ह | ऐस वयलकत का वीयक पतला पड़ता जाता ह | यदद वह समय पर अपन को साभाल नही सक तो शीघर ही वह लसथतत आ जाती ह कक उसक अणडकोश वीयक बनान म असमथक हो जात ह | कफर भी यदद थोड़ा बहत वीयक बनता ह तो वह भी पानी जसा ही बनता ह

लजसम सनतानोसपवतत की ताकत नही होती | उसका जीवन जीवन नही रहता | ऐस वयलकत की हालत मतक परष जसी हो जाती ह | सब परकार क रोग उस घर लत ह | कोई दवा उस पर असर नही कर पाती | वह वयलकत जीत जी नकक का दःख भोगता रहता ह | शासतरकारो न ललखा ह

आयसतजोबल वीय परजञा शरीशच िहदयशः |

पणय च परीततितव च हनयतऽबरहिचयाय ||

lsquoआय तज बल वीयक बदचध लकषमी कीततक यश तथा पणय और परीतत य सब बरहमचयक का पालन न करन स नषटट हो जात ह |rsquo

(अनिम)

वीययरकषण सदव सततय

इसीललए वीयकरकषा सतसय ह | lsquoअथवकवद म कहा गया ह

अतत सटिो अपा विभोऽततसटिा अगनयो हदवया ||1||

इद तितत सजामि त िाऽभयवतनकषकष ||2||

अथाकत lsquoशरीर म वयापत वीयक रपी जल को बाहर ल जान वाल शरीर स अलग कर दन वाल काम

को मन पर हटा ददया ह | अब म इस काम को अपन स सवकथा दर फ कता हा | म इस आरोगयता बल-बदचधनाशक काम का कभी लशकार नही होऊा गा |rsquo

hellip और इस परकार क सककप स अपन जीवन का तनमाकर न करक जो वयलकत वीयकनाश करता रहता ह उसकी कया गतत होगी इसका भी lsquoअथवकवदrsquo म उकलख आता ह

रजन परररजन िणन पररिणन |

मरोको िनोहा खनो तनदायह आतिद षिसतन द षिः ||

यह काम रोगी बनान वाला ह बहत बरी तरह रोगी करन वाला ह | मरन यानी मार दन वाला ह |

पररमरन यानी बहत बरी तरह मारन वाला ह |यह टढी चाल चलता ह मानलसक शलकतयो को नषटट कर दता ह | शरीर म स सवासथय बल आरोगयता आदद को खोद-खोदकर बाहर फ क दता ह | शरीर की सब धातओ को जला दता ह | आसमा को मललन कर दता ह | शरीर क वात वपतत कफ को दवषत करक उस तजोहीन बना दता ह |

बरहमचयक क बल स ही अगारपरक जस बलशाली गधवकराज को अजकन न परालजत कर ददया था |

(अनिम)

अजयन और अगारपणय ग वय अजकन अपन भाईयो सदहत िौपदी क सवयवर-सथल पाचाल दश की ओर जा रहा था तब बीच म गगा तट पर बस सोमाशरयार तीथक म गधवकराज अगारपरक (चचतररथ) न उसका रासता रोक ददया | वह गगा म अपनी लसतरयो क साथ जलकिड़ा कर रहा था | उसन पााचो पाडवो को कहा ldquoमर यहाा रहत हए

राकषस यकष दवता अथवा मनषटय कोई भी इस मागक स नही जा सकता | तम लोग जान की खर चाहत हो तो लौट जाओ |rdquo

तब अजकन कहता ह

ldquoम जानता हा कक समपरक गधवक मनषटयो स अचधक शलकतशाली होत ह कफर भी मर आग तमहारी दाल नही गलगी | तमह जो करना हो सो करो हम तो इधर स ही जायग |rdquo

अजकन क इस परततवाद स गधवक बहत िोचधत हआ और उसन पाडवो पर तीकषर बार छोड़ | अजकन

न अपन हाथ म जो जलती हई मशाल पकड़ी थी उसीस उसक सभी बारो को तनषटफल कर ददया | कफर गधवक पर आगनय असतर चला ददया | असतर क तज स गधवक का रथ जलकर भसम हो गया और

वह सवय घायल एव अचत होकर माह क बल चगर पड़ा | यह दखकर उस गधवक की पसनी कममीनसी बहत घबराई और अपन पतत की रकषाथक यचधलषटठर स पराथकना करन लगी | तब यचधलषटठर न अजकन स उस गधवक को अभयदान ददलवाया |

जब वह अगारपरक होश म आया तब बोला

ldquoअजकन म परासत हो गया इसललए अपन पवक नाम अगारपरक को छोड़ दता हा | म अपन ववचचतर

रथ क कारर चचतररथ कहलाता था | वह रथ भी आपन अपन परािम स दगध कर ददया ह | अतः अब

म दगधरथ कहलाऊा गा |

मर पास चाकषषी नामक ववदया ह लजस मन न सोम को सोम न ववशवावस को और ववशवावस न मझ परदान की ह | यह गर की ववदया यदद ककसी कायर को लमल जाय तो नषटट हो जाती ह | जो छः महीन तक एक पर पर खड़ा रहकर तपसया कर वही इस ववदया को पा सकता ह | परनत अजकन म आपको ऐसी तपसया क तरबना ही यह ववदया परदान करता हा |

इस ववदया की ववशषता यह ह कक तीनो लोको म कही भी लसथत ककसी वसत को आाख स दखन की इचछा हो तो उस उसी रप म इस ववदया क परभाव स कोई भी वयलकत दख सकता ह | अजकन

इस ववदया क बल पर हम लोग मनषटयो स शरषटठ मान जात ह और दवताओ क तकय परभाव ददखा सकत ह |rdquo

इस परकार अगारपरक न अजकन को चाकषषी ववदया ददवय घोड़ एव अनय वसतएा भट की |

अजकन न गधवक स पछा गधवक तमन हम पर एकाएक आिमर कयो ककया और कफर हार कयो गय rdquo

तब गधवक न बड़ा ममकभरा उततर ददया | उसन कहा

ldquoशतरओ को सताप दनवाल वीर यदद कोई कामासकत कषतरतरय रात म मझस यदध करन आता तो ककसी भी परकार जीववत नही बच सकता था कयोकक रात म हम लोगो का बल और भी बढ जाता ह |

अपन बाहबल का भरोसा रखन वाला कोई भी परष जब अपनी सतरी क सममख ककसीक दवारा अपना ततरसकार होत दखता ह तो सहन नही कर पाता | म जब अपनी सतरी क साथ जलिीड़ा कर

रहा था तभी आपन मझ ललकारा इसीललय म िोधाववषटट हआ और आप पर बारवषाक की | लककन यदद आप यह पछो कक म आपस परालजत कयो हआ तो उसका उततर ह

बरहिचय परो ियः स चाषप तनयतसवततय |

यसिात तसिादह पाथय रणऽषसि षवषजतसतवया ||

ldquoबरहमचयक सबस बड़ा धमक ह और वह आपम तनलशचत रप स ववदयमान ह | ह कनतीनदन

इसीललय यदध म म आपस हार गया हा |rdquo (महाभारत आददपवकखर चतररथ पवक 71)

हम समझ गय कक वीयकरकषर अतत आवशयक ह | अब वह कस हो इसकी चचाक करन स पवक एक बार

बरहमचयक का तालववक अथक ठीक स समझ ल |

(अनिम)

बरहिचयय का ताषततवक अथय lsquoबरहमचयकrsquo शबद बड़ा चचतताकषकक और पववतर शबद ह | इसका सथल अथक तो यही परलसदध ह कक

लजसन शादी नही की ह जो काम-भोग नही करता ह जो लसतरयो स दर रहता ह आदद-आदद | परनत यह बहत सतही और सीलमत अथक ह | इस अथक म कवल वीयकरकषर ही बरहमचयक ह | परनत रधयान रह

कवल वीयकरकषर मातर साधना ह मलजल नही | मनषटय जीवन का लकषय ह अपन-आपको जानना अथाकत

आसम-साकषासकार करना | लजसन आसम-साकषासकार कर ललया वह जीवनमकत हो गया | वह आसमा क

आननद म बरहमाननद म ववचरर करता ह | उस अब ससार स कछ पाना शष नही रहा | उसन आननद का सरोत अपन भीतर ही पा ललया | अब वह आननद क ललय ककसी भी बाहरी ववषय पर

तनभकर नही ह | वह परक सवततर ह | उसकी कियाएा सहज होती ह | ससार क ववषय उसकी आननदमय आलसमक लसथतत को डोलायमान नही कर सकत | वह ससार क तचछ ववषयो की पोल को समझकर अपन आननद म मसत हो इस भतल पर ववचरर करता ह | वह चाह लागोटी म हो चाह बहत स कपड़ो म घर म रहता हो चाह झोपड़ म गहसथी चलाता हो चाह एकानत जगल म ववचरता हो ऐसा महापरष ऊपर स भल कगाल नजर आता हो परनत भीतर स शहशाह होता ह कयोकक उसकी सब

वासनाएा सब कततकवय पर हो चक ह | ऐस वयलकत को ऐस महापरष को वीयकरकषर करना नही पड़ता सहज ही होता ह | सब वयवहार करत हए भी उनकी हर समय समाचध रहती ह | उनकी समाचध सहज

होती ह अखणड होती ह | ऐसा महापरष ही सचचा बरहमचारी होता ह कयोकक वह सदव अपन बरहमाननद म अवलसथत रहता ह |

सथल अथक म बरहमचयक का अथक जो वीयकरकषर समझा जाता ह उस अथक म बरहमचयक शरषटठ वरत ह

शरषटठ तप ह शरषटठ साधना ह और इस साधना का फल ह आसमजञान आसम-साकषासकार | इस

फलपरालपत क साथ ही बरहमचयक का परक अथक परकट हो जाता ह |

जब तक ककसी भी परकार की वासना शष ह तब तक कोई परक बरहमचयक को उपलबध नही हो सकता | जब तक आसमजञान नही होता तब तक परक रप स वासना तनवतत नही होती | इस वासना की तनववतत क ललय अतःकरर की शदचध क ललय ईशवर की परालपत क ललय सखी जीवन जीन क ललय

अपन मनषटय जीवन क सवोचच लकषय को परापत करन क ललय या कहो परमाननद की परालपत क ललयhellip कछ भी हो वीयकरकषररपी साधना सदव अब अवसथाओ म उततम ह शरषटठ ह और आवशयक ह

|

वीयकरकषर कस हो इसक ललय यहाा हम कछ सथल और सकषम उपायो की चचाक करग |

(अनिम)

3 वीययरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय काफी लोगो को यह भरम ह कक जीवन तड़क-भड़कवाला बनान स व समाज म ववशष मान जात ह | वसततः ऐसी बात नही ह | इसस तो कवल अपन अहकार का ही परदशकन होता ह | लाल रग क भड़कील एव रशमी कपड़ नही पहनो | तल-फलल और भाातत-भाातत क इतरो का परयोग करन स बचो | जीवन म लजतनी तड़क-भड़क बढगी इलनियाा उतनी चचल हो उठगी कफर वीयकरकषा तो दर की बात ह |

इततहास पर भी हम दलषटट डाल तो महापरष हम ऐस ही लमलग लजनका जीवन परारभ स ही सादगीपरक था | सादा रहन-सहन तो बडपपन का दयोतक ह | दसरो को दख कर उनकी अपराकततक व

अचधक आवशयकताओवाली जीवन-शली का अनसरर नही करो |

उपयकत आहार

ईरान क बादशाह वहमन न एक शरषटठ वदय स पछा

ldquoददन म मनषटय को ककतना खाना चादहएrdquo

ldquoसौ ददराम (अथाकत 31 तोला) | ldquoवदय बोला |

ldquoइतन स कया होगाrdquo बादशाह न कफर पछा |

वदय न कहा ldquoशरीर क पोषर क ललय इसस अचधक नही चादहए | इसस अचधक जो कछ खाया जाता ह वह कवल बोझा ढोना ह और आयषटय खोना ह |rdquo

लोग सवाद क ललय अपन पट क साथ बहत अनयाय करत ह ठास-ठासकर खात ह | यरोप का एक बादशाह सवाददषटट पदाथक खब खाता था | बाद म औषचधयो दवारा उलटी करक कफर स सवाद लन क

ललय भोजन करता रहता था | वह जकदी मर गया |

आप सवादलोलप नही बनो | लजहवा को तनयतरर म रखो | कया खाय कब खाय कस खाय और

ककतना खाय इसका वववक नही रखा तो पट खराब होगा शरीर को रोग घर लग वीयकनाश को परोससाहन लमलगा और अपन को पतन क रासत जान स नही रोक सकोग |

परमपवकक शात मन स पववतर सथान पर बठ कर भोजन करो | लजस समय नालसका का दादहना सवर (सयक नाड़ी) चाल हो उस समय ककया भोजन शीघर पच जाता ह कयोकक उस समय जठरालगन बड़ी परबल होती ह | भोजन क समय यदद दादहना सवर चाल नही हो तो उसको चाल कर दो | उसकी ववचध यह ह वाम ककषकष म अपन दादहन हाथ की मठठी रखकर ककषकष को जोर स दबाओ या बाायी (वाम) करवट लट जाओ | थोड़ी ही दर म दादहना यान सयक सवर चाल हो जायगा |

रातरतर को बाायी करवट लटकर ही सोना चादहए | ददन म सोना उचचत नही ककनत यदद सोना आवशयक हो तो दादहनी करवट ही लटना चादहए |

एक बात का खब खयाल रखो | यदद पय पदाथक लना हो तो जब चनि (बााया) सवर चाल हो तभी लो | यदद सयक (दादहना) सवर चाल हो और आपन दध काफी चाय पानी या कोई भी पय पदाथक ललया तो वीयकनाश होकर रहगा | खबरदार सयक सवर चल रहा हो तब कोई भी पय पदाथक न वपयो | उस

समय यदद पय पदाथक पीना पड़ तो दादहना नथना बनद करक बााय नथन स शवास लत हए ही वपयो |

रातरतर को भोजन कम करो | भोजन हकका-सपाचय हो | बहत गमक-गमक और दर स पचन वाला गररषटठ भोजन रोग पदा करता ह | अचधक पकाया हआ तल म तला हआ लमचक-मसालयकत तीखा खटटा चटपटदार भोजन वीयकनाडड़यो को कषबध करता ह | अचधक गमक भोजन और गमक चाय स दाात कमजोर होत ह | वीयक भी पतला पड़ता ह |

भोजन खब चबा-चबाकर करो | थक हए हो तो तसकाल भोजन न करो | भोजन क तरत बाद

पररशरम न करो |

भोजन क पहल पानी न वपयो | भोजन क बीच म तथा भोजन क एकाध घट क बाद पानी पीना दहतकर होता ह |

रातरतर को सभव हो तो फलाहार लो | अगर भोजन लना पड़ तो अकपाहार ही करो | बहत रात गय भोजन या फलाहार करना दहतावह नही ह | कबज की लशकायत हो तो 50 गराम लाल कफटकरी तव पर

फलाकर कटकर कपड़ स छानकर बोतल म भर लो | रातरतर म 15 गराम सौफ एक चगलास पानी म लभगो दो | सबह उस उबाल कर छान लो और ड़ढ गराम कफटकरी का पाउडर लमलाकर पी लो | इसस कबज व बखार भी दर होता ह | कबज तमाम तरबमाररयो की जड़ ह | इस दर करना आवशयक ह |

भोजन म पालक परवल मथी बथआ आदद हरी तरकाररयाा दध घी छाछ मकखन पक हए फल

आदद ववशष रप स लो | इसस जीवन म सालववकता बढगी | काम िोध मोह आदद ववकार घटग | हर कायक म परसननता और उससाह बना रहगा |

रातरतर म सोन स पवक गमक-गमक दध नही पीना चादहए | इसस रात को सवपनदोष हो जाता ह |

कभी भी मल-मतर की लशकायत हो तो उस रोको नही | रोक हए मल स भीतर की नाडड़याा कषबध होकर वीयकनाश कराती ह |

पट म कबज होन स ही अचधकाशतः रातरतर को वीयकपात हआ करता ह | पट म रका हआ मल

वीयकनाडड़यो पर दबाव डालता ह तथा कबज की गमी स ही नाडड़याा कषलभत होकर वीयक को बाहर

धकलती ह | इसललय पट को साफ रखो | इसक ललय कभी-कभी तरतरफला चरक या lsquoसतकपा चरकrsquo या lsquoइसबगलrsquo पानी क साथ ललया करो | अचधक ततकत खटटी चरपरी और बाजार औषचधयाा उततजक होती ह उनस बचो | कभी-कभी उपवास करो | पट को आराम दन क ललय कभी-कभी तनराहार भी रह सकत हो तो अचछा ह |

आहार पचतत मशखी दोिान आहारवषजयतः |

अथाकत पट की अलगन आहार को पचाती ह और उपवास दोषो को पचाता ह | उपवास स

पाचनशलकत बढती ह |

उपवास अपनी शलकत क अनसार ही करो | ऐसा न हो कक एक ददन तो उपवास ककया और दसर ददन लमषटठानन-लडड आदद पट म ठास-ठास कर उपवास की सारी कसर तनकाल दी | बहत अचधक

भखा रहना भी ठीक नही |

वस उपवास का सही अथक तो होता ह बरहम क परमासमा क तनकट रहना | उप यानी समीप और

वास यानी रहना | तनराहार रहन स भगवदभजन और आसमचचतन म मदद लमलती ह | ववतत अनतमकख

होन स काम-ववकार को पनपन का मौका ही नही लमल पाता |

मदयपान पयाज लहसन और मासाहार ndash य वीयककषय म मदद करत ह अतः इनस अवशय बचो |

(अनिम)

मशशनषनरय सनान

शौच क समय एव लघशका क समय साथ म चगलास अथवा लोट म ठड़ा जल लकर जाओ और उसस लशशनलनिय को धोया करो | कभी-कभी उस पर ठड़ पानी की धार ककया करो | इसस कामववतत का शमन होता ह और सवपनदोष नही होता |

उधचत आसन एव वयायाि करो

सवसथ शरीर म सवसथ मन का तनवास होता ह | अगरजी म कहत ह A healthy mind

resides in a healthy body

लजसका शरीर सवसथ नही रहता उसका मन अचधक ववकारगरसत होता ह | इसललय रोज परातः वयायाम एव आसन करन का तनयम बना लो |

रोज परातः काल 3-4 लमनट दौड़न और तजी स टहलन स भी शरीर को अचछा वयायाम लमल

जाता ह |

सयकनमसकार 13 अथवा उसस अचधक ककया करो तो उततम ह | इसम आसन व वयायाम दोनो का समावश होता ह |

lsquoवयायामrsquo का अथक पहलवानो की तरह मासपलशयाा बढाना नही ह | शरीर को योगय कसरत लमल जाय ताकक उसम रोग परवश न कर और शरीर तथा मन सवसथ रह ndash इतना ही उसम हत ह |

वयायाम स भी अचधक उपयोगी आसन ह | आसन शरीर क समचचत ववकास एव बरहमचयक-साधना क ललय असयत उपयोगी लसदध होत ह | इनस नाडड़याा शदध होकर सववगर की वदचध होती ह | वस तो शरीर क अलग-अलग अगो की पलषटट क ललय अलग-अलग आसन होत ह परनत वीयकरकषा की दलषटट स मयरासन पादपलशचमोततानासन सवाागासन थोड़ी बहत सावधानी रखकर हर कोई कर सकता ह |

इनम स पादपलशचमोततानासन तो बहत ही उपयोगी ह | आशरम म आनवाल कई साधको का यह तनजी अनभव ह |

ककसी कशल योग-परलशकषक स य आसन सीख लो और परातःकाल खाली पट शदध हवा म ककया करो | शौच सनान वयायाम आदद क पशचात ही आसन करन चादहए |

सनान स पवक सख तौललय अथवा हाथो स सार शरीर को खब रगड़ो | इस परकार क घषकर स शरीर

म एक परकार की ववदयत शलकत पदा होती ह जो शरीर क रोगो को नषटट करती ह | शवास तीवर गतत

स चलन पर शरीर म रकत ठीक सचरर करता ह और अग-परसयग क मल को तनकालकर फफड़ो म लाता ह | फफड़ो म परववषटट शदध वाय रकत को साफ कर मल को अपन साथ बाहर तनकाल ल जाती ह | बचा-खचा मल पसीन क रप म सवचा क तछिो दवारा बाहर तनकल आता ह | इस परकार शरीर पर घषकर करन क बाद सनान करना अचधक उपयोगी ह कयोकक पसीन दवारा बाहर तनकला हआ मल उसस धल जाता ह सवचा क तछि खल जात ह और बदन म सफततक का सचार होता ह |

(अनिम)

बरहििह तय ि उठो

सवपनदोष अचधकाशतः रातरतर क अततम परहर म हआ करता ह | इसललय परातः चार-साढ चार बज यानी बरहममहतक म ही शया का सयाग कर दो | जो लोग परातः काल दरी तक सोत रहत ह उनका जीवन तनसतज हो जाता ह |

दवययसनो स द र रहो

शराब एव बीड़ी-लसगरट-तमबाक का सवन मनषटय की कामवासना को उदयीपत करता ह |

करान शरीफ क अकलाहपाक तरतरकोल रोशल क लसपारा म ललखा ह कक शतान का भड़काया हआ

मनषटय ऐसी नशायकत चीजो का उपयोग करता ह | ऐस वयलकत स अकलाह दर रहता ह कयोकक यह काम शतान का ह और शतान उस आदमी को जहननम म ल जाता ह |

नशीली वसतओ क सवन स फफड़ और हदय कमजोर हो जात ह सहनशलकत घट जाती ह और

आयषटय भी कम हो जाता ह | अमरीकी डॉकटरो न खोज करक बतलाया ह कक नशीली वसतओ क सवन स कामभाव उततलजत होन पर वीयक पतला और कमजोर पड़ जाता ह |

(अनिम)

सतसग करो

आप सससग नही करोग तो कसग अवशय होगा | इसललय मन वचन कमक स सदव सससग का ही सवन करो | जब-जब चचतत म पततत ववचार डरा जमान लग तब-तब तरत सचत हो जाओ और वह सथान छोड़कर पहाच जाओ ककसी सससग क वातावरर म ककसी सलनमतर या ससपरष क सालननरधय म | वहाा व कामी ववचार तरबखर जायग और आपका तन-मन पववतर हो जायगा | यदद ऐसा नही ककया तो व पततत ववचार आपका पतन ककय तरबना नही छोड़ग कयोकक जो मन म होता ह दर-सबर उसीक अनसार बाहर की किया होती ह | कफर तम पछताओग कक हाय यह मझस कया हो गया

पानी का सवभाव ह नीच की ओर बहना | वस ही मन का सवभाव ह पतन की ओर सगमता स बढना | मन हमशा धोखा दता ह | वह ववषयो की ओर खीचता ह कसगतत म सार ददखता ह लककन

वह पतन का रासता ह | कसगतत म ककतना ही आकषकर हो मगरhellip

षजसक पीछ हो गि की कतार भ लकर उस खशी स न खलो |

अभी तक गत जीवन म आपका ककतना भी पतन हो चका हो कफर भी सससगतत करो | आपक उसथान की अभी भी गजाइश ह | बड़-बड़ दजकन भी सससग स सजजन बन गय ह |

शठ स रहह सतसगतत पाई |

सससग स वचचत रहना अपन पतन को आमतरतरत करना ह | इसललय अपन नतर करक सवचा आदद सभी को सससगरपी गगा म सनान करात रहो लजसस कामववकार आप पर हावी न हो सक |

(अनिम)

शभ सकलप करो

lsquoहम बरहमचयक का पालन कस कर सकत ह बड़-बड़ ॠवष-मतन भी इस रासत पर कफसल पड़त हhelliprsquo ndash इस परकार क हीन ववचारो को ततलाजलल द दो और अपन सककपबल को बढाओ | शभ सककप करो | जसा आप सोचत हो वस ही आप हो जात हो | यह सारी सलषटट ही सककपमय ह |

दढ सककप करन स वीयकरकषर म मदद होती ह और वीयकरकषर स सककपबल बढता ह | षवशवासो फलदायकः | जसा ववशवास और जसी शरदधा होगी वसा ही फल परापत होगा | बरहमजञानी महापरषो म यह सककपबल असीम होता ह | वसततः बरहमचयक की तो व जीती-जागती मततक ही होत ह |

(अनिम)

बतरबन यकत पराणायाि और योगाभयास करो

तरतरबनध करक परारायाम करन स ववकारी जीवन सहज भाव स तनववककाररता म परवश करन लगता ह | मलबनध स ववकारो पर ववजय पान का सामथयक आता ह | उडडडयानबनध स आदमी उननतत म ववलकषर उड़ान ल सकता ह | जालनधरबनध स बदचध ववकलसत होती ह |

अगर कोई वयलकत अनभवी महापरष क सालननरधय म तरतरबनध क साथ परततददन 12 परारायाम कर तो परसयाहार लसदध होन लगगा | 12 परसयाहार स धाररा लसदध होन लगगी | धाररा-शलकत बढत ही परकतत क रहसय खलन लगग | सवभाव की लमठास बदचध की ववलकषरता सवासथय की सौरभ आन लगगी | 12 धाररा लसदध होन पर रधयान लगगा सववककप समाचध होन लगगी | सववककप समाचध का 12 गना समय पकन पर तनववकककप समाचध लगगी |

इस परकार छः महीन अभयास करनवाला साधक लसदध योगी बन सकता ह | ररदचध-लसदचधयाा उसक आग हाथ जोड़कर खड़ी रहती ह | यकष गधवक ककननर उसकी सवा क ललए उससक होत ह | उस

पववतर परष क तनकट ससारी लोग मनौती मानकर अपनी मनोकामना परक कर सकत ह | साधन करत समय रग-रग म इस महान लकषय की परालपत क ललए धन लग जाय|

बरहमचयक-वरत पालन वाला साधक पववतर जीवन जीनवाला वयलकत महान लकषय की परालपत म सफल हो सकता ह |

ह लमतर बार-बार असफल होन पर भी तम तनराश मत हो | अपनी असफलताओ को याद करक हार हए जआरी की तरह बार-बार चगरो मत | बरहमचयक की इस पसतक को कफर-कफर स पढो | परातः तनिा स उठत समय तरबसतर पर ही बठ रहो और दढ भावना करो

ldquoमरा जीवन परकतत की थपपड़ खाकर पशओ की तरह नषटट करन क ललए नही ह | म अवशय

परषाथक करा गा आग बढागा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

मर भीतर परबरहम परमासमा का अनपम बल ह | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

तचछ एव ववकारी जीवन जीनवाल वयलकतयो क परभाव स म अपनको ववतनमककत करता जाऊा गा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

सबह म इस परकार का परयोग करन स चमसकाररक लाभ परापत कर सकत हो | सवकतनयनता सवशवर को कभी पयार करो hellip कभी पराथकना करो hellip कभी भाव स ववहवलता स आतकनाद करो | व अनतयाकमी परमासमा हम अवशय मागकदशकन दत ह | बल-बदचध बढात ह | साधक तचछ ववकारी जीवन पर ववजयी होता जाता ह | ईशवर का असीम बल तमहार साथ ह | तनराश मत हो भया हताश मत हो | बार-बार कफसलन पर भी सफल होन की आशा और उससाह मत छोड़ो |

शाबाश वीर hellip शाबाश hellip दहममत करो दहममत करो | बरहमचयक-सरकषा क उपायो को बार-बार पढो सकषमता स ववचार करो | उननतत क हर कषतर म तम आसानी स ववजता हो सकत हो |

करोग न दहममत

अतत खाना अतत सोना अतत बोलना अतत यातरा करना अतत मथन करना अपनी सषपत

योगयताओ को धराशायी कर दता ह जबकक सयम और परषाथक सषपत योगयताओ को जगाकर

जगदीशवर स मलाकात करा दता ह |

(अनिम)

नीि का पड चला

हमार सदगरदव परम पजय लीलाशाहजी महाराज क जीवन की एक घटना बताता हा

लसध म उन ददनो ककसी जमीन की बात म दहनद और मसलमानो का झगड़ा चल रहा था | उस जमीन पर नीम का एक पड़ खड़ा था लजसस उस जमीन की सीमा-तनधाकरर क बार म कछ

वववाद था | दहनद और मसलमान कोटक-कचहरी क धकक खा-खाकर थक | आखखर दोनो पकषो न यह तय ककया कक यह धालमकक सथान ह | दोनो पकषो म स लजस पकष का कोई पीर-फकीर उस सथान पर

अपना कोई ववशष तज बल या चमसकार ददखा द वह जमीन उसी पकष की हो जायगी |

पजय लीलाशाहजी बाप का नाम पहल lsquoलीलारामrsquo था | लोग पजय लीलारामजी क पास पहाच और बोल ldquoहमार तो आप ही एकमातर सत ह | हमस जो हो सकता था वह हमन ककया परनत

असफल रह | अब समगर दहनद समाज की परततषटठा आपशरी क चररो म ह |

इसा की अजि स जब द र ककनारा होता ह |

त फा ि ि िी ककशती का एक भगवान ककनारा होता ह ||

अब सत कहो या भगवान कहो आप ही हमारा सहारा ह | आप ही कछ करग तो यह धमकसथान

दहनदओ का हो सकगा |rdquo

सत तो मौजी होत ह | जो अहकार लकर ककसी सत क पास जाता ह वह खाली हाथ लौटता ह

और जो ववनमर होकर शररागतत क भाव स उनक सममख जाता ह वह सब कछ पा लता ह | ववनमर और शरदधायकत लोगो पर सत की कररा कछ दन को जकदी उमड़ पड़ती ह |

पजय लीलारामजी उनकी बात मानकर उस सथान पर जाकर भलम पर दोनो घटनो क बीच लसर नीचा ककय हए शात भाव स बठ गय |

ववपकष क लोगो न उनह ऐसी सरल और सहज अवसथा म बठ हए दखा तो समझ ललया कक य

लोग इस साध को वयथक म ही लाय ह | यह साध कया करगा hellip जीत हमारी होगी |

पहल मलसलम लोगो दवारा आमतरतरत पीर-फकीरो न जाद-मतर टोन-टोटक आदद ककय | lsquoअला बााधा बला बााधाhellip पथवी बााधाhellip तज बााधाhellip वाय बााधाhellip आकाश बााधाhellip फऽऽऽlsquo आदद-आदद ककया | कफर पजय लीलाराम जी की बारी आई |

पजय लीलारामजी भल ही साधारर स लग रह थ परनत उनक भीतर आसमाननद दहलोर ल रहा था | lsquoपथवी आकाश कया समगर बरहमाणड म मरा ही पसारा हhellip मरी सतता क तरबना एक पतता भी नही दहल सकताhellip य चााद-लसतार मरी आजञा म ही चल रह हhellip सवकतर म ही इन सब ववलभनन रपो म ववलास कर रहा हाhelliprsquo ऐस बरहमाननद म डब हए व बठ थ |

ऐसी आसममसती म बठा हआ ककनत बाहर स कगाल जसा ददखन वाला सत जो बोल द उस घदटत होन स कौन रोक सकता ह

वलशषटठ जी कहत ह ldquoह रामजी तरतरलोकी म ऐसा कौन ह जो सत की आजञा का उकलघन कर

सक rdquo

जब लोगो न पजय लीलारामजी स आगरह ककया तो उनहोन धीर स अपना लसर ऊपर की ओर

उठाया | सामन ही नीम का पड़ खड़ा था | उस पर दलषटट डालकर गजकना करत हए आदशासमक भाव स बोल उठ

ldquoऐ नीम इधर कया खड़ा ह जा उधर हटकर खड़ा रह |rdquo

बस उनका कहना ही था कक नीम का पड lsquoसरकरकhellip सरकरकhelliprsquo करता हआ दर जाकर पवकवत खड़ा हो गया |

लोग तो यह दखकर आवाक रह गय आज तक ककसी न ऐसा चमसकार नही दखा था | अब

ववपकषी लोग भी उनक परो पड़न लग | व भी समझ गय कक य कोई लसदध महापरष ह |

व दहनदओ स बोल ldquoय आपक ही पीर नही ह बलकक आपक और हमार सबक पीर ह | अब स य

lsquoलीलारामrsquo नही ककत lsquoलीलाशाहrsquo ह |

तब स लोग उनका lsquoलीलारामrsquo नाम भल ही गय और उनह lsquoलीलाशाहrsquo नाम स ही पकारन लग | लोगो न उनक जीवन म ऐस-ऐस और भी कई चमसकार दख |

व 93 वषक की उमर पार करक बरहमलीन हए | इतन वदध होन पर भी उनक सार दाात सरकषकषत थ

वारी म तज और बल था | व तनयलमत रप स आसन एव परारायाम करत थ | मीलो पदल यातरा करत थ | व आजनम बरहमचारी रह | उनक कपा-परसाद दवारा कई पतरहीनो को पतर लमल गरीबो को धन लमला तनरससादहयो को उससाह लमला और लजजञासओ का साधना-मागक परशसत हआ | और भी कया-कया हआ

यह बतान जाऊा गा तो ववषयानतर होगा और समय भी अचधक नही ह | म यह बताना चाहता हा कक

उनक दवारा इतन चमसकार होत हए भी उनकी महानता चमसकारो म तनदहत नही ह | उनकी महानता तो उनकी बरहमतनषटठता म तनदहत थी |

छोट-मोट चमसकार तो थोड़ बहत अभयास क दवारा हर कोई कर लता ह मगर बरहमतनषटठा तो चीज ही कछ और ह | वह तो सभी साधनाओ की अततम तनषटपतत ह | ऐसा बरहमतनषटठ होना ही तो वासतववक बरहमचारी होना ह | मन पहल भी कहा ह कक कवल वीयकरकषा बरहमचयक नही ह | यह तो बरहमचयक की साधना ह | यदद शरीर दवारा वीयकरकषा हो और मन-बदचध म ववषयो का चचतन चलता रह

तो बरहमतनषटठा कहाा हई कफर भी वीयकरकषा दवारा ही उस बरहमाननद का दवार खोलना शीघर सभव होता ह | वीयकरकषर हो और कोई समथक बरहमतनषटठ गर लमल जाय तो बस कफर और कछ करना शष नही रहता | कफर वीयकरकषर करन म पररशरम नही करना पड़ता वह सहज होता ह | साधक लसदध बन जाता ह | कफर तो उसकी दलषटट मातर स कामक भी सयमी बन जाता ह |

सत जञानशवर महाराज लजस चबतर पर बठ थ उसीको कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा | ऐस ही पजयपाद लीलाशाहजी बाप न नीम क पड़ को कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा और जाकर दसरी जगह खड़ा हो गया | यह सब सककप बल का चमसकार ह | ऐसा सककप बल आप भी बढा सकत ह |

वववकाननद कहा करत थ कक भारतीय लोग अपन सककप बल को भल गय ह इसीललय गलामी का दःख भोग रह ह | lsquoहम कया कर सकत हhelliprsquo ऐस नकारासमक चचतन दवारा व सककपहीन हो गय ह जबकक अगरज का बचचा भी अपन को बड़ा उससाही समझता ह और कायक म सफल हो जाता ह

कयोकक व ऐसा ववचार करता ह lsquoम अगरज हा | दतनया क बड़ भाग पर हमारी जातत का शासन रहा ह | ऐसी गौरवपरक जातत का अग होत हए मझ कौन रोक सकता ह सफल होन स म कया नही कर

सकता rsquo lsquoबस ऐसा ववचार ही उस सफलता द दता ह |

जब अगरज का बचचा भी अपनी जातत क गौरव का समरर कर दढ सककपवान बन सकता ह तो आप कयो नही बन सकत

ldquoम ॠवष-मतनयो की सतान हा | भीषटम जस दढपरततजञ परषो की परमपरा म मरा जनम हआ ह |

गगा को पथवी पर उतारनवाल राजा भगीरथ जस दढतनशचयी महापरष का रकत मझम बह रहा ह |

समि को भी पी जानवाल अगससय ॠवष का म वशज हा | शरी राम और शरीकषटर की अवतार-भलम

भारत म जहाा दवता भी जनम लन को तरसत ह वहाा मरा जनम हआ ह कफर म ऐसा दीन-हीन

कयो म जो चाहा सो कर सकता हा | आसमा की अमरता का ददवय जञान का परम तनभकयता का सदश सार ससार को लजन ॠवषयो न ददया उनका वशज होकर म दीन-हीन नही रह सकता | म अपन रकत क तनभकयता क ससकारो को जगाकर रहागा | म वीयकवान बनकर रहागा |rdquo ऐसा दढ सककप हरक भारतीय बालक को करना चादहए |

(अनिम)

सतरी-जातत क परतत िातभाव परबल करो शरी रामकषटर परमहस कहा करत थ ldquo ककसी सदर सतरी पर नजर पड़ जाए तो उसम माा जगदमबा क दशकन करो | ऐसा ववचार करो कक यह अवशय दवी का अवतार ह तभी तो इसम इतना सौदयक ह | माा परसनन होकर इस रप म दशकन द रही ह ऐसा समझकर सामन खड़ी सतरी को मन-ही-मन परराम करो | इसस तमहार भीतर काम ववकार नही उठ सकगा |

िातवत परदारि पररवयि लोटिवत |

पराई सतरी को माता क समान और पराए धन को लमटटी क ढल क समान समझो |

(अनिम)

मशवाजी का परसग

लशवाजी क पास ककयार क सबदार की लसतरयो को लाया गया था तो उस समय उनहोन यही आदशक उपलसथत ककया था | उनहोन उन लसतरयो को lsquoमााrsquo कहकर पकारा तथा उनह कई उपहार दकर

सममान सदहत उनक घर वापस भज ददया | लशवाजी परम गर समथक रामदास क लशषटय थ |

भारतीय सभयता और ससकतत म माता को इतना पववतर सथान ददया गया ह कक यह मातभाव मनषटय को पततत होत-होत बचा लता ह | शरी रामकषटर एव अनय पववतर सतो क समकष जब कोई सतरी कचषटटा करना चाहती तब व सजजन साधक सत यह पववतर मातभाव मन म लाकर ववकार क फद स बच जात | यह मातभाव मन को ववकारी होन स बहत हद तक रोक रखता ह | जब भी ककसी सतरी को दखन पर मन म ववकार उठन लग उस समय सचत रहकर इस मातभाव का परयोग कर ही लना चादहए |

(अनिम)

अजयन और उवयशी

अजकन सशरीर इनि सभा म गया तो उसक सवागत म उवकशी रमभा आदद अपसराओ न नसय ककय | अजकन क रप सौनदयक पर मोदहत हो उवकशी रातरतर क समय उसक तनवास सथान पर गई और

पररय-तनवदन ककया तथा साथ ही इसम कोई दोष नही लगता इसक पकष म अनक दलील भी की | ककनत अजकन न अपन दढ इलनियसयम का पररचय दत हए कह

गचछ मरधनाक परपननोऽलसम पादौ त वरवखरकनी | सव दह म मातवत पजया रकषयोऽह पतरवत सवया ||

( महाभारत वनपवकखर इनिलोकालभगमनपवक ४६४७)

मरी दलषटट म कनती मािी और शची का जो सथान ह वही तमहारा भी ह | तम मर ललए माता क समान पजया हो | म तमहार चररो म परराम करता हा | तम अपना दरागरह छोड़कर लौट जाओ

| इस पर उवकशी न िोचधत होकर उस नपसक होन का शाप द ददया | अजकन न उवकशी स शावपत होना सवीकार ककया परनत सयम नही तोड़ा | जो अपन आदशक स नही हटता धयक और सहनशीलता को अपन चररतर का भषर बनाता ह उसक ललय शाप भी वरदान बन जाता ह | अजकन क ललय भी ऐसा ही हआ | जब इनि तक यह बात पहाची तो उनहोन अजकन को कहा तमन इलनिय सयम क दवारा ऋवषयो को भी परालजत कर ददया | तम जस पतर को पाकर कनती वासतव म शरषटठ पतरवाली ह |

उवकशी का शाप तमह वरदान लसदध होगा | भतल पर वनवास क १३व वषक म अजञातवास करना पड़गा उस समय यह सहायक होगा | उसक बाद तम अपना परषसव कफर स परापत कर लोग | इनि क

कथनानसार अजञातवास क समय अजकन न ववराट क महल म नतकक वश म रहकर ववराट की

राजकमारी को सगीत और नसय ववदया लसखाई थी और इस परकार वह शाप स मकत हआ था | परसतरी क परतत मातभाव रखन का यह एक सदर उदाहरर ह | ऐसा ही एक उदाहरर वाकमीकककत

रामायर म भी आता ह | भगवान शरीराम क छोट भाई लकषमर को जब सीताजी क गहन पहचानन को कहा गया तो लकषमर जी बोल ह तात म तो सीता माता क परो क गहन और नपर ही पहचानता हा जो मझ उनकी चररवनदना क समय दलषटटगोचर होत रहत थ | कयर-कणडल आदद दसर

गहनो को म नही जानता | यह मातभाववाली दलषटट ही इस बात का एक बहत बड़ा कारर था कक

लकषमरजी इतन काल तक बरहमचयक का पालन ककय रह सक | तभी रावरपतर मघनाद को लजस इनि भी नही हरा सका था लकषमरजी हरा पाय | पववतर मातभाव दवारा वीयकरकषर का यह अनपम उदाहरर ह जो बरहमचयक की महतता भी परकट करता ह |

(अनिम)

सतसाहहतय पढ़ो

जसा सादहसय हम पढत ह वस ही ववचार मन क भीतर चलत रहत ह और उनहीस हमारा सारा वयवहार परभाववत होता ह | जो लोग कलससत ववकारी और कामोततजक सादहसय पढत ह व कभी ऊपर नही उठ सकत | उनका मन सदव काम-ववषय क चचतन म ही उलझा रहता ह और इसस व अपनी वीयकरकषा करन म असमथक रहत ह | गनद सादहसय कामकता का भाव पदा करत ह | सना गया ह कक पाशचासय जगत स परभाववत कछ नराधम चोरी-तछप गनदी कफकमो का परदशकन करत ह जो अपना और अपन सपकक म आनवालो का ववनाश करत ह | ऐस लोग मदहलाओ कोमल वय की कनयाओ तथा ककशोर एव यवावसथा म पहाच हए बचचो क साथ बड़ा अनयाय करत ह | बकय कफकम दखन-ददखानवाल महा अधम कामानध लोग मरन क बाद शकर ककर आदद योतनयो म जनम लकर अथवा गनदी नाललयो क कीड़ बनकर छटपटात हए दख भोगग ही | तनदोष कोमलवय क नवयवक उन दषटटो क लशकार न बन इसक ललए सरकार और समाज को सावधान रहना चादहए |

बालक दश की सपवतत ह | बरहमचयक क नाश स उनका ववनाश हो जाता ह | अतः नवयवको को मादक िवयो गनद सादहसयो व गनदी कफकमो क दवारा बबाकद होन स बचाया जाय | व ही तो राषटर क भावी करकधार ह | यवक-यवततयाा तजसवी हो बरहमचयक की मदहमा समझ इसक ललए हम सब लोगो का कततकवय ह कक सकलो-कालजो म ववदयाचथकयो तक बरहमचयक पर ललखा गया सादहसय पहाचाय | सरकार का यह नततक कततकवय ह कक वह लशकषा परदान कर बरहमचयक ववशय पर ववदयाचथकयो को

सावधान कर ताकक व तजसवी बन | लजतन भी महापरष हए ह उनक जीवन पर दलषटटपात करो तो उन पर ककसी-न-ककसी सससादहसय की छाप लमलगी | अमररका क परलसदध लखक इमसकन क गर थोरो बरहमचयक का पालन करत थ | उनहो न ललखा ह म परततददन गीता क पववतर जल स सनान करता हा | यदयवप इस पसतक को ललखनवाल दवताओ को अनक वषक वयतीत हो गय लककन इसक बराबर की कोई पसतक अभी तक नही तनकली ह |

योगशवरी माता गीता क ललए दसर एक ववदशी ववदवान इगलणड क एफ एच मोलम कहत ह बाइतरबल का मन यथाथक अभयास ककया ह | जो जञान गीता म ह वह ईसाई या यदही बाइतरबलो म नही ह | मझ यही आशचयक होता ह कक भारतीय नवयवक यहाा इगलणड तक पदाथक ववजञान सीखन कयो आत ह तनसदह पाशचासयो क परतत उनका मोह ही इसका कारर ह | उनक भोलभाल हदयो न तनदकय और अववनमर पलशचमवालसयो क ददल अभी पहचान नही ह | इसीललए उनकी लशकषा स लमलनवाल पदो की लालच स व उन सवाचथकयो क इनिजाल म फसत ह | अनयथा तो लजस दश या समाज को गलामी स छटना हो उसक ललए तो यह अधोगतत का ही मागक ह |

म ईसाई होत हए भी गीता क परतत इतना आदर-मान इसललए रखता हा कक लजन गढ परशनो का हल पाशचासय वजञातनक अभी तक नही कर पाय उनका हल इस गीता गरथ न शदध और सरल

रीतत स द ददया ह | गीता म ककतन ही सतर आलौककक उपदशो स भरपर दख इसी कारर गीताजी मर ललए साकषात योगशवरी माता बन गई ह | ववशव भर म सार धन स भी न लमल सक भारतवषक का यह ऐसा अमकय खजाना ह |

सपरलसदध पतरकार पॉल तरबरलनटन सनातन धमक की ऐसी धालमकक पसतक पढकर जब परभाववत हआ तभी वह दहनदसतान आया था और यहाा क रमर महवषक जस महासमाओ क दशकन करक धनय हआ था | दशभलकतपरक सादहसय पढकर ही चनिशखर आजाद भगतलसह वीर सावरकर जस रसन अपन जीवन को दशादहत म लगा पाय |

इसललय सससादहसय की तो लजतनी मदहमा गाई जाय उतनी कम ह | शरीयोगवलशषटठ

महारामायर उपतनषद दासबोध सखमतन वववकचड़ामखर शरी रामकषटर सादहसय सवामी रामतीथक क

परवचन आदद भारतीय ससकतत की ऐसी कई पसतक ह लजनह पढो और उनह अपन दतनक जीवन का अग बना लो | ऐसी-वसी ववकारी और कलससत पसतक-पलसतकाएा हो तो उनह उठाकर कचर ल ढर पर फ क दो या चकह म डालकर आग तापो मगर न तो सवय पढो और न दसर क हाथ लगन दो |

इस परकार क आरधयालसमक सदहसय-सवन म बरहमचयक मजबत करन की अथाह शलकत होती ह |

परातःकाल सनानादद क पशचात ददन क वयवसाय म लगन स पवक एव रातरतर को सोन स पवक कोई-न-कोई आरधयालसमक पसतक पढना चादहए | इसस व ही सतोगरी ववचार मन म घमत रहग जो पसतक म होग और हमारा मन ववकारगरसत होन स बचा रहगा |

कौपीन (लगोटी) पहनन का भी आगरह रखो | इसस अणडकोष सवसथ रहग और वीयकरकषर म मदद लमलगी |

वासना को भड़कान वाल नगन व अशलील पोसटरो एव चचतरो को दखन का आकषकर छोड़ो | अशलील शायरी और गान भी जहाा गाय जात हो वहाा न रको |

(अनिम)

वीययसचय क चितकार

वीयक क एक-एक अर म बहत महान शलकतयाा तछपी ह | इसीक दवारा शकराचायक महावीर कबीर

नानक जस महापरष धरती पर अवतीरक हए ह | बड़-बड़ वीर योदधा वजञातनक सादहसयकार- य सब वीयक की एक बाद म तछप थ hellip और अभी आग भी पदा होत रहग | इतन बहमकय वीयक का सदपयोग जो वयलकत नही कर पाता वह अपना पतन आप आमतरतरत करता ह |

वीय व भगयः | (शतपथ बराहिण )

वीयक ही तज ह आभा ह परकाश ह |

जीवन को ऊरधवकगामी बनान वाली ऐसी बहमकय वीयकशलकत को लजसन भी खोया उसको ककतनी हातन उठानी पड़ी यह कछ उदाहररो क दवारा हम समझ सकत ह |

(अनिम)

भीटि षपतािह और वीर अमभिनय महाभारत म बरहमचयक स सबचधत दो परसग आत ह एक भीषटम वपतामह का और दसरा वीर अलभमनय का | भीषटम वपतामह बाल बरहमचारी थ इसललय उनम अथाह सामथयक था | भगवान शरी कषटर का यह वरत था कक lsquoम यदध म शसतर नही उठाऊा गा |rsquo ककनत यह भीषटम की बरहमचयक शलकत का ही चमसकार था कक उनहोन शरी कषटर को अपना वरत भग करन क ललए मजबर कर ददया | उनहोन अजकन पर ऐसी बार वषाक की कक ददवयासतरो स ससलजजत अजकन जसा धरनधर धनधाकरी भी उसका परततकार

करन म असमथक हो गया लजसस उसकी रकषाथक भगवान शरी कषटर को रथ का पदहया लकर भीषटम की ओर दौड़ना पड़ा |

यह बरहमचयक का ही परताप था कक भीषटम मौत पर भी ववजय परापत कर सक | उनहोन ही यह सवय तय ककया कक उनह कब शरीर छोड़ना ह | अनयथा शरीर म परारो का दटक रहना असभव था परनत भीषटम की तरबना आजञा क मौत भी उनस परार कस छीन सकती थी भीषटम न सवचछा स शभ महतक म अपना शरीर छोड़ा |

दसरी ओर अलभमनय का परसग आता ह | महाभारत क यदध म अजकन का वीर पतर अलभमनय चिवयह का भदन करन क ललए अकला ही तनकल पड़ा था | भीम भी पीछ रह गया था | उसन जो शौयक ददखाया वह परशसनीय था | बड़-बड़ महारचथयो स तघर होन पर भी वह रथ का पदहया लकर

अकला यदध करता रहा परनत आखखर म मारा गया | उसका कारर यह था कक यदध म जान स पवक वह अपना बरहमचयक खलणडत कर चका था | वह उततरा क गभक म पाणडव वश का बीज डालकर आया था | मातर इतनी छोटी सी कमजोरी क कारर वह वपतामह भीषटम की तरह अपनी मसय का आप

माललक नही बन सका |

(अनिम)

पथवीराज चौहान कयो हारा

भारात म पथवीराज चौहान न मोहममद गोरी को सोलह बार हराया ककनत सतरहव यदध म वह खद हार गया और उस पकड़ ललया गया | गोरी न बाद म उसकी आाख लोह की गमक सलाखो स

फड़वा दी | अब यह एक बड़ा आशचयक ह कक सोलह बार जीतन वाला वीर योदधा हार कस गया

इततहास बताता ह कक लजस ददन वह हारा था उस ददन वह अपनी पसनी स अपनी कमर कसवाकर

अथाकत अपन वीयक का ससयानाश करक यदधभलम म आया था | यह ह वीयकशलकत क वयय का दषटपररराम |

रामायर महाकावय क पातर रामभकत हनमान क कई अदभत परािम तो हम सबन सन ही ह जस- आकाश म उड़ना समि लााघना रावर की भरी सभा म स छटकर लौटना लका जलाना यदध म रावर को मकका मार कर मतछकत कर दना सजीवनी बटी क ललय परा पहाड़ उठा लाना आदद | य सब बरहमचयक की शलकत का ही परताप था |

फरास का समराट नपोललयन कहा करता था असभव शबद ही मर शबदकोष म नही ह |

परनत वह भी हार गया | हारन क मल काररो म एक कारर यह भी था कक यदध स पवक ही उसन सतरी क आकषकर म अपन वीयक का कषय कर ददया था |

समसन भी शरवीरता क कषतर म बहत परलसदध था | बाइतरबल म उसका उकलख आता ह | वह

भी सतरी क मोहक आकषकर स नही बच सका और उसका भी पतन हो गया |

(अनिम)

सवािी राितीथय का अनभव

सवामी रामतीथक जब परोफसर थ तब उनहोन एक परयोग ककया और बाद म तनषटकषकरप म बताया कक जो ववदयाथी परीकषा क ददनो म या परीकषा क कछ ददन पहल ववषयो म फस जात ह व

परीकषा म परायः असफल हो जात ह चाह वषक भर अपनी ककषा म अचछ ववदयाथी कयो न रह हो | लजन ववदयाचथकयो का चचतत परीकषा क ददनो म एकागर और शदध रहा करता ह व ही सफल होत ह | काम ववकार को रोकना वसततः बड़ा दःसारधय ह |

यही कारर ह कक मन महाराज न यहा तक कह ददया ह

माा बहन और पतरी क साथ भी वयलकत को एकानत म नही बठना चादहय कयोकक मनषटय की इलनियाा बहत बलवान होती ह | व ववदवानो क मन को भी समान रप स अपन वग म खीच ल जाती ह |

(अनिम)

यवा वगय स दो बात

म यवक वगक स ववशषरप स दो बात कहना चाहता ह कयोकक यही वह वगक ह जो अपन दश क सदढ भववषटय का आधार ह | भारत का यही यवक वगक जो पहल दशोसथान एव आरधयालसमक

रहसयो की खोज म लगा रहता था वही अब कालमतनयो क रग-रप क पीछ पागल होकर अपना अमकय जीवन वयथक म खोता जा रहा ह | यह कामशलकत मनषटय क ललए अलभशाप नही बलकक

वरदान सवरप ह | यह जब यवक म खखलन लगती ह तो उस उस समय इतन उससाह स भर दती ह

कक वह ससार म सब कछ कर सकन की लसथतत म अपन को समथक अनभव करन लगता ह लककन आज क अचधकाश यवक दवयकसनो म फा सकर हसतमथन एव सवपनदोष क लशकार बन जात ह |

(अनिम)

हसतिथन का दटपररणाि

इन दवयकसनो स यवक अपनी वीयकधारर की शलकत खो बठता ह और वह तीवरता स नपसकता की ओर अगरसर होन लगता ह | उसकी आाख और चहरा तनसतज और कमजोर हो जाता ह |

थोड़ पररशरम स ही वह हााफन लगता ह उसकी आखो क आग अधरा छान लगता ह | अचधक कमजोरी स मचछाक भी आ जाती ह | उसकी सककपशलकत कमजोर हो जाती ह |

अिररका ि ककया गया परयोग

अमररका म एक ववजञानशाला म ३० ववदयाचथकयो को भखा रखा गया | इसस उतन समय क

ललय तो उनका काम ववकार दबा रहा परनत भोजन करन क बाद उनम कफर स काम-वासना जोर पकड़न लगी | लोह की लगोट पहन कर भी कछ लोग कामदमन की चषटटा करत पाए जात ह | उनको लसकडडया बाबा कहत ह | व लोह या पीतल की लगोट पहन कर उसम ताला लगा दत ह | कछ ऐस भी लोग हए ह लजनहोन इस काम-ववकार स छटटी पान क ललय अपनी जननलनिय ही काट दी और

बाद म बहत पछताय | उनह मालम नही था कक जननलनिय तो काम ववकार परकट होन का एक साधन ह | फल-पसतत तोड़न स पड़ नषटट नही होता | मागकदशकन क अभाव म लोग कसी-कसी भल करत ह ऐसा ही यह एक उदाहरर ह |

जो यवक १७ स २४ वषक की आय तक सयम रख लता ह उसका मानलसक बल एव बदचध बहत तजसवी हो जाती ह | जीवनभर उसका उससाह एव सफततक बनी रहती ह | जो यवक बीस वषक की आय परी होन स पवक ही अपन वीयक का नाश करना शर कर दता ह उसकी सफततक और होसला पसत हो जाता ह तथा सार जीवनभर क ललय उसकी बदचध कलणठत हो जाती ह | म चाहता हा कक यवावगक वीयक क सरकषर क कछ ठोस परयोग सीख ल | छोट-मोट परयोग उपवास भोजन म सधार आदद तो ठीक ह परनत व असथाई लाभ ही द पात ह | कई परयोगो स यह बात लसदध हई ह |

(अनिम)

कािशषकत का दिन या ऊधवयगिन

कामशलकत का दमन सही हल नही ह | सही हल ह इस शलकत को ऊरधवकमखी बनाकर शरीर म ही इसका उपयोग करक परम सख को परापत करना | यह यलकत लजसको आ गई उस सब आ गया

और लजस यह नही आई वह समाज म ककतना भी सततावान धनवान परततशठावान बन जाय अनत म मरन पर अनाथ ही रह जायगा अपन-आप को नही लमल पायगा | गौतम बदध यह यलकत जानत थ

तभी अगलीमाल जसा तनदकयी हसयारा भी सार दषटकसय छोड़कर उनक आग लभकषक बन गया | ऐस महापरषो म वह शलकत होती ह लजसक परयोग स साधक क ललए बरहमचयक की साधना एकदम सरल हो जाती ह | कफर काम-ववकार स लड़ना नही पड़ता ह बलकक जीवन म बरहमचयक सहज ही फललत होन लगता ह |

मन ऐस लोगो को दखा ह जो थोड़ा सा जप करत ह और बहत पज जात ह | और ऐस लोगो को भी दखा ह जो बहत जप-तप करत ह कफर भी समाज पर उनका कोई परभाव नही उनम आकषकर नही | जान-अनजान हो-न-हो जागत अथवा तनिावसथा म या अनय ककसी परकार स उनकी वीयक शलकत अवशय नषटट होती रहती ह |

(अनिम)

एक सा क का अनभव

एक साधक न यहाा उसका नाम नही लागा मझ सवय ही बताया सवामीजी यहाा आन स पवक म महीन म एक ददन भी पसनी क तरबना नही रह सकता था इतना अचधक काम-ववकार म फा सा हआ था परनत अब ६-६ महीन बीत जात ह पसनी क तरबना और काम-ववकार भी पहल की भाातत नही सताता |

द सर सा क का अनभव

दसर एक और सजजन यहाा आत ह उनकी पसनी की लशकायत मझ सनन को लमली ह | वह

सवय तो यहाा आती नही मगर लोगो स कहा ह कक ककसी परकार मर पतत को समझाय कक व आशरम म नही जाया कर |

वस तो आशरम म जान क ललए कोई कयो मना करगा मगर उसक इस परकार मना करन का कारर जो उसन लोगो को बताया और लोगो न मझ बताया वह इस परकार ह वह कहती ह इन बाबा न मर पतत पर न जान कया जाद ककया ह कक पहल तो व रात म मझ पास म सलात थ परनत अब मझस दर सोत ह | इसस तो व लसनमा म जात थ जस-तस दोसतो क साथ घमत रहत थ वही ठीक था | उस समय कम स कम मर कहन म तो चलत थ परनत अब तो

कसा दभाकगय ह मनषटय का वयलकत भल ही पतन क रासत चल उसक जीवन का भल ही ससयानाश होता रह परनत वह मर कहन म चल यही ससारी परम का ढााचा ह | इसम परम दो-पाच परततशत हो सकता ह बाकी ९५ परततशत तो मोह ही होता ह वासना ही होती ह | मगर मोह भी परम का चोला ओढकर कफरता रहता ह और हम पता नही चलता कक हम पतन की ओर जा रह ह या उसथान की ओर |

(अनिम)

योगी का सकलपबल

बरहमचयक उसथान का मागक ह | बाबाजी न कछ जाद-वाद नही ककया| कवल उनक दवारा उनकी यौचगक शलकत का सहारा उस वयलकत को लमला लजसस उसकी कामशलकत ऊरधवकगामी हो गई | इस कारर उसका मन ससारी काम सख स ऊपर उठ गया | जब असली रस लमल गया तो गदी नाली दवारा लमलन वाल रस की ओर कोई कयो ताकगा ऐसा कौन मखक होगा जो बरहमचयक का पववतर और

असली रस छोड़कर घखरत और पतनोनमख करन वाल ससारी कामसख की ओर दौड़गा

कया यह चितकार ह

सामानय लोगो क ललय तो यह मानो एक बहत बड़ा चमसकार ह परनत इसम चमसकार जसी कोई बात नही ह | जो महापरष योगमागक स पररचचत ह और अपनी आसममसती म मसत रहत ह

उनक ललय तो यह एक खल मातर ह | योग का भी अपना एक ववजञान ह जो सथल ववजञान स भी सकषम और अचधक परभावी होता ह | जो लोग ऐस ककसी योगी महापरष क सालननरधय का लाभ लत ह उनक ललय तो बरहमचयक का पालन सहज हो जाता ह | उनह अलग स कोई महनत नही करनी पड़ती |

(अनिम)

हसतिथन व सवपनदोि स कस बच

यदद कोई हसत मथन या सवपनदोष की समसया स गरसत ह और वह इस रोग स छटकारा पान को वसततः इचछक ह तो सबस पहल तो म यह कहागा कक अब वह यह चचता छोड़ द कक मझ

यह रोग ह और अब मरा कया होगा कया म कफर स सवासथय लाभ कर सका गा इस परकार क

तनराशावादी ववचारो को वह जड़मल स उखाड़ फ क |

सदव परसनन रहो

जो हो चका वह बीत गया | बीती सो बीती बीती ताही बबसार द आग की सध लय | एक तो रोग कफर उसका चचतन और भी रगर बना दता ह | इसललय पहला काम तो यह करो कक दीनता क

ववचारो को ततलाजलल दकर परसनन और परफलकलत रहना परारभ कर दो |

पीछ ककतना वीयकनाश हो चका ह उसकी चचता छोड़कर अब कस वीयकरकषर हो सक उसक ललय उपाय करन हत कमर कस लो |

धयान रह वीयकशलकत का दमन नही करना ह उस ऊरधवकगामी बनाना ह | वीयकशलकत का उपयोग हम ठीक ढग स नही कर पात | इसललय इस शलकत क ऊरधवकगमन क कछ परयोग हम समझ ल |

(अनिम)

वीयय का ऊधवयगिन कया ह

वीयक क ऊरधवकगमन का अथक यह नही ह कक वीयक सथल रप स ऊपर सहसरार की ओर जाता ह

| इस ववषय म कई लोग भरलमत ह | वीयक तो वही रहता ह मगर उस सचाललत करनवाली जो कामशलकत ह उसका ऊरधवकगमन होता ह | वीयक को ऊपर चढान की नाड़ी शरीर क भीतर नही ह |

इसललय शिार ऊपर नही जात बलकक हमार भीतर एक वदयततक चमबकीय शलकत होती ह जो नीच की ओर बहती ह तब शिार सकिय होत ह |

इसललय जब परष की दलशट भड़कील वसतरो पर पड़ती ह या उसका मन सतरी का चचतन करता ह

तब यही शलकत उसक चचतनमातर स नीच मलाधार कनि क नीच जो कामकनि ह उसको सकिय कर

वीयक को बाहर धकलती ह | वीयक सखललत होत ही उसक जीवन की उतनी कामशलकत वयथक म खचक हो जाती ह | योगी और तातरतरक लोग इस सकषम बात स पररचचत थ | सथल ववजञानवाल जीवशासतरी और डॉकटर लोग इस बात को ठीक स समझ नही पाय इसललय आधतनकतम औजार होत हए भी कई गभीर रोगो को व ठीक नही कर पात जबकक योगी क दलषटटपात मातर या आशीवाकद स ही रोग ठीक होन क चमसकार हम परायः दखा-सना करत ह |

आप बहत योगसाधना करक ऊरधवकरता योगी न भी बनो कफर भी वीयकरकषर क ललय इतना छोटा-सा परयोग तो कर ही सकत हो

(अनिम)

वीययरकषा का िहततवप णय परयोग

अपना जो lsquoकाम-ससथानrsquo ह वह जब सकिय होता ह तभी वीयक को बाहर धकलता ह | ककनत तनमन परयोग दवारा उसको सकिय होन स बचाना ह |

जयो ही ककसी सतरी क दशकन स या कामक ववचार स आपका रधयान अपनी जननलनिय की तरफ खखचन लग तभी आप सतकक हो जाओ | आप तरनत जननलनिय को भीतर पट की तरफ़ खीचो | जस पप का वपसटन खीचत ह उस परकार की किया मन को जननलनिय म कलनित करक करनी ह | योग की भाषा म इस योतनमिा कहत ह |

अब आाख बनद करो | कफर ऐसी भावना करो कक म अपन जननलनिय-ससथान स ऊपर लसर म लसथत सहसरार चि की तरफ दख रहा हा | लजधर हमारा मन लगता ह उधर ही यह शलकत बहन लगती ह | सहसरार की ओर ववतत लगान स जो शलकत मलाधार म सकिय होकर वीयक को सखललत

करनवाली थी वही शलकत ऊरधवकगामी बनकर आपको वीयकपतन स बचा लगी | लककन रधयान रह यदद आपका मन काम-ववकार का मजा लन म अटक गया तो आप सफल नही हो पायग | थोड़ सककप और वववक का सहारा ललया तो कछ ही ददनो क परयोग स महववपरक फायदा होन लगगा | आप सपषटट

महसस करग कक एक आाधी की तरह काम का आवग आया और इस परयोग स वह कछ ही कषरो म शात हो गया |

(अनिम)

द सरा परयोग

जब भी काम का वग उठ फफड़ो म भरी वाय को जोर स बाहर फ को | लजतना अचधक बाहर फ क सको उतना उततम | कफर नालभ और पट को भीतर की ओर खीचो | दो-तीन बार क परयोग स ही काम-ववकार शात हो जायगा और आप वीयकपतन स बच जाओग |

यह परयोग ददखता छोटा-सा ह मगर बड़ा महववपरक यौचगक परयोग ह | भीतर का शवास कामशलकत को नीच की ओर धकलता ह | उस जोर स और अचधक मातरा म बाहर फ कन स वह मलाधार चि म कामकनि को सकिय नही कर पायगा | कफर पट व नालभ को भीतर सकोचन स वहाा खाली जगह बन जाती ह | उस खाली जगह को भरन क ललय कामकनि क आसपास की सारी शलकत जो वीयकपतन म

सहयोगी बनती ह खखचकर नालभ की तरफ चली जाती ह और इस परकार आप वीयकपतन स बच जायग |

इस परयोग को करन म न कोई खचक ह न कोई ववशष सथान ढाढन की जररत ह | कही भी बठकर कर सकत ह | काम-ववकार न भी उठ तब भी यह परयोग करक आप अनपम लाभ उठा सकत ह | इसस जठरालगन परदीपत होती ह पट की बीमाररयाा लमटती ह जीवन तजसवी बनता ह और वीयकरकषर

सहज म होन लगता ह |

(अनिम)

वीययरकषक च णय

बहत कम खचक म आप यह चरक बना सकत ह | कछ सख आावलो स बीज अलग करक उनक तछलको को कटकर उसका चरक बना लो | आजकल बाजार म आावलो का तयार चरक भी लमलता ह |

लजतना चरक हो उसस दगनी मातरा म लमशरी का चरक उसम लमला दो | यह चरक उनक ललए भी दहतकर

ह लजनह सवपनदोष नही होता हो |

रोज रातरतर को सोन स आधा घटा पवक पानी क साथ एक चममच यह चरक ल ललया करो | यह

चरक वीयक को गाढा करता ह कबज दर करता ह वात-वपतत-कफ क दोष लमटाता ह और सयम को मजबत करता ह |

(अनिम)

गोद का परयोग

6 गराम खरी गोद रातरतर को पानी म लभगो दो | इस सबह खाली पट ल लो | इस परयोग क दौरान अगर भख कम लगती हो तो दोपहर को भोजन क पहल अदरक व नीब का रस लमलाकर लना चादहए |

तलसी एक अदभत औषचध

परनच डॉकटर ववकटर रसीन न कहा ह ldquoतलसी एक अदभत औषचध ह | तलसी पर ककय गय

परयोगो न यह लसदध कर ददया ह कक रकतचाप और पाचनततर क तनयमन म तथा मानलसक रोगो म तलसी असयत लाभकारी ह | इसस रकतकरो की वदचध होती ह | मलररया तथा अनय परकार क बखारो म तलसी असयत उपयोगी लसदध हई ह |

तलसी रोगो को तो दर करती ही ह इसक अततररकत बरहमचयक की रकषा करन एव यादशलकत बढान म भी अनपम सहायता करती ह | तलसीदल एक उसकषटट रसायन ह | यह तरतरदोषनाशक ह | रकतववकार

वाय खाासी कलम आदद की तनवारक ह तथा हदय क ललय बहत दहतकारी ह |

(अनिम)

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

पादपषशचिोततानासन

षवध जमीन पर आसन तरबछाकर दोनो पर सीध करक बठ जाओ | कफर दोनो हाथो स परो क

अगाठ पकड़कर झकत हए लसर को दोनो घटनो स लमलान का परयास करो | घटन जमीन पर सीध रह | परारभ म घटन जमीन पर न दटक तो कोई हजक नही | सतत अभयास स यह आसन लसदध हो जायगा | यह आसन करन क 15 लमनट बाद एक-दो कचची लभणडी खानी चादहए | सवफल का सवन भी फायदा करता ह |

लाभ इस आसन स नाडड़यो की ववशष शदचध होकर हमारी कायककषमता बढती ह और शरीर की बीमाररयाा दर होती ह | बदहजमी कबज जस पट क सभी रोग सदी-जकाम कफ चगरना कमर का ददक दहचकी सफद कोढ पशाब की बीमाररयाा सवपनदोष वीयक-ववकार अपलनडकस साईदटका नलो की सजन पाणडरोग (पीललया) अतनिा दमा खटटी डकार जञानततओ की कमजोरी गभाकशय क रोग

मालसकधमक की अतनयलमतता व अनय तकलीफ नपसकता रकत-ववकार दठगनापन व अनय कई

परकार की बीमाररयाा यह आसन करन स दर होती ह |

परारभ म यह आसन आधा लमनट स शर करक परततददन थोड़ा बढात हए 15 लमनट तक कर सकत ह | पहल 2-3 ददन तकलीफ होती ह कफर सरल हो जाता ह |

इस आसन स शरीर का कद लमबा होता ह | यदद शरीर म मोटापन ह तो वह दर होता ह और यदद दबलापन ह तो वह दर होकर शरीर सडौल तनदरसत अवसथा म आ जाता ह | बरहमचयक पालनवालो क ललए यह आसन भगवान लशव का परसाद ह | इसका परचार पहल लशवजी न और बाद म जोगी गोरखनाथ न ककया था |

(अनिम)

पादागटठानासन

इसम शरीर का भार कवल पााव क अागठ पर आन स इस पादाागषटठानासन कहत ह वीयक की रकषा व ऊरधवकगमन हत महववपरक होन स सभी को ववशषतः बचचो व यवाओ को यह आसन अवशय करना चादहए

लाभः अखणड बरहमचयक की लसदचध वजरनाड़ी (वीयकनाड़ी) व मन पर तनयतरर तथा वीयकशलकत को ओज म रपातररत करन म उततम ह मलसतषटक सवसथ रहता ह व बदचध की लसथरता व परखरता शीघर परापत होती ह रोगी-नीरोगी सभी क ललए लाभपरद ह

रोगो ि लाभः सवपनदोष मधमह नपसकता व समसत वीयोदोषो म लाभपरद ह

षवध ः पजो क बल बठ जाय बाय पर की एड़ी लसवनी (गदा व जननलनिय क बीच का सथान) पर

लगाय दोनो हाथो की उगललयाा जमीन पर रखकर दायाा पर बायी जघा पर रख सारा भार बाय पज पर (ववशषतः अागठ

पर) सतललत करक हाथ कमर पर या नमसकार की मिा म रख परारमभ म

कछ ददन आधार लकर कर सकत ह कमर सीधी व शरीर लसथर रह शवास सामानय दलषटट आग ककसी तरबद पर एकागर व रधयान सतलन रखन म हो यही किया पर बदल कर भी कर

सियः परारभ म दोनो परो स आधा-एक लमनट दोनो परो को एक समान समय दकर

यथासभव बढा सकत ह

साव ानीः अततम लसथती म आन की शीघरता न कर िमशः अभयास बढाय इस ददन भर म दो-तीन बार कभी भी कर सकत ह ककनत भोजन क तरनत बाद न कर

बदध शषकतव यक परयोगः लाभः इसक तनयलमत अभयास स जञानतनत पषटट होत

ह चोटी क सथान क नीच गाय क खर क आकार वाला बदचधमडल ह लजस पर इस परयोग का ववशष परभाव पड़ता ह और बदचध ब धारराशलकत का ववकास होता ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख लसर पीछ की तरफ ल जाय दलषटट आसमान की ओर हो इस लसथतत म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ि ाशषकतव यक परयोगः

लाभः इसक तनयलमत अभयास स मधाशलकत बढती ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख

आाख बद करक लसर को नीच की तरफ इस तरफ झकाय कक ठोढी कठकप स लगी रह और कठकप पर हलका-सा दबाव पड़ इस लसथती म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ववशषः शवास लत समय मन म ॐ का जप कर व छोड़त समय

उसकी चगनती कर

रधयान द- परसयक परयोग सबह खाली पट 15 बार कर कफर धीर-धीर बढात हए 25 बार तक कर सकत ह

(अनिम)

हिार अनभव

िहापरि क दशयन का चितकार

ldquoपहल म कामतलपत म ही जीवन का आननद मानता था | मरी दो शाददयाा हई परनत दोनो पलसनयो क दहानत क कारर अब तीसरी शादी 17 वषक की लड़की स करन को तयार हो गया | शादी स पवक म परम पजय सवामी शरी लीलाशाहजी महारज का आशीवाकद लन डीसा आशरम म जा पहाचा |

आशरम म व तो नही लमल मगर जो महापरष लमल उनक दशकनमातर स न जान कया हआ कक मरा सारा भववषटय ही बदल गया | उनक योगयकत ववशाल नतरो म न जान कसा तज चमक रहा था कक म अचधक दर तक उनकी ओर दख नही सका और मरी नजर उनक चररो की ओर झक गई | मरी कामवासना ततरोदहत हो गई | घर पहाचत ही शादी स इनकार कर ददया | भाईयो न एक कमर म उस 17 वषक की लड़की क साथ मझ बनद कर ददया |

मन कामववकार को जगान क कई उपाय ककय परनत सब तनरथकक लसदध हआ hellip जस कामसख

की चाबी उन महापरष क पास ही रह गई हो एकानत कमर म आग और परोल जसा सयोग था कफर भी

मन तनशचय ककया कक अब म उनकी छतरछाया को नही छोड़ागा भल ककतना ही ववरोध सहन

करना पड़ | उन महापरष को मन अपना मागकदशकक बनाया | उनक सालननरधय म रहकर कछ यौचगक

कियाएा सीखी | उनहोन मझस ऐसी साधना करवाई कक लजसस शरीर की सारी परानी वयाचधयाा जस मोटापन दमा टीबी कबज और छोट-मोट कई रोग आदद तनवत हो गय |

उन महापरष का नाम ह परम पजय सत शरी आसारामजी बाप | उनहीक सालननरधय म म अपना जीवन धनय कर रहा हा | उनका जो अनपम उपकार मर ऊपर हआ ह उसका बदला तो म अपना समपरक लौककक वभव समपकर करक भी चकान म असमथक हा |rdquo

-महनत चदीराम ( भतपवक चदीराम कपालदास )

सत शरी आसारामजी आशरम साबरमतत अमदावाद |

मरी वासना उपासना म बदली

ldquoआशरम दवारा परकालशत ldquoयौवन सरकषाrdquo पसतक पढन स मरी दलषटट अमीदलषटट हो गई | पहल परसतरी को एव हम उमर की लड़ककयो को दखकर मर मन म वासना और कदलषटट का भाव पदा होता था लककन यह पसतक पढकर मझ जानन को लमला कक lsquoसतरी एक वासनापतत क की वसत नही ह परनत शदध परम

और शदध भावपवकक जीवनभर साथ रहनवाली एक शलकत ह |rsquo सचमच इस lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक को पढकर मर अनदर की वासना उपासना म बदल गयी ह |rdquo

-मकवारा रवीनि रततभाई

एम क जमोड हाईसकल भावनगर (गज)

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगय क मलय एक अि लय भि ह

ldquoसवकपरथम म पजय बाप का एव शरी योग वदानत सवा सलमतत का आभार परकट करता हा |

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय अमकय भट ह | यह पसतक यवानो क ललय सही ददशा ददखानवाली ह |

आज क यग म यवानो क ललय वीयकरकषर अतत कदठन ह | परनत इस पसतक को पढन क बाद

ऐसा लगता ह कक वीयकरकषर करना सरल ह | lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक को सही यवान

बनन की परररा दती ह | इस पसतक म मन lsquoअनभव-अमतrsquo नामक पाठ पढा | उसक बाद ऐसा लगा कक सत दशकन करन स वीयकरकषर की परररा लमलती ह | यह बात तनतात ससय ह | म हररजन जातत का हा | पहल मास मछली लहसन पयाज आदद सब खाता था लककन lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पढन क बाद मझ मासाहार स सखत नफरत हो गई ह | उसक बाद मन इस पसतक को दो-तीन बार पढा ह |

अब म मास नही खा सकता हा | मझ मास स नफरत सी हो गई ह | इस पसतक को पढन स मर मन पर काफी परभाव पड़ा ह | यह पसतक मनषटय क जीवन को समदध बनानवाली ह और वीयकरकषर की शलकत परदान करन वाली ह |

यह पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह | आज क यवान जो कक 16 वषक स 17

वषक की उमर तक ही वीयकशलकत का वयय कर दत ह और दीन-हीन कषीरसककप कषीरजीवन होकर अपन ललए व औरो क ललए भी खब दःखद हो जात ह उनक ललए यह पसतक सचमच परररादायक ह

| वीयक ही शरीर का तज ह शलकत ह लजस आज का यवा वगक नषटट कर दता ह | उसक ललए जीवन म ववकास करन का उततम मागक तथा ददगदशकक यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक ह | तमाम यवक-यवततयो को यह पसतक पजय बाप की आजञानसार पााच बार अवशय पढनी चादहए | इसस बहत लाभ होता ह |rdquo

-राठौड तनलश ददनशभाई

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अषपत एक मशकषा गरनथ ह

ldquoयह lsquoयौवन सरकषाrsquo एक पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह लजसस हम ववदयाचथकयो को सयमी जीवन जीन की परररा लमलती ह | सचमच इस अनमोल गरनथ को पढकर एक अदभत परररा तथा उससाह लमलता ह | मन इस पसतक म कई ऐसी बात पढी जो शायद ही कोई हम बालको को बता व समझा सक | ऐसी लशकषा मझ आज तक ककसी दसरी पसतक स नही लमली | म इस पसतक को जनसाधारर तक पहाचान वालो को परराम करता हा तथा उन महापरष महामानव को शत-शत परराम करता हा लजनकी परररा तथा आशीवाकद स इस पसतक की रचना हई |rdquo

हरपरीत लसह अवतार लसह

ककषा-7 राजकीय हाईसकल सकटर-24 चणडीगढ

बरहिचयय ही जीवन ह

बरहमचयक क तरबना जगत म नही ककसीन यश पाया |

बरहमचयक स परशराम न इककीस बार धररी जीती |

बरहमचयक स वाकमीकी न रच दी रामायर नीकी |

बरहमचयक क तरबना जगत म ककसन जीवन रस पाया

बरहमचयक स रामचनि न सागर-पल बनवाया था |

बरहमचयक स लकषमरजी न मघनाद मरवाया था |

बरहमचयक क तरबना जगत म सब ही को परवश पाया |

बरहमचयक स महावीर न सारी लका जलाई थी |

बरहमचयक स अगदजी न अपनी पज जमाई थी |

बरहमचयक क तरबना जगत म सबन ही अपयश पाया |

बरहमचयक स आकहा-उदल न बावन ककल चगराए थ |

पथवीराज ददकलीशवर को भी रर म मार भगाए थ |

बरहमचयक क तरबना जगत म कवल ववष ही ववष पाया |

बरहमचयक स भीषटम वपतामह शरशया पर सोय थ |

बरहमचारी वर लशवा वीर स यवनो क दल रोय थ |

बरहमचयक क रस क भीतर हमन तो षटरस पाया |

बरहमचयक स राममतत क न छाती पर पसथर तोड़ा |

लोह की जजीर तोड़ दी रोका मोटर का जोड़ा |

बरहमचयक ह सरस जगत म बाकी को करकश पाया |

(अनिम)

शासतरवचन

राजा जनक शकदवजी स बोल

ldquoबाकयावसथा म ववदयाथी को तपसया गर की सवा बरहमचयक का पालन एव वदारधययन करना चादहए |rdquo

तपसा गरवततया च बरहिचयण वा षवभो |

- िहाभारत ि िोकष िय पवय

सकलपाजजायत कािः सवयिानो षवव यत |

यदा पराजञो षवरित तदा सदयः परणशयतत ||

ldquoकाम सककप स उसपनन होता ह | उसका सवन ककया जाय तो बढता ह और जब बदचधमान परष

उसस ववरकत हो जाता ह तब वह काम तसकाल नषटट हो जाता ह |rdquo

-िहाभारत ि आपद िय पवय

ldquoराजन (यचधलषटठर) जो मनषटय आजनम परक बरहमचारी रहता ह उसक ललय इस ससार म कोई भी ऐसा पदाथक नही ह जो वह परापत न कर सक | एक मनषटय चारो वदो को जाननवाला हो और दसरा परक बरहमचारी हो तो इन दोनो म बरहमचारी ही शरषटठ ह |rdquo

-भीटि षपतािह

ldquoमथन सबधी य परवततयाा सवकपरथम तो तरगो की भाातत ही परतीत होती ह परनत आग चलकर य

कसगतत क कारर एक ववशाल समि का रप धारर कर लती ह | कामसबधी वाताकलाप कभी शरवर न कर |rdquo

-नारदजी

ldquoजब कभी भी आपक मन म अशदध ववचारो क साथ ककसी सतरी क सवरप की ककपना उठ तो आप

lsquoॐ दगाय दवय निःrsquo मतर का बार-बार उचचारर कर और मानलसक परराम कर |rdquo

-मशवानदजी

ldquoजो ववदयाथी बरहमचयक क दवारा भगवान क लोक को परापत कर लत ह कफर उनक ललय ही वह सवगक ह | व ककसी भी लोक म कयो न हो मकत ह |rdquo

-छानदोगय उपतनिद

ldquoबदचधमान मनषटय को चादहए कक वह वववाह न कर | वववादहत जीवन को एक परकार का दहकत हए

अगारो स भरा हआ खडडा समझ | सयोग या ससगक स इलनियजतनत जञान की उसपवतत होती ह

इलनिजतनत जञान स तससबधी सख को परापत करन की अलभलाषा दढ होती ह ससगक स दर रहन पर जीवासमा सब परकार क पापमय जीवन स मकत रहता ह |rdquo

-िहातिा बद

भगवशी ॠवष जनकवश क राजकमार स कहत ह

िनोऽपरततक लातन परतय चह च वाछमस |

भ ताना परततक लभयो तनवतयसव यतषनरयः ||

ldquoयदद तम इस लोक और परलोक म अपन मन क अनकल वसतएा पाना चाहत हो तो अपनी इलनियो को सयम म रखकर समसत पराखरयो क परततकल आचररो स दर हट जाओ |rdquo

ndashिहाभारत ि िोकष िय पवय 3094

(अनिम)

भसिासर करो स बचो काम िोध लोभ मोह अहकार- य सब ववकार आसमानदरपी धन को हर लनवाल शतर ह |

उनम भी िोध सबस अचधक हातनकतताक ह | घर म चोरी हो जाए तो कछ-न-कछ सामान बच जाता ह

लककन घर म यदद आग लग जाय तो सब भसमीभत हो जाता ह | भसम क लसवा कछ नही बचता |

इसी परकार हमार अतःकरर म लोभ मोहरपी चोर आय तो कछ पणय कषीर होत ह लककन िोधरपी आग लग तो हमारा तमाम जप तप पणयरपी धन भसम हो जाता ह | अतः सावधान होकर

िोधरपी भसमासर स बचो | िोध का अलभनय करक फफकारना ठीक ह लककन िोधालगन तमहार

अतःकरर को जलान न लग इसका रधयान रखो |

25 लमनट तक चबा-चबाकर भोजन करो | सालववक आहर लो | लहसन लाल लमचक और तली हई चीजो स दर रहो | िोध आव तब हाथ की अागललयो क नाखन हाथ की गददी पर दब इस परकार

मठठी बद करो |

एक महीन तक ककय हए जप-तप स चचतत की जो योगयता बनती ह वह एक बार िोध करन स नषटट हो जाती ह | अतः मर पयार भया सावधान रहो | अमकय मानव दह ऐस ही वयथक न खो दना |

दस गराम शहद एक चगलास पानी तलसी क पतत और सतकपा चरक लमलाकर बनाया हआ

शबकत यदद हररोज सबह म ललया जाए तो चचतत की परसननता बढती ह | चरक और तलसी नही लमल तो कवल शहद ही लाभदायक ह | डायतरबदटज क रोचगयो को शहद नही लना चादहए |

हरर ॐ

बरहिाचयय-रकषा का ितर

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय िनोमभलाित िनः सतभ कर कर सवाहा

रोज दध म तनहार कर 21 बार इस मतर का जप कर और दध पी ल इसस बरहमचयक की रकषा होती ह सवभाव म आसमसात कर लन जसा यह तनयम ह

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

पावन उदगार

पावन उदगार

सख-शातत व सवासथय का परसाद बािन क मलए ही बाप जी का अवतरण हआ ह

मर असयनत वपरय लमतर शरी आसाराम जी बाप स म पवककाल स हदयपवकक पररचचत हा ससार म सखी रहन क ललए समसत जनता को शारीररक सवासथय और मानलसक शातत दोनो आवशयक ह सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही इन सत का महापरष का अवतरर हआ ह आज क सतो-महापरषो म परमख मर वपरय लमतर बापजी हमार भारत दश क दहनद जनता क आम जनता क ववशववालसयो क उदधार क ललए रात-ददन घम-घमकर सससग

भजन कीतकन आदद दवारा सभी ववषयो पर मागकदशकन द रह ह अभी म गल म थोड़ी तकलीफ ह तो उनहोन तरनत मझ दवा बताई इस परकार सबक सवासथय और मानलसक शातत दोनो क ललए उनका जीवन समवपकत ह व धनभागी ह जो लोगो को बापजी क सससग व सालननरधय म लान का दवी कायक करत ह

काची कािकोहि पीठ क शकराचायय जगदगर शरी जयनर सरसवती जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

हर वयषकत जो तनराश ह उस आसाराि जी की जररत ह शरदधय-वदनीय लजनक दशकन स कोदट-कोदट जनो क आसमा को शातत लमली ह व हदय

उननत हआ ह ऐस महामनीवष सत शरी आसारामजी क दशकन करक आज म कताथक हआ लजस महापरष न लजस महामानव न लजस ददवय चतना स सपनन परष न इस धरा पर धमक ससकतत अरधयासम और भारत की उदातत परपराओ को परी ऊजाक (शलकत) स सथावपत ककया ह

उस महापरष क म दशकन न करा ऐसा तो हो ही नही सकता इसललए म सवय यहाा आकर अपन-आपको धनय और कताथक महसस कर रहा हा मर परतत इनका जो सनह ह यह तो मझ पर इनका आशीवाकद ह और बड़ो का सनह तो हमशा रहता ही ह छोटो क परतत यहाा पर म आशीवाकद लन क ललए आया हा

म समझता हा कक जीवन म लगभग हर वयलकत तनराश ह और उसको आसारामजी की जररत ह दश यदद ऊा चा उठगा समदध बनगा ववकलसत होगा तो अपनी पराचीन परपराओ नततक मकयो और आदशो स ही होगा और वह आदशो नततक मकयो पराचीन सभयता धमक-दशकन

और ससकतत का जो जागरर ह वह आशाओ क राम बनन स ही होगा इसललए शरदधय वदनीय महाराज शरी आसाराम जी की सारी दतनया को जररत ह बाप जी क चररो म पराथकना करत हए कक आप ददशा दत रहना राह ददखात रहना हम भी आपक पीछ-पीछ चलत रहग और एक ददन मलजल लमलगी ही पनः आपक चररो म वदन

परमसद योगाचायय शरी रािदव जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

बाप तनतय नवीन तनतय व यनीय आनदसवरप ह परम पजय बाप क दशकन करक म पहल भी आ चका हा दशकन करक हदन-हदन नव-नव

परततकषण व यनाि अथाकत बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह ऐसा अनभव हो रहा ह और यह सवाभाववक ही ह पजय बाप जी को परराम

सपरमसद कथाकार सत शरी िोरारी बाप

(अनिम) पावन उदगार

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहिजञान का हदवय सतसग

ईशवर की कपा होती ह तो मनषटय जनम लमलता ह ईशवर की अततशय कपा होती ह तो ममकषसव का उदय होता ह परनत जब अपन पवकजनमो क पणय इकटठ होत ह और ईशवर की परम कपा होती ह तब ऐसा बरहमजञान का ददवय सससग सनन को लमलता ह जसा पजयपाद बापजी क शरीमख स आपको यहाा सनन को लमल रहा ह

परमसद कथाकार सशरी कनकशवरी दवी

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी का साषननधय गगा क पावन परवाह जसा ह कल-कल करती इस भागीरथी की धवल धारा क ककनार पर पजय बाप जी क सालननरधय

म बठकर म बड़ा ही आहलाददत व परमददत हा आनददत हा रोमााचचत हा

गगा भारत की सषमना नाड़ी ह गगा भारत की सजीवनी ह शरी ववषटरजी क चररो स तनकलकर बरहमाजी क कमणडल व जटाधर क माथ पर शोभायमान गगा तरयोगलसदचधकारक ह ववषटरजी क चररो स तनकली गगा भलकतयोग की परतीतत कराती ह और लशवजी क मसतक पर लसथत गगा जञानयोग की उचचतर भलमका पर आरढ होन की खबर दती ह मझ ऐसा लग रहा ह कक आज बापजी क परवचनो को सनकर म गगा म गोता लगा रहा हा कयोकक उनका परवचन

उनका सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

व अलमसत फकीर ह व बड़ सरल और सहज ह व लजतन ही ऊपर स सरल ह उतन ही अतर म गढ ह उनम दहमालय जसी उचचता पववतरता शरषटठता ह और सागरतल जसी गमभीरता ह व राषटर की अमकय धरोहर ह उनह दखकर ऋवष-परमपरा का बोध होता ह गौतम कराद जलमतन कवपल दाद मीरा कबीर रदास आदद सब कभी-कभी उनम ददखत ह

र भाई कोई सतगर सत कहाव जो ननन अलख लखाव

रती उखाड़ आकाश उखाड़ अ र िड़इया ाव

श नय मशखर क पार मशला पर आसन अचल जिाव

र भाई कोई सतगर सत कहाव

ऐस पावन सालननरधय म हम बठ ह जो बड़ा दलकभ व सहज योगसवरप ह ऐस महापरष क ललए पलकतयाा याद आ रही ह- ति चलो तो चल रती चल अबर चल दतनया

ऐस महापरष चलत ह तो उनक ललए सयक चि तार गरह नकषतर आदद सब अनकल हो जात ह ऐस इलनियातीत गरातीत भावातीत शबदातीत और सब अवसथाओ स पर ककनही महापरष क शरीचररो म जब बठत ह तो भागवत कहता हः सा ना दशयन लोक सवयमसदध कर परि साधओ क दशकनमातर स ववचार ववभतत ववदवता शलकत सहजता तनववकषयता परसननता लसदचधयाा व आसमानद की परालपत होती ह

दश क महान सत यहाा सहज ही आत ह भारत क सभी शकराचायक भी आत ह मर मन म भी ववचार आया कक जहाा सब आत ह वहाा जाना चादहए कयोकक यही वह ठौर-दठकाना ह जहाा मन का अलभमान लमटाया जा सकता ह ऐस महापरषो क दशकन स कवल आनद व मसती ही नही बलकक वह सब कछ लमल जाता ह जो अलभलवषत ह आकाकषकषत ह लकषकषत ह यहाा म कररा कमकठता वववक-वरागय व जञान क दशकन कर रहा हा वरागय और भलकत क रकषर पोषर व सवधकन क ललए यह सपतऋवषयो का उततम जञान जाना जाता ह आज गगा अगर कफर स साकार ददख रही ह तो व बाप जी क ववचार व वारी म ददख रही ह अलमसतता सहजता उचचता शरषटठता पववतरता तीथक-सी शचचता लशश-सी सरलता तररो-सा जोश वदधो-सा गाभीयक और ऋवषयो जसा जञानावबोध मझ जहाा हो रहा ह वह पडाल ह इस आनदगर कहा या परमनगर कररा का सागर कहा या ववचारो का समनदर लककन इतना जरर कहागा कक मर मन का कोना-कोना आहलाददत हो रहा ह आपलोग बड़भागी ह जो ऐस महापरष क शरीचररो म बठ ह जहाा भागय का ददवय वयलकतसव का तनमाकर होता ह जीवन की कतकसयता जहाा परापत हो सकती ह वह यही दर ह

मिल ति मिली िषजल मिला िकसद और िददा भी

न मिल ति तो रह गया िददा िकसद और िषजल भी

आपका यह भावराजय व परमराजय दखकर म चककत भी हा और आनद का भी अनभव कर रहा हा मझ लगता ह कक बाप जी सबक आसमसयक ह आपक परतत मरा ववशवास व अटट तनषटठा बढ इस हत मरा नमन सवीकार कर

सवािी अव शानदजी िहाराज हररदवार

(अनिम) पावन उदगार

भगवननाि का जाद सतशरी आसारामजी बाप क यहाा सबस अचधक जनता आती ह कारर कक इनक पास भगवननाम-सकीतकन का जाद सरल वयवहार परमरसभरी वारी तथा जीवन क मल परशनो का उततर भी ह

षवरकतमशरोिरण शरी वािदवजी िहाराज

सवामी आसारामजी क पास भरातत तोड़न की दलषटट लमलती ह

यगपरि सवािी शरी परिानदजी िहाराज

आसारामजी महाराज ऐसी शलकत क धनी ह कक दलषटटपातमातर स लाखो लोगो क जञानचकष खोलन का मागक परशसत करत ह

लोकलाडल सवािी शरी बरहिानदधगरीजी िहाराज

हमार पजय आसारामजी बाप बहत ही कम समय म ससकतत का जतन और उसथान करन वाल सत ह आचायय शरी धगरीराज ककशोरजी षवशवहहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी क सतसग ि पर ानितरी शरी अिल बबहारी वाजपयीजी क उदगार

पजय बापजी क भलकतरस म डब हए शरोता भाई-बहनो म यहाा पर पजय बापजी का अलभनदन करन आया हा उनका आशीवकचन सनन आया हा भाषर दन य बकबक करन नही आया हा बकबक तो हम करत रहत ह बाप जी का जसा परवचन ह कथा-अमत ह उस

तक पहाचन क ललए बड़ा पररशरम करना पड़ता ह मन पहल उनक दशकन पानीपत म ककय थ वहाा पर रात को पानीपत म पणय परवचन समापत होत ही बापजी कटीर म जा रह थ तब उनहोन मझ बलाया म भी उनक दशकन और आशीवाकद क ललए लालातयत था सत-महासमाओ क दशकन तभी होत ह उनका सालननरधय तभी लमलता ह जब कोई पणय जागत होता ह

इस जनम म मन कोई पणय ककया हो इसका मर पास कोई दहसाब तो नही ह ककत जरर यह पवक जनम क पणयो का फल ह जो बाप जी क दशकन हए उस ददन बापजी न जो कहा वह अभी तक मर हदय-पटल पर अककत ह दशभर की पररिमा करत हए जन-जन क मन म अचछ ससकार जगाना यह एक ऐसा परम राषटरीय कतकवय ह लजसन हमार दश को आज तक जीववत रखा ह और इसक बल पर हम उजजवल भववषटय का सपना दख रह ह उस सपन को साकार करन की शलकत-भलकत एकतर कर रह ह

पजय बापजी सार दश म भरमर करक जागरर का शखनाद कर रह ह सवकधमक-समभाव की लशकषा द रह ह ससकार द रह ह तथा अचछ और बर म भद करना लसखा रह ह

हमारी जो पराचीन धरोहर थी और हम लजस लगभग भलन का पाप कर बठ थ बाप जी हमारी आाखो म जञान का अजन लगाकर उसको कफर स हमार सामन रख रह ह बापजी न कहा कक ईशवर की कपा स कर-कर म वयापत एक महान शलकत क परभाव स जो कछ घदटत होता ह उसकी छानबीन और उस पर अनसधान करना चादहए

पजय बापजी न कहा कक जीवन क वयापार म स थोड़ा समय तनकाल कर सससग म आना चादहए पजय बापजी उजजन म थ तब मरी जान की बहत इचछा थी लककन कहत ह न

कक दान-दान पर खान वाल की मोहर होती ह वस ही सत-दशकन क ललए भी कोई महतक होता ह आज यह महतक आ गया ह यह मरा कषतर ह पजय बाप जी न चनाव जीतन का तरीका भी बता ददया ह

आज दश की दशा ठीक नही ह बाप जी का परवचन सनकर बड़ा बल लमला ह हाल म हए लोकसभा अचधवशन क कारर थोड़ी-बहत तनराशा हई थी ककनत रात को लखनऊ म पणय परवचन सनत ही वह तनराशा भी आज दर हो गयी बाप जी न मानव जीवन क चरम लकषय मलकत-शलकत की परालपत क ललए परषाथक चतषटटय भलकत क ललए समपकर की भावना तथा जञान

भलकत और कमक तीनो का उकलख ककया ह भलकत म अहकार का कोई सथान नही ह जञान अलभमान पदा करता ह भलकत म परक समपकर होता ह 13 ददन क शासनकाल क बाद मन कहाः मरा जो कछ ह तरा ह यह तो बाप जी की कपा ह कक शरोता को वकता बना ददया और वकता को नीच स ऊपर चढा ददया जहाा तक ऊपर चढाया ह वहाा तक ऊपर बना रहा इसकी चचता भी बाप जी को करनी पड़गी

राजनीतत की राह बड़ी रपटीली ह जब नता चगरता ह तो यह नही कहता कक म चगर गया बलकक कहता हः हर हर गग बाप जी का परवचन सनकर बड़ा आनद आया म लोकसभा

का सदसय होन क नात अपनी ओर स एव लखनऊ की जनता की ओर स बाप जी क चररो म ववनमर होकर नमन करना चाहता हा

उनका आशीवाकद हम लमलता रह उनक आशीवाकद स परररा पाकर बल परापत करक हम कतकवय क पथ पर तनरनतर चलत हए परम वभव को परापत कर यही परभ स पराथकना ह

शरी अिल बबहारी वाजपयी पर ानितरी भारत सरकार

परि प जय बाप सत शरी आसारािजी बाप क कपा-परसाद स पररपलाषवत हदयो क उदगार

(अनिम) पावन उदगार

प बाप ः राटरसख क सव यक

पजय बाप दवारा ददया जान वाला नततकता का सदश दश क कोन-कोन म लजतना अचधक परसाररत होगा लजतना अचधक बढगा उतनी ही मातरा म राषटरसख का सवधकन होगा राषटर की परगतत होगी जीवन क हर कषतर म इस परकार क सदश की जररत ह

(शरी लालकटण आडवाणी उपपर ानितरी एव कनरीय गहितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

राटर उनका ऋणी ह भारत क भतपवक परधानमतरी शरी चनिशखर ददकली क सवरक जयनती पाकक म 25 जलाई

1999 को बाप जी की अमतवारी का रसासवादन करन क पशचात बोलः

आज पजय बाप जी की ददवय वारी का लाभ लकर म धनय हो गया सतो की वारी न हर यग म नया सदश ददया ह नयी परररा जगायी ह कलह वविोह और दवष स गरसत वतकमान वातावरर म बाप लजस तरह ससय कररा और सवदनशीलता क सदश का परसार कर रह ह इसक ललए राषटर उनका ऋरी ह (शरी चनरशखर भ तप वय पर ानितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

गरीबो व षपछड़ो को ऊपर उठान क कायय चाल रह गरीबो और वपछड़ो को ऊपर उठान का कायक आशरम दवारा चलाय जा रह ह मझ

परसननता ह मानव-ककयार क ललए ववशषतः परम व भाईचार क सदश क मारधयम स ककय जा रह ववलभनन आरधयालसमक एव मानवीय परयास समाज की उननतत क ललए सराहनीय ह

डॉ एपीजअबदल कलाि राटरपतत भारत गणततर

(अनिम) पावन उदगार

सराहनीय परयासो की सफलता क मलए ब ाई मझ यह जानकर बड़ी परसननता हई ह कक सत शरी आसारामजी आशरम नयास जन-जन

म शातत अदहसा और भरातसव का सदश पहाचान क ललए दश भर म सससग का आयोजन कर रहा ह उसक सराहनीय परयासो की सफलता क ललए म बधाई दता हा

शरी क आर नारायणन ततकालीन राटरपतत भारत गणततर नई हदलली

(अनिम) पावन उदगार

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आरधयालसमक चतना जागत और ववकलसत करन हत भारतीय एव वलशवक समाज म ददवय जञान का जो परकाशपज आपन परसफदटत ककया ह सपरक मानवता उसस आलोककत ह मढता जड़ता दवदव और तरतरतापो स गरसत इस समाज म वयापत अनासथा तथा नालसतकता का ततलमर समापत कर आसथा सयम सतोष और समाधान का जो आलोक आपन तरबखरा ह सपरक

समाज उसक ललए कतजञ ह शरी किलनाथ वारणजय एव उदयोग ितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आप सिाज की सवागीण उननतत कर रह ह आज क भागदौड़ भर सपधाकसमक यग म लपतपराय-सी हो रही आलसमक शातत का आपशरी

मानवमातर को सहज म अनभव करा रह ह आप आरधयालसमक जञान दवारा समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह व उसम धालमकक एव नततक आसथा को सदढ कर रह ह

शरी कषपल मसबबल षवजञान व परौदयोधगकी तथा िहासागर षवकास राजयितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

योग व उचच ससकार मशकषा हत भारतविय आपका धचर-आभारी रहगा

दश ववदश म भारतीय ससकतत की जञानगगाधारा बचच-बचच क ददल-ददमाग म बाप जी क तनदश पर पररचाललत होना शभकर ह ववदयाचथकयो म ससकार लसचन दवारा हमारी ससकतत और नततक लशकषा सदढ बन जायगी दश को ससकाररत बनान क ललए चलाय जान वाल योग व उचच ससकार लशकषा कायकिम हत भारतवषक आप जस महासमाओ का चचरआभारी रहगा

शरी चनरशखर साह गरािीण षवकास राजयिनतरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आपन जो कहा ह हि उसका पालन करग

आज तक कवल सना था कक तरा साई तझि ह लककन आज पजय बाप जी क सससग सनकर आज लगा - िरा साई िझि ह बापजी आपको दखकर ही शलकत आ गयी

आपको सनकर भलकत परकट हो गयी और आपक दशकन और आशीवाकद स मलकत अब सतनलशचत हो गयी पराथकना करता हा कक यही बस जाओ हम बार-बार आपक दशकन करत रह और भलकत

शलकत परापत करत हए मलकत की ओर बढत रह अब हरदय स कभी तनकल न पाओग बाप जी जो भलकत रस की सररता और जञान की गगा आपन बहायी ह वह मरधय परदश वालसयो को हमशा परररा दती रहगी हम तो भकत ह लशषटय ह आपन जो कछ बात कही ह हम उनका पालन करग हम ववशषरप स रधयान रखग कक आपन जो आजञा की ह नीम पीपल आावला जगह-जगह लग और तलसी मया का पौधा हर घर म लहराय उस आजञा का पालन हो कफर मरधय-परदश नदनवन की तरह महकगा

तीन चीज आपस माागता हा ndash सत बदचध सत मागक और सामथयक दना ताकक जनता की सचार रप स सवा कर सका शरी मशवराजमसह चौहान िखयितरी िधयपरदश

(अनिम) पावन उदगार

जब गर क साकषात दशयन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

राजमाता की वजह स महाराज बापजी स हमारा बहत पराना ररशता ह आज रामनवमी क ददन म तो मानती हा कक म तो धनय हो गयी कयोकक सबह स लकर दशकन हो रह ह महाराज आपका आशीवाकद बना रह कयोकक म राज करन क ललए नही आयी धमक और कमक को एक साथ जोड़कर म सवा करन क ललए आयी हा और वह म करती रहागी आप आत रहोग आशीवाकद दत रहोग तो हमम ऊजाक भी पदा होगी आप रासता बतात रहो और इस राजयरपी पररवार की सवा करन की शलकत दत रहो

म माफी चाहती हा कक आपक चररो म इतनी दर स पहाची लककन म मानती हा कक जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा राजय की समसयाएा हल होगी व हम लोग जनसवा क काम कर सक ग वसन राराज मसध या िखयितरी राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी सवयतर ससकार रोहर को पहचान क मलए अथक तपशचयाय कर रह ह

पजय बाप जी आप दश और दतनया ndash सवकतर ऋवष-परमपरा की ससकार-धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह अनक यगो स चलत आय मानव-ककयार क इस तपशचयाक-यजञ म आप अपन पल-पल की आहतत दत रह ह उसम स जो ससकार की ददवय जयोतत परकट हई ह उसक परकाश म म और जनता ndash सब चलत रह ह म सतो क आशीवाकद स जी रहा हा म यहाा इसललए आया हा कक लासनस ररनय हो जाय जस नवला अपन घर म जाकर औषचध साघकर ताकत लकर आता ह वस ही म समय तनकाल कर ऐसा अवसर खोज लता हा

शरी नरनर िोदी िखयितरी गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपक दशयनिातर स िझ अदभत शषकत मिलती ह पजय बाप जी क ललए मर ददल म जो शरदधा ह उसको बयान करन क ललए मर पास

कोई शबद नही ह आज क भटक समाज म भी यदद कछ लोग सनमागक पर चल रह ह तो यह इन महापरषो क अमतवचनो का ही परभाव ह बापजी की अमतवारी का ववशषकर मझ पर तो बहत परभाव पड़ता ह मरा तो मन करता ह कक बाप जी जहाा कही भी हो वही पर उड़कर उनक दशकन करन क ललए पहाच जाऊा व कछ पल ही सही उनक सालननरधय का लाभ ला आपक दशकनमातर स ही मझ एक अदभत शलकत लमलती ह शरी परकाश मसह बादल िखयितरी पजाब

(अनिम) पावन उदगार

हि सभी का कतयवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल हम सबका परम सौभागय ह कक बाप जी क दशकन हए कल आपस मलाकात हई

आशीवाकद लमला मागकदशकन भी लमला और इशारो-इशारो म आपन वह सब कछ जो सदगरदव एक लशषटय को बता सकत ह मर जस एक लशषटय को आशीवाकद रप म परदान ककया आपक आशीवाकद

व कपादलषटट स छततीसगढ म सख-शातत व समदचध रह यहाा क एक-एक वयलकत क घर म ववकास की ककरर आय

आपन जो जञानोपदश ददया ह हम सभी का कतकवय होगा कक उस रासत पर चल बापजी स खासतौर स पीपल नीम आावला व तलसी क वकष लगान क बार म कहा ह हम इस पर ववशषरप स रधयान रखग डॉ रिन मसह िखयितरी छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

आपका ितर हः आओ सरल रासता हदखाऊ राि को पान क मलए

पजय बाबा आसारामजी बाप आपका नाम आसारामजी बाप इसललए तनकला ह कयोकक आपका यही मतर ह कक आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए आज हम धनय ह कक सससग म आय सससग उस कहत ह लजसक सग म हम सत हो जाय पजय बाप जी न हम भगवान को पान का सरल रासता ददखाया ह इसललए म जनता की ओर स बापजी का धनयवाद करता हा शरी ईएसएल नरमसमहन राजयपाल छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

सतो क िागयदशयन ि दश चलगा तो आबाद होगा पजय बाप जी म कमकयोग भलकतयोग तथा जञानयोग तीनो का ही समावश ह आप

आज करोड़ो-करोड़ो भकतो का मागकदशकन कर रह ह सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा म तो बड़-बड़ नताओ स यही कहता हा कक आप सतो का आशीवाकद जरर लो इनक चररो म अगर रहग तो सतता रहगी दटकगी तथा उसी स धमक की सथापना होगी

शरी अशोक मसघल अधयकष षवशव हहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

सतय का िागय कभी न छ ि ऐसा आशीवायद दो

हम आपक मागकदशकन की जररत ह वह सतत लमलता रह आपन हमार कधो पर जो जवाबदारी दी ह उस हम भली परकार तनभाय बर मागक पर न जाय ससय क मागक पर चल लोगो की अचछ ढग स सवा कर ससकतत की सवा कर ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

शरी उद व ठाकर काययकारी अधयकष मशवसना

(अनिम) पावन उदगार

पणयोदय पर सत सिागि

जीवन की दौड़-धप स कया लमलता ह यह हम सब जानत ह कफर भी भौततकवादी ससार म हम उस छोड़ नही पात सत शरी आसारामजी जस ददवय शलकतसमपनन सत पधार और हमको आरधयालसमक शातत का पान कराकर जीवन की अधी दौड़ स छड़ाय ऐस परसग कभी-कभी ही परापत होत ह य पजनीय सतशरी ससार म रहत हए भी परकतः ववशवककयार क ललए चचनतन करत ह कायक करत ह लोगो को आनदपवकक जीवन वयतीत करन की कलाएा और योगसाधना की यलकतयाा बतात ह

आज उनक समकष थोड़ी ही दर बठन स एव सससग सनन स हमलोग और सब भल गय ह तथा भीतर शातत व आनद का अनभव कर रह ह ऐस सतो क दरबार म पहाचना पणयोदय का फल ह उनह सनकर हमको लगता ह कक परततददन हम ऐस सससग क ललए कछ समय अवशय तनकालना चादहए पजय बाप जी जस महान सत व महापरष क सामन म अचधक कया कहा चाह कछ भी कहा वह सब सयक क सामन चचराग ददखान जसा ह

शरी िोतीलाल वोरा अरखल भारतीय कागरस कोिाधयकष प वय िखयितरी (िपर) प वय राजयपाल (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी जहा नही होत वहा क लोगो क मलए भी बहत कछ करत ह

सार दश क लोग पजय बापजी क आशीवकचनो की पावन गगा म नहा कर धनय हो रह ह आज बापजी यहाा उड़ीसा म सससग-अमत वपलान क ललए उपलसथत ह व जब यहाा नही होत

ह तब भी उड़ीसा क लोगो क बहत कछ करत ह उनको सब समय याद करत ह उड़ीसा क दररिनारायरो की तन-मन-धन स सवा दर-दराज म भी चलात ह

शरी जानकीवललभ पिनायक िखयितरी उड़ीसा

(अनिम) पावन उदगार

जीवन की सचची मशकषा तो प जय बाप जी ही द सकत ह बापजी ककतन परमदाता ह कक कोई भी वयलकत समाज म दःखी न रह इसललए सतत

परयसन करत रहत ह म हमशा ससकार चनल चाल करक आपक आशीवाकद लन क बाद ही सोती हा जीवन की सचची लशकषा तो हम भी नही द पा रह ह ऐसी लशकषा तो पजय सत शरी आसारामजी बाप जस सत लशरोलमरी ही द सकत ह

आनदीबहन पिल मशकषाितरी (प वय) राजसव एव िागय व िकान ितरी (वतयिान) गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपकी कपा स योग की अणशषकत पदा हो रही ह अनक परकार की ववकततयाा मानव क मन पर सामालजक जीवन पर ससकार और

ससकतत पर आिमर कर रही ह वसततः इस समय ससकतत और ववकतत क बीच एक महासघषक चल रहा ह जो ककसी सरहद क ललए नही बलकक ससकारो क ललए लड़ा जा रहा ह इसम ससकतत को लजतान का बम ह योगशलकत ह गरदव आपकी कपा स इस योग की ददवय अरशलकत लाखो लोगो म पदा हो रही ह य ससकतत क सतनक बन रह ह

गरदव म आपस पराथकना करता हा कक शासन क अदर भी धमक और वरागय क ससकार उसपनन हो आपस आशीवाकद परापत करन क ललए म आपक चररो म आया हा

(शरी अशोकभाई भटि कान नितरी गजरात राजय)

(अनिम) पावन उदगार

रती तो बाप जस सतो क कारण हिकी ह

मझ सससग म आन का मौका पहली बार लमला ह और पजय बापजी स एक अदभत बात मझ और आप सब को सनन को लमली ह वह ह परम की बात इस सलषटट का जो मल तवव ह वह ह परम यह परम नाम का तवव यदद न हो तो सलषटट नषटट हो जाएगी लककन ससार म कोई परम करना नही जानता या तो भगवान पयार करना जानत ह या सत पयार करना जानत ह लजसको ससारी लोग अपनी भाषा म परम कहत ह उसम तो कही-न-कही सवाथक जड़ा होता ह लककन भगवान सत और गर का परम ऐसा होता ह लजसको हम सचमच परम की पररभाषा म बााध सकत ह म यह कह सकती हा कक साध सतो को दश की सीमाएा नही बााधती जस नददयो की धाराएा दश और जातत की सीमाओ म नही बााधती उसी परकार परमासमा का परम और सतो का आशीवाकद भी कभी दश जातत और सपरदाय की सीमाओ म नही बधता कललयग म हदय की तनषटकपटता तनःसवाथक परम सयाग और तपसया का कषय होन लगा ह कफर भी धरती दटकी ह तो बाप इसललए कक आप जस सत भारतभलम पर ववचरर करत ह बाप की कथा म ही मन यह ववशषता दखी ह कक गरीब और अमीर दोनो को अमत क घाट एक जस पीन को लमलत ह यहाा कोई भदभाव नही ह

(सशरी उिा भारती िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

ि किनसीब ह जो इतन सिय तक गरवाणी स वधचत रहा परम पजय गरदव क शरी चररो म सादर परराम मन अभी तक महाराजशरी का नाम

भर सना था आज दशकन करन का अवसर लमला ह लककन म अपन-आपको कमनसीब मानता हा कयोकक दर स आन क कारर इतन समय तक गरदव की वारी सनन स वचचत रहा अब मरी कोलशश रहगी कक म महाराजशरी की अमतवारी सनन का हर अवसर यथासमभव पा सका म ईशवर स यही पराथकना करता हा कक व हम ऐसा मौका द कक हम गर की वारी को सनकर अपन-आपको सधार सक गर जी क शरी चररो म सादर समवपकत होत हए मरधयपरदश की जनता की ओर स पराथकना करता हा कक गरदव आप इस मरधयपरदश म बार-बार पधार और हम लोगो को आशीवाकद दत रह ताकक परमाथक क उस कायक म जो आपन पर दश म ही नही दश क बाहर भी फलाया ह मरधयपरदश क लोगो को भी जड़न का जयादा-स-जयादा अवसर लमल

(शरी हदषगवजय मसह ततकालीन िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

इतनी ि र वाणी इतना अदभत जञान म अपनी ओर स तथा यहाा उपलसथत सभी महानभावो की ओर स परम शरदधय

सतलशरोमखर बाप जी का हाददकक सवागत करता हा मन कई बार टीवी पर आपको दखा सना ह और ददकली म एक बार आपका परवचन भी सना ह इतनी मधर वारी इतना मधर जञान अगर आपक परवचन पर गहराई स ववचार करक अमल ककया जाय तो इनसान को लजदगी म सही रासता लमल सकता ह व लोग धन भागी ह जो इस यग म ऐस महापरष क दशकन व सससग स अपन जीवन-समन खखलात ह

(शरी भजनलाल ततकालीन िखयितरी हररयाणा)

(अनिम) पावन उदगार

सतसग शरवण स िर हदय की सफाई हो गयी पजयशरी क दशकन करन व आशीवाकद लन हत आय हए उततरपरदश क तसकालीन राजयपाल

शरी सरजभान न कहाः समशानभलम स आन क बाद हम लोग शरीर की शदचध क ललए सनान कर लत ह ऐस ही ववदशो म जान क कारर मझ पर दवषत परमार लग जात थ परत वहाा स लौटन क बाद यह मरा परम सौभागय ह कक यहाा महाराज शरी क दशकन व पावन सससग-शरवर करन स मर चचतत की सफाई हो गयी ववदशो म रह रह अनको भारतवासी पजय बाप क परवचनो को परसयकष या परोकष रप स सन रह ह मरा यह सौभागय ह कक मझ यहाा महाराजशरी को सनन का सअवसर परापत हआ

(शरी स रजभान ततकालीन राजयपाल उततरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी उततराचल राजय का सौभागय ह कक इस दवभमी म दवता सवरप पजय बापजी का आशरम बन रहा ह | आप ऐसा आशरम बनाय जसा कही भी न हो | यह हम लोगो का सौभागय ह कक अब पजय बापजी की जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी ह | अब गगा जाकर दशकन करन व सनान करन की उतनी आवशयकता नही ह लजतनी सत शरी आसारामजी बाप क चररो म बठकर

उनक आशीवाकद लन की ह |

-शरी तनतयानद सवािीजी

ततकालीन िखयितरी उततराचल

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी क सतसग स षवशवभर क लोग लाभाषनवत भारतभलम सदव स ही ऋवष-मतनयो तथा सत-महासमाओ की भलम रही ह लजनहोन ववशव

को शातत एव अरधयासम का सदश ददया ह आज क यग म पजय सत शरी आसारामजी अपनी अमतवारी दवारा ददवय आरधयालसमक सदश द रह ह लजसस न कवल भारत वरन ववशवभर म लोग लाभालनवत हो रह ह

(शरी सरजीत मसह बरनाला राजयपाल आनरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

प री डडकशनरी याद कर षवशव ररकॉडय बनाया ऑकसफोडक एडवास लनकसक डडकशनरी (अगरजी छठा ससकरर) क 80000 शबदो को उनकी

पषटठ सखया सदहत मन याद कर ललया जो कक समसत ववशव क ललए ककसी चमसकार स कम नही ह फलसवरप मरा नाम ललमका बक ऑफ वकडक ररकॉडकस म दजक हो गया यही नही जी टीवी पर ददखाय जान वाल ररयाललटी शो म शाबाश इडडया म भी मन ववशव ररकॉडक बनाया द वीक पतरतरका क एक सवकषर म भी मरा नाम 25 अदभत वयलकतयो की सची म ह

मझ पजय गरदव स मतरदीकषा परापत होना भरामरी परारायाम सीखन को लमलना तथा अपनी कमजोरी को ही महानता परापत करन का साधन बनान की परररा कला बल एव उससाह परापत होना ndash यह सब तो गरदव की अहतकी कपा का ही चमसकार ह गरकपा ही कवल मशटयसय पर िगलि

षवरनर िहता अजयन नगर रोहतक (हरर)

(अनिम) पावन उदगार

ितरदीकषा व यौधगक परयोगो स बदध का अपरतति षवकास

पहल म एक साधारर छातर था मझ लगभग 50-55 परततशत अक ही लमलत थ 11वी ककषा म तो ऐसी लसथतत हई कक सकल का नाम खराब न हो इसललए परधानारधयापक न मर अलभभावको को बलाकर मझ सकल स तनकाल दन तक की बात कही थी बाद म मझ पजय बाप जी स सारसवसय मतर की दीकषा लमली इस मतर क जप व बापजी दवारा बताय गय परयोगो क अभयास स कछ ही समय म मरी बदचधशलकत का अपरततम ववकास हआ तसपशचात नोककया मोबाइल कपनी म गलोबल सववकसस परोडकट मनजर क पद पर मरी तनयलकत हई और मन एक पसतक ललखी जो अतराकषटरीय कपतनयो को सकयलर नटवकक की डडजाईन बनान म उपयोगी हो रही ह एक ववदशी परकाशन दवारा परकालशत इस पसतक की कीमत 110 डॉलर (करीब 4500 रपय) ह इसक परकाशन क बाद मरी पदोननती हई और अब ववशव क कई दशो म मोबाइल क कषतर म परलशकषर दन हत मझ बलात ह कफर मन एक और पसतक ललखी लजसकी 150 डॉलर (करीब 6000 रपय) ह यह पजयशरी स परापत सारसवसय मतरदीकषा का ही पररराम ह

अजय रजन मिशरा जनकपरी हदलली

(अनिम) पावन उदगार

सतसग व ितरदीकषा न कहा स कहा पहचा हदया पहल म भस चराता था रोज सबह रात की रखी रोटी पयाज नमक और मोतरबल ऑयल

क डडबब म पानी लकर तनकालता व दोपहर को वही खाता था आचथकक लसथतत ठीक न होन स टायर की ढाई रपय वाली चपपल पहनता था

12वी म मझ कवल 60 परततशत अक परापत हए थ उसक बाद मन इलाहाबाद म इजीतनयररग म परवश ललया तब म अजञानवश सतो का ववरोध करता था सतो क ललए जहर उगलन वाल मखो क सग म आकर म कछ-का-कछ बकता था लककन इलाहाबाद म पजय बाप जी का सससग आयोलजत हआ तो सोचा 5 लमनट बठत ह वहाा बठा तो बठ ही गया कफर मझ बापजी दवारा सारसवसय मतर लमला मरी सझबझ म सदगर की कपा का सचार हआ मन सववचध मतर-अनषटठान ककया छठ ददन मर आजञाचि म कमपन होन लगा था म एक साल तक

एकादशी क तनजकल वरत व जागरर करत हए शरी आसारामायर शरी ववषटर सहसरनाम गजनिमोकष का पाठ व सारसवसय मतर का जप करता था रात भर म यही पराथकना करता था बस परभ मझ गर जी स लमला दो

परभकपा स अब मरा उददशय परा हो गया ह इस समय म गो एयर (हवाई जहाज कमपनी) म इजीतनयर हा महीन भर का करीब एक लाख 80 हजार पाता हा कछ ददनो म तनखवाह ढाई लाख हो जायगी गर जी न भस चरान वाल एक गरीब लड़क को आज लसथतत म पहाचा ददया ह

कषकषततज सोनी (एयरकराफि इजीतनयर) हदलली

(अनिम) पावन उदगार

5 विय क बालक न चलायी जोरखि भरी सड़को पर कार

मन पजय बापजी स सारसवसय मतर की दीकषा ली ह जब म पजा करता हा बापजी मरी तरफ पलक झपकात ह म बापजी स बात करता हा म रोज दस माला करता हा म बापजी स जो माागता हा वह मझ लमल जाता ह मझ हमशा ऐसा एहसास होता ह कक बापजी मर साथ ह

5 जलाई 2005 को म अपन दोसतो क साथ खल रहा था मरा छोटा भाई छत स नीच चगर गया उस समय हमार घर म कोई बड़ा नही था इसललए हम सब बचच डर गय इतन म पजय बापजी की आवाज आयी कक ताश इस वन म तरबठा और वन चलाकर हॉलसपटल ल जा उसक बाद मन अपनी दीददयो की मदद स दहमाश को वन म ललटाया गाड़ी कसी चली और असपताल कस पहाची मझ नही पता मझ रासत भर ऐसा एहसास रहा कक बापजी मर साथ बठ ह और गाड़ी चलवा रह ह (घर स असपताल का 5 ककमी स अचधक ह)

ताश बसोया राजवीर कॉलोनी हदलली ndash 16

(अनिम) पावन उदगार

ऐस सतो का षजतना आदर ककया जाय कि ह

ककसी न मझस कहा थाः रधयान की कसट लगाकर सोयग तो सवपन म गरदव क दशकन होगrsquo

मन उसी रात रधयान की कसट लगायी और सनत-सनत सो गया उस वकत रातरतर क बारह-साढ बारह बज होग वकत का पता नही चला ऐसा लगा मानो ककसी न मझ उठा ददया म गहरी नीद स उठा एव गर जी की लपवाल फोटो की तरफ टकटकी लगाकर एक-दो लमनट तक दखता रहा इतन म आशचयक टप अपन-आप चल पड़ी और कवल य तीन वाकय सनन को लमलः lsquoआसमा चतनय ह शरीर जड़ ह शरीर पर अलभमान मत करोrsquo

टप सवतः बद हो गयी और पर कमर म यह आवाज गाज उठी दसर कमर म मरी पसनी की भी आाख खल गयी और उसन तो यहाा तक महसस ककया जस कोई चल रहा ह व गरजी क लसवाय और कोई नही हो सकत

मन कमर की लाइट जलायी और दौड़ता हआ पसनी क पास गया मन पछाः lsquoसनाrsquo वह बोलीः lsquoहााrsquo

उस समय सबह क ठीक चार बज थ सनान करक म रधयान म बठा तो डढ घणट तक बठा रहा इतना लबा रधयान तो मरा कभी नही लगा इस घटना क बाद तो ऐसा लगता ह कक गरजी साकषात बरहमसवरप ह उनको जो लजस रप म दखता ह वस व ददखत ह

मरा लमतर पाशचासय ववचारधारावाला ह उसन गरजी का परवचन सना और बोलाः lsquoमझ तो य एक बहत अचछ लकचरर लगत हrsquo

मन कहाः lsquoआज जरर इस पर गरजी कछ कहगrsquo

यह सरत आशरम म मनायी जा रही जनमाषटटमी क समय की बात ह हम कथा म बठ गरजी न कथा क बीच म ही कहाः lsquoकछ लोगो को म लकचरर ददखता हा कछ को lsquoपरोफसरrsquo ददखता हा कछ को lsquoगरrsquo ददखता हा और वसा ही वह मझ पाता हrsquo

मर लमतर का लसर शमक स झक गया कफर भी वह नालसतक तो था ही उसन हमार तनवास पर मजाक म गरजी क ललए कछ कहा तब मन कहाः यह ठीक नही ह अबकी बार मान जा नही तो गर जी तझ सजा दग

15 लमनट म ही उसक घर स फोन आ गया कक बचच की तबीयत बहत खराब ह उस असपताल म दाखखल करना पड़ रहा ह

तब मर लमतर की सरत दखन लायक थी वह बोलाः गकती हो गयी अब म गर जी क ललए कछ नही कहागा मझ चाह ववशवास हो या न हो

अखबारो म गर जी की तनदा ललखनवाल अजञानी लोग नही जानत कक जो महापरष भारतीय ससकतत को एक नया रप द रह ह कई सतो की वाखरयो को पनजीववत कर रह ह लोगो क शराब-कबाब छड़वा रह ह लजनस समाज का ककयार हो रहा ह उनक ही बार म हम हलकी बात ललख रह ह यह हमार दश क ललए बहत ही शमकजनक बात ह ऐस सतो का तो लजतना आदर ककया जाय वह कम ह गरजी क बार म कछ भी बखान करन क ललए मर पास शबद नही ह

(डॉ सतवीर मसह छाबड़ा बीबीईएि आकाशवाणी इनदौर)

(अनिम) पावन उदगार

िझ तनवययसनी बना हदया म वपछल कई वषो स तमबाक का वयसनी था और इस दगकर को छोड़न क ललए मन

ककतन ही परयसन ककय पर म तनषटफल रहा जनवरी 1995 म पजय बाप जब परकाशा आशरम (महा) पधार तो म भी उनक दशकनाथक वहाा पहाचा और उनस अनऱोध ककयाः

बाप ववगत 32 वषो स तमबाक का सवन कर रहा हा अनक परयसनो क बाद भी इस दगकर स म मकत न हो सका अब आप ही कपा कीलजएrsquo

पजय बाप न कहाः lsquoलाओ तमबाक की डडबबी और तीन बार थककर कहो कक आज स म तमबाक नही खाऊा गाrsquo

मन पजय बाप जी क तनदशानसार वही ककया और महान आशचयक उसी ददन स मरा तमबाक खान का वयसन छट गया पजय बाप की ऐसी कपादलषटट हई कक वषक परा होन पर भी मझ कभी तमबाक खान की तलब नही लगी

म ककन शबदो म पजय बाप का आभार वयकत करा मर पास शबद ही नही ह मझ आननद ह कक इन राषटरसत न बरबाद व नषटट होत हए मर जीवन को बचाकर मझ तनवयकसनी ददया

(शरी लखन भिवाल षज मलया िहाराटर)

(अनिम) पावन उदगार

गरजी की तसवीर न पराण बचा मलय

कछ ही ददनो पहल मरा दसरा बटा एम ए पास करक नौकरी क ललय बहत जगह घमा बहत जगह आवदन-पतर भजा ककनत उस नौकरी नही लमली | कफर उसन बापजी स दीकषा ली | मन आशरम का कछ सामान कसट सतसादहसय लाकर उसको दत हए कहा शहर म जहाा मददर ह जहाा मल लगत ह तथा जहाा हनमानजी का परलसदध दकषकषरमखी मददर ह वहा सटाल लगाओ | बट न सटाल लगाना शर ककया | ऐस ही एक सटाल पर जलगाव क एक परलसदध वयापारी अगरवालजी आय बापजी की कछ कसट खरीदी और ईशवर की ओर नामक पसतक भी साथ म ल गय पसतक पढी और कसट सनी | दसर ददन व कफर आय और कछ सतसादहसय खरीद कर ल गय व पान क थोक वविता ह | उनको पान खान की आदत ह | पसतक पढकर उनह लगा म पान छोड़ दा | उनकी दकान पर एक आदमी आया | पाचसौ रपयो का सामान खरीदा और उनका फोन नमबर ल गया | एक घट क बाद उसन दकान पर फोन ककया सठ अगरवालजी मझ आपका खन करन का काम सौपा गया था | काफी पस (सपारी) भी ददय गय थ और म तयार भी हो गया था पर जब म आपकी दकान पर पहचा तो परम पजय सत शरी आसारामजी बाप क चचतर पर मरी नजर पड़ी | मझ ऐसा लगा मानो साकषात बाप बठ हो और मझ नक इनसान बनन की परररा द रह हो गरजी की तसवीर न (तसवीर क रप म साकषात गरदव न आकर) आपक परार बचा ललय | अदभत चमसकार ह ममबई की पाटी न उसको पस भी ददय थ और वह आया भी था खन करन क इराद स परनत जाको राख साइयाा चचतर क दवार भी अपनी कपा बरसान वाल ऐस गरदव क परसयकष दशकन करन क ललय वह यहाा भी आया ह |

-बालकटण अगरवाल

जलगाव िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

सदगर मशटय का साथ कभी नही छोड़त एक रात म दकान स सकटर दवारा अपन घर जा रहा था | सकटर की डडककी म काफी

रपय रख हए थ | जयो ही घर क पास पहचा तो गली म तीन बदमाश लमल | उनहोन मझ घर ललया और वपसतौल ददखायी | सकटर रकवाकर मर लसर पर तमच का बट मार ददया और धकक मार कर मझ एक तरफ चगरा ददया | उनहोन सोचा होगा कक म अकला ह पर लशषटय जब सदगर स मतर लता ह शरदधा-ववशवास रखकर उसका जप करता ह तब सदगर उसका साथ नही छोड़त |

मन सोचा डडककी म बहत रपय ह और य बदमाश तो सकटर ल जा रह ह | मन गरदव स पराथकना की | इतन म व तीनो बदमाश सकटर छोड़कर थला ल भाग | घर जाकर खोला होगा तो सबजी और खाली दटकफ़न दखकर लसर कटा पता नही पर बड़ा मजा आया होगा | मर पस बच गयउनका सबजी का खचक बच गया |

-गोकलचनर गोयल

आगरा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स अ ापन द र हआ

मझ गलकोमा हो गया था | लगभग पतीस साल स यह तकलीफ़ थी | करीब छः साल तक तो म अधा रहा | कोलकाता चननई आदद सब जगहो पर गया शकर नतरालय म भी गया ककनत वहा भी तनराशा हाथ लगी | कोलकाता क सबस बड़ नतर-ववशषजञ क पास गया | उसन भी मना कर ददया और कहा | धरती पर ऐसा कोई इनसान नही जो तमह ठीक कर सक | लककन सरत आशरम म मझ गरदव स मतर लमला | वह मतर मन खब शरदधा-ववशवासपवकक जपा कयोकक सकषात बरहमसवरप गरदव स वह मतर लमला था | करीब छः-सात महीन ही जप हआ था कक मझ थोड़ा-थोड़ा ददखायी दन लगा | डॉकटर कहत थ कक तमको भरातत हो गयी ह पर मझ तो अब भी अचछी तरह ददखता ह | एक बार एक अनय भयकर दघकटना स भी गरदव न मझ बचाया था |

ऐस गरदव का ॠर हम जनमो-जनमो तक नही चका सकत |

-शकरलाल िहशवरी कोलकाता

(अनिम) पावन उदगार

और डकत घबराकर भाग गय

१४ जलाई ९९ को करीब साढ तीन बज मर मकान म छः डकत घस आय और उस समय दभाकगय स बाहर का दरवाजा खला हआ था | दो डकत बाहर मारतत चाल रखकर खड़ थ |

एक डकत न धकका दकर मरी माा का माह बद कर ददया और अलमारी की चाबी माागन लगा |

इस घटना क दौरान म दकान पर था | मरी पसनी को भी डकत धमकान लग और आवाज न करन को कहा | मरी पसनी न पजय बापजी क चचतर क सामन हाथ जोड़कर पराथकना की अब आप ही रकषा करो इतना ही कहा तो आशचयक आशचयक परम आशचयक व सब डकत घबराकर भागन लग | उनकी हड़बड़ाहट दखकर ऐसा लग रहा था मानो उनह कछ ददखायी नही द रहा था | व भाग गय | मरा पररवार गरदव का ॠरी ह | बापजी क आशीवाकद स सब सकशल ह |

हमन १५ नवमबर ९८ को वारारसी म मतरदीकषा ली थी |

-िनोहरलाल तलरजा

४ झललाल नगर मशवाजी नगर

वाराणसी

(अनिम) पावन उदगार

ितर दवारा ितदह ि पराण-सचार

म शरी योग वदानत सवा सलमतत आमट स जीप दवारा रवाना हआ था | ११ जलाई १९९४ को मरधयानह बारह बज हमारी जीप ककसी तकनीकी तरदट क कारर तनयतरर स बाहर होकर तीन पलकटयाा खा गयी | मरा परा शरीर जीप क नीच दब गया | ककसी तरह मझ बाहर तनकाला गया |

एक तो दबला पतला शरीर और ऊपर स परी जीप का वजन ऊपर आ जान क कारर मर शरीर क परसयक दहसस म असहय ददक होन लगा | मझ पहल तो कसररयाजी असपताल म दाखखल कराया गया | जयो-जयो उपचार ककया गया कषटट बढता ही गया कयोकक चोट बाहर नही शरीर क भीतरी दहससो म लगी थी और भीतर तक डॉकटरो का कोई उपचार काम नही कर रहा था | जीप क नीच दबन स मरा सीना व पट ववशष परभाववत हए थ और हाथ-पर म कााच क टकड़ घस गय थ | ददक क मार मझ साास लन म भी तकलीफ हो रही थी | ऑकसीजन ददय जान क बाद भी दम घट रहा था और मसय की घडडयाा नजदीक ददखायी पड़न लगी | म मररासनन लसथतत म

पहाच गया | मरा मसय-परमारपतर बनान की तयाररयाा कक जान लगी व मझ घर ल जान को कहा गया | इसक पवक मरा लमतर पजय बाप स फ़ोन पर मरी लसथतत क समबनध म बात कर चका था | परारीमातर क परम दहतषी दयाल सवभाव क सत पजय बाप न उस एक गपत मतर परदान करत हए कहा था कक पानी म तनहारत हए इस मतर का एक सौ आठ बार (एक माला) जप करक वह पानी मनोज को एव दघकटना म घायल अनय लोगो को भी वपला दना | जस ही वह अलभमतरतरत जल मर माह म डाला गया मर शरीर म हलचल होन क साथ ही वमन हआ | इस अदभत चमसकार स ववलसमत होकर डॉकटरो न मझ तरत ही ववशष मशीनो क नीच ल जाकर ललटाया |

गहन चचककससकीय परीकषर क बाद डॉकटरो को पता चला कक जीप क नीच दबन स मरा परा खन काला पड़ गया था तथा नाड़ी-चालन (पकस) हदयगतत व रकत परवाह भी बद हो चक थ |

मर शरीर का समपरक रकत बदल ददया गया तथा आपरशन भी हआ | उसक ७२ घट बाद मझ होश आया | बहोशी म मझ कवल इतना ही याद था की मर भीतर पजय बाप दवारा परदतत गरमतर का जप चल रहा ह | होश म आन पर डॉकटरो न पछा तम आपरशन क समय बापबाप पकार रह थ | य बाप कौन ह मन बताया व मर गरदव परातः समररीय परम पजय सत शरी असारामजी बाप ह | डॉकटरो न पनः मझस परशन ककया कया तम कोई वयायाम करत हो मन कहा म अपन गरदव दवारा लसखायी गयी ववचध स आसन व परारायाम करता हा | व बोल इसीललय तमहार इस दबल-पतल शरीर न यह सब सहन कर ललया और तम मरकर भी पनः लजनदा हो उठ दसरा कोई होता तो तरत घटनासथल पर ही उसकी हडडडयाा बाहर तनकल जाती और वह मर जाता | मर शरीर म आठ-आठ नललयाा लगी हई थी | ककसीस खन चढ रहा था तो ककसी स कतरतरम ऑकसीजन ददया जा रहा था | यदयवप मर शरीर क कछ दहससो म अभी-भी कााच क टकड़ मौजद ह लककन गरकपा स आज म परक सवसथ होकर अपना वयवसाय व गरसवा दोनो कायक कर रह हा | मरा जीवन तो गरदव का ही ददया हआ ह | इन मतरदषटटा महवषक न उस ददन मर लमतर को मतर न ददया होता तो मरा पनजीवन तो समभव नही था | पजय बाप मानव-दह म ददखत हए भी अतत असाधारर महापरष ह | टललफ़ोन पर ददय हए उनक एक मतर स ही मर मत शरीर म पनः परारो का सचार हो गया तो लजन पर बाप की परसयकष दलषटट पड़ती होगी व लोग ककतन भागयशाली होत होग ऐस दयाल जीवनदाता सदगर क शरीचररो म कोदट-कोदट दडवत परराम

-िनोज किार सोनी

जयोतत िलसय लकषिी बाजार आिि राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस मिली मरी दादहनी आाख स कम ददखायी दता था तथा उसम तकलीफ़ भी थी | रधयानयोग

लशववर ददकली म पजय गरदव मवा बााट रह थ तब एक मवा मरी दादहनी आाख पर आ लगा |

आाख स पानी तनकलन लगा | पर आशचयक दसर ही ददन स आाख की तकलीफ लमट गयी और अचछी तरह ददखायी दन लगा | -राजकली दवी

असनापर लालगज अजारा षज परतापगढ़ उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

बड़दादा की मिटिी व जल स जीवनदान

अगसत ९८ म मझ मलररया हआ | उसक बाद पीललया हो गया | मर बड़ भाई न आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म स पीललया का मतर पढकर पीललया तो उतार ददया परत कछ ही ददनो बाद अगरजी दवाओ क ररएकषन स दोनो ककडतनयाा फल (तनलषटिय) हो गई | मरा हाटक (हदय) और लीवर (यकत) भी फल होन लग | डॉकटरो न तो कह ददया यह लड़का बच नही सकता | कफर मझ गोददया स नागपर हॉलसपटल म ल जाया गया लककन वहाा भी डॉकटरो न जवाब द ददया कक अब कछ नही हो सकता | मर भाई मझ वही छोड़कर सरत आशरम आय

वदयजी स लमल और बड़दादा की पररिमा करक पराथकना की तथा वहाा की लमटटी और जल ललया | ८ तारीख को डॉकटर मरी ककडनी बदलन वाल थ | जब मर भाई बड़दादा को पराथकना कर रह थ तभी स मझ आराम लमलना शर हो गया था | भाई न ७ तारीख को आकर मझ बड़दादा कक लमटटी लगाई और जल वपलाया तो मरी दोनो ककडनीयाा सवसथ हो गयी | मझ जीवनदान लमल गया | अब म तरबककल सवसथ हा |

-परवीण पिल

गोहदया िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप न फ का कपा-परसाद

कछ वषक पवक पजय बाप राजकोट आशरम म पधार थ | मझ उन ददनो तनकट स दशकन करन का सौभागय लमला | उस समय मझ छाती म एनजायना पकसटोररस क कारर ददक रहता था | सससग परा होन क बाद कछ लोग पजय बाप क पास एक-एक करक जा रह थ | म कछ फल-फल नही लाया था इसललए शरदधा क फल ललय बठा था | पजय बाप कपा-परसाद फ क रह थ कक इतन म एक चीक मरी छाती पर आ लगा और छाती का वह ददक हमशा क ललए लमट गया |

-अरषवदभाई वसावड़ा

राजकोि

(अनिम) पावन उदगार

बिी न िनौती िानी और गरकपा हई

मरी बटी को शादी ककय आठ साल हो गय थ | पहली बार जब वह गभकवती हई तब बचचा पट म ही मर गया | दसरी बार बचची जनमी पर छः महीन म वह भी चल बसी | कफर मरी पसनी न बटी स कहा अगर त सककप कर कक जब तीसरी बार परसती होगी तब तम बालक की जीभ पर बापजी क बतान क मतातरबक lsquoॐrsquo ललखोगी तो तरा बालक जीववत रहगा ऐसा मझ ववशवास ह कयोकक ॐकार मतर म परमानदसवरप परभ ववराजमान ह | मरी बटी न इस परकार मनौती मानी और समय पाकर वह गभकवती हई | सोनोगराफ़ी करवायी गयी तो डॉकटरो न बताया गभक म बचची ह और उसक ददमाग म पानी भरा हआ ह | वह लजदा नही रह सकगी |

गभकपात करवा दो | मरी बटी न अपनी माा स सलाह की | उसकी माा न कहा गभकपात का महापाप नही करवाना ह | जो होगा दखा जायगा | गरदव कपा करग | जब परसती हई तो तरबककल पराकततक ढग स हई और उस बचची की जीभ पर शहद एव लमशरी स ॐ ललखा गया | आज वह तरबककल ठीक ह | जब उसकी डॉकटरी जााच करवायी गयी तो डॉकटर आशचयक म पड़ गय सोनोगराफ़ी म जो बीमाररयाा ददख रही थी व कहाा चली गयी ददमाग का पानी कहाा चला गया

दहनदजा हॉलसपटलवाल यह कररशमा दखकर दग रह गय अब घर म जब कोई दसरी कोई कसट चलती ह तो वह बचची इशारा करक कहती ह ॐवाली कसट चलाओ | वपछली पनम को हम मबई स टाटा समो म आ रह थ | बाढ क पानी क कारर रासता बद था | हम सोच म पड़ गय कक पनम का तनयम टटगा | हमन गरदव का समरर ककया | इतन म हमार डराइवर न हमस पछा जान दा हमन भी गरदव का समरर करक कहा जान दो और हरर हरर ॐ कीतकन की कसट लगा दो | गाड़ी आग चली | इतना पानी कक हम जहाा बठ थ वहाा तक पानी आ गया |

कफर भी हम गरदव क पास सकशल पहाच गय और उनक दशकन ककय|

-िरारीलाल अगरवाल

साताकर ज िबई

(अनिम) पावन उदगार

और गरदव की कपा बरसी जबस सरत आशरम की सथापना हई तबस म गरदव क दशकन करत आ रहा हा उनकी

अमतवारी सनता आ रहा हा | मझ पजयशरी स मतरदीकषा भी लमली ह | परारबधवश एक ददन मर साथ एक भयकर दघकटना घटी | डॉकटर कहत थ आपका एक हाथ अब काम नही करगा | म अपना मानलसक जप मनोबल स करता रहा | अब हाथ तरबककल ठीक ह | उसस म ७० ककगरा वजन उठा सकता हा | मरी समसया थी कक शादी होन क बाद मझ कोई सतान नही थी | डॉकटर कहत थ कक सतान नही हो सकती | हम लोगो न गरकपा एव गरमतर का सहारा ललया रधयानयोग लशववर म आय और गरदव की कपा बरसी | अब हमारी तीन सतान ह दो पतरतरयाा और एक पतर | गरदव न ही बड़ी बटी का नाम गोपी और बट का नाम हररककशन रखा ह | जय हो सदगरदव की

-हसिख काततलाल िोदी

५७ अपना घर सोसायिी सदर रोड़ स रत

(अनिम) पावन उदगार

गरदव न भजा अकषयपातर

हम परचारयातरा क दौरान गरकपा का जो अदभत अनभव हआ वह अवरकनीय ह | यातरा की शरआत स पहल ददनाक ८-११-९९ को हम पजय गरदव क आशीवाकद लन गय | गरदव न कायकिम क ववषय म पछा और कहा पचड़ आशरम (रतलाम) म भडारा था | उसम बहत सामान बच गया ह | गाड़ी भजकर मागवा लना गरीबो म बााटना | हम झाबआ लजल क आस-पास क

गरीब आददवासी इलाको म जानवाल थ | वहाा स रतलाम क ललए गाड़ी भजी | चगनकर सामान भरा गया | दो ददन चल उतना सामान था | एक ददन म दो भडार होत थ | अतः चार भडार का सामान था | सबन खकल हाथो बतकन कपड़ साडड़याा धोती आदद सामान छः ददनो तक बााटा कफर भी सामान बचा रहा | सबको आशचयक हआ हम लोग सामान कफर स चगनन लग परत गरदव की लीला क ववषय म कया कह कवल दो ददन चल उतना सामान छः ददनो तक खकल हाथो बााटा कफर भी अत म तीन बोर बतकन बच गय मानो गरदव न अकषयपातर भजा हो एक ददन शाम को भडारा परा हआ तब दखा कक एक पतीला चावल बच गया ह | करीब १००-१२५ लोग खा सक उतन चावल थ | हमन सोचा चावल गााव म बाट दत ह | परत गरदव की लीला दखो एक गााव क बदल पााच गाावो म बााट कफर भी चावल बच रह | आखखर रातरतर म ९ बज क बाद सवाधाररयो न थककर गरदव स पराथकना की कक गरदव अब जगल का ववसतार ह हम पर कपा करो | और चावल खसम हए | कफर सवाधारी तनवास पर पहाच |

-सत शरी आसारािजी भकतिडल

कतारगाि स रत

(अनिम) पावन उदगार

सवपन ि हदय हए वरदान स पतरपराषपत

मर गरहसथ जीवन म एक-एक करक तीन कनयाएा जनमी | पतरपरालपत क ललए मरी धमकपसनी न गरदव स आशीवाकद परापत ककया था | चौथी परसतत होन क पहल जब उसन वलसाड़ म सोनोगराफ़ी करवायी तो ररपोटक म लड़की बताया गया | यह सनकर हम तनराश हो गय | एक रात पसनी को सवपन म गरदव न दशकन ददय और कहा बटी चचता मत कर | घबराना मत धीरज रख | लड़का ही होगा | हमन सरत आशरम म बड़दादा की पररिमा करक मनौती मानी थी वह भी फ़लीभत हई और गरदव का बरहमवाकय भी ससय सातरबत हआ जब परसतत होन पर लड़का हआ | सभी गरदव की जय-जयकार करन लग |

-सनील किार रा शयाि चौरमसया

दीपकवाड़ी ककलला पारड़ी षज वलसाड़

(अनिम) पावन उदगार

शरी आसारािायण क पाठ स जीवनदान

मरा दस वषीय पतर एक रात अचानक बीमार हो गया | साास भी मलशकल स ल रहा था |

जब उस हॉलसपटल म भती ककया तब डॉकटर बोल | बचचा गभीर हालत म ह | ऑपरशन करना पड़गा | म बचच को हॉलसपटल म ही छोड़कर पस लन क ललए घर गया और घर म सभी को कहा ldquoआप लोग शरी आसारामायर का पाठ शर करो |rdquo पाठ होन लगा | थोड़ी दर बाद म हॉलसपटल पहाचा | वहाा दखा तो बचचा हास-खल रहा था | यह दख मरी और घरवालो की खशी का दठकाना न रहा यह सब बापजी की असीम कपा गर-गोववनद की कपा और शरी आसारामायर-पाठ का फल ह |

-सनील चाडक

अिरावती िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

गरवाणी पर षवशवास स अवणीय लाभ

शादी होन पर एक पतरी क बाद सात साल तक कोई सतान नही हई | हमार मन म पतरपरालपत की इचछा थी | १९९९ क लशववर म हम सतानपरालपत का आशीवाकद लनवालो की पलकत म बठ | बापजी आशीवाकद दन क ललए साधको क बीच आय तो कछ साधक नासमझी स कछ ऐस परशन कर बठ जो उनह नही करन चादहए थ | गरदव नाराज होकर यह कहकर चल गय कक तमको सतवारी पर ववशवास नही ह तो तम लोग यहाा कयो आय तमह डॉकटर क पास जाना चादहए था | कफर गरदव हमार पास नही आय | सभी पराथकना करत रह पर गरदव वयासपीठ स बोल दबारा तीन लशववर भरना | म मन म सोच रहा था कक कछ साधको क कारर मझ आशीवाकद नही लमल पाया परत वजरादषप कठोरारण िदतन कसिादषप बाहर स वजर स भी कठोर ददखन वाल सदगर भीतर स फल स भी कोमल होत ह | तरत गरदव ववनोद करत हए बोल दखो य लोग सतानपरालपत का आशीवाकद लन आय ह | कस ठनठनपाल-स बठ ह अब जाओ झला-झनझना लकर घर जाओ | मन और मरी पसनी न आपस म ववचार ककया दयाल गरदव न आखखर आशीवाकद द ही ददया | अब गरदव न कहा ह कक झला-झनझना ल जाओ |

तो मन गरवचन मानकर रलव सटशन स एक झनझना खरीद ललया और गवाललयर आकर गरदव क चचतर क पास रख ददया | मझ वहाा स आन क १५ ददन बाद डॉकटर दवारा मालम हआ

कक पसनी गभकवती ह | मन गरदव को मन-ही-मन परराम ककया | इस बीच डॉकटरो न सलाह दी कक लड़का ह या लड़की इसकी जााच करा लो | मन बड़ ववशवास स कहा कक लड़का ही होगा |

अगर लड़की भी हई तो मझ कोई आपवतत नही ह | मझ गभकपात का पाप अपन लसर पर नही लना ह | नौ माह तक मरी पसनी भी सवसथ रही | हररदवार लशववर म भी हम लोग गय | समय आन पर गरदव दवारा बताय गय इलाज क मतातरबक गाय क गोबर का रस पसनी को ददया और ददनाक २७ अकतबर १९९९ को एक सवसथ बालक का जनम हआ |

-राजनर किार वाजपयी अचयना वाजपयी

बलवत नगर ढाढीपर िरारा गवामलयर

(अनिम) पावन उदगार

सवफल क दो िकड़ो स दो सतान मन सन १९९१ म चटीचड लशववर अमदावाद म पजय बापजी स मतरदीकषा ली थी | मरी

शादी क १० वषक तक मख कोई सतान नही हई | बहत इलाज करवाय लककन सभी डॉकटरो न बताया कक बालक होन की कोई सभावना नही ह | तब मन पजय बापजी क पनम दशकन का वरत ललया और बाासवाड़ा म पनम दशकन क ललए गया | पजय बापजी सबको परसाद द रह थ | मन मन म सोचा | कया म इतना पापी हा कक बापजी मरी तरफ दखत तक नही इतन म पजय बापजी कक दलषटट मझ पर पड़ी और उनहोन मझ दो लमनट तक दखा | कफर उनहोन एक सवफल लकर मझ पर फ का जो मर दाय कध पर लगकर दो टकड़ो म बाट गया | घर जाकर मन उस सवफल क दोनो भाग अपनी पसनी को खखला ददय | पजयशरी का कपापरक परसाद खान स मरी पसनी गभकवती हो गयी | तनरीकषर करान पर पता चला कक उसको दो लसर वाला बालक उसपनन होगा |

डॉकटरो न बताया उसका लसजररयन करना पड़गा अनयथा आपकी पसनी क बचन की समभावना नही ह | लसजररयन म लगभग बीस हजार रपयो का खचक आयगा | मन पजय बापजी स पराथकना की ह बापजी आपन ही फल ददया था | अब आप ही इस सकट का तनवारर कीलजय | कफर मन बड़ बादशाह क सामन भी पराथकना की जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी की परसती सकशल हो जाय | उसक बाद जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी एक पतर और एक पतरी को जनम द चकी थी | पजयशरी क दवारा ददय गय फल स मझ एक की जगह दो सतानो की परालपत हई |

-िकशभाई सोलकी

शारदा िहदर सक ल क पीछ

बावन चाल वड़ोदरा

(अनिम) पावन उदगार

साइककल स गर ाि जान पर खराब िाग ठीक हो गयी

मरी बाायी टााग घटन स उपर पतली हो गयी थी | ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट

ददकली म म छः ददन तक रहा | वहाा जााच क बाद बतलाया गया कक तमहारी रीढ की हडडी क पास कछ नस मर गयी ह लजसस यह टााग पतली हो गयी ह | यह ठीक तो हो ही नही सकती |

हम तमह ववटालमन ई क कपसल द रह ह | तम इनह खात रहना | इसस टाग और जयादा पतली नही होगी | मन एक साल तक कपसल खाय | उसक बाद २२ जन १९९७ को मजफ़फ़रनगर म मन गरजी स मतरदीकषा ली और दवाई खाना बद कर दी | जब एक साधक भाई राहल गपता न कहा कक सहारनपर स साइककल दवारा उततरायर लशववर अमदावाद जान का कायकिम बन रहा ह

तब मन टााग क बार म सोच तरबना साइककल यातरा म भाग लन क ललए अपनी सहमतत द दी |

जब मर घर पर पता चला कक मन साइककल स गरधाम अमदावाद जान का ववचार बनाया ह

अतः तम ११५० ककमी तक साइककल नही चला पाओग | लककन मन कहा म साइककल स ही गरधाम जाऊा गा चाह ककतनी भी दरी कयो न हो और हम आठ साधक भाई सहारनपर स २६ ददसमबर ९७ को साइककलो स रवाना हए | मागक म चढाई पर मझ जब भी कोइ ददककत होती तो ऐसा लगता जस मरी साइककल को कोई पीछ स धकल रहा ह | म मड़कर पीछ दखता तो कोई ददखायी नही पड़ता | ९ जनवरी को जब हम अमदावाद गरआशरम म पहाच और मन सबह अपनी टााग दखी तो म दग रह गय जो टााग पतली हो गयी थी और डॉकटरो न उस ठीक होन स मना कर ददया था वह टााग तरबककल ठीक हो गयी थी | इस कपा को दखकर म चककत रह गया मर साथी भी दग रह गय यह सब गरकपा क परसाद का चमसकार था | मर आठो साथी मरी पसनी तथा ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट ददकली दवारा जााच क परमारपतर इस बात क साकषी ह |

-तनरकार अगरवाल

षवटणपरी नय िा ोनगर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

अदभत रही िौनिहदर की सा ना परम पजय सदगरदव की कपा स मझ ददनाक १८ स २४ मई १९९९ तक अमदावाद

आशरम क मौनमददर म साधना करन का सअवसर लमला | मौनमददर म साधना क पााचव ददन यानी २२ मई की रातरतर को लगभग २ बज नीद म ही मझ एक झटका लगा | लट रहन कक लसथतत म ही मझ महसस हआ कक कोई अदशय शलकत मझ ऊपर बहत ऊपर उड़य ल जा रही ह | ऊपर उड़त हए जब मन नीच झााककर दखा तो अपन शरीर को उसी मौनमददर म चचतत लटा हआ बखबर सोता हआ पाया | ऊपर जहाा मझ ल जाया गया वहाा अलग ही छटा थी अजीब और अवरीय आकाश को भी भदकर मझ ऐस सथान पर पहाचाया गया था जहाा चारो तरफ कोहरा-ही-कोहरा था जस शीश की छत पर ओस फली हो इतन म दखता हा कक एक सभा लगी ह तरबना शरीर की कवल आकततयो की | जस रखाओ स मनषटयरपी आकततयाा बनी हो | यह सब कया चल रहा था समझ स पर था | कछ पल क बाद व आकततयाा सपषटट होन लगी | दवी-दवताओ क पज क मरधय शीषक म एक उचच आसन पर साकषात बापजी शकर भगवान बन हए कलास पवकत पर ववराजमान थ और दवी-दवता कतार म हाथ बााध खड़ थ | म मक-सा होकर अपलक नतरो स उनह दखता ही रहा कफर मतरमगध हो उनक चररो म चगर पड़ा | परातः क ४ बज थ | अहा मन और शरीर हकका-फ़कका लग रहा था यही लसथतत २४ मई की मरधयरातरतर म भी दोहरायी गयी | दसर ददन सबह पता चला कक आज तो बाहर तनकलन का ददन ह यानी रवववार २५ मई की सबह | बाहर तनकलन पर भावभरा हदय गदगद कठ और आखो म आास यो लग रहा था कक जस तनजधाम स बघर ककया जा रहा हा | धनय ह वह भलम मौनमददर म साधना की वह वयवसथा जहा स परम आनद क सागर म डबन की कजी लमलती ह जी करता ह भगवान ऐसा अवसर कफर स लाय लजसस कक उसी मौनमददर म पनः आतररक आनद का रसपान कर पाऊा |

-इनरनारायण शाह

१०३ रतनदीप-२ तनराला नगर कानपर

(अनिम) पावन उदगार

असाधय रोग स िषकत

सन १९९४ म मरी पतरी दहरल को शरद पखरकमा क ददन बखार आया | डॉकटरो को ददखाया तो ककसीन मलररया कहकर दवाइयाा दी तो ककसीन टायफायड कहकर इलाज शर ककया तो ककसीन टायफायड और मलररया दोनो कहा | दवाई की एक खराक लन स शरीर नीला पड़ गया और सज गया | शरीर म खन की कमी स उस छः बोतल खन चढाया गया | इजकषन दन स पर शरीर को लकवा मार गया | पीठ क पीछ शयावरर जसा हो गया | पीठ और पर का एकस-र ललया गया | पर पर वजन बााधकर रखा गया | डॉकटरो न उस वाय का बखार तथा रकत का क सर बताया और कहा कक उसक हदय तो वाकव चौड़ा हो गया ह | अब हम दहममत हार गय |

अब पजयशरी क लसवाय और कोई सहारा नही था | उस समय दहरल न कहा मममी मझ पजय बाप क पास ल चलो | वहाा ठीक हो जाऊगी | पााच ददन तक दहरल पजयशरी की रट लगाती रही |

हम उस अमदावाद आशरम म बाप क पास ल गय | बाप न कहा इस कछ नही हआ ह | उनहोन मझ और दहरल को मतर ददया एव बड़दादा की परदकषकषरा करन को कहा | हमन परदकषकषरा की और दहरल पनिह ददन म चलन-कफ़रन लगी | हम बाप की इस कररा-कपा का ॠर कस चकाय अभी तो हम आशरम म पजयशरी क शरीचररो म सपररवार रहकर धनय हो रह ह |

-परफलल वयास

भावनगर

वतयिान ि अिदावाद आशरि ि सपररवार सिषपयत

(अनिम) पावन उदगार

कसि का चितकार

वयापार उधारी म चल जान स म हताश हो गया था एव अपनी लजदगी स तग आकर आसमहसया करन की बात सोचन लगा था | मझ साध-महासमाओ व समाज क लोगो स घरा-सी हो गयी थी धमक व समाज स मरा ववशवास उठ चका था | एक ददन मरी साली बापजी क सससग कक दो कसट ववचध का ववधान एव आखखर कब तक ल आयी और उसन मझ सनन क ललए कहा | उसक कई परयास क बाद भी मन व कसट नही सनी एव मन-ही-मन उनह ढोग

कहकर कसटो क डडबब म दाल ददया | मन इतना परशान था कक रात को नीद आना बद हो गया था | एक रात कफ़कमी गाना सनन का मन हआ | अाधरा होन की वजह स कसट पहचान न सका और गलती स बापजी क सससग की कसट हाथ म आ गयी | मन उसीको सनना शर ककया | कफर कया था मरी आशा बाधन लगी | मन शाात होन लगा | धीर-धीर सारी पीड़ाएा दर

होती चली गयी | मर जीवन म रोशनी-ही-रोशनी हो गयी | कफर तो मन पजय बापजी क सससग की कई कसट सनी और सबको सनायी | तदनतर मन गालजयाबाद म बापजी स दीकषा भी गरहर की | वयापार की उधारी भी चकता हो गयी | बापजी की कपा स अब मझ कोई दःख नही ह | ह गरदव बस एक आप ही मर होकर रह और म आपका ही होकर रहा |

-ओिपरकाश बजाज

हदलली रोड़ सहारनपर उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

िझ पर बरसी सत की कपा

सन १९९५ क जन माह म म अपन लड़क और भतीज क साथ हररदवार रधयानयोग लशववर म भाग लन गया | एक ददन जब म हर की पौड़ी पर सनान करन गया तो पानी क तज बहाव क कारर पर कफसलन स मरा लड़का और भतीजा दोनो अपना सतलन खो बठ और गगा म बह गय | ऐसी सकट की घड़ी म म अपना होश खो बठा | कया करा म फट-फटकर रोन लगा और बापजी स पराथकना करन लगा कक ह नाथ ह गरदव रकषा कीलजय मर बचचो को बचा लीलजय | अब आपका ही सहारा ह | पजयशरी न मर सचच हदय स तनकली पकार सन ली और उसी समय मरा लड़का मझ ददखायी ददया | मन झपटकर उसको बाहर खीच ललया लककन मरा भतीजा तो पता नही कहाा बह गया म तनरतर रो रहा था और मन म बार-बार ववचार उठ रहा था कक बापजी मरा लड़का बह जाता तो कोई बात नही थी लककन अपन भाई की अमानत क तरबना म घर कया माह लकर जाऊा गा बापजी आपही इस भकत की लाज बचाओ | तभी गगाजी की एक तज लहर उस बचच को भी बाहर छोड़ गयी | मन लपककर उस पकड़ ललया |

आज भी उस हादस को समरर करता हा तो अपन-आपको साभाल नही पाता हा और मरी आाखो स तनरतर परम की अशरधारा बहन लगती ह | धनय हआ म ऐस गरदव को पाकर ऐस सदगरदव क शरीचररो म मर बार-बार शत-शत परराम

-सिालखा

पानीपत हररयाणा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स जीवनदान

ददनाक १५-१-९६ की घटना ह | मन धात क तार पर सखन क ललए कपड़ फला रख थ |

बाररश होन क कारर उस तार म करट आ गया था | मरा छोटा पतर ववशाल जो कक ११ वी ककषा म पढता ह आकर उस तार स छ गया और तरबजली का करट लगत ही वह बहोश हो गया शव क समान हो गया | हमन उस तरत बड़ असपताल म दाखखल करवाया | डॉकटर न बचच की हालत गभीर बतायी | ऐसी पररलसथतत दखकर मरी आाखो स अशरधाराएा बह तनकली | म तनजानद की मसती म मसत रहन वाल पजय सदगरदव को मन-ही-मन याद ककया और पराथकना कक ह गरदव अब तो इस बचच का जीवन आपक ही हाथो म ह | ह मर परभ आप जो चाह सो कर सकत ह | और आखखर मरी पराथकना सफल हई | बचच म एक नवीन चतना का सचार हआ एव धीर-धीर बचच क सवासथय म सधार होन लगा | कछ ही ददनो म वह परकतः सवसथ हो गया |

डॉकटर न तो उपचार ककया लककन जो जीवनदान उस पयार परभ की कपा स सदगरदव की कपा स लमला उसका वरकन करन क ललए मर पास शबद नही ह | बस ईशवर स म यही पराथकना करता हा कक ऐस बरहमतनषटठ सत-महापरषो क परतत हमारी शरदधा म वदचध होती रह | -

डॉ वाय पी कालरा

शािलदास कॉलज भावनगर गजरात

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप जस सत दतनया को सवगय ि बदल सकत ह

मई १९९८ क अततम ददनो म पजयशरी क इदौर परवास क दौरान ईरान क ववखयात कफ़लजलशयन शरी बबाक अगरानी भारत म अरधयालसमक अनभवो की परालपत आय हए थ | पजयशरी क दशकन पाकर जब उनहोन अरधयालसमक अनभवो को फलीभत होत दखा तो व पचड़ आशरम म आयोलजत रधयानयोग लशववर म भी पहाच गय | शरी अगरानी जो दो ददन रककर वापस लौटन वाल थ व पर गयारह ददन तक पचड़ आशरम म रक रह | उनहोन ववधाथी लशववर म सारसवसय मतर की दीकषा ली एव ववलशषटट रधयानयोग साधना लशववर (४ -१० जन १९९८) का भी लाभ ललया | लशववर क दौरान शरी अगरानी न पजयशरी स मतरदीकषा भी ल ली | पजयशरी क सालननरधय म सपरापत अनभततयो क बार म कषतरतरय समाचार पतर चतना को दी हई भटवाताक म शरी अगरानी कहत ह यदद पजय बाप जस सत हर दश म हो जाय तो यह दतनया सवगक बन सकती ह | ऐस शातत स बठ पाना हमार ललए कदठन ह लककन जब पजय बापजी जस महापरषो क शरीचररो म बठकर

सससग सनत ह तो ऐसा आनद आता ह कक समय का कछ पता ही नही चलता | सचमच पजय बाप कोई साधारर सत नही ह |

-शरी बबाक अगरानी

षवशवषवखयात किषजमशयन ईरान

(अनिम) पावन उदगार

भौततक यग क अ कार ि जञान की जयोतत प जय बाप

मादक तनयतरर बयरो भारत सरकार क महातनदशक शरी एचपी कमार ९ मई को अमदावाद आशरम म सससग-कायकिम क दौरान पजय बाप स आशीवाकद लन पहाच | बड़ी ववनमरता एव शरदधा क साथ उनहोन पजय बाप क परतत अपन उदगार म कहा लजस वयलकत क पास वववक नही ह वह अपन लकषय तक नही पहाच सकता ह और वववक को परापत करन का साधन पजय आसारामजी बाप जस महान सतो का सससग ह | पजय बाप स मरा परथम पररचय टीवी क मारधयम स हआ | तसपशचात मझ आशरम दवार परकालशत ॠवष परसाद मालसक परापत हआ | उस समय मझ लगा कक एक ओर जहाा इस भौततक यग क अधकार म मानव भटक रहा ह वही दसरी ओर शातत की मद-मद सगचधत वाय भी चल रही ह | यह पजय बाप क सससग का ही परभाव ह | पजयशरी क दशकन करन का जो सौभागय मझ परापत हआ ह इसस म अपन को कतकसय मानता हा | पजय बाप क शरीमख स जो अमत वषाक होती ह तथा इनक सससग स करोड़ो हदयो म जो जयोतत जगती ह व इसी परकार स जगती रह और आन वाल लब समय तक पजयशरी हम सब का मागकदशकन करत रह यही मरी कामना ह | पजय बाप क शरीचररो म मर परराम

-शरी एचपी किार

िहातनदशक िादक तनयतरण बय रो भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

िषसलि िहहला को पराणदान

२७ लसतमबर २००० को जयपर म मर तनवास पर पजय बाप का आसम-साकषासकार ददवस

मनाया गया लजसम मर पड़ोस की मलसलम मदहला नाथी बहन क पतत शरी मााग खाा न भी पजय बाप की आरती की और चररामत ललया | ३-४ ददन बाद ही व मलसलम दपतत खवाजा सादहब क उसक म अजमर चल गय | ददनाक ४ अकटबर २००० को अजमर क उसक म असामालजक तसवो न परसाद म जहर बााट ददया लजसस उसक मल म आय कई दशकनाथी असवसथ हो गय और कई मर भी गय | मर पड़ोस की नाथी बहन न भी वह परसाद खाया और थोड़ी दर म ही वह बहोश हो गयी | अजमर म उसका उपचार ककया गया ककत उस होश न आया | दसर ददन ही उसका पतत उस अपन घर ल आया | कॉलोनी क सभी तनवासी उसकी हालत दखकर कह रह थ कक अब इसका बचना मलशकल ह | म भी उस दखन गया | वह बहोश पड़ी थी | म जोर-जोर स हरर ॐ हरर ॐ का उचचारर ककया तो वह थोड़ा दहलन लगी | मझ परररा हई और म पनः घर गया | पजय बाप स पराथकना की | ३-४ घट बाद ही वह मदहला ऐस उठकर खड़ी हो गयी मानो सोकर उठी हो | उस मदहला न बताया कक मर चाचा ससर पीर ह और उनहोन मर पतत क माह स बोलकर बताया कक तमन २७ लसतमबर २००० को लजनक सससग म पानी वपया था उनही सफद दाढीवाल बाबा न तमह बचाया ह कसी कररा ह गरदव की

-जएल परोहहत

८७ सलतान नगर जयपर (राज)

उस िहहला का पता ह -शरीिती नाथी

पतनी शरी िाग खा

१०० सलतान नगर

गजयर की ड़ी

नय सागानर रोड़

जयप र (राज)

(अनिम) पावन उदगार

हररनाि की पयाली न छड़ायी शराब की बोतल

सौभागयवश गत २६ ददसमबर १९९८ को पजयशरी क १६ लशषटयो की एक टोली ददकली स हमार गााव म हररनाम का परचार-परसार करन पहाची | म बचपन स ही मददरापान धमरपान व लशकार करन का शौकीन था | पजय बाप क लशषटयो दवारा हमार गााव म जगह-जगह पर तीन ददन तक लगातार हररनाम का कीतकन करन स मझ भी हररनाम का रग लगता जा रहा था |

उनक जान क एक ददन क पशचात शाम क समय रोज की भातत मन शराब की बोतल तनकाली | जस ही बोतल खोलन क ललए ढककन घमाया तो उस ढककन क घमन स मझ हरर ॐ हरर ॐ की रधवतन सनायी दी | इस परकार मन दो-तीन बार ढककन घमाया और हर बार मझ हरर ॐ

की रधवतन सनायी दी | कछ दर बाद म उठा तथा पजयशरी क एक लशषटय क घर गया | उनहोन थोड़ी दर मझ पजयशरी की अमतवारी सनायी | अमतवारी सनन क बाद मरा हदय पकारन लगा कक इन दवयकसनो को सयाग दा | मन तरत बोतल उठायी तथा जोर-स दर खत म फ क दी | ऐस समथक व परम कपाल सदगरदव को म हदय स परराम करता हा लजनकी कपा स यह अनोखी घटना मर जीवन म घटी लजसस मरा जीवन पररवततकत हआ |

-िोहन मसह बबटि

मभखयासन अलिोड़ा (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

प र गाव की कायापलि

पजयशरी स ददनाक २७६९१ को दीकषा लन क बाद मन वयवसनमलकत क परचार-परसार का लकषय बना ललया | म एक बार कौशलपर (लज शाजापर) पहाचा | वहाा क लोगो क वयवसनी और लड़ाई-झगड़ यकत जीवन को दखकर मन कहा आप लोग मनषटय-जीवन सही अथक ही नही समझत ह | एक बार आप लोग पजय बापजी क दशकन कर ल तो आपको सही जीवन जीन की कजी लमल जायगी | गााव वालो न मरी बात मान ली और दस वयलकत मर गााव ताजपर आय |

मन एक साधक को उनक साथ जनमाषटटमी महोससव म सरत भजा | पजय बापजी की उन पर कपा बरसी और सबको गरदीकषा लमल गयी | जब व लोग अपन गााव पहाच तो सभी गााववालसयो को बड़ा कौतहल था कक पजय बापजी कस ह बापजी की लीलाएा सनकर गााव क अनय लोगो म भी पजय बापजी क परतत शरदधा जगी | उन दीकषकषत साधको न सभी गााववालो को सववधानसार पजय बापजी क अलग-अलग आशरमो म भजकर दीकषा ददलवा दी | गााव क सभी वयलकत अपन

पर पररवार सदहत दीकषकषत हो चक ह | परसयक गरवार को पर गााव म एक समय भोजन बनता ह | सभी लोग गरवार का वरत रखत ह | कौशलपर गााव क परभाव स आस-पास क गााववाल एव उनक ररशतदारो सदहत १००० वयलकतयो शराब छोड़कर दीकषा ल ली ह | गााव क इततहास म तीन-तीन पीढी स कोई मददर नही था | गााववालो न ५ लाख रपय लगाकर दो मददर बनवाय ह | परा गााव वयवसनमकत एव भगवतभकत बन गया ह यह पजय बापजी की कपा नही तो और कया ह सबक ताररहार पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-शयाि परजापतत (सपरवाइजर ततलहन सघ) ताजपर

उजजन (िपर)

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी की तसवीर स मिली पररणा सवकसमथक परम पजय शरी बापजी क चररकमलो म मरा कोदट-कोदट नमन १९८४ क

भकप स समपरक उततर तरबहार म काफी नकसान हआ था लजसकी चपट म हमारा घर भी था |

पररलसथततवश मझ नौवी ककषा म पढायी छोड़ दनी पड़ी | ककसी लमतर की सलाह स म नौकरी ढाढन क ललए ददकली गया लककन वहाा भी तनराशा ही हाथ लगी | म दो ददन स भखा तो था ही ऊपर स नौकरी की चचता | अतः आसमहसया का ववचार करक रलव सटशन की ओर चल पड़ा | रानीबाग बाजार म एक दकान पर पजयशरी का सससादहसय कसट आदद रखा हआ था एव पजयशरी की बड़ आकार की तसवीर भी टागी थी | पजयशरी की हासमख एव आशीवाकद की मिावाली उस तसवीर पर मरी नजर पड़ी तो १० लमनट तक म वही सड़क पर स ही खड़-खड़ उस दखता रहा | उस वकत न जान मझ कया लमल गया म काम भल मजदरी का ही करता हा लककन तबस लकर आज तक मर चचतत म बड़ी परसननता बनी हई ह | न जान मरी लजनदगी की कया दशा होती अगर पजय बापजी की यवाधन सरकषा ईशवर की ओर तनलशचनत जीवन पसतक और ॠवष परसाद पतरतरका हाथ न लगती पजयशरी की तसवीर स लमली परररा एव उनक सससादहसय न मरी डबती नया को मानो मझदार स बचा ललया | धनभागी ह सादहसय की सवा करन वाल लजनहोन मझ आसमहसया क पाप स बचाया |

-िहश शाह

नारायणपर दिरा षज सीतािढ़ी (बबहार)

(अनिम) पावन उदगार

नतरबबद का चितकार

मरा सौभागय ह कक मझ सतकपा नतरतरबद (आई डरॉपस) का चमसकार दखन को लमला |

एक सत बाबा लशवरामदास उमर ८० वषक गीता कदटर तपोवन झाड़ी सपतसरोवर हररदवार म रहत ह | उनकी दादहनी आाख क सफद मोततय का ऑपरशन शााततकज हररदवार आयोलजत कमप म हआ | कस तरबगड़ गया और काल मोततया बन गया | ददक रहन लगा और रोशनी घटन लगी |

दोबारा भमाननद नतर चचककससालय म ऑपरशन हआ | एबसकयट गलकोमा बतात हए कहा कक ऑपरशन स लसरददक ठीक हो जायगा पर रोशनी जाती रहगी | परत अब व बाबा सत शरी आसारामजी आशरम दवार तनलमकत सतकपा नतरतरबद सबह-शाम डाल रह ह | मन उनक नतरो का परीकषर ककया | उनकी दादहनी आाख म उागली चगनन लायक रोशनी वापस आ गयी ह | काल मोततय का परशर नॉमकल ह | कोतनकया म सजन नही ह | व काफी सतषटट ह | व बतात ह आाख पहल लाल रहती थी परत अब नही ह | आशरम क नतरतरबद स ककपनातीत लाभ हआ | बायी आाख म भी उनह सफद मोततया बताया गया था और सशय था कक शायद काला मोततया भी ह |

पर आज बायी आाख भी ठीक ह और दोनो आाखो का परशर भी नॉमकल ह | सफद मोततया नही ह और रोशनी काफी अचछी ह | यह सतकपा नतरबद का ववलकषर परभाव दखकर म भी अपन मरीजो को इसका उपयोग करन की सलाह दागा |

-डॉ अननत किार अगरवाल (नतररोग षवशिजञ)

एिबीबीएस एिएस (नतर) डीओएिएस (आई)

सीतापर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

ितर स लाभ

मरी माा की हालत अचानक पागल जसी हो गयी थी मानो कोई भत-परत-डाककनी या आसरी तसव उनम घस गया | म बहत चचततत हो गया एव एक साचधका बहन को फोन ककया |

उनहोन भत-परत भगान का मतर बताया लजसका वरकन आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म भी ह | वह मतर इस परकार ह

ॐ निो भगवत रर भरवाय भ तपरत कषय कर कर ह फि सवाहा |

इस मतर का पानी म तनहारकर १०८ बार जप ककया और वही पानी माा को वपला ददया |

तरत ही माा शातत स सो गयी | दसर ददन भी इस मतर की पााच माला करक माा को वह जल वपलाया तो माा तरबककल ठीक हो गयी | ह मर साधक भाई-बहनो भत-परत भगान क ललए अला बााधा बला बााधा ऐसा करक झाड़-फ़ा क करनवालो क चककर म पड़न की जररत नही ह |

इसक ललए तो पजय बापजी का मतर ही ताररहार ह | पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-चपकभाई एन पिल (अिररका)

(अनिम) पावन उदगार

काि करो पर षवजय पायी एक ददन मबई मल म दटकट चककग करत हए म वातानकललत बोगी म पहाचा | दखा तो

मखमल की गददी पर टाट का आसन तरबछाकर सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज समाचधसथ ह |

मझ आशचयक हआ कक लजन परथम शररी की वातानकललत बोचगयो म राजा-महाराजा यातरा करत ह ऐसी बोगी और तीसरी शररी की बोगी क बीच इन सत को कोई भद नही लगता | ऐसी बोचगयो म भी व समाचधसथ होत ह यह दखकर लसर झक जाता ह | मन पजय महाराजशरी को परराम करक कहा आप जस सतो क ललए तो सब एक समान ह | हर हाल म एकरस रहकर आप मलकत का आनद ल सकत ह | लककन हमार जस गरहसथो को कया करना चादहए ताकक हम भी आप जसी समता बनाय रखकर जीवन जी सक पजय महाराजजी न कहा काम और िोध को त छोड़ द तो त भी जीवनमकत हो सकता ह | जहाा राम तहा नही काम जहाा काम तहा नही राम | और िोध तो भाई भसमासर ह | वह तमाम पणय को जलाकर भसम कर दता ह

अतःकरर को मललन कर दता ह | मन कहा परभ अगर आपकी कपा होगी तो म काम-िोध को छोड़ पाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा भाई कपा ऐस थोड़ ही की जाती ह सतकपा क साथ तरा परषाथक और दढता भी चादहए | पहल त परततजञा कर कक त जीवनपयकनत काम और िोध स दर रहगा तो म तझ आशीवाकद दा | मन कहा महाराजजी म जीवनभर क ललए परततजञा तो करा लककन उसका पालन न कर पाऊा तो झठा माना जाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा अचछा पहल त मर समकष आठ ददन क ललए परततजञा कर | कफर परततजञा को एक-एक ददन बढत जाना | इस परकार त उन बलाओ स बच सकगा | ह कबल मन हाथ

जोड़कर कबल ककया | पजय महाराजजी न आशीवाकद दकर दो-चार फल परसाद म ददय | पजय महाराजजी न मरी जो दो कमजोररयाा थी उन पर ही सीधा हमला ककया था | मझ आशचयक हआ कक अनय कोई भी दगकर छोड़न का न कहकर इन दो दगकरो क ललए ही उनहोन परततजञा कयो करवायी बाद म म इस राज स अवगत हआ |

दसर ददन म पसनजर रन म कानपर स आग जा रहा था | सबह क करीब नौ बज थ |

तीसरी शररी की बोगी म जाकर मन यातरतरयो क दटकट जााचन का कायक शर ककया | सबस पहल बथक पर सोय हए एक यातरी क पास जाकर मन एक यातरी क पास जाकर मन दटकट ददखान को कहा तो वह गससा होकर मझ कहन लगा अधा ह दखता नही कक म सो गया हा मझ नीद स जगान का तझ कया अचधकार ह यह कोई रीत ह दटकट क बार म पछन की ऐसी ही अकल ह तरी ऐसा कछ-का-कछ वह बोलता ही गया बोलता ही गया | म भी िोधाववषटट होन लगा ककत पजय महाराजजी क समकष ली हई परततजञा मझ याद थी अतः िोध को ऐस पी गया मानो ववष की पडड़या मन उस कहा महाशय आप ठीक ही कहत ह कक मझ बोलन की अकल नही ह भान नही ह | दखो मर य बाल धप म सफद हो गय ह | आपम बोलन की अकल अचधक ह नमरता ह तो कपा करक लसखाओ कक दटकट क ललए मझ ककस परकार आपस पछना चादहए | म लाचार हा कक डयटी क कारर मझ दटकट चक करना पड़ रहा ह इसललए म आपको कषटट द रहा हा| और कफ़र मन खब परम स हाथ जोड़कर ववनती की भया कपा करक कषटट क ललए मझ कषमा करो | मझ अपना दटकट ददखायग मरी नमरता दखकर वह ललजजत हो गया एव तरत उठ बठा | जकदी-जकदी नीच उतरकर मझस कषमा माागत हए कहन लगा मझ माफ करना | म नीद म था | मन आपको पहचाना नही था | अब आप अपन माह स मझ कह कक आपन मझ माफ़ ककया यह दखकर मझ आनद और सतोष हआ | म सोचन लगा कक सतो की आजञा मानन म ककतनी शलकत और दहत तनदहत ह सतो की कररा कसा चमसकाररक पररराम लाती ह वह वयलकत क पराकततक सवभाव को भी जड़-मल स बदल सकती ह | अनयथा मझम िोध को तनयतरर म रखन की कोई शलकत नही थी | म परकतया असहाय था कफर भी मझ महाराजजी की कपा न ही समथक बनाया | ऐस सतो क शरीचररो म कोदट-कोदट नमसकार

-शरी रीजिल

ररिायडय िीिी आई कानपर

(अनिम) पावन उदगार

जला हआ कागज प वय रप ि पवक रप म एक बार परमहस ववशदधानदजी स आनदमयी माा की तनकटता पानवाल

सपरलसदध पडडत गोपीनाथ कववराज न तनवदन ककया तररीकानत ठाकर को अलौककक लसदचध परापत हई ह | व तरबना दख या तरबना छए ही कागज म ललखी हई बात पढ लत ह | गरदव बोल तम एक कागज पर कछ ललखो और उसम आग लगाकर जला दो | कववराजजी न कागज पर कछ ललखा और परी तरह कागज जलाकर हवा म उड़ा ददया | उसक बाद गरदव न अपन तककय क नीच स वही कागज तनकालकर कववराजजी क आग रख ददया | यह दखकर उनह बड़ा आशचयक हआ कक यह कागज वही था एव जो उनहोन ललखा था वह भी उस पर उनही क सलख म ललखा था और साथ ही उसका उततर भी ललखा हआ दखा |

जड़ता पशता और ईशवरता का मल हमारा शरीर ह | जड़ शरीर को म-मरा मानन की ववतत लजतनी लमटती ह पाशवी वासनाओ की गलामी उतनी हटती ह और हमारा ईशवरीय अश लजतना अचधक ववकलसत होता ह उतना ही योग-सामथयक ईशवरीय सामथयक परकट होता ह | भारत क ऐस कई भकतो सतो और योचगयो क जीवन म ईशवरीय सामथयक दखा गया ह अनभव ककया गया ह उसक ववषय म सना गया ह | धनय ह भारतभलम म रहनवाल भारतीय ससकतत म शरदधा-ववशवास रखनवाल अपन ईशवरीय अश को जगान की सवा-साधना करनवाल सवामी ववशदधानदजी वषो की एकात साधना और वषो-वषो की गरसवा स अपना दहारधयास और पाशवी वासनाएा लमटाकर अपन ईशवरीय अश को ववकलसत करनवाल भारत क अनक महापरषो म स थ | उनक जीवन की और भी अलौककक घटनाओ का वरकन आता ह | ऐस ससपरषो क जीवन-चररतर और उनक जीवन म घदटत घटनाएा पढन-सनन स हम लोग भी अपनी जड़ता एव पशता स ऊपर उठकर ईशवरीय अश को उभारन म उससादहत होत ह | बहत ऊा चा काम ह बड़ी शरदधा बड़ी समझ बड़ा धयक चादहए ईशवरीय सामथयक को परक रप स ववकलसत करन म |

(अनिम) पावन उदगार

नदी की ारा िड़ गयी आदय शकराचायक की माता ववलशषटटा दवी अपन कलदवता कशव की पजा करन जाती थी

| व पहल नदी म सनान करती और कफ़र मददर म जाकर पजन करती | एक ददन व परातःकाल ही पजन-सामगरी लकर मददर की ओर गयी ककत सायकाल तक घर नही लौटी | शकराचायक की आय अभी सात-आठ वषक क मरधय म ही थी | व ईशवर क परम भकत और तनषटठावान थ | सायकाल

तक माता क वापस न लौटन पर आचायक को बड़ी चचनता हई और व उनह खोजन क ललए तनकल पड़ | मददर क तनकट पहाचकर उनहोन माता को मागक म ही मलचछकत पड़ दखा | उनहोन बहत दर तक माता का उपचार ककया तब व होश म आ सकी | नदी अचधक दर थी | वहाा तक पहाचन म माता को बड़ा कषटट होता था | आचायक न भगवान स मन-ही-मन पराथकना की कक परभो ककसी परकार नदी की धारा को मोड़ दो लजसस कक माता तनकट ही सनान कर सक | व इस परकार की पराथकना तनसय करन लग | एक ददन उनहोन दखा कक नदी की धारा ककनार की धरती को काटती-काटती मड़न लगी ह तथा कछ ददनो म ही वह आचायक शकर क घर क पास बहन लगी | इस घटना न आचायक का अलौककक शलकतसमपनन होना परलसदध कर ददया |

(अनिम) पावन उदगार

सदगर-िहहिा गर बबन भव तनध तर न कोई |

जौ बरधच सकर सि होई ||

-सत तलसीदासजी

हररहर आहदक जगत ि प जयदव जो कोय |

सदगर की प जा ककय सबकी प जा होय ||

-तनशचलदासजी महाराज

सहजो कारज ससार को गर बबन होत नाही |

हरर तो गर बबन कया मिल सिझ ल िन िाही ||

-सत कबीरजी सत

सरतन जो जन पर सो जन उ रनहार |

सत की तनदा नानका बहरर बहरर अवतार ||

-गर नानक दवजी

गरसवा सब भागयो की जनमभलम ह और वह शोकाकल लोगो को बरहममय कर दती ह | गररपी सयक अववदयारपी रातरतर का नाश करता ह और जञानाजञान रपी लसतारो का लोप करक बदचधमानो को आसमबोध का सददन ददखाता ह |

-सत जञानशवर महाराज

ससय क कटकमय मागक म आपको गर क लसवाय और कोई मागकदशकन नही द सकता |

- सवामी लशवानद सरसवती

ककतन ही राजा-महाराजा हो गय और होग सायजय मलकत कोई नही द सकता | सचच राजा-महाराज तो सत ही ह | जो उनकी शरर जाता ह वही सचचा सख और सायजय मलकत पाता ह |

-समथक शरी रामदास सवामी

मनषटय चाह ककतना भी जप-तप कर यम-तनयमो का पालन कर परत जब तक सदगर की कपादलषटट नही लमलती तब तक सब वयथक ह |

-सवामी रामतीथक

पलटो कहत ह कक सकरात जस गर पाकर म धनय हआ |

इमसकन न अपन गर थोरो स जो परापत ककया उसक मदहमागान म व भावववभोर हो जात थ |

शरी रामकषटर परमहस परकता का अनभव करानवाल अपन सदगरदव की परशसा करत नही अघात थ |

पजयपाद सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज भी अपन सदगरदव की याद म सनह क आास बहाकर गदगद कठ हो जात थ |

पजय बापजी भी अपन सदगरदव की याद म कस हो जात ह यह तो दखत ही बनता ह | अब हम उनकी याद म कस होत ह यह परशन ह | बदहमकख तनगर लोग कछ भी कह साधक को अपन सदगर स कया लमलता ह इस तो साधक ही जानत ह |

(अनिम) पावन उदगार

लडी िाहियन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान ि परकि मशवजी

सा सग ससार ि दलयभ िनटय शरीर |

सतसग सषवत ततव ह बतरषव ताप की पीर ||

मानव-दह लमलना दलकभ ह और लमल भी जाय तो आचधदववक आचधभौततक और आरधयालसमक य तीन ताप मनषटय को तपात रहत ह | ककत मनषटय-दह म भी पववतरता हो सचचाई हो शदधता हो और साध-सग लमल जाय तो य तरतरववध ताप लमट जात ह |

सन १८७९ की बात ह | भारत म तरबरदटश शासन था उनही ददनो अगरजो न अफगातनसतान पर आिमर कर ददया | इस यदध का सचालन आगर मालवा तरबरदटश छावनी क ललफ़टनट कनकल मादटकन को सौपा गया था | कनकल मादटकन समय-समय पर यदध-कषतर स अपनी पसनी को कशलता क समाचार भजता रहता था | यदध लबा चला और अब तो सदश आन भी बद हो गय | लडी मादटकन को चचता सतान लगी कक कही कछ अनथक न हो गया हो अफगानी सतनको न मर पतत को मार न डाला हो | कदाचचत पतत यदध म शहीद हो गय तो म जीकर कया करा गी -यह सोचकर वह अनक शका-कशकाओ स तघरी रहती थी | चचनतातर बनी वह एक ददन घोड़ पर बठकर घमन जा रही थी | मागक म ककसी मददर स आती हई शख व मतर रधवतन न उस आकवषकत ककया | वह एक पड़ स अपना घोड़ा बााधकर मददर म गयी | बजनाथ महादव क इस मददर म लशवपजन म तनमगन पडडतो स उसन पछा आप लोग कया कर रह ह एक वरदध बराहमर न कहा हम भगवान लशव का पजन कर रह ह | लडी मादटकन लशवपजन की कया महतता ह

बराहमर बटी भगवान लशव तो औढरदानी ह भोलनाथ ह | अपन भकतो क सकट-तनवारर करन म व ततनक भी दर नही करत ह | भकत उनक दरबार म जो भी मनोकामना लकर क आता ह उस व शीघर परी करत ह ककत बटी तम बहत चचलनतत और उदास नजर आ रही हो कया बात ह लडी मादटकन मर पततदव यदध म गय ह और ववगत कई ददनो स उनका कोई समाचार नही आया ह | व यदध म फा स गय ह या मार गय ह कछ पता नही चल रहा | म उनकी ओर स बहत चचलनतत हा | इतना कहत हए लडी मादटकन की आाख नम हो गयी | बराहमर तम चचनता मत करो बटी लशवजी का पजन करो उनस पराथकना करो लघरिी करवाओ |

भगवान लशव तमहार पतत का रकषर अवशय करग |

पडडतो की सलाह पर उसन वहाा गयारह ददन का ॐ नमः लशवाय मतर स लघरिी अनषटठान परारभ ककया तथा परततददन भगवान लशव स अपन पतत की रकषा क ललए पराथकना करन लगी कक ह भगवान लशव ह बजनाथ महादव यदद मर पतत यदध स सकशल लौट आय तो म आपका लशखरबद मददर बनवाऊा गी | लघरिी की पराकहतत क ददन भागता हआ एक सदशवाहक लशवमददर म आया और लडी मादटकन को एक ललफाफा ददया | उसन घबरात-घबरात वह ललफाफा खोला और पढन लगी |

पतर म उसक पतत न ललखा था हम यदध म रत थ और तम तक सदश भी भजत रह लककन

आक पठानी सना न घर ललया | तरबरदटश सना कट मरती और म भी मर जाता | ऐसी ववकट पररलसथतत म हम तघर गय थ कक परार बचाकर भागना भी असयाचधक कदठन था | इतन म मन दखा कक यदधभलम म भारत क कोई एक योगी लजनकी बड़ी लमबी जटाएा ह हाथ म तीन नोकवाला एक हचथयार (तरतरशल) इतनी तीवर गतत स घम रहा था कक पठान सतनक उनह दखकर भागन लग | उनकी कपा स घर स हम तनकलकर पठानो पर वार करन का मौका लमल गया और हमारी हार की घडड़याा अचानक जीत म बदल गयी | यह सब भारत क उन बाघामबरधारी एव तीन नोकवाला हचथयार धारर ककय हए (तरतरशलधारी) योगी क कारर ही समभव हआ | उनक महातजसवी वयलकतसव क परभाव स दखत-ही-दखत अफगातनसतान की पठानी सना भाग खड़ी हई और व परम योगी मझ दहममत दत हए कहन लग | घबराओ नही | म भगवान लशव हा तथा तमहारी पसनी की पजा स परसनन होकर तमहारी रकषा करन आया हा उसक सहाग की रकषा करन आया हा |

पतर पढत हए लडी मादटकन की आाखो स अववरत अशरधारा बहती जा रही थी उसका हदय अहोभाव स भर गया और वह भगवान लशव की परततमा क सममख लसर रखकर पराथकना करत-करत रो पड़ी | कछ सपताह बाद उसका पतत कनकल मादटकन आगर छावनी लौटा | पसनी न उस सारी बात सनात हए कहा आपक सदश क अभाव म म चचलनतत हो उठी थी लककन बराहमरो की सलाह स लशवपजा म लग गयी और आपकी रकषा क ललए भगवान लशव स पराथकना करन लगी | उन दःखभजक महादव न मरी पराथकना सनी और आपको सकशल लौटा ददया | अब तो पतत-पसनी दोनो ही तनयलमत रप स बजनाथ महादव क मददर म पजा-अचकना करन लग | अपनी पसनी की इचछा पर कनकल मादटकन म सन १८८३ म पिह हजार रपय दकर बजनाथ महादव मददर का जीरोदवार करवाया लजसका लशलालख आज भी आगर मालवा क इस मददर म लगा ह | पर भारतभर म अगरजो दवार तनलमकत यह एकमातर दहनद मददर ह |

यरोप जान स पवक लडी मादटकन न पडड़तो स कहा हम अपन घर म भी भगवान लशव का मददर बनायग तथा इन दःख-तनवारक दव की आजीवन पजा करत रहग |

भगवान लशव म भगवान कषटर म माा अमबा म आसमवतता सदगर म सतता तो एक ही ह | आवशयकता ह अटल ववशवास की | एकलवय न गरमतत क म ववशवास कर वह परापत कर ललया जो

अजकन को कदठन लगा | आरखर उपमनय धरव परहलाद आदद अनय सकड़ो उदारहर हमार सामन परसयकष ह | आज भी इस परकार का सहयोग हजारो भकतो को साधको को भगवान व आसमवतता सदगरओ क दवारा तनरनतर परापत होता रहता ह | आवशयकता ह तो बस कवल ववशवास की |

(अनिम) पावन उदगार

सखप वयक परसवकारक ितर

पहला उपाय

ए ही भगवतत भगिामलतन चल चल भरािय भरािय पटप षवकासय षवकासय सवाहा |

इस मतर दवारा अलभमतरतरत दध गलभकरी सतरी को वपलाय तो सखपवकक परसव होगा |

द सरा उपाय

गलभकरी सतरी सवय परसव क समय जमभला-जमभला जप कर |

तीसरा उपाय

दशी गाय क गोबर का १२ स १५ लमली रस ॐ नमो नारायराय मतर का २१ बार जप करक पीन स भी परसव-बाधाएा दर होगी और तरबना ऑपरशन क परसव होगा |

परसतत क समय अमगल की आशका हो तो तनमन मतर का जप कर

सवयिगल िागलय मशव सवायथय साध क |

शरणय तरयमबक गौरी नारायणी निोSसतत ||

(दगायसपतशती)

(अनिम) पावन उदगार

सवागीण षवकास की कषजया यादशषकत बढ़ान हतः परततददन 15 स 20 लमली तलसी रस व एक चममच चयवनपराश

का थोड़ा सा घोल बना क सारसवसय मतर अथवा गरमतर जप कर पीय 40 ददन म चमसकाररक लाभ होगा

भोजन क बाद एक लडड चबा-चबाकर खाय

100 गराम सौफ 100 गराम बादाम 200 गराम लमशरी तीनो को कटकर लमला ल सबह यह लमशरर 3 स 5 गराम चबा-चबाकर खाय ऊपर स दध पी ल (दध क साथ भी ल सकत ह) इसस भी यादशलकत बढगी

पढ़ा हआ पाठ याद रह इस हतः अरधययन क समय पवक या उततर की ओर माह करक सीध बठ

सारसवसय मतर का जप करक कफर जीभ की नोक को ताल म लगाकर पढ

अरधययन क बीच-बीच म अत म शात हो और पढ हए का मनन कर ॐ शातत रामराम या गरमतर का समरर करक शात हो

कद बढ़ान हतः परातःकाल दौड़ लगाय पल-अपस व ताड़ासन कर तथा 2 काली लमचक क टकड़ करक मकखन म लमलाकर तनगल जाय दशी गाय का दध कदवदचध म ववशष सहायक ह

शरीरपषटि हतः भोजन क पहल हरड़ चस व भोजन क साथ भी खाय

रातरतर म एक चगलास पानी म एक नीब तनचोड़कर उसम दो ककशलमश लभगो द सबह पानी छानकर पी जाय व ककशलमश चबाकर खा ल

नतरजयोतत बढ़ान हतः सौफ व लमशरी 1-1 चममच लमलाकर रात को सोत समय खाय यह परयोग तनयलमत रप स 5-6 माह तक कर

नतररोगो स रकषा हतः परो क तलवो व अागठो की सरसो क तल स माललश कर ॐ अरणाय ह फट सवाहा इस जपत हए आाख धोन स अथाकत आाखो म धीर-धीर पानी छााटन स आाखो की असहय पीड़ा लमटती ह

डरावन बर सवपनो स बचाव हतः ॐ हरय निः मतर जपत हए सोय लसरहान आशरम की तनःशकक परसादी गरहदोष-बाधा तनवारक यतर रख द

दःख िसीबत एव गरहबा ा तनवारण हतः जनमददवस क अवसर पर महामसयञजय मतर का जप करत हए घी दध शहद और दवाक घास क लमशरर की आहततयाा डालत हए हवन कर इसस जीवन म दःख आदद का परभाव शात हो जायगा व नया उससाह परापत होगा

घर ि सख सवासथय व शातत हतः रोज परातः व साय दशी गाय क गोबर स बन कणड का एक छोटा टकड़ा जला ल उस पर दशी गौघत लमचशरत चावल क कछ दान डाल द ताकक व जल जाय इसस घर म सवासथय व शातत बनी रहती ह तथा वासतदोषो का तनवारर होता ह

आधयाषतिक उननतत हतः चलत कफरत दतनक कायक करत हए भगवननाम का जप सब म भगवननाम हर दो कायो क बीच थोड़ा शात होना सबकी भलाई म अपना भला मानना मन क ववचारो पर तनगरानी रखना आदरपवकक सससग व सवारधयाय करना आदद शीघर आरधयालसमक उननतत क उपाय ह

(अनिम) पावन उदगार

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Page 6: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत

अजकन और उवकशी

वीयकसचय क चमसकार

भीषटम वपतामह और वीर अलभमनय

पथवीराज चौहान कयो हारा

सवामी रामतीथक का अनभव

यवा वगक स दो बात

हसतमथन का दषटपररराम

अमररका म ककया गया परयोग

कामशलकत का दमन या ऊरधवकगमन

एक साधक का अनभव

दसर साधक का अनभव

योगी का सककपबल

कया यह चमसकार ह

हसतमथन व सवपनदोष स कस बच

सदव परसनन रहो

वीयक का ऊरधवकगमन कया ह

वीयकरकषा का महववपरक परयोग

दसरा परयोग

वीयकरकषक चरक

गोद का परयोग

बरहमचयक रकषा हत मतर

पादपलशचमोततानासन

पादागषटठानासन

बदचधशलकतवधकक परयोगः

हमार अनभव

महापरष क दशकन का चमसकार

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह

बरहमचयक ही जीवन ह

शासतरवचन

भसमासर िोध स बचो

बरहमाचयक-रकषा का मतर

सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही बाप जी का अवतरर हआ ह

हर वयलकत जो तनराश ह उस आसाराम जी की जररत ह

बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहमजञान का ददवय सससग

बाप जी का सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

भगवननाम का जाद

पजयशरी क सससग म परधानमतरी शरी अटल तरबहारी वाजपयीजी क उदगार

प बापः राषटरसख क सवधकक

राषटर उनका ऋरी ह

गरीबो व वपछड़ो को ऊपर उठान क कायक चाल रह

सराहनीय परयासो की सफलता क ललए बधाई

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आप समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह

योग व उचच ससकार लशकषा हत भारतवषक आपका चचर-आभारी रहगा

आपन जो कहा ह हम उसका पालन करग

जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

बापजी सवकतर ससकार धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह

आपक दशकनमातर स मझ अदभत शलकत लमलती ह

हम सभी का कतकवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल

आपका मतर हः आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए

सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा

ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

पणयोदय पर सत समागम

बापजी जहाा नही होत वहाा क लोगो क ललए भी बहत कछ करत ह

जीवन की सचची लशकषा तो पजय बापजी ही द सकत ह

आपकी कपा स योग की अरशलकत पदा हो रही ह

धरती तो बाप जस सतो क कारर दटकी ह

म कमनसीब हा जो इतन समय तक गरवारी स वचचत रहा

इतनी मधर वारी इतना अदभत जञान

सससग शरवर स मर हदय की सफाई हो गयी

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहाा आ गयी

बाप जी क सससग स ववशवभर क लोग लाभालनवत

परी डडकशनरी याद कर ववशव ररकॉडक बनाया

मतरदीकषा व यौचगक परयोगो स बदचध का अपरततम ववकास

सससग व मतरदीकषा न कहाा स कहाा पहाचा ददया

5 वषक क बालक न चलायी जोखखम भरी सड़को पर कार

ऐस सतो का लजतना आदर ककया जाय कम ह

मझ तनवयकसनी बना ददया

गरजी की तसवीर न परार बचा ललय

सदगर लशषटय का साथ कभी नही छोड़त

गरकपा स अधापन दर हआ

और डकत घबराकर भाग गय

मतर दवारा मतदह म परार-सचार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस लमली

बड़दादा की लमटटी व जल स जीवनदान

पजय बाप न फ का कपा-परसाद

बटी न मनौती मानी और गरकपा हई

और गरदव की कपा बरसी

गरदव न भजा अकषयपातर

सवपन म ददय हए वरदान स पतरपरालपत

शरी आसारामायर क पाठ स जीवनदान

गरवारी पर ववशवास स अवरीय लाभ

सवफल क दो टकड़ो स दो सतान

साइककल स गरधाम जान पर खराब टााग ठीक हो गयी

अदभत रही मौनमददर की साधना

असारधय रोग स मलकत

कसट का चमसकार

पजयशरी की तसवीर स लमली परररा

नतरतरबद का चमसकार

मतर स लाभ

काम िोध पर ववजय पायी

जला हआ कागज पवक रप म

नदी की धारा मड़ गयी

सदगर-मदहमा

लडी मादटकन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान म परकट लशवजी

सखपवकक परसवकारक मतर

सवाागीर ववकास की कलजयाा

ॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

िहाितयजय ितर

ॐ हौ ज सः ॐ भ भयवः सवः ॐ तरयमबक यजािह सगध पषटिव यनि उवायरकमिव

बन नानितयोियकषकषय िाितात सवः भवः भ ः ॐ सः ज हौ ॐ

भगवान लशव का यह महामसयजय मतर जपन स अकाल मसय तो टलती ही ह आरोगयता की भी परालपत होती ह सनान करत समय शरीर पर लोट स पानी डालत वकत इस मतर का जप करन स सवासथय लाभ होता ह दध म तनहारत हए इस मतर का जप करक दध पी ललया जाय तो यौवन की सरकषा म भी सहायता लमलती ह आजकल की तज रफतार वाली लजदगी क कहाा उपिव दघकटना हो जाय कहना मलशकल ह घर स तनकलत समय एक बार यह मतर जपन वाला उपिवो स सरकषकषत

रहता ह और सरकषकषत लौटता ह (इस मतर क अनषटठान की परक जानकारी क ललए आशरम की आरोगयतनध पसतक पढ

शरीिदभागवत क आठव सक ि तीसर अधयाय क शलोक 1 स 33 तक ि वरणयत गजनर िोकष सतोतर का पाठ करन स तिाि षवघन द र होत ह

िगली बा ा तनवारक ितर

अ रा अ इस मतर को 108 बार जपन स िोध दर होता ह जनमकणडली म मगली दोष होन स लजनक वववाह न हो रह हो व 27 मगलवार इसका 108 बार जप करत हए वरत रख क हनमान जी पर लसदर का चोला चढाय तो मगल बाधा का कषय होता ह

1 षवदयाधथययो िाता-षपता-अमभभावको व राटर क कणय ारो क नाि बरहितनटठ सत शरी आसारािजी बाप का सदश

हमार दश का भववषटय हमारी यवा पीढी पर तनभकर ह ककनत उचचत मागकदशकन क अभाव म वह

आज गमराह हो रही ह |

पाशचासय भोगवादी सभयता क दषटपरभाव स उसक यौवन का हरास होता जा रहा ह | ववदशी चनल

चलचचतर अशलील सादहसय आदद परचार मारधयमो क दवारा यवक-यवततयो को गमराह ककया जा रहा ह

| ववलभनन सामतयको और समाचार-पतरो म भी तथाकचथत पाशचासय मनोववजञान स परभाववत मनोचचककससक और lsquoसकसोलॉलजसटrsquo यवा छातर-छातराओ को चररतर सयम और नततकता स भरषटट करन पर तल हए ह |

तरबरतानी औपतनवलशक ससकतत की दन इस वततकमान लशकषा-परराली म जीवन क नततक मकयो क परतत उदासीनता बरती गई ह | फलतः आज क ववदयाथी का जीवन कौमायकवसथा स ही ववलासी और असयमी हो जाता ह |

पाशचासय आचार-वयवहार क अधानकरर स यवानो म जो फशनपरसती अशदध आहार-ववहार क

सवन की परववतत कसग अभिता चलचचतर-परम आदद बढ रह ह उसस ददनोददन उनका पतन होता जा रहा ह | व तनबकल और कामी बनत जा रह ह | उनकी इस अवदशा को दखकर ऐसा लगता ह कक व बरहमचयक की मदहमा स सवकथा अनलभजञ ह |

लाखो नही करोड़ो-करोड़ो छातर-छातराएा अजञानतावश अपन तन-मन क मल ऊजाक-सरोत का वयथक म अपकषय कर परा जीवन दीनता-हीनता-दबकलता म तबाह कर दत ह और सामालजक अपयश क भय

स मन-ही-मन कषटट झलत रहत ह | इसस उनका शारीररक-मानलसक सवासथय चौपट हो जाता ह

सामानय शारीररक-मानलसक ववकास भी नही हो पाता | ऐस यवान रकताकपता ववसमरर तथा दबकलता स पीडड़त होत ह |

यही वजह ह कक हमार दश म औषधालयो चचककससालयो हजारो परकार की एलोपचथक दवाइयो इनजकशनो आदद की लगातार वदचध होती जा रही ह | असखय डॉकटरो न अपनी-अपनी दकान खोल

रखी ह कफर भी रोग एव रोचगयो की सखया बढती ही जा रही ह |

इसका मल कारर कया ह दवयकसन तथा अनततक अपराकततक एव अमयाकददत मथन दवारा वीयक की कषतत ही इसका मल कारर ह | इसकी कमी स रोगपरततकारक शलकत घटती ह जीवनशलकत का हरास होता ह |

इस दश को यदद जगदगर क पद पर आसीन होना ह ववशव-सभयता एव ववशव-ससकतत का लसरमौर बनना ह उननत सथान कफर स परापत करना ह तो यहाा की सनतानो को चादहए कक व बरहमचयक क महसव को समझ और सतत सावधान रहकर सखती स इसका पालन कर |

बरहमचयक क दवारा ही हमारी यवा पीढी अपन वयलकतसव का सतललत एव शरषटठतर ववकास कर सकती ह | बरहमचयक क पालन स बदचध कशागर बनती ह रोगपरततकारक शलकत बढती ह तथा महान-

स-महान लकषय तनधाकररत करन एव उस समपाददत करन का उससाह उभरता ह सककप म दढता आती ह मनोबल पषटट होता ह |

आरधयालसमक ववकास का मल भी बरहमचयक ही ह | हमारा दश औदयोचगक तकनीकी और आचथकक

कषतर म चाह ककतना भी ववकास कर ल समदचध परापत कर ल कफर भी यदद यवाधन की सरकषा न हो पाई तो यह भौततक ववकास अत म महाववनाश की ओर ही ल जायगा कयोकक सयम सदाचार

आदद क पररपालन स ही कोई भी सामालजक वयवसथा सचार रप स चल सकती ह | भारत का सवाागीर ववकास सचचररतर एव सयमी यवाधन पर ही आधाररत ह |

अतः हमार यवाधन छातर-छातराओ को बरहमचयक म परलशकषकषत करन क ललए उनह यौन-सवासथय

आरोगयशासतर दीघाकय-परालपत क उपाय तथा कामवासना तनयतरतरत करन की ववचध का सपषटट जञान परदान करना हम सबका अतनवायक कततकवय ह | इसकी अवहलना करना हमार दश व समाज क दहत म नही ह | यौवन सरकषा स ही सदढ राषटर का तनमाकर हो सकता ह |

(अनिम)

2 यौवन-सरकषा शरीरिादय खल ियसा नि |

धमक का साधन शरीर ह | शरीर स ही सारी साधनाएा समपनन होती ह | यदद शरीर कमजोर ह तो उसका परभाव मन पर पड़ता ह मन कमजोर पड़ जाता ह |

कोई भी कायक यदद सफलतापवकक करना हो तो तन और मन दोनो सवसथ होन चादहए | इसीललय

कई बढ लोग साधना की दहममत नही जटा पात कयोकक वषतयक भोगो स उनक शरीर का सारा ओज-तज नषटट हो चका होता ह | यदद मन मजबत हो तो भी उनका जजकर शरीर परा साथ नही द पाता | दसरी ओर यवक वगक साधना करन की कषमता होत हए भी ससार की चकाचौध स परभाववत

होकर वषतयक सखो म बह जाता ह | अपनी वीयकशलकत का महसव न समझन क कारर बरी आदतो म पड़कर उस खचक कर दता ह कफर लजनदगी भर पछताता रहता ह |

मर पास कई ऐस यवक आत ह जो भीतर-ही भीतर परशान रहत ह | ककसीको व अपना दःख-ददक सना नही पात कयोकक बरी आदतो म पड़कर उनहोन अपनी वीयकशलकत को खो ददया ह | अब मन

और शरीर कमजोर हो गय गय ससार उनक ललय दःखालय हो गया ईशवरपरालपत उनक ललए असभव हो गई | अब ससार म रोत-रोत जीवन घसीटना ही रहा |

इसीललए हर यग म महापरष लोग बरहमचयक पर जोर दत ह | लजस वयलकत क जीवन म सयम

नही ह वह न तो सवय की ठीक स उननतत कर पाता ह और न ही समाज म कोई महान कायक कर पाता ह | ऐस वयलकतयो स बना हआ समाज और दश भी भौततक उननतत व आरधयालसमक उननतत म वपछड़ जाता ह | उस दश का शीघर पतन हो जाता ह |

(अनिम)

बरहिचयय कया ह

पहल बरहमचयक कया ह- यह समझना चादहए | lsquoयाजञवककय सदहताrsquo म आया ह

कियणा िनसा वाचा सवायसथास सवयदा |

सवयतर िथनतआगो बरहिचय परचकषत ||

lsquoसवक अवसथाओ म मन वचन और कमक तीनो स मथन का सदव सयाग हो उस बरहमचयक कहत ह |rsquo

भगवान वदवयासजी न कहा ह

बरहिचय गपतषनरसयोपसथसय सयिः |

lsquoववषय-इलनियो दवारा परापत होन वाल सख का सयमपवकक सयाग करना बरहमचयक ह |rsquo

भगवान शकर कहत ह

मसद बबनदौ िहादषव कक न मसद यतत भ तल |

lsquoह पावकती तरबनद अथाकत वीयकरकषर लसदध होन क बाद कौन-सी लसदचध ह जो साधक को परापत नही हो सकती rsquo

साधना दवारा जो साधक अपन वीयक को ऊरधवकगामी बनाकर योगमागक म आग बढत ह व कई

परकार की लसदचधयो क माललक बन जात ह | ऊरधवकरता योगी परष क चररो म समसत लसदचधयाा दासी बनकर रहती ह | ऐसा ऊरधवकरता परष परमाननद को जकदी पा सकता ह अथाकत आसम-साकषासकार जकदी कर सकता ह |

दवताओ को दवसव भी इसी बरहमचयक क दवारा परापत हआ ह

बरहिचयण तपसा दवा ितयिपाघनत |

इनरो ह बरहिचयण दवभयः सवराभरत ||

lsquoबरहमचयकरपी तप स दवो न मसय को जीत ललया ह | दवराज इनि न भी बरहमचयक क परताप स ही दवताओ स अचधक सख व उचच पद को परापत ककया ह |rsquo

(अथवकवद 1519)

बरहमचयक बड़ा गर ह | वह ऐसा गर ह लजसस मनषटय को तनसय मदद लमलती ह और जीवन क सब

परकार क खतरो म सहायता लमलती ह |

(अनिम)

बरहिचयय उतकटि तप ह

ऐस तो तपसवी लोग कई परकार क तप करत ह परनत बरहमचयक क बार म भगवान शकर कहत ह

न तपसतप इतयाहबरयहिचय तपोततिि |

ऊधवयरता भवदयसत स दवो न त िानिः ||

lsquoबरहमचयक ही उसकषटट तप ह | इसस बढकर तपशचयाक तीनो लोको म दसरी नही हो सकती | ऊरधवकरता परष इस लोक म मनषटयरप म परसयकष दवता ही ह |rsquo

जन शासतरो म भी इस उसकषटट तप बताया गया ह |

तवस वा उतति बभचरि |

lsquoबरहमचयक सब तपो म उततम तप ह |rsquo

वीययरकषण ही जीवन ह

वीयक इस शरीररपी नगर का एक तरह स राजा ही ह | यह वीयकरपी राजा यदद पषटट ह बलवान ह

तो रोगरपी शतर कभी शरीररपी नगर पर आिमर नही करत | लजसका वीयकरपी राजा तनबकल ह उस

शरीररपी नगर को कई रोगरपी शतर आकर घर लत ह | इसीललए कहा गया ह

िरण बबनदोपातन जीवन बबनद ारणात |

lsquoतरबनदनाश (वीयकनाश) ही मसय ह और तरबनदरकषर ही जीवन ह |rsquo

जन गरथो म अबरहमचयक को पाप बताया गया ह

अबभचररय घोर पिाय दरहहठहठयि |

lsquoअबरहमचयक घोर परमादरप पाप ह |rsquo (दश वकाललक सतर 617)

lsquoअथवदrsquo म इस उसकषटट वरत की सजञा दी गई ह

वरति व व बरहिचययि |

वदयकशासतर म इसको परम बल कहा गया ह

बरहिचय पर बलि | lsquoबरहमचयक परम बल ह |rsquo

वीयकरकषर की मदहमा सभी न गायी ह | योगीराज गोरखनाथ न कहा ह

कत गया क कामिनी झ र | बबनद गया क जोगी ||

lsquoपतत क ववयोग म कालमनी तड़पती ह और वीयकपतन स योगी पशचाताप करता ह |rsquo

भगवान शकर न तो यहाा तक कह ददया कक इस बरहमचयक क परताप स ही मरी ऐसी महान मदहमा हई ह

यसय परसादानिहहिा ििापयतादशो भवत |

(अनिम)

आ तनक धचककतसको का ित

यरोप क परततलषटठत चचककससक भी भारतीय योचगयो क कथन का समथकन करत ह | डॉ तनकोल

कहत ह

ldquoयह एक भषलजक और ददहक तथय ह कक शरीर क सवोततम रकत स सतरी तथा परष दोनो ही जाततयो म परजनन तवव बनत ह | शदध तथा वयवलसथत जीवन म यह तवव पनः अवशोवषत हो जाता ह | यह सकषमतम मलसतषटक सनाय तथा मासपलशय ऊततको (Tissue) का तनमाकर करन क ललय तयार

होकर पनः पररसचारर म जाता ह | मनषटय का यह वीयक वापस ऊपर जाकर शरीर म ववकलसत होन पर उस तनभीक बलवान साहसी तथा वीर बनाता ह | यदद इसका अपवयय ककया गया तो यह उसको सतरर दबकल कशकलवर एव कामोततजनशील बनाता ह तथा उसक शरीर क अगो क कायकवयापार को ववकत एव सनायततर को लशचथल (दबकल) करता ह और उस लमगी (मगी) एव अनय अनक रोगो और

मसय का लशकार बना दता ह | जननलनिय क वयवहार की तनवतत स शारीररक मानलसक तथा अरधयालसमक बल म असाधारर वदचध होती ह |rdquo

परम धीर तथा अरधयवसायी वजञातनक अनसधानो स पता चला ह कक जब कभी भी रतःसराव को सरकषकषत रखा जाता तथा इस परकार शरीर म उसका पनवकशोषर ककया जाता ह तो वह रकत को समदध तथा मलसतषटक को बलवान बनाता ह |

डॉ डडओ लई कहत ह ldquoशारीररक बल मानलसक ओज तथा बौदचधक कशागरता क ललय इस तवव

का सरकषर परम आवशयक ह |rdquo

एक अनय लखक डॉ ई पी लमलर ललखत ह ldquoशिसराव का सवलचछक अथवा अनलचछक अपवयय

जीवनशलकत का परसयकष अपवयय ह | यह परायः सभी सवीकार करत ह कक रकत क सवोततम तवव

शिसराव की सरचना म परवश कर जात ह | यदद यह तनषटकषक ठीक ह तो इसका अथक यह हआ कक

वयलकत क ककयार क ललय जीवन म बरहमचयक परम आवशयक ह |rdquo

पलशचम क परखयात चचककससक कहत ह कक वीयककषय स ववशषकर तररावसथा म वीयककषय स ववववध परकार क रोग उसपनन होत ह | व ह शरीर म वरर चहर पर माहास अथवा ववसफोट नतरो क चतददकक नीली रखाय दाढी का अभाव धास हए नतर रकतकषीरता स पीला चहरा समततनाश दलषटट की कषीरता मतर क साथ वीयकसखलन अणडकोश की वदचध अणडकोशो म पीड़ा दबकलता तनिालता आलसय उदासी हदय-कमप शवासावरोध या कषटटशवास यकषमा पषटठशल कदटवात शोरोवदना सचध-पीड़ा दबकल वकक तनिा म मतर तनकल जाना मानलसक अलसथरता ववचारशलकत का अभाव दःसवपन

सवपन दोष तथा मानलसक अशातत |

उपरोकत रोग को लमटान का एकमातर ईलाज बरहमचयक ह | दवाइयो स या अनय उपचारो स य रोग सथायी रप स ठीक नही होत |

(अनिम)

वीयय कस बनता ह

वीयक शरीर की बहत मकयवान धात ह | भोजन स वीयक बनन की परकिया बड़ी लमबी ह | शरी सशरताचायक न ललखा ह

रसारकत ततो िास िासानिदः परजायत |

िदसयाषसथः ततो िजजा िजजाया शकरसभवः ||

जो भोजन पचता ह उसका पहल रस बनता ह | पााच ददन तक उसका पाचन होकर रकत बनता ह | पााच ददन बाद रकत म स मास उसम स 5-5 ददन क अतर स मद मद स हडडी हडडी स मजजा और मजजा स अत म वीयक बनता ह | सतरी म जो यह धात बनती ह उस lsquoरजrsquo कहत ह |

वीयक ककस परकार छः-सात मलजलो स गजरकर अपना यह अततम रप धारर करता ह यह सशरत क इस कथन स जञात हो जाता ह | कहत ह कक इस परकार वीयक बनन म करीब 30 ददन व 4 घणट लग जात ह | वजञतनक लोग कहत ह कक 32 ककलोगराम भोजन स 700 गराम रकत बनता ह और 700

गराम रकत स लगभग 20 गराम वीयक बनता ह |

(अनिम)

आकियक वयषकततव का कारण

इस वीयक क सयम स शरीर म एक अदभत आकषकक शलकत उसपनन होती ह लजस पराचीन वदय धनवतरर न lsquoओजrsquo नाम ददया ह | यही ओज मनषटय को अपन परम-लाभ lsquoआसमदशकनrsquo करान म सहायक बनता ह | आप जहाा-जहाा भी ककसी वयलकत क जीवन म कछ ववशषता चहर पर तज वारी म बल कायक म उससाह पायग वहाा समझो इस वीयक रकषर का ही चमसकार ह |

यदद एक साधारर सवसथ मनषटय एक ददन म 700 गराम भोजन क दहसाब स चालीस ददन म 32

ककलो भोजन कर तो समझो उसकी 40 ददन की कमाई लगभग 20 गराम वीयक होगी | 30 ददन अथाकत

महीन की करीब 15 गराम हई और 15 गराम या इसस कछ अचधक वीयक एक बार क मथन म परष

दवारा खचक होता ह |

िाली की कहानी

एक था माली | उसन अपना तन मन धन लगाकर कई ददनो तक पररशरम करक एक सनदर बगीचा तयार ककया | उस बगीच म भाातत-भाातत क मधर सगध यकत पषटप खखल | उन पषटपो को चनकर

उसन इकठठा ककया और उनका बदढया इतर तयार ककया | कफर उसन कया ककया समझ आप hellip उस

इतर को एक गदी नाली ( मोरी ) म बहा ददया |

अर इतन ददनो क पररशरम स तयार ककय गय इतर को लजसकी सगनध स सारा घर महकन वाला था उस नाली म बहा ददया आप कहग कक lsquoवह माली बड़ा मखक था पागल था helliprsquo मगर अपन आपम ही झााककर दख | वह माली कही और ढाढन की जररत नही ह | हमम स कई लोग ऐस ही माली ह |

वीयक बचपन स लकर आज तक यानी 15-20 वषो म तयार होकर ओजरप म शरीर म ववदयमान

रहकर तज बल और सफततक दता रहा | अभी भी जो करीब 30 ददन क पररशरम की कमाई थी उस या ही सामानय आवग म आकर अवववकपवकक खचक कर दना कहाा की बदचधमानी ह

कया यह उस माली जसा ही कमक नही ह वह माली तो दो-चार बार यह भल करन क बाद ककसी क समझान पर साभल भी गया होगा कफर वही-की-वही भल नही दोहराई होगी परनत आज तो कई लोग वही भल दोहरात रहत ह | अत म पशचाताप ही हाथ लगता ह |

कषखरक सख क ललय वयलकत कामानध होकर बड़ उससाह स इस मथनरपी कसय म पड़ता ह परनत कसय परा होत ही वह मद जसा हो जाता ह | होगा ही | उस पता ही नही कक सख तो नही लमला कवल सखाभास हआ परनत उसम उसन 30-40 ददन की अपनी कमाई खो दी |

यवावसथा आन तक वीयकसचय होता ह वह शरीर म ओज क रप म लसथत रहता ह | वह तो वीयककषय स नषटट होता ही ह अतत मथन स तो हडडडयो म स भी कछ सफद अश तनकलन लगता ह

लजसस असयचधक कमजोर होकर लोग नपसक भी बन जात ह | कफर व ककसी क सममख आाख

उठाकर भी नही दख पात | उनका जीवन नारकीय बन जाता ह |

वीयकरकषर का इतना महसव होन क कारर ही कब मथन करना ककसस मथन करना जीवन म ककतनी बार करना आदद तनदशन हमार ॠवष-मतनयो न शासतरो म द रख ह |

(अनिम)

सषटि करि क मलए िथन एक पराकततक वयवसथा

शरीर स वीयक-वयय यह कोई कषखरक सख क ललय परकतत की वयवसथा नही ह | सनतानोसपवतत क ललय इसका वासतववक उपयोग ह | यह परकतत की वयवसथा ह |

यह सलषटट चलती रह इसक ललए सनतानोसपवतत होना जररी ह | परकतत म हर परकार की वनसपतत व परारीवगक म यह काम-परववतत सवभावतः पाई जाती ह | इस काम- परववतत क वशीभत होकर हर परारी मथन करता ह और उसका रततसख भी उस लमलता ह | ककनत इस पराकततक वयवसथा को ही बार-बार कषखरक सख का आधार बना लना कहाा की बदचधमानी ह पश भी अपनी ॠत क अनसार ही इस

कामवतत म परवत होत ह और सवसथ रहत ह तो कया मनषटय पश वगक स भी गया बीता ह पशओ म तो बदचधतसव ववकलसत नही होता परनत मनषटय म तो उसका परक ववकास होता ह |

आहारतनराभयिथन च सािानयिततपशमभनयराणाि |

भोजन करना भयभीत होना मथन करना और सो जाना यह तो पश भी करत ह | पश शरीर म रहकर हम यह सब करत आए ह | अब यह मनषटय शरीर लमला ह | अब भी यदद बदचध और

वववकपरक अपन जीवन को नही चलाया और कषखरक सखो क पीछ ही दौड़त रह तो कस अपन मल

लकषय पर पहाच पायग

(अनिम)

सहजता की आड़ ि भरमित न होव कई लोग तकक दन लग जात ह ldquoशासतरो म पढन को लमलता ह और जञानी महापरषो क

मखारववनद स भी सनन म आता ह कक सहज जीवन जीना चादहए | काम करन की इचछा हई तो काम ककया भख लगी तो भोजन ककया नीद आई तो सो गय | जीवन म कोई lsquoटनशनrsquo कोई तनाव

नही होना चादहए | आजकल क तमाम रोग इसी तनाव क ही फल ह hellip ऐसा मनोवजञातनक कहत ह | अतः जीवन सहज और सरल होना चादहए | कबीरदास जी न भी कहा ह सा ो सहज सिाध भली |rdquo

ऐसा तकक दकर भी कई लोग अपन काम-ववकार की तलपत को सहमतत द दत ह | परनत यह अपन आपको धोखा दन जसा ह | ऐस लोगो को खबर ही नही ह कक ऐसा सहज जीवन तो महापरषो का होता ह लजनक मन और बदचध अपन अचधकार म होत ह लजनको अब ससार म अपन ललय पान को कछ भी शष नही बचा ह लजनह मान-अपमान की चचनता नही होती ह | व उस आसमतवव म लसथत हो जात ह जहाा न पतन ह न उसथान | उनको सदव लमलत रहन वाल आननद म अब ससार क ववषय न तो वदचध कर सकत ह न अभाव | ववषय-भोग उन महान परषो को आकवषकत करक अब बहका या भटका नही सकत | इसललए अब उनक सममख भल ही ववषय-सामचगरयो का ढर लग जाय ककनत उनकी चतना इतनी जागत होती ह कक व चाह तो उनका उपयोग कर और चाह तो ठकरा द |

बाहरी ववषयो की बात छोड़ो अपन शरीर स भी उनका ममसव टट चका होता ह | शरीर रह अथवा न रह- इसम भी उनका आगरह नही रहता | ऐस आननदसवरप म व अपन-आपको हर समय अनभव

करत रहत ह | ऐसी अवसथावालो क ललय कबीर जी न कहा ह

सा ो सहज सिाध भली |

(अनिम)

अपन को तोल हम यदद ऐसी अवसथा म ह तब तो ठीक ह | अनयथा रधयान रह ऐस तकक की आड़ म हम अपन को धोखा दकर अपना ही पतन कर डालग | जरा अपनी अवसथा की तलना उनकी अवसथा स कर | हम तो कोई हमारा अपमान कर द तो िोचधत हो उठत ह बदला तक लन को तयार हो जात ह | हम

लाभ-हातन म सम नही रहत ह | राग-दवष हमारा जीवन ह | lsquoमरा-तराrsquo भी वसा ही बना हआ ह | lsquoमरा धन hellip मरा मकान hellip मरी पसनी hellip मरा पसा hellip मरा लमतर hellip मरा बटा hellip मरी इजजत hellip मरा पद helliprsquo

य सब ससय भासत ह कक नही यही तो दहभाव ह जीवभाव ह | हम इसस ऊपर उठ कर वयवहार कर सकत ह कया यह जरा सोच |

कई साध लोग भी इस दहभाव स छटकारा नही पा सक सामानय जन की तो बात ही कया कई

साध भी lsquoम लसतरयो की तरफ दखता ही नही हा hellip म पस को छता ही नही हा helliprsquo इस परकार की अपनी-अपनी मन और बदचध की पकड़ो म उलझ हए ह | व भी अपना जीवन अभी सहज नही कर पाए ह और हम hellip

हम अपन साधारर जीवन को ही सहज जीवन का नाम दकर ववषयो म पड़ रहना चाहत ह | कही लमठाई दखी तो माह म पानी भर आया | अपन सबधी और ररशतदारो को कोई दःख हआ तो भीतर स हम भी दःखी होन लग गय | वयापार म घाटा हआ तो माह छोटा हो गया | कही अपन घर स जयादा ददन दर रह तो बार-बार अपन घरवालो की पसनी और पतरो की याद सतान लगी | य कोई सहज जीवन क लकषर ह लजसकी ओर जञानी महापरषो का सकत ह नही |

(अनिम)

िनोतनगरह की िहहिा आज कल क नौजवानो क साथ बड़ा अनयाय हो रहा ह | उन पर चारो ओर स ववकारो को भड़कान वाल आिमर होत रहत ह |

एक तो वस ही अपनी पाशवी ववततयाा यौन उचछखलता की ओर परोससादहत करती ह और दसर

सामालजक पररलसथततयाा भी उसी ओर आकषकर बढाती ह hellip इस पर उन परववततयो को वौजञातनक

समथकन लमलन लग और सयम को हातनकारक बताया जान लग hellip कछ तथाकचथत आचायक भी फरायड जस नालसतक एव अधर मनोवजञातनक क वयलभचारशासतर को आधार बनाकर lsquoसभोग स सिाध rsquo का उपदश दन लग तब तो ईशवर ही बरहमचयक और दामपसय जीवन की पववतरता का रकषक ह |

16 लसतमबर 1977 क lsquoनययॉकक टाइमस म छपा था

ldquoअमररकन पनल कहती ह कक अमररका म दो करोड़ स अचधक लोगो को मानलसक चचककससा की आवशयकता ह |rdquo

उपरोकत परररामो को दखत हए अमररका क एक महान लखक समपादक और लशकषा ववशारद शरी मादटकन गरोस अपनी पसतक lsquoThe Psychological Societyrsquo म ललखत ह ldquoहम लजतना समझत ह उसस कही जयादा फरायड क मानलसक रोगो न हमार मानस और समाज म गहरा परवश पा ललया ह |

यदद हम इतना जान ल कक उसकी बात परायः उसक ववकत मानस क ही परतततरबमब ह और उसकी मानलसक ववकततयो वाल वयलकतसव को पहचान ल तो उसक ववकत परभाव स बचन म सहायता लमल

सकती ह | अब हम डॉ फरायड की छाया म तरबककल नही रहना चादहए |rdquo

आधतनक मनोववजञान का मानलसक ववशलषर मनोरोग शासतर और मानलसक रोग की चचककससा hellip

य फरायड क रगर मन क परतततरबमब ह | फरायड सवय सफदटक कोलोन परायः सदा रहन वाला मानलसक

अवसाद सनायववक रोग सजातीय समबनध ववकत सवभाव माईगरन कबज परवास मसय और धननाश भय साईनोसाइदटस घरा और खनी ववचारो क दौर आदद रोगो स पीडडत था |

परोफसर एडलर और परोफसर सी जी जग जस मधकनय मनोवजञातनको न फरायड क

लसदधातो का खडन कर ददया ह कफर भी यह खद की बात ह कक भारत म अभी भी कई मानलसक

रोग ववशषजञ और सकसोलॉलजसट फरायड जस पागल वयलकत क लसदधातो को आधार लकर इस दश क जवानो को अनततक और अपराकततक मथन (Sex) का सभोग का उपदश वततकमान पतरो और

सामयोको क दवारा दत रहत ह | फरायड न तो मसय क पहल अपन पागलपन को सवीकार ककया था लककन उसक लककन उसक सवय सवीकार न भी कर तो भी अनयायी तो पागल क ही मान जायग | अब व इस दश क लोगो को चररतरभरषटट करन का और गमराह करन का पागलपन छोड़ द ऐसी हमारी नमर पराथकना ह | यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पााच बार पढ और पढाएा- इसी म सभी का ककयार तनदहत ह |

आाकड़ बतात ह कक आज पाशचासय दशो म यौन सदाचार की ककतनी दगकतत हई ह इस दगकतत

क परररामसवरप वहाा क तनवालसयो क वयलकतगत जीवन म रोग इतन बढ गय ह कक भारत स 10

गनी जयादा दवाइयाा अमररका म खचक होती ह जबकक भारत की आबादी अमररका स तीन गनी जयादा ह | मानलसक रोग इतन बढ ह कक हर दस अमररकन म स एक को मानलसक रोग होता ह | दवाकसनाएा इतनी बढी ह कक हर छः सकणड म एक बलासकार होता ह और हर वषक लगभग 20 लाख कनयाएा वववाह क पवक ही गभकवती हो जाती ह | मकत साहचयक (free sex) का दहमायती होन क कारर शादी क पहल वहाा का परायः हर वयलकत जातीय सबध बनान लगता ह | इसी वजह स लगभग 65 शाददयाा तलाक म बदल जाती ह | मनषटय क ललय परकतत दवारा तनधाकररत ककय गय सयम का उपहास करन क कारर परकतत न उन लोगो को जातीय रोगो का लशकार बना रखा ह | उनम मखयतः एडस (AIDS) की बीमारी ददन दनी रात चौगनी फलती जा रही ह | वहाा क पाररवाररक व सामालजक जीवन म िोध

कलह असतोष सताप उचछखलता उदयडता और शतरता का महा भयानक वातावरर छा गया ह |

ववशव की लगभग 4 जनसखया अमररका म ह | उसक उपभोग क ललय ववशव की लगभग 40

साधन-सामगरी (जस कक कार टी वी वातानकललत मकान आदद) मौजद ह कफर भी वहाा अपराधवतत

इतनी बढी ह की हर 10 सकणड म एक सधमारी होती ह हर लाख वयलकतयो म स 425 वयलकत

कारागार म सजा भोग रह ह जबकक भारत म हर लाख वयलकत म स कवल 23 वयलकत ही जल की सजा काट रह ह |

कामकता क समथकक फरायड जस दाशकतनको की ही यह दन ह कक लजनहोन पशचासय दशो को मनोववजञान क नाम पर बहत परभाववत ककया ह और वही स यह आाधी अब इस दश म भी फलती जा रही ह | अतः इस दश की भी अमररका जसी अवदशा हो उसक पहल हम सावधान रहना पड़गा | यहाा क कछ अववचारी दाशकतनक भी फरायड क मनोववजञान क आधार पर यवानो को बलगाम सभोग की तरफ उससादहत कर रह ह लजसस हमारी यवापीढी गमराह हो रही ह | फरायड न तो कवल मनोवजञातनक

मानयताओ क आधार पर वयलभचार शासतर बनाया लककन तथाकचथत दाशकतनक न तो lsquoसभोग स सिाध rsquo की पररककपना दवारा वयलभचार को आरधयालसमक जामा पहनाकर धालमकक लोगो को भी भरषटट ककया ह | सभोग स सिाध नही होती सतयानाश होता ह | lsquoसयम स ही समाचध होती ह helliprsquo इस भारतीय मनोववजञान को अब पाशचासय मनोववजञानी भी ससय मानन लग ह |

जब पलशचम क दशो म जञान-ववजञान का ववकास परारमभ भी नही हआ था और मानव न ससकतत क कषतर म परवश भी नही ककया था उस समय भारतवषक क दाशकतनक और योगी मानव मनोववजञान क ववलभनन पहलओ और समसयाओ पर गमभीरता पवकक ववचार कर रह थ | कफर भी पाशचासय ववजञान की छतरछाया म पल हए और उसक परकाश स चकाचौध वततकमान भारत क मनोवजञातनक भारतीय

मनोववजञान का अलसतवव तक मानन को तयार नही ह | यह खद की बात ह | भारतीय मनोवजञातनको न चतना क चार सतर मान ह जागरत सवपन सषलपत और तरीय | पाशचासय मनोवजञातनक परथम तीन सतर को ही जानत ह | पाशचासय मनोववजञान नालसतक ह | भारतीय मनोववजञान ही आसमववकास

और चररतर तनमाकर म सबस अचधक उपयोगी लसदध हआ ह कयोकक यह धमक स असयचधक परभाववत ह | भारतीय मनोववजञान आसमजञान और आसम सधार म सबस अचधक सहायक लसदध होता ह | इसम बरी आदतो को छोड़न और अचछी आदतो को अपनान तथा मन की परकियाओ को समझन तथा उसका तनयतरर करन क महसवपरक उपाय बताय गय ह | इसकी सहायता स मनषटय सखी सवसथ और

सममातनत जीवन जी सकता ह |

पलशचम की मनोवजञातनक मानयताओ क आधार पर ववशवशातत का भवन खड़ा करना बाल की नीव पर भवन-तनमाकर करन क समान ह | पाशचासय मनोववजञान का पररराम वपछल दो ववशवयदधो क रप म ददखलायी पड़ता ह | यह दोष आज पलशचम क मनोवजञातनको की समझ म आ रहा ह | जबकक

भारतीय मनोववजञान मनषटय का दवी रपानतरर करक उसक ववकास को आग बढाना चाहता ह | उसक

lsquoअनकता म एकताrsquo क लसदधात पर ही ससार क ववलभनन राषटरो सामालजक वगो धमो और परजाततयो

म सदहषटरता ही नही सकिय सहयोग उसपनन ककया जा सकता ह | भारतीय मनोववजञान म शरीर और

मन पर भोजन का कया परभाव पड़ता ह इस ववषय स लकर शरीर म ववलभनन चिो की लसथतत

कणडललनी की लसथतत वीयक को ऊरधवकगामी बनान की परकिया आदद ववषयो पर ववसतारपवकक चचाक की गई ह | पाशचासय मनोववजञान मानव-वयवहार का ववजञान ह | भारतीय मनोववजञान मानस ववजञान क साथ-साथ आसमववजञान ह | भारतीय मनोववजञान इलनियतनयतरर पर ववशष बल दता ह जबकक पाशचासय मनोववजञान कवल मानलसक कियाओ या मलसतषटक-सगठन पर बल दता ह | उसम मन दवारा मानलसक जगत का ही अरधययन ककया जाता ह | उसम भी परायड का मनोववजञान तो एक रगर मन क दवारा अनय रगर मनो का ही अरधययन ह जबकक भारतीय मनोववजञान म इलनिय-तनरोध स मनोतनरोध और मनोतनरोध स आसमलसदचध का ही लकषय मानकर अरधययन ककया जाता ह | पाशचासय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत का कोई समचचत साधन पररलकषकषत नही होता जो उसक वयलकतसव म तनदहत तनषधासमक पररवशो क ललए सथायी तनदान परसतत कर सक | इसललए परायड क लाखो बदचधमान अनयायी भी पागल हो गय | सभोग क मागक पर चलकर कोई भी वयलकत योगलसदध महापरष नही हआ | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह |

ऐस कई नमन हमन दख ह | इसक ववपरीत भारतीय मनोववजञान म मानलसक तनावो स मलकत क ववलभनन उपाय बताय गय ह यथा योगमागक साधन-चतषटटय शभ-ससकार सससगतत अभयास

वरागय जञान भलकत तनषटकाम कमक आदद | इन साधनो क तनयलमत अभयास स सगदठत एव समायोलजत वयलकतसव का तनमाकर सभव ह | इसललय भारतीय मनोववजञान क अनयायी पाखरतन और महाकवव काललदास जस परारमभ म अकपबदचध होन पर भी महान ववदवान हो गय | भारतीय मनोववजञान न इस ववशव को हजारो महान भकत समथक योगी तथा बरहमजञानी महापरष ददय ह |

अतः पाशचासय मनोववजञान को छोड़कर भारतीय मनोववजञान का आशरय लन म ही वयलकत कटमब समाज राषटर और ववशव का ककयार तनदहत ह |

भारतीय मनोववजञान पतजलल क लसदधातो पर चलनवाल हजारो योगालसदध महापरष इस दश म हए ह अभी भी ह और आग भी होत रहग जबकक सभोग क मागक पर चलकर कोई योगलसदध महापरष हआ हो ऐसा हमन तो नही सना बलकक दबकल हए रोगी हए एड़स क लशकार हए अकाल मसय क लशकार हए खखनन मानस हए अशात हए | उस मागक पर चलनवाल पागल हए ह ऐस कई नमन हमन दख ह |

फरायड न अपनी मनःलसथतत की तराज पर सारी दतनया क लोगो को तौलन की गलती की ह | उसका अपना जीवन-िम कछ बतक ढग स ववकलसत हआ ह | उसकी माता अमललया बड़ी खबसरत थी | उसन योकोव नामक एक अनय परष क साथ अपना दसरा वववाह ककया था | जब फरायड जनमा तब वह २१ वषक की थी | बचच को वह बहत पयार करती थी |

य घटनाएा फरायड न सवय ललखी ह | इन घटनाओ क अधार पर फरायड कहता ह ldquoपरष बचपन स ही ईडडपस कॉमपलकस (Oedipus Complex) अथाकत अवचतन मन म अपनी माा क परतत यौन-आकाकषा स आकवषकत होता ह तथा अपन वपता क परतत यौन-ईषटयाक स गरलसत रहता ह | ऐस ही लड़की अपन बाप क परतत आकवषकत होती ह तथा अपनी माा स ईषटयाक करती ह | इस इलकरा कोऊमपलकस (Electra Complex) कहत ह | तीन वषक की आय स ही बचचा अपनी माा क साथ यौन-समबनध सथावपत करन क ललय लालातयत रहता ह | एकाध साल क बाद जब उस पता चलता ह कक उसकी माा क साथ तो बाप का वसा सबध पहल स ही ह तो उसक मन म बाप क परतत ईषटयाक और घरा जाग पड़ती ह | यह ववदवष उसक अवचतन मन म आजीवन बना रहता ह | इसी परकार लड़की अपन बाप क परतत सोचती ह और माा स ईषटयाक करती ह |

फरायड आग कहता ह इस मानलसक अवरोध क कारर मनषटय की गतत रक जाती ह |

ईडडपस कोऊमपलकस उसक सामन तरह-तरह क अवरोध खड़ करता ह | यह लसथतत कोई अपवाद नही ह वरन साधाररतया यही होता ह |

यह ककतना घखरत और हासयासपद परततपादन ह छोटा बचचा यौनाकाकषा स पीडडत होगा सो भी अपनी माा क परतत पश-पकषकषयो क बचच क शरीर म भी वासना तब उठती ह जब उनक शरीर परजनन क योगय सदढ हो जात ह | तो मनषटय क बालक म यह ववतत इतनी छोटी आय म कस पदा हो सकती ह और माा क साथ वसी तलपत करन कक उसकी शाररररक-मानलसक लसथतत भी नही होती | कफर तीन वषक क बालक को काम-किया और माा-बाप क रत रहन की जानकारी उस कहाा स हो जाती ह कफर वह यह कस समझ लता ह कक उस बाप स ईषटयाक करनी चादहए

बचच दवारा माा का दध पीन की किया को ऐस मनोववजञातनयो न रततसख क समककष बतलाया ह | यदद इस सतनपान को रततसख माना जाय तब तो आय बढन क साथ-साथ यह उसकठा भी परबलतर होती जानी चादहए और वयसक होन तक बालक को माता का दध ही पीत रहना चादहए | ककनत यह ककस परकार सभव ह

तो य ऐस बतक परततपादन ह कक लजनकी भससकना ही की जानी चादहए | फरायड न अपनी मानलसक ववकततयो को जनसाधारर पर थोपकर मनोववजञान को ववकत बना ददया |

जो लोग मानव समाज को पशता म चगरान स बचाना चाहत ह भावी पीढी का जीवन वपशाच होन स बचाना चाहत ह यवानो का शारीररक सवासथय मानलसक परसननता और बौदचधक सामथयक बनाय रखना चाहत ह इस दश क नागररको को एडस (AIDS) जसी घातक बीमाररयो स गरसत होन स रोकना चाहत ह सवसथ समाज का तनमाकर करना चाहत ह उन सबका यह नततक कववयक ह कक व हमारी गमराह यवा पीढी को यौवन सरकषा जसी पसतक पढाय |

यदद काम-ववकार उठा और हमन यह ठीक नही ह इसस मर बल-बदचध और तज का नाश होगा ऐसा समझकर उसको टाला नही और उसकी पतत क म लमपट होकर लग गय तो हमम और पशओ म अतर ही कया रहा पश तो जब उनकी कोई ववशष ऋत होती ह तभी मथन करत ह बाकी ऋतओ म नही | इस दलषटट स उनका जीवन सहज व पराकततक ढग का होता ह | परत मनषटय

मनषटय तो बारहो महीन काम-किया की छट लकर बठा ह और ऊपर स यह भी कहता ह कक यदद काम-वासना की पतत क करक सख नही ललया तो कफर ईशवर न मनषटय म जो इसकी रचना की ह उसका कया मतलब आप अपन को वववकपरक रोक नही पात हो छोट-छोट सखो म उलझ जात हो- इसका तो कभी खयाल ही नही करत और ऊपर स भगवान तक को अपन पापकमो म भागीदार बनाना चाहत हो

(अनिम)

आतिघाती तकय अभी कछ समय पवक मर पास एक पतर आया | उसम एक वयलकत न पछा था ldquoआपन सससग म कहा और एक पलसतका म भी परकालशत हआ कक lsquoबीड़ी लसगरट तमबाक आदद मत वपयो | ऐस वयसनो स बचो कयोकक य तमहार बल और तज का हरर करत ह helliprsquo यदद ऐसा ही ह तो भगवान न तमबाक आदद पदा ही कयो ककया rdquo

अब उन सजजन स य वयसन तो छोड़ नही जात और लग ह भगवान क पीछ | भगवान न गलाब क साथ कााट भी पदा ककय ह | आप फल छोड़कर कााट तो नही तोड़त भगवान न आग भी पदा की ह | आप उसम भोजन पकात हो अपना घर तो नही जलात भगवान न आक (मदार) धतर बबल आदद भी बनाय ह मगर उनकी तो आप सबजी नही बनात इन सब म तो आप अपनी बदचध का उपयोग करक वयवहार करत हो और जहाा आप हार जात हो जब आपका मन आपक कहन म नही होता तो आप लगत हो भगवान को दोष दन अर भगवान न तो बादाम-वपसत भी पदा ककय ह दध भी पदा ककया ह | उपयोग करना ह तो इनका करो जो आपक बल और बदचध की वदचध कर | पसा ही खचकना ह तो इनम खचो | यह तो होता नही और लग ह तमबाक क पीछ | यह बदचध का सदपयोग नही ह दरपयोग ह | तमबाक पीन स तो बदचध और भी कमजोर हो जायगी |

शरीर क बल बदचध की सरकषा क ललय वीयकरकषर बहत आवशयक ह | योगदशकन क lsquoसाधपादrsquo म बरहमचयक की महतता इन शबदो म बतायी गयी ह

बरहिचययपरततटठाया वीययलाभः ||37||

बरहमचयक की दढ लसथतत हो जान पर सामथयक का लाभ होता ह |

(अनिम)

सतरी परसग ककतनी बार

कफर भी यदद कोई जान-बझकर अपन सामथयक को खोकर शरीहीन बनना चाहता हो तो यह यनान

क परलसदध दाशकतनक सकरात क इन परलसदध वचनो को सदव याद रख | सकरात स एक वयलकत न पछा

ldquoपरष क ललए ककतनी बार सतरी-परसग करना उचचत ह rdquo

ldquoजीवन भर म कवल एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस तलपत न हो सक तो rdquo

ldquoतो वषक म एक बार |rdquo

ldquoयदद इसस भी सतोष न हो तो rdquo

ldquoकफर महीन म एक बार |rdquo

इसस भी मन न भर तो rdquo

ldquoतो महीन म दो बार कर परनत मसय शीघर आ जायगी |rdquo

ldquoइतन पर भी इचछा बनी रह तो कया कर rdquo

इस पर सकरात न कहा

ldquoतो ऐसा कर कक पहल कबर खदवा ल कफर कफन और लकड़ी घर म लाकर तयार रख | उसक

पशचात जो इचछा हो सो कर |rdquo

सकरात क य वचन सचमच बड़ परररापरद ह | वीयककषय क दवारा लजस-लजसन भी सख लन का परयास ककया ह उनह घोर तनराशा हाथ लगी ह और अनत म शरीहीन होकर मसय का गरास बनना पड़ा

ह | कामभोग दवारा कभी तलपत नही होती और अपना अमकय जीवन वयथक चला जाता ह | राजा ययातत की कथा तो आपन सनी होगी |

(अनिम)

राजा ययातत का अनभव

शिाचायक क शाप स राजा ययातत यवावसथा म ही वदध हो गय थ | परनत बाद म ययातत क पराथकना करन पर शिाचायक न दयावश उनको यह शलकत द दी कक व चाह तो अपन पतरो स यवावसथा लकर अपना वाधककय उनह द सकत थ | तब ययातत न अपन पतर यद तवकस िहय और अन स उनकी जवानी माागी मगर व राजी न हए | अत म छोट पतर पर न अपन वपता को अपना यौवन दकर उनका बढापा ल ललया |

पनः यवा होकर ययातत न कफर स भोग भोगना शर ककया | व ननदनवन म ववशवाची नामक अपसरा क साथ रमर करन लग | इस परकार एक हजार वषक तक भोग भोगन क बाद भी भोगो स

जब व सतषटट नही हए तो उनहोन अपना बचा हआ यौवन अपन पतर पर को लौटात हए कहा

न जात कािः कािानािपभोगन शामयतत |

हषविा कटणवतिव भ य एवामभव यत ||

ldquoपतर मन तमहारी जवानी लकर अपनी रचच उससाह और समय क अनसार ववषटयो का सवन ककया लककन ववषयो की कामना उनक उपभोग स कभी शात नही होती अवपत घी की आहतत पड़न पर अलगन की भाातत वह अचधकाचधक बढती ही जाती ह |

रसनो स जड़ी हई सारी पथवी ससार का सारा सवरक पश और सनदर लसतरयाा व सब एक परष को लमल जाय तो भी व सबक सब उसक ललय पयाकपत नही होग | अतः तषटरा का सयाग कर दना चादहए |

छोटी बदचधवाल लोगो क ललए लजसका सयाग करना असयत कदठन ह जो मनषटय क बढ होन पर

भी सवय बढी नही होती तथा जो एक परारानतक रोग ह उस तषटरा को सयाग दनवाल परष को ही सख लमलता ह |rdquo (महाभारत आददपवाकखर सभवपवक 12)

ययातत का अनभव वसततः बड़ा मालमकक और मनषटय जातत ल ललय दहतकारी ह | ययातत आग कहत ह

ldquoपतर दखो मर एक हजार वषक ववषयो को भोगन म बीत गय तो भी तषटरा शात नही होती और आज भी परततददन उन ववषयो क ललय ही तषटरा पदा होती ह |

प ण वियसहसर ि षवियासकतचतसः |

तथापयनहदन तटणा िितटवमभजायत ||

इसललए पतर अब म ववषयो को छोड़कर बरहमाभयास म मन लगाऊा गा | तनदकवनदव तथा ममतारदहत होकर वन म मगो क साथ ववचरा गा | ह पतर तमहारा भला हो | तम पर म परसनन हा | अब तम अपनी जवानी पनः परापत करो और म यह राजय भी तमह ही अपकर करता हा |

इस परकार अपन पतर पर को राजय दकर ययातत न तपसया हत वनगमन ककया | उसी राजा पर स पौरव वश चला | उसी वश म परीकषकषत का पतर राजा जनमजय पदा हआ था |

(अनिम)

राजा िचकनद का परसग

राजा मचकनद गगाकचायक क दशकन-सससग क फलसवरप भगवान का दशकन पात ह | भगवान स सततत करत हए व कहत ह

ldquoपरभो मझ आपकी दढ भलकत दो |rdquo

तब भगवान कहत ह ldquoतन जवानी म खब भोग भोग ह ववकारो म खब डबा ह | ववकारी जीवन

जीनवाल को दढ भलकत नही लमलती | मचकनद दढ भलकत क ललए जीवन म सयम बहत जररी ह |

तरा यह कषतरतरय शरीर समापत होगा तब दसर जनम म तझ दढ भलकत परापत होगी |rdquo

वही राजा मचकनद कललयग म नरलसह महता हए |

जो लोग अपन जीवन म वीयकरकषा को महसव नही दत व जरा सोच कक कही व भी राजा ययातत का तो अनसरर नही कर रह ह यदद कर रह हो तो जस ययातत सावधान हो गय वस आप भी सावधान हो जाओ भया दहममत करो | सयान हो जाओ | दया करो | हम पर दया न करो तो अपन-आप पर तो दया करो भया दहममत करो भया सयान हो जाओ मर पयार जो हो गया उसकी चचनता न करो | आज स नवजीवन का परारभ करो | बरहमचयकरकषा क आसन पराकततक औषचधयाा इसयादद जानकर वीर बनो | ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

(अनिम)

गलत अभयास का दटपररणाि

आज ससार म ककतन ही ऐस अभाग लोग ह जो शगार रस की पसतक पढकर लसनमाओ क कपरभाव क लशकार होकर सवपनावसथा या जागरतावसथा म अथवा तो हसतमथन दवारा सपताह म ककतनी बार वीयकनाश कर लत ह | शरीर और मन को ऐसी आदत डालन स वीयाकशय बार-बार खाली होता रहता ह | उस वीयाकशय को भरन म ही शारीररक शलकत का अचधकतर भाग वयय होन लगता ह

लजसस शरीर को काततमान बनान वाला ओज सचचत ही नही हो पाता और वयलकत शलकतहीन

ओजहीन और उससाहशनय बन जाता ह | ऐस वयलकत का वीयक पतला पड़ता जाता ह | यदद वह समय पर अपन को साभाल नही सक तो शीघर ही वह लसथतत आ जाती ह कक उसक अणडकोश वीयक बनान म असमथक हो जात ह | कफर भी यदद थोड़ा बहत वीयक बनता ह तो वह भी पानी जसा ही बनता ह

लजसम सनतानोसपवतत की ताकत नही होती | उसका जीवन जीवन नही रहता | ऐस वयलकत की हालत मतक परष जसी हो जाती ह | सब परकार क रोग उस घर लत ह | कोई दवा उस पर असर नही कर पाती | वह वयलकत जीत जी नकक का दःख भोगता रहता ह | शासतरकारो न ललखा ह

आयसतजोबल वीय परजञा शरीशच िहदयशः |

पणय च परीततितव च हनयतऽबरहिचयाय ||

lsquoआय तज बल वीयक बदचध लकषमी कीततक यश तथा पणय और परीतत य सब बरहमचयक का पालन न करन स नषटट हो जात ह |rsquo

(अनिम)

वीययरकषण सदव सततय

इसीललए वीयकरकषा सतसय ह | lsquoअथवकवद म कहा गया ह

अतत सटिो अपा विभोऽततसटिा अगनयो हदवया ||1||

इद तितत सजामि त िाऽभयवतनकषकष ||2||

अथाकत lsquoशरीर म वयापत वीयक रपी जल को बाहर ल जान वाल शरीर स अलग कर दन वाल काम

को मन पर हटा ददया ह | अब म इस काम को अपन स सवकथा दर फ कता हा | म इस आरोगयता बल-बदचधनाशक काम का कभी लशकार नही होऊा गा |rsquo

hellip और इस परकार क सककप स अपन जीवन का तनमाकर न करक जो वयलकत वीयकनाश करता रहता ह उसकी कया गतत होगी इसका भी lsquoअथवकवदrsquo म उकलख आता ह

रजन परररजन िणन पररिणन |

मरोको िनोहा खनो तनदायह आतिद षिसतन द षिः ||

यह काम रोगी बनान वाला ह बहत बरी तरह रोगी करन वाला ह | मरन यानी मार दन वाला ह |

पररमरन यानी बहत बरी तरह मारन वाला ह |यह टढी चाल चलता ह मानलसक शलकतयो को नषटट कर दता ह | शरीर म स सवासथय बल आरोगयता आदद को खोद-खोदकर बाहर फ क दता ह | शरीर की सब धातओ को जला दता ह | आसमा को मललन कर दता ह | शरीर क वात वपतत कफ को दवषत करक उस तजोहीन बना दता ह |

बरहमचयक क बल स ही अगारपरक जस बलशाली गधवकराज को अजकन न परालजत कर ददया था |

(अनिम)

अजयन और अगारपणय ग वय अजकन अपन भाईयो सदहत िौपदी क सवयवर-सथल पाचाल दश की ओर जा रहा था तब बीच म गगा तट पर बस सोमाशरयार तीथक म गधवकराज अगारपरक (चचतररथ) न उसका रासता रोक ददया | वह गगा म अपनी लसतरयो क साथ जलकिड़ा कर रहा था | उसन पााचो पाडवो को कहा ldquoमर यहाा रहत हए

राकषस यकष दवता अथवा मनषटय कोई भी इस मागक स नही जा सकता | तम लोग जान की खर चाहत हो तो लौट जाओ |rdquo

तब अजकन कहता ह

ldquoम जानता हा कक समपरक गधवक मनषटयो स अचधक शलकतशाली होत ह कफर भी मर आग तमहारी दाल नही गलगी | तमह जो करना हो सो करो हम तो इधर स ही जायग |rdquo

अजकन क इस परततवाद स गधवक बहत िोचधत हआ और उसन पाडवो पर तीकषर बार छोड़ | अजकन

न अपन हाथ म जो जलती हई मशाल पकड़ी थी उसीस उसक सभी बारो को तनषटफल कर ददया | कफर गधवक पर आगनय असतर चला ददया | असतर क तज स गधवक का रथ जलकर भसम हो गया और

वह सवय घायल एव अचत होकर माह क बल चगर पड़ा | यह दखकर उस गधवक की पसनी कममीनसी बहत घबराई और अपन पतत की रकषाथक यचधलषटठर स पराथकना करन लगी | तब यचधलषटठर न अजकन स उस गधवक को अभयदान ददलवाया |

जब वह अगारपरक होश म आया तब बोला

ldquoअजकन म परासत हो गया इसललए अपन पवक नाम अगारपरक को छोड़ दता हा | म अपन ववचचतर

रथ क कारर चचतररथ कहलाता था | वह रथ भी आपन अपन परािम स दगध कर ददया ह | अतः अब

म दगधरथ कहलाऊा गा |

मर पास चाकषषी नामक ववदया ह लजस मन न सोम को सोम न ववशवावस को और ववशवावस न मझ परदान की ह | यह गर की ववदया यदद ककसी कायर को लमल जाय तो नषटट हो जाती ह | जो छः महीन तक एक पर पर खड़ा रहकर तपसया कर वही इस ववदया को पा सकता ह | परनत अजकन म आपको ऐसी तपसया क तरबना ही यह ववदया परदान करता हा |

इस ववदया की ववशषता यह ह कक तीनो लोको म कही भी लसथत ककसी वसत को आाख स दखन की इचछा हो तो उस उसी रप म इस ववदया क परभाव स कोई भी वयलकत दख सकता ह | अजकन

इस ववदया क बल पर हम लोग मनषटयो स शरषटठ मान जात ह और दवताओ क तकय परभाव ददखा सकत ह |rdquo

इस परकार अगारपरक न अजकन को चाकषषी ववदया ददवय घोड़ एव अनय वसतएा भट की |

अजकन न गधवक स पछा गधवक तमन हम पर एकाएक आिमर कयो ककया और कफर हार कयो गय rdquo

तब गधवक न बड़ा ममकभरा उततर ददया | उसन कहा

ldquoशतरओ को सताप दनवाल वीर यदद कोई कामासकत कषतरतरय रात म मझस यदध करन आता तो ककसी भी परकार जीववत नही बच सकता था कयोकक रात म हम लोगो का बल और भी बढ जाता ह |

अपन बाहबल का भरोसा रखन वाला कोई भी परष जब अपनी सतरी क सममख ककसीक दवारा अपना ततरसकार होत दखता ह तो सहन नही कर पाता | म जब अपनी सतरी क साथ जलिीड़ा कर

रहा था तभी आपन मझ ललकारा इसीललय म िोधाववषटट हआ और आप पर बारवषाक की | लककन यदद आप यह पछो कक म आपस परालजत कयो हआ तो उसका उततर ह

बरहिचय परो ियः स चाषप तनयतसवततय |

यसिात तसिादह पाथय रणऽषसि षवषजतसतवया ||

ldquoबरहमचयक सबस बड़ा धमक ह और वह आपम तनलशचत रप स ववदयमान ह | ह कनतीनदन

इसीललय यदध म म आपस हार गया हा |rdquo (महाभारत आददपवकखर चतररथ पवक 71)

हम समझ गय कक वीयकरकषर अतत आवशयक ह | अब वह कस हो इसकी चचाक करन स पवक एक बार

बरहमचयक का तालववक अथक ठीक स समझ ल |

(अनिम)

बरहिचयय का ताषततवक अथय lsquoबरहमचयकrsquo शबद बड़ा चचतताकषकक और पववतर शबद ह | इसका सथल अथक तो यही परलसदध ह कक

लजसन शादी नही की ह जो काम-भोग नही करता ह जो लसतरयो स दर रहता ह आदद-आदद | परनत यह बहत सतही और सीलमत अथक ह | इस अथक म कवल वीयकरकषर ही बरहमचयक ह | परनत रधयान रह

कवल वीयकरकषर मातर साधना ह मलजल नही | मनषटय जीवन का लकषय ह अपन-आपको जानना अथाकत

आसम-साकषासकार करना | लजसन आसम-साकषासकार कर ललया वह जीवनमकत हो गया | वह आसमा क

आननद म बरहमाननद म ववचरर करता ह | उस अब ससार स कछ पाना शष नही रहा | उसन आननद का सरोत अपन भीतर ही पा ललया | अब वह आननद क ललय ककसी भी बाहरी ववषय पर

तनभकर नही ह | वह परक सवततर ह | उसकी कियाएा सहज होती ह | ससार क ववषय उसकी आननदमय आलसमक लसथतत को डोलायमान नही कर सकत | वह ससार क तचछ ववषयो की पोल को समझकर अपन आननद म मसत हो इस भतल पर ववचरर करता ह | वह चाह लागोटी म हो चाह बहत स कपड़ो म घर म रहता हो चाह झोपड़ म गहसथी चलाता हो चाह एकानत जगल म ववचरता हो ऐसा महापरष ऊपर स भल कगाल नजर आता हो परनत भीतर स शहशाह होता ह कयोकक उसकी सब

वासनाएा सब कततकवय पर हो चक ह | ऐस वयलकत को ऐस महापरष को वीयकरकषर करना नही पड़ता सहज ही होता ह | सब वयवहार करत हए भी उनकी हर समय समाचध रहती ह | उनकी समाचध सहज

होती ह अखणड होती ह | ऐसा महापरष ही सचचा बरहमचारी होता ह कयोकक वह सदव अपन बरहमाननद म अवलसथत रहता ह |

सथल अथक म बरहमचयक का अथक जो वीयकरकषर समझा जाता ह उस अथक म बरहमचयक शरषटठ वरत ह

शरषटठ तप ह शरषटठ साधना ह और इस साधना का फल ह आसमजञान आसम-साकषासकार | इस

फलपरालपत क साथ ही बरहमचयक का परक अथक परकट हो जाता ह |

जब तक ककसी भी परकार की वासना शष ह तब तक कोई परक बरहमचयक को उपलबध नही हो सकता | जब तक आसमजञान नही होता तब तक परक रप स वासना तनवतत नही होती | इस वासना की तनववतत क ललय अतःकरर की शदचध क ललय ईशवर की परालपत क ललय सखी जीवन जीन क ललय

अपन मनषटय जीवन क सवोचच लकषय को परापत करन क ललय या कहो परमाननद की परालपत क ललयhellip कछ भी हो वीयकरकषररपी साधना सदव अब अवसथाओ म उततम ह शरषटठ ह और आवशयक ह

|

वीयकरकषर कस हो इसक ललय यहाा हम कछ सथल और सकषम उपायो की चचाक करग |

(अनिम)

3 वीययरकषा क उपाय

सादा रहन-सहन बनाय काफी लोगो को यह भरम ह कक जीवन तड़क-भड़कवाला बनान स व समाज म ववशष मान जात ह | वसततः ऐसी बात नही ह | इसस तो कवल अपन अहकार का ही परदशकन होता ह | लाल रग क भड़कील एव रशमी कपड़ नही पहनो | तल-फलल और भाातत-भाातत क इतरो का परयोग करन स बचो | जीवन म लजतनी तड़क-भड़क बढगी इलनियाा उतनी चचल हो उठगी कफर वीयकरकषा तो दर की बात ह |

इततहास पर भी हम दलषटट डाल तो महापरष हम ऐस ही लमलग लजनका जीवन परारभ स ही सादगीपरक था | सादा रहन-सहन तो बडपपन का दयोतक ह | दसरो को दख कर उनकी अपराकततक व

अचधक आवशयकताओवाली जीवन-शली का अनसरर नही करो |

उपयकत आहार

ईरान क बादशाह वहमन न एक शरषटठ वदय स पछा

ldquoददन म मनषटय को ककतना खाना चादहएrdquo

ldquoसौ ददराम (अथाकत 31 तोला) | ldquoवदय बोला |

ldquoइतन स कया होगाrdquo बादशाह न कफर पछा |

वदय न कहा ldquoशरीर क पोषर क ललय इसस अचधक नही चादहए | इसस अचधक जो कछ खाया जाता ह वह कवल बोझा ढोना ह और आयषटय खोना ह |rdquo

लोग सवाद क ललय अपन पट क साथ बहत अनयाय करत ह ठास-ठासकर खात ह | यरोप का एक बादशाह सवाददषटट पदाथक खब खाता था | बाद म औषचधयो दवारा उलटी करक कफर स सवाद लन क

ललय भोजन करता रहता था | वह जकदी मर गया |

आप सवादलोलप नही बनो | लजहवा को तनयतरर म रखो | कया खाय कब खाय कस खाय और

ककतना खाय इसका वववक नही रखा तो पट खराब होगा शरीर को रोग घर लग वीयकनाश को परोससाहन लमलगा और अपन को पतन क रासत जान स नही रोक सकोग |

परमपवकक शात मन स पववतर सथान पर बठ कर भोजन करो | लजस समय नालसका का दादहना सवर (सयक नाड़ी) चाल हो उस समय ककया भोजन शीघर पच जाता ह कयोकक उस समय जठरालगन बड़ी परबल होती ह | भोजन क समय यदद दादहना सवर चाल नही हो तो उसको चाल कर दो | उसकी ववचध यह ह वाम ककषकष म अपन दादहन हाथ की मठठी रखकर ककषकष को जोर स दबाओ या बाायी (वाम) करवट लट जाओ | थोड़ी ही दर म दादहना यान सयक सवर चाल हो जायगा |

रातरतर को बाायी करवट लटकर ही सोना चादहए | ददन म सोना उचचत नही ककनत यदद सोना आवशयक हो तो दादहनी करवट ही लटना चादहए |

एक बात का खब खयाल रखो | यदद पय पदाथक लना हो तो जब चनि (बााया) सवर चाल हो तभी लो | यदद सयक (दादहना) सवर चाल हो और आपन दध काफी चाय पानी या कोई भी पय पदाथक ललया तो वीयकनाश होकर रहगा | खबरदार सयक सवर चल रहा हो तब कोई भी पय पदाथक न वपयो | उस

समय यदद पय पदाथक पीना पड़ तो दादहना नथना बनद करक बााय नथन स शवास लत हए ही वपयो |

रातरतर को भोजन कम करो | भोजन हकका-सपाचय हो | बहत गमक-गमक और दर स पचन वाला गररषटठ भोजन रोग पदा करता ह | अचधक पकाया हआ तल म तला हआ लमचक-मसालयकत तीखा खटटा चटपटदार भोजन वीयकनाडड़यो को कषबध करता ह | अचधक गमक भोजन और गमक चाय स दाात कमजोर होत ह | वीयक भी पतला पड़ता ह |

भोजन खब चबा-चबाकर करो | थक हए हो तो तसकाल भोजन न करो | भोजन क तरत बाद

पररशरम न करो |

भोजन क पहल पानी न वपयो | भोजन क बीच म तथा भोजन क एकाध घट क बाद पानी पीना दहतकर होता ह |

रातरतर को सभव हो तो फलाहार लो | अगर भोजन लना पड़ तो अकपाहार ही करो | बहत रात गय भोजन या फलाहार करना दहतावह नही ह | कबज की लशकायत हो तो 50 गराम लाल कफटकरी तव पर

फलाकर कटकर कपड़ स छानकर बोतल म भर लो | रातरतर म 15 गराम सौफ एक चगलास पानी म लभगो दो | सबह उस उबाल कर छान लो और ड़ढ गराम कफटकरी का पाउडर लमलाकर पी लो | इसस कबज व बखार भी दर होता ह | कबज तमाम तरबमाररयो की जड़ ह | इस दर करना आवशयक ह |

भोजन म पालक परवल मथी बथआ आदद हरी तरकाररयाा दध घी छाछ मकखन पक हए फल

आदद ववशष रप स लो | इसस जीवन म सालववकता बढगी | काम िोध मोह आदद ववकार घटग | हर कायक म परसननता और उससाह बना रहगा |

रातरतर म सोन स पवक गमक-गमक दध नही पीना चादहए | इसस रात को सवपनदोष हो जाता ह |

कभी भी मल-मतर की लशकायत हो तो उस रोको नही | रोक हए मल स भीतर की नाडड़याा कषबध होकर वीयकनाश कराती ह |

पट म कबज होन स ही अचधकाशतः रातरतर को वीयकपात हआ करता ह | पट म रका हआ मल

वीयकनाडड़यो पर दबाव डालता ह तथा कबज की गमी स ही नाडड़याा कषलभत होकर वीयक को बाहर

धकलती ह | इसललय पट को साफ रखो | इसक ललय कभी-कभी तरतरफला चरक या lsquoसतकपा चरकrsquo या lsquoइसबगलrsquo पानी क साथ ललया करो | अचधक ततकत खटटी चरपरी और बाजार औषचधयाा उततजक होती ह उनस बचो | कभी-कभी उपवास करो | पट को आराम दन क ललय कभी-कभी तनराहार भी रह सकत हो तो अचछा ह |

आहार पचतत मशखी दोिान आहारवषजयतः |

अथाकत पट की अलगन आहार को पचाती ह और उपवास दोषो को पचाता ह | उपवास स

पाचनशलकत बढती ह |

उपवास अपनी शलकत क अनसार ही करो | ऐसा न हो कक एक ददन तो उपवास ककया और दसर ददन लमषटठानन-लडड आदद पट म ठास-ठास कर उपवास की सारी कसर तनकाल दी | बहत अचधक

भखा रहना भी ठीक नही |

वस उपवास का सही अथक तो होता ह बरहम क परमासमा क तनकट रहना | उप यानी समीप और

वास यानी रहना | तनराहार रहन स भगवदभजन और आसमचचतन म मदद लमलती ह | ववतत अनतमकख

होन स काम-ववकार को पनपन का मौका ही नही लमल पाता |

मदयपान पयाज लहसन और मासाहार ndash य वीयककषय म मदद करत ह अतः इनस अवशय बचो |

(अनिम)

मशशनषनरय सनान

शौच क समय एव लघशका क समय साथ म चगलास अथवा लोट म ठड़ा जल लकर जाओ और उसस लशशनलनिय को धोया करो | कभी-कभी उस पर ठड़ पानी की धार ककया करो | इसस कामववतत का शमन होता ह और सवपनदोष नही होता |

उधचत आसन एव वयायाि करो

सवसथ शरीर म सवसथ मन का तनवास होता ह | अगरजी म कहत ह A healthy mind

resides in a healthy body

लजसका शरीर सवसथ नही रहता उसका मन अचधक ववकारगरसत होता ह | इसललय रोज परातः वयायाम एव आसन करन का तनयम बना लो |

रोज परातः काल 3-4 लमनट दौड़न और तजी स टहलन स भी शरीर को अचछा वयायाम लमल

जाता ह |

सयकनमसकार 13 अथवा उसस अचधक ककया करो तो उततम ह | इसम आसन व वयायाम दोनो का समावश होता ह |

lsquoवयायामrsquo का अथक पहलवानो की तरह मासपलशयाा बढाना नही ह | शरीर को योगय कसरत लमल जाय ताकक उसम रोग परवश न कर और शरीर तथा मन सवसथ रह ndash इतना ही उसम हत ह |

वयायाम स भी अचधक उपयोगी आसन ह | आसन शरीर क समचचत ववकास एव बरहमचयक-साधना क ललय असयत उपयोगी लसदध होत ह | इनस नाडड़याा शदध होकर सववगर की वदचध होती ह | वस तो शरीर क अलग-अलग अगो की पलषटट क ललय अलग-अलग आसन होत ह परनत वीयकरकषा की दलषटट स मयरासन पादपलशचमोततानासन सवाागासन थोड़ी बहत सावधानी रखकर हर कोई कर सकता ह |

इनम स पादपलशचमोततानासन तो बहत ही उपयोगी ह | आशरम म आनवाल कई साधको का यह तनजी अनभव ह |

ककसी कशल योग-परलशकषक स य आसन सीख लो और परातःकाल खाली पट शदध हवा म ककया करो | शौच सनान वयायाम आदद क पशचात ही आसन करन चादहए |

सनान स पवक सख तौललय अथवा हाथो स सार शरीर को खब रगड़ो | इस परकार क घषकर स शरीर

म एक परकार की ववदयत शलकत पदा होती ह जो शरीर क रोगो को नषटट करती ह | शवास तीवर गतत

स चलन पर शरीर म रकत ठीक सचरर करता ह और अग-परसयग क मल को तनकालकर फफड़ो म लाता ह | फफड़ो म परववषटट शदध वाय रकत को साफ कर मल को अपन साथ बाहर तनकाल ल जाती ह | बचा-खचा मल पसीन क रप म सवचा क तछिो दवारा बाहर तनकल आता ह | इस परकार शरीर पर घषकर करन क बाद सनान करना अचधक उपयोगी ह कयोकक पसीन दवारा बाहर तनकला हआ मल उसस धल जाता ह सवचा क तछि खल जात ह और बदन म सफततक का सचार होता ह |

(अनिम)

बरहििह तय ि उठो

सवपनदोष अचधकाशतः रातरतर क अततम परहर म हआ करता ह | इसललय परातः चार-साढ चार बज यानी बरहममहतक म ही शया का सयाग कर दो | जो लोग परातः काल दरी तक सोत रहत ह उनका जीवन तनसतज हो जाता ह |

दवययसनो स द र रहो

शराब एव बीड़ी-लसगरट-तमबाक का सवन मनषटय की कामवासना को उदयीपत करता ह |

करान शरीफ क अकलाहपाक तरतरकोल रोशल क लसपारा म ललखा ह कक शतान का भड़काया हआ

मनषटय ऐसी नशायकत चीजो का उपयोग करता ह | ऐस वयलकत स अकलाह दर रहता ह कयोकक यह काम शतान का ह और शतान उस आदमी को जहननम म ल जाता ह |

नशीली वसतओ क सवन स फफड़ और हदय कमजोर हो जात ह सहनशलकत घट जाती ह और

आयषटय भी कम हो जाता ह | अमरीकी डॉकटरो न खोज करक बतलाया ह कक नशीली वसतओ क सवन स कामभाव उततलजत होन पर वीयक पतला और कमजोर पड़ जाता ह |

(अनिम)

सतसग करो

आप सससग नही करोग तो कसग अवशय होगा | इसललय मन वचन कमक स सदव सससग का ही सवन करो | जब-जब चचतत म पततत ववचार डरा जमान लग तब-तब तरत सचत हो जाओ और वह सथान छोड़कर पहाच जाओ ककसी सससग क वातावरर म ककसी सलनमतर या ससपरष क सालननरधय म | वहाा व कामी ववचार तरबखर जायग और आपका तन-मन पववतर हो जायगा | यदद ऐसा नही ककया तो व पततत ववचार आपका पतन ककय तरबना नही छोड़ग कयोकक जो मन म होता ह दर-सबर उसीक अनसार बाहर की किया होती ह | कफर तम पछताओग कक हाय यह मझस कया हो गया

पानी का सवभाव ह नीच की ओर बहना | वस ही मन का सवभाव ह पतन की ओर सगमता स बढना | मन हमशा धोखा दता ह | वह ववषयो की ओर खीचता ह कसगतत म सार ददखता ह लककन

वह पतन का रासता ह | कसगतत म ककतना ही आकषकर हो मगरhellip

षजसक पीछ हो गि की कतार भ लकर उस खशी स न खलो |

अभी तक गत जीवन म आपका ककतना भी पतन हो चका हो कफर भी सससगतत करो | आपक उसथान की अभी भी गजाइश ह | बड़-बड़ दजकन भी सससग स सजजन बन गय ह |

शठ स रहह सतसगतत पाई |

सससग स वचचत रहना अपन पतन को आमतरतरत करना ह | इसललय अपन नतर करक सवचा आदद सभी को सससगरपी गगा म सनान करात रहो लजसस कामववकार आप पर हावी न हो सक |

(अनिम)

शभ सकलप करो

lsquoहम बरहमचयक का पालन कस कर सकत ह बड़-बड़ ॠवष-मतन भी इस रासत पर कफसल पड़त हhelliprsquo ndash इस परकार क हीन ववचारो को ततलाजलल द दो और अपन सककपबल को बढाओ | शभ सककप करो | जसा आप सोचत हो वस ही आप हो जात हो | यह सारी सलषटट ही सककपमय ह |

दढ सककप करन स वीयकरकषर म मदद होती ह और वीयकरकषर स सककपबल बढता ह | षवशवासो फलदायकः | जसा ववशवास और जसी शरदधा होगी वसा ही फल परापत होगा | बरहमजञानी महापरषो म यह सककपबल असीम होता ह | वसततः बरहमचयक की तो व जीती-जागती मततक ही होत ह |

(अनिम)

बतरबन यकत पराणायाि और योगाभयास करो

तरतरबनध करक परारायाम करन स ववकारी जीवन सहज भाव स तनववककाररता म परवश करन लगता ह | मलबनध स ववकारो पर ववजय पान का सामथयक आता ह | उडडडयानबनध स आदमी उननतत म ववलकषर उड़ान ल सकता ह | जालनधरबनध स बदचध ववकलसत होती ह |

अगर कोई वयलकत अनभवी महापरष क सालननरधय म तरतरबनध क साथ परततददन 12 परारायाम कर तो परसयाहार लसदध होन लगगा | 12 परसयाहार स धाररा लसदध होन लगगी | धाररा-शलकत बढत ही परकतत क रहसय खलन लगग | सवभाव की लमठास बदचध की ववलकषरता सवासथय की सौरभ आन लगगी | 12 धाररा लसदध होन पर रधयान लगगा सववककप समाचध होन लगगी | सववककप समाचध का 12 गना समय पकन पर तनववकककप समाचध लगगी |

इस परकार छः महीन अभयास करनवाला साधक लसदध योगी बन सकता ह | ररदचध-लसदचधयाा उसक आग हाथ जोड़कर खड़ी रहती ह | यकष गधवक ककननर उसकी सवा क ललए उससक होत ह | उस

पववतर परष क तनकट ससारी लोग मनौती मानकर अपनी मनोकामना परक कर सकत ह | साधन करत समय रग-रग म इस महान लकषय की परालपत क ललए धन लग जाय|

बरहमचयक-वरत पालन वाला साधक पववतर जीवन जीनवाला वयलकत महान लकषय की परालपत म सफल हो सकता ह |

ह लमतर बार-बार असफल होन पर भी तम तनराश मत हो | अपनी असफलताओ को याद करक हार हए जआरी की तरह बार-बार चगरो मत | बरहमचयक की इस पसतक को कफर-कफर स पढो | परातः तनिा स उठत समय तरबसतर पर ही बठ रहो और दढ भावना करो

ldquoमरा जीवन परकतत की थपपड़ खाकर पशओ की तरह नषटट करन क ललए नही ह | म अवशय

परषाथक करा गा आग बढागा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

मर भीतर परबरहम परमासमा का अनपम बल ह | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

तचछ एव ववकारी जीवन जीनवाल वयलकतयो क परभाव स म अपनको ववतनमककत करता जाऊा गा | हरर ॐ hellip ॐ hellip ॐ hellip

सबह म इस परकार का परयोग करन स चमसकाररक लाभ परापत कर सकत हो | सवकतनयनता सवशवर को कभी पयार करो hellip कभी पराथकना करो hellip कभी भाव स ववहवलता स आतकनाद करो | व अनतयाकमी परमासमा हम अवशय मागकदशकन दत ह | बल-बदचध बढात ह | साधक तचछ ववकारी जीवन पर ववजयी होता जाता ह | ईशवर का असीम बल तमहार साथ ह | तनराश मत हो भया हताश मत हो | बार-बार कफसलन पर भी सफल होन की आशा और उससाह मत छोड़ो |

शाबाश वीर hellip शाबाश hellip दहममत करो दहममत करो | बरहमचयक-सरकषा क उपायो को बार-बार पढो सकषमता स ववचार करो | उननतत क हर कषतर म तम आसानी स ववजता हो सकत हो |

करोग न दहममत

अतत खाना अतत सोना अतत बोलना अतत यातरा करना अतत मथन करना अपनी सषपत

योगयताओ को धराशायी कर दता ह जबकक सयम और परषाथक सषपत योगयताओ को जगाकर

जगदीशवर स मलाकात करा दता ह |

(अनिम)

नीि का पड चला

हमार सदगरदव परम पजय लीलाशाहजी महाराज क जीवन की एक घटना बताता हा

लसध म उन ददनो ककसी जमीन की बात म दहनद और मसलमानो का झगड़ा चल रहा था | उस जमीन पर नीम का एक पड़ खड़ा था लजसस उस जमीन की सीमा-तनधाकरर क बार म कछ

वववाद था | दहनद और मसलमान कोटक-कचहरी क धकक खा-खाकर थक | आखखर दोनो पकषो न यह तय ककया कक यह धालमकक सथान ह | दोनो पकषो म स लजस पकष का कोई पीर-फकीर उस सथान पर

अपना कोई ववशष तज बल या चमसकार ददखा द वह जमीन उसी पकष की हो जायगी |

पजय लीलाशाहजी बाप का नाम पहल lsquoलीलारामrsquo था | लोग पजय लीलारामजी क पास पहाच और बोल ldquoहमार तो आप ही एकमातर सत ह | हमस जो हो सकता था वह हमन ककया परनत

असफल रह | अब समगर दहनद समाज की परततषटठा आपशरी क चररो म ह |

इसा की अजि स जब द र ककनारा होता ह |

त फा ि ि िी ककशती का एक भगवान ककनारा होता ह ||

अब सत कहो या भगवान कहो आप ही हमारा सहारा ह | आप ही कछ करग तो यह धमकसथान

दहनदओ का हो सकगा |rdquo

सत तो मौजी होत ह | जो अहकार लकर ककसी सत क पास जाता ह वह खाली हाथ लौटता ह

और जो ववनमर होकर शररागतत क भाव स उनक सममख जाता ह वह सब कछ पा लता ह | ववनमर और शरदधायकत लोगो पर सत की कररा कछ दन को जकदी उमड़ पड़ती ह |

पजय लीलारामजी उनकी बात मानकर उस सथान पर जाकर भलम पर दोनो घटनो क बीच लसर नीचा ककय हए शात भाव स बठ गय |

ववपकष क लोगो न उनह ऐसी सरल और सहज अवसथा म बठ हए दखा तो समझ ललया कक य

लोग इस साध को वयथक म ही लाय ह | यह साध कया करगा hellip जीत हमारी होगी |

पहल मलसलम लोगो दवारा आमतरतरत पीर-फकीरो न जाद-मतर टोन-टोटक आदद ककय | lsquoअला बााधा बला बााधाhellip पथवी बााधाhellip तज बााधाhellip वाय बााधाhellip आकाश बााधाhellip फऽऽऽlsquo आदद-आदद ककया | कफर पजय लीलाराम जी की बारी आई |

पजय लीलारामजी भल ही साधारर स लग रह थ परनत उनक भीतर आसमाननद दहलोर ल रहा था | lsquoपथवी आकाश कया समगर बरहमाणड म मरा ही पसारा हhellip मरी सतता क तरबना एक पतता भी नही दहल सकताhellip य चााद-लसतार मरी आजञा म ही चल रह हhellip सवकतर म ही इन सब ववलभनन रपो म ववलास कर रहा हाhelliprsquo ऐस बरहमाननद म डब हए व बठ थ |

ऐसी आसममसती म बठा हआ ककनत बाहर स कगाल जसा ददखन वाला सत जो बोल द उस घदटत होन स कौन रोक सकता ह

वलशषटठ जी कहत ह ldquoह रामजी तरतरलोकी म ऐसा कौन ह जो सत की आजञा का उकलघन कर

सक rdquo

जब लोगो न पजय लीलारामजी स आगरह ककया तो उनहोन धीर स अपना लसर ऊपर की ओर

उठाया | सामन ही नीम का पड़ खड़ा था | उस पर दलषटट डालकर गजकना करत हए आदशासमक भाव स बोल उठ

ldquoऐ नीम इधर कया खड़ा ह जा उधर हटकर खड़ा रह |rdquo

बस उनका कहना ही था कक नीम का पड lsquoसरकरकhellip सरकरकhelliprsquo करता हआ दर जाकर पवकवत खड़ा हो गया |

लोग तो यह दखकर आवाक रह गय आज तक ककसी न ऐसा चमसकार नही दखा था | अब

ववपकषी लोग भी उनक परो पड़न लग | व भी समझ गय कक य कोई लसदध महापरष ह |

व दहनदओ स बोल ldquoय आपक ही पीर नही ह बलकक आपक और हमार सबक पीर ह | अब स य

lsquoलीलारामrsquo नही ककत lsquoलीलाशाहrsquo ह |

तब स लोग उनका lsquoलीलारामrsquo नाम भल ही गय और उनह lsquoलीलाशाहrsquo नाम स ही पकारन लग | लोगो न उनक जीवन म ऐस-ऐस और भी कई चमसकार दख |

व 93 वषक की उमर पार करक बरहमलीन हए | इतन वदध होन पर भी उनक सार दाात सरकषकषत थ

वारी म तज और बल था | व तनयलमत रप स आसन एव परारायाम करत थ | मीलो पदल यातरा करत थ | व आजनम बरहमचारी रह | उनक कपा-परसाद दवारा कई पतरहीनो को पतर लमल गरीबो को धन लमला तनरससादहयो को उससाह लमला और लजजञासओ का साधना-मागक परशसत हआ | और भी कया-कया हआ

यह बतान जाऊा गा तो ववषयानतर होगा और समय भी अचधक नही ह | म यह बताना चाहता हा कक

उनक दवारा इतन चमसकार होत हए भी उनकी महानता चमसकारो म तनदहत नही ह | उनकी महानता तो उनकी बरहमतनषटठता म तनदहत थी |

छोट-मोट चमसकार तो थोड़ बहत अभयास क दवारा हर कोई कर लता ह मगर बरहमतनषटठा तो चीज ही कछ और ह | वह तो सभी साधनाओ की अततम तनषटपतत ह | ऐसा बरहमतनषटठ होना ही तो वासतववक बरहमचारी होना ह | मन पहल भी कहा ह कक कवल वीयकरकषा बरहमचयक नही ह | यह तो बरहमचयक की साधना ह | यदद शरीर दवारा वीयकरकषा हो और मन-बदचध म ववषयो का चचतन चलता रह

तो बरहमतनषटठा कहाा हई कफर भी वीयकरकषा दवारा ही उस बरहमाननद का दवार खोलना शीघर सभव होता ह | वीयकरकषर हो और कोई समथक बरहमतनषटठ गर लमल जाय तो बस कफर और कछ करना शष नही रहता | कफर वीयकरकषर करन म पररशरम नही करना पड़ता वह सहज होता ह | साधक लसदध बन जाता ह | कफर तो उसकी दलषटट मातर स कामक भी सयमी बन जाता ह |

सत जञानशवर महाराज लजस चबतर पर बठ थ उसीको कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा | ऐस ही पजयपाद लीलाशाहजी बाप न नीम क पड़ को कहा lsquoचलhelliprsquo तो वह चलन लगा और जाकर दसरी जगह खड़ा हो गया | यह सब सककप बल का चमसकार ह | ऐसा सककप बल आप भी बढा सकत ह |

वववकाननद कहा करत थ कक भारतीय लोग अपन सककप बल को भल गय ह इसीललय गलामी का दःख भोग रह ह | lsquoहम कया कर सकत हhelliprsquo ऐस नकारासमक चचतन दवारा व सककपहीन हो गय ह जबकक अगरज का बचचा भी अपन को बड़ा उससाही समझता ह और कायक म सफल हो जाता ह

कयोकक व ऐसा ववचार करता ह lsquoम अगरज हा | दतनया क बड़ भाग पर हमारी जातत का शासन रहा ह | ऐसी गौरवपरक जातत का अग होत हए मझ कौन रोक सकता ह सफल होन स म कया नही कर

सकता rsquo lsquoबस ऐसा ववचार ही उस सफलता द दता ह |

जब अगरज का बचचा भी अपनी जातत क गौरव का समरर कर दढ सककपवान बन सकता ह तो आप कयो नही बन सकत

ldquoम ॠवष-मतनयो की सतान हा | भीषटम जस दढपरततजञ परषो की परमपरा म मरा जनम हआ ह |

गगा को पथवी पर उतारनवाल राजा भगीरथ जस दढतनशचयी महापरष का रकत मझम बह रहा ह |

समि को भी पी जानवाल अगससय ॠवष का म वशज हा | शरी राम और शरीकषटर की अवतार-भलम

भारत म जहाा दवता भी जनम लन को तरसत ह वहाा मरा जनम हआ ह कफर म ऐसा दीन-हीन

कयो म जो चाहा सो कर सकता हा | आसमा की अमरता का ददवय जञान का परम तनभकयता का सदश सार ससार को लजन ॠवषयो न ददया उनका वशज होकर म दीन-हीन नही रह सकता | म अपन रकत क तनभकयता क ससकारो को जगाकर रहागा | म वीयकवान बनकर रहागा |rdquo ऐसा दढ सककप हरक भारतीय बालक को करना चादहए |

(अनिम)

सतरी-जातत क परतत िातभाव परबल करो शरी रामकषटर परमहस कहा करत थ ldquo ककसी सदर सतरी पर नजर पड़ जाए तो उसम माा जगदमबा क दशकन करो | ऐसा ववचार करो कक यह अवशय दवी का अवतार ह तभी तो इसम इतना सौदयक ह | माा परसनन होकर इस रप म दशकन द रही ह ऐसा समझकर सामन खड़ी सतरी को मन-ही-मन परराम करो | इसस तमहार भीतर काम ववकार नही उठ सकगा |

िातवत परदारि पररवयि लोटिवत |

पराई सतरी को माता क समान और पराए धन को लमटटी क ढल क समान समझो |

(अनिम)

मशवाजी का परसग

लशवाजी क पास ककयार क सबदार की लसतरयो को लाया गया था तो उस समय उनहोन यही आदशक उपलसथत ककया था | उनहोन उन लसतरयो को lsquoमााrsquo कहकर पकारा तथा उनह कई उपहार दकर

सममान सदहत उनक घर वापस भज ददया | लशवाजी परम गर समथक रामदास क लशषटय थ |

भारतीय सभयता और ससकतत म माता को इतना पववतर सथान ददया गया ह कक यह मातभाव मनषटय को पततत होत-होत बचा लता ह | शरी रामकषटर एव अनय पववतर सतो क समकष जब कोई सतरी कचषटटा करना चाहती तब व सजजन साधक सत यह पववतर मातभाव मन म लाकर ववकार क फद स बच जात | यह मातभाव मन को ववकारी होन स बहत हद तक रोक रखता ह | जब भी ककसी सतरी को दखन पर मन म ववकार उठन लग उस समय सचत रहकर इस मातभाव का परयोग कर ही लना चादहए |

(अनिम)

अजयन और उवयशी

अजकन सशरीर इनि सभा म गया तो उसक सवागत म उवकशी रमभा आदद अपसराओ न नसय ककय | अजकन क रप सौनदयक पर मोदहत हो उवकशी रातरतर क समय उसक तनवास सथान पर गई और

पररय-तनवदन ककया तथा साथ ही इसम कोई दोष नही लगता इसक पकष म अनक दलील भी की | ककनत अजकन न अपन दढ इलनियसयम का पररचय दत हए कह

गचछ मरधनाक परपननोऽलसम पादौ त वरवखरकनी | सव दह म मातवत पजया रकषयोऽह पतरवत सवया ||

( महाभारत वनपवकखर इनिलोकालभगमनपवक ४६४७)

मरी दलषटट म कनती मािी और शची का जो सथान ह वही तमहारा भी ह | तम मर ललए माता क समान पजया हो | म तमहार चररो म परराम करता हा | तम अपना दरागरह छोड़कर लौट जाओ

| इस पर उवकशी न िोचधत होकर उस नपसक होन का शाप द ददया | अजकन न उवकशी स शावपत होना सवीकार ककया परनत सयम नही तोड़ा | जो अपन आदशक स नही हटता धयक और सहनशीलता को अपन चररतर का भषर बनाता ह उसक ललय शाप भी वरदान बन जाता ह | अजकन क ललय भी ऐसा ही हआ | जब इनि तक यह बात पहाची तो उनहोन अजकन को कहा तमन इलनिय सयम क दवारा ऋवषयो को भी परालजत कर ददया | तम जस पतर को पाकर कनती वासतव म शरषटठ पतरवाली ह |

उवकशी का शाप तमह वरदान लसदध होगा | भतल पर वनवास क १३व वषक म अजञातवास करना पड़गा उस समय यह सहायक होगा | उसक बाद तम अपना परषसव कफर स परापत कर लोग | इनि क

कथनानसार अजञातवास क समय अजकन न ववराट क महल म नतकक वश म रहकर ववराट की

राजकमारी को सगीत और नसय ववदया लसखाई थी और इस परकार वह शाप स मकत हआ था | परसतरी क परतत मातभाव रखन का यह एक सदर उदाहरर ह | ऐसा ही एक उदाहरर वाकमीकककत

रामायर म भी आता ह | भगवान शरीराम क छोट भाई लकषमर को जब सीताजी क गहन पहचानन को कहा गया तो लकषमर जी बोल ह तात म तो सीता माता क परो क गहन और नपर ही पहचानता हा जो मझ उनकी चररवनदना क समय दलषटटगोचर होत रहत थ | कयर-कणडल आदद दसर

गहनो को म नही जानता | यह मातभाववाली दलषटट ही इस बात का एक बहत बड़ा कारर था कक

लकषमरजी इतन काल तक बरहमचयक का पालन ककय रह सक | तभी रावरपतर मघनाद को लजस इनि भी नही हरा सका था लकषमरजी हरा पाय | पववतर मातभाव दवारा वीयकरकषर का यह अनपम उदाहरर ह जो बरहमचयक की महतता भी परकट करता ह |

(अनिम)

सतसाहहतय पढ़ो

जसा सादहसय हम पढत ह वस ही ववचार मन क भीतर चलत रहत ह और उनहीस हमारा सारा वयवहार परभाववत होता ह | जो लोग कलससत ववकारी और कामोततजक सादहसय पढत ह व कभी ऊपर नही उठ सकत | उनका मन सदव काम-ववषय क चचतन म ही उलझा रहता ह और इसस व अपनी वीयकरकषा करन म असमथक रहत ह | गनद सादहसय कामकता का भाव पदा करत ह | सना गया ह कक पाशचासय जगत स परभाववत कछ नराधम चोरी-तछप गनदी कफकमो का परदशकन करत ह जो अपना और अपन सपकक म आनवालो का ववनाश करत ह | ऐस लोग मदहलाओ कोमल वय की कनयाओ तथा ककशोर एव यवावसथा म पहाच हए बचचो क साथ बड़ा अनयाय करत ह | बकय कफकम दखन-ददखानवाल महा अधम कामानध लोग मरन क बाद शकर ककर आदद योतनयो म जनम लकर अथवा गनदी नाललयो क कीड़ बनकर छटपटात हए दख भोगग ही | तनदोष कोमलवय क नवयवक उन दषटटो क लशकार न बन इसक ललए सरकार और समाज को सावधान रहना चादहए |

बालक दश की सपवतत ह | बरहमचयक क नाश स उनका ववनाश हो जाता ह | अतः नवयवको को मादक िवयो गनद सादहसयो व गनदी कफकमो क दवारा बबाकद होन स बचाया जाय | व ही तो राषटर क भावी करकधार ह | यवक-यवततयाा तजसवी हो बरहमचयक की मदहमा समझ इसक ललए हम सब लोगो का कततकवय ह कक सकलो-कालजो म ववदयाचथकयो तक बरहमचयक पर ललखा गया सादहसय पहाचाय | सरकार का यह नततक कततकवय ह कक वह लशकषा परदान कर बरहमचयक ववशय पर ववदयाचथकयो को

सावधान कर ताकक व तजसवी बन | लजतन भी महापरष हए ह उनक जीवन पर दलषटटपात करो तो उन पर ककसी-न-ककसी सससादहसय की छाप लमलगी | अमररका क परलसदध लखक इमसकन क गर थोरो बरहमचयक का पालन करत थ | उनहो न ललखा ह म परततददन गीता क पववतर जल स सनान करता हा | यदयवप इस पसतक को ललखनवाल दवताओ को अनक वषक वयतीत हो गय लककन इसक बराबर की कोई पसतक अभी तक नही तनकली ह |

योगशवरी माता गीता क ललए दसर एक ववदशी ववदवान इगलणड क एफ एच मोलम कहत ह बाइतरबल का मन यथाथक अभयास ककया ह | जो जञान गीता म ह वह ईसाई या यदही बाइतरबलो म नही ह | मझ यही आशचयक होता ह कक भारतीय नवयवक यहाा इगलणड तक पदाथक ववजञान सीखन कयो आत ह तनसदह पाशचासयो क परतत उनका मोह ही इसका कारर ह | उनक भोलभाल हदयो न तनदकय और अववनमर पलशचमवालसयो क ददल अभी पहचान नही ह | इसीललए उनकी लशकषा स लमलनवाल पदो की लालच स व उन सवाचथकयो क इनिजाल म फसत ह | अनयथा तो लजस दश या समाज को गलामी स छटना हो उसक ललए तो यह अधोगतत का ही मागक ह |

म ईसाई होत हए भी गीता क परतत इतना आदर-मान इसललए रखता हा कक लजन गढ परशनो का हल पाशचासय वजञातनक अभी तक नही कर पाय उनका हल इस गीता गरथ न शदध और सरल

रीतत स द ददया ह | गीता म ककतन ही सतर आलौककक उपदशो स भरपर दख इसी कारर गीताजी मर ललए साकषात योगशवरी माता बन गई ह | ववशव भर म सार धन स भी न लमल सक भारतवषक का यह ऐसा अमकय खजाना ह |

सपरलसदध पतरकार पॉल तरबरलनटन सनातन धमक की ऐसी धालमकक पसतक पढकर जब परभाववत हआ तभी वह दहनदसतान आया था और यहाा क रमर महवषक जस महासमाओ क दशकन करक धनय हआ था | दशभलकतपरक सादहसय पढकर ही चनिशखर आजाद भगतलसह वीर सावरकर जस रसन अपन जीवन को दशादहत म लगा पाय |

इसललय सससादहसय की तो लजतनी मदहमा गाई जाय उतनी कम ह | शरीयोगवलशषटठ

महारामायर उपतनषद दासबोध सखमतन वववकचड़ामखर शरी रामकषटर सादहसय सवामी रामतीथक क

परवचन आदद भारतीय ससकतत की ऐसी कई पसतक ह लजनह पढो और उनह अपन दतनक जीवन का अग बना लो | ऐसी-वसी ववकारी और कलससत पसतक-पलसतकाएा हो तो उनह उठाकर कचर ल ढर पर फ क दो या चकह म डालकर आग तापो मगर न तो सवय पढो और न दसर क हाथ लगन दो |

इस परकार क आरधयालसमक सदहसय-सवन म बरहमचयक मजबत करन की अथाह शलकत होती ह |

परातःकाल सनानादद क पशचात ददन क वयवसाय म लगन स पवक एव रातरतर को सोन स पवक कोई-न-कोई आरधयालसमक पसतक पढना चादहए | इसस व ही सतोगरी ववचार मन म घमत रहग जो पसतक म होग और हमारा मन ववकारगरसत होन स बचा रहगा |

कौपीन (लगोटी) पहनन का भी आगरह रखो | इसस अणडकोष सवसथ रहग और वीयकरकषर म मदद लमलगी |

वासना को भड़कान वाल नगन व अशलील पोसटरो एव चचतरो को दखन का आकषकर छोड़ो | अशलील शायरी और गान भी जहाा गाय जात हो वहाा न रको |

(अनिम)

वीययसचय क चितकार

वीयक क एक-एक अर म बहत महान शलकतयाा तछपी ह | इसीक दवारा शकराचायक महावीर कबीर

नानक जस महापरष धरती पर अवतीरक हए ह | बड़-बड़ वीर योदधा वजञातनक सादहसयकार- य सब वीयक की एक बाद म तछप थ hellip और अभी आग भी पदा होत रहग | इतन बहमकय वीयक का सदपयोग जो वयलकत नही कर पाता वह अपना पतन आप आमतरतरत करता ह |

वीय व भगयः | (शतपथ बराहिण )

वीयक ही तज ह आभा ह परकाश ह |

जीवन को ऊरधवकगामी बनान वाली ऐसी बहमकय वीयकशलकत को लजसन भी खोया उसको ककतनी हातन उठानी पड़ी यह कछ उदाहररो क दवारा हम समझ सकत ह |

(अनिम)

भीटि षपतािह और वीर अमभिनय महाभारत म बरहमचयक स सबचधत दो परसग आत ह एक भीषटम वपतामह का और दसरा वीर अलभमनय का | भीषटम वपतामह बाल बरहमचारी थ इसललय उनम अथाह सामथयक था | भगवान शरी कषटर का यह वरत था कक lsquoम यदध म शसतर नही उठाऊा गा |rsquo ककनत यह भीषटम की बरहमचयक शलकत का ही चमसकार था कक उनहोन शरी कषटर को अपना वरत भग करन क ललए मजबर कर ददया | उनहोन अजकन पर ऐसी बार वषाक की कक ददवयासतरो स ससलजजत अजकन जसा धरनधर धनधाकरी भी उसका परततकार

करन म असमथक हो गया लजसस उसकी रकषाथक भगवान शरी कषटर को रथ का पदहया लकर भीषटम की ओर दौड़ना पड़ा |

यह बरहमचयक का ही परताप था कक भीषटम मौत पर भी ववजय परापत कर सक | उनहोन ही यह सवय तय ककया कक उनह कब शरीर छोड़ना ह | अनयथा शरीर म परारो का दटक रहना असभव था परनत भीषटम की तरबना आजञा क मौत भी उनस परार कस छीन सकती थी भीषटम न सवचछा स शभ महतक म अपना शरीर छोड़ा |

दसरी ओर अलभमनय का परसग आता ह | महाभारत क यदध म अजकन का वीर पतर अलभमनय चिवयह का भदन करन क ललए अकला ही तनकल पड़ा था | भीम भी पीछ रह गया था | उसन जो शौयक ददखाया वह परशसनीय था | बड़-बड़ महारचथयो स तघर होन पर भी वह रथ का पदहया लकर

अकला यदध करता रहा परनत आखखर म मारा गया | उसका कारर यह था कक यदध म जान स पवक वह अपना बरहमचयक खलणडत कर चका था | वह उततरा क गभक म पाणडव वश का बीज डालकर आया था | मातर इतनी छोटी सी कमजोरी क कारर वह वपतामह भीषटम की तरह अपनी मसय का आप

माललक नही बन सका |

(अनिम)

पथवीराज चौहान कयो हारा

भारात म पथवीराज चौहान न मोहममद गोरी को सोलह बार हराया ककनत सतरहव यदध म वह खद हार गया और उस पकड़ ललया गया | गोरी न बाद म उसकी आाख लोह की गमक सलाखो स

फड़वा दी | अब यह एक बड़ा आशचयक ह कक सोलह बार जीतन वाला वीर योदधा हार कस गया

इततहास बताता ह कक लजस ददन वह हारा था उस ददन वह अपनी पसनी स अपनी कमर कसवाकर

अथाकत अपन वीयक का ससयानाश करक यदधभलम म आया था | यह ह वीयकशलकत क वयय का दषटपररराम |

रामायर महाकावय क पातर रामभकत हनमान क कई अदभत परािम तो हम सबन सन ही ह जस- आकाश म उड़ना समि लााघना रावर की भरी सभा म स छटकर लौटना लका जलाना यदध म रावर को मकका मार कर मतछकत कर दना सजीवनी बटी क ललय परा पहाड़ उठा लाना आदद | य सब बरहमचयक की शलकत का ही परताप था |

फरास का समराट नपोललयन कहा करता था असभव शबद ही मर शबदकोष म नही ह |

परनत वह भी हार गया | हारन क मल काररो म एक कारर यह भी था कक यदध स पवक ही उसन सतरी क आकषकर म अपन वीयक का कषय कर ददया था |

समसन भी शरवीरता क कषतर म बहत परलसदध था | बाइतरबल म उसका उकलख आता ह | वह

भी सतरी क मोहक आकषकर स नही बच सका और उसका भी पतन हो गया |

(अनिम)

सवािी राितीथय का अनभव

सवामी रामतीथक जब परोफसर थ तब उनहोन एक परयोग ककया और बाद म तनषटकषकरप म बताया कक जो ववदयाथी परीकषा क ददनो म या परीकषा क कछ ददन पहल ववषयो म फस जात ह व

परीकषा म परायः असफल हो जात ह चाह वषक भर अपनी ककषा म अचछ ववदयाथी कयो न रह हो | लजन ववदयाचथकयो का चचतत परीकषा क ददनो म एकागर और शदध रहा करता ह व ही सफल होत ह | काम ववकार को रोकना वसततः बड़ा दःसारधय ह |

यही कारर ह कक मन महाराज न यहा तक कह ददया ह

माा बहन और पतरी क साथ भी वयलकत को एकानत म नही बठना चादहय कयोकक मनषटय की इलनियाा बहत बलवान होती ह | व ववदवानो क मन को भी समान रप स अपन वग म खीच ल जाती ह |

(अनिम)

यवा वगय स दो बात

म यवक वगक स ववशषरप स दो बात कहना चाहता ह कयोकक यही वह वगक ह जो अपन दश क सदढ भववषटय का आधार ह | भारत का यही यवक वगक जो पहल दशोसथान एव आरधयालसमक

रहसयो की खोज म लगा रहता था वही अब कालमतनयो क रग-रप क पीछ पागल होकर अपना अमकय जीवन वयथक म खोता जा रहा ह | यह कामशलकत मनषटय क ललए अलभशाप नही बलकक

वरदान सवरप ह | यह जब यवक म खखलन लगती ह तो उस उस समय इतन उससाह स भर दती ह

कक वह ससार म सब कछ कर सकन की लसथतत म अपन को समथक अनभव करन लगता ह लककन आज क अचधकाश यवक दवयकसनो म फा सकर हसतमथन एव सवपनदोष क लशकार बन जात ह |

(अनिम)

हसतिथन का दटपररणाि

इन दवयकसनो स यवक अपनी वीयकधारर की शलकत खो बठता ह और वह तीवरता स नपसकता की ओर अगरसर होन लगता ह | उसकी आाख और चहरा तनसतज और कमजोर हो जाता ह |

थोड़ पररशरम स ही वह हााफन लगता ह उसकी आखो क आग अधरा छान लगता ह | अचधक कमजोरी स मचछाक भी आ जाती ह | उसकी सककपशलकत कमजोर हो जाती ह |

अिररका ि ककया गया परयोग

अमररका म एक ववजञानशाला म ३० ववदयाचथकयो को भखा रखा गया | इसस उतन समय क

ललय तो उनका काम ववकार दबा रहा परनत भोजन करन क बाद उनम कफर स काम-वासना जोर पकड़न लगी | लोह की लगोट पहन कर भी कछ लोग कामदमन की चषटटा करत पाए जात ह | उनको लसकडडया बाबा कहत ह | व लोह या पीतल की लगोट पहन कर उसम ताला लगा दत ह | कछ ऐस भी लोग हए ह लजनहोन इस काम-ववकार स छटटी पान क ललय अपनी जननलनिय ही काट दी और

बाद म बहत पछताय | उनह मालम नही था कक जननलनिय तो काम ववकार परकट होन का एक साधन ह | फल-पसतत तोड़न स पड़ नषटट नही होता | मागकदशकन क अभाव म लोग कसी-कसी भल करत ह ऐसा ही यह एक उदाहरर ह |

जो यवक १७ स २४ वषक की आय तक सयम रख लता ह उसका मानलसक बल एव बदचध बहत तजसवी हो जाती ह | जीवनभर उसका उससाह एव सफततक बनी रहती ह | जो यवक बीस वषक की आय परी होन स पवक ही अपन वीयक का नाश करना शर कर दता ह उसकी सफततक और होसला पसत हो जाता ह तथा सार जीवनभर क ललय उसकी बदचध कलणठत हो जाती ह | म चाहता हा कक यवावगक वीयक क सरकषर क कछ ठोस परयोग सीख ल | छोट-मोट परयोग उपवास भोजन म सधार आदद तो ठीक ह परनत व असथाई लाभ ही द पात ह | कई परयोगो स यह बात लसदध हई ह |

(अनिम)

कािशषकत का दिन या ऊधवयगिन

कामशलकत का दमन सही हल नही ह | सही हल ह इस शलकत को ऊरधवकमखी बनाकर शरीर म ही इसका उपयोग करक परम सख को परापत करना | यह यलकत लजसको आ गई उस सब आ गया

और लजस यह नही आई वह समाज म ककतना भी सततावान धनवान परततशठावान बन जाय अनत म मरन पर अनाथ ही रह जायगा अपन-आप को नही लमल पायगा | गौतम बदध यह यलकत जानत थ

तभी अगलीमाल जसा तनदकयी हसयारा भी सार दषटकसय छोड़कर उनक आग लभकषक बन गया | ऐस महापरषो म वह शलकत होती ह लजसक परयोग स साधक क ललए बरहमचयक की साधना एकदम सरल हो जाती ह | कफर काम-ववकार स लड़ना नही पड़ता ह बलकक जीवन म बरहमचयक सहज ही फललत होन लगता ह |

मन ऐस लोगो को दखा ह जो थोड़ा सा जप करत ह और बहत पज जात ह | और ऐस लोगो को भी दखा ह जो बहत जप-तप करत ह कफर भी समाज पर उनका कोई परभाव नही उनम आकषकर नही | जान-अनजान हो-न-हो जागत अथवा तनिावसथा म या अनय ककसी परकार स उनकी वीयक शलकत अवशय नषटट होती रहती ह |

(अनिम)

एक सा क का अनभव

एक साधक न यहाा उसका नाम नही लागा मझ सवय ही बताया सवामीजी यहाा आन स पवक म महीन म एक ददन भी पसनी क तरबना नही रह सकता था इतना अचधक काम-ववकार म फा सा हआ था परनत अब ६-६ महीन बीत जात ह पसनी क तरबना और काम-ववकार भी पहल की भाातत नही सताता |

द सर सा क का अनभव

दसर एक और सजजन यहाा आत ह उनकी पसनी की लशकायत मझ सनन को लमली ह | वह

सवय तो यहाा आती नही मगर लोगो स कहा ह कक ककसी परकार मर पतत को समझाय कक व आशरम म नही जाया कर |

वस तो आशरम म जान क ललए कोई कयो मना करगा मगर उसक इस परकार मना करन का कारर जो उसन लोगो को बताया और लोगो न मझ बताया वह इस परकार ह वह कहती ह इन बाबा न मर पतत पर न जान कया जाद ककया ह कक पहल तो व रात म मझ पास म सलात थ परनत अब मझस दर सोत ह | इसस तो व लसनमा म जात थ जस-तस दोसतो क साथ घमत रहत थ वही ठीक था | उस समय कम स कम मर कहन म तो चलत थ परनत अब तो

कसा दभाकगय ह मनषटय का वयलकत भल ही पतन क रासत चल उसक जीवन का भल ही ससयानाश होता रह परनत वह मर कहन म चल यही ससारी परम का ढााचा ह | इसम परम दो-पाच परततशत हो सकता ह बाकी ९५ परततशत तो मोह ही होता ह वासना ही होती ह | मगर मोह भी परम का चोला ओढकर कफरता रहता ह और हम पता नही चलता कक हम पतन की ओर जा रह ह या उसथान की ओर |

(अनिम)

योगी का सकलपबल

बरहमचयक उसथान का मागक ह | बाबाजी न कछ जाद-वाद नही ककया| कवल उनक दवारा उनकी यौचगक शलकत का सहारा उस वयलकत को लमला लजसस उसकी कामशलकत ऊरधवकगामी हो गई | इस कारर उसका मन ससारी काम सख स ऊपर उठ गया | जब असली रस लमल गया तो गदी नाली दवारा लमलन वाल रस की ओर कोई कयो ताकगा ऐसा कौन मखक होगा जो बरहमचयक का पववतर और

असली रस छोड़कर घखरत और पतनोनमख करन वाल ससारी कामसख की ओर दौड़गा

कया यह चितकार ह

सामानय लोगो क ललय तो यह मानो एक बहत बड़ा चमसकार ह परनत इसम चमसकार जसी कोई बात नही ह | जो महापरष योगमागक स पररचचत ह और अपनी आसममसती म मसत रहत ह

उनक ललय तो यह एक खल मातर ह | योग का भी अपना एक ववजञान ह जो सथल ववजञान स भी सकषम और अचधक परभावी होता ह | जो लोग ऐस ककसी योगी महापरष क सालननरधय का लाभ लत ह उनक ललय तो बरहमचयक का पालन सहज हो जाता ह | उनह अलग स कोई महनत नही करनी पड़ती |

(अनिम)

हसतिथन व सवपनदोि स कस बच

यदद कोई हसत मथन या सवपनदोष की समसया स गरसत ह और वह इस रोग स छटकारा पान को वसततः इचछक ह तो सबस पहल तो म यह कहागा कक अब वह यह चचता छोड़ द कक मझ

यह रोग ह और अब मरा कया होगा कया म कफर स सवासथय लाभ कर सका गा इस परकार क

तनराशावादी ववचारो को वह जड़मल स उखाड़ फ क |

सदव परसनन रहो

जो हो चका वह बीत गया | बीती सो बीती बीती ताही बबसार द आग की सध लय | एक तो रोग कफर उसका चचतन और भी रगर बना दता ह | इसललय पहला काम तो यह करो कक दीनता क

ववचारो को ततलाजलल दकर परसनन और परफलकलत रहना परारभ कर दो |

पीछ ककतना वीयकनाश हो चका ह उसकी चचता छोड़कर अब कस वीयकरकषर हो सक उसक ललय उपाय करन हत कमर कस लो |

धयान रह वीयकशलकत का दमन नही करना ह उस ऊरधवकगामी बनाना ह | वीयकशलकत का उपयोग हम ठीक ढग स नही कर पात | इसललय इस शलकत क ऊरधवकगमन क कछ परयोग हम समझ ल |

(अनिम)

वीयय का ऊधवयगिन कया ह

वीयक क ऊरधवकगमन का अथक यह नही ह कक वीयक सथल रप स ऊपर सहसरार की ओर जाता ह

| इस ववषय म कई लोग भरलमत ह | वीयक तो वही रहता ह मगर उस सचाललत करनवाली जो कामशलकत ह उसका ऊरधवकगमन होता ह | वीयक को ऊपर चढान की नाड़ी शरीर क भीतर नही ह |

इसललय शिार ऊपर नही जात बलकक हमार भीतर एक वदयततक चमबकीय शलकत होती ह जो नीच की ओर बहती ह तब शिार सकिय होत ह |

इसललय जब परष की दलशट भड़कील वसतरो पर पड़ती ह या उसका मन सतरी का चचतन करता ह

तब यही शलकत उसक चचतनमातर स नीच मलाधार कनि क नीच जो कामकनि ह उसको सकिय कर

वीयक को बाहर धकलती ह | वीयक सखललत होत ही उसक जीवन की उतनी कामशलकत वयथक म खचक हो जाती ह | योगी और तातरतरक लोग इस सकषम बात स पररचचत थ | सथल ववजञानवाल जीवशासतरी और डॉकटर लोग इस बात को ठीक स समझ नही पाय इसललय आधतनकतम औजार होत हए भी कई गभीर रोगो को व ठीक नही कर पात जबकक योगी क दलषटटपात मातर या आशीवाकद स ही रोग ठीक होन क चमसकार हम परायः दखा-सना करत ह |

आप बहत योगसाधना करक ऊरधवकरता योगी न भी बनो कफर भी वीयकरकषर क ललय इतना छोटा-सा परयोग तो कर ही सकत हो

(अनिम)

वीययरकषा का िहततवप णय परयोग

अपना जो lsquoकाम-ससथानrsquo ह वह जब सकिय होता ह तभी वीयक को बाहर धकलता ह | ककनत तनमन परयोग दवारा उसको सकिय होन स बचाना ह |

जयो ही ककसी सतरी क दशकन स या कामक ववचार स आपका रधयान अपनी जननलनिय की तरफ खखचन लग तभी आप सतकक हो जाओ | आप तरनत जननलनिय को भीतर पट की तरफ़ खीचो | जस पप का वपसटन खीचत ह उस परकार की किया मन को जननलनिय म कलनित करक करनी ह | योग की भाषा म इस योतनमिा कहत ह |

अब आाख बनद करो | कफर ऐसी भावना करो कक म अपन जननलनिय-ससथान स ऊपर लसर म लसथत सहसरार चि की तरफ दख रहा हा | लजधर हमारा मन लगता ह उधर ही यह शलकत बहन लगती ह | सहसरार की ओर ववतत लगान स जो शलकत मलाधार म सकिय होकर वीयक को सखललत

करनवाली थी वही शलकत ऊरधवकगामी बनकर आपको वीयकपतन स बचा लगी | लककन रधयान रह यदद आपका मन काम-ववकार का मजा लन म अटक गया तो आप सफल नही हो पायग | थोड़ सककप और वववक का सहारा ललया तो कछ ही ददनो क परयोग स महववपरक फायदा होन लगगा | आप सपषटट

महसस करग कक एक आाधी की तरह काम का आवग आया और इस परयोग स वह कछ ही कषरो म शात हो गया |

(अनिम)

द सरा परयोग

जब भी काम का वग उठ फफड़ो म भरी वाय को जोर स बाहर फ को | लजतना अचधक बाहर फ क सको उतना उततम | कफर नालभ और पट को भीतर की ओर खीचो | दो-तीन बार क परयोग स ही काम-ववकार शात हो जायगा और आप वीयकपतन स बच जाओग |

यह परयोग ददखता छोटा-सा ह मगर बड़ा महववपरक यौचगक परयोग ह | भीतर का शवास कामशलकत को नीच की ओर धकलता ह | उस जोर स और अचधक मातरा म बाहर फ कन स वह मलाधार चि म कामकनि को सकिय नही कर पायगा | कफर पट व नालभ को भीतर सकोचन स वहाा खाली जगह बन जाती ह | उस खाली जगह को भरन क ललय कामकनि क आसपास की सारी शलकत जो वीयकपतन म

सहयोगी बनती ह खखचकर नालभ की तरफ चली जाती ह और इस परकार आप वीयकपतन स बच जायग |

इस परयोग को करन म न कोई खचक ह न कोई ववशष सथान ढाढन की जररत ह | कही भी बठकर कर सकत ह | काम-ववकार न भी उठ तब भी यह परयोग करक आप अनपम लाभ उठा सकत ह | इसस जठरालगन परदीपत होती ह पट की बीमाररयाा लमटती ह जीवन तजसवी बनता ह और वीयकरकषर

सहज म होन लगता ह |

(अनिम)

वीययरकषक च णय

बहत कम खचक म आप यह चरक बना सकत ह | कछ सख आावलो स बीज अलग करक उनक तछलको को कटकर उसका चरक बना लो | आजकल बाजार म आावलो का तयार चरक भी लमलता ह |

लजतना चरक हो उसस दगनी मातरा म लमशरी का चरक उसम लमला दो | यह चरक उनक ललए भी दहतकर

ह लजनह सवपनदोष नही होता हो |

रोज रातरतर को सोन स आधा घटा पवक पानी क साथ एक चममच यह चरक ल ललया करो | यह

चरक वीयक को गाढा करता ह कबज दर करता ह वात-वपतत-कफ क दोष लमटाता ह और सयम को मजबत करता ह |

(अनिम)

गोद का परयोग

6 गराम खरी गोद रातरतर को पानी म लभगो दो | इस सबह खाली पट ल लो | इस परयोग क दौरान अगर भख कम लगती हो तो दोपहर को भोजन क पहल अदरक व नीब का रस लमलाकर लना चादहए |

तलसी एक अदभत औषचध

परनच डॉकटर ववकटर रसीन न कहा ह ldquoतलसी एक अदभत औषचध ह | तलसी पर ककय गय

परयोगो न यह लसदध कर ददया ह कक रकतचाप और पाचनततर क तनयमन म तथा मानलसक रोगो म तलसी असयत लाभकारी ह | इसस रकतकरो की वदचध होती ह | मलररया तथा अनय परकार क बखारो म तलसी असयत उपयोगी लसदध हई ह |

तलसी रोगो को तो दर करती ही ह इसक अततररकत बरहमचयक की रकषा करन एव यादशलकत बढान म भी अनपम सहायता करती ह | तलसीदल एक उसकषटट रसायन ह | यह तरतरदोषनाशक ह | रकतववकार

वाय खाासी कलम आदद की तनवारक ह तथा हदय क ललय बहत दहतकारी ह |

(अनिम)

बरहिचयय रकषा हत ितर

एक कटोरी दध म तनहारत हए इस मतर का इककीस बार जप कर | तदपशचात उस दध को पी ल बरहमचयक रकषा म सहायता लमलती ह | यह मतर सदव मन म धारर करन योगय ह

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय

िनोमभलाषित िनः सतभ कर कर सवाहा |

पादपषशचिोततानासन

षवध जमीन पर आसन तरबछाकर दोनो पर सीध करक बठ जाओ | कफर दोनो हाथो स परो क

अगाठ पकड़कर झकत हए लसर को दोनो घटनो स लमलान का परयास करो | घटन जमीन पर सीध रह | परारभ म घटन जमीन पर न दटक तो कोई हजक नही | सतत अभयास स यह आसन लसदध हो जायगा | यह आसन करन क 15 लमनट बाद एक-दो कचची लभणडी खानी चादहए | सवफल का सवन भी फायदा करता ह |

लाभ इस आसन स नाडड़यो की ववशष शदचध होकर हमारी कायककषमता बढती ह और शरीर की बीमाररयाा दर होती ह | बदहजमी कबज जस पट क सभी रोग सदी-जकाम कफ चगरना कमर का ददक दहचकी सफद कोढ पशाब की बीमाररयाा सवपनदोष वीयक-ववकार अपलनडकस साईदटका नलो की सजन पाणडरोग (पीललया) अतनिा दमा खटटी डकार जञानततओ की कमजोरी गभाकशय क रोग

मालसकधमक की अतनयलमतता व अनय तकलीफ नपसकता रकत-ववकार दठगनापन व अनय कई

परकार की बीमाररयाा यह आसन करन स दर होती ह |

परारभ म यह आसन आधा लमनट स शर करक परततददन थोड़ा बढात हए 15 लमनट तक कर सकत ह | पहल 2-3 ददन तकलीफ होती ह कफर सरल हो जाता ह |

इस आसन स शरीर का कद लमबा होता ह | यदद शरीर म मोटापन ह तो वह दर होता ह और यदद दबलापन ह तो वह दर होकर शरीर सडौल तनदरसत अवसथा म आ जाता ह | बरहमचयक पालनवालो क ललए यह आसन भगवान लशव का परसाद ह | इसका परचार पहल लशवजी न और बाद म जोगी गोरखनाथ न ककया था |

(अनिम)

पादागटठानासन

इसम शरीर का भार कवल पााव क अागठ पर आन स इस पादाागषटठानासन कहत ह वीयक की रकषा व ऊरधवकगमन हत महववपरक होन स सभी को ववशषतः बचचो व यवाओ को यह आसन अवशय करना चादहए

लाभः अखणड बरहमचयक की लसदचध वजरनाड़ी (वीयकनाड़ी) व मन पर तनयतरर तथा वीयकशलकत को ओज म रपातररत करन म उततम ह मलसतषटक सवसथ रहता ह व बदचध की लसथरता व परखरता शीघर परापत होती ह रोगी-नीरोगी सभी क ललए लाभपरद ह

रोगो ि लाभः सवपनदोष मधमह नपसकता व समसत वीयोदोषो म लाभपरद ह

षवध ः पजो क बल बठ जाय बाय पर की एड़ी लसवनी (गदा व जननलनिय क बीच का सथान) पर

लगाय दोनो हाथो की उगललयाा जमीन पर रखकर दायाा पर बायी जघा पर रख सारा भार बाय पज पर (ववशषतः अागठ

पर) सतललत करक हाथ कमर पर या नमसकार की मिा म रख परारमभ म

कछ ददन आधार लकर कर सकत ह कमर सीधी व शरीर लसथर रह शवास सामानय दलषटट आग ककसी तरबद पर एकागर व रधयान सतलन रखन म हो यही किया पर बदल कर भी कर

सियः परारभ म दोनो परो स आधा-एक लमनट दोनो परो को एक समान समय दकर

यथासभव बढा सकत ह

साव ानीः अततम लसथती म आन की शीघरता न कर िमशः अभयास बढाय इस ददन भर म दो-तीन बार कभी भी कर सकत ह ककनत भोजन क तरनत बाद न कर

बदध शषकतव यक परयोगः लाभः इसक तनयलमत अभयास स जञानतनत पषटट होत

ह चोटी क सथान क नीच गाय क खर क आकार वाला बदचधमडल ह लजस पर इस परयोग का ववशष परभाव पड़ता ह और बदचध ब धारराशलकत का ववकास होता ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख लसर पीछ की तरफ ल जाय दलषटट आसमान की ओर हो इस लसथतत म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ि ाशषकतव यक परयोगः

लाभः इसक तनयलमत अभयास स मधाशलकत बढती ह

षवध ः सीध खड़ हो जाय हाथो की मटदठयाा बद करक हाथो को शरीर स सटाकर रख

आाख बद करक लसर को नीच की तरफ इस तरफ झकाय कक ठोढी कठकप स लगी रह और कठकप पर हलका-सा दबाव पड़ इस लसथती म 25 बार गहरा शवास ल और छोड़ मल लसथती म आ जाय

ववशषः शवास लत समय मन म ॐ का जप कर व छोड़त समय

उसकी चगनती कर

रधयान द- परसयक परयोग सबह खाली पट 15 बार कर कफर धीर-धीर बढात हए 25 बार तक कर सकत ह

(अनिम)

हिार अनभव

िहापरि क दशयन का चितकार

ldquoपहल म कामतलपत म ही जीवन का आननद मानता था | मरी दो शाददयाा हई परनत दोनो पलसनयो क दहानत क कारर अब तीसरी शादी 17 वषक की लड़की स करन को तयार हो गया | शादी स पवक म परम पजय सवामी शरी लीलाशाहजी महारज का आशीवाकद लन डीसा आशरम म जा पहाचा |

आशरम म व तो नही लमल मगर जो महापरष लमल उनक दशकनमातर स न जान कया हआ कक मरा सारा भववषटय ही बदल गया | उनक योगयकत ववशाल नतरो म न जान कसा तज चमक रहा था कक म अचधक दर तक उनकी ओर दख नही सका और मरी नजर उनक चररो की ओर झक गई | मरी कामवासना ततरोदहत हो गई | घर पहाचत ही शादी स इनकार कर ददया | भाईयो न एक कमर म उस 17 वषक की लड़की क साथ मझ बनद कर ददया |

मन कामववकार को जगान क कई उपाय ककय परनत सब तनरथकक लसदध हआ hellip जस कामसख

की चाबी उन महापरष क पास ही रह गई हो एकानत कमर म आग और परोल जसा सयोग था कफर भी

मन तनशचय ककया कक अब म उनकी छतरछाया को नही छोड़ागा भल ककतना ही ववरोध सहन

करना पड़ | उन महापरष को मन अपना मागकदशकक बनाया | उनक सालननरधय म रहकर कछ यौचगक

कियाएा सीखी | उनहोन मझस ऐसी साधना करवाई कक लजसस शरीर की सारी परानी वयाचधयाा जस मोटापन दमा टीबी कबज और छोट-मोट कई रोग आदद तनवत हो गय |

उन महापरष का नाम ह परम पजय सत शरी आसारामजी बाप | उनहीक सालननरधय म म अपना जीवन धनय कर रहा हा | उनका जो अनपम उपकार मर ऊपर हआ ह उसका बदला तो म अपना समपरक लौककक वभव समपकर करक भी चकान म असमथक हा |rdquo

-महनत चदीराम ( भतपवक चदीराम कपालदास )

सत शरी आसारामजी आशरम साबरमतत अमदावाद |

मरी वासना उपासना म बदली

ldquoआशरम दवारा परकालशत ldquoयौवन सरकषाrdquo पसतक पढन स मरी दलषटट अमीदलषटट हो गई | पहल परसतरी को एव हम उमर की लड़ककयो को दखकर मर मन म वासना और कदलषटट का भाव पदा होता था लककन यह पसतक पढकर मझ जानन को लमला कक lsquoसतरी एक वासनापतत क की वसत नही ह परनत शदध परम

और शदध भावपवकक जीवनभर साथ रहनवाली एक शलकत ह |rsquo सचमच इस lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक को पढकर मर अनदर की वासना उपासना म बदल गयी ह |rdquo

-मकवारा रवीनि रततभाई

एम क जमोड हाईसकल भावनगर (गज)

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगय क मलय एक अि लय भि ह

ldquoसवकपरथम म पजय बाप का एव शरी योग वदानत सवा सलमतत का आभार परकट करता हा |

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक क ललय अमकय भट ह | यह पसतक यवानो क ललय सही ददशा ददखानवाली ह |

आज क यग म यवानो क ललय वीयकरकषर अतत कदठन ह | परनत इस पसतक को पढन क बाद

ऐसा लगता ह कक वीयकरकषर करना सरल ह | lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक आज क यवा वगक को सही यवान

बनन की परररा दती ह | इस पसतक म मन lsquoअनभव-अमतrsquo नामक पाठ पढा | उसक बाद ऐसा लगा कक सत दशकन करन स वीयकरकषर की परररा लमलती ह | यह बात तनतात ससय ह | म हररजन जातत का हा | पहल मास मछली लहसन पयाज आदद सब खाता था लककन lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक पढन क बाद मझ मासाहार स सखत नफरत हो गई ह | उसक बाद मन इस पसतक को दो-तीन बार पढा ह |

अब म मास नही खा सकता हा | मझ मास स नफरत सी हो गई ह | इस पसतक को पढन स मर मन पर काफी परभाव पड़ा ह | यह पसतक मनषटय क जीवन को समदध बनानवाली ह और वीयकरकषर की शलकत परदान करन वाली ह |

यह पसतक आज क यवा वगक क ललय एक अमकय भट ह | आज क यवान जो कक 16 वषक स 17

वषक की उमर तक ही वीयकशलकत का वयय कर दत ह और दीन-हीन कषीरसककप कषीरजीवन होकर अपन ललए व औरो क ललए भी खब दःखद हो जात ह उनक ललए यह पसतक सचमच परररादायक ह

| वीयक ही शरीर का तज ह शलकत ह लजस आज का यवा वगक नषटट कर दता ह | उसक ललए जीवन म ववकास करन का उततम मागक तथा ददगदशकक यह lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक ह | तमाम यवक-यवततयो को यह पसतक पजय बाप की आजञानसार पााच बार अवशय पढनी चादहए | इसस बहत लाभ होता ह |rdquo

-राठौड तनलश ददनशभाई

(अनिम)

lsquoयौवन सरकषाrsquo पसतक नही अषपत एक मशकषा गरनथ ह

ldquoयह lsquoयौवन सरकषाrsquo एक पसतक नही अवपत एक लशकषा गरनथ ह लजसस हम ववदयाचथकयो को सयमी जीवन जीन की परररा लमलती ह | सचमच इस अनमोल गरनथ को पढकर एक अदभत परररा तथा उससाह लमलता ह | मन इस पसतक म कई ऐसी बात पढी जो शायद ही कोई हम बालको को बता व समझा सक | ऐसी लशकषा मझ आज तक ककसी दसरी पसतक स नही लमली | म इस पसतक को जनसाधारर तक पहाचान वालो को परराम करता हा तथा उन महापरष महामानव को शत-शत परराम करता हा लजनकी परररा तथा आशीवाकद स इस पसतक की रचना हई |rdquo

हरपरीत लसह अवतार लसह

ककषा-7 राजकीय हाईसकल सकटर-24 चणडीगढ

बरहिचयय ही जीवन ह

बरहमचयक क तरबना जगत म नही ककसीन यश पाया |

बरहमचयक स परशराम न इककीस बार धररी जीती |

बरहमचयक स वाकमीकी न रच दी रामायर नीकी |

बरहमचयक क तरबना जगत म ककसन जीवन रस पाया

बरहमचयक स रामचनि न सागर-पल बनवाया था |

बरहमचयक स लकषमरजी न मघनाद मरवाया था |

बरहमचयक क तरबना जगत म सब ही को परवश पाया |

बरहमचयक स महावीर न सारी लका जलाई थी |

बरहमचयक स अगदजी न अपनी पज जमाई थी |

बरहमचयक क तरबना जगत म सबन ही अपयश पाया |

बरहमचयक स आकहा-उदल न बावन ककल चगराए थ |

पथवीराज ददकलीशवर को भी रर म मार भगाए थ |

बरहमचयक क तरबना जगत म कवल ववष ही ववष पाया |

बरहमचयक स भीषटम वपतामह शरशया पर सोय थ |

बरहमचारी वर लशवा वीर स यवनो क दल रोय थ |

बरहमचयक क रस क भीतर हमन तो षटरस पाया |

बरहमचयक स राममतत क न छाती पर पसथर तोड़ा |

लोह की जजीर तोड़ दी रोका मोटर का जोड़ा |

बरहमचयक ह सरस जगत म बाकी को करकश पाया |

(अनिम)

शासतरवचन

राजा जनक शकदवजी स बोल

ldquoबाकयावसथा म ववदयाथी को तपसया गर की सवा बरहमचयक का पालन एव वदारधययन करना चादहए |rdquo

तपसा गरवततया च बरहिचयण वा षवभो |

- िहाभारत ि िोकष िय पवय

सकलपाजजायत कािः सवयिानो षवव यत |

यदा पराजञो षवरित तदा सदयः परणशयतत ||

ldquoकाम सककप स उसपनन होता ह | उसका सवन ककया जाय तो बढता ह और जब बदचधमान परष

उसस ववरकत हो जाता ह तब वह काम तसकाल नषटट हो जाता ह |rdquo

-िहाभारत ि आपद िय पवय

ldquoराजन (यचधलषटठर) जो मनषटय आजनम परक बरहमचारी रहता ह उसक ललय इस ससार म कोई भी ऐसा पदाथक नही ह जो वह परापत न कर सक | एक मनषटय चारो वदो को जाननवाला हो और दसरा परक बरहमचारी हो तो इन दोनो म बरहमचारी ही शरषटठ ह |rdquo

-भीटि षपतािह

ldquoमथन सबधी य परवततयाा सवकपरथम तो तरगो की भाातत ही परतीत होती ह परनत आग चलकर य

कसगतत क कारर एक ववशाल समि का रप धारर कर लती ह | कामसबधी वाताकलाप कभी शरवर न कर |rdquo

-नारदजी

ldquoजब कभी भी आपक मन म अशदध ववचारो क साथ ककसी सतरी क सवरप की ककपना उठ तो आप

lsquoॐ दगाय दवय निःrsquo मतर का बार-बार उचचारर कर और मानलसक परराम कर |rdquo

-मशवानदजी

ldquoजो ववदयाथी बरहमचयक क दवारा भगवान क लोक को परापत कर लत ह कफर उनक ललय ही वह सवगक ह | व ककसी भी लोक म कयो न हो मकत ह |rdquo

-छानदोगय उपतनिद

ldquoबदचधमान मनषटय को चादहए कक वह वववाह न कर | वववादहत जीवन को एक परकार का दहकत हए

अगारो स भरा हआ खडडा समझ | सयोग या ससगक स इलनियजतनत जञान की उसपवतत होती ह

इलनिजतनत जञान स तससबधी सख को परापत करन की अलभलाषा दढ होती ह ससगक स दर रहन पर जीवासमा सब परकार क पापमय जीवन स मकत रहता ह |rdquo

-िहातिा बद

भगवशी ॠवष जनकवश क राजकमार स कहत ह

िनोऽपरततक लातन परतय चह च वाछमस |

भ ताना परततक लभयो तनवतयसव यतषनरयः ||

ldquoयदद तम इस लोक और परलोक म अपन मन क अनकल वसतएा पाना चाहत हो तो अपनी इलनियो को सयम म रखकर समसत पराखरयो क परततकल आचररो स दर हट जाओ |rdquo

ndashिहाभारत ि िोकष िय पवय 3094

(अनिम)

भसिासर करो स बचो काम िोध लोभ मोह अहकार- य सब ववकार आसमानदरपी धन को हर लनवाल शतर ह |

उनम भी िोध सबस अचधक हातनकतताक ह | घर म चोरी हो जाए तो कछ-न-कछ सामान बच जाता ह

लककन घर म यदद आग लग जाय तो सब भसमीभत हो जाता ह | भसम क लसवा कछ नही बचता |

इसी परकार हमार अतःकरर म लोभ मोहरपी चोर आय तो कछ पणय कषीर होत ह लककन िोधरपी आग लग तो हमारा तमाम जप तप पणयरपी धन भसम हो जाता ह | अतः सावधान होकर

िोधरपी भसमासर स बचो | िोध का अलभनय करक फफकारना ठीक ह लककन िोधालगन तमहार

अतःकरर को जलान न लग इसका रधयान रखो |

25 लमनट तक चबा-चबाकर भोजन करो | सालववक आहर लो | लहसन लाल लमचक और तली हई चीजो स दर रहो | िोध आव तब हाथ की अागललयो क नाखन हाथ की गददी पर दब इस परकार

मठठी बद करो |

एक महीन तक ककय हए जप-तप स चचतत की जो योगयता बनती ह वह एक बार िोध करन स नषटट हो जाती ह | अतः मर पयार भया सावधान रहो | अमकय मानव दह ऐस ही वयथक न खो दना |

दस गराम शहद एक चगलास पानी तलसी क पतत और सतकपा चरक लमलाकर बनाया हआ

शबकत यदद हररोज सबह म ललया जाए तो चचतत की परसननता बढती ह | चरक और तलसी नही लमल तो कवल शहद ही लाभदायक ह | डायतरबदटज क रोचगयो को शहद नही लना चादहए |

हरर ॐ

बरहिाचयय-रकषा का ितर

ॐ निो भगवत िहाबल पराकरिाय िनोमभलाित िनः सतभ कर कर सवाहा

रोज दध म तनहार कर 21 बार इस मतर का जप कर और दध पी ल इसस बरहमचयक की रकषा होती ह सवभाव म आसमसात कर लन जसा यह तनयम ह

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

(अनिम)

पावन उदगार

पावन उदगार

सख-शातत व सवासथय का परसाद बािन क मलए ही बाप जी का अवतरण हआ ह

मर असयनत वपरय लमतर शरी आसाराम जी बाप स म पवककाल स हदयपवकक पररचचत हा ससार म सखी रहन क ललए समसत जनता को शारीररक सवासथय और मानलसक शातत दोनो आवशयक ह सख-शातत व सवासथय का परसाद बााटन क ललए ही इन सत का महापरष का अवतरर हआ ह आज क सतो-महापरषो म परमख मर वपरय लमतर बापजी हमार भारत दश क दहनद जनता क आम जनता क ववशववालसयो क उदधार क ललए रात-ददन घम-घमकर सससग

भजन कीतकन आदद दवारा सभी ववषयो पर मागकदशकन द रह ह अभी म गल म थोड़ी तकलीफ ह तो उनहोन तरनत मझ दवा बताई इस परकार सबक सवासथय और मानलसक शातत दोनो क ललए उनका जीवन समवपकत ह व धनभागी ह जो लोगो को बापजी क सससग व सालननरधय म लान का दवी कायक करत ह

काची कािकोहि पीठ क शकराचायय जगदगर शरी जयनर सरसवती जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

हर वयषकत जो तनराश ह उस आसाराि जी की जररत ह शरदधय-वदनीय लजनक दशकन स कोदट-कोदट जनो क आसमा को शातत लमली ह व हदय

उननत हआ ह ऐस महामनीवष सत शरी आसारामजी क दशकन करक आज म कताथक हआ लजस महापरष न लजस महामानव न लजस ददवय चतना स सपनन परष न इस धरा पर धमक ससकतत अरधयासम और भारत की उदातत परपराओ को परी ऊजाक (शलकत) स सथावपत ककया ह

उस महापरष क म दशकन न करा ऐसा तो हो ही नही सकता इसललए म सवय यहाा आकर अपन-आपको धनय और कताथक महसस कर रहा हा मर परतत इनका जो सनह ह यह तो मझ पर इनका आशीवाकद ह और बड़ो का सनह तो हमशा रहता ही ह छोटो क परतत यहाा पर म आशीवाकद लन क ललए आया हा

म समझता हा कक जीवन म लगभग हर वयलकत तनराश ह और उसको आसारामजी की जररत ह दश यदद ऊा चा उठगा समदध बनगा ववकलसत होगा तो अपनी पराचीन परपराओ नततक मकयो और आदशो स ही होगा और वह आदशो नततक मकयो पराचीन सभयता धमक-दशकन

और ससकतत का जो जागरर ह वह आशाओ क राम बनन स ही होगा इसललए शरदधय वदनीय महाराज शरी आसाराम जी की सारी दतनया को जररत ह बाप जी क चररो म पराथकना करत हए कक आप ददशा दत रहना राह ददखात रहना हम भी आपक पीछ-पीछ चलत रहग और एक ददन मलजल लमलगी ही पनः आपक चररो म वदन

परमसद योगाचायय शरी रािदव जी िहाराज

(अनिम) पावन उदगार

बाप तनतय नवीन तनतय व यनीय आनदसवरप ह परम पजय बाप क दशकन करक म पहल भी आ चका हा दशकन करक हदन-हदन नव-नव

परततकषण व यनाि अथाकत बाप तनसय नवीन तनसय वधकनीय आनदसवरप ह ऐसा अनभव हो रहा ह और यह सवाभाववक ही ह पजय बाप जी को परराम

सपरमसद कथाकार सत शरी िोरारी बाप

(अनिम) पावन उदगार

पणय सचय व ईशवर की कपा का फलः बरहिजञान का हदवय सतसग

ईशवर की कपा होती ह तो मनषटय जनम लमलता ह ईशवर की अततशय कपा होती ह तो ममकषसव का उदय होता ह परनत जब अपन पवकजनमो क पणय इकटठ होत ह और ईशवर की परम कपा होती ह तब ऐसा बरहमजञान का ददवय सससग सनन को लमलता ह जसा पजयपाद बापजी क शरीमख स आपको यहाा सनन को लमल रहा ह

परमसद कथाकार सशरी कनकशवरी दवी

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी का साषननधय गगा क पावन परवाह जसा ह कल-कल करती इस भागीरथी की धवल धारा क ककनार पर पजय बाप जी क सालननरधय

म बठकर म बड़ा ही आहलाददत व परमददत हा आनददत हा रोमााचचत हा

गगा भारत की सषमना नाड़ी ह गगा भारत की सजीवनी ह शरी ववषटरजी क चररो स तनकलकर बरहमाजी क कमणडल व जटाधर क माथ पर शोभायमान गगा तरयोगलसदचधकारक ह ववषटरजी क चररो स तनकली गगा भलकतयोग की परतीतत कराती ह और लशवजी क मसतक पर लसथत गगा जञानयोग की उचचतर भलमका पर आरढ होन की खबर दती ह मझ ऐसा लग रहा ह कक आज बापजी क परवचनो को सनकर म गगा म गोता लगा रहा हा कयोकक उनका परवचन

उनका सालननरधय गगा क पावन परवाह जसा ह

व अलमसत फकीर ह व बड़ सरल और सहज ह व लजतन ही ऊपर स सरल ह उतन ही अतर म गढ ह उनम दहमालय जसी उचचता पववतरता शरषटठता ह और सागरतल जसी गमभीरता ह व राषटर की अमकय धरोहर ह उनह दखकर ऋवष-परमपरा का बोध होता ह गौतम कराद जलमतन कवपल दाद मीरा कबीर रदास आदद सब कभी-कभी उनम ददखत ह

र भाई कोई सतगर सत कहाव जो ननन अलख लखाव

रती उखाड़ आकाश उखाड़ अ र िड़इया ाव

श नय मशखर क पार मशला पर आसन अचल जिाव

र भाई कोई सतगर सत कहाव

ऐस पावन सालननरधय म हम बठ ह जो बड़ा दलकभ व सहज योगसवरप ह ऐस महापरष क ललए पलकतयाा याद आ रही ह- ति चलो तो चल रती चल अबर चल दतनया

ऐस महापरष चलत ह तो उनक ललए सयक चि तार गरह नकषतर आदद सब अनकल हो जात ह ऐस इलनियातीत गरातीत भावातीत शबदातीत और सब अवसथाओ स पर ककनही महापरष क शरीचररो म जब बठत ह तो भागवत कहता हः सा ना दशयन लोक सवयमसदध कर परि साधओ क दशकनमातर स ववचार ववभतत ववदवता शलकत सहजता तनववकषयता परसननता लसदचधयाा व आसमानद की परालपत होती ह

दश क महान सत यहाा सहज ही आत ह भारत क सभी शकराचायक भी आत ह मर मन म भी ववचार आया कक जहाा सब आत ह वहाा जाना चादहए कयोकक यही वह ठौर-दठकाना ह जहाा मन का अलभमान लमटाया जा सकता ह ऐस महापरषो क दशकन स कवल आनद व मसती ही नही बलकक वह सब कछ लमल जाता ह जो अलभलवषत ह आकाकषकषत ह लकषकषत ह यहाा म कररा कमकठता वववक-वरागय व जञान क दशकन कर रहा हा वरागय और भलकत क रकषर पोषर व सवधकन क ललए यह सपतऋवषयो का उततम जञान जाना जाता ह आज गगा अगर कफर स साकार ददख रही ह तो व बाप जी क ववचार व वारी म ददख रही ह अलमसतता सहजता उचचता शरषटठता पववतरता तीथक-सी शचचता लशश-सी सरलता तररो-सा जोश वदधो-सा गाभीयक और ऋवषयो जसा जञानावबोध मझ जहाा हो रहा ह वह पडाल ह इस आनदगर कहा या परमनगर कररा का सागर कहा या ववचारो का समनदर लककन इतना जरर कहागा कक मर मन का कोना-कोना आहलाददत हो रहा ह आपलोग बड़भागी ह जो ऐस महापरष क शरीचररो म बठ ह जहाा भागय का ददवय वयलकतसव का तनमाकर होता ह जीवन की कतकसयता जहाा परापत हो सकती ह वह यही दर ह

मिल ति मिली िषजल मिला िकसद और िददा भी

न मिल ति तो रह गया िददा िकसद और िषजल भी

आपका यह भावराजय व परमराजय दखकर म चककत भी हा और आनद का भी अनभव कर रहा हा मझ लगता ह कक बाप जी सबक आसमसयक ह आपक परतत मरा ववशवास व अटट तनषटठा बढ इस हत मरा नमन सवीकार कर

सवािी अव शानदजी िहाराज हररदवार

(अनिम) पावन उदगार

भगवननाि का जाद सतशरी आसारामजी बाप क यहाा सबस अचधक जनता आती ह कारर कक इनक पास भगवननाम-सकीतकन का जाद सरल वयवहार परमरसभरी वारी तथा जीवन क मल परशनो का उततर भी ह

षवरकतमशरोिरण शरी वािदवजी िहाराज

सवामी आसारामजी क पास भरातत तोड़न की दलषटट लमलती ह

यगपरि सवािी शरी परिानदजी िहाराज

आसारामजी महाराज ऐसी शलकत क धनी ह कक दलषटटपातमातर स लाखो लोगो क जञानचकष खोलन का मागक परशसत करत ह

लोकलाडल सवािी शरी बरहिानदधगरीजी िहाराज

हमार पजय आसारामजी बाप बहत ही कम समय म ससकतत का जतन और उसथान करन वाल सत ह आचायय शरी धगरीराज ककशोरजी षवशवहहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी क सतसग ि पर ानितरी शरी अिल बबहारी वाजपयीजी क उदगार

पजय बापजी क भलकतरस म डब हए शरोता भाई-बहनो म यहाा पर पजय बापजी का अलभनदन करन आया हा उनका आशीवकचन सनन आया हा भाषर दन य बकबक करन नही आया हा बकबक तो हम करत रहत ह बाप जी का जसा परवचन ह कथा-अमत ह उस

तक पहाचन क ललए बड़ा पररशरम करना पड़ता ह मन पहल उनक दशकन पानीपत म ककय थ वहाा पर रात को पानीपत म पणय परवचन समापत होत ही बापजी कटीर म जा रह थ तब उनहोन मझ बलाया म भी उनक दशकन और आशीवाकद क ललए लालातयत था सत-महासमाओ क दशकन तभी होत ह उनका सालननरधय तभी लमलता ह जब कोई पणय जागत होता ह

इस जनम म मन कोई पणय ककया हो इसका मर पास कोई दहसाब तो नही ह ककत जरर यह पवक जनम क पणयो का फल ह जो बाप जी क दशकन हए उस ददन बापजी न जो कहा वह अभी तक मर हदय-पटल पर अककत ह दशभर की पररिमा करत हए जन-जन क मन म अचछ ससकार जगाना यह एक ऐसा परम राषटरीय कतकवय ह लजसन हमार दश को आज तक जीववत रखा ह और इसक बल पर हम उजजवल भववषटय का सपना दख रह ह उस सपन को साकार करन की शलकत-भलकत एकतर कर रह ह

पजय बापजी सार दश म भरमर करक जागरर का शखनाद कर रह ह सवकधमक-समभाव की लशकषा द रह ह ससकार द रह ह तथा अचछ और बर म भद करना लसखा रह ह

हमारी जो पराचीन धरोहर थी और हम लजस लगभग भलन का पाप कर बठ थ बाप जी हमारी आाखो म जञान का अजन लगाकर उसको कफर स हमार सामन रख रह ह बापजी न कहा कक ईशवर की कपा स कर-कर म वयापत एक महान शलकत क परभाव स जो कछ घदटत होता ह उसकी छानबीन और उस पर अनसधान करना चादहए

पजय बापजी न कहा कक जीवन क वयापार म स थोड़ा समय तनकाल कर सससग म आना चादहए पजय बापजी उजजन म थ तब मरी जान की बहत इचछा थी लककन कहत ह न

कक दान-दान पर खान वाल की मोहर होती ह वस ही सत-दशकन क ललए भी कोई महतक होता ह आज यह महतक आ गया ह यह मरा कषतर ह पजय बाप जी न चनाव जीतन का तरीका भी बता ददया ह

आज दश की दशा ठीक नही ह बाप जी का परवचन सनकर बड़ा बल लमला ह हाल म हए लोकसभा अचधवशन क कारर थोड़ी-बहत तनराशा हई थी ककनत रात को लखनऊ म पणय परवचन सनत ही वह तनराशा भी आज दर हो गयी बाप जी न मानव जीवन क चरम लकषय मलकत-शलकत की परालपत क ललए परषाथक चतषटटय भलकत क ललए समपकर की भावना तथा जञान

भलकत और कमक तीनो का उकलख ककया ह भलकत म अहकार का कोई सथान नही ह जञान अलभमान पदा करता ह भलकत म परक समपकर होता ह 13 ददन क शासनकाल क बाद मन कहाः मरा जो कछ ह तरा ह यह तो बाप जी की कपा ह कक शरोता को वकता बना ददया और वकता को नीच स ऊपर चढा ददया जहाा तक ऊपर चढाया ह वहाा तक ऊपर बना रहा इसकी चचता भी बाप जी को करनी पड़गी

राजनीतत की राह बड़ी रपटीली ह जब नता चगरता ह तो यह नही कहता कक म चगर गया बलकक कहता हः हर हर गग बाप जी का परवचन सनकर बड़ा आनद आया म लोकसभा

का सदसय होन क नात अपनी ओर स एव लखनऊ की जनता की ओर स बाप जी क चररो म ववनमर होकर नमन करना चाहता हा

उनका आशीवाकद हम लमलता रह उनक आशीवाकद स परररा पाकर बल परापत करक हम कतकवय क पथ पर तनरनतर चलत हए परम वभव को परापत कर यही परभ स पराथकना ह

शरी अिल बबहारी वाजपयी पर ानितरी भारत सरकार

परि प जय बाप सत शरी आसारािजी बाप क कपा-परसाद स पररपलाषवत हदयो क उदगार

(अनिम) पावन उदगार

प बाप ः राटरसख क सव यक

पजय बाप दवारा ददया जान वाला नततकता का सदश दश क कोन-कोन म लजतना अचधक परसाररत होगा लजतना अचधक बढगा उतनी ही मातरा म राषटरसख का सवधकन होगा राषटर की परगतत होगी जीवन क हर कषतर म इस परकार क सदश की जररत ह

(शरी लालकटण आडवाणी उपपर ानितरी एव कनरीय गहितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

राटर उनका ऋणी ह भारत क भतपवक परधानमतरी शरी चनिशखर ददकली क सवरक जयनती पाकक म 25 जलाई

1999 को बाप जी की अमतवारी का रसासवादन करन क पशचात बोलः

आज पजय बाप जी की ददवय वारी का लाभ लकर म धनय हो गया सतो की वारी न हर यग म नया सदश ददया ह नयी परररा जगायी ह कलह वविोह और दवष स गरसत वतकमान वातावरर म बाप लजस तरह ससय कररा और सवदनशीलता क सदश का परसार कर रह ह इसक ललए राषटर उनका ऋरी ह (शरी चनरशखर भ तप वय पर ानितरी भारत सरकार)

(अनिम) पावन उदगार

गरीबो व षपछड़ो को ऊपर उठान क कायय चाल रह गरीबो और वपछड़ो को ऊपर उठान का कायक आशरम दवारा चलाय जा रह ह मझ

परसननता ह मानव-ककयार क ललए ववशषतः परम व भाईचार क सदश क मारधयम स ककय जा रह ववलभनन आरधयालसमक एव मानवीय परयास समाज की उननतत क ललए सराहनीय ह

डॉ एपीजअबदल कलाि राटरपतत भारत गणततर

(अनिम) पावन उदगार

सराहनीय परयासो की सफलता क मलए ब ाई मझ यह जानकर बड़ी परसननता हई ह कक सत शरी आसारामजी आशरम नयास जन-जन

म शातत अदहसा और भरातसव का सदश पहाचान क ललए दश भर म सससग का आयोजन कर रहा ह उसक सराहनीय परयासो की सफलता क ललए म बधाई दता हा

शरी क आर नारायणन ततकालीन राटरपतत भारत गणततर नई हदलली

(अनिम) पावन उदगार

आपन ददवय जञान का परकाशपज परसफदटत ककया ह

आरधयालसमक चतना जागत और ववकलसत करन हत भारतीय एव वलशवक समाज म ददवय जञान का जो परकाशपज आपन परसफदटत ककया ह सपरक मानवता उसस आलोककत ह मढता जड़ता दवदव और तरतरतापो स गरसत इस समाज म वयापत अनासथा तथा नालसतकता का ततलमर समापत कर आसथा सयम सतोष और समाधान का जो आलोक आपन तरबखरा ह सपरक

समाज उसक ललए कतजञ ह शरी किलनाथ वारणजय एव उदयोग ितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आप सिाज की सवागीण उननतत कर रह ह आज क भागदौड़ भर सपधाकसमक यग म लपतपराय-सी हो रही आलसमक शातत का आपशरी

मानवमातर को सहज म अनभव करा रह ह आप आरधयालसमक जञान दवारा समाज की सवाागीर उननतत कर रह ह व उसम धालमकक एव नततक आसथा को सदढ कर रह ह

शरी कषपल मसबबल षवजञान व परौदयोधगकी तथा िहासागर षवकास राजयितरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

योग व उचच ससकार मशकषा हत भारतविय आपका धचर-आभारी रहगा

दश ववदश म भारतीय ससकतत की जञानगगाधारा बचच-बचच क ददल-ददमाग म बाप जी क तनदश पर पररचाललत होना शभकर ह ववदयाचथकयो म ससकार लसचन दवारा हमारी ससकतत और नततक लशकषा सदढ बन जायगी दश को ससकाररत बनान क ललए चलाय जान वाल योग व उचच ससकार लशकषा कायकिम हत भारतवषक आप जस महासमाओ का चचरआभारी रहगा

शरी चनरशखर साह गरािीण षवकास राजयिनतरी भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

आपन जो कहा ह हि उसका पालन करग

आज तक कवल सना था कक तरा साई तझि ह लककन आज पजय बाप जी क सससग सनकर आज लगा - िरा साई िझि ह बापजी आपको दखकर ही शलकत आ गयी

आपको सनकर भलकत परकट हो गयी और आपक दशकन और आशीवाकद स मलकत अब सतनलशचत हो गयी पराथकना करता हा कक यही बस जाओ हम बार-बार आपक दशकन करत रह और भलकत

शलकत परापत करत हए मलकत की ओर बढत रह अब हरदय स कभी तनकल न पाओग बाप जी जो भलकत रस की सररता और जञान की गगा आपन बहायी ह वह मरधय परदश वालसयो को हमशा परररा दती रहगी हम तो भकत ह लशषटय ह आपन जो कछ बात कही ह हम उनका पालन करग हम ववशषरप स रधयान रखग कक आपन जो आजञा की ह नीम पीपल आावला जगह-जगह लग और तलसी मया का पौधा हर घर म लहराय उस आजञा का पालन हो कफर मरधय-परदश नदनवन की तरह महकगा

तीन चीज आपस माागता हा ndash सत बदचध सत मागक और सामथयक दना ताकक जनता की सचार रप स सवा कर सका शरी मशवराजमसह चौहान िखयितरी िधयपरदश

(अनिम) पावन उदगार

जब गर क साकषात दशयन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा

राजमाता की वजह स महाराज बापजी स हमारा बहत पराना ररशता ह आज रामनवमी क ददन म तो मानती हा कक म तो धनय हो गयी कयोकक सबह स लकर दशकन हो रह ह महाराज आपका आशीवाकद बना रह कयोकक म राज करन क ललए नही आयी धमक और कमक को एक साथ जोड़कर म सवा करन क ललए आयी हा और वह म करती रहागी आप आत रहोग आशीवाकद दत रहोग तो हमम ऊजाक भी पदा होगी आप रासता बतात रहो और इस राजयरपी पररवार की सवा करन की शलकत दत रहो

म माफी चाहती हा कक आपक चररो म इतनी दर स पहाची लककन म मानती हा कक जब गर क साकषात दशकन हो गय ह तो कछ बदलाव जरर आयगा राजय की समसयाएा हल होगी व हम लोग जनसवा क काम कर सक ग वसन राराज मसध या िखयितरी राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी सवयतर ससकार रोहर को पहचान क मलए अथक तपशचयाय कर रह ह

पजय बाप जी आप दश और दतनया ndash सवकतर ऋवष-परमपरा की ससकार-धरोहर को पहाचान क ललए अथक तपशचयाक कर रह ह अनक यगो स चलत आय मानव-ककयार क इस तपशचयाक-यजञ म आप अपन पल-पल की आहतत दत रह ह उसम स जो ससकार की ददवय जयोतत परकट हई ह उसक परकाश म म और जनता ndash सब चलत रह ह म सतो क आशीवाकद स जी रहा हा म यहाा इसललए आया हा कक लासनस ररनय हो जाय जस नवला अपन घर म जाकर औषचध साघकर ताकत लकर आता ह वस ही म समय तनकाल कर ऐसा अवसर खोज लता हा

शरी नरनर िोदी िखयितरी गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपक दशयनिातर स िझ अदभत शषकत मिलती ह पजय बाप जी क ललए मर ददल म जो शरदधा ह उसको बयान करन क ललए मर पास

कोई शबद नही ह आज क भटक समाज म भी यदद कछ लोग सनमागक पर चल रह ह तो यह इन महापरषो क अमतवचनो का ही परभाव ह बापजी की अमतवारी का ववशषकर मझ पर तो बहत परभाव पड़ता ह मरा तो मन करता ह कक बाप जी जहाा कही भी हो वही पर उड़कर उनक दशकन करन क ललए पहाच जाऊा व कछ पल ही सही उनक सालननरधय का लाभ ला आपक दशकनमातर स ही मझ एक अदभत शलकत लमलती ह शरी परकाश मसह बादल िखयितरी पजाब

(अनिम) पावन उदगार

हि सभी का कतयवय होगा कक आपक बताय रासत पर चल हम सबका परम सौभागय ह कक बाप जी क दशकन हए कल आपस मलाकात हई

आशीवाकद लमला मागकदशकन भी लमला और इशारो-इशारो म आपन वह सब कछ जो सदगरदव एक लशषटय को बता सकत ह मर जस एक लशषटय को आशीवाकद रप म परदान ककया आपक आशीवाकद

व कपादलषटट स छततीसगढ म सख-शातत व समदचध रह यहाा क एक-एक वयलकत क घर म ववकास की ककरर आय

आपन जो जञानोपदश ददया ह हम सभी का कतकवय होगा कक उस रासत पर चल बापजी स खासतौर स पीपल नीम आावला व तलसी क वकष लगान क बार म कहा ह हम इस पर ववशषरप स रधयान रखग डॉ रिन मसह िखयितरी छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

आपका ितर हः आओ सरल रासता हदखाऊ राि को पान क मलए

पजय बाबा आसारामजी बाप आपका नाम आसारामजी बाप इसललए तनकला ह कयोकक आपका यही मतर ह कक आओ सरल रासता ददखाऊा राम को पान क ललए आज हम धनय ह कक सससग म आय सससग उस कहत ह लजसक सग म हम सत हो जाय पजय बाप जी न हम भगवान को पान का सरल रासता ददखाया ह इसललए म जनता की ओर स बापजी का धनयवाद करता हा शरी ईएसएल नरमसमहन राजयपाल छततीसगढ़

(अनिम) पावन उदगार

सतो क िागयदशयन ि दश चलगा तो आबाद होगा पजय बाप जी म कमकयोग भलकतयोग तथा जञानयोग तीनो का ही समावश ह आप

आज करोड़ो-करोड़ो भकतो का मागकदशकन कर रह ह सतो क मागकदशकन म दश चलगा तो आबाद होगा म तो बड़-बड़ नताओ स यही कहता हा कक आप सतो का आशीवाकद जरर लो इनक चररो म अगर रहग तो सतता रहगी दटकगी तथा उसी स धमक की सथापना होगी

शरी अशोक मसघल अधयकष षवशव हहनद पररिद

(अनिम) पावन उदगार

सतय का िागय कभी न छ ि ऐसा आशीवायद दो

हम आपक मागकदशकन की जररत ह वह सतत लमलता रह आपन हमार कधो पर जो जवाबदारी दी ह उस हम भली परकार तनभाय बर मागक पर न जाय ससय क मागक पर चल लोगो की अचछ ढग स सवा कर ससकतत की सवा कर ससय का मागक कभी न छट ऐसा आशीवाकद दो

शरी उद व ठाकर काययकारी अधयकष मशवसना

(अनिम) पावन उदगार

पणयोदय पर सत सिागि

जीवन की दौड़-धप स कया लमलता ह यह हम सब जानत ह कफर भी भौततकवादी ससार म हम उस छोड़ नही पात सत शरी आसारामजी जस ददवय शलकतसमपनन सत पधार और हमको आरधयालसमक शातत का पान कराकर जीवन की अधी दौड़ स छड़ाय ऐस परसग कभी-कभी ही परापत होत ह य पजनीय सतशरी ससार म रहत हए भी परकतः ववशवककयार क ललए चचनतन करत ह कायक करत ह लोगो को आनदपवकक जीवन वयतीत करन की कलाएा और योगसाधना की यलकतयाा बतात ह

आज उनक समकष थोड़ी ही दर बठन स एव सससग सनन स हमलोग और सब भल गय ह तथा भीतर शातत व आनद का अनभव कर रह ह ऐस सतो क दरबार म पहाचना पणयोदय का फल ह उनह सनकर हमको लगता ह कक परततददन हम ऐस सससग क ललए कछ समय अवशय तनकालना चादहए पजय बाप जी जस महान सत व महापरष क सामन म अचधक कया कहा चाह कछ भी कहा वह सब सयक क सामन चचराग ददखान जसा ह

शरी िोतीलाल वोरा अरखल भारतीय कागरस कोिाधयकष प वय िखयितरी (िपर) प वय राजयपाल (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी जहा नही होत वहा क लोगो क मलए भी बहत कछ करत ह

सार दश क लोग पजय बापजी क आशीवकचनो की पावन गगा म नहा कर धनय हो रह ह आज बापजी यहाा उड़ीसा म सससग-अमत वपलान क ललए उपलसथत ह व जब यहाा नही होत

ह तब भी उड़ीसा क लोगो क बहत कछ करत ह उनको सब समय याद करत ह उड़ीसा क दररिनारायरो की तन-मन-धन स सवा दर-दराज म भी चलात ह

शरी जानकीवललभ पिनायक िखयितरी उड़ीसा

(अनिम) पावन उदगार

जीवन की सचची मशकषा तो प जय बाप जी ही द सकत ह बापजी ककतन परमदाता ह कक कोई भी वयलकत समाज म दःखी न रह इसललए सतत

परयसन करत रहत ह म हमशा ससकार चनल चाल करक आपक आशीवाकद लन क बाद ही सोती हा जीवन की सचची लशकषा तो हम भी नही द पा रह ह ऐसी लशकषा तो पजय सत शरी आसारामजी बाप जस सत लशरोलमरी ही द सकत ह

आनदीबहन पिल मशकषाितरी (प वय) राजसव एव िागय व िकान ितरी (वतयिान) गजरात

(अनिम) पावन उदगार

आपकी कपा स योग की अणशषकत पदा हो रही ह अनक परकार की ववकततयाा मानव क मन पर सामालजक जीवन पर ससकार और

ससकतत पर आिमर कर रही ह वसततः इस समय ससकतत और ववकतत क बीच एक महासघषक चल रहा ह जो ककसी सरहद क ललए नही बलकक ससकारो क ललए लड़ा जा रहा ह इसम ससकतत को लजतान का बम ह योगशलकत ह गरदव आपकी कपा स इस योग की ददवय अरशलकत लाखो लोगो म पदा हो रही ह य ससकतत क सतनक बन रह ह

गरदव म आपस पराथकना करता हा कक शासन क अदर भी धमक और वरागय क ससकार उसपनन हो आपस आशीवाकद परापत करन क ललए म आपक चररो म आया हा

(शरी अशोकभाई भटि कान नितरी गजरात राजय)

(अनिम) पावन उदगार

रती तो बाप जस सतो क कारण हिकी ह

मझ सससग म आन का मौका पहली बार लमला ह और पजय बापजी स एक अदभत बात मझ और आप सब को सनन को लमली ह वह ह परम की बात इस सलषटट का जो मल तवव ह वह ह परम यह परम नाम का तवव यदद न हो तो सलषटट नषटट हो जाएगी लककन ससार म कोई परम करना नही जानता या तो भगवान पयार करना जानत ह या सत पयार करना जानत ह लजसको ससारी लोग अपनी भाषा म परम कहत ह उसम तो कही-न-कही सवाथक जड़ा होता ह लककन भगवान सत और गर का परम ऐसा होता ह लजसको हम सचमच परम की पररभाषा म बााध सकत ह म यह कह सकती हा कक साध सतो को दश की सीमाएा नही बााधती जस नददयो की धाराएा दश और जातत की सीमाओ म नही बााधती उसी परकार परमासमा का परम और सतो का आशीवाकद भी कभी दश जातत और सपरदाय की सीमाओ म नही बधता कललयग म हदय की तनषटकपटता तनःसवाथक परम सयाग और तपसया का कषय होन लगा ह कफर भी धरती दटकी ह तो बाप इसललए कक आप जस सत भारतभलम पर ववचरर करत ह बाप की कथा म ही मन यह ववशषता दखी ह कक गरीब और अमीर दोनो को अमत क घाट एक जस पीन को लमलत ह यहाा कोई भदभाव नही ह

(सशरी उिा भारती िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

ि किनसीब ह जो इतन सिय तक गरवाणी स वधचत रहा परम पजय गरदव क शरी चररो म सादर परराम मन अभी तक महाराजशरी का नाम

भर सना था आज दशकन करन का अवसर लमला ह लककन म अपन-आपको कमनसीब मानता हा कयोकक दर स आन क कारर इतन समय तक गरदव की वारी सनन स वचचत रहा अब मरी कोलशश रहगी कक म महाराजशरी की अमतवारी सनन का हर अवसर यथासमभव पा सका म ईशवर स यही पराथकना करता हा कक व हम ऐसा मौका द कक हम गर की वारी को सनकर अपन-आपको सधार सक गर जी क शरी चररो म सादर समवपकत होत हए मरधयपरदश की जनता की ओर स पराथकना करता हा कक गरदव आप इस मरधयपरदश म बार-बार पधार और हम लोगो को आशीवाकद दत रह ताकक परमाथक क उस कायक म जो आपन पर दश म ही नही दश क बाहर भी फलाया ह मरधयपरदश क लोगो को भी जड़न का जयादा-स-जयादा अवसर लमल

(शरी हदषगवजय मसह ततकालीन िखयितरी िधयपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

इतनी ि र वाणी इतना अदभत जञान म अपनी ओर स तथा यहाा उपलसथत सभी महानभावो की ओर स परम शरदधय

सतलशरोमखर बाप जी का हाददकक सवागत करता हा मन कई बार टीवी पर आपको दखा सना ह और ददकली म एक बार आपका परवचन भी सना ह इतनी मधर वारी इतना मधर जञान अगर आपक परवचन पर गहराई स ववचार करक अमल ककया जाय तो इनसान को लजदगी म सही रासता लमल सकता ह व लोग धन भागी ह जो इस यग म ऐस महापरष क दशकन व सससग स अपन जीवन-समन खखलात ह

(शरी भजनलाल ततकालीन िखयितरी हररयाणा)

(अनिम) पावन उदगार

सतसग शरवण स िर हदय की सफाई हो गयी पजयशरी क दशकन करन व आशीवाकद लन हत आय हए उततरपरदश क तसकालीन राजयपाल

शरी सरजभान न कहाः समशानभलम स आन क बाद हम लोग शरीर की शदचध क ललए सनान कर लत ह ऐस ही ववदशो म जान क कारर मझ पर दवषत परमार लग जात थ परत वहाा स लौटन क बाद यह मरा परम सौभागय ह कक यहाा महाराज शरी क दशकन व पावन सससग-शरवर करन स मर चचतत की सफाई हो गयी ववदशो म रह रह अनको भारतवासी पजय बाप क परवचनो को परसयकष या परोकष रप स सन रह ह मरा यह सौभागय ह कक मझ यहाा महाराजशरी को सनन का सअवसर परापत हआ

(शरी स रजभान ततकालीन राजयपाल उततरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी उततराचल राजय का सौभागय ह कक इस दवभमी म दवता सवरप पजय बापजी का आशरम बन रहा ह | आप ऐसा आशरम बनाय जसा कही भी न हो | यह हम लोगो का सौभागय ह कक अब पजय बापजी की जञानरपी गगाजी सवय बहकर यहा आ गयी ह | अब गगा जाकर दशकन करन व सनान करन की उतनी आवशयकता नही ह लजतनी सत शरी आसारामजी बाप क चररो म बठकर

उनक आशीवाकद लन की ह |

-शरी तनतयानद सवािीजी

ततकालीन िखयितरी उततराचल

(अनिम) पावन उदगार

बाप जी क सतसग स षवशवभर क लोग लाभाषनवत भारतभलम सदव स ही ऋवष-मतनयो तथा सत-महासमाओ की भलम रही ह लजनहोन ववशव

को शातत एव अरधयासम का सदश ददया ह आज क यग म पजय सत शरी आसारामजी अपनी अमतवारी दवारा ददवय आरधयालसमक सदश द रह ह लजसस न कवल भारत वरन ववशवभर म लोग लाभालनवत हो रह ह

(शरी सरजीत मसह बरनाला राजयपाल आनरपरदश)

(अनिम) पावन उदगार

प री डडकशनरी याद कर षवशव ररकॉडय बनाया ऑकसफोडक एडवास लनकसक डडकशनरी (अगरजी छठा ससकरर) क 80000 शबदो को उनकी

पषटठ सखया सदहत मन याद कर ललया जो कक समसत ववशव क ललए ककसी चमसकार स कम नही ह फलसवरप मरा नाम ललमका बक ऑफ वकडक ररकॉडकस म दजक हो गया यही नही जी टीवी पर ददखाय जान वाल ररयाललटी शो म शाबाश इडडया म भी मन ववशव ररकॉडक बनाया द वीक पतरतरका क एक सवकषर म भी मरा नाम 25 अदभत वयलकतयो की सची म ह

मझ पजय गरदव स मतरदीकषा परापत होना भरामरी परारायाम सीखन को लमलना तथा अपनी कमजोरी को ही महानता परापत करन का साधन बनान की परररा कला बल एव उससाह परापत होना ndash यह सब तो गरदव की अहतकी कपा का ही चमसकार ह गरकपा ही कवल मशटयसय पर िगलि

षवरनर िहता अजयन नगर रोहतक (हरर)

(अनिम) पावन उदगार

ितरदीकषा व यौधगक परयोगो स बदध का अपरतति षवकास

पहल म एक साधारर छातर था मझ लगभग 50-55 परततशत अक ही लमलत थ 11वी ककषा म तो ऐसी लसथतत हई कक सकल का नाम खराब न हो इसललए परधानारधयापक न मर अलभभावको को बलाकर मझ सकल स तनकाल दन तक की बात कही थी बाद म मझ पजय बाप जी स सारसवसय मतर की दीकषा लमली इस मतर क जप व बापजी दवारा बताय गय परयोगो क अभयास स कछ ही समय म मरी बदचधशलकत का अपरततम ववकास हआ तसपशचात नोककया मोबाइल कपनी म गलोबल सववकसस परोडकट मनजर क पद पर मरी तनयलकत हई और मन एक पसतक ललखी जो अतराकषटरीय कपतनयो को सकयलर नटवकक की डडजाईन बनान म उपयोगी हो रही ह एक ववदशी परकाशन दवारा परकालशत इस पसतक की कीमत 110 डॉलर (करीब 4500 रपय) ह इसक परकाशन क बाद मरी पदोननती हई और अब ववशव क कई दशो म मोबाइल क कषतर म परलशकषर दन हत मझ बलात ह कफर मन एक और पसतक ललखी लजसकी 150 डॉलर (करीब 6000 रपय) ह यह पजयशरी स परापत सारसवसय मतरदीकषा का ही पररराम ह

अजय रजन मिशरा जनकपरी हदलली

(अनिम) पावन उदगार

सतसग व ितरदीकषा न कहा स कहा पहचा हदया पहल म भस चराता था रोज सबह रात की रखी रोटी पयाज नमक और मोतरबल ऑयल

क डडबब म पानी लकर तनकालता व दोपहर को वही खाता था आचथकक लसथतत ठीक न होन स टायर की ढाई रपय वाली चपपल पहनता था

12वी म मझ कवल 60 परततशत अक परापत हए थ उसक बाद मन इलाहाबाद म इजीतनयररग म परवश ललया तब म अजञानवश सतो का ववरोध करता था सतो क ललए जहर उगलन वाल मखो क सग म आकर म कछ-का-कछ बकता था लककन इलाहाबाद म पजय बाप जी का सससग आयोलजत हआ तो सोचा 5 लमनट बठत ह वहाा बठा तो बठ ही गया कफर मझ बापजी दवारा सारसवसय मतर लमला मरी सझबझ म सदगर की कपा का सचार हआ मन सववचध मतर-अनषटठान ककया छठ ददन मर आजञाचि म कमपन होन लगा था म एक साल तक

एकादशी क तनजकल वरत व जागरर करत हए शरी आसारामायर शरी ववषटर सहसरनाम गजनिमोकष का पाठ व सारसवसय मतर का जप करता था रात भर म यही पराथकना करता था बस परभ मझ गर जी स लमला दो

परभकपा स अब मरा उददशय परा हो गया ह इस समय म गो एयर (हवाई जहाज कमपनी) म इजीतनयर हा महीन भर का करीब एक लाख 80 हजार पाता हा कछ ददनो म तनखवाह ढाई लाख हो जायगी गर जी न भस चरान वाल एक गरीब लड़क को आज लसथतत म पहाचा ददया ह

कषकषततज सोनी (एयरकराफि इजीतनयर) हदलली

(अनिम) पावन उदगार

5 विय क बालक न चलायी जोरखि भरी सड़को पर कार

मन पजय बापजी स सारसवसय मतर की दीकषा ली ह जब म पजा करता हा बापजी मरी तरफ पलक झपकात ह म बापजी स बात करता हा म रोज दस माला करता हा म बापजी स जो माागता हा वह मझ लमल जाता ह मझ हमशा ऐसा एहसास होता ह कक बापजी मर साथ ह

5 जलाई 2005 को म अपन दोसतो क साथ खल रहा था मरा छोटा भाई छत स नीच चगर गया उस समय हमार घर म कोई बड़ा नही था इसललए हम सब बचच डर गय इतन म पजय बापजी की आवाज आयी कक ताश इस वन म तरबठा और वन चलाकर हॉलसपटल ल जा उसक बाद मन अपनी दीददयो की मदद स दहमाश को वन म ललटाया गाड़ी कसी चली और असपताल कस पहाची मझ नही पता मझ रासत भर ऐसा एहसास रहा कक बापजी मर साथ बठ ह और गाड़ी चलवा रह ह (घर स असपताल का 5 ककमी स अचधक ह)

ताश बसोया राजवीर कॉलोनी हदलली ndash 16

(अनिम) पावन उदगार

ऐस सतो का षजतना आदर ककया जाय कि ह

ककसी न मझस कहा थाः रधयान की कसट लगाकर सोयग तो सवपन म गरदव क दशकन होगrsquo

मन उसी रात रधयान की कसट लगायी और सनत-सनत सो गया उस वकत रातरतर क बारह-साढ बारह बज होग वकत का पता नही चला ऐसा लगा मानो ककसी न मझ उठा ददया म गहरी नीद स उठा एव गर जी की लपवाल फोटो की तरफ टकटकी लगाकर एक-दो लमनट तक दखता रहा इतन म आशचयक टप अपन-आप चल पड़ी और कवल य तीन वाकय सनन को लमलः lsquoआसमा चतनय ह शरीर जड़ ह शरीर पर अलभमान मत करोrsquo

टप सवतः बद हो गयी और पर कमर म यह आवाज गाज उठी दसर कमर म मरी पसनी की भी आाख खल गयी और उसन तो यहाा तक महसस ककया जस कोई चल रहा ह व गरजी क लसवाय और कोई नही हो सकत

मन कमर की लाइट जलायी और दौड़ता हआ पसनी क पास गया मन पछाः lsquoसनाrsquo वह बोलीः lsquoहााrsquo

उस समय सबह क ठीक चार बज थ सनान करक म रधयान म बठा तो डढ घणट तक बठा रहा इतना लबा रधयान तो मरा कभी नही लगा इस घटना क बाद तो ऐसा लगता ह कक गरजी साकषात बरहमसवरप ह उनको जो लजस रप म दखता ह वस व ददखत ह

मरा लमतर पाशचासय ववचारधारावाला ह उसन गरजी का परवचन सना और बोलाः lsquoमझ तो य एक बहत अचछ लकचरर लगत हrsquo

मन कहाः lsquoआज जरर इस पर गरजी कछ कहगrsquo

यह सरत आशरम म मनायी जा रही जनमाषटटमी क समय की बात ह हम कथा म बठ गरजी न कथा क बीच म ही कहाः lsquoकछ लोगो को म लकचरर ददखता हा कछ को lsquoपरोफसरrsquo ददखता हा कछ को lsquoगरrsquo ददखता हा और वसा ही वह मझ पाता हrsquo

मर लमतर का लसर शमक स झक गया कफर भी वह नालसतक तो था ही उसन हमार तनवास पर मजाक म गरजी क ललए कछ कहा तब मन कहाः यह ठीक नही ह अबकी बार मान जा नही तो गर जी तझ सजा दग

15 लमनट म ही उसक घर स फोन आ गया कक बचच की तबीयत बहत खराब ह उस असपताल म दाखखल करना पड़ रहा ह

तब मर लमतर की सरत दखन लायक थी वह बोलाः गकती हो गयी अब म गर जी क ललए कछ नही कहागा मझ चाह ववशवास हो या न हो

अखबारो म गर जी की तनदा ललखनवाल अजञानी लोग नही जानत कक जो महापरष भारतीय ससकतत को एक नया रप द रह ह कई सतो की वाखरयो को पनजीववत कर रह ह लोगो क शराब-कबाब छड़वा रह ह लजनस समाज का ककयार हो रहा ह उनक ही बार म हम हलकी बात ललख रह ह यह हमार दश क ललए बहत ही शमकजनक बात ह ऐस सतो का तो लजतना आदर ककया जाय वह कम ह गरजी क बार म कछ भी बखान करन क ललए मर पास शबद नही ह

(डॉ सतवीर मसह छाबड़ा बीबीईएि आकाशवाणी इनदौर)

(अनिम) पावन उदगार

िझ तनवययसनी बना हदया म वपछल कई वषो स तमबाक का वयसनी था और इस दगकर को छोड़न क ललए मन

ककतन ही परयसन ककय पर म तनषटफल रहा जनवरी 1995 म पजय बाप जब परकाशा आशरम (महा) पधार तो म भी उनक दशकनाथक वहाा पहाचा और उनस अनऱोध ककयाः

बाप ववगत 32 वषो स तमबाक का सवन कर रहा हा अनक परयसनो क बाद भी इस दगकर स म मकत न हो सका अब आप ही कपा कीलजएrsquo

पजय बाप न कहाः lsquoलाओ तमबाक की डडबबी और तीन बार थककर कहो कक आज स म तमबाक नही खाऊा गाrsquo

मन पजय बाप जी क तनदशानसार वही ककया और महान आशचयक उसी ददन स मरा तमबाक खान का वयसन छट गया पजय बाप की ऐसी कपादलषटट हई कक वषक परा होन पर भी मझ कभी तमबाक खान की तलब नही लगी

म ककन शबदो म पजय बाप का आभार वयकत करा मर पास शबद ही नही ह मझ आननद ह कक इन राषटरसत न बरबाद व नषटट होत हए मर जीवन को बचाकर मझ तनवयकसनी ददया

(शरी लखन भिवाल षज मलया िहाराटर)

(अनिम) पावन उदगार

गरजी की तसवीर न पराण बचा मलय

कछ ही ददनो पहल मरा दसरा बटा एम ए पास करक नौकरी क ललय बहत जगह घमा बहत जगह आवदन-पतर भजा ककनत उस नौकरी नही लमली | कफर उसन बापजी स दीकषा ली | मन आशरम का कछ सामान कसट सतसादहसय लाकर उसको दत हए कहा शहर म जहाा मददर ह जहाा मल लगत ह तथा जहाा हनमानजी का परलसदध दकषकषरमखी मददर ह वहा सटाल लगाओ | बट न सटाल लगाना शर ककया | ऐस ही एक सटाल पर जलगाव क एक परलसदध वयापारी अगरवालजी आय बापजी की कछ कसट खरीदी और ईशवर की ओर नामक पसतक भी साथ म ल गय पसतक पढी और कसट सनी | दसर ददन व कफर आय और कछ सतसादहसय खरीद कर ल गय व पान क थोक वविता ह | उनको पान खान की आदत ह | पसतक पढकर उनह लगा म पान छोड़ दा | उनकी दकान पर एक आदमी आया | पाचसौ रपयो का सामान खरीदा और उनका फोन नमबर ल गया | एक घट क बाद उसन दकान पर फोन ककया सठ अगरवालजी मझ आपका खन करन का काम सौपा गया था | काफी पस (सपारी) भी ददय गय थ और म तयार भी हो गया था पर जब म आपकी दकान पर पहचा तो परम पजय सत शरी आसारामजी बाप क चचतर पर मरी नजर पड़ी | मझ ऐसा लगा मानो साकषात बाप बठ हो और मझ नक इनसान बनन की परररा द रह हो गरजी की तसवीर न (तसवीर क रप म साकषात गरदव न आकर) आपक परार बचा ललय | अदभत चमसकार ह ममबई की पाटी न उसको पस भी ददय थ और वह आया भी था खन करन क इराद स परनत जाको राख साइयाा चचतर क दवार भी अपनी कपा बरसान वाल ऐस गरदव क परसयकष दशकन करन क ललय वह यहाा भी आया ह |

-बालकटण अगरवाल

जलगाव िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

सदगर मशटय का साथ कभी नही छोड़त एक रात म दकान स सकटर दवारा अपन घर जा रहा था | सकटर की डडककी म काफी

रपय रख हए थ | जयो ही घर क पास पहचा तो गली म तीन बदमाश लमल | उनहोन मझ घर ललया और वपसतौल ददखायी | सकटर रकवाकर मर लसर पर तमच का बट मार ददया और धकक मार कर मझ एक तरफ चगरा ददया | उनहोन सोचा होगा कक म अकला ह पर लशषटय जब सदगर स मतर लता ह शरदधा-ववशवास रखकर उसका जप करता ह तब सदगर उसका साथ नही छोड़त |

मन सोचा डडककी म बहत रपय ह और य बदमाश तो सकटर ल जा रह ह | मन गरदव स पराथकना की | इतन म व तीनो बदमाश सकटर छोड़कर थला ल भाग | घर जाकर खोला होगा तो सबजी और खाली दटकफ़न दखकर लसर कटा पता नही पर बड़ा मजा आया होगा | मर पस बच गयउनका सबजी का खचक बच गया |

-गोकलचनर गोयल

आगरा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स अ ापन द र हआ

मझ गलकोमा हो गया था | लगभग पतीस साल स यह तकलीफ़ थी | करीब छः साल तक तो म अधा रहा | कोलकाता चननई आदद सब जगहो पर गया शकर नतरालय म भी गया ककनत वहा भी तनराशा हाथ लगी | कोलकाता क सबस बड़ नतर-ववशषजञ क पास गया | उसन भी मना कर ददया और कहा | धरती पर ऐसा कोई इनसान नही जो तमह ठीक कर सक | लककन सरत आशरम म मझ गरदव स मतर लमला | वह मतर मन खब शरदधा-ववशवासपवकक जपा कयोकक सकषात बरहमसवरप गरदव स वह मतर लमला था | करीब छः-सात महीन ही जप हआ था कक मझ थोड़ा-थोड़ा ददखायी दन लगा | डॉकटर कहत थ कक तमको भरातत हो गयी ह पर मझ तो अब भी अचछी तरह ददखता ह | एक बार एक अनय भयकर दघकटना स भी गरदव न मझ बचाया था |

ऐस गरदव का ॠर हम जनमो-जनमो तक नही चका सकत |

-शकरलाल िहशवरी कोलकाता

(अनिम) पावन उदगार

और डकत घबराकर भाग गय

१४ जलाई ९९ को करीब साढ तीन बज मर मकान म छः डकत घस आय और उस समय दभाकगय स बाहर का दरवाजा खला हआ था | दो डकत बाहर मारतत चाल रखकर खड़ थ |

एक डकत न धकका दकर मरी माा का माह बद कर ददया और अलमारी की चाबी माागन लगा |

इस घटना क दौरान म दकान पर था | मरी पसनी को भी डकत धमकान लग और आवाज न करन को कहा | मरी पसनी न पजय बापजी क चचतर क सामन हाथ जोड़कर पराथकना की अब आप ही रकषा करो इतना ही कहा तो आशचयक आशचयक परम आशचयक व सब डकत घबराकर भागन लग | उनकी हड़बड़ाहट दखकर ऐसा लग रहा था मानो उनह कछ ददखायी नही द रहा था | व भाग गय | मरा पररवार गरदव का ॠरी ह | बापजी क आशीवाकद स सब सकशल ह |

हमन १५ नवमबर ९८ को वारारसी म मतरदीकषा ली थी |

-िनोहरलाल तलरजा

४ झललाल नगर मशवाजी नगर

वाराणसी

(अनिम) पावन उदगार

ितर दवारा ितदह ि पराण-सचार

म शरी योग वदानत सवा सलमतत आमट स जीप दवारा रवाना हआ था | ११ जलाई १९९४ को मरधयानह बारह बज हमारी जीप ककसी तकनीकी तरदट क कारर तनयतरर स बाहर होकर तीन पलकटयाा खा गयी | मरा परा शरीर जीप क नीच दब गया | ककसी तरह मझ बाहर तनकाला गया |

एक तो दबला पतला शरीर और ऊपर स परी जीप का वजन ऊपर आ जान क कारर मर शरीर क परसयक दहसस म असहय ददक होन लगा | मझ पहल तो कसररयाजी असपताल म दाखखल कराया गया | जयो-जयो उपचार ककया गया कषटट बढता ही गया कयोकक चोट बाहर नही शरीर क भीतरी दहससो म लगी थी और भीतर तक डॉकटरो का कोई उपचार काम नही कर रहा था | जीप क नीच दबन स मरा सीना व पट ववशष परभाववत हए थ और हाथ-पर म कााच क टकड़ घस गय थ | ददक क मार मझ साास लन म भी तकलीफ हो रही थी | ऑकसीजन ददय जान क बाद भी दम घट रहा था और मसय की घडडयाा नजदीक ददखायी पड़न लगी | म मररासनन लसथतत म

पहाच गया | मरा मसय-परमारपतर बनान की तयाररयाा कक जान लगी व मझ घर ल जान को कहा गया | इसक पवक मरा लमतर पजय बाप स फ़ोन पर मरी लसथतत क समबनध म बात कर चका था | परारीमातर क परम दहतषी दयाल सवभाव क सत पजय बाप न उस एक गपत मतर परदान करत हए कहा था कक पानी म तनहारत हए इस मतर का एक सौ आठ बार (एक माला) जप करक वह पानी मनोज को एव दघकटना म घायल अनय लोगो को भी वपला दना | जस ही वह अलभमतरतरत जल मर माह म डाला गया मर शरीर म हलचल होन क साथ ही वमन हआ | इस अदभत चमसकार स ववलसमत होकर डॉकटरो न मझ तरत ही ववशष मशीनो क नीच ल जाकर ललटाया |

गहन चचककससकीय परीकषर क बाद डॉकटरो को पता चला कक जीप क नीच दबन स मरा परा खन काला पड़ गया था तथा नाड़ी-चालन (पकस) हदयगतत व रकत परवाह भी बद हो चक थ |

मर शरीर का समपरक रकत बदल ददया गया तथा आपरशन भी हआ | उसक ७२ घट बाद मझ होश आया | बहोशी म मझ कवल इतना ही याद था की मर भीतर पजय बाप दवारा परदतत गरमतर का जप चल रहा ह | होश म आन पर डॉकटरो न पछा तम आपरशन क समय बापबाप पकार रह थ | य बाप कौन ह मन बताया व मर गरदव परातः समररीय परम पजय सत शरी असारामजी बाप ह | डॉकटरो न पनः मझस परशन ककया कया तम कोई वयायाम करत हो मन कहा म अपन गरदव दवारा लसखायी गयी ववचध स आसन व परारायाम करता हा | व बोल इसीललय तमहार इस दबल-पतल शरीर न यह सब सहन कर ललया और तम मरकर भी पनः लजनदा हो उठ दसरा कोई होता तो तरत घटनासथल पर ही उसकी हडडडयाा बाहर तनकल जाती और वह मर जाता | मर शरीर म आठ-आठ नललयाा लगी हई थी | ककसीस खन चढ रहा था तो ककसी स कतरतरम ऑकसीजन ददया जा रहा था | यदयवप मर शरीर क कछ दहससो म अभी-भी कााच क टकड़ मौजद ह लककन गरकपा स आज म परक सवसथ होकर अपना वयवसाय व गरसवा दोनो कायक कर रह हा | मरा जीवन तो गरदव का ही ददया हआ ह | इन मतरदषटटा महवषक न उस ददन मर लमतर को मतर न ददया होता तो मरा पनजीवन तो समभव नही था | पजय बाप मानव-दह म ददखत हए भी अतत असाधारर महापरष ह | टललफ़ोन पर ददय हए उनक एक मतर स ही मर मत शरीर म पनः परारो का सचार हो गया तो लजन पर बाप की परसयकष दलषटट पड़ती होगी व लोग ककतन भागयशाली होत होग ऐस दयाल जीवनदाता सदगर क शरीचररो म कोदट-कोदट दडवत परराम

-िनोज किार सोनी

जयोतत िलसय लकषिी बाजार आिि राजसथान

(अनिम) पावन उदगार

सदगरदव की कपा स नतरजयोतत वापस मिली मरी दादहनी आाख स कम ददखायी दता था तथा उसम तकलीफ़ भी थी | रधयानयोग

लशववर ददकली म पजय गरदव मवा बााट रह थ तब एक मवा मरी दादहनी आाख पर आ लगा |

आाख स पानी तनकलन लगा | पर आशचयक दसर ही ददन स आाख की तकलीफ लमट गयी और अचछी तरह ददखायी दन लगा | -राजकली दवी

असनापर लालगज अजारा षज परतापगढ़ उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

बड़दादा की मिटिी व जल स जीवनदान

अगसत ९८ म मझ मलररया हआ | उसक बाद पीललया हो गया | मर बड़ भाई न आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म स पीललया का मतर पढकर पीललया तो उतार ददया परत कछ ही ददनो बाद अगरजी दवाओ क ररएकषन स दोनो ककडतनयाा फल (तनलषटिय) हो गई | मरा हाटक (हदय) और लीवर (यकत) भी फल होन लग | डॉकटरो न तो कह ददया यह लड़का बच नही सकता | कफर मझ गोददया स नागपर हॉलसपटल म ल जाया गया लककन वहाा भी डॉकटरो न जवाब द ददया कक अब कछ नही हो सकता | मर भाई मझ वही छोड़कर सरत आशरम आय

वदयजी स लमल और बड़दादा की पररिमा करक पराथकना की तथा वहाा की लमटटी और जल ललया | ८ तारीख को डॉकटर मरी ककडनी बदलन वाल थ | जब मर भाई बड़दादा को पराथकना कर रह थ तभी स मझ आराम लमलना शर हो गया था | भाई न ७ तारीख को आकर मझ बड़दादा कक लमटटी लगाई और जल वपलाया तो मरी दोनो ककडनीयाा सवसथ हो गयी | मझ जीवनदान लमल गया | अब म तरबककल सवसथ हा |

-परवीण पिल

गोहदया िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप न फ का कपा-परसाद

कछ वषक पवक पजय बाप राजकोट आशरम म पधार थ | मझ उन ददनो तनकट स दशकन करन का सौभागय लमला | उस समय मझ छाती म एनजायना पकसटोररस क कारर ददक रहता था | सससग परा होन क बाद कछ लोग पजय बाप क पास एक-एक करक जा रह थ | म कछ फल-फल नही लाया था इसललए शरदधा क फल ललय बठा था | पजय बाप कपा-परसाद फ क रह थ कक इतन म एक चीक मरी छाती पर आ लगा और छाती का वह ददक हमशा क ललए लमट गया |

-अरषवदभाई वसावड़ा

राजकोि

(अनिम) पावन उदगार

बिी न िनौती िानी और गरकपा हई

मरी बटी को शादी ककय आठ साल हो गय थ | पहली बार जब वह गभकवती हई तब बचचा पट म ही मर गया | दसरी बार बचची जनमी पर छः महीन म वह भी चल बसी | कफर मरी पसनी न बटी स कहा अगर त सककप कर कक जब तीसरी बार परसती होगी तब तम बालक की जीभ पर बापजी क बतान क मतातरबक lsquoॐrsquo ललखोगी तो तरा बालक जीववत रहगा ऐसा मझ ववशवास ह कयोकक ॐकार मतर म परमानदसवरप परभ ववराजमान ह | मरी बटी न इस परकार मनौती मानी और समय पाकर वह गभकवती हई | सोनोगराफ़ी करवायी गयी तो डॉकटरो न बताया गभक म बचची ह और उसक ददमाग म पानी भरा हआ ह | वह लजदा नही रह सकगी |

गभकपात करवा दो | मरी बटी न अपनी माा स सलाह की | उसकी माा न कहा गभकपात का महापाप नही करवाना ह | जो होगा दखा जायगा | गरदव कपा करग | जब परसती हई तो तरबककल पराकततक ढग स हई और उस बचची की जीभ पर शहद एव लमशरी स ॐ ललखा गया | आज वह तरबककल ठीक ह | जब उसकी डॉकटरी जााच करवायी गयी तो डॉकटर आशचयक म पड़ गय सोनोगराफ़ी म जो बीमाररयाा ददख रही थी व कहाा चली गयी ददमाग का पानी कहाा चला गया

दहनदजा हॉलसपटलवाल यह कररशमा दखकर दग रह गय अब घर म जब कोई दसरी कोई कसट चलती ह तो वह बचची इशारा करक कहती ह ॐवाली कसट चलाओ | वपछली पनम को हम मबई स टाटा समो म आ रह थ | बाढ क पानी क कारर रासता बद था | हम सोच म पड़ गय कक पनम का तनयम टटगा | हमन गरदव का समरर ककया | इतन म हमार डराइवर न हमस पछा जान दा हमन भी गरदव का समरर करक कहा जान दो और हरर हरर ॐ कीतकन की कसट लगा दो | गाड़ी आग चली | इतना पानी कक हम जहाा बठ थ वहाा तक पानी आ गया |

कफर भी हम गरदव क पास सकशल पहाच गय और उनक दशकन ककय|

-िरारीलाल अगरवाल

साताकर ज िबई

(अनिम) पावन उदगार

और गरदव की कपा बरसी जबस सरत आशरम की सथापना हई तबस म गरदव क दशकन करत आ रहा हा उनकी

अमतवारी सनता आ रहा हा | मझ पजयशरी स मतरदीकषा भी लमली ह | परारबधवश एक ददन मर साथ एक भयकर दघकटना घटी | डॉकटर कहत थ आपका एक हाथ अब काम नही करगा | म अपना मानलसक जप मनोबल स करता रहा | अब हाथ तरबककल ठीक ह | उसस म ७० ककगरा वजन उठा सकता हा | मरी समसया थी कक शादी होन क बाद मझ कोई सतान नही थी | डॉकटर कहत थ कक सतान नही हो सकती | हम लोगो न गरकपा एव गरमतर का सहारा ललया रधयानयोग लशववर म आय और गरदव की कपा बरसी | अब हमारी तीन सतान ह दो पतरतरयाा और एक पतर | गरदव न ही बड़ी बटी का नाम गोपी और बट का नाम हररककशन रखा ह | जय हो सदगरदव की

-हसिख काततलाल िोदी

५७ अपना घर सोसायिी सदर रोड़ स रत

(अनिम) पावन उदगार

गरदव न भजा अकषयपातर

हम परचारयातरा क दौरान गरकपा का जो अदभत अनभव हआ वह अवरकनीय ह | यातरा की शरआत स पहल ददनाक ८-११-९९ को हम पजय गरदव क आशीवाकद लन गय | गरदव न कायकिम क ववषय म पछा और कहा पचड़ आशरम (रतलाम) म भडारा था | उसम बहत सामान बच गया ह | गाड़ी भजकर मागवा लना गरीबो म बााटना | हम झाबआ लजल क आस-पास क

गरीब आददवासी इलाको म जानवाल थ | वहाा स रतलाम क ललए गाड़ी भजी | चगनकर सामान भरा गया | दो ददन चल उतना सामान था | एक ददन म दो भडार होत थ | अतः चार भडार का सामान था | सबन खकल हाथो बतकन कपड़ साडड़याा धोती आदद सामान छः ददनो तक बााटा कफर भी सामान बचा रहा | सबको आशचयक हआ हम लोग सामान कफर स चगनन लग परत गरदव की लीला क ववषय म कया कह कवल दो ददन चल उतना सामान छः ददनो तक खकल हाथो बााटा कफर भी अत म तीन बोर बतकन बच गय मानो गरदव न अकषयपातर भजा हो एक ददन शाम को भडारा परा हआ तब दखा कक एक पतीला चावल बच गया ह | करीब १००-१२५ लोग खा सक उतन चावल थ | हमन सोचा चावल गााव म बाट दत ह | परत गरदव की लीला दखो एक गााव क बदल पााच गाावो म बााट कफर भी चावल बच रह | आखखर रातरतर म ९ बज क बाद सवाधाररयो न थककर गरदव स पराथकना की कक गरदव अब जगल का ववसतार ह हम पर कपा करो | और चावल खसम हए | कफर सवाधारी तनवास पर पहाच |

-सत शरी आसारािजी भकतिडल

कतारगाि स रत

(अनिम) पावन उदगार

सवपन ि हदय हए वरदान स पतरपराषपत

मर गरहसथ जीवन म एक-एक करक तीन कनयाएा जनमी | पतरपरालपत क ललए मरी धमकपसनी न गरदव स आशीवाकद परापत ककया था | चौथी परसतत होन क पहल जब उसन वलसाड़ म सोनोगराफ़ी करवायी तो ररपोटक म लड़की बताया गया | यह सनकर हम तनराश हो गय | एक रात पसनी को सवपन म गरदव न दशकन ददय और कहा बटी चचता मत कर | घबराना मत धीरज रख | लड़का ही होगा | हमन सरत आशरम म बड़दादा की पररिमा करक मनौती मानी थी वह भी फ़लीभत हई और गरदव का बरहमवाकय भी ससय सातरबत हआ जब परसतत होन पर लड़का हआ | सभी गरदव की जय-जयकार करन लग |

-सनील किार रा शयाि चौरमसया

दीपकवाड़ी ककलला पारड़ी षज वलसाड़

(अनिम) पावन उदगार

शरी आसारािायण क पाठ स जीवनदान

मरा दस वषीय पतर एक रात अचानक बीमार हो गया | साास भी मलशकल स ल रहा था |

जब उस हॉलसपटल म भती ककया तब डॉकटर बोल | बचचा गभीर हालत म ह | ऑपरशन करना पड़गा | म बचच को हॉलसपटल म ही छोड़कर पस लन क ललए घर गया और घर म सभी को कहा ldquoआप लोग शरी आसारामायर का पाठ शर करो |rdquo पाठ होन लगा | थोड़ी दर बाद म हॉलसपटल पहाचा | वहाा दखा तो बचचा हास-खल रहा था | यह दख मरी और घरवालो की खशी का दठकाना न रहा यह सब बापजी की असीम कपा गर-गोववनद की कपा और शरी आसारामायर-पाठ का फल ह |

-सनील चाडक

अिरावती िहाराटर

(अनिम) पावन उदगार

गरवाणी पर षवशवास स अवणीय लाभ

शादी होन पर एक पतरी क बाद सात साल तक कोई सतान नही हई | हमार मन म पतरपरालपत की इचछा थी | १९९९ क लशववर म हम सतानपरालपत का आशीवाकद लनवालो की पलकत म बठ | बापजी आशीवाकद दन क ललए साधको क बीच आय तो कछ साधक नासमझी स कछ ऐस परशन कर बठ जो उनह नही करन चादहए थ | गरदव नाराज होकर यह कहकर चल गय कक तमको सतवारी पर ववशवास नही ह तो तम लोग यहाा कयो आय तमह डॉकटर क पास जाना चादहए था | कफर गरदव हमार पास नही आय | सभी पराथकना करत रह पर गरदव वयासपीठ स बोल दबारा तीन लशववर भरना | म मन म सोच रहा था कक कछ साधको क कारर मझ आशीवाकद नही लमल पाया परत वजरादषप कठोरारण िदतन कसिादषप बाहर स वजर स भी कठोर ददखन वाल सदगर भीतर स फल स भी कोमल होत ह | तरत गरदव ववनोद करत हए बोल दखो य लोग सतानपरालपत का आशीवाकद लन आय ह | कस ठनठनपाल-स बठ ह अब जाओ झला-झनझना लकर घर जाओ | मन और मरी पसनी न आपस म ववचार ककया दयाल गरदव न आखखर आशीवाकद द ही ददया | अब गरदव न कहा ह कक झला-झनझना ल जाओ |

तो मन गरवचन मानकर रलव सटशन स एक झनझना खरीद ललया और गवाललयर आकर गरदव क चचतर क पास रख ददया | मझ वहाा स आन क १५ ददन बाद डॉकटर दवारा मालम हआ

कक पसनी गभकवती ह | मन गरदव को मन-ही-मन परराम ककया | इस बीच डॉकटरो न सलाह दी कक लड़का ह या लड़की इसकी जााच करा लो | मन बड़ ववशवास स कहा कक लड़का ही होगा |

अगर लड़की भी हई तो मझ कोई आपवतत नही ह | मझ गभकपात का पाप अपन लसर पर नही लना ह | नौ माह तक मरी पसनी भी सवसथ रही | हररदवार लशववर म भी हम लोग गय | समय आन पर गरदव दवारा बताय गय इलाज क मतातरबक गाय क गोबर का रस पसनी को ददया और ददनाक २७ अकतबर १९९९ को एक सवसथ बालक का जनम हआ |

-राजनर किार वाजपयी अचयना वाजपयी

बलवत नगर ढाढीपर िरारा गवामलयर

(अनिम) पावन उदगार

सवफल क दो िकड़ो स दो सतान मन सन १९९१ म चटीचड लशववर अमदावाद म पजय बापजी स मतरदीकषा ली थी | मरी

शादी क १० वषक तक मख कोई सतान नही हई | बहत इलाज करवाय लककन सभी डॉकटरो न बताया कक बालक होन की कोई सभावना नही ह | तब मन पजय बापजी क पनम दशकन का वरत ललया और बाासवाड़ा म पनम दशकन क ललए गया | पजय बापजी सबको परसाद द रह थ | मन मन म सोचा | कया म इतना पापी हा कक बापजी मरी तरफ दखत तक नही इतन म पजय बापजी कक दलषटट मझ पर पड़ी और उनहोन मझ दो लमनट तक दखा | कफर उनहोन एक सवफल लकर मझ पर फ का जो मर दाय कध पर लगकर दो टकड़ो म बाट गया | घर जाकर मन उस सवफल क दोनो भाग अपनी पसनी को खखला ददय | पजयशरी का कपापरक परसाद खान स मरी पसनी गभकवती हो गयी | तनरीकषर करान पर पता चला कक उसको दो लसर वाला बालक उसपनन होगा |

डॉकटरो न बताया उसका लसजररयन करना पड़गा अनयथा आपकी पसनी क बचन की समभावना नही ह | लसजररयन म लगभग बीस हजार रपयो का खचक आयगा | मन पजय बापजी स पराथकना की ह बापजी आपन ही फल ददया था | अब आप ही इस सकट का तनवारर कीलजय | कफर मन बड़ बादशाह क सामन भी पराथकना की जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी की परसती सकशल हो जाय | उसक बाद जब म असपताल पहाचा तो मरी पसनी एक पतर और एक पतरी को जनम द चकी थी | पजयशरी क दवारा ददय गय फल स मझ एक की जगह दो सतानो की परालपत हई |

-िकशभाई सोलकी

शारदा िहदर सक ल क पीछ

बावन चाल वड़ोदरा

(अनिम) पावन उदगार

साइककल स गर ाि जान पर खराब िाग ठीक हो गयी

मरी बाायी टााग घटन स उपर पतली हो गयी थी | ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट

ददकली म म छः ददन तक रहा | वहाा जााच क बाद बतलाया गया कक तमहारी रीढ की हडडी क पास कछ नस मर गयी ह लजसस यह टााग पतली हो गयी ह | यह ठीक तो हो ही नही सकती |

हम तमह ववटालमन ई क कपसल द रह ह | तम इनह खात रहना | इसस टाग और जयादा पतली नही होगी | मन एक साल तक कपसल खाय | उसक बाद २२ जन १९९७ को मजफ़फ़रनगर म मन गरजी स मतरदीकषा ली और दवाई खाना बद कर दी | जब एक साधक भाई राहल गपता न कहा कक सहारनपर स साइककल दवारा उततरायर लशववर अमदावाद जान का कायकिम बन रहा ह

तब मन टााग क बार म सोच तरबना साइककल यातरा म भाग लन क ललए अपनी सहमतत द दी |

जब मर घर पर पता चला कक मन साइककल स गरधाम अमदावाद जान का ववचार बनाया ह

अतः तम ११५० ककमी तक साइककल नही चला पाओग | लककन मन कहा म साइककल स ही गरधाम जाऊा गा चाह ककतनी भी दरी कयो न हो और हम आठ साधक भाई सहारनपर स २६ ददसमबर ९७ को साइककलो स रवाना हए | मागक म चढाई पर मझ जब भी कोइ ददककत होती तो ऐसा लगता जस मरी साइककल को कोई पीछ स धकल रहा ह | म मड़कर पीछ दखता तो कोई ददखायी नही पड़ता | ९ जनवरी को जब हम अमदावाद गरआशरम म पहाच और मन सबह अपनी टााग दखी तो म दग रह गय जो टााग पतली हो गयी थी और डॉकटरो न उस ठीक होन स मना कर ददया था वह टााग तरबककल ठीक हो गयी थी | इस कपा को दखकर म चककत रह गया मर साथी भी दग रह गय यह सब गरकपा क परसाद का चमसकार था | मर आठो साथी मरी पसनी तथा ऑल इखरडया मडडकल इनसटीटयट ददकली दवारा जााच क परमारपतर इस बात क साकषी ह |

-तनरकार अगरवाल

षवटणपरी नय िा ोनगर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

अदभत रही िौनिहदर की सा ना परम पजय सदगरदव की कपा स मझ ददनाक १८ स २४ मई १९९९ तक अमदावाद

आशरम क मौनमददर म साधना करन का सअवसर लमला | मौनमददर म साधना क पााचव ददन यानी २२ मई की रातरतर को लगभग २ बज नीद म ही मझ एक झटका लगा | लट रहन कक लसथतत म ही मझ महसस हआ कक कोई अदशय शलकत मझ ऊपर बहत ऊपर उड़य ल जा रही ह | ऊपर उड़त हए जब मन नीच झााककर दखा तो अपन शरीर को उसी मौनमददर म चचतत लटा हआ बखबर सोता हआ पाया | ऊपर जहाा मझ ल जाया गया वहाा अलग ही छटा थी अजीब और अवरीय आकाश को भी भदकर मझ ऐस सथान पर पहाचाया गया था जहाा चारो तरफ कोहरा-ही-कोहरा था जस शीश की छत पर ओस फली हो इतन म दखता हा कक एक सभा लगी ह तरबना शरीर की कवल आकततयो की | जस रखाओ स मनषटयरपी आकततयाा बनी हो | यह सब कया चल रहा था समझ स पर था | कछ पल क बाद व आकततयाा सपषटट होन लगी | दवी-दवताओ क पज क मरधय शीषक म एक उचच आसन पर साकषात बापजी शकर भगवान बन हए कलास पवकत पर ववराजमान थ और दवी-दवता कतार म हाथ बााध खड़ थ | म मक-सा होकर अपलक नतरो स उनह दखता ही रहा कफर मतरमगध हो उनक चररो म चगर पड़ा | परातः क ४ बज थ | अहा मन और शरीर हकका-फ़कका लग रहा था यही लसथतत २४ मई की मरधयरातरतर म भी दोहरायी गयी | दसर ददन सबह पता चला कक आज तो बाहर तनकलन का ददन ह यानी रवववार २५ मई की सबह | बाहर तनकलन पर भावभरा हदय गदगद कठ और आखो म आास यो लग रहा था कक जस तनजधाम स बघर ककया जा रहा हा | धनय ह वह भलम मौनमददर म साधना की वह वयवसथा जहा स परम आनद क सागर म डबन की कजी लमलती ह जी करता ह भगवान ऐसा अवसर कफर स लाय लजसस कक उसी मौनमददर म पनः आतररक आनद का रसपान कर पाऊा |

-इनरनारायण शाह

१०३ रतनदीप-२ तनराला नगर कानपर

(अनिम) पावन उदगार

असाधय रोग स िषकत

सन १९९४ म मरी पतरी दहरल को शरद पखरकमा क ददन बखार आया | डॉकटरो को ददखाया तो ककसीन मलररया कहकर दवाइयाा दी तो ककसीन टायफायड कहकर इलाज शर ककया तो ककसीन टायफायड और मलररया दोनो कहा | दवाई की एक खराक लन स शरीर नीला पड़ गया और सज गया | शरीर म खन की कमी स उस छः बोतल खन चढाया गया | इजकषन दन स पर शरीर को लकवा मार गया | पीठ क पीछ शयावरर जसा हो गया | पीठ और पर का एकस-र ललया गया | पर पर वजन बााधकर रखा गया | डॉकटरो न उस वाय का बखार तथा रकत का क सर बताया और कहा कक उसक हदय तो वाकव चौड़ा हो गया ह | अब हम दहममत हार गय |

अब पजयशरी क लसवाय और कोई सहारा नही था | उस समय दहरल न कहा मममी मझ पजय बाप क पास ल चलो | वहाा ठीक हो जाऊगी | पााच ददन तक दहरल पजयशरी की रट लगाती रही |

हम उस अमदावाद आशरम म बाप क पास ल गय | बाप न कहा इस कछ नही हआ ह | उनहोन मझ और दहरल को मतर ददया एव बड़दादा की परदकषकषरा करन को कहा | हमन परदकषकषरा की और दहरल पनिह ददन म चलन-कफ़रन लगी | हम बाप की इस कररा-कपा का ॠर कस चकाय अभी तो हम आशरम म पजयशरी क शरीचररो म सपररवार रहकर धनय हो रह ह |

-परफलल वयास

भावनगर

वतयिान ि अिदावाद आशरि ि सपररवार सिषपयत

(अनिम) पावन उदगार

कसि का चितकार

वयापार उधारी म चल जान स म हताश हो गया था एव अपनी लजदगी स तग आकर आसमहसया करन की बात सोचन लगा था | मझ साध-महासमाओ व समाज क लोगो स घरा-सी हो गयी थी धमक व समाज स मरा ववशवास उठ चका था | एक ददन मरी साली बापजी क सससग कक दो कसट ववचध का ववधान एव आखखर कब तक ल आयी और उसन मझ सनन क ललए कहा | उसक कई परयास क बाद भी मन व कसट नही सनी एव मन-ही-मन उनह ढोग

कहकर कसटो क डडबब म दाल ददया | मन इतना परशान था कक रात को नीद आना बद हो गया था | एक रात कफ़कमी गाना सनन का मन हआ | अाधरा होन की वजह स कसट पहचान न सका और गलती स बापजी क सससग की कसट हाथ म आ गयी | मन उसीको सनना शर ककया | कफर कया था मरी आशा बाधन लगी | मन शाात होन लगा | धीर-धीर सारी पीड़ाएा दर

होती चली गयी | मर जीवन म रोशनी-ही-रोशनी हो गयी | कफर तो मन पजय बापजी क सससग की कई कसट सनी और सबको सनायी | तदनतर मन गालजयाबाद म बापजी स दीकषा भी गरहर की | वयापार की उधारी भी चकता हो गयी | बापजी की कपा स अब मझ कोई दःख नही ह | ह गरदव बस एक आप ही मर होकर रह और म आपका ही होकर रहा |

-ओिपरकाश बजाज

हदलली रोड़ सहारनपर उततर परदश

(अनिम) पावन उदगार

िझ पर बरसी सत की कपा

सन १९९५ क जन माह म म अपन लड़क और भतीज क साथ हररदवार रधयानयोग लशववर म भाग लन गया | एक ददन जब म हर की पौड़ी पर सनान करन गया तो पानी क तज बहाव क कारर पर कफसलन स मरा लड़का और भतीजा दोनो अपना सतलन खो बठ और गगा म बह गय | ऐसी सकट की घड़ी म म अपना होश खो बठा | कया करा म फट-फटकर रोन लगा और बापजी स पराथकना करन लगा कक ह नाथ ह गरदव रकषा कीलजय मर बचचो को बचा लीलजय | अब आपका ही सहारा ह | पजयशरी न मर सचच हदय स तनकली पकार सन ली और उसी समय मरा लड़का मझ ददखायी ददया | मन झपटकर उसको बाहर खीच ललया लककन मरा भतीजा तो पता नही कहाा बह गया म तनरतर रो रहा था और मन म बार-बार ववचार उठ रहा था कक बापजी मरा लड़का बह जाता तो कोई बात नही थी लककन अपन भाई की अमानत क तरबना म घर कया माह लकर जाऊा गा बापजी आपही इस भकत की लाज बचाओ | तभी गगाजी की एक तज लहर उस बचच को भी बाहर छोड़ गयी | मन लपककर उस पकड़ ललया |

आज भी उस हादस को समरर करता हा तो अपन-आपको साभाल नही पाता हा और मरी आाखो स तनरतर परम की अशरधारा बहन लगती ह | धनय हआ म ऐस गरदव को पाकर ऐस सदगरदव क शरीचररो म मर बार-बार शत-शत परराम

-सिालखा

पानीपत हररयाणा

(अनिम) पावन उदगार

गरकपा स जीवनदान

ददनाक १५-१-९६ की घटना ह | मन धात क तार पर सखन क ललए कपड़ फला रख थ |

बाररश होन क कारर उस तार म करट आ गया था | मरा छोटा पतर ववशाल जो कक ११ वी ककषा म पढता ह आकर उस तार स छ गया और तरबजली का करट लगत ही वह बहोश हो गया शव क समान हो गया | हमन उस तरत बड़ असपताल म दाखखल करवाया | डॉकटर न बचच की हालत गभीर बतायी | ऐसी पररलसथतत दखकर मरी आाखो स अशरधाराएा बह तनकली | म तनजानद की मसती म मसत रहन वाल पजय सदगरदव को मन-ही-मन याद ककया और पराथकना कक ह गरदव अब तो इस बचच का जीवन आपक ही हाथो म ह | ह मर परभ आप जो चाह सो कर सकत ह | और आखखर मरी पराथकना सफल हई | बचच म एक नवीन चतना का सचार हआ एव धीर-धीर बचच क सवासथय म सधार होन लगा | कछ ही ददनो म वह परकतः सवसथ हो गया |

डॉकटर न तो उपचार ककया लककन जो जीवनदान उस पयार परभ की कपा स सदगरदव की कपा स लमला उसका वरकन करन क ललए मर पास शबद नही ह | बस ईशवर स म यही पराथकना करता हा कक ऐस बरहमतनषटठ सत-महापरषो क परतत हमारी शरदधा म वदचध होती रह | -

डॉ वाय पी कालरा

शािलदास कॉलज भावनगर गजरात

(अनिम) पावन उदगार

प जय बाप जस सत दतनया को सवगय ि बदल सकत ह

मई १९९८ क अततम ददनो म पजयशरी क इदौर परवास क दौरान ईरान क ववखयात कफ़लजलशयन शरी बबाक अगरानी भारत म अरधयालसमक अनभवो की परालपत आय हए थ | पजयशरी क दशकन पाकर जब उनहोन अरधयालसमक अनभवो को फलीभत होत दखा तो व पचड़ आशरम म आयोलजत रधयानयोग लशववर म भी पहाच गय | शरी अगरानी जो दो ददन रककर वापस लौटन वाल थ व पर गयारह ददन तक पचड़ आशरम म रक रह | उनहोन ववधाथी लशववर म सारसवसय मतर की दीकषा ली एव ववलशषटट रधयानयोग साधना लशववर (४ -१० जन १९९८) का भी लाभ ललया | लशववर क दौरान शरी अगरानी न पजयशरी स मतरदीकषा भी ल ली | पजयशरी क सालननरधय म सपरापत अनभततयो क बार म कषतरतरय समाचार पतर चतना को दी हई भटवाताक म शरी अगरानी कहत ह यदद पजय बाप जस सत हर दश म हो जाय तो यह दतनया सवगक बन सकती ह | ऐस शातत स बठ पाना हमार ललए कदठन ह लककन जब पजय बापजी जस महापरषो क शरीचररो म बठकर

सससग सनत ह तो ऐसा आनद आता ह कक समय का कछ पता ही नही चलता | सचमच पजय बाप कोई साधारर सत नही ह |

-शरी बबाक अगरानी

षवशवषवखयात किषजमशयन ईरान

(अनिम) पावन उदगार

भौततक यग क अ कार ि जञान की जयोतत प जय बाप

मादक तनयतरर बयरो भारत सरकार क महातनदशक शरी एचपी कमार ९ मई को अमदावाद आशरम म सससग-कायकिम क दौरान पजय बाप स आशीवाकद लन पहाच | बड़ी ववनमरता एव शरदधा क साथ उनहोन पजय बाप क परतत अपन उदगार म कहा लजस वयलकत क पास वववक नही ह वह अपन लकषय तक नही पहाच सकता ह और वववक को परापत करन का साधन पजय आसारामजी बाप जस महान सतो का सससग ह | पजय बाप स मरा परथम पररचय टीवी क मारधयम स हआ | तसपशचात मझ आशरम दवार परकालशत ॠवष परसाद मालसक परापत हआ | उस समय मझ लगा कक एक ओर जहाा इस भौततक यग क अधकार म मानव भटक रहा ह वही दसरी ओर शातत की मद-मद सगचधत वाय भी चल रही ह | यह पजय बाप क सससग का ही परभाव ह | पजयशरी क दशकन करन का जो सौभागय मझ परापत हआ ह इसस म अपन को कतकसय मानता हा | पजय बाप क शरीमख स जो अमत वषाक होती ह तथा इनक सससग स करोड़ो हदयो म जो जयोतत जगती ह व इसी परकार स जगती रह और आन वाल लब समय तक पजयशरी हम सब का मागकदशकन करत रह यही मरी कामना ह | पजय बाप क शरीचररो म मर परराम

-शरी एचपी किार

िहातनदशक िादक तनयतरण बय रो भारत सरकार

(अनिम) पावन उदगार

िषसलि िहहला को पराणदान

२७ लसतमबर २००० को जयपर म मर तनवास पर पजय बाप का आसम-साकषासकार ददवस

मनाया गया लजसम मर पड़ोस की मलसलम मदहला नाथी बहन क पतत शरी मााग खाा न भी पजय बाप की आरती की और चररामत ललया | ३-४ ददन बाद ही व मलसलम दपतत खवाजा सादहब क उसक म अजमर चल गय | ददनाक ४ अकटबर २००० को अजमर क उसक म असामालजक तसवो न परसाद म जहर बााट ददया लजसस उसक मल म आय कई दशकनाथी असवसथ हो गय और कई मर भी गय | मर पड़ोस की नाथी बहन न भी वह परसाद खाया और थोड़ी दर म ही वह बहोश हो गयी | अजमर म उसका उपचार ककया गया ककत उस होश न आया | दसर ददन ही उसका पतत उस अपन घर ल आया | कॉलोनी क सभी तनवासी उसकी हालत दखकर कह रह थ कक अब इसका बचना मलशकल ह | म भी उस दखन गया | वह बहोश पड़ी थी | म जोर-जोर स हरर ॐ हरर ॐ का उचचारर ककया तो वह थोड़ा दहलन लगी | मझ परररा हई और म पनः घर गया | पजय बाप स पराथकना की | ३-४ घट बाद ही वह मदहला ऐस उठकर खड़ी हो गयी मानो सोकर उठी हो | उस मदहला न बताया कक मर चाचा ससर पीर ह और उनहोन मर पतत क माह स बोलकर बताया कक तमन २७ लसतमबर २००० को लजनक सससग म पानी वपया था उनही सफद दाढीवाल बाबा न तमह बचाया ह कसी कररा ह गरदव की

-जएल परोहहत

८७ सलतान नगर जयपर (राज)

उस िहहला का पता ह -शरीिती नाथी

पतनी शरी िाग खा

१०० सलतान नगर

गजयर की ड़ी

नय सागानर रोड़

जयप र (राज)

(अनिम) पावन उदगार

हररनाि की पयाली न छड़ायी शराब की बोतल

सौभागयवश गत २६ ददसमबर १९९८ को पजयशरी क १६ लशषटयो की एक टोली ददकली स हमार गााव म हररनाम का परचार-परसार करन पहाची | म बचपन स ही मददरापान धमरपान व लशकार करन का शौकीन था | पजय बाप क लशषटयो दवारा हमार गााव म जगह-जगह पर तीन ददन तक लगातार हररनाम का कीतकन करन स मझ भी हररनाम का रग लगता जा रहा था |

उनक जान क एक ददन क पशचात शाम क समय रोज की भातत मन शराब की बोतल तनकाली | जस ही बोतल खोलन क ललए ढककन घमाया तो उस ढककन क घमन स मझ हरर ॐ हरर ॐ की रधवतन सनायी दी | इस परकार मन दो-तीन बार ढककन घमाया और हर बार मझ हरर ॐ

की रधवतन सनायी दी | कछ दर बाद म उठा तथा पजयशरी क एक लशषटय क घर गया | उनहोन थोड़ी दर मझ पजयशरी की अमतवारी सनायी | अमतवारी सनन क बाद मरा हदय पकारन लगा कक इन दवयकसनो को सयाग दा | मन तरत बोतल उठायी तथा जोर-स दर खत म फ क दी | ऐस समथक व परम कपाल सदगरदव को म हदय स परराम करता हा लजनकी कपा स यह अनोखी घटना मर जीवन म घटी लजसस मरा जीवन पररवततकत हआ |

-िोहन मसह बबटि

मभखयासन अलिोड़ा (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

प र गाव की कायापलि

पजयशरी स ददनाक २७६९१ को दीकषा लन क बाद मन वयवसनमलकत क परचार-परसार का लकषय बना ललया | म एक बार कौशलपर (लज शाजापर) पहाचा | वहाा क लोगो क वयवसनी और लड़ाई-झगड़ यकत जीवन को दखकर मन कहा आप लोग मनषटय-जीवन सही अथक ही नही समझत ह | एक बार आप लोग पजय बापजी क दशकन कर ल तो आपको सही जीवन जीन की कजी लमल जायगी | गााव वालो न मरी बात मान ली और दस वयलकत मर गााव ताजपर आय |

मन एक साधक को उनक साथ जनमाषटटमी महोससव म सरत भजा | पजय बापजी की उन पर कपा बरसी और सबको गरदीकषा लमल गयी | जब व लोग अपन गााव पहाच तो सभी गााववालसयो को बड़ा कौतहल था कक पजय बापजी कस ह बापजी की लीलाएा सनकर गााव क अनय लोगो म भी पजय बापजी क परतत शरदधा जगी | उन दीकषकषत साधको न सभी गााववालो को सववधानसार पजय बापजी क अलग-अलग आशरमो म भजकर दीकषा ददलवा दी | गााव क सभी वयलकत अपन

पर पररवार सदहत दीकषकषत हो चक ह | परसयक गरवार को पर गााव म एक समय भोजन बनता ह | सभी लोग गरवार का वरत रखत ह | कौशलपर गााव क परभाव स आस-पास क गााववाल एव उनक ररशतदारो सदहत १००० वयलकतयो शराब छोड़कर दीकषा ल ली ह | गााव क इततहास म तीन-तीन पीढी स कोई मददर नही था | गााववालो न ५ लाख रपय लगाकर दो मददर बनवाय ह | परा गााव वयवसनमकत एव भगवतभकत बन गया ह यह पजय बापजी की कपा नही तो और कया ह सबक ताररहार पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-शयाि परजापतत (सपरवाइजर ततलहन सघ) ताजपर

उजजन (िपर)

(अनिम) पावन उदगार

प जयशरी की तसवीर स मिली पररणा सवकसमथक परम पजय शरी बापजी क चररकमलो म मरा कोदट-कोदट नमन १९८४ क

भकप स समपरक उततर तरबहार म काफी नकसान हआ था लजसकी चपट म हमारा घर भी था |

पररलसथततवश मझ नौवी ककषा म पढायी छोड़ दनी पड़ी | ककसी लमतर की सलाह स म नौकरी ढाढन क ललए ददकली गया लककन वहाा भी तनराशा ही हाथ लगी | म दो ददन स भखा तो था ही ऊपर स नौकरी की चचता | अतः आसमहसया का ववचार करक रलव सटशन की ओर चल पड़ा | रानीबाग बाजार म एक दकान पर पजयशरी का सससादहसय कसट आदद रखा हआ था एव पजयशरी की बड़ आकार की तसवीर भी टागी थी | पजयशरी की हासमख एव आशीवाकद की मिावाली उस तसवीर पर मरी नजर पड़ी तो १० लमनट तक म वही सड़क पर स ही खड़-खड़ उस दखता रहा | उस वकत न जान मझ कया लमल गया म काम भल मजदरी का ही करता हा लककन तबस लकर आज तक मर चचतत म बड़ी परसननता बनी हई ह | न जान मरी लजनदगी की कया दशा होती अगर पजय बापजी की यवाधन सरकषा ईशवर की ओर तनलशचनत जीवन पसतक और ॠवष परसाद पतरतरका हाथ न लगती पजयशरी की तसवीर स लमली परररा एव उनक सससादहसय न मरी डबती नया को मानो मझदार स बचा ललया | धनभागी ह सादहसय की सवा करन वाल लजनहोन मझ आसमहसया क पाप स बचाया |

-िहश शाह

नारायणपर दिरा षज सीतािढ़ी (बबहार)

(अनिम) पावन उदगार

नतरबबद का चितकार

मरा सौभागय ह कक मझ सतकपा नतरतरबद (आई डरॉपस) का चमसकार दखन को लमला |

एक सत बाबा लशवरामदास उमर ८० वषक गीता कदटर तपोवन झाड़ी सपतसरोवर हररदवार म रहत ह | उनकी दादहनी आाख क सफद मोततय का ऑपरशन शााततकज हररदवार आयोलजत कमप म हआ | कस तरबगड़ गया और काल मोततया बन गया | ददक रहन लगा और रोशनी घटन लगी |

दोबारा भमाननद नतर चचककससालय म ऑपरशन हआ | एबसकयट गलकोमा बतात हए कहा कक ऑपरशन स लसरददक ठीक हो जायगा पर रोशनी जाती रहगी | परत अब व बाबा सत शरी आसारामजी आशरम दवार तनलमकत सतकपा नतरतरबद सबह-शाम डाल रह ह | मन उनक नतरो का परीकषर ककया | उनकी दादहनी आाख म उागली चगनन लायक रोशनी वापस आ गयी ह | काल मोततय का परशर नॉमकल ह | कोतनकया म सजन नही ह | व काफी सतषटट ह | व बतात ह आाख पहल लाल रहती थी परत अब नही ह | आशरम क नतरतरबद स ककपनातीत लाभ हआ | बायी आाख म भी उनह सफद मोततया बताया गया था और सशय था कक शायद काला मोततया भी ह |

पर आज बायी आाख भी ठीक ह और दोनो आाखो का परशर भी नॉमकल ह | सफद मोततया नही ह और रोशनी काफी अचछी ह | यह सतकपा नतरबद का ववलकषर परभाव दखकर म भी अपन मरीजो को इसका उपयोग करन की सलाह दागा |

-डॉ अननत किार अगरवाल (नतररोग षवशिजञ)

एिबीबीएस एिएस (नतर) डीओएिएस (आई)

सीतापर सहारनपर (उपर)

(अनिम) पावन उदगार

ितर स लाभ

मरी माा की हालत अचानक पागल जसी हो गयी थी मानो कोई भत-परत-डाककनी या आसरी तसव उनम घस गया | म बहत चचततत हो गया एव एक साचधका बहन को फोन ककया |

उनहोन भत-परत भगान का मतर बताया लजसका वरकन आशरम स परकालशत आरोगयतनचध पसतक म भी ह | वह मतर इस परकार ह

ॐ निो भगवत रर भरवाय भ तपरत कषय कर कर ह फि सवाहा |

इस मतर का पानी म तनहारकर १०८ बार जप ककया और वही पानी माा को वपला ददया |

तरत ही माा शातत स सो गयी | दसर ददन भी इस मतर की पााच माला करक माा को वह जल वपलाया तो माा तरबककल ठीक हो गयी | ह मर साधक भाई-बहनो भत-परत भगान क ललए अला बााधा बला बााधा ऐसा करक झाड़-फ़ा क करनवालो क चककर म पड़न की जररत नही ह |

इसक ललए तो पजय बापजी का मतर ही ताररहार ह | पजय बापजी क शरीचररो म कोदट-कोदट परराम

-चपकभाई एन पिल (अिररका)

(अनिम) पावन उदगार

काि करो पर षवजय पायी एक ददन मबई मल म दटकट चककग करत हए म वातानकललत बोगी म पहाचा | दखा तो

मखमल की गददी पर टाट का आसन तरबछाकर सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज समाचधसथ ह |

मझ आशचयक हआ कक लजन परथम शररी की वातानकललत बोचगयो म राजा-महाराजा यातरा करत ह ऐसी बोगी और तीसरी शररी की बोगी क बीच इन सत को कोई भद नही लगता | ऐसी बोचगयो म भी व समाचधसथ होत ह यह दखकर लसर झक जाता ह | मन पजय महाराजशरी को परराम करक कहा आप जस सतो क ललए तो सब एक समान ह | हर हाल म एकरस रहकर आप मलकत का आनद ल सकत ह | लककन हमार जस गरहसथो को कया करना चादहए ताकक हम भी आप जसी समता बनाय रखकर जीवन जी सक पजय महाराजजी न कहा काम और िोध को त छोड़ द तो त भी जीवनमकत हो सकता ह | जहाा राम तहा नही काम जहाा काम तहा नही राम | और िोध तो भाई भसमासर ह | वह तमाम पणय को जलाकर भसम कर दता ह

अतःकरर को मललन कर दता ह | मन कहा परभ अगर आपकी कपा होगी तो म काम-िोध को छोड़ पाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा भाई कपा ऐस थोड़ ही की जाती ह सतकपा क साथ तरा परषाथक और दढता भी चादहए | पहल त परततजञा कर कक त जीवनपयकनत काम और िोध स दर रहगा तो म तझ आशीवाकद दा | मन कहा महाराजजी म जीवनभर क ललए परततजञा तो करा लककन उसका पालन न कर पाऊा तो झठा माना जाऊा गा | पजय महाराजजी न कहा अचछा पहल त मर समकष आठ ददन क ललए परततजञा कर | कफर परततजञा को एक-एक ददन बढत जाना | इस परकार त उन बलाओ स बच सकगा | ह कबल मन हाथ

जोड़कर कबल ककया | पजय महाराजजी न आशीवाकद दकर दो-चार फल परसाद म ददय | पजय महाराजजी न मरी जो दो कमजोररयाा थी उन पर ही सीधा हमला ककया था | मझ आशचयक हआ कक अनय कोई भी दगकर छोड़न का न कहकर इन दो दगकरो क ललए ही उनहोन परततजञा कयो करवायी बाद म म इस राज स अवगत हआ |

दसर ददन म पसनजर रन म कानपर स आग जा रहा था | सबह क करीब नौ बज थ |

तीसरी शररी की बोगी म जाकर मन यातरतरयो क दटकट जााचन का कायक शर ककया | सबस पहल बथक पर सोय हए एक यातरी क पास जाकर मन एक यातरी क पास जाकर मन दटकट ददखान को कहा तो वह गससा होकर मझ कहन लगा अधा ह दखता नही कक म सो गया हा मझ नीद स जगान का तझ कया अचधकार ह यह कोई रीत ह दटकट क बार म पछन की ऐसी ही अकल ह तरी ऐसा कछ-का-कछ वह बोलता ही गया बोलता ही गया | म भी िोधाववषटट होन लगा ककत पजय महाराजजी क समकष ली हई परततजञा मझ याद थी अतः िोध को ऐस पी गया मानो ववष की पडड़या मन उस कहा महाशय आप ठीक ही कहत ह कक मझ बोलन की अकल नही ह भान नही ह | दखो मर य बाल धप म सफद हो गय ह | आपम बोलन की अकल अचधक ह नमरता ह तो कपा करक लसखाओ कक दटकट क ललए मझ ककस परकार आपस पछना चादहए | म लाचार हा कक डयटी क कारर मझ दटकट चक करना पड़ रहा ह इसललए म आपको कषटट द रहा हा| और कफ़र मन खब परम स हाथ जोड़कर ववनती की भया कपा करक कषटट क ललए मझ कषमा करो | मझ अपना दटकट ददखायग मरी नमरता दखकर वह ललजजत हो गया एव तरत उठ बठा | जकदी-जकदी नीच उतरकर मझस कषमा माागत हए कहन लगा मझ माफ करना | म नीद म था | मन आपको पहचाना नही था | अब आप अपन माह स मझ कह कक आपन मझ माफ़ ककया यह दखकर मझ आनद और सतोष हआ | म सोचन लगा कक सतो की आजञा मानन म ककतनी शलकत और दहत तनदहत ह सतो की कररा कसा चमसकाररक पररराम लाती ह वह वयलकत क पराकततक सवभाव को भी जड़-मल स बदल सकती ह | अनयथा मझम िोध को तनयतरर म रखन की कोई शलकत नही थी | म परकतया असहाय था कफर भी मझ महाराजजी की कपा न ही समथक बनाया | ऐस सतो क शरीचररो म कोदट-कोदट नमसकार

-शरी रीजिल

ररिायडय िीिी आई कानपर

(अनिम) पावन उदगार

जला हआ कागज प वय रप ि पवक रप म एक बार परमहस ववशदधानदजी स आनदमयी माा की तनकटता पानवाल

सपरलसदध पडडत गोपीनाथ कववराज न तनवदन ककया तररीकानत ठाकर को अलौककक लसदचध परापत हई ह | व तरबना दख या तरबना छए ही कागज म ललखी हई बात पढ लत ह | गरदव बोल तम एक कागज पर कछ ललखो और उसम आग लगाकर जला दो | कववराजजी न कागज पर कछ ललखा और परी तरह कागज जलाकर हवा म उड़ा ददया | उसक बाद गरदव न अपन तककय क नीच स वही कागज तनकालकर कववराजजी क आग रख ददया | यह दखकर उनह बड़ा आशचयक हआ कक यह कागज वही था एव जो उनहोन ललखा था वह भी उस पर उनही क सलख म ललखा था और साथ ही उसका उततर भी ललखा हआ दखा |

जड़ता पशता और ईशवरता का मल हमारा शरीर ह | जड़ शरीर को म-मरा मानन की ववतत लजतनी लमटती ह पाशवी वासनाओ की गलामी उतनी हटती ह और हमारा ईशवरीय अश लजतना अचधक ववकलसत होता ह उतना ही योग-सामथयक ईशवरीय सामथयक परकट होता ह | भारत क ऐस कई भकतो सतो और योचगयो क जीवन म ईशवरीय सामथयक दखा गया ह अनभव ककया गया ह उसक ववषय म सना गया ह | धनय ह भारतभलम म रहनवाल भारतीय ससकतत म शरदधा-ववशवास रखनवाल अपन ईशवरीय अश को जगान की सवा-साधना करनवाल सवामी ववशदधानदजी वषो की एकात साधना और वषो-वषो की गरसवा स अपना दहारधयास और पाशवी वासनाएा लमटाकर अपन ईशवरीय अश को ववकलसत करनवाल भारत क अनक महापरषो म स थ | उनक जीवन की और भी अलौककक घटनाओ का वरकन आता ह | ऐस ससपरषो क जीवन-चररतर और उनक जीवन म घदटत घटनाएा पढन-सनन स हम लोग भी अपनी जड़ता एव पशता स ऊपर उठकर ईशवरीय अश को उभारन म उससादहत होत ह | बहत ऊा चा काम ह बड़ी शरदधा बड़ी समझ बड़ा धयक चादहए ईशवरीय सामथयक को परक रप स ववकलसत करन म |

(अनिम) पावन उदगार

नदी की ारा िड़ गयी आदय शकराचायक की माता ववलशषटटा दवी अपन कलदवता कशव की पजा करन जाती थी

| व पहल नदी म सनान करती और कफ़र मददर म जाकर पजन करती | एक ददन व परातःकाल ही पजन-सामगरी लकर मददर की ओर गयी ककत सायकाल तक घर नही लौटी | शकराचायक की आय अभी सात-आठ वषक क मरधय म ही थी | व ईशवर क परम भकत और तनषटठावान थ | सायकाल

तक माता क वापस न लौटन पर आचायक को बड़ी चचनता हई और व उनह खोजन क ललए तनकल पड़ | मददर क तनकट पहाचकर उनहोन माता को मागक म ही मलचछकत पड़ दखा | उनहोन बहत दर तक माता का उपचार ककया तब व होश म आ सकी | नदी अचधक दर थी | वहाा तक पहाचन म माता को बड़ा कषटट होता था | आचायक न भगवान स मन-ही-मन पराथकना की कक परभो ककसी परकार नदी की धारा को मोड़ दो लजसस कक माता तनकट ही सनान कर सक | व इस परकार की पराथकना तनसय करन लग | एक ददन उनहोन दखा कक नदी की धारा ककनार की धरती को काटती-काटती मड़न लगी ह तथा कछ ददनो म ही वह आचायक शकर क घर क पास बहन लगी | इस घटना न आचायक का अलौककक शलकतसमपनन होना परलसदध कर ददया |

(अनिम) पावन उदगार

सदगर-िहहिा गर बबन भव तनध तर न कोई |

जौ बरधच सकर सि होई ||

-सत तलसीदासजी

हररहर आहदक जगत ि प जयदव जो कोय |

सदगर की प जा ककय सबकी प जा होय ||

-तनशचलदासजी महाराज

सहजो कारज ससार को गर बबन होत नाही |

हरर तो गर बबन कया मिल सिझ ल िन िाही ||

-सत कबीरजी सत

सरतन जो जन पर सो जन उ रनहार |

सत की तनदा नानका बहरर बहरर अवतार ||

-गर नानक दवजी

गरसवा सब भागयो की जनमभलम ह और वह शोकाकल लोगो को बरहममय कर दती ह | गररपी सयक अववदयारपी रातरतर का नाश करता ह और जञानाजञान रपी लसतारो का लोप करक बदचधमानो को आसमबोध का सददन ददखाता ह |

-सत जञानशवर महाराज

ससय क कटकमय मागक म आपको गर क लसवाय और कोई मागकदशकन नही द सकता |

- सवामी लशवानद सरसवती

ककतन ही राजा-महाराजा हो गय और होग सायजय मलकत कोई नही द सकता | सचच राजा-महाराज तो सत ही ह | जो उनकी शरर जाता ह वही सचचा सख और सायजय मलकत पाता ह |

-समथक शरी रामदास सवामी

मनषटय चाह ककतना भी जप-तप कर यम-तनयमो का पालन कर परत जब तक सदगर की कपादलषटट नही लमलती तब तक सब वयथक ह |

-सवामी रामतीथक

पलटो कहत ह कक सकरात जस गर पाकर म धनय हआ |

इमसकन न अपन गर थोरो स जो परापत ककया उसक मदहमागान म व भावववभोर हो जात थ |

शरी रामकषटर परमहस परकता का अनभव करानवाल अपन सदगरदव की परशसा करत नही अघात थ |

पजयपाद सवामी शरी लीलाशाहजी महाराज भी अपन सदगरदव की याद म सनह क आास बहाकर गदगद कठ हो जात थ |

पजय बापजी भी अपन सदगरदव की याद म कस हो जात ह यह तो दखत ही बनता ह | अब हम उनकी याद म कस होत ह यह परशन ह | बदहमकख तनगर लोग कछ भी कह साधक को अपन सदगर स कया लमलता ह इस तो साधक ही जानत ह |

(अनिम) पावन उदगार

लडी िाहियन क सहाग की रकषा करन अफगातनसतान ि परकि मशवजी

सा सग ससार ि दलयभ िनटय शरीर |

सतसग सषवत ततव ह बतरषव ताप की पीर ||

मानव-दह लमलना दलकभ ह और लमल भी जाय तो आचधदववक आचधभौततक और आरधयालसमक य तीन ताप मनषटय को तपात रहत ह | ककत मनषटय-दह म भी पववतरता हो सचचाई हो शदधता हो और साध-सग लमल जाय तो य तरतरववध ताप लमट जात ह |

सन १८७९ की बात ह | भारत म तरबरदटश शासन था उनही ददनो अगरजो न अफगातनसतान पर आिमर कर ददया | इस यदध का सचालन आगर मालवा तरबरदटश छावनी क ललफ़टनट कनकल मादटकन को सौपा गया था | कनकल मादटकन समय-समय पर यदध-कषतर स अपनी पसनी को कशलता क समाचार भजता रहता था | यदध लबा चला और अब तो सदश आन भी बद हो गय | लडी मादटकन को चचता सतान लगी कक कही कछ अनथक न हो गया हो अफगानी सतनको न मर पतत को मार न डाला हो | कदाचचत पतत यदध म शहीद हो गय तो म जीकर कया करा गी -यह सोचकर वह अनक शका-कशकाओ स तघरी रहती थी | चचनतातर बनी वह एक ददन घोड़ पर बठकर घमन जा रही थी | मागक म ककसी मददर स आती हई शख व मतर रधवतन न उस आकवषकत ककया | वह एक पड़ स अपना घोड़ा बााधकर मददर म गयी | बजनाथ महादव क इस मददर म लशवपजन म तनमगन पडडतो स उसन पछा आप लोग कया कर रह ह एक वरदध बराहमर न कहा हम भगवान लशव का पजन कर रह ह | लडी मादटकन लशवपजन की कया महतता ह

बराहमर बटी भगवान लशव तो औढरदानी ह भोलनाथ ह | अपन भकतो क सकट-तनवारर करन म व ततनक भी दर नही करत ह | भकत उनक दरबार म जो भी मनोकामना लकर क आता ह उस व शीघर परी करत ह ककत बटी तम बहत चचलनतत और उदास नजर आ रही हो कया बात ह लडी मादटकन मर पततदव यदध म गय ह और ववगत कई ददनो स उनका कोई समाचार नही आया ह | व यदध म फा स गय ह या मार गय ह कछ पता नही चल रहा | म उनकी ओर स बहत चचलनतत हा | इतना कहत हए लडी मादटकन की आाख नम हो गयी | बराहमर तम चचनता मत करो बटी लशवजी का पजन करो उनस पराथकना करो लघरिी करवाओ |

भगवान लशव तमहार पतत का रकषर अवशय करग |

पडडतो की सलाह पर उसन वहाा गयारह ददन का ॐ नमः लशवाय मतर स लघरिी अनषटठान परारभ ककया तथा परततददन भगवान लशव स अपन पतत की रकषा क ललए पराथकना करन लगी कक ह भगवान लशव ह बजनाथ महादव यदद मर पतत यदध स सकशल लौट आय तो म आपका लशखरबद मददर बनवाऊा गी | लघरिी की पराकहतत क ददन भागता हआ एक सदशवाहक लशवमददर म आया और लडी मादटकन को एक ललफाफा ददया | उसन घबरात-घबरात वह ललफाफा खोला और पढन लगी |

पतर म उसक पतत न ललखा था हम यदध म रत थ और तम तक सदश भी भजत रह लककन

आक पठानी सना न घर ललया | तरबरदटश सना कट मरती और म भी मर जाता | ऐसी ववकट पररलसथतत म हम तघर गय थ कक परार बचाकर भागना भी असयाचधक कदठन था | इतन म मन दखा कक यदधभलम म भारत क कोई एक योगी लजनकी बड़ी लमबी जटाएा ह हाथ म तीन नोकवाला एक हचथयार (तरतरशल) इतनी तीवर गतत स घम रहा था कक पठान सतनक उनह दखकर भागन लग | उनकी कपा स घर स हम तनकलकर पठानो पर वार करन का मौका लमल गया और हमारी हार की घडड़याा अचानक जीत म बदल गयी | यह सब भारत क उन बाघामबरधारी एव तीन नोकवाला हचथयार धारर ककय हए (तरतरशलधारी) योगी क कारर ही समभव हआ | उनक महातजसवी वयलकतसव क परभाव स दखत-ही-दखत अफगातनसतान की पठानी सना भाग खड़ी हई और व परम योगी मझ दहममत दत हए कहन लग | घबराओ नही | म भगवान लशव हा तथा तमहारी पसनी की पजा स परसनन होकर तमहारी रकषा करन आया हा उसक सहाग की रकषा करन आया हा |

पतर पढत हए लडी मादटकन की आाखो स अववरत अशरधारा बहती जा रही थी उसका हदय अहोभाव स भर गया और वह भगवान लशव की परततमा क सममख लसर रखकर पराथकना करत-करत रो पड़ी | कछ सपताह बाद उसका पतत कनकल मादटकन आगर छावनी लौटा | पसनी न उस सारी बात सनात हए कहा आपक सदश क अभाव म म चचलनतत हो उठी थी लककन बराहमरो की सलाह स लशवपजा म लग गयी और आपकी रकषा क ललए भगवान लशव स पराथकना करन लगी | उन दःखभजक महादव न मरी पराथकना सनी और आपको सकशल लौटा ददया | अब तो पतत-पसनी दोनो ही तनयलमत रप स बजनाथ महादव क मददर म पजा-अचकना करन लग | अपनी पसनी की इचछा पर कनकल मादटकन म सन १८८३ म पिह हजार रपय दकर बजनाथ महादव मददर का जीरोदवार करवाया लजसका लशलालख आज भी आगर मालवा क इस मददर म लगा ह | पर भारतभर म अगरजो दवार तनलमकत यह एकमातर दहनद मददर ह |

यरोप जान स पवक लडी मादटकन न पडड़तो स कहा हम अपन घर म भी भगवान लशव का मददर बनायग तथा इन दःख-तनवारक दव की आजीवन पजा करत रहग |

भगवान लशव म भगवान कषटर म माा अमबा म आसमवतता सदगर म सतता तो एक ही ह | आवशयकता ह अटल ववशवास की | एकलवय न गरमतत क म ववशवास कर वह परापत कर ललया जो

अजकन को कदठन लगा | आरखर उपमनय धरव परहलाद आदद अनय सकड़ो उदारहर हमार सामन परसयकष ह | आज भी इस परकार का सहयोग हजारो भकतो को साधको को भगवान व आसमवतता सदगरओ क दवारा तनरनतर परापत होता रहता ह | आवशयकता ह तो बस कवल ववशवास की |

(अनिम) पावन उदगार

सखप वयक परसवकारक ितर

पहला उपाय

ए ही भगवतत भगिामलतन चल चल भरािय भरािय पटप षवकासय षवकासय सवाहा |

इस मतर दवारा अलभमतरतरत दध गलभकरी सतरी को वपलाय तो सखपवकक परसव होगा |

द सरा उपाय

गलभकरी सतरी सवय परसव क समय जमभला-जमभला जप कर |

तीसरा उपाय

दशी गाय क गोबर का १२ स १५ लमली रस ॐ नमो नारायराय मतर का २१ बार जप करक पीन स भी परसव-बाधाएा दर होगी और तरबना ऑपरशन क परसव होगा |

परसतत क समय अमगल की आशका हो तो तनमन मतर का जप कर

सवयिगल िागलय मशव सवायथय साध क |

शरणय तरयमबक गौरी नारायणी निोSसतत ||

(दगायसपतशती)

(अनिम) पावन उदगार

सवागीण षवकास की कषजया यादशषकत बढ़ान हतः परततददन 15 स 20 लमली तलसी रस व एक चममच चयवनपराश

का थोड़ा सा घोल बना क सारसवसय मतर अथवा गरमतर जप कर पीय 40 ददन म चमसकाररक लाभ होगा

भोजन क बाद एक लडड चबा-चबाकर खाय

100 गराम सौफ 100 गराम बादाम 200 गराम लमशरी तीनो को कटकर लमला ल सबह यह लमशरर 3 स 5 गराम चबा-चबाकर खाय ऊपर स दध पी ल (दध क साथ भी ल सकत ह) इसस भी यादशलकत बढगी

पढ़ा हआ पाठ याद रह इस हतः अरधययन क समय पवक या उततर की ओर माह करक सीध बठ

सारसवसय मतर का जप करक कफर जीभ की नोक को ताल म लगाकर पढ

अरधययन क बीच-बीच म अत म शात हो और पढ हए का मनन कर ॐ शातत रामराम या गरमतर का समरर करक शात हो

कद बढ़ान हतः परातःकाल दौड़ लगाय पल-अपस व ताड़ासन कर तथा 2 काली लमचक क टकड़ करक मकखन म लमलाकर तनगल जाय दशी गाय का दध कदवदचध म ववशष सहायक ह

शरीरपषटि हतः भोजन क पहल हरड़ चस व भोजन क साथ भी खाय

रातरतर म एक चगलास पानी म एक नीब तनचोड़कर उसम दो ककशलमश लभगो द सबह पानी छानकर पी जाय व ककशलमश चबाकर खा ल

नतरजयोतत बढ़ान हतः सौफ व लमशरी 1-1 चममच लमलाकर रात को सोत समय खाय यह परयोग तनयलमत रप स 5-6 माह तक कर

नतररोगो स रकषा हतः परो क तलवो व अागठो की सरसो क तल स माललश कर ॐ अरणाय ह फट सवाहा इस जपत हए आाख धोन स अथाकत आाखो म धीर-धीर पानी छााटन स आाखो की असहय पीड़ा लमटती ह

डरावन बर सवपनो स बचाव हतः ॐ हरय निः मतर जपत हए सोय लसरहान आशरम की तनःशकक परसादी गरहदोष-बाधा तनवारक यतर रख द

दःख िसीबत एव गरहबा ा तनवारण हतः जनमददवस क अवसर पर महामसयञजय मतर का जप करत हए घी दध शहद और दवाक घास क लमशरर की आहततयाा डालत हए हवन कर इसस जीवन म दःख आदद का परभाव शात हो जायगा व नया उससाह परापत होगा

घर ि सख सवासथय व शातत हतः रोज परातः व साय दशी गाय क गोबर स बन कणड का एक छोटा टकड़ा जला ल उस पर दशी गौघत लमचशरत चावल क कछ दान डाल द ताकक व जल जाय इसस घर म सवासथय व शातत बनी रहती ह तथा वासतदोषो का तनवारर होता ह

आधयाषतिक उननतत हतः चलत कफरत दतनक कायक करत हए भगवननाम का जप सब म भगवननाम हर दो कायो क बीच थोड़ा शात होना सबकी भलाई म अपना भला मानना मन क ववचारो पर तनगरानी रखना आदरपवकक सससग व सवारधयाय करना आदद शीघर आरधयालसमक उननतत क उपाय ह

(अनिम) पावन उदगार

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Page 7: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 8: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 9: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 10: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 11: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 12: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 13: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 14: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 15: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 16: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 17: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 18: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 19: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 20: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 21: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 22: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 23: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 24: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 25: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 26: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 27: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 28: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 29: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 30: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 31: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 32: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 33: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 34: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 35: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 36: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 37: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 38: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 39: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 40: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 41: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 42: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 43: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 44: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 45: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 46: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 47: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 48: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 49: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 50: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 51: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 52: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 53: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 54: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 55: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 56: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 57: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 58: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 59: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 60: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 61: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 62: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 63: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 64: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 65: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 66: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 67: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 68: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 69: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 70: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 71: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 72: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 73: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 74: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 75: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 76: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 77: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 78: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 79: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 80: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 81: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 82: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 83: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 84: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 85: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 86: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 87: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 88: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 89: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 90: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 91: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 92: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 93: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 94: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 95: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 96: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 97: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 98: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 99: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 100: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 101: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 102: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 103: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 104: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 105: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 106: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 107: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 108: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 109: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 110: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 111: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 112: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 113: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 114: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 115: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 116: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 117: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 118: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 119: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 120: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 121: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 122: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 123: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 124: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 125: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 126: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 127: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 128: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 129: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 130: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 131: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 132: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 133: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत
Page 134: || Home || HariOmGroup - प्रस्तावना...भगव न लशव क यह मह मस य जय म त र जपन स अक ल म सय त टलत