भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में...

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1/36 agniveerfans.wordpress.com/2011/10/14/islam/ Posted by Agniveer Fans A GNIVEER FANS We are proud fans of Agniveer भ◌ारतीय महाप ष क िट म इलाम OCT 14 i 3 Votes ड◌ॉ क ण वलभ भ◌ मका भ◌ारत म हद पछल १३०० वष अकारण वद शी म सलमान क र आमण व अयाचार को झ लत चल आ र टनीत और धम -आधारत भारत वभाजन एव का स वारा हद -िलम जनस खया क अदला-बदल न करन सतालोल प राजन तक न ता इलामी िजहाद और आत कवाद क सामन आमसमप ण कर रह िजसक परणामव इलामीकरण क लण साफ दखाई द रह इस काल खड (७१२-२००६) भारतीय मनीषय, महाप ष धम चाय, सत, इतहासकार और राजन ताओ इल समय-समय पर अपन अन भव को यत कया ह । यहा हमन ऐस ह क छ महाप ष क इलाम सबधी वचार क कया ह जो क इलाम क धाम , सामािजक एव राजन तक मायताओ , िलम मानसकताओ और राजन तक करत म◌ आशा ह नह , ववास ह क इन महाप ष क अन भव आज क लर भारत म िलम मानसकता क नीत नधा रण म महवप मका नभाऐ । यद वत मान राजनीत, धमा चाय , सामािजक काय कता एव साम हण कर सक तो इसस अत सतोष का अन भव होगा। स◌ कलन कता भ◌ारतीय म सलमान का राजन तक लय इलामी सात, आदश और वध वधान का एकमा अितम लय सभी अय धम को नट कर वव भरा म त थापत करना ह । यक इलाम एक धम नय त राजन तक आदोलन ह जी. एच. जानस न क अन

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We are proud fans of Agniveer

भारतीय महापष क िट म इलाम

OCT 14

i3 Votes

डॉ कण वलभभमका

भारत म हद पछल १३०० वष स अकारण वदशी मसलमान क र आमण व अयाचार को झलत चल आ रह ह हद १९४७ म टश-मिलमकटनीत और धम-आधारत भारत वभाजन एव कास वारा हद-मिलम जनसखया क अदला-बदल न करन क दपरणाम को भगत रह ह

सतालोलप राजनतक नता इलामी िजहाद और आतकवाद क सामन आमसमपण कर रह ह िजसक परणामवप नकट भवय म शष भारत कइलामीकरण क लण साफ दखाई द रह हइस काल खड (७१२-२००६) म भारतीय मनीषय महापष धमचाय सत इतहासकार और राजनताओ न इलाम और मिलम मानसकता परसमय-समय पर अपन अनभव को यत कया ह यहा हमन ऐस ह कछ महापष क इलाम सबधी वचार को इस लघ पितका म सकलत

कया ह जो क इलाम क धामक सामािजक एव राजनतक मायताओ मिलम मानसकताओ और राजनतक महवाकााओ को साफ़-साफ़ गटकरत हमझ आशा ह नह पण ववास ह क इन महापष क अनभव आज क सयलर भारत म मिलम मानसकता को समझन एव मसलमान क त

नीत नधारण म महवपण भमका नभाऐग यद वतमान राजनीत धमाचाय सामािजक कायकता एव सामाय हद भी इन अनभव स शाहण कर सक तो इसस मझ अत सतोष का अनभव होगासकलन कताभारतीय मसलमान का राजनतक लय

इलामी सात आदश और वध वधान का एकमा अितम लय सभी अय धम को नट कर वव भरा म इलामी-सााय एव अरबीसकत थापत करना ह यक lsquolsquoइलाम एक धम नयत राजनतक आदोलन हrdquo जी एच जानसन क अनसार lsquo

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राजनीत एक ह सक क दो पहल हrdquo (मलटट इलाम)यह बात यक गर-मिलम भारतीय को भल भात समझ लना चाहए क पाकतान व बगला दश बनन क बाद भी मसलमान का एक मा

अितम लय शष भारत को भी इलामी राय बनाना और समत गर-इलामी धम जस हद बौ जन सख ईसाई आद को समात करना हजसी क उनको करान (अन महमद फाख खा १९८०) का आदश ह-(१) lsquoदनrsquo तो अलाह का इलाम हrsquo (३ः १९ प १८८)

(२) rdquoउनस य करो जहा तक क फ़तना शष न रह और lsquoदनrsquo अलाह का हो जाएrdquo (२ १९३ प १५८(३) lsquoवह ह िजसन अपन lsquoरसलrsquo को माग दशन और सच lsquoदनrsquo सय ध क साथ भजा ताक उस समत lsquoदनrsquo पर भव दान कर चाह मशरकको नापसद य न होrdquo (९ rsquo ३३ प ३७३)

इसीलए मिलम नताओ न अपनी राजनतक आकााए सपट कर द ह ndash(१) हकम अजमल खा न कहा-rdquoएक और भारत और दसर ओर एशया माइनर भावी इलामी सघ पी जजीर क दो छोर क कड़या ह जो धीर-धीर कत नचय ह बीच क सभी दश को एक वशाल सघ म जोड़न जा रह हrdquo (भाषण का अश खलाफ़त कास अहमदाबाद १९२१ आई एआर १९९२ प४४७)

(२) एफ ए दरानी न कहा-rdquoभारत-सपण भारत हमार पतक सपित ह और उसका फर स इलाम क लए वजय करना नतात आवयक हrsquoतथा पाकतान का नमाण इसलए महवपण था क उसका शवर यानी पड़ाव बनाकर शष भारत का इलामीकरण कया जा सकrdquo(पषोतम मिलम राजनीतक चतन और आकाए प ५१ ५३)

(३) कास नता एव भतपव शा मी अबल कलाम आज़ाद न पर भारत क इलामीकरण क वकालत करत हए कहा एक बार मसलमान क शासन म रह चका ह कभी भी यागा नह जा सकता और यक मसलमान का कतय ह क उस खोई हई मिलमसता को फर ात करन क लए यन कर (बी आर नदा गाधी पन इलामम इपीरयालम एड नशनलम प ११७)

(४) मौलाना कौदद का कथन ह क lsquoमिलम भी भारत क वतता क उतन ह इछक थ िजतन क दसर लोग कत वह इसको एक साधनएक पड़ाव मानत थ यय (मिजल) नह उनका यय एक ऐस राय क थापना था िजसम मसलमान को वदशी अथवा अपन ह दश क गर-मिलम क जा बनकर रहना न पड़ शासन दाल-इलाम (शरय शासन) क कपना क िजतना सभव हो नकट हो मिलम भारतसरकार म भारतीय होन क नात नह मिलम हसयत स भागीदार हrdquo (डॉ तारा चद ह ऑफ द डम मवमट खड ३ प २८७)(५) हामद दलवई का मत ह क lsquoआज भी भारत क मसलमान और पाकतान म भी भावशाल गट ह िजनक अितम माग पर भारत का

इलाम म धमातरण हrsquo (मिलम डलमा इन इडया प ३५)(६) बगलादश क जहागीर खा न rdquoबगला दश पाकतान कमीर तथा पिचमी बगाल बहार उतर दश राजथान पजाब व हरयाणा कमिलम बहल कछ भाग को मलाकर मगलयाथान नामक इलामी रा बनान का सपना सजोया हrdquo (मसलमान रसच इट यट जहागीरनगर बगलादश २०००)

उपरोत उ दय को भारत सरकार और सभी राजनतक दल को मसलमान क इन अकााओ को गभीरता स सोचना-समझना चाहए हमारा ववास ह क कास सी पी एम सपा राजद आद क वाथ नता उनक वोट क सहार कबल पर कछ दन राज करन क लए मिलमतटकरण और शाितपण िजहाद म सहयोग दकर शष भारत क इलामीकरण मसहयोग द रह ह ऐस नता तो चल जाएग लकन इनक कारण

मानवता अयाम और उ दात सकत का हद भारत सदव क लए इलामी िजहाद क भ ट म जलकर समात हो जाएगा इसलए भारत कइलामीकरण को रोकना यक दश भत का सबस पहला परम कतय ह०१ ग नानक दव (१४६९-१५३९)

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हिदओ को यातनाए द गई -rdquoसयद शख मगल पठान आद सभी बहत नदयी हो गए थ और व हदओ को भीषण यातनाए द रह थ उहनहदओ को ग आद मासभी पण क आग डाल दया अनक (हदओ) को उनक शरर म कल ठकर मार डाला गया अय अनक कोकत स नचवाकर मरवा दया गया िजहन इलाम म धमातरत होना वीकार नह कया उह अय अनक कार स यातनाए द ग यऔर हवन करन पर तबध लगा दया गया और िजहन इस आा का उललघन कया उह मा मागनी पड़ी हदओ क सदर िय काअपहरण कया गया और उह जबरदती मसलमान क घर म रखा गया यायाधीश न रवत लकर अपन नणय वारा सच को झठ म बदलदयाrdquo

(नानक काश तथा मनाथ जोशी क पतक lsquoपन इलामम रौलग बकrsquo क प ८० स)

०२ ग समथ रामदास (१६०८-१६८०)

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q=tbnJd7X9VfGLVmJtMhttpinnervoicesulekhacommstoreinnervoicealbumsdefaultramdasjijpg)शिवजी महाराज क ग स सत समथ रामदास न हदओ क िथत जो उहन १६३२-४४ म दखी उस उहन अपन थ lsquoदास बोधrsquo म

इस कार यत कया

(१) rdquoऊची और नीची सभी जातय क अगणत हद िय को यातनाए द ग और उनका बलाकार कया गया अनक बद बनाई ग औरउह दर दश म बचा गया अनक सदर िय न यातनाओ स दखी होकर आमहया कर ल ह

(२) lsquoलोग क धन-सपित जत कर ल गई ह भय क कारण स अनक न अपन घर बार छोड़ दए और इस या म अनक मर गए लोग

को कपड़ा और भाजन ात नह हrdquo(३) rdquoअनक लोग दकम म ढ़कल दए गए ह जबक अनक बलात लाम म धमातरत कर दए गए ह अगणत बच चीख-चीखकर रो रह ह

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यक उनक मा-बाप क हया कर द गई या उह बद बना कर दर ल जाया गया हrdquo

(४) rdquoअनक न वष खाकर अपना जीवन समात कर लया अनक न पानी म डबकर जान द द तथा अनक जला दए गए या िजदा गाढ़दएगएrdquo

(५) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo(६) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo

(७) rdquoजब व भोजन करन क तीा कर रह होत ह यकायक रोन व चीखन क आवाज़ सनाई दन लगती ह और इन हमल म कसी क पनी कबलात अपहरण हो जाता ह कसी का सामान छना झपटा या लट लया जाता हrdquo

(८) rdquoआमणकार मसलमान पशवत नदयी होत ह व सव बहतायत म ह व पछल सकड़ वष स अपन घणत काय करत चल आ रह ह

इसलए ह राजन (शवाजी महाराज) सावधान रहनाrdquo(डॉ एस डी कलकण कत lsquoएकाटर वद इलाम प २६७-२६८ स)

०३ राजा राम मोहन रॉय (१७७२-१८३३)

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q=tbnVdZkTKrcagHwRMhttpwwwfreeindiaorgbiographiesgreatpersonalitiesroyroyjpg)मसलमान वारा हदओ पर अयाचार -rdquoमसलमान न हदओ पर अयधक अयाचार कए ह वशषकर ा मण पर यक व

लगातार हद धम म अडग बन रह और उहन मसलमान वारा अकथनीय अयाचार और मय दड क धमकय क बावजद भी अपनधम को नह यागामसलमान न यह मान रखा ह क उनक लए करान क आयत अलाह का हम ह और उहन निचत कर रखा ह क

उनक लए यह अलाह का आदश ह क व मतपजक (हदओ) को यातनाए द और उनक हया कर मसलमान क अनसार lsquoसब

मतपजक (हदओ) म स ा मण सबस नीच ह यह कारण ह क मसलमान धमाध हो गए और उहन गर-मिलम (हद बौ ईसाईआद) को धामक उमाद म मारन म कोई कमी नह रखीrdquo

(राजा राममोहन रॉय क सपण वा ऋमय स प ७२६-७२७ हराफ पिलकशस कोलकता १९७३)

०४ महष दयानद सरवती (१२२१८२५-२०१०१८८२)

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महष दयानद सरवती न अपन सस थ lsquoसयाथ काशrsquo क चौदहव समलास (अयाय) म इलाम

क धम थ करान क १६१ आयत या आयत समह क समीा क ह यहा इह म स कछ आयत कसमीा सावदशक आय तनध सभा रामलला मदान नई दल वारा १९७५ म काशत सयाथ

काश क पठ ५४३ स ६१२ तक स ल गई ह जबक करान क व ह पर क पर आयत lsquoपव करआनrsquo

(अनवादक मौलाना महमद फाक रवा और डॉमहमद अहमद काशक मधर सदश सगमजामयानगर नई दल २००५) म दखी जा सकती ह सदभ म पहल सरा और बाद म आयत का सखया

म दया गया ह

सवामी जी न करान क समीा करन स पहल अपना मतय इस समलास क ारभ म द गईअनभमका (४) म ननलखत कार स यत कया ह-

rdquoयह लख कवल मनय क उनत और सयासय क नणय क लए सब मत क वषय का थोड़ा-थोड़ा ान होव इसस मनय को परपर वचार करन का समय मल और एक-दसर क दोष का

खडन कर गण का हण कर न कसी अय मत पर न इस मत पर झठ-मठ बराई व भलाई लगान

का योजन ह कत जो-जो भलाई ह वह भलाई और जो बराई ह वह बराई सबको वदत होवrdquordquoयह लख हठ दराह ईया वष वाद-ववाद और वरोध घटान क लए कया गया ह न क इनको

बढ़ान क अथ यक एक दसर क हान करन स पथक रह परपर को लाभ पहचाना हमारा मखयकम ह अब यह चौदहव समलास म मसलमान का मत वषय सब सजन क सामन नवदन करता

ह वचार कर इट का हण अनट का परयाग किजएrdquo (प५४३)

१ करान

१ rdquoआरभ साथ नाम अलाह क मा करन वाला दयाल rdquo (१ १)समीक-rdquoमसलमान लोग ऐसा कहत ह क यह करान खदा का कहा ह परत इस वचन स वदत होता ह क इसका बनान वाला कोई दसरा ह

यक जो परमवर का बनाया होता तो rdquoआरभ साथ नाम अलाह कrdquo ऐसा न कहता कत rdquoआरभ वात उपदश मनय कrdquo ऐसा कहताrdquo (प५४४)२ rdquoसब तत परमवर क वात ह जो परबरदगार अथात पालन करन हारा ह तब ससार का मा करन वाला दयाल हrdquo

समीक-rdquoजो करान का खदा ससार का पालन करन हारा होता और सब पर मा और दया करता ह तो अय मत वाल और पश आद को भीमसलमान क हाथ स मरवान का हकम न दता जो मा करन हारा ह तो या पापय पर भी मा करगा और जो वसा ह तो अग लखग क

rdquoकाफ़र को कतल करोrdquo अथात जो करान और पगबर को न मान व काफ़र ह ऐसा य कहता ह इसलए करान ईवरकत नह दखताrdquo (प५४४-५४५)

३ rdquoदखा उन लोग का राता क िजन पर तनप नआमत क और उनका माग मत दखा क िजनक ऊपर त न गज़ब अथात अयतोध क िट

क और न गमराह का माग हमको दखाrdquo (१ ६)समीक-rdquoजब मसलमान लोग पवजम और पवकत पाप-पय नह मानत तो कह पर नआमत अथात फ़जल या दया करन और कह पर न

करन स खदा पपाती हो जायगा यक बना पाप-पय सख-दःख दना कवल अयाय क बात ह और बना कारण कसी पर दया और कसी परोध िट करना भी वभाव स बहः ह वह दया अथवा ोध नह कर सकता और जब उनक पव सचत पय पाप ह नह तो कसी पर दया और

कसी पर ोध करना नह हो सकता और इस सरः क टपणी पर rdquoयह सरः अलाह साहब न मनय क मखय स कहलाई क सदा इस कार सकहा करrdquo जो यह बात ह तो lsquoअलफ बrdquo आद अर भी खदा ह न पढ़ाय हग जो कहो क बना अरान क इस सरः को कस पढ़ सक या कठ

ह स बलाए और बोलत गय जो ऐसा ह तो सब करान ह कठ स पढ़ाया होगा इसस ऐसा समझना चाहए क िजस पतक म पपात क बात पाई

जाय वह पतक ईवरकत नह हो सकता जसा क अरबी भाषा म उतारन स अरबवाल को इसका पढ़ना सगम अय भाषा बोलन वाल कोकठनहोता ह इसी स खदा म पपात आता ह और जस परमवर न सिटथ सब दशथ मनय पर याय िट स सब दश भाषाओ स लण

सकत भाषा क जो सब दशवाल क लए एक स परम स वदत होती ह उसी म वद का काश कया ह करता तो यह दोष नह होताrdquo (प५४५-५४६)

४ rdquoह नबी तहार लए अलाह और तहार ईमान वाल अनयायी ह काफ़ ह lsquoह रबी मोमन को िजहाद पर उभारो यद तहार पास पचास बीसआदमी जम हग तो व दो सौ पर भावी हग और यद तमम स ऐस सौ हग तो व इकार करन वाल म स एक हजार पर भावी हग यक व

नासमझ लोग हrdquo (८ः६४-६५ प १५५)

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rdquoअतः जो कछ गनीमत (लट) का माल तमन ात कया ह उस वध-पव समझकर खाओ और अलाह का डर रखोrdquo

समीक-rdquoभला यह कौन-सी याय वता और धम क बात ह क जो अपना प कर और चाह अयाय भी कर उसी का प और लाभ पहचाव और जो जा म शाित भग करक लड़ाई कर कराव और लट मार क पदाथ को हलाल बतलाव और फर उसी कानाम मावान दयाललख यह बात

खदा क तो या कत कसी भल आदमी क भी नह हो सकती ऐसी-ऐसी बात स करान ईवर वाय कभी नह हो सकताrdquo (प ५७४)५ rdquoऔर इसी कार हमन इस (करआन) को एक अरबी फरमान क प म उतारा ह अब यद तम उस ान क पचात भी जो तहार पास आ चका ह

उसक इछाओ क पीछ चल तो अलाह क मकाबल म न तो तहारा कोई सहायक म होगा औन न कोई बचान वालाrdquoहम जो वादा उनस कर रह ह चाह उसम स कछ हम तह दख द या तह उठा ल तहारा दायव तो बस सदश का पहचा दना ह ह हसाब लना तो

हमार िजम हrdquo (१३ः४० प २१२-२१३)

समीक-rdquoकरान कधर क ओर स उतारा या खदा ऊपर रहता ह जो यह बात सच ह तो वह एकदशी होन स ईखवर ह नह हो सकता यकईवर सब ठकान एकरस यापक ह पगााम पहचाना हकार का काम ह और हकार क आवयकता उसी को होती ह जो मनयवत एकदशी हो

और हसाब लना दना भी मनय का काम ह ईवर का नह यक वह सव ह यह नचय होता ह क कसी अप मनय का बनाया करान हrdquo(प ५७९)

६ rdquoऔर जो तौबा कर ल और ईमान लाए और अछा कम कर फर सीध माग पर चलता रह उसक लए नचय ह म अयत माशील हrdquo

८२ प २७२)समीक-rdquoजो तोबाः स पाप मा करन क बात करान म ह यह सबको पापी करान वाल ह यक पापय को इसस पाप करन का साहस बहत बढ़

जाता ह इसस यह पतक और इसका बनान वाला पापय को पाप करन म हौसला बढ़ान वाला ह इसस यह पतक परमवर कत और इसम कहाहआ परमवर भी नह हो सकताrdquo (प ५८४)

७ rdquo(जो आयत उतर ह ह) व तवान स परपण कताब क आयत हrdquo (३१२) rdquoउसन आकाश को पदा कया (जो थम हए ह) बना ऐस तभ कजो तह दखाई द और उसन धरती म पहाड़ डाल दए क ऐसा न हो क तह लकर डावाडोल हो जाएrdquo hellip (३११०) rdquoया तमन दखा नह क अलाह

रात को दन म वट करता ह और दन को रात म वट करता हrdquohelliphelliphelliphellip(३१ २९) rdquoया तमन दखा नह क नौका सम म अलाह क

अनह स चलती ह ताक वह तह अपनी नशानया दखाएrdquo (३१ ३१ प ३६०-३६२)समीक-वाह जी वाह हमतवालकताब क िजसम सवथा वया स व आकाश क उपित और उसम खभ लगान क शका और पवी को

िथर रखन क लए पहाड़ रखना थोड़ी-सी वया वाला भी ऐसा लख कभी नह करता और न मानता और हकमत दखो क जहा दन ह वहा रात नहओर जहा रात ह वहा दन नह उसको एक दसर म वश कराना लखता ह यह बड़ अवयान क बात ह इसलए यह करान वया क पतक नह

हो सकती या यह वया व बात नह ह क नौका मनय और या कौशलाद स चलती ह वा खदा क कपा स यद लोह वा पथर क नौकाबनाकर सम म चलाव तो खदा क नशानी डब जाय वा नह इसलए यह पतक न वयान ओर न ईवर का बनाया हआ हो सकता हrdquo (प

५९०-५९१)२ अलाह

८ rdquoअलाह िजस चाह अपनी दयालता क लए खास कर ल अलाह बड़ा अनह करन वाला हrdquo (२ः१०५ प १९)समीक- rdquoया जो मखय और दया करन क योय न हो उसको भी धान बनाता और उस पर दया करता ह जो ऐसा ह तो खदा बड़ा गड़बड़या हयक फर अछा काम कौन करगा और बर कम को कौन छोड़गा यक खदा क सनता पर नभर करतह कमफल पर नह इसस

सबको अनाथा होकर कमछदसग होगाrdquo (प ५५४)९ rdquohellip और यह क अलाह अयत कठोर यातना दन वाला हrdquo (२ १६५) rdquoशतान क पद चह पर मत चलो नसदह वह तहारा खला श हrdquo (२ १६८)rdquo वह तो बस तह बराई और अललता पर उकसाता ह और इस पर क तम अलाह पर थोपकर व बात कहो जो तम नह जानतrdquo

(२ १६९ प २६)समीक- rdquoया कठोर दःख दन वाला दयाल खदा पापय पयामाओ पर ह अथवा मसलमान पर दयाल और अय पर दयाहन ह जो ऐसा ह तोवह ईवर ह नह हो सकता और पपाती नह ह तो जो मनय कह ध करगा उस पर ईवर दयाल और जो अधम करगा उस पर दड दाताहोगा तो फर बीच म महमद साहब और करान को मानना आवयक न रहा और जो सबको बराई करान वाला मनय मा का श शतान ह

उसको खदा न उपन ह य कया या वह भवयत क बात नह जानता था जो कहो क जानता था परत परा क लय बनाया तो भी नहबन सकता यक परा करना अप का काम ह सव तो सब जीव क अछ बर कम को सदा स ठक-ठक जानता ह और शतान सबकोबहकाता ह तो शतन को कसन बहकाया जो कहो क शतान आप बहमता ह तो अय भी आप स आप बहक सकत ह बीच म शतान का या

काम और जो खदा ह न शतान को बहकाया तो खदा शतान का भी शतान ठहरगा ऐसी बात ईवर को नह हो सकती और जो कोई बहकाता ह वहकसग तथा अवया स ात होता ह rdquo (प ५५७)१० rdquoजब तम ईमान वाल स कह रह थ rdquoया यह तहार लए काफ़ नह ह क तहारा रब तीन हजार फरत उतारकर तहार सहायता करrdquo

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(३ १२४ प ५८)समीक- lsquoजो मसलमान को तीन हजार फरत क साथ सहाय दता था तो अब मसलमान क बादशाह बहत-सी नट हो गई और होती जाती हय सहाय नह दता इसलए यह बात कवल लोभ क दो मखार को फसान क लय महा अयाय क हrdquo (प ५६४)

११ lsquolsquoअलाह बगाड़ को पसद नह करताrdquo (२ २०५)ह ईमानवाल तम सब इलाम म दाखल हो जाओ और शतान क पद चह पर न चलोवह तो तहारा खला श हrdquo (२ २०८ प ३१)समीक-rdquoजो झगड़ को खदा म नह समता तो य आप ह मसलमान को झगड़ा करन म रणा करता और झगड़ाल मसलमान स मताय करता ह मसलमान क मत म मलन ह स खदा राजी ह तो वह मसलमान ह का पपाती ह सब ससार का ईवर नह इसस यहा यह

वदत होता ह क न करान ईवरकत और न इसम कहा हआ ईवर हो सकता हrdquo (प ५५९)१२ rdquoवह िजसको चाह-नीत (तवदशता) दता हrdquo (२ १६९ प ४२)समीक-rdquoजब िजसको चाहता ह उसको नीत दता ह तो िजसको नह चाहता ह उसको अनीत दता होगा यह बात ईवरता क नह कत जो

पपात छोड़ सबको नीत का उपदश करता ह वह ईवर और आत हो सता ह अय नहrdquo (प ५६१)१३ rdquoफर वह िजस चाह मा कर द और िजस चाह यातना द अलाह को हर चीज़ क सामथ ात हrdquo (२ः२८४ प ४४)समीक-rdquoया मा क योय पर मा न करना अयोय पर मा करना गवरगड राजा क तय यह कम नह ह यद ईवर िजसको चाहता पापी

वा पयामा बनाता तो जीव को पाप पय न लगना चाहय जब ईवर न उसको वसा ह कया तो जीव को दःख सख भी होना न चाहए जससनापत क आा स कसी भय न कसी को मारा वा रा क उसका फलभागी वह नह होता वस व भी नहrdquo (प ५६१-५६२)१४ lsquolsquoनःसदह अलाह रती भी जम नह रकता और यद कोई एक नक हो तो वह उस कई गना बढ़ा दगा और अपनी ओर स बड़ा बदला दगाrdquo(४ ४० प ७२)

समीक-rdquoजो एक सरण (तनक) भी खदा अयाय नह करता तो पय को वगणा य दता और मसलमान का पपात य करता ह वातव म वगण वा यन फल कम का दव तो खदा अयायी हो जावrdquo (प ५६५)१५ rdquoनचय ह अलाह कपटाचारय और इनकार करन वाल-सबको जहनम म एक करन वाला हrdquo (४ १४०)helliprdquoकपटाचार अलाह क

साथ धोखबाज़ी कर रह ह हालाक उसी न उह धोख म डाल रखा हhelliprdquo (४ १४२) ह ईमानवालो ईमानवाल (मसलमान) को छोड़कर इकारकरन वाल (काफ़र) को अपना म न बनाओrdquo (४ १४४ प ८५)समीक-rdquoमसलमान क बहत और अय लोग क दोज़ख़ म जान का या माण वाह जी वाह जो बर लोग क धोख म आता और अय कोधोखा दता ह ऐसा खदा हम स अलग रह कत जो धोखबाज़ ह उनस जाकर मल कर और व उनस मल कर यक-या टशी शीतलादवी ताश

खरवाहन जस को तसा मल तभी नवाह होता ह िजसका खदा धोखबाज़ ह उसक उपासक लोग धोखबाज य न ह या दट मसलमान हो उसस मताऔर अय ठ मसलमान-भन स शता करना कसी को उचत हो सकता ह rdquo (प ५६७-५६८)

१६ lsquolsquohellip जो पहल हो चका उस अलाह न मा कर दया परत िजस कसी न फर ऐसा कया तो अलाह उसस बदला लगाrdquo ०१८८५ ९५ प१०३)समीक-rdquoकय हए पाप का मा करना जानो पाप को करन क आा द क बढ़ाना ह पाप मा करन क बात िजस पतक म हो वह न ईवरऔर न कसी ववान का बनाया ह कत पापबक ह हा अगामी पाप छड़वान क लय कसी स ाथना और वय छोड़न क लय पषाथ

पचाताप करना उचत ह परत कवल पचाताप करता रह छोड़ नह तो भी कछ नह हो सकताrdquo (प ५६९)१७ helliphelliphelliphelliphelliprdquoहालाक अलाह चाहता था क अपन वचन स सय को सय कर दखाए और इनकार करन वाल (काफ़र) क जड़ काट दrdquo(८ ७) (उसन कहा rdquohellipम इनकार करन वाल क दल म रौब (भय)डाल दता ह तो तम उनक गरदन मारो और उनक पोर-पोर पर चोट

लगाओrdquo (८ १२ प १५०)समीक-rdquoवाहजी वाह कसा खदा और कस पगबर दयाहन जो मसलमानी मत स भन काफ़र क जड़ कटवाव और खदा आा दव उनकोगदन मारो और हाथ पग क जोड़ को काटन का सहाय और सपित दव ऐसा खदा लकश स या कछ कम ह यह सब पच करान क कता का हखदा का नह यद खदा का हो तो ऐसा खदा हमस दर और हम उसस दर रहrdquo (प ५७२)

१८ rdquoउह उनका र अपनी दयालता औ सनता और ऐस लोग क शभ सचना दता ह िजनम उनक लए थायी सख-सामी ह उनम व सदवरहग नःसदह अलाह क पास बड़ा बदला हrdquo(९ २१-२२) rdquoह ईमानवालो अपन बाप और अपन भाईय को अपन म न बनाओ यद ईमान क मकाबल म क उह प हो तमम स जो कोई

उह अपना म बनाएगा तो ऐस ह लोग अयाचार हगrdquo (९ः२३) rdquoअनतः अलाह न अपन रसल पर और मोमन पर अपनी सकनत(शाित) उतार और ऐसी सनाए उतार िजनको तमन नह दखा और इनकार करन वाल को यातनाद और यह इनकार करन वाल का बदला हrdquo(९ २६) rdquoऔर इसक बाद अलाह िजसको चाहता ह उस तौबा नसीब करता हrdquo (९ २७) rdquoव कताबवाल जो न अलाह पर ईमान रखत ह और नअतम दन पर और न अलाह और उसक रसल क हराम ठहराए हए को हराम ठहरात ह और न सय धम का अनपालन करत ह उनस लड़ो यहा

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

2336agniveerfanswordpresscom20111014islam

contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

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ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

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Page 2: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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राजनीत एक ह सक क दो पहल हrdquo (मलटट इलाम)यह बात यक गर-मिलम भारतीय को भल भात समझ लना चाहए क पाकतान व बगला दश बनन क बाद भी मसलमान का एक मा

अितम लय शष भारत को भी इलामी राय बनाना और समत गर-इलामी धम जस हद बौ जन सख ईसाई आद को समात करना हजसी क उनको करान (अन महमद फाख खा १९८०) का आदश ह-(१) lsquoदनrsquo तो अलाह का इलाम हrsquo (३ः १९ प १८८)

(२) rdquoउनस य करो जहा तक क फ़तना शष न रह और lsquoदनrsquo अलाह का हो जाएrdquo (२ १९३ प १५८(३) lsquoवह ह िजसन अपन lsquoरसलrsquo को माग दशन और सच lsquoदनrsquo सय ध क साथ भजा ताक उस समत lsquoदनrsquo पर भव दान कर चाह मशरकको नापसद य न होrdquo (९ rsquo ३३ प ३७३)

इसीलए मिलम नताओ न अपनी राजनतक आकााए सपट कर द ह ndash(१) हकम अजमल खा न कहा-rdquoएक और भारत और दसर ओर एशया माइनर भावी इलामी सघ पी जजीर क दो छोर क कड़या ह जो धीर-धीर कत नचय ह बीच क सभी दश को एक वशाल सघ म जोड़न जा रह हrdquo (भाषण का अश खलाफ़त कास अहमदाबाद १९२१ आई एआर १९९२ प४४७)

(२) एफ ए दरानी न कहा-rdquoभारत-सपण भारत हमार पतक सपित ह और उसका फर स इलाम क लए वजय करना नतात आवयक हrsquoतथा पाकतान का नमाण इसलए महवपण था क उसका शवर यानी पड़ाव बनाकर शष भारत का इलामीकरण कया जा सकrdquo(पषोतम मिलम राजनीतक चतन और आकाए प ५१ ५३)

(३) कास नता एव भतपव शा मी अबल कलाम आज़ाद न पर भारत क इलामीकरण क वकालत करत हए कहा एक बार मसलमान क शासन म रह चका ह कभी भी यागा नह जा सकता और यक मसलमान का कतय ह क उस खोई हई मिलमसता को फर ात करन क लए यन कर (बी आर नदा गाधी पन इलामम इपीरयालम एड नशनलम प ११७)

(४) मौलाना कौदद का कथन ह क lsquoमिलम भी भारत क वतता क उतन ह इछक थ िजतन क दसर लोग कत वह इसको एक साधनएक पड़ाव मानत थ यय (मिजल) नह उनका यय एक ऐस राय क थापना था िजसम मसलमान को वदशी अथवा अपन ह दश क गर-मिलम क जा बनकर रहना न पड़ शासन दाल-इलाम (शरय शासन) क कपना क िजतना सभव हो नकट हो मिलम भारतसरकार म भारतीय होन क नात नह मिलम हसयत स भागीदार हrdquo (डॉ तारा चद ह ऑफ द डम मवमट खड ३ प २८७)(५) हामद दलवई का मत ह क lsquoआज भी भारत क मसलमान और पाकतान म भी भावशाल गट ह िजनक अितम माग पर भारत का

इलाम म धमातरण हrsquo (मिलम डलमा इन इडया प ३५)(६) बगलादश क जहागीर खा न rdquoबगला दश पाकतान कमीर तथा पिचमी बगाल बहार उतर दश राजथान पजाब व हरयाणा कमिलम बहल कछ भाग को मलाकर मगलयाथान नामक इलामी रा बनान का सपना सजोया हrdquo (मसलमान रसच इट यट जहागीरनगर बगलादश २०००)

उपरोत उ दय को भारत सरकार और सभी राजनतक दल को मसलमान क इन अकााओ को गभीरता स सोचना-समझना चाहए हमारा ववास ह क कास सी पी एम सपा राजद आद क वाथ नता उनक वोट क सहार कबल पर कछ दन राज करन क लए मिलमतटकरण और शाितपण िजहाद म सहयोग दकर शष भारत क इलामीकरण मसहयोग द रह ह ऐस नता तो चल जाएग लकन इनक कारण

मानवता अयाम और उ दात सकत का हद भारत सदव क लए इलामी िजहाद क भ ट म जलकर समात हो जाएगा इसलए भारत कइलामीकरण को रोकना यक दश भत का सबस पहला परम कतय ह०१ ग नानक दव (१४६९-१५३९)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnNBmvLuBAI_5ZiMhttpdevelopmentsitesforsalecomimagesGuru-Nanak-Dev-Jijpg)

हिदओ को यातनाए द गई -rdquoसयद शख मगल पठान आद सभी बहत नदयी हो गए थ और व हदओ को भीषण यातनाए द रह थ उहनहदओ को ग आद मासभी पण क आग डाल दया अनक (हदओ) को उनक शरर म कल ठकर मार डाला गया अय अनक कोकत स नचवाकर मरवा दया गया िजहन इलाम म धमातरत होना वीकार नह कया उह अय अनक कार स यातनाए द ग यऔर हवन करन पर तबध लगा दया गया और िजहन इस आा का उललघन कया उह मा मागनी पड़ी हदओ क सदर िय काअपहरण कया गया और उह जबरदती मसलमान क घर म रखा गया यायाधीश न रवत लकर अपन नणय वारा सच को झठ म बदलदयाrdquo

(नानक काश तथा मनाथ जोशी क पतक lsquoपन इलामम रौलग बकrsquo क प ८० स)

०२ ग समथ रामदास (१६०८-१६८०)

(httpt3gstaticcomimages

q=tbnJd7X9VfGLVmJtMhttpinnervoicesulekhacommstoreinnervoicealbumsdefaultramdasjijpg)शिवजी महाराज क ग स सत समथ रामदास न हदओ क िथत जो उहन १६३२-४४ म दखी उस उहन अपन थ lsquoदास बोधrsquo म

इस कार यत कया

(१) rdquoऊची और नीची सभी जातय क अगणत हद िय को यातनाए द ग और उनका बलाकार कया गया अनक बद बनाई ग औरउह दर दश म बचा गया अनक सदर िय न यातनाओ स दखी होकर आमहया कर ल ह

(२) lsquoलोग क धन-सपित जत कर ल गई ह भय क कारण स अनक न अपन घर बार छोड़ दए और इस या म अनक मर गए लोग

को कपड़ा और भाजन ात नह हrdquo(३) rdquoअनक लोग दकम म ढ़कल दए गए ह जबक अनक बलात लाम म धमातरत कर दए गए ह अगणत बच चीख-चीखकर रो रह ह

436agniveerfanswordpresscom20111014islam

यक उनक मा-बाप क हया कर द गई या उह बद बना कर दर ल जाया गया हrdquo

(४) rdquoअनक न वष खाकर अपना जीवन समात कर लया अनक न पानी म डबकर जान द द तथा अनक जला दए गए या िजदा गाढ़दएगएrdquo

(५) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo(६) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo

(७) rdquoजब व भोजन करन क तीा कर रह होत ह यकायक रोन व चीखन क आवाज़ सनाई दन लगती ह और इन हमल म कसी क पनी कबलात अपहरण हो जाता ह कसी का सामान छना झपटा या लट लया जाता हrdquo

(८) rdquoआमणकार मसलमान पशवत नदयी होत ह व सव बहतायत म ह व पछल सकड़ वष स अपन घणत काय करत चल आ रह ह

इसलए ह राजन (शवाजी महाराज) सावधान रहनाrdquo(डॉ एस डी कलकण कत lsquoएकाटर वद इलाम प २६७-२६८ स)

०३ राजा राम मोहन रॉय (१७७२-१८३३)

(httpt0gstaticcomimages

q=tbnVdZkTKrcagHwRMhttpwwwfreeindiaorgbiographiesgreatpersonalitiesroyroyjpg)मसलमान वारा हदओ पर अयाचार -rdquoमसलमान न हदओ पर अयधक अयाचार कए ह वशषकर ा मण पर यक व

लगातार हद धम म अडग बन रह और उहन मसलमान वारा अकथनीय अयाचार और मय दड क धमकय क बावजद भी अपनधम को नह यागामसलमान न यह मान रखा ह क उनक लए करान क आयत अलाह का हम ह और उहन निचत कर रखा ह क

उनक लए यह अलाह का आदश ह क व मतपजक (हदओ) को यातनाए द और उनक हया कर मसलमान क अनसार lsquoसब

मतपजक (हदओ) म स ा मण सबस नीच ह यह कारण ह क मसलमान धमाध हो गए और उहन गर-मिलम (हद बौ ईसाईआद) को धामक उमाद म मारन म कोई कमी नह रखीrdquo

(राजा राममोहन रॉय क सपण वा ऋमय स प ७२६-७२७ हराफ पिलकशस कोलकता १९७३)

०४ महष दयानद सरवती (१२२१८२५-२०१०१८८२)

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(httpagniveerfansfileswordpresscom2011100484jpg)

महष दयानद सरवती न अपन सस थ lsquoसयाथ काशrsquo क चौदहव समलास (अयाय) म इलाम

क धम थ करान क १६१ आयत या आयत समह क समीा क ह यहा इह म स कछ आयत कसमीा सावदशक आय तनध सभा रामलला मदान नई दल वारा १९७५ म काशत सयाथ

काश क पठ ५४३ स ६१२ तक स ल गई ह जबक करान क व ह पर क पर आयत lsquoपव करआनrsquo

(अनवादक मौलाना महमद फाक रवा और डॉमहमद अहमद काशक मधर सदश सगमजामयानगर नई दल २००५) म दखी जा सकती ह सदभ म पहल सरा और बाद म आयत का सखया

म दया गया ह

सवामी जी न करान क समीा करन स पहल अपना मतय इस समलास क ारभ म द गईअनभमका (४) म ननलखत कार स यत कया ह-

rdquoयह लख कवल मनय क उनत और सयासय क नणय क लए सब मत क वषय का थोड़ा-थोड़ा ान होव इसस मनय को परपर वचार करन का समय मल और एक-दसर क दोष का

खडन कर गण का हण कर न कसी अय मत पर न इस मत पर झठ-मठ बराई व भलाई लगान

का योजन ह कत जो-जो भलाई ह वह भलाई और जो बराई ह वह बराई सबको वदत होवrdquordquoयह लख हठ दराह ईया वष वाद-ववाद और वरोध घटान क लए कया गया ह न क इनको

बढ़ान क अथ यक एक दसर क हान करन स पथक रह परपर को लाभ पहचाना हमारा मखयकम ह अब यह चौदहव समलास म मसलमान का मत वषय सब सजन क सामन नवदन करता

ह वचार कर इट का हण अनट का परयाग किजएrdquo (प५४३)

१ करान

१ rdquoआरभ साथ नाम अलाह क मा करन वाला दयाल rdquo (१ १)समीक-rdquoमसलमान लोग ऐसा कहत ह क यह करान खदा का कहा ह परत इस वचन स वदत होता ह क इसका बनान वाला कोई दसरा ह

यक जो परमवर का बनाया होता तो rdquoआरभ साथ नाम अलाह कrdquo ऐसा न कहता कत rdquoआरभ वात उपदश मनय कrdquo ऐसा कहताrdquo (प५४४)२ rdquoसब तत परमवर क वात ह जो परबरदगार अथात पालन करन हारा ह तब ससार का मा करन वाला दयाल हrdquo

समीक-rdquoजो करान का खदा ससार का पालन करन हारा होता और सब पर मा और दया करता ह तो अय मत वाल और पश आद को भीमसलमान क हाथ स मरवान का हकम न दता जो मा करन हारा ह तो या पापय पर भी मा करगा और जो वसा ह तो अग लखग क

rdquoकाफ़र को कतल करोrdquo अथात जो करान और पगबर को न मान व काफ़र ह ऐसा य कहता ह इसलए करान ईवरकत नह दखताrdquo (प५४४-५४५)

३ rdquoदखा उन लोग का राता क िजन पर तनप नआमत क और उनका माग मत दखा क िजनक ऊपर त न गज़ब अथात अयतोध क िट

क और न गमराह का माग हमको दखाrdquo (१ ६)समीक-rdquoजब मसलमान लोग पवजम और पवकत पाप-पय नह मानत तो कह पर नआमत अथात फ़जल या दया करन और कह पर न

करन स खदा पपाती हो जायगा यक बना पाप-पय सख-दःख दना कवल अयाय क बात ह और बना कारण कसी पर दया और कसी परोध िट करना भी वभाव स बहः ह वह दया अथवा ोध नह कर सकता और जब उनक पव सचत पय पाप ह नह तो कसी पर दया और

कसी पर ोध करना नह हो सकता और इस सरः क टपणी पर rdquoयह सरः अलाह साहब न मनय क मखय स कहलाई क सदा इस कार सकहा करrdquo जो यह बात ह तो lsquoअलफ बrdquo आद अर भी खदा ह न पढ़ाय हग जो कहो क बना अरान क इस सरः को कस पढ़ सक या कठ

ह स बलाए और बोलत गय जो ऐसा ह तो सब करान ह कठ स पढ़ाया होगा इसस ऐसा समझना चाहए क िजस पतक म पपात क बात पाई

जाय वह पतक ईवरकत नह हो सकता जसा क अरबी भाषा म उतारन स अरबवाल को इसका पढ़ना सगम अय भाषा बोलन वाल कोकठनहोता ह इसी स खदा म पपात आता ह और जस परमवर न सिटथ सब दशथ मनय पर याय िट स सब दश भाषाओ स लण

सकत भाषा क जो सब दशवाल क लए एक स परम स वदत होती ह उसी म वद का काश कया ह करता तो यह दोष नह होताrdquo (प५४५-५४६)

४ rdquoह नबी तहार लए अलाह और तहार ईमान वाल अनयायी ह काफ़ ह lsquoह रबी मोमन को िजहाद पर उभारो यद तहार पास पचास बीसआदमी जम हग तो व दो सौ पर भावी हग और यद तमम स ऐस सौ हग तो व इकार करन वाल म स एक हजार पर भावी हग यक व

नासमझ लोग हrdquo (८ः६४-६५ प १५५)

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rdquoअतः जो कछ गनीमत (लट) का माल तमन ात कया ह उस वध-पव समझकर खाओ और अलाह का डर रखोrdquo

समीक-rdquoभला यह कौन-सी याय वता और धम क बात ह क जो अपना प कर और चाह अयाय भी कर उसी का प और लाभ पहचाव और जो जा म शाित भग करक लड़ाई कर कराव और लट मार क पदाथ को हलाल बतलाव और फर उसी कानाम मावान दयाललख यह बात

खदा क तो या कत कसी भल आदमी क भी नह हो सकती ऐसी-ऐसी बात स करान ईवर वाय कभी नह हो सकताrdquo (प ५७४)५ rdquoऔर इसी कार हमन इस (करआन) को एक अरबी फरमान क प म उतारा ह अब यद तम उस ान क पचात भी जो तहार पास आ चका ह

उसक इछाओ क पीछ चल तो अलाह क मकाबल म न तो तहारा कोई सहायक म होगा औन न कोई बचान वालाrdquoहम जो वादा उनस कर रह ह चाह उसम स कछ हम तह दख द या तह उठा ल तहारा दायव तो बस सदश का पहचा दना ह ह हसाब लना तो

हमार िजम हrdquo (१३ः४० प २१२-२१३)

समीक-rdquoकरान कधर क ओर स उतारा या खदा ऊपर रहता ह जो यह बात सच ह तो वह एकदशी होन स ईखवर ह नह हो सकता यकईवर सब ठकान एकरस यापक ह पगााम पहचाना हकार का काम ह और हकार क आवयकता उसी को होती ह जो मनयवत एकदशी हो

और हसाब लना दना भी मनय का काम ह ईवर का नह यक वह सव ह यह नचय होता ह क कसी अप मनय का बनाया करान हrdquo(प ५७९)

६ rdquoऔर जो तौबा कर ल और ईमान लाए और अछा कम कर फर सीध माग पर चलता रह उसक लए नचय ह म अयत माशील हrdquo

८२ प २७२)समीक-rdquoजो तोबाः स पाप मा करन क बात करान म ह यह सबको पापी करान वाल ह यक पापय को इसस पाप करन का साहस बहत बढ़

जाता ह इसस यह पतक और इसका बनान वाला पापय को पाप करन म हौसला बढ़ान वाला ह इसस यह पतक परमवर कत और इसम कहाहआ परमवर भी नह हो सकताrdquo (प ५८४)

७ rdquo(जो आयत उतर ह ह) व तवान स परपण कताब क आयत हrdquo (३१२) rdquoउसन आकाश को पदा कया (जो थम हए ह) बना ऐस तभ कजो तह दखाई द और उसन धरती म पहाड़ डाल दए क ऐसा न हो क तह लकर डावाडोल हो जाएrdquo hellip (३११०) rdquoया तमन दखा नह क अलाह

रात को दन म वट करता ह और दन को रात म वट करता हrdquohelliphelliphelliphellip(३१ २९) rdquoया तमन दखा नह क नौका सम म अलाह क

अनह स चलती ह ताक वह तह अपनी नशानया दखाएrdquo (३१ ३१ प ३६०-३६२)समीक-वाह जी वाह हमतवालकताब क िजसम सवथा वया स व आकाश क उपित और उसम खभ लगान क शका और पवी को

िथर रखन क लए पहाड़ रखना थोड़ी-सी वया वाला भी ऐसा लख कभी नह करता और न मानता और हकमत दखो क जहा दन ह वहा रात नहओर जहा रात ह वहा दन नह उसको एक दसर म वश कराना लखता ह यह बड़ अवयान क बात ह इसलए यह करान वया क पतक नह

हो सकती या यह वया व बात नह ह क नौका मनय और या कौशलाद स चलती ह वा खदा क कपा स यद लोह वा पथर क नौकाबनाकर सम म चलाव तो खदा क नशानी डब जाय वा नह इसलए यह पतक न वयान ओर न ईवर का बनाया हआ हो सकता हrdquo (प

५९०-५९१)२ अलाह

८ rdquoअलाह िजस चाह अपनी दयालता क लए खास कर ल अलाह बड़ा अनह करन वाला हrdquo (२ः१०५ प १९)समीक- rdquoया जो मखय और दया करन क योय न हो उसको भी धान बनाता और उस पर दया करता ह जो ऐसा ह तो खदा बड़ा गड़बड़या हयक फर अछा काम कौन करगा और बर कम को कौन छोड़गा यक खदा क सनता पर नभर करतह कमफल पर नह इसस

सबको अनाथा होकर कमछदसग होगाrdquo (प ५५४)९ rdquohellip और यह क अलाह अयत कठोर यातना दन वाला हrdquo (२ १६५) rdquoशतान क पद चह पर मत चलो नसदह वह तहारा खला श हrdquo (२ १६८)rdquo वह तो बस तह बराई और अललता पर उकसाता ह और इस पर क तम अलाह पर थोपकर व बात कहो जो तम नह जानतrdquo

(२ १६९ प २६)समीक- rdquoया कठोर दःख दन वाला दयाल खदा पापय पयामाओ पर ह अथवा मसलमान पर दयाल और अय पर दयाहन ह जो ऐसा ह तोवह ईवर ह नह हो सकता और पपाती नह ह तो जो मनय कह ध करगा उस पर ईवर दयाल और जो अधम करगा उस पर दड दाताहोगा तो फर बीच म महमद साहब और करान को मानना आवयक न रहा और जो सबको बराई करान वाला मनय मा का श शतान ह

उसको खदा न उपन ह य कया या वह भवयत क बात नह जानता था जो कहो क जानता था परत परा क लय बनाया तो भी नहबन सकता यक परा करना अप का काम ह सव तो सब जीव क अछ बर कम को सदा स ठक-ठक जानता ह और शतान सबकोबहकाता ह तो शतन को कसन बहकाया जो कहो क शतान आप बहमता ह तो अय भी आप स आप बहक सकत ह बीच म शतान का या

काम और जो खदा ह न शतान को बहकाया तो खदा शतान का भी शतान ठहरगा ऐसी बात ईवर को नह हो सकती और जो कोई बहकाता ह वहकसग तथा अवया स ात होता ह rdquo (प ५५७)१० rdquoजब तम ईमान वाल स कह रह थ rdquoया यह तहार लए काफ़ नह ह क तहारा रब तीन हजार फरत उतारकर तहार सहायता करrdquo

736agniveerfanswordpresscom20111014islam

(३ १२४ प ५८)समीक- lsquoजो मसलमान को तीन हजार फरत क साथ सहाय दता था तो अब मसलमान क बादशाह बहत-सी नट हो गई और होती जाती हय सहाय नह दता इसलए यह बात कवल लोभ क दो मखार को फसान क लय महा अयाय क हrdquo (प ५६४)

११ lsquolsquoअलाह बगाड़ को पसद नह करताrdquo (२ २०५)ह ईमानवाल तम सब इलाम म दाखल हो जाओ और शतान क पद चह पर न चलोवह तो तहारा खला श हrdquo (२ २०८ प ३१)समीक-rdquoजो झगड़ को खदा म नह समता तो य आप ह मसलमान को झगड़ा करन म रणा करता और झगड़ाल मसलमान स मताय करता ह मसलमान क मत म मलन ह स खदा राजी ह तो वह मसलमान ह का पपाती ह सब ससार का ईवर नह इसस यहा यह

वदत होता ह क न करान ईवरकत और न इसम कहा हआ ईवर हो सकता हrdquo (प ५५९)१२ rdquoवह िजसको चाह-नीत (तवदशता) दता हrdquo (२ १६९ प ४२)समीक-rdquoजब िजसको चाहता ह उसको नीत दता ह तो िजसको नह चाहता ह उसको अनीत दता होगा यह बात ईवरता क नह कत जो

पपात छोड़ सबको नीत का उपदश करता ह वह ईवर और आत हो सता ह अय नहrdquo (प ५६१)१३ rdquoफर वह िजस चाह मा कर द और िजस चाह यातना द अलाह को हर चीज़ क सामथ ात हrdquo (२ः२८४ प ४४)समीक-rdquoया मा क योय पर मा न करना अयोय पर मा करना गवरगड राजा क तय यह कम नह ह यद ईवर िजसको चाहता पापी

वा पयामा बनाता तो जीव को पाप पय न लगना चाहय जब ईवर न उसको वसा ह कया तो जीव को दःख सख भी होना न चाहए जससनापत क आा स कसी भय न कसी को मारा वा रा क उसका फलभागी वह नह होता वस व भी नहrdquo (प ५६१-५६२)१४ lsquolsquoनःसदह अलाह रती भी जम नह रकता और यद कोई एक नक हो तो वह उस कई गना बढ़ा दगा और अपनी ओर स बड़ा बदला दगाrdquo(४ ४० प ७२)

समीक-rdquoजो एक सरण (तनक) भी खदा अयाय नह करता तो पय को वगणा य दता और मसलमान का पपात य करता ह वातव म वगण वा यन फल कम का दव तो खदा अयायी हो जावrdquo (प ५६५)१५ rdquoनचय ह अलाह कपटाचारय और इनकार करन वाल-सबको जहनम म एक करन वाला हrdquo (४ १४०)helliprdquoकपटाचार अलाह क

साथ धोखबाज़ी कर रह ह हालाक उसी न उह धोख म डाल रखा हhelliprdquo (४ १४२) ह ईमानवालो ईमानवाल (मसलमान) को छोड़कर इकारकरन वाल (काफ़र) को अपना म न बनाओrdquo (४ १४४ प ८५)समीक-rdquoमसलमान क बहत और अय लोग क दोज़ख़ म जान का या माण वाह जी वाह जो बर लोग क धोख म आता और अय कोधोखा दता ह ऐसा खदा हम स अलग रह कत जो धोखबाज़ ह उनस जाकर मल कर और व उनस मल कर यक-या टशी शीतलादवी ताश

खरवाहन जस को तसा मल तभी नवाह होता ह िजसका खदा धोखबाज़ ह उसक उपासक लोग धोखबाज य न ह या दट मसलमान हो उसस मताऔर अय ठ मसलमान-भन स शता करना कसी को उचत हो सकता ह rdquo (प ५६७-५६८)

१६ lsquolsquohellip जो पहल हो चका उस अलाह न मा कर दया परत िजस कसी न फर ऐसा कया तो अलाह उसस बदला लगाrdquo ०१८८५ ९५ प१०३)समीक-rdquoकय हए पाप का मा करना जानो पाप को करन क आा द क बढ़ाना ह पाप मा करन क बात िजस पतक म हो वह न ईवरऔर न कसी ववान का बनाया ह कत पापबक ह हा अगामी पाप छड़वान क लय कसी स ाथना और वय छोड़न क लय पषाथ

पचाताप करना उचत ह परत कवल पचाताप करता रह छोड़ नह तो भी कछ नह हो सकताrdquo (प ५६९)१७ helliphelliphelliphelliphelliprdquoहालाक अलाह चाहता था क अपन वचन स सय को सय कर दखाए और इनकार करन वाल (काफ़र) क जड़ काट दrdquo(८ ७) (उसन कहा rdquohellipम इनकार करन वाल क दल म रौब (भय)डाल दता ह तो तम उनक गरदन मारो और उनक पोर-पोर पर चोट

लगाओrdquo (८ १२ प १५०)समीक-rdquoवाहजी वाह कसा खदा और कस पगबर दयाहन जो मसलमानी मत स भन काफ़र क जड़ कटवाव और खदा आा दव उनकोगदन मारो और हाथ पग क जोड़ को काटन का सहाय और सपित दव ऐसा खदा लकश स या कछ कम ह यह सब पच करान क कता का हखदा का नह यद खदा का हो तो ऐसा खदा हमस दर और हम उसस दर रहrdquo (प ५७२)

१८ rdquoउह उनका र अपनी दयालता औ सनता और ऐस लोग क शभ सचना दता ह िजनम उनक लए थायी सख-सामी ह उनम व सदवरहग नःसदह अलाह क पास बड़ा बदला हrdquo(९ २१-२२) rdquoह ईमानवालो अपन बाप और अपन भाईय को अपन म न बनाओ यद ईमान क मकाबल म क उह प हो तमम स जो कोई

उह अपना म बनाएगा तो ऐस ह लोग अयाचार हगrdquo (९ः२३) rdquoअनतः अलाह न अपन रसल पर और मोमन पर अपनी सकनत(शाित) उतार और ऐसी सनाए उतार िजनको तमन नह दखा और इनकार करन वाल को यातनाद और यह इनकार करन वाल का बदला हrdquo(९ २६) rdquoऔर इसक बाद अलाह िजसको चाहता ह उस तौबा नसीब करता हrdquo (९ २७) rdquoव कताबवाल जो न अलाह पर ईमान रखत ह और नअतम दन पर और न अलाह और उसक रसल क हराम ठहराए हए को हराम ठहरात ह और न सय धम का अनपालन करत ह उनस लड़ो यहा

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

2336agniveerfanswordpresscom20111014islam

contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnNBmvLuBAI_5ZiMhttpdevelopmentsitesforsalecomimagesGuru-Nanak-Dev-Jijpg)

हिदओ को यातनाए द गई -rdquoसयद शख मगल पठान आद सभी बहत नदयी हो गए थ और व हदओ को भीषण यातनाए द रह थ उहनहदओ को ग आद मासभी पण क आग डाल दया अनक (हदओ) को उनक शरर म कल ठकर मार डाला गया अय अनक कोकत स नचवाकर मरवा दया गया िजहन इलाम म धमातरत होना वीकार नह कया उह अय अनक कार स यातनाए द ग यऔर हवन करन पर तबध लगा दया गया और िजहन इस आा का उललघन कया उह मा मागनी पड़ी हदओ क सदर िय काअपहरण कया गया और उह जबरदती मसलमान क घर म रखा गया यायाधीश न रवत लकर अपन नणय वारा सच को झठ म बदलदयाrdquo

(नानक काश तथा मनाथ जोशी क पतक lsquoपन इलामम रौलग बकrsquo क प ८० स)

०२ ग समथ रामदास (१६०८-१६८०)

(httpt3gstaticcomimages

q=tbnJd7X9VfGLVmJtMhttpinnervoicesulekhacommstoreinnervoicealbumsdefaultramdasjijpg)शिवजी महाराज क ग स सत समथ रामदास न हदओ क िथत जो उहन १६३२-४४ म दखी उस उहन अपन थ lsquoदास बोधrsquo म

इस कार यत कया

(१) rdquoऊची और नीची सभी जातय क अगणत हद िय को यातनाए द ग और उनका बलाकार कया गया अनक बद बनाई ग औरउह दर दश म बचा गया अनक सदर िय न यातनाओ स दखी होकर आमहया कर ल ह

(२) lsquoलोग क धन-सपित जत कर ल गई ह भय क कारण स अनक न अपन घर बार छोड़ दए और इस या म अनक मर गए लोग

को कपड़ा और भाजन ात नह हrdquo(३) rdquoअनक लोग दकम म ढ़कल दए गए ह जबक अनक बलात लाम म धमातरत कर दए गए ह अगणत बच चीख-चीखकर रो रह ह

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यक उनक मा-बाप क हया कर द गई या उह बद बना कर दर ल जाया गया हrdquo

(४) rdquoअनक न वष खाकर अपना जीवन समात कर लया अनक न पानी म डबकर जान द द तथा अनक जला दए गए या िजदा गाढ़दएगएrdquo

(५) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo(६) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo

(७) rdquoजब व भोजन करन क तीा कर रह होत ह यकायक रोन व चीखन क आवाज़ सनाई दन लगती ह और इन हमल म कसी क पनी कबलात अपहरण हो जाता ह कसी का सामान छना झपटा या लट लया जाता हrdquo

(८) rdquoआमणकार मसलमान पशवत नदयी होत ह व सव बहतायत म ह व पछल सकड़ वष स अपन घणत काय करत चल आ रह ह

इसलए ह राजन (शवाजी महाराज) सावधान रहनाrdquo(डॉ एस डी कलकण कत lsquoएकाटर वद इलाम प २६७-२६८ स)

०३ राजा राम मोहन रॉय (१७७२-१८३३)

(httpt0gstaticcomimages

q=tbnVdZkTKrcagHwRMhttpwwwfreeindiaorgbiographiesgreatpersonalitiesroyroyjpg)मसलमान वारा हदओ पर अयाचार -rdquoमसलमान न हदओ पर अयधक अयाचार कए ह वशषकर ा मण पर यक व

लगातार हद धम म अडग बन रह और उहन मसलमान वारा अकथनीय अयाचार और मय दड क धमकय क बावजद भी अपनधम को नह यागामसलमान न यह मान रखा ह क उनक लए करान क आयत अलाह का हम ह और उहन निचत कर रखा ह क

उनक लए यह अलाह का आदश ह क व मतपजक (हदओ) को यातनाए द और उनक हया कर मसलमान क अनसार lsquoसब

मतपजक (हदओ) म स ा मण सबस नीच ह यह कारण ह क मसलमान धमाध हो गए और उहन गर-मिलम (हद बौ ईसाईआद) को धामक उमाद म मारन म कोई कमी नह रखीrdquo

(राजा राममोहन रॉय क सपण वा ऋमय स प ७२६-७२७ हराफ पिलकशस कोलकता १९७३)

०४ महष दयानद सरवती (१२२१८२५-२०१०१८८२)

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महष दयानद सरवती न अपन सस थ lsquoसयाथ काशrsquo क चौदहव समलास (अयाय) म इलाम

क धम थ करान क १६१ आयत या आयत समह क समीा क ह यहा इह म स कछ आयत कसमीा सावदशक आय तनध सभा रामलला मदान नई दल वारा १९७५ म काशत सयाथ

काश क पठ ५४३ स ६१२ तक स ल गई ह जबक करान क व ह पर क पर आयत lsquoपव करआनrsquo

(अनवादक मौलाना महमद फाक रवा और डॉमहमद अहमद काशक मधर सदश सगमजामयानगर नई दल २००५) म दखी जा सकती ह सदभ म पहल सरा और बाद म आयत का सखया

म दया गया ह

सवामी जी न करान क समीा करन स पहल अपना मतय इस समलास क ारभ म द गईअनभमका (४) म ननलखत कार स यत कया ह-

rdquoयह लख कवल मनय क उनत और सयासय क नणय क लए सब मत क वषय का थोड़ा-थोड़ा ान होव इसस मनय को परपर वचार करन का समय मल और एक-दसर क दोष का

खडन कर गण का हण कर न कसी अय मत पर न इस मत पर झठ-मठ बराई व भलाई लगान

का योजन ह कत जो-जो भलाई ह वह भलाई और जो बराई ह वह बराई सबको वदत होवrdquordquoयह लख हठ दराह ईया वष वाद-ववाद और वरोध घटान क लए कया गया ह न क इनको

बढ़ान क अथ यक एक दसर क हान करन स पथक रह परपर को लाभ पहचाना हमारा मखयकम ह अब यह चौदहव समलास म मसलमान का मत वषय सब सजन क सामन नवदन करता

ह वचार कर इट का हण अनट का परयाग किजएrdquo (प५४३)

१ करान

१ rdquoआरभ साथ नाम अलाह क मा करन वाला दयाल rdquo (१ १)समीक-rdquoमसलमान लोग ऐसा कहत ह क यह करान खदा का कहा ह परत इस वचन स वदत होता ह क इसका बनान वाला कोई दसरा ह

यक जो परमवर का बनाया होता तो rdquoआरभ साथ नाम अलाह कrdquo ऐसा न कहता कत rdquoआरभ वात उपदश मनय कrdquo ऐसा कहताrdquo (प५४४)२ rdquoसब तत परमवर क वात ह जो परबरदगार अथात पालन करन हारा ह तब ससार का मा करन वाला दयाल हrdquo

समीक-rdquoजो करान का खदा ससार का पालन करन हारा होता और सब पर मा और दया करता ह तो अय मत वाल और पश आद को भीमसलमान क हाथ स मरवान का हकम न दता जो मा करन हारा ह तो या पापय पर भी मा करगा और जो वसा ह तो अग लखग क

rdquoकाफ़र को कतल करोrdquo अथात जो करान और पगबर को न मान व काफ़र ह ऐसा य कहता ह इसलए करान ईवरकत नह दखताrdquo (प५४४-५४५)

३ rdquoदखा उन लोग का राता क िजन पर तनप नआमत क और उनका माग मत दखा क िजनक ऊपर त न गज़ब अथात अयतोध क िट

क और न गमराह का माग हमको दखाrdquo (१ ६)समीक-rdquoजब मसलमान लोग पवजम और पवकत पाप-पय नह मानत तो कह पर नआमत अथात फ़जल या दया करन और कह पर न

करन स खदा पपाती हो जायगा यक बना पाप-पय सख-दःख दना कवल अयाय क बात ह और बना कारण कसी पर दया और कसी परोध िट करना भी वभाव स बहः ह वह दया अथवा ोध नह कर सकता और जब उनक पव सचत पय पाप ह नह तो कसी पर दया और

कसी पर ोध करना नह हो सकता और इस सरः क टपणी पर rdquoयह सरः अलाह साहब न मनय क मखय स कहलाई क सदा इस कार सकहा करrdquo जो यह बात ह तो lsquoअलफ बrdquo आद अर भी खदा ह न पढ़ाय हग जो कहो क बना अरान क इस सरः को कस पढ़ सक या कठ

ह स बलाए और बोलत गय जो ऐसा ह तो सब करान ह कठ स पढ़ाया होगा इसस ऐसा समझना चाहए क िजस पतक म पपात क बात पाई

जाय वह पतक ईवरकत नह हो सकता जसा क अरबी भाषा म उतारन स अरबवाल को इसका पढ़ना सगम अय भाषा बोलन वाल कोकठनहोता ह इसी स खदा म पपात आता ह और जस परमवर न सिटथ सब दशथ मनय पर याय िट स सब दश भाषाओ स लण

सकत भाषा क जो सब दशवाल क लए एक स परम स वदत होती ह उसी म वद का काश कया ह करता तो यह दोष नह होताrdquo (प५४५-५४६)

४ rdquoह नबी तहार लए अलाह और तहार ईमान वाल अनयायी ह काफ़ ह lsquoह रबी मोमन को िजहाद पर उभारो यद तहार पास पचास बीसआदमी जम हग तो व दो सौ पर भावी हग और यद तमम स ऐस सौ हग तो व इकार करन वाल म स एक हजार पर भावी हग यक व

नासमझ लोग हrdquo (८ः६४-६५ प १५५)

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rdquoअतः जो कछ गनीमत (लट) का माल तमन ात कया ह उस वध-पव समझकर खाओ और अलाह का डर रखोrdquo

समीक-rdquoभला यह कौन-सी याय वता और धम क बात ह क जो अपना प कर और चाह अयाय भी कर उसी का प और लाभ पहचाव और जो जा म शाित भग करक लड़ाई कर कराव और लट मार क पदाथ को हलाल बतलाव और फर उसी कानाम मावान दयाललख यह बात

खदा क तो या कत कसी भल आदमी क भी नह हो सकती ऐसी-ऐसी बात स करान ईवर वाय कभी नह हो सकताrdquo (प ५७४)५ rdquoऔर इसी कार हमन इस (करआन) को एक अरबी फरमान क प म उतारा ह अब यद तम उस ान क पचात भी जो तहार पास आ चका ह

उसक इछाओ क पीछ चल तो अलाह क मकाबल म न तो तहारा कोई सहायक म होगा औन न कोई बचान वालाrdquoहम जो वादा उनस कर रह ह चाह उसम स कछ हम तह दख द या तह उठा ल तहारा दायव तो बस सदश का पहचा दना ह ह हसाब लना तो

हमार िजम हrdquo (१३ः४० प २१२-२१३)

समीक-rdquoकरान कधर क ओर स उतारा या खदा ऊपर रहता ह जो यह बात सच ह तो वह एकदशी होन स ईखवर ह नह हो सकता यकईवर सब ठकान एकरस यापक ह पगााम पहचाना हकार का काम ह और हकार क आवयकता उसी को होती ह जो मनयवत एकदशी हो

और हसाब लना दना भी मनय का काम ह ईवर का नह यक वह सव ह यह नचय होता ह क कसी अप मनय का बनाया करान हrdquo(प ५७९)

६ rdquoऔर जो तौबा कर ल और ईमान लाए और अछा कम कर फर सीध माग पर चलता रह उसक लए नचय ह म अयत माशील हrdquo

८२ प २७२)समीक-rdquoजो तोबाः स पाप मा करन क बात करान म ह यह सबको पापी करान वाल ह यक पापय को इसस पाप करन का साहस बहत बढ़

जाता ह इसस यह पतक और इसका बनान वाला पापय को पाप करन म हौसला बढ़ान वाला ह इसस यह पतक परमवर कत और इसम कहाहआ परमवर भी नह हो सकताrdquo (प ५८४)

७ rdquo(जो आयत उतर ह ह) व तवान स परपण कताब क आयत हrdquo (३१२) rdquoउसन आकाश को पदा कया (जो थम हए ह) बना ऐस तभ कजो तह दखाई द और उसन धरती म पहाड़ डाल दए क ऐसा न हो क तह लकर डावाडोल हो जाएrdquo hellip (३११०) rdquoया तमन दखा नह क अलाह

रात को दन म वट करता ह और दन को रात म वट करता हrdquohelliphelliphelliphellip(३१ २९) rdquoया तमन दखा नह क नौका सम म अलाह क

अनह स चलती ह ताक वह तह अपनी नशानया दखाएrdquo (३१ ३१ प ३६०-३६२)समीक-वाह जी वाह हमतवालकताब क िजसम सवथा वया स व आकाश क उपित और उसम खभ लगान क शका और पवी को

िथर रखन क लए पहाड़ रखना थोड़ी-सी वया वाला भी ऐसा लख कभी नह करता और न मानता और हकमत दखो क जहा दन ह वहा रात नहओर जहा रात ह वहा दन नह उसको एक दसर म वश कराना लखता ह यह बड़ अवयान क बात ह इसलए यह करान वया क पतक नह

हो सकती या यह वया व बात नह ह क नौका मनय और या कौशलाद स चलती ह वा खदा क कपा स यद लोह वा पथर क नौकाबनाकर सम म चलाव तो खदा क नशानी डब जाय वा नह इसलए यह पतक न वयान ओर न ईवर का बनाया हआ हो सकता हrdquo (प

५९०-५९१)२ अलाह

८ rdquoअलाह िजस चाह अपनी दयालता क लए खास कर ल अलाह बड़ा अनह करन वाला हrdquo (२ः१०५ प १९)समीक- rdquoया जो मखय और दया करन क योय न हो उसको भी धान बनाता और उस पर दया करता ह जो ऐसा ह तो खदा बड़ा गड़बड़या हयक फर अछा काम कौन करगा और बर कम को कौन छोड़गा यक खदा क सनता पर नभर करतह कमफल पर नह इसस

सबको अनाथा होकर कमछदसग होगाrdquo (प ५५४)९ rdquohellip और यह क अलाह अयत कठोर यातना दन वाला हrdquo (२ १६५) rdquoशतान क पद चह पर मत चलो नसदह वह तहारा खला श हrdquo (२ १६८)rdquo वह तो बस तह बराई और अललता पर उकसाता ह और इस पर क तम अलाह पर थोपकर व बात कहो जो तम नह जानतrdquo

(२ १६९ प २६)समीक- rdquoया कठोर दःख दन वाला दयाल खदा पापय पयामाओ पर ह अथवा मसलमान पर दयाल और अय पर दयाहन ह जो ऐसा ह तोवह ईवर ह नह हो सकता और पपाती नह ह तो जो मनय कह ध करगा उस पर ईवर दयाल और जो अधम करगा उस पर दड दाताहोगा तो फर बीच म महमद साहब और करान को मानना आवयक न रहा और जो सबको बराई करान वाला मनय मा का श शतान ह

उसको खदा न उपन ह य कया या वह भवयत क बात नह जानता था जो कहो क जानता था परत परा क लय बनाया तो भी नहबन सकता यक परा करना अप का काम ह सव तो सब जीव क अछ बर कम को सदा स ठक-ठक जानता ह और शतान सबकोबहकाता ह तो शतन को कसन बहकाया जो कहो क शतान आप बहमता ह तो अय भी आप स आप बहक सकत ह बीच म शतान का या

काम और जो खदा ह न शतान को बहकाया तो खदा शतान का भी शतान ठहरगा ऐसी बात ईवर को नह हो सकती और जो कोई बहकाता ह वहकसग तथा अवया स ात होता ह rdquo (प ५५७)१० rdquoजब तम ईमान वाल स कह रह थ rdquoया यह तहार लए काफ़ नह ह क तहारा रब तीन हजार फरत उतारकर तहार सहायता करrdquo

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(३ १२४ प ५८)समीक- lsquoजो मसलमान को तीन हजार फरत क साथ सहाय दता था तो अब मसलमान क बादशाह बहत-सी नट हो गई और होती जाती हय सहाय नह दता इसलए यह बात कवल लोभ क दो मखार को फसान क लय महा अयाय क हrdquo (प ५६४)

११ lsquolsquoअलाह बगाड़ को पसद नह करताrdquo (२ २०५)ह ईमानवाल तम सब इलाम म दाखल हो जाओ और शतान क पद चह पर न चलोवह तो तहारा खला श हrdquo (२ २०८ प ३१)समीक-rdquoजो झगड़ को खदा म नह समता तो य आप ह मसलमान को झगड़ा करन म रणा करता और झगड़ाल मसलमान स मताय करता ह मसलमान क मत म मलन ह स खदा राजी ह तो वह मसलमान ह का पपाती ह सब ससार का ईवर नह इसस यहा यह

वदत होता ह क न करान ईवरकत और न इसम कहा हआ ईवर हो सकता हrdquo (प ५५९)१२ rdquoवह िजसको चाह-नीत (तवदशता) दता हrdquo (२ १६९ प ४२)समीक-rdquoजब िजसको चाहता ह उसको नीत दता ह तो िजसको नह चाहता ह उसको अनीत दता होगा यह बात ईवरता क नह कत जो

पपात छोड़ सबको नीत का उपदश करता ह वह ईवर और आत हो सता ह अय नहrdquo (प ५६१)१३ rdquoफर वह िजस चाह मा कर द और िजस चाह यातना द अलाह को हर चीज़ क सामथ ात हrdquo (२ः२८४ प ४४)समीक-rdquoया मा क योय पर मा न करना अयोय पर मा करना गवरगड राजा क तय यह कम नह ह यद ईवर िजसको चाहता पापी

वा पयामा बनाता तो जीव को पाप पय न लगना चाहय जब ईवर न उसको वसा ह कया तो जीव को दःख सख भी होना न चाहए जससनापत क आा स कसी भय न कसी को मारा वा रा क उसका फलभागी वह नह होता वस व भी नहrdquo (प ५६१-५६२)१४ lsquolsquoनःसदह अलाह रती भी जम नह रकता और यद कोई एक नक हो तो वह उस कई गना बढ़ा दगा और अपनी ओर स बड़ा बदला दगाrdquo(४ ४० प ७२)

समीक-rdquoजो एक सरण (तनक) भी खदा अयाय नह करता तो पय को वगणा य दता और मसलमान का पपात य करता ह वातव म वगण वा यन फल कम का दव तो खदा अयायी हो जावrdquo (प ५६५)१५ rdquoनचय ह अलाह कपटाचारय और इनकार करन वाल-सबको जहनम म एक करन वाला हrdquo (४ १४०)helliprdquoकपटाचार अलाह क

साथ धोखबाज़ी कर रह ह हालाक उसी न उह धोख म डाल रखा हhelliprdquo (४ १४२) ह ईमानवालो ईमानवाल (मसलमान) को छोड़कर इकारकरन वाल (काफ़र) को अपना म न बनाओrdquo (४ १४४ प ८५)समीक-rdquoमसलमान क बहत और अय लोग क दोज़ख़ म जान का या माण वाह जी वाह जो बर लोग क धोख म आता और अय कोधोखा दता ह ऐसा खदा हम स अलग रह कत जो धोखबाज़ ह उनस जाकर मल कर और व उनस मल कर यक-या टशी शीतलादवी ताश

खरवाहन जस को तसा मल तभी नवाह होता ह िजसका खदा धोखबाज़ ह उसक उपासक लोग धोखबाज य न ह या दट मसलमान हो उसस मताऔर अय ठ मसलमान-भन स शता करना कसी को उचत हो सकता ह rdquo (प ५६७-५६८)

१६ lsquolsquohellip जो पहल हो चका उस अलाह न मा कर दया परत िजस कसी न फर ऐसा कया तो अलाह उसस बदला लगाrdquo ०१८८५ ९५ प१०३)समीक-rdquoकय हए पाप का मा करना जानो पाप को करन क आा द क बढ़ाना ह पाप मा करन क बात िजस पतक म हो वह न ईवरऔर न कसी ववान का बनाया ह कत पापबक ह हा अगामी पाप छड़वान क लय कसी स ाथना और वय छोड़न क लय पषाथ

पचाताप करना उचत ह परत कवल पचाताप करता रह छोड़ नह तो भी कछ नह हो सकताrdquo (प ५६९)१७ helliphelliphelliphelliphelliprdquoहालाक अलाह चाहता था क अपन वचन स सय को सय कर दखाए और इनकार करन वाल (काफ़र) क जड़ काट दrdquo(८ ७) (उसन कहा rdquohellipम इनकार करन वाल क दल म रौब (भय)डाल दता ह तो तम उनक गरदन मारो और उनक पोर-पोर पर चोट

लगाओrdquo (८ १२ प १५०)समीक-rdquoवाहजी वाह कसा खदा और कस पगबर दयाहन जो मसलमानी मत स भन काफ़र क जड़ कटवाव और खदा आा दव उनकोगदन मारो और हाथ पग क जोड़ को काटन का सहाय और सपित दव ऐसा खदा लकश स या कछ कम ह यह सब पच करान क कता का हखदा का नह यद खदा का हो तो ऐसा खदा हमस दर और हम उसस दर रहrdquo (प ५७२)

१८ rdquoउह उनका र अपनी दयालता औ सनता और ऐस लोग क शभ सचना दता ह िजनम उनक लए थायी सख-सामी ह उनम व सदवरहग नःसदह अलाह क पास बड़ा बदला हrdquo(९ २१-२२) rdquoह ईमानवालो अपन बाप और अपन भाईय को अपन म न बनाओ यद ईमान क मकाबल म क उह प हो तमम स जो कोई

उह अपना म बनाएगा तो ऐस ह लोग अयाचार हगrdquo (९ः२३) rdquoअनतः अलाह न अपन रसल पर और मोमन पर अपनी सकनत(शाित) उतार और ऐसी सनाए उतार िजनको तमन नह दखा और इनकार करन वाल को यातनाद और यह इनकार करन वाल का बदला हrdquo(९ २६) rdquoऔर इसक बाद अलाह िजसको चाहता ह उस तौबा नसीब करता हrdquo (९ २७) rdquoव कताबवाल जो न अलाह पर ईमान रखत ह और नअतम दन पर और न अलाह और उसक रसल क हराम ठहराए हए को हराम ठहरात ह और न सय धम का अनपालन करत ह उनस लड़ो यहा

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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यक उनक मा-बाप क हया कर द गई या उह बद बना कर दर ल जाया गया हrdquo

(४) rdquoअनक न वष खाकर अपना जीवन समात कर लया अनक न पानी म डबकर जान द द तथा अनक जला दए गए या िजदा गाढ़दएगएrdquo

(५) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo(६) rdquoलोग गहनतम हताशा म डब हए ह सभी लोग दयनीय हो गए ह उह कसी भी ण शाित नह हrdquo

(७) rdquoजब व भोजन करन क तीा कर रह होत ह यकायक रोन व चीखन क आवाज़ सनाई दन लगती ह और इन हमल म कसी क पनी कबलात अपहरण हो जाता ह कसी का सामान छना झपटा या लट लया जाता हrdquo

(८) rdquoआमणकार मसलमान पशवत नदयी होत ह व सव बहतायत म ह व पछल सकड़ वष स अपन घणत काय करत चल आ रह ह

इसलए ह राजन (शवाजी महाराज) सावधान रहनाrdquo(डॉ एस डी कलकण कत lsquoएकाटर वद इलाम प २६७-२६८ स)

०३ राजा राम मोहन रॉय (१७७२-१८३३)

(httpt0gstaticcomimages

q=tbnVdZkTKrcagHwRMhttpwwwfreeindiaorgbiographiesgreatpersonalitiesroyroyjpg)मसलमान वारा हदओ पर अयाचार -rdquoमसलमान न हदओ पर अयधक अयाचार कए ह वशषकर ा मण पर यक व

लगातार हद धम म अडग बन रह और उहन मसलमान वारा अकथनीय अयाचार और मय दड क धमकय क बावजद भी अपनधम को नह यागामसलमान न यह मान रखा ह क उनक लए करान क आयत अलाह का हम ह और उहन निचत कर रखा ह क

उनक लए यह अलाह का आदश ह क व मतपजक (हदओ) को यातनाए द और उनक हया कर मसलमान क अनसार lsquoसब

मतपजक (हदओ) म स ा मण सबस नीच ह यह कारण ह क मसलमान धमाध हो गए और उहन गर-मिलम (हद बौ ईसाईआद) को धामक उमाद म मारन म कोई कमी नह रखीrdquo

(राजा राममोहन रॉय क सपण वा ऋमय स प ७२६-७२७ हराफ पिलकशस कोलकता १९७३)

०४ महष दयानद सरवती (१२२१८२५-२०१०१८८२)

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महष दयानद सरवती न अपन सस थ lsquoसयाथ काशrsquo क चौदहव समलास (अयाय) म इलाम

क धम थ करान क १६१ आयत या आयत समह क समीा क ह यहा इह म स कछ आयत कसमीा सावदशक आय तनध सभा रामलला मदान नई दल वारा १९७५ म काशत सयाथ

काश क पठ ५४३ स ६१२ तक स ल गई ह जबक करान क व ह पर क पर आयत lsquoपव करआनrsquo

(अनवादक मौलाना महमद फाक रवा और डॉमहमद अहमद काशक मधर सदश सगमजामयानगर नई दल २००५) म दखी जा सकती ह सदभ म पहल सरा और बाद म आयत का सखया

म दया गया ह

सवामी जी न करान क समीा करन स पहल अपना मतय इस समलास क ारभ म द गईअनभमका (४) म ननलखत कार स यत कया ह-

rdquoयह लख कवल मनय क उनत और सयासय क नणय क लए सब मत क वषय का थोड़ा-थोड़ा ान होव इसस मनय को परपर वचार करन का समय मल और एक-दसर क दोष का

खडन कर गण का हण कर न कसी अय मत पर न इस मत पर झठ-मठ बराई व भलाई लगान

का योजन ह कत जो-जो भलाई ह वह भलाई और जो बराई ह वह बराई सबको वदत होवrdquordquoयह लख हठ दराह ईया वष वाद-ववाद और वरोध घटान क लए कया गया ह न क इनको

बढ़ान क अथ यक एक दसर क हान करन स पथक रह परपर को लाभ पहचाना हमारा मखयकम ह अब यह चौदहव समलास म मसलमान का मत वषय सब सजन क सामन नवदन करता

ह वचार कर इट का हण अनट का परयाग किजएrdquo (प५४३)

१ करान

१ rdquoआरभ साथ नाम अलाह क मा करन वाला दयाल rdquo (१ १)समीक-rdquoमसलमान लोग ऐसा कहत ह क यह करान खदा का कहा ह परत इस वचन स वदत होता ह क इसका बनान वाला कोई दसरा ह

यक जो परमवर का बनाया होता तो rdquoआरभ साथ नाम अलाह कrdquo ऐसा न कहता कत rdquoआरभ वात उपदश मनय कrdquo ऐसा कहताrdquo (प५४४)२ rdquoसब तत परमवर क वात ह जो परबरदगार अथात पालन करन हारा ह तब ससार का मा करन वाला दयाल हrdquo

समीक-rdquoजो करान का खदा ससार का पालन करन हारा होता और सब पर मा और दया करता ह तो अय मत वाल और पश आद को भीमसलमान क हाथ स मरवान का हकम न दता जो मा करन हारा ह तो या पापय पर भी मा करगा और जो वसा ह तो अग लखग क

rdquoकाफ़र को कतल करोrdquo अथात जो करान और पगबर को न मान व काफ़र ह ऐसा य कहता ह इसलए करान ईवरकत नह दखताrdquo (प५४४-५४५)

३ rdquoदखा उन लोग का राता क िजन पर तनप नआमत क और उनका माग मत दखा क िजनक ऊपर त न गज़ब अथात अयतोध क िट

क और न गमराह का माग हमको दखाrdquo (१ ६)समीक-rdquoजब मसलमान लोग पवजम और पवकत पाप-पय नह मानत तो कह पर नआमत अथात फ़जल या दया करन और कह पर न

करन स खदा पपाती हो जायगा यक बना पाप-पय सख-दःख दना कवल अयाय क बात ह और बना कारण कसी पर दया और कसी परोध िट करना भी वभाव स बहः ह वह दया अथवा ोध नह कर सकता और जब उनक पव सचत पय पाप ह नह तो कसी पर दया और

कसी पर ोध करना नह हो सकता और इस सरः क टपणी पर rdquoयह सरः अलाह साहब न मनय क मखय स कहलाई क सदा इस कार सकहा करrdquo जो यह बात ह तो lsquoअलफ बrdquo आद अर भी खदा ह न पढ़ाय हग जो कहो क बना अरान क इस सरः को कस पढ़ सक या कठ

ह स बलाए और बोलत गय जो ऐसा ह तो सब करान ह कठ स पढ़ाया होगा इसस ऐसा समझना चाहए क िजस पतक म पपात क बात पाई

जाय वह पतक ईवरकत नह हो सकता जसा क अरबी भाषा म उतारन स अरबवाल को इसका पढ़ना सगम अय भाषा बोलन वाल कोकठनहोता ह इसी स खदा म पपात आता ह और जस परमवर न सिटथ सब दशथ मनय पर याय िट स सब दश भाषाओ स लण

सकत भाषा क जो सब दशवाल क लए एक स परम स वदत होती ह उसी म वद का काश कया ह करता तो यह दोष नह होताrdquo (प५४५-५४६)

४ rdquoह नबी तहार लए अलाह और तहार ईमान वाल अनयायी ह काफ़ ह lsquoह रबी मोमन को िजहाद पर उभारो यद तहार पास पचास बीसआदमी जम हग तो व दो सौ पर भावी हग और यद तमम स ऐस सौ हग तो व इकार करन वाल म स एक हजार पर भावी हग यक व

नासमझ लोग हrdquo (८ः६४-६५ प १५५)

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rdquoअतः जो कछ गनीमत (लट) का माल तमन ात कया ह उस वध-पव समझकर खाओ और अलाह का डर रखोrdquo

समीक-rdquoभला यह कौन-सी याय वता और धम क बात ह क जो अपना प कर और चाह अयाय भी कर उसी का प और लाभ पहचाव और जो जा म शाित भग करक लड़ाई कर कराव और लट मार क पदाथ को हलाल बतलाव और फर उसी कानाम मावान दयाललख यह बात

खदा क तो या कत कसी भल आदमी क भी नह हो सकती ऐसी-ऐसी बात स करान ईवर वाय कभी नह हो सकताrdquo (प ५७४)५ rdquoऔर इसी कार हमन इस (करआन) को एक अरबी फरमान क प म उतारा ह अब यद तम उस ान क पचात भी जो तहार पास आ चका ह

उसक इछाओ क पीछ चल तो अलाह क मकाबल म न तो तहारा कोई सहायक म होगा औन न कोई बचान वालाrdquoहम जो वादा उनस कर रह ह चाह उसम स कछ हम तह दख द या तह उठा ल तहारा दायव तो बस सदश का पहचा दना ह ह हसाब लना तो

हमार िजम हrdquo (१३ः४० प २१२-२१३)

समीक-rdquoकरान कधर क ओर स उतारा या खदा ऊपर रहता ह जो यह बात सच ह तो वह एकदशी होन स ईखवर ह नह हो सकता यकईवर सब ठकान एकरस यापक ह पगााम पहचाना हकार का काम ह और हकार क आवयकता उसी को होती ह जो मनयवत एकदशी हो

और हसाब लना दना भी मनय का काम ह ईवर का नह यक वह सव ह यह नचय होता ह क कसी अप मनय का बनाया करान हrdquo(प ५७९)

६ rdquoऔर जो तौबा कर ल और ईमान लाए और अछा कम कर फर सीध माग पर चलता रह उसक लए नचय ह म अयत माशील हrdquo

८२ प २७२)समीक-rdquoजो तोबाः स पाप मा करन क बात करान म ह यह सबको पापी करान वाल ह यक पापय को इसस पाप करन का साहस बहत बढ़

जाता ह इसस यह पतक और इसका बनान वाला पापय को पाप करन म हौसला बढ़ान वाला ह इसस यह पतक परमवर कत और इसम कहाहआ परमवर भी नह हो सकताrdquo (प ५८४)

७ rdquo(जो आयत उतर ह ह) व तवान स परपण कताब क आयत हrdquo (३१२) rdquoउसन आकाश को पदा कया (जो थम हए ह) बना ऐस तभ कजो तह दखाई द और उसन धरती म पहाड़ डाल दए क ऐसा न हो क तह लकर डावाडोल हो जाएrdquo hellip (३११०) rdquoया तमन दखा नह क अलाह

रात को दन म वट करता ह और दन को रात म वट करता हrdquohelliphelliphelliphellip(३१ २९) rdquoया तमन दखा नह क नौका सम म अलाह क

अनह स चलती ह ताक वह तह अपनी नशानया दखाएrdquo (३१ ३१ प ३६०-३६२)समीक-वाह जी वाह हमतवालकताब क िजसम सवथा वया स व आकाश क उपित और उसम खभ लगान क शका और पवी को

िथर रखन क लए पहाड़ रखना थोड़ी-सी वया वाला भी ऐसा लख कभी नह करता और न मानता और हकमत दखो क जहा दन ह वहा रात नहओर जहा रात ह वहा दन नह उसको एक दसर म वश कराना लखता ह यह बड़ अवयान क बात ह इसलए यह करान वया क पतक नह

हो सकती या यह वया व बात नह ह क नौका मनय और या कौशलाद स चलती ह वा खदा क कपा स यद लोह वा पथर क नौकाबनाकर सम म चलाव तो खदा क नशानी डब जाय वा नह इसलए यह पतक न वयान ओर न ईवर का बनाया हआ हो सकता हrdquo (प

५९०-५९१)२ अलाह

८ rdquoअलाह िजस चाह अपनी दयालता क लए खास कर ल अलाह बड़ा अनह करन वाला हrdquo (२ः१०५ प १९)समीक- rdquoया जो मखय और दया करन क योय न हो उसको भी धान बनाता और उस पर दया करता ह जो ऐसा ह तो खदा बड़ा गड़बड़या हयक फर अछा काम कौन करगा और बर कम को कौन छोड़गा यक खदा क सनता पर नभर करतह कमफल पर नह इसस

सबको अनाथा होकर कमछदसग होगाrdquo (प ५५४)९ rdquohellip और यह क अलाह अयत कठोर यातना दन वाला हrdquo (२ १६५) rdquoशतान क पद चह पर मत चलो नसदह वह तहारा खला श हrdquo (२ १६८)rdquo वह तो बस तह बराई और अललता पर उकसाता ह और इस पर क तम अलाह पर थोपकर व बात कहो जो तम नह जानतrdquo

(२ १६९ प २६)समीक- rdquoया कठोर दःख दन वाला दयाल खदा पापय पयामाओ पर ह अथवा मसलमान पर दयाल और अय पर दयाहन ह जो ऐसा ह तोवह ईवर ह नह हो सकता और पपाती नह ह तो जो मनय कह ध करगा उस पर ईवर दयाल और जो अधम करगा उस पर दड दाताहोगा तो फर बीच म महमद साहब और करान को मानना आवयक न रहा और जो सबको बराई करान वाला मनय मा का श शतान ह

उसको खदा न उपन ह य कया या वह भवयत क बात नह जानता था जो कहो क जानता था परत परा क लय बनाया तो भी नहबन सकता यक परा करना अप का काम ह सव तो सब जीव क अछ बर कम को सदा स ठक-ठक जानता ह और शतान सबकोबहकाता ह तो शतन को कसन बहकाया जो कहो क शतान आप बहमता ह तो अय भी आप स आप बहक सकत ह बीच म शतान का या

काम और जो खदा ह न शतान को बहकाया तो खदा शतान का भी शतान ठहरगा ऐसी बात ईवर को नह हो सकती और जो कोई बहकाता ह वहकसग तथा अवया स ात होता ह rdquo (प ५५७)१० rdquoजब तम ईमान वाल स कह रह थ rdquoया यह तहार लए काफ़ नह ह क तहारा रब तीन हजार फरत उतारकर तहार सहायता करrdquo

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(३ १२४ प ५८)समीक- lsquoजो मसलमान को तीन हजार फरत क साथ सहाय दता था तो अब मसलमान क बादशाह बहत-सी नट हो गई और होती जाती हय सहाय नह दता इसलए यह बात कवल लोभ क दो मखार को फसान क लय महा अयाय क हrdquo (प ५६४)

११ lsquolsquoअलाह बगाड़ को पसद नह करताrdquo (२ २०५)ह ईमानवाल तम सब इलाम म दाखल हो जाओ और शतान क पद चह पर न चलोवह तो तहारा खला श हrdquo (२ २०८ प ३१)समीक-rdquoजो झगड़ को खदा म नह समता तो य आप ह मसलमान को झगड़ा करन म रणा करता और झगड़ाल मसलमान स मताय करता ह मसलमान क मत म मलन ह स खदा राजी ह तो वह मसलमान ह का पपाती ह सब ससार का ईवर नह इसस यहा यह

वदत होता ह क न करान ईवरकत और न इसम कहा हआ ईवर हो सकता हrdquo (प ५५९)१२ rdquoवह िजसको चाह-नीत (तवदशता) दता हrdquo (२ १६९ प ४२)समीक-rdquoजब िजसको चाहता ह उसको नीत दता ह तो िजसको नह चाहता ह उसको अनीत दता होगा यह बात ईवरता क नह कत जो

पपात छोड़ सबको नीत का उपदश करता ह वह ईवर और आत हो सता ह अय नहrdquo (प ५६१)१३ rdquoफर वह िजस चाह मा कर द और िजस चाह यातना द अलाह को हर चीज़ क सामथ ात हrdquo (२ः२८४ प ४४)समीक-rdquoया मा क योय पर मा न करना अयोय पर मा करना गवरगड राजा क तय यह कम नह ह यद ईवर िजसको चाहता पापी

वा पयामा बनाता तो जीव को पाप पय न लगना चाहय जब ईवर न उसको वसा ह कया तो जीव को दःख सख भी होना न चाहए जससनापत क आा स कसी भय न कसी को मारा वा रा क उसका फलभागी वह नह होता वस व भी नहrdquo (प ५६१-५६२)१४ lsquolsquoनःसदह अलाह रती भी जम नह रकता और यद कोई एक नक हो तो वह उस कई गना बढ़ा दगा और अपनी ओर स बड़ा बदला दगाrdquo(४ ४० प ७२)

समीक-rdquoजो एक सरण (तनक) भी खदा अयाय नह करता तो पय को वगणा य दता और मसलमान का पपात य करता ह वातव म वगण वा यन फल कम का दव तो खदा अयायी हो जावrdquo (प ५६५)१५ rdquoनचय ह अलाह कपटाचारय और इनकार करन वाल-सबको जहनम म एक करन वाला हrdquo (४ १४०)helliprdquoकपटाचार अलाह क

साथ धोखबाज़ी कर रह ह हालाक उसी न उह धोख म डाल रखा हhelliprdquo (४ १४२) ह ईमानवालो ईमानवाल (मसलमान) को छोड़कर इकारकरन वाल (काफ़र) को अपना म न बनाओrdquo (४ १४४ प ८५)समीक-rdquoमसलमान क बहत और अय लोग क दोज़ख़ म जान का या माण वाह जी वाह जो बर लोग क धोख म आता और अय कोधोखा दता ह ऐसा खदा हम स अलग रह कत जो धोखबाज़ ह उनस जाकर मल कर और व उनस मल कर यक-या टशी शीतलादवी ताश

खरवाहन जस को तसा मल तभी नवाह होता ह िजसका खदा धोखबाज़ ह उसक उपासक लोग धोखबाज य न ह या दट मसलमान हो उसस मताऔर अय ठ मसलमान-भन स शता करना कसी को उचत हो सकता ह rdquo (प ५६७-५६८)

१६ lsquolsquohellip जो पहल हो चका उस अलाह न मा कर दया परत िजस कसी न फर ऐसा कया तो अलाह उसस बदला लगाrdquo ०१८८५ ९५ प१०३)समीक-rdquoकय हए पाप का मा करना जानो पाप को करन क आा द क बढ़ाना ह पाप मा करन क बात िजस पतक म हो वह न ईवरऔर न कसी ववान का बनाया ह कत पापबक ह हा अगामी पाप छड़वान क लय कसी स ाथना और वय छोड़न क लय पषाथ

पचाताप करना उचत ह परत कवल पचाताप करता रह छोड़ नह तो भी कछ नह हो सकताrdquo (प ५६९)१७ helliphelliphelliphelliphelliprdquoहालाक अलाह चाहता था क अपन वचन स सय को सय कर दखाए और इनकार करन वाल (काफ़र) क जड़ काट दrdquo(८ ७) (उसन कहा rdquohellipम इनकार करन वाल क दल म रौब (भय)डाल दता ह तो तम उनक गरदन मारो और उनक पोर-पोर पर चोट

लगाओrdquo (८ १२ प १५०)समीक-rdquoवाहजी वाह कसा खदा और कस पगबर दयाहन जो मसलमानी मत स भन काफ़र क जड़ कटवाव और खदा आा दव उनकोगदन मारो और हाथ पग क जोड़ को काटन का सहाय और सपित दव ऐसा खदा लकश स या कछ कम ह यह सब पच करान क कता का हखदा का नह यद खदा का हो तो ऐसा खदा हमस दर और हम उसस दर रहrdquo (प ५७२)

१८ rdquoउह उनका र अपनी दयालता औ सनता और ऐस लोग क शभ सचना दता ह िजनम उनक लए थायी सख-सामी ह उनम व सदवरहग नःसदह अलाह क पास बड़ा बदला हrdquo(९ २१-२२) rdquoह ईमानवालो अपन बाप और अपन भाईय को अपन म न बनाओ यद ईमान क मकाबल म क उह प हो तमम स जो कोई

उह अपना म बनाएगा तो ऐस ह लोग अयाचार हगrdquo (९ः२३) rdquoअनतः अलाह न अपन रसल पर और मोमन पर अपनी सकनत(शाित) उतार और ऐसी सनाए उतार िजनको तमन नह दखा और इनकार करन वाल को यातनाद और यह इनकार करन वाल का बदला हrdquo(९ २६) rdquoऔर इसक बाद अलाह िजसको चाहता ह उस तौबा नसीब करता हrdquo (९ २७) rdquoव कताबवाल जो न अलाह पर ईमान रखत ह और नअतम दन पर और न अलाह और उसक रसल क हराम ठहराए हए को हराम ठहरात ह और न सय धम का अनपालन करत ह उनस लड़ो यहा

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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(httpagniveerfansfileswordpresscom2011100484jpg)

महष दयानद सरवती न अपन सस थ lsquoसयाथ काशrsquo क चौदहव समलास (अयाय) म इलाम

क धम थ करान क १६१ आयत या आयत समह क समीा क ह यहा इह म स कछ आयत कसमीा सावदशक आय तनध सभा रामलला मदान नई दल वारा १९७५ म काशत सयाथ

काश क पठ ५४३ स ६१२ तक स ल गई ह जबक करान क व ह पर क पर आयत lsquoपव करआनrsquo

(अनवादक मौलाना महमद फाक रवा और डॉमहमद अहमद काशक मधर सदश सगमजामयानगर नई दल २००५) म दखी जा सकती ह सदभ म पहल सरा और बाद म आयत का सखया

म दया गया ह

सवामी जी न करान क समीा करन स पहल अपना मतय इस समलास क ारभ म द गईअनभमका (४) म ननलखत कार स यत कया ह-

rdquoयह लख कवल मनय क उनत और सयासय क नणय क लए सब मत क वषय का थोड़ा-थोड़ा ान होव इसस मनय को परपर वचार करन का समय मल और एक-दसर क दोष का

खडन कर गण का हण कर न कसी अय मत पर न इस मत पर झठ-मठ बराई व भलाई लगान

का योजन ह कत जो-जो भलाई ह वह भलाई और जो बराई ह वह बराई सबको वदत होवrdquordquoयह लख हठ दराह ईया वष वाद-ववाद और वरोध घटान क लए कया गया ह न क इनको

बढ़ान क अथ यक एक दसर क हान करन स पथक रह परपर को लाभ पहचाना हमारा मखयकम ह अब यह चौदहव समलास म मसलमान का मत वषय सब सजन क सामन नवदन करता

ह वचार कर इट का हण अनट का परयाग किजएrdquo (प५४३)

१ करान

१ rdquoआरभ साथ नाम अलाह क मा करन वाला दयाल rdquo (१ १)समीक-rdquoमसलमान लोग ऐसा कहत ह क यह करान खदा का कहा ह परत इस वचन स वदत होता ह क इसका बनान वाला कोई दसरा ह

यक जो परमवर का बनाया होता तो rdquoआरभ साथ नाम अलाह कrdquo ऐसा न कहता कत rdquoआरभ वात उपदश मनय कrdquo ऐसा कहताrdquo (प५४४)२ rdquoसब तत परमवर क वात ह जो परबरदगार अथात पालन करन हारा ह तब ससार का मा करन वाला दयाल हrdquo

समीक-rdquoजो करान का खदा ससार का पालन करन हारा होता और सब पर मा और दया करता ह तो अय मत वाल और पश आद को भीमसलमान क हाथ स मरवान का हकम न दता जो मा करन हारा ह तो या पापय पर भी मा करगा और जो वसा ह तो अग लखग क

rdquoकाफ़र को कतल करोrdquo अथात जो करान और पगबर को न मान व काफ़र ह ऐसा य कहता ह इसलए करान ईवरकत नह दखताrdquo (प५४४-५४५)

३ rdquoदखा उन लोग का राता क िजन पर तनप नआमत क और उनका माग मत दखा क िजनक ऊपर त न गज़ब अथात अयतोध क िट

क और न गमराह का माग हमको दखाrdquo (१ ६)समीक-rdquoजब मसलमान लोग पवजम और पवकत पाप-पय नह मानत तो कह पर नआमत अथात फ़जल या दया करन और कह पर न

करन स खदा पपाती हो जायगा यक बना पाप-पय सख-दःख दना कवल अयाय क बात ह और बना कारण कसी पर दया और कसी परोध िट करना भी वभाव स बहः ह वह दया अथवा ोध नह कर सकता और जब उनक पव सचत पय पाप ह नह तो कसी पर दया और

कसी पर ोध करना नह हो सकता और इस सरः क टपणी पर rdquoयह सरः अलाह साहब न मनय क मखय स कहलाई क सदा इस कार सकहा करrdquo जो यह बात ह तो lsquoअलफ बrdquo आद अर भी खदा ह न पढ़ाय हग जो कहो क बना अरान क इस सरः को कस पढ़ सक या कठ

ह स बलाए और बोलत गय जो ऐसा ह तो सब करान ह कठ स पढ़ाया होगा इसस ऐसा समझना चाहए क िजस पतक म पपात क बात पाई

जाय वह पतक ईवरकत नह हो सकता जसा क अरबी भाषा म उतारन स अरबवाल को इसका पढ़ना सगम अय भाषा बोलन वाल कोकठनहोता ह इसी स खदा म पपात आता ह और जस परमवर न सिटथ सब दशथ मनय पर याय िट स सब दश भाषाओ स लण

सकत भाषा क जो सब दशवाल क लए एक स परम स वदत होती ह उसी म वद का काश कया ह करता तो यह दोष नह होताrdquo (प५४५-५४६)

४ rdquoह नबी तहार लए अलाह और तहार ईमान वाल अनयायी ह काफ़ ह lsquoह रबी मोमन को िजहाद पर उभारो यद तहार पास पचास बीसआदमी जम हग तो व दो सौ पर भावी हग और यद तमम स ऐस सौ हग तो व इकार करन वाल म स एक हजार पर भावी हग यक व

नासमझ लोग हrdquo (८ः६४-६५ प १५५)

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rdquoअतः जो कछ गनीमत (लट) का माल तमन ात कया ह उस वध-पव समझकर खाओ और अलाह का डर रखोrdquo

समीक-rdquoभला यह कौन-सी याय वता और धम क बात ह क जो अपना प कर और चाह अयाय भी कर उसी का प और लाभ पहचाव और जो जा म शाित भग करक लड़ाई कर कराव और लट मार क पदाथ को हलाल बतलाव और फर उसी कानाम मावान दयाललख यह बात

खदा क तो या कत कसी भल आदमी क भी नह हो सकती ऐसी-ऐसी बात स करान ईवर वाय कभी नह हो सकताrdquo (प ५७४)५ rdquoऔर इसी कार हमन इस (करआन) को एक अरबी फरमान क प म उतारा ह अब यद तम उस ान क पचात भी जो तहार पास आ चका ह

उसक इछाओ क पीछ चल तो अलाह क मकाबल म न तो तहारा कोई सहायक म होगा औन न कोई बचान वालाrdquoहम जो वादा उनस कर रह ह चाह उसम स कछ हम तह दख द या तह उठा ल तहारा दायव तो बस सदश का पहचा दना ह ह हसाब लना तो

हमार िजम हrdquo (१३ः४० प २१२-२१३)

समीक-rdquoकरान कधर क ओर स उतारा या खदा ऊपर रहता ह जो यह बात सच ह तो वह एकदशी होन स ईखवर ह नह हो सकता यकईवर सब ठकान एकरस यापक ह पगााम पहचाना हकार का काम ह और हकार क आवयकता उसी को होती ह जो मनयवत एकदशी हो

और हसाब लना दना भी मनय का काम ह ईवर का नह यक वह सव ह यह नचय होता ह क कसी अप मनय का बनाया करान हrdquo(प ५७९)

६ rdquoऔर जो तौबा कर ल और ईमान लाए और अछा कम कर फर सीध माग पर चलता रह उसक लए नचय ह म अयत माशील हrdquo

८२ प २७२)समीक-rdquoजो तोबाः स पाप मा करन क बात करान म ह यह सबको पापी करान वाल ह यक पापय को इसस पाप करन का साहस बहत बढ़

जाता ह इसस यह पतक और इसका बनान वाला पापय को पाप करन म हौसला बढ़ान वाला ह इसस यह पतक परमवर कत और इसम कहाहआ परमवर भी नह हो सकताrdquo (प ५८४)

७ rdquo(जो आयत उतर ह ह) व तवान स परपण कताब क आयत हrdquo (३१२) rdquoउसन आकाश को पदा कया (जो थम हए ह) बना ऐस तभ कजो तह दखाई द और उसन धरती म पहाड़ डाल दए क ऐसा न हो क तह लकर डावाडोल हो जाएrdquo hellip (३११०) rdquoया तमन दखा नह क अलाह

रात को दन म वट करता ह और दन को रात म वट करता हrdquohelliphelliphelliphellip(३१ २९) rdquoया तमन दखा नह क नौका सम म अलाह क

अनह स चलती ह ताक वह तह अपनी नशानया दखाएrdquo (३१ ३१ प ३६०-३६२)समीक-वाह जी वाह हमतवालकताब क िजसम सवथा वया स व आकाश क उपित और उसम खभ लगान क शका और पवी को

िथर रखन क लए पहाड़ रखना थोड़ी-सी वया वाला भी ऐसा लख कभी नह करता और न मानता और हकमत दखो क जहा दन ह वहा रात नहओर जहा रात ह वहा दन नह उसको एक दसर म वश कराना लखता ह यह बड़ अवयान क बात ह इसलए यह करान वया क पतक नह

हो सकती या यह वया व बात नह ह क नौका मनय और या कौशलाद स चलती ह वा खदा क कपा स यद लोह वा पथर क नौकाबनाकर सम म चलाव तो खदा क नशानी डब जाय वा नह इसलए यह पतक न वयान ओर न ईवर का बनाया हआ हो सकता हrdquo (प

५९०-५९१)२ अलाह

८ rdquoअलाह िजस चाह अपनी दयालता क लए खास कर ल अलाह बड़ा अनह करन वाला हrdquo (२ः१०५ प १९)समीक- rdquoया जो मखय और दया करन क योय न हो उसको भी धान बनाता और उस पर दया करता ह जो ऐसा ह तो खदा बड़ा गड़बड़या हयक फर अछा काम कौन करगा और बर कम को कौन छोड़गा यक खदा क सनता पर नभर करतह कमफल पर नह इसस

सबको अनाथा होकर कमछदसग होगाrdquo (प ५५४)९ rdquohellip और यह क अलाह अयत कठोर यातना दन वाला हrdquo (२ १६५) rdquoशतान क पद चह पर मत चलो नसदह वह तहारा खला श हrdquo (२ १६८)rdquo वह तो बस तह बराई और अललता पर उकसाता ह और इस पर क तम अलाह पर थोपकर व बात कहो जो तम नह जानतrdquo

(२ १६९ प २६)समीक- rdquoया कठोर दःख दन वाला दयाल खदा पापय पयामाओ पर ह अथवा मसलमान पर दयाल और अय पर दयाहन ह जो ऐसा ह तोवह ईवर ह नह हो सकता और पपाती नह ह तो जो मनय कह ध करगा उस पर ईवर दयाल और जो अधम करगा उस पर दड दाताहोगा तो फर बीच म महमद साहब और करान को मानना आवयक न रहा और जो सबको बराई करान वाला मनय मा का श शतान ह

उसको खदा न उपन ह य कया या वह भवयत क बात नह जानता था जो कहो क जानता था परत परा क लय बनाया तो भी नहबन सकता यक परा करना अप का काम ह सव तो सब जीव क अछ बर कम को सदा स ठक-ठक जानता ह और शतान सबकोबहकाता ह तो शतन को कसन बहकाया जो कहो क शतान आप बहमता ह तो अय भी आप स आप बहक सकत ह बीच म शतान का या

काम और जो खदा ह न शतान को बहकाया तो खदा शतान का भी शतान ठहरगा ऐसी बात ईवर को नह हो सकती और जो कोई बहकाता ह वहकसग तथा अवया स ात होता ह rdquo (प ५५७)१० rdquoजब तम ईमान वाल स कह रह थ rdquoया यह तहार लए काफ़ नह ह क तहारा रब तीन हजार फरत उतारकर तहार सहायता करrdquo

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(३ १२४ प ५८)समीक- lsquoजो मसलमान को तीन हजार फरत क साथ सहाय दता था तो अब मसलमान क बादशाह बहत-सी नट हो गई और होती जाती हय सहाय नह दता इसलए यह बात कवल लोभ क दो मखार को फसान क लय महा अयाय क हrdquo (प ५६४)

११ lsquolsquoअलाह बगाड़ को पसद नह करताrdquo (२ २०५)ह ईमानवाल तम सब इलाम म दाखल हो जाओ और शतान क पद चह पर न चलोवह तो तहारा खला श हrdquo (२ २०८ प ३१)समीक-rdquoजो झगड़ को खदा म नह समता तो य आप ह मसलमान को झगड़ा करन म रणा करता और झगड़ाल मसलमान स मताय करता ह मसलमान क मत म मलन ह स खदा राजी ह तो वह मसलमान ह का पपाती ह सब ससार का ईवर नह इसस यहा यह

वदत होता ह क न करान ईवरकत और न इसम कहा हआ ईवर हो सकता हrdquo (प ५५९)१२ rdquoवह िजसको चाह-नीत (तवदशता) दता हrdquo (२ १६९ प ४२)समीक-rdquoजब िजसको चाहता ह उसको नीत दता ह तो िजसको नह चाहता ह उसको अनीत दता होगा यह बात ईवरता क नह कत जो

पपात छोड़ सबको नीत का उपदश करता ह वह ईवर और आत हो सता ह अय नहrdquo (प ५६१)१३ rdquoफर वह िजस चाह मा कर द और िजस चाह यातना द अलाह को हर चीज़ क सामथ ात हrdquo (२ः२८४ प ४४)समीक-rdquoया मा क योय पर मा न करना अयोय पर मा करना गवरगड राजा क तय यह कम नह ह यद ईवर िजसको चाहता पापी

वा पयामा बनाता तो जीव को पाप पय न लगना चाहय जब ईवर न उसको वसा ह कया तो जीव को दःख सख भी होना न चाहए जससनापत क आा स कसी भय न कसी को मारा वा रा क उसका फलभागी वह नह होता वस व भी नहrdquo (प ५६१-५६२)१४ lsquolsquoनःसदह अलाह रती भी जम नह रकता और यद कोई एक नक हो तो वह उस कई गना बढ़ा दगा और अपनी ओर स बड़ा बदला दगाrdquo(४ ४० प ७२)

समीक-rdquoजो एक सरण (तनक) भी खदा अयाय नह करता तो पय को वगणा य दता और मसलमान का पपात य करता ह वातव म वगण वा यन फल कम का दव तो खदा अयायी हो जावrdquo (प ५६५)१५ rdquoनचय ह अलाह कपटाचारय और इनकार करन वाल-सबको जहनम म एक करन वाला हrdquo (४ १४०)helliprdquoकपटाचार अलाह क

साथ धोखबाज़ी कर रह ह हालाक उसी न उह धोख म डाल रखा हhelliprdquo (४ १४२) ह ईमानवालो ईमानवाल (मसलमान) को छोड़कर इकारकरन वाल (काफ़र) को अपना म न बनाओrdquo (४ १४४ प ८५)समीक-rdquoमसलमान क बहत और अय लोग क दोज़ख़ म जान का या माण वाह जी वाह जो बर लोग क धोख म आता और अय कोधोखा दता ह ऐसा खदा हम स अलग रह कत जो धोखबाज़ ह उनस जाकर मल कर और व उनस मल कर यक-या टशी शीतलादवी ताश

खरवाहन जस को तसा मल तभी नवाह होता ह िजसका खदा धोखबाज़ ह उसक उपासक लोग धोखबाज य न ह या दट मसलमान हो उसस मताऔर अय ठ मसलमान-भन स शता करना कसी को उचत हो सकता ह rdquo (प ५६७-५६८)

१६ lsquolsquohellip जो पहल हो चका उस अलाह न मा कर दया परत िजस कसी न फर ऐसा कया तो अलाह उसस बदला लगाrdquo ०१८८५ ९५ प१०३)समीक-rdquoकय हए पाप का मा करना जानो पाप को करन क आा द क बढ़ाना ह पाप मा करन क बात िजस पतक म हो वह न ईवरऔर न कसी ववान का बनाया ह कत पापबक ह हा अगामी पाप छड़वान क लय कसी स ाथना और वय छोड़न क लय पषाथ

पचाताप करना उचत ह परत कवल पचाताप करता रह छोड़ नह तो भी कछ नह हो सकताrdquo (प ५६९)१७ helliphelliphelliphelliphelliprdquoहालाक अलाह चाहता था क अपन वचन स सय को सय कर दखाए और इनकार करन वाल (काफ़र) क जड़ काट दrdquo(८ ७) (उसन कहा rdquohellipम इनकार करन वाल क दल म रौब (भय)डाल दता ह तो तम उनक गरदन मारो और उनक पोर-पोर पर चोट

लगाओrdquo (८ १२ प १५०)समीक-rdquoवाहजी वाह कसा खदा और कस पगबर दयाहन जो मसलमानी मत स भन काफ़र क जड़ कटवाव और खदा आा दव उनकोगदन मारो और हाथ पग क जोड़ को काटन का सहाय और सपित दव ऐसा खदा लकश स या कछ कम ह यह सब पच करान क कता का हखदा का नह यद खदा का हो तो ऐसा खदा हमस दर और हम उसस दर रहrdquo (प ५७२)

१८ rdquoउह उनका र अपनी दयालता औ सनता और ऐस लोग क शभ सचना दता ह िजनम उनक लए थायी सख-सामी ह उनम व सदवरहग नःसदह अलाह क पास बड़ा बदला हrdquo(९ २१-२२) rdquoह ईमानवालो अपन बाप और अपन भाईय को अपन म न बनाओ यद ईमान क मकाबल म क उह प हो तमम स जो कोई

उह अपना म बनाएगा तो ऐस ह लोग अयाचार हगrdquo (९ः२३) rdquoअनतः अलाह न अपन रसल पर और मोमन पर अपनी सकनत(शाित) उतार और ऐसी सनाए उतार िजनको तमन नह दखा और इनकार करन वाल को यातनाद और यह इनकार करन वाल का बदला हrdquo(९ २६) rdquoऔर इसक बाद अलाह िजसको चाहता ह उस तौबा नसीब करता हrdquo (९ २७) rdquoव कताबवाल जो न अलाह पर ईमान रखत ह और नअतम दन पर और न अलाह और उसक रसल क हराम ठहराए हए को हराम ठहरात ह और न सय धम का अनपालन करत ह उनस लड़ो यहा

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

2336agniveerfanswordpresscom20111014islam

contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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rdquoअतः जो कछ गनीमत (लट) का माल तमन ात कया ह उस वध-पव समझकर खाओ और अलाह का डर रखोrdquo

समीक-rdquoभला यह कौन-सी याय वता और धम क बात ह क जो अपना प कर और चाह अयाय भी कर उसी का प और लाभ पहचाव और जो जा म शाित भग करक लड़ाई कर कराव और लट मार क पदाथ को हलाल बतलाव और फर उसी कानाम मावान दयाललख यह बात

खदा क तो या कत कसी भल आदमी क भी नह हो सकती ऐसी-ऐसी बात स करान ईवर वाय कभी नह हो सकताrdquo (प ५७४)५ rdquoऔर इसी कार हमन इस (करआन) को एक अरबी फरमान क प म उतारा ह अब यद तम उस ान क पचात भी जो तहार पास आ चका ह

उसक इछाओ क पीछ चल तो अलाह क मकाबल म न तो तहारा कोई सहायक म होगा औन न कोई बचान वालाrdquoहम जो वादा उनस कर रह ह चाह उसम स कछ हम तह दख द या तह उठा ल तहारा दायव तो बस सदश का पहचा दना ह ह हसाब लना तो

हमार िजम हrdquo (१३ः४० प २१२-२१३)

समीक-rdquoकरान कधर क ओर स उतारा या खदा ऊपर रहता ह जो यह बात सच ह तो वह एकदशी होन स ईखवर ह नह हो सकता यकईवर सब ठकान एकरस यापक ह पगााम पहचाना हकार का काम ह और हकार क आवयकता उसी को होती ह जो मनयवत एकदशी हो

और हसाब लना दना भी मनय का काम ह ईवर का नह यक वह सव ह यह नचय होता ह क कसी अप मनय का बनाया करान हrdquo(प ५७९)

६ rdquoऔर जो तौबा कर ल और ईमान लाए और अछा कम कर फर सीध माग पर चलता रह उसक लए नचय ह म अयत माशील हrdquo

८२ प २७२)समीक-rdquoजो तोबाः स पाप मा करन क बात करान म ह यह सबको पापी करान वाल ह यक पापय को इसस पाप करन का साहस बहत बढ़

जाता ह इसस यह पतक और इसका बनान वाला पापय को पाप करन म हौसला बढ़ान वाला ह इसस यह पतक परमवर कत और इसम कहाहआ परमवर भी नह हो सकताrdquo (प ५८४)

७ rdquo(जो आयत उतर ह ह) व तवान स परपण कताब क आयत हrdquo (३१२) rdquoउसन आकाश को पदा कया (जो थम हए ह) बना ऐस तभ कजो तह दखाई द और उसन धरती म पहाड़ डाल दए क ऐसा न हो क तह लकर डावाडोल हो जाएrdquo hellip (३११०) rdquoया तमन दखा नह क अलाह

रात को दन म वट करता ह और दन को रात म वट करता हrdquohelliphelliphelliphellip(३१ २९) rdquoया तमन दखा नह क नौका सम म अलाह क

अनह स चलती ह ताक वह तह अपनी नशानया दखाएrdquo (३१ ३१ प ३६०-३६२)समीक-वाह जी वाह हमतवालकताब क िजसम सवथा वया स व आकाश क उपित और उसम खभ लगान क शका और पवी को

िथर रखन क लए पहाड़ रखना थोड़ी-सी वया वाला भी ऐसा लख कभी नह करता और न मानता और हकमत दखो क जहा दन ह वहा रात नहओर जहा रात ह वहा दन नह उसको एक दसर म वश कराना लखता ह यह बड़ अवयान क बात ह इसलए यह करान वया क पतक नह

हो सकती या यह वया व बात नह ह क नौका मनय और या कौशलाद स चलती ह वा खदा क कपा स यद लोह वा पथर क नौकाबनाकर सम म चलाव तो खदा क नशानी डब जाय वा नह इसलए यह पतक न वयान ओर न ईवर का बनाया हआ हो सकता हrdquo (प

५९०-५९१)२ अलाह

८ rdquoअलाह िजस चाह अपनी दयालता क लए खास कर ल अलाह बड़ा अनह करन वाला हrdquo (२ः१०५ प १९)समीक- rdquoया जो मखय और दया करन क योय न हो उसको भी धान बनाता और उस पर दया करता ह जो ऐसा ह तो खदा बड़ा गड़बड़या हयक फर अछा काम कौन करगा और बर कम को कौन छोड़गा यक खदा क सनता पर नभर करतह कमफल पर नह इसस

सबको अनाथा होकर कमछदसग होगाrdquo (प ५५४)९ rdquohellip और यह क अलाह अयत कठोर यातना दन वाला हrdquo (२ १६५) rdquoशतान क पद चह पर मत चलो नसदह वह तहारा खला श हrdquo (२ १६८)rdquo वह तो बस तह बराई और अललता पर उकसाता ह और इस पर क तम अलाह पर थोपकर व बात कहो जो तम नह जानतrdquo

(२ १६९ प २६)समीक- rdquoया कठोर दःख दन वाला दयाल खदा पापय पयामाओ पर ह अथवा मसलमान पर दयाल और अय पर दयाहन ह जो ऐसा ह तोवह ईवर ह नह हो सकता और पपाती नह ह तो जो मनय कह ध करगा उस पर ईवर दयाल और जो अधम करगा उस पर दड दाताहोगा तो फर बीच म महमद साहब और करान को मानना आवयक न रहा और जो सबको बराई करान वाला मनय मा का श शतान ह

उसको खदा न उपन ह य कया या वह भवयत क बात नह जानता था जो कहो क जानता था परत परा क लय बनाया तो भी नहबन सकता यक परा करना अप का काम ह सव तो सब जीव क अछ बर कम को सदा स ठक-ठक जानता ह और शतान सबकोबहकाता ह तो शतन को कसन बहकाया जो कहो क शतान आप बहमता ह तो अय भी आप स आप बहक सकत ह बीच म शतान का या

काम और जो खदा ह न शतान को बहकाया तो खदा शतान का भी शतान ठहरगा ऐसी बात ईवर को नह हो सकती और जो कोई बहकाता ह वहकसग तथा अवया स ात होता ह rdquo (प ५५७)१० rdquoजब तम ईमान वाल स कह रह थ rdquoया यह तहार लए काफ़ नह ह क तहारा रब तीन हजार फरत उतारकर तहार सहायता करrdquo

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(३ १२४ प ५८)समीक- lsquoजो मसलमान को तीन हजार फरत क साथ सहाय दता था तो अब मसलमान क बादशाह बहत-सी नट हो गई और होती जाती हय सहाय नह दता इसलए यह बात कवल लोभ क दो मखार को फसान क लय महा अयाय क हrdquo (प ५६४)

११ lsquolsquoअलाह बगाड़ को पसद नह करताrdquo (२ २०५)ह ईमानवाल तम सब इलाम म दाखल हो जाओ और शतान क पद चह पर न चलोवह तो तहारा खला श हrdquo (२ २०८ प ३१)समीक-rdquoजो झगड़ को खदा म नह समता तो य आप ह मसलमान को झगड़ा करन म रणा करता और झगड़ाल मसलमान स मताय करता ह मसलमान क मत म मलन ह स खदा राजी ह तो वह मसलमान ह का पपाती ह सब ससार का ईवर नह इसस यहा यह

वदत होता ह क न करान ईवरकत और न इसम कहा हआ ईवर हो सकता हrdquo (प ५५९)१२ rdquoवह िजसको चाह-नीत (तवदशता) दता हrdquo (२ १६९ प ४२)समीक-rdquoजब िजसको चाहता ह उसको नीत दता ह तो िजसको नह चाहता ह उसको अनीत दता होगा यह बात ईवरता क नह कत जो

पपात छोड़ सबको नीत का उपदश करता ह वह ईवर और आत हो सता ह अय नहrdquo (प ५६१)१३ rdquoफर वह िजस चाह मा कर द और िजस चाह यातना द अलाह को हर चीज़ क सामथ ात हrdquo (२ः२८४ प ४४)समीक-rdquoया मा क योय पर मा न करना अयोय पर मा करना गवरगड राजा क तय यह कम नह ह यद ईवर िजसको चाहता पापी

वा पयामा बनाता तो जीव को पाप पय न लगना चाहय जब ईवर न उसको वसा ह कया तो जीव को दःख सख भी होना न चाहए जससनापत क आा स कसी भय न कसी को मारा वा रा क उसका फलभागी वह नह होता वस व भी नहrdquo (प ५६१-५६२)१४ lsquolsquoनःसदह अलाह रती भी जम नह रकता और यद कोई एक नक हो तो वह उस कई गना बढ़ा दगा और अपनी ओर स बड़ा बदला दगाrdquo(४ ४० प ७२)

समीक-rdquoजो एक सरण (तनक) भी खदा अयाय नह करता तो पय को वगणा य दता और मसलमान का पपात य करता ह वातव म वगण वा यन फल कम का दव तो खदा अयायी हो जावrdquo (प ५६५)१५ rdquoनचय ह अलाह कपटाचारय और इनकार करन वाल-सबको जहनम म एक करन वाला हrdquo (४ १४०)helliprdquoकपटाचार अलाह क

साथ धोखबाज़ी कर रह ह हालाक उसी न उह धोख म डाल रखा हhelliprdquo (४ १४२) ह ईमानवालो ईमानवाल (मसलमान) को छोड़कर इकारकरन वाल (काफ़र) को अपना म न बनाओrdquo (४ १४४ प ८५)समीक-rdquoमसलमान क बहत और अय लोग क दोज़ख़ म जान का या माण वाह जी वाह जो बर लोग क धोख म आता और अय कोधोखा दता ह ऐसा खदा हम स अलग रह कत जो धोखबाज़ ह उनस जाकर मल कर और व उनस मल कर यक-या टशी शीतलादवी ताश

खरवाहन जस को तसा मल तभी नवाह होता ह िजसका खदा धोखबाज़ ह उसक उपासक लोग धोखबाज य न ह या दट मसलमान हो उसस मताऔर अय ठ मसलमान-भन स शता करना कसी को उचत हो सकता ह rdquo (प ५६७-५६८)

१६ lsquolsquohellip जो पहल हो चका उस अलाह न मा कर दया परत िजस कसी न फर ऐसा कया तो अलाह उसस बदला लगाrdquo ०१८८५ ९५ प१०३)समीक-rdquoकय हए पाप का मा करना जानो पाप को करन क आा द क बढ़ाना ह पाप मा करन क बात िजस पतक म हो वह न ईवरऔर न कसी ववान का बनाया ह कत पापबक ह हा अगामी पाप छड़वान क लय कसी स ाथना और वय छोड़न क लय पषाथ

पचाताप करना उचत ह परत कवल पचाताप करता रह छोड़ नह तो भी कछ नह हो सकताrdquo (प ५६९)१७ helliphelliphelliphelliphelliprdquoहालाक अलाह चाहता था क अपन वचन स सय को सय कर दखाए और इनकार करन वाल (काफ़र) क जड़ काट दrdquo(८ ७) (उसन कहा rdquohellipम इनकार करन वाल क दल म रौब (भय)डाल दता ह तो तम उनक गरदन मारो और उनक पोर-पोर पर चोट

लगाओrdquo (८ १२ प १५०)समीक-rdquoवाहजी वाह कसा खदा और कस पगबर दयाहन जो मसलमानी मत स भन काफ़र क जड़ कटवाव और खदा आा दव उनकोगदन मारो और हाथ पग क जोड़ को काटन का सहाय और सपित दव ऐसा खदा लकश स या कछ कम ह यह सब पच करान क कता का हखदा का नह यद खदा का हो तो ऐसा खदा हमस दर और हम उसस दर रहrdquo (प ५७२)

१८ rdquoउह उनका र अपनी दयालता औ सनता और ऐस लोग क शभ सचना दता ह िजनम उनक लए थायी सख-सामी ह उनम व सदवरहग नःसदह अलाह क पास बड़ा बदला हrdquo(९ २१-२२) rdquoह ईमानवालो अपन बाप और अपन भाईय को अपन म न बनाओ यद ईमान क मकाबल म क उह प हो तमम स जो कोई

उह अपना म बनाएगा तो ऐस ह लोग अयाचार हगrdquo (९ः२३) rdquoअनतः अलाह न अपन रसल पर और मोमन पर अपनी सकनत(शाित) उतार और ऐसी सनाए उतार िजनको तमन नह दखा और इनकार करन वाल को यातनाद और यह इनकार करन वाल का बदला हrdquo(९ २६) rdquoऔर इसक बाद अलाह िजसको चाहता ह उस तौबा नसीब करता हrdquo (९ २७) rdquoव कताबवाल जो न अलाह पर ईमान रखत ह और नअतम दन पर और न अलाह और उसक रसल क हराम ठहराए हए को हराम ठहरात ह और न सय धम का अनपालन करत ह उनस लड़ो यहा

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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(३ १२४ प ५८)समीक- lsquoजो मसलमान को तीन हजार फरत क साथ सहाय दता था तो अब मसलमान क बादशाह बहत-सी नट हो गई और होती जाती हय सहाय नह दता इसलए यह बात कवल लोभ क दो मखार को फसान क लय महा अयाय क हrdquo (प ५६४)

११ lsquolsquoअलाह बगाड़ को पसद नह करताrdquo (२ २०५)ह ईमानवाल तम सब इलाम म दाखल हो जाओ और शतान क पद चह पर न चलोवह तो तहारा खला श हrdquo (२ २०८ प ३१)समीक-rdquoजो झगड़ को खदा म नह समता तो य आप ह मसलमान को झगड़ा करन म रणा करता और झगड़ाल मसलमान स मताय करता ह मसलमान क मत म मलन ह स खदा राजी ह तो वह मसलमान ह का पपाती ह सब ससार का ईवर नह इसस यहा यह

वदत होता ह क न करान ईवरकत और न इसम कहा हआ ईवर हो सकता हrdquo (प ५५९)१२ rdquoवह िजसको चाह-नीत (तवदशता) दता हrdquo (२ १६९ प ४२)समीक-rdquoजब िजसको चाहता ह उसको नीत दता ह तो िजसको नह चाहता ह उसको अनीत दता होगा यह बात ईवरता क नह कत जो

पपात छोड़ सबको नीत का उपदश करता ह वह ईवर और आत हो सता ह अय नहrdquo (प ५६१)१३ rdquoफर वह िजस चाह मा कर द और िजस चाह यातना द अलाह को हर चीज़ क सामथ ात हrdquo (२ः२८४ प ४४)समीक-rdquoया मा क योय पर मा न करना अयोय पर मा करना गवरगड राजा क तय यह कम नह ह यद ईवर िजसको चाहता पापी

वा पयामा बनाता तो जीव को पाप पय न लगना चाहय जब ईवर न उसको वसा ह कया तो जीव को दःख सख भी होना न चाहए जससनापत क आा स कसी भय न कसी को मारा वा रा क उसका फलभागी वह नह होता वस व भी नहrdquo (प ५६१-५६२)१४ lsquolsquoनःसदह अलाह रती भी जम नह रकता और यद कोई एक नक हो तो वह उस कई गना बढ़ा दगा और अपनी ओर स बड़ा बदला दगाrdquo(४ ४० प ७२)

समीक-rdquoजो एक सरण (तनक) भी खदा अयाय नह करता तो पय को वगणा य दता और मसलमान का पपात य करता ह वातव म वगण वा यन फल कम का दव तो खदा अयायी हो जावrdquo (प ५६५)१५ rdquoनचय ह अलाह कपटाचारय और इनकार करन वाल-सबको जहनम म एक करन वाला हrdquo (४ १४०)helliprdquoकपटाचार अलाह क

साथ धोखबाज़ी कर रह ह हालाक उसी न उह धोख म डाल रखा हhelliprdquo (४ १४२) ह ईमानवालो ईमानवाल (मसलमान) को छोड़कर इकारकरन वाल (काफ़र) को अपना म न बनाओrdquo (४ १४४ प ८५)समीक-rdquoमसलमान क बहत और अय लोग क दोज़ख़ म जान का या माण वाह जी वाह जो बर लोग क धोख म आता और अय कोधोखा दता ह ऐसा खदा हम स अलग रह कत जो धोखबाज़ ह उनस जाकर मल कर और व उनस मल कर यक-या टशी शीतलादवी ताश

खरवाहन जस को तसा मल तभी नवाह होता ह िजसका खदा धोखबाज़ ह उसक उपासक लोग धोखबाज य न ह या दट मसलमान हो उसस मताऔर अय ठ मसलमान-भन स शता करना कसी को उचत हो सकता ह rdquo (प ५६७-५६८)

१६ lsquolsquohellip जो पहल हो चका उस अलाह न मा कर दया परत िजस कसी न फर ऐसा कया तो अलाह उसस बदला लगाrdquo ०१८८५ ९५ प१०३)समीक-rdquoकय हए पाप का मा करना जानो पाप को करन क आा द क बढ़ाना ह पाप मा करन क बात िजस पतक म हो वह न ईवरऔर न कसी ववान का बनाया ह कत पापबक ह हा अगामी पाप छड़वान क लय कसी स ाथना और वय छोड़न क लय पषाथ

पचाताप करना उचत ह परत कवल पचाताप करता रह छोड़ नह तो भी कछ नह हो सकताrdquo (प ५६९)१७ helliphelliphelliphelliphelliprdquoहालाक अलाह चाहता था क अपन वचन स सय को सय कर दखाए और इनकार करन वाल (काफ़र) क जड़ काट दrdquo(८ ७) (उसन कहा rdquohellipम इनकार करन वाल क दल म रौब (भय)डाल दता ह तो तम उनक गरदन मारो और उनक पोर-पोर पर चोट

लगाओrdquo (८ १२ प १५०)समीक-rdquoवाहजी वाह कसा खदा और कस पगबर दयाहन जो मसलमानी मत स भन काफ़र क जड़ कटवाव और खदा आा दव उनकोगदन मारो और हाथ पग क जोड़ को काटन का सहाय और सपित दव ऐसा खदा लकश स या कछ कम ह यह सब पच करान क कता का हखदा का नह यद खदा का हो तो ऐसा खदा हमस दर और हम उसस दर रहrdquo (प ५७२)

१८ rdquoउह उनका र अपनी दयालता औ सनता और ऐस लोग क शभ सचना दता ह िजनम उनक लए थायी सख-सामी ह उनम व सदवरहग नःसदह अलाह क पास बड़ा बदला हrdquo(९ २१-२२) rdquoह ईमानवालो अपन बाप और अपन भाईय को अपन म न बनाओ यद ईमान क मकाबल म क उह प हो तमम स जो कोई

उह अपना म बनाएगा तो ऐस ह लोग अयाचार हगrdquo (९ः२३) rdquoअनतः अलाह न अपन रसल पर और मोमन पर अपनी सकनत(शाित) उतार और ऐसी सनाए उतार िजनको तमन नह दखा और इनकार करन वाल को यातनाद और यह इनकार करन वाल का बदला हrdquo(९ २६) rdquoऔर इसक बाद अलाह िजसको चाहता ह उस तौबा नसीब करता हrdquo (९ २७) rdquoव कताबवाल जो न अलाह पर ईमान रखत ह और नअतम दन पर और न अलाह और उसक रसल क हराम ठहराए हए को हराम ठहरात ह और न सय धम का अनपालन करत ह उनस लड़ो यहा

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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तक क व सता स वलग होकर और छोट (अधीनथ) बनकर िजजया दन लगrdquo (९ २९ प १५९-१६०)समीक-rdquoभला जो बहतवाल क समीप अलाह रहता ह तो सवयापक य कर हो सकता ह जो सवयापक नह तो सिटकता और

यायाधीश नह हो सकता ओर अपन मा बाप भाई और म को छड़वाना कवल अयाय क बात ह हा जो व बरा उपदश कर न मानना परतउनक सवा सदा करनी चाहए जो पहल खदा मसलमान पर बड़ा सतोषी था और और उनक सहाय क लय लकर उतारता था सच हो तो अबऐसा य नह करता और जो थम काफ़र को दड दता और पनः उसक ऊपर आता था तो अब कहा गया या बना लड़ाई क ईमान खदा नहबना सकता ऐस खदा को हमार ओर स सदा तलाजल ह खदा याह एक खलाड़ी हrdquo (प ५७४)

१९ rdquoनःसदह अलाह सार ह गनाह को मा कर दता हrdquo (३९ ५३) rdquoहालाक कयामत क दन सार क सार धरती उसक म ट म होगी औरआकाश उसक दाए हाथ म लपट हए हगrdquo (३९ ६७) rdquoऔर धरती अपन रब क काश स जगमगा उठगी और कताब रखी जाएगी और नबय औरगवाह को लाया जाएगा और लोग क हक़ क साथ फसला कर दया जाएगा उन पर कोई जम न होगाrdquo (३९ ६९ प ४१२-४१३)

समीक-rdquoयद सम पाप को खदा मा करता ह तो जानो सब ससार को पापी बनाता ह और दयाहन ह यक एक दट पर दया और माकरन स वह अधक टता करगा और अय बहत धमातओ को दःख पहचावगा यद कचत भी अपराध मा कयाजाव तो अपराध ह अपराधजगत म छा जाव या परमवर अिनवत काश वाला ह और कमप कहा जमा रहत ह और कौन लखता ह यद पगबर और गवाह कभरोस खदा याय करता ह तो वह असव और और असमथ ह यद वह अयाय नह करता या ह करता ह तो कम क अनसार करता होगा व

कम पवापर वतमान जम क हो सकताह तो फर मा करना दल पर ताला लगाना और शा न करना शतान स बहकवाना दौरा सपदरखना कवल अयाय हrdquo (प ५९७-५९८)३ पगबर महमद का अलाह का सहयोगी बनना

२० rdquo अलाह ऐसा नह ह क वह तह परो क सचना द द hellip कत अलाह इस काम क लय िजसको चाहता ह चन लता ह और व उसकरसल होत ह अतः अलाह और उसक रसल पर ईमान लाओrdquo (४ १७९ प ६४)

समीक-rdquoजब मसलमान लोग सवाय खदा क कसी क साथ ईमान नह लात और न कसी को खदा का साझी मानत ह तो पगबर साहब कोय ईमान म खदा क साथ शरक कया अलाह न पगबर क साथ इमानलाना लखा इसी स पगबर भी शरक हो गया पनrsquo लाशरक कहनाठक न हआ यद इसका अथ यह समझा जाए क महमद साहब क पगबर होन पर ववास लाना चाहए तो यह न होता ह क महमदसाहब क पम होन क या आवयक ह यद खदा उनको पम कय बना अपना अभीट काय नह कर सकता तो अवय असमथ हआrdquo

(प ५६४-५६५)२१ rdquoय अलाह क निचत क गई सीमाए ह जो कोई अलाह और उसक रसल क आदश का पालन करगा उसअलाह ऐस बाग म दाखलकरगा िजनक नीच नहर बह रह हगी उनम वह सदव रहगाrdquo परत जो अलाह और उसक रसल क अवा करगा और उसक सीमाओ का

उलघन करगा उस अलाह आग म डालगा िजसम वह सदव रहगा और उकस लए अपमानजनक यातना हrdquo (४ १३ ndash १४ प ६९)समीक-rdquoखदा ह न महमद साहब पगबर को अपना शरक कर लया ह और खद करान ह म लखा ह और दखो खदा पगबर क साथकसा फसा ह क िजसन बहत म रसल का साझा कर दया ह कसी एक बात म भी मसलमान का खदा वत नह तो लाीक कहना यथह ऐसी-ऐसी बात ईवरोत पतक म नह हो सकतीrdquo (प ५६५)

२२ rdquoअलाह क आा का पालन करो और रसल क आा का पालन करोhelliphelliphelliprdquo (५ ९२ प १०२)rdquoदखय यह बात खदा क शरक होन क ह फर खदा को rdquoलाशरकrdquo मानना यथ हrdquo (प ५६९)४ इलाम

२३ rdquoऔर हमन मसा को कताब द थी और उसक पचात आग-पीछ नरतर रसल भजत रह और मरयम क बट ईसा को खल-खलनशानया दान क और पव-आमा क वारा उस शित दान क तो यह तो हआ कजब भी कोई रसल तहार पास वह कछ लकरआया जो तहार जी को पसद न थ तो म अकड़ बठ तो एक गरोह को तो तमन झठलाया और एक गरोह को कल करत रह (२ ८७ प

१७)समीक-rdquoजब करान म साी ह क मसा को कताब द तो उसका मानना मसलमान को आवयक हआ और जो-जो उस पतक म दोष ह वभी मसलमान क मत म आ गर ओर lsquoमौिजज़rsquo अथात दवी शित क बात सब अयथा ह भोल-भाल मनय को बहकान क लए झठमठ

चला ल ह यक सिटम और वया स व सब बात झठ ह होती ह जो उस समय lsquoमौिजज़rsquo थ तो इस समय य नह जो इससमय भी नह तो उस समय भी न थ इसम कछ भी सदह नहrdquo (प ५५३)२४ rdquoदन (धम) तो अलाह क िट स इलाम ह हrdquo (३ १९ प ४६)समीक-rdquoया अलाह मसलमान ह का ह और का नह या तरह सौ वष क पव ईवरय मत था ह नह इसी स यह करान ईवर का

बनाया तो नह कत कसी पपाती का बनाया हrdquo (प ५६२)

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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२५ rdquoयक यित को जो उसन कमाया होगा परा-परा मल जाएगा और उनक साथ कोई अयाय नहोगाrdquo (३ २५) कहो rdquoऐ अलाह

राय क वामी िजस चाह राय द और िजसस चाह राय छन ल और िजस चाह इजत (पभव) दान कर और िजसको चाह अपमानतकर द तर ह हाथ म भलाइ ह नसदह तझ हर चीज़ क समय ात हrdquo (३ २६) rdquoत रात को दन म परोता ह और दन को रात म परोताह त नजव स सजीव को नकालता ह और सजीव स नजव को नकालता ह िजस चाहता ह बहसाब दता हrdquo (३ २७) rdquoईमानवाल(मसलमान) को चाहए क व गर-ईमानवाल (गर-मसलमान) स हटकर इकार करन वाल को अपना म (राज़दार) न बनाए और कोई ऐसा

करगा उसका अलाह स कोई सबध नहrdquo (३ २८) rdquoकह दो यद तम अलाह स म करत हो तो मरा अनसरण करो अलाह भी तमसम करगा और तहार गनाह को मा कर दगाrdquo ( ३ ३१ प ४७-४८)समीक-rdquoजब यक जीव को कम का परा-परा फल दया जावगा तो मा नह कया जाएगा और जो मा कया जाएगा तो परा फल नह

दया जाएगा और अयाय होगा जब बना उतम कम क राय दगा तो भी अयाय हो जाएगा और बना पाप क राय औरतठा छनलगा तो भी अयायकार हो जाएगा भला जीवत स मतक और मतक स जीवत कभी हो सकता ह यक ईवर क यवथा अछ-अभह कभी अदल बदल हनी हो सकती अब दखय पपात क बात क जो मसलमान क मजहब म नह ह उनको काफ़र ठहराना उनम ठस भी मता न रखन और मसलमाना म दट स भी मता रखन क लए उपदश करना ईवर को ईवरता स बह कर दता ह इसस यह

करान करान का खदा ओर मसलमान लोग कवल पपात अवया क भर हए ह इसीलए मसलमान लोग अधर म ह और दखए महमदसाहब क लला क जो तम मरा प करोग तो खदा तहारा प करगा और जो तम पपातप पाप करोग उसको मा भी करगा इससस होता ह क महमद साहब न करान बनाया या बनवाया ऐसा वदत होता हrdquo (प ३६३)

२६ rdquoतो यद व तमस अलग-अलग न रह और तहार ओर सलह का हाथ न बढ़ाए और अपन हाथ न रोक तो तम उह पकड़ और कलकरो जहा कह भी तम उह पाओ उनक व हमन तह खला अधकर द रखा हrdquo (४ ९१) rdquoकसी ईमानवाल का यह काम नह क वहकसीईमानवाल (मसलमान) क हया कर भल-चक क बात और ह और कोई यित यद गलती स कसी ईमानवाल क हया कर द तोएक मोमन गलाम को आजाद करना होगाrdquo (४ ९२) rdquoऔर जो यित जान-बझकर कसी मोमन क हया कर तो उसका बदला जहनम

ह िजसम वह सदा रहगा उस पर अलाह का कोप और उसक फटकार ह और उसक लए अलाह न बड़ी यातना तयार कर रखी हrdquo (४ ९३ प ७९)समीक-rdquoअब दखए महापपात क बात क जो मसलमान न हो उसको जहा पाओ मार डाल और मसलमान को न मारना भल स

मसलमान को मारन म ायिचत और अय को मारन स बहत मलगा ऐस उपदश को कप म डलना चाहए ऐस-ऐस पतक ऐस-ऐसपग़बर ऐस-ऐस खदा और ऐस-ऐस मत स सवाय हान क लाभ कछ भी नह ऐस का न होना अछा और ऐस ामादक मत स बमानको अलग रहकर वदोत सब बात को मानना चाहए यक उसम असय कचमा भी नह ह और मसलमान को मार उसको दोज़खमल और दसर मतवाल कहत ह क मसलमान को मार तो वग मल अब कहो इन दोन मत म स कसको मान कसकोछोड़ कतऐस मढ़ किपत मत को छोड़कर वदोत मत वीकार करन योय सब मनय क लए ह क िजसम आय माग अथात ठ पष क मागम चलना और दय अथात दट क माग स अलग रहना लखा ह सवतम हrdquo (प ५६६-५६७)२७ rdquoउनस य करो यहा तक क फ़तना बाक न रह और दन (धम) परा-का-परा अलाह ह क लए हो जाएrdquo (८ ३९) rdquoऔर तह मालम

हो क जो कछ गनीमत (लट) क प म माल तमन ात कया ह उसका पाचवा भाग अलाह का रसल का नातदार का अनाथ कामहताज और मसाफर का हrdquo ०१८८ः४१ प १५२-१५३)समीक-rdquoऐस अयाय स लड़न लड़ान वाला मसलमान क खदा स भन शाित-भगकता दसरा कौन होगा अब दखय यह मज़हब कअलाह और रसल क वात सब जगत को लटना लटवाना लटर का काम नह ह और लट क माल म खदा का हसदार बनना जानो डाक

बनना ह और ऐस लटर का पपाती बनना खदा अपनी खदाई म ब टा लगाता ह बड़ आचय क बात ह क ऐसा पतक ऐसा खदा औरऐसा पगबर ससार म ऐसी उपाध और शाित भग करक मनय को दःख दन क लए कहा स आया जो ऐस-ऐस मत जगत म चलत नहोत तो सब जगत आनद म बना रहताrdquo (प ५७३)

५ इलाम म गर-मसलमान क साथ पपातपण यवहार

२८ rdquoजो लोग अलाह क माग म मार जात ह उनक लए यह मत कहो क य मतक ह कत व जीवत ह परत तह एहसास नह

होताrdquo (२ १५४ प २५)समीक-rdquoभला ईवर क माग म मरन मारन क या आवयक ह यह य नह कहत हो क यह बात अपन मतलब स करन स नडरग लटमार करान स ऐवसय ात होगा पचात वषयानद करग इयाद वयोजन क लए यह वपरत यवहार कया हrdquo (प५५६-५५७)

२९ rdquoऔर अलाह क माग म उन लोग स लड़ जो तमस लड़ कत यादती न करोrdquo (२ १९०) rdquoतम उनस लड़ यहा तक क फ़तनाशष न रह जाए और दन (धम) अलाह क लए हो जाएrdquo (२ १९३) hellip rdquoअतः जो तम पर यादती कर तो जसी यादती वह तम पर कर

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 10: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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तम भी उसी कार उसस यादती का बदला लोrdquo (२ १९४ प २९-३०)समीक-rdquoजो करान म ऐसी बात न होती तो मसलमान लोग इतना बड़ा अपराध जो क अयमतवाल पर कया ह न करत और बनाअपराधय को मारना उन पर बड़ा पाप ह जो मसलमान क मत का हण न करना ह उसको कफ़ कहत ह अथात कऱ स क़तल कोमसलमान लोग अछा मानत ह अथात जो हमार दन को न मानगा उसको हम क़तल करग सो करत ह आय मज़हब पर लड़त-लड़त

आप ह राय आद स नट हो गय और उनका मत अय मत वाल पर अत कठोर रहता ह या चोर का बदला चोर ह क िजतनाअपराध हमारा चोर आद कर या हम भी चोर कर यह सवथा अयाय क बात ह या कोई अानी हम को गालया द या हम भीउसको गाल दव यह बात न ईवर क और न ईवर क भत ववान क ओर न ईवररोत पतक क हो सकती ह यह तो कवल

वाथ ानरहत मनय क हrdquo (प ५५८)३० rdquoअलाह तो उन लोग स म रखता ह जो उसक माग म पित ब होकर लड़त ह मान व सीसा पलाई दवार हrdquo(६१ ४ प ५०७)समीक-वाह ठक ह ऐसी-ऐसी बात का उपदश करक बचार अरबवासय को सबस लड़ा क श बनाकर परपर दख दलाया और

मजहब का झडा खड़ा करक लड़ाई फलाव ऐस कोई बमान ईवरकभी नह मान कसत जो मनय जात म वरोध बढ़ाव वह सबकोदखदाता होता हrdquo (प ६०३)३१ rdquoह नबी इनकार करन वाल और कपटाचारय स िजहाद करो और उनक साथ सखती स पश आओ उनका ठकाना जहनम ह

और वह अततः पहचन क बर जगह हrdquo (६६ ९ प ५१८)समीक-rdquoदखए मसलमान क खदा क लला अय मत वाल स लड़न क लए पगबर और मसलमान को उचकाता ह इसीलएमसलमान लोग उपव करन म वत रहत ह परमामा मसलमान पर कपा िट कर िजसस य लोग उपव करना छोड़ क सबस मतास बतrdquo (प ६०४)

३२ rdquoऔर जो यित इसक पचात भी क मागदशन खलकर उसक सामन आ गया ह रसल का वरोध करगा और ईमानवाल क माग कअतरत कसी और माग पर चलगा तो उस हम उसी पर चलन दग िजसको उसन अपनाया होगा और उस जहनम म झोक दग और वहबहत बरा ठकाना हrdquo (४ ११५ प ८२)

समीक-rdquoअब दखए खदा और रसल क पपात क बात महमद साहब आद समझत थ क जो खदा क नाम स ऐसी हम न लखगतो अपना मज़हब न बढ़गा और पदाथ न मलगआनदभोग न होगा इसी स वदत होता ह क व अपन मतलब करन म पर थ और अयक योजन बगाड़न म इसस य अनात थ इनक बात का माण आत ववान क सामन कभी नह हो सकताrdquo (प ५६७)३३ ऐ ईमानवाल उन इकार करन वाल स लड़ जो तहोर नकट ह और चाहए क व तम म सखती पाए और जान रखो क अलाह डर

रखन वाल क साथ हrdquo (९ १२३) rdquoया व दखत नह क यक वष क एक या दो बार आज़माइश म डाल जात ह फर भी न तो व तौबाकरत ह और न चतत हrdquo (९ १२६ प १७१)समीक-rdquoदखए य भी एक ववासघात क बात खदा मसलमान को सखलाता ह क चाह पड़ोसी ह या कसी क नौकर ह जब अवसर

पाव तभी लड़ाई वा घात कर ऐसी बात मसलमान म बहत बन गई ह इसी करान क लख स अब तो मसलमान समझ क इन करानोतबराइय को छोड़ द तो बहत अछा हrdquo (प ५७६)६ भोग वलास क लए जनत क लोभन

३४ rdquoकहो या म तह इनस उतम चीज़ का पता द जो लोग अलाह का डर रखग उनक लए उनक रब क पास बाग़ ह िजनक नीचनहर बह रह हगी उनम व सदव रहग वहा पाक-साफ़ (जोड़ बीबया) हग ओर अलाह क सनता ात होगीrdquo (३ १५ प ४६)समीक-भला यह वग ह कवा वयावन इसको ईवर कहना वा ण कोई भी बमान ऐसी बात िजसम ह उसको परमवर का

कया पतक मान सकता ह यह पपात य करता ह जो बीबया बहत म सदा रहती ह व यहा जम पाक वहा गई ह वा वहउपन हई ह यद यहा जम पाकर वहा गई ह और जो क़यामत क रात स पहल ह वहा बीबय को बला लया तो उनक खावद कोय न बला लया यद वह जमी ह तो क़यामत तक व य कर नवाह करती ह जो उनक लए पष भी ह तो यहा बहत म जानवाल मसलमान को खदा बीबया कहा स दगा और जस बीबया बहत म सदा रहन वाल बना वस पष को वहा सदा रहन वाल

यक नह बनाया इसलए मसलमान का खदा अयायकार बसमझ हrdquo ( प ५६२)३५ rdquoउनक बीच वश पय का पा फराया जाएगा बकल साफ़ उवल पीन वाल क लए सवथा सवाद न उसम कोई खमारहोगा और न व उसस नढ़ालऔर ममदहोश हग और उनक पास नगाह बचाए रखन वाल सदनर आख वाल िया होगी मान व

सरत अड हrdquo (३७ ४५-४९) rdquoह ना अब ऐसा क हम मरन क नह हम जो मय आनी थी वह बस पहल आ चक और न हम कोईयातना ह द जाएगीrdquo (३७ ५८ प ३९४-३९५) rdquoऔर नचय ह लत भी रसल म स था याद करो जब हमन उस और उसक सभी लोगको बचा लया सवाय एक बढऋया क जो पीछ रह जान वाल म स थी फर दसर को हमन तहस-नहस करक रख दयाrdquo (३७

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

2336agniveerfanswordpresscom20111014islam

contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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१३३-१३६ प ३९८-३९९)समीक-rdquoयजी यहा तो मसलमान लोग शराब को बरा बतलात ह परत इनक वग म तो नदया क नदया बहती ह इतना अछाह क यहा तो कसी कार मय पीना छड़ाया परत यहा क बदल वहा उनक वग म बड़ी खराबी ह मार िय क वहा कसी का

चत िथर नह रहता होगा और बड़-बड़ रोग भी हग यद शरर वाल होत हग तो अवय मरग और जो शरर वाल न हग तो भोगवलास ह न कर सकग फर उनका वग म जाना यथ ह यद लत को पगबर मानत हो तो जो बाइबल म लखा हक उसस उसकलड़कय न समागम करक दो लड़ पदा कए इस बात को भी मानत हो वा नह जो मानत हो तो ऐस को पगबर मानना यथ ह और

जो ऐस और ऐस क सगय को खदा मित दता ह तो वह खदा भी वसा ह ह यक बढ़या क कहानी कहन वाला और पपात सदसर को मारन वाला खदा कभी नह हो सकता ऐसा खदा मसलमान क ह घर म रह सकता ह अय नह rdquo (प ५९५-५९६)३६ rdquoसदव रहन क बाग़ ह िजनक वार उनक लए खल हग उनम व तकया लगाए हग वहा व बहत-स मव और पय मगवात हगऔर उनक पास नगाह बचाए रखन वाल िया होगी जो समान अवथा क होगीrdquo (३८ ५०-५२) rdquoतो सभी फरत न सजदा कया

सवाय इबलस क उसन घमड कया ओर इकार करन वाल म स हो गया कहा rdquoए इबलस तझ कस चीज़ न उसक सजदा करनस रोका िजस मन अपन दोन हाथ स बनाया या तन घमड कया या त कोई ऊची हती ह rdquo उसन कहा rdquoम उसस उतम ह तन मझ आग स पदा कया और उस म ट स पदा कया कहा rdquoअछा नकल जा यहा स यक तधकारा हआ ह और नचय ह

बदला दए जान क दन तक तझ पर मर लानत हrdquo उसन कहा rdquoऐ मर रब फर त मझ उस दन तक क लए महलत द जबकलोग (जीवत करक) उठाए जाएगrdquo कहा rdquoअछा तझ ात एव निचत समय तक महलत हrdquo (३८ ७३-८२ प ४०४-४०६)समीक-rdquoयद वहा जस क करान म बाग बगीच नहर मकानाद लख ह वस ह तो व न सदा स थ न सदा रह सकत ह यक जोसयोग स पदाथ होता ह वह सयोग क पव न था अवयभावी वयोग क अत म न रहगा जब यह हत ह न रहगा तो उसम रहन

वाल सदा यकर रह सकत ह यक लख ह क ग द तकय मव और पीन क पदाथ वहा मलग इसस यह स होता ह क िजससमय मसलमान का मज़हब चला उस समय अरब दश वशष धना य न था इसलए महमद साहब न तकए आद क कथासनाकर गरब को अपन मत म फसा लया और जहा िया ह वहा नरतर सख कहा य िया वहा-कहा स आई ह अथवा बहत

क रहन वाल ह यद आ ह तो जायगी और जो वह क रहन वाल ह तो क़यामत क पव या करती थी या नकमी अपनीउको बहा रह थीअब दखए खदा का तज क िजसका हम अय सब फरत न माना और आदम साहब को नमकार कया और शतान न न मानाखदा न शतान स पछा कहा क मन उसको अपन दोन हाथ स बनाया त अभमान मत कर इसस स होता ह क करान का खदा दो

हाथ वाला मनय था इसलए वह यापक वा सवशितमान कभी नह हो सकता और शतान न सय कहा क म आदम स उतम हइस पर खदा न गसा य कया या आसमान ह म खदा का घर ह पवी म नह तो काब को खदा का घर थम य लखा ह भला परमवर अपन म वा सिट म स लग कस नकाल सकता ह और वह सिट सब परमवर क ह इसस पट वदत हआ क

करान का खदा बहत का िजमदार था खदा न उसको लानत धकार दया और कद कर दया और शतान न कहा क ह मालक मझको क़यामत तक छोड़ द खदा न खशामद स क़यामत क दन तक छोड़ दया जब शतान छटा तो खदा न कहा क िजतन को तबहकावगा म उनको दोज़ख म डाल दगा और तझको भीअब सजन लोग वचारय क शतान को बहकान वाला खदा ह वाआपस वह बहका यद खदा न बहकाया तो वह शतान का शतान

ठहरा यद शतान वय बहका तो अय जीव भी वय बहकग शतान क जरत नह और िजसस इस शतान बागी को खदा न खलाछोड़ दया इसस वदत हआ क वह भी शतान का शरक अधम करान म हआ यद वय चोर कराक दड दव तो उसक अयाय काकछ भी पारावार नहrdquo (प ५९६-५९७)

rdquoजड़त तखत पर तकया लगाए आमन-सामन हग उनक पास कशोर हग जो सदव कशोरावथा ह म रहग याल और आफ़ताब(जग) और वश पय स भरा हआ पा लए फर रह हग-िजस (क पीन) स न तो उह सर दद होगा ओर न उनक ब म वकारआएगा और (वादट) फल जो व पसद कर और पी का मास जो व चाह और बड़ी आख वाल हर मान छपाए हए मोती हrdquo (५६ १५-२३ प ४८९)

समीक-rdquoयद वहा लड़क सदा रहत ह तो उनक मा बाप भी रहत हग और सास-वसर भी रहत हग तब तो बड़ा भार शहर बसताहोगा फर मलमाद क बढ़न स रोग भी बहत स होत हग यक जब मव खावग गलास म पानी पीवग ओर याल समयपीवग न उनका शर दखगा और न कोई व बोलगा यथट मवा खावग और जानवर तथा पय क मास भी खावग तो अनक

कार क दःख पी जानवर वहा हग हया होगी और हाड़ जहा तहा बार रहग और कसाईय क दकान भी हगी वाह या कहनाइनक बहत क शसा क वह अरब दश स भी बढ़कर दखती ह और जो मय मास खा पी क उमत होत ह इसलए अछ-अछ िया और लड भी वहा अवय रहन चाहए नह तो ऐस नशबाज क शर म गम चढ़ क मत हो जाव अवय बहत ीपष क बठन सोन क लए बछौन बड़-बड़ चाहए जब खदा कमासरय को बहत म उपन करता ह तभी तो कमार लड़क को भी

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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उपन करतमा ह भला कमारय का तो ववाह जो यहा स उमदवार होकर गय ह उनक साथ खदा न लखा पर उन सदा रहन वाललड़क का भी कह कमारय क साथ ववाह न लखा तो या व भी उह उमदवार क साथ कमारवत द दय जायग इसक

यवथा कछ भी नह लखी यह खदा स बड़ी भल य हई यद बराबर अवथा वाल सहागन िया पतयको पाक बहत मरहती ह तो ठक नह हआ यक िय स पष का आय दना ढाईगना चाहए यह तो मसलमान क बहत क कथा हrdquo (प ६०२)७ मय नकष

rdquoअब इस करान क वषय को लख क बमान क समख थापत करता ह क पतक कसा ह मझस पछो तो यह कताब न

ईवर न ववान क बनाई और न वया क हो सती ह यह तो बहत थोड़ा-सा दोष कट कया इसलए क लोग धोख म पड़करअपना जम यथ न गमाव जो कछ इसम थोड़ा-सा सय ह वह वदाद वया पतक क अनकल होन स जस मझको ा य ह वसअय भी मज़हब क हठ और पपातरहत ववान और बमान को ा य ह इसक बना जो कछ इसम ह वह सब अवयामजाल और मनय क आमा को पशवत बनाकर शाितभग कराक उपव मचा मनय म वोह फला परपर दःखोनतकरन वाला वषय ह और पनत दोष का तो करान जान भडार ह हपरमामा सब मनय पर कपा कर क सबस सब ीत परपर मल और एक-दसर क सख क उनत करन म वत ह जस मअपना वा दसर मतमातर का दोष पपात रहत होकरकाशत करता ह इसी कार यद सब ववान लोग कर तो या कठनता

ह क परपर का वरोध छट मल होकर आनद म एकमत हो क सय क ाित स हो यह थोड़ा-सा करान क वषय म लखाइसको बमान धामक लोग थकार क अभाय को समझ लाभ लव यद कह म स अयथा लखा गया हो तो उसको श करलवrdquo (प ६१०)०५ ीमती ऐनी बसट (११०१८४७-२९१९३३)

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn6ufo6PjKY-

iYLMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile1Annie_Besant_300jpg)भगवत गीता क भायकार एव भतपव कास अय (कलकता ससन १९१७) ीमती ऐनी बसट कहती ह

सवत भारत म भी मिलम क टरवाद क आशका-rdquoभारत क मसलमान क सबध म एक दसरा गभीर न और उठताह यद मसलमान और हदओ क बीच वस ह सबध रहत ह जस लखनऊ म हआ करत थ तो यह न इतना महवपणनह रह जाता ययप यह न वत भारत म दर-सवर अवय ह उठता परत खलाफत आदोलन क बाद सपरिथतया बदल गई ह और खलाफत िजहाद को बढ़ावा दन स भारत को पहची गई तय म एक यह भी ह क मसलमान क

दल म lsquoनाितकrsquo क व नगी और बशम क हद तक नफ़रत पदा हई जो कभी पहल होती थीहम दखत ह क राजनीत म तलवार का वह पराना मिलम धम लोग क भावनाओ को उकसा रहा ह हम दख रह ह शतािदयपरानी वह मिलम धम क ठता का दभ हमन दखा क शतािदय को वमत क बावजद अलगाव क वह ाचीन भावनापनजवत हो गई ह िजसम जजीत अरब अथात अरब वीप क सबध म वह दावा ह क यह मसलमान का पव भ-खड हऔर इस गर-मिलम क अपव पाव गदा न करहमन मसलमान नताओ को यह कहत सना ह क यद अफ़गान भारत पर आमण कर तो व अपन धम को मानन वालअफ़गान क सहायता करग ओर उन हदओ क हया करग जो दमन स अपनी मातभम क रा करग हम यह सोचन पर

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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ववश कर दया गया ह क मसलमान क पहल वफादार मिलम दश क त ह हमार मातभम क त नह हम यह भीमालम हआ ह क उनक उकट इछा ह lsquoअलाह का साायrsquo थापत करना न क ससार क परमामा का िजस अपन सभीाणय स समान म ह अलाह क आदश को व अपन कसी पगबर क आदश म दखत ह और उसी क अनसार यह तय करतहक खदा पर अववास करन वाल क साथ कसा सलक कया जाए ाचीन हज क मोजज़जहोवा क तरह आज व पगबरवारा तपादत धम का पालन करन क वतता क लए परान मसलमान क भात लड़ रह हययप आज क दनया उन धम यवथाओ स कह आग जा चक ह िजनम एक इसान वारा ईवर क आदश दए जात थ

मिलम नताओ का यह दावा क मसलमान को अपन वशष पगबर क कानन का पालन करना चाहए और अपन राय ककानन िजसम व रहत ह को दरकनार कर दना चाहए रा और नागरक यवथा क लए घातक ह यह उह बरा नागरकसाबत करता ह यक उनक नठा का क रा स बाहर ह और जब तक व मौलाना मोहमद अल और शौकत अल जसमिलम समदाय क माय नताओ क वचार स मतय रखग उन पर उनक सह-नागरक ववास नह करग यद भारतवत हआ तो मिलम जनसखया वाला वह िजसम रह रह अानी लोग उन लोग का अनसरण करग जो पगबर क नामपर आ वान करत ह तो भारत क वतता क लए तकाल खतरा पदा हो जाएगा व लोग अफ़गानतान बलचतानफ़ारस इराकअरब तक और म एव मय एशया क उन कबील स मी करक जो मिलम ह भारत को मिलम शासन क

अधीन करन क लए एकजट हो जाएग और मिलम शासन क थापना कर दगहमन सोचा था क भारतीय मसलमान अपनी मातभम क त वफादार हग और वातव म हम अब भी सोचत ह क उनम सशत वग यह कोशश कर क मसलमान म ऐसी भावना फल परत ऐस मसलमान बहत कम ह और अम भी ह इसलएउह धम-वरोधी क सा दकर उनक हया कर द जाएगी मालाबार स हम सीख मल चक ह क इलामी शासन क अथ याह और अब हम भारत म खलाफत राय का दसरा नमना नह दखना चाहत ह मालाबार स बाहर रहन वाला मसलमान नमोपल क त कनी सहानभत बरती ह यह माणत हो चका ह उनक बचान क यन म उनक सहधमय न और वय गाधी न कहा क उन मसलमान न वह कय िजसक उनक धम न उनको शा द मझ इसक सचाई म शकर ह परतसय समाज म ऐस लोग क लए कोई थान नह ह जो यह मानत ह क उनका धम उह हया करन डाका डलन आगजनीकरन और उन लोग को दश स नकालन क शा दता ह जो अपन धम को यागन स इकार करत हठग का ववास था क उनका दवता उह लोग का वशषकर पसवाल याय का गला घटन क इज़ाजत दता ह ऐस दवीकानन को सय समाज क कानन को दरकनार करन क अनमत नह द जा सकती और जो लोग बीसवी सद म रह रह ह वया तो मययगीन वचार क लोग को शत कर या उह नवासत कर द ऐस लोग का थान उह दख म ह जो उनकवचार स सहमत ह और जहा अब भी ऐस त व उह द सकत ह जो उनस सहमत नह होत जस बहत पहल फ़ारस और पारसीलोग और हमार समय म lsquoबहाईrsquo वातव म वभन-मिलम मतावलबी क टरपथी मिलम शासन म सरत नह ह भारत

म टश शासन न सभी मतावलिबय क वतता क सरा क ह शया सनी सफ बहाई सब मिलम जातया भारत मसरापक रहती ह ययप टश शासन उह सामािजक बहकार स वहा नह रोक सकता जहा व अपसखयक ह मिलमशासत दश क तलना म मसलमान टश शासन म यादा वत ह वाधीन भारत क बार म सोचत समय हम मिलमशासन क आतक क बार म भी वचार करना होगा(बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५ प २७२-२७५)०६ गदव रवीनाथ टगोर (७५१८६१-७८१९४१)

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbns8sMuaauNVsthMhttpbloglenesraufileswordpresscom200909rabindranath-tagorejpg)

१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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१ इलाम और ईसाइत अय सीभी धम को समात करन को कटब-rdquoववभर म दो ऐस रलजन ह जो क अय सभीरलजन क व वशष शता रखत ह य दो ह-ईसाइयत और इलाम व कवल अपन मतानसार अपना जीवन यतीतकरन म ह सतट नह होत ह बिक अय सभी रलजन को नट करन को कटब रहत ह इसीलए उनक साथ शाित सरहन का एकमा सह उपाय यह ह क उनक रलजन म धमातरत हो जाओrdquo

(७ असाढ़ १३२९ बगाद को कालदास नाग क लख प स रवीनाथ वा मय २४वा खड प २७५ ववभारती १९८२)२ मसलमान अपनी राभित कसी एक दश तक सीमत नह रख सकत-rdquo खलाफत आदोलन क बाद हद-मिलम

दग पर तया-rdquoएक महवपण कारण िजसक फलवप हद-मिलम एकता लगभग असभव ह और जो क पणतयासच ह क मसलमान कभी भी अपनी रा भित कसी एक दश तक ह सीमत नह रख सकत ह मन मसलमान स पटपछा ह क यद कोई बाहर महमदय शित भारत पर हमला करती ह तो ऐसी िथत म या वह (मसलमान) अपनसिमलत भारत दश क रा क लए अपन हद पड़ोसय का कध-स-कधा मलाकर उनका साथ दग म उनस पाए गएउतर स सतट नह थाhellip यहा तक क म मौहमद अल (अल भाइय म स एक अन) जस यित न घोषणा क ककसी भी परिथत म कसी भी मसलमान को चाह वह कसी भी दश का हो यह आा नह ह क वह कसी मसलमान कव सघष करrdquo

(१८४१९२४ को टाईस ऑफ इडया म रवीनाथ टगोर क छप सााकार स)३ हद-मिलम एकता कवल दखावट मता-rdquoजब कभी भी कोई मिलम समदाय कसी मसलमान को आ वान करता हतो कोई कावट नह होती ह यक वह एक ईवर क नाम पर पकारा जाता ह जस lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo यानी rdquoअलाहमहान हrdquo इसक वपरत जब हम हद क नाम पर पकारत ह क ओ हदओ आओ तो कौन इस आ वान का पालनकरगा यक हम हद अनक छोट-छोट समदाय म बट हए ह हमार सामन ातवाद आद क बाधाए ह भला कौन इनबाधाओ और सकणताओ को लाघकर आएगाrdquordquoहमन अनक सकटर को झला ह लकन फर भी हम कभी सगठत न हो सक जब बाहर स महमद गौर न पहला हमला

कया तो बकल सामन आए सकट क घड़ी म भी हद सगठत न हो सक जब मसलमान एक क बाद एक हमार मदर कोववस करन लग और हमार दवी दवताओ क मतय को तोड़न लग तो हद छोट-छोट टकड़य म बहादर स तो लड़ औरमार भी गए लकन फर भी सगठत न हो सक यह स हो चका ह क हम वभन कला खड म अपन आपसी सगठन ककमी क कारण मार गएदबलता पाप को उकसाती ह अतः मसलमान हम ताड़त करत ह और हम हद बना कसी वरोध क सहन करत ह तबहम समझ सकग क ऐसा सब हमार कमजोरय क कारण ह सभव हो सका हम अपन लए ओर अपन पड़ोसी मसलमानक लए भी अपनी कमजोरय को उखाड़ फक दना होगा हम अपन पड़ोसी मसलमान स नवदन करसकत ह क lsquoकपया हम

पर अयाचार न करोrsquo यक कोई भी मज़हब जनसहार पर नह टक सकता हrdquo लकन इस कार कवनती यथ होगीयक यह तो कमजोर का रोना-धोना मा ह जब कभी हवा म कम दवाब पदा होता ह तो फौरन एक तफान उठता ह इसकोई भी मज़हब क नाम पर रोक नह सकता ह इसी कारयद कमज़ोर को पोषत कयाजाए ओर उस बना रहन दया जाएतो यातना वत ह ारभ हो जाती ह और कोई भी इस रोक नह सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय कलए एक-दसर क त एक बनावट मता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती ह

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 15: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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जब तक तम उस म ट को नह धारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उसस कभीकसी फल क आशा नह कर सकता ह सभवतः हद और मसलमान कछ समय क लए एक-दसर क त एक बनावटमता थापत कर सकत ह लकन ऐसी मता कभी थायी नह हो सकती हजब तक तम उस म ट को नह सधारत हो जो क कवल काटदार झाड़य को ह उगाती व पोषत करती ह तो तम उससकभी कसी फल क आशा नह कर सकत होrdquo

(माघ १३३३ बगाध म lsquoवामी ानदrsquo पर लख एव lsquoकलातरrsquo थ म सकलत स)४ मालाबार क हद राजा क भल का दपरणाम-rdquoडॉ मज न अपनी रपोट क एक अय भाग म कहा था क आठ सौ वषपहल मालाबार (आज का करल) को हद राजा न अपन ा मण मय क परामश पर अरब को अपन राय म बसन कलए अनक बड़ी-बड़ी रयायत द यहा तक क उसन अरब को खश करन क लए हदओ का इलाम म धमातरण करायाऔर कानन बनाया क यक मछआ परवार म स एक यित का इलाम म धमातरत होना अनवा ह ऐस िजन लोगका रलजन सामाय ब क जगह अानता व मढ़ता का पालन करता हो व कभी भी वतता का आनद नह ल सकत हभल ह व सवच शासक ह य न ह व ववकपण काय करन क घड़य को आमोद-मोद म बता दत ह यह कारण ह

क व दन क मय काल म भी छाया क शकार हो जात हrdquordquoमालाबार क राजा न एक बार अपना राजय जड़बता को सप दया और वह बौक जड़ता एक हद सहासन स आजभी मालाबार पर शासन कर रह ह यह कारण ह क वहा हद आज भी ताड़त कय जा रह ह और कहत ह क ईवरआकाश क ओर मह कए हए वयमान ह सारभारत म हमन इसी जड़बता को शासन करन दया और वय अपन को भीउस मढता क आग समपत कर दया परणामवप सामाय ब स रहत एव जड़वाद स सत इस भारत राजय परकभी पठान न तो कभी मगल और कभी टश न लगातार हमल कए हम उनक वारा (मसलमान) द गई यातनाओ कोबाहर स दख सकत ह मगर व तो कवल उन यातनाओ साधन ह व वातव म यातनाआ कारण नह ह इन सभी

यातनाओ का मखय कारण हमार जड़बता और सामाय ववक का अभाव ह जो क हम पर क गई सब यातनाओ का मलकारा ह अतः हम इस जड़बता क व सघष करना होगा हम अपन सामाय ववक क अभाव और अपनी अयावहारकनीतय क व लड़ना होगा इह मढताओ व ववकहन नीतय न हदओ को बाट दया और हम पर परतता लाददhelliphellip अगर हम कवल यातनाओ क बार म सोचत रहग तो हम कोई भी हल नह मलगा यद हम अपनी जड़मत औरववकहनता स छटकारा पा जाए तो अयाचार वय हमार आग समपण कर दगाrdquo(अहयान १३३० बगाध म लख लख lsquoसमयाrsquo तथा lsquoकालातरrsquo स)५ कवल वधम सचा अय सब झठ-rdquo जब दो या तीन वभन रलजन यह दावा कर क कवल उनका ह रलजन सचा

ह और बाक सब झठ ह उनक ह रलजन स lsquoवगrsquo मल सकता ह तो सघष को रोका नह जा सकता ह इस कार काक टरवाद अय सभी रलजन को समात करना चाहता ह यह तो धम म बोशव कहलाता ह इस क टरपथीसकणता स कवल हद धम ह छटकारा दलवा सकता ह(lsquoपरचयrsquo पतक म lsquoआमपरचयrsquo लख स)६ हद माताए अपन बच को ाधम बनाए-rdquoहद-मिलम सबध-rdquoइस दश क भयानक िथत न मर मितक कोबचन कर रखा ह अब म और चप नह रह सकता ह अथहन बोझल कम काड न हद समाज को अनक सदाय म बाट

रखा ह परणामवप हम लगातार पराजय स पीड़त होत आ रह ह हम अपन आतरक और बा य शओ क यातनाओ कफलवप थक और जजरत हो चक ह मसलमान अपन ाम और कमकाड क वषय म सगठत ह बगाल मसलमानदण भारतीय मसलमान और यहा तक क भारत क बाहर क मसलमान भी सब सगठत ह व सकट क समय म सदव एकजट हो जात ह तथा वभािजतऔर बखर हए हद उनस सघष नह कर पायग वह समय आ रहा ह जब हद फरमसलमान क हाथ अवमानत कए जाएगrdquoतम अनक बच क एक मा हो एक दन तम मर जाओगी और हद समाज का भवय अपन बच क कमजोर कधपर छोड़ जाओगीrdquo

(१६ अटबर १९३३ को हमत बाला सरकार को लख प स जो क २९६१९९९ क lsquoवाितकrsquo पका म छपा)०७ वामी ववकानद (९११८६२-४७१९०२)

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

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Page 16: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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(httpt2gstaticcomimages

q=tbnY0reoZUP6bbAUMhttpmadhuwebmfileswordpresscom200805svjpg)(समत उरण अजी क सपण ववकानद वाडऋमय क हद अनवाद स ह खड एव पठानसार)१ महमद क शाओ क कारण लाख मार गए-rdquoयद तम करान को पढ़ो तो तह वहा सबस आचयपण सय औरअधववास मलजल मलग तम इनक याखया कस करोग नःसदह वह पष (पगबर महमद) अतःरत थालकन ऐसा तीत होता ह क वह अतःरणा मान उस पर थोपी गई हो वह कोई एक शत योगी नह था और वहजो कछ कर रहा था वह उस सबका कारण भी नह जानता था सोचो उस भलाई को जो महमद न वव क लए क और

उस महान बराई को भी सोचो जो क उसक हठधमता क कारण क गज़रा सोचो क उसक शाओ क कारण लाखमनय क सामहक हयाय हई माओ को अपन बच को मौत क कारण खोना पड़ा बच अनाथ बनाए गए अनक दशसपण नट कर दए गए लाख ह लाख लोग क हया क गईrdquo (१ १८४)२ मसलमान क कमकाड-rdquoयक मसलमान जो यह सोचता ह क एक गर-मसलमान का यक कमकाड यकआराय वप यक मत एव तयक धामक अनठान पापपण ह मगर वह ऐसा नह सोचता जब वह अपन हधमथल काबा पर आता ह इस सदभ म हर एक धामक मसलमान को वह जहा कह भी उपासना कर उस यह सोचनाआवयक ह क वह काबा क सामन खड़ा ह (इसीलए वव क सार मसलमान मका क ओर मह करक नमाज पढ़त ह

अन) जब वह वहा क याा कर तो उस धमथल क दवार म लग lsquoसग-अवद (काल पथर) को चमना चाहएमसलमान का ववास ह क व सभी चबन क नशान जो क लाख-ह-लाख मसलमान न उस पव पथर पर कए वlsquoआखरातrsquo यानी lsquoयाय क दनrsquo पर उस धामक यित क कयाण क लए उठ खड़ हग इसक अलावा वहा एकिज़मिज़म का कआ हमसलमान का ववास ह क जो कोई थोड़ा भी पानी उस कए स नकालगा उसक सभी पाप माकर दए जाएग और lsquoकयामतrsquo क दन क बाद उस एक नया शरर मलगा तथा वह सदव रहगाrdquo (२ ३९)३ गर-मसलमान को जान स मारो-rdquoमहमदय मत यानी इलाम अपन अनयायी मसलमान को उन सभी लोग को जानस मारन क अनमत दता ह जो क उनक मत क नह ह यानी गर-मसलमान ह करान म यह साफ लखा ह क lsquoगर-

मसलमान क हया करो यद व मसलमान नह बन जात हrdquo उनको आग म जला दना और तलवार क घाट उतार दनाचाहएrdquo (२ ३३५)४ गर-मसलमानो क हया करना जनत जान का सबस पका तरका-rdquoकोई आदमी िजतना अधक वाथ होता ह वहउतना ह अधक अनतक होता ह इसी कार जो जात कवल अपन ह वाथ म लत रहती ह वह सार वव म सबसअधक नदयी और सबस अधक अयाचार पाई गई ह ऐसा कोई रलजन नह हआ ह जो इस उपरोत वषवाद सअधक चपका हआ हो िजतना क अरबया क पगबर (महमद) वारा थापत रलजन lsquoइलामrsquo और अय कोईरलजन ऐसा नह हआ ह िजसन इतना खन बहाया ो औरजो अय लोग क त इतना अयाचार रहा हो करान म एक

उपदश ह जो क मनय इन शओ को नह मानता ह उस मार दना चाहए उस मारना एक दयालता ह इलाम म वग(जनत) जहा क अयत सदर lsquoहरrsquo और अय सभी कार क इिय सख एव आमोद-मोद क साधन ह को पान कासबस पका तरका गर-मसलमान को मार दन क वारा ह ज़रा इस रतपात क बार म सोचो जो क इस कार कववास क परणामवप हए हrdquo

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

2336agniveerfanswordpresscom20111014islam

contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 17: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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(१८ नवबर १८९६ को लदन म दए गए भाषण स २ः३५२-५३)५ एक हाथ म करान दसर म तलवार-rdquoजरा उन छोट-छोट सदाय क बार म सोचो जो पछल कछ सकड़ वष मचलायमान मानव मितक स उपज ह और व ईवर क समीप अगणत सय क ान का हकड़बाजी स दावा करत ह इसमयाभमान पर जरा यान दिजए इसस यद कछ स होता ह तो यह क य लोग कतन अहकार ह और इसम कोईआचय नह ह क ऐस दाव हमशा झठ साबत हए ह और ईवर क कपा स ऐस दाव का सदव असय होना निचत हइस वषय (इलाम) म मसलमान सबस अलग थ उहन आग बढ़नका यक कदम तलवार क धार स आग बढ़ाया

यानी क एक हाथ म करान और दसर म तलवार rdquoकरान वीकार करो या मौतrsquo इसक अलावा अय कोई वकलप नहहrdquo तम इतहास स जानत हो क इसस उनक कतनी आचयजनक सफलता रह छः सौ वष तक उह कोई नह रोकसका और इसक बाद एक समय ऐसा आया क जब उह चला कर कहना पड़ा क को अय रलजन क साथ भी ऐसाह होगा यद व ऐस ह तरक अपनाएग(२८ जनवर १९०० म पाडसना कलफोनया म दए गए भाषण स lsquo१ ६९-७०)६ सावभौमक भाईचारा कवल मसलमान क लए-rdquoमसलमान वव यापी भाईचार क बात करत ह परत वातव मइसका मतलब या ह आखर जो क मसलमान नह ह वह इस सावभौमक भाईचार म सिमलत य नह कया

जाएगा उसक तो गल काट जान क सभावना अधक हrdquo (२ ३८०)७ मसलमान मितय क जगह क को पजत ह-rdquoमसलमान ायः मतय क जगह अपन पीर और शहद क क काउपयोग करत ह (यानी पजत ह)rdquo (३ ६१)८ बालक प म ईवर-rdquoमसलमान वारा ईवर को एक बच क प म होन क वचार कोवीकार करना असभव ह वइस मानन स एक भयसहत सकोच करग लकन ईसाई और हद इस आसानी स अनभव कर सकत ह यक उनकमत म बाल वप ज़ीज़स और बालप गोपाल ी कण क अवधारण हrdquo (३ ९६)९ कसी मिलम दश म मदर बनाना विजत-rdquoऐसा भारत म ह ह क यहा भारतीय (हद) मसलमान और ईसाईय क

लए पजा थल (मिजद गरजाघर) बनवात ह अय कह नह अगर आप अय दश म जाओ और मसलमान याअय मत क लोग स कहो क उह अपन लए मदर बनान दो तो दखो व तहार कस कार मदद करत ह अनमत दनक जगह व तह और तहार मदर को ह तोड़ डालन क कोशश करग यद व ऐसा कर सकrdquo ( ३ ११४)१० भारत म रहन वाल भी हद-rdquoइसलए यह शद (हद) न कवल वातवक हदओ बिक मसलमान ईसाईयजनय और अय लोग क लए भी ह जो क भारत म रहत हrdquo (३ ११८)११ सकड़ वष तक lsquoअलाह-हो-अकबरrsquo गजता रहा-rdquoबबर वदशी आाताओ क एक लहर क बाद दसर लहर इस हमारपव दश पर टकराती रह वष तक आकशrsquoअलाह-हो-अकबरrsquo क नार स गजायमान होता रहा और कोई हद नह

जानता था इसका अितम ण कौन-सा होगा ववभर क ऐतहासक दश म स भारत न ह सबस अधक यातनाए औरअपमान सह ह फर भी हम लगभग उसी एक रा क प म वयमान ह और यद आवयक हआ तो सभी कार कआपदाओ को बार-बार सामना करन क लए तयार ह इतना ह नह अभी हाल म ऐस भी सकत ह क हम न कवलबलवान ह ह बिक बाहर नकलन को तयार ह यक जीवन का अथ सार हrdquo ( ३ ३६९ ndash ७०)१२ मसलमान क तरह न मानन पर हया-rdquoअानी लोगhellip अय कसी दसर मनय को वव क समयाओ का अपनवत चतन क अनसार याखया न करन दन को न कवल मना करत ह बिक यहा तक कहन का साहस करत ह कअय सभी बकल गलत ह और कवल व ह सह ह यद ऐस लोग का वरोध कया जाता ह तो व लड़न लगत ह और यहा

तक कहत ह क व उस आदमी को मार दग यद वह वसा ववास नह करता ह जसा क व वय करत ह और अयमसलमान भी करत हrdquo (४ ५२)१३ पगबर व फरत को पजन म आपितनह-rdquoमसलमान ारभ स ह मत पजा क वरोधी रह ह लकन उहपगबर या उनक सदशवाहक को पजन या उनक त आदर गट करन म कोई आपित नह होती ह बिक वातवकयवहार म एक पगबर क जगह हज़ार ह हज़ार पीर क पजा क जा रह हrdquo (४ १२१)१४ मसलमान सवाधक सदायवाद-rdquoइस (इलाम) क वषय म आज मसलमान सबस अधक नदयी औरसदायवाद ह उनका मखय सात वाकय ह rdquoईवर (अलाह) एक ह औ महमद उसका पगबर हrdquo इसक अलावा

सभी बात न कवल बर ह बिक उह फौरन नट कर दना चाहए यक ी औरपष जो इस सात को पर तरहनह मानता ह उस णभर क चतावनी क बाद मार दना चाहए यक वत जो इस कार क पजावध क अनकल नहह उस फौरन नट कर दना चाहए और यक पतक जो इसक अलावा कछ और बात क शा दती ह उस जला दनाचाहए पछल पाच सौ वष म शात महासागर स लकर अध महासागर तक सार वव म लगातार रतपात होता रहा

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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यह ह महमदवाद फर भी इन मसलमान म स ह जहा कह कोई दाशनक यित हआ उसननचय ह इनअयाचार क नदा क हrdquo (३ फरवर १९०० कोपासाडना म रए गए भाषण स ४ १२६)१५ अलाह क लए लड़ो-rdquoभारत म वदशी आाताओ क सकड़ वष तक लगातार एक क बाद एक लहर आती रहऔर भारत को तोड़ती और नट-ट करती रह यहा तलवार चमक और lsquoअलाह क लए लड़ो और जीतोrsquo क नार सभारत का आकाश गजता रहा लकन य बाढ़ भारत क आदश को बना परवतत कए वतः ह धीर-धीर समात होतीगईrdquo (४ १५९)

१६ मत पजक हद घणापद-rdquoमसलमान क लए यहद और ईसाई अयत घणा क पा नह ह उनक नज़र म वकम-स-कम ईमान क आदमी तो ह लकन ऐसा हद क साथ नह ह उनक अनसार हद मतपजक ह व घणापदlsquoकाफ़रrsquo ह इसलए वह इस जीवन म नशस हया क योय ह और मरन क बाद उसक लए शावत नकर तयार हमसलमान सलतान न काफर क आयािमक गओ व पजारय क साथ यद कोई सबस अधक पा क तो यह कउह कसी कार अितम सास लन तक चपचाप जी लन क अनमत द द यह भी कभी-कभी बड़ी दयालता मानी गयदकसी मिलम सलतान का धामक जोश असामाय या कछ अधक होता तो lsquoकाफरrsquo क कलआम पी बड़ य काफौन ह बध कया जातrdquo (४ ४४६)

१७ यहा कल आम मसलमान लाए-rdquoतम जानत हो क हद धम कसी को यातना नह दता यह एक ऐसा दश ह जहा कसभी कार क सदाय शाित और सौहाद क साथ रह सकत ह मसलमान अपन साथ अयाचार और कल आम लाएलकन उनक आन स पहल तक यहा शाित बनी रह थीrdquo (५ १९०)१८ मसलमान न तलवार का सहारा लया-rdquoभारत म मसलमान ह पहल ऐस लोग थ िजहन तलवार का सहारा लयाrdquo(५ १९७)१९ एक हद कम होन का मतलब एक श का बढ़ना-rdquoसबस परान इतहासकार फरता क अनसार हम बताया गया ह

क जब सबस पहल मसलमान भारत म आय तो यहा साठ करोड़ हद थ और अब कवल बीस करोड़ ह (यानी चालसकरोड़ हद मार और धमातरत कए गए-अन) और हद धम स एक भी हद का बाहर जान का मतलब ह एक हदका कम होना ह नह ह बिक एक दमन का बढ़ जाना ह इसक अलावा इलाम और ईसाइयत म धमातरत अधकाशहद तो तलवार क बल पर धमातरत हए ह या उनक सतान हrdquo (५ २३३)२० महमददय वजय को भारत म पीछ हटना पड़ा-rdquoमसलमान क वजय क लहर िजसन सार पवी को नगल लयाथा उस भारत क सामन पीछ हटना पड़ाrdquo (५ ५२८)२१ हशासन शद lsquoअससनrsquo बन गया-rdquoमसलमान का lsquoहशासनrsquo शद lsquoअससनrsquo बन गया यक महमदय मत का

एक पराना सदाय गर-मसलमान को मारन को अपन धम का एक अग मानता थाrdquo (५ ४०)२२ इलाम म हसा का योग-rdquoमसलमान न हसा का सबस अधक योग कयाrdquo (७ २१७)२३ गर-मसलमान को मार दो-rdquoएक ऐसा रलजन भी हो सकता ह जो अयत भयकर शाए दता हो उदाहरण क लएमहमदय मत (इलाम) मसलमान को उन सबक हया करन क अनमत दता ह जो क उसक मतानयायी नह ह ऐसाकरान म पट लखा ह क rdquoअववासय (गर-मसलमान) को मार द यद व महमदय यानी मसलमान नह हो जातहrdquo उह अिन म झक दना और तलवार स काट दना चाहए अब यद हम कसी मसलमान स कह क ऐसा गलत ह तोवह वाभावक तौर पर फौरन पछगा क rdquoतम ऐसा कस जानत हो तम कसजानत हो क ऐसा ठक नह ह मर धम

पतक (करान) कहती ह क ऐसा ठक हrdquo(१७ नवबर १८९९ को लदन म दए भाषण म टकल वदात भाग ३ स)

०८ लाला लाजपतराय (२८११८६५)-१७१११९२८)

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRbgDzKI5a2COLMhttpimage53webshotscom753565512318565510049914608ILqBSo_phjpg)कया कोई मिलम नता करान और हदस क वपरत जा सकता ह rdquoएक बात और ह जो मझ बहत दन स कट द रह ह िजस म चाहता ह क आप बहत यान स सोच और वह ह हद-मिलम एकता पछल ६ महन म मन अपना अधकाश समय मिलम इतहास और मिलम कानन को पढ़न मलगाया ह और म इस नकष पर पहचा ह क यह न तो सभव ह और न ह यावहारक ह असहयोग आदोलन ममिलम नताओ क ईमानदार व नठा को मानत हए और उस वीकारत हए म समझता ह क उनका धम उनक माग म

एक कम स कावट डालता हआपको याद होगा हकम अजमल खा और डॉ कचल स उस वषय मजो मर बातचीत हई थी उसक रपोट मन आपकोकलकता म द थी हकम साहब स बहतर कोई मसलमान हदतान म नह ह परत या कोई अय मिलम नताकरान क वपरत जा सकता ह म तो कवल यह सोचता ह क इलामक कानन क बार म मरा ान सह नह ह औरऐसा ह सोचकर मझ राहत मलती ह परत यद यह सह ह तो यह बात साफ़ ह क हम अज क व एक हो सकतह परत टश परखा क अनसार हदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत जम जनताक आधार परहदतान पर शासन चलान क लए एक नह हो सकत

फिर उपाय या ह उ मझ हदतन क सात करोड़ हदओ का डर नह ह परत म सोचता ह क हदतान क सातकरोड़ मसलमान और अफ़गानतान मय एशया अरब मसोपोटामया और तक क हथयारबद गरोह मलकरअयाशत िथत पदा कर दग म ईमानदार स हद-मिलम एकता क आवयकता और वाछनीयता म ववासकरता ह म मिलम नताओ पर भी पर तरह स ववास करन को तयार ह परत करान और हदस क नषधाा क बारम या कह य नता उनका उलघन नह कर सकत तो या हम बबाद हो जाएग म ऐसी बात नह सोचता म आशाकरता ह क सशत और बमान इस कठनाई स बच नकलन का कछ उपाय ढढगrdquo(सी आर दास को लख प स जा बाबा साहब डॉ अबडकर सप वा मय खड १५ क प २७५ पर उत ह)

०९ मोहनदास करमचद गाधी (२१०१८६९-३०११९४८)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 20: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbndpIG_1H1UvdybMhttpsujeetkumaarfileswordpresscom200907mahatma-gandhi1jpg)

१ मसलमान चाक और पतौल चलान म अयधक वछद-rdquoमसलमान को एक अिनपरा स गजरना पड़ता ह इसम कोई सदह नहकयाजा सता ह क व चाक और पतौल चलान म अयधक वछद होत हrdquo

(यग इडया २० दसबर १९४२)२ सामायतः मसलमान र और हद कायर होत ह-rdquoमरा अपना अनभव ह जो इस वचार को पका करता ह क सामायतया मसलमान र होतह जबक हद सामायतया कायर होत हrdquo(गाधी क जीवनी धनजय कर पौपलर काशन मबई १९७३ प ४०२)

१० योगीराज ी अरवद (१५८१८७२-५१२१०५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbntoy9mn4kZtYS5Mhttppustakorg4300bsbooksimage_MImage3440)१ हद-मिलम एकता असभव-rdquoतम एक ऐस धम क साथ तो सौहादपणता क साथ रह सकत हो िजसका सात सहणता हो लकन ऐस धमक साथ शाित स रहना कस सबध हो सकता ह िजसक सात ह यह हो क lsquoम तह सहन नह कगाrsquo तम ऐस लोग (मसलमान) क साथकस एकता थापत कर सकत हो

निचय ह हद-मिलम एकता इस आधार पर थापत नह हो सकती ह क मसलमान तो हदओ का लगातार धमातरण करत रह जबक हदकसी मसलमान को धमातरत न करrdquordquohellip तम इस कार क आधार पर हद-मिलम एकता थापत नह कर सकत हो शायद मसलमान को अहानकारक बनान का एक मा तरकायह ह क व अपन मज़हब क त धमाधता छोड़ दrdquo(२३७१९२३ को वातालाप स िजस ए बी परानी न lsquoईवनग टॉस वद ी अरबदrsquo म सकलत कया काशक ी अरबद आम टरतप २९१)२ शायद हदओ को मसलमान स लड़ना पड़-rdquoमझ खद ह क व (प मदनमोहन मालवीय और चवत राजगोपालाचाय) इस हद-मिलम एकता

को अध ा क आधार पर बना रह ह इस सचाई क उपा करन स कोई लाभ नह ह क कसी दन हदओ को मसलमान स शायद लड़ना पड़और उह इसक लए तयार हो जाना चाहए हद-मिलम एकता का अथ हदओ क पराधीनता नह होनी चाहए हर बार हदओ को अपनीसहनशीलता क कारण परािजत होना पड़ा ह सबस उतम हल तो यह होगा क हद वय को सगठत कर और फर हदrsquoमिलम एकता इसक

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 21: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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वय यवथा कर लगी और इसस उनकसमयाओ का हल भी वय नकल आएगा वना हम आम सतिट क मत जाल म फस रहग क हमनएक कठन समया का हल नकाल लया ह जबक वातव म हमन इस समया स पलायन कर लया हrdquo(१८४१९२३) क वातालाप स वह ए बी परानी प २८९)३ महमदय चतन म परवतन आवयक-rdquo२९६१९२६ को एक शय न ी अरबद स पछा क lsquoयद भारत क यह नयत ह क वह सभी कारक परपर वरोधी तव का आमसात कर तो या महमदय तव (इलाम) का भी आमसात सभव ह ी अरबद न उततर दया य नह भारत न ीक पासय और अय रा क तव का आमसात कया ह लकन वह तभी आमसात करता ह जब उसक मौलक सय को दसर प

वारा वीकारा जाता ह और यहा तक क आमसात करत हए वह उस इस कार स करता ह क िजन तव का आमसात कया जाए व वदशीतीत न ह और उसक एक अग बन जाएhelliprdquo महमदय सकत का आमसातकरण भी मितक म अधकाश अश म कर लया गया था औरवह शायद और भी आग तक चला जाता लकन इस या क पण होन क लए यह आवयक ह क महमदय चतन म एकपरवतन आए यहवरोधाभास बाहर जीवन म ह और जब तक क मसलमान सहनशलता नह सीखत म नह सोचता क आमसातकरण कभी सभव हrdquordquoहिद तो सहन करन को तयार ह उसका मन नए वचार क लए खला ह और उसक सकत म आमसात करन क एक अ भत मता भी हपरत उसन इसी बात पर बल दया ह क उसक lsquoमौलक सयrsquo को वीकारा जाएrdquo(ए बी परानी वह प २८२)

४ गह य क सभावना-३०१२१९३९ को ी अरबद न हद मिलम सबध क बार म कहा क rdquoमन सी आर दास को १९२३ म कहा था कहद मिलम समया का हल टश क जान स पहल खोज लना चाहए बना गहय क खतर क सभावना ह व इस बात स सहमत थ और इससमया को हल करना चाहत थrdquo(ए बी परानी वह प ६९६)

११ वनायक दामोदर सावरकर (२८५१८८३-२६२१९६६)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnw0c5-t3nZItC0Mhttpwww4to40comimagesColoring_Bookvinayak_damodar_savarkargif)१ मजहवी धारणा-rdquoसामायतः मसलमान अभी अयधक धामकता और राय क मजहबी धारणा क ऐतहासक चरण स नह उबर पाय ह उनक

मजहबी राजनीत मानव-जात को दो भाग म वभािजत करती ह-rsquoमिलम भमrsquo और lsquoश भमrsquo व सभी दश िजनम या तोपण प स मसलमानह नवास करत ह अथवा जहा मसलमान का शासन ह lsquoमिलम दशrsquo ह और अय दश lsquoश दशrsquordquo (सावरकर एड हज टाइम प २३०)

२ मिलम धमाधता-rdquoपारसी-ईसाई आद भारत क लए कोई समया नह ह जब हम वत हो जाय तब इह बड़ी सरलता स हद नागरक कणी म लाया जा सकगा कत सलमान क बार म बात दसर ह जब कभी इलड भारत स अपनी सता हटा लगा तब भारतीय राय क तदश क मसलमान भयद स हो सकत ह हदथान म मिलम राय क थापना करन क अपनी धमाध योजना को अपन मन-मितक मसजोय रखन क मिलम जगत क नीत आज भी बनी हई हrsquo (३० दसबर १९३९ को हद महासभा का अयीय भाषण)

३ rdquoमसलमान म जात-पात या ीयता का भाव नह ह यह कहना सवथा ामक ह दरानी मसलमान व मगल मसलमान दिखनी मसलमान वउतर मसलमान शख मसलमान व सयद मसलमान क झगड़ का लाभ उठाकर ह मराठ न मगल का तखता पलटा शया और सनी दग वणव वशव क दग स हजार गणा यादा भयकर ह- और बार-बार होत रहत हकाबलम सनी मसलमान न अहमदया मसलमान को पथर स मार डाला बहाई मसलमान तो अय सभी मसलमान को इस दनया म फासीऔर नक क योय समझत ह अपयता भी उनम कम नह ह भगी मसलमान को पानी भी न छन दन वाल व मिजद म नमाज़ क लए न जान

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 22: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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दन क घटनाय होती ह रहती हrdquo (मौलाना शौकतअल को लख प तीसरा खड सावरकर सम वा प ७५८)४ मिलम मनोवित- पछल पचास वष म मसलमान को सन कर व उह एक सयत भारतीय रा म सिमलत करक कम स कम इस हतरत करन क लए क सवथम व भारतीय ह व फर मसलमान ह कास क यास का बर तरह असफल होन का या कारण था ऐसा नह ह कमसलमान एक सयत भारतीय रा नह बनाना चाहत कत एकता राय एकता क कपना उसक ादशक एकता पर आधारत नह ह इसवषय पर कसी मसलमान न यद पट एव बोधगय प स अपना मानस यत कया ह तो वह मोपला आदोलन क नता अल मसलयार न

हजार हद महलाओ पष बच को धमातरत करन अथवा तलवार क बल पर समात करन क अत दट अभयानक समथन म उसन घोषतकया क भारत को एक सयत रा होना ह चाहए और हद मसलमान क शावत एकता थापत करन का कवल एक ह माग ह और वह ह सारहदओ का मसलमान बन जानाrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)५ मसलमान-मसलमान भारतीय कभी नह-मसलमान मसलमान थम और अतम प स मसलमान रह भारतीय कभी नह व तब तक तटथरह जब तक क दगमत हदओ न अजी राज स सभी भारतीय क लए राजनतक अधकार ात करन का सघष जार रखा और लाख कसखया म जल गय हजासर क सखया म अडमान गय सकड़ क सखया म फासी पर झल गय और जस ह एक ओर कासी हदओ वारा चलायजा रह नःश आदोलन एव दसर ओर कास स बाहर सश हद ाितकारय वारा अधक भयावह एव वासी जीवन-मय का सघष चलाय

जान स अजी शासन पर पयात प स भाव पड़ा और उह भारतीय को महवपण राजनतक शित दन को ववश होना पड़ा तरत ह मसलमानचाहरदवार स कहन लग क व भी भारतीय ह उह भी अपना अधकार मलना चाहए अततोगवा बातयहा तक पहची क भारतवष को भारतrsquo व lsquoहद भारतrsquo म वभािजत करन का ताव ज़ोरशोर स रखा गया और इस हत मिलम लग जसी मसलमान का तनधव करन वालसथा न मिलम रा क साथ हदओ क व मता करन क तपरता बताईrdquo (नागपर म हद महासभा म अयीय भाषण)६ वमातरम का वरोध-rdquoमिलम लग lsquoवदमातरम rsquo को इलाम वरोधी घोषत कर चक ह रावाद कह जान वाल कासी मिलम नता भीlsquoवदमातरम rsquo गान स इनकार कर अपनी सकण मनोवित का परचय द चक ह हमार एकतावाद कासी नता उनक हर अनचत व दराहपणमाग क सामन झकत जा रह ह आज व वदमातरम का वरोध कर रह ह कल lsquoहदथानrsquo या lsquoभारतrsquo नाम पर एतराज़ करग-इह इलाम वरोधी

करार दग हद क जगह उद को राभाषा व दवनागर क जगह अरबी लप का आह करग उनका एकमा उ दय ह भारत को lsquoदालइलामrsquo बनाना ह तटकरण क नीत उनक भख और बढ़ाती जायगी िजसका घातक परणाम सभी को भोगना होगाrdquo महासभा का अयीय भाषण)७हद का सनककरण-rdquoजब तक दश क राजनीत का हदकरण और हद का सनककरण नह कया जायगा तब तक भारत क वाधीनताउसक सीमाय उसक सयता व सकत कदाप सरत नह रह सकगी मर तो हद यवक स यह अपा ह यह आदश ह क व अधकाधकसखया म सना म भत होकर सय-वया का ान ात कर िजसस समय पड़न पर व अपन दश का वाधीनता क रा म योग द सकrdquo जोधपर म सपन हद महासभा अधवशन म भाषण)

८ हदथान नाम का वरोध-rdquoहर एक दश का नाम उसक राय बहमत वाल नाम स ह पकारा जाना चाहए या कभी बलचतान वजीरतानअफगानतान तकथान आद नाम पर भी आपित क गयी जबक इन दश म गर-मिलम अपमत बस रहा ह फर हदथान या हदराय का नाम लत ह इनक सास य उखड़न लगती ह-जस क उह साप न ह काट खाया हो rdquo (वनायक दामोदर सावरकर प २२२)

१२ सरदार वलभ भाई पटल (३०११८७५-१५१२१९५०)

(httpt1gstaticcomimagesq=tbnczYJ059K0KQ0CMhttpwwwitxsscomuserpritramanwp-

2336agniveerfanswordpresscom20111014islam

contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 23: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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contentuploads201001sardar-pateljpg)१ मसलमान अपनी वित म परवतन लाऐ rdquoभारत का नया ना कसी भी कार क ववसामक वितय को सहन नह करगा यद फर वहमाग अपनाया जाना ह िजसक कारण दश का वभाजन हआ तो जो लोग पनः वभाजन करना चाहत ह और फट क बीज बोना चाहत ह उनक लएयहा कोई थान नह होगा कोई कोना नह होगाhelliphelliphellip कत म अब दखता ह क उह यितय को फर अपनाया जा रहा ह जो उस समयअपनायी गयी थी जब दश म पथक नवाचन-मडल क पत लाग क गयी थी मिलम लग क वताओ क वाणी म चर मठास होन पर भी

अपनाय गय उपाय म वषय क भरपर माा ह सबस बाद क वता (ी नजी दन अहमद) न कहा ह-rdquoयद हम छोट भाई का सशोधन वीकार नहकरग तो हम उसक यार को गवा दगrdquo म उसका यार गवान क लए तयार ह अयथा बड़ भाई क मय हो सकती ह आपको अपनी वित मपरवतन करना चाहए वय को बदल हई परिथतय क अनकल ढालना चाहए यह बहाना बनान स काम नह चलगा क rdquoहमारा तो आपस घनायार हrdquo हमन आपका यार दख लया ह अब इसक चचा छोड़एrdquo२ हम दश का पनः वभाजन नह चाहत-rdquoआइए हम वातवकताओ का सामना कर न यह ह क आप वातव म हमस सहयोग करना चाहत हया तोड़-फोड़ क चाल चलना चाहत ह म आपस दय-परवतन का अनरोध करता ह कोर बात स काम नह चलगा उसस कोई लाभ नह होगाआप अपनी वित पर फर स वचार कर यद आप सोचत ह क उसस आपको लाभ होगा तो आप भल कर रह हhelliphellip मरा आपस अनराो ह कबीती को बसार द आग क सध ल आपको मनचाह वत मल गयी ह और मरण रखए क आप ह लोग पाकतान क लए उतरदायी हपाकतान क वासी नह आप लोग आदोलन क अगआ थ अब आप या चाहत ह हम नह चाहत क दश का पनः वभाजन होrdquo म भाषण द २८८१९४७)

१३ बाबा साहब डॉ भीम राव अबडकर (१४४१८९१-६१२१९५६)

(httpt2gstaticcomimagesq=tbnR_Xij1lvLo_TmMhttpwwwambedkartimescomImageambedkaraboutgif)१ हद काफ़र समान क योय नह-rdquoमसलमान क लए हद काफ़र ह और एक काफ़र समान क योय नह ह वह नन कल म जमाहोता ह और उसक कोई सामािजक िथत नह होती इसलए िजस दश म क़ाफर का शासनहो वह मसलमान क लए दार-उल-हब ह ऐसी सतम यह साबत करन क लए और सबत दन क आवयकता नह ह क मसलमान हद सरकार क शासन को वीकार नह करगrdquo (प ३०४)२ मिलम ातभाव कवल मसलमान क लए-rdquoइलाम एक बद नकाय क तरह ह जो मसलमान और गर-मसलमान क बीच जो भद यह

करता ह वह बकल मत और पट ह इलाम का ातभाव मानवता का ातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातभाव मानवता काातव नह ह मसलमान का मसलमान स ह ातव ह यह बधव ह परत इसका लाभ अपन ह नकाय क लोग तक सीमत ह और जो इसनकाय स बाहर ह उनक लए इसम सफ घणा ओर शता ह ह इलाम का दसरा अवगण यह ह क यह सामािजक वशासन क एक पत हऔर थानीय वशासन स मल नह खाता यक मसलमान क नठा िजस दश म व रहत ह उसक त नह होतीववास पर नभर करती ह िजसका क व एक हसा ह एक मसलमान क लए इसक वपरत या उट सोचना अयत दकर ह जहा कहइलाम का शासन ह वह उसका अपना ववासह दसर शद म इलाम एक सच मसलमान को भारत को अपनी मातभम और हदओ कोअपना नकट सबधी मानन क इज़ाजत नह दता सभवतः यह वजह थी क मौलाना महमद अल जस एक महान भारतीय परत सचमसलमान न अपन शरर को हदतान क बजाए यसलम म दफनाया जाना अधक पसद कयाrdquo३ एक सादायक और राय मसलमान म अतर दख पाना मिकल-rdquoलग को बनान वाल सादायक मसलमान और रावादमसलमान क अतर को समझना कठन ह यह अयत सदध ह क रावाद मसलमान कसी वातवक जातीय भावना लय तथा नीत सकास क साथ रहत ह िजसक फलवप व मिलम लग स पथक पहचान जात ह यह कहा जाता ह क वातव म अधकाश कासजन कधारण ह क इन दोन म कोई अतर नह ह और कास क अदर रावाद मसलमान क िथत सादायक मसलमान क सना क एकचौक क तरह ह यह धारणा असय तीत नह होती जब कोई यित इस बात को याद करता ह क रावाद मसलमान क नता वगय डॉ

असार न सादायक नणय का वरोध करन स इकार कया था ययपकास और रावाद मसलमान वारा पारत ताव का घोर वरोधहोन पर भी मसलमान को पथक नवाचन उपलध हआrdquo (प ४१४-४१५)४ भारत म इलाम क बीज मिलम आाताओ न बोए-rdquoमिलम आाता नसदह हदओ क व घणा क गीत गात हए आए थ परत व

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

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Page 24: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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घणा का वह गीत गाकर और माग म कछ मदर को आग लगा कर ह वापस नह लौट ऐसा होता तो यह वरदान माना जाता व ऐस नकारामकपरणाम मा स सतट नह थ उहन इलाम का पौधा लगात हए एक सकारामक काय भी कया इस पौध का वकास भी उलखनीय ह यहीम म रोपा गया कोई पौधा नह ह यह तो ओक (बाज) व क तरह वशाल और सढ़ ह उतर भारत म इसका सवाधक सघन वकास हआह एक क बाद हए दसर हमल न इस अय कह को भी अपा अपनी lsquoगादrsquo स अधक भरा ह और उहन नठावान मालय क तय इसम पानीदन का काय कया ह उतर भारत म इसका वकास इतना सघन ह क हद और बौ अवशष झाड़य क समान होकर रह गए ह यहा तक कसख क कहाड़ी भी इस ओक (बाज) व को काट कर नह गरा सकrdquo (प ४९)५ मसलमान क राजनीतक दाव-पच म गडागद-rdquoतीसर बात मसलमान वारा राजनीत म अपराधय क तौर-तरक अपनाया जाना ह दगइस बात क पयात सकत ह क गडागद उनक राजनीत का एक थापत तरका हो गया हrdquo (प २६७)६ हयार धामक शहद-rdquoमहव क बात यह ह क धमाध मसलमान वारा कतन मख हदओ क हया क गई मल न ह उन लोग किटकोण का िजहन यह कल कय जहा कानन लाग कया जा सका वहा हयार को कानन क अनसार सज़ा मल तथाप मख मसलमानन इन अपराधय क कभी नदा नह क इसक वपरत उह lsquoगाजीrsquo बताकर उनका वागत कया गया और उनक मादान क लए आदोलन

श कर दए गए इस िटकोण का एक उदाहरण ह लाहौर क बरटर म बरकत अल का िजसन अदल कयम क ओर स अपील दायर कवह तो यहा तक कह गया क कयम नाथराम क हया का दोषी नह ह यक करान क कानन क अनसार यह यायोचत ह मसलमान का यहिटकोण तो समझ म आता ह परत जो बात समझ म नह आती वह ह ी गाधी का िटकोणrdquo(प १४७-१४८)७ हद और मसलमान दो वभन जातया-rdquoआयािक िट स हद और मसलमान कवल ऐस दो वग या सदाय नह ह जस ोटट सऔर कथोलक या शव और वणव बिक व तो दो अलग-अलग जातया हrdquo (प १८५)८ इलाम और जातथा-rdquoजात था को लिजए इलाम ात-भाव क बात कहता ह हर यित यह अनमान लगाता ह क इलाम दास थाऔर जात था स मत होगा गलामी क बार म तो कहन क आवयकता ह नह अब कानन यह समात हो चक ह परत जब यह वयमानथी तो यादातर समथन इस इलाम और इलामी दश स ह मलता था करान म पगबर न गलाम क साथ उचत इलाम म ऐसा कछ भी नहह जो इस अभषाप क उमलन क समथन म हो जसाक सर डय यर न पट कहा ह-rdquohellipगलाम या दासथा समात हो जान म मसलमान का कोई हाथ नह ह यक जब इस था क बधन ढल करन का अवसर था तबमसलमान न उसको मजबती स पकड़ लयाhellip कसी मसलमान पर यह दायव नह ह क वह अपन गलाम को मत कर दhelliprdquordquoपरत गलामी भल वदा हो गईहो जात तो मसलमान म क़ायम ह उदाहरण क लए बगाल क मसलमान क िथत को लया जा सकता ह१९०१ क लए बगाल ात क जनगणना अधीक न बगाल क मसलमान क बार म यह रोचक तय दज कए ह rdquoमसलमान का चार वग-शख सयद मग़ल और पठान-म परपरागत वभाजन इस पात (बगाल) म ायः लाग नह ह मसलमान दो मखय

सामािजक वभाग मानत ह-१ अशरफ अथवा श और २ अज़लफ अशरफ स तापय ह lsquoकलनrsquo और इसम वदशय क वशज तथा ऊची जातक अधमातरत हद शामल ह शष अय मसलमान िजनम यावसायक वग और नचल जातय क धमातरत शामल ह उह अज़लफअथात नीचा अथवा नकट यित माना जाता ह उह कमीना अथवा इतर कमीन या रासल जो रजाल का ट प ह lsquoबकारrsquo कहा जाता हकछ थान पर एक तीसरा वग lsquoअरज़लrsquo भी ह िजसम आन वाल यित सबस नीच समझ जात ह उनक साथ कोई भी अय मसलमान मलगा-जलगा नह और न उह मिजद और सावजनक कतान म वश करन दया जाता हइन वग म भी हदओ म चलत जसी सामािजक वरयताऔर जातया ह

१ lsquoअशरफrsquo अथवा उच वग क मसलमान (प) सयद (पप) शख (पपप) पठान (पअ) मगल (अ) मलक और (अप) मज़ा२ lsquoअज़लफrsquo अथवा नन वग क मसलमान

(i) खती करन वाल शख और अय व लोग जो मलतः हद थ कत कसी बजीवी वग स सबिधत नह ह और िजह अशरफसमदाय अथात पराल और ठकराई आद म वश नह मला ह( ii) दज जलाहा फकर और रगरज(iii) बाढ़ भटयारा चक चड़ीहार दाई धावा धनया ग डी कलाल कसाई कला कजरा लहर माहफरोश मलाह नालया नकार(iv) अदाल बाको बडया भाट चबा डफाल धोबी हजाम मचो नगारची नट पनवाड़या मदारया तितया

३ lsquoअरजलrsquo अथवा नकट वगभानार हलालखोदर हजड़ा कसबी लालबगी मोगता महतर

जनगणना अधीक न मिलम सामािजक यवथा क एक और प का भी उलख कया ह वह ह lsquoपचायत णालrsquo का चलन वह बतात ह

rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसा

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

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Page 25: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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rdquoपचायत का ाधकार सामािजक तथा यापार सबधी मामल तक यात ह औरhelliphellipअय समदाय क लोग स ववाह एक ऐसाअपराध ह िजस पर शासी नकायकायवाह करता ह परणामत य वग भी हद जातय क समान ह ायः कठोर सगोती ह अतर-ववाह पररोक ऊची जातय स लकर नीची जातय तक लाग ह उदाहरणतः कोई घमा अपनी ह जात अथात घमा म ह ववाह कर सकता ह यद इस

नयम क अवहलना क जाती ह तो ऐसा करन वाल को तकाल पचायत क सम पश कया जाता ह एक जात का कोई भी यित आसानीस कसी दसर जात म वश नह ल पाता और उस अपनी उसी जात का नाम कायम रखना पड़ता ह िजसम उसन जम लया ह यद वहअपना लता ह तब भी उस उसी समदाय का माना जाता ह िजसम क उसन जम लया थाhellip हजार जलाह कसाई का धधा अपना चक हकत व अब भी जलाह ह कह जात हrdquo

इसी तरह क तय अय भारतीय ात क बार म भी वहा क जनगणना रपोट स व लोग एकत कर सकत ह जो उनका उलख करना चाहतह परत बगाल क तय ह यह दशान क लए पयात ह क मसलमान म जात ाणी ह नह छआछत भी चलत हrdquo (प २२१-२२३)९ इलामी कानन समाज-सधार क वरोधी-rdquoमसलमान म इन बराइय का होना दखदह कत उसस भी अधक दखद तय यह ह क भारत कमसलमान म समाज सधार का ऐसा कोई सगठत आदोलन नह उभरा जो इन बराईय का सफलतापवक उमलन कर सक हदओ म भीअनक सामािजक बराईया ह परत सतोषजनक बात यह ह क उनम स अनक इनक वयमानता क त सजग ह और उनम स कछ उनबराईय क उमलन हत सय तौर पर आदोलन भी चला रह ह दसर ओर मसलमान यह महसस ह नह करत क य बराईया ह परणामतःव उनक नवारण हत सयता भी नह दशात इसक वपरत व अपनी मौजदा थाओ म कसी भी परवतन का वरोध करत ह यह उलखनीयह क मसलमान न कय असबल म १९३० म पश कए गए बाल ववाह वरोधी वधयक का भी वरोध कया था िजसम लड़क क ववाह-योय आय १४ वष और लड़क क १८ वष करन का ावधान था मसलमान न इस वधयक का वरोध इस आधार पर कया क ऐसा कया जानामिलम धमथ वारा नधारत कानन क व होगा उहन इस वधयक का हर चरण पर वरोध ह नह कया बिक जब यह कानन बन

गया तो उसक खलाफ सवनय अवाअभयान भी छड़ा सौभाय स उत अधनयम क व मसलमान वारा छोड़ा गया वह अियान फलनह हो पाया और उह दन कास वारा चलाए गए सवनय अवा आदोलन म समा गया परत उस अभयान स यह तो स हो ह जाता हक मसलमान समाज सधार क कतन बल वरोधी हrdquo (प २२६)१० मिलम राजनीत वारा धमनरपता का वरोध-rdquoमिलम राजनीत जीवन क धमनरप पहलओ को अपनी राजनीत का आधारनह मानत यक उन लए इसका अथ हदओ क व अपन सघष म अपन समदाय को कमजोर करना ह ह गरब मसलमान धनय सइसा पान क लए गरब हदओ क साथ नह मलग मिलम जोतदार जमीदार क अयाय को रोकन क लए अपनी ह णी क हदओ कसाथ एकजट नह हग पजीवाद क खलाफ मक क सघष म मिलम मक हद मक क साथ शामल नह हग य उतर बड़ा सरलह गरब मसलमान यह सोचता ह क यद वह धनी क खलाफ गरब क सघष म शामल होता ह तो उस एक धनी मसलमान स भी टकरानापड़गा मिलम जोतदार यह महसस करत ह क यद व जमीदार क खलाफ अभयान म योगदान करत ह तो उह एक मिलम जमीदार कखलाफ भी सघष करना पड़ सकता ह मसलमान मजदर यह सोचता ह क यद वह पजीपत क खलाफ मक क सघष म सहभागी बना तो वहमिलम मल-मालक क भावाओ को आघात पहचाएगा वह इस बार म सजग ह क कसी धनी मिलम मिलम ज़मीदार अथवा मिलम मल-मालक को आघात पहचाना मिलम समदाय को हान पहचाना ह और ऐसा करन का तापय हद समदाय क व मसलमान क सघष कोकमजोर करना ह होगाrdquo (प २२९-२३०)११ मिलम कानन क अनसार भरत हदओ और मसलमान क समान मातभम नह हो सकती-rdquoमिलम धम क सात क अनसार वव

दो हसो म वभािजत ह-दार-उल-इलाम तथा दार-उल-हब मिलम शासत दश दार-उल-इलाम ह वह दश िजसम मसलमान सफ रहत ह नक उस पर शासन करत ह दार-उल-हब ह मिलम धामक कानन का ऐसा होन क कारण भारत हदओ तथा मसलमान दोन क मातभम नहहो सकती ह यह मसलमान क धरती हो सकती ह-कत यह हदओ और मसलमान क धरती िजसम दोनसमानता स रह नह हो सकतीफर जब इस पर मसलमान का शासन होगा तो यह मसलमान क धरती हो सकती ह इस समय यह दश गर-मिलम सता क ाधकार कअतगत ह इसलए मसलमान क धरती नह हो सकती यह दश दार-उल-इलाम होन क बजाय दार-उल-हब बन जाताप ह हम यह नह मानलना चाहए क यह िटकोण कवल शाीय ह यह सात मसलमान को भावत करन म बहत कारगर कारण हो सकता हrdquo (प २९६-२९७)१२ दार-उल-हव भारत को दार-उल-इलाम बनान क लए िजहाद-rdquoयह उलखनीय ह क जो मसलमान अपन आपको दार-उल-हब म पात हउनक बचाव क लए हजरत ह उपाय नह ह मिलम धामक कानन क दसर आा िजहाद (धम य) ह िजसक तहत हर मसलमान शासक कायह कतय हो जाता ह क इलाम क शासन का तब तक वतार करता रह जब तक सार दनया मसलमान क नयण म नह आ जातीससार क दो खम म बटन क वजह स सार दश या दो दार-उल-इलाम (इलाम का घर) या दार-उल-हब (य का घर) क णी म आत ह तकनीकतौर पर हर मिलम शासक का जो इसक लए सम ह कतय ह क वह दार-उल-ह कोदार-उल-इलाम म बदल द और भारत म िजस तरहमसलमान क हज़रत का माग अपनान क उदाहरण ह वहा ऐसस भी उदाहरण ह क उहन िजहाद क घोषणा करन म सकोच नह कयाrdquordquoतय यह ह क भारत चाह एक मा मिलम शासन क अधीन न हो दार-उल-हब ह और इलामी सात क अनसार मसलमान वारा िजहादक घोषणा करना यायसगत ह व िजहाद क घोषणा ह नह कर सकत बिक उसक सफलता क लए वदशी मिलम शित क मदद भी ल

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

2936agniveerfanswordpresscom20111014islam

(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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सकत ह और यद वदशी मिलम शित िजहाद क घोषणा करना चाहती ह तो उसक सफलता क लए सहायता द सकत हrdquo (प २९७-२९८)१३ हद-मिलम एकता असफल य रह -rdquoहद-मिलम एकता क वफलता का मखय कारण इस अहसास का न होना ह क हदओ और

मसलमान क बीच जो भनताए ह व मा भनताए ह नह ह और उनक बीच मनमटाव क भावना सफ भौतक कारण स ह नह ह इसवभनता का ोत ऐतहासक धामक साकतक एव सामािजक दभावना ह और राजनीतक दभावना तो मा तबब ह य सार बातअसतोष का दरया बना लती ह िजसका पोषण उन तमाम बात स होता ह जो बढ़त-बढ़त सामाय धाराओ को आलावत करता चला जाता ह दसरोत स पानी क कोई भी धारा चाह वह कतनी भी पव य न हो जब वय उसम आ मलती ह तो उसका रग बदलन क बजाय वह वय उसजसी हो जाती ह दभावना का यह अवसाद जो धारा म जमा हो गया ह अब बहत पका और गहरा बन गया ह जब तक य दभावनाए वयमानरहती ह तब तक हद और मसलमान क बीच एकता क अपा करना अवाभावक हrdquo (प ३३६)१४ हद-मिलम एकता असभव काय-rdquoहद-मिलम एकता क नरथकता को गट करन क लए म इन शद स और कोई शबदावल नहरख सकता अब तक हद-मिलम एकता कम-स-कम दखती तो थी भल ह वह मग मरचका ह य न हो आज तो न वह दखती ह और नह मन म ह यहा तक क अब तो गााी न भी इसक आशा छोड़ द ह और शायद अब वह समझन लग ह क यह एक असभव काय हrdquo (प१७८)१५ सादायक शाित क लए अलपसखयक क अदला-बदल ह एक मा हल-rdquoयह बात निचत ह क सादायक शात थापत करन काटकाऊ तरका अपसखयक क अदला-बदल ह हयद यह बात ह तो फर वह यथ होगा क हद और मसलमान सरण क ऐस उपाय खोजनम लग रह जो इतन असरत पाए गए ह यद यनान तक और बगारया जस सीमत साधन वाल छोट-छोट दश भी यह काम परा कर सक तोयह मानन का कोई कारण नह ह क हदतानी ऐसा नह कर सकत फर यहा तो बहत कम जनता को अदला-बदल करन क आवयकता

पड़गी ओर चक कछ ह बाधाओ को दर करना ह इसलए सादायक शात थापत करन क लए एक निचत उपाय को न अपनाना अयतउपहासापद होगाrdquo (प १०१)१६ वभाजन क बाद भी अपसखयक-बहसखयक क समया बनी ह रहगी-rdquoयह बात वीकार कर लनी चाहए क पाकतान बनन सहदतान सादायक समयास मत नह हो जाएगा सीमाओ का पननधारण करक पाकतान को तो एक सजातीय दश बनाया जा सकताह परत हदतान तो एक मत दश बना ह रहगा मसलमान समच हदतान म छतर हए ह-ययप व मखयतः शहर और कब मकत ह चाह कसी भी ढग स सीमाकन क कोशश क जाए उस सजातीय दश नह बनायाजा सकता हदतान को सजातीय दश बनानकाएकमा तरका ह जनसखया क अदला-बदल क यवथा करना यह अवय वचार कर लना चाहए क जब तक ऐसा नह कयाजाएगाहदतान म बहसखयक बनाम अपसखयक क समया और हदतान क राजनीत म असगत पहल क तरह बनी ह रहगीrdquo (प १०३)१७ अपसखयक क सरा क लए सवधानक उपाय-rdquoअब म अपसखयक क उस समया क ओर आपका यान दलाना चाहता ह जोसीमाओ क पनः नधारण क उपरात भी पाकतान म बनी रहगी उनक हत क रा करन क दो तरक ह सबस पहल अपसखयक कराजनीतक और साकतक अधकार क रा क लए सवधान म सरा उपाय दान करन ह भारतीय क लए यह एक सपरचत मामला हऔर इस बात पर वतार स वचार करना आवयक हrdquo (प ३८५)१८ अपसखयक क अदला-बदल-एक सभावत हल-rdquoदसरा तरका ह पाकतान स हदतान म उनका थानातरणकरन क िथत पदाकरना अधकाश जनता इस समाधान को अधक पसद करती ह और वह पाकतान क वीकत क लए तयार और इछक हो जाएगी यद यह

दशत कया जा स क जनसखया का आदान-दान सभव ह परत इस व होश उड़ा दन वालऔर दह समया समझत ह नसदह यह एकआतकत दमाग क नशनी ह यद मामल पर ठड और शातपण एग स वचार कया जाए तो पता लग जाएगा क यह समया न तो होश उड़ानवाल ह और न दहrdquo (प ३८५)(सभी उरण बाबा साहब डॉ अबडकर सपण वा मय खड १५-rsquoपाकतान और भारत क वभाजन २००० स लए गए ह)१४ माधवराव सदाशव राव गोलवलकर lsquoग जीrsquo (१९२१९०६-५६१९७३)

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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Page 27: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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(httpt2gstaticcomimagesq=tbnMM2WpqqhNg87xMhttpwwwmilligazettecomdailyupdate2006rss-golwalkarjpg)राय वयसवक सघ क वतीय सर सघचालक (१९४०-७३) ी ग जी न अपनी पतक rdquoबच ऑफ थॉ सrdquo (अयाय XVI आतरकखतरा-१ मसलमान प १७७-१८७ १९६६) म कहा

१ मिलम मानसकता-rdquoया (पाकतान बनन क बाद) जो मसलमान भारत म रह गए ह उनक मानसकता तनक भी बदल गई ह याउनक परानी शता और हया करन क मनिथत िजसक फलवप १९४६-५७ म यापक माा म दग लट आगजनी बलाकार औरवभन कार क लपटताए अभतप तर पर ह अब समात हो गई ऐसा म स भी ववास कर लना क पाकतान बनन क बाद व

रातरात रा भत हो गए ह आमघाती होगी इसक वपरत पाकतान बन जान क कारण मिलम खतरा सकड़ गना और बढ़ गया हयक पाकतान हमार दश पर समत भावी आामक कायवाहय क लए कए थायी आधार बन गया हrdquo (प १७८)२ भारय मसलमान क दोहर आामक नीतया-rdquoउनक आामक रणनीत सदव दोहर रह ह पहल lsquoसीधा आमणrsquo वतता पविजना नप इस lsquoडाईरट एशनrsquo या lsquoसीधी कायवाहrsquo कहा िजसक पहल झटक क फलवप उह पाकतन मलाrdquo (प १७८)hellip rdquoउनकआमण का दसरा मोहरा हमार दश क सवदशनील म तजी स अपनी जनसखया बढ़ाना ह कमीर क बाद इनका दसा नशाना आसाम हव पछल अनक वष स नयोिजत ढग स आसाम परा ओर शष बगाल म तजी स घस पठ कर रह ह ऐसा हमार तरह कोई भी ववास नहकरगा क यक पव पाकतान म अकाल का कोप ह इसलए लोग वहा स आसाम और पिचमी बगाल म आ रह ह पाकतानीमसलमान तो पछल पह वष (१९५१) स आसाम म घस पठ कर रह ह या इसका यह अथ ह क पछल पदह वष स अकाल उह धकतलारहा ह rdquo (प १७९)३ फर १९४६-५७ जसी िथत-rdquoइस बात क पट लण ह क भारत म १९४६-४७ जसी वफोटक िथत फर तजी स पनप रह ह और पतानह वफोट कब हो जाए दल स लकर रामपर औरल खनऊ तक मसलम खतरनाक ष य जस हथयार क जमाखोर और अपन लोगको लामबद करन म यत ह और सभवतः व अदर स आमण करन क तीा कर रह ह जब पाकतान हमार दश पर सश हमलाकरन का फसला करrdquo (प १८१)४ अनक भारतीय मसलमान पाकतान क सपक म-rdquoसार क बात यह ह क यवहार म यक जगह एस मसलमान ह जो क पाकतान

क साथ ासमटर क वारा लगातार सपक म रहत ह ऐसा करत हए व न कवल एक सामाय नागरक क अधकार का योग कर रह हबिक कछ वशष रययत और कछ वशष अधकार भी यक व lsquoअपसखयकrsquo ह हमारा गतचर वभाग ऐस लोग जो हमार दश कअितव को नीचा दखान क कोशश कर रह ह क अपा रा भत लाग क बार म यादा सतक तीत होत हrdquo (प १८५)

५ वातवकता का सामना करो-rdquoमसलमान आज भी चाह कसी ऊच सरकार पद पर ह या बाहर ह रावरोधी गोिठय म खलम खलाभाग लत ह उनक भाषण म वरोध और अवा सपट दखाई दती ह एक कय मी न एक ऐसी ह गोठ क मच स बोलत हएधमक दजब तक क मसलमान क हत को सरत नह रखा गया यहा भी पन जसी िथत दहराई जाएगी िजसका अथ ह क व सश ात कलए उठ खड़ हगrdquohelliphelliprdquoअब हम और रोना-धोना बद कर जब तक क बहत दर न हो जाए और दश क सरा और अखडता को सवतम ाथमकता दत हए इसलबी आमघाती चल आई मानसकता का सामना करन क लए तयार हो जाओrdquo (प १८६-१८७)१५ नीरद च चौधर

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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(httpt3gstaticcomimagesq=tbnRiN_tvIM6ucgfMhttpimincomconnectimagesprofileb_profile4Nirad_C_Chaudhuri_300jpg)आधनक यग क मख चतक और सस बजीवी न लखा-

१ इलामी सात गर-मिलम क साथ भद-भव पण ह-rdquoइलामी सात क अनसार एक मसलमान यह मानन क लए तब ह कसब मसलमान उसक भाई ह और सभी गर-मसलमान उसक दमन ह मिलम समाज क आतरक समानता ओर तवपन क कारणमसलमान गर-मसलमान क त अपनी वभनताओ क त अधक जागक हrdquo२ इलाम वारा वव का इलामी और गर-इलामी राय म वभाजन-rdquoइलामी धामक सात क अनसार एक मसलमान क लएवव दो सपट भाग म वभािजत कया गया ह एक दार-उल-इलाम-यानी ऐसा दश जो इलामी काननक अनसार शासत कया जाता हऔर दसरा दार-उल-हब या िजहाद का दश यानी ऐसा दश िजस मसलमान को य वारा जीत कर वहा इलामी राय यवथा थापतकरना हrdquo३ दार-उल-हब म मसलमान को लगातार य करत रहना चाह-rdquoइलामी सात क अनसार मसलमान एक गर-मसलमानी जगत सलगातार सघष करत रहना चाहए इसीलए एक गर-मिलम दश दार-उल-हब यानी lsquoय का दशrsquo कहलाता ह rdquoइस इलामी आदश क

कारण एक मिलम राय और एक गर-मिलम (सयलर) राय क बीच कभी भी कसी कार क मता नह हो सकती ह जब तक कगर-मिलम राय मिलम राय नह बन जाता ह और जब तक ऐसा नह हो जाता ह यक मसलमान को गर-मसलमान क विजहाद या सघष अवय करत रहना चाहएrdquo४ िजहाद म गर-मसलमान को तीन वकप-rdquoिजहाद क सात क अनसार गर-मसलमान क सामन कवल तीन वकप ह (१) या तोवह इलाम वीकार कर (२) या वह आमसमपण करक मसलमान क गलामी वीकार करक नयमत िज़िजया टस द या फर (३) लड़नको तयार रह इलाम क अनसार एक मसलमान का एक गर-मसलमान क सामन तत करन को कोई चौथा वकप नह हrdquo (नीरद चचौधर-शत वाषक क सकलन म स काशक मा एड घोष कोलकता २००० प ४७०-४७१)५ मसलमान न हजार हद मदर को नट-ट कया-rdquoम कहता ह क मसलमान को एक मिजद क नट करन क शकायत करन कातनक भी अधकार नह ह १००० एडी स लगातार काठयावाड़ स बहार तक और हमालय स वयाचल तक यक हद मदर अपवऔर नट कया गया उतर भारत म तो एक भी मदर को अखडत नह रहन दया गयाhelliphellip कवल व ह मदर नट होन स बच जहा परमिलम शित क उन तक पहच नह थी जस क अयत घन जगल का होना इसक अलावा सव लगातार ववस का दौर रहाrdquo६ हद अपमान य भल जाए rdquoथोड़ा-सा भी वाभामान रखन वाला दश इस क कय को मा नह करगा इहन हमार िय काबलात अपहरण कया और इहन ज़िजया-टस लगाया हम यह सब य भल जाए और इसक लए इह य मा कर दया जाए जोकछ अयोया म हआ वसा कछ नह होता यद मसलमान इस ऐतहासक तक क सचाई को एक बार भी वीकार कर लत तब हम यह

कह सकतथ ठक ह अतीत को अतीत ह रहन दो और फर हम इस समया का सवतम समाधान ढढ़न का यास करrdquo७ मसलमान न थायी सघष को ारभ कया-rdquoसमत तक का सार यह ह क जीवन क त हद िटकोण और मिलम िटकोणपणतया सघषमख हो मानव समाज म थायी सघष को जम दन वाल पहल यित मसलमान ह थ फर सायवादय न इस अपनायामसलमान गर-मसलमान क राजनतक अधीनता म नह रह सकत ह दसर मसलमान मानव जगत को दो -rsquoशात क rsquo औरlsquoसघष क मrsquo वभािजत करत ह यह यक मसलमान का कतय ह क वह गर-मिलम को इलाम क अधीन लान का यासकरrdquo (सड टाईस ऑफ इडया अगत ८ १९९३) दल सपादक पडगावकर क साथ सााकार म)१६ डॉ यदनाथ सरकार

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

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Page 29: भारतीय महापुरुषों की दृष्टि में इस्लाम « Agniveer Fans

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(httpt0gstaticcomimagesq=tbn0phsb8N7hLb4OMhttpwwwnationallibrarygovinnat_lib_statpixjadunathjpg)विव वखयात इतहासकार न इलाम क बार म इस कार लखा

१ इलाम म बहदवतावाद पाप-rdquoइसलए परपरागत इलाम म कसी अय सदाय (दवता) को सहन करना पाप कमान स अधकउतम नह ह और सबस नकट कार का पाप बहदवतावाद ह यानी एक ऐसा ववास िजसक अनसार अयदवता भी एक सच दवताक सहभागी होत ह ऐसा ववास उसक त घोर कतनता ह जो हम जीवन और दनक आजीवका दता हrdquo२ िजहाद का अथ ह lsquoअलाह क माग म यास करनाrsquo-rdquoइसलए इलामी सात क अनसार एक सच ववासी (मसलमान) का सबसठ कतय यह ह क वह अलाह क माग म अधकतम यास करक गर-मसलमान क दश (दाल हब) क व सघष कर जब तकक व गर-मसलमान इलाम क अग न बन जाए वजय बाद समत गर-मसलमान लोग क हसयत साततः वजता सना(मसलमान) क अधीन गलाम जसी हो जाती ह ऐस सश बदय को कल कर दया जाए या गलामी क लए बच दया जाए और उनी

पिनय और बच को दास काय म लगा दया जाए लकन य न करन वाल बदय क तकाल हया न क जाए जसाक इलामीकानन का वशष शफ करान क अनसार बतलाता ह क उह तब तक का अवसर दया जाए जब तक क समझा-बझाकर सच धइलाम को वीकारन क लए उह तयार न कर लया जाएrdquo (द ह ऑफ़ आरगज़ब खड ३ प १६३-१६४ १९७२)३ गर-मसलमान क हया करना एक पयफल-rdquoइलाम म अववासया(गर-मसलमान) क हया करना (भल ह व नरपराधी ह)एक पय फल समझा जाता ह यह आवयक नह ह क उस (मसलमान) म उमग या आमसयम हो यह भी आवयक नह क वह अपनअदर अयधक आयािमकता का वकास कर उस कवल एक वशष वग (गर-मसलमान)ह क यितय क हया करनी ह या उनकज़मीन और सपितय पर कजा करना ह और इतन काय मा स ह उस (मसलमान) क आमा का जनत मल जाएगी एक ऐसाधम िजसम अपन अनयाय को अपन ह साथय क लट-पाट और हया करन को धामक कतय होन क शा द जाती ह उससमानव जात क गत अवा वव शात का हना असगत हrdquo (वह प १६१-१६९)४ मिलम दश क शासक और उसक पड़ोसी गर-मिलम राय क बीच शात असभव-rdquoकरानी कानन क अनसार महमदय बादशाहऔर उसक पड़ोसी गर-इलामी राय क बीच कभी शात नह रह सकती ह यक बाद क राय lsquoदार-उल-हबrsquo यानी काननन lsquoसघष करायrsquo ह और एक मिलम बादशाह का यह धामक कतय ह क वह उनको (गर-मिलम लोग) को लट और उनका कल कर जब तकक व सच धम (इलाम) को वीकार नकर ल और वह दश lsquoदार-उल इलामrsquo न हो जाए और उसक बाद व (बादशाह वारा) अपनी सराक अधकार हो जाएगrdquo

(शिवाजी एड हज़ टाईस ल यदनाथ सरकार प ४७९-४८० काशक ओरयट लगमन)

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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१७ डॉ क एस लाल (१९२०-२००२)

सस इतहासका डॉ क एस लाल अपनी पतक rdquoयोर एड िटस ऑफ़ मिलम टट इन इडयाrdquo (१९९९) म लखत ह १ करान अय धम क अितव एव नरतरता क आा नह दता-rdquoय दोन (हद राजा और मिलम सलतान) दो वभन धामक धाराओ काअनसरण करत ह मिलम सलतान न अपन इलामी कानन (शरयत) क अनसार और हद राजाओ न अपन धम शाानसार भारत म रायकया मगर इन दोन क शासन णाल और य क नयम एक-दसर स पणतया भन थ करान अय धम क अितव उनक धामक रत-रवाज और उनक नरतरता को बन रहन दन क अनमत नह दता हrdquo (प ४)२ अधकाश करान काफ़र मशरक और मनाफ़क क बार म ह-rdquoकरान क ६३२६ आयात म स उतालस सौा (३९००) आयत य या अयढग स अलाह औरउसक lsquoरसलrsquo (महमद) म lsquoईमानrsquo न रखन वाल या काफऱ मशरक (बहदववाद) मनकरा व मनाफ़क (कपटाचारय) ससबिधत ह मखय प स य उतालस सौ आयत दो णय क ह एक णी क आयत उन मसलान स सबिधत ह जो अलाह म ईमान लान ककारण इसी जीवन म ओर मरन क बाद भी परकत कए जाएग और दसर कार क व आयत ह जो गर-ईमानवाल व काफ़र स सबिधत ह जोक न कवल इस जीवन म सताए जाएग बिक मरन क बाद जहनम (नरक) क आग म डाल जाएगrdquo (प ५)३ करान एक य-नयम पितका (मनअल) जसी तीत होती ह-rdquoकरान मानव जात क लए भाई चार क वधान क अपा एक य बधीवधवधान का थ (मनअल) तीत होता ह करान का अय धम वाल क व िजहाद या थायी य का आदश पहल भी था आज भी ह इलामअय धम वाल क व िजहाद या लगातार य करन तथा उह कद करन बाधन कल करन और इह lsquoजहनमrsquo क आग म जलान क सफारश

करता ह इसस इलाम एक सवसतामक ओर आतकवाद धामक पथ हो जाता ह जसाक वह अपन जम स ह रहाआया हrdquo (प ५)४ वदशी मिलम आाताओ का उ दय भारत का इलामीकरण था-rdquoमिलम आाता ओर शासक कवल भारत को जीतन क लए ह नहबिक व समत भारत पर इलामी राय थापत करना चाहत थ और इस या स उतपन खाई पट नह सक यक इलाम भारत पर एकबलात अयारोपण ह इसस भी नकटता तो यह ह क यह य क वजय क वारा थोपा गया राफ बोरसोडी-एक अमरका शा वशष औरसामािजक चतक अपनी पतक lsquoचलज ऑफ़ एशयाrsquo म लखता ह rdquo एशया माइनर क अलावा दनया म सभी जगह य तीन बड़ समीटक धम-यहद ईसाइयत व इलाम घस पठया ह एव मल प स एशया ाणवाद (हद) कयसयनी बौ और टाओवाद ह तथा यरोप पगन हयरोप म ईसाइयत और एिया म इलाम बलात अयारोपत हrdquo (प ६-७)५ िजहाद का मतलब गर मसलमान का धमातण या कल-rdquoिजहाद एक मसलमान का सबस बड़ा धामक कतय ह िजहाद का मतलब ह गर-मसलमान का धमातरण हमला व हया करना या उह कद करना ह भल ह उहन मसलमान को कोई हान न पहचाई हो और यहा तक कवनहथ ह िजहाद अलाह क लए क जाती ह उसक सवा म पजा और य दोन एक ह िजहाद स पलायन या जी चराना सबस बड़ा पाप ह तथािजहाद क वारा यश पाना सवच समान ह इलाम वजयवाद क दभ स पीड़त ह यह कहता ह क उसक दसर पर निचत वजय होनीचाहए यक कवल इलाम ह सचा और अय सब धम झठ ह माना सभी बहकारवाद क टरपथी नह ह परत सभी मानत ह क कवलएकमा इनका ह धम सचा ह यह इलामी क टरपथवाद ह क टरपथवाद ह क टरपथवाद का अथ ह अपन धम थ को ईवरय गटकरणमानना क टरपथवाद सयोगवश नह बिक एक आवयक अवधारण हrdquo (प ९-१०)

६ इलाम म सय का नणय तलवार स ह होता ह-rdquoइलाम म िजस ान या इम कहा जाता ह उसका सदव मतलब धामक ान या खदाईइलहाम स होता ह और तक यह ह क इलाम म जो कछ भी ह वह सब सच ह यह इसक परवतनशीलता को इसक शित मानता ह यह कारण ह

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

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वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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क मिलम चतक और धामक नताओ क लए सधार शद अयत घणापद होता ह इलामी धमशा म आाए आदश और नदश हकहपर भी वचार-वनमय और आम समत बनान का उलख नह ह महमद वारा अरबया वजय क बाद ऐसी ह रत थी और ऐसी हपरपरा वहा थी जहा भी मिलम सनाए पहची इलाम म सय का नणय तलवार स होता ह न क पारपरक सवाद और तक सrdquo (प १०)७ इलाम म मत भजन एक महवपण काय-rdquoदवी-दवताओ क मतय को तोड़ना पगबरय मत क एक दन ह इलाम म मत भजन एकमहवपण या ह लकन इसस भी अधक महवपण गर-मिलम क पजा थल को अपव करना और नट करना ह न क आपसी सहमतऔर धन आपत क वारा उनको बच रहन दना अतार क अनसार सोमनाथ मदर वत करत समय जो महमद गज़नबी न कहा वह इलाम कसची भावना का सार हrdquo (प १०)८ इलाम राजय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता-rdquoइलाम क कानन और धामक सात करान और हदस पर आधारत ह

इलाम का सवसतामक वप राय और धम क बीच वभाजन क अनमत नह दता ह जसा क आधनक कानन वशष मानत ह क इलामम कानन का सबध कानन यवथा क अपा धम स यादा घनठता स जड़ा हआ ह (प १०)९ इलाम हसा और आामकता का पथ-rdquoइलाम हसा और आामकता का एक पथ ह िजहाद क वचारकता न इह (मसलमान को) बजल ककरट जसी फत और ऊजा द ह और वव भर क लोग न इलाम को सदव एक आामक धम यानी हसा और आामकता क पथ क प मपहचना हrdquo (प १२)१० इलाम आथक लाभ क फलवप फला-rdquoइलाम अरब क दश म जमा अरब क एक राजनतक शित क प म वकसत होन क बार मइलाम क अनक लखक न लखा ह ट डल अरनोड न माना ह क-अरब का वतार-धामक भावना क कारण स नह िजतना क अपनपड़ोसय जो क अधक धनी और भायशाल थ क सासारक पदाथ क लट और भम ात करन क लालसा क कारण यादा हई हrdquordquoपगबर महम कालन अधकाश अरबी लोग नधन थ उह एक ऐस सधारक क आवयकता थी जो उनक आथक िथत को सधार सकआथक िथत सधारन और नधनता दर करन क दो ह तरक ह एक साधन तो ह कठोर परम और लगन वारा अपन ससाधन क उनतकरना और दसरा तरका ह दसरपर हमला करक उनक धन सपित को लटना और वय धनी हो जाना ताकालन ारिभक गरब अरब को यातो उह अपनी जीवका क लऐ कड़ परम क लए रत कया जाता अथवा उह अय पर हमला करक उह लटा जाता इलाम न दसर वकपको चना जसाक अलाह न आदश दया था गरब और गलाम वग क लोग क भत क फलवप ईमान लान वाल मसलमान क सखया तजी सबढ़न लगी एडवड गबन क लछदार भाषा म कह तो rdquoचरवाह लटर बन गए और लटर को इक इा करक वजय क लए सना तयार कर ल गई

rdquoअलाह क िट म सनक बनना न कवल एक ठ और आकषक यवसाय था बिक वह सबस लाभदायक भी थाrdquo (प १२-१३)११ गर-मिलम क त मकाई आयत म शाित-rdquoमदानाई आयात म असहणता मकाई आयत म गर-मिलम क त सहणता ह मगरमदनाइ आयत म उनक व सघष का आदशrdquo करान म एक या दो ऐसी आयत ह िजनम कहा गया ह क rdquoमर लए मरा धम और तहार लएतहारा धमrdquo २ २५६ सहणता का उपदश दन वाल सभी आयत मकाई ह यानी ारिभक सराओ मह और गर-मिलम क हया उनक गलकाटना और अग-भग करन क आदश मदनाई आयत म पाए जात ह यानी बाद म सहणता को असहणता म बदल दया गया उदाहरण क लएसरा नौ क पाचवी सस आयत rdquoमत पजक का कल करो जहा कह भी उह पाओrdquo वारा पछल १२४ आयत को नरत कर दया गया िजनमधय और सहणता क बात कह गई हrdquo (प १५)१२ मसलमान और गर-मसलमान क लए नतकता क दो वभन मापदड-rdquoइलाम म नतकता याय और सदाचार क दोहर मापदड ह एकमसलकामन क लए और दसरा गर-मसलमान क लए नठाउ स भावना और ाततव कवल अलाह ववासी-मसलमान क लए ह जबकगर-मसलमान क लए सात एव आचरण क मापदड उनस भन हrdquo (प १५)१३ अरब का सध पर हमला-rdquoभारत म पहल अरबी और फर तक मसलमान आमण क तीन मखय धाराओ क मायम स फल लकन ऐसाकरन म उह पाच सौ वष लग ६४३ ई म ईरान वजय क बाद अरबी खलफ़त क सीमाए भारत क टयर स लग गई थी भारत जो ारिभकअरब को हद यासध क नाम स ात था भी मसलमान क वतारवाद योजनाओ स अछता नह रह सका था और उहन अपनी सनाए भारत मसम और मदानी माग स भजी उहन इन ताकालन ात यापार-माग को चना (१) कफ़ा और बगदाद वाया बसरा और हौरमज़ स चौल जो

भारत क पिचमी तट स जड़ा था (२) पिचमी पसयन नगर स वाया हौरमज स सध म दवल तक और (३) मदानी माग उतर खरासान स काबलवाया बानयान लकन भारत म मिलम सना और इलाम क गत धीमी और बहत धीमी रह यक मिलम आाताओ क घोषणाओ कउ दय न कठोर भारतीय तरोध और उसक आतरक अवरोध शितय का अनमान नह लगाया था खलफा उमर (६३४-६४४ एडी) न ६३६-६३७एडी म थाना को लटन क लए एक अभयान दल भजा इसक बाद खलफा उमान और ल न भी इसी कार क अभयान दल भज लकन य सभीबकार स हए इलाम क पहल चार lsquoपव खलफाrsquo सध या हद पर वजय क सचना सन बना ह चल बसrdquo (प १७)१३ इलाम श बल स फला-rdquoइलाम अवतीय सश शितपण अभयान क वारा फोला कछमिलम यापारय न अपन पथ को शाितपणतरक तथा अपन अधीन कमचारय और अय लाभािवत को इलाम म धमातरत करक भी फलाया इलाम क शातपण ढग स चार कसभावना बहत कम थी यक ारिभक अरबी मसलमान अधकाशतः इन शत नह थ जो क व वाद-ववाद बहस तक आद क वाराववास दला सक

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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Humanity triumphs | March 11 2012 at 1055 amSee this

httpalisinaorgis-allah-a-terrorist-too

ALLAH = TERRORIST

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GOD IS GREAT | March 21 2012 at 1230 pmMust visit

httpwwwislaminindiaorgcategory13-evidence-that-islam-is-falselogical-proofs

Please promote this and post on as many websites as you can

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इसलय व इस नए पथ को फलान क कए कसी मशनर भावना स काम करन क लए शत नह थ व कवल तलवार ह भलभात चला सकतथ इसलए मिलम ऐतहासक साहय बार-बार दहराता ह क इलाम का सार सनक वजय क वारा हआ जबक परािजत क सामन दो हवकप-इलाम या मौत रख जात थ उहन इलाम को वीकारा-यक उनक सामन शायद ह अय कोई वकप था मय कोई वकप नहहोता ह यक कोई भी मौत को चनना नह चाहगा इसीलए इहन इलाम को चनाrdquo (प १४-१५)

१४ सय बल वारा इलाम का फलाव-rdquoजसा क सयत रा सघ क रलफ और वस एजसी क शा वभाग म कछ काल तक परामशदाता रहडॉ अल इसा औथमन न कहा rdquoइलाम का फलाव सय बलस हआ इस लए माफ मागन क वित दखाई दती ह और हम ऐसा नह करनाचाहए यक lsquoकरान क आदश म स एक ऐसा ह क तह इलाम क सार क लए सघष करना चाहएrdquordquoइलाम क इस सार क लए कए गए सघष म सफलतानाए मयकालन मिलम इतहास का मखय अग ह इलाम म शित क महव कोवीकारना चाहए न क उसका अवमयाकन करना डॉ अजीज़ अहमद और महममद मजीब जस कछ आधनक इतहासकार वारा शित कोइलाम क सार का आधार नकारन म इलाम क इतहास ओर दशन क मौलक तय क सयता बदल नह जा सकती ह और न काफर िजहादिज़िज़या आद शद म नहत भावना को बदला जा सकता ह (प २३)rdquo१५ इलाम अहसक नह हो सकता-rdquoमसलमान क लए िजहाद एक रणा और आवयक कतय होन क कारण इलाम अहसक नह हो सकताहhelliphelliphellip एक मसलमान क लए कसी गर-मसलमान क व िजहाद स मकर जाना एक महान पाप ह जो ऐसा करग व जहनम क आग मपकग करान क अनक आयत स यह सपट ह क वह कसी आयािमक य अथवा अपनी नकारामक वितय पर सयम करन क बातनहकर रह ह यह तो साात य क मदान क बात कर रह ह और काफ़र क व खन क यास आदश स उसाहत कर रह ह पढ़न स करान एकधामक कताब नह लगती बिक य क एक नयम पितका क समान तीत होती ह यह अहसा का उपदश नह दती हrdquo (योर एड िटसऑफ मिलम टट इन इडया प २८६-२८७)१६ कछ सफ़ सदाय मताध ह-rdquoसफय म अनक सदाय ह इनम स य चार-चती सहरावद कादर और नशाबद भारत म सवखयात हो

गए पहल दो लोकय हो गए यक पछल दो अयत क टरपथी और धमाध थ सफय म स बहत कम ऐस थ जो सासारक सपित क तउदासीन थ अधकाश न शासक और नवाब स भम-सपित ात क और कछ शानदार ढग स रहत थ उहन अपन को अयािमक जीवन तकसीमत रखन क लए ससार स वरित नह ल थी बिक अपन सरक को गर-मसलमान क व य करन को असर उकसाया और वय भीऐस य म भाग लया यहा तक क शख मइन दन चती को एक च म सहनशीलता क मरत क जगह उस lsquoइलाम का योाrsquo दशाया गयाहमइन दन चती (१२३ एडी) क दन स लकर शाह वल उलाह (१७०३-१७६३) तक सफ योाओ क लबी खला ह उहन ध राजनीत और य(िजहाद) म सय भाग लयाrdquo (वह प २८७)१७ सफय वारा हदओ का इलामीकरण-rdquoसफ़य और मौलवय न मिलम शसक क धमातरण यास म खलकर सहयोग दया महमदबन तग़लक (१३२६-१३५१) क समय स लकर अकबर (१५५६-१६०५) तक बगाल न वोहय शरणाथय सफ मशख असतट नवाब और उतरभारत क साहसी यवक को आकषत कया आामक कार क सफ मशख न बगाल क भम को हदओ क धमातरण क लए उपजाऊ मानाऔर मसलमान क सखया बढ़ान क लए उहन कठोर परम कयाrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५८)१८ सफ़य न इलाम-सार क लए शाितपण एव आामक तरक अपनए-rdquoसफ़य न अधकाशतः शाितपण मशनरय क भात काय कयालकन यद उहन कह पाया क कछ उचत उ दय (इलाम सार) क लए सनक कायवाह क जरत ह तो उहन (गर-मिलम स) य करनहचक नह क सप म सफमशख न आामक और शाितपण दोन तरक स हदओ का धमातरण कया उनक पजाथल पर कजा कया

और उह खानकह और मिजद म बदल दया ताक पव बगाल को वशषकर एक मिलम भम बनाई जा सक मयकालन इतहासकार नबगाल म बलात धमातरण क कहानय को बड़ जोश क साथ वणन कया हrdquo (इडयन मिलम ह आर द प ५९)१९ शाह वलउलाह वारा भारत पर आमण क लए नमण-rdquoसफ़ ववान शाह वल उलाह न अफ़गानतान क बादशाह अहमदशाह अदालको मसलमान क सहायता क लए भारत पर हमला करन क लए आमत कया प बताता ह rdquoसप म (भारत म) मिलम समदाय दयनीयिथत म ह सरकार मशीनर का सभी नयण हदओ क हाथ ह यक कवल व ह लोग ह जो क योय और परमी ह सपित औरसम उनक ह हाथ म कित ह जबक इसम मसलमान का हसा गरबी और दरता क अलावा कछ नह हhelliphellipइस समय तम ह एक ऐसबादशाह हो जो क शितशाल दरदश और श क ताकत को हरान क योय हो नचय हो यह तहारा अनवयकतय ह क तम भारत पर चढ़ाईकरो मराठाओ क शासन को समात करो और कमजोर और बढ़ मसलमान को गर-मसलमान का शासन बना रहगा और मसलमाना इलाम कोभल जायग थोड़ स ह समय म यह दश ऐसा हो जायगा िजसम मसलमान को गर-मसलमान म स पहचानन क लए कछ भी नह बचगाrdquo (दलगसी ऑफ़ मिलम ल इन इडया प ३२५)नोटः अहमदशाह अदाल न १७५७ १७५९ और १७६१ म भारत पर तीन हमल कए

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Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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GOD IS GREAT | March 9 2012 at 440 pmनमकार ववक आय जी यह लख सवथा सय ह इलाम को सधारना असभव स भी भयकर ह अिनवीर कहता ह क इलाम कोकसी न अपत कया ह यह तो मसलमान कहत ह ndash अिनवीर यो ऐसा कहत ह मझ पता नह जो अलाहन मजहब बनाया वह कस अपत हो सकता ह जब अलाह वय कहता ह क क़रान को ट होन स बचाएगातो इलाम का अपहरण असभव ह और अपहरण करन वाला कौन मलाह mdash वह कहत ह क इलामकहता ह क गर मसलमानो को मार दो इशरार अहमद तो आतकवादयो स भी बर वचार रखत ह

बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

स ह आए ह वामी दयानद भी आय धम क ह वतक ह बहाउला और मज़ा साहब न मश बहई औरअहमद क नाम पर वातव म वदक म ndash ldquoसव भवत सखनrdquo ह समझाया और वदक म ndash ldquoॐ स गछवस वदव स वो मनास जानताrdquo का पालन करन को बताया अधकाश बहई और अहमद ldquoवसधव कटबकrdquo मववास रखत ह इसका एक छोटा सा माण दख ndash अलामा शख़ महमद इबाल अहमद मसलमान बन औरइसक बाद उनम दशम जग गया और वह रामभत हो गए

परमाण ndash httpsatyagnicom5316iqbal-on-rama

वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

गजरात दगो वाला इतहास दोहराना ह अथवा समझौता लौहपथगामणी क कथा को दोहराना ह जो

असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

आपक या वचार ह कपया माग शत करधयवाद

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ALLAH = TERRORIST

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About Agniveer Fans

We are fans of Agniveer - who has changed our minds and how we look at life Agniveer is the only way forrevival of true spiritualism and Yoga

View all posts by Agniveer Fans raquoPosted on October 14 2011 in Islam Bookmark the permalink 7 Comments

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Comments (7)

Basant jhariya | October 14 2011 at 317 pmNamaste dr vivek jiek sujhav hai ki yadi aap itne lambe lambe article ko 2-3 bhag karke likhen to jyada achcha hoga

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

It would be far better if the article were to be brought in English

Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

Motive of translation of these articles is to create interest in common masses to learn know Veda eiknowledge directly emanates from God in every cycle of creation

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Agniveer Fans | October 15 2011 at 820 amthese four articles are really amazing and for common man i am overloaded with work willfind out come volunteer to help me

dr vivek arya

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बहाउला न ईरान म इलाम को सधारना चाहा और उस बहाई का नाम दया जो शात का सदश कहत ह दसरशात क चारक भी आए और मज़ा ग़लाम अहमद क़ादयान क नाम स जान जात ह दोनो 19 शताद म हआए ईरान सकत शद आय स ह नकल आया ह अत यह पट ह क समाज सधारक सदव आय सयता

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वहाबी उपरोत सधारको स घणा करत ह और लगभग सार आतकवाद वहाबी ह ह जो 2 अछ मसलमान हवह इनक कारण अपमानत होत ह आपक वारा लखत लख म िजनका उलख ह वह सभी वहाब वहाबी कबार म बात कर रह हग अछ मसलमानो क बस का नह क अपहरणकताओ स वय को बचा पाए

खर ndash वह सब छोड़ए ndash यह बताए क सनातन धम को मानन वालो क लए या आदश ह

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असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

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vasudevarao | October 14 2011 at 350 pm

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Truth Seeker | October 15 2011 at 554 amNamaste dr vivek ji

I also support suggestion of Basant jhariya Ji Really very knowledgeable Article I have given yourarticles to many scholars amp friends to awaken them amp society amp Few days before I requested to youamp once again I request you to translate Agniveer Article on Vedic series amp on Ved Mantrahttpagniveercomseriesvedic-lessonsAndLets truly enjoy ndash Ishopanishad Mantra 1Lets have some action ndash Ishopanishad Mantra 2Avoid troubles Remove guilt- Ishopanishad Mantra 3Quick transformation with Gayatri Mantra

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असीमानद म हदराबाद म कया वह आवयक था

मर मतानसार पहल थानो को पन सकत म डालना होगा अलाहाबाद मजफरनगर ग़ािज़याबाद इयादमसलमान नाम नकाल बाहर करन हग और जो सध पाकतान म गया उस वापस लना पड़गा ( भारतीयसयता सध घाट क नाम स ह जानी जाती ह )

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